गर्भपात के घरेलू उपाय – लक्षण, कारण और एक महीने की प्रेगनेंसी हटाने के तरीके

गर्भपात के घरेलू उपाय

गर्भपात (गर्भ गिराने) के घरेलू उपाय (garbhpat ke gharelu upay)

मां बनना एक महिला के लिए एक सुखद एहसास है, जिसकी खुशी के आगे दुनिया की हर खुशी फीकी लगती है। लेकिन अगर आप गलती से प्रेग्नेंट हो जाएं, तो क्या करें? यह सवाल किसी भी महिला के मन में घबराहट, बेचैनी और डर पैदा कर सकता है, खासकर तब जब यह बिना फैमिली प्लानिंग के हुआ हो। ऐसी स्थिति में घबराने की बजाय सही जानकारी और समझदारी से निर्णय लेना जरूरी होता है। कई महिलाएं इस दौरान गर्भपात के घरेलू उपाय के बारे में जानना चाहती हैं, ताकि वे अपने स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सही कदम उठा सकें।

गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें? यह सवाल कई महिलाओं के मन में आता है, जब वे बिना फॅमिली प्लानिंग के गर्भवती हो जाती हैं। गर्भपात के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कई बार संभोग के दौरान पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका गर्भनिरोधक उपायों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते, जिससे अनचाहा गर्भ ठहर जाता है। कुछ महिलाओं के लिए शारीरिक या मानसिक रूप से माँ बनना संभव नहीं होता, तो कुछ अपनी करियर या पर्सनल लाइफ को प्राथमिकता देती हैं जिससे वे गर्भपात कराने का फैसला लेती हैं। इस तरह, विभिन्न परिस्थितियों के कारण गर्भपात का निर्णय लिया जाता है।

गर्भपात क्या होता है (garbhpat kya hota hai)

गर्भपात वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भधारण के 20 से 24 सप्ताह से पहले भ्रूण का विकास रुक जाता है या उसे चिकित्सकीय रूप से समाप्त कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया स्वाभाविक (Natural/Miscarriage) या कृत्रिम (Medical/Surgical Abortion) हो सकती है।

गर्भपात के लक्षण (Symptoms of Miscarriage)

अगर किसी महिला को गर्भपात हो रहा हो, तो उसके शरीर में कुछ खास लक्षण दिख सकते हैं। ये लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं।

मुख्य लक्षण:

अचानक तेज पेट दर्द या ऐंठन

खासकर पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है।

योनि से रक्तस्राव (Bleeding)

हल्के धब्बों (Spotting) से लेकर ज्यादा खून बहने तक हो सकता है।

गर्भावस्था के लक्षणों में कमी

जैसे मतली (जी मिचलाना), उल्टी, या स्तनों में भारीपन कम होना।

योनि से सफेद या गुलाबी रंग का डिस्चार्ज

यह संकेत हो सकता है कि गर्भपात शुरू हो रहा है।

पीठ में दर्द

हल्का या बहुत तेज दर्द हो सकता है, जो सामान्य गर्भावस्था के दर्द से ज्यादा महसूस हो सकता है।

बुखार या ठंड लगना

यह संक्रमण का संकेत हो सकता है, जो गर्भपात के दौरान हो सकता है।

कमजोरी और चक्कर आना

शरीर में खून की कमी होने के कारण कमजोरी महसूस हो सकती है।

गर्भपात के प्रकार (Miscarriage Symptoms in Hindi)

गर्भपात एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें गर्भधारण अपने आप समाप्त हो जाता है। यह कई कारणों से हो सकता है और इसके विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक प्रकार के गर्भपात के लक्षण और प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं। नीचे गर्भपात के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से बताया गया है।

1. मिस्ड गर्भपात (Missed Miscarriage)

इसमें गर्भावस्था स्वयं समाप्त हो जाती है, लेकिन कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते। न तो रक्तस्राव होता है और न ही महिला को किसी तरह की असुविधा महसूस होती है। कई बार भ्रूण गर्भ में ही रहता है और इसका पता तब चलता है जब भ्रूण का विकास रुक जाता है। इसका निदान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है।

2. अधूरा गर्भपात

अधूरा गर्भपात एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें भ्रूण का केवल कुछ भाग ही गर्भाशय से बाहर निकल पाता है। इसके कारण महिला को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

अधूरा गर्भपात के लक्षण

अत्यधिक रक्तस्राव

योनि से लगातार और अधिक मात्रा में खून बहना।

तेज पेट दर्द या ऐंठन

पेट के निचले हिस्से में असहनीय दर्द या दबाव महसूस होना।

कमजोरी और चक्कर आना

अधिक रक्तस्राव के कारण शरीर में कमजोरी हो सकती है।

बुखार और ठंड लगना

संक्रमण होने की स्थिति में शरीर का तापमान बढ़ सकता है।

असामान्य डिस्चार्ज

योनि से दुर्गंधयुक्त डिस्चार्ज आना।

3. पूर्ण गर्भपात(Complete Miscarriage)

इस स्थिति में महिला को तीव्र पेट दर्द और भारी रक्तस्राव होता है, और भ्रूण पूरी तरह से गर्भाशय से बाहर आ जाता है।

4. अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable Miscarriage)

इसमें रक्तस्राव लगातार जारी रहता है और गर्भाशय ग्रीवा खुल जाती है, जिससे भ्रूण बाहर आ जाता है। इस दौरान महिला को पेट में लगातार ऐंठन महसूस होती रहती है।

5. सेप्टिक गर्भपात (Septic Miscarriage)

जब गर्भ में संक्रमण हो जाता है, तब गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। यह एक गंभीर स्थिति होती है, जिसके लिए तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक होता है

सुरक्षित गर्भपात कब और कैसे होता है

गर्भपात का समय ज्यादातर गर्भावस्था के पहले 3 महीनों तक का होता है और यह सबसे सुरक्षित समय होता है। असामान्य मामलों में, गर्भपात दूसरी तिमाही में किया जाता है जो गर्भावस्था के 4-6 महीनों में होता है। तीसरे तिमाही में गर्भपात शायद ही कभी किया जाता है क्योंकि यह सुरक्षित नहीं रहता है और केवल आपातकालीन या जीवन को खतरा जैसे कारणों से किया जाता है। इसलिए किसी को पहले के विकल्पों का विकल्प चुनना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित और सस्ता होता है।

एक सुरक्षित गर्भपात प्राप्त करने के लिए पहली तिमाही जो कि पहले 3 महीने होती है, सबसे सुरक्षित समय होती है क्योंकि इस समय दवाओं का उपयोग गर्भपात करवाने के लिए किया जा सकता है और इन दवाओं का आमतौर पर दुष्प्रभाव नहीं होता है। वैक्यूम एस्पिरेशन प्रक्रियाओं का उपयोग भी किया जा सकता है जो सुरक्षित भी हैं। पहली तिमाही के बाद, सुरक्षित गर्भपात प्राप्त करना कठिन होता है और किसी को तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि कोई इमरजेंसी न हो।

गर्भपात करने के सरल घरेलु तरीका

अक्सर यह सवाल आता है कि “बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?” और इसके लिए कौन-कौन से घरेलू उपाय अपनाए जाते हैं। पारंपरिक रूप से गर्भपात के लिए विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन , तुलसी का काढ़ा, लहसून, ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

  • गर्भावस्था का पता चलने के शुरुआती दिनों में ही गर्भपात कराना सही रहता है। विटामिन सी युक्त पदार्थ जैसे कच्चा पपीता ,अनानास, कटहल, संतरा, नींबू आदि चीजों के सेवन से शुरुआती गर्भावस्था में गर्भपात हो जाता है।
  • भुने हुए तिल तासीर में बहुत गर्म होते हैं। तीन से चार चम्मच तिलों को भूनकर दिन में दो बार सेवन करने से गर्भपात हो जाता है।
  • दो से चार हफ्तों की गर्भ को गिराने के लिए, 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी के साथ उबालें पानी आधा रह जाने पर उसे छानकर उसका सेवन करें जब तक ब्लीडिंग शुरू ना हो तब तक दिन में दो से तीन बार इस पानी का सेवन करने से गर्भ गिर जाता है।
  • ग्रीन टी के अधिक सेवन से भी गर्भपात हो जाता है ।
  • अधिक मात्रा में दालचीनी तथा काली मिर्च का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।केले की पत्तियों और बबूल की फलियों को सुखाकर उनका चूर्ण बनाकर नियमित रूप से सेवन गर्भ गिराने का तरीका है।
  • कॉफी की तासीर गर्म होती है इसलिए अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • तुलसी के पत्तों और उसके बीजों का काढ़ा बनाकर पीने से गर्भपात होता है।
  • तीन से चार चम्मच अजवायन को गुड़ के साथ मिलाकर दो गिलास पानी में उबालें और इस पानी को छानकर अजवायन के पानीका दिन में 2 बार सेवन गर्भ गिराने का तरीका है ।
  • उछल कूद और अधिक मात्रा में व्यायाम करने से भी गर्भपात हो जाता है।

गर्भपात (एबॉर्शन) के नुकसान

दोनों मेडिकल और सर्जिकल गर्भपात प्रक्रिया काफी सुरक्षित होती हैं, हर प्रक्रिया और उपचार में कुछ जोखिम शामिल होते हैं। गर्भपात के जोखिमों में शामिल हैं:

  • गर्भ में संक्रमण का विकास
  • समाप्ति के बाद अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है
  • गर्भाशय ग्रीवा क्षतिग्रस्त हो सकती है
  • गर्भ क्षतिग्रस्त हो सकता है

