हम सभी मिश्री के स्वाद और उपयोग से परिचित हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धागे वाली मिश्री (या जिसे धागा मिश्री, dhaage wali mishri और dhage wali misri भी कहा जाता है) सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है? आज हम आपको बताएंगे इसके ऐसे फायदे जो शायद ही आपने पहले सुने होंगे।
धागे वाली मिश्री एक प्रकार की शुद्ध मिश्री होती है, जो सफेद धागे पर क्रिस्टल के रूप में जमती है। इसे बनाने की प्रक्रिया पारंपरिक और प्राकृतिक होती है, इसलिए इसमें किसी तरह का रसायन नहीं होता।
Q1: क्या धागे वाली मिश्री और सामान्य मिश्री में अंतर होता है? हाँ, धागे वाली मिश्री अधिक शुद्ध और प्राकृतिक होती है, जबकि सामान्य मिश्री में शुद्धता की कमी हो सकती है।
Q2: क्या बच्चे भी इसे खा सकते हैं? बिलकुल, लेकिन सीमित मात्रा में। यह बच्चों के लिए ऊर्जा और स्वाद दोनों देता है।
Q3: इसे दिन में कितनी बार खाना चाहिए? दिन में एक या दो बार, भोजन के बाद या दूध के साथ सेवन करना पर्याप्त है।
Q4: क्या यह मिश्री वजन बढ़ाती है? यदि अधिक मात्रा में ली जाए तो वजन बढ़ सकता है, लेकिन सीमित मात्रा में यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
निष्कर्ष
धागे वाली मिश्री, जिसे हम धागा मिश्री, dhaage wali mishri, या dhage wali misri भी कहते हैं, सिर्फ स्वाद में ही नहीं, स्वास्थ्य लाभों में भी बहुत आगे है। यदि आप इसे सही मात्रा में अपने दिनचर्या में शामिल करते हैं, तो यह आपकी सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।
धागे वाली मिश्री और चीनी और मिश्री दोनों ही शर्करा का रूप है लेकिन फेक्टरी में दोनों के निर्माण की विधियाँ अलग अलग है। चीनी को गन्ने के रस में विभिन्न तरह के केमिकल मिला छोटे छोटे क्रिस्टल के रूप में बनाया जाता है। वहीं मिश्री को गन्ने के रस को कप में डाल कर क्रिस्टलीकरण द्वारा निर्मित किया जाता है।
मिश्री को गन्ने से सीधा नेचुरल तरीके से बनाया जाता है। गन्ने के रस की चासनी को किसी कप में डाल कर उसका क्रिस्टलीकरण किया जाता है। क्रिस्टल बनाते समय बीच में एक धागा रखा जाता है ताकि मिश्री के क्रिस्टल को कप से निकाल सके।
मिश्री की तासीर ठंडी होती है। प्राय देखा जाता है की गर्मी के कारण मुहँ में छाले होना और गले के काग का लटकना जैसी समस्या देखि जाती है। मिश्री का सेवन गले को ठंडक प्रदान करता है। तासीर में ठंडी होने के कारण ही यह छालों और अन्य समस्या में लाभप्रद होती है।
धागे वाली मिश्री गन्ने के रस से प्राकृतिक रूप से बनाई जाती है। इसमें किसी तरह का कोई रसायन नहीं डाला जाता है। गन्ने के रस को किसी कप में भर कर बीच में धागा डाला दिया जाता है और रस को क्रिस्टल फॉर्मेट में परिवर्तित कर दिया जाता है।
इलायची और मिश्री को बारीक पीस कर मिक्स करके इसका सेवन करने से गले से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। शरीर में गर्मी के कारण छालों की समस्या देखी जाती है इलायची और मिश्री का सेवन छालों की समस्या में भी लाभकारी है।
ईसबगोल और मिश्री को बारीक पीस कर पानी में घोलकर पीने से पाचन से जुड़े हुए विकार दूर होते है। यह पेट में बनी में अपच, गैस की समस्या, बदहजमी आदि को दूर करता है। यह मिश्रण पेट में ठंडक प्रदान करता है जो की पेट में जलन आदि समस्या को दूर करता है।
प्राय मिश्री में दो वेरायटी मिलती है जिसमें एक तो बड़े बड़े क्रिस्टल धागे से एक दूसरे से जुड़े होते है और एक प्रकार में क्रिस्टल के बीच में धागा नहीं होता है। देखा जाए तो दोनों ही एक रूप हे बस बनाने की विधि में थोड़ा फर्क रहता है।
प्राय लोग मिश्री और चीनी को एक ही रूप में देखते है लेकिन दोनों ही अलग अलग प्रकृति के होते है। मिश्री में चीनी की अपेक्षा सुगर की मात्रा कम होती है। मिश्री के सेवन से वजन नियंत्रित रहता है। और शुगर भी संतुलित रहता है।
मिश्री के प्रकारों में धागे वाली मिश्री को अच्छा माना जाता है क्योंकि वो आज भी पुराने तौर तरीकों से बनती है। इसका निर्माण आज भी घरेलू औधयोगिक इकाइयों में होता है जिससे इसमें किसी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं होता है।
प्राय चीनी में शुगर की मात्रा बहुत अधिक होती है क्योंकि चीनी को केमिकल मिक्स कर के बनाया जाता है। परन्तु मिश्री का निर्माण नेचुरल तरीके से किया जाता है। इसलिए मिश्री को खाने से शुगर लेवल बेलेन्स रहता है। केलेस्ट्रॉल की मात्रा भी नियंत्रित रहती है।
मिश्री को हम चीनी के विकल्प के रूप में खा सकते है। चीनी की अपेक्षा मिश्री थोड़ी कम मीठी होती है परन्तु लाभकारी होती है। देखा जाता है की कई लोग चाय में चीनी की बजाय मिश्री का प्रयोग करते है। मिश्री को छालों की समस्या में भी खाया जा सकता है।
मिश्री सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है। आजकल हर मीठी चीज में चीनी का उपयोग होता है जिसमें शुगर की मात्रा अधिक होती है। जबकि मिश्री में चीनी की अपेक्षा शुगर की मात्रा कम होती है। अतः मिश्री के सेवन से मधुमेह जैसी समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
धागा मिश्री में धागे का प्रयोग इसलिए किया जाता है की जब मिश्री को बनाया जाता है तो लंबे साँचो का उपयोग किया जाता है। उन्ही साँचो में से मिश्री के क्रिस्टल को खींच के निकाल सके इसी लिए बीच में धागा डाला जाता है। अतः इसे खाने के उद्देश्य से नहीं डाला जाता है।
खांड को गन्ने से रस से नेचुरल तरीकों से बनाया जाता है। इसमें किसी तरह का कोई केमिकल उपयोग में नहीं लिया जाता है। गन्ने के रस को गरम कर के उसमें देशी घी मिलाकर अच्छी तरह घुटाई की जाती है। इसमें किसी तरह के अनावश्यक केमिकल का प्रयोग नहीं होता है।