यूरिक एसिड के विषय में हम सभी जानते हैं यूरिक एसिड शरीर से निकलने वाला एक अवशिष्ट पदार्थ है जो कि प्रोटीन युक्त डाइट अधिक लेने के कारण होता है। प्रोटीन युक्त डाइट में फ्यूरीन नामक पदार्थ होता है जिसे कि हमारी किडनी यूरिन के रूप में बाहर निकाल देती है। लेकिन जब हमारे शरीर में प्यूरिन की मात्रा अधिक हो जाती है तो इसे किडनी के लिए भी निकालना मुश्किल हो जाता है। फिर यह यूरिक एसिड हमारे शरीर में जमा होने लगता है। यह एक ऐसी बीमारी है जो कि हमारे जोड़ों के दर्द का कारण होती है। हमारे शरीर में गठिया की स्थिति उत्पन्न करती है। यूरिक एसिड आजकल आम होता जा रहा है। न सिर्फ बड़ो और बूढों को बल्कि बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है।
यूरिक एसिड में मेथी के फायदे
यूरिक एसिड से होने वाले नुकसान व मेथी की उपयोगिता
यूरिक एसिड की शरीर में अधिकता होने के कारण शरीर के जोड़ों में दर्द रहता है। उंगलियों में सूजन आ जाती है। इसके अलावा हाथ पैरों की उंगलियों में चुभन वाला दर्द हमेशा रहता है। बदलते खानपान और अव्यवस्थित दिनचर्या का भी इसमें मुख्य योगदान है। यूरिक एसिड के कारण समस्या इतनी बिगड़ जाती है कि लोगों को चलने, फिरने उठने, बैठने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किडनी में स्टोन भी यूरिक एसिड के जमने से ही होता है।
यूरिक एसिड के विषय में इतना सब कुछ जानने के बाद लगता है कि कुछ ऐसा आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खा हमें मिल जाए जिससे कि हम बिना डॉक्टर के पास जाए, बिना एलोपैथिक दवाई यूज किए घर में ही इसका ट्रीटमेंट कर सकें।
हम सब जानते हैं हर एलोपैथिक दवाई का कोई ना कोई साइड इफेक्ट जरूर होता है। हम सभी तलाश करते हैं किसी ऐसी आयुर्वेदिक औषधि की जिसे इस्तेमाल करना हम सभी के लिए सहज हो। इसी कड़ी में एक नाम मेथी का आता है। इन सभी समस्याओं का समाधान मेथी से हो सकता है। मेथी आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होती है।
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मेथी यूरिक एसिड में है गुणकारी
मेथी में मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन, विटामिन ए, बी, सी और एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो कि यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में मददगार होते हैं। मेथी दाने में सोडियम, जिंक, फास्फोरस फॉलिक एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे मिनरल मिलते हैं इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर भी पाए जाते हैं।
अधिकतर यूरिक एसिड की समस्या मोटे लोगों में पाई जाती है क्योंकि वह अपने भोजन में प्रोटीन युक्त पदार्थ ज्यादा लेते हैं। जिसकी वजह से उनके शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है। उनकी किडनी पूरी तरह से यूरिक एसिड को यूरिन के रूप में बाहर नहीं निकाल पाती है। जिसके कारण यूरिक एसिड यूरेट क्रिस्टल के रूप में शरीर के जोड़ों में जमा होने लगता है।
सर्दी के मौसम में यूरिक एसिड में मददगार है मेथी
सर्दी के मौसम में यूरिक एसिड ज्यादा बढ़ता है। वैसे तो यूरिक एसिड के बढ़ने का मौसम से कोई विशेष लेना देना नहीं है। लेकिन जब बारिश होती है या ठंड के मौसम में यूरिक एसिड शरीर के जोड़ों में ज्यादा जमा होने लगता है। अधिकतर यह बीमारियां प्रौढ़ावस्था वाले लोगों को होती है क्योंकि वह जाड़े में धूप न निकलने के कारण अपने शरीर की हिफाजत करने के लिए रजाई से बाहर ही नहीं निकलते हैं। सर्दी से तो वो बच जाते हैं लेकिन शरीर की और बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं। ठंड के कारण वह योगा, एक्सरसाइज और वाॅक भी नहीं कर पाते। जिसके कारण उनके शरीर से यूरिक एसिड का निष्कासन नहीं हो पाता है। ऐसे में मेथी एक रामबाण का काम करता है मेथी काफी गर्म होता है यह जाड़े में शरीर को ऊष्मा प्रदान करता है।
मेथी फाइबर युक्त होता है जिसका सेवन करने से हमें डाइजेशन की दिक्कतों का भी सामना नहीं करना पड़ता। मेथी के प्रयोग से कब्ज की समस्या भी दूर होती है। जब आपका पेट अच्छी तरह से साफ होता है तो फिर आपके शरीर में बनने वाले विषैले पदार्थ यूरिक एसिड आदि भी शरीर से बाहर निकल जाते हैं। मेथी खाने के कारण पेट भरा भरा रहता है और ज्यादा भूख नहीं लगती। जिसके कारण व्यक्ति का यूरिक एसिड नहीं बन पाता है।
मेथी का प्रयोग यूरिक एसिड दूर करने के लिए कैसे करें
मेथी को अगर हम रोज लेते हैं तो यह शरीर में जमने वाले यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निष्कासित करने में मदद करता है।
इसके लिए हमें रात को सोते समय दो चम्मच मेथी को पानी में भिगो देना चाहिए। मेथी को अच्छी तरह से साफ करके दो तीन बार पानी से निकाल कर के ही हमें भिगोना चाहिए। सुबह-सुबह हमें खाली पेट मेथी खानी चाहिए और जो पानी बचे उसे पी जाना चाहिए।
शिशुओं के कब्ज की समस्या एक बहुत की कॉमन समस्या है। यह समस्या उन बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है जो मांँ का दूध नहीं पीते और पाउडर मिल्क पर निर्भर हैं। दरअसल ब्रेस्ट मिल्क यानी मांँ के दूध को बच्चे आसानी से पचा लेते हैं और इससे पेट भी बच्चों का आसानी से साफ हो जाता है. ऐसे में इन शिशुओं में कब्ज की समस्या कम देखी जाती है। अगर आपके शिशु को कब्ज (Constipation) की शिकायत है तो डॉक्टर भी किसी तरह की दवा देने से परहेज करते हैं। ऐसे में नन्हें शिशुओं को इस समस्या से निकालने के लिए आप घरेलू उपायों की मदद ले सकते हैं ,आइए जानते हैं किन उपायों से आप शिशुओं की कब्ज को दूर कर सकते है।
नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?
