जानिए बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है-Bache Ke Daant Nikalna

बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है

घर मे किसी नन्हे की किलकारियां गूंजने का अलग ही आनंद होता है। उसकी छोटी छोटी हरकतें भी परिवार के सदस्यों को भावविभोर कर देती है। इन्ही खुशनुमा पलो का हिस्सा होता है बच्चे के दांत निकलना यानी टीथिंग। अपने नन्हे नन्हे दांतो से जब वो खिलखिलाना, चीज़ों को काटना शुरु करता है, तो एक नई खुशी घर मे फैल जाती है। आज इस आर्टिकल में हम बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है, बच्चों के दांत निकलने के लक्षण, बच्चों के दांत निकलने का इलाज, बच्चों के दांत आते समय परेशानियाँ, बच्चों को दांत निकलते समय कैसे राहत दें और शिशु के दांत निकलते समय क्या न करें आदि बातों के बारे मे बताएंगे।

बच्चों के दांत निकलने की उम्र और समय को लेकर भी माए चिंतित होती है, क्योकि बच्चे के दांत निकलने का समय बहुत ही असमंजस भरा भी होता है, खासकर मां के लिए। क्योकि टीथिंग के समय बच्चा बहुत सी समस्याओं से दो चार होता है। समस्या इसलिए भी ज्यादा होती कि छोटा बच्चा कुछ बोलकर बता भी नही सकता।

बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है

आमतौर पर बच्चे के दांत बच्चों के दांत 6 महीने से दिखने शुरू हो जाते है। लेकिन दांत निकलने के लक्षण 4 महीने के बाद कभी भी दिखने शुरू हो सकते है।

लक्षण दिखने से लेकर सारे दांत आने में करीब दो से तीन साल का समय लग सकता है। इसके अलावा दांत निकलना पारिवारिक पैर्टन पर भी निर्भर करता है। कुछ बच्चों के दांत बहुत जल्दी दिखने लगते है तो किसी के देरी से, दांत मसूड़ों के अंदर से बाहर की ओर आते हैं।

दांत निकलने की प्रक्रिया

सबसे पहले बच्चे के निचले जबड़े में दांत आना शुरू होते हैं। इसमें बच्चे के आगे के दो दांत (सेंट्रल इनसाइजर्स)निकलते हैं जिसके बाद ऊपरी जबड़े के सामने के दो दांत (अपर सेंट्रल इनसाइजर्स) आते हैं। इसके बाद ऊपरी जबड़े के ही दो अन्य दांत आते है (अपर लेट्रल इनसाइजर्स), इन दांतों के आने के बाद निचले जबड़े में आए दांतों के दोनों तरफ दो अन्य दांत (लोअर लेट्रल इनसाइजर्स) आना शुरू होते हैं
इसके बाद बच्चे के मुंह के ऊपरी और निचले हिस्से के दाढ़ के दांत अपर व लोअर फर्स्ट मोलर्स) निकलना शुरू होते हैं। दांतों के निकलने की प्रक्रिया में इसके बाद पहले से आए हुए आगे के दांतों और दाढ़ के बीच की जगह को भरने के लिए अन्य दांत (कैनाइन) आते हैं और सबसे आखिर में जबड़े के अंतिम दाढ़ (सेकंड मोलर) निकलते हैं।

बच्चो के दांत निकलने के लक्षण

लार आना

बच्चे के मुहं से लगातार लार निकलती है, कभी कभी इतनी ज्यादा की बच्चे के कपड़े बदलने पड़ते है।

मुंह में घाव होना

लगातार लार आने के कारण बच्चे के मुंह मे रैशेज हो जाते है। बच्चे की ठोड़ी, होंठ और मुंह के आसपास की स्किन क्रेक हो जाती है।

मसूड़ों में सूजन आना

चूंकि दांत निकलते समय मसूड़ों पर दबाव पड़ता है।इसलिए बच्चे के मसूड़ों में सूजन, रेडनेस, मसूड़े फूलना और दर्द होंता है।

खांसी

बहुत ज्यादा लार बनने के कारण बच्चे को खांसी की समस्या हो सकती हूं।

दांत मिसमीसाना

जब दांत मसूड़ों से बाहर निकलने वाले होते हैं, तो बच्चा बहुत ही बेचैनी महसूस करता है। ऐसे में वो सब चीज़ों को काटने और चबाने की कोशिश करता है। तब यह स्थिति बच्चे को काफी परेशान करती है।

बेवजह रोना

चूंकि दांत निकलते समय मसूड़ो में सूजन और दर्द की समस्या होती हैं, तो बच्चा बेवजह लगातार रोता है। बच्चा चिडचिडा हो जाता है। और खेलने के समय भी असहज रहता है।

बेवजह रोना
बेवजह रोना

इन सब समस्याओं के अलावा खाने में रुचि न दिखाना, सोने में मुश्किल होना, कान खींचना और गालों को रगड़ना, जैसी समस्याएं भी होती है।

डॉक्टर से कब सम्पर्क करें

बच्चे के दांत निकलते समय होने वाली समस्याओं का समाधान

निम्नलिखित कुछ उपायों से आप बच्चों के दांत आते समय परेशानियाँ से राहत प्रदान कर सकते हैं।

  • चबाने के लिए साफ और गीला कपड़ा दे। बच्चे हर समय मुहं में कुछ न कुछ देने की कोशिश करते है। तो बेहतर है कि आप ही उसे इसका एक बेहतरीन विकल्प दे।
  • बच्चे के लिए टीथर्स का प्रयोग करें। लेकिन केवल अच्छे ब्रांड के टीथर्स ले। क्योंकि सस्ते टीथर्स में केमिकल हो सकते है। गर्मियों का मौसम हो तो टीथर्स को कुछ समय तक फ्रिज़ में रखकर बच्चे को दे। इससे बच्चे को काफी आराम मिलेगा।
  • बच्चे का ध्यान, अलग अलग खिलौने और खेल में लगाने की कोशिश करें।
  • अगर बच्चा ठोस खाने लगा है तो उसे फल या सब्जी का टुकड़ा चबाने को दे जैसे सेब और गाजर
  • जब बच्चा दांत मिसमिसा रहा हो, या चिड़चिड़ा रहा हो तो, साफ उंगली या गीले कपड़े से उसके मसूड़ो की हल्के हाथों से मसाज करें।
  • साफ-सफाई पर ध्यान रखें।

बच्चों के दांत आते समय परेशानियाँ-क्या न करें

  • बच्चे पर कोई भी घरेलू उपाय न अपनाए
  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी पेस्ट या ब्रशिंग शुरू न करें।
  • टीथर्स को फ्रिज़ में चिल्ड करके न दे।
  • किसी भी प्रकार के मिथक के बहकावे में न आएं जैसे पहले ऊपर के दांत निकले तो माँ के लिए भारी है आदि।
  • बच्चे को कोई भी गंदी चीज़ मुहं में न लेने दे।
  • सोते समय बच्चे को बिल्कुल भी डिस्टर्ब न करें।

अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाने की आसान विधि: हृदय और सेहत के लिए फायदेमंद

अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये

आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही अनेक जड़ी-बूटियों का उपयोग शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से लड़ने के लिए किया जाता रहा है। उन्हीं में से एक है अर्जुन की छाल। इसे हृदय रोगों, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। आज हम जानेंगे कि अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं (arjun ki chhal ka kadha kaise banaen), इसके क्या-क्या फायदे हैं और इसे कब और कैसे पीना चाहिए।

अर्जुन की छाल क्या होती है?

अर्जुन (Terminalia Arjuna) एक औषधीय पेड़ है, जिसकी छाल में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फ्लावोनॉइड्स, टैनिन्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। अर्जुन की छाल खासतौर पर हृदय की कार्यप्रणाली को बेहतर करने में सहायक मानी जाती है।

अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं?

