क्या आपको भी भूख न लगने की समस्या है? जानिए भूख लगने के घरेलू नुस्खे

भूख लगने के घरेलू नुस्खे

जब कोई बोलता है कि उसे भूख नही लगती तो इस बात को बहुत ही सरलता से लिया जाता है। जबकि भूख न लगना कई समस्याओं का कारण हो सकता है। बहुत से ऐसे लोग है जिनके खुलकर भूख नहीं लगती । डायजेस्टिस सिस्टम का सही से काम न करना, पेट मे कोई संक्रामक रोग हो जाना, भय, चिंता, तनाव, खून की कमी, लिवर की बीमारी इन सब कारणों से खुलकर भूख नहीं लगती।

भूख नहीं लगने का घरेलू उपाय

भोजन कितना भी स्वादिष्ट बना हो, व्यक्ति भोजन को देखते ही मुँह बनाने लगता है, वह न तो पेट भर खाता है ना मन से खाता है। शुरू में अरुचि के कारण भोजन कम करने की आदत धीरे धीरे परमानेंट हो जाती है। भूख न लगने के कारण व्यक्ति का वजन दिन ब दिन कम होने लगता है। भोजन में अरुचि, भूख न लगने के कारण या भूख कम लगने के अन्य कारण है।

भूख नहीं लगने का कारण

इमोशनल पेन, डिप्रेशन, हार्मोनल असंतुलन, बीमारियों के कारण, भोजन विकार, अरूचि पूर्ण भोजन, शारीरिक और मानसिक कमजोरी।
जब व्यक्ति को खुलकर भूख नहीं लगती तो वो खाने की प्लेट लिए बैठा रहता है, एक दो टुकड़े खाकर हट जाता है। बिना कुछ खाए ही खट्टी डकारें आने लगती है। धीरे धीरे कमजोरी आकर छोटे और साधारण कामो में भी दिक्कत होने लगती है।

भूख लगने के घरेलू नुस्खे -Bhukh Lagne Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

आज हम आपको भूख लगने का घरेलू उपाय बतांएगे जो की बिलकुल घरेलु है, और आप आसानी से कर सकते हैं

आंवला-ज्यादा भूख लगने के लिए क्या खाएं?

आयुर्वेद में आंवले को बहुत सी चीज़ों के लिए फायदेमंद माना गया है, विटामिन सी की प्रचुरता इम्युनिटी बढ़ाती है। यह लिवर को साफ रखने में मदद करता है। आप आंवले का जूस, आंवला कैन्डी, या आंवले का मुरब्बा के रूप में ले सकते है। मुनक्का और आंवला 10-10 ग्राम को एक साथ पीसकर मुंह में रखकर चूसने से भूख लगने लगती है।

दालचीनी और सूखे आंवले को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण दिन में 2 बार सेवन करे, आंवले का जूस रोज सुबह पीए। अगर आपके यहाँ आंवले का पेड़ है जिस पर फल नही हो तो आप, सुबह खाली पेट आंवला के 5-6 ग्राम पत्ते को सेंककर खूब चबा-चबाकर खाए।

अदरक-सबसे ज्यादा भूख कैसे लगती है?

अदरक को हमेशा से भूख बढ़ाने वाला माना जाता है, अदरक को कई प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे अदरक के रस को निम्बू मिलाकर चाटे, इसके अलावा अदरक के टुकड़े पर सेंधा नमक लगाकर चूसे, साबुत धनिया और अदरक को कूट कर पानी मे उबाले। दिन में तीन बार इस पानी को 50 ml पिए।

नींबू-क्या खाने से भूख बढ़ेगी?

भूख बढ़ाने की दवा के रूप में नींबू का प्रयोग किया जा सकता है। निम्बू के साथ काले नमक और भुने जीरे की शिंकनजी बनाकर पिए। या फिर आधा निम्बू काटकर उसे आंच पर सेक ले, गर्म निम्बू पर भुना और पिसा हुआ जीरा व काल नमक छिड़के। इसे बून्द बून्द करके मुँह में निचोड़ लें।

नींबू के एक चम्मच रस में थोड़ी कालीमिर्च व सेंधा नमक का चूर्ण मिलाकर भोजन से पहले गर्म करके पीने से भूख खुलकर लगती है।

पीपल

पीपल के पेड़ पर आपने कभी न कभी पके फल देखे होंगे, यदि आप इन पके फलों का सेवन करते है तो आपको कफ, पित्त, रक्तदोष, विषदोष, जलन, उल्टी तथा अरूचि से मुक्ति मिलेगी और भूख भी बढ़ेगी।

3 ग्राम पीपल, 7 ग्राम टाटरी, 1ग्राम हींग, 1 ग्राम भुना हुआ सफेद जीरा और 30 ग्राम मिश्री को साथ मे पीस ले। इस चूर्ण को कम से कम दिन तीन बार आधा चम्मच ले।

मेथी-भूख ना लगे तो क्या खाना चाहिए

रात को एक चम्मच मेथी भिगो दें, सुबह मेथी फूल जाएगी, सुबह उठकर खाली पेट आधा चम्मच मेथी का सेवन करें। आप चाहे तो मेथी को छलनी में अंकुरित भी कर सकते है, इसके लिए मेथी को छलनी में भिगोए और अंकुरित होने तक पानी देते रहे। चाहे तो मेथी को घी डालकर भून लें, फिर उसे पीसकर एक कांच की शीशी में रख ले। अब इस चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर ले।

अनार या अनारदाना-भूख कैसे बढ़ाएं

भूख बढ़ाने के अनार में जूस बहुत फायदेमंद होता है, अनार के जूस में कालानमक और भुना जीरा मिलाकर पी ले। अनारदाना भी स्वाद को बेहतर बनाकर अरुचि दूर करता है। पर याद रखें, कब्ज में अनार का इस्तेमाल सोच समझ कर करें। यह कब्ज को बढ़ा सकता है।

सेब-भूख बढ़ाने की जड़ी बूटी

रोज सुबह एक सेब का सेवन करें। आप चाहे तो कच्चे सेब की चटपटी सब्जी भी बना सकते है। अगर खाना देखकर आपका जी मिचलाता है तो सुबह खाली पेट सेब की फांक पर काला नमक और भुना जीरा डालकर खा ले।

लालमिर्च-ज्यादा भूख लगने के लिए क्या खाएं?

लालमिर्च को नींबू के रस में पीसकर लगभग आधे-आधे ग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। इस 1-1 गोली प्रतिदिन पान में रखकर 40 दिनों तक खाने से भूख खुलकर लगती है।

संतरा-क्या खाने से भूख बढ़ेगी?

संतरे का जूस पिये उसमे काला नमक डाल लें, संतरे को बिना जूस निकाले खाने में ज्यादा फायदा होता है। इसके अलावा फालसा, जामुन भी खाए।

इन सब उपायों के अलावा निम्न उपाय भी अपनाए

  • योगा, प्राणायाम व एक्सरसाइज करें।
  • पौष्टिक आहार और नियमित व्‍यायाम के साथ ही आप अपनी नींद पर नियंत्रण रखें। अच्‍छी भूख के लिए समय पर सोना और सुबह जल्‍दी उठना भी फायदेमंद होता है।
  • भोजन का समय निश्चित रखे।
  • मोटे आटे की रोटियां खाए।
  • खाने में पुराने चावल का इस्तेमाल करे।
  • स्विमिंग करे, मॉर्निंग वॉक करे
  • सड़ी-गली और बासी चीजें नही खानी चाहिए। गंदा पानी नहीं पीना चाहिए।
  • तनाव, डर और चिंता को दूर करे।
  • भूख न लगने का कारण ढूंढे और इलाज करवाए।

सामान्य प्रश्न

भूख बढ़ाने की जड़ी बूटी, भूख कैसे बढ़ाएं

भूख बढा़ने की जडी़ बूटी आपकी रसोई में ही मिलती है, बडी इलाइची, आंवला, इमली, अजवाइन, सौंफ, अदरक, हींग और लहसुन. .! आइये जानते हैं इन्हें कैसे प्रयोग करें, *इलायची को अच्छी तरह से पीस लें। बच्चों को इसे दूध में मिलाकर पीने को दें। * एक गिलास पानी में आंवला डालें और इसे गर्म कर लें। अब इस पानी में शहद मिलाकर बच्चे को पीने को दें। इससे पाचन शक्ति बढ़ेगी! * इमली की पत्ती की चटनी बनाकर खिलाएं। ये वातहारक होती है। * गुनगुने पानी के साथ अजवाइन पीसकर खिलाएं। यह पाचन प्रणाली पर प्रभावी तरीके से काम करता है। अजवाइन में मौजूद गुण एंटी फ्लैटुलेंस पाचन एंजाइमों के स्त्राव में भी सहायक होते हैं, जो भूख को बढ़ाते हैं। * सौंफ पाचन को भी दुरुस्त करता है। भूख बढाने को आप सौंफ और मिश्री खिला सकते हैं। * भूख बढ़ाने के लिए अदरक का रस ले सकते हैं । * डाइट में हींग और लहसुन को जरूर शामिल करना चाहिए।

भूख बढ़ाने की आयुर्वेदिक सिरप

आजकल बाजार में बहुत से सीरप हैं जो भूख बढाने के लिए दिए जाते हैं, इन्हें एप्टीवेट व एप्टिमस्ट नाम से जाना जाता है। इनके सेवन के तरीके भी इन्हीं की बोतल पर अंकित होते हैं। लेकिन ये कितने प्रमाणिक हैं ये कहा नहीं जा सकता। क्योंकि इनके बारे कोई भी रिसर्च प्रमाणिक तौर पर उपलब्ध नहीं है, इसलिए आप इन्हें जरूर आजमायें लेकिन लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें ।
इसके अलावा कईं कम्पनियों के लीवर टोनिक भी भूख बढ़ाने के लिए दिये जाते हैं।

भूख ना लगे तो क्या खाना चाहिए , ज्यादा भूख लगने के लिए क्या खाएं? , क्या खाने से भूख बढ़ेगी?, अगर भूख ना लगे तो क्या खाएं?