यदि यह जल्द से जल्द किया जाता है तो गर्भपात सबसे सुरक्षित होता है। किसी भी जटिलताओं के मामले में, एक डॉक्टर से तुरंत परामर्श किया जाना चाहिए और प्रासंगिक उपचार का विकल्प चुना जाना चाहिए। गर्भपात का विकल्प चुनने से भविष्य में गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती है।

गर्भपात के बाद माहवारी कब आती है

गर्भपात के बाद माहवारी गर्भपात की अवधी पर निर्भर करता है। यदि गर्भपात पहली तीमाही के दौरान हुआ है तो पीरियड्स 4 से 12 सप्ताह बाद आने शुरु हो जाने चाहिए। और उस समय की माहवारी सामान्य से कम हो सकती है या सर्जिकल गर्भपात के बाद यह सामान्य रूप से भी हो सकती है। यदि पहली माहवारी सामान्य से अधिक होती है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भपात के बाद सावधानियां

गर्भपात के बाद शरीर को ठीक होने में समय लगता है, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतना जरूरी होता है। इस दौरान भरपूर आराम करें और शरीर को हाइड्रेट रखें। आयरन और प्रोटीन युक्त आहार लें ताकि कमजोरी दूर हो सके। संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें और कुछ समय तक यौन संबंध बनाने से बचें। भावनात्मक रूप से संतुलित रहने के लिए अपनों से बातचीत करें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें। किसी भी असामान्य लक्षण, जैसे अत्यधिक रक्तस्राव, तेज बुखार या तेज दर्द होने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।

गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में घरेलू उपाय द्वारा गर्भपात संभव है परंतु यदि ज्यादा समय हो चुका है तो उसके लिए डॉक्टर की सलाह लेकर ही गर्भपात कराएं।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

एक महीने की प्रेगनेंसी कैसे हटाएं घरेलू उपाय?

कच्चा पपीता, अनानास, अजवायन का पानी, और ग्रीन टी पारंपरिक घरेलू उपायों में शामिल हैं। लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना इन्हें अपनाना स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है।

तुरंत प्रेगनेंसी रोकने के लिए क्या करना चाहिए?

72 घंटे के भीतर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां (i-pill) ली जा सकती हैं। घरेलू नुस्खे की बजाय मेडिकल सलाह लेना बेहतर होता है।

बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?

प्रेगनेंसी के पहले 9 सप्ताह तक मेडिकल गर्भपात सुरक्षित माना जाता है। इसके बाद डॉक्टर की निगरानी ज़रूरी है।

अधूरा गर्भपात के लक्षण क्या हैं?

अत्यधिक ब्लीडिंग, पेट दर्द, बुखार, और बदबूदार डिस्चार्ज इस स्थिति के संकेत हो सकते हैं। यह मेडिकल इमरजेंसी होती है।

गर्भपात के बाद किन बातों का ध्यान रखें?

भरपूर आराम करें, पौष्टिक आहार लें, साफ-सफाई रखें और मानसिक संतुलन बनाए रखें। किसी भी असामान्यता पर डॉक्टर से मिलें।

बेहद ही आसान है टाइफाइड जड़ से खत्म करना-Typhoid Ka Ilaaj

टाइफाइड जड़ से खत्म करना

टायफॉइड एक बैक्टीरियल बीमारी है जो कि साल्मोनेला टाइफाई बैक्टीरिया से फैलती है। यह बैक्टीरिया डाइजेस्टिव सिस्टम और ब्लडस्ट्रीम में इन्फेक्शन के लिए जिम्मेदार होता है। आज इस लेख में हम बात करेंगे की टाइफाइड कैसे होता है, टाइफाइड के लक्षण क्या है,टाइफाइड जड़ से खत्म करना क्यों जरुरी है।

टाइफाइड कैसे होता है

साल्मोनेला शरीर मे पॉल्यूटेड पानी, जूस या अन्य किसी खाद्य पदार्थ के द्वारा प्रवेश करता है। शरीर के अन्दर यह बैक्टीरिया एक अंग से दूसरे अंग में पहुँचते हैं। वात, पित्त, कफ तीनों दोषों के प्रकोप से टाइफाइड होता है। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के झूठे भोजन या पानी का सेवन करने से भी हो सकता है। क्योंकि यह एक संक्रामक रोग है इसलिए टाइफाइड जड़ से खत्म करना जरुरी है।

टाइफाइड के लक्षण-Typhoid Ke Lakshan Hindi Me

  • उच्च तापमान का बुखार होना, टाइफाइड से ग्रसित व्यक्ति को 102-104 डिग्री से ऊपर बुखार रहता है।
  • सर में भयंकर दर्द होना
  • भूख मर जाना
  • अंगों में दर्द होना
  • कंपकंपी के साथ ठंड लगना
  • कमजोरी महसूस होना
  • लूज मोशन

टाइफाइड में खान पान

टाइफाइड में क्या खाना चाहिए

  • उच्च रेशेदार युक्त आहार, जैसे- हरी सब्जियां केला, पपीता, शक्करकन्द, साबुत अनाज का प्रयोग करे।
  • टायफॉइड के बाद लूज मोशन के कारण शरीर मे पानी की कमी हो जाती है। इस कमी की पूर्ति के लिए रोगी को कुछ-कुछ समय बाद तरल पदार्थ जैसे पानी, ताजे फल के रस, हर्बल चाय देनी चाहिए।
  • डायजेस्टिव सिस्टम के कमजोर होने से टाइफाइड के दौरान वजन कम होने लगता है। इसलिए रोगी के भोजन में प्रोटीन और कार्बोहाईड्रेट युक्त खाद्य पदार्थो को शामिल करें।
  • एवोकाडो, ड्राई फ्रूट्स, खजूर और खुबानी जैसे खाद्य पदार्थो का सेवन करें।
  • टाइफाइड में फलों में केला, चीकू, पपीता, सेब, मौसमी, संतरे का सेवन किया जा सकता है।
  • टाइफाइड में दाल, खिचड़ी, हरी सब्जियां पालक, पत्तागोभी, फूलगोभी, गाजर और पपीता खाएं।
    टाइफाइड में क्या खाना चाहिए
    टाइफाइड में क्या खाना चाहिए

टाइफाइड में परहेज

  • भोजन में तीखे मिर्च मसालों का प्रयोग न करें। तले भुने और गरिष्ठ भोजन से दूर रहे क्योंकि डायजेस्टिव सिस्टम पहले ही कमजोर हो चुका है।
  • चाय, कॉफी, दारु-शराब, सिगरेट के सेवन का टाइफाइड में परहेज करें।
  • मांसाहारी और अत्यधिक मीठे से बचे। लिमिट से ज्यादा न खाए। भोजन हल्का रखें। बाहर की चीज़ें न खाए।
  • गैस बनाने वाले व देर से पचने वाले पदार्थों से बचें।

टाइफाइड के बाद सावधानी

  • यदि बुखार हल्का हो गया हो तो रोगी की स्पंजिंग जरूर होनी चाहिए। इससे ताजगी की अनुभूति होती है। यदि रोगी नहा सके तो और भी अच्छा, क्योंकि पसीने के साथ बुखार उतरने के कारण शरीर मे बदबू हो जाती है।
  • जीवनशैली बदले, साफ सफाई रखे। उबाल कर छान कर पानी पिएं।
  • संक्रमित व्यक्ति अपने बर्तन, कपड़े, सब अलग रखे। व्यक्तिगत उपयोग की चीज़ें भी अलग रखे।
  • सबसे जरूरी टॉयफोइड की वैक्सीन उपलब्ध है, जरूर लगवाए।
  • ठीक होने के बाद भी योगा, व्यायाम, प्राणायाम को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाए।

टाइफाइड के घरेलू उपचार-Typhoid Ka Ilaaj

टायफॉइड के ठीक होने के बाद भी कमजोरी का अनुभव रहता है। शरीर मे हल्के बुखार की फीलिंग रहती है। टाइफाइड के बाद कमजोरी दूर करने के लिए आप कुछ घरेलू उपाय भी आजमा सकते है।

तुलसी

  • तुलसी और सूरजमुखी के पत्तों का रस निकालकर पीने से टाइफाइड के लक्षणों व साइड इफ़ेक्ट से राहत मिलती है।
  • तुलसी, मुलेठी, गाजवां, शहद और मिश्री को पानी में मिलाकर काढा बनाएं और पियें जिससे बुखार जल्दी उतर जाता है।
  • तुलसी, अदरक, दालचीनी का काढ़ा बनाये। अब इस काढ़े में मिश्री मिलाकर गर्म-गर्म पीएं।

लहसून

लहसून को डेली डाइट में शामिल करे। दाल को अलग से गाय के घी में छोंक कर खाए। ये अंदर से शरीर को मजबूती देगा।

सेब

रोगी को यदि खाली पेट सेब खाने से गैस न बनती हो तो उसे सुबह एक सेब काला नमक डालकर दे। सेब का रस निकालकर अदरक मिलाकर भी दे सकते है।

लौंग

एक कप पानी मे दो लौंग उबाले, इस पानी को गुनगुना ही पियें। लेकिन ध्यान रहे इसका प्रयोग खाली पेट न करें।

शहद

पान का रस, अदरक का रस और शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम पीने से आराम मिलता है।

डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करें

टाइफाइड एक संक्रामक रोग है। यदि आपको इससे सम्बंधित कोई भी लक्षण जैसे तेज बुखार पेट में दर्द, कमजोरी दिखाई दे तो देर न करे।डॉक्टर के अनुसार दिए गए दवाई को कोर्स को बीच मे ना छोड़े। दवा समय से ले।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

टाइफाइड में क्या क्या खाना चाहिए?