हल्का फुल्का व्यायाम
शिशु के पैरों को हल्के हल्के उपर नीचे, आगे पीछे हिलाएं, इसके बाद सावधानी से उनके पैरों को साइकिल की तरह गोल गोल घुमाएं. ऐसा करने से उन्हें प्रेशर बनता है और कब्ज से राहत मिलती है।
मालिश
बच्चे के पेट और निचले हिस्से की हल्की मालिश करें. ऐसा करने से भी कब्ज दूर हो सकती है।
गुनगुने पानी से स्नान
गुनगुने पानी से नहलाने से शिशु के शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है। पेट और इंटसटाइन व पॉटी एरिया में भी आराम मिलता है और वे पॉटी के लिए तैयार हो जाते हैं।
सौंफ
सौंफ भी पाचन संबंधित समस्याओं के इलाज में बहुत फायदेमंद है, आप एक चम्मच सौंफ को एक कप पानी में उबालकर ठंडा करें और छान कर रखें और दिन में तीन से चार बार शिशु को चम्मच से पिलाएं।
सेब का रस
बच्चों में भी फाइबर की कमी के कारण कब्ज हो सकती है। सेब में मौजूद घुलनशील फाइबर यानी पेक्टिन कब्ज के इलाज में लाभकारी होता है। आप सेब के छिलके साथ जूस निकाल कर शिशु को थोड़ा थोड़ा चम्मच से दे सकती हैं।
तरल पदार्थ
शरीर में पानी की कमी के कारण भी कब्ज होती है, अगर बच्चा छह महीने से अधिक उम्र का है तो उसके सूप, फलों का रस, दूध और पानी आदी खूब दें।
फल और सब्जियाँ
अगर बच्चा छह महीने से बड़ा है तो उसे फल और सब्जियों को उबालकर और पीस कर खिलाएं. इनमें फाइबर भरपूर होते हैं जिससे कब्ज दूर होता है।
पपीता
पपीता फाइबर का अच्छा स्रोत है और इसीलिए ये कब्ज के इलाज में बहुत असरकारी होता है। 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चे के लिए पपीता कब्ज से छुटकारा दिलाने में बहुत फायदेमंद है।
ऑर्गेनिक नारियल तेल
कब्ज के घरेलू उपाय में नारियल तेल का प्रयोग भी किया जा सकता है। 6 महीने से अधिक उम्र के शिशु के खाने में दो या तीन मि.ली नारियल तेल मिला सकते हैं। अगर बच्चा 6 महीने से कम है तो उसकी गुदा के आसपास नारियल तेल लगाएं।
अरंडी का तेल
थोड़ा सा अरंडी का तेल लेकर हल्के हाथ से बच्चे की नाभि के आसपास पेट पर मालिश करें, इससे भी कब्ज दूर होता है।
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस को दौड़ की आधुनिक दिन-प्रतिदिन की जीवन शैली को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। मिलावट के इस युग में जब कुछ भी शुद्ध नहीं मिलता। न फल और न सब्जी। हमें अपने शरीर के आवश्यक प्रोटीन विटामिन के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस को हमारे शरीर की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को विशेष रूप से प्रोटीन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। यह आज की भागदौड़ भरी जिंदगी के उन युवाओं के लिए खास तौर पर बनाया गया है, जिनके पास समय पर खाने-पीने का भी समय नहीं है, इसलिए हम भूल जाते हैं कि वे सब्जियां और फल खाकर समय बिताएंगे।
समय की कमी के कारण उन्हें जो मिलता है वो खा लेते हैं। इनका ज्यादातर खाना जंक फूड होता है। जिससे पेट तो भर जाता है, स्वाद भी आता है, लेकिन शरीर के लिए जरूरी विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स नहीं मिल पाते। हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर शरीर को आवश्यक प्रोटीन, खनिज और विटामिन प्रदान करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
खिलाड़ी और एथलीट स्वास्थ्य पेय की तलाश में हैं जो शरीर की प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। लगातार व्यायाम से होने वाली थकान को दूर करें। और शरीर के मसल्स मास को बढ़ाएं। ये सभी हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस की विशेषताएं हैं।
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस क्या है
हॉर्लिक्स एक प्रोटीन प्लस न्यूट्रीशन ड्रिंक है जिसे कामकाजी युवाओं के लिए बनाया गया है। हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस एक की ताकत बढ़ाता है हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस एक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध खाद्य पोषण पेय है जो विशेष रूप से वयस्कों के लिए तैयार किया गया है।
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस कैसे काम करता है
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस व्यक्ति की ताकत को बढ़ाता है। उनकी मांसपेशियों को प्राप्त करने में मदद करता है। और यह एक स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने में मदद करता है। तीस के बाद हम सभी अपने शरीर की मांसपेशियों को खोने लगते हैं। हमारा मसल्स मास कम होने लगता है, हमें बहुत जल्दी थकान होने लगती है, हमें उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन अधिक से अधिक लेना चाहिए ताकि हम अपनी नियमित शारीरिक गतिविधि कर सकें और थकें नहीं।
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में पीडीसीएस मानक है
हमारे शरीर का मसल्स मास हमारे प्रोटीन सेवन पर निर्भर करता है। हमारा मसल्स मास इस बात पर निर्भर करता है कि हमने अच्छा प्रोटीन लिया है या नहीं। हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में पीडीसीएस मानक हैं जिन्हें हम प्रोटीन गुणवत्ता संकेतक कहते हैं। इसका उच्च स्कोर हमारे हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के पास है। जो साबित करता है कि हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन प्रोटीन पाउडर है।
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में अमीनो एसिड होता है जो हमारे शरीर की सभी जरूरतों को पूरा करता है। वैसे, प्रोटीन अमीनो एसिड के भीतर होता है या हम कह सकते हैं कि अमीनो एसिड वे हैं जो प्रोटीन बनाते हैं। हमारे शरीर में अधिकांश अमीनो एसिड बनते हैं लेकिन उनमें से 9 ऐसे अमीनो एसिड होते हैं जिन्हें हमारा शरीर नहीं बना सकता और जिनका हमें बाहर से सेवन करना पड़ता है। ऐसे अमीनो एसिड को हम आवश्यक अमीनो एसिड कहते हैं। ये अमीनो एसिड हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में पाए जाते हैं। हमारे शरीर को बनाए रखने के लिए अमीनो एसिड के अंदर पाए जाने वाले प्रोटीन। हमारे शरीर की थकान को दूर करने और मसल्स मास को बेहतर बनाने के लिए यह आवश्यक है।
थकान को करे दूर
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में पाए जाने वाले पोषक तत्व
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में 3 प्रकार के उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं, आइए जानते हैं इसका प्रोटीन अनुपात –
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन बी1, विटामिन डी, फॉस्फोरस, केनिन, बिपिन आदि जैसे खनिज होते हैं। इसका सेवन आकार लगभग 30 ग्राम है, जिसमें 10 ग्राम प्रोटीन, 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, वसा पाया जाता है। बहुत कम मात्रा। इसमें कोको पाउडर मिनरल व्हीट ग्लूटेन होता है। हम कह सकते हैं कि हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर अन्य प्रोटीन पाउडर की तुलना में काफी बेहतर है क्योंकि यह प्रोटीन पाउडर इसमें तीन प्रकार के प्रोटीन मिलाकर बनाया गया है बल्कि सोया प्रोटीन को अन्य प्रोटीन पाउडर में मिलाया जाता है लेकिन सोया प्रोटीन के साथ हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर- मट्ठा प्रोटीन भी होता है जोड़ा गया।
मट्ठा प्रोटीन क्या है
व्हे प्रोटीन में चार आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं जो अन्य प्रोटीनों की तुलना में काफी बेहतर होते हैं। ये चार अमीनो एसिड एरिओलिंग, लॉसिंग, मेथ्यूनिन और लाइसिन ये चार अमीनो एसिड मेथ्यूनीन एमिनो एसिड वजन घटाने में मदद करते हैं। लाइसिन अमीनो एसिड मांसपेशियों की वृद्धि को बढ़ावा देता है। सोया प्रोटीन में रजेमिनोर, ट्रिप्टो फैट, फेनिलएलनिन पापा होते हैं।
हार्लिक्स प्रोटीन प्लस में सोया प्रोटीन और व्हे प्रोटीन दोनों के फायदे हैं।
हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर में कैसिइन प्रोटीन की मात्रा बहुत कम होती है जो एक पाचन प्रोटीन है जो पाचन में मदद करता है। कैसिइन प्रोटीन एक तेजी से अवशोषित होने वाला प्रोटीन है, जिसे दुबले व्यक्तियों के लिए सुबह और शाम दूध के साथ लेने से उनका वजन बढ़ता है और यदि एथलीट इसे व्यायाम के बाद लेते हैं, तो यह मांसपेशियों को टोन करने के लिए उपयोगी होता है।
हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस पीने से क्या होता है? – हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के लाभ
हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर वजन बढ़ाने और वजन घटाने दोनों में फायदेमंद है
हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर वजन घटाने या वजन बढ़ाने दोनों में फायदा करता है। इसमें शुगर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर के संतृप्त उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन शरीर के द्रव्यमान को बढ़ाने का काम करते हैं, इसलिए यदि एथलीट वजन कम करने के लिए हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर लेते हैं, तो हमें व्यायाम करने के बाद पानी में हॉर्लिक्स पाउडर मिलाना होगा। प्रचुर मात्रा में प्रोटीन के लिए हमें अंडे की सफेदी के साथ हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर लेना होगा।