आइये जानते हैं भूख बढ़ाने के कुछ आसान नुस्खें। •अदरक भूख बढानें में सहायक होता है, इसका रस भोजन से पहले आप ले सकते हैं या इसके छोटे छोटे टुकड़े काटकर नींबू के रस में भिगोकर खाने से पहले खाएं, स्वाद के लिए हल्का नमक मिला लें।• आंवले के सेवन से भी भूख बढ़ती है, इसके रस को खाली पेट पानी में ले सकते हैं, साथ में नींबू का रस और शहद मिला लें।•खाने से पहले अगर दो-तीन इलायची खूब चबा चबाकर खायी जाये तो भी भूख बढती हैं।• अजवाईन भी पाचन में बहुत सहायक से इसे भोजन से पहले ले सकते हैं, पाउडर की फोर्म में है तो गर्म पानी से ले लें या चबा चबाकर खा सकते हैं तो खा ले और फिर गुनगुना पानी पी लें।

भूख बढ़ाने के लिए योग

भूख बढा़ने के लिए योगासन बहुत लाभकारी होते हैं,आइये जानते है मुख्यतः प्रयोग होने वाले आसनों के बारे में।

* सबसे पहला और जरूरी आसन है पवनमुक्त आसन । कब्ज, अपच और गैस की परेशानी इस आसन को नियमित करने से दूर होती है।
इसे करने का तरीका है कि सीधे लेट जाएं पीठ के बल, सांस सामान्य लें, फिर एक पैर को उठाकर घुटनों से मोड़ते हुए छाती तक लाएं और घुटनों को चेहरे की ठोढी़ से लगाएं। यहीं प्रक्रिया दूसरे पैर के साथ भी करें। इसे दस बार दोहराएं।

*वज्रासन एक ऐसा इकलौता आसन है जिसे खाना खाने के बाद किया जा सकता है। घुटनों के बल बैठ जाएं और तलवों को पीछे फैलाकर एक पैर को अंगूठे को दूसरे अंगूठे पर रख दें। एड़ियों को अलग-अलग रखना है और ध्यान रहें वे कूल्हों को तलवों के बीच में रहें। इसे जितना हो सके उतनी देर करें कम से कम पांच सात मिनट तो जरूर।

*पाचन तंत्र को सहयोग करने वाला एक अन्य आसन है, शशांक आसन। इसका तरीका ये हैं कि, दाहिने पैर को मोड़कर पीछे की ओर दाहिने कूल्हे के नीचे ले जाएं। इसी तरह बाएं पैर से सेम प्रोसीज़र रिपीट करें और बैठ जाएं।फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। अब धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। सिर को नीचे जमीन पर रख लें। अब सांस छोड़ते हुए पहले की स्थिति में वापस आएं।

भूख बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा, अगर भूख ना लगे तो क्या खाएं?

आयुर्वेद में भूख बढ़ाने के निम्नलिखित प्रयोग हैं- *एक गिलास पानी में 3 ग्राम पुदीना, जीरा, हींग, काली मिर्च, नमक डालकर गरम करके पीने से खाने के प्रति हमारी रुचि बढ़ती है। *खाना खाने से आधे घंटे पहले अदरक की चटनी खाएं इससे भूख ना लगने की बीमारी खत्म होती है। *धनिया, छोटी इलायची और काली मिर्च को समान मात्रा में पीसकर उसमें चौथाई चम्मच घी और चीनी मिला लें। इसके बाद इस मिश्रण को खाने से पहले खाएं। *इमली की कुछ पत्तियां लेकर इसकी चटनी बनाकर बनाकर खाने से भूख भी बढती है साथ ही खाना भी हजम होता है।

आप भी जानकर रह जाएंगे हैरान नाभि में नारियल तेल लगाने के फायदे

नाभि में नारियल तेल लगाने के फायदे

नाभि को आयुर्वेद के अनुसार रीढ़ की हड्डी के बाद आपका दूसरा मस्तिष्क कहा जाता है। नाड़ी हमारे शरीर का मुख्य अंग है। नाड़ी के विषय में आज भी हम ज्यादा नहीं जानते हैं बस हमें इतना ही पता है कि एक मां अपने बच्चे को अपनी गर्भनाल के द्वारा भोजन प्रदान करती है। शिशु गर्भ में गर्भनाल के द्वारा ही पोषित होता है। मां और बच्चे की गर्भनाल नाभि के द्वारा ही दूसरे से जुड़ी होती है। जब हम नाभि में कुछ लगाते हैं तो वह हमारे पूरे शरीर में रक्त नाड़ी के माध्यम से पहुंच जाता है। नारियल तेल की मालिश के फायदे के विषय में हम सभी जानते हैं कि यह हमारे बाल, त्वचा एवं आंखों के लिए अत्यंत फायदेमंद है तो आइए जानते हैं की नाभि में नारियल के तेल को लगाने का क्या फायदे हैं।

नाभि में नारियल तेल लगाने के फायदे

त्वचा को चमकदार बनाए रखता है नाभि में नारियल तेल

अगर आपकी त्वचा बेरौनक और दागदार हो रही है तो नारियल का तेल एक वरदान है। इसमें पाए जाने वाले कैल्शियम, आयरन, जिंक, विटामिन ई, विटामिन के के अनेक औषधीय गुण होते हैं। यह आपकी त्वचा को कांति प्रदान करते हैं। और आपकी स्किन को ऊर्जावान बनाते हैं। इसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व आपकी त्वचा को रिपेयर करते हैं और चेहरे पर चमक लाते हैं। जिसके कारण धीरे धीरे आपकी त्वचा का रंग निखरने लगता है।

  • नारियल के तेल को जब हम नाभि में लगाते हैं तो यह हमारी त्वचा के साथ-साथ यह हमारे पूरे शरीर को फायदा करता है।
  • नारियल के तेल को नीम के तेल में मिलाकर नाभि में लगाने से पिंपल्स दूर होते हैं।
  • जोड़ो का दर्द, हड्डियों में होने वाला दर्द नाभि में नारियल का तेल डालने से दूर होता है।

इतने सारे फायदे के लिए हमें करना ही क्या है बस जरा सा नारियल के तेल को रात को सोने से पहले अपनी नाभि में लगा लेना है।

नाभि में नारियल तेल महिलाओं के लिए अत्यंत मददगार है

महिलाओं के लिए पीरियड्स का समय बहुत कष्टकारी होता है। पेट दर्द, पेट में मरोड़ होना, ऐंठन और शरीर में एनर्जी की कमी होना ये महिलाओं की आम समस्याएं हैं इन समस्याओं से निजात पाने के लिए नाभि में नारियल का तेल अवश्य लगाना चाहिए।

नाभि में नारियल तेल आंखों की रोशनी बढ़ाता है

ज्यादा परिश्रम के कारण आपकी आंखें थकी थकी रहती हैं। देर तक पढ़ाई करने से, ज्यादा कंप्यूटर पर काम करने से आंखों में जलन , सूजन और सूखेपन की समस्या रहती है। आंखें धीरे धीरे कमजोर होना शुरू हो जाती है। ऐसी स्थिति में नारियल का तेल नाभि पर लगाना चाहिए।

  • नारियल का तेल नाभि में लगाने से आंखों की खोई हुई चमक फिर से वापस आने लगती है। अगर आपके पास शुद्ध नारियल तेल है तो आप इसे नाड़ी में डालने के साथ-साथ आंखों में भी काजल की तरह लगा सकते हैं ऐसा करने से आपकी आंखें हमेशा स्वस्थ रहोंगी।
  • नारियल के तेल को नाभि में डालते समय हल्का सा मसाज भी अवश्य करना चाहिए जिससे सारा का सारा तेल नाभि की मदद से पूरे शरीर में चला जाए।

नारियल के तेल को नाभि में रोज लगाने से आपकी आंखों की रोशनी भी धीरे-धीरे बढ़ने लगेगी।

नाभि में नारियल तेल सर्दी जुकाम भगाने में मददगार होता है

मौसम बदलने के कारण होने वाले सर्दी जुकाम या फिर सर्दी गर्मी, धूल के कारण होने वाली एलर्जी से होने वाले सर्दी जुकाम से बचने के लिए हमारे बड़े बूढ़े हमें बच्चों को नाभि में दो बूंद नारियल का तेल लगाने की सलाह देते थे।

