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धागे वाली मिश्री के फायदे है अनेक जानकर रह जाएंगे आप भी दंग

धागे वाली मिश्री के फायदे

धागा मिश्री गन्ने या ताड़ के रस से बनायी जाती है। यह सामान्य चीनी से कम मीठी एवं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। धागे वाली मिश्री के फायदे बहुत है इसलिए इसके ओषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में इसका आदि काल से प्रयोग किया जाता है। आज के इस लेख हम जानेंगे की धागा मिश्री के क्या फायदे हैं?

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1 धागे वाली मिश्री के फायदे- Misri Khane Ke Fayde

धागे वाली मिश्री के फायदे- Misri Khane Ke Fayde

नकसीर फूटने पर धागे वाली मिश्री के लाभ

गर्मी के कारण छोटे बच्चों के खेलते समय या धूप में ज्यादा रहने पर नाक से खून बहने लगता है जिसे हम नक्सीर कहते हैं ऐसे में धागे वाली मिश्री बड़ी उपयोगी होती है। नकसीर फूटने पर पानी में मिश्री मिलाकर पिलाने से शरीर का तापमान कम होता है एवं तत्काल लाभ होता है और नाक से खून बहना रुक जाता है।

दस्त में धागे वाली मिश्री के लाभ

धागे वाली मिश्री की तासीर ठंडी होने के कारण पेट की गर्मी की वजह से होने वाले दस्त में धागे वाली मिश्री के सेवन से राहत मिलती है।
दस्त होने पर आधा -चम्मच मिश्री आधा -चम्मच धनिया के साथ एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से दस्त में आराम मिलता है। दस्त के कारण होने वाली कमज़ोरी भी दूर होती है।

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कमज़ोरी दूर करने में उपयोगी है धागे वाली मिश्री

धागा मिश्री शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाकर उर्जा के स्तर को बढ़ाती है व थकान के कारण होने वाली कमज़ोरी को दूर करती है। गावों मे गर्मी के समय थकान होने पर तुरंत शक्ति के लिए मिश्री का शर्बत दिया जाता है। मिश्री वाला शर्बत पीते ही शरीर में जान सी आ जाती है।

धागे वाली मिश्री लाभकारी है मानसिक थकान दूर करने में

धागे वाली मिश्री एक प्राकृतिक औषधि है जो दिमाग की कमज़ोरी को दूर करके याददाश्त बढ़ाने के साथ मानसिक थकान को दूर करती है। मिश्री का शीतल गुण होता है जिसके कारण दिमागी थकान महसूस होने पर सोते समय गर्म दूध के साथ मिश्री का सेवन दिमागी थकान को दूर करता है।

थकान होना
थकान होना

धागे वाली मिश्री लाभकारी है मुख की दुर्गंध दूर करने मे

खाने के बाद सौफ के साथ मिश्री का सेवन मुंह की दुर्गंध खत्म कर सासों को खुशबूदार बनाता है।

धागे वाली मिश्री उपयोगी है वजन कम करने में

वजन बढ़ने का एक कारण शरीर के अंदर ज़हरीली टोक्सिन का जमाव है जब हम समान मात्रा में मिश्री को धनिया या सौफ के साथ गर्म पानी में मिलाकर पीते शरीर से यूरीन के साथ टोक्सिन भी बाहर निकलते हैं ओर वजन कम होता है ।

धागे वाली मिश्री फ़ायदेमंद है स्तन का दूध बढ़ाने बढ़ाने में

ताल मिश्री का सेवन स्तन का दूध बढाता है और साथ ही वजन कम करने में सहायक होता है धागे वाली मिश्री के सेवन से मानसिक तनाव व कमज़ोरी दूर होने के कारण माँ अगर मिश्री वाले दूध करती है तो स्तन से दूध की मात्रा बढ़ जाती है। अतः मिश्री स्तन का दूध बढ़ाने मे लाभकारी होती है।