टाइफाइड में फलों में चीकू, पपीता, केला, सेब, मौसमी, संतरा का सेवन किया जा सकता है। टाइफाइड में दाल, खिचड़ी, हरी सब्जियां पत्ता गोभी, फूलगोभी, पालक, गाजर और पपीता खाएं। टाइफाइड में दही खाना बहुत फायदेमंद हो सकता है। खांसी, जुकाम या जोड़ों में दर्द होने पर दही का सेवन न करें।

क्या टाइफाइड में दूध पी सकते हैं?

टाइफाइड में गुनगुना दूध पी सकते हैं।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के फायदे और सेवन का तरीका-horlicks ke fayde

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के फायदे और सेवन का तरीका

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस आजकल की दौड़-धूप की जिंदगी की व्यवस्ताओं को देखकर बनाया गया है। मिलावट के इस दौर में जब कुछ भी शुद्ध नहीं मिलता। न तो फल और न ही सब्जियां। हमें हमारे शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन विटामिंस इन हमें बाहरी स्रोतों पर निर्भर होना पड़ता है। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस हमारे शरीर की भिन्न आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

विशेष तौर से प्रोटीन की आवश्यकता को ध्यान में रखकर हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर बनाया गया है। यह विशेष रुप से आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी के युवाओं के लिए बनाया गया है जिनके पास समय से खाना पीना खाने का भी टाइम नहीं होता तो हम तो यह तो भूल ही जाए कि वह सब्जियां, फल खाने में समय व्यतीत करेंगे।

समयाभाव के कारण वो जो जैसा मिले खा लेते हैं। अधिकांश उनका भोजन तो जंक फूड होता है। जिससे पेट तो भर जाता है स्वाद भी मिल जाता है लेकिन शरीर के लिए आवश्यक विटामिन प्रोटीन मिनरल नहीं मिल पाते। हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर शरीर को आवश्यक प्रोटीन मिनरल एवं विटामिन्स प्रदान कर शरीर को उर्जावान बनाता है।

प्लेयर एवं एथलीट ऐसे हेल्थ पेय की तलाश में होते हैं जो शरीर की प्रोटीन की आवश्यकताओं को पूरा करें। लगातार व्यायाम से होने वाली थकान को दूर करें। और शरीर के मसल्स मास को बढ़ाये। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस के अंदर ये सारी खूबियों हैं।

क्या है हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस न्यूट्रिशन ड्रिंक है जो कि कामकाजी युवा के लिए बनाया गया है। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस व्यक्ति की ताकत को बढ़ाता है हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस एक वैज्ञानिक तौर से प्रमाणित फ़ूड न्यूट्रिशन ड्रिंक है जोकि एडल्ट के लिए खास तौर से बनाया गया है।

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस कैसे काम करता है

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस व्यक्ति की ताकत बढाता है। उनके मसल्स मास को गेन करने में मदद करता है। और उनका हेल्दी लाइफ़स्टाइल मेंटेन करने में मदद करता है आफ्टर थर्टी हम सभी अपने शरीर के मसल्स मास को खोने लगते हैं। हमारा मसल्स मास कम होने लगता है हम थकने बहुत जल्दी लगते हैं हमें हाई क्वालिटी प्रोटीन ज्यादा से ज्यादा लेनी चाहिए जिससे कि हम अपनी रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी कर सके और थकान न हो।

थकान होना
थकान होना

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस के पास है पीडीसीएस का मानक

हमारे शरीर का मसल्स मास हमारे प्रोटीन इनटेक पर निर्भर करता है। हमारा मसल्स मास हमने अच्छा प्रोटीन लिया है या नहीं इस पर डिपेंड करता है। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस के पास है पीडीसीएस का मानक जिसे हम प्रोटीन क्वालिटी इंडिकेटर्स कहते हैं। इसका हाई स्कोर हमारे हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस के पास है। जो यह सिद्ध करता है कि हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन प्रोटीन पाउडर है।

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में अमीनो एसिड्स पाये जाते हैं जो कि हमारे शरीर की सारी रिक्वायरमेंट को पूरा करते हैं।वैसे प्रोटीन अमीनो एसिड के अंदर होता है या हम कह सकते हैं कि अमीनो एसिड ही है जो कि प्रोटीन बनाता है। अधिकांश अमीनो एसिड हमारे शरीर में बन जाते हैं लेकिन उनमें से 9 अमीनो एसिड ऐसे हैं जिन्हें कि हमारा शरीर नहीं बना पाता और जिन्हें हमें बाहर से कंज्यूम करना पड़ता है। ऐसे अमीनो एसिड को हम एसेंशियल अमीनो एसिड करते हैं। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में ये अमीनो एसिड पाये जाते हैं। अमीनो एसिड के अंदर पाये जाने वाले प्रोटीन हमारी बॉडी को मेंटेन करने के लिए। हमारे शरीर की थकान दूर करने के लिए एवं मसल्स मास को को इंप्रूव करने के लिए जरूरी होते हैं।

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में पाये जाने वाले पोषक तत्व

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में 3 तरह के हाई क्वालिटी प्रोटीन आइए जानते हैं इसका प्रोटीन का अनुपात –

100 ग्राम में 30 ग्राम प्रोटीन
55% कार्बोहाइड्रेट,
23.5 ग्रम शुगर
फैट 2 ग्राम

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन b1, विटामिन डी, फास्फोरस, केनिन, बायपिन आदि मिनरल्स पाए जाते हैं जाते हैं। इसका सर्विंग साइज 30 ग्राम के आस-पास है जिसमें 10 ग्राम प्रोटीन, 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, फैट काफी कम मात्रा में पाया जाता है। इसमें कोकोआ पाउडर मिनरल्स व्हीट ग्लूटेन पाया जाता है। हम कह सकते हैं कि हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर और दूसरे प्रोटीन पाउडर से बहुत बेहतर है क्योंकि इसमें तीन तरह के प्रोटीन डालकर इस प्रोटीन पाउडर को बनाया गया है बल्कि दूसरे प्रोटीन पाउडर में सोया प्रोटीन को डाला जाता है लेकिन हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर सोया प्रोटीन के साथ-साथ व्हे प्रोटीन को भी डाला गया है।

क्या है व्हे प्रोटीन

व्हे प्रोटीन
व्हे प्रोटीन

व्हे प्रोटीन में चार ऐसे एसेंशियल अमीनो एसिड होते हैं जो काफी बेहतर होते हैं अन्य प्रोटीन से। ये चार अमीनो एसिड आइसोलूसिंग,लूसिंग ,मिथूनाइन और लायसिन ये चार अमीनो एसिड मिथूनाइन अमीनो एसिड वेट लॉस करने में मदद करता है। लाइसिन अमीनो एसिड मसल्स ग्रोथ को बढाता है। सोया प्रोटीन में आरजेमीनर ,ट्रिपटो फैट ,फैनीलेलेलाइन पापा जाता है।

हार्लिक्स प्रोटीन प्लस में सोया प्रोटीन व व्हे प्रोटीन दोनों के फायदे होते हैं।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर में केसिन प्रोटीन काफी कम मात्रा मे पाया जाता है जो एक डाइजेशन प्रोटीन है।जो डाइजेशन में मदद करता है। केसिन प्रोटीन एक फ़ास्ट एबजारबिंग प्रोटीन है जो अगर दुबले व्यक्ति दूध के साथ सुबह शाम लेते हैं तो यह उनका वेट बढ़ाता है और अगर एथलीट इसे एक्सरसाइज़ के बाद में लेते हैं तो यह मसल्स टोन करने के काम आता है।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को लेने का तरीका

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में अब्जॉर्बिग प्रोटीन है। जिसे अलग अलग ज़रूरतों के लिए अलग-अलग तरीके से लिया जाता है। एथलीट या प्लेयर इसे बाडी बिल्डिंग, मसल्स मास गेन करने के लिए लेते हैं। वे हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को पानी या एगव्हाइट के साथ लें क्योंकि यह शरीर में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाता है और इसका प्रोटीन आसानी से शरीर में अवशोषित हो जाता है एथलीट इसे एक्सरसाइज़ के बाद पानी में मिलाकर अंडे के सफेद हिस्से के साथ ले। कमजोर व्यक्ति जो ताकत एवं स्फूर्ति के लिए हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को लेते हैं वो हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को सुबह शाम दूध के साथ ले।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के फायदे-horlicks ke fayde

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर लाभदायक है वेट गेन और वेट लास दोनों में

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर वेट लास या वेट गेन दोनों में फ़ायदा करता है। इसमें शुगर व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा काफी ज्यादा है। हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर के सैचुरेटेड हाई क्वालिटी प्रोटीन शरीर के बॉडी मास को बढ़ाने का कार्य करते हैं तो वेट लाॅस करने के लिए अगर एथलीट हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को लेते हैं तो हमें हॉर्लिक्स पाउडर को एक्सरसाइज करने के बाद पानी में मिलाकर लेना होगा। प्रचुर मात्रा में प्रोटीन के लिए हमें अंडे के सफेद हिस्से के साथ हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को लेना होगा।

ऐसा नहीं है कि हम पानी में अंडे के सफेद हिस्से को फोड़ देंगे और प्रोटीन पाउडर मिलाकर घोलकर पी जाएंगे हमें या तो अंडे को उबालकर उसके सफेद हिस्से को लेना होगा या फिर सफेद हिस्से का हाफ फ्राई खाना होगा। जिससे कि हमारे शरीर को न्यूट्रिशन तो मिले लेकिन कार्बोहाइड्रेट शुगर के कारण हमारा वेट गेन ना हो पाए। हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर में वे प्रोटीन है जो कि हमारे शरीर में आसानी से अवशोषित हो जाता है।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर है बजट फ्रेंडली

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर की कीमत अन्य प्रोटीन पाउडर की तुलना में काफी कम है तो इसे कॉलेज गोइंग युवा से लेकर कामकाजी युवा सभी खरीद सकते हैं। बच्चों और किशोर वर्ग के लोगों के लिये भी हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस उनकी शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाला है। हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर जिम में जाने वालों के लिए भी बहुत अच्छा है अपनी कीमत में के सबसे अच्छे हाई क्वालिटी प्रोटीन समय देता है। वो लोग जो एक अफॉर्डेबल प्रोटीन पाउडर की तलाश में है 6 से ₹7000 नहीं खर्च करना चाहते उनके लिए हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन विकल्प है।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर स्वाद में बेहतर है

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर की एक और विशेषता उसका स्वाद है। हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर अन्य सभी प्रोटीन पाउडर के मुकाबले बहुत टेस्टी है। हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन विकल्प है।

सामान्य प्रश्न

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस पीने से क्या होता है?