नाभि में नारियल तेल बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अतः जिन लोगों को सर्दी गर्मी की समस्या है रहती है या फिर जिन लोगों को एलर्जी के कारण छींकें लगातार आती है उन्हें अपनी नाभि में नारियल का तेल लगाना चाहिए।

कुछ दिनों में ही उन्हें अंतर खुद ही पता चलने लगेगा। नाभि में नारियल तेल सर्दी जुखाम जो समस्याओं से बचाता है।

नाभि में नारियल तेल होंठों की रंगत बढ़ाता है

बालों में नारियल तेल लगाने के फायदे तो हम सब जानते है पर क्या आप जानते है कि रात को सोते समय नाभि में नारियल का तेल लगाने से आपके होठ मुलायम रहते हैं। मौसम के बदलने का सबसे ज्यादा असर हमारे होठों पर होता है। हमारे होंठ सूरज की गर्मी प्रदूषण से अपनी स्वाभाविक रंगत खोने लगते हैं।

ज्यादा गर्मी और ज्यादा सर्दी दोनों ही हमारे होठों पर अपना असर दिखाती है और हमारे होंठ फटने लगते हैं। कभी-कभी तो सर्दियों में होठों से खून भी आने लगता है। जब हम ज्यादा धूप में बाहर निकलते हैं तो हमारे होंठ किनारों से काले होते होते धीरे धीरे पूरी तरह से काले हो जाते हैं। हमारे होठों का अंदर का हिस्सा बहुत नाजुक होता है। वह धीरे-धीरे सफेद होता हुआ अपनी स्वाभाविक रंगत खो देता है। और फिर हम पूरी तरह से मेकअप पर निर्भर हो जाते हैं जोकि हमारे होठों का और नुकसान करता है।

नारियल के तेल में दाग धब्बे को दूर करने के गुण पाए जाते हैं। जब हम रोज नाभि में नारियल का तेल डालते हैं तो हमारे होठों पर जो पपड़ी जमने लगती है वह दूर होने लगती है हमारे होठों का कटना पटना बंद हो जाता है। जिसके कारण धीरे-धीरे आपके होठों का कालापन भी दूर होने लगता है।

थायराइड में आहार-क्या खाएं और क्या नहीं, थायराइड में परहेज क्यों है जरुरी

थायराइड में आहार - क्या खाएं और क्या नहीं

थायराइड क्या है?

थायराइड किसी बीमारी का नहीं बल्कि मनुष्य के गले में पाई जाने वाली तितली के आकार की एक ग्रंथि का नाम है। यह ग्रंथि हमारे शरीर में कई जरूरी गतिविधियों को नियंत्रित करती है। थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर के लिए कुछ हॉर्मोंस का निर्माण करती है, जिनके नाम इस प्रकार है – टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन (triiodothyronine), टी4 यानी थायरॉक्सिन (thyroxine) और कैल्सीटोनिन (calcitonin)। ये हार्मोंस व्यक्ति के वजन, कोलेस्ट्रॉल, तापमान और भी कई अन्य चीजों पर प्रभाव डालते है। इन हॉर्मोंस में असंतुलन का सीधा असर हमारे शरीर के वजन पर पड़ने के साथ साथ शरीर के बाकी कई अन्य अंग भी प्रभावित होते है। शरीर की इस अवस्था को ही थायराइड की समस्या कहा जाता हैं।

आज के जमाने में थायराइड की समस्या आम बात हो गई है लोग इस बीमारी के बहुत ही तेजी से शिकार होते जा रहे हैं। औरतों में यह बीमारी बहुत ज्यादा देखने को मिली हैं। 30 से 60 उम्र की महिलाएं मैं इस बीमारी के सबसे ज्यादा असर देखने को मिले हैं। थायराइड की समस्या के कारण महिलाओं को गर्भधारण में समस्या उत्पन्न होती है।

थायराइड की समस्या से निपटने के लिए कई प्रकार खाद्य पदार्थों को मुख्य तौर पर अपने खाने में शामिल करना चाहिए और कई खाद्य पदार्थों ऐसे भी है जिनका परहेज करना चाहिए।

सामान्यत थायराइड बीमारी शरीर में आयोडीन की कमी से होती है। परन्तु कई बार शरीर में आयोडीन की अधिक मात्रा होने पर थायराइड की समस्या हो जाती है।

थायराइड के प्रकार – Types of Thyroid in Hindi

थायराइड की समस्या में क्या आहार खाये ये जानने से पहले आपको पता होना चाहिए कि थायराइड कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्यत थायराइड पांच प्रकार के होते हैं –

  1. हाइपोथायराइडिज्म
  2. हाइपरथायराइडिज्म
  3. आयोडीन की कमी के कारण होने वाले विकार जैसे गॉइटर
  4. हाशिमोटो थायराइडिटिस
  5. थायराइड कैंसर

इन पांचों में से भी हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म ही सबसे आम है। इस लेख में हम आपको बताएंगे की हाइपोथायराइडिज्म या हाइपरथायराइडिज्म थाइराइड होने पर आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए।

हाइपोथायराइडिज्म क्या है ?

हाइपोथायराइड वो होता है, जब थायराइड ग्रंथि शरीर में जरूरत से कम T3, T4 हार्मोन का निर्माण करती है। इसका सीधा असर व्यक्ति के शरीर पर पड़ने लगता है। हाइपोथायराइडिज्म के मुख्य लक्षण इस प्रकार है।

थायराइड के लक्षण इन हिंदी

थाइरोइड डाइट

हाइपोथायराइडिज्म में क्या खाएं – Food for Hypothyroidism in Hindi

हाइपोथायराइडिज्म में नीचे लिखे आहार को अपने डाइट में शामिल करना चाहिए।

आयोडीन नमक

हमारे शरीर में थायरॉयड हार्मोन के उत्पादन के लिए आयोडीन की जरुरत होती है। शरीर में आयोडीन की कमी होने पर भी हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है। इसीलिए आपको ऐसी चीजों को अपने डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए जिनमे अधिक मात्रा में आयोडीन हो। जैसे की आयोडीन युक्त नमक का सेवन।

आयोडीन नमक
आयोडीन नमक

ब्राजील नट्स

ब्राजील नट्स में अच्छी मात्रा में खनिज सेलेनियम पाया जाता है। सेलेनियम थायराइड हार्मोन में सुधार करने में मदद करता है। आप एक नियमित मात्रा में ब्राजील नट्स को अपने डॉक्टर से परामर्श कर अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।

मछली और अंडे

अगर आप मांसाहारी है तो मछली, चिकन, मांस ,अंडा इत्यादि का सेवन कर सकता है। मछली में प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड और सेलेनियम होता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड शरीर में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और साथ ही साथ सेलेनियम थायराइड हार्मोन को बैलेंस करता है। आप हर रोज एक संतुलित मात्रा में मछली का सेवन कर सकते हैं।

अंडे के सेवन से आपको थाइराइड की समस्या में काफी आराम मिलेगा। क्योंकि अंडा आयोडीन और प्रोटीन दोनों ही का मुख्य स्रोत है इसीलिए अंडे का सेवन हाइपोथायरायडिज्म व हाइपरथायरायडिज्म दोनों में ही किया जा सकता है।

अलसी के बीज

अलसी के बीज में काफी मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड, सेलेनियम, जिंक और आयोडीन होता है। अलसी के बीज का सेवन कई बीमारियों से हमारा बचाव करता है क्योंकि अलसी के बीज में आयोडीन होता है इसीलिए इनका सेवन करने से हाइपोथायरायडिज्म में भी काफी आराम मिलता है।

दूध और अन्य डेरी उत्पाद

थायराइड की समस्या में दूध व् दूध से बने पदार्थों का सेवन करना चाहिए। दूध से बने पदार्थों में उपस्थित कैल्शियम थायरोक्सिन हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाता है। जिससे थायराइड बीमारी में राहत मिलती है।

डेयरी पदार्थ
डेयरी पदार्थ

हाइपोथायराइडिज्म में क्या नहीं खाना चाहिए – Foods to Avoid in Hypothyroidism in Hindi

जैसा कि अब आप जानते है कि आपको हाइपोथायराइडिज्म में क्या खाना चाहिए। अब हम जानेगे कि आपको हाइपोथायराइडिज्म में क्या नहीं खाना चाहिए।

ग्रीन टी का सेवन

अत्यधिक ग्रीन टी का सेवन हाइपोथायराइडिज्म में नुकसान दायक होता है। ग्रीन टी में कैटेकिन नामक तत्व एंटी-थाइराइड होता है जो थाइराइड समस्या को बढ़ा सकता है।

सोयाबीन और सोया से बने खाद्य पदार्थ

सोयाबीन और सोया से बने खाद्य पदार्थों के सेवन से भी हाइपोथायरायडिज्म होने का खतरा बना रहता है। ज्यादा मात्रा में सोयाबीन या सोया से बने खाद्य पदार्थों जैसे की टोफू, सोया दूध या सोया बार के सेवन से शरीर का हार्मोनल बैलेंस असंतुलित हो सकता है जिसके चलते हाइपोथायरायडिज्म की समस्या और बिगड़ सकती है।

