जानिए क्या है मुनक्का के बीज के फायदे आपकी सेहत के लिए

मुनक्का के बीज खाने से फायदा

आज हम आपको मुनक्का के बीज के फायदे के बारे में बताएंगे। मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व जैसे की मेग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, जस्ता, फास्फोरस, मैगनीज, आयरन और कैल्शियम आदि पाए जाते हैं। ये पोषक तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक और फायदेमंद होते हैं। दिखने में मुनक्का बहुत छोटी होती है पर बहुत ही गुणकारी होती है। मुनक्का में वसा की मात्रा ना के बराबर होती है। मुनक्का खाने में हल्की और सुपाच्य होती है।

मुनक्का को बड़ी दाख (रेजिन) के नाम से भी जाना जाता है। साधारण दाख यानि किशमिश और मुनक्का में इतना फर्क सिर्फ इतना है कि मुनक्का बीज वाली होती है और किशमिश से अधिक गुणकारी होती है। आयुर्वेद में मुनक्का को कई रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है।

मुनक्का के बीज के फायदे

मुनक्का के बीज से आपको यह सब फायदे मिलते हैं जिनको जानकर आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे।

नोट – यदि आपको किसी भी प्रकार की कोई बीमारी है तो मुनक्का के बीज का सेवन करने से पहले अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह जरूर से लें।

आंखों के लिए उपयोगी

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में विटामिन A पाया जाता है जो हमारी आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। मुनक्का में बीटा कैरोटीन पाया जाता है। विटामिन A और बीटा कैरोटीन से हमारी आंखों की रोशनी बढ़ती है। 5-7 मुनक्का को रात में पानी में भिगो कर रख दें और सुबह उठकर इसका सेवन करे।

विटामिन A
विटामिन A

त्वचा के लिए उपयोगी

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पाया जाता है जो हमारे शरीर की त्वचा पर होने वाले नुकसान से बचाता हैं और मुनक्का के बीजों का रोजाना सेवन करने से आपकी हमारी त्वचा स्वस्थ एवं चमकदार बन जाती है। रात में मुनक्के को पानी में भिगो कर रख दे। सुबह इस पानी को भी पिए। मुनक्के का पानी हमारे शरीर में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकालकर शरीर को डिटॉक्स करता है, जिससे हमारी त्वचा चमकदार बनती है।

यौन दुर्बलता को दूर करने में सहायक

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में एमिनो एसिड पाया जाता है जो हमारे शरीर में यौन दुर्बलता को दूर करने में सहायता प्रदान करता है।

हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में पोटेशियम व कैल्शियम पाया जाता है। मुनक्का के बीज हमारी हड्डियों को और मजबूत बनाता है। कैल्शियम की कमी के कारण हमारे शरीर में जो रोग होता है वह हमारी हड्डियों को कमजोर व नाजुक बना देता है।

बालों को स्वस्थ रखने में सहायक

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है जो हमारे बालों के लिए बहुत जरूरी होता है क्योंकि आयरन की कमी के कारण हमारे बाल झड़ने लगते हैं और बालो से संबंधित रोग होने लग जाते हैं।

बुखार और जुकाम को ठीक करने में सहायक

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में फिनोलिक पायथोन्यूट्रीएंट और जर्मिशिडल के साथ साथ एंटीओक्सीडेंट जैसे तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर में बुखार व जुकाम जैसी बीमारियों से छुटकारा पाने में सहायता प्रदान करते है।

खून की कमी को दूर करने में सहायक

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में कॉपर पाया जाता है जो हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायता प्रदान करता है जिसके कारण हमारे शरीर में खून की बढ़ोतरी होने लगती है।

कब्ज से राहत दिलाने में सहायक

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में फाइबर, कैल्शियम और एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे तत्व पाए जाते हैं ये तत्व हमारे पेट के अंदर जाकर वहाँ का सारा पानी सोख लेते हैं जिसके कारण कब्ज जैसी गंभीर बीमारी से छुटकारा मिलता है।

ह्रदय के लिए फायदेमंद

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा मे पोटेशियम पाया जाता है जो हमारे शरीर में रक्तचाप को कम करता है पोटेशियम हमारे शरीर में रक्तचाप को कम करने के साथ-साथ इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है जिसके कारण हृदय संबंधित रोगों से छुटकारा मिलता है।

दांतो को स्वस्थ रखने में सहायक

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में ओलेनोलिक नामक एसिड पाया जाता है जो हमारे शरीर में जाकर दांतों को सुरक्षित लगता है और इसके साथ-साथ हमारे दांतो को मजबूत रखने में भी सहायता प्रदान करता है।

बच्चों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद

मुनक्का के बीज बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। बहुत बार देखा जाता है कि बच्चे महीने में 5 से 6 बार बीमार पड़ जाते हैं।  मुनक्का के बीजों का सेवन करने से उन रोगों से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है।

गले के संबंधित रोगों को दूर करने में सहायक

मुनक्का के बीज में प्रचुर मात्रा में एंटी बैक्टीरिया नामक तत्व पाए जाते है जो हमारे गले के लिए बहुत फायदेमंद होते है क्योंकि यह हमारे गले में होने वाली खराश व खुजली जैसी बीमारियों को ठीक करने में सहायता प्रदान करता है।

यदि आप रोजाना मुनक्का के बीजों का सेवन करते हैं या रोजाना मुनक्का के बीजों को खाते हैं तो आपको यह सब फायदे मिलेंगे।

यदि आपका मुनक्का के बीजों से संबंधित कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं।  हम आपके कमेंट का जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे ।

मुनक्का के बीजों की यह जानकारी अपने दोस्तों और अपनी सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें ताकि आपके दोस्तों को भी मुनक्का के बीजों के फायदों के बारे में पता चल सके।

सामान्य प्रश्न

क्या मुनक्का के बीज खाने चाहिए?

मुनक्का के बीजों का सेवन करना चाहिए ।मुनक्का के बीजों में प्रचुर मात्रा में कॉपर पाया जाता है जो शरीर में खून की कमी का दूर करता है। मुनक्का के बीजों में प्रचुर मात्रा में फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो कब्ज की समस्या को दूर करते हैं, मुनक्का के बीज में पोटेशियम पाया जाता है जो रक्तचाप को नियंत्रित करता है , यह हृदय रोगों में भी बहुत लाभदायक है। मुनक्का के बीजों का प्रयोग फायदेमंद तो है परंतु अधिक मात्रा में मुनक्का के बीजों का सेवन करने से हमारे शरीर में मोटापा बढ़ सकता है और मधुमेह की समस्या भी हो सकती हैं। मुनक्का के बीजों में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्वों को हमारा शरीर आसानी से पचा नहीं सकता मुझे अधिक सेवन से हमें पेट फूलना उल्टी और गैस की समस्या भी होती है ।

मुनक्का का सेवन कैसे करना चाहिए?

मुनक्का हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक है। मुनक्का की तासीर गर्म होती हैं इसलिए अधिकांश इसका सेवन सर्दियों में किया जाता है। मुनक्का का सेवन करने से पहले उसे रात भर पानी में भिगोकर रखना चाहिए और सुबह खाली पेट इसका सेवन करना चाहिए । मुनक्का का सेवन गर्मियों में भी किया जा सकता है परंतु गर्मियों में इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए । आप यदि चाहे तो सर्दियों में रात में भी मुनक्का का सेवन कर सकते हैं इसके मुनक्का को चार से पांच घंटे पानी में भिगो कर रखें और उसके बाद में दूध के साथ इन भीगे हुए मुनक्का का सेवन करें। यह शरीर में खून की कमी को दूर करने का रामबाण उपाय है।

खाली पेट मुनक्का खाने से क्या क्या बीमारी खत्म होगी?

रोजाना सुबह खाली पेट भीगे मुनक्का खाना बहुत लाभदायक होता है। मुनक्का में कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करता है । मुनक्का का सेवन शरीर में रक्त की कमी को दूर करता है । मुनक्का में फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो कब्ज की समस्या को दूर करते हैं। मुनक्का में विटामिन ए और बीटा कैरोटीन पाया जाता है जो नेत्र ज्योति को बढ़ाता है । मोटापे की समस्या से ग्रसित लोगों के लिए मुनक्का बहुत ही लाभदायक होता है। खाली पेट भीगे मुनक्का खाने से त्वचा चमकदार होती है। ह्रदय रोग में भी है लाभदायक है और यह उच्च रक्तचाप की समस्या को भी दूर करता है।

मुनक्का और किशमिश में कौन ज्यादा फायदेमंद है?

मुनक्का और किशमिश दोनों ही अंगूर से बनते हैं और बहुत लाभदायक होते हैं परंतु यदि दोनों के बीच तुलना की जाए तो आयुर्वेद के अनुसार मुनक्का अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर के लगभग सभी अंगों के लिए लाभदायक होते हैं । मुनक्का में किशमिश की तुलना में आयरन और कैल्शियम ज्यादा होता है जो शरीर में रक्त की कमी को दूर करता है। किशमिश में अम्लीयता पाई जाती है जो एसिडिटी की समस्या को बढ़ावा देती है वहीं मुनक्का में फाइबर पाया जाता है जो पेट की समस्याओं को दूर करता है । पोषक तत्वों की बात की जाए तो मुनक्का में किशमिश की तुलना में अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं इसलिए इसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है ।

दूध में मुनक्का खाने से क्या होता है?

