जानिए क्या है वेस्ट नाइल फीवर? क्या है इसके लक्षण और उपचार?

जानिए क्या है वेस्ट नाइल फीवर? क्या है इसके लक्षण और उपचार?

कोरोना महामारी का डर अभी लोगों के मन से निकला नहीं कि केरल में वेस्ट नाइल वायरस से लोग डरने लगे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए भी यह चिंता का विषय बन गया है. केरल के त्रिशूर में एक 47 वर्षीय व्यक्ति ने कथित तौर पर पिछले हफ्ते वेस्ट नाइल बुखार से दम तोड़ दिया। राज्य में वाइरस जनित बीमारी से यह दूसरी मौत बताई जा रही है, इससे पहले का मामला 2019 का था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, वेस्ट नाइल का पहला मामला 1937 में सामने आया था. तब युगांडा की रहने वाली एक महिला इससे संक्रमित हुई थी। 1953 में उत्तरी मिस्र के नाइल डेल्टा रीजन में पक्षियों में इस वायरस की पहचान हुई थी. तब कौओं और कबूतरों में ये वायरस मिला था।

1997 से पहले तक इस वायरस को पक्षियों के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं माना जाता था, लेकिन इसके बाद इजरायल में इस वायरस का एक खतरनाक स्ट्रेन सामने आया था, जिससे कई पक्षियों की मौत हो गई थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 50 साल में कई देशों में इस वायरस से इंसानों के संक्रमित होने के मामले सामने आ चुके हैं।

आखिर नाइल बुखार है क्या ?

वेस्ट नाइल फीवर एक मच्छर जनित बीमारी है, जो वेस्ट नाइल वायरस के कारण होती है, यह एक सिंगल-स्ट्रैंडेड आरएनए वायरस है. यह संक्रमण क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है,ये मच्छर संक्रमित पक्षियों से वायरस का प्रसार करते हैं, क्यूलेक्स मच्छर पूरे देश में उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में पाए जाते हैं, इंसानों के अलावा, घोड़े और अन्य स्तनधारी भी संक्रमित हो सकते हैं, वेस्ट नाइल वायरस संक्रमित मनुष्यों या जानवरों के संपर्क में आने से नहीं फैलता. यह मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है।

वेस्ट नाइल फीवर
वेस्ट नाइल फीवर

वेस्ट नाइल बुखार के लक्षण

वायरस से संक्रमित लगभग 80% लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखता, जबकि लगभग 20% संक्रमित लोगों को बुखार हो जाता है. कई बार व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि वह संक्रमित हो गया है. रोग के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मतली, दाने और कभी-कभी गले में सूजन शामिल हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के संक्रमित व्यक्ति को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, इसे उनका मस्तिष्क प्रभावित हो सकता है, इससे आगे चलकर इंसेफेलाइटिस या मेनिन्जाइटिस जैसे जानलेवा संक्रमण भी हो सकते हैं।

रोग की रोकथाम कैसे करें..?

मच्छरों को नियंत्रित करना और मच्छरों के काटने से खुद को बचाना ही बीमारी को रोकने का एकमात्र तरीका है । पूरे कपड़े पहनें, अच्छी तरह से शरीर को ढकें क्योंकि यह संक्रमित मच्छरों के संपर्क में आने में बाधा का काम करेगा। पानी के स्टोरेज कंटेनरों को कवर करना चाहिए और पानी को जमा नहीं होने देना चाहिए. पूल, यार्ड और बगीचों में कचरों की ढंग से सफाई होनी चाहिए।

केरल में इसका एक मामला सामने आने पर, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी यही एडवाइजरी जारी की है कि मच्छरों को पैदा होने से रोकें , हर किसी को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी और अपने आसपास सफाई रखनी होगी, ड्रेनेज और जमे हुए पानी को साफ करना होगा।

इसके अलावा.. एनिमल-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन को रोकने के लिए जरूरी है कि बीमार जानवरों का इलाज करते समय ग्लव्स या प्रोटेक्टिव कपड़े पहनकर रखें।