हॉर्लिक्स स्वास्थ्य संबधी एक पेय है, जिसको संतुलित आहार के रूप में सेवन किया जाता है। ये बच्चों के कैल्शियम की जरूरतें पूरा करके हड्डियों का कैल्शियम घनत्व बढाता है जिससे हड्डियाँ मजबूत होती है, इसमें मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स रक्त में पोषक तत्व बढा़तें हैं जिससे याददाश्त व एकाग्रता बढ़ती है। इसके सेवन से शरीर में पतले टिशू की वृद्धि होती है, और शरीर मजबूत बनता है। हॉर्लिक्स में मौजूद पोषक तत्व शरीर के समग्र विकास में साहयक हैं, दूध में मिलाकर पीने से ये दूध की गुणवत्ता और स्वाद दोनों बढा़ देता है।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस क्या है?

'हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस' एक ऐसा उत्पाद है जो पोषण की बढ़ती आवश्यकताओं और विशेषकर प्रोटीन की मांग को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह खासतौर से उन व्यस्त लोगो के लिए है, जिनके पास आवश्यक प्रोटीन का सेवन करने के लिए अपनी दिनचर्या के अनुसार समय कम है। आप दिन भर में कितना प्रोटीन लेते हैं इसके साथ यह भी महत्वपूर्ण है, कि उसकी गुणवत्ता कैसी है। सही प्रोटीन लेने से आप अधिक स्वस्थ रहते हैं और जीवन-शैली बेहतर होती है। उपभोक्ताओं की प्रोटीन समबन्धी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 'हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस' बनाया गया है ।

हॉर्लिक्स में क्या क्या पाया जाता है?

हॉर्लिक्स में मुख्य घटक गेहूं के आटे और माल्टेड गेहूं (46%) का मिश्रण है, इसके बाद माल्टेड जौ (26%) है। इसके अलावा सूखा मट्ठा, कैल्शियम कार्बोनेट, सूखे स्किम्ड दूध, चीनी, ताड़ का तेल, नमक, एंटी-काकिंग एजेंट (E551), इसमें मुख्यतः विटामिन ए , विटामिन सी , विटामिन डी ,विटामिन बी1 , विटामिन बी2 ,विटामिन बी5, विटामिन बी6,विटामिन बी12, विटामिन ई, फोलिक एसिड, कार्बोहाइड्रेट, फैट , प्रोटीन, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, नियासिन, बायोटिन, जिंक, और आयरन पाया जाता है। इसलिए ये शरीर की पोषण संबंधी सभी जरूरतें पूरी कर देता है।

प्रोटीन पाउडर कब लेना चाहिए?

प्रोटीन हमारे शरीर के लिए एक मुख्य पोषक तत्व है, जिसको भोजन के साथ जरूर लेना चाहिए, इसके अतिरिक्त - Weight loss के लिए भोजन के बीच में प्रोटीन लेना अच्छा है, इस तरह से ये आपकी भूख नियंत्रित करने के साथ-साथ कम कैलोरी कंज्यूम करने में मदद करता है। मसल्स बिल्डअप के लिए ट्रेनर व्यायाम के 15-60 मिनट बाद प्रोटीन सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं। मसल्स लॉस को रोकने के लिए 30 की उम्र के बाद हर मील के बाद लगभग 25-30 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।

जानिए क्या है खुबानी के फायदे इन हिंदी-Khubani Ke Fayde

खुबानी के फायदे इन हिंदी

खुबानी या एप्रीकॉट एक रसदार गुठली युक्त फल है। यह ताजा भी खाया जाता है और सुखा कर भी। खुबानी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के भी कुछ क्षेत्रों में खूबानीा पायी जाती है। खुबानी को सुखाकर ड्राई फ्रूट्स की तरह जाता है। यह सूखने के बाद और स्वादिष्ट लगती है बल्कि इसमें बहुत सारे फायदे भी होते हैं। आज इस लेख में हम जानेंगे खुबानी के फायदे इन हिंदी।

इस ड्राईफूट्स के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन इसके फायदे गजब के हैं। इसमें विटामिन ए, बी ,सी और विटामिन ई पाए जाते हैं। विटामिन के साथ-साथ इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, फॉस्फोरस आदि भी होता है। खुबानी मैं उचित मात्रा में फाइबर पाया जाता है।

इसका स्वाद थोड़ा मीठा थोड़ा खट्टा सा होता है| खुबानी एक इंस्टेंट एनर्जी फ्रूट है खुबानी को खाते ही तुरंत ताकत आती है तभी तो इसे ड्राई फ्रूट की श्रेणी में रखा गया है।

तो आइए जानते हैं खुबानी के फायदे

खूबानी फायदेमंद है मधुमेह में

खुबानी में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा मे पाया जाते हैं। फाइबर और एंटीऑक्सीडेंटतत्व शरीर में ग्लूकोज जमा होने से रोकते हैं। मधुमेह के मरीज में ग्लूकोज के स्तर को संतुलित करने के लिए खूबानी में चार फेनोलिक कंपाउंड (प्रोसीएनिडिन्स, हाइड्रोक्सीसैनामिक एसिड डेरिवेटिव, फ्लेवोनोल्स और एंथोसायनिन ) होते हैं। ये चारों तत्व मिलकर खुबानी को मधुमेह के लिए फायदेमंद बनाते हैं।

मधुमेह
मधुमेह

खूबानी फ़ायदेमंद है दिल के लिए

खूबानी के अंदर फाइबर मौजूद होता है। जो कोलेस्ट्रॉल को बैलेंस रखता है। जिसकी वजह से दिल से संबंधित बीमारियाँ दूर रहती हैं। खुबानी बेकार कोलेस्ट्रॉल को घटाता है।और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। जिसके कारण दिल सुचारु रूप से चलता है।

खूबानी बढाता है ऑखों की रोशनी

40 की उम्र के बाद शरीर में कुछ कुछ विटामिन की कमी हो जाती है जिसकी वजह से आंखों की रौशनी कमजोर होने लगती है। खुबानी में विटामिन सी और बी कैरोटीन मौजूद होते हैं जो शरीर में विटामिन की कमी को पूरा करते हैं जिससे आंखों की रौशनी कमजोर होना रूक जाती है।

खुबानी लाभदायक है पाचन में

खुबानी के अंदर फाइबरऔर एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो भोजन को पचाने में सहायक होता है यह फाइबर गैस्ट्रिक और पाचन रस को बढ़ाता है। जो पोषक तत्वों को अवशोषित करने और के लिए भोजन को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा, फाइबर पाचन तंत्र के गति को सक्रिय करता है |

खूबानी बचाता है कैंसर जैसी बिमारी से

खूबानी की गुठली में विटामिन बी 17 तत्व पाया जाता है जो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से बचाता है। खुबानी में विटामिन ए और सी भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैंखुबानी में विटामिन ए और सी भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं जो कैंसर सेल्स को नष्ट करने में मदद करती हैं।

कमजोरी दूर करता है खुबानी

लंबे समय तक बीमार होने के कारण कमजोरी होने पर खुबानी के सेवन से लाभ मिलता है। खुबानी का रोज सेवन करने से दुर्बलता कम होती है तथा शरीर की ताकत बढ़ती है।

खुबानी बनाए हड्डियों को मजबूत

खूबानी में कैल्शियम, फास्फोरस, मैंगनीज, लोहा और तांबा आदि भरपूर मात्रा मे पाया जाता है। ये सभी खनिज तत्व हड्डियों के निर्माण में एक निश्चित भूमिका निभाते हैं। खूबानी खाने से ऑस्टियोपोरोसिस सहित विभिन्न हड्डियों के रोगों में लाभ होता है।

खूबानी का तेल फायदेमंद है कान के दर्द में

ठंड के कारण कारण होने वाले कान के दर्द में खूबानी का तेल बहुत फायदा करता है | एक-दो बूँद खूबानी का तेल कान में डालने से ठंड से होने वाले कान के दर्द में आराम मिलता है।

खुबानी लाभदायक है बुखार में

खुबानी में विटामिन, खनिज, कैलोरी और एन्भिटीआक्सिडेन्ट पाये जाते हैं जो शरीर की कमजोरी को दूर करने के लिए लाभदायक होते हैं। खूबानी शरीर का डिटॉक्सिफ़िकेशन करने मे सहायक है। खूबानी में पानी भी भरपूर मात्रा मे पाया जाता है जो शरीर के तापमान को संतुलित रखने में सहयोगी होता है।

खुबानी फायदेमंद है त्वचा के लिए

खुबानी का तेल त्वचा द्वारा जल्दी से सोख लिया जाता है। त्वचा पर खूबानी का तेल लगाने के बाद त्वचा तैलीय नहीं लगती है। खुबानी त्वचा चमकदार बनाता है। खूबानी का तेल एक्जिमा, खुजली और कई अन्य त्वचा रोगों के इलाज में सहायता करता है।