मुंह के छालो में इलायची और मिश्री के फायदे

धागे वाली मिश्री की तासीर ठंडी होने के कारण यह पेट की गर्मी से हुए छालों को ठीक करने में धागे वाली मिश्री बहुत उपयोगी है धागे वाली मिश्री एवं इलायची को पीस कर पानी में घोल कर छालों पर लगाने से छाले ठीक होते है ।

धागेवाली मिश्री फ़ायदेमंद है यौन शक्ति बढ़ाने में

मानसिक थकान एवं शारीरिक कमज़ोरी के कारण यौन शक्ति भी दुर्बल हो जाती है। धागे वाली मिश्री का सेवन शारीरिक एवं मानसिक कमज़ोरी को दूर कर यौन शक्ति को बढ़ाता है। गर्म दूध में मिश्री, केसर एवं हल्दी मिलाकर पीने से यौन शक्ति बढ़ती है।

धागेवाली मिश्री लाभकारी है बवासीर में

पेट की गर्मी से कब्ज रहने लगती है और उसका समय पर इलाज न हो तो वो बवासीर का रूप धारण लेती है जिसमे मल के साथ रक्त आता है या गुदा मार्ग से रक्त आता है यह गुदा मार्ग के छालों के फट जाने के कारण होता है।

मिश्री की तासीर ठंडी होने के कारण यह छालों को सूखा देती है अतः मिश्री में नागकेशर व मक्खन मिलाकर खाने से बवासीर में राहत मिलती है।

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धागे वाली मिश्री लाभकरी है हाथ पैरों की जलन में

अत्यधिक गर्मी के कारण हाथ पैरों के हथेली व तलवे में जलन होने लगती है। हाथ पैरो पर मक्खन में मिश्री मिलाकर लगाने से जलन शान्त हो जाती है।

धागे वाली मिश्री फ़ायदेमंद है एनीमिया में

धागे वाली मिश्री खाने से हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होने के कारण एनीमिया ठीक होता है साथ ही शरीर के ब्लड सर्कुलेशन में सुधर होता हैं।

धागे वाली मिश्री लाभदायक है सर्दी एवं जुकाम में

मिश्री को धीरे धीरे चूसने पर साइन की जकड़न ख़तम होतीं है एवं सर्दी जुकाम से राहत मिलती है।

धागे वाली मिश्री फ़ायदेमंद है बच्चों के लिए

बच्चों एवं शारीरिक विकास के लिए गर्म दूध में मिश्री बहुत फ़ायदेमंद है या बच्चों के मानसिक विकास के लिए भी मिश्री बहुत फ़ायदेमंद है।

धागे वाली मिश्री बढ़ाती है आँखों की रौशनी

धागे वाली मिश्री का नियमित सेवन आँखों की रौशनी बढ़ाता है। मिश्री के साथ काली मिर्च बादाम के साथ आँखों की रौशनी के साथ साथ दिमाग भी तेज होता है।

अब तो आप सब भी जान गए होंगे कि छोटी सी मिश्री की डली कितने गुणों की खान है तो आइये इसे हिस्सा बनाइये अपनी लाइफस्टाइल का और रहे स्वस्थ और निरोगी।

मिश्री को गन्ने से सीधा नेचुरल तरीके से बनाया जाता है। गन्ने के रस की चासनी को किसी कप में डाल कर उसका क्रिस्टलीकरण किया जाता है। क्रिस्टल बनाते समय बीच में एक धागा रखा जाता है ताकि मिश्री के क्रिस्टल को कप से निकाल सके। 

मिश्री की तासीर ठंडी होती है। प्राय देखा जाता है की गर्मी के कारण मुहँ में छाले होना और गले के काग का लटकना जैसी समस्या देखि जाती है। मिश्री का सेवन गले को ठंडक प्रदान करता है। तासीर में ठंडी होने के कारण ही यह छालों और अन्य समस्या में लाभप्रद होती है।  