और अगर कहीं ये वायरस फैल रहा है, तो वहांँ ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने से पहले लैब में उसकी जांच कर ली जाए।

वेस्ट नाइल फीवर का इलाज

सामान्य बुखार की तरह ही इसका इलाज़ किया जाता है, गंभीर मामलों में, उपचार में मुख्य रूप से अस्पताल में भर्ती करते हैं, तरल पदार्थ देते हैं, सांस से जुड़ी सहायता और संक्रमण फिर से ना हो इसके लिए रोकथाम शामिल है. इंसानों के लिए इस बीमारी के खिलाफ वर्तमान में कोई टीका उपलब्ध नहीं है।

अस्थमा के लिए आहार क्या खाएं और क्या नहीं-Best Food For Asthma Patients

अस्थमा के लिए आहार

अस्थमा एक ऐसी बीमारी जिसमे व्यक्ति का जीवन दुर्भर हो जाता है। अस्थमा में दरअसल होता क्या है? अस्थमा में श्वास नली सिकुड़ जाती है और सूज जाती है। जिसके कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। अन्य बीमारियों की तरह अस्थमा के मरीजों को भी अपनी डाइट का खास ख्याल रखना पड़ता है। क्योंकि कई बार गलत खान पान ही अस्थमा अटैक का कारण बनता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको अस्थमा के लिए आहार की ही जानकारी देंगे।

अस्थमा के लिए आहार-Best Food For Asthma Patients

Asthma Me Kya Khana Chahiye

एंटीऑक्सिडेंट्स और फइटोकैमिकल्स

इसके लिए मरीज को केवल मौसमी फलों और हरी सब्जियों पर ध्यान देने की जरूरत है। दरअसल ये तत्व फेफड़ों में हुई सूजन को कम करते है।

इसलिए अपने आहार में सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली, करेला, लौकी, भिंडी, कद्दू, मटर, मशरूम आदि को शामिल करें। इन सारी चीजों के अलावा अपने आहार में लहसुन, अदरक, पुदीना, शलगम और प्याज का भी इस्तेमाल करें, साथ ही आलू और तुलसी का इस्तेमाल भी करे क्योंकि इनकी गर्म तासीर शरीर की गर्माहट बनाए रखती है।

विटामिन सी

विटामिन सी अस्थमा के मरीजो के आहार का जरूरी हिस्सा होता है। ये इम्युनिटी और इन्फेक्शन से बचाता है। इसके लिए जरूरी है कि मौसमी फलों का सेवन किया जाए जैसे खरबूजा, तरबूज, पपीता, अंगूर, अनार, सेब, खजूर, अंजीर और शहतूत, संतरा, नींबू, कीवी, आंवला, टमाटर, शिमला मिर्च और ब्रसेल्स स्प्राउट आदि।

पर ध्यान रहे केवल मौसमी फलों का सेवन किया जाए, बेमौसम नही। साथ ही फलों का सेवन केवल शाम से पहले करें। क्योंकि शाम के बाद फल कफ बना सकते है।

विटामिन सी
विटामिन सी

बीटा कैरोटीन

बीटा कैरोटीन से भरपूर चीजें भी अस्थमा मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके लिए आप अपनी डाइट में गाजर, खुबानी, चेरी, हरी मिर्च, शिमला मिर्च और शकरकंद आदि का सेवन कर सकते हैं।

मैग्नीशियम और अन्य विटामिन्स

अस्थमा के मरीज के लिए सबसे बेहतर होती है स्ट्रांग इम्युनिटी। अच्छी इम्युनिटी के लिए मैग्नीशियम और विटामिन्स से भरपूर भोजन को शामिल करें।

इसके लिए मछली का तेल, अखरोट, कद्दू के बीज, सोया पनीर, सोयाबीन, दालचीनी, सरसों का तेल, नट्स और सूखे अंजीर आदि को शामिल करें। इसके अलावा आटे की रोटी, जई आटे की रोटी, दलिया और मूंग की दाल का सेवन भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
विटामिन बी6 युक्त आहार भी अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए अच्छा होता है। इसके लिए अपने आहार में अंकुरित अनाज, चिकन, मछली, ब्रेड, साबुत दालें, ओटमील, ब्राउन राइस, अंडे आदि को शामिल करें।

