बाल बढ़ाने के तरीके-आसान और घरेलू भी

बालों को घना करने के उपाय

Baal Badhane ke Gharelu Nuskhe In Hindi

महिलाओं को अपने बालों के प्रति बहुत लगाव होता है। हर लड़की की चाहत होती है कि उसके लंबे और घने बाल हों। लंबे और घने बाल देखने में बहुत अच्छे लगते हैं। लंबे बालों से ना सिर्फ आप खूबसूरत लगते है बल्कि खूबसूरत महसूस भी करते है। ये आपके आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं। लंबे बाल आपकी खूबसूरती को चार चांद लगा देते हैं। ये आपकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। आजकल की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में कई लड़कियों के लिए लंबे बाल सिर्फ एक ख्वाहिश ही बनकर रह जाते है। लेकिन कुछ आसान सी टिप्स को फॉलो करके आप भी लंबे और घने बाल पा सकते हैं। आज इस लेख में हम जानेंगे बाल बढ़ाने के तरीके जो है बेहद आसान।

Baal Badhane Ka Tarika Hindi Me

  • लंबे बालों के लिए खान पान
  • हाइड्रेशन
  • लंबे बालों के लिए तेल मालिश
  • स्ट्रेस
  • लंबे बालों के लिए शैंपू
  • लंबे बालों के लिए तौलिया
  • लंबे बालों के लिए कंडीशनिंग
  • ट्रिमिंग
  • हेयर ड्रायर
  • लंबे बालों के लिए कंघी
  • हेयर स्टाइल
  • लंबे बालों के लिए हेयर मास्क

लंबे बालों के लिए खान पान

लंबे बाल पाने के लिए खान पान का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। बालों को बढ़ने के लिए कई जरूरी न्यूट्रिएंट्स की जरूरत पड़ती है जो उन्हें खाने से ही मिलते है। बालों को लंबा करने के लिए आपको अपने खाने में पालक, संतरा, आंवला, गाजर मूली, सेब, केला आदि जैसी हैल्थी चीजों को शामिल करना चाहिए।

हैल्थी चीजों को अपनी डायट में शामिल करने से आपके बाल लंबे तो होंगे ही साथ में उनमें चमक भी आएगी और वह धीरे-धीरे झड़ना भी बंद कर देंगे। इसके अलावा आप अनहैल्थी फूड का और मिर्च मसाले वाले खाने का प्रयोग भी कम करें तो बेहतर रहेगा।

बालों को बढ़ाने के लिए सही आहार

क्या खाएं

सूखे मेवे, जैसे अखरोट, काजू, किशमिश, बादाम आदि।
हरी सब्ज़ियां जैसे पालक, मेथी, गाजर, बीन्सआदि।
मौसमी फल, जैसे अनार, बेरी,सेब, संतरा, एवोकाडो, केला, शकरकंद आदि।
अगर आप मांसाहारी हैं तो अंडे और मछली का सेवन भी कर सकते है।

काले, घने और लंबे बालों के लिए प्रोटीन, विटामिन-ए, बी, सी और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। ऊपर बताई गई चीज़ों में ये सभी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

क्या न खाएं

काले, घने और लंबे बाल चाहने वाले व्यक्ति को नीचे लिखी चीज़ों से परहेज करना चाहिए।
ज़्यादा मीठा न खाएं|
शराब का सेवन न करें।
ज़्यादा तेल वाला खाना या बाहर का खाना ना खाएं।
स्मोकिंग ना करे

हाइड्रेशन

जैसे शरीर को पानी की बहुत जरूरत होती है वैसे ही बालों को भी पानी की जरूरत पड़ती है। भरपूर मात्रा में पानी पीने से बालों की ग्रोथ भी अच्छी होती है और बाल लंबे होते हैं। इसलिए लंबे बाल पाने के लिए आपको दिन में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।

लंबे बालों के लिए तेल मालिश

लंबे बालों के लिए तेल मालिश
लंबे बालों के लिए तेल मालिश

तेल बालों के लिए बहुत जरूरी है। ये बालों को पोषण देते है जिससे बाल जल्दी बढ़ते है। आप नियमित रूप से बालों में तेल लगाएं। बाल धोने से 1 दिन पहले अपने बालों में तेल जरूर लगाना चाहिए।

आप नारियल या फिर जैतून का तेल को हल्का गर्म करके बालों में लगा सकते है। इसे हल्के हाथों से सर्कुलर मोशन में स्कैल्प पर लगाना चाहिए। इस तरह से तेल लगाने से ब्लड सरकुलेशन बढ़ता है जिसकी वजह से बालों की अच्छे से ग्रोथ होती है। इससे आपका दिमाग भी शांत रहता है।

स्ट्रेस

आजकल के दौर में लोगों का जीवन बहुत ही स्ट्रेस से भरा हुआ हो गया है। स्ट्रेस ना सिर्फ आपके लिए बल्कि आपके बालों के लिए भी अच्छा नहीं होता। इसलिए पूरी कोशिश करें कि आप कम से कम स्ट्रैस ले। स्ट्रैस से बालों पर बुरा असर पड़ता है और बाल ज्यादा झड़ते हैं।

आप स्ट्रेस को दूर करने के लिए कई तरह के योगा भी कर सकते हैं। आप मेडिटेशन और प्राणायाम भी कर सकते हैं। आपको जब भी स्ट्रैस महसूस हो तो आप अपने फ्रेंड से या फैमिली मेंबर से मिलने के लिए जा सकती है और आप किसी पार्क में घूमने के लिए जा सकते है। यह आपके स्ट्रैस लेवल को कम करने में मदद करेगा और आपके बाल भी अच्छे से ग्रो करेंगे।

लंबे बालों के लिए शैंपू

नियमित रूप से शैंपू करना बालों के बहुत जरूरी है। लंबे समय तक बाल ना धोने से आपके बाल चिपचिपे हो जाते हैं और बहुत ही खराब लगते हैं। इसलिए आपको हफ्ते में कम से कम 2 बार बालो में शैंपू का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।

बाज़ार में कई तरह के शैंपू उपलब्ध हैं। शैंपू चुनने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आपके बाल किस तरह के है। बाज़ार में बालो के हिसाब से शैंपू उपलब्ध है। आप अपने बालों के हिसाब से ही शैंपू को खरीदे। हमेशा pH स्केल बलेंस शैंपू का ही प्रयोग करे। ये शैंपू आपके बालो को नुक़सान नहीं पहुंचाते।

शैंपू खरीदते वक्त ध्यान रखे कि शैंपू के अंदर कोई भी पैराबेन या फ्रेगरेंस या सल्फेट नहीं होना चाहिए। याद रखें आपके शैंपू जितने कम केमिकल इनग्रेडिएंट्स होंगे उतना ही अच्छा होगा क्योंकि पैराबेन, फ्रेगरेंस और सल्फेट वाले शैंपू आपके बालो के लिए बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक होते हैं। इसलिए कोशिश करें कि बालों को धोने के लिए नेचुरल शैंपू का ही प्रयोग करे।

Baal Lambe Karne Ke Gharelu Nuskhe Hindi Me

लंबे बालों के लिए तौलिया

अपने बालों को सुखाने के लिए हमेशा माइक्रोफाइबर तौलिए का ही प्रयोग करे। ऐसा अक्सर होता है कि गीले बाल तौलिए के रेशों में अड़ जाते हैं और टूटने लगते हैं। ऐसे मे माइक्रोफाइबर तौलिए का प्रयोग करना ही ठीक रहता है। यह आपके बालों की ब्रेकेज और स्प्लिट एंडस को भी कम करता है। बालों को धोने के बाद उन्हें कभी भी तौलिए से झटक कर ना सुखाए क्योंकि धोने बाद आपके बाल कमजोर होते जाते हैं और झटकने की वजह से वो टूट भी सकते हैं।

लंबे बालों के लिए कंडीशनिंग

कंडीशनर बालों के लिए बहुत जरूरी होता है। अक्सर शैंपू करने की वजह से बालों का नेचरल ऑयल खत्म होने लगता है। ऐसे में कंडीशनर ना सिर्फ बालों के नेचरल ऑयल को बनाए रखता है और उन्हें बालों में लॉक करने में भी मदद करता है। बालों में नेचुरल ऑयल बने रहने से बालों में ज्यादा ग्रोथ होती है। इसलिए शैंपू करने के ठीक बाद बालो में कंडीशनर लगाना चाहिए। कंडीशनर को बालो के एंड पर लगाना चाहिए। इससे दो मुहें बालो की समस्या भी कम होती है।

ट्रिमिंग

बालों की ग्रोथ में सबसे ज्यादा रुकावट डालते हैं – दो मुहे बाल यानी स्प्लिट एंड्स। लंबे बालों में दो मुंहे बालों की समस्या अक्सर हो जाती है। यह दो मुहे बाल जड़ों तक पहुंच जाते हैं और बालों की ग्रोथ में रुकावट बनते हैं और बालो। को कमजोर बनाते है। इसलिए आप हर 1 से 2 महीने में एक बार अपने बालों कि ट्रीमिंग जरूर करें। इससे आपके बालों की ग्रोथ होती रहेगी और वो जल्द ही लंबे हो जाएंगे।

हेयर ड्रायर

हेयर स्प्रे, हेयर ड्रायर, इलेक्ट्रॉनिक रोलर आदि का प्रयोग रोजाना ना करे। हेयर स्प्रे के अंदर केमिकल्स होते हैं जो आपके बालों को बहुत नुक़सान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा हेयर ड्रायर का ज्यादा प्रयोग करने से भी आपके बाल खराब हो सकते हैं। हेयर ड्रायर आपके बालो को कमजोर कर देता है। इसीलिए इनका प्रयोग सिर्फ किसी फंक्शन या पार्टी में जाते समय ही करें।

Balo Ko Lamba Karne Ke Upay

लंबे बालों के लिए कंघी

बालों में प्रयोग की जाने वाली कंघी को हमेशा साफ-सुथरा रखें। ध्यान रहे कंघी टूटी हुई या टेढ़े मेढ़े दांतो वाली ना हो। नहीं तो आपके बाल कंघी के दातों में अड़ सकते हैं और टूट सकते हैं। सोने से पहले अपने बालों में 25 से 30 बार कंघी जरूर करें। इससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है। गीले बालों में कभी भी कंघी ना करें क्योंकि गीले बाल बहुत लचीले होते हैं और कंघी करने से वह टूट सकते हैं।