(arjun ki chaal ka kadha kaise banaye / अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये)

आवश्यक सामग्री:

  • 1 चम्मच अर्जुन की सूखी छाल (कुटी हुई)
  • 2 कप पानी
  • 1/2 कप दूध (वैकल्पिक)
  • 1 छोटा टुकड़ा दालचीनी या 1 लौंग (सर्दियों के लिए)
  • शहद या गुड़ स्वादानुसार

बनाने की विधि:

  1. एक पैन में पानी डालें और उसमें अर्जुन की छाल मिला दें।
  2. इसमें लौंग या दालचीनी डालकर मध्यम आंच पर 10-15 मिनट तक उबालें।
  3. जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें।
  4. अब इसमें शहद या गुड़ मिला लें। चाहें तो थोड़ा दूध भी डाल सकते हैं।
  5. गर्मागर्म या हल्का गुनगुना पीना अधिक लाभकारी होता है।

अर्जुन की छाल के काढ़े के फायदे

(arjun ki chaal ka kada ke fayde)

1. हृदय रोगों में लाभकारी

यह काढ़ा दिल की मांसपेशियों को मजबूत करता है और हृदय की धड़कन को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह हार्ट अटैक के जोखिम को भी कम करने में सहायक होता है।

हार्ट के लिए अर्जुन की छाल
हार्ट के लिए अर्जुन की छाल

2. ब्लड प्रेशर को संतुलित रखे

नियमित रूप से अर्जुन की छाल का काढ़ा पीने से उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है। यह रक्त वाहिकाओं को साफ और लचीला बनाए रखता है।

3. कोलेस्ट्रॉल को घटाए

यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है। जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।

4. डायबिटीज को नियंत्रित करे

इसमें मौजूद तत्व रक्त में ग्लूकोज स्तर को संतुलित करते हैं और यह इंसुलिन की क्रिया को भी बेहतर बनाते हैं।

5. पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए

अर्जुन की छाल का काढ़ा गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में भी राहत देता है। यह लीवर को भी डिटॉक्स करता है।

6. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

इसमें भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।

कब और कैसे पिएं अर्जुन की छाल का काढ़ा?

  • समय – सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले
  • मात्रा – रोज़ 1 कप
  • कैसे पिएं – हल्का गर्म करके, शहद या दूध मिलाकर

यदि आप हृदय, ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो यह काढ़ा आपके लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। इसे कम से कम 2-3 महीने तक नियमित रूप से लेने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

कुछ जरूरी सावधानियां

  • गर्भवती महिलाएं या गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर की सलाह से ही सेवन करें।
पुरानी खांसी
पुरानी खांसी
  • अत्यधिक सेवन करने से ठंडक की समस्या हो सकती है, विशेष रूप से सर्दियों में।
  • सर्दी के मौसम में इसे अदरक, लौंग या दालचीनी के साथ लेना बेहतर रहेगा।

निष्कर्ष

arjun ki chaal ka kada या अर्जुन की छाल का काढ़ा आयुर्वेदिक दृष्टि से एक बहुत ही उपयोगी घरेलू उपाय है जो ना केवल दिल को स्वस्थ रखता है, बल्कि पूरे शरीर के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है। यदि आप प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से सेहत को बनाए रखना चाहते हैं, तो यह काढ़ा आपकी दिनचर्या का हिस्सा ज़रूर बनाना चाहिए।

अस्थमा के लिए आहार क्या खाएं और क्या नहीं-Best Food For Asthma Patients

अस्थमा के लिए आहार

अस्थमा एक ऐसी बीमारी जिसमे व्यक्ति का जीवन दुर्भर हो जाता है। अस्थमा में दरअसल होता क्या है? अस्थमा में श्वास नली सिकुड़ जाती है और सूज जाती है। जिसके कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। अन्य बीमारियों की तरह अस्थमा के मरीजों को भी अपनी डाइट का खास ख्याल रखना पड़ता है। क्योंकि कई बार गलत खान पान ही अस्थमा अटैक का कारण बनता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको अस्थमा के लिए आहार की ही जानकारी देंगे।

अस्थमा के लिए आहार-Best Food For Asthma Patients

Asthma Me Kya Khana Chahiye

एंटीऑक्सिडेंट्स और फइटोकैमिकल्स

इसके लिए मरीज को केवल मौसमी फलों और हरी सब्जियों पर ध्यान देने की जरूरत है। दरअसल ये तत्व फेफड़ों में हुई सूजन को कम करते है।

इसलिए अपने आहार में सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली, करेला, लौकी, भिंडी, कद्दू, मटर, मशरूम आदि को शामिल करें। इन सारी चीजों के अलावा अपने आहार में लहसुन, अदरक, पुदीना, शलगम और प्याज का भी इस्तेमाल करें, साथ ही आलू और तुलसी का इस्तेमाल भी करे क्योंकि इनकी गर्म तासीर शरीर की गर्माहट बनाए रखती है।

विटामिन सी

विटामिन सी अस्थमा के मरीजो के आहार का जरूरी हिस्सा होता है। ये इम्युनिटी और इन्फेक्शन से बचाता है। इसके लिए जरूरी है कि मौसमी फलों का सेवन किया जाए जैसे खरबूजा, तरबूज, पपीता, अंगूर, अनार, सेब, खजूर, अंजीर और शहतूत, संतरा, नींबू, कीवी, आंवला, टमाटर, शिमला मिर्च और ब्रसेल्स स्प्राउट आदि।

पर ध्यान रहे केवल मौसमी फलों का सेवन किया जाए, बेमौसम नही। साथ ही फलों का सेवन केवल शाम से पहले करें। क्योंकि शाम के बाद फल कफ बना सकते है।

विटामिन सी
विटामिन सी

बीटा कैरोटीन

बीटा कैरोटीन से भरपूर चीजें भी अस्थमा मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके लिए आप अपनी डाइट में गाजर, खुबानी, चेरी, हरी मिर्च, शिमला मिर्च और शकरकंद आदि का सेवन कर सकते हैं।

मैग्नीशियम और अन्य विटामिन्स

अस्थमा के मरीज के लिए सबसे बेहतर होती है स्ट्रांग इम्युनिटी। अच्छी इम्युनिटी के लिए मैग्नीशियम और विटामिन्स से भरपूर भोजन को शामिल करें।

इसके लिए मछली का तेल, अखरोट, कद्दू के बीज, सोया पनीर, सोयाबीन, दालचीनी, सरसों का तेल, नट्स और सूखे अंजीर आदि को शामिल करें। इसके अलावा आटे की रोटी, जई आटे की रोटी, दलिया और मूंग की दाल का सेवन भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
विटामिन बी6 युक्त आहार भी अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए अच्छा होता है। इसके लिए अपने आहार में अंकुरित अनाज, चिकन, मछली, ब्रेड, साबुत दालें, ओटमील, ब्राउन राइस, अंडे आदि को शामिल करें।

ओमेगा 3 फैटी एसिड

ऐसे सभी पदार्थो को दैनिक आहार में शामिल रखना चाहिए ओमेगा थ्री फैटी एसिड हो। जैसे अखरोट, सोयाबीन, अलसी और सूरजमुखी के बीज, सामन और टूना मछली, अलसी और सूरजमुखी के बीजों को भूनकर और पीसकर भोजन में इस्तेमाल कर सकते हैं।

ग्रीन टी, ब्लैक टी या काढ़ा

अगर आप अस्थमा के मरीज है तो दूध वाली चाय से परहेज करें। इसकी बजाए आप ग्रीन या ब्लैक टी का सेवन करें। गरम सूप ले, अदरक तुलसी का काढ़ा ले। कभी कभी कॉफी भी ले सकते है।