यह विशेष रूप से खुबानी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट यौगिकों के कारण होता है। खूबानी में मौजूद विटामिन ए , एंटीऑक्सिडेंट त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने के लिए उपयोगी हैं।

खूबानी लाभकारी है एनीमिया में

खूबानी में लोहा और तांबा पापा जाता है। यह खनिज तत्व हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करते हैं। एमिमिया मुख्य रूप से लोहे की कमी से होता है। एनीमिया में कमजोरी, थकान, हल्के सिरदर्द, पाचन संबंधी परेशानी, सामान्य चयापचय संबंधी समस्याएं होती हैं।।

लाल रक्त कोशिकाओं के बिना, शरीर अपने आप को ठीक से पुन सक्रिय नहीं कर सकता है और अंगों के सिस्टम खराब होने लगते हैं। लोहा और तांबा लाल रक्त कोशिका के गठन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये दोनो खनिज खुबानी में मौजूद हैं, जिससे यह चयापचय को बढ़ावा देने और शरीर को ठीक से काम कर रखने के लिए बहुत ही लाभदायक हैं।

खूबानी लाभकारी है अस्थमा में

खूबानी के तेल में फेफड़ों और श्वसन प्रणाली पर दबाव और तनाव को दूर करने का गुण होता है, जिससे अस्थमा के दौरे को शुरू होने से पहले रोका जा सकता है।

खूबानी फायदेमंद है वजन कम करने में

खुबानी में कैलोरी काफी कम मात्रा होती है। खूबानी में फाइबर भरपूर मात्रा मे पाया जाता है। फाइबर मेटाबालिज्म दर में सुधार करता है और पाचन और विषैले तत्वो के निष्कासन में शरीर प्रक्रियाओं को भी बेहतर बनाने में मददगार है। इसलिए वजन को कम करने के लिए खुबानी का उपयोग किया जाता है। खूबानी में फाइबर की काफ़ी मात्रा पायी जाती है। जिसके कारण पेट भरा भरा लगता है और भूख नहीं लगती।

जानिए क्या है कील मुंहासे हटाने के उपाय-Keel Muhase Ki Cream

कील मुंहासे की क्रीम

कई लोगो की स्किन बहुत ऑयली होती है और बार बार चेहरे पर ऑयल आने से कई बार तेल जम जाता है और इससे इंफेक्शन होकर कील मुहांसे निकल आते हैं। इनकी वजह से सूजन और लाल घाव हो जाते हैं, कई बार चेहरे पर खुजली भी होती है। कील मुहांसे ज्यादातर किशोरावस्था में निकलते हैं क्योंकि इस उम्र में बॉडी में हार्मोन चेंज होते हैं। इसके लिए कई लोग बहुत से घरेलू और बाहरी इलाज करते हैं लेकिन आजकल मार्केट में इतनी ज़्यादा तरह की कील मुंहासे की क्रीम और दवाइयां उपलब्ध हैं कि समझना मुश्किल हो जाता है कि इनमें से कौनसी यूज करें और कई बार सही जानकारी ना होने की वजह से आपकी समस्या और बढ़ जाती है।

आज हम आपको कुछ बेस्ट क्रीमें और उनके फायदे बता रहे हैं जिनका उपयोग आप कील मुंहासे दूर करने के लिए कर सकते हैं।

कील मुंहासे की क्रीम-Keel Muhase Ki Cream

हिमालय हर्बल एक्ने एंड पिम्पल क्रीम

हिमालय एक विश्वसनीय कंपनी है। इसके प्रोडक्ट्स केमिकल रहित हैं इसलिए हार्मफुल नहीं होते हैं। इस ब्रांड के ऐसे कई उत्पाद हैं। इस क्रीम में हर्बल सामग्री होती है जो आपकी त्वचा को मुलायम बनाती है।

पिम्पल
पिम्पल

फायदे

  • कील-मुंहासों को ख़त्म करती है।
  • आपको साफ त्वचा देती है।

खादी नेचुरल एंटी-पिंपल क्रीम

खादी के प्रोडक्ट्स प्राकृतिक तरीके से बने होते हैं और इन्हें अच्छे आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा बनाया जाता है। ये ब्रांड हर्बल चीज़े ही उपयोग करती हैं जो पैराबेन रहित होती है।

फायदे

  • चेहरे पर कील-मुंहासे और त्वचा पर फोड़े फुंसी को कंट्रोल करती है।
  • आपकी त्वचा चिकनी और मुलायम रखती है।
  • इसमें एंसट्रीजेंट और शीतलता देने वाले गुण भी हैं।

बायोटिक बायो विंटर ग्रीन स्पॉट कोर्रेक्टिंग एंटी एक्ने क्रीम

यह क्रीम ऑयली और मुहांसों वाली स्किन के लिए विशेष रूप से बनाई गई है। बायोटिक ब्रांड के सौंदर्य और स्वास्थ्य को फायदा करने वाले प्रोडक्ट्स होते हैं और साथ ही आयुर्वेदिक भी होते हैं।

फायदे

  • यह क्रीम दाग-धब्बों को खत्म करती है।
  • चेहरे पर से मुंहासों को कंट्रोल करके उन्हें फैलने से रोकती है।
  • सूजन और लाली को कम करती है।
  • शीतलता प्रदान करती है।

वादी हर्बल एंटी पिम्पल क्रीम

इस क्रीम में लौंग, नीम, चाय और नारंगी के सत्व मिलाए जाते हैं, जो मुंहासों को उनकी मूल से ठीक कर देते हैं ताकि आपको बार बार ये समस्या ना हो।

इस क्रीम से मुंहासे पैदा करने वाले कीटाणु मर जाते हैं और आपकी स्किन कोमल और साफ रहती है।

फायदे

  • बार बार चेहरे पर तेल आने की समस्या को हल करती है।
  • चेहरे से मुंहासों के दाग़, धब्बों और पिग्मेंटेशन को साफ करती है।
  • आपकी त्वचा को मॉइश्चराइज करती है।

गार्नियर मेन एक्ने फाइटिंग डे क्रीम

यह पुरुषों के लिए बनाई गई बेस्ट क्रीम है क्योंकि ये विशेष रूप से पुरुषों की स्किन को देखते हुए बनाई गयी है। इस क्रीम में विटामिन बी-3 भी होता है और त्वचा को गोरा करने वाले तत्व मौजूद होते हैं।

फायदे

  • ये क्रीम अत्यधिक शीतलता प्रदान करती है।
  • इसमें सैलिसिलिक एसिड होता है जो मुंहासे खत्म करता है।
  • ये क्रीम मैट इफेक्ट वाली है।

अर्थवैदिक एंटी-पिम्पल क्रीम

यह क्रीम कील मुंहासे दूर तो करती ही है इसके अलावा केमिकल रहित और ठंडक प्रदान करती है जिससे मुंहासे जल्दी कम कर हो जाते हैं। ये क्रीम त्वचा से इंफेक्शन को दूर करती है साथ ही इसे साफ और हेल्थी बनाती है।

फायदे

  • ये क्रीम पिंपल्स को ठीक करती है।
  • स्किन को हैल्थी बनाती है।
  • स्किन पर मुंहासो को फैलने से रोकती है।
  • ये पैराबिन से रहित है।

ओ-3 ज़िटडर्म एक्ने एंड पिम्पल क्रीम

ये क्रीम अंदर तक जाकर त्वचा में तेल बनने से रोकती है, साथ ही कील मुंहासों को खत्म करती है। जिन लोगों को बहुत ज्यादा और बार बार कील मुहांसे निकलते हैं उनके लिए ये क्रीम बहुत ही असरदार है।

फायदे

  • ये कील मुहांसों को बहुत जल्दी सूखा देती है।
  • आपकी त्वचा को मुलायम और हैल्थी बनाए रखती है।
  • चेहरे पर बार बार ऑयल आने को कंट्रोल करती है।
  • त्वचा को जवां बनाए रखती है।

ये सभी क्रीम्स कील मुहांसों को खत्म करके आपको मुलायम और साफ त्वचा देने में बहुत कारगर सिद्ध होंगी।

जानिए कौन से है बेस्ट बाल बढ़ाने के ऑयल-Baal Badhane Ka Oil

बाल बढ़ाने के ऑयल

लंबे, घने और खूबसरत बाल कौन नहीं चाहता है। बाल हमारे शरीर का एक अभिन्न हिस्सा हैं। कोई व्यक्ति कितना भी सुंदर हो, लेकिन अगर उसके बाल अच्छे नहीं हैं तो उसकी खूबसूरती में बहुत बड़ी कमी रह जाती है। लंबे बाल आपकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं, लेकिन आजकल अनियमित खान पान और दिनचर्या, प्रदूषण तथा अन्य कई कारणों की वजह से बाल झड़ने की ओर गंजेपन की समस्या बहुत बढ़ गई है।

हम दवाइयों से बाल बढ़ाने की कोशिश करते हैं लेकिन कुछ समय बाद फिर से वही समस्या आने लगती है क्योंकि बाल ना बढ़ने और बाल झड़ने की एक बहुत बड़ी वजह उनमें पोषण की कमी है। बालों में पोषण की कमी को ऑयल पूरा करता है लेकिन अब आपके सामने दुविधा ये खड़ी होगी कि बाल बढ़ाने के लिए कौन से ऑयल यूज करें, बालों के लिए सबसे अच्छा तेल कौन सा है तो हम आपको बताते हैं कि कौन से ऐसे ऑयल हैं जिनसे आपके बाल लंबे और घने होंगे।