हेयर स्टाइल

अपने हेयर स्टाइल को समय-समय पर बदलते रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि एक ही जगह पर बाल बंधे रहने से बाल कमजोर हो सकते हैं इसीलिए समय-समय पर अपने हेयर स्टाइल को बदल दिया करे और अगर आप पोनी टेल बनाती है तो उसके स्पॉट की चेंज किया करे। इससे आपके बाल कमजोर नहीं होंगे और अच्छे से ग्रो करेंगे।

लंबे बालों के लिए हेयर मास्क

हेयर मास्क बालों को स्मूथ बनाने में मदद करता है। इससे आपके बालों को पोषण मिलता है और वो लंबे भी हो जाते है। इसलिए आप महीने में दो से तीन बार हेयर मास्क अपने बालों में जरूर लगाएं। इसे कुछ देर तक बालो में लगा रहने दें और थोड़ी देर बाद पानी से अपने बालों को धो दें। बाज़ार में कई तरह के हेयर मास्क उपलब्ध हैं। आप उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप उनका इस्तेमाल नहीं करना चाहती हैं तो आप हेयर मास्क को घर में भी आसानी से बना सकती हैं।

पिंपल्स और एक्ने से बचने के लिए लें बैलेंस डाइट

pimple ke daag ka ilaj

Pimple Hatane Ke Gharelu Nuskhe in Hindi

हमारी डाइट का हमारी त्वचा पर बहुत असर पड़ता है। सही डाइट हमारी त्वचा को साफ और सुंदर रखने मे मदद करती है। सही डाइट ना लेने से त्वचा से जुड़ी कई समस्याएँ हो सकती है जिसमे से एक एक्ने की समस्या भी है। जब हमारी त्वचा मे तेल का उत्पादन बढ़ जाता है और चेहरे पर मृत कोशिकाओं की परत जम जाती है, तो ये एक्ने को जन्म देती है। एक्ने की समस्या हॉरमोन चक्र मे बदलाव होने की वजह से भी होती है। एक्ने की समस्या से निजात पाने के लिए ये जरूरी है कि आप आपके खान पान का ध्यान रखें। आइये देखें कि एक्ने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए।

क्या खाएं | Diet For Acne Free Skin

  • खाएं एंटी ओक्सीडेंट से भरपूर डाइट
  • ओमेगा 3 करे एक्ने की समस्या को दूर
  • ज़िंक करेगा मदद
  • करें योगर्ट का सेवन

खाएं एंटी ओक्सीडेंट से भरपूर डाइट

एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर खाना आपको एक्ने से जुड़ी समस्या से निजाद दिलाने मे बहुत मदद करता है। शरीर मे एंटी ऑक्सीडेंट की कम मात्रा तनाव का कारण होती है। जो एक्ने की समस्या को जन्म देती है। इसीलिए शरीर मे भरपूर मात्रा मे एंटी ऑक्सीडेंट तत्वों का होना बहुत जरूरी है। एंटी ऑक्सीडेंट गुण डार्क चॉक्लेट, बेरी (स्ट्राबेरी, ब्लूबेरी, मलबेरी आदि), राजमा, किशमिश, ग्रीन टी, ब्रोकोली, टमाटर आदि मे पाये जाते है।

ओमेगा 3 करे एक्ने की समस्या को दूर

ओमेगा 3 प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों मे पाया जाता है। ओमेगा 3 मे एंटी इन्फ़्लमटेरी गुण पाये जाते है जो एक्ने की समस्या को दूर करने मे मददगार सिद्ध होते हैं। ओमेगा 3 की प्रचुरता मछली, अलसी के बीज, अखरोट, सोयाबीन, मीट आदि मे पाई जाती है।

ज़िंक करेगा मदद

एक रिसर्च के अनुसार शरीर मे ज़िंक की कम मात्रा त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं को जन्म देती है जिनमे से एक एक्ने भी है। इसलिए एक्ने को कम करने के लिए आपकी डाइट मे ज़िंक युक्त भोजन का शामिल होना बहुत जरूरी है। मशरूम,पालक, चिकन, तिल, कद्दू के बीज, काजू, कोको पाउडर आदि मे ज़िंक प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है।

करें योगर्ट का सेवन

योगर्ट एक्ने को दूर करने मे बहुत लाभकारी होता है। योगर्ट मे कई सारे ऐसे बैक्टीरिया पाये जाते है जो एक्ने के बैक्टीरिया को खत्म कर देते है और त्वचा को साफ करते हैं। साथ ही ये त्वचा को हाइड्रेट भी रखता है।

क्या ना खाएं | Pimple Hatane Ke Tarike Hindi Me

  • दूध को कहें ना
  • आयोडिन का सेवन करें कम
  • तली – भुनी चीजों का ना करें सेवन
  • ना खाएं हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड

दूध को कहें ना

दूध एक्ने की समस्या को बढ़ाता है। गाय के दूध मे कुछ ऐसे हॉर्मोन्स पाये जाते है जो हमारी त्वचा पर बुरा प्रभाव डालते है और एक्ने की समस्या को बढ़ावा देते है। इसलिए एक्ने की समस्या को रोकने के लिए जरूरी है की या तो आप दूध का सेवन कम कर दे या फिर इसका सेवन ना करें। आप दूध की जगह सोया मिल्क, आलमंड मिल्क, कोकोनट मिल्क आदि का सेवन भी कर सकते है।

आयोडिन का सेवन करें कम

आयोडिन का सीधा संबंध एक्ने की समस्या से है। आयोडीन की ज्यादा मात्रा एक्ने की समस्या को जन्म देती है। आयोडीन का प्रमुख स्त्रोत नमक है। इसीलिए नमक का सेवन कम करें।

तली – भुनी चीजों का ना करें सेवन

तली और भूनी हुए चीज़ों का सेवन बिलकुल ना करें। तली और भुनी चीजों मे तेल की मात्रा अधिक होती है। ये तेल त्वचा के रॉमछिद्रों को बंद कर देता है जिससे एक्ने की समस्या हो जाती है।

ना खाएं हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड

हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड शुगर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में होता है। ये खून में शुगर की मात्रा को बढ़ा देते है। खून में ज्यादा मात्रा में शुगर होने से शरीर में तेल का उत्पादन का बढ़ जाता है जिससे एक्ने की समस्या हो जाती है। सफेद ब्रेड, आलू के चिप्स, कुकीज़ आदि का ग्लाइसेमिक इंडेक्स हाई होता है। इसलिए इनका सेवन कम करना चाहिए।

जानिए क्या है बी पी लो होने का कारण-BP Low Hone Ke Karan

BP Low Hone Ke Karan

बी पी या ब्लड प्रेशर क्या होता है

हमारे शरीर मे बहने वाला रक्त, रक्त वाहिनियों पर दबाव डालता है। यह दबाव कितना होगा यह व्यक्ति की शारिरिक स्थिति जैसे कोई बीमारी, मोटापा, उम्र और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।

यह  दबाव सामान्य से कम या अधिक हो जाता तब उसे लो बी पी या हाई बी पी कहा जाता है।

सामान्य बी पी दर क्या होती है-BP Kitna Hona Chahiye

उम्र के अनुसार बी पी की दर

15 से 18 साल                     पुरुष – 117-77mmHg                महिला- 120-85mmHg
19 से 24 साल                     पुरुष ,महिला -120-79mmHg
25 से 29 साल                     पुरुष, महिला- 120-80mmHG
30 से 39 साल                     पुरुष-122-81mmHg                 महिला- 123-82mmHg
40 से 45 साल                     पुरुष-124-83mmHg                 महिला-125-83mmHg
46 से 49 साल                     पुरुष 126-84mmHg                 महिला 127-84mmHg
50 से 55                            पुरुष- 128-85mmHg                महिला 129-85mmHg
60 साल से अधिक                पुरुष- 131-87mmHg               महिला- 130-86mmHg

बी पी लो क्या होता है।

लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप को हाइपोटेंशन भी कहा जाता है. जब किसी भी इंसान का ब्लड प्रेशर 90/60 से नीचे चला जाता है, तो इस अवस्था को लो बीपी या हाइपोटेंशन कहते है।

ब्लड प्रेशर कम होना मतलब रक्त के साथ ऑक्सीजन का बहाव कम होना। ऑक्सीजन ही हमारी जीवनदायिनी शक्ति है। अब आप सोच सकते है यदि जीवनदायिनी शक्ति ही मुख्य अंगों तक सही से ना पहुचे तो स्थिति कितनी खतरनाक है।

बी पी लो होने के कारण-BP Low Hone Ke Karan

डीहाइड्रेशन

डीहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी, शरीर मे पानी की कमी कई कारणों से हो सकती है, जैसे उल्टी, डायरिया, हैवी वर्कआउट, तेज धूप या गर्मी में लंबा समय बिताना,लू लगना आदि।

इन सब कारणों से शरीर मे पानी हो जाती है, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।

डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन

ज्यादा खून बहना

ज्यादा खून बहने से भी रक्तचाप कम हो सकता है। अचानक कोई बड़ी दुर्घटना, डिलीवरी के दौरान तीव्र रक्तस्राव, या किसी अन्य आपरेशन के दौरान रक्त का बहाव हो सकता है।

दिल से सम्बंधित बीमारियां

ऐसे लोग जिनका दिल कमजोर होता है, वो लो बी पी के ज्यादा शिकार होते है। क्योंकि दिल की कमजोर मांसपेशियों से दिल की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और दिल कम मात्रा में खून को पंप कर पाता है। इससे आप समझ सकते है कि यदि हार्ट प्रॉब्लम के साथ लो बी पी की समस्या भी हो तो, हार्ट अटैक और दिल में इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। हार्ट आर्टरीज के ब्लॉक होने, पर भी लो बी पी होता है।

गंभीर इन्फेक्शन

किसी भी प्रकार का गंभीर इन्फेक्शन लो बी पी होने का बहुत बड़ा कारण है। इसका कारण होता है, इन्फेक्शन का खून में प्रवेश कर जाना।

पोषक तत्वों की कमी

आयरन, विटामिन बी-12 , और कुछ अन्य पोषक तत्वों की कमी से शरीर मे रेड ब्लड सेल्स में कमी आ सकती है।जिससे रक्तचाप कम हो जाता है।

एन्डोक्राइन ग्रंथि से जुड़ी समस्या

एन्डोक्राइन ग्रंथि से हार्मोन के कम स्राव के कारण थाइरॉएड, डायबिटीज या इस तरह की अन्य कई बीमारियां होती हैं। उपचार में लापरवाही करने से कई बार रक्तचाप औसत से कम हो जाता है।