क्या न खाएं

  • तली हुई चीजें
  • मसालेदार चीजें
  • मूंगफली
  • जंक और डिब्बाबंद फूड्स
  • चावल, दही, आइस्क्रीम
  • दूध, छाछ, अमचूर, इमली,
  • शराब, मांस, चिकन,
  • गुड़, चना, अंडे
  • जरूरत से ज्यादा नमक

सावधानियां

  • एक बार मे एक साथ ज्यादा भोजन न करे।
  • तनाव से दूरी बनाए।
  • छाती और गले पर तिल के तेल, या लहसुन, अजवायन में पके हुए सरसो के तेल का इस्तेमाल करे।
  • दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पिए।
  • सोते वक्त रोजाना सिर के नीचे 3-4 तकिए रखकर सोने की आदत डालने से भी दमे के दौरे का असर धीरे-धीरे कम हो जाता है।।
  • इन्हेलर का इस्तेमाल करें
  • पॉल्युशन से दूर रहें।

क्या है अंजीर के फायदे इन हिंदी-Anjeer Ke Fayde Hindi Me

अंजीर के फायदे

अंजीर एक ऐसा मीठा फल जो स्वाद के साथ साथ स्वाथ्य भी देता है। वर्षो से विभिन्न रोगों और कमजोरी को दूर करने के लिए अंजीर का प्रयोग किया जाता है। इसे फिकस कैरीका नाम से भी जानते हैं। यह रसीला और गूदेदार फल होता है। आपको शायद जानकर हैरानी होगी कि अलग स्थान पर उगाए गए अंजीर का स्वाद भी अलग अलग होता है।

तुर्की विश्व मे सबसे बड़ा अंजीर उत्पादक है इसके अलावा भारत चीन और अमरीका समेत कई भागों में भी अंजीर उगाया जाता है। अंजीर का थोड़ा बहुत उत्पादन अमेरिका और यूरोप में भी होता है।

अंजीर कितने तरह का होता है

ब्लैक मिशन

अंदर से गुलाबी रंग का ये अंजीर मीठा और रसभरा होता है।

कडोटा

हरे रंग का ये अंजीर कम मीठा होता है।

कैलिमिरना

हरे पीले रंग का होता है और अन्य किस्मो के मुकाबले बड़ा होता है।

ब्राउन तुर्की

इस अंजीर का बाहरी रंग बैंगनी और गूदा लाल होता है। इसका स्वाद हल्का और कम मीठा होता है।

एड्रियाटिक अंजीर

हल्का हरा और अंदर से गुलाबी रंग का होता है। इसका स्वाद बहुत मीठा होता है।

अंजीर में पाए जाने वाले पोषक तत्व

अंजीर में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स, सॉल्युबल फाइबर और नेचुरल सुगर होती है।

अंजीर के फायदे-Anjeer Ke Fayde Hindi Me

आज इस आर्टिकल में हम आपको अंजीर के फायदों से अवगत कराएंगे।

फिट एंड ट्रिम करें

अगर आप स्लिम होने के बारे में सोच रहे है तो अंजीर स्नैक के लिए सबसे बेहतर ऑप्शन है। ये हाई फाइबर होता है जिससे आसानी से पच भी जाता है। इसे खाकर आपको स्नैक के बाद जल्दी भूख नही लगेगी।

डाइटिंग के समय ये आपके स्वीट टूथ को भी सन्तुष्ठ करेगी, लेकिन इसमें मौजूद मीठा आपका वजन नही बढ़ाएगा। ये एक्स्ट्रा फैट को गलाकर, मोटापे को inches से कम करती है।

बोन्स को मजबूती दे

अंजीर में कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होते है। और यही तत्व हड्डियों का मुख्य हिस्सा है। इसलिये अगर आप रेगुलर अपनी डाइट में अंजीर को रखते है तो फ्रैक्चर की संभावना बहुत कम हो जाती है। अंजीर हड्डियों को मजबूती देता है।

डायजेस्टिव सिस्टम को सपोर्ट करें

अंजीर को आप फल के तौर पर खाए या सुखाकर, इसका हाई फाइबर आपके पाचन तंत्र को सपोर्ट करेगा। घुलनशील फाइबर होने के कारण ये आसानी से पच जाता है। साथ ही इंटेस्टाइन के पेरिस्ताल्टिक मूव को बढ़ाता है। इसी कारण अंजीर खाने से आपको कब्ज, गैस एसिडिटी, अपच जैसी समस्याएं नही होती।

दिल को रखे स्वस्थ

अंजीर में होते है एंटीऑक्सीडेंट जो दिल को नुकसान पहुचाने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करते है। साथ ही अंजीर में होते है ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड, जो वाहिकाओं और धमनियों को स्वस्थ्य रख व्यक्ति को हार्ट अटैक और स्ट्रोक से सुरक्षित रखते है।

दिल को रखे स्वस्थ
दिल को रखे स्वस्थ

कोलेस्ट्रॉल

अंजीर में मौजूद पेक्टिन, B6, ओमेगा 4 और ओमेगा 6 शरीर मे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखता है।यह बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। अंजीर डायजेस्टिव सिस्टम से भी खराब कोलेस्ट्रॉल को फ्लश आउट करता है।

खून की कमी

अगर किसी के अंदर खून की कमी है तो उसे भविष्य में अन्य रोग भी हो सकते है। ऐसे में आयरन का सेवन बहुत जरूरी हो जाता है। सूखे अंजीर में आयरन की काफी मात्रा होती है, इसलिए अपने शरीर मे खून की कमी दूर करने के लिए अंजीर का सेवन करे।

डायबिटीज

डायबिटीज जैसी समस्या में केवल आप अंजीर के फल का प्रयोफ ही नही कर सकते बल्कि, अंजीर के पत्तो की चाय बनाकर भी पी सकते हो। इसमे मौजूद नेचुरल शुगर आपका शुगर लेवल नही बढ़ने देगा।।

इन फायदों के अलावा अंजीर के निम्न समस्याओं में भी आराम देता है।

कैंसर, अस्थमा, ब्लड प्रेशर, यौन दुर्बलता, सर्दी जुखाम, कमजोर इम्युनिटी, कमजोरी, कम दिखाई देना, असमय उम्रदराज दिखना, बालो का झड़ना आदि।

अंजीर खाने के तरीक़े-अंजीर को कैसे खायें

सेब की तरह अंजीर को भी सुखाकर खाया जाता है। अगर आप इसे कच्चा खा रहे है तो अच्छे से धोकर खाए। छिलका उतार कर भी खा सकते है और छिलके सहित भी।

अगर आप सूखा अंजीर खाने की सोच रहे है तो एक बात का ध्यान रखें। अंजीर बहुत ही गर्म होता है। इसलिए बेहतर होगा इसे रातभर पानी मे भिगो कर इसका सेवन करे।

आप अंजीर को सैंडविच, सलाद, आइसक्रीम, कस्टर्ड, केक में इस्तेमाल कर सकते है।

डिलीवरी के बाद बढ़े हुए पेट को कैसे करे कम-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

डिलीवरी के बाद बढ़े हुए पेट को कैसे करे कम

नॉर्मल डिलवरी हो या सिजेरियन पर हर महिला पेट को लेकर परेशान होती है कि बढे पेट को कम कैसे करे? पर आप को परेशान होने की जरुरत नही हम डिलीवरी के बाद पेट कम करने के उपाय बतला रहे है जिसके प्रयोग से आप काफी हद तक प्रसव के बाद पेट कम करना कर सकते है।

प्रसव के बाद पेट कम करना-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

मसाज-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

प्रसव के बाद पेट की चर्बी को कम करने का सबसे अच्छा उपाय मसाज है। बच्चे के जन्म के बाद प्रत्येक महिला को अपने पेट के उस हिस्से पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ती है जहां कि चर्बी सबसे ज्यादा इकट्ठी होती है। पेट के उस हिस्से पर मसाज करने से चर्बी धीरे-धीरे कम होने लगती है और नियमित लंबे समय तक मसाज करने पर महिला का पेट फिर से पहले जैसा हो जाता है।