ओमेगा 3 फैटी एसिड

ऐसे सभी पदार्थो को दैनिक आहार में शामिल रखना चाहिए ओमेगा थ्री फैटी एसिड हो। जैसे अखरोट, सोयाबीन, अलसी और सूरजमुखी के बीज, सामन और टूना मछली, अलसी और सूरजमुखी के बीजों को भूनकर और पीसकर भोजन में इस्तेमाल कर सकते हैं।

ग्रीन टी, ब्लैक टी या काढ़ा

अगर आप अस्थमा के मरीज है तो दूध वाली चाय से परहेज करें। इसकी बजाए आप ग्रीन या ब्लैक टी का सेवन करें। गरम सूप ले, अदरक तुलसी का काढ़ा ले। कभी कभी कॉफी भी ले सकते है।

क्या न खाएं

  • तली हुई चीजें
  • मसालेदार चीजें
  • मूंगफली
  • जंक और डिब्बाबंद फूड्स
  • चावल, दही, आइस्क्रीम
  • दूध, छाछ, अमचूर, इमली,
  • शराब, मांस, चिकन,
  • गुड़, चना, अंडे
  • जरूरत से ज्यादा नमक

सावधानियां

  • एक बार मे एक साथ ज्यादा भोजन न करे।
  • तनाव से दूरी बनाए।
  • छाती और गले पर तिल के तेल, या लहसुन, अजवायन में पके हुए सरसो के तेल का इस्तेमाल करे।
  • दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पिए।
  • सोते वक्त रोजाना सिर के नीचे 3-4 तकिए रखकर सोने की आदत डालने से भी दमे के दौरे का असर धीरे-धीरे कम हो जाता है।।
  • इन्हेलर का इस्तेमाल करें
  • पॉल्युशन से दूर रहें।

अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाने की आसान विधि: हृदय और सेहत के लिए फायदेमंद

अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये

आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही अनेक जड़ी-बूटियों का उपयोग शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से लड़ने के लिए किया जाता रहा है। उन्हीं में से एक है अर्जुन की छाल। इसे हृदय रोगों, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। आज हम जानेंगे कि अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं (arjun ki chhal ka kadha kaise banaen), इसके क्या-क्या फायदे हैं और इसे कब और कैसे पीना चाहिए।

अर्जुन की छाल क्या होती है?

अर्जुन (Terminalia Arjuna) एक औषधीय पेड़ है, जिसकी छाल में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फ्लावोनॉइड्स, टैनिन्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। अर्जुन की छाल खासतौर पर हृदय की कार्यप्रणाली को बेहतर करने में सहायक मानी जाती है।

अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं?

(arjun ki chaal ka kadha kaise banaye / अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये)

आवश्यक सामग्री:

  • 1 चम्मच अर्जुन की सूखी छाल (कुटी हुई)
  • 2 कप पानी
  • 1/2 कप दूध (वैकल्पिक)
  • 1 छोटा टुकड़ा दालचीनी या 1 लौंग (सर्दियों के लिए)
  • शहद या गुड़ स्वादानुसार

बनाने की विधि:

  1. एक पैन में पानी डालें और उसमें अर्जुन की छाल मिला दें।
  2. इसमें लौंग या दालचीनी डालकर मध्यम आंच पर 10-15 मिनट तक उबालें।
  3. जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें।
  4. अब इसमें शहद या गुड़ मिला लें। चाहें तो थोड़ा दूध भी डाल सकते हैं।
  5. गर्मागर्म या हल्का गुनगुना पीना अधिक लाभकारी होता है।

अर्जुन की छाल के काढ़े के फायदे

(arjun ki chaal ka kada ke fayde)