धागे वाली मिश्री गन्ने के रस से प्राकृतिक रूप से बनाई जाती है। इसमें किसी तरह का कोई रसायन नहीं डाला जाता है। गन्ने के रस को किसी कप में भर कर बीच में धागा डाला दिया जाता है और रस  को क्रिस्टल फॉर्मेट में परिवर्तित कर दिया जाता है। 

इलायची और मिश्री को बारीक पीस कर मिक्स करके इसका सेवन करने से गले से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। शरीर में गर्मी के कारण छालों की समस्या देखी जाती है इलायची और मिश्री का सेवन छालों की समस्या में भी लाभकारी है।  

ईसबगोल और मिश्री को बारीक पीस कर पानी में घोलकर पीने से पाचन से जुड़े हुए विकार दूर होते है। यह पेट में बनी में अपच, गैस की समस्या, बदहजमी आदि को दूर करता है। यह मिश्रण पेट में ठंडक प्रदान करता है जो की पेट में जलन आदि समस्या को दूर करता है। 

प्राय मिश्री में दो वेरायटी मिलती है जिसमें एक तो बड़े बड़े क्रिस्टल धागे से एक दूसरे से जुड़े होते है और एक प्रकार में क्रिस्टल के बीच में धागा नहीं होता है। देखा जाए तो दोनों ही एक रूप हे बस बनाने की विधि में थोड़ा फर्क रहता है।  

प्राय लोग मिश्री और चीनी को एक ही रूप में देखते है लेकिन दोनों ही अलग अलग प्रकृति के होते है। मिश्री में चीनी की अपेक्षा सुगर की मात्रा कम होती है। मिश्री के सेवन से वजन नियंत्रित रहता है। और शुगर भी संतुलित रहता है।  

मिश्री के प्रकारों में धागे वाली मिश्री को अच्छा माना जाता है क्योंकि वो आज भी पुराने तौर तरीकों से बनती है। इसका निर्माण आज भी घरेलू औधयोगिक इकाइयों में होता है जिससे इसमें किसी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं होता है।  

प्राय चीनी में शुगर की मात्रा बहुत अधिक होती है क्योंकि चीनी को केमिकल मिक्स कर के बनाया जाता है। परन्तु मिश्री का निर्माण नेचुरल तरीके से किया जाता है। इसलिए मिश्री को खाने से शुगर लेवल बेलेन्स रहता है। केलेस्ट्रॉल की मात्रा भी नियंत्रित रहती है।    

मिश्री को हम चीनी के विकल्प के रूप में खा सकते है। चीनी की अपेक्षा मिश्री थोड़ी कम मीठी होती है परन्तु लाभकारी होती है। देखा जाता है की कई लोग चाय में चीनी की बजाय मिश्री का प्रयोग करते है। मिश्री को छालों की समस्या में भी खाया जा सकता है। 

मिश्री सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है। आजकल हर मीठी चीज में चीनी का उपयोग होता है जिसमें शुगर की मात्रा अधिक होती है। जबकि मिश्री में चीनी की अपेक्षा शुगर की मात्रा कम होती है। अतः मिश्री के सेवन से मधुमेह जैसी समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 

धागा मिश्री में धागे का प्रयोग इसलिए किया जाता है की जब मिश्री को बनाया जाता है तो लंबे साँचो का उपयोग किया जाता है। उन्ही साँचो में से मिश्री के क्रिस्टल को खींच के निकाल सके इसी लिए बीच में धागा डाला जाता है। अतः इसे खाने के उद्देश्य से नहीं डाला जाता है। 

खांड को गन्ने से रस से नेचुरल तरीकों से बनाया जाता है। इसमें किसी तरह का कोई केमिकल उपयोग में नहीं लिया जाता है। गन्ने के रस को गरम कर के उसमें देशी घी मिलाकर अच्छी तरह घुटाई की जाती है। इसमें किसी तरह के अनावश्यक केमिकल का प्रयोग नहीं होता है।  

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