हरी सब्जियों का सेवन

थायराइड के मरीज को थोड़ा संभलकर हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। कच्ची या आधी पकी हुई हरी सब्जी जैसे की पालक, ब्रोकोली आदि थायराइड हार्मोन के उत्पादन में बाधा डाल सकते हैं।

ग्लूटेन फूड से दूर रहें

हाइपोथायरायडिज्म के मरीज को अपने आहार में कम ग्लूटेन वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। गेहूं और अन्य अनाजों से बने प्रोसेस्ड फूड्स जैसे कि ब्रेड, पास्ता में ग्लूटेन काफी मात्रा में पाया जाता है। इसीलिए जितना हो सके ग्लूटेन फूड से दूर रहें।

जंक फूड को कहे ना

जंक फूड जैसे की तले हुए खाद्य पदार्थ, फ्रेंच फ्राइज, नूडल्स आदि को अपनी डाइट से दूर रखें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों और आयोडीन की कमी होती है। इन खाद्य पदार्थों के सेवन से आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है।

फैटी फूड्स से रहे दूर

फैट्स यानी वसा वाले फूड्स भी थायराइड हार्मोन के उत्पादन में रुकवाट पैदा करते है। हाइपोथायरायडिज्म के मरीज को बटर और मेयोनीज़ जैसे पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए।

चॉकलेट और अन्य शुगरी फूड्स से दूर

हाइपोथायरायडिज्म के कारण शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है। ऐसे में आपकी थोड़ी सी असावधानी से आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है। आपको कम मात्रा में चीनी और मीठे का उपयोग करना चाहिए। चॉकलेट और अन्य शुगरी फूड्स से भी दूर रहे।

आइये अब जानते है हाइपरथायराइडिज्म के बारे में।

हाइपरथायराइडिज्म क्या है?

जब थायराइड ग्रंथि द्वारा जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण होता है तो इसे हाइपरथायराइडिज्म कहते हैं। हाइपरथायराइडिज्म के मुख्य लक्षण है।

थायराइड के लक्षण इन हिंदी

थाइरोइड डाइट-थायराइड में परहेज

हाइपरथायराइडिज्म में क्या खाएं – Food for Hyperthyroidism in Hindi

हरी सब्जियां

हाइपरथायराइडिज्म के मरीज को हरी सब्जियों जैसे – पालक, ब्रोकली, पत्ता गोभी व मूली को अपने आहार चाहिए। सलाद वाली सब्जियों को भी अपनी डाइट में शामिल करे जैसे कि टमाटर, खीरा इत्यादि।

फल

हाइपरथायराइडिज्म के मरीज को हमेशा मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए। बिना मौसम के फलों का सेवन आपकी सेहत के हानिकारक हो सकता है। खासतोर पर स्ट्रॉबेरी, नाशपाती व आड़ू जैसे फलो सेवन तभी करे जब इनका मौसम हो क्योंकि इन फलो में ऐसे तत्व होते हैं, जो थायराइड हॉर्मोन के निर्माण में रुकवाट बन सकते है।

अंडा

आप अंडे के सफेद हिस्से का सेवन भी कर सकते है। क्यूंकि अंडे की जर्दी में आयोडीन ज्यादा मात्रा में होता है इसलिए उसका सेवन न करे।

ग्रीन टी

ग्रीन टी में एंटी-थायराइड गुण पाए जाते हैं जो शरीर में थायराइड हॉर्मोन को नियंत्रित करने में मदत करती है। आप एक नियमित मात्रा में ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं।

ड्राय फ्रूट्स का सेवन

हाइपरथायराइडिज्म होने पर आप पिस्ता, बादामअखरोट जैसे ड्राय फ्रूट्स का सेवन कर सकते हैं।

हाइपरथायराइडिज्म में क्या नहीं खाना चाहिए – Foods to Avoid in Hyperthyroidism in Hindi

हाइपरथायराइडिज्म में नीचे लिखी चीजे नहीं चाहिए।

  • जंक फूड जैसे – बर्गर, फ्रेंच फ्राइज व तली हुए खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
  • अलग-अलग खाद्य चीजों का लोगों पर अलग-अलग असर होता है। यदि आपको दूध या दूध से बनी चीजों जैसे मक्खन, आइसक्रीम, दही आदि से अपच, सूजन या थकान महसूस होती है तो इनसे परहेज करें।
  • शुगर युक्त पेय या खाद्य पदार्थ जैसे कोल्ड ड्रिंक, चॉकलेट और कैंडी आदि चीजों का सेवन न करें। चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल करे।
  • फलों के रस का सेवन न करें, उसके बदले आप फल खाएं।
  • ज्यादा आयोडीन व सेलेनियम वाले खाद्य पदार्थ न खाएं।
  • ब्रेड, चावल, पास्ता, नान व बिस्कुट जैसे खाद्य पदार्थों से बचें।

शुगर में क्या खाना चाहिए-Sugar Ko Jad Se Khatam Karne Ka Tarika

शुगर में क्या खाना चाहिए

शुगर की बीमारी बढ़ती उम्र में ज्यादा देखने को मिली है। आज की अनुपात की बात की जाए तो विश्व में 30% लोग जो 50 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं उन्हें मधुमेह बीमारी हो जाती है। मधुमेह बीमारी शरीर पर ध्यान नहीं देने की वजह से और शर्करा का कंट्रोल नहीं रहने के कारण होने वाली बीमारी है।

मधुमेह बीमारी कई लोगों को अनुवांशिक तौर पर भी मिलते हैं। जैसे माता-पिता मैं से कोई भी एक मधुमेह से पीड़ित था। तो संतान में यह बीमारी पहुंचने के चांस रहते हैं।

शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए कई प्रकार के व्यायाम तथा खानपान को अपनी दिनचर्या में जोड़ना होता है। शुगर को कंट्रोल करने के लिए और कई तरीके जो आयुर्वेदिक या एलिफेटिक दवाइयों द्वारा पूर्ण होते हैं। लेकिन आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से घरेलू नुस्खों के तौर पर शुगर की बीमारी होने के वक्त व्यक्ति को क्या-क्या चीज खानी चाहिए उसके बारे में बात करेंगे।

शुगर में क्या खाना चाहिए-Sugar Me Kya Khana Chahiye

मधुमेह बीमारी होने के पश्चात खाने में कई प्रकार की चीजों से परहेज रखना पड़ता है। कई प्रकार के खाद्य पदार्थ को रेगुलर अधिक मात्रा में खाना होता है। मधुमेह बीमारी मुख्य तौर पर खान-पान पर ही कंट्रोल की जा सकती है।

कई बार गलत चीजें जिनका मधुमेह बीमारी होने के पश्चात परहेज होता है। ऐसी चीजें खाने पर शुगर बढ़ जाता है। और कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होती है। शुगर बढ़ने से हृदय पर भी काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है। तो आइये जानते हैं शुगर में क्या खाना चाहिए। और शुगर में कौन सी चीजों से आपके शरीर को फायदा होगा।

शुगर में इन खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं-Diabetes Me Kya Khana Chahiye

  • पत्तेदार सब्जियां
  • बिना छिलके के गेहूं की रोटी
  • करेला
  • इन सूखी सब्जियों का भी कर सकते हैं सेवन
  • फल
  • ड्राई फ्रूट का करें सेवन
  • नारियल पानी

शुगर रोगियों के लिए सब्जियां-पत्तेदार सब्जियां-Sugar Me Kya Kya Khana Chahiye

पत्तेदार सब्जियां
पत्तेदार सब्जियां

जिस व्यक्ति को शुगर की बीमारी है। उस व्यक्ति को ज्यादा मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए। पत्तेदार सब्जी में उपस्थित फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत करता है, और एड्रीनलीन हार्मोन के उत्पादन दर को बढ़ाता है।

जिससे भोजन में उपस्थित शर्करा आसानी से पचित हो सके, और मधुमेह रोगियों के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां काफी ज्यादा फायदेमंद रहती है। हरी पत्तेदार सब्जियां खून को साफ करने में भी मददगार होती है। जैसे :- मेथी, सहजन , पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, टमाटर इत्यादि।

बिना छिलके के गेहूं की रोटी-Diabetes Me Kya Kya Khana Chahiye

शुगर के बीमार व्यक्ति को बिना छिलके वाले गेहूं की रोटी बनाकर खानी चाहिए बिना छिलके वाले गेहूं में कार्बोहाइड्रेट उपस्थित होता है।जो रक्त प्रसारण दर को नियमित रखता है जिनके वाले गेहूं में शर्करा की मात्रा उपस्थित होती है जिससे शुगर बढ़ने के चांस होते हैं।

करेला-Sugar Ke Mareez Ka Khana

शुगर के मरीज को करेला की सब्जी मुख्य तौर पर खानी चाहिए करेला की सब्जी शुगर के मरीज को काफी ज्यादा फायदेमंद होती है। और करेला मैं उपस्थित फास्फोरस और पोटेशियम शुगर लेवल को कम करने में मदद करते हैं और हृदय संबंधित कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

