गर्भावस्था में सोने के तरीके, जिससे बच्चे को ना हो कोई नुकसान | प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए

गर्भावस्था में सोने के तरीके

गर्भावस्था मे महिला को अपने सेहत के साथ-साथ सोने के तरीके पर ध्यान देना चाहिए। गलत पोजीशन मे सोने पर बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए गर्भावस्था मे महिला को कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए। इस लेख में हम बात करेंगे गर्भावस्था में सोने के तरीके के बारे में, प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए।

सबसे पहले ये जानना जरुरी है की गर्भावस्था के दौरान सोना मुश्किल क्यों होता है?

प्रेगनेंसी में नींद ना आना-Pregnancy Me Neend Na Aana

गर्भावस्था के दौरान नींद ना आना और सोने में दिक्कत होना बहुत ही सामान्य है। इसके कई कारण है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई बदलाव होते है जैसे की भ्रूण व योनि का आकार बढ़ना, स्तनों का आकार बढ़ना, बार-बार पेशाब आना और सांस लेने में दिक्कत। इतना ही नहीं, गर्भावस्था में डॉक्टर पेट के बल न सोने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे भ्रूण पर दबाव पड़ता है। इन्ही सब बातों के चलते गर्भवती महिला को ठीक तरह से नींद नहीं आती। आइए विस्तार से जानते है गर्भावस्था में नींद ना आने के कारण और उनके उपाय।

बार-बार पेशाब आना

गर्भावस्था की पहली तिमाही में खून का प्रवाह बढ़ने के कारण बार-बार पेशाब आता है। शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन और गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण भी ऐसा होता है। बार-बार पेशाब आने की वजह से भी नींद खराब होती है।

बार-बार पेशाब आने की समस्या कम करने के लिए शाम के बाद पेय पदार्थ कम लें। दिनभर में जितना हो सके पेय पदार्थ का सेवन करें, लेकिन शाम को छह बजे के बाद पेय पदार्थ का सेवन कम कर दें। ऐसा करने से रात को सोते समय बार-बार शौचालय नहीं जाना पड़ेगा।

शरीर में दर्द

शरीर में दर्द
शरीर में दर्द

गर्भावस्था में मांसपेशियों और हड्डियों पर दबाव पड़ता है क्यूंकि आपका शरीर शिशु को संभालने के लिए तैयार हो रहा होता है। इस दवाब के कारण शरीर में दर्द महसूस होता है। इस दर्द के कारण भी रात को बार-बार नींद खराब होती है।

गर्भावस्था में रात को आराम से सोने के लिए आप अपनी सुविधानुसार शैड्यूल तैयार करें। यदि रात में ठीक तरह से नींद ना आये तो आप दिन में सो कर कुछ हद नींद पूरी कर सकती हैं।

उल्टी आना

गर्भावस्था में कभी-कभी रात को उल्टी आने की वजह से भी नींद ठीक से नहीं आती। हलांकि जी मिचलना और उल्टी सामान्यत दिन के समय ही आम है।

गर्भावस्था में खान-पान पर ध्यान रख के उल्टी और जी मिचलने की समस्या से बचा जा सकता है। तली और भुनी हुई चीज, मैदे से बनी चीजे ना खाए। पौष्टिक और संतुलित आहार खाएं। अदरक वाली चाय या फिर नींबू पानी का सेवन करें।

गर्भावस्था में सोने के तरीके-Pregnancy Me Sone Ke Tarike In Hindi

पीठ के बल सोने से बचे

गर्भावस्था के पहली तिमाही मे आप पीठ के बल सो सकती है इसमे आपको कोई चिंता करने की ज़रूरत नही है। जब आप दूसरे तिमाही मे चली जाती हैं तो आपको पीठ के बल सोने से बचना चाहिए।

तीसरे तिमाही मे पीठ के बल सोने पर गर्भाशय का पूरा भार आपकी पीठ पर रहता है जो आपके शरीर के निचले हिस्से से रक्त को आपके हृदय तक पहुंचाती है जिससे आपको बहुत सी परेशानिया हो सकती है जैसे पीठ दर्द, बवासीर, अपच, सांस लेने में तकलीफ़ और रक्त परिसंचरण में कठिनाई होती है।

दाएँ करवट कम सोयें

गर्भावस्था मे दाईं हाथ की तरफ सोना पीठ के बल सोने से ज्यादा सही है लेकिन यह उतना सुरक्षित नही है जितना की बाईं तरफ सोने से है इसका कारण यह है कि आपके दाहिने हाथ पर सोते हुए आपके जिगर पर दबाव पड़ सकता है। अगर फिर भी आपका बाई तरफ़ सोने से थकान या दबाब हो गया हो तो आप थोड़े समय के लिए दाईं तरफ करवट ले सकते हैं।

बाएँ करवट सोना होता है अच्छा

बाएँ करवट सोना
बाएँ करवट सोना

गर्भावस्था में बाएं करवट सोना अच्छा होता है यह आपको और आपके पेट मे पल रहे शिशु को स्वस्थ बनाता है | बाएं तरफ सोने से आपके और आपके शिशु के शरीर मे रक्त का प्रवाह सही तरीके से होता है जिससे आप के बेबी को भरपूर ऑक्सीजन और पोषण मिलता है। बायीं करवट मे सोने से शिशु को कोई भी चोट लगने की कम सम्भावना होती है।

गर्भावस्था मे आप बाईं तरफ मुंह और अपने घुटनो को मोड़कर सो सकते हैं इस अवस्था मे आपको बहुत तकलीफ़ तो होगी लेकिन अगर आप चाहते है की आपका शिशु स्वस्थ और निरोगी रहे तो आपको ये तो करना ही होगा।

इन बातों का भी रखें ध्यान-प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए

  • गर्भावस्था के शुरूआती महीनों में महिलाओं को सीधा होकर सोना चाहिए। इससे भ्रूण का विकास अच्छी तरह से होता है।
  • सोते समय अपने सिर के नीचे नर्म तकिए लगा लें। तकिया मोटा और सख्त नहीं होना चाहिए इससे बच्चे के साथ-साथ आपको भी नुकसान हो सकता है।
  • सोते समय अपने घुटनों को थोड़ा-सा मोड़ ले इससे पीठ को आराम मिलता है और कमर दर्द की समस्या नहीं होती। और एक ही मुद्रा मे बहुत देर तक ना सोऐ।
  • गर्भावस्था के दौरान महिला को बाई तरफ करवट लेकर सोना चाहिए। इससे भ्रूण में रक्त बढ़ता है और पोषण भी मिलता है।
  •  सोते समय तकिए को पैरों के बीच में रख ले इससे आपको आराम मिलेगा और आपके पेट को भी सहारा मिलेगा।
  • अगर आप एक तरफ करवट लेकर सोते है तो सोते समय अपनी पीठ के पीछे तकिया लगा लें। इससे आपको पीठ दर्द की समस्या नहीं होगी।

गर्भावस्था के दौरान अच्छी और गहरी नींद के लिए टिप्स

तकिया

गर्भावस्था में अच्छी नींद के लिए तकिए का उपयोग करे। सोते समय एक से अधिक तकिये का इस्तेमाल करे। एक तकिया अपने पेट के नीचे रखें और एक अपने घुटनों के बीच में रख कर आराम से लेट जाए। इससे आपको आराम मिलेगा और अच्छी नींद आएगी। साइड पोजीशन यानि करवट ले कर आराम से सोने के लिए मैटरनिटी पिलो का इस्तेमाल भी कर सकती है।

खानपान

गर्भवती महिला को रात को डिनर में मिर्च-मसाले और तले हुए भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। सोने से कम से कम दो घंटे पहले हल्का भोजन करें और भोजन के बाद कुछ देर टहलें।

मालिश

हाथों, पैरों, गर्दन व सिर की मालिश करवाने से भी तनाव दूर होता है और आपको अच्छी नींद आती हैं।

अच्छी और पूरी नींद हमे अगले दिन पूरी ऊर्जा के साथ फिर से काम करने के लिए तैयार करती हैं। गर्भवती महिला के लिए नींद पूरी होना और भी ज्यादा जरूरी है क्योंकि पर्याप्त नींद लेने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहतर तरीके से होता है। हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको गर्भवती महिला के लिए पर्याप्त नींद की क्यों जरुरी है और गर्भवस्था में नींद पूरी करने के लिए आप क्या क्या कर सकते है समझ आ गया होगा।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

गर्भवती महिला को कितने घंटे सोना चाहिए?

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अच्छी नींद नहीं ले पाती हैं। जबकि हर गर्भवती महिला के लिए पूरे दिन में 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद जरूरी है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी आवश्यक है, कम नींद लेने से शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है। लेकिन शरीर केआकार में बदलाव, हारमोन्स परिवर्तन और अन्य कईं स्वास्थ्य समस्याएं होने से अक्सर गर्भवती महिला की नींद बाधित होती है। ठीक इसी तरह बिस्तर पर सारे दिन लेटे रहना भी शिशु के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है,और एक अच्छी नींद के लिए भी ये जरूरी है कि सारा दिन बिस्तर पर न रहकर कुछ हल्के फुल्के काम करना और टहलना जरूर चाहिए। बेड़रेस्ट तभी करें, जब डॉक्टर ने सजेस्ट किया हो।

गर्भवती महिला को कैसे रहना चाहिए?

गर्भावस्था किसी औरत की जिंदगी का बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है, इसलिए सबसे पहले गर्भवती महिला का खुश रहना बहुत जरूरी है, इसके अलावा उसके आसपास का पारिवारिक माहौल भी खुशहाल हो तो सोने पर सुहागा। आहार पर विशेष ध्यान दें,भोजन छोटे छोटे मील में बाँटकर चार पाँच बार करें, भोजन पौष्टिक हो लेकिन अपनी रूचि का हो ताकि जी न मिचलायें,भोजन में सभी आवश्यक तत्व आइरन फोलिक एसिड़, विटामिन्स, प्रोटीन व कैल्शियम सभी हों। इसके अलावा अच्छी नींद लें,टहलें और डॉक्टर से नियमित चैकअप कराये, डॉक्टर की सलाह से आवश्यक सपलीमेंटस ले, सोनोग्राफी कराकर बच्चे का विकास सुनिश्चित करें। अच्छा साहित्य पढे़ , सोशल मीडिया पर सकारात्मक कंटेंट ही देखें, योगा और प्राणायम को किसी ट्रेनर से सीख कर अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायें।

प्रेगनेंसी में सुबह कितने बजे उठना चाहिए?