दूध के साथ मुनक्के का सेवन करने से कई लाभ हैं । रोजाना रात को दूध के साथ मुनक्के को उबालकर पीने से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है। दूध के साथ मुनक्के का सेवन करने से नींद अच्छी आती है, यह कब्ज की समस्या को भी दूर करता है । यदि सर्दी जुकाम की समस्या से पीड़ित है तो दूध के साथ मुनक्का को उबालकर उसका सेवन करें यह सर्दी जुकाम को खत्म कर देगा । दूध के साथ मुनक्के का सेवन गठिया रोग के लिए भी लाभदायक होता है इससे हड्डियां भी मजबूत होती हैं और यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है ।

मुनक्का और किशमिश में क्या अंतर है?

मुनक्का और किशमिश दोनों अंगूर से बनते हैं फिर भी दोनों के गुणों और आकार में काफी अंतर होता है । सामान्य रूप से किशमिश बीज रहित और पीले हरे रंग के साथ छोटी होती है। दूसरी ओर मुनक्का बड़ा, बीज के साथ भूरे या हल्‍के काले रंग का होता है। किशमिश छोटे अंगूरों को सुखाकर तैयार की जाती है जबकि मुनक्का लाल रंग के बड़े अंगूरों को सुखाकर तैयार की जाती है इसमें बीज भी होता है ।

जानिए क्या है हेमपुष्पा पीने के फायदे-Hempushpa Ke Fayde In Hindi

जानिए क्या है हेमपुष्पा पीने के फायदे

हेमपुष्पा एक आर्युवेदिक औषधि है। हेमपुष्पा स्त्रियों के लिए बहुत उपयोगी औषधि है। हेमपुष्पा महिलाओं में मासिक धर्म के समय होने वाली परेशानियों को दूर करने में सहायक होती है। महिलाओं को हेमपुष्पा पीने के फायदे बहुत सारे है।

हेमपुष्पा पीने के फायदे-Hempushpa Ke Fayde In Hindi

हेमपुष्पा का सेवन रक्त शुद्धि में मदद करता है। हेमपुष्पा मानसिक व शारीरिक विकारों में सामान रूप से उपयोगी है। हेमपुष्पा उन महिलाओं के लिए भी जिन्हे कोई भी समस्या नहीं है उपयोग किया जाता है। हेमपुष्पा निरोगी महिलाओं को स्वस्थ व ऊर्जावान बनाने में मदद करती है।

हेमपुष्पा उपयोगी है मूत्र समस्या के निदान में

हेमपुष्पा यूरिन को साफ़ करने में मद करती है। पेशाब के पीलेपन को दूर करती है। पेशाब के समय होने वाली जलन को दूर करती है। हेमपुष्पा मूत्र की अशुद्धियों को साफ करके पेशाब में होने वाली जलन को दूर करने में कारगर है।

हेमपुष्पा लाभदायक है वजन घटाने में

हेमपुष्पा में पायी जाने वाली औषधियां शरीर के हानिकारक टोक्सिन को दूर करती हैं। हेमपुष्पा शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकाल कर वजन घटाने में मदद करती है। हेमपुष्पा के नियमित प्रयोग से शरीर फुर्तीला एवं हल्का होता है।

वजन कम करने में मदद करे
वजन कम करने में मदद करे

हेमपुष्पा गैस्ट्रिक समस्याओं को दूर करती है

हेमपुष्पा पेट में बनने वाली गैस की समस्या को दूर करने में उपयोगी है। हेमपुष्पा छोटी आंत व बड़ी आंत की बिमारियों को दूर करती है। हेमपुष्पा आँत के विचारों को दूर कर गैस की समस्या का समाधान करती है।

हेमपुष्पा हार्मोनल असंतुलन को दूर करती है

हेमपुष्पा में पायी जानेवाली जड़ी बूटियां हार्मोनल असंतुलन को दूर करने में सहायक हैं। महिलाओं में किशोरावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक अनेक मानसिक एवं शारीरिक परिवर्तन आते हैं। इन परिवर्तनों के कारण हार्मोनल डिस्बैलेंस भी होते हैं।

इन हार्मोनल असतुंलन की वजह से मुहांसे ,अनिद्रा, बालों का झड़ना ,अनचाहे बाल, वजन का बढ़ना या कम होना, चिंता एवं तनाव आदि हो जाते हैं। हेमपुष्पा हार्मोनल असंतुलन को दूर कर शरीर को स्वस्थ रखती है।

हेमपुष्पा मासिकधर्म की अनियमितताओं को दूर करती है

हेमपुष्पा के नियमित सेवन से महिलाओं की अनियमित मासिक चक्र की समस्या दूर होती है। कुछ महिलाओं में मासिक चक्र बहुत जल्दी जल्दी आता है जिसके कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है।

कुछ महिलाओं में मासिक चक्र की अवधि बढ़ जाती है। इन मासिक विकारों में शरीर असहनीय दर्द होता है। हेमपुष्पा मासिक विकारों को दूर करती है।

हेमपुष्पा रजोनिवृति में लाभदायक

महिलाओं में 45 से 50 वर्ष की उम्र में रजोनिवृत्ति होती है। इस समय स्त्रियों में मानसिक एवं शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इस समय शरीर एस्ट्रोजन हार्मोन बनाना बंद कर देता है। एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण मासिक धर्म शुरु होता है। मासिक धर्म बंद होने से शारीरिक थकान, कमर दर्द, पीठ दर्द आदि की समस्या होती है। हेमपुष्पा इन तकलीफों को दूर करती है।

हेमपुष्पा गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फ़ायदेमंद

हेमपुष्पा में पायी जाने वाली औषधियां गर्भवती महिलाओं की समस्याओं को दूर करती हैं। गर्भवती महिलाओं को कमज़ोरी ,थकान, भूख न लगना आदि समस्याएं हैं। मॉर्निंग सिकनेस, भूख में कमी, खून की कमी आदि में भी हेमपुष्पा लाभदायक है।

हेमपुष्पा एनीमिया में उपयोगी

हेमपुष्पा में पायी जाने वाली गुणकारी औषधियां खून की कमी को दूर करती हैं। हेमपुष्पा में पाए जाने वाले तत्व शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ाने में उपयोगी हैं।

हेमपुष्पा लाभकारी है पीरियड्स में

हेमपुष्पा माहवारी के समय होने वाले दर्द को कम करने में फ़ायदेमंद हैं। अगर हम दर्दनिवारक दवाओं का प्रयोग दर्द दूर करने मे करेंगे तो कुछ समय बाद हमारे शरीर में दवाएं नुक्सान करना शुरू कर देती हैं। पर आर्युवेदिक हेमपुष्पा दवा के कोई साइड इफेक्ट नहीं होते।

हेमपुष्पा के कुछ समय प्रयोग से शरीर के अंदर ताकत आती है। हेमपुष्पा के नियमित प्रयोग से शरीर में दर्द सहन करने की शक्ति आती है।

हेमपुष्पा लेने का तरीका

हेमपुष्पा सिरप के साथ टेबलेट आती है हेमपुष्पा सिरप को २ टीस्पून पानी के साथ लेना है सुबह शाम लेना है व इसमें जो टेबलेट होती है। उस टेबलेट को खाने के बाद सुबह और शाम को लेना है।

हेमपुष्पा में पायी जाने वाली औषधियां

हेमपुष्पा में अनेकानेक जड़ी बूटियां डाली गयी हैं जिनमे से कुछ नाम यहाँ दिए हैं .

ये सभी आर्युवेदिक गुणों से भरपूर प्राकृतिक जड़ी बूटियां हमारे शरीर को अंदर से शक्ति प्रदान करती हैं। आर्युवेदिक जड़ी बूटियों के प्रयोग से बनी होने के कारण हेमपुष्पा के साइड इफेक्ट्स नहीं होते।

हेमपुष्पा के कुछ अन्य लाभ

  • हेमपुष्पा पीरियड्स डिले होने पर बहुत उपयोगी है। हेमपुष्पा लगातार लेने से पीरियड्स फिर से नियमित हो जाते हैं।
  • हेमपुष्पा हार्मोनल असंतुलन को दूर करती है।
  • हेमपुष्पा मुहांसों को ठीक करती है।
  • हेमपुष्पा मासिक धर्म को नियमित करता है।
  • हेमपुष्पा गर्भवती महिला के लिए बहुत लाभदायक है।

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट के फायदे और नुकसान जो जानकर रह जाएंगे आप दंग

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट के फायदे

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट के फायदे

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट के फायदे यूं तो बहुत है। यह स्किन के लिए बालों के लिए और शरीर के लिए कई और अन्य प्रकार से भी बहुत फायदेमंद है। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि अश्वगंधा टेबलेट के फायदे क्या क्या है।

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट लाभदायक है थायराइड की बीमारी में ( himalaya medicine for thyroid)