ऐसा नहीं है कि हम अंडे के सफेद हिस्से को पानी में तोड़कर उसमें प्रोटीन पाउडर मिलाकर पी लें, हमें या तो अंडे को उबालकर उसका सफेद हिस्सा लेना है या फिर सफेद हिस्से को आधा भून कर खाना है. जिससे हमारे शरीर को पोषण तो मिलता है लेकिन कार्बोहाइड्रेड शुगर की वजह से हमारा वजन नहीं बढ़ पाता। हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर में प्रोटीन होते हैं जो हमारे शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाते हैं।
हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर बजट के अनुकूल है
हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर की कीमत अन्य प्रोटीन पाउडर की तुलना में बहुत कम होती है इसलिए इसे कॉलेज जाने वाले युवाओं से लेकर कामकाजी युवाओं तक हर कोई खरीद सकता है। हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस बच्चों और किशोरों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए भी है। हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर जिम जाने वालों के लिए भी बहुत अच्छा है और इसकी कीमत पर सर्वोत्तम उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन समय प्रदान करता है। उन लोगों के लिए जो एक किफायती प्रोटीन पाउडर की तलाश में हैं जो 6 से 7000 रुपये खर्च नहीं करना चाहते हैं, उनके लिए हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बढ़िया विकल्प है।
हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर स्वाद में है बेहतर
हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर की एक और विशेषता इसका स्वाद है। हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर अन्य सभी प्रोटीन पाउडर की तुलना में अधिक स्वादिष्ट होता है। हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन विकल्प है।
प्रेगनेंसी मे हर महिला के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लेना बहुत ही जरुरी है। पर कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जो कि गर्भवती महिलाओं को नहीं खाने चाहिए, ख़ासकर प्रेगनेंसी के शुरु के तीन महिने के दौरान, आमतौर पर इन तीन महिने मे गर्भवती महिलाओं में गर्भपात होने का ख़तरा ज़्यादा होता है। गर्भवती महिला के लिए यह जानना जरुरी है कि क्या खाने से मिसकैरिज होता है, क्या चीज खाने से गर्भपात हो जाता है? गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में शामिल खाद्य पदार्थों का ध्यान रखना आवश्यक हैं और गर्भपात से बचने के लिए गर्भावस्था के दौरान कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों से गर्भाशय फैल सकता है या खुल सकता है और परिणामस्वरूप गर्भाशय में संकुचन हो सकता है जिससे गर्भपात होने का खतरा हो सकता नीचे हम कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ की बात कर रहे है जो गर्भपात का कारण बन सकते हैं।
क्या खाने से मिसकैरिज होता है?-Kya Khane Se Miscarriage Hota Hai
इलायची से गर्भपात
गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक मात्रा में इलायची का सेवन करने से गर्भपात होने का खतरा रहता है। गर्भावस्था के दौरान इलाइची के सेवन से जुड़ी पर्याप्त चिकित्सकीय जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि आप गर्भवास्था के दौरान इलायची का ज्यादा सेवन से परहेज करें।
अनानास
अनानास में ब्रोमेलैन पाया जाता है जो गर्भवती महिला के गर्भाशय को ढीला कर सकता है और जिससे गर्भाशय में संकुचन की शुरुआत हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। गर्भावस्था के शुरुआती समय में अनानास या उसके रस का सेवन करने से बचना ही बेहतर है।
गर्भवती महिलाओं को शुरुआती दिनों में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए । शहद के साथ तिल का सेवन, गर्भावस्था में परेशानी उत्पन्न कर सकता है। वैसे गर्भावस्था के बाद के पड़ाव में महिलाएं कभी–कभार काले तिल का सेवन कर सकती हैं क्योंकि यह प्रसव क्रिया के लिए लाभदायक माने जाते हैं।
पशु का यकृत
पशु का यकृत विटामिन ‘ए’ से भरपूर होता है, इसे आमतौर पर सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है। इसलिए, इसे महीने में एक या दो बार खाने में कोई ख़तरा नहीं है। लेकिन, यदि गर्भवती महिलाएं ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन करती हैं, तो यह गर्भावस्था के दौरान परेशानी हो सकती है क्योंकि इससे धीरे–धीरे रेटिनॉल जम सकता है और जिसका बुरा असर बच्चे पर पड़ सकता है।
एलोवेरा में ऐंथ्राकीनोन होते हैं, यह एक प्रकार से गर्भाशय में संकुचन पैदा करती है जिससे योनि से रक्तस्राव हो सकता हैं, और जो गर्भपात कि वजह भी बन सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान ऊपर ऊपर से एलोवेरा जेल लगाना सुरक्षित माना जाता है।
गर्भ गिराने के लिए पपीता कैसे खाएं?
कच्चे पपीते या हरे पपीतों में ऐसे कुछ तत्त्व होते हैं जो संकुचन का काम करते हैं, पपीते के बीज एंजाइम से भरपूर होते हैं जो गर्भाशय में संकुचन का कारण बन सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात भी हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान किसी भी रूप में पपीते का सेवन करना सुरक्षित नहीं है।
सहजन मे अल्फा–सिटोस्टेरोल होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता हैं। परंतु, सहजन आयरन, पोटेशियम और विटामिन से भरपूर होता है । इसलिए, इन्हें सीमित मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है।
कच्चे दूध के पदार्थ
दूध, गोर्गोन्ज़ोला, मोज़ेरेला, फ़ेटा चीज़ और ब्री जैसे कच्चे या अपाश्चरीकृत पदार्थों में लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स जैसे रोग फैलाने वाले जीवाणु हो सकते हैं, और जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होते है। गर्भवती महिलाओं के लिए कच्चे दूध से बनी कोई भी चीज़ खाना या पीना सुरक्षित नहीं माना जाता है।
काली चाय से गर्भपात कैसे करें
ब्लैक टी की मदद से गर्भपात आसानी से किया जा सकता है। काली चाय बहुत गर्म होती है। इसे पीने से शरीर में बहुत अधिक गर्मी होती है, इसलिए यदि गर्भावस्था को अधिक समय नहीं हुआ है, तो यह आसानी से गर्भपात का कारण बन सकती है।
काली चाय
इसे बनाने के लिए चाय बनाते समय हम दो गिलास पानी गर्म करते हैं और उसमें चाय की पत्ती डालकर उबालते हैं। जब यह पानी आधा हो जाए तो इसे गर्मागर्म पिएं। इसे कुछ दिनों तक लगातार पीने से जल्द ही गर्भपात हो जाएगा।
कैफीन
गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा कैफीन के कारण गर्भपात या जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों के अनुसार कैफीन मूत्रवर्धक या निर्जलीकारक माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर में द्रव्य पदार्थों की कमी का कारण बन सकता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कैफीन कई खाद्य पदार्थ में शामिल होती है जैसे कि चाय, कॉफी, चॉकलेट और कुछ ऊर्जा शक्ति प्रदान करने वाले पेय पदार्थ आदि।
पारा युक्त मछली
हालांकि मछली आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती है, गर्भवती महिलाएं ऐसी किस्म की मछलियां खाने से परहेज करें जिनमें बड़ी मात्रा में पारा पाया जाता है, जैसे कि किंग मैकरेल, ऑरेंज रफ, मार्लिन, शार्क, टाइलफिश, स्वोर्डफ़िश, और बिगआय ट्यूना मछली। इसका कारण यह कि पारा के सेवन से बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास पर भारी प्रभाव पड़ सकता हैं।
गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जंगली सेब खाने से बचना चाहिए। इनके अम्लीय और खट्टे गुण से गर्भाशय में संकुचन का कारण बन सकता हैं। इससे समय से पहले प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है या गर्भपात हो सकता है।
संसाधित माँस
गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से अधपका या कच्चा माँस खाने से बचना चाहिए क्योंकि माँस में मौजूद जीवाणु बच्चे तक पहुँच सकते हैं, जिससे गर्भपात, समय से पहले प्रसव या मृत जन्म जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, माँस को सही तरीके से पकाने या खाने से पहले इसे अच्छी तरह से दोबारा गर्म करना आवश्यक है।
अंडे के साल्मोनेला नामक जीवाणु के कारण खाद्य विषाक्तता, अतिसार, बुखार, आँतों में दर्द या गर्भपात जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अंडे को अच्छी तरह से पकाना आवश्यक है, यानी जब तक कि अंडे का सफ़ेद और पीला हिस्सा ठोस नहीं हो जाता तब तक पकाए । इससे जीवाणु मर जाते हैं और अंडा खाने के लिए सुरक्षित हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को ऐसे खाद्य पदार्थों से भी दूर रहना चाहिए जिनमें कच्चे अंडे का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि एगनोग, घर का बना मेयोनेज़, सूफले और ऐसी स्मूदी जिसमें कच्चे अंडे हो।
मसाले-मेथी से गर्भपात कैसे करें?