1. हृदय रोगों में लाभकारी

यह काढ़ा दिल की मांसपेशियों को मजबूत करता है और हृदय की धड़कन को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह हार्ट अटैक के जोखिम को भी कम करने में सहायक होता है।

हार्ट के लिए अर्जुन की छाल
हार्ट के लिए अर्जुन की छाल

2. ब्लड प्रेशर को संतुलित रखे

नियमित रूप से अर्जुन की छाल का काढ़ा पीने से उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है। यह रक्त वाहिकाओं को साफ और लचीला बनाए रखता है।

3. कोलेस्ट्रॉल को घटाए

यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है। जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।

4. डायबिटीज को नियंत्रित करे

इसमें मौजूद तत्व रक्त में ग्लूकोज स्तर को संतुलित करते हैं और यह इंसुलिन की क्रिया को भी बेहतर बनाते हैं।

5. पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए

अर्जुन की छाल का काढ़ा गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में भी राहत देता है। यह लीवर को भी डिटॉक्स करता है।

6. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

इसमें भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।

कब और कैसे पिएं अर्जुन की छाल का काढ़ा?

  • समय – सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले
  • मात्रा – रोज़ 1 कप
  • कैसे पिएं – हल्का गर्म करके, शहद या दूध मिलाकर

यदि आप हृदय, ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो यह काढ़ा आपके लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। इसे कम से कम 2-3 महीने तक नियमित रूप से लेने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

कुछ जरूरी सावधानियां

  • गर्भवती महिलाएं या गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर की सलाह से ही सेवन करें।
पुरानी खांसी
पुरानी खांसी
  • अत्यधिक सेवन करने से ठंडक की समस्या हो सकती है, विशेष रूप से सर्दियों में।
  • सर्दी के मौसम में इसे अदरक, लौंग या दालचीनी के साथ लेना बेहतर रहेगा।

निष्कर्ष

arjun ki chaal ka kada या अर्जुन की छाल का काढ़ा आयुर्वेदिक दृष्टि से एक बहुत ही उपयोगी घरेलू उपाय है जो ना केवल दिल को स्वस्थ रखता है, बल्कि पूरे शरीर के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है। यदि आप प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से सेहत को बनाए रखना चाहते हैं, तो यह काढ़ा आपकी दिनचर्या का हिस्सा ज़रूर बनाना चाहिए।

क्या होते है तुलसी के बीज के फायदे-Tulsi Ke Beej Ke Fayde In Hindi

क्या होते है तुलसी के बीज के फायदे

तुलसी का पेड़ तो आज के समय में सब के घर में होता ही है और हम उस पेड़ की पूजा भी करते है। साथ ही हम सबको पता है की तुलसी के पेड़ की पतियो का बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में होता है। पर तुलसी के बीज भी किसी आयुवैदिक औषदि से कम नही है। इसका उपयोग भी बहुत सारी दवाइयों को बनाने में किया जाता है। तो चलिए जानते है की तुलसी के बीज के फायदे क्या है और क्या नुक्सान है।

तुलसी के बीज के फायदे | Tulsi Ke Beej Ke Fayde In Hindi

यहाँ आपको नीचे तुलसी के बीज के फायदे बताये गई है जिनको जानकर आप जरूर चोंक जाओगे।

नोट – तुलसी के बीज का उपयोग करने से पहले इन बातो का जरूर से ध्यान रखे।

  • गर्भवती महिला तुलसी के बीजो का सेवन कभी न करे ये होंने वाले बच्चे के लिए बहुत हानिकारक है ।
  • यदि आपको कोई भी बीमारी है तो तुलसी के बीजो का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर से ले ।
  • बच्चो व बूढो को तुलसी के बीजो का सेवन नही करना चाहिए ये बहुत हानिकारक हो सकता है।

यदि आप तुलसी के बीजो का सेवन करते है तो आपको ये सब फायदे मिलेंगे।

सूजन को कम करता है

यदि आप तुलसी के बीजो का सेवन करते है तो इससे आपके शरीर की सूजन कम होगी क्योंकि तुलसी के बीजो में एन्टी इंफामेल्ट्री नामक तत्व पाया जाता है जो सूजन को कम करता है ओर साथ ही एडिमा ओर डायरिया जैसी बीमारियों में भी राहत दिलाता है ।