लो बी पी को ठीक करने के घरेलू उपाय

  • रात को 7 से 8 किशमिश भिगो दें। खाली पेट सुबह चबा चबा कर खाएं।
  • देसी चने रात को भिगो दें सुबह चबा चबा कर खाए, यदि आपको गैस की दिक्कत है तो मात्र कम रखे, और एक दिन का गैप रखे।
  • कुछ सूप आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है, जैसे गाजर, टमाटर, पालक, चुकंदर का सूप। सूप में भुना जीरा और काला नमक डालें।
  • छाछ में नमक, भुना हुआ जीरा और हींग मिलाकर सेवन करें।
  • सुबह आंवले के मुरब्बे का सेवन करें।
  • इंस्टेंट रिलीफ के लिए कॉफी का सेवन करें।
  • रात को गुनगुने दूध के साथ खजूर का सेवन करें।
  • अदरक के छोटे-छोटे करके, उनमें नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर रख दें। अब इसे प्रतिदिन भोजन से पहले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाते रहें। दिनभर में 3 से 4 बार भी इसका सेवन आप कर सकते हैं।
  • समय से खाएं खाना
  • तुलसी का सेवन करें
  • बादाम और बादाम के दूध का सेवन करें

बी पी के लिए लाभदायक मुद्रा

इस मुद्रा को आप कभी भी प्रयोग कर सकते है। इसके लिए दोनों हाथों की तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा उंगलियों से मुट्ठी बनाएं और दोनों हाथों के अंगूठों के अग्रभाग को आपस में मिलाएं। हथेलियों की दिशा नीचे की ओर रहे। रोजाना धीमी-लंबी-गहरी सांस के साथ 15 से 45 मिनट तक करें।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

सभी स्त्रियों  की कामना होती है एक सुडौल और आकर्षक स्वस्थ शरीर की जो विवाह और मातृत्व के बाद कहीँ खो सा जाता है। यूँ तो मातृत्व  भी एक अहम  दायित्व है पर इसे निभाने में अपने शरीर के प्रति सबसे ज़्यादा कोई कोताही बरतता है तो वो हैं हम स्त्रियाँ। जब ये चूक आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तो परिणाम शरीर पर जमा चर्बी के रूप में पाते हैं, यदि ये समस्या बहुत बढ़ जाये तो कमर के निचले हिस्से और पैरों को प्रभावित करती है। नतीजा…बढ़ा हुआ वज़न, पैरों में सूजन

कारण

आखिर चूक कहाँ हो जाती है हमसे? अक्सर पति और बच्चों के प्लेट में छोड़े हुए नाश्ते और भोजन को निपटा देने के बाद हम सभी अपने दैनिक कार्यों पर लग जाते हैं। कभी कभी तो हाल यह भो होता है गृहकार्य निपटाने में ,गृहणियाँ अपने नाश्ते और भोजन की अनदेखी कर जाती हैं।

फिर इकट्ठा पेट भर कर भोजन या विश्राम ,यदि कामकाजी है तो फिर दिन कुर्सी पर बैठे ही बीत जाता है। यही कुछ छोटी छोटी बातें हैं,जिन्हें हम नज़रंदाज़ करते जाते हैं और बाद में यही बातें हमारे शरीर पर जमी वसा के रूप में दिखाई पड़ती हैं।

यदि हम  किसी स्वस्थ व्यक्ति की दिनचर्या पर ध्यान दें तो पायेंगे कि इसका राज़ उनकी दिनचर्या में ही छुपा है।

पुरानी कहावत है “नाश्ता राजा की तरह ,दोपहर का भोजन राजकुमार और रात का खाना भिखारी ” की तरह ग्रहण करना चाहिये।
नाश्ता  रेशेदार फ़लों मेवों और  पौष्टिक  चीजों का होना चाहिये। वहीँ दोपहर का भोजन बेहद सन्तुलित होना चाहिये। रात का भोजन बेहद सादा ही उचित होता है।

क्योंकि सुबह हमारी जठराग्नि (पाचनशक्ति) प्रबल होती है,जो दिन बीतने के साथ मन्दी पड़ती जाती है। रात को शरीर दिन भर की टूट फूट की मरम्मत करता है  यदि रात के समय देर रात्रि भोजन किया जाता है तो यह मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को धीमा करता है और मोटापे को बढ़ा देता है।

यही है पहली गलती जो कि हम स्त्रियाँ अक्सर कर डालते हैं,यानि कि अपने नाश्ते को छोड़ देना। नाश्ते में अगर खाते भी हैं तो तला भुना,या मैदायुक्त आहार ।

जिसमें आलू ,या फिर स्टार्च बहुल पदार्थों की अधिकता होती है स्वास्थ्य वर्द्धक पदार्थों या फलों का प्रयोग बहुत कम ही किया जाता है।
दोपहर और रात का भोजन भी देर रात तक  ही खाने के कारण शरीर का उपापचय बेहद धीमा पड़ जाता है  ऊपर से ज़रूरत से ज़्यादा  आरामदायक जीवनशैली करेले पर नीम चढ़ाने का काम करती है।

अब सवाल ये उठता है कि इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं , तो प्रस्तुत हैं कुछ आसान उपाय जिन्हें घरेलू महिलाएं भी  उतनी ही आसानी से कर सकती हैं।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।

गर्म पानी

  • पानी का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये और फ्रिज़ के बजाय मटके का पानी पीना चाहिये ।
  • भोजन करने के आधे घण्टे बाद पानी पीना चाहिए,और पेट पहले सलाद और कच्ची सब्ज़ियों से भरना चाहिये और भूख से 1 रोटी कम सेवन करना चाहिए।
  • दिन की शुरुआत गर्म पानी से करनी चाहिये, ग्रीन टी और पुदीना की चाय दिन में पीनी चाहिये और चीनी के स्थान पर शहद या गुड़ का प्रयोग करना लाभदायक रहता है।

सलाद

सलाद को खाने से पहले खाना चाहिए और सलाद में भी C से शुरू होने वाली सब्जियों का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये,जैसे Cabbage, Carrot, Capsicum, Cucumber, Coriander (बन्दगोभी,गाज़र,शिमला मिर्च,खीरा और हरी धनिया)

इसके अतिरिक्त धनिया और पुदीने का प्रयोग भी करना चाहिये चटनी के रूप में स्वाद और स्वास्थ्य दोनों ही प्राप्त हो जाते हैं।

रेशेदार सब्ज़ियों

शकरकन्द भी रेशेदार सब्ज़ियों का अच्छा विकल्प है इसे खाने से पेट लम्बे समय तक भरा महसूस होता है।

पपीता एवँ अनन्नास  वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं को इससे बचना चाहिए।

मट्ठे का प्रयोग

मक्खन निकले हुए मट्ठे का प्रयोग करना चाहिये 1 कप दही में 4 से छह कप पानी मिलाने से यह लाभदायक हो जाता है।

ब्रिस्क वॉक

ब्रिस्क वॉक करना चाहिये यानि कि तेज़ टहलना इतना तेज कि पसीना आने लगे ,यह चर्बी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ और डेयरी प्रोडक्ट से बचना चाहिये उनके स्थान पर पॉपकॉर्न और भुने हुए चने और मुरमुरे का प्रयोग करना चाहिए।

दालचीनी

दालचीनी का पाउडर रात को एक गिलास पानी मे भिगोकर उसे सुबह गर्म करके सिप करके पीना चाहिये।

दालचीनी
दालचीनी

अजवायन

अजवायन का पानी भी कमर और हिप्स की चर्बी को पिघलाने में  लाभदायक सिध्द होता है।

अदरक

एक ज़ार में एक अदरक का टुकड़ा,1 छील कर पतले टुकड़े में काटा हुआ खीरा ,1 नींबू के टुकड़ें और  पुदीने की 10 से 12 पत्तियों को पानी मिलाकर रात भर रखें और सुबह सेंधा नमक डालकर पियें।

आसन

  • घर मे अनुलोम विलोम,बालासन,सेतुबन्ध व कपालभाति के साथ कुर्सी पर बैठने जैसे आसन की मुद्रा और पश्चिमोत्तासन का प्रयोग करना चाहिए।
  • सम्भव हो लिफ़्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करना चाहिये,खाना देर रात खाने से बचना चाहिये और खाने के बाद तुरंत ही सोने नहीं जाना चाहिये।

बीजों का सेवन

बीजों का सेवन जैसे 1-1 कटोरी  सभी मसालदानी मे उपलब्ध बीज जैसे धनिया,अजवायन ,मेंथी, जीरा, सौंफ़, कलौंजी और आधा कटोरी अलसी के बीजों को हल्का भून कर पीस लें और इस पाऊडर को सुबह शाम गर्म पानी से खाएँ।

हल्की फुल्की भूख

जब हल्की फुल्की भूख हो तो सूप, फलों और बीन्स को प्रयोग करना चाहिये। तरबूज और ककड़ी भी बेहतर विकल्प होते हैं। तरल पदार्थों जैसे मठा,दही ,मलाई निकला हुआ दूध और सूप का प्रयोग बढ़ा कर कोल्डड्रिंक बन्द कर देना चाहिए ।

सबसे अच्छा फेस वॉश कौन सा है-Sabse Accha Face Wash Kaun Sa Hai

सबसे अच्छा फेस वॉश

एक समय था जब चेहरे की सफाई के लिए घरेलू नुस्खों जैसे दही, कच्चा दूध या बेसन का इस्तेमाल किया जाता था। अब न तो किसी के पास इतना समय है ना ही धैर्य। इसलिए आजकल फेसवाश ट्रेंड में है। लोग चाहते है कि उन्हें सबसे अच्छा फेस वॉश मिले, तो हम आज आपकी अच्छा फेसवाश चुनने में मदद करेंगे।

सबसे अच्छा फेस वॉश कौन सा है इसके लिए आपको कुछ विकल्प इस आर्टिकल में मिलेंगे। इससे आप अपनी सहूलियत के हिसाब से फेसवाश चुन सकेंगे।

सबसे अच्छा फेस वॉश कौन सा है-Sabse Accha Face Wash Kaun Sa Hai

हिमालया हर्बल प्यूरीफाइंग नीम फेसवाश

हिमालया फेस वाश को नीम और हल्दी के गुणों से युक्त बनाया गया है। नीम और हल्दी की एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, प्रॉपर्टीज पिम्पल्स को दूर करने के अलावा चेहरे की इम्प्यूरिटीज़ को भी दूर करता है।

हिमालया हर्बल प्यूरीफाइंग नीम फेसवाश
हिमालया हर्बल प्यूरीफाइंग नीम फेसवाश

इसे महिला व पुरुष दोनों इस्तेमाल कर सकते है। यह त्वचा को साफ व चमकदार बनाता है। प्रदूषण से चेहरे को होने वाले नुकसान से बचाता है।