बालों के लिए सबसे अच्छा तेल-Baal Badhane Ka Oil

खादी नैचुरल हिना एंड रोजमेरी हर्बल हेयर आयल

रोजमेरी
रोजमेरी

खादी एक आयुर्वेदिक ब्रांड है। इसका ये ऑयल आपके बालों को लंबा और घना बनता है। इस तेल में रोजमेरी और हिना भी हैं जिससे बालों की जड़ों में जाकर जलन से राहत दिलाता है।

यह बालों को काला रखने में मदद करता है और उन्हें चमकदार बनाता है। यह बालों को पोषण देता है और उन्हें गिरने से रोकता है। इसे लगाने से गंजापन खत्म होकर नए बाल उगते हैं।

फायदे

  • ये ऑयल बालों में चिप चिप नहीं करता है।
  • दोमुंहे बालों को ठीक करता है और उन्हे टूटने नहीं देता।
  • ये ऑयल बालों को मॉइश्चराइज करता है।
  • इसमें पैराबेन तथा किसी प्रकार का केमिकल की मिलावट नहीं है।
  • इसे लगाने से शीघ्रता से अच्छे रिजल्ट मिलते हैं।

कमी

इसकी एक कमी ये है कि ये हर तरह के बालों में सूट नहीं होता।

बायोटिक बायो भृंगराज थेरेपेटिक ऑयल फॉर फॉलिंग हेयर

हम सभी जानते हैं कि हर्बल प्रोडक्ट्स और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स अन्य के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद होते हैं, क्योंकि इनका कोई साइडीफेक्ट नहीं होता है। बायोटिक कम्पनी भी हर्बल प्रोडक्ट्स के लिए प्रसिद्ध है।

यह ऑयल बालों को बहुत फायदा पहुंचाता है। यह तेल बकरी का दूध, टेसू, आंवला, नारियल तेल, मुलेठी, भृंगराज इत्यादि के मिश्रण से बना है।

फायदे

  • यह मोटा और चिपचिपाहट वाला बिल्कुल नहीं है।
  • यह ऑयल बालों की ड्रायनेस ख़तम करता है।
  • बालों को गिरने से बचाता है।
  • महंगा नहीं है।
  • इसकी पैकिंग अच्छी है तो कहीं भी ले जा सकते हैं।
  • इसमें बहुत अच्छी सुगंध है।

कमी

  • इसमें कोई कमी नहीं है।

हिमालय हर्बल्स एंटी-हेयर फॉल हेयर ऑयल

हिमालय काफी प्रसिद्ध और विश्वसनीय कम्पनी है। इस कम्पनी के स्किन और हेयर ट्रीटमेंट के प्रोडक्ट्स भी बहुत अच्छे होते हैं। इस ब्रांड का यह ऑयल बालों की कई तरह की समस्याओं जैसे बाल गिरना, कम ग्रोथ होना, खराब और रूखे बाल आदि से छुटकारा दिलाता है।

इसमें प्रोटीन होता है जिससे बाल जल्दी बढ़ते हैं और गंजापन खत्म होता है।

फायदे

  • ये बालों को चमकदार बनाता है।
  • बालों को मॉइश्चराइज करता है।
  • बालों को सूखने से बचाता है और कंडीशनर करता है।
  • यह ऑयल पतला है और बिल्कुल चिपचिपाहट वाला नहीं है।

कमी

इसका रिजल्ट बहुत जल्दी नहीं मिलता है तो कुछ समय नियमित इस्तेमाल कीजिए।

निवर इंटेंसिव हेयर ग्रोथ ऑइल

ये तेल मुख्य रूप से बाल बढ़ाने के लिए और उन्हें पोषक तत्व देने के लिए बनाया गया है। इस ऑयल में कई लाभकारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जैसे भृंगराज, पुदीने का तेल, आंवला, एलोवेरा जेल, नीली एवम् जोजोबा ऑयल हैं।

ये बालों की जड़ों में जाकर उन्हें आवश्यक तत्व देता है और जल्दी से बढ़ाने की प्रोसेस शुरू करता है। इस ऑयल की एक बड़ी विशेषता ये भी है कि इसे भारत में आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाणित किया गया है।

फायदे

  • यह ऑयल नेचुरल है।
  • सभी प्रकार के बालों में सूट करता है।
  • इससे बाल घने और लंबे होते हैं।
  • जड़ों में पोषण देकर शुष्की मिटाता है।
  • बाल झड़ना रोकता है।
  • पैकिंग अच्छी है तो सफ़र में भी ले जा सकते है।
  • जड़ों में खुजली और इंफेक्शन को खत्म करता है।
  • सिर में दर्द और टेंशन में राहत देता है।
  • यह महंगा भी नहीं है।

कमी

  • इस ऑयल से बहुत शीघ्र परिवर्तन नहीं दिखता है।

चेहरे का कालापन दूर करने के उपाय-Chehre Ka Kalapan Dur Karne Ke Upay

Chehre Ka Kalapan Dur Karne Ke Upay

Chehre Ka Kalapan Dur Karne Ke Upay

गोरा, साफ दमकता चेहरा हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। चाहे महिला हो या पुरुष हर किसी की इच्छा होती है कि उसकी त्वचा का रंग गोरा हो जाए। इसके लिए कई बार सांवली रंगत के लोग बहुत से उपाय करते हैं। कई बार तो वे झूठा दिलासा देने वाली कंपनियों के झांसे में आकर अपने बहुत से पैसे गंवा बैठते हैं। कुछ लोगों का सांवलापन जन्म से ही होता है पर कई बार चेहरे का कालापन कई कारणों से भी हो सकता हैं। जैसे की

  • तेज धूप में बाहर निकलने से
  • त्वचा की ठीक से सफाई ना रखने से
  • कील मुहांसे और झाइयां होने पर
  • अनुचित खान पान की आदतों से।

चेहरे का कालापन दूर करने के लिए महंगे उपचार भी आजकल उपलब्ध हैं और कई तरह की क्रीम भी मिलती हैं। लेकिन, हम आज आपको घर पर ही कुछ आसान उपाय करके चेहरे का कालापन दूर करने के तरीके बता रहे हैं तो आर्टिकल को पूरा पढिए।

चेहरे का कालापन दूर करने के उपाय-Chehre Ka Kalapan Dur Karne Ke Upay

सिरका और दही का पेस्ट

सिरके में प्राकृतिक रूप से एसिड पाया जाता है जो काली त्वचा को अच्छी तरह से ब्लीच कर देता है और दही से स्किन को नमी मिलती है।

  • दही और सिरके का पेस्ट बनाइए और इसे काली त्वचा पर लगाइए।
  • 20 मिनट के बाद त्वचा को ताजे पानी से धो लीजिए।
  • चेहरे का कालापन दूर करने के लिए ये पेस्ट हफ्ते में दो बार जरूर लगाइए, आपका चेहरा दमक उठेगा।

नींबू का रस, टमाटर और दही का फेसपैक

नींबू त्वचा के गहरे धब्बों को दूर करता है। टमाटर का रस खुले हुए रोमछिद्रों को बंद करता है। साथ ही त्वचा से अतिरिक्त तैल को कम करता है। दही त्वचा को नमी देती है और पोषण देती है। चेहरे के कालेपन को दूर करने के लिए नींबू, दही और टमाटर का फेस पैक तैयार कर लीजिए।

नींबू का रस, टमाटर और दही का फेसपैक
नींबू का रस, टमाटर और दही का फेसपैक
  • इसका फेस पैक तैयार करने के लिए 3 बड़े चम्मच टमाटर का पेस्ट, एक बड़ा चम्मच नींबू का रस और एक बड़ा चम्मच दही लें।
  • इसके बाद इसे अच्छी तरह से मिला लें और चेहरे पर लगाएं।
  • आधे घंटे के बाद इसे धो लीजिए।

बेसन और दही का पेस्ट

  • 1 चम्मच बेसन और 1 चम्मच दही मिक्स करके पेस्ट तैयार कर लीजिए।
  • इसे चेहरे की त्वचा पर लगाइए, 10 मिनट बाद इस पेस्ट को रगड़ कर साफ कर लीजिए।
  • फिर बाद में हल्के गुनगुने पानी के से धो लीजिए।
  • चेहरे का कालापन दूर करने के लिए इस पेस्ट को हफ्ते में 2 या 3 बार लगाइए।

संतरे के छिलके

संतरे में विटामिन सी पाया जाता है जो बहुत फायदेमंद है।

  • संतरे के छिलकों का पाउडर और शहद मिलाकर पेस्ट बनाईए।
  • इस पेस्ट को 20-25 मिनट तक चेहरे पर लगाइए और सूखने के बाद पानी से साफ कर लीजिए।
  • नियमित इस्तेमाल से आप अपने चेहरे में फ़र्क खुद महसूस कर लेंगे।

आलू का टुकड़ा या रस

  • आलू को कद्दूकस करके रस निकाल लीजिए। इस रस में ज़रा सी हल्दी मिला लीजिए।
  • रस में रुई को भिगोकर चेहरे पर लगाइए और सूखने पर ठंडे पानी से धो लीजिए।
  • आलू का टुक़ड़ा या रस लेकर भी चेहरे पर घिस सकते हैं। ऐसा करने से चेहरे का कालापन दूर होता है।

बेकिंग सोडा का पेस्ट

  • कालेपन को दूर करने के लिए बेकिंग सोडा बहुत ही लाभकारी होता है।
  • बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाइए।
  • इस पेस्ट को गर्दन पर लगाकर 15 मिनट तक छोड़ दीजिए।
  • इसे हफ्ते में दो बार लगाने से त्वचा का कालापन हट जाता है।