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट का सेवन करने से थायराइड कंट्रोल होता है और मेटाबॉलिज्म इन ठीक होता है लेकिन अगर हम थायराइड की दवाइयाँ पहले से ही ले रहे हैं तो हिमालय अश्वगंधा टैबलेट हमें नुकसान कर सकता है चाहे वह हमारा हाइपर थायराइड हो या हाइपो थायराइड हो।

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट का इस्तेमाल थाइरोइड ग्रंथि को उत्तेजित करने के लिए किया जा सकता है। थायरॉयड ग्रंथि पर हिमालय अश्वगंधा टैबलेट के प्रभाव इसकी जड़ों का एक्सट्रैक्ट, अगर प्रतिदिन लिया जाए, तो थायराइड हार्मोन के स्राव में वृद्धि होगी।

हिमालय अश्वगंधा के फायदे हमारे शरीर के मेटाबालिज्म को कंट्रोल करने में

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट में बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो शरीर के मेटाबाॅलिज्म को बढ़ाने में मददगार है।

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट यौन शक्ति बढ़ाने में मददगार

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट में यौनांगो की मांसपेशियों को सक्रिय करने का गुण पाया जाता है। यह मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच तालमेल बनाने में कारगर है हिमालय अश्वगंधा टैबलेट शरीर की चर्बी को दूर कर शरीर को ऊर्जावान बनाती है। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट में पाये जाने वाले पोषक तत्व वीर्य की क्वालिटी बढाने में मददगार होते हैं।

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मोतियाबिंद रोग में लाभदायक

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट के एंटीऑक्सीडेंट और साइटोप्रोटेक्टि पाए जाते हैं। जो मोतियाबिंद के असर को कम करने में उपयोगी होते हैं।

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट उपयोगी है त्वचा की बीमारियों में

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट में उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो त्वचा को पोषण प्रदान करते हैं यह एंटीऑक्सीडेंट त्वचा में नमी बनाए रखते हैं और त्वचा के कोलेजन स्तर की रिपेयर भी करते हैं।

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट चेहरे के काले दाग धब्बोंझाइयों को दूर करती है। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट सोरायसिस जैसे रोग को भी दूर करने में मददगार है। इस रोग में शरीर की त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट कोलेजन स्तर को बढ़ावा देकर त्वचा की नमी व चिकनाहट वापस लाती है|

झाइयाँ
झाइयाँ

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट उपयोगी है बालों की समस्याओं में

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट में पाये जाने वाले पोषक तत्व कोर्टिसोल के स्तर को कम करके बालों के झडने को रोकता है। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट के गुणकारी तत्व बालों में मेलेनिन की हानि को कर समय से पहले बालों के ग्रे होने को रोकता है। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट में टाइयरोसीन पाया जाता है। जो एक एमिनो एसिड है और शरीर में मेलेनिन के उत्पादन को बढाता है। मेलेनिन को बढा कर बालों को काला बनाता है।

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट के फायदे ह्रदय रोगों में

अश्वगंधा, में सूजन कम करने के गुण,पाये जाते हैं। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट में सूजन व तनाव कम करने के गुण पाये जाते हैं।

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट खाने से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा कम होती है।जिसके कारण ह्रदय रोग होने की संभावना कम हो जाती है। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट हृदय की मांसपेशियों को मज़बूत बनता है।

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हिमालय अश्वगंधा टैबलेट कारगर है कैंसर में

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट में पाये जाने वाले पोषक तत्व ट्यूमर सेल्स को नष्ट करने में कारगर होते हैं। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट खाने से एपोप्टोसिस बढ़ता है जो कैंसर सेल्स को नष्ट करने में मददगार साबित भावी है

तनाव चिंता और अवसाद दूर करने में

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट का प्रयोग व्यक्ति को मानसिक रुप से शांत कर देता है जिसके कारण व्यक्ति की चिंता दूर हो जाती है।हिमालय अश्वगंधा टैबलेट व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रसन्नचित रखती है। जिसके कारण व्यक्ति को मानसिक अवसाद नही होता।

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट है एन्टीबैक्टीरियल

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट में जीवाणु रोधी गुण हैं। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट घाव को पकने नही देती। घाव में पीसकर हिमालय अश्वगंधा टैबलेट लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।

हिमालय अश्वगंधा टैबलेट मूत्रजनन, जठरांत्र और श्वसन तंत्र के संक्रमण में बहुत उपयोगी है। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट का सेवन लाल रक्त कणिकाओं व सफेद रक्त कणिकाओं में वृद्धि करता है।

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट रोकती है बुढ़ापे को

हिमालय हिमालय अश्वगंधा टैबलेट के सेवन से यौवनावस्था कायम रहती है और बुढापा नहीं आता। हिमालय अश्वगंधा टेबलेट शुक्राणुवर्धक एवं शक्ति प्रदान करने वाली है। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट के सेवन से शरीर को ताकत मिलती है और स्पर्म बेहतर होते हैं।

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट के सेवन से मजबूत होता है तंत्रिका तंत्र

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट के सेवन से तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है और मष्तिष्क मजबूत होता है। मस्तिष्क रीढ की हड्डी द्वारा जननांगों की मांसपेशियों को संदेश भेज कर संदेश का संचालन करता है और जननांगों की मांसपेशियों को शक्ति मिलती है।

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट में पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं जो शरीर के तनाव व चिंता को दूर करते हैं। हिमालय अश्वगंधा टैबलेट टेबलेट में पाये जाने वाले आयुर्वेदिक तत्व अनिद्रा, मानसिक तनाव,धकान व स्वप्न दोष को दूर करने में मददगार हैं।

स्टेमिना और सेक्सुअल टाइमिंग बढ़ाने के लिए पतंजलि का अश्वगंधा कैप्सूल बहुत लाभकारी माना जाता है। अश्वगंधा कैप्सूल को खाना खाने के बाद या रात में सोने से पहले दूध के साथ लिया जा सकता है। दिन में दो बार कैप्सूल को उपयोग में लेना चाहिए। 

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट का उपयोग दिन में किसी भी समय किया जा सकता है इसको पानी के साथ लिया जा सकता है खाना खाने के बाद। और रात में सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ भी इसका उपयोग किया जा सकता है। 

डाबर अश्वगंधा टेबलेट एक नेचुरल तरीके से बना उत्पाद है जिसमें अश्वगंधा मिला हुआ होता है। जो की तनाव, इम्यूनिटी और स्टेमिना से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। इसके उपयोग से सेक्स से जुड़ी समस्याएं जैसे काम टाइमिंग, थकान जैसी समस्याएं भी दूर होती है। 

अश्वगंधा टेबलेट प्राकृतिक उत्पादों से मिकर बनी होती है इसलिए इससे किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट होने का खतरा नहीं रहता है। उसको दिन के समय खाना खाने के बाद और रात में सोने से पहले उपयोग में लिया जा सकता है। 

अश्वगंधा टेबलेट को उपयोग में लेने से बहुत सी समस्याओं से राहत पायी जा सकती है। यह तनाव, नींद में कमी और स्टेमिना से जुड़ी समस्याओ में काफी कारगर होता है। इसके उपयोग से स्टेमिना में वृद्धि होती है जिससे पूरे दिनभर थकान महसूस नहीं होती है। 

अश्वगंधा प्राय चूर्ण या टेबलेट के रूप में बाजार में उपलब्ध है। चूर्ण को आप दूध, घी, पानी किसी में मिक्स कर के ले सकते हो और टेबलेट को भी दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। सुबह और शाम दिन में दो टेबलेट का सेवन करना चाहिए। और चूर्ण को एक छोटा चमच जितना ही। 

अश्वगंधा सिर्फ पुरुषों के लिए ही नहीं अपितु महिलाओं के लिए भी लाभकारी होता है। महिलाओं में यह सेक्सुअल इन्फेक्शन को दूर करता है और घुटनों में दर्द, थायराइड की समस्या, और जनन क्षमता की समस्या को भी दूर करता है। यह एंटी ऐजिंग प्रोडक्ट के रूप में उपयोगी है। 

यदि आपको स्टेमिना में कमी, तनाव, थकान या सेक्स से जुड़ी कोई समस्या है तो आप हिमालय अश्वगंधा टेबलेट का प्रयोग कर सकते है। आप नियमित रूप से तीन या चार महिने तक इसका प्रयोग  करते है तो आपको इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल जाएंगे।  

अश्वगंधा और मिश्री को मिक्स कर के खाने से न सिर्फ स्वाद में फर्क पड़ता है अपितु स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज्यादा लाभकारी है। यह शुगर को नियंत्रित करता है और घुटनों के दर्द और सेक्सुअल समस्याओं को भी दूर करता है। स्टेमिना में वृद्धि और तनाव को दूर करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। 

अश्वगंधा को खाली पेट लेने की अपेक्षा खाना खाने के बाद प्रयोग में किया जाना चाहिए। चूंकि जब हम खाना खाने के बाद इसका उपयोग करते है तो खाने में मिले हुए तत्व अश्वगंधा के गुणकारी तत्वों को अवशोषित कर शरीर के हर हिस्से तक पहुंचाते है। दूध के साथ भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।  