हिमालय फेसवाश की रेटिंग सभी ऑनलाइन साइट्स पर काफी अच्छी है। इसलिए आप इसे एक बार जरूर इस्तेमाल कर सकते है।

वाओ फोमिंग फेस वाश

आपने सुना होगा “एन एप्पल ए डे कीप द डॉक्टर अवे” तो वाओ फोमिंग फेसवाश में इस्तेमाल किया गया है एप्पल यानी सेब का। इसमें होते है विटामिन बी-5 ओर विटामिन ई जिससे चेहरे पर निखार आने के साथ साथ यह एंटीएजिंग का काम भी करता है।इसकी खास बात ये है कि इसके साथ एक सिलिकॉन ब्रश भी आता है।

वाओ फोमिंग फेस वाश
वाओ फोमिंग फेस वाश

इसे हल्के हाथ से फेस मसाज करें, यदि आपको पिम्पल है तो ब्रश को पिम्पल पर ना रगड़े। सोशल साइट्स पर इसकी रेटिंग काफी अच्छी है, इसलिए एक बार तो ट्राय करना बनता है।

गार्नियर फेस वॉश

गार्नियर फेस वॉश महिला और पुरुष के लिए अलग अलग अलग आता है। हम आपको दोनों के बारे में बताएंगे।

गार्नियर मेन फेस वॉश

पुरुषों की त्वचा महिलाओं की अपेक्षा कठोर होती है। साथ ही बाहर के प्रदूषण से सामना ज्यादा होता है। इसलिए गार्नियर ने उनको ध्यान में रखकर बनाया है ये फेसवॉश।

गार्नियर मेन फेस वॉश
गार्नियर मेन फेस वॉश

इसे रात को सोने से पहले जरूर इस्तेमाल करे। ये चेहरे से प्रदूषण की परत को अच्छे से साफ करता है।

गार्नियर लाइट कम्प्लीट फेसवाश

गार्नियर ने ये फेसवाश महिलाओं की त्वचा को ध्यान में रखकर बनाया है। ये विटामिन सी से भरपूर हैं क्योंकि इसमें निम्बू रस का इस्तेमाल किया गया है। निम्बू त्वचा के ब्लीचिंग एजेंट की तरह काम है।

गार्नियर लाइट कम्प्लीट फेसवाश
गार्नियर लाइट कम्प्लीट फेसवाश

इसलिए ये फेसवाश आपके प्रदूषण के कारण हुए चेहरे का कालापन दूर करता है।

टैनिंग और मुरझाई हुई त्वचा के लिए ये बहुत ही कारगर है।

पॉंन्डस पियोर व्हाइट फेसवाश

जैसा कि इसके नाम से आपको समझ आ रहा होगा, इस फेसवाश को गोरा करने वाले फेसवाश के तौर पर प्रोमोट किया जाता है। गोरा और काला होना पूरी तरह आपके जीन्स पर निर्भर है।

पॉंन्डस पियोर व्हाइट फेसवाश
पॉंन्डस पियोर व्हाइट फेसवाश

दरअसल चेहरे पर होने वाले ब्लैक हेड्स और वाइट हेड्स चेहरे को बदरंग बनाते है। इनके कारण चेहरा डल लगने लगता है। लेकिन ये फेसवाश इन किलो को निकालकर चेहरे को साफ करता है। इस फेसवाश से चेहरा दमकने लगता है।

तो अगर आप ब्लैक या व्हाइटहेड्स से परेशान है तो इस फेसवाश को प्रयोग कर सकते है।

बायोटिक बायो हनी जेल फेसवाश

बायोटिक फेसवाश इस समय काफी जाना माना नाम है। कम्पनी के दावे के अनुसार इसमे हैं विटामिन बी-1, बी-2, बी-5, बी-6 ओर विटामिन सी। ये सभी तत्व चेहरे को केवल साफ नही करते बल्कि उसे चमकदार और मुलायम बनाते है।

बायोटिक बायो हनी जेल फेसवाश
बायोटिक बायो हनी जेल फेसवाश

साथ ही इसमे है शहद जो त्वचा को मुलायम रखने के साथ साथ एंटीएजिंग की तरह काम करता है।यह हर प्रकार की त्वचा के लिए बेस्ट है

क्लीन एंड क्लियर फेस फेसवाश

ये फेसवाश खासतौर पर ऑयली और पिम्पल प्रोन स्किन के बनाया गया है। वैसे तो ये नेचुरल नही है, क्योंकि इसमें मैरिस्टिक एसिड, ग्लिसरीन, लॉरिक एसिड का इस्तेमाल किया गया है।लेकिन ये सभी तत्व त्वचा को नुकसान नही पहुंचाते।

क्लीन एंड क्लियर फेस फेसवाश
क्लीन एंड क्लियर फेस फेसवाश

रूखी त्वचा वालो के लिए भी ये सही है। अर्थात त्वचा को ज्यादा रूखा नही बनाता। फिर भी इसका इस्तेमाल ऑयली त्वचा वाले करें, तो ये बेहतर रिज़ल्ट देता है।

लैक्मे ब्लश ऐंड ग्लो फेसवॉश

लैक्मे शायद कॉस्मेटिक की दुनिया का बहुत पुराना नाम है। इस फेस वॉश को स्ट्रोबेर्री ओर फलों के रस से तैयार किया जाता है, इसमे मोती का भी उप्योग किया गया है। मेल फीमेल सभी इसे प्रयोग कर सकते है।

लैक्मे ब्लश ऐंड ग्लो फेसवॉश
लैक्मे ब्लश ऐंड ग्लो फेसवॉश

ये चेहरे से डेड सेल्स और टैनिंग को निकाल देता है, जिस कारण चेहरा साफ ओर गोरा दिखता है। ब्लैक हेड्स को निकालता है।इसे बनाने के लिए लैक्मे ने बाकायदा स्किन एक्सपर्ट से जानकारी जुटाई है।

मामाअर्थ टी-ट्री फेस वॉश

मामाअर्थ मॉम्स के बीच मे प्रसिद्ध होने वाला एक ब्रांड है। क्योंकि ये बेबी प्रोडक्ट भी बनाता है।मामाअर्थ बना है टी-ट्री ऑयल, और नीम से, और इन्ही दोनों प्रोडक्ट्स की एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल प्रॉपर्टीज ही इसे बेस्ट बनाती है। ये पिम्पल्स को सुखाकर ठीक करता है।

मामाअर्थ टी-ट्री फेस वॉश
मामाअर्थ टी-ट्री फेस वॉश

तो अगर आप चेहरे को साफ करने के साथ साथ पिम्पल्स से भी छुटकारा चाहते है तो इस फेसवाश को जरूर इस्तेमाल करें।

नीविया फेस वाश

नीविया फेस वाश
नीविया फेस वाश

निविया रूखी त्वचा के लिए सबसे बेहतरीन फेसवाश है। क्योंकि इसे बनाया गया है दूध और शहद से। दूध और शहद न केवल चेहरा साफ होता है बल्कि ये उम्र के निशानों को भी दूर करता है।

वात रोग क्या है? जानिए कैसे करे वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग की पहचान

आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों का मुख्य कारण वात, पित्त और कफ दोष होता है। अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इन सभी तत्वों से मिलकर शरीर का निर्माण हुआ है। यदि इन सभी तत्वों के बीच असंतुलन होता है तो व्यक्ति रोगी हो सकता है। इनका असंतुलन ही वात, पित्त, कफ दोषों को जन्म देता है। आजकल की जीवनचर्या के कारण वातरोग बहुत ही सामान्य है। आज इस आर्टिकल में हम आपको वात रोग की पहचान बताएंगे।

इस आर्टिकल को पढ़कर आप जान सकेंगे कि आप कहीं वातरोग से पीड़ित तो नही।

वातरोग या वायु विकार के प्रकार

वातरोग या वायु विकार को निम्न भागो में बांटा गया है।

उदान वायु

उदान वायु कंठ में वास करती है,जैसे डकार आना। इस प्रकार में सांस लेने और बोलने में समस्या होती है। चेहरे फीका लगता है, और खांसी जैसी समस्या शामिल है

अपान वायु

बड़ी आंत से मलाशय तक, वात रोग के इस प्रकार में बड़ी आंत और किडनी से जुड़ी समस्याएं होती है।

प्राण वायु

प्राण ह्रदय के ऊपरी भाग मे, इस प्रकार में नर्वस सिस्टम और ब्रेन प्रभावित होता है।

व्यान वायु

पूरे शरीर में फैली है, वात रोग के इस प्रकार में बाल झड़ने की समस्या होती है।

समान वायु

समान वायु का स्थान अमाशय और बड़ी आंत में होता है। इस प्रकार में रोगी को निगलने में तकलीफ, आंतों से संबंधित समस्या और पोषक तत्वों के अवशोषण में परेशानी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है

आयुर्वेद के अनुसार वात का मुख्य कार्य रेस्पिरेटरी सिस्टम, हार्ट बीट्स, मसल्स एक्टिविटी, और टिश्यू के कार्यों को संतुलित रखना है।

वात रोग के कारण

वात रोग क्यों होता है। वात रोग होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • गलत लाइफस्टाइल
  • असंतुलित भोजन

कैसे करें वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग होने पर निम्न लक्षण दिखते है।

  • लगातार शरीर का कमजोर होना।
  • चेहरे पर झुर्रिया आकर चेहरे की चमक गायब होना। दुबला शरीर होना।
  • छोटी, धंसी हुई और सूखी आंखों के साथ उनमें काली और भूरी रंग की धारियों का दिखना।सूखे और फटे होंठ।
  • पतले मसूड़े और दांतों की बिगड़ी हुई स्थिति।त्वचा का रूखा, सूखा और बेजान नजर आना।
  • अनियमित भूख या भूख न लगना
  • डायजेस्टिव सिस्टम खराब होकर लगातार गैस या अपच रहना।
  • बहुत ज्यादा भावुक होना, जल्दी रोना या गुस्सा आना
  • बहुत जल्दी में निर्णय ले लेना, तारीफ सुनते ही सामने वाले के वश में हो जाना।
  • बार बार प्यास लगना, पानी पीने पर भी होंठ और त्वचा ज्यादातर सूखी रहना।
  • मौसम के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होना, गर्मी,सर्दी बर्दाश्त न कर पाना और खास तौर से रात के वक्त जोड़ा, पिंडलियों या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द बना रहता है।
  • दिमाग मे हमेशा बेचैनी रहना, घबराहट होना, सांस जल्दी फूलना, उम्र से बड़ा दिखना, नकारात्मक कल्पनाएं करना।
  • पैर के जोड़ों और हड्डियों में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा हो जाने के कारण जोड़ों, घुटनों, पैरों और मांसपेशियों में सूजन हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को उठने बैठने में काफी तकलीफ होती है और दर्द का भी अनुभव होता है।