सूजन को कम करता है
सूजन को कम करता है

पाचन को बढाता है

तुलसी के बीजो में कुछ ऐसे तत्व होते है जो आपकी जिलेटन परत को बढाता है, और तुलसी के बीजो में काफी मात्रा में फाइबर भी पाया जाता है जो आपके शरीर में पाचन क्रिया को बढाता है ।

खांसी और बुखार से बचाता है

तुलसी के बीजो में एन्टी इस्पडेमोटिक गुण पाए जाते है जो आपको खांसी ओर जुखाम जैसे बीमारियों से बचाता है और साथ ही इनका उपयोग बुखार के इलाज के लिए भी किया जाता है।

भूख से राहत दिलाता है

तुलसी के बीजो में क्लोरीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जिसके कारण यदि आप इनको खाते है तो आपको फिर ज्यादा खाना नही खाना पड़ता है जिसके कारण आप बाहर का खाना नही खाओगे।

दिल के लिए लाभदायक

तुलसी से बीजो का सेवन करने से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की कमी आती है ओर इससे आपके दिल को फायदा होता है, तुलसी के बीजो को खाने से आपको हार्ट अटेक आने की सम्भावना काफी कम हो जाती है।

मधुमेह रोग को रोकता है

तुलसी के बीज आपको मधुमेह के रोग से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करता है और इन बीजो में कुछ ऐसे तत्व होते है जो आपके रक्त में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोस में बदल देता है।

कब्ज से राहत

यदि आपको कब्ज की प्रॉब्लम है तो आपको रोज रात को थोड़े से तुलसी के बीजो का सेवन करना चाहिए जिससे आपकी कब्ज की समस्या दूर हो जाएगी।

पेट से सम्बन्धित समस्याओ से राहत

तुलसी के बीजो में कुछ ऐसे तत्व होते है जो आपके पेट में गैस से सम्बन्धित समस्यों को खत्म कर देते है।

हड्डियों को मजबूत बनाता है

तुलसी के बीजो में क्लोरीन और आयरन जैसे तत्व होते है जो आपके शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करते है। इन बीजो का सेवन करने से आपकी आयु के साथ आपकी हड्डियों ओर ज्यादा मजबूत होती जाएगी ।

आंखों के रोग से राहत

तुलसी के बीजो में विटामिन A काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है जो आपकी आंखों के लिए बहुत जरुरी होता है। विटामिन A से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है ओर साथ इन बीजो में कुछ ऐसे तत्व भी होते है जो मोतियाबिंद रोग में आपको बहुत ज्यादा राहत दिलाता है।

यदि आप तुलसी के बीजो का सेवन करते है तो आपको ये सब फायदे होंगे यदि आपका तुलसी के बीजो के फायदे से सम्बन्धित कोई भी सवाल है तो आप हमे कमेंट करके पूछ सकते हो।

और इस जानकारी को अपने दोस्तो और सोशल मीडिया पर जरूर से शेयर करे ताकि आपके दोस्तो को भी तुलसी के बीजो के फायदों के बारे में पता चल सके।

क्या है अंजीर के फायदे इन हिंदी-Anjeer Ke Fayde Hindi Me

अंजीर के फायदे

अंजीर एक ऐसा मीठा फल जो स्वाद के साथ साथ स्वाथ्य भी देता है। वर्षो से विभिन्न रोगों और कमजोरी को दूर करने के लिए अंजीर का प्रयोग किया जाता है। इसे फिकस कैरीका नाम से भी जानते हैं। यह रसीला और गूदेदार फल होता है। आपको शायद जानकर हैरानी होगी कि अलग स्थान पर उगाए गए अंजीर का स्वाद भी अलग अलग होता है।