चावल का आटा, चीनी और टमाटर

  • टमाटर के पेस्ट में एक चम्मच चावल का आटा और आधा चम्मच चीनी डालकर अच्छी तरह मिला लीजिए और मोटा पेस्ट तैयार कर लीजिए।
  • इसे अपने चेहरे पर लगाइए। पेस्ट सूख जाने पर चेहरे को ठंडे पानी से धो लें।

ये सभी उपचार आपकी त्वचा और चेहरे का कालापन दूर करने के लिए मददगार होंगे लेकिन आपको अपनी खान-पान की आदतों में भी कुछ बदलाव करने होंगे जैसे –

• अधिक से अधिक फल एवं सब्जियों का सेवन करें।
• फलों का सेवन जरूर करें। फलों से शरीर को जरूरी एंटीओक्सीडेंट्स एवं पोषक तत्व मिलते हैं। जिससे त्वचा में निखार एवं चमक आती है।
• रोजाना 7-8 गिलास पानी पिएँ ताकि पानी की कमी ना हो और त्वचा में नमी बनी रहें।
• भरपूर नींद लें।
• अच्छी क्वॉलिटी के सनक्रीन लोशन का प्रयोग करें।
• चेहरे पर हमेशा प्राकृतिक उत्पादों को ही प्रयोग करें।

जानिए कैसे झट से दूर होगी पेट में गैस की समस्या

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पेट में गैस की बीमारी कभी-कभी एक बड़ी समस्या का रूप ले लेती है। अधिक गैस के कारण कई बार छाती और कंधों में तेज दर्द होता है जो बिल्कुल दिल के दौरे की तरह उठने वाले दर्द की तरह है। कई बार लोग यह भी नहीं बता पाते कि यह गैस का दौरा है या दिल का दौरा। किसी भी उम्र की गैस होना आम बात है। लेकिन जब पेट में गैस की बीमारी हमेशा बनी रहे तो इस बारे में सोचना महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसा नहीं है कि खाना खाने के बाद बैठने से ही गैस बनती है, बल्कि लंबे समय तक भूखे रहने के कारण भी गैस की समस्या होती है।

लंबे समय तक भूखे रहने से सिर में तेज दर्द भी होता है। खाने के बाद लंबे समय तक फटना भी गैस का कारण है। इस लिए हमे पेट में गैस की बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानना जरूरी है जिस से इस समस्या से बचाव किया जा सके।

पेट में गैस बनने के कारण

पेट में गैस
पेट में गैस
  • कब्ज की समस्या के कारण शरीर के टॉक्सिन्स ठीक से बाहर नहीं निकलते हैं जिसकी वजह से गैस बनने लगती है।
  • कुछ एंटीबायोटिक दवाओं के दुष्प्रभाव पेट में अच्छे बैक्टीरिया को कम करते हैं जो पाचन और गैस उत्पादन का कारण बनते हैं।
  • उम्र बढ़ने के साथ शरीर की भोजन पचाने की क्षमता कमजोर होने लगती है। ऐसी स्थिति में दूध और दूध से बने पदार्थों ठीक से पचते नहीं हैं और गैस का उत्पादन होता है।
  • पेट में अच्छे और खराब बैक्टीरिया के संतुलन बिगड़ जाने के कारण गैस का उत्पादन होता है। कभी-कभी यह असंतुलन किसी बीमारी के दुष्प्रभाव के कारण हो सकता है।
  • कई बार हम खाना ठीक से नहीं चबाते। जिसके कारण गैस की समस्या हो सकती है।
  • बर्गर, पिज्जा, सैंडविच आदि के अधिक सेवन से बच्चों का पाचन तंत्र बिगड़ जाता है। नतीजतन, उनका भोजन अच्छी तरह से पचता नहीं है।
  • दिनचर्या की गड़बड़ी, पेट साफ न होना भी पेट में गैस बनने के कारण है।
  • महिलाओं में मैनोपॉज के बाद और पुरुषों में 50 की आयु के बाद हार्मोनल बदलाव होने शुरू हो जाते हैं, जिसका असर डायजेशन पर भी पड़ता है। यह भी पेट में गैस बनने के कारण है।

पेट में गैस के लक्षण

सबसे पहला लक्षण तो यह होता है कि आपका पेट फूल जाता है। आपको बड़ी बेचैनी होने लग जाती है। आपने कुछ भी ज्यादा खाया नहीं होता है फिर भी आपको लगता है कि जैसे आपका पेट पूरी तरह से से भरा हुआ हो।

पेट में सूजन व दर्द का होना, डकार लेना, खासकर भोजन के दौरान और बाद में, सामान्य है।

दिन में 10 से 15 बार गैंस निकलना सामान्य है अगर ज्यादा होता है तो गैंस के लक्षण होते हैं।

पेट की गैस का इलाज | Pet Ki Gas Ka Ilaj In Hindi

  • 5 बड़े चम्मच सौंफ के बीज को बारीक पीस लें। इस मात्रा में मिश्री का मिश्रण बनाएं और दोनों को ईसबगोल की भूसी में मिलाएं। खाना खाने के बाद इस दवा को सुबह, शाम और रात को दो चम्मच पानी के साथ लें। इससे खाना पचाने में आसानी होगी और पेट में गैस नहीं बनेगी।
  • गैस से जुड़ी सभी समस्याओं में सबसे फायदेमंद है हींग। हींग का पाउडर बहुत फायदा करता है। खाने के बाद पानी के साथ थोड़ा हींग का पाउडर लें। इससे गैस की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
  • अगर आपको पेट में जलन की समस्या है, तो आप रोजाना खाना खाने के बाद गुड़ को चूसें। गुड़ खाने के लिए नहीं है, लेकिन इसका रस चूसना पड़ता है। यह प्रक्रिया जितनी धीमी होती है, उतनी ही प्रभावी होगी। इससे पेट की पाचन शक्ति बढ़ती है और जलन की समस्या खत्म होती है।
  • एक पैन में अजमोद को सेंकना और एक पाउडर बनाओ। इसमें काला नमक मिलाएं। खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट की गर्मी और एसिडिटी दूर होती है। अजमोद में मौजूद थायमोल और काले नमक में एल्कलॉइड होते हैं। इन दोनों को मिला कर एसिडिटी दूर होती है।
  • प्रत्येक बार भोजन के बाद एक लौंग और एक इलायची लेने से गैस वा एसिडिटी की समस्या दूर ही रहती है ।
  • लहसुन की दो से तीन कलियों के बारीक टुकड़े काट लें, इसमें थोड़ा सा काला नमक और नींबू की बूंदें मिलाएं और इसे सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ निगल लें। यह गैस के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल को भी ठीक करने में मदद करता है। गर्मियों में एक या दो कलियां लें।
  • अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करके उस पर काला नमक छिड़क कर दिन में 2-3 बार सेवन करें, इससे गैस नहीं बनेगी और भूख भी कम लगेगी।
  • जीरा खाने से पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं ठीक हो जाती हैं। इसीलिए गैस की समस्या में एक चम्मच जीरे के पाउडर को ठन्डे पानी में घोलकर पियें, आपको तुरंत लाभ मिलेगा।

जानिए शरीर की पाचन शक्ति कैसे बढाये

पाचन शक्ति कैसे बढाये

पाचन शक्ति कैसे बढाये

ज्यादातर लोगों को यह समस्या होती है, कि भोजन करने के बाद उन्हें एसिडिटी अथवा सर दर्द होना चालू हो जाता है। यह सर दर्द सुचारू रूप से पाचन तंत्र ना काम करने की वजह से होता है यदि पाचन तंत्र सुचारू रूप से काम नहीं करता है तो विभिन्न रोगों का सामना करना पड़ सकता है। पाचन तंत्र को ठीक रखने के लिए हमें विभिन्न तरीके के फाइबर, संतुलित आहार तथा आवश्यक पोषक तत्व युक्त भोजन करना चाहिए।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे शरीर में बीमारियों का मुख्य केंद्र हमारा पेट ही होता है क्योंकि इसमें हमारे द्वारा जब खाया गया भोजन इकट्ठा होता है, जिससे यह हमारे पेट में अनावश्यक रूप से जमा हो जाते हैं और हमारे शरीर को क्षति पहुंचाते हैं।

पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाय

अधिक मात्रा में पानी पिए

पानी पिए
पानी पिए

पानी सारे संसार का एक आवश्यक जीवन प्रदान करने वाला तत्व है। पानी के बिना सृष्टि का निर्माण नहीं हो सकता है। उसी तरह पानी के बिना हमारे शरीर का निर्माण नहीं हो सकता है। हमें रोजाना 2 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए ताकि हमारे शरीर के खून में घुले हुए हानिकारक पदार्थ पानी के साथ मिलकर हमारे शरीर से बाहर निकल जाए जिससे कि हमारी पाचन शक्ति बढ़ जाती है।

सही दिनचर्या का ध्यान

एक स्वस्थ शरीर के लिए हमारे दिनचर्या का सही होना जरूरी होता है। अगर हमारे दिन भर की गतिविधियां ठीक रही तो हमारा मन मस्ती अच्छे से काम करता है जिससे कि हमारे द्वारा खाए गए भोजन को पाचन में असुविधा होती है।

पूरी नींद

नींद एक आवश्यक क्रिया है, जो शरीर को अगले दिन काम करने के लिए तरो ताजा बनाती है। साथ ही पूरी नींद लेने वाले लोग हमेशा स्वस्थ नजर आते हैं और दिन भर अच्छे से काम कर पाते हैं यदि पूरी नींद नहीं होती है तो खाने में मन नहीं लगता है तथा कम खाना खाकर ही हम सोने लगते हैं जिससे कि हमारे पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ता है।