गर्भावस्था में महिलाओं को मेथी, हींग, लहसुन, एंजेलिका, पेपरमिंट जैसे कुछ मसालों का सेवन अधिक मात्रा मे नहीं करना चाहिए। यह मसाले गर्भाशय को उत्तेजित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संकुचन हो सकता है, और फिर प्रसव पीड़ा या गर्भपात जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आड़ू एक “गर्म ” फल है। यदि गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए, तो यह गर्भवती महिला के शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा कर सकता है।
आड़ू
इससे अंदरूनी रक्तस्त्राव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को याद से इस फल को खाने से पहले इसका छिलका निकालने चाहिए क्योंकि फलों के रेशे से गले में जलन और खुजली पैदा हो सकती हैं।
प्रेगनेंसी में नींबू खाने से क्या होता है
गर्भावस्था में चक्कर आना, सिर दर्द और जी मिचलाना जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए महिलाएं कभी-कभी नींबू पानी पीती हैं या फिर नींबू पर नमक छिड़क कर चाट लेती हैं। लेकिन, नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह हानिकारक नहीं है।
अदरक से गर्भपात हो सकता है
विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को एक दिन में केवल 1500 मिलीग्राम अदरक का ही सेवन करना चाहिए। इससे ज्यादा सेवन करने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए अदरक या अदरक की चाय का अधिक मात्रा में सेवन बिल्कुल न करें।
अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और अजवाईन की तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।
सामान्य प्रश्न
क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?
कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।
अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?
अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।
पपीता से गर्भ कैसे गिराये?
गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।
6 महीने का गर्भ कैसे गिराए?
यदि आप अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं तो इसके लिए शुरुआती 5से 6 हफ्ते का समय सबसे उचित रहता है इसके बाद जैसे-जैसे वक्त बढ़ता जाता है जटिलताएं बढ़ने लगती है । 6 महीने का गर्भ काफी बड़ा होता है इसलिए इसे गिराने के लिए किसी प्रकार के घरेलू उपाय ना अपनाएं यह गर्भवती के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है । 6 महीने के गर्भ को गिराने के लिए डॉक्टर की मदद से ही हॉस्पिटल में गर्भपात करवाएं ।
गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए माँ के आहार से ही पोषक तत्व मिलते है। यदि महिला स्वस्थ व गर्भावस्था में संतुलित आहार का सेवन करती है तो इससे शिशु और गर्भवती महिला दोनों को ही फायदा मिलता है। इसके अलावा कुछ ऐसे आहार भी है जिनका आप गर्भावस्था के दौरान सेवन करते हैं तो आपको सामान्य प्रसव होने में मदद मिलती है। अगर आप खान पान में लापरवाही करते है तो गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कमजोरी का कारण बन सकती है, साथ ही इससे शिशु के विकास पर भी असर पड़ता है। महिला को सामान्य प्रसव के लिए गर्भावस्था के 9 महीने में आहार का खास ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है नार्मल डिलीवरी के लिए दादी माँ के नुस्खे
सामान्य प्रसव के लिए गर्भावस्था के 9 महीने में आहार-9 Month Pregnancy Diet In Hindi
केला
केला न केवल महिला को प्रेगनेंसी के दौरान ऊर्जा से भरपूर रखने में मदद करते हैं, बल्कि इससे महिला को थकान आदि की समस्या से बचाव करने में भी मदद मिलती है। ऐसे में महिला फिट रहने के लिए केले और दूध का सेवन भरपूर कर सकती है, जिससे डिलीवरी के समय महिला को परेशानी से बचाव करने में मदद मिलती है।
अंडा
अंडे में सैचुरेटेड फैट, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन और कैलोरी भरपूर मात्रा में होती है। जो की गर्भावस्था के दौरान महिला को स्वस्थ रखने में मदद करती है। महिला और शिशु दोनों के स्वस्थ होने के कारण महिला के नार्मल डिलीवरी के चांस बढ़ जाते हैं।
कैल्शियम, आयरन, फोलेट व अन्य एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर पालक का सेवन करने से भी गर्भावस्था के दौरान आपको बहुत फायदा मिलता है। आप इसे सब्ज़ी या सूप के रूप में खा सकते है, इसके सेवन से बॉडी को पोषक तत्व मिलने के साथ ब्लड की कमी को पूरा करने में भी मदद मिलती है। जिससे सामान्य प्रसव में मदद मिलती है।
पालक
संतरा
नार्मल डिलीवरी के लिए संतरे खाने बहुत फायदेमंद होते हैं। संतरे का सेवन करने से गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाली पानी की जरुरत को पूरा करने के साथ, आपको संक्रमण आदि से बचाव करने में भी मदद मिलती है। जिसके कारण आपका शरीर स्वस्थ रहता है और आपको नार्मल डिलीवरी होने में मदद मिलती है।
फाइबर, प्रोटीन व अन्य पोषक तत्वों से भरपूर दालों और फलियों का सेवन करने से आपको फिट रहने में मदद मिलती है। साथ ही इसमें फोलेट भी भरपूर मात्रा में होता है जिससे शिशु के विकास को बेहतर होने में मदद मिलती है। और यदि महिला और शिशु दोनों स्वस्थ रहते हैं तो ऐसा होने से प्रसव के दौरान महिला को ज्यादा परेशानी नहीं होती है
ब्रोकली
एंटी ऑक्सीडेंट, फाइबर, विटामिन, कैल्शियम से भरपूर ब्रोकली का सेवन करने से आपको गर्भावस्था के दौरान फिट रहने में मदद मिलती है। साथ ही ब्रोकली का सेवन करने से पाचन तंत्र सम्बन्धी समस्या को दूर करने में भी मदद मिलती है। जिससे आपको फायदा मिलता है। और इसके सेवन से आपको पोषक तत्व मिलते हैं वो डिलीवरी के समय आने वाली परेशानियों को कम करने में मदद मिलती है।
कम वसा वाले मीट
आयरन की मात्रा से भरपूर कम वसा वाले मीट का सेवन करने से भी गर्भावस्था में फायदा मिलता है, इससे शरीर को एनर्जी के साथ ब्लड की मात्रा को भी पूरा करने में भी मदद मिलती है। जिससे महिला के नार्मल डिलीवरी के चांस को बढ़ाने में मदद मिलती है।
पानी का भरपूर सेवन करें
पानी न केवल ऊर्जा का बेहतरीन स्त्रोत होता है बल्कि इससे गर्भावस्था के दौरान महिला को हाइड्रेट रहने में मदद मिलती है। पानी का भरपूर सेवन करने से महिला को इन्फेक्शन आदि से बचे रहने में भी मदद मिलती है। जिससे महिला और शिशु दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।
नार्मल डिलीवरी के लिए दादी माँ के नुस्खे-सामान्य प्रसव के लिऐ अन्य टिप्स
गर्भावस्था के दौरान हल्का फुल्का व्यायाम जरूर करें।
कोई भी परेशानी होने पर डॉक्टर से तुरंत जांच करवाएं।
दिन में थोड़े थोड़े समय बाद कुछ न कुछ खाते रहें, इससे आपको एक्टिव और ऊर्जा से भरपूर रहने में मदद मिलती है।
ऐसे आहार का सेवन भरपूर करें जिसमे आयरन की मात्रा भरपूर हो। क्योंकि यदि महिला में खून की कमी होती है तो डिलीवरी के समय परेशानी हो सकती है। ऐसे में नार्मल डिलीवरी के लिए ऐसे खाद्य पदार्थो का भरपूर सेवन करना चाहिए जिससे शरीर में ब्लड की मात्रा को बढ़ाने में मदद मिल सकें।
नार्मल डिलीवरी के लिए ताजा, स्वस्थ व संतुलित होने के साथ पौष्टिक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए।
डेयरी उत्पाद का भरपूर सेवन करने से भी आपको प्रेगनेंसी के दौरान आपको फिट रहने में मदद मिलती है, साथ ही इसके भरपूर सेवन से नार्मल डिलीवरी के चांस भी बढ़ जाते हैं।