अश्वगंधा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लाभकारी है लेकिन यह पुरुषों में विशेष तय सेक्सुअल समस्याओं को जड़ से दूर करता है। जैसे पुरुषों में नपुसंकता, शुक्राणुओं की कमी, और सेक्स टाइमिंग में कमी जैसी समस्याओं के लिए यह रामबाण साबित होता है। 

अश्वगंधा का अधिक मात्रा में उपयोग करने से आपको इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते है। अधिक उपयोग से यह शरीर में गर्मी पैदा करता है जिससे पेट की समस्या, मुहँ में छालों की समस्या, अपच जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है। अतः अधिक मात्रा में उपयोग से बचना चाहिए। 

अश्वगंधा का अधिक इस्तेमाल पेट के लिए हानिकारक हो सकता है। इसका उपयोग करने से डायरिया जैसी समस्या पैदा हो सकती है। इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले आप डॉक्टर की सलाह लें उसके बाद ही इसका सेवन करें। और जिनको ब्लड प्रेशर की समस्या हो उनको अश्वगंधा के प्रयोग से बचना चाहिए। 

इस साल नो स्मोकिंग डे पर छोड़े धूम्रपान इन आसान उपायों को आजमाकर

no smoking day

9 मार्च यानी आज नो स्मोकिंग डे है। इस दिन दुनिया भर में लोगों को धूम्रपान न करने के बारे में जागरूक और प्रोत्साहित किया जाता है। नो स्मोकिंग डे हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य धूम्रपान की बुरी आदतों से छुटकारा पाना है। तंबाकू या सिगरेट एक हानिकारक पदार्थ है, जिसके सेवन से कई बीमारियां हो सकती हैं। इसका अधिक सेवन गंभीर बीमारियों को बढ़ावा देता है और शरीर को कमजोर बनाता है। कैंसर जैसी घातक बीमारी धूम्रपान से होती है। वहीं धूम्रपान की वजह से भी दिल से जुड़ी बीमारियां हो रही हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ धूम्रपान न करने की सलाह देते हैं। लेकिन एक बार जब आप धूम्रपान की आदत डाल लेते हैं, तो इसे छोड़ना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अगर आप सिगरेट या तंबाकू की लत छोड़ना चाहते हैं, तो पहले अपने भीतर संकल्प जगाएं और फिर उस फैसले पर अडिग रहें। सिगरेट छोड़ने के कुछ आसान उपाय यहां दिए गए हैं।

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सिगरेट छोड़ने के उपाय

  • धूम्रपान छोड़ने के लिए सबसे पहले आपको अपना व्यवहार बदलना होगा। तय करें कि आपको सिगरेट छोड़नी होगी।
  • धीरे-धीरे सिगरेट का धूम्रपान कम करें और फिर इस लत से पूरी तरह छुटकारा पाएं।
  • आपको सिगरेट पीने का मन कर सकता है, इसलिए खुद को अन्य चीजों में व्यस्त रखें ताकि शरीर को निकोटीन की आवश्यकता महसूस न हो।
  • अगर आपको सिगरेट या तंबाकू की लत है, तो आप टॉफी या च्युइंग गम चबा सकते हैं।

और पढ़ें: क्यों छोड़े धुम्रपान, क्या है धुम्रपान छोड़ने के फायदे

सिगरेट छोड़ने के घरेलू उपाय

मुलेठी और लाल मिर्च

मुलेठी का स्वाद हल्का मीठा होता है, जो धूम्रपान करने की इच्छा को खत्म करने में मदद करता है। लाल मिर्च धूम्रपान छोड़ने में भी मदद कर सकती है, इसके लिए एक गिलास पानी में एक चुटकी लाल मिर्च मिलाएं और रोजाना इसका सेवन करें।

नींबू पानी

नींबू शरीर के लिए तो फायदेमंद होता है लेकिन धूम्रपान की लत को दूर करने में भी यह मदद करता है। सुबह सबसे पहले एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पिएं। इससे आपको सिगरेट पीने की आजादी मिलेगी।

नींबू पानी
नींबू पानी

योगासन

सिगरेट की लत से छुटकारा पाने के लिए योगासन भी एक कारगर उपाय है। मन को एकाग्र करने और व्यसनों से मुक्ति पाने के लिए आपको सेतुबंधासन, भुजंगासन, बालासन और सर्वांगासन करना चाहिए। आप भी इसका लाभ उठा सकते हैं।

डॉक्टर की सलाह

डॉक्टर से सलाह लेने के बाद निकोटीन की जगह लेने से भी आपको सिगरेट की लत छोड़ने में मदद मिलेगी।

बालों की अनेक समस्याओं का हल- इंदु लेखा तेल के फायदे और नुकसान

इन्दुलेखा आयल

आजकल के समय में बालों का झड़ना एक बहुत आम समस्या है। इंदुलेखा तेल भृंगराज, आंवला, शिकाकाई जैसी 13 जड़ी बूटियों से बना एक आयुर्वेदिक तेल है जो बालों से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए एक कारगर औषधि है। आइए जानते हैं इंदु लेखा तेल के फायदे और नुकसान क्या क्या हैं।

इंदु लेखा तेल
इंदु लेखा तेल

वैसे तो इंदुलेखा तेल बहुत ज्यादा लाभदायक है परंतु इसके कुछ नुकसान भी हैं ।

आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बना इंदुलेखा तेल वैसे तो प्रत्यक्ष रूप से किसी प्रकार से नुकसानदायक नहीं है परंतु कुछ नुकसान इस प्रकार है।

  • बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए इस तेल का प्रयोग लंबे समय तक करना पड़ता है तभी अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं ।
  • सामान्य तेलों के मुकाबले इसकी कीमत ज्यादा है जिसके कारण लंबे समय तक इसका प्रयोग करना थोड़ा महंगा है।
  • विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां होने के कारण इसकी खुशबू थोड़ी अलग सी है जो सभी को पसंद नहीं आती ।
  • सभी लोगों के बालों की प्रकृति और समस्याएं अलग-अलग होती है इस कारण कुछ लोगों में इस तेल के परिणाम इतने अच्छे नहीं देखे गए हैं।

इसके अलावा इस तेल के कोई भी नुकसान नहीं है, इंदुलेखा तेल पूर्णता सुरक्षित है ।

अश्वगंधा और दूध के फायदे और अश्वगंधा का सेवन विधि

अश्वगंधा और दूध के फायदे

हेल्लो फ्रेंड्स आज की पोस्ट में हम जानेंगे की अश्वगंधा और दूध क्यों पीना चाहिए। अश्वगंधा और दूध के फायदे और अश्वगंधा व दूध का सेवन कैसे करना चाहिए इसकी पूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल में मिलेगी। अश्वगंधा एक प्रकार की औषधि है जिसके बारे में आज के समय में सबको पता है। अश्वगंधा के बहुत सारे लाभों के कारण से सर्दियों के मौसम में इसका उपयोग विश्वभर में किया जाता है। साथ ही वैज्ञानिक भी ये मानते है की अश्वगंधा हमारे शरीर के लिए लाभदायक होता है।

अश्वगंधा के सेवन से कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं, विकार और अन्य कई रोगों से बचने में मदद करता है। ऐसे लोगो के मन में ये सवाल जरुर आता है की अश्वगंधा को दूध के साथ पीने से क्या फायदे होते है? क्या नुकसान होते है? और कैसे पीते है? आज हम आपको इसकी पूरी जानकारी देंगे।

अश्वगंधा और दूध क्यों पीना चाहिए

जैसा की हम सब लोगो को पता ही है की दूध में कितने सारे पौष्टिक तत्व पाए जाते है और ज्यादातर बीमारी के समय हमें डॉक्टर भी दूध पीने की सलाह देते है। ऐसे में यदि हम अश्वगंधा को दूध में मिलाकर पीते है तो वे हमारे शारीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ये दोनों पौष्टिक तत्व हमारे शरीर अंदर जा कर शरीर को उर्जा प्रदान करते है जिससे बहुत सारी बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।

यदि हम अश्वगंधा और दूध दोनों को साथ में पीते है तो शरीर मजबूत बनता है, वात दोष से भी आराम मिलता है और हमें टीबी जैसी बीमारी से राहत मिलती है। तो आइये अब अश्वगंधा और दूध का सेवन करने के फायदों के बारे में जान लेते है।

अश्वगंधा और दूध के फायदे

बांझपन में फायदेमंद 

यदि आपको बांझपन की समस्या है तो आपको दिन में दो बार दो ग्राम अश्वगंधा का दूध या मिश्री के साथ में सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से आपको बांझपन की समस्या से राहत मिलेगी।

टीबी की बीमारी में फायदेमंद 

यदि आप रोजाना अश्वगंधा और दूध का सेवन करते है तो आपको टीबी जैसी बीमारी से राहत मिलती है। 