प्रत्येक व्यक्ति के लिए जल्दी सोना व जल्दी उठना एक आदर्श दिनचर्या का हिस्सा होता है, प्रिगनेंसी में ये और भी ज्यादा जरूरी है, अगर आप जल्दी सोकर सात घंटे की अच्छी नींद लेकर सुबह सूर्योदय के समय उठ जाती हैं और थोड़ी देर उगते सूरज की धूप लेती हैं तो सारा दिन व्यवस्थित रहेगा। एक सर्वे में पाया गया कि देर रात तक जगने वाली महिलाओं की फिटनेस सुबह उठने वालों के मुकाबले कमजोर हाेती है। ऐसी महिलाएं ज्यादातर रोजमर्रा के कामों को पूरा करने के लिए बॉडी क्लॉक के विरुद्ध जाती हैं जो शरीर की अंदरूनी कार्यशैली को अव्यवस्थित करता है। इसलिए शाम को सही समय पर हल्का भोजन करें तथा नियमित समय पर मोबाइल को खुद से दूर रखकर सोने की कोशिश करें ।

प्रेगनेंसी में सुबह उठकर क्या खाना चाहिए?

गर्भवती महिला को सुबह की अपनी पहली खुराक पौष्टिकता और अपनी रूचि के हिसाब से निर्धारित करनी चाहिए, इस विषय पर हमारी सलाह है..! *गर्भवती महिला सुबह उठकर सेब खा सकती हैं, ये रोगों से लड़ने में मदद करता है,इसमें फाइबर अच्छी मात्रा में होता हैऔर यह एक अच्छा एंटीऑक्सिडेंट भी है। *रात भर भीगे बादाम सुबह खाने से मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए पोषण और ऊर्जा मिलती है। *आप सुबह-सुबह दूध पी सकती हैं, अगर आपको दूध पीने से मितली या उल्टी आती है तो आप साथ में कुछ नट्स या बिस्कुट ले सकती हैं। *अगर आप फल नहीं खाना चाहती है तो आप जूस ले सकती है इससे आपको वो सारे पोषक तत्व मिलेंगे जो फल से मिलते हैं।

शुगर लेवल कम होने के लक्षण, जिन्हें जानना आपके लिए है जरुरी

शुगर लेवल कम होने के लक्षण

हमारे समाज मे शुगर लेवल ज्यादा होना एक गम्भीर समस्या माना जाता है। ब्लड शुगर कम होना कितना खतरनाक है इस पर कोई बात ही नही करता। लो ब्लड शुगर को हाइपोग्लाइसीमिया भी कहते है। शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन के संतुलन के बिगड़ने की वजह से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। हॉर्मोनल लेवल के बिगड़ने के कारण भी ये बीमारी हो सकती हैं। चीनी हमारी बॉडी को ऊर्जा देती है इसलिए हाइपोग्लाइसीमिया वाले लोग अक्सर थका हुआ महसूस करते हैं। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि क्या है शुगर लेवल कम होने के लक्षण और कारण।

कब माने की शुगर लेवल कम है

सामान्य ब्लड शुगर लेवल 80-110 मिग्रा/डीएल के बीच होता है और 90 मिग्रा/डीएल को औसत ब्लड शुगर लेवल माना जाता है.
अगर ब्लड शुगर लेवल 70 से नीचे चला जाये तो संभल जाए। ऐसी स्थिति में तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।

शुगर लेवल कम होने के कारण

बुखार और हाइपोग्लाइसीमिया जैसी स्थितियां खुद एक बीमारी नहीं होती, बल्कि ये किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या का संकेत करती हैं
शुगर लेवल कम होने के निम्न कारण हो सकते है

  • डायबिटीज़ की दवाइयों का मात्रा स्व ज्यादा सेवन करना।
  • यदि आप इन्सुलिन ले रहे है तो, एक्सरसाइज़ करने के दौरान और उसके बाद में हाइपोग्लाइसीमिया का ख़तरा बढ़ सकता है.
  • लंबे समय तके भूखा रहना या भूख से कम मात्रा में खाना
  • शराब का अत्यधिक सेवन
  • लिवर संबंधित गंभीर बीमारियां, जैसे गंभीर हेपेटाइटिस भी ब्लड शुगर कम होने का कारण हो सकते है
  • एड्रिनल ग्रंथि और पिट्यूटरी ग्रंथि में गड़बड़ आने के परिणामस्वरूप कुछ खास हार्मोन्स की कमी

हाइपोग्लाइसीमिया की फिजियोलॉजी

शुगर हमारे शरीर के लिए मुख्य ईंधन की तरह काम करता है और हमारा दिमाग़ भी इस पर पूरी तरह निर्भर है। जब आपका ब्लड शुगर लेवल कम होता है तो दिमाग़ के काम करने की क्षमता पर भी इसका असर पड़ता है. हाइपोग्लाइसीमिया से निपटने के लिए शरीर की अंदरूनी कार्यप्रणाली इंसुलिन के स्त्राव को कम करती है और ग्लूकागॉन का स्राव बढ़ा देती है।

शुगर लेवल कम होने के लक्षण

शुगर लेवल कम होने को अनदेखा ना करें। आप शायद नही जानते कि शुगर लेवल कम होना कितना खतरनाक हो सकता है। इससे न केवल स्ट्रोक या कोमा जैसी स्थिति हो सकती है, बल्कि जान भी जा सकती है।

आप सोच सकते है यदि आपको ड्राइविंग या सड़क पर चलने के दौरान हाइपोग्लाइसेमिक अटैक आया तो क्या होगा। आपका एक्सीडेंट हो सकता है। इसलिए बहुत जरूरी हैं कि आप कुछ लक्षणों पर जरूर ध्यान दे। यदि आप इन्हें इग्नोर करेंगे तो ये लक्षण लगातार बने रहेंगे। इससे आपकी रोजमर्रा की जीवनचर्या प्रभावित होगी।

शुगर लेवल कम होने
शुगर लेवल कम होना

यदि आपको निम्न लक्षण दिखाए दे तो सचेत हो जाए।

  • दिल का बुरी तरह से घबराना
  • किसी कार्य को करते करते या कभी कभी बिना कारण अचानक थकान महसूस होना।
  • त्वचा का पीला पड़ जाना।
  • शरीर का बुरी तरह कांपना।
  • बिना कारण स्ट्रेस महसूस होना, एंग्जायटी लेना।
  • हथेलियां पर ज्यादा पसीना आना, कभी कभी पूरे शरीर पर पसीना आना।
  • बहुत तेज भूख लगना, जैसे बहुत समय से कुछ खाया न जाए।
  • बिना कारण चिड़चिड़ापन होना।
  • मुंह के चारों ओर झुनझुनी और सनसनी महसूस होना
  • कभी कभी कुछ लोग नींद के दौरान रोते है

यदि आप इन लक्षणों को लगातार इग्नोर करते रहेंगे। तो समस्या बढ़ती चली जाएगी।

समस्या गम्भीर होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते है।

  • रोजमर्रा की गतिविधियों को पूरा करने में असमर्थता होने लगती है।
  • आंखों की रोशनी कम होकर देखने में परेशानी होने लगती है। धुंधला दिखाई देने लगता है।
  • दौरा पड़ने की समस्या भी देखने को मिलती है।
  • अचानक ब्लड शुगर लेवल कम होने पर व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है।
  • पीड़ित लोग किसी नशे में चूर व्यक्ति की तरह लगते हैं, जो शब्दों का स्पष्ट तरीके से उच्चारण नहीं कर पाते हैं।

शुगर लेवल कम होने पर क्या करें

अगर डायबिटीज हो तो

  • डॉक्टर द्वारा व खुद बनाए गए डायबिटीज के प्लान का ध्यानपूर्वक पालन करें।
  • निरंतर ग्लूकोज मॉनिटर (CGM) जैसे उपकरण का प्रयोग करें।
  • हाई इन्टेन्सिटी वर्कआउट करने से बचें
  • अपने पास हमेशा ग्लूकोज़ टेबलेट, जूस, मीठा फल या कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थ जरुर रखे।

अगर डायबिटीज न हो तो

  • सुबह का नाश्ता कभी मिस न करें, ये दिन की बहुत ही जरूरी मील है।
  • 24 घण्टो में थोड़े थोड़े गैप पर कुछ न कुछ हल्का फुल्का खाते रहे।

हाई ब्लड प्रेशर तुरन्त कैसे कम करें-high blood pressure ko turant kaise kam kare

हाई ब्लड प्रेशर तुरन्त कैसे कम करें

हाई बल्ड प्रेशर किसे कहते है

हम आपको बहुत ही सरल शब्दो मे समझाते है। जब भी हमारा हृदय धड़कता है, तो वो ब्लड पंप करता हैं। हर पंप के साथ ब्लड आर्टरी से होता हुआ शरीर मे के हर अंग तक जाता है।
इन्हीं धमनियों से कितना खून पास हो रहा है इसे ही ब्लड प्रेशर कहते हैं। ब्लड प्रेशर यानी जब बहते हुए खून का दबाव धमनियों पर बढ़ जाता है। इसे हाई ब्लड प्रेशर कहते है।

क्या है हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति

भारत में हर 3 में से 1 भारतीय हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहा है।कहा जाता था कि हाई बी पी बूढ़े लोगो की बीमारी है, लेकिन अब यंग लोगो मे भी ये बीमारी देखी जा रही है।
भारत की करीब 40 प्रतिशत शहरी आबादी हाइपरटेंशन की समस्या से पीड़ित है,और यह संख्या तेजी से बढ़ भी रही है।

हाई ब्लड प्रेशर से होने वाली दिक्कतें

  • हार्ट अटैक या स्ट्रोक
  • हार्ट फेलियर
  • किडनी पर बुरा असर
  • आंखों के ब्लड वेसल्स पर बुरा असर
  • डिमेंशिया
  • याददाश्त कमजोर आदि