इन सूखी सब्जियों का भी कर सकते हैं सेवन-Sugar Me Kya Khana Chahiye

डायबिटीज में आहार के तौर पर सूखी सब्जियों का प्रयोग कर सकते हैं। जैसे :- सोयाबीन की मंगौड़ी, जौ, बंगाली चना, काला चना, दालचीनी, इत्यादि

डायबिटीज रोगियों के लिए फल-Sugar Me Kya Khaye

शुगर के मरीजों को डॉक्टर की ज्यादा मात्रा में फल खाने की सलाह देता है। फल में शर्करा की मात्रा कम होती है।और इसके साथ ही अन्य कई पोषक तत्व उपस्थित होते हैं। जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। और सभी फलों में फाइबर अत्यधिक मात्रा में उपस्थित होता है।

जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। तथा एड्रीनलीन हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाता है। जैसे :- जामुन, नीबू , आंवला, टमाटर, पपीता , खरबूजा , कच्चा अमरुद, संतरा, मौसमी, ककड़ी ,चुकन्दर, मीठा नीम, जायफल , नाशपाती , आम ,पका केला ,सेब, खजूर तथा अंगूर इत्यादि।

ड्राई फ्रूट का करें सेवन-Sugar Me Kya Khana Chahiye

शुगर के मरीजों को ड्राई फ्रूट का सेवन अत्यधिक मात्रा में करना चाहिए। ड्राई फ्रूट के तौर पर बादाम, काजू, पिस्ता इत्यादि का सेवन कर सकते हैं । ड्राई फ्रूट के साथ लहसुन प्याज तथा अंकुरित चने का सेवन करने से शुगर के लेवल में कमी आती है और मरीज को काफी ज्यादा फायदा होता है।

नारियल पानी-Sugar Me Kya Khaye

शुगर के मरीज को नियमित तौर पर नारियल पानी का सेवन करना चाहिए। नारियल पानी में उपस्थित पोषक तत्व शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। इसी साथ ही नारियल पानी में शर्करा की मात्रा बिल्कुल ना के बराबर होती है जो शुगर लेवल को नहीं बढ़ाती है।

गुणों से भरी काली हरड़ के फायदे-Kali Harad Ke Fayde In Hindi

काली हरड़ के फायदे

काली हरड़ त्रिफला मे से एक है। इसे हरीतकी के नाम से भी जाना जाता है। ये हरड़ होती तो छोटी सी है परंतु इस काली हरड़ के फायदे बहुत बड़े होते है। काली हरड़ बहुत ही गुणकारी होती है। हरीतकी का फल, छाल और जड़ तीनों ही बहुत ही लाभकारी होते हैं और इनका प्रयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है।

काली हरड़ के फायदे-Kali Harad Ke Fayde In Hindi

नेत्र विकारों को करे दूर

जैसे जैसे इंसान ने तकनीकी उन्नति की है वैसे वैसे अब हम कम्प्युटर और मोबाइल पर निर्भर होते जा रहे है। परंतु इनका हमारी आँखों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इनके ज्यादा प्रयोग से कई नेत्र विकार उत्पन्न हो जाते है। ऐसे में आप काली हरड़ का प्रयोग कर सकते है। इसके लिए रात को हरड़ पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को अच्छे से छन लें। अब इस पानी से आँखों को धोएँ। ये आपकी आँखों को शीतलता प्रदान करता है।

कब्ज़ और गैस में मिले आराम

आज कल लोगो का खान पान ठीक न होने के कारण उन्हे कब्ज़ और गैस जैसी समस्याएँ हो जाती है। ऐसे में आप काली हरड़ का भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए भोजन करने के बाद काली हरड़ के एक टुकड़े को अच्छे से पानी से साफ कर लें। अब इसे मुंह में रख कर चूस लें। इसके नियमित प्रयोग से लाभ मिलेगा।

कब्ज
कब्ज

खांसी की समस्या से छुटकारा

खांसी और दमा की समस्या में काली हरड़ किसी रामबाण से कम नही। इसके लिए आप निंलिखित तरह से इसका प्रयोग कर सकते है।

  1. काली हरड़ के 2 से 5 ग्राम चूर्ण का हर रोज़ सेवन करें।
  2. हरड़ के चूर्ण और हल्दी पाउडर को बराबर मात्र में लें। अब इसमे 1 ग्राम मिश्री का पाउडर मिलाये। अब इस मिश्रण को हर रोज़ हल्के गुंगुने पानी के साथ लें।

पाचन को करे बेहतर

खान पान ठीक न होने के कारण अपच की समस्या होना आम बात है। ऐसे में काली हरड़ बहुत ही लाभकारी साबित होती है। काली हरड़ पाचन को बेहतर बनाने में बहुत मदद करती है। इसके लिए भोजन करने के बाद 3 से 5 ग्राम हरड़ का चूर्ण लें। अब इसमे बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करें।

भूख बढ़ाए

कई बार लंबी बीमारी या तनाव के चलते हमें भूख कम लगती है। जिसका हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में काली हरड़ आपके लिए बहुत सहायक है। इसके लिए हरड़ का चूर्ण, सौंठ का पाउडर और सेंधा नमक के मिश्रण को ठंडे पानी के साथ लें। इसका सेवन रोज़ करने से लाभ मिलेगा।

त्वचा संबन्धित एलर्जी को रखे दूर

हरड़ त्वचा संबन्धित एलर्जी को दूर करने मे भी मददगार साबित होता है। इसके लिए हरड़ के फल को पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े का सेवन दिन में दो बार ज़रूर करें। साथ ही इस काढ़े से एलर्जि वाली जगह को धोये।

मुंह की सूजन से मिले निजात

काली हरड़ मुंह की सूजन को दूर करने में भी बहुत मदद करती है। इसके लिए हरड़ को पानी में उबाल लें। अब इस पानी के थोड़े ठंडे होने पर इस पानी से गरारे करे। ऐसा नियमित रूप से करने पर मुंह की सूजन से आराम मिलेगा।

मुंह में छाले होने पर

आप मुंह के छालों को ठीक करने के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते है। इसके लिए हरड़ को पानी मे घिस लें। अब इस लेप को अपने छालों पर लगाएँ।

कौन काली हरड़ का सेवन नहीं कर सकते

  • गर्भवती महिलाएं
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चे काली हरड़ का सेवन करने से बचें।

स्वाद और गुणों से भरपूर टमाटर का सूप के फायदे

टमाटर के सूप के फायदे

एक ऐसी सब्जी जिसके बिना आधी सब्जियों का सब्जियो का रंग और स्वाद ही गायब हो जाएगा। जी हां हम बात कर रहे है टमाटर की। टमाटर का प्रयोग कई तरीके से किया जाता है जैसे चटनी में, सलाद में, सब्जी पकाने में। लेकिन टमाटर का सूप एक ऐसी चीज़ है जो शादियों में खाने से पहले लोग पीते ही है। कारण ? यही की भूख खुलकर लगेगी। हास्यास्पद बात है पर है सोलह आने सच। दरअसल टमाटर में फाइबर, खनिज, विटामिन और कार्बनिक अम्ल बहुतायत से पाए जाते है।

टमाटर में पाए जाने वाले पोषक तत्व

पोषक तत्व  मात्रा

प्रोटीन 0.9 ग्राम
कार्ब्स 3.9 ग्राम
चीनी 2.6 ग्राम
फाइबर 1.2 ग्राम
फैट 0.2 ग्राम
एनर्जी या उर्जा 18 कैलोरी
विटामिन सी 13 मिली ग्राम
विटामिन इ 0.54 मिली ग्राम
विटामिन के 7.9 माईक्रो ग्राम
सोडियम 5 मिली ग्राम
पोटैशियम 237 मिली ग्राम
कैल्सियम 10 मिली ग्राम
आयरन 0.3 मिली ग्राम
मैग्नीशियम 11 मिली ग्राम

टमाटर में सूप के फायदे-Tomato Soup Ke Fayde

टमाटर का सूप
टमाटर का सूप

कैंसर के खतरे को कम करे

टमाटर के सूप में लाइकोपीन, कैरोटीनॉयड, विटामिन सी, बीटा कैरोटिन, एंटीऑक्सीडेंट होते है। ये सभी तत्व कैंसर के कणों को शरीर पर हावी नही होने देते। एंटीऑक्सिडेंट, ऑक्सीडेटिव तनाव और पुरानी सूजन को कम करते हैं। यह स्त्री पुरुष दोनों में कैंसर के खतरे को कम करता है।

सूखा रोग

सूखा रोग से पीड़ित बच्चो को टमाटर के सूप से बहुत फायदा होता है। लेकिन सूखा में सूप केवल कच्चे टमाटरों से बनाया जाता है। सूखा रोग से पीड़ित व्यक्ति को इसका नियमित सेवन करवाना चाहिए।

सुंदरता बढ़ाये

टमाटर का सूप मतलब सौंदर्य का खजाना, टमाटर में मौजूद विटामिन सी और दूसरे तत्व त्वचा की सुंदरता बढ़ाता है। टमाटर के सूप के सेवन से त्वचा में निखार आता है, दाग धब्बे दूर होते है। खुले रोमछिद्र बन्द होते है।