शारीरिक कमजोरी दूर करे अश्वगंधा और दूध

यदि आप शारीरिक रूप से कमजोर हो तो ऐसे में आपको नियमित दो ग्राम अश्वगंधा और 125 ग्राम त्रिकाटू पाउडर को दिन में दो बार दूध में मिलाकर के पीना चाहिए। त्रिकाटू पाउडर में सुखी असर्क, काली मिर्च और लम्बी मिर्च पाई जाती है जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। यदि आप इसका रोजाना सेवन करते हो तो कमजोरी की समस्या से छुटकारा पा सकते हो।

शारीरिक कमजोरी
शारीरिक कमजोरी

अस्थिसंधिशोथ की समस्या का उपाय

यदि आपको अस्थिसंधिशोथ की समस्या है तो आपको रोजाना दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण और एक ग्राम मुलेठी को गर्म दूध के साथ में मिलाकर के पीना चाहिए। जिससे आपकी अस्थिसंधिशोथ की समस्या दूर होने में बहुत मदद मिलेगी।

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ऑस्टियोपोरोसिस दूर करेअश्वगंधा

यदि आपको ऑस्टियोपोरोसिस की गम्भीर समस्या है तो आपको रोजाना दिन में दो बार दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण और एक ग्राम अर्जुन छाल पाउडर को दूध में मिलाकर के सेवन करना चाहिए। ऐसा करके आप ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से छुटकारा पा सकते हो।

उच्च रक्तचाप के लिए दूध और अश्वगंधा

यदि आपको उच्च रक्तचाप की समस्या है, तो आपको रोजाना दिन में दो बार दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण और 125 ग्राम मोटी पिसती को दूध में मिलाकर के पीना चाहिए। ऐसा करने से आप अपनी उच्च रक्तचाप की समस्या से छुटकारा पा सकते हो।

दूध और अश्वगंधा बच्चो के लिए

यदि आपके बच्चो में पौषकता की कमी है तो अपने बच्चो को अश्वगंधा की चाय बनाकर के पिलानी चाहिए। इस चाय को बनाने के लिए आपको आधा ग्लास पानी,आधा ग्लास दूध और एक ग्राम अश्वगंधा की जरूरत होगी, आप इसके अंदर थोड़ी बहुत चीनी भी मिला सकते हो।

यदि आप अश्वगंधा और दूध का सेवन का सेवन करना चाहते है तो इसका भी तरीका होता है जो कुछ इस प्रकार से है।

अश्वगंधा और दूध का सेवन का तरीका

सबसे पहले एक बर्तन में 4 कप दूध डाले और फिर उसमे 10 ग्राम अश्वगंधा मिला दे।
इसके बाद इसको गैस पर रखे और इसको तब तक गर्म करे जब तक इसका मिश्रण गाढ़ा ना बन जाए।
अब इसको अलग्भ्ग 5 मिनिट के लिए ठंडा होने दे।
ठंडा होने के बाद में इसमे 1 चमच चीनी मिला दे और फिर अच्छे से मिला ले और अब आप इसका सेवन कर सकते हो।

हमें अश्वगंधा और दूध के मिश्रण का सेवन रोजाना भूखे या खाली पेट ही करना चाहिए तभी आपको इसका अच्छा परिमाण देखने को मिलेगा और साथ खाली पेट इसका सेवन करने से इसका अवशोषण भी आसानी से हो जाता है।

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आपने क्या सिखा अश्वगंधा और दूध के सेवन के बारे में

हम उम्मीद करते है की अश्वगंधा और दूध क्यों पीना चाहिए, अश्वगंधा और दूध के फायदे और अश्वगंधा व दूध का सेवन कैसे करना चाहिए ? इसकी पूरी जानकारी आपको मिल गई होगी, यदि आपका इससे सम्बन्धित कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से पुछ सकते हो हमे आपके सवाल का जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे ।

अश्वगंधा और दूध के सेवन की इस जानकारी को अपने दोस्तों व अपनी सोशल मीडिया पर जरुर से शेयर करे ताकि आपके दोस्तों को भी इसकी जानकारी मिल सके।

स्टेमिना और सेक्सुअल टाइमिंग बढ़ाने के लिए पतंजलि का अश्वगंधा कैप्सूल बहुत लाभकारी माना जाता है। अश्वगंधा कैप्सूल को खाना खाने के बाद या रात में सोने से पहले दूध के साथ लिया जा सकता है। दिन में दो बार कैप्सूल को उपयोग में लेना चाहिए। 

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट का उपयोग दिन में किसी भी समय किया जा सकता है इसको पानी के साथ लिया जा सकता है खाना खाने के बाद। और रात में सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ भी इसका उपयोग किया जा सकता है। 

डाबर अश्वगंधा टेबलेट एक नेचुरल तरीके से बना उत्पाद है जिसमें अश्वगंधा मिला हुआ होता है। जो की तनाव, इम्यूनिटी और स्टेमिना से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। इसके उपयोग से सेक्स से जुड़ी समस्याएं जैसे काम टाइमिंग, थकान जैसी समस्याएं भी दूर होती है। 

अश्वगंधा टेबलेट प्राकृतिक उत्पादों से मिकर बनी होती है इसलिए इससे किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट होने का खतरा नहीं रहता है। उसको दिन के समय खाना खाने के बाद और रात में सोने से पहले उपयोग में लिया जा सकता है। 

अश्वगंधा टेबलेट को उपयोग में लेने से बहुत सी समस्याओं से राहत पायी जा सकती है। यह तनाव, नींद में कमी और स्टेमिना से जुड़ी समस्याओ में काफी कारगर होता है। इसके उपयोग से स्टेमिना में वृद्धि होती है जिससे पूरे दिनभर थकान महसूस नहीं होती है। 

अश्वगंधा प्राय चूर्ण या टेबलेट के रूप में बाजार में उपलब्ध है। चूर्ण को आप दूध, घी, पानी किसी में मिक्स कर के ले सकते हो और टेबलेट को भी दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। सुबह और शाम दिन में दो टेबलेट का सेवन करना चाहिए। और चूर्ण को एक छोटा चमच जितना ही। 

अश्वगंधा सिर्फ पुरुषों के लिए ही नहीं अपितु महिलाओं के लिए भी लाभकारी होता है। महिलाओं में यह सेक्सुअल इन्फेक्शन को दूर करता है और घुटनों में दर्द, थायराइड की समस्या, और जनन क्षमता की समस्या को भी दूर करता है। यह एंटी ऐजिंग प्रोडक्ट के रूप में उपयोगी है। 

यदि आपको स्टेमिना में कमी, तनाव, थकान या सेक्स से जुड़ी कोई समस्या है तो आप हिमालय अश्वगंधा टेबलेट का प्रयोग कर सकते है। आप नियमित रूप से तीन या चार महिने तक इसका प्रयोग  करते है तो आपको इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल जाएंगे।  

अश्वगंधा और मिश्री को मिक्स कर के खाने से न सिर्फ स्वाद में फर्क पड़ता है अपितु स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज्यादा लाभकारी है। यह शुगर को नियंत्रित करता है और घुटनों के दर्द और सेक्सुअल समस्याओं को भी दूर करता है। स्टेमिना में वृद्धि और तनाव को दूर करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। 

अश्वगंधा को खाली पेट लेने की अपेक्षा खाना खाने के बाद प्रयोग में किया जाना चाहिए। चूंकि जब हम खाना खाने के बाद इसका उपयोग करते है तो खाने में मिले हुए तत्व अश्वगंधा के गुणकारी तत्वों को अवशोषित कर शरीर के हर हिस्से तक पहुंचाते है। दूध के साथ भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।  

अश्वगंधा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लाभकारी है लेकिन यह पुरुषों में विशेष तय सेक्सुअल समस्याओं को जड़ से दूर करता है। जैसे पुरुषों में नपुसंकता, शुक्राणुओं की कमी, और सेक्स टाइमिंग में कमी जैसी समस्याओं के लिए यह रामबाण साबित होता है। 

अश्वगंधा का अधिक मात्रा में उपयोग करने से आपको इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते है। अधिक उपयोग से यह शरीर में गर्मी पैदा करता है जिससे पेट की समस्या, मुहँ में छालों की समस्या, अपच जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है। अतः अधिक मात्रा में उपयोग से बचना चाहिए। 

अश्वगंधा का अधिक इस्तेमाल पेट के लिए हानिकारक हो सकता है। इसका उपयोग करने से डायरिया जैसी समस्या पैदा हो सकती है। इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले आप डॉक्टर की सलाह लें उसके बाद ही इसका सेवन करें। और जिनको ब्लड प्रेशर की समस्या हो उनको अश्वगंधा के प्रयोग से बचना चाहिए। 

डेंगू में क्या खाना चाहिए, जानें बेस्ट हेल्थ एंड डाइट टिप्स

डेंगू में क्या खाना चाहिए, जानें बेस्ट हेल्थ एंड डाइट टिप्स

दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं एक बीमारी की जो कि एक मच्छर के काटने से होती है और अगर समय रहते कुछ बातों का ध्यान ना रखा जाए तो यह बीमारी हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकती है। यह बीमारी है ड़ेंगू बुखार की, ड़ेंगू बुखार मादा एडीज मच्छर के काटने से होने वाला एक गंभीर रोग है। आज इस लेख में हम जानेंगे की डेंगू बुखार में क्या खाना चाहिए।

डेंगू के लक्षण और उपाय

डेंगू के लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के संक्रमण के तीन से चौदह दिन बाद शुरू होते हैं। तेज बुखार, सिरदर्द की शिकायत, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द और त्वचा पर मुहासे आदि डेंगू के लक्षण हो सकते हैं। डेंगू बुखार का यदि सहीं समय रहते उपचार और इलाज नहीं किया जाये तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

जैसा की आप सब जानते है की डेंगू वायरस पेशेंट के ब्ल्ड प्लेटलेट्स तेजी से घटाता है। ऐसे में मरीज को सही डायट मिलना बहुत जरुरी है। मरीज में डेगूं के लक्षण का पता चलते ही सही खानपान का धयान रखना चाहिए। मरीज की डाइट में ऐसी खाने पीने की चीजों को शामिल करे जो न केवल प्लेटलेटस तेजी से बढ़ाये बल्कि साथ साथ पचने में आसान हो और पौष्टिक हो। तो आइये जानते है की डेंगू के मरीज को क्या खाना चाहिए?।

डेंगू में क्या खाना चाहिए

क्या डेंगू में हल्दी वाला दूध पी सकते हैं?