तो यह कुछ ऐसे खास खाद्य पदार्थ है जिनके सेवन से आपको सामान्य प्रसव मे मदद मिलती है। इसके अलावा समय समय पर डॉक्टर से जांच भी करवाते रहना चाहिए।
Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न
कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन
लंबे समय तक प्रसव पीड़ा भी एक कारण है, जब महिलाएं 20 घंटे के लिए दूसरी बार गर्भवती हो जाती हैं, और पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं को 14 घंटे तक प्रसव पीड़ा से जूझना पड़ता है, तो डॉक्टर सिजेरियन का फैसला करते हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम विभाग के अनुसार, इसका कारण जन्म नहर की तुलना में बच्चे का बड़ा आकार, धीमी गति से गर्भाशय ग्रीवा का पतला होना, कई जन्म होना है। गर्भाशय में शिशु की स्थिति गलत होने पर भी सिजेरियन करना पड़ता है। इस मामले में, बच्चे के पैर या बट बर्थ कैनाल की तरफ होते हैं। अगर गर्भ में शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही है या बच्चा किसी जन्मजात बीमारी (हृदय या मस्तिष्क) से पीड़ित है, तो डॉक्टर सिजेरियन को वरीयता देते हैं। कभी-कभी बच्चे के जन्म से पहले प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा से फिसल जाता है, इसलिए इसे गर्भनाल आगे को बढ़ाव कहा जाता है। यह स्थिति शिशु के लिए खतरनाक होती है। इस मामले में, आपातकालीन सीजेरियन डिलीवरी की आवश्यकता होती है। इसलिए यदि आप इनमें से किसी भी स्थिति से जूझ रही हैं, तो इस बात की अधिक संभावना है कि आपकी डिलीवरी सीजेरियन हो।
कैसे जाने कि बच्चा पैदा होने वाला है?
अगर आपको ये लक्षण नजर आएं तो समझ लें कि सिर्फ 24 से 48 घंटे में लेबर पेन शुरू होने वाला है। बार-बार पेशाब आना तेज कमर दर्द पानी की थैली का फटना
किसी को भी सफेद बाल अच्छे नहीं लगते चाहे वो स्त्री हो या पुरुष, सफेद बाल किसी की भी उम्र को बढ़ा सकते हैं। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि सर के बाल सफेद नहीं हुए होते और दाढ़ी के बाल सफेद होने लगते हैं। उम्र बढ़ने पर ऐसा हो तो कोई अफसोस नहीं होता पर कम उम्र में ही दाढ़ी के बाल सफेद होने लगे तो यह चिंता का विषय होता है।
सर के बालों के लिए तो बहुत सारे केमिकल्स वाली डाई बाजार में उपलब्ध है पर दाढ़ी के बालों में कोई भी केमिकल लगाना पसंद नहीं करता। डाई न लगा सकने के परिणाम स्वरूप दाढ़ी के बाल सफेद और बेरंग लगते हैं।
सबसे बड़ी चिंता का विषय होता है कि आखिर कम उम्र में ही दाढ़ी के बाल सर के बालों से भी पहले सफेद आखिर हो ही क्यों रहे हैं?
दाढ़ी के बाल सफ़ेद होने के कारण
दाढ़ी के बाल मेलेनिन की कमी के कारण कम उम्र में सफेद होने लगते हैं।
मानसिक तनाव के कारण भी दाढ़ी के बालों का रंग जल्दी सफेद होने लगता है।
ध्रूमपान व नशा करने से भी दाढ़ी के बाल जल्दी सफेद हो जाते है।
बिना केमिकल्स के भी प्राकृतिक चीजों के प्रयोग से दाढ़ी के बालों को सफेद किया जा सकता है। उन्हीं में से एक है प्याज का रस, प्याज के रस में अनगिनत फायदे होते हैं जो बालों की वृद्धि करते हैं और बालों को सफेद होने से बचाते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण प्याज का रस बालों को सफेद होने से रोकता है। प्याज में कैटलस नामक एक एंजाइम काफी अधिक मात्रा में होता है। यह बालों का सफेद होना रोकता है। प्याज में सल्फर काफी अधिक मात्रा मे पाया जाता है जो बालों को पोषण देता है और बालों को सफेद होने से बचाता है। प्याज का रस दाढ़ी के सफेद बालों के लिए बहुत अच्छा है। प्याज का रस दाढ़ी के सफेद बालों पर लगाने से बाल सफेद नहीं होते। दाढी के सफेद बाल धीरे-धीरे काले होने लगते है।
प्याज के रस को दाढ़ी के बालों में लगाने की विधि
प्याज व पुदीने के रस से
प्याज के रस को कटोरी में निकाल ले ,फिर उसमें दो चम्मच पुदीने का रस मिलाकर दाढ़ी के बालों पर आधा घंटा लगा रहने दे। कुछ समय बाद ठंडे पानी से दाढ़ी के बालों को धो लें। ऐसा सप्ताह में दो बार करें कुछ समय बाद ही दाढ़ी के बाल काले लगने लगेंगे।
पुदीना
अंकुरित प्याज एवं फिटकरी से
अंकुरित प्याज को छीलकर काट लें और काटकर पीस लें। अंकुरित हिस्से को भी छोटे-छोटे हिस्सों में काटकर पीस लें। फिटकरी को बारीक पीस लें | इन तीनों चीजों को आपस में मिलाकर 2 से 5 मिनट के लिए छोड़ दें। इस मिश्रण को धीरे धीरे दाढ़ी की मालिश करते हुए दाढ़ी पर लगाएँ 30 से 25 मिनट तक लगा रहने दें। ठंडे पानी से दाढ़ी के बाल धो ले। कुछ दिनों बाद ही आपकी दाढ़ी के बाल सफेद होने कम हो जाएंगे।
यह एक आयुर्वेदिक उपाय हैं। प्याज में आयरन, पोटेशियम और सल्फर प्रचुर मात्रा में होता है ,जो बालों को सफेद होने से बचाता है। फिटकरी भी एक एंटीसेप्टिक होने के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से युक्त होती है।
प्याज, नींबू के रस और कलौंजी से
एक प्याज को लेकर उस का रस निकाल ले। कलौंजी को पीस लें। पिसी हुई कलौंजी को प्याज के रस में मिला ले। नीबू को भी काटकर उस का रस निकाल लें। नींबू के रस में प्याज का रस मिलाकर दाढ़ी के बालों पर लगा ले। 30 से 45 मिनट तक बालों पर लगा रहने दे कुछ समय बाद बालों को धो लें यह नुस्खा हफ्ते में एक बार अवश्य करना है। कुछ समय बाद फर्क सभी को दिखने लगेगा।
प्याज, आंवला, गुड़हल, करी पत्ते, भृंगराज से
गुड़हल के कुछ फूल और करी पत्ते को पीस ले। आंवले के रस और प्याज के रस के साथ गुड़हल के फूल और करी पत्ते के मिश्रण को मिला ले। इस मिश्रण में भृंगराज पाउडर भी डाल लें। इन सारी चीजों को एक साथ मिलाकर चटनी जैसा बना ले रात भर लोहे की कढ़ाई में रहने दे।
सुबह उठकर दाढ़ी के बालों पर लगा लें। कुछ समय लगा रहने दें।1 घंटे बाद पानी से धो दें। हफ्ते में एक अवश्य लगाये। कुछ महीनों में ही जो बाल सफेद हुए हैं वह भी काले लगने लगेंगे।
प्याज का रस, कच्चा आलू, अरहर की दाल
प्याज का रस निकाल लें। कच्चे आलू को भी धोकर छील लें। आलू को कद्दूकस कर लें , आलू को निचोड़ कर उसका भी रस निकाल लें। अरहर की दाल को पीस लें।अब इन तीनों चीजों को एक साथ मिलाकर दाढ़ी के बालों पर लगाएँ। पंद्रह दिनों में एक बार इस प्रकिया को दोहराये। कुछ दिनों में ही फर्क नजर आने लगेगा।
प्याज का रस ,बादाम / नारियल / कैस्टर ऑयल
गाड़े बैगनी रंग के प्याज लें। उसको छोटे टुकड़ों में काट कर पीस लें। प्याज को छलनी में छानकर उस का रस निकाल लें। प्याज के रस में बादाम का तेल मिलाकर बदाम का तेल ना हो तो कैस्टऱ आँयल भी चलेगा, या फिर नारियल का तेल भी डाल सकते हैं | इनमें से किसी भी तेल को प्याज के रस के साथ मिलाकर दाढ़ी के बालों में लगाएँ | कुछ समय बाद ही पानी से धो दें इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बार करें कुछ समय बाद ही सफेद बाल काले होने लगेंगे।
प्याज का रस व अदरक का रस
प्याज को पीसकर उस का रस निकाल कर छान लें। अदरक कद्दूकस करके उसका भी रस निकालें।इन दोनों का रस मिलाकर दाढ़ी के बालों पर लगाएँ। कुछ समय बाद ही दाढ़ी के बाल घने होने लगेंगे और जो बाल सफेद हो चुके हैं उनमें भी फर्क दिखाई देने लगेगा।
हम सभी इन घरेलू एवं आसान तरीकों को अपना कर अपने व अपने अपनों के दाढी के सफेद बाल काले कर सकते हैं।
Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न
प्याज को दाढ़ी पर लगाने से क्या होता है?