सही समय में भोजन

हमें हमेशा सही समय में भोजन करना चाहिए क्योंकि हमारे शरीर को उस वक्त की आदत हो जाती है। जब हमारे खाने का टाइम होता है, यदि खाने के समय में अगर खाना ना मिले या हम उसके एक 2 घंटे पहले या बाद में खाए तो हमारे भूख में अथवा भोजन ग्रहण शक्ति में कमी आ सकती है, जिससे पाचन तंत्र पर असर आ सकता है।

सलाद का सेवन

हमें अपने खाने में दाल चावल के साथ साथ सलाद का भी सेवन करना चाहिए। यह खाने को स्वादिष्ट बनाता है तथा खाने के साथ मिलकर पाचन शक्ति में अपना प्रभावी असर प्रदान करता है हमेशा सलाद में नींबू, टमाटर तथा प्याज का इस्तेमाल करें।

अमरूद

अमरूद खाने से हमारे शरीर को विटामिन सी फास्फोरस तथा पोटेशियम आदि आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं, सारे आवश्यक पोषक तत्व हमारे शरीर को मिलते हैं तो हमारी पाचन शक्ति भी अच्छे से बनी रहती है।

नींबू

नींबू में भी विटामिन सी पाया जाता है जो पेट से संबंधित विकारों को दूर करने में सहायक होता है। नींबू बदहजमी को रोकने के लिए भी उपयोग करते हैं तथा पेट की गैस एसिडिटी जैसी समस्या को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं जिससे हमारी पाचन शक्ति तंदुरुस्त हो जाती है।

हल्दी का प्रयोग

हल्दी हमारे शरीर के लिए औषधि का कार्य करती है क्योंकि इसमें कुछ ऐसे एल्कलाइन तथा पोषक तत्व पाए जाते हैं जो अपच अल्सर अथवा अन्य पाचन संबंधी बीमारियों को ठीक करने में मदद करती है। हमें प्रतिदिन एक गिलास पानी में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पीते रहना चाहिए है।

आंवला

आंवले का इस्तेमाल अपने बालों को मजबूत करने के लिए तो पढ़ा ही होगा लेकिन आपको यह भी बता दें है इसमें पाया जाने वाला विटामिन सी पाचन तंत्र के विकारों को दूर करने में कारगर साबित होता है। इसे काली मिर्च हींग अथवा जीरे के साथ मिलाकर आप रोजाना इस्तेमाल करते हैं तो आपके पाचन शक्ति बढ़ जाती है।

अपने भोजन को चबाकर खाएं

हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि अपने भोजन को सुचारू रूप से चबा चबा कर खाए यह अपनी लार में पूरी तरह से मिलकर हमारे पेट के अंदर जाना चाहिए जिससे कि पाचन शक्ति को बनाए रख सकें।

दही का सेवन

हमें प्रतिदिन एक चम्मच दही का सेवन करते रहना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ अम्ल पाए जाते हैं, जो पाचन तंत्र के लिए वरदान साबित होते हैं यह हमारे भोजन को पाचन करने में मदद करते हैं।

अजवाइन

अजवाइन को पानी में मिलाकर अथवा उबले हुए पानी के साथ पीने से यह हमारे पाचन तंत्र को सही रखने में मदद करता है; और हमारी भोजन करने की क्षमता बढ़ जाती है साथ ही अजवाइन के औषधि रूपी पौधा है जो विभिन्न बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है।

जानिये क्या है नींबू के फायदे और नींबू पानी पीने के फायदे-Nimbu Ke Fayde

नींबू के फायदे

नींबू के फायदे

नींबू शरीर के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक होता है। नींबू से शिकंजी भी बनाई जाती है। यह शिकंजी गर्मियों में बहुत ज्यादा फेमस होती है। नींबू के शरीर पर काफी ज्यादा अच्छा प्रभाव पड़ता है और सेहत के साथ-साथ खूबसूरती से जुड़े फायदे भी नींबू द्वारा प्राप्त होते हैं। नींबू का उपयोग कई प्रकार की वस्तुओं में किया जाता है। कई प्रकार के साबुन में भी नींबू का इस्तेमाल किया जाता है।

नींबू में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट विटामिन और कई प्रकार के मिनरल्स पाए जाते हैं। जो शरीर को तंदुरुस्त रखते हैं। साथ ही सौंदर्य बढ़ाने में भी मदद करते है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से नींबू के कुछ फायदों के बारे में बताएंगे।

नींबू के फायदे-Nimbu Ke Fayde

नींबू शरीर के लिए कई प्रकार से फायदेमंद माना जाता है और इसीलिए लोग नींबू का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं। नींबू शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ खूबसूरती निखारने में भी मददगार है। नींबू के कई प्रकार के फायदे हैं,जो नीचे निम्न प्रकार से दिए हुए हैं।

नींबू
नींबू

पाचन क्रिया मे सहायक

नींबू शरीर की पाचन क्रिया को मजबूत बनाए रखता है। क्योंकि नींबू में उपस्थित फाइबर पाचन क्रिया को संतुलित रखते हैं। साथ ही वजन को भी बढ़ने से रोकते हैं। मोटापा घटाने के लिए नींबू के सेवन की सलाह डॉक्टर भी देते हैं।

नींबू शरीर के लिए काफी ज्यादा मददगार साबित हुआ है। क्योंकि नींबू में कई प्रकार के व्यंजन जैसे:- पोटैशियम, जिंक, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन और मैग्नीशियम इत्यादि पाए जाते हैं। जो शरीर के लिए कई प्रकार से फायदेमंद है।

विटामिन सी का अच्छा स्रोत

नींबू विटामिन सी का बेहतरीन स्त्रोत है। शरीर में विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग होता है। नींबू के नियमित रूप से सेवन करने से स्कर्वी रोग से बचा जा सकता है। स्कर्वी रोगियों को भी डॉक्टर नींबू खाने की सलाह देता है। इसके अलावा नींबू में कई अन्य प्रकार के विटामिन भी पाए जाते हैं। जैसे:- विटामिन ई और विटामिन बी 6.

विटामिन ई और विटामिन बी 6 मसूड़ों को मजबूत करने और खराब गले से राहत प्रदान करने में फायदेमंद है। साथ ही ब्लड प्रेशर को नियमित रखते हैं। जिन लोगों के मसूड़ों में दर्द होता है। उन लोगों को नींबू खाने से राहत प्राप्त होती है।

डायबि‍टीज

मधुमेह की बीमारी आज के समय में बहुत ज्यादा बढ़ती जा रही है। उम्र बढ़ते-बढ़ते मधुमेह का शिकार हर कोई व्यक्ति होता जा रहा है। नींबू पानी का सेवन करने से शुगर कंट्रोल में रहता है।

डायबिटीज के मरीज का भजन लगातार बढ़ता जाता है और नींबू के सेवन से वजन की बढ़ोतरी नहीं होती है। साथ ही शुगर भी कंट्रोल में रहता है नींबू द्वारा रिहाइड्रेट शरीर को प्राप्त होता है। इससे शुगर लेवल नियमित रहता है।

किडनी स्टोन

नींबू के पानी का नियमित रूप से सेवन करने से किडनी पर भी काफी ज्यादा अच्छा प्रभाव पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति को किडनी में पथरी की प्रॉब्लम है। तो नींबू पानी के सेवन से किडनी स्टोन से राहत प्राप्त होती है।

मुख्य रूप से किडनी स्टोन छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटता जाता है और इस परेशानी से हमेशा के लिए निपटा जा सकता है।

किडनी के पथरी होने पर शरीर से मूत्र का बहाव रुक जाता है और अत्यधिक पीड़ा होना शुरू होती है। ऐसे में नींबू के पानी के सेवन से यूरिन पतला रहता है। साथ ही किडनी स्टोन के टूटने की संभावना भी होती है। किडनी में उपस्थित स्टोन के छोटे-छोटे टुकड़े मूत्र के साथ बाहर निकल जाते है।

इम्यून सिस्टम

नींबू के पानी में उपस्थित फाइटोन्यूट्रियंट्स, विटामिन सी और बायोफ्लेवोनॉयड जो शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है। रोगों से लड़ने के लिए शरीर को मजबूत बनाता है।

प्रतिरक्षा तंत्र शरीर में प्रवेश करने वाले कीटाणुओं और जीवाणु से लडता है। उनसे होने वाले रोगों से राहत प्रदान करता है। नींबू शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने में बहुत ज्यादा फायदेमंद है।

मोटापा घटाना

मोटापे को कम करने के लिए लोग कई प्रकार की दवाइयां व आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेते हैं। लेकिन मोटापे को कम करने के लिए नींबू पानी पीना बहुत ज्यादा फायदेमंद है। नींबू पानी का सेवन एक तरह का घरेलू नुस्खा है और इस घरेलू नुस्खे से मोटापा घटाया जा सकता है। नींबू पानी में उपस्थित विटामिन k उपस्थित होता है। जो शरीर को रिहाइड्रेट रखता है।

नींबू पानी में थोड़ा शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा आसानी से घटाया जा सकता है। मोटापे को कम करने में नींबू पानी बहुत मददगार साबित हुआ है।

त्वचा की देखभाल

नींबू शरीर की खूबसूरती व सौंदर्य बढ़ाने में बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ है। नींबू में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट गुण जो शरीर की खूबसूरती को बढ़ाते हैं। नींबू पानी एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है।

नींबू में कई प्रकार के एंटी एंजिग गुण पाए जाते हैं। जो चेहरे पर आने वाले पिंपल्स से निपटने में फायदेमंद है।नींबू के रस को आप सीधा त्वचा पर लगा सकते हैं। त्वचा पर पिंपल्स और काले दाग धब्बों से निपटने के लिए नींबू रस एक अच्छा रामबाण इलाज माना जाता है।

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