वात रोग का नियंत्रण और उपचार

सुबह धूप में बैठे

सुबह धूप में बैठने से अर्थ यह नही की आप बेसमय और बेमौसम धूप में बैठे। गर्मियों में सुबह 6 से 7 और सर्दियों में सुबह 9 से 10 तक का समय सही है। गर्मियों में लू लगने का डर रहता है इसलिए तेज धूप में न बैठे।

सुबह धूप में बैठे
सुबह धूप में बैठे

तांबे के बर्तन का पानी

रात भर तांबे के बर्तन में पानी रखे, सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें। तांबे को शरीर की अशुद्धियों को दूर करने में सहायक माना जाता है।

यह पाचन सिस्टम को दुरुस्त कर चेहरे पर चमक लाता है। वात रोग को दूर करने में मदद मिलती है।

दालचीनी

वात रोग की पहचान होने पर दालचीनी को किसी भी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। ये वातरोग के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे चाय के रूप में या काढ़े के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

दालचीनी को अदरक और हल्दी के साथ काढ़े के रूप में बनाये, ये दोगुना फायदा करेगी।

लहसुन

यह खाने के अवशोषण में मदद करने के साथ पाचन को मजबूत करने में भी सहायता करता है। वहीं यह वात के प्रभाव को बढ़ाकर वात, पित्त और कफ के बीच के संतुलन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

लहसुन की एक कली को सुबह पानी से निगल ले। या गाय के घी में लहसुन का छोक लगाकर दाल में डालकर सेवन करें।

गोल्डन मिल्क यानी हल्दी का दूध

गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन वात दोष से संबंधित कई विकारों से बचा सकता है। दूध को गर्म करके उसमें एक चुटकी हल्दी डालकर उबाल लें। इसमें बिना मीठा डाले इसका सेवन करें।

इन बातों का रखे खास ध्यान

  • सोने जागने और खाने का सही शेड्यूल बनाए।
  • भोजन के स्वाद से ज्यादा पौष्टिकता पर ध्यान दे।
  • खाने में ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन नियंत्रित रूप से करें।
  • खुद को ज्यादा से ज्यादा गर्म रखें।
  • नियमित योगभ्यास या व्यायाम करें
  • पूरे शरीर की तिल या सरसो के तेल से मालिश करें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

वात रोग में कौन कौन से रोग होते हैं?

चरकसंंहिता के अनुसार शरीर में वायु बिगड़ जाने पर अस्सी प्रकार के रोग होते हैं जिनमें से जो आमतौर पर देखने में आते हैं वे निम्नलिखित हैं -- नाखूनों का टूटना, पैरों का सुन्न होना, पैर की पिंडलियों में ऐंठन जैसा दर्द, सियाटिका का दर्द,पेट की गैस ऊपर की ओर आना, उल्टी होना, दिल बैठने जैसा महसूस होना, ह्रदय गति में रुकावट का अनुभव, हार्ट बीट बढ़ना, छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा,भुजा से अंगुली तक मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन व जकडऩ। हाथ ऊपर न उठना। गर्दन के पीछे लघु मस्तिष्क के नीचे के हिस्से में जकडऩ व पीड़ा, होंठों में दर्द, दांतों में पीड़ा,सिरदर्द, मुँह का लकवा, कंपकंपी होना, हिचकी, नींद न आना, चित्त स्थिर न रहना।

वात रोग कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पाँच प्रकार की वायु होती हैं, शरीर में इनके निवास स्थान और अलग कामों के आधार पर इनके नाम है.. प्राण उदान समान व्यान अपान ये पांचों प्रकार की वायु में से कोई भी शरीर में असंतुलित हो जाये तो शरीर के उस हिस्से में रोग हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर्फ वात के प्रकोप से कुल 80 प्रकार के रोग होते हैं।

वात पित्त कफ कैसे पहचाने?

लक्षणों के आधार पर हम वात पित्त कफ़ को पहचान सकते हैं, जैसे.. *वात प्रकृति वाले लोगों के शरीर में रूखापन, दुबलापन, नींद की कमी, निर्णय लेने में जल्दबाजी, जल्दी क्रोधित होना व चिढ़ना, जल्दी डर जाना व अस्थिरता पाई जाती हैं। *पित्त प्रकृति के लोगों में गर्मी बर्दाश्त ना कर पाना, त्वचा पर भूरे धब्बे, बालों का जल्दी सफ़ेद होना, मांसपेशियों और हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन, पसीना, शरीर के अंगों से तेज बदबू आना सामान्य लक्षण है। *कफ प्रकृति वाले लोगों की चाल स्थिर और गंभीर होती है। भूख, प्यास और गर्मी कम लगना, पसीना कम आना, शरीर में वीर्य की अधिकता, जोड़ों में मजबूती, और गठीला शरीर होता है, कफ प्रकृति वाले लोग सुन्दर, खुशमिजाज, कोमल और गोरे रंग के होते हैं।

वात रोग को कैसे खत्म करें?

वात रोग दूर करने के लिए सबसे पहले आहार पर ध्यान दें, जो चीजें बादी करती हैं जैसे बैंगन, उड़द की दाल, फूलगोभी, उनका प्रयोग खानें में न करें, आहार में दूध (पनीर, मावा, मिठाई) व उससे बनी हुई चीजें, घी, गुड़, लहसुन, प्याज, हींग, अजवाइन, मेथी, सरसों व तिल का तेल से वात कम होता है। इसके अलावा अपनी जीवन शैली पर ध्यान दे क्योंकि वात रोग में शरीर में रूखापन रहता है इसलिए तेल की नियमित मालिश भी लाभदायी है। त्रिफला मात्र एक ऐसी औषधि है जो शरीर में वात पित्त कफ़ तीनो का संतुलन बनाता है ,इसलिए नियमित त्रिफला का सेवन करना अत्यंत लाभदायक होता है।

जानिये सर्दियों में ऑयली स्किन के लिए बेस्ट क्रीम-Oily Skin Ke Liye Best Cream

ऑयली स्किन के लिए बेस्ट क्रीम

ऑयली स्कीन होना आम बात है, लेकिन इसके कारण चेहरे की खूबसूरती बिगड़ जाती है। चेहरे पर हल्का ऑयल दिखाई देता रहता है, जो मेकअप या फिर प्राकृतिक सुंदरता को बिगाड़ सकता है। ऑयली स्किन पर मुहासे की समस्या ज्यादा होती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि तैलीय त्वचा की समस्या को कम नहीं किया जा सकता। बाजार में ऐसी कई क्रीम मौजूद हैं, जो ये दावा करती हैं कि उनके इस्तेमाल से तैलीय त्वचा की स्थिति में सुधार लाया जा सकता इसलिए अपनी त्वचा के लिए क्रीम चुनने से पहले बहुत सावधानी बरतनी होगी। आपको ऐसे क्रीम की जरुरत है जो आपकी त्वचा के तेल के संतुलन को बनाए रखे। आइये जानते है बेस्ट ऑयली क्रीम के बारे मे-

सर्दियों में ऑयली स्किन के लिए बेस्ट क्रीम-Oily Skin Ke Liye Best Cream

काया व्हाइट लुमेनिस व्हिटनिंग डे क्रीम

इस क्रीम मे एजेलेइक एसिड होता है जो त्वचा के रंग हल्का करता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन-सी और सनस्क्रीन भी है जो त्वचा को होने वाली हानि को कम करते हैं। यह त्वचा से अतिरिक्त तेल उत्पादन को रोककर त्वचा को मॉइस्चराइज भी रखता है

  • इसकी पैकेजिंग साफ़-सुथरी पंप शैली की है।
  • यह त्वचा को हाइड्रेटेड रखती है।
  • फ्लेड्स गहरे दाग-धब्बे और मुहांसों के निशान हल्के करने मे मदद करती है।
  • त्वचा की टोन को हल्का और एक जैसा करती है।

लक्मे टोटल परफेक्ट रेडियंस स्किन लाइटनिंग डे क्रीम

लक्मे की यह क्रीम हल्की और मैट है। इसमें सफेद लिली, पवित्र कमल का सत्त, माइक्रोक्रिस्टल और जरूरी विटामिन होते हैं जो त्वचा को हल्का करके चमकाते हैं। इसमें सूर्य से होने वाली हानि और त्वचा की उम्र बढ़ने को नियंत्रित करने के लिए एसपीएफ़-30 भी मजूद है। इसकी बनावट हलकी होने की वजह से त्वचा इसे आसानी से सोख लेती है। यह त्वचा को तुरंत साफ़ करती है,त्वचा को हाइड्रेटेड रखती है। ऑयली स्किन के लिए बेस्ट क्रीम है। गहरे दाग-धब्बे और त्वचा के दोष दूर करती है, त्वचा की टोन को एक जैसा कर देती है

लक्मे टोटल परफेक्ट रेडियंस स्किन लाइटनिंग डे क्रीम
लक्मे टोटल परफेक्ट रेडियंस स्किन लाइटनिंग डे क्रीम

गार्नियर स्किन नैचुरल्स व्हाइट कम्पलीट स्पीड व्हाइट मल्टी एक्शन फेयरनेस क्रीम

यह क्रीम नींबू के अर्क से भरपूर है जो सनटेन, काले धब्बे और दोष हटा देती है। पहली बार ही इसे लगाने से त्वचा गोरी हो जाती है। इस क्रीम में एसपीएफ़-19 और पीए +++ भी हैं जो त्वचा के सूर्य के संपर्क में आने से त्वचा को काला होने से बचाते हैं।

  • यह कठोर सूरज की किरणों से बचाती है।
  • इसमें प्राकृतिक घटक हैं
  • सभी प्रकार की त्वचा के लिए सही है,त्वचा को चमकदार बनाती है।
    गार्नियर स्किन नैचुरल्स व्हाइट कम्पलीट स्पीड व्हाइट मल्टी एक्शन फेयरनेस क्रीम
    गार्नियर स्किन नैचुरल्स व्हाइट कम्पलीट स्पीड व्हाइट मल्टी एक्शन फेयरनेस क्रीम