बालों की ग्रोथ के साथ-साथ प्याज के रस में उन्हें उगाने के भी गुण होते हैं। इसमें पाया जाने वाला एंटी-ऑक्सीडेंट एंजाइम्स के स्तर को काफी बढ़ा देता है। साथ ही बालों को सफेद होने से भी रोकता है। इसके अलावा प्याज के रस में सल्फर होता है, जो आपके रोमछिद्रों को पोषण देकर उन्हें फिर से सक्रिय करने में मदद करता है।
दाढ़ी के बाल काले कैसे करे?
शराब, धूम्रपान और जंक फूड के अत्यधिक सेवन से बाल समय से पहले सफेद हो जाते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से बाल सफेद नहीं होते हैं। इस तरह स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और आहार में बदलाव करने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। इससे बाल सफेद नहीं होते हैं।
पतंजलि कायाकल्प वटी एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं के इलाज में किया जाता है। अगर आप patanjali kayakalp vati benefits जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए पूरी जानकारी लेकर आया है। यह दवा शरीर को अंदर से साफ करती है और त्वचा को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बनाती है।
पतंजलि कायाकल्प वटी क्या है?
तनावपतंजलि द्वारा बनाई गई यह आयुर्वेदिक वटी कई जड़ी-बूटियों से बनी होती है, जो शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। इसका नियमित उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में कारगर होता है।
जब भी कोई व्यक्ति “patanjali kayakalp vati benefits” खोजता है, तो उसका मकसद त्वचा की देखभाल से जुड़ी जानकारी लेना होता है, और यह वटी उस दिशा में काफी असरदार मानी जाती है।
Patanjali Kayakalp Vati Benefits – प्रमुख फायदे
त्वचा की सफाई और चमक: वटी रक्त को शुद्ध करती है जिससे त्वचा में निखार आता है।
फोड़े-फुंसी और दाग-धब्बों में राहत: यह त्वचा की गहराई से सफाई करती है और पुराने दाग कम करती है।
एलर्जी और खुजली से बचाव: त्वचा की एलर्जी, जलन और खुजली से राहत देती है।
त्वचा की उम्र धीमी करती है: यह त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद करती है।
इन सभी patanjali kayakalp vati benefits को पाने के लिए इसे नियमित रूप से और सही तरीके से लेना जरूरी है।
इन सभी आयुर्वेदिक तत्वों का मिश्रण शरीर को डिटॉक्स करता है और त्वचा को प्राकृतिक रूप से हील करता है।
त्रिफला
कैसे लें पतंजलि कायाकल्प वटी?
एक या दो गोली दिन में दो बार, भोजन के बाद लें।
इसे गुनगुने पानी के साथ लें।
बेहतर परिणाम के लिए कम से कम 2-3 महीने तक इसका उपयोग करें।
सावधानियाँ
गर्भवती महिलाएं या बच्चे इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह लें।
यदि किसी घटक से एलर्जी हो, तो उपयोग न करें।
अधिक मात्रा में सेवन न करें।
निष्कर्ष
यदि आप patanjali kayakalp vati benefits की तलाश में हैं, तो यह वटी त्वचा की देखभाल के लिए एक बेहतरीन और सुरक्षित विकल्प हो सकती है। आयुर्वेदिक होने के कारण इसके साइड इफेक्ट बहुत कम हैं और यह आपकी त्वचा को अंदर से सुंदर और स्वस्थ बनाती है।
वैसे तो हम सभी जानते हैं कि कोई भी अनाज या दाल अंकुरित होने के बाद स्वास्थ्य के लिए और अच्छी हो जाती है पर मूंग की तो बात ही अलग है। सभी दालों में सबसे ज्यादा पौष्टिक मूंग की दाल ही होती है और इसके अंदर इतने सारे एंजाइम होते हैं जो पाचन को आसान बनाते हैं तो सोचिए जब यही मूंग की दाल अंकुरित हो जाएगी तो इसकी शक्ति कितनी बढ़ जाएगी। अंकुरित मूंग खाने के फायदे बहुत है।
मूंग की दाल कब्ज तो दूर करती है साथ ही शरीर में शक्ति प्रदान करती है। मूंग की दाल में सबसे अधिक प्रोटीन होने के कारण सबसे अधिक गुणकारी है।
अंकुरित मूंग होती क्या है-Moong Ankurit Kaise Kare
मूंग की दाल को एक रात पानी में भिगोकर अगले दिन सुबह मलमल या किसी सूती कपड़े में कपड़े में बांध कर रख दे एक या दो दिन बाद मूंग में छोटे-छोटे अंकुर दिखाई देने लगेंगे यही अंकुरित मूंग है। अंकुरित मूंग पर्याप्त मात्रा में विटामिन, एंजाइम और मिनरल्स पाए जाते हैं तो आइए जानते हैं इसके फायदों को।
अंकुरित मूंग के फायदे-Ankurit Moong Ke Fayde
अंकुरित मूंग बालों के लिए बहुत फायदेमंद होती है
अंकुरित मूंग में विटामिन ‘सी’ पाया जाता है जो बालों के लिए फायदेमंद होता है। विटामिन ‘सी’ शरीर में रक्त संचार को बेहतर करता है सर मे रक्त संचार बेहतर होने के कारण बालों की ग्रोथ अच्छी होती है|
अंकुरित मूंग फायदेमंद है वजन कम करने में
अंकुरित मूंग में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है जिसके कारण भूख कम लगती है, पेट भरा भरा लगता है अंकुरित मूंग नाश्ते में लेने से कुछ समय बाद वजन कम होने लगता है|
अंकुरित मूंग बनाता है चेहरे को सुंदर
अंकुरित मूंग में फाइबर अधिक होने के कारण यह है चेहरे के तेल को कम कर मुहासे खत्म करता है।
अंकुरित मूंग है एंटी एजिंग
अंकुरित मूंग चेहरे के नए सेल्स को बनाता है और पुरानी सेल्स की मरम्मत करता है। अंकुरित मूंग चेहरे की एंटी एजिंग करता है।
अंकुरित मूंग कम करता है शरीर में सोडियम के इफेक्ट को
सोडियम जो अधिकतर नमक वाली चीजों या तली हुई चीजों में होता है और शरीर के लिए सोडियम का अधिक मात्रा में होना हानिकारक है। अंकुरित मूंग के नियमित सेवन से शरीर में सोडियम की मात्रा संतुलित रहती है।
अंकुरित मूंग में पॉलिसैचेराइड और पॉलिफिनॉल्स होता है। यह दोनों ही तत्व गंभीर रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। अंकुरित मूंग गंभीर रोगों के लिए भी लाभदायक है।
अंकुरित मूंग बढ़ाती हैं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता
अंकुरित मूंग के अंदर एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो शरीर की इम्यूनिटी को स्ट्रांग है रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं|
अंकुरित मूंग निकालती है शरीर के हानिकारक टॉक्सिंस को
अंकुरित मूंग में पाया जाने वाला फाइबर कब्ज को दूर करता है और शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं।
अंकुरित मूंग लाभदायक है चिर यौवन के लिए