हाई ब्लड प्रेशर के कारण

तनाव

हाई ब्लड प्रेशर का सबसे बड़ा कारण तनाव है। तनाव होना आजकल एक आम बात है। केवल बड़ो को ही नही, आजकल स्कूल जाने वाले बच्चे भी तनाव से पीड़ित हैं।
जरूरत से ज्यादा तनाव पूरी बॉडी पर खराब असर डालकर, बी पी बढ़ाने वाले हॉर्मोन्स सीक्रिट करता है।

तनाव
तनाव

नमक का ज्यादा सेवन

बहुत से लोग जरूरत से ज्यादा नमक खाते है। बनी हुई सब्जी में ऊपर से नमक डालना, दही और सलाद में भी नमक डालना। ये आदत बहुत ही नुकसानदायक है।
ज्यादा नमक खाने से शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है जिस वजह से किडनी में वॉटर रिटेंशन होने लगता है और आपके खून में ढेर सारे फ्लूइड्स बहने लगते हैं जिस वजह से रक्त धमनियों यानी ब्लड वेसल्स में प्रेशर बढ़ता है और ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है।

स्मोकिंग और ड्रिंकिंग

शराब व सिगरेट में मौजूद निकोटिन ब्लड वेसल्स को कॉन्ट्रैक्ट कर देती है। ये आपकी फिजिकल कंडीशन पर डिपेंड करता है कि निकोटिन का असर आपको कितने सेवन के बाद होगा।

हाई बी एम आई

अगर आपका मोटापा यानी वजन बहुत ज्यादा है तो आपका बी एम आई भी बहुत ज्यादा होगा। जब ब्लड वेसल्स के चारो तरफ फैट ज्यादा होगा तो
वस्कुलर रेजिस्टेंज भी बढ़ने लगता है जिस वजह से हार्ट को दिनभर में ज्यादा खून पंप करना पड़ता है और हार्ट का काम अगर बढ़ जाता है तो यह ब्लड प्रेशर बढ़ने की सबसे बड़ी निशानी है।

प्रेगनेंसी

प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को भी बी.पी. बढ़ने की समस्या होती है।

हाई बी पी के लक्षण

  • हाई बी पी में सरदर्द के साथ चक्कर आते है।
  • हाई बी पी में व्यक्ति को थकावट और ज्यादा तनाव होता है।
  • कई बार सीने की तरफ दर्द और भारीपन महसूस होता है।
  • सांस लेने में परेशानी और घबराहट होती है।
  • रोगी के पैर अचानक सुन्न हो जाते हैं, और रोगी को धुंधला दिखाई पड़ता है।

बी पी की नई गाइड लाइन

पुरानी गाइड लाइन के अनुसार नॉर्मल बी पी रेंज है,
120/80 बल्कि यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी की गाइडलाइन के अनुसार नई बी पी रेंज है, 140/90

हाई बी पी से कैसे बचें

  • रोजाना कम से कम 20-25 मिनट एक्सरसाइज करें।
  • हरी सब्जियां व कम फैट वाला भोजन ले।
  • मैग्निशियम, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ अधिक खाने चाहिए।
  • केवल मौसमी फलों जैसे सेब, अमरूद, अनार, केला, अंगूर, अनानास, मौसंबी, पपीता का सेवन करे।
  • रोजाना पानी अधिक मात्रा में पीये।

हाई बी पी को तुरंत कैसे कम करें-high blood pressure ko turant kaise kam kare

  • बी पी हाई होने पर शरीर को तुरन्त आराम की अवस्था में ले आएं।
  • एक गिलास पानी मे निम्बू और चीनी का घोल बनाकर पिए, भूलकर भी नमक न डालें।
  • तनाव को कम करने की कोशिश करें, जिंदगी से जुड़ी पॉजिटिव चीज़ों के बारे में सोचें।
  • आँवले का चूर्ण और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम ले।
  • जब ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो तो आधे गिलास गुनगुने पानी में काली मिर्च पाउडर का एक चम्मच घोल लें। इसे दो-दो घंटे के बाद पीते रहें।
  • तरबूज के बीज की गिरी तथा खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में रख लें। इसका रोजाना एक-एक चम्मच सेवन करें।
  • रोज सुबह खुली हवा में नंगे पैर हरी घास पर वॉकिंग करें।
  • मौसम के अनुसार पालक, चुकंदर, अनार, गाजर का जूस पिए।
  • 3 ग्राम मेथीदाना पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे प्रतिदिन खाने से लाभ मिलता है।

बीमारियों से निजात के लिए जाने हरसिंगार का पत्ता के फायदे

हरसिंगार का पत्ता के फायदे

हरसिंगार का नाम वनस्पति शास्त्र और आयुर्वेद में काफी प्रचलित है। इसका बोटैनिकल नेम निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस है। इसका लगभग हर एक भाग मेडिकल में प्रयोग किया है। दरअसल हरसिंगार के पत्तों में आर्थराइटिस को दूर करने के गुण होते हैं। इसके अलावा, पत्तियों के काढ़े से लीवर की रक्षा करने वाले, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एनाल्जेसिक, एंटीपायरेटिक, एंटी-इंफ्लैमेटरी, एंटीस्पास्मोडिक, हाइपोटेंसिव जैसे गुण भी पाए जा सकते हैं। इसकी पत्तियों में एंटी-लीशमैनियल गुण भी होते हैं, जो शरीर में परजीवियों को खत्म करने, जैसे पेट की कीड़ों की समस्या दूर करने में भी मदद कर सकते हैं। आज हम आपको बताते हैं कि हरसिंगार का पत्ता के फायदे और हरसिंगार का सेवन करने से आपको किन-किन बीमारियों से निजात मिल सकती है।

हरसिंगार की पत्तियों में निम्न औषधीय गुण होते है।

  • टैनिन एसिड
  • बीटा-एमिरिन
  • बीटा-सिटोस्टेरोल
  • लिनोलिक एसिड
  • मेथिलसेलिसिलेट
  • डी-मैनिटोल
  • हेंट्रिएकॉन्टेन
  • बेंजोइक एसिड
  • एस्ट्रैगलिन
  • निकोटिफ्लोरिन
  • ओलीनोलिक एसिड
  • नेक्टेन्थिक एसिड फ्राइडेलिन
  • विटामिन सी
  • विटामिन ए

और पढ़ें: जानिए क्या है मुनक्का के बीज के फायदे आपकी सेहत के लिए

हरसिंगार का पत्ता के फायदे-Harsingar Leaves Benefits In Hindi

जॉइंट्स पेन या गठिया

हरसिंगार के पत्तो का इस्तेमाल जोड़ो के दर्द के लिए बहुतायत से किया जाता है। शुरुआत में इसके काढ़े का प्रयोग कम मात्रा में करें। इससे आप अपने शरीर पर इसके असर से अवगत रहेंगे।

जॉइंट्स पेन
जॉइंट्स पेन

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार के पत्तो को धोकर छोटा छोटा काट ले, अब इसे पानी मे उबाले। पानी को ढक कर उबाले ताकि इसके गुण भाप के रूप में न उड़े।
पानी आधा रह जाने पर इसे छान लें। सुबह खाली पेट हल्का गुनगुना करके पिए। यदि आपको ये काढ़ा खाली पेट लगता है तो, हल्के नाश्ते के बाद इसका सेवन करें।

और पढ़ें: जानिए यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए

खांसी

यदि आपको काफी लंबे समय से खांसी की समस्या है, तो इसका प्रयोग जरूर करें। खांसी के लिए आप हरसिंगार के पत्तो के साथ फूलों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार के 3 से 4 पत्तियां ले, हार सिंगार का एक फूल ले, थोड़ी सी अदरक और दो पत्ते तुलसी के पानी मे उबाले।
थोड़ी देर उबलने पर छान लें। हल्का गुनगुना पी ले। इसमे बहुत थोड़ा सा शहद मिला कर दे सकते है। 5 साल से छोटे बच्चे को न दे।

बुखार

हरसिंगार के पत्तो को आप बुखार की रिकवरी स्टेज में या बुखार की शुरुआत में इस्तेमाल कर सकते है। चिकित्सको के अनुसार हरसिंगार का काढ़ा डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बूखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है।

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार के पत्तो का रस निकाल ले या बारीक काटकर पानी मे उबाले, शहद तथा अदरक के साथ सेवन करें। बुखार में आराम मिलेगा। यदि आप स्वस्थ है, और घर मे किसी को संक्रामक बुखार है तो भी इसी का सेवन करें।

साइटिका और कमरदर्द

साइटिका और कमर दर्द में हरसिंगार पर निर्भर ना रहे, उसके लिए साइटिका और कमरदर्द का कारण और उसके हिसाब से इलाज जैसे कि फिजियोथेरेपी जरूरी है। लेकिन साथ साथ हरसिंगार का सेवन करने से इस रोग में तीव्रता से आराम मिलता है।

कैसे प्रयोग करें

दो कप पानी में हरसिंगार के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे अंच से उतार लें। इस काढ़े को दिन में दो बार – प्रातः खाली पेट एवं सायं भोजन के एक डेढ़ घंटा पहले पियें। इस काढ़े का प्रयोग कम से कम 7 दिन तक अवश्य करना चाहिए । एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।

बवासीर या पाईल्स

बवासीर या पाईल्स के लिए हरसिंगार के पत्ते तो नही लेकिन उसके बीज बहुत ही लाभदायक है। खानपान में बदलाव व उपयुक्त जीवनशैली के साथ हरसिंगार के बीजों का प्रयोग लाभ देता है।

कैसे प्रयोग करें

आप हरसिंगार के बीजों को दो प्रकार से प्रयोग कर सकते है। चाहे तो एक बीज का सेवन प्रतिदिन करें, या गुदाद्वार में सूजन या मस्से हों तो हरसिंगार के बीजों का लेप बनाकर गुदा पर लगाए।