दिल को तन्दरुस्त करे

टमाटर का सूप कैपिलरी और वेंस में फैट के जमाव को रोकता है। बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। टमाटर में उपस्थित लाइकोपिन ब्लड वेसल्स की इनर लेयर को सेफ करती है। जिस कारण ब्लड क्लॉट नही होता और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद

गर्भवती महिलाओं को आने वाली उबकाई टमाटर के सूप से कम होती है। एक तरफ ये गर्भवती महिला का स्वाद ठीक करता है वहीं इसमे मौजूद विटामिन सी उसकी इम्युनिटी बढ़ाता है। इसमे फ़ोलिक एसिड होता है, जिसका सेवन गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचाता है।

गाउट के उपचार में

गाउट के मरीजो को भी टमाटर का सूप देने से उनमे पॉजिटिव रिजल्ट दिखाई दिए है। गाउट के मरीजों को टमाटर के जूस में आजवाईन मिलकर पिलाना चाहिए. ऐसा नियमित करने से उन्हें दर्द में भी आराम मिलता है।

डायबिटीज के लिए परफेक्ट

डायबिटीज के मरीजो को अपनी डाइट में टमाटर का सूप जरूर रखना चाहिए। क्योंकि इसमें उपस्थित क्रोमियम,ब्लड शुगर के रेगुलेशन में मदद करता है। लेकिन ध्यान रहे कि डायबिटीज के मरीज मीठा डालकर सूप न पिएं।

खून की कमी दूर करें

टमाटर के सूप में उपस्थित सेलेनियम खून के दौरे को बेहतरीन रखता है। यह खून की कमी दूर करके एनीमिया से बचाता है।

मोटापा घटाए

टमाटर के सूप में काफी मात्रा में फाइबर और पानी होता है। इस कारण ये काफी समय तक फुल होने की फीलिंग देता है। इसलिए टमाटर के सूप को अपनी डाइट में जरूर रखे, खासकर यदि आप वजन कम करने की सोच रहे है।

पेट के कीड़े मारे

बच्चों के पेट में कीड़ा हो जाने पर उन्हें थोड़े थोड़े अंतराल पर टमाटर का सूप देना चाहिए। ऐसा करने से उनका पेट साफ होगा और कीड़े शौच के रास्ते निकल सकते है।

इन सब फायदों के अलावा, टमाटर का सूप अवसाद से लड़ने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है।

जानिए क्या है पतंजलि मूसली पाक के फायदे और कैसे करे उपयोग

पतंजलि मूसली पाक के फायदे

सफेद मूसली को एक ऐसी जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है जो बहुत ही को शक्तिवर्द्धक होती है। आयुर्वेद में इस जड़ी बूटी का काफी जिक्र होता है। मूसली के जड़ और बीज का उपयोग आयुर्वेद औषधि के रूप में किया जाता है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि मूसली में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि भरपूर मात्रा में होते है। आज इस लेख में हम आपको मूसली विशेषतः पतंजलि की मूसली पाक के फायदे बताएंगे। पतंजलि अब एक बहुत बड़ा ब्रांड बन चुका है। लोग उस पर भरोसा करते है और पतंजलि इस खरा उतरने का पूरी कोशिश कर रही है।

क्या है मूसली

मोटी और गुच्छो वाली जड़ की मुसली में सफेद फूल होते है। मूसली स्वाद में हल्की मीठी, सेक्स increase करने वाली, कफ को कम करने वाली होती है।

मूसली
मूसली

इसका प्रयोग डिलीवरी के बाद ब्रैस्ट मिल्क बढ़ाने में भी होता है। मूसली को हृदय रोग, मधुमेह, पाइल्स, स्वास रोग तथा एनिमिक रोगियों को फायदा करती है।

मूसली का वानस्पतिक नाम Chlorophytum borivilianum Santapau R.R.Fern. (क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम्)  है। सफेद मूसली Liliaceae (लिलिएसी) कुल का है। सफेद मूसली दुनिया भर में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है,

अब हम बात करते पतंजलि के प्रोडक्ट मूसली पाक के बारे में, खासतौर पर पतंजलि मूसली पाक का प्रयोग पुरूषों के शक्तिवर्धक के रूप में होता है। पतंजलि मूसली पाक 200 ग्राम की मात्रा में मिलता है।

पतंजलि मूसली पाक के फायदे

पतंजलि मूसली पाक निम्न समस्याओं में फायदा करता है।

सामान्य कमजोरी

कभी कभी पोषक तत्वों की कमी या अनियमित दिनचर्या से कमजोरी महसूस होने लगती है। ऐसे में पतंजलि मूसली पाक बहुत फायदेमंद रहता है।

मर्दाना कमजोरी

कुछ पुरुषों में कम स्पर्म काउंट की समस्या होती है, वहीं कुछ में सेक्स की इच्छा ही नही होती। ऐसा किसी भी फिजिकल प्रॉब्लम, मेडिसिन साइड इफ़ेक्ट, या स्ट्रेस के कारण हो सकता है।

पतंजलि मुसली पाक इसके लिए परफेक्ट है यह शीघ्रपतन को भी दूर करती है साथ ही व्यक्ति को बल, ताकत, ओज, और आयुष्य देती है।

महिलाओं के लिए

मूसली पाक को बहुत से लोग केवल पुरुषों के लिए लाभप्रद मानते है। जबकि यह महिलाओं के लिए भी उतना ही असरकारक है।

अन्य फायदे

  • इम्युनिटी बढ़ाती है।
  • पेट के रोग जैसे पेट दर्द, अपच, भूख न लगना में फायदेमंद है।
  • स्पर्म्स की गुणवत्ता को बेहतर करती है।
  • दस्तों में लाभप्रद है।

पतंजलि मूसली पाक में इस्तेमाल होने वाली सामग्री

  • अश्वगंधा
  • जायफल
  • अकरकरा
  • शतावर की जड़
  • गाय का घी
  • वंशलोचन
  • सफ़ेद मुसली
  • कौंच बीज
  • इलायची
  • दालचीनी
  • गोखरू दाना
  • लौंग
  • काली मिर्च
  • ताल-मखाना
  • चीनी
  • वंग भस्म
  • कमलगट्टा
  • मकरध्वज भस्म
  • जावित्री
  • सौंठ
  • पीपल
  • हरड़ छिलका
  • बला बीज
  • तेज पत्ता
  • चित्रक

पतंजलि मुसली पाक को कैसे ले।

पतंजलि मूसली पाक के सेवन के बारे में चिकित्सक से सलाह जरूर करे। वैसे आप पतंजलि मूसली पाक को दिन में 2 बार एक चम्मच ले। इसे आप सुबह-शाम खाने के 1 घंटे बाद गर्म दूध या गर्म पानी से ले।

सेवन करते समय बरते कुछ सावधानियां

  • बच्चो को भूलकर भी इसका सेवन न कराए।
  • दूसरी दवाओं के साथ पतंजलि मूसली पाक को लेने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट करे।
  • ज्यादा मात्रा में दवा लेने से ज्यादा फायदे की जगह नुकसान होगा। पेट मे दिक्कत हो सकती है ध्यान रखे।
  • अगर आप आयुर्वेदिक दवाओं के लिए सेंसीटिव है तो इसके प्रयोग से बचे।
  • इसके साथ अल्कोहल बिल्कुल न ले।
  • यदि आप गर्भवती है या बच्चे को स्तनपान करा रही है, डॉक्टर से विचार विमर्श के बाद ही इसका सेवन करे।
  • पतंजलि मूसली पाक का खाली पेट सेवन न करे, भोजन के बाद ही ले।
  • यदि आप पतंजलि मूसली पाक का लगातार इस्तेमाल करते है तो इसकी लत नहीं पड़ती है।

जानकर चौंक जाएंगे आप चमेली के तेल के फायदे

चमेली के तेल के फायदे

चमेली एक ऐसा फूल जिसकी सुगन्ध कोई भुलाए न भूले, इसी चमेली के तेल का प्रयोग अलग अलग उद्देश्य से किया जाता रहा है।कभी स्वास्थ्य तो कभी सुंदरता के लिए। आज इस लेख में हम चमेली के तेल के बहुत से गुणों और चमेली के तेल के फायदे के बारे में बात करेंगे। चमेली के फूल में बहुत से औषधीय और लाभकारी गुण होते है। इसे जैस्‍मीन के नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे के फूल से निकाले गए एसेंशियल ऑयल को चमेली का तेल कहा जाता है। हो सकता है चमेली के तेल के बहुत से उपयोग आप जानते भी न हो। किस समस्या के लिए इस तेल को किस प्रकार इस्तेमाल किया जाए ये भी हम आपको बताएंगे।

चमेली के तेल के फायदे

डिप्रेशन एंग्जायटी कम करें

अगर आप खुद को या किसी अपने को डिप्रेशन या एंग्जायटी में देख रहे है तो चमेली के तेल आपकी मदद कर सकता है। चमेली के तेल की सुगंध का उपयोग ऐसे हालात में किया जा सकता है। थाइलैंड यूनिवर्सिटी भी अपने एक रिसर्च में इसका जिक्र करती है। दरअसल चमेली के तेल की खुशबू हैप्पी हॉरमोन को उत्तेजित करती है जिससे खुशी का अहसास होता है।