मेथी-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

डिलीवरी के बाद पेट कम करने के उपाय हैं मेथी के बीज। मेथी के बीज पेट कम करने में काफी मददगार होते हैं। रात के समय में 1 चम्मच मेथी के बीजों को 1 ग्लास पानी में उबालें,पानी को हल्का गुनगुना होने पर पीएं,पेट जल्दी कम हो जाएगा।

स्तनपान-Pregnancy K Bad Pait Kam Karna

एक सोध के मुताबिक, स्तनपान कराने से शरीर में मौजूद फैट सेल्स और कैलोरीज दोनों मिलकर दूध बनाने का का काम करते हैं. जिससे बिना कुछ करे ही वजन कम हो जाता है। इसलिए स्तनपान जरुर कराऐ

गर्म पानी-Cesarean Delivery Ke Baad Pet Kaise Kam Kare

गर्म पानी पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है। बच्चे को जन्म देने के बाद पीने के लिए सिर्फ गर्म पानी का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि गर्म पानी ना केवल पेट कम करता है बल्कि यह शरीर के वजन को भी कम करता है।

कपड़े या बेल्ट का प्रयोग-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

आप अपने पेट को किसी गर्म कपड़े या बेल्ट की मदद से लपेट कर रखें। यह पेट को सामान्य आकार में लाने मे मदद करता है साथ ही इससे पीठ के दर्द में भी आराम मिलता है।

दालचीनी-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

गर्भावस्था के बाद पेट को कम करने के लिए दालचीनी और लौंग बहुत कारगार साबित होते हैं। इसके लिए 2-3 लौंग और और आधा चम्मच दालचीनी को उबाल कर उसके पानी को ठंडा करके पिऐ जल्द ही पेट कम हो जाएगा।

दालचीनी
दालचीनी

ग्रीन टी-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

ग्रीन टी वजन को कम करने में काफी लाभकारी होती है। यह एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, साथ ही इससे बच्चे और मां की सेहत को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है और वजन भी कम हो जाता है।

नियमित खानपान लें-Pregnancy K Bad Pait Kam Karna

अक्सर लोग वजन कम करने के चक्कर में खाना-पीना कम करने लगते है। लेकिन ऐसा बिल्कुल न करें। ऐसा करने से कमजोरी आ सकती है या फिर मोटापा और बढ़ सकता है। इसलिए, खाने-पीने में कटौती न करें, बस स्वस्थ खानपान लें।

थोड़ा-थोड़ा, लेकिन कई बार खाएं-Cesarean Delivery Ke Baad Pet Kaise Kam Kare

कभी भी खाना इकट्ठे नही खाना चाहिऐ दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा कर के खाए। थोड़ा-थोड़ा खाने से आपका पाचन तंत्र ठीक रहेगा।

कम कैलोरी लें-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

आप ऐसी चीजें खाएं, जो आपको पोषण दें और जिनमें कैलोरी कम हो। ओमेगा-3 फैटी एसिड, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर युक्त चीजें खाएं जैसे- अंडे, चिकन, लीन मीट, टूना व साल्मन मछली, बीन्स और साबुत अनाज आदि।

खूब पानी पिऐ-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

खुद को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए, आप दिन में आठ से 10 गिलास पानी जरूर पिएं। इससे आपके शरीर से टॉक्सिन दूर होंगे और वजन कम करने में आसानी होगी।

व्यायाम करें-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

नियमित रूप से व्यायाम करना प्रसव के बाद मोटापा कम करने में काफी मदद करता है। हल्का फुल्का व्यायाम जरुर करे।

भरपूर नींद लें-Pregnancy K Bad Pait Kam Karna

बच्चे के जन्म के बाद आठ घंटे की लगातार नींद ले पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन आपको भरपूर नींद लेनी होगी। इसके लिए जब आप का बच्चा सो रहा हो तो उस समय आप भी सो ले। उस समय घर के अन्य काम बाकी सदस्यों को दे सकती हैं।

स्नैक्स कम खाएं-Cesarean Delivery Ke Baad Pet Kaise Kam Kare

स्तनपान कराने वालीं माताओं को बार-बार भूख लगना सामान्य है। ऐसे में कई बार आपका स्नैक्स खाने का मन करेगा, लेकिन आप स्नैक्स भी सोच समझकर खाएं। ऐसा कुछ न खाएं, जिससे आपका वजन बढ़े। इसकी जगह, आप ओट्स, सूखे मेवे व साबुत अनाज का सेवन कर सकती हैं।

तनाव से दूर रखे-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

इसमें कोई दो राय नहीं है कि वजन बढ़ने का मुख्य कारण तनाव होता है। इसलिए, जितना हो सके खुद को तनाव से दूर रखें। और हमेशा खुश रहने की कोशिश करें।

डांस करें-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

डांस करने से भी वजन कम करने में मदद मिलेगी। इसके लिए आप अपना पसंदीदा म्यूजिक लगाएं और डांस करें।

कैफीन और एल्कोहल से दूर रहें-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

डिलीवरी के बाद मोटापे को कम करने के लिए जरूरी है कि आप कैफीन और एल्कोहल से दूर रहें।

गर्भवती होने के उपाय, प्रेग्नेंट होने के लिए क्या-क्या खाएं

गर्भवती होने के उपाय, प्रेग्नेंट होने के लिए क्या-क्या खाएं

अगर आप प्रेग्नेंट होना चाहते हैं। फैमिली प्लान कर रहे हैं तो आपको अपने सेहत पर भी पहले से ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। प्रेग्नेंट होने से पहले खुद को स्वस्थ रखें और अपने खानपान का अवश्य ध्यान देना शुरू कर दें।  हर महिला को प्रेग्नेंट होने से पहले अपने स्वास्थ्य के बारे में ध्यान देना चाहिए। क्योंकि अगर खुद स्वस्थ नहीं होगी तो बच्चे की सेहत पर भी असर पड़ेगा।

अपनी डाइट में उन चीजों को शामिल जरूर करें जिससे गर्भ धारण करने में आसानी हो और जिनसे गर्भ की सेहत पर भी कोई बुरा असर न पड़े। गर्भधारण करने के लिए हर महिला के पास ताकत और शक्ति होनी चाहिए। क्योंकि गर्भावस्था में महिला का शरीर नाजुक हो जाता है। इस ताकत और शक्ति को बनाए रखने के लिए आपको यह डाइट अपने खान-पान में जरूर शामिल करनी चाहिए। जिससे आपकी सेहत अच्छी बनी रहे और होने वाला शिशु भी स्वस्थ और तंदुरुस्त पैदा हो।

प्रेग्नेंट होने के लिए यह सभी डायट अपने खान-पान में शामिल करें

विटामिन बी लेना है बहुत जरूरी

प्रेग्नेंट होने से पहले हर महिला के शरीर में विटामिन बी भरपूर मात्रा में होना चाहिए। अपने शरीर में विटामिन बी की मात्रा को जरूर बढ़ाएं। हरी पत्तेदार सब्ज‍ियों, साबूत अनाज, अंडे और मांस में विटामिन बी की मात्रा भरपूर पाई जाती है जो कि आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है।

फोलिक एसिड को धारण जरूर करें

फोलिक एसिड हर एक गर्भधारण करने वाली महिला के शरीर में होना चाहिए। गर्भधारण करने की क्षमता को भी बढ़ाता है। वही यह गर्भ में विकास के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसको बढ़ाने के लिए सोयाबीन, आलू, चुकंदर, केला और ब्रोकली इत्यादि का नियमित रूप से सेवन करें.

शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें

हर एक गर्भधारण करने वाली महिला को अपने शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। और प्रेग्नेंट होने से पहले अपने शरीर में पानी की मात्रा को भरपूर रखें। पानी की कमी शरीर में होने से गर्भावस्था के समय मां और बच्चे के लिए घातक साबित हो सकती है।

डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन

अपने खान-पान में डेयरी प्रोडक्ट शामिल करें।

डेहरी प्रोडक्ट में कैल्शियम की मात्रा भरपूर पाई जाती है। यह न केवल फर्टिलिटी को बढ़ाने का काम करते हैं। बल्कि हड्डियों को मजबूत करने के लिए भी फायदेमंद होते हैं। ऐसे में प्रेग्नेंट होने से पहले हर महिला को दूध, दही, अंडा और मछली जैसी फर्टिलिटी बढ़ने वाली चीजों को अपने खानपान में अवश्य शामिल करे।

विटामिन सी को भरपूर मात्रा में प्राप्त करें।

आमतौर पर यह माना जाता है कि विटामिन सी के सेवन से सिर्फ संक्रमण से सुरक्षा मिलती है। लेकिन विटामिन सी आयरन को सोखने का काम करता है। विटामिन सी प्राप्त करने के लिए संतरा, मौसमी, टमाटर और आंवला जैसे पदार्थ का सेवन करें।

ओमेगा 3 भी है बहुत जरूरी

प्रेग्नेंट होने से पहले हर महिला को अपने शरीर में ओमेगा 3 की मात्रा को भरपूर करना चाहिए। ओमेगा-3 अपने शरीर में बढ़ाने के लिए बादाम, अखरोट और मछली को अपने खान-पान में शामिल करना चाहिए। इन तीनों चीजों में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 पाया जाता है।

ओमेगा-3 को न केवल गर्भ धारण करने से पहले लेना जरूरी है। बल्कि इसको प्रेगनेंसी में भी लिया जाता है। यह प्रत्येक महिला के लिए काफी फायदेमंद होता है।

हरी पत्तेदार सब्जियां और बीटा कैरोटीन लेना है बहुत जरूरी।

हरी पत्तेदार सब्जियां सेहत के लिए बहुत जरूरी होती है। यह सामान्य महिला को भी खानी चाहिए। जिससे और स्वस्थ और तंदुरुस्त रहें। लेकिन अगर आप गर्भधारण करना चाहते हैं तो उससे पहले तो आपको हरी सब्जियों को अपना मुख्य भोजन बनाना चाहिए।

हरी सब्जियों में आयरन, फोलिक एसिड और एंटीऑक्सीडेंट बहुत ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा सब्जियों में कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है जो कि हर गर्भधारण करने वाली महिला के लिए लाभदायक होते हैं।

अगर कोई महिला गर्भधारण करना चाहती है। तो उसको ऊपर दी गई यह 7 डाइट को अपने खान-पान में शामिल करना चाहिए। ऐसा करने से महिला और होने वाला शिशु दोनों स्वस्थ रहेंगे। अगर आप गर्भधारण से पहले तैलीय पदार्थ, नशा युक्त पदार्थ या जहरीले पदार्थ का सेवन करते हैं तो यह आपके गर्भावस्था और डिलीवरी के बाद भी नुकसान पहुंचाता है।

जानिए क्या है रोजाना खाली पेट अलसी खाने के फायदे

अलसी के फायदे

आज हम आपको खाली पेट अलसी खाने के फायदे के बारे में बताएंगे । यदि आपके मन में यह सवाल आ रहा है की ये अलसी क्या होती है? तो हम आपको ये भी बताएंगे की आखिर ये अलसी खाने के फायदे क्या होते है ।

अलसी क्या है ?

अलसी छोटे छोटे बीजो की तरह होती है। अलसी को हम हिंदी में तीसी के नाम से जानते है और अलसी को इंग्लिश में फ्लैक्ससीड (flaxseed) कहते है। अलसी के बीज दो तरह की होती है। एक सुनहरे रंग की और दूसरी भूरे रंग की होती है। जिसमे से सुनहरे रंग वाली ज्यादा बढ़िया होती है क्योंकि इसमे ज्यादा तत्व पाए जाते है। अब आपको ये तो पता चल गया होगा की अलसी क्या होती है ? अब खाली पेट अलसी खाने के फायदे भी जान लेते है।

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रोजाना खाली पेट अलसी खाने के फायदे

अलसी का रोजाना सेवन करने के ये सब फायदे है जिनको जानकर आप जरूर चौक जाओगे की आखिर एक पदार्थ से इतने फायदे भी मिल सकते है।

वजन घटाने में सहायक

यदि आप अपने ज्यादा वजन से परेशान हो और अपने वजन को कम करना चाहते है। तो आपको रोजाना खाली पेट अलसी का सेवन करना चाहिए। अलसी मे उपस्थित वसा आपके वजन को कम करने में सहायता प्रदान करता है।

मधुमेह और कैंसर में भी लाभदायक है अलसी

अलसी के बीज के सेवन से आपके शरीर के खून में उपस्थित शर्करा के स्तर को कम करता है। जिससे आप बहुत सारी खून से सम्बन्धित रोगों से बच सकते है जैसे खून का जम जाना, थक्का बन जाना आदि।

अलसी
अलसी

अलसी के बीज कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में भी मदतगार है। किसी भी ब्रैस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर के मरीज को अलसी का सेवन जरूर करना चाहिए। इसमे अल्फा लाइनोइक एसिड पाया जाता है जो ऑथराइटिस, अस्थमा, डाइबिटीज ( मधुमेह ) ओर केंसर जैसे रोगों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है। अलसी में उपस्थित कोलोन कैंसर से लड़ने में बहुत सहायता प्रदान करता है।

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हार्ट के लिए फायदेमंद है अलसी

अलसी के बीज में ओमेगा 3 पाया जाता है जो हमारे दिल के लिए बहुत लाभदायक होता है। रोजाना 1 चम्मच अलसी का पाउडर लेने से आपको हार्ट अटेक आने संभावना काफि हद तक कम हो जाती है। एक चम्मच में 1.8 ग्राम ओमेगा 3 पाया जाता है।

अलसी के बीज के रोजाना सेवन से आपके शरीर में उपस्थित बुरे कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है । इससे आपके शरीर में रक्त प्रवाह सही से बना रहता है और ये खून को जमने से रोकता है।

त्वचा के लिए भी गुणकारी है अलसी

अलसी के बीज में एन्टी ऑक्सीडेंट्स ओर फाइटोकैमिककल्स पाया जाता है जो आपको त्वचा रोगों से बचाता है। इसके नियमित सेवन से आपको त्वचा स्वस्थ और चमकदार भी होगी।

यदि आपके जोड़ो में दर्द है या शरीर का कोई भाग दर्द कर रहा है तो आपको रोजाना अलसी के तेल से मालिश करना चाहिए, इससे आपका दर्द काफी हद तक ठीक हो जाएगा और आपकी त्वचा भी अच्छी ओर चमकदार हो जाएगी।

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अलसी के फायदे-अन्य

अलसी के बीज में उपस्थित लाइगन नामक तत्व आपके शरीर की आंतो के लिए बहुत जरूरी है, ये आपके शरीर की आंतों में एक तत्व का निर्माण करता है जो फीमेल हार्मोन्स के सन्तुलन को बनाये रखता है ।

अलसी के बीज का रोजाना सेवन आपको बहुत सारी बीमारियों से बचाता है और इसको आप पीसकर पानी के साथ ले सकते हो ।

यदि आपको कभी भी सर्दी या जुखाम होता है तो आप अलसी के बीज की चाय बनाकर पी सकते हो, अलसी में उपस्थित ब्रोकाइटिस, एन्टी इंफ्लेमेटरी आपको सर्दी जुखाम से छुटकारा पाने में मदद करता है।

अलसी के बीज में उपस्थित फाइबर, ओमेगा 3 ओर प्रोटीन आपको कब्ज जैसी बीमारियों से राहत दिलाता है।

यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है तो आपको नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। अपने खानपान का भी ध्यान रखना चाहिए। अपने खानपान के साथ में अलसी के बीज का भी सेवन करना चाहिए, ये आपको इस बीमारी से लड़ने में बहुत सहायता प्रदान करता है।

यदि आपको फंगल इन्फेक्शन जैसी कोई भी त्वचा की बीमारी है या त्वचा में खुजलीजलन होना, त्वचा के ऊपरी सतह पर रैशेज, पपड़ी व लाल निशान उबर जाना ऐसी कोई भी बीमारी है तो आपको नियमित अलसी के बीज का सेवन करना चाहिए। अलसी ऐसी बीमारियों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है।

तो ये सब अलसी के बीज के फायदे होते है यदि आपका अलसी से सम्बन्धित कोई भी सवाल या प्रश्न है तो आप हमे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हो । हम आपके सवाल का जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे ।

इस जानकारी को अपने दोस्तो ओर सोशल मीडिया पर जरूर से शेयर करे ताकि उनको भी अलसी के बीज के फायदों के बारे में पता चल सके।

क्या होते है तुलसी के बीज के फायदे-Tulsi Ke Beej Ke Fayde In Hindi

क्या होते है तुलसी के बीज के फायदे

तुलसी का पेड़ तो आज के समय में सब के घर में होता ही है और हम उस पेड़ की पूजा भी करते है। साथ ही हम सबको पता है की तुलसी के पेड़ की पतियो का बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में होता है। पर तुलसी के बीज भी किसी आयुवैदिक औषदि से कम नही है। इसका उपयोग भी बहुत सारी दवाइयों को बनाने में किया जाता है। तो चलिए जानते है की तुलसी के बीज के फायदे क्या है और क्या नुक्सान है।

तुलसी के बीज के फायदे | Tulsi Ke Beej Ke Fayde In Hindi

यहाँ आपको नीचे तुलसी के बीज के फायदे बताये गई है जिनको जानकर आप जरूर चोंक जाओगे।

नोट – तुलसी के बीज का उपयोग करने से पहले इन बातो का जरूर से ध्यान रखे।

  • गर्भवती महिला तुलसी के बीजो का सेवन कभी न करे ये होंने वाले बच्चे के लिए बहुत हानिकारक है ।
  • यदि आपको कोई भी बीमारी है तो तुलसी के बीजो का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर से ले ।
  • बच्चो व बूढो को तुलसी के बीजो का सेवन नही करना चाहिए ये बहुत हानिकारक हो सकता है।

यदि आप तुलसी के बीजो का सेवन करते है तो आपको ये सब फायदे मिलेंगे।

सूजन को कम करता है

यदि आप तुलसी के बीजो का सेवन करते है तो इससे आपके शरीर की सूजन कम होगी क्योंकि तुलसी के बीजो में एन्टी इंफामेल्ट्री नामक तत्व पाया जाता है जो सूजन को कम करता है ओर साथ ही एडिमा ओर डायरिया जैसी बीमारियों में भी राहत दिलाता है ।

सूजन को कम करता है
सूजन को कम करता है

पाचन को बढाता है

तुलसी के बीजो में कुछ ऐसे तत्व होते है जो आपकी जिलेटन परत को बढाता है, और तुलसी के बीजो में काफी मात्रा में फाइबर भी पाया जाता है जो आपके शरीर में पाचन क्रिया को बढाता है ।

खांसी और बुखार से बचाता है

तुलसी के बीजो में एन्टी इस्पडेमोटिक गुण पाए जाते है जो आपको खांसी ओर जुखाम जैसे बीमारियों से बचाता है और साथ ही इनका उपयोग बुखार के इलाज के लिए भी किया जाता है।

भूख से राहत दिलाता है

तुलसी के बीजो में क्लोरीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जिसके कारण यदि आप इनको खाते है तो आपको फिर ज्यादा खाना नही खाना पड़ता है जिसके कारण आप बाहर का खाना नही खाओगे।

दिल के लिए लाभदायक

तुलसी से बीजो का सेवन करने से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की कमी आती है ओर इससे आपके दिल को फायदा होता है, तुलसी के बीजो को खाने से आपको हार्ट अटेक आने की सम्भावना काफी कम हो जाती है।

मधुमेह रोग को रोकता है

तुलसी के बीज आपको मधुमेह के रोग से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है और इन बीजो में कुछ ऐसे तत्व होते है जो आपके रक्त में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोस में बदल देता है।

कब्ज से राहत

यदि आपको कब्ज की प्रॉब्लम है तो आपको रोज रात को थोड़े से तुलसी के बीजो का सेवन करना चाहिए जिससे आपकी कब्ज की समस्या दूर हो जाएगी।

पेट से सम्बन्धित समस्याओ से राहत

तुलसी के बीजो में कुछ ऐसे तत्व होते है जो आपके पेट में गैस से सम्बन्धित समस्यों को खत्म कर देते है।

हड्डियों को मजबूत बनाता है

तुलसी के बीजो में क्लोरीन और आयरन जैसे तत्व होते है जो आपके शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करते है। इन बीजो का सेवन करने से आपकी आयु के साथ आपकी हड्डियों ओर ज्यादा मजबूत होती जाएगी ।

आंखों के रोग से राहत

तुलसी के बीजो में विटामिन A काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है जो आपकी आंखों के लिए बहुत जरुरी होता है। विटामिन A से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है ओर साथ इन बीजो में कुछ ऐसे तत्व भी होते है जो मोतियाबिंद रोग में आपको बहुत ज्यादा राहत दिलाता है।

यदि आप तुलसी के बीजो का सेवन करते है तो आपको ये सब फायदे होंगे यदि आपका तुलसी के बीजो के फायदे से सम्बन्धित कोई भी सवाल है तो आप हमे कमेंट करके पूछ सकते हो।

और इस जानकारी को अपने दोस्तो और सोशल मीडिया पर जरूर से शेयर करे ताकि आपके दोस्तो को भी तुलसी के बीजो के फायदों के बारे में पता चल सके।

बेस्ट तेल जो रोक देंगे बालो का झड़ना जड़ से

गिरते बालो के लिए शैम्पू

बाल झड़ना एक ऐसी समस्या जो ना केवल व्यक्तित्व को शारीरिक रूप से बदल देता है बल्कि मानसिक रूप से भी तनाव देता है। बाल झड़ने के कई कारण होते हैं जैसे लंबी बीमारी, कोई बड़ी सर्जरी या इन्फेक्शन जैसे बड़े शारीरिक तनाव से दो या तीन महीने के बाद बालों का झड़ना एक सामान्य प्रक्रिया है। हार्मोन स्तर में आकस्मिक बदलाव के बाद भी यह हो सकता है, विशेषकर स्त्रियों में शिशु को जन्म देने के बाद यह हो सकता है। साधारण तरीके से बाल झड़ते रहते हैं किन्तु गंजापन दिखाई नहीं देता है।

कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट भी बाल झड़ने का कारण बनते हैं जैसे कि ब्रेन से संबंधित दवाइयां, बालों का झड़ना बीमारी का लक्षण हो सकता है जैसे कि थाइरॉयड, सेक्स हार्मोन में असंतुलन या गंभीर पोषाहार समस्या विशेषकर प्रोटीन, लौह, जिंक या बायोटीन की कमी। यह कमी खान-पान में परहेज करने वालों और जिन महिलाओं को मासिक धर्म में बहुत ज्यादा रक्त स्राव होता है उनमें यह आम है। सिर की त्वचा यानी स्कैल्प में जब विशेष प्रकार की फफूंद से संक्रमण हो जाता है तो बीच बीच में बाल झड़ने लगते हैं। बच्चों में आमतौर पर बीच-बीच के बाल झड़ने का संक्रमण पाया जाता है।