पोंड्स वाइट ब्यूटी एंटी-स्पॉट फेयरनेस एसपीएफ़ 15 पीए ++ फेयरनेस क्रीम

त्वचा के गहरे दाग-धब्बे रोकने के साथ-साथ यह क्रीम त्वचा को सूर्य की किरणों से होने वाली हानि से बचाती है। इसके नियमित उपयोग से त्वचा साफ़ और गोरी दिखाई देती है। त्वचा ताजा दिखती है। यह बनावट में चिकनी है यह सूरज की कठोर रोशनी से बचाती है। इसका रोजाना उपयोग करने से त्वचा के काले धब्बे हट जाते हैं|

पोंड्स वाइट ब्यूटी एंटी-स्पॉट फेयरनेस एसपीएफ़ 15 पीए ++ फेयरनेस क्रीम
पोंड्स वाइट ब्यूटी एंटी-स्पॉट फेयरनेस एसपीएफ़ 15 पीए ++ फेयरनेस क्रीम

क्लीन एंड क्लियर फेयरनेस क्रीम

इस क्रीम में कुछ जरूरी बहु-विटामिन के साथ-साथ चेरी का सत्त भी होता है जो आपकी त्वचा में एक अनूठी चमक लाता है। इसमें शुद्ध चावल के तेल की नियंत्रण प्रणाली भी है जो तैलीय त्वचा के लिए अच्छी है।

  • त्वचा के लिए चिकनी और वजन में हलकी है।
  • चिपचिपाहट और चिकनाई रहित है। त्वचा को उज्जवल और चमकदार बनाए।
  • यू.वी किरणों से त्वचा की सुरक्षा करे।
  • मुहांसों के फूटने का कारण नहीं है, त्वचा की रंगत गुलाबी करे।
    क्लीन एंड क्लियर फेयरनेस क्रीम
    क्लीन एंड क्लियर फेयरनेस क्रीम

लोटस व्हाइटग्लो स्किन वाइटनिंग एंड ब्राइटनिंग जेल क्रीम

इसमें अंगूर, शहतूत, सैक्सिफ्रागा का सत्त और दूध के एंजाइम होते हैं जो त्वचा की टोन को एक जैसा करती है। इस क्रीम में सनस्क्रीन होते हैं जो सूरज से होने वाली हानि से बचाते हैं।

लोटस व्हाइटग्लो स्किन वाइटनिंग एंड ब्राइटनिंग जेल क्रीम
लोटस व्हाइटग्लो स्किन वाइटनिंग एंड ब्राइटनिंग जेल क्रीम
  • यह जेल बनावट में हलकी होने की वजह से त्वचा में आसानी से अवशोषित हो जाती है। इसमें एसपीएफ़-25 मौजूद है
  • त्वचा को तैलीय नहीं बनाती। हल्की और अच्छी खुशबू वाली है
  • त्वचा चमकाती है। त्वचा पर कोई सफ़ेद अवशेष नहीं छोडती।

फेयर एंड लवली एडवांस्ड मल्टीविटामीन फेस क्रीम

तैलीय त्वचा के लिए क्रीम में फेयर एंड लवली एडवांस्ड क्रीम का नाम भी आता है। यह मल्टी विटामिन क्रीम है, फेयर एंड लवली कंपनी का कहना है कि यह लेजर तकनीक की तरह त्वचा से निशानों का सफाया कर सकती है।

फेयर एंड लवली एडवांस्ड मल्टीविटामीन फेस क्रीम
फेयर एंड लवली एडवांस्ड मल्टीविटामीन फेस क्रीम
  • यह क्रीम काले घेरों को कम करने में लाभकारी है।
  • इसकी महक बहुत अच्छी है।
  • और यह क्रीम महंगी नहीं है ।

बायोटिक बायो डंडेलियन ऐजलेस लाइटनिंग सीरम

इसमें जायफल का तेल और डंडेलियन का सत्त होते हैं जिनमें विटामिन-ई और खनिज होते हैं। यह बायोटिक सीरम त्वचा को चमकाता है, गहरे दाग-धब्बे हटाता है और उम्र बढ़ने के संकेतों को भी कम कर देता है।

बायोटिक बायो डंडेलियन ऐजलेस लाइटनिंग सीरम
बायोटिक बायो डंडेलियन ऐजलेस लाइटनिंग सीरम
  • चिपचिपाहट रहित है।
  • त्वचा में आसानी से अवशोषित हो जाती है।
  • सभी प्रकार की त्वचा के लिए सही है।
  • एकदम हल्की है।

ओले नेचुरल व्हाइट लाइट इंस्टेंट ग्लोइंग फेयरनेस क्रीम

इस क्रीम में एक सीरम फॉर्मूला है जो त्वचा को तुरंत चमक देता है जबकि इसका यू.वी फिल्टर सूर्य की कठोर किरणों से त्वचा की रक्षा करता है। त्वचा की टोन एक जैसी कर देती है,त्वचा को तुरंत चमक देती है। धूप से आपकी सुरक्षा करती है। हल्की और अच्छी खुशबू लिए हुए है। मैट फिनिश में आती है।

ओले नेचुरल व्हाइट लाइट इंस्टेंट ग्लोइंग फेयरनेस क्रीम
ओले नेचुरल व्हाइट लाइट इंस्टेंट ग्लोइंग फेयरनेस क्रीम

इस क्रीम में शहद के इलावा एक मजबूत सनस्क्रीन है। यह त्वचा को मॉइस्चराइज करने के साथ ही   रोजाना उपयोग करने पर त्वचा का रंग हल्का बनाती है। ट्यूब की आसान पैकेजिंग में आती है। मैट फिनिश में मिलती है।त्वचा को नरम बनाती है।त्वचा में एक स्वस्थ चमक लाती है।त्वचा को हल्का करती और चमकाती है।

हिमालया हर्बल नेचुरल ग्लो फेयरनेस क्रीम

हिमालया हर्बल नेचुरल ग्लो फेयरनेस क्रीम
हिमालया हर्बल नेचुरल ग्लो फेयरनेस क्रीम

हिमालय फेयरनेस क्रीम केसर, अल्फाल्फा, विटामिन बी-3 और विटामिन-ई से भरपूर है। ये सभी घटक दोष, गहरे धब्बे, डार्क सर्कल और त्वचा को गहराई तक मॉइस्चराइज करते हैं। इसकी बनावट चिकनी होने की वजह से त्वचा इसे आसानी से सोख लेती है,यह तेल के उत्पादन को नियंत्रित करती है, त्वचा में गुलाबी सफेद चमक लाती है, मुहांसों के फूटने या रोम-छिद्रों के बंद होने का कारण नहीं है। चेहरे को साफ़ करती है।

सिर के पीछे दर्द क्यों होता है-Sir Ke Pichle Hisse Me Dard Ka Ilaj

सिर के पीछे दर्द

सिरदर्द एक ऐसी दिक्कत है जो आजकल बच्चो से लेकर बूढ़े लोगो तक मे देखी जाती है। सिर दर्द को बहुत ही साधारण तरीक़े से समझा और माना जाता रहा है। यूं तो सिरदर्द, माथे में, कनपटी में, पूरे सिर में कहीं भी हो सकता है। पर आज इस आर्टिकल में हम सिर के पीछे दर्द की बात करेंगे।

सिरदर्द, नींद न पूरी होने से, आंखे कमजोर होने या गलत नम्बर का चश्मा पहनने अथवा तेज शोर में रहने से भी हो सकता है। यही सिर दर्द कभी कभी बहुत गम्भीर बिमारीयो को सूचक होता है। लगातार पेन किलर्स के सहारे इसे नजरंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

सिरदर्द, सिर के किस हिस्से में हो रहा है, ये बात बहुत ही ज्यादा मायने रखती है। क्योंकि हर प्रकार की बीमारी या समस्या का सिरदर्द अलग अलग हिस्से में हो सकता है।

सिर के पिछले हिस्से में दर्द दरअसल, शुरुआत में कान के आसपास से शुरू होता हुआ फैलता है।

सिर के पिछले हिस्से में होने वाले दर्द के कारण

ऑक्सीपिटल नेयुरेल्जिया(occipital neuralgia)

ये दर्द, सिर के occipitial हिस्से अर्थात occipital नर्व्स से सम्बंधित है। occipital नर्व्स में होने वाला ये दर्द बहुत ही भयंकर होता है। ये दर्द हूल की तरह उठता है।

सिर के पिछले हिस्से से फैलता हुआ आंखों तक महसूस होने लगता है।

उपाय

  • इसका उपाय केवल न्यूरोलॉजिस्ट से उचित सलाह व फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट लेना है।

क्लस्टर सिरदर्द

क्लस्टर सिरदर्द दरअसल माइग्रेन से अलग होता है। इसका पैटर्न बहुत ही अजीब होता है। कई बार ये दिन में लगातार बना रहता है, और कई बार दिन के किसी विशेष समय पर होता है।

ये पूरे महीने में कुछ समय के अंतराल पर हो सकता है या फिर कई महीनों बाद अचानक अटैक आ सकता है।

ये दर्द सिर के किसी एक हिस्से में या फिर एक आंख के आसपास के हिस्से में इतना तेज, चुभने वाला दर्द होता है कि व्यक्ति नींद से भी जाग जाता है। ज्यादातर ये दर्द कनपटी और ललाट में होता है पर सिर के पिछले ग   हिस्से में भी ये दर्द भयानक रूप से होता है।

उपाय

  • अल्कोहल और स्मोकिंग से न करें।
  • बहुत ज्यादा गर्मी या गर्म वातावरण में ज्यादा व्यायाम करने से बचें

तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द

इस समय तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द सबसे आम है, वर्किंग लोग घण्टो वर्क लोड के , बुक्स लिए, मोबाइल लिए, गर्दन झुकाए बैठे रहते है। और नतीजा होता है सिर के पीछे होने वाला सिरदर्द। ये सिरदर्द दरअसल गर्दन और कंधों पर पड़ने वाले प्रेशर का नतीजा होता है।

तनाव
तनाव

उपाय

  • समय-समय पर आराम करते रहें
  • अपने डेस्क, कुर्सी औऱ कंप्यूटर को ठीक तरीके से व्यवस्थित करें
  • फोन पर बात करने की गलत मुद्रा से बचें
  • दिन में कई बार, 30 मिनट तक दर्द वाली जगह पर बारी-बारी बर्फ़ रखने और गर्म सिकाई करने, स्ट्रेचिंग करें
  • योगा, मैडिटेशन करें।

साइनसाइटिस

मैक्सिलरी साइनस दरअसल खोपड़ी में एक कैविटी यानी खाली जगह होती है। जब इसमे प्रदूषण, एलर्जी, अस्थमा या नाक की हड्डी बढ़ने के कारण सूजन आ जाती है तो सांस लेने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, इस दर्द का अनुभव आप सिर के पीछे, माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आस-पास महसूस कर सकते हैं।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह लें

वर्टिब्रल आर्टरी डाईसेक्शन

वर्टिब्रल आर्टरी गर्दन कि मुख्य आर्टरी होती है। जब इस आर्टरी पर किसी भी तरह को कोई दबाव पड़ता है तो भयंकर दर्द का अहसास होता है।

ये दर्द सर के पिछले हिस्से से होता हुआ जबड़ो तक आता है।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

लिम्फ नोड की सूजन

कान के पीछे के लिम्फ नोड होते है जोकि कभी कभी सूज जाते है। खोपड़ी, कान, आंख, नाक और गले के संक्रमण से लिम्फ नोड में सूजन आ सकती है। कारण हो सकते हैं. इस तरह के दर्द भी काफी कष्टदायक साबित होते हैं.