चमेली का तेल
चमेली का तेल

इसकी खुशबू मन और मस्तिष्‍क को सुखद और शांति का अनुभव कराती है। इसलिए अरोमाथेरेपी में इसका प्रयोग बहुतायत से किया जाता है।

एंटीसेप्टिक के तौर पर

चमेली के तेल में एंटीबैक्टेरियल तत्व पाए जाते है। जिसके कारण इसे एंटीसेप्टिक की तरह भी काम मे लिया जा सकता है।

यौन समस्याओं में लाभकारी

चमेली के तेल की खुशबू सेक्स डिजायर बढ़ाती है, वास्तव में इसकी खुशबू आपको उत्तेजित करके रोमांस जगाती है। यह भी एक कारण है कि नवविवाहित जोड़े के आसपास चमेली के फूलों को जरूर रखा जाता है। चमेली के तेल से अरोमाथेरेपी करके स्‍खलन, फ्रिगडिटी, नपुंसकता और अन्‍य यौन समस्‍याओं का इलाज भी किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि चमेली का फूल प्रेम संबंधों को मजबूत करने में सहायक होता क्योंकि यौन समस्याओं का एक कारण तनाव भी है, और चमेली का तेल तनाव को कम करता है।

बालों की करे देखभाल

अब चूंकि चमेली का तेल तनाव कम करता है तो तनाव से गिरते बालो से भी मुक्ति दिला सकता है। इसके अलावा यह स्‍कैल्‍प और बालों मॉइस्‍चराइज करता है। हमने पहले भी बताया कि चमेली के तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते है जिस कारण यह स्कैल्प के बैक्टीरियल इन्फेक्शन को दूर करता है।

अब जब ये तनाव को दूर करेगा और स्कैल्प पर किसी प्रकार का इन्फेक्शन भी होने देगा, तो बालो का विकास होना लाजमी है। यदि आप भी बालों के रूखेपन, ड्राई स्कैल्प से पीड़ित है तो एक बार चमेली के तेल जरूर प्रयोग करे।

रजोनिवृत्ति अर्थात मेनोपॉज़ को आसान बनाएं

मेनोपॉज़ का समय किसी भी महिला के लिए बहुत ही अजीब होता है। तेजी से हो रहे हार्मोनल बदलाव और बढ़ती उम्र जीवन को मुश्किल कर देती हैं।

ऐसे समय मे अवसाद, ज्यादा गर्मी लगना, रात का पसीना, इर्रिटेशन होने लगती हैं। ऐसे समय मे खुश रहना बहुत ही जरूरी होता है। यदि मेनोपॉज़ के समय महिला खुद को पैम्पर करे तो इन सब लक्षणों से बचने का ये बेहतरीन तरीका होगा।

और एक बेहतरीन बॉडी मसाज से बेहतर क्या होगा। इस समय मे कुछ दूसरे एसेंशियल ऑइल जैसे लैवेंडर ऑयल के साथ चमेली का तेल मिलाकर मालिश करे या करवाए। बॉडी मसाज से न केवल टॉक्सिन्स फ्लश आउट होंगे बल्कि तनाव और इरिटेशन भी कम होगी।

ब्लड प्रेशर का रखे ध्यान

चमेली के तेल का प्रयोग रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी किया जा सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) अपनी रिसर्च में ये मानता है कि चमेली के फूलों में एंटी-हाइपरटेंसिव गुण पाए जाते हैं। तो यदि आप उच्च रक्तचाप से पीड़ित है तो चमेली के तेल का प्रयोग करे, खुश रहे जिससे रक्तचाप नियंत्रण में रहे।

सुंदरता बढ़ाये

चमेली के तेल को प्रयोग करने से मुंह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं, क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है। इससे मुंहासे की समस्‍या भी कम होती है, साथ ही चेहरे पर चमक आ जाती है.

अन्य फायदे

  • मस्तिष्क को एकाग्र करे
  • खांसी जुकाम के लक्षणों को कम करें
  • अनिंद्रा के लक्षणों को कम करें

चमेली के तेल में मिलने वाले तत्व

  • कार्बोहाइड्रेट
  • फ्लेवोनॉयड
  • टैनिन्स और फेनोलिक यौगिक
  • ग्लाइकोसाइड
  • सैपोनिंस

चमेली के तेल को कैसे प्रयोग करे

  • चमेली के तेल को मालिश के लिए इस्तेमाल करें।
  • चमेली के तेल को ऑयल पुलिंग के लिए इस्तेमाल करे।
  • चमेली के तेल को सिर पर लगाने के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं।
  • कमरे में खुशबू करने में इस्तेमाल करे

चमेली के तेल का उपयोग जानने के बाद अब हम आपको चमेली के तेल के नुकसान के बारे में बताएंगे।

क्या है जानलेवा मारबर्ग वायरस के लक्षण और इलाज

marburg virus

दुनिया अभी पूरी तरह से कोरोना वायरस का कहर भूली नहीं है कि, अब एक नए वायरस की दस्तक ने लोगों की नींद उड़ा दी है। कोरोना वायरस की भयानक तबाही को पूरे विश्व ने देखा। महीनों तक कई देशों को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा और करोड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। दुनिया के ज्यादातर देशों को कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक नुकसान भी पहुंचा। सभी देशो ने जान माल दोनों की हानि उठायी और मानसिक रूप से लोग इससे बहुत प्रभावित हुए। काफी समय बाद लोगों की जिंदगी कोरोना से उबर कर पटरी पर लौट ही रही थी की, अब एक नए वायरस मारबर्ग की आहट है।

एक न्यूज़ चैनल के मुताबिक, मारबर्ग वायरस के कारण घाना में पिछले महीने 2 लोगों की मौत हो गई थी। ये दोनों लोग मारबर्ग वायरस से संक्रमित पाए गए थे. प्रशासन ने दोनों के संपर्क में आने वाले लोगों को एतिहातन आइसोलेट कर दिया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। WHO ने कहा कि अगर मारबर्ग वायरस को लेकर तुरंत सावधानियां नहीं बरतीं गई तो इस वायरस के फैलने पर हालात बेकाबू हो सकते हैं।

आइये पहले ये जानते है कि क्या है मारबर्ग वायरस?

मारबर्ग वायरस
मारबर्ग वायरस

मारबर्ग वायरस कोरोना की ही तरह चमगादड़ों के स्रोत के कारण होने वाली बीमारी है. विशेषज्ञों के मुताबिक, संक्रमित जानवर से इंसानों में वायरस के क्रॉसओवर के बाद इसका एक से दूसरे व्यक्ति में संचरण हो सकता है. जानकारों के मुताबिक, मारबर्ग वायरस के कारण मारबर्ग वायरस डिजीज (MVD) का खतरा होता है और इसकी मृत्युदर 88 फीसदी से अधिक हो सकती है. आपको बता दें कि ये वायरस भी इबोला परिवार का ही सदस्य है। बताया जा रहा है कि मारबर्ग इबालो से भी ज्यादा तेजी से संक्रमण फैलाता है. साल 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट में सबसे पहले इस वायरस का प्रकोप देखा गया था।

इसके संक्रमण से होने वाले व्यक्ति में इसके लक्षण आने में 2-21 दिन का समय लगता है। इससे संक्रमित मरीज में बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसलिए समय पर इसका इलाज बहुत जरूरी है।

कैसे फैलता है इस वायरस का संक्रमण?

इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के रक्त, शरीर के तरल पदार्थ जैसे मूत्र, लार, पसीना, मल, उल्टी, आदि के संपर्क में आने से संक्रमण दूसरे लोगों में फैल सकता है। यही नहीं संक्रमित व्यक्ति के कपड़े और बिस्तर के इस्तेमाल से भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। इसलिए ये वायरस कोरोना से भी खतरनाक नज़र आता है।

इसके बचाव और इलाज के बारे में जानकार बताते हैं कि, मारबर्ग वायरस से संक्रमित मरीज़ को इलाज के तौर पर उसे लिक्विड डाइट और इलेक्ट्रोलाइट्स को नियंत्रित करने, ऑक्सीजन और ब्लड प्रेशर की स्थिति को कंट्रोल में रखने और खून की कमी न होने देने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए।अगर आप प्रभावित इलाके में रह रहे हैं तो हाथों में दस्ताने और मास्क पहनना आवश्यक है। वहीं, संक्रमित व्यक्ति को क्वारंटीन में रखना चाहिए ।और इस दौरान उसके द्वारा इस्तेमाल की गई किसी भी वस्तु को खुले हाथों से छूना नहीं चाहिए।

दूर करे लंबे समय की खुजली, जानिए कारण और उपाय खुजली ठीक करने के उपाय

खुजली ठीक करने के उपाय

हेल्लो फ्रेंड्स आज हम जानेंगे पूरे शरीर, हाथ और पैर में खुजली होने का कारण, लक्षण, खुजली का इलाज घरेलू और लम्बे समय की खुजली का उपाय क्या है। खुजली की समस्या एक बहुत ही गंभीर त्वचा का रोग है। यदि आप इसका समय रहते इलाज नहीं करते है, तो आपके शरीर की त्वचा में अपनी जड़े बना लेती है और फिर ये एक गंभीर रोग का रूप धारण कर लेगी।