हल्दी उतनी हल्की नहीं होती जितनी दिखती है। कई औषधीय गुणों के साथ हल्दी का उपयोग लगभग हजारों उपचारों में किया जाता है। हल्दी एंटीसेप्टिक से भरपूर होती है। यही कारण है कि यह अधिक महत्वपूर्ण है। डेंगू होने पर दूध में मिलाकर पीने से शरीर को बहुत लाभ होता है। यह दूध के साथ तेजी से डेंगू में शरीर को स्वस्थ करने में मदद करता है।

हल्दी
हल्दी

क्या डेंगू बुखार में नारियल पानी पी सकते हैं?

डेंगू के मरीज़ों के लिए नारियल पानी काफी कारगर साबित होता है। इसमें इलेक्ट्रोलाइट, खनिज सहित कई अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो बुखार के साथ अन्य शारीरिक समस्याओं से लड़ने में सहायक होते हैं।

प्रोटीन

डेंगू के दौरान, शरीर में प्रोटीन की कमी भी होती है, इसलिए उस समय रोगी को पनीर जैसे खाद्य पदार्थ देना उचित साबित हो सकता है। इसके लिए आप वेज का ही उपयोग करें तो फ़ायदेमंद रहेगा और नॉनवेज से परहेज ही रखें।

डेंगू में कौन कौन से फल खाना चाहिए?

क्या डेंगू में संतरे अच्छे होते हैं?

संतरा इस बीमारी में बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है। बीमारी के दौरान, संतरे का रस जितना संभव हो उतना ज्यादा पीना चाहिए। संतरे में ऊर्जा और बहुत सारा विटामिन सी होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और शरीर में एंटीबॉडी विकसित करता है, जो सामान्य बुखार के साथ-साथ डेंगू बुखार को भी तेज़ी से नष्ट करने में मदद करता है।

डेंगू बुखार में कौन सा फल खाया जाता है?- अनार

ऐसे में अनार भी एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। अनार आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। इसलिए यह रक्त प्लेट-लेट्स को बनाए रखने में मदद करता है। गिरते हुए रक्त प्लेट-लेट्स डेंगू के कारण होते हैं। यह थकान को कम करने में भी मदद करता है। बीमारी के दौरान रोगी को यह महसूस हो सकता है।

डेंगू में कौन सा फल खाना चाहिए- पपीता

पपीता का पत्ता डेंगू के मरीजों के लिए वरदान है। शरीर में तेजी से घट रही प्लेट-लेट्स की संख्या को बढ़ाने के लिए सबसे तेज़ और सबसे प्रभावी उपचार पापिते का पत्ता है। डेंगू के मरीजों को पपीते की ताजी पत्तियों को पीसकर उसका रस पीना चाहिए। यह शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है, प्लेटलेट्स बढ़ाता है और रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करता है।

नींबू

शरीर में मौजूद वायरस और विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिए नींबू का रस पीना चाहिए। डेंगू बुखार में नींबू का रस सर्वोत्तम है। नींबू का रस शरीर के भारीपन को कम करने और मूत्र के माध्यम से वायरस को बाहर करने में बहुत प्रभावी है।

सब्ज़ियां

आप यह जानते हैं, डेंगू के दौरान, न केवल शरीर बहुत कमजोर हो जाता है, बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो जाती है, इस मामले में सब्जियों को हल्के से पकाया जाना चाहिए या उबला हुआ खाया जाना चाहिए।

रोगी को विटामिन, खनिज और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर सब्ज़ियाँ खानी चाहिए। जैसे कि टमाटर, कद्दू, गाजर, खीरा, चुकंदर आदि यह भी रक्त प्लेट-लेट्स को बढ़ाता है और रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।

अदरक

डेंगू के मरीजों को अधिक तरल पदार्थों की आवश्यकता होती है। डेंगू के रोगी की शिकायत को दूर करने और शरीर को मजबूत बनाने के लिए अदरक का गुनगुना पानी देना चाहिए।

मेथी

मेथी शरीर के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद होती है। डेंगू होने पर शरीर को सबसे ज्यादा आराम की जरूरत होती है। मेथी को इसके लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

मेथी के सेवन से डेंगू में अच्छी नींद लाने में मदद मिलती है। यह बुखार को स्थिर करने के लिए भी लाभदायक है।

डेंगू के मरीज को क्या नहीं खाना चाहिए?

मसालेदार खाना

अक्सर, बीमारी में, कुछ चटपटा और मसालेदार खाने का मन करता है। लेकिन डेंगू में यह मसालेदार भोजन शरीर को नुकसान पहुँचाता है। इसे खाने से पेट में एसिड (गैस) बनता है।

ऐसे में डेंगू के दौरान व्यक्ति को दो-दो बीमारियों से जूझना पड़ता है। इसलिए डेंगू में मसालेदार खाने से बचें।

सामान्य प्रश्न

डेंगू में नारियल पानी के फायदे

डेंगू में अक्सर डिहाइड्रेशन हो जाता है, इसलिए नारियल पानी बेहद फायदेमंद हैं ,हाइड्रेशन के साथ साथ इससे इलेक्ट्रॉलाइट्स की कमी पूरी होती है और प्लेटलेट्स काउंट बढ़ता हैं। प्लेटलेट्स की कमी का एक बड़ा कारण शरीर में लिक्विड की कमी भी होता है। नारियल पानी में मौजूद खनिज तत्व जैसे सोडियम और पोटैशियम आदि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखते हैं और प्लेटलेट्स काउंटस भी बढ़ाते हैं। इसलिए मरीज को एक दिन में तीन बार नारियल पानी दे सकते हैं।

क्या डेंगू में संतरे अच्छे होते हैं?

संतरा एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटामिन-सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए डेंगू के मरीजो़ के लिए संतरे को अच्छा माना जाता है। इसमें भरपूर फाइबर होने से कब्ज़ की समस्या नहीं होती, रसदार होने से डिहाइड्रेशन दूर करता है, पोषक तत्वों से शरीर की कमजोरी दूर होती है। संतरा खाने का अगर रोगी का मन ना हो तो संतरे का जूस भी अच्छा विकल्प है। मुँह का स्वाद अच्छा हो इसके लिए हल्के से काले नमक के साथ भी जूस ले सकते हैं।

क्या डेंगू में रोटी खा सकते हैं?

बुखार में शरीर का तापमान बढा़ रहता है इसलिए चावल, बहुत ज्यादा खट्टी या ठंडी चीजों को एवोइड़ करनें की सलाह दी जाती है, लेकिन रोटी आप खा सकते हैं। डेंगू बुखार में जितना हो सके हल्का भोजन ही खाना चाहिए, जैसे दाल, दलिया, खिचड़ी और तरल पदार्थ। क्योंकि बुखार में मुँह का स्वाद काफी खराब हो जाता है इसलिए स्वाद बदलने के लिए पतली दाल के साथ रोटी खा सकते हैं।

डेंगू में चावल खाना चाहिए

बुखार होने पर हल्के आहार का ही चुनाव करना चाहिए जो पचने में आसान हो, अक्सर बुखार में चावल और ठंडी चीजों से परहेज़ की सलाह दी जाती है लेकिन चावल की खिचड़ी खाना अच्छा माना जाता है। एक्सपर्ट भी यही कहते हैं कि डेंगू बुखार होने पर हल्का-फुल्का भोजन लेना चाहिए। लंच में आप थोड़ा चावल भी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि शाम के वक्त चावल बिल्कुल न खाएं। चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो डेंगू में होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करते हैं ।

डेंगू में गिलोय का प्रयोग

डेंगू के मरीजों के लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। इसके पत्ते का जूस पीने से प्लेटलेट्स काउंट भी तेजी से बढ़ता है। गिलॉय के पत्तों का काढा़ अगर नियमित रूप से पीते हैं तो डेंगू बुखार होने की संभावना कम हो जाती है, 10 गिलोय की बेल के छोटे छोटे टुकड़े तोड़कर उसे 2 लीटर पानी में थोड़ा सा अदरक और दो चुटकी अजवाइन के साथ सात मिनट तक उबालकर, थोड़ा ठंडा करके, रोगी को खाली पेट पीने को दें तो बेहद लाभ मिलता है ।