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

इसके अलावा सिर के पीछे दर्द होने के कुछ अन्य कारण है

  • दिमागी बुखार
  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
  • सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
  • ब्रेन ट्यूमर
  • कंधा जाम होना

डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार, जो आपके लिए जानना है जरुरी

डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार

बारिश के मौसम के साथ ही ढेरो बीमारियां फैल जाती है। उन्ही में से एक खतरनाक बीमारी होती है डेंगू, डेंगू जो शुरू में एक सामान्य बुखार की तरह लगता है, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर जानलेवा हो सकता है। डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार की जानकारी के अभाव में मरीज की जान भी जा सकती है। डेंगू बुखार मादा एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। जुलाई से अक्टूबर में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण होता है। इसलिए इन महीनों में बहुत ही ध्यान देने की जरूरत होती है।

इन मच्छरों के शरीर पर काली सफेद रंग की धारिया होती है। डेंगू से पीड़ित किसी इंसान को जब ये मच्छर काटता है तो खून के साथ ये वायरस भी मच्छर के शरीर मे चला जाता है। जब यहीं मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी डेंगू हो जाता है।

डेंगू के लक्षण

ये तीन तरह का होता है, और उसी के आधार डेंगू के लक्षण होते है।

साधारण डेंगू के लक्षण

  • दिन से लेकर एक हफ्ते तक व्यक्ति बुखार से पीड़ित रहता है।
  • बुखार हो जाता है।
  • बहुत तेज ठंड महसूस होती है।
  • सरदर्द
  • आँखों मे दर्द होता है जो आंखों को हिलाने पर बढ़ जाता है।
  • मसल्स और जॉइंटस में दर्द होता है।
  • कमजोरी लगती हैं,
  • मुँह में कड़वापन,गले मे भी दर्द होता है।
  • फेस, गर्दन,और छाती पर रैशेस हो जाते है।

डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षण

  • नाक, मुँह और मसूड़ों से खून आने की समस्या हो सकती है।
  • मरीज को हर समय गला सूखा महसूस होता है और प्यास लगती हैं,
  • स्किन पर घाव हो जाते है,
  • त्वचा बहुत ठंडी महसूस होती है,मरीज बेचैनी में कराहता रहता है,
  • उल्टी हो सकती है, जिसमे खून भी आ सकता है।
  • सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती हैं,
    डेंगू हैमरेजिक बुखार
    डेंगू हैमरेजिक बुखार

डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण

  • नाम से पता चल रहा कि मरीज शॉक में आ जाता है।
  • ब्लड प्रेशर गिर जाता है।
  • तेज बुखार महसूस होता है पर शरीर ठंडा रहता है।
  • मरीज का होश खोना आदि लक्षण होते है,नब्ज तेज चलने लगती है।

डेंगू बुखार से बचाव के उपाय

डेंगू से बचाव करने का सबसे सरल और जगजाहिर उपाय है, कि पानी को एक जगह इक्कठा न होने दे। पानी चाहे गंदा हो या साफ़
क्योंकि डेंगू का मच्छर रुके हुए पानी मे पनपता है,ये कुछ निम्न उपाय है जो हम अपना सकते हैं।

  • कूलर का पानी बदलते रहे।
  • पूरी बाजू के कपड़े पहने।
  • अगर आपकी छत या आँगन में कही भी कोई टायर, डब्बा, फालतू बाल्टी, घड़ा, बोतल जैसा कोई भी बर्तन रखा हो जिसमें पानी इक्कठा होता हो उसे तुरंत हटा दे।
  • मच्छर नाशक चीज़ो का प्रयोग करे, लेकिन सावधानी से।
  • टँकीयो और बर्तनों को ढककर रखे।
  • मच्छरदानी का प्रयोग स्वस्थ्य व्यक्ति के साथ साथ मरीज के लिए भी जरूर करें ताकि मच्छर उसको काटकर बीमारी ना फैला सके।
  • एस्पिरिन,आईब्रूफेन बिल्कुल ना दे।
  • डॉक्टर के पास ले जाने तक बुखार के लिए पैरासिटामोल दे सकते है।।
  • जहाँ पानी भरा हो वहां केरोसिन,मिट्टी का तेल डालें
  • नीम की पत्तियां जलाए, कीटनाशक का छिड़काव केवल ऊपरी तौर पर नही घर के अंदुरुनी और छुपे हुए हिस्सो में भी करें।
  • खिड़की,दरवाजो पर बारीक जाली लगवाए।
  • बाहर का खाना, ज्यादा तला हुआ,मसालेदार ना खाएं खासकर बरसात के मौसम में।
  • पूरे मानसून सीजन में पानी उबाल कर पिए।
  • बासी खाना ना खाएं चाहे वो फ्रिज का ही क्यों ना हो।
  • तुलसी, काली मिर्च, अदरक, गिलोय, एलोवेरा, आँवला का प्रयोग करें
  • पानी मे क्लोरीन का प्रयोग, डी डी टी का छिड़काव भी मददगार होता है।
  • इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे।
  • फल और सब्जियों को भली प्रकार धोकर ही उपयोग करे
  • खुले में शौच ना करे,जंक फूड ना खाएं
  • डस्टबीन में गीला सूखा कचरा अलग रखें, और ढक कर रखे।

डेंगू से बचने के घरेलू उपाय

डेंगू में गिलोय का प्रयोग

डेंगू में गिलोय का प्रयोग, अब डेंगू के लिए संजीवनी बूटी की तरह प्रसिद्ध हो चुका है। यह डाइजेस्टिव सिस्टम को सही रखकर इम्युनिटी को स्ट्रांग बनाता है।

कैसे ले

डेंगू बुखार में आप गिलोय की डंडी को पानी में उबालें, पानी के आधा रह जाने पर छान लें और एक हर्बल ड्रिंक के रूप में उपयोग करें। इस पेय में कुछ तुलसी के पत्ते भी मिला सकते हैं।

तुलसी

तुलसी का प्रयोग न केवल इम्युनिटी बढ़ाता है बल्कि किसी भी तरह के संक्रमण को भी दूर करता है। इसके लिए आपको कुछ मेहनत भी नही करनी होगी।

कैसे ले

सुबह कभी भी तुलसी के पत्ते ले और पानी से निगल ले। आप तुलसी के पत्तो को साबुत दालचीनी और काली मिर्च के साथ उबाल कर काढ़ा भी बना सकते है।

मेथी

मेथी के पत्ते डेंगू से होने वाले दर्द में आराम देता है। बेचैनी से मरीज को नींद नही आती उसमें भी मेथी के पत्ते फायदेमंद है और नींद लाने में मदद करते है।

कैसे ले

मेथी के पत्तो का साग, आटे में मिलाकर रोटी या मेथी दाने का भिगोकर प्रयोग करें। रात को मेथी दाना भिगो दें और सुबह पानी से निगल ले।

डेंगू में कौन सा फल खाना चाहिए

क्या डेंगू में संतरे अच्छे होते हैं?

संतरे में मौजूद होते है,एन्टीऑक्सीडेंट जो कि किसी भी प्रकार के बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण में प्रभावी है। साथ ही इसमे होता है विटामिन सी जो इम्युनिटी को बढ़ाता है।

कोलेजन के निर्माण में विटामिन सी की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण यह सेलुलर मरम्मत को उत्तेजित करता है।

संतरा
संतरा

कैसे ले

जूस की बजाय संतरे को खाएं, क्योंकि जूस की जगह संतरे का फाइबर ज्यादा उपयोगी है। शाम के बाद संतरे का सेवन न करें। यदि खांसी है तो संतरा न खाएं।

पपीते के पत्ते

पपीते के पत्ते में न्यूट्रिशनल एलिमेंट और आर्गेनिक एलिमेंट्स की जुगलबंदी प्लेटलेट नंबर्स बढ़ाती है। साथ ही इसमे मौजूद एंटीऑक्सिडेंट ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने और रक्त में अधिक विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में सहायता करता है।

कैसे ले

पपीते के पत्तो को तुलसी या गिलोय के साथ उबालकर इस्तेमाल कर सकते है। साथ ही पपीते के पत्ते का रस निचोड़कर भी सेवन कर सकते है।

पपीते के फल को भी डाइट का हिस्सा बनाए खासकर सुबह के समय जरूर खाए।

जौं

जौ घास ब्लड प्लेटलेट्स को बढ़ाती है। इसलिए इसका सेवन बहुत लाभदायक होता है।

कैसे ले

जौ घास से बना काढ़ा पिएँ या इसे सीधे ही खा सकते है। जौं का सत्तू या रोटी के आटे में मिलाकर प्रयोग करे।

क्या डेंगू बुखार में नारियल पानी पी सकते हैं?