सुंदरता बढ़ाए

चेहरे की सुंदरता की सही पहचान होती है चमकदार त्वचा। इसके लिए भी हरसिंगार के पत्ते और फूलों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार के पत्तो और फूलों का पेस्ट बनाकर उबटन में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। त्वचा उजली व चमकदार बनेगी। लेकिन चेहरे पर इसका प्रयोग करने से पहले स्किन पर पैच टेस्ट जरूर कर ले।

हृदय रोग व मांसपेशियों का दर्द

हृदय रोग व मांसपेशियों के दर्द में हार सिंगार के फूल व पत्तो का रस बहुत ही लाभदायक है।

कैसे प्रयोग करें

10 से 12 फूलों का रस निकाल सुबह शाम सेवन करने से हृदय मजबूत होता है। हरसिंगार के पत्तो का काढ़ा किसी भी प्रकार के संक्रमण, मांसपेशियों के दर्द में बहुत लाभ देता है।

अस्थमा

यदि आपको अस्थमा या सांस की किसी भी प्रकार की दिक्कत है तो हरसिंगार की छाल का प्रयोग करें।

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार की छाल का चूर्ण पंसारी की दुकान से ले ले, एक से डेढ़ चुटकी छाल का चूर्ण पान के पत्ते में रखकर धीरे धीरे चूसे। प्रदूषण वाले स्थानों से दूर रहे।

स्त्री रोग

यदि आप एक महिला है और आपको किसी भी तरह स्त्री विशेष परेशानी जैसे यूरिन इन्फेक्शन, लिकोरिया तो हरसिंगार का प्रयोग करें।
हरसिंगार की 7 कोंपलों (नयी पत्तियों) को पाँच काली मिर्च के साथ पीसकर प्रातः खाली पेट सेवन करने से विभिन्न स्त्री रोगों में लाभ मिलता है।

और पढ़ें: आपकी सेहत के लिए क्या है करी पत्ता के फायदे और नुकसान-मीठी नीम के फायदे इन हिंदी

इम्युनिटी पावर

हरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर आप नियमित रूप से भी सेवन कर सकते है। इसका सेवन करने से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, बालो मे रूसी की समस्या में भी बेहद फायदेमंद है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

हरसिंगार के पत्ते के क्या क्या फायदे हैं?

हरसिंगार को पारिजात के नाम से भी जाना जाता है। हरसिंगार के पत्ते बहुत ही फायदेमंद होते हैं । हरसिंगार के पत्ते बुखार को ठीक करने काम करते हैं । यदि किसी व्यक्ति के प्लेटलेट कम हो गया हो तो हरसिंगार के पत्तों का सेवन करने से प्लेटलेट काउंट बढ़ जाता हैं । हरसिंगार के पत्तों की सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है । सूखी खांसी, अस्थमा तथा ब्रोंकाइटिस में भी हरसिंगार के पत्ते बहुत लाभदायक होते हैं । गठिया रोग में भी हरसिंगार के पत्तों का सेवन फायदेमंद होता है इसके अलावा लीवर के बढ़ने तथा फैटी लीवर में भी हरसिंगार के पत्तों का सेवन करने की सलाह दी जाती है । इसके पत्तों का रस निकालकर लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं ।

हरसिंगार के पत्ते कितने दिन पीना चाहिए?

हरसिंगार के पत्तों का सेवन मुख्य रूप से दो प्रकार से किया जा सकता है । पहला पत्तों को पीसकर उसके रस का सेवन करना ,दूसरा पत्तों का काढ़ा बनाकर उसका सेवन करना । हरसिंगार के पत्तों का सेवन लगभग एक हफ्ते तक किया जा सकता है इससे अधिक सेवन करने से बचना चाहिए। वहीं हरसिंगार के काढ़े का प्रयोग दिन में दो बार, एक हफ्ते तक किया जा सकता है । अधिक मात्रा में हरसिंगार के पत्तों का सेवन करने से नुकसान हो सकते हैं इसलिए इसका उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए।

हरसिंगार के पत्तों का उपयोग कैसे करें?

हरसिंगार के पत्तों का निम्न प्रकार किया जा सकता है 1. पत्तों का रस निकालकर - प्रतिदिन पांच से सात हरसिंगार के पत्तों पीसकर उनका रस हल्का गुनगुना करके सेवन करने से गठिया, ह्रदय रोग, जुकाम खांसी जैसे कई रोगों में लाभ मिलता है। 2. काढ़ा बनाकर- 7 से 8 हरसिंगार के पत्तों को पानी में मिलाकर उनका काढ़ा बनाकर सेवन किया जाता है जिससे रक्त में प्लेटलेट्स की कमी, गठिया रोग, फैटी लीवर आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है । 3. पाउडर बनाकर -हरसिंगार के पत्तों को सुखाकर उनका पाउडर बनाकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर उसका सेवन करने से खांसी जुकाम में लाभ मिलता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 4. फेस पैक बनाकर - हरसिंगार के पत्तों और फूलों को पीसकर चेहरे पर लगाने से झाइयों और दाग धब्बों से छुटकारा मिलता है ।

हरसिंगार कौन कौन सी बीमारी में काम आता है?

हरसिंगार में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं । बुखार, जुकाम खांसी, फैटी लीवर या बढ़े हुए लीवर, गठिया रोग, जोड़ों के दर्द, रक्त में प्लेटलेट्स की कमी, साइटिका, बवासीर, त्वचा की झाइयोंऔर दाग दाग धब्बों , ह्रदय रोग ,अस्थमा आदि लोगों में लाभदायक होता है इसके अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है ।

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है-papita khane se period aata hai

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

मातृव एक बहुत ही खूबसूरत एहसास होता है अपने अंदर प्रतिपल नवजीवन को बढ़ते महसूस करना किसी भी भावी माँ के किये बेहद अनूठा होता है।ज़ाहिर है ऐसे में उसे स्वयं के एवं भावी बच्चे के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिये एक संतुलित और स्वास्थ्य वर्द्धक ख़ुराक़ की दरकार होती है। होने वाली माँ को जहाँ बहुत सारे फल और सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है,वहीँ कुछ फल विशेष हैं जिनके उपयोग के लिये सख्ती से मना किया जाता है।

ताकि भावी शिशु और उसकी माता के स्वास्थ्य पर कोई भी विपरीत प्रभाव न पड़े। कोई भी माँ अपने बच्चे में किसी भी प्रकार का शारिरिक या मानसिक दोष नहीँ सहन कर सकती । हँसता मुस्कुराता स्वस्थ सुन्दर बच्चा हर माता पिता का सपना होता है और गर्भकाल में जहाँ होने वाली माँ को अच्छी सेहत के लिये आम ,नारियल,सन्तरा, केला आदि फ़लों के सेवन की सलाह दी जाती है।

वहीँ पपीते से दूरी बनाने के निर्देश भी मिलते हैं। अक्सर मन में सवाल उठते हैं कि आखिर है तो यह भी फल ही फिर इस में ऐसा क्या है जो इस समय इसे खाने को मना किया जाता है।

कई घरों में इसे इतना पसन्द किया जाता है कि यह उनके दैनिक आहार में शामिल होता है । परन्तु गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं के लिये पपीते का प्रयोग अक्सर नुकसानदेह साबित होता है। आइये जानते है कि आखिकार पपीते का प्रयोग इस समय क्यो वर्जित होता है।

और पढ़ें: गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये, कैसे होता है तुलसी के पत्तों से गर्भपात-Tulsi Se Garbhpat

परिचय

प्रकृति के खजाने में हमारे उत्तम स्वास्थ्य के लिये बहुत सारे उपहार है फल और सब्जियों के रूप में उन्ही में से एक फल है “पपीता”। सभी वनस्पतियों  के पञ्चाङ्ग की तरह (जड़,तना, छाल, फूल,फल और पत्तीयों) पपीते की भी अपनी बहुत सी विशेषताएँ  है।

नाम

केरिका पापाया,यह सर्व सुलभ फल है और इसे बेहद आसानी से हमारे आसपास के बाजार में देखा जा सकता है।

पपीता
पपीता

पपीते में पाये जाने वाले गुण

यह एक नर्म फल है, जिसे काटने पर अंदर काले रँग के बीज प्राप्त होते हैं। कच्ची अवस्था मे यह हरा होता है,और पकने पर पीले रङ्ग का हो जाता है।

इसे कच्चे एवं पके हुए दोनों रूपों में खाया जा सकता है ,डायट पर रहने वाले लोगों का तो यह बेहद प्रिय फल है,यह रेशों (फाइबर) का भण्डार है,इसमें  विटामिन ए, कैल्शियम , तथा पेपेन पाया जाता है।

यह कोलेस्ट्रॉल तथा वजन को नियंत्रित रखने में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है ,इसलिए यह हर आयुवर्ग के लिये लाभप्रद है सिवाय गर्भवती स्त्रियों और दूध पीने वाले बच्चों के।

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का अजवाइन से गर्भपात कैसे करे? Garbhpat Karne Ke Gharelu Upay

प्रेगनेंसी में पपीता क्यों नहीं खाना चाहिए

कच्चा पपीता-पपीता कच्ची अवस्था मे गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। कच्चे पपीते को एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक कहा गया है,इसकी तासीर काफी गर्म होती है।

कारण यह है कि इसमें लेटेक्स नाम का पदार्थ पाया जाता है जो गर्भाशय के संकुचन के लिये जिम्मेदार तत्व भी होता है,लेटेक्स गर्भवती के शरीर मे एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन का स्राव को उत्तेजित करता है ,इसकी उपस्थिति पेट में मरोड़ उत्पन्न करती है। यही मरोड़ वजह बनती है असमय गर्भपात की।

एस्ट्रोजन ही वह तत्व है जो किसी महिला के शरीर में माहवारी को नियमित करता है। यदि गर्भवती इसका सेवन कर ले तो यह गर्भ के लिये बिल्कुल भी सुरक्षित नहीँ होता और गर्भपात का कारण बन जाता है।

इसकी वजह है पपीते में विटामिन सी और पपाइन का पाया जाना अक्सर कच्चे पपीते का प्रयोग माँस या कड़े प्रोटीन वाले भोज्य पदार्थ को मुलायम करने के लिये उसे उबलने के समय किया जाता है।