डेंगू में अंडा खाना चाहिए

डेंगू के रोगियों को आहार में हाई प्रोटीन और आयरन से भरपूर डाइट को शामिल करने की सलाह दी जाती है। अंडे में प्रोटीन आयरन और कईं तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसलिए डेंगू मरीज को अंडा खाने को दे सकते है। बस ध्यान रखें कि कैसे देना है.. * उबले हुए अंडे खाने को दें और अंडे का पीला हिस्सा हटाकर खाएं।अंडे का यह हिस्सा नुकसान पहुंचा सकता है। *अंडे को फ्राई करके खाना बिल्कुल एवोइड करें इससे उसमें फैट की मात्रा बढ़ जायेगी जो पचनें में मुश्किल करेगी। *और ध्यान रखें कि अधपके अंडे ना खायें इससे शरीर में इंफैक्शन का खतरा रहता है।

डेंगू में पैर दर्द का इलाज

फीवर के दौरान पैरों के दर्द की शिकायत अक्सर होती हैं- डॉक्टर बताते हैं कि दो तरह के पेन सामने आते हैं, क्यूट रिएक्टिव आर्थराइटिस और क्रॉनिक जाइंट पेन। रिसर्च से ये भी पता चला है कि मांसपेशियों और जोड़ों में अधिक समय तक दर्द रहने के लक्षण एक ऑटो इम्यून स्थिति भी हो सकती है। अगर ऐसा है तो सामान्य व्यायाम और पैरासिटामोल के द्वारा इसमें आराम मिल जायेगा, लेकिन जब अधिक समय तक आराम न मिले तो फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इसके अलावा घर पर नियमित तेल मालिश भी की जा सकती है, जिससे आराम मिलेगा। मालिश के लिए नारियल, तिल और सरसो का तेल अच्छा रहेगा।

क्या इलायची प्लेटलेट काउंट बढ़ता है?

डेंगू के इलाज को लेकर कुछ लोगों का यह मानना है की डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने पर इलायची के सेवन से प्लेटलेट की संख्या बढ़ जाती है ,आइए जानते हैं ,क्या ऐसा होता है?डॉक्टर्स की माने तो इलायची के सेवन से प्लेटलेट्स की संख्या में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है । इलायची पाचन शक्ति को सुधारने और मरीज के मुंह का स्वाद ठीक करने के काम में आती है ।डेंगू के दौरान मरीज के शरीर में होने वाली गर्मी से भी इलायची का सेवन फायदा पहुंचाता है परंतु इसके सेवन से प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ता है ।

कैल्शियम की कमी कैसे पूरी करें-कैल्शियम की कमी कैसे दूर करे

कैल्शियम की कमी कैसे दूर करें-जानिए कौन से है कैल्शियम रिच फ़ूड

कैल्शियम क्या होता है?

कैल्शियम हमारे शरीर में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला खनिज है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी और लाभदायक है। कैल्शियम एक रासायनिक तत्व है जो मनुष्यों सहित जीवित जीवों के लिए बहुत आवश्यक है। हमारी हड्डियों को मजबूत बनाने और मस्तिष्क के बाकी हिस्सों के साथ प्रभावी संचार बनाए रखने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है।

कैल्शियम की कमी से हमारे शरीर को बहुत प्रकार के नुकसान हो सकते हैं, और बीमारियां जकड़ सकती है इस लिए कैल्शियम की कमी को पूरा करना जरूरी है। कैल्शियम की कमी कैसे दूर करें, कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग और उनके इलाज के बारे में जानना आवश्यक है। जिस से हम कैल्शियम की कमी होने पर इसका उपचार कर सकें और गंभीर प्रकार के रोगों से बचाव कर सकें।

कैल्शियम की कमी के लक्षण और उपाय

कैल्शियम के आहार का भरपूर मात्रा में सेवन ना करना और कैल्शियम वाले पदार्थ का सेवन ना करने से इसकी कमी होना अवशक्यक है जिस से हड्डियों और मस्तिष्क का कमजोर होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। पोषक तत्वों की कमी होने की वजह से कैल्शियम की कमी हो सकती है। विटामिन डी, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व की कमी होने से कैल्शियम की मात्रा में भी गिरावट आती है।

इसका एक कारण बढ़ती उम्र भी होती है जैसे जैसे व्यक्ति बजुर्ग अवस्था की और बढ़ता है तो शरीर में कैल्शियम की कमी होना शुरू हो जाता है।

यदि बच्चे को शुरुआत में गाय का दूध पिलाया जाता है, तो फास्फोरस की अधिक मात्रा के कारण बच्चे में कैल्शियम की कमी हो सकती है। जन्म के दौरान बच्चे को कैल्शियम युक्त आहार ना मिले तो भी इसकी कमी हो सकती है।

कैल्शियम की कमी के लक्षण क्या होते हैं

कैल्शियम की कमी का पहला और सबसे बड़ा लक्षण ऑस्टियोपोरोसिस है। ऐसी स्थिति में बच्चों की हड्डियाँ पहले कमजोर होने लगती हैं। अगर शरीर में कैल्शियम की कमी है, तो यह आसानी से टूट सकती है। साथ ही, मांसपेशियों में अकड़न और दर्द भी होने लगता है। कुछ मामलों में रिकेट्स नामक बीमारी की संभावना है।

मजबूत नाखूनों के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। इसलिए आपके शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर नाखून बहुत कमजोर हो जाते हैं और वे टूटने लगते हैं। यदि ऐसा होता है, तो समझें कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है।

बालों का झड़ना
बालों का झड़ना

कैल्शियम की कमी के लक्षण दांतों पर भी दिखते हैं इस से दांत कमजोर हो जाते हैं और टूटने लगते हैं। मसूड़ों में दर्द होने लगता है। अगर इस प्रकार के लक्षण आप में दिखाई दे रहे हैं तो समझ जाएं कि कैल्शियम की कमी है।

मासिक धर्म मे गड़बड़ी हो रही है और अनियमित समय पर आ रहा है तो यह कैल्शियम की कमी का लक्षण हो सकता है।

यदि व्यक्ति हर समय थका हुआ महसूस करता है, तो वह कैल्शियम की कमी से गुजर रहा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब शरीर में हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द होता है, तब थकान शुरू होती है।

कैल्शियम की कमी होने पर व्यक्ति को ठीक से नींद नहीं आती और तनाव जाता है।

कैल्शियम की कमी को कैसे दूर करें घरेलू उपाय -कैल्शियम रिच फ़ूड

  • विटामिन डी यक्त पदार्थों का सेवन करना इसकी कमी पूरा करने का एक बढ़िया स्रोत है। कैल्शियम की कमी होने पर आपको धूप में बैठना और विटामिन डी देने वाले पदार्थों का सेवन करना जरूरी है।
  • कैल्शियम की कमी पूरा करने के लिए हमारे शरीर को मैग्नीशियम की भी जरुरत होती है। इसलिए हमें भोजन में ऐसे पदार्थो को भी लेना चाहिए, जिनसे हमें मैग्नीशियम की कमी पूरी हो।
  • कैल्शियम की कमी होने पर भोजन में यह सब्जियां शामिल करनी चाहिए। टमाटर, ककड़ी, मूली, मेथी, करेला, चुकन्दर, हरी पत्तेदार सब्जियां, अरबी के पत्ते, पालक आदि।
  • पपीते में बहुत सारा विटामिन सी होता है। शोध में पाया गया है कि जिन लोगों में विटामिन सी की कमी होती है, उनमें जोड़ों का दर्द आम है। इसलिए उन्हें नियमित रूप से पपीते का सेवन करना चाहिए, इस कैल्शियम की कमी को दूर किया जा सकता है।
  • आप कैल्शियम के लिए सूखे जड़ी बूटियों की मदद भी ले सकते हैं। अगर घर पर तुलसी के पत्ते या अजवाइन की पत्तियां या अजवाइन के बीज आसानी से मिल जाते हैं, तो हर दिन एक चम्मच का सेवन शुरू करें। आप इसे सलाद और सूप के साथ भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • कैल्शियम की कमी होने पर नियम से सात बादाम भिगोएँ और फिर उनका सेवन करें। भिगोने के बाद बादाम और भी अधिक पौष्टिक हो जाता है, जो बहुत फायदेमंद भी है।
  • यदि आप अपने भोजन में बहुत अधिक नमक खाते हैं तो इस को तुरंत कम कर दे क्योंकि नमक की ज्यादा मात्रा से भी कैल्शियम की कमी होती है।
  • कैल्शियम के अवशोषण में सोडा और सॉफ्ट ड्रिंक अच्छे नहीं हैं। इससे शरीर में फॉस्फेट की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है।

सामान्य प्रश्न

क्या कैल्शियम की कमी से बाल झड़ते हैं?

कैल्शियम की कमी से बाल तेजी से झड़ने लगते है।

क्या झड़े हुए बाल वापस आ सकते है?