आइए आपको बताते है 5 बेस्ट एन्टी हेयर फॉल ऑयल

1-हिमालया हर्बल एन्टी हेयर फॉल ऑयल

हिमालया हर्बल एन्टी हेयर फॉल ऑयल
हिमालया हर्बल एन्टी हेयर फॉल ऑयल

ये देता है मजबूत और स्वस्थ बाल, हिमालय के एंटी-हेयर फॉल हेयर ऑयल बालों को झड़ने से रोकता है और बालों के विकास को तेज करता है। थीस्ल और भारतीय करौदा की अच्छाई के साथ समृद्ध है जो रूट शाफ्ट को मजबूत करता है और बालों के झड़ने को रोकता है।
मेथी लेसीथिन और प्रोटीन से भरपूर होती है जो बालों की जड़ों को पोषण देती है। स्कैल्प के संक्रमण को रोकने और बालों को स्वस्थ रखने के लिए नीम और बेल एक साथ काम करते हैं। बाल की जड़ को मजबूत बनाता है और बालों को झड़ने से रोकता है।

भारतीय करौदा, एक प्राकृतिक हेयर टॉनिक है जिसका आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है, यह बालों और स्कैल्प के उपचार के लिए बहुत प्रभावी घटक है। यह बालों के रोम को मजबूत करता है और बालों के विकास को बढ़ावा देता है। मेथी प्रोटीन का एक प्राकृतिक स्रोत है। प्रोटीन बाल शाफ्ट के पुनर्निर्माण और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण है। इसके औषधीय गुण बालों के झड़ने को रोकते है, नीम ड्राई और खुजली वाली स्कैल्प से राहत देता है और बालों के विकास को भी बढ़ावा देता है।

2-WOW ओनियन ब्लैक सीड हेयर ऑयल

2-WOW ओनियन ब्लैक सीड हेयर ऑयल
2-WOW ओनियन ब्लैक सीड हेयर ऑयल

WOW Onion Black Seed Hair Oil एक नॉनस्टिकी और नॉनग्रीसी ऑयल है जो बालों को सिल्की और स्ट्रांग बनाता है। इसका अब्जॉर्बशन फ़ास्ट होता है जिससे ये बालो को मॉइस्चराइज करता है। हर तरह बालो को सूट करता है जैसे कर्ली, स्ट्रेट, टेक्सचर्ड, थिक, थिन, फाइन, कलर्ड।

3-Rey Naturals Onion Hair Oil

Rey Naturals Onion Hair Oil
Rey Naturals Onion Hair Oil

इसके खास तत्व है, लाल प्याज का अर्क, नारियल का तेल, सूरजमुखी का तेल, विटामिन ई, अरंडी का तेल, आर्गन का तेल, जोजोबा का तेल, आंवला का अर्क, हिबिस्कस का अर्क, नीम का तेल, भृंगराज का अर्क, मैंगो बटर, शिया बटर, चंदन का तेल, गुलाब का तेल. प्याज बालों के रोम पोषण में बहुत अच्छे होते हैं।
ये स्कैल्प के खोए हुए न्यूट्रिएंट को रिस्टोर करता है। प्याज में शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं और स्कैल्प के संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
वानस्पतिक तेलों के निर्माण के साथ रे नैचुरल्स ओनियन हेयर ऑयल बालों में नमी को लॉक कर चमक को बढ़ाने में मदद करता है, बालों के उलझे हुए सिरों को अलग करता है और ढीला करता है।ओनियन तेल सल्फर से समृद्ध होता है, जो बालों का टूटना और पतला होना कम करने के लिए जाना जाता है।

4-urbanGabru hair growth serum oil

UrbanGabru Hair Growth Serum oil
UrbanGabru Hair Growth Serum oil

मोटा, मजबूत, अधिक स्वस्थ दिखने वाले बाल केवल जेनेटिक से नही होते, यह पोषण का मामला भी है। ये अद्भुत तेल बिना हानिकारक रसायनों या महंगी प्रक्रियाओं के घने और चमकदार बाल देता है।

इसमे सभी हाई क्वालिटी इंग्रीडिएंट को मिलाकर एक फार्मूला तैयार किया गया है जो बालों को ग्रोथ देता है।

5-morpheme remedies organic extra virgin cold pressed olive oil

Morpheme Remedies Cold Pressed Organic Extra Virgin Olive Oil
Morpheme Remedies Cold Pressed Organic Extra Virgin Olive Oil

मोरफेम रेमेडीज ऑर्गेनिक एक्स्ट्रा वर्जिन कोल्ड हेयर ऑयल नेचुरल और प्योर ऑयल्स की अच्छाई के साथ आता है। इसमें कोई मिनरल ऑयल, कोई सल्फेट, एसएलएस, कोई सिलिकॉन, कोई पैराबेन, कोई कृत्रिम खुशबू और कोई एडिटिव्स या रसायन शामिल नही हैं।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

क्या कैल्शियम की कमी से बाल झड़ते हैं?

कैल्शियम की कमी से बाल तेजी से झड़ने लगते है।

क्या झड़े हुए बाल वापस आ सकते है?

हां इसके लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। बालो की अच्छी देखबाल करना चाहिए। और कैमिकल यूक्त शैम्पू का प्रयोग नही करना चाहिए ।

क्या गीले बालों में तेल लगाना चाहिए?

गीले बालो की जड़े कमजोर होती है। तेल लगाने से जड़ से उखड़ जाते है और गीले बालो पर तेल लगाने से बदबू की समस्या भी हो सकती है।

बालों में तेल कब और कैसे लगाएं?

बालो मे तेल हमेशा रात मे लगाऐ और अगली सुबह धो ले। अपनी उंगलियों को तेल मे डुबोकर बालो के हिस्से कर के सिर पर हल्के हाथो से पूरे सिर पर लगाऐ और थोड़ी देर मसाज करे।

बालो का झड़ना कैसे रोक सकते हैं?

संतुलित आहार, नियमित तेल, बालो की कंडिशनिंग करके और तनाव से दूर रहकर बालो का झड़ना रोक सकते है।

पतंजलि केशकान्ति तेल के फायदे-Kesh Kanti Oil Ke Fayde In Hindi

Patanjali Kesh Kanti

पतंजलि आयुर्वेद जिसकी स्थापना 2006 में की गई थ। इस स्वदेशी कंपनी ने बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियों विदेशी कंपनियों से टक्कर ली, पतंजलि ने आयुर्वेदिक औषधियों तथा खाद्य पदार्थों के अलावा भी एक कॉस्मेटिक्स की एक बहुत बड़ी रेंज निकाली। आज पतंजलि का टर्नओवर करीब 3000 करोड़ है। पतंजलि पर भरोसा करने के दो मुख्य कारण है जिनमें से से जिनमें से एक है पतंजलि का स्वदेशी होना और इसके सभी प्रोडक्ट में नेचुरल पदार्थों का इस्तेमाल करना।

अगर आप भी झड़ते हुए बालों से परेशान है तो एक बार पतंजलि केशकांति तेल जरूर आजमा कर देखिए। ये पतंजलि का सबसे ज्यादा बिकने वाला प्रोडक्ट है। पतंजलि दावा करता है कि पतंजलि केशकांति तेल बालों को मजबूत करता है जिसकी वजह से बाल टूटने कम हो जाते है जिससे बाल स्वस्थ्य और घने हो जाते है।