#kya khane se miscarriage hota hai

बढ़ सकता है लेबर पेन

कभी कभी तो होने वाले शिशु में विकलांगता तक देखी गयी है। यह गर्भ को नुकसान दायक सिद्ध होते हैं,यहाँ तक कि यदि गर्भ की अंतिम तिमाही में भी यह लेबर पेन को बढ़ा सकता है। क्योंकि लेटेक्स लेबर पेन को बढ़ाने का काम करता है ,जो भावी माता और बच्चे दोनों के लिये ठीक नहीं होता ।

हाँ अगर महिला अगर गर्भवती नही है और उसे यदि पीरियड्स को रेगुलर करना हो तो उसके लिये कच्चे पपीते को पानी में उबाल कर 2 से 3 इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पीरियड्स के दौरान रक्तस्राव को नियमित करता है।

पका पपीता-कच्चे पपीते की तुलना में पका पपीता थोड़ा कम हानिकारक साबित होता है। क्योंकि इसे पेड़ से तोड़े हुए थोड़ा समय ज़रूर हो जाता है।

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का कैसे करें इलायची से गर्भपात-Pregnancy Khatam Karne Ka Tarika, elaichi se garbhpat kaise kare

चिकित्सक का परामर्श लेकर करे सेवन

परन्तु इसके गुणों में कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता यदि कोई पपीते को खाना ही चाहता है तो उसे पूरी तरह से पके हुए फल का ही सेवन करना चाहिये।

बहुत ज़्यादा इच्छा हो तो बहुत ही थोड़ी मात्रा में सेवन कर सकता है वह भी चिकित्सक का परामर्श लेकर।

पपीते में मौजूद ये एन्ज़ाइम बहुत छोटे बच्चों के लिये भी उपयुक्त नही होते ,इसलिए दूध पिलाने वाली माताओं और छोटे बच्चों को चिकित्सक इसको ज़्यादा खाने के लिए भी इसका प्रयोग मना करते हैं

और पढ़ें: गर्भपात के बाद माहवारी कब आती है-Garbhpat Ke Baad Period Kab Aate Hain

पपीता के बीज से गर्भपात

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

अक्सर लोग पपीता का इस्तेमाल करने के बाद इसके बीजों को कूड़ेदान में डाल देते हैं ,परन्तु इसके भी अपने बहुत सारे गुण हैं जिनका हमें ज्ञान ही नहीं होता।

पपीते के बीज भी अपने मे बहुत से औषधीय गुण रखते हैं भली प्रकार पके हुए पपीते के बीजों को सुखाकर इनका इस्तेमाल बहुत सी बीमारियों के लाभ के लिये किया जाता है।

कैसे करे प्रयोग

  • पपीता के बीज से गर्भपात का उपयोग प्राकृतिक गर्भनिरोधक के तौर पर भी किया जाता है। यह आकार में काली मिर्च के समान ,स्वाद में कड़वे और लिसलिसे होते हैं।
  • इन्हीं बीजों को अच्छी तरह धोने के बाद इनको सुखाकर व पीसकर स्टोर किया जाता है। यदि कोई महिला गर्भधारण नही करना चाहती उसे इन पिसे हुए बीजों को पानी के साथ दो चम्मच ग्रहण करना चाहिये।
  • लेकिन अगर गर्भवती हो तो बिना चिकित्सक की सलाह लिये कोई भी क़दम नहीँ उठाना चहिये । यह होने वाली माता के साथ भावी शिशु के भी भविष्य का प्रश्न जो होता है।

पपीता खाने के कितने दिन बाद पीरियड आता है

कुछ डॉक्टरों का मानना ​​है कि पपीता वास्तव में गर्भवती महिलाओं के लिए एक लाभकारी फल है। पपीता चाहे कच्चा हो या पका, मासिक धर्म चक्र में कोई बदलाव नहीं करता है। यह एक मिथक है कि आप अपने मासिक धर्म की तारीख को आगे-पीछे कर सकती हैं। हालांकि, कच्चे पपीते में पाया जाने वाला पपैन नामक प्रोटीयोलाइटिक एंजाइम गर्भाशय के संकुचन और पाचन समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए हम गर्भवती महिलाओं को कच्चे पपीते का सेवन बिल्कुल नहीं करने की सलाह देते हैं। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान पका पपीता फायदेमंद हो सकता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।

बार बार गर्भपात करने से क्या होता है?

अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए कई जोड़े बार बार गर्भपात का सहारा लेते हैं। बार बार गर्भपात कराने से गर्भाशय ग्रीवा कमजोर हो जाती है किसी कारण अगली बार गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा महिला के शरीर में खून की कमी, इन्फेक्शन ,रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएं, एम्बोलिज़्म, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक आदि कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए बार बार गर्भपात कराने के स्थान पर परिवार नियोजन के तरीके अपनाकर गर्भधारण को रोकना ही ज्यादा कारगर उपाय है ।

बी पी कम होने के लक्षण, जिन्हें जानना अपने लिए है जरुरी-bp low hone ke lakshan

बी पी कम होने के लक्षण

बी पी यानी ब्लड प्रेशर क्या होता है।

रक्त वाहिनियों पर पड़ने वाले ख़ून के दबाव को ब्लड प्रेशर कहा जाता है। हाई ब्लड प्रेशर में ख़ून का दबाव ज़्यादा और लो ब्लड प्रेशर में ख़ून का दबाव कम होता है। आज के इस लेख में हम जानेंगे बी पी कम होने के लक्षण ।

क्या केवल उच्च रक्तचाप है खतरनाक

ज्यादातर हमारे समाज मे हाई बी पी अर्थात उच्च रक्तचाप को ही गम्भीर विषय माना जाता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नही है, निम्न रक्तचाप अर्थात लो ब्लड प्रेशर भी चिंता का विषय है।

बी पी कम होना किसे कहते हैं

लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप को हाइपोटेंशन भी कहा जाता है. जब किसी भी इंसान का ब्लड प्रेशर 90/60 से नीचे चला जाता है, तो इस अवस्था को लो बीपी या हाइपोटेंशन कहते है।

बी पी कम होने पर रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे हृदय, मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों में पर्याप्त रक्त नहीं पहुंच पाता. जब शरीर के इन मुख्य भागो तक रक्त सही से नही पहुँचेगा तो, रक्त के साथ जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाएगी। अब आप समझ सकते है कि शारीरिक स्थिति क्या होगी।

सामान्य रक्तचाप कितना होता है।

एक स्वस्थ्य व्यक्ति का रक्तचाप 120/80 (सिस्टोलिक/डायस्टोलिक) होना चाहिए सिस्टोलिक के लिए 120 मिलीमीटर एचजी से कम और डायस्टोलिक के लिए 60 मिलीमीटर एचजी से कम को लो बीपी माना जाता है.

लेकिन ये डिटेल सबके लिए मान्य नही है, किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति का सामान्य बी पी कितना होगा,ये बहुत सी बातों पर निर्भर करता है। जैसे उम्र, लिंग, निवास स्थान, आनुवंशिक बीमारी या कोई मेडिकल प्रॉब्लम

बी पी कम होने के कारण

खून की कमी

किसी बीमारी के कारण, पोषण की कमी या कोई दुर्घटना होने पर ब्लड लॉस, इन सब कारणों से शरीर मे खून की कमी हो जाती है। शरीर तेजी से लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता जिससे बी पी कम हो जाता है.

हृदय रोग

हृदय से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या होने पर रक्तचाप निम्न हो सकता है. इसलिए इस दौरान आपको विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.

पानी की कमी

शरीर मे पानी बहुत जरूरी हैं, पोषक तत्वों को जरूरी अंगों तके पहुचाने और खून के दौरे को सही से रखने के लिए। पानी की कमी से इस प्रक्रिया में कमी आती है जिस कारण बी पी कम हो जाता है।

डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन

गर्भावस्था

गर्भावस्‍था की बात करें तो इस दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण सर्कुलेटरी सिस्टम में ब्लड वेसल्स चौड़ी हो जाती हैं। इससे ब्‍लड प्रेशर लो हो जाता है

इन सबके अलावा डायबिटीज, थायरॉयड, एडिसंस डिसीज आदि में भी बी पी कम होने की समस्या होती है। साथ ही किसी प्रकार का टेंशन, सदमा लगने, डर जाने, इंफेक्शन आदि होने पर भी यह समस्या हो सकती है.

बी पी कम होने के लक्षण-bp low hone ke lakshan

बेहद कमजोरी महसूस करना

बी पी कम होने पर अचानक बहुत कमजोरी महसूस होने लगती है। ऐसा पोषक तत्वों के मुख्य अंगों तक न पहुचने के कारण होता है।

चक्कर आना

बी पी कम होने पर चक्कर आते है, ये चक्कर सर्वाइवल या हाई बी पी के चक्करों से अलग होते है। ये चक्कर आपको केवल कुछ काम करते हुए या चलते हुए महसूस होते है।

थकान और डिप्रेशन

बी पी कम होने पर ऐसा लगता है जैसे शरीर शारिरिक और मानसिक रूप से थका है। ऐसा महसूस होता है मानो आप कई रात सही से सोए नही है।

मन मे उलझन रहती है, काम के बारे में सोचने पर डिप्रेशन महसूस होता है, दिमाग बंधा हुआ महसूस करता है।

जी मिचलाना और खाने में स्वाद ना आना

बहुत ज्यादा बी पी कम होने पर जी मिचलाने लगता है, कुछ भी खाते समय लगता है कि उल्टी हो जाएगी। इसी कारण व्यक्ति खाने को देखकर उबकाई लेता है।

अन्य लक्षण

इनके अलावा बी पी कम होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते है।

  • प्यास लगना
  • धुंधला दिखाई देना,
  • त्वचा में पीलापन,
  • शरीर ठंडा पड़ जाना,
  • आधी-अधूरी और तेज सांसें आना