हां इसके लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। बालो की अच्छी देखबाल करना चाहिए। और कैमिकल यूक्त शैम्पू का प्रयोग नही करना चाहिए।

बालो का झड़ना कैसे रोक सकते हैं?

संतुलित आहार, नियमित तेल, बालो की कंडिशनिंग करके और तनाव से दूर रहकर बालो का झड़ना रोक सकते है।

नाराज आसिम को मनाने के लिए हिमांशी ने पहना निकाह का जोड़ा और दी रमजान की मुबारके

asimriazhimanshi

बिग बॉस के तेहरवे सीजन में तीन सबसे चर्चित जोड़ियों में से एक हिमांशी खुराना और आसिम रियाज की जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। शो में आसिम ने बड़े ही रोमांटिक अंदाज में सबके सामने हिमांशी को प्रपोज किया। जबकि घर के अंदर ये कयास लगाए जा रहे थे कि बाहर आते ही ये रिश्ता टूट जायेगा। लेकिन शो खत्म होने के बाद दोनों ने खुलासा किया कि वो रिलेशनशिप में हैं। दोनों बिग्ग बॉस के घर से बाहर आने के बाद एक साथ कई वीडियो सांग्स कर चुके है। सब कुछ ठीक चल ही रहा था कि खबर आयी कि आसिम रियाज और हिमांशी खुराना का ब्रेकअप हो गया है।

ये चर्चा हिमांशी के एक ट्वीट की वजह से हुई जिसमे हिमांशी ने लिखा- ‘कोई भी हमें साथ में नहीं देखना चाहता है।’ इसके साथ ही टूटे हुए दिल का इमोजी बना हुआ है। हिमांशी के इस ट्वीट पर आसिम रियाज का जवाब आया है। उन्होंने इस ट्वीट के कमेंट में लिखा।

आसिम ने हिमांशी के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा है, ‘हिमांशी मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। कोई मतलब नहीं है वो क्या कहते हैं या क्या करते हैं।’ आसिम के इस ट्वीट के बाद साफ हुआ कि अभी भी दोनों का रिश्ता कायम है।

himanshi khurana
himanshi khurana

इसी सब के चलते हिमांशी खुराना और आसिम रियाज के बीच मन-मुटाव चल रहा है। अब आसिम को मनाने के लिए हिमांशी खुराना ने निकाह का जोड़ा पहना और उन्होंने आसिम को रमजान की शुभकामनाएं दी। हिमांशी ने अपनी ये तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है। आसिम को भी हिमांशी का ये अंदाज काफी पसंद आया और अपनी नाराजगी को साइड में रखकर उन्होंने हिमांशी की सोशल मीडिया पर तारीफ कर दी। आसिम ने हिमांशी की तस्वीर पर लिखा स्टनिंग।

जानिए पतंजलि एलोवेरा जेल कैसे लगाएं, पतंजलि एलोवेरा जेल के फायदे और नुकसान

पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग

आज कल बाजार मे चहरे के रख रखाव के लिए कोसमेटिक क्रीम, फ़ेसवॉश, फ़ेसपेक आदि बहुत बहुत से प्रोडक्ट्स मिल जाते है। ये ज्यादातर प्रोडक्ट्स केमिकल बेस्ड होते है लेकिन कुछ प्रोडक्ट्स नेचुरल इंग्रेडिएंट्स से बने होते है। ऐसे में कोई भी प्रोडक्ट खरीदने और इस्तेमाल करने से पहले उस के फायदे और उसे इस्तेमाल करने का तरीका जान लेना बहुत जरुरी है। फेस केयर और स्किन केयर की रेंज में एक प्रोडक्ट जो ज्यादातर लोग इस्तेमाल करते है वो है पतंजलि एलोवेरा जेल। पतंजलि एलोवेरा जेल पूरी तरह से नेचुरल है, पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग चहरे को किसी तरह का नुकसान नही पहुचाता है।

आप इसे फ़ेस पर आने वाले दाग-धब्बों, डार्क सर्कल, निखार लाने मे काम मे ले सकते है। कई बार आपके हेवी मेकअप से आपका फ़ेस रूखा हो जाता है। आप इसकी मदद से मेकअप हटा भी सकते है। साथ ही साथ नमी भी बनी रहती है।

पतंजलि एलोवेरा जेल कैसे लगाएं

पतंजलि एलोवेरा जेल खास तोर पर चहरे के रख रखाव के लिए बनाया है। यह एक चिप चिपा जेल की तरह होता है। एलोवेरा का चेहरे पर उपयोग खास तोर पर कील मुहासों, सनबर्न, निखार, चेहरे की नमी को बनाए रखने, डार्क सर्कल को हटाने, मेकअप हटाने के आदि के लिए किया जाता है।

पतंजलि एलोवेरा जेल के फायदे और नुकसान-Patanjali aloe vera gel ke fayde

चेहरे पर पतंजलि एलोवेरा जेल के लाभ ही इतने हैं,  जिसके कारण लोग इसे ज्यादा काम मे लेते है। चलिये जानते है इसके खास तोर पर क्या क्या फायदे है।

  • पतंजलि एलोवेरा जेल को चेहरे पर होने वालो कील मुहासों को ठीक करने, चेहरे पर निखार के लिए, चेहरे के टेक्सचर, चेहरे की नमी के लिए फायदेमंद है।
  • पतंजलि एलोवेरा जेल सनबर्न की समस्या का एक समाधान है।
  • पतंजलि एलोवेरा जेल मे पाये जाने वाले एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण जो सूजन को कम करने मे काम आती है।
  • यह किसी भी तरह का मेकअप हटाने के लिए भी काम मे लिया जाता है।
  • इसे बालो को मुलायम बनाने के लिए भी काम मे लिए जाता है।
    एलोवेरा
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पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग – पतंजलि एलोवेरा जेल लगाने का तरीका

पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग बहुत से महिलाए व आदमी भी करते है। पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग बहुत तरीको से किया जाता है। चलिये जानते है, हम इसे कैसे काम मे ले सकते है।

कील मुहासों व दाग धब्बे-Aloe Vera Gel Ke Fayde

गर्मी के वजह से फ़ेस पर छोटे छोटे कील मुहासे निकल आते है। बाद मे उनके निशान दाग धब्बे के रूप मे रह जाते है। इसके लिए पतंजलि एलोवेरा जेल को कील मुहासों को कम करने के लिए उपयोग मे लिया जाता है।

चोट के घाव-Patanjali Aloevera Gel Uses

कई बार बच्चों के खेल के समय छोटी मोटी चोट लग जाती है। बच्चों की इस चोट व घाव को ठीक करने के लिए को ठीक करने के लिए पतंजलि एलोवेरा जेल एक एंटी सेप्टिक क्रीम की तरह लगा सकते है। इसका एक सुरक्षित क्रीम की तरह उपयोग किया जाता है।

चहरे पर नमी के लिए-Aloe Vera Gel Ke Fayde

कई बार फ़ेस पर ज्यादा मेकअप हो जाने पर इससे मेकअप को बिना फ़ेस पर रूखेपन लाये हटाने के लिए पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग किया जाता है। फ़ेस का मेकअप भी आसानी से हट जाता है। साथ ही साथ चहरे पर नमी बनी रहती है।

एलोवेरा का चेहरे पर उपयोग-Aloe Vera Uses For Face In Hindi

बहुत से लोग अपने फ़ेस को हर रोज एक जैसा बनाए रखने के लिए पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग ज्यादा करते है। इससे फ़ेस का निखार बना रहता है। फ़ेस पर ग्लो बना रहता है। इसलिए एलोवेरा का चेहरे पर उपयोग करना सही भी है।

शेविंग के बाद-Aloe Vera Gel Ke Fayde

पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग ज्यादातर आदमी शेविंग के समय गलती से कट लग जाता है। जिससे वजह से खून निकाल आता है।शेविंग से आये कट व खून को रोकने के लिए पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग आदमी करते है।

डार्क सर्कल-Aloe Vera Uses For Face In Hindi

उम्र के साथ चहरे पर व आंखो के नीचे डार्क सर्कल यानि की काले दाग से बन जाते है। इन डार्क सर्कल को कम करने के लिए महिलाए पतंजलि एलोवेरा जेल का उपयोग करती है।

यह डार्क सर्कल को कम करता है। इसे फ़ेस क्रीम की तरह काम मे लिया जा सकता है, ताकि डार्क सर्कल कम हो सके।

पतंजलि एलोवेरा जेल बालों के लिए -Aloe Vera Ke Fayde Balo Ke Liye

अलग अलग तरह के तेल, शैम्पू के काम मे लेने के बाद भी महिलाओ के बल रूखे, रफ हो जाते है। जिससे बाल बनाते समय बहुत से बाल टूट जाते है। इसलिए बालो को मुलायम बनाने ताकि बाल बनाते समय कंगे मे फस कर टूट नही इसके लिए अरंडी और सरसों मिलाकर पैक बनाकर बालो मे लगा सकते है।

बाद मे इसे शैम्पू से धो ले। बाल मुलायम व सिल्की हो जाएगे।

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