अंकुरित मूंग में पाए जाने वाला साइटोजन शरीर में कॉलेजन व एलस्टिन बनाने में मदद करता है जो शरीर की खासतौर से चेहरे की त्वचा की एंटी एजिंग को रोकता है।
अंकुरित मूंग लाभदायक है बीपी में
अंकुरित मूंग में पेप्दीसाइड पाया जाता है जो शरीर में रक्तचाप को संतुलित करता है। जिससे बीपी के मरीज़ों को राहत है।
अंकुरित मूंग सर्वोत्तम विकल्प है शाकाहारीयों के लिए
मांसाहारी व्यक्ति तो अपने भोजन की जरूरत है अंडा, मीट, मछली आदि से पूरी कर लेते हैं प्रोटीन की जरूरत के लिए अंकुरित मूंग सर्वोत्तम विकल्प है अंकुरित मूंग का सेवन रोज करने से शरीर में आवश्यक सभी तत्वों की पूर्ति हो जाती है।
अंकुरित मूंग के लाभ से तो हम सभी परिचित हो चुके हैं पर ऐसा नहीं कि अंकुरित मूंग के फायदे ही हैं अंकुरित मूंग खाने के कुछ नुकसान भी है तो आइए जानते हैं नुकसान के बारे में।
अंकुरित मूंग के नुकसान
अंकुरित मूंग खाने से हो सकती है पेट की बीमारियाँ
अंकुरित मूंग को अंकुरित करते समय इसकी नमी से साल्मोनेला, ईकोलाई और लिस्टॆरिया जैसे विक्टोरिया पैदा हो जाते हैं। जिनके कारण पेट दर्द, गैस और पेट के अनेक बीमारियाँ हो सकती है।
अंकुरित मूंग खाने से पेट में डायरियाँ व दस्त हो जाते हैं ।
अंकुरित मूंग ज्यादा खाने से पेट में ऐंठन और उल्टी भी हो सकती है
अंकुरित मूंग गैसट्रिटाइटिस, डायरिया, गैस्ट्रिक अल्सर या पैंक्रियाटाइटिस के मरीज़ को नहीं खानी चाहिए या खाने से पहले डॉक्टर की सलाह ले ले।
अंत में मैं यही कहना चाहूँगी अति सर्वत्र वर्जिते है, तो अंकुरित मूंग खाइए स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। पर एक निश्चित अनुपात में और निश्चित समय पर ही खाएंगे तभी यह आपके शरीर को उपयुक्त फायदा करेगी। अन्यथा फायदे से ज्यादा नुकसान भी होगा।
सफेद तिल सर्दियों में गजक, तिलपट्टी के रूप में हम सब ने खाये हैं। सफेद तिल गुणों से भरपूर होते हैं। सफ़ेद तिल में प्राकृतिक तेल और कार्बनिक यौगिको पाए जाते हैं। सफ़ेद तिल में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, फाइबर, थायामिन, विटामिन बी 6, फोलेट, प्रोटीन और ट्रिप्टोफैन आदि पाया जाता है। तो आइए जानते हैं तिल के फायदे को
सफेद तिल खाने के फायदे
सफेद तिल उपयोगी है आंखों की रोशनी बढ़ाने में
सफेद तिल लिवर के लिए फायदेमंद हैं । और लिवर आँखों के कार्यों करने के लिए उन्हें रक्त भेजता है।यह रक्त आँखो की मांसपेशियों को मजबूत करता है ।आँखो में रक्त का संचार सुचारू रूप से होने के कारण धुंधला दिखना कम होता है ।
सफेद तिल लाभदायक है त्वचा को सुंदर बनाने में
सफेद तिल त्वचा को नरम और कोमल बनाता है । जिसके कारण त्वचा में नमी आती है । यह नमी त्वचा के लचीलेपन को बनाये रखतीै है । यह चेहरे की त्वचा, विशेष रूप से नाक के आसपास के क्षेत्र को कसने में मदद करतीै है। सफेद तिल चेहरे के पोर्स को बढ़ने से रोकता है। । सफेद तिल त्वचा पर और रोमछिद्रों में विकसित होने वाले विषाक्त पदार्थों को निष्प्रभावी करता है।
सफेद तिल बनाता है हड्डियों को मजबूत करने में
सफेद तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड मौजूद होते हैं जो बच्चों की हड्डियों के विकास को बढ़ावा देते हैं। सफेद तिल में जस्ता, कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे जरूरी खनिज पाए जाते है। ये खनिज नई हड्डियों को बनाने और हड्डियों को मजबूत करने और उनकी मरम्मत करने में मदद करते हैं।
सफेद तिल मददगार है दिल की बीमारियों को रोकने में
सफेद तिल में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम आदि दिल की मांसपेशियों को स्वस्थ रखते हैं। सफेद तिल के प्रयोग से दिल की मांसपेशियों में तनाव नहीं होता जिसके कारण दिल की बीमारियाँ नहीं होती।
सफेद तिल दिल के दोरे से बचाता है
फाइबर धमनियों और रक्त वाहिकाओं से खतरनाक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद करता है जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस, दिल का दौरा और स्ट्रोक आदि होने की सम्भावना कम हो जाती है।
सफेद तिल फायदेमंद है कैंसर जैसी बीमारी को रोकने में
सफेद तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। यही वजह है कि यह लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है ।
सफेद तिल दूर करता है तनाव को
सफेद दिन में पाए जाने वाले मैग्नीशियम और अनेक खनिज तत्व हाइपरटेंशन को कम करते हैं । तनाव होने पर सफेद तिल बहुत उपयोगी होता है।
तनाव से रहे दूर
सफेद तिल फायदेमंद है डायबिटीज़ में
सफेद तिल में पाए जाने वाले पोषक तत्व सही में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करते हैं और इंसुलिन को बढ़ने नहीं देखें जिस के कारण शरीर में शुगर की मात्रा नहीं पड़ती और डायबिटीज़ कंट्रोल में रहती है ।
सफेद तिल बेहतर करता है पाचन क्रिया को
सफेद तिल में फाइबर भरपूर मात्रा मे होते हैं। फाइबर पाचन को स्वस्थ रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व होता है, क्योंकि यह आँतों को अपने कार्य करने में मदद करता है। यह कब्ज जैसी समस्या को कम कर सकता है, साथ ही दस्त और जठरांत्र संबंधी बीमारियों को भी रोकने में उपयोगी है ।
सफेद तिल कारगर है सूजन रोकने में
सफेद तिल में मौजूद तांबे की उच्च मात्रा जोड़ों, हड्डियों और मांसपेशियों में सूजन कम करने के लिये उपयोगी है । जिससे गठिया के कारण होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। तांबा रक्त वाहिनियों, हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करता है। शरीर में तांबे की उचित मात्रा ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है कि पूरे शरीर की अंग प्रणालियों को ठीक से कार्य करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे ।
सफेद तिल दूर करता है दाँतों के प्लाक को
सफेद तिल के तेल को मुँह में लेकर दाँतों के चारों तरफ घुमाकरं मंजन करे दाँतों की प्लाक की समस्या का समाधान होता है ।
सफेद तिल में पाए जाने वाला तांबा सभी में सूजन को दूर करता है। सफेद तिल में एंटीऑक्सिडेंट एंजाइम होता है। जो रक्त प्रणालियों को सुचारु रूप से कार्य करने में मददगार है। इस प्रकार यह गठिया और गठिया से जुड़ी सूजन को कम करने में बहुत ही उपयोगी है। इसके अलावा, यह खनिज रक्त वाहिकाओं, हड्डियों और जोड़ों को ताकत प्रदान करता है ।