 बी पी कम होने पर क्या करें

  • आराम करें पर सोए ना
  • तुरंत नमक का पानी पिएं, अगर आपको डायबिटीज हो तो खाएं।
  • अपनी मुट्ठी बांधें, फिर खोलें। ऐसा बार- बार करें।
  • बॉडी को पूरी तरह सक्रिय रखें।
  • कॉफी पिए
  • सबसे जरूरी बात सुबह उठने के बाद ब्रेकफास्ट में देरी न करें। बहुत लंबे समय तक खाली पेट न रहे।
  • यदि ज्यादातर आपका बी पी कम रहता है तो उपवास से बचें, या हल्का फुल्का कुछ खाते रहे।
  • थाइरोइड या pcod होने पर जंक फूड और खराब लाइफ स्टाइल से बचे।

जानिए कौन कौन से है डिलीवरी के बाद मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल

आफ्टर डिलीवरी मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल

एक माँ जब बच्चे को जन्म देती है, बच्चे के साथ उसका भी पुर्नजन्म होता है। स्त्री की मांसपेशियां, हड्डियां, मन, शरीर सभी कुछ इस प्रोसेस बहुत बुरी तरह थक जाता है। ऐसे में अच्छा खानपान, भरपूर नींद के साथ मालिश एक ऐसी चीज़ है जो माँ के स्वास्थ्यलाभ के लिए बहुत जरूरी है। आज इस लेख में हम जानेंगे कि डिलीवरी के बाद मालिश करवाना क्यों जरुरी है और डिलीवरी के बाद मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल कौन कौन से है।

नॉर्मल डिलीवरी के बाद मालिश करने से माँ की कमजोरी दूर होती है। सिजेरियन डिलीवरी के बाद मालिश बहुत ही सोच समझकर शुरू की जाती है। क्योंकि शरीर मे जख्म होते है। आफ्टर डिलीवरी एक मां की मालिश उसकी थकान को कम करती है और उसे बल और उर्जा भी प्रदान करती है।

डिलीवरी के दौरान स्त्री के पेट, पेड़ू और कूल्हों पर सबसे ज्यादा तनाव पड़ता है। ऐसे में जब इन हिस्सो की मालिश की जाती है तो ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। तेज ब्लड सर्कुलेशन के साथ टोक्सिन फ्लश हो जाते है। हैप्पी हॉरमोन रिलीज होते है जिससे माँ मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से आराम मिलता है।

नॉर्मल डिलीवरी के बाद तुरन्त मालिश की जा सकती है। लेकिन सिजेरियन के बाद कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे

  • मालिश से पहले अपनी शारीरिक स्थिति अच्छे से समझ ले।
  • टांके की जगह और आसपास जैसे पेड़ू पेट पर मालिश न करवाए।
  • सिजेरियन और मालिश के बीच कम से कम 3 हफ़्तों का गैप रखें।
  • मालिश हल्के दबाव से शुरू करे।
  • हाथ पैर और पीठ की मालिश करवाए।
  • मालिश शुरू करवाने से पहले डॉक्टर से सलाह ले।
    पीठ की मालिश
    पीठ की मालिश

गलत तरीके से मालिश करवाने के साइड इफ़ेक्ट

  • मालिश से इंफेक्शन
  • त्वचा में एलर्जी

डिलीवरी के बाद मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल

जैतून का तेल

जैतून का तेल थोड़ा भारी तेल होता है इसलिए इसकी मालिश तुरन्त शुरू न करे। इसमे उपस्थित विटामिन ई डिलीवरी के बाद लटकती स्किन, स्ट्रेच मार्क्स, और त्वचा के कालेपन को दूर करता है। जोड़ों का दर्द दूर होता है। एड़ियाँ कोमल व मुलायम होतीं हैं।

सरसो का तेल

आगर डिलीवरी गर्मियों में हुई है तो सरसो के तेल को ऐसे ही प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन यदि डिलीवरी सर्दियों में हुई है तो सरसो के तेल में लहसुन या अजवाइन पकाकर इस्तेमाल करे।

सरसो के तेल की मालिश से बदन में कसावट आती है, दर्द कम होता है, मांसपेशियां मजबूत बनती है

नारियल का तेल

नारियल तेल की मालिश गर्मियों में फायदेमंद रहती है। ये हल्का होता है और आसानी से अब्सॉर्ब होता है, शारीरिक तनाव से बॉडी पर पड़ने वाले दाग धब्बो को दूर करने के अलावा मसल्स को बहुत आराम देता है

नारियल तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से इसका असर दुगुना हो जाता है।

अरंडी का तेल

अगर आप सामान्य तौर पर नहाने लगे है और आपकी डिलिवरी को कुछ समय बीत गया है तो अरंडी का तेल बेस्ट है। क्योंकि अब आपका पूरा ध्यान शरीर को वापस पुराने रूप में लाने पर होगा। ऐसे में अरंडी के तेल को रात को स्ट्रेच मार्क्स पर मल ले, सुबह नहाते समय हल्के हाथ से बाथ स्पंज से रगड़े।

लगातार ऐसा करने से स्ट्रेच मार्क्स हल्के पड़ेंगे और त्वचा चमकदार बनेगी।

बादाम का तेल

बादाम का तेल विटामिन ई से भरपूर होता है, इसकी मालिश प्रसूता स्त्री को शारीरिक रूप से आराम देती है। साथ ही बादाम का तेल प्रेग्नेंसी के दौरान खोई हुई उसकी सुंदरता लौटाता है।

बादाम तेल की मालिश से टांग में ऐंठन और सूजन पीठ के निचले हिस्से में दर्द, कंधों में अकड़न, कूल्हों में दर्द, अनिद्रा (इनसोमनिया) में आराम मिलता है।

डिलीवरी के बाद मालिश में बरते ये सावधानियां

  • अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है या आपको पहले से ही कोई स्किन एलर्जी है तो मालिश से बचे। पहले सुनिश्चित करें कि आपकी त्वचा सम्बन्धी परेशानी दूर हो जाए।
  • पहले शरीर के कम भाग पर तेल की मालिश करवाए, अच्छे से जांच ले कि ये तेल आपको नुकसान तो नही कर रहा। तभी तेल को कंटिन्यू करे अन्यथा तेल बदल कर देखे। दूध पीते समय इससे कोई खतरा न हो।
  • कैमिकल युक्त उत्पादों से बचे जो कि स्ट्रेच मार्क्स को दूर करने का दावा करते है। इनमे उपस्थित कैमिकल और पैराबेन्स हार्मोन के कार्य को बाधित करते हैं और स्तन कैंसर या किसी अन्य कैंसर का कारण बन सकते  हैं।
  • जिन महिलाओं में उच्च रक्तचाप या हर्निया जैसी समस्या है वो मालिश के दौरान किसी भी प्रकार के अनावश्यक दबाव से बचे। हाई बीपी,अत्यधिक सूजन गंभीर सिरदर्द होने पर मालिश से बचे और डॉक्टर को दिखाए।
  • अगर आपकी मांसपेशियों पर मालिश के दौरान सघन तनाव पड़ रहा हो, तो शरीर को ठीक से सहारा देना जरूरी है।

क्या हैं चेहरे पर चमक लाने के उपाय-Chehre Par Glow Kaise Laye

क्या हैं चेहरे पर चमक लाने के उपाय

चेहरा हमारे व्यक्तित्व का आईना होता है। इसलिए, हर इंसान के चेहरे की चमक और खूबसूरती मायने रखती है। चाहे स्त्री हो या पुरुष, हर कोई ‘स्किन को ग्लोइंग कैसे बनाएं’ इसके उपाय ढूंढते रहते हैं। ग्लोइंग स्किन के उपाय की बात करें, तो आजकल बाजार में चेहरे की चमक बढ़ाने के उपाय के तौर पर कई तरह के कॉस्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट बिकने लगे हैं। हालांकि, इनमें मौजूद केमिकल त्वचा पर निखार तो ला सकते हैं, लेकिन साइड इफेक्ट का खतरा भी बढ़ा देते हैं। ऐसे में इस लेख से हम घरेलू फेस ग्लो टिप्स देने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि कॉस्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट का ज्यादा उपयोग किए बिना चेहरे पर लंबे वक्त तक निखार रहे।

चेहरे पर चमक लाने के उपाय-Chehre Par Glow Kaise Laye

पानी का सेवन

हमारे शरीरमें 70 प्रतिशत पानी होता है और ये हमारे त्वचा की नमी और चमक बरकरार रखने के लिए ,कम से कम 8 से 10 गिलास पानी का सेवन ज़रूरी है, ये पाचन तंत्र को भी स्वास्थ्य रखता है

असंतुलित पाचन भी मुहासों का कारण है, इसलिए पानी का पर्याप्त सेवन बहुत ज़रूरी है।

करें योग

योग आसन​ से भी चेहरे और सिर के भाग में रक्त परिसंचरण बढ़ता है। ये आपको प्राकृतिक रूप से सुन्दर त्वचा देता है।

करें योग
करें योग

भुजंगासन

पीठ और कंधे से कड़ापन कम करता है। आपको विश्राम देकर आपकी मनोदशा को अच्छा करता है। आपकी त्वचा को चिकना और लचीला करता है।

मत्स्यासन

सांस की गहराई बढ़ाता है, हार्मोन के असंतुलन ठीक करता है और मांसपेशियों को आराम देता है। त्वचा अधिक लचीली और दृढ हो जाती है।

हलासन

चेहरे और सिर में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। परिणामस्वरूप त्वचा में निखार आ जाता है।

सर्वांगासन

सिर में रक्त के प्रवाह को बढाकर त्वचा की चमक में वृद्धि करता है। साथ ही ये दानों और मुहांसों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है।

त्रिकोणासन

आपके चेहरे और सिर में रक्त प्रवाह में वृद्धि करता है। ऑक्सीजन की अधिक मात्रा में आपूर्ति त्वचा की चमक में वृद्धि के रूप में दिखती है।

घरेलू उपाय

गुलाब

जल हमारे चेहरे को साफ करने के साथ सॉफ्टनेस को बरकरार रखता है। गुलाब जल का को रात को सोने से पहले चेहरे पर लगाएं और फिर मालिश करें। सुबह चेहरे को हल्के गर्म पानी से धो लें। इसके बाद आपका चेहरा चमकने लगेगा।