खूब नारियल पानी पिएँ। इसमें मौजूद जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) शरीर को मजबूत बनाते हैं।

कैसे ले

नारियल पानी का सेवन तेज बुखार में न करे। शाम 4 बजे के बाद भी नारियल पानी न पीएं।

इनके अलावा कद्दू (पके हुए कद्दू को पीस कर उसमें एक चम्मच शहद डालकर पिएँ) चुकंदर, एलोवेरा का सेवन भी डेंगू और उसके लक्षणों में आराम देता है।

संतरा एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटामिन-सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए डेंगू के मरीजो़ के लिए संतरे को अच्छा माना जाता है। इसमें भरपूर फाइबर होने से कब्ज़ की समस्या नहीं होती, रसदार होने से डिहाइड्रेशन दूर करता है, पोषक तत्वों से शरीर की कमजोरी दूर होती है। संतरा खाने का अगर रोगी का मन ना हो तो संतरे का जूस भी अच्छा विकल्प है। मुँह का स्वाद अच्छा हो इसके लिए हल्के से काले नमक के साथ भी जूस ले सकते हैं।

बुखार में शरीर का तापमान बढा़ रहता है इसलिए चावल, बहुत ज्यादा खट्टी या ठंडी चीजों को एवोइड़ करनें की सलाह दी जाती है, लेकिन रोटी आप खा सकते हैं। डेंगू बुखार में जितना हो सके हल्का भोजन ही खाना चाहिए, जैसे दाल, दलिया, खिचड़ी और तरल पदार्थ। क्योंकि बुखार में मुँह का स्वाद काफी खराब हो जाता है इसलिए स्वाद बदलने के लिए पतली दाल के साथ रोटी खा सकते हैं।

बुखार होने पर हल्के आहार का ही चुनाव करना चाहिए जो पचने में आसान हो, अक्सर बुखार में चावल और ठंडी चीजों से परहेज़ की सलाह दी जाती है लेकिन चावल की खिचड़ी खाना अच्छा माना जाता है। एक्सपर्ट भी यही कहते हैं कि डेंगू बुखार होने पर हल्का-फुल्का भोजन लेना चाहिए। लंच में आप थोड़ा चावल भी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि शाम के वक्त चावल बिल्कुल न खाएं। चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो डेंगू में होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करते हैं ।

डेंगू के मरीजों के लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। इसके पत्ते का जूस पीने से प्लेटलेट्स काउंट भी तेजी से बढ़ता है। गिलॉय के पत्तों का काढा़ अगर नियमित रूप से पीते हैं तो डेंगू बुखार होने की संभावना कम हो जाती है, गिलोय की बेल के 10 छोटे छोटे टुकड़े तोड़कर उसे 2 लीटर पानी में थोड़ा सा अदरक और दो चुटकी अजवाइन के साथ सात मिनट तक उबालकर, थोड़ा ठंडा करके, रोगी को खाली पेट पीने को दें तो बेहद लाभ मिलता है।

डेंगू के रोगियों को आहार में हाई प्रोटीन और आयरन से भरपूर डाइट को शामिल करने की सलाह दी जाती है। अंडे में प्रोटीन आयरन और कईं तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसलिए डेंगू मरीज को अंडा खाने को दे सकते है। बस ध्यान रखें कि कैसे देना है * उबले हुए अंडे खाने को दें और अंडे का पीला हिस्सा हटाकर खाएं।अंडे का यह हिस्सा नुकसान पहुंचा सकता है। *अंडे को फ्राई करके खाना बिल्कुल एवोइड करें इससे उसमें फैट की मात्रा बढ़ जायेगी जो पचनें में मुश्किल करेगी। *और ध्यान रखें कि अधपके अंडे ना खायें इससे शरीर में इंफैक्शन का खतरा रहता है।

फीवर के दौरान पैरों के दर्द की शिकायत अक्सर होती हैं- डॉक्टर बताते हैं कि दो तरह के पेन सामने आते हैं, क्यूट रिएक्टिव आर्थराइटिस और क्रॉनिक जाइंट पेन। रिसर्च से ये भी पता चला है कि मांसपेशियों और जोड़ों में अधिक समय तक दर्द रहने के लक्षण एक ऑटो इम्यून स्थिति भी हो सकती है। अगर ऐसा है तो सामान्य व्यायाम और पैरासिटामोल के द्वारा इसमें आराम मिल जायेगा, लेकिन जब अधिक समय तक आराम न मिले तो फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इसके अलावा घर पर नियमित तेल मालिश भी की जा सकती है, जिससे आराम मिलेगा। मालिश के लिए नारियल, तिल और सरसो का तेल अच्छा रहेगा।

डेंगू के इलाज को लेकर कुछ लोगों का यह मानना है की डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने पर इलायची के सेवन से प्लेटलेट की संख्या बढ़ जाती है ,आइए जानते हैं ,क्या ऐसा होता है?डॉक्टर्स की माने तो इलायची के सेवन से प्लेटलेट्स की संख्या में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है । इलायची पाचन शक्ति को सुधारने और मरीज के मुंह का स्वाद ठीक करने के काम में आती है ।डेंगू के दौरान मरीज के शरीर में होने वाली गर्मी से भी इलायची का सेवन फायदा पहुंचाता है परंतु इसके सेवन से प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ता है ।

शिशुओं के लिये आहार-6 महीने के बच्चे का आहार, एक साल के बच्चे का भोजन

शिशुओं के लिये आहार

जब शिशु 6 महीने का होता है तभी से एक माँ की चिंता बढ़ जाती है, खाने में क्या दे, क्या न दे। किस प्रकार शिशु को स्वस्थ्य रखे, उसकी इम्युनिटी डवलप हो। तो ऐसे बहुत से सवालों का जवाब इस अर्टिकल-शिशुओं के लिये आहार में आपको मिलेगा। आप माँ हो या पिता एक बार ये आर्टिकल पूरा पढ़ेंगे तो निराश नही होंगे।

6 महीने के शिशुओं के लिये आहार

6 महीने से पहले शिशु को कुछ भी खिलाने की कोशिश न करें। ध्यान रहे कि बच्चा अपनी गर्दन रोक पा रहा हो। शुरू में केवल दिन में एक बार ठोस भोजन दे।

ठोस की शुरुआत सुबह के भोजन से करें, ताकि यदि शिशु को कोई एलर्जी हो तो डॉक्टर को तुरन्त दिखाया जा सके।

6 महीने के शिशु के लिए सुबह का नाश्ता

सुबह के नाश्ते में जो भी दे वो पूरी तरह से मैश्ड यानी मसला हुआ हो। सुबह के नाश्ते के कुछ ऑप्शन है।

  • दही या दूध के साथ ओट्स, मीठा या नमकीन दलिया, सूजी का हलवा, बेसन का हलवा, सूजी, मखाने या चावलों की खीर,अच्छे से मसले हुए फल जैसे सेब, आम, केला, एवाकाडो, आड़ू, नाशपाती आदि।
  • मसली हुई सब्जियां जैसे आलू, शकरगंद, गाजर और विभिन्न प्रकार की प्यूरी दें सकते हैं।
  • दाल का पानी और चावल का पानी दे सकते है।

मिड स्नैक्स

मिड स्नैक्स में बच्चे को कुछ हल्का दे जैसे स्मूदी, सब्जियों का सूप, टोमेटो सूप आदि

लंच

लंच में शिशु को मूंग की दाल या खिचड़ी दे। लंच में ध्यान रखे कि ये दही खाने का सबसे बेस्ट समय होता है इसलिए लंच में कुछ भी दे,दही अवश्य दे।
दही में प्रोबियोटिक होते है जो पेट के लिए अच्छे होते है।

दही
दही

मिड स्नैक्स

इस समय आप शिशु को होममेड सेरेलक या दूध के साथ सुगर फ्री बिस्किट दे सकते है।

डिनर

जो चीज़े आपने लंच में रखी है उन्ही में से आप डिनर के लिए चुन सकते है बस रात में दही बिल्कुल ना दे।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • रेडीमेड सेरेलक न दे, कोशिश करे कि एक साल तक चीनी नमक न के बराबर या बिल्कुल न दे।
  • चीनी नमक 1 साल तक ना दें, प्राकतिक स्वाद लेने दें बच्चे को।
  • बच्चे को खिलाने में जबरदस्ती न करें
  • दूध दिन में केवल 3 से 4 बार कर दे तथा मात्रा भी घटा दे।
  • बोतल धीरे धीरे छुड़ाए अन्यथा कई बार बच्चे दूध बिल्कुल छोड़ देते है। दिन में 5 से 6 बार ठोस खाना दे।

एक साल से दो साल तक के शिशुओं के लिये आहार

एक साल के बच्चे का भोजन ऐसा हो जिसमें सभी पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में हो। एक साल का होने पर शिशु खाद्य पदार्थो को अच्छे से चबाने लगता है। तो आप अब खाने के ऑप्शन को बढ़ा सकते है, जैसे

सुबह का नाश्ता

वेजीटेबल नमकीन पोहा, ऑमलेट, बेसन का चीला, कॉर्नफ़्लेक्स, मीठा या नमकीन दलिया, आलू या पनीर का परांठा दही के साथ या रागी डोसा, इडली भी दे सकते है।

लंच

बच्चे को वही खाने की आदत डालें जो सबके लिए बना हो। दाल और छोटी सी चपाती, चपाती को दाल में भिगो कर भी खिला सकते है,दाल चावल या वेज पुलाव, सब्जी और रोटी दे, अंडा करी और चावल, लाइट चिकन और चावल या मच्छी भात दे, पनीर भुजीया या सोयाबीन सब्जी के साथ रोटी दे, कोई भी हरी सब्जी और रोटी।

मिड स्नैक्स

मिड स्नैक्स में फ्रूट की आदत डालें। पर भूलकर भी बेमौसम फल न खिलाए। ठंडे और खट्टे फल देखभाल कर बच्चे की स्थिति के अनुसार दे। कुछ बच्चो को खट्टे से एलर्जी होती है। कुछ फल शाम 4 बजे से पहले दे, जैसे ऑरेंज,अंगूर केला। पपीता सुबह खाली पेट या खाने के बाद कभी भी, हर फ्रूट के लिए एक टाइम डिसाइड कर ले और रूटीन में रखे। दिन में 2 फ्रूट से ज्यादा ना दे, और एक बार मे एक ही फल दे।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • चिकनाई जैसे घर का मक्खन, घर का घी, नारियल तेल को आहार में जरूर शामिल करें।
  • इनका प्रयोग केवल सब्जी या दाल में डालकर करे।
  • हरी सब्जियों को सूप के रूप में, परांठो में भरकर, दिया जा सकता है।
  • 8 महीने की उम्र तक बच्चे को केवल अंडे का पीला भाग यानी पीली जर्दी दे। उसके बाद पूरा अंडा दिया जा सकता है।
  • ड्राई फ्रूट्स को पाउडर के रूप में दूध में मिलाकर पिलाया जा सकता है।
  • पनीर और दही घर का बना दे।
  • दो साल के बच्चे को रात को दूध में अश्वगंधा भी दे सकते है।
  • आवंले को आंवला कैंडी के रूप में दे सकते है।
  • मेवे जैसे अखरोट, बादाम, किशमिश (काली,हरी)डेट्स, मखाने, भुना चना, गुड़, डाइट में जरूर रखे। मखाने भूनकर रख ले।
  • नाभि में सरसों का तेल तथा नाक पर गाय का घी।

ये सब करने पर आपका बच्चा अंदर से स्वस्थ रहेगा और इम्युनिटी बेहतर होगी।

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