सफेद तिल फायदे मंद है अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों में
सफ़ेद तिल में पाये जाने वाले मैग्नीशियम में अस्थमा और अन्य श्वसन विकारों से लड़ने की क्षमता होती है । सफेद तिल के नियमित सेवन से साँस की बिमारी नहीं होती।
सफेद तिल बढाता है गुड कोलेस्ट्रॉल को
सफेद तिल में सेसामिन और सेसमोलिन नामक दो पदार्थ होते हैं, जो लिग्नांस नामक फाइबर का समूह होते हैं। लिग्नांस के प्रभाव से कोलेस्ट्रॉल कम होता है क्योंकि वे आहार फाइबर में समृद्ध हैं। सफ़ेद तिल में उच्चतम फाइटोस्टेरॉल होता है जो कि कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मददगार साबित हो सकता है ।यह बैड कोलेस्ट्रॉल को दूर करके गुड कोलेस्ट्रॉल बढाता है ।
सफेद तिल के वैसे तो अनगिनत फायदे हैं पर उसके नुकसान भी काम नहीं हैं तो याद रखिये। सफ़ेद तिल खाइये तो सही पर मौसम और मात्रा का ध्यान रखते हुए। लो ब्लड प्रेशर के मरीज खाने से पहले एक बार डॉक्टर की भी राय अवश्य लें लें।
गर्भवती महिला को हमेशा फोलिक एसिड खाने की सलाह दी जाती है होती है, आप जानते हैं ऐसा क्यों है ताकि गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में कोई डिफेक्ट ना आए। इसलिए डॉक्टर फोलिक एसिड को एक गर्भवती महिला के लिए बहुत जरूरी मानते हैं लेकिन आज हम आपको बताएंगे की गर्भावस्था में फोलिक एसिड के फायदे क्या है और सभी के शरीर में फोलिक एसिड की जरूरत क्यों होती है।
फोलिक एसिड को आप फोलेट या विटामिन B9 भी कह सकते कह सकते हैं, यही विटामिन बी हमारे शरीर में नए रेड ब्लड सेल को को बनाने में मदद करता है। और आप जानते ही होंगे कि यही रेड ब्लड सेल्स ऑक्सीजन को पूरे शरीर में पहुंच आती है। इसलिए जब किसी भी व्यक्ति में विटामिन B9 की कमी हो जाती कमी हो जाती है तो उस व्यक्ति को डॉक्टर द्वारा फोलिक एसिड प्रिसक्राइब किया जाता है तो आज हम फोलिक एसिड के बारे में ज्यादा अच्छे से जानेंगे।
फोलिक एसिड के फायदे
फोलिक एसिड हार्ट से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करता है। दरअसल फॉलिक एसिड हमारी धमनियों की मोटाई अर्थात एथेरोस्क्लेरोसिस को होने से रोकता है।
आजकल के प्रदूषण और केमिकल से जुड़ी चीजों को यूज करने के कारण बाल झड़ने की समस्या विकराल हो चुकी है लेकिन इसका एक प्रमुख कारण पोषक तत्वों की कमी भी होती है। अगर आपके शरीर में हो लेट और विटामिन बी नाम की नाम और विटामिन बी नाम की कमी है तो आपके बाल झड़ना शुरू हो जाएंगे यदि आप डॉक्टर द्वारा बताई हुई फोलिक एसिड की मात्रा सही प्रकार से सेवन करेंगे तो आपके बालों का झड़ना और सफेद होना बंद हो जाएगा।
फोलिक एसिड कई प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करता है जैसे स्तन कैंसर, एसोफैगल कैंसर, कोलन कैंसर, सर्विक्स कैंसर, त्वचा कैंसर।
यदि आपके अन्दर फोलिक एसिड की कमी हो चुकी है तो आपको डॉक्टर द्वारा बताई हुई फोलेट टेबलेट लेनी होंगी। वैसे आप कोशिश कीजिये कि आपके भोजन में फोलिक एसिड की भरपूर मात्रा हो। तो हम आपको ऐसे ही कुछ भोज्य पदार्थो के बारे में बताएंगे।
फोलिक एसिड युक्त आहार
दाल
दाल में केवल फोलेट ही नही बल्कि आयरन, प्रोटीन और फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। रोजाना में केवल एक प्रकार की दाल का प्रयोग न करे, हर तरह की दाल को अपने भोजन में शामिल करें, बच्चो को भी हर तरह की दाल खाने की आदत डालें। दाल को परांठे, ढोकले या चीले की तरह प्रयोग करे तब भी वह फायदेमंद हैं।
लोबिया
लोबिया भी फोलेट से भरपूर होता है, आप चाहे तो लोबिया को अंकुरित कर उसे चाट की तरह, या आलू लोबिया की रसेदार सब्जी भी बना सकती है। जिन लोगो को गैस की दिक्कत रहती है वो रात को लोबिया खाने से परहेज करें।
लोबिया
छोले
छोले भी फॉलिक एसिड, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होते है। छोले खिलाने के लिए बच्चो के नखरे भी नही झेलने होते है। क्योंकि बच्चो को छोले बहुत पसंद होते है।
चाहे वो छोले पूरी हो, छोले भटूरे या छोले चाट। उबले हुए छोलों में बारीक कटा खीरा, टमाटर और प्याज डालिये और चाट बनाइए।
इनके अलावा फोलिक एसिड, के लिए निम्न पदार्थो को अपने भोजन में शामिल करें।
ब्रोकली
ब्रोकली फोलेट, आयरन, विटामिन बी6, बीटा कैरोटीन और विटामिन से भरपूर होती है। ब्रोकली को खाने का सबसे अधिक फायदा उसे हल्की भाप देकर या सूप के रूप में खाने से होता है।
सोयाबीन
सोयाबीन खाने में जितने स्वादिष्ट होते है उतने ही प्रोटीन से भरपूर होते है। सोया कई रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे चंक्स या नगेट्स।
चंक्स या नगेट्स को सब्जी या पुलाव में इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन थाइरोइड के पेशेंट को सोया प्रोडक्ट के लिए मना किया जाता है, ऐसे में आप डॉक्टर की सलाह लेकर ही सोया का सेवन करे।
इसके अलावा राजमा, पालक, (पालक पनीर, पालक मेथी की टिक्की,पालक पुलाव के रूप में इस्तेमाल करें) सूजी, तिल के बीज, अखरोट, अनार, आदि।
गर्भावस्था में फोलिक एसिड क्यों जरूरी है।
हर कोई ये सोचता है प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड क्यों दिया जाता हूं। तो हम आपको प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड के फायदे बताते है।
फोलिक एसिड की कमी ही नही शरीर मे उसकी ज्यादा मात्रा भी नुकसान करती है, फोलिक एसिड ज्यादा होने से सांस सम्बन्धी परेशानी, बुखार, खुजली और दाने होना, गैस और अपच होना।
अजन्मे शिशु को मोटापे,आटिज्म और इन्सुलिन प्रतिरोध का जोखिम बढ़ जाता है। गर्भधारण के लिए फोलिक एसिड बहुत जरूरी है क्योंकि ये एग प्रोडक्शन को बढ़ाता है।
गर्भवती स्त्री में फोलिक एसिड की कमी से गर्भपात के अलावा premature डिलीवरी भी हो सकती है
फोलिक एसिड न्यूरल ट्यूब को सुरक्षित रखता है ताकि शिशु में स्पिना बिफिडा(रीढ़ की हड्डी से जुड़ी जन्मजात बीमारी) जैसी बीमारी न हो।
फोलिक एसिड गर्भस्थ शिशु को anecephaly बीमारी से बचाता है।
फोलिक एसिड प्लेसेंटा की ग्रोथ को बढ़ाता है।
शिशुओं में होने वाली कटे तालु और कटी जीभ जैसे डिफेक्ट को दूर करता है।