दही

जितना खाने में सेहत को फायदा करता है, उतना ही हमारे चेहरे के लिए उपयोगी होता है। दही से स्किन को नमी मिलती है और चेहरे से गंदे कण बाहर निकल जाते हैं। यह टैनिंग हटाने में बेहज कारगर है। ताजा व ठण्डा दही डबल परत में लगाएं व आँखों के नीचे सावधानीपूर्वक चेहरे पर 30 मिनट के लिए ऐसे ही छेड़ दें। इसके बाद सादा पानी से चेहरा धो लें। 2 घण्टे तक इस पर कुछ न लगाएं।

कच्चा दूध

दूध स्किन के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। चेहरे पर कॉटन से ठण्डा व कच्चा दूध लगाएं और 15 मिनट तक सूखने पर इसे धो डालें। इससे आपका चेहरा ग्लो करने लगेगा। इसे आप रोज प्रयोग कर सकती हैं।

एलोवेरा

गर्मी के मौसम में सबसे अच्छा और गुणकारी उपाय से त्वचा को खूबसूरत व ग्लोइंग बनाया जा सकता है। कई गुणों से भरपूर एलोवेरा हमारी स्किन के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट से चेहरे की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं।

नारियल का तेल

चेहरे की गंदगी को साफ करना हो या मेकअप को हटाना है तो नारियल का तेल बहुत असरकारक है। नारियल तेल के चेहरे पर इस्तेमाल करने से गंदगी या मेकअप साफ भी हो जाएगा और किसी तरह का नुकसान भी नहीं होगा। नारियल तेल को चेहरे पर लगाकर कुछ देर तक मलें, इसके बाद क़ॉटन की मदद से तेल हटाकर आईस को चेहरे पर लगाएं और सो जाएं। सुबह उठकर आप देखेंगी कि चेहरा एक बार के प्रयोग से चमक उठा है।

नींबू

निम्बू के रस का इस्तेमाल करने से चेहरे में चमक आ जाती है और इससे चेहरे की गंदगी भी साफ हो जाती है। हफ्ते में एक बार चेहरे पर नींबू का रस लगाकर 15 मिनट बाद चेहरा धो लेना चाहिए। इससे त्वचा को हानिकारक जीवों से बचाया जा सकता है और ऑइली स्कीन को ऑइली फ्री बनाया जा सकता है।

खीरा

चेहरे पर चमक लाने में खीरा बहुत मदद करता है। खीरे को कद्दूकस करें और चेहरे पर लगाएं। इसके अलावा खीरे के रस में दही मिलाकर पेस्ट चेहरे पर लगा सकते हैं। पांच मिनट तक लगाने के बाद चेहरा धो लें। चेहरे पर गजब का निखार आएगा।

टमाटर

चेहरे पर निखार लाने के लिए टमाटर को भी काम ले सकते हैं। इसके लिए आपको एक चम्मच दूध और नींबू के रस में टमाटर को मिलाकर पेस्ट बना लें। इसके बाद इस पेस्ट से चेहरे को धो डालें।

संतुलित आहार

अपने भोजन में हरी सब्जियां, हल्दी, ताजे फल ,ज्यूस, दूध, अंडे इत्यादि को शामिल करें।

  • सूरज की सीधी किरणों से बचे, त्वचा को अच्छी तरह मॉस्चोराइज़र ज़रूर करें।
  • मुल्तानी मिट्टी का लेप भी चेहरे की चमक के लिए बहुत फायदेमंद है,
  • इसके अलावा तनाव मुक्त रहें और धूम्रपान से बचें। ये सभी उपाय चेहरे की चमक बढ़ने के बहुत कारगर है।

जानिए क्या हैं लक्मे सीसी क्रीम के फायदे-Lakme CC Cream Ke Fayde

लक्मे सीसी क्रीम के फायदे

सुंदर दिखना किसे पसंद नहीं। सभी महिलाएं यही चाहती हैं की जब भी वो सुबह ऑफिस के लिए जाये या किसी भी फंक्शन में जाएँ तो वो खूबसूरत लगे। लेकिन ऐसे में या तो उनके पास इतना समय नहीं होता कि वो मेकअप करें या फिर वो चाहती हैं कि वो कम मेकअप करें और खूबसूरत लगें। अगर आप भी कुछ ऐसा ही चाहती है तो आपके लिए लक्मे सीसी क्रीम एक बेस्ट ऑप्शन है। आज हम इस लेख मे माध्यम से लक्मे सीसी क्रीम के फायदे के बारे में बताएँगे।

क्या है लक्मे सीसी क्रीम

लक्मे 9 टू 5 सीसी क्रीम एक कोम्प्लेक्शन केयर फ़ेस क्रीम है। ये हर भारतीय स्किन टोन के लिए सूटेबल है। आपकी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने के लिए इसमे spf 30 pa ++ भी मौजूद है। यह 4 शेड्स में बाज़ार में उपलब्ध होता है – आलमंड, हनी, बेज़ औए ब्रोंज। आप अपनी त्वचा के रंग के हिसाब से शेड को चुन सकते है। इसमें बेज़ शेड अधिक गोरी या निखरी त्वचा के लिए, हनी शेड सामान्य गोरी या निखरी त्वचा के लिए, ब्रोंज शेड साँवले और गेहुएं रंग के लिए और आलमंड शेड साँवले रंग के लिए उत्तम है। ये त्वचा पर बहुत लाइट होती है और इसको लगाने के बाद आपको फ़ाउंडेशन लगाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती।

लक्मे सीसी क्रीम के फायदे-Lakme CC Cream Ke Fayde

त्वचा को करे ईवन टोन

कई लोगों की त्वचा मुंह के आस पास काली होती है और आँखों के नीचे काले घेरे होते हैं। इससे चेहरे का रंग एक जैसा नहीं लगता। ऐसे में आप लक्मे सीसी क्रीम का प्रयोग कर सकते है। लक्मे सीसी क्रीम का प्रयोग करने से आपकी स्किन का रंग ईवन हो जाता है।

आँखों के नीचे काले घेरे
आँखों के नीचे काले घेरे

लाइट वेट

कई बार फ़ेस पर क्रीम लगाने की वजह से चेहरा ओयली हो जाता है और त्वचा चिपचिपी लगने लगती है। आपको ऐसा महसूस होने लगता है कि अपने फ़ेस पर कुछ लगाया है। लेकिन लक्मे सीसी क्रीम के प्रयोग से आपको ऐसी कोई समस्या नहीं होगी। ये आपके चेहरे को बिलकुल भी चिपचिपा नहीं बनाती। ये इतनी लाइट वेट है कि चेहरे पर लगाने के बाद आपको ऐसा नहीं लगेगा कि आपने चेहरे पर कुछ लगाया हुआ है।

दाग धब्बों को छुपाए

कई बार मुहांसों के कारण चेहरे पर दाग धब्बे और डार्क स्पोट्स पड़ जाते हैं जो देखने में अच्छे नहीं लगते है। इन्हे हल्के होने में भी बहुत समय लगता है। ऐसे में आप लक्मे सीसी क्रीम का प्रयोग कर सकते है। ये चेहरे पर से दाग धब्बों को छुपाने में मदद करता है। जिससे आपकी स्किन बिलकुल साफ और सुंदर लगती है। इससे आपकी त्वचा बिलकुल एक समान लगती है।

सूरज की हानिकारक किरणों से बचाए

चेहरे पर बिना सनस्क्रीन लगाए बाहर जाने से आपकी त्वचा को नुकसान पहुँच सकता है। इससे आपकी त्वचा टेन हो जाती है और चेहरे पर डार्क स्पोट्स भी आ सकते है। लक्मे सीसी क्रीम spf 30 pa++ के साथ आती है जो एक सनस्क्रीन की तरह आपके चेहरे को सूरज की हानिकारक अल्ट्रा वोइलेट किरणों से बचाती है।

त्वचा को करे मोइश्चराइज़

त्वचा में नमी की कमी के कारण त्वचा सूखी और ड्राई हो जाती है। ऐसे में लक्मे सीसी क्रीम आपकी त्वचा को नमी प्रदान करता है। जिससे आपकी त्वचा हाइड्रेट रहती है और मोइश्चराइज़ भी हो जाती है। इसलिए आपको अलग से मोइश्चराइज़र लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ती।

कोम्प्लेक्शन को करे बेहतर

लक्मे सीसी क्रीम आपकी त्वचा के कोम्प्लेक्शन को भी बेहतर बनाने में मदद करती है। ये आपकी त्वचा के रंग को एक शेड तक लाइट करने में मदद करती है। जिससे आपकी त्वचा निखरी हुई और बेहतर लगती है। इसलिए अगर आपको कहीं बाहर जाना हो तो आपको लक्मे सीसी क्रीम लगाने के बाद अलग से फ़ाउंडेशन लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ती।

चेहरे को दे चमक

लक्मे सीसी क्रीम आपके चेहरे को चमक देने में भी मदद करता है। लक्मे सीसी क्रीम लगाते ही आपका चेहरा ग्लो करने लगता है और उसमे एक चमक भी आ जाती है।

अन्य फायदे

1. ये छोटी सी ट्यूब में आती है इसलिए इसे कहीं भी ले जाना बहुत आसान होता है।
2. लक्मे सीसी क्रीम अच्छी कवरेज भी देती है।
3. आप इसे रोजाना भी इस्तेमाल कर सकते है।
4. ये स्वेटप्रूफ है। यानी पसीना आने पर भी यह आपके चेहरे से नहीं उतरेगी।
5. ये आपकी त्वचा में जल्दी अब्सॉर्ब हो जाती है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

सीसी क्रीम को लगाने से क्या होता है?

सीसी क्रीम अर्थात कलर करेक्टिंग क्रीम । यदि त्वचा के रंग में किसी प्रकार की असमानता जैसे दाग धब्बे, झाइयां आदि हैं तो यह क्रीम स्किन टोन को एक जैसा बनाने का काम करती हैं । इसके अलावा सीसी क्रीम लगाने से त्वचा कोमल और चमकदार रंगत देने लगते हैं । सीसी क्रीम के प्रयोग के पश्चात त्वचा का रंग और अधिक गोरा दिखाई देने लगता है यह क्रीम धूप से भी त्वचा को बचाती हैं। यदि आपकी स्किन अक्सर ड्राई और लाल रहती है तो सीसी क्रीम के प्रयोग से इस समस्या को खत्म किया जा सकता है।

लक्मे क्रीम कौन सी अच्छी होती है?