ऐसे में बहुत सारे लोग अपनी खुजली की बीमारी को दूर करने के लिए एंटी फंगल क्रीमो का उपयोग करते है। लेकिन फिर भी उनको इससे पूरी तरह से छुटकारा नहीं मिल पाता है।

इस आर्टिकल में हम आपको खुजली ठीक करने के उपाय बताएँगे। खुजली की अचूक दवा के बारे में जानने से पहले हम शरीर में खुजली होने का कारण क्या है ? इसकी जानकारी ले लेते है।

  • अपने शरीर की त्वचा पर ज्यादा साबुन का उपयोग, शरीर में खुजली होने का कारण हो सकता है।
  • चुना व् सोडा जैसे रासायनिक प्रदार्थ का ज्यादा सेवन करने से भी खुजली हो सकती है।
  • यदि कब्ज जैसी समस्या ज्यादा दिनों तक रहती है, तो यह भी शरीर में खुजली होने का कारण हो सकता है।
  • तंत्रिका सम्बंधित विकार या तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली इस्थि में भी खुजली की समस्या हो सकती है।
  • रक्त से सम्बधित किसी भी प्रकार का विकार होने से भी खुजली की समस्या शुरू हो सकती है।
  • कभी कभी टाइट कपडे पहनना भी शरीर में खुजली होने का कारण हो सकता है।

और पढ़ें: सिर में खुजली होने लक्षण और सिर में खुजली के उपाय-Khujli Ke Upay

खुजली ठीक करने के उपाय-Khujli Ke Upchar

यदि आपको किसी भी प्रकार की खुजली से सम्बन्धित समस्या है और उससे छुटकारा पाना चाहते हो तो आप इन उपायों का उपयोग कर सकते हो।

  • पीपल के पत्ते
  • निम्बू
  • नारियल
  • कपूर
  • गेंदे का फुल

खुजली को जड़ से खत्म करने का इलाज है पीपल के पत्ते

खुजली से छुटकारा पाने के लिए पीपल के पत्ते सबसे असरदार काम करते है, जिस जगह पर आपको खुजली की समस्या है वहा पर पीपल के पत्ते पर देशी घी लगाकर लगाए, इसके अलावा पूरे शरीर में खुजली होने पर आप पीपल की छाल का काढ़ा भी पी सकते है और खुजली से राहत पा सकते है।

और पढ़ें: दाने वाली खुजली का उपचार कैसे करें-Khujali Ke Gharelu Upay

नींबू से खुजली का इलाज

नींबू से खुजली का इलाज करने के लिए आपको केले के गुंद को नींबू में मिला कर जहाँ पर खुजली हो रही वहा पर लगाना होगा। ऐसा करने से आपको खुजली से राहत मिलेगी क्योकि नींबू में सिट्रिक एसिड जैसी बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते है जो खुजली की बीमारी से राहत दिलाने में मदद करते है।

नींबू
खुजली को जड़ से खत्म करने का इलाज नींबू

नारियल से खुजली का इलाज

खुजली होने पर अक्सर हम सोचते है कि खुजली के लिए कौन सा तेल लगाना चाहिए? ताकि जल्द से जल्द आराम मिले।  नारियल के 20 मिलीलीटर तेल के अंदर 10 मिलीलीटर नींबू के रस को मिलाकर जहा पर खुजली हो रही है वहा पर इससे मालिश करे या फिर इसके लेप को वहा पर लगाए, या फिर आप नींबू को सिम्पली चूस कर भी अपनी खुजली का इलाज कर सकते हो।

और पढ़ें: जानिए क्या है बेटनोवेट सी के फायदे- betnovate c uses in hindi

कपूर से खुजली का इलाज

आज के समय कपूर का उपयोग सभी घरो में पूजा के लिए किया जाता है, पर हैरानी की बात तो ये है की इसका उपयोग करके आप अपनी खुजली की समस्या को दूर कर सकते हो । आप कपूर को चमेली के तेल में मिलाकर के जहा खुजली हो रही है वहा पर मालिश कर सकते हो, इससे खुजली की समस्या को दूर कर सकते हो ।

गेंदे का फुल से खुजली का इलाज

गेंदे की पतियों को पानी में अच्छी तरह से उबल ले और फिर उसको ठंडा होने दे और फिर उसके बाद में जहा पर खुजली की समस्या है उस जगह को अच्छी तरह से साफ करे।

तो आप इन सब तरीको की मदद से अपनी खुजली की समस्या को दूर कर सकते और साथ ही खुजली से छुटकारा भी पा सकते हो।

आपने क्या सिखा खुजली के बचाव के बारे में

हम उम्मीद करते है की खुजली होने के क्या कारण है? और खुजली से बचने के लिए अचूक दवा क्या है? इसकी पूरी जानकारी आपको मिल गई होगी, यदि आपका इससे सम्बन्धित कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से पुछ सकते हो हमे आपके सवाल का जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे ।

खुजली से बचने के लिए अचूक दवा की इस जानकारी को अपने दोस्तों व अपनी सोशल मीडिया पर जरुर से शेयर करे ताकि आपके दोस्तों को भी इसकी जानकारी मिल सके।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

शरीर में दाना क्यों निकलते हैं?

कई बार हमारे शरीर में छोटे छोटे दाने हो जाते हैं जिन में पानी भर जाता है और खुजली होती है कई बार ये दाने फंगल इंफेक्शन की वजह से होती है परंतु कभी-कभी यह हर्पीज नामक बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं । इस बीमारी को शिंगल्स के नाम से भी जाना जाता है । यह रोग उन लोगों को अधिक होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है ।यह वायरस द्वारा होने वाला रोग है ।इस बीमारी के होने पर रोगी के शरीर के एक तरफ की त्वचा पर पानी वाले दाने निकलते हैं। इस वजह से रोगी को त्वचा में खुजली या दर्द या जलन या सुन्नपन या झनझनाहट की परेशानी होती है। इतना ही नहीं, जिस जगह ये दाने निकलते हैं, वहां की त्वचा बेहद संवेदनशील हो जाती है और उसे छूने पर दर्द होता है।

खुजली में कौन सा साबुन लगाना चाहिए?

दाद, खाज, खुजली शरीर में फंगल इंफेक्शन की वजह से होती है इसके लिए हमें नहाने के लिए एंटी बैक्टीरियल साबुन का प्रयोग करना चाहिए। एंटीबैक्टीरियल साबुन जैसे Ketotosc एक ऐंटिफंगल साबुन है जो सेट्रिमाइड, नीम ऑयल, एलो वेरा ऑयल और कैमोमाइल एक्स्ट्रैक्ट से भरपूर है। इसके अलावा Tetmosol Soap भी एक असरदार साबुन है खुजली से राहत दिलाता है । इन एंटीबैक्टीरियल साबुनों का इस्तेमाल किसी भी तरह की दाद, खाज, खुजली, सफेद दाग या बैक्टीरिया में भी कर सकते हैं । एंटीबैक्टीरियल साबुन का प्रयोग करते वक्त गुनगुने पानी से नहाने से अधिक फायदा मिलता है ।

खुजली की सबसे अच्छी टेबलेट कौन सी है?

यदि आपको खुजली की समस्या है या ठीक होने के बाद फिर से हो जाती है तो इसके लिए एलोपैथी की सबसे अच्छी टेबलेट है = Candiforce -200 काफी कारगर होती है । इसके साथ LECOPE टेबलेट लेने से और भी बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं । यदि शरीर में खुजली से परेशान है तो Fluka-150 टैबलेट काफी कारगर साबित हो सकती है । इसके साथ सिट्राजिन टेबलेट लेने और एंटी फंगल क्रीम और एंटीफंगल सोप का प्रयोग करके खुजली से निजात पाया जा सकता है। दाने वाली खुजली के लिए candid clotrimazol cream काफी मददगार साबित हो सकती है यह क्रीम सूखी खुजली में भी काफी लाभदायक होती है । इन सभी प्रयासों के बावजूद यदि खुजली ठीक नहीं हो रही है तो किसी अच्छे त्वचा के डॉक्टर से संपर्क करें ।

दाने वाली खुजली कैसे ठीक होती है?

स्किन एलर्जी या इन्फेक्शन होने के कारण कई बार त्वचा पर छोटे छोटे दाने निकल आते हैं जिनमें खुजली होती है और पानी निकलने लगता है। इससे राहत पाने के लिए निम्न घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं = 1. एलोवेरा के पत्ते को काटकर उसका गूदा निकालकर उसे प्रभावित स्थान पर लगाने से दाने वाली खुजली ठीक हो जाती हैं। 2. शुद्ध नारियल तेल को हल्का गुनागुना करके लगाने से भी जाने वाली खुजली में आराम मिलता है । 3. टमाटर का गूदा पीसकर लगाने से भी दाने वाली खुजली में राहत मिलती है ।

error: Content is protected !!