पतंजलि केशकान्ति तेल के फायदे-Kesh Kanti Oil Ke Fayde In Hindi

  • यह बालों को नरम, चिकना और उलझनों से मुक्त बनाने में सहायता करता है।
  • इसमें जड़ी बूटियों का सत्त होने की वजह से नींद और सिरदर्द को कम करने में भी मददगार है।
  • इसमे शामिल नेचुरल इंग्रीडिएंट बालो की जड़ों तक जाते है और वहाँ जमा अशुद्धियों को दूर करते है। जिससे स्कैल्प पर होने वाले फंगल इन्फेक्शन से मुक्ति मिलती है और बाल झड़ने का एक मजबूत कारण खत्म हो जाता है।
  • यह बालो को ना केवल मुलायम और रेशमी बनाता है बल्कि सफेद होने से बचाता है।
  • बिल्कुल केमिकल फ्री होने से बालो पर साइड इफ़ेक्ट की चिंता भी नही होती, बालो में डेंड्रफ हो या बाल दोमुंहे हो आप बेहिचक पतंजलि केश कांति हेयर आयल का प्रयोग कर सकते है।

पतंजलि केशकान्ति हेयर आयल कैसे लगाए

  • तेल को उंगलियों के पोरों में लगा कर बालो की जड़ो से लेकर सिरों तक लगाए।
  • हल्के हाथ से कम से कम 15 मिनट मालिश करे।
  • तेल अगर रात को लगाकर सोएंगे तो ये और भी बेहतर असर दिखायेगा।
  • सुबह माइल्ड शैम्पू से बाल धो ले।
  • हल्के गीले बालों में ही कंघी करे, ज्यादा सूखे बालो में कंघी करने पर बाल ज्यादा टूटते है।
  • बालो को धोने के बाद तौलिए से ज्यादा जोर से रगड़ना या झाड़ना नही चाहिए।
  • बड़े दाँतो वाली कंघी का प्रयोग करे, उससे बाल कम टूटते है।

पतंजलि केश कांति हेयर आयल में शामिल प्राकृतिक तत्व निम्न है

व्हीट  जर्म आयल , भृंगराज , सूरजमुखी का तेल, गुड़हल , ब्राह्मी , आमला , मेहँदी , नीम की पत्तियां , बहेड़ा , हरार, गिलोय, जतमांसी, हल्दी, नागकेसर, बकुच, गुडहल पुष्प, चरेला, यष्टि मधु,  अनंतमूल, रसौत, और वाचा शामिल है। बेस ऑयल के रूप में नारियल का तेल और तिल का तेल शामिल है।

व्हीट जर्म आयल

व्हीट जर्म ऑयल में बहुत सारे पोषक तत्व जैसे की विटामिन बी काम्प्लेक्स, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, और विटामिन ई। इन सभी से हमारे बालों को मजबूती मिलती है और बाल जल्दी सफ़ेद नहीं होते है।

व्हीट जर्म आयल
व्हीट जर्म आयल

सूरजमुखी का तेल

बालों हो या स्किन विटामिन ई सबसे जरूरी विटामिन में आता है।यह विटामिन इस तेल में बहुत होता है। इस विटामिन से बाल रूखे नहीं  होते और बालों में चमक आती है। बालों का पतलापन भी दूर हो जाते है।

भृंगराज

भृंगराज जिसे केशराज भी कहते है का प्रयोग बालो से जुड़ी हर समस्या में किया जाता है, यह बालों को सफ़ेद होने से बचाता है। इसकी मदद से  दो मुँह के बालो की समस्या भी दूर हो जाती है। यह बालों को पोषण देता है और बालों का झड़ना रोकता है।

एलो वेरा

एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज स्कैल्प को बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन्स से बचाकर रखती है। यह आपके बालों को सूरज की हानिकारक किरणों से भी बचाकर रखता है। बालों के पोषण के लिए इसमें बहुत सारे तत्व है जैसे की विटामिन्स , एमिनो एसिड्स, मिनरल्स, प्लांट स्टेरॉइड्स, और फैटी एसिड्स। बालों की लम्बाई बढ़ाने के लिए इसमें कॉपर और जिंक होता है। इसीलिए यह तेल बालों को इतने फायदें देता है।

आँवले

आँवले में सबसे ज्यादा विटामिन सी होता है।  यह विटामिन बालों में और स्कैल्प की सारी अशुद्धियों को मिटा देता है। इसकी वजह से भी बाल सफ़ेद नहीं होते है। आँवले के एंटीऑक्सीडेंट बालों को लम्बा और घना करने में मदद करते है।

नेगेटिव पॉइंट्स

  • इसकी महक बहुत ही तेज होती है और ज्यादातर लोगों के इसके ना इस्तेमाल करने का यही कारण होता है।
  • ऑयली होता है तो एक बार शैम्पू करके बालो से निकालना थोड़ा मुश्किल होता है और ऑयली बालो को और ऑयली बना सकता है।

प्राकृतिक तत्वों से बना है तो और कोई साइड इफ़ेक्ट नही है, बेहिचक एक बार जरूर इस्तेमाल करे।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

केश कांति तेल लगाने से क्या फायदा होता है?

.पतंजलि केश कान्ति तेल में,आंवला,नीम,गिलोय,नागकेसर, भृंगराज, तिल का तेल, हल्दी,नारियल तेल और एलोवेरा का मिश्रण है जो बालों की जड़ों को गहराई तक पोषण देकर बालों की जड़ों को मजबूत करता है। .यह डैंड्रफ़ को प्रभावी रूप से हटाकर बालों के झड़ने से रोकने में मदद करता है। .पतंजलि केश कान्ति तेल बालों को सफेद होने से रोकता है। .पतंजलि केश कांति तेल बालों को भरपूर पोषण देता है साथ ही बालों की जड़ों को मजबूत करता है। .यह तेल बालों का झड़ना कम करता है। .पतंजलि केश कांति तेल बालों को स्वस्थ और चमकदार बनाता है। .पतंजलि केश कांति तेल सिरदर्द, अनिंद्रा और तनाव से भी बचाता है। अतः पतंजलि केश कांति तेल के अनगिनत और उपयुक्त फायदे हैं।

पतंजलि का सबसे अच्छा तेल कौन सा है?

पतंजलि सबसे तेजी में बढ़ने वाली भारतीय कंपनी है जो आयुर्वेदिक उत्पादों से संबंधित है। पतंजलि के पास कई सौंदर्य उत्पाद हैं जो हमारे घर को जैविक आयुर्वेदिक घर में बदल सकते हैं। पतंजलि उत्पाद 100% जैविक और प्राकृतिक हैं। आजकल लोगो को बालों की बहुत सी समस्या हो रही है।कम उम्र मे सफ़ेद बालो का सफेद होना,बालों का झड़ना, बालों का बेजान होना,बालों में रूखापन आदि की सभी समस्याएं आजकल आमतौर से सुनने और देखने को मिलती हैं। बालों की समस्याओं से निजात पाने के लिए पतंजलि द्वारा निर्मित शुद्ध और भरोसेमंद तेल निम्नलिखित है- .पतंजलि केश कांति तेल। .पतंजलि केश कांति आंवला हेयर ऑयल। .पतंजलि कोकोनट हेयर ऑयल। .पतंजलि आलमंड हेयर ऑयल। .पतंजलि तेजस तेलम तेल। .पतंजलि शीतल तेल। .पतंजलि दिव्य केश हेयर ऑयल।

केश कांति तेल कितने में मिलता है?

पतंजलि केश कान्ति हेयर ऑयल बालों के विकास के लिए जरूरी है और यह ऑयल सबसे अच्छे हर्बल तत्वों से बना है।इन उत्पादों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे आयुर्वेदिक हैं और पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पादों से बने हैं। पतंजलि केश कांति तेल बालों का गिरना रोकता है। पतंजलि केश कांति तेल बालों के विकास के लिए कुशल है और यह बालों के झड़ने को रोकने के लिए बहुत प्रभावी है। नियमित पतंजलि केश कांति ऑयल के इस्तेमाल करने से बाल काले,घने,स्वस्थ,मजबूत और चमकदार हो जातें हैं। इसकी कीमत भी किफायती है। पतंजलि केश कांति हेयर ऑयल 120 ml की कीमत मात्र 130 रुपये है।

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