वैसे तो बाजार में लैक्मे की कई सारी क्रीम बाजार में उपलब्ध है परंतु चेहरे के लिए सबसे अच्छी क्रीम Lakme Absolute Perfect Radiance Brightening Day Cream है । यहां सूर्य की हानिकारक किरणों से त्वचा की रक्षा करती है और साथ ही साथ इसमें मौजूद विटामिन ई तत्व एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है तो चेहरे को नमी और पोषण देता है । चमकदार और मुलायम बनाती है और जल्दी चेहरे में अब्सोर्ब हो जाती है।

लक्मे सीसी क्रीम की रेट कितनी है?

लैक्मे सीसी क्रीम मुख्य रूप से 4 शेड्स में उपलब्ध है । 1.Beige 2.honey 3.almond 4.Bronze Beige और Bronze शेड्स दो प्रकार की पैकिंग में उपलब्ध है 30 ग्राम और 9 ग्राम। 9 ग्राम क्रीम की कीमत ₹99 और 30 ग्राम स्क्रीन की कीमत ₹335 है । Honey और Almond शेड्स की 30 ग्राम क्रीम की कीमत ₹335 हैं । अलग-अलग शॉपिंग साइट्स पर डिस्काउंट ऑफर के आधार पर कीमतों में अंतर हो सकता है।

चांदी का कड़ा पहनने के फायदे है अनेक,जानकार रह जाएंगे दंग

चांदी का कड़ा पहनने के फायदे

सोने और चाँदी के आभूषण देखने में कितने सुंदर लगते है। ये लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते है। आज कल लोगों को खासतौर पर महिलाओं को सोने और चाँदी के आभूषण जैसे अंगूठी, पायल आदि पहनने का बहुत शौक होता है। ऐसे ही लोग चाँदी का कड़ा भी पहनते है।

ये आपके चार्म को बढ़ाता है। साथ ही ज्योतिष और पुराणों के अनुसार भी चांदी का कड़ा पहनने के फायदे अनेक है। सिक्ख धर्म में भी कडा पहनना आवश्यक माना गया है।

चांदी का कड़ा पहनने के फायदे-Chandi Ka Kada Benefits In Hindi

चांदी का कड़ा पहनने की कई फायदे हैं। यह आपके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा को संचारित करता है और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।इतना ही नहीं है यह आपके मन को शांत रखने में भी मदद करता है। तो चलिए विस्तार में जानते हैं चांदी का कड़ा पहनने के फायदे।

चांदी का कड़ा बढ़ाए एकाग्र शक्ति-Chandi Pehnne Ke Fayde

चाँदी अपनी शीतलता के लिए जानी जाती है। इसीलिए चाँदी आपके मन को शांत करती है जिसके कारण आपकी एकाग्र शक्ति बढ़ती है और आप एकाग्र होकर, पूरे ध्यान से किसी भी काम को कर सकते है।

बढ़ाए एकाग्र शक्ति
बढ़ाए एकाग्र शक्ति

बीमारियों को रखे दूर चांदी का कड़ा-Chandi Ka Kada Phene Ke Fayde

आज कल नई नई तरह की बीमारियाँ सामने आ रही हैं और हम सभी इन बीमारियों से बचने की कोशिश करते रहते हैं। ऐसे में आप चाँदी का कड़ा धारण कर सकते है। चाँदी आपको बीमारियों से भी दूर रखने में मदद करती है। चाँदी का कड़ा 20 तरह की बीमारियों को आपसे दूर रखता है।

और पढ़ें: जानिए क्या हैं पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

नकारात्मक शक्तियों को रखे दूर चांदी का कड़ा-Chandi Pehnne Ke Fayde

चाँदी का कड़ा धारण करने से नकारात्मक शक्तियाँ भी आपसे दूर रहती हैं और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। चाँदी का कड़े से बच्चों और गर्भ के पल रहे भ्रूण को भी बुरी और नकारात्मक शक्तियों से बचाया जा सकता है।

silver kada for men

chandi ke kada
मूल्य देखें

चन्द्र से जुड़े दोषों को करे खत्म चांदी का कड़ा-Chandi ka kada pahne ke fayde

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चाँदी को चन्द्र का कारक माना जाता है। इसीलिए यदि आप चाँदी का कड़ा धारण करते हैं तो चन्द्र से जुड़े जितने भी दोष है वो सब खत्म हो जाएंगे।

चांदी का कड़ा करे चुम्बकीय ऊर्जा उत्पन्न-Chandi ka kada pehne ke fayde benefits in hindi

चाँदी एक धातु है। इसलिए चाँदी का कड़ा धारण करने से शरीर में चुम्बकीय ऊर्जा का संचार होता है जो नकारात्मक ऊर्जा को शरीर से बाहर निकाल कर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करती है और बढ़ाती है।

गुस्से को करें कंट्रोल चांदी का कड़ा-Chandi Pehnne Ke Fayde

आज कल तनाव के कारण कुछ लोगों को छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है जो आपके दिमाग और शरीर के लिए ठीक नहीं है। ऐसे में चाँदी का कड़ा धारण करने से आपको बहुत फायदा मिल सकता है। क्योंकि चाँदी शीतल होती है, इसलिए ये आपके दिमाग को शांत रखती है जिस कारण आपको गुस्सा कम आता है।

और पढ़ें: वात रोग क्या है? जानिए कैसे करे वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

दिल के लिए है अच्छा चांदी का कड़ा-Chandi ka kada pehne ke Fayde

चाँदी का कड़ा धारण करना आपके दिल के लिए भी बहुत लाभकारी साबित होता है। ज्यादा गुस्सा करना आपके दिल के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं होता। ऐसे में चाँदी ना केवल आपके गुस्से को कंट्रोल करने में मदद करती है, साथ ही ये आपके ब्लड प्रैशर को कंट्रोल करने में भी मदद करती है। इसके कारण आपका दिल स्वस्थ रहता है।

विषरोधी है चांदी का कड़ा-Silver Bracelet Benefits In Hindi

चाँदी के अंदर विषरोधी गुण पाये जाते हैं। इसलिए चाँदी का कड़ा धारण करने से शरीर में मौजूद विष बाहर निकल जाते हैं। इसके कारण आपकी सुंदरता बढ़ती है और आप स्वस्थ रहते हैं।

मन को करे मजबूत चांदी का कड़ा-Chandi ka kada pehne ke fayde benefits in hindi

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चाँदी चन्द्र के साथ साथ शुक्र का कारक भी मानी जाती है। इसलिए चाँदी का कड़ा धारण करने से शुक्र ग्रह शांत रहता है। शुक्र ग्रह के शांत रहने से आपका मन मजबूत होता है और आप प्रसन्नचित रहते है।

chandi ka kada
मूल्य देखें

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

चांदी का कड़ा पहनने से क्या होता है?

चांदी शिवजी के नेत्र से उत्पन्न हुई है अतः चांदी का कड़ा पहनने का अपना महत्व है। ज्योतिषियों के अनुसार चांदी का कड़ा पहनने से चंद्र और शुक्र ग्रह से जुड़े दोष समाप्त और यह ग्रह मजबूत होते हैं जिससे जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है साथ ही मन की एकाग्रता भी बढ़ती है । चांदी शरीर के जल तत्व और कफ को नियंत्रित करती । कड़ा हाथ में धारण करने से कई प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं। ऐसा माना जाता है कि चांदी का कड़ा धारण करने वाले व्यक्ति पर लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहती है।

कड़ा कौन से हाथ में पहनना चाहिए?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चांदी का कड़ा पहनने से चंद्रमा संबंधी दोष दूर होते हैं। चांदी का कड़ा शुक्रवार को बनाना चाहिए और सोमवार के दिन इसे शिव मंदिर में शिवजी के समक्ष रखकर ओम नमः शिवाय का जाप कर अभिजीत मुहूर्त में दाएं हाथ में धारण करना चाहिए इससे मन एकाग्र चित्त रहता है तथा वैभव की प्राप्ति होती है।

चांदी का कड़ा काला क्यों पड़ जाता है?

चांदी के कड़े को लगातार पहनने से वह काला पड़ जाता है । चांदी वायु में उपस्थित हाइड्रोजन सल्फाइड के साथ रासायनिक क्रिया करती है , जब कोई व्यक्ति चांदी का कड़ा लगातार पहनता है तो चांदी पसीने के संपर्क में आती है शुद्ध पसीना हाइड्रोजन सल्फाइड का एक रूप है जिसके कारण चांदी का रंग काला पड़ जाता है।

पुरुषों को हाथ में क्यों पहनना चाहिए कड़ा?

अधिकांश धर्मों में कड़ा पहनना शुभ माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुरुषो को अपनी कुंडली में कमजोर ग्रहों को बलवान करने के लिए कड़ा धारण करना चाहिए। चंद्रमा ग्रह को बलवान करने के लिए चांदी का कड़ा धारण करना चाहिए यह मन को एकाग्र चित्त बनाता है और जीवन में समृद्धि लाता है । यदि कोई पुरुष बार-बार बीमार पड़ता है तो उसे अष्टधातु का कड़ा पहनना चाहिए । इसके अलावा मंगल ग्रह दोष से पीड़ित व्यक्ति को तांबे का कड़ा धारण करना चाहिए । पुरुषों को कड़ा सही विधि और नियमों का पालन करके ही धारण करना चाहिए तभी लाभ प्राप्त होता है ।

Sale
DARSHRAJ 925 Sterling Silver Evil Eye Baby Nazariya Bracelet for New Born Baby Boys and Girls
  • Made from high-quality 925 sterling silver, ensuring durability and long-lasting shine.
  • Designed with a Nazariya charm, believed to protect newborns from negative energy and bring good luck.
  • 925 Sterling Silver evil eye nazariya Bracelet for Newborn baby Bracelet & Anklet.
  • Specifically crafted for both baby girls and boys.
  • The baby silver nazariya Bracelet for girls & boys, a symbol of protection and blessings, For your baby .

Last update on 2024-10-17 / Affiliate links / Images from Amazon Product Advertising API

error: Content is protected !!