तुर्की विश्व मे सबसे बड़ा अंजीर उत्पादक है इसके अलावा भारत चीन और अमरीका समेत कई भागों में भी अंजीर उगाया जाता है। अंजीर का थोड़ा बहुत उत्पादन अमेरिका और यूरोप में भी होता है।

अंजीर कितने तरह का होता है

ब्लैक मिशन

अंदर से गुलाबी रंग का ये अंजीर मीठा और रसभरा होता है।

कडोटा

हरे रंग का ये अंजीर कम मीठा होता है।

कैलिमिरना

हरे पीले रंग का होता है और अन्य किस्मो के मुकाबले बड़ा होता है।

ब्राउन तुर्की

इस अंजीर का बाहरी रंग बैंगनी और गूदा लाल होता है। इसका स्वाद हल्का और कम मीठा होता है।

एड्रियाटिक अंजीर

हल्का हरा और अंदर से गुलाबी रंग का होता है। इसका स्वाद बहुत मीठा होता है।

अंजीर में पाए जाने वाले पोषक तत्व

अंजीर में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स, सॉल्युबल फाइबर और नेचुरल सुगर होती है।

अंजीर के फायदे-Anjeer Ke Fayde Hindi Me

आज इस आर्टिकल में हम आपको अंजीर के फायदों से अवगत कराएंगे।

फिट एंड ट्रिम करें

अगर आप स्लिम होने के बारे में सोच रहे है तो अंजीर स्नैक के लिए सबसे बेहतर ऑप्शन है। ये हाई फाइबर होता है जिससे आसानी से पच भी जाता है। इसे खाकर आपको स्नैक के बाद जल्दी भूख नही लगेगी।

डाइटिंग के समय ये आपके स्वीट टूथ को भी सन्तुष्ठ करेगी, लेकिन इसमें मौजूद मीठा आपका वजन नही बढ़ाएगा। ये एक्स्ट्रा फैट को गलाकर, मोटापे को inches से कम करती है।

बोन्स को मजबूती दे

अंजीर में कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होते है। और यही तत्व हड्डियों का मुख्य हिस्सा है। इसलिये अगर आप रेगुलर अपनी डाइट में अंजीर को रखते है तो फ्रैक्चर की संभावना बहुत कम हो जाती है। अंजीर हड्डियों को मजबूती देता है।

डायजेस्टिव सिस्टम को सपोर्ट करें

अंजीर को आप फल के तौर पर खाए या सुखाकर, इसका हाई फाइबर आपके पाचन तंत्र को सपोर्ट करेगा। घुलनशील फाइबर होने के कारण ये आसानी से पच जाता है। साथ ही इंटेस्टाइन के पेरिस्ताल्टिक मूव को बढ़ाता है। इसी कारण अंजीर खाने से आपको कब्ज, गैस एसिडिटी, अपच जैसी समस्याएं नही होती।

दिल को रखे स्वस्थ

अंजीर में होते है एंटीऑक्सीडेंट जो दिल को नुकसान पहुचाने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करते है। साथ ही अंजीर में होते है ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड, जो वाहिकाओं और धमनियों को स्वस्थ्य रख व्यक्ति को हार्ट अटैक और स्ट्रोक से सुरक्षित रखते है।

दिल को रखे स्वस्थ
दिल को रखे स्वस्थ

कोलेस्ट्रॉल

अंजीर में मौजूद पेक्टिन, B6, ओमेगा 4 और ओमेगा 6 शरीर मे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखता है।यह बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। अंजीर डायजेस्टिव सिस्टम से भी खराब कोलेस्ट्रॉल को फ्लश आउट करता है।

खून की कमी

अगर किसी के अंदर खून की कमी है तो उसे भविष्य में अन्य रोग भी हो सकते है। ऐसे में आयरन का सेवन बहुत जरूरी हो जाता है। सूखे अंजीर में आयरन की काफी मात्रा होती है, इसलिए अपने शरीर मे खून की कमी दूर करने के लिए अंजीर का सेवन करे।

डायबिटीज

डायबिटीज जैसी समस्या में केवल आप अंजीर के फल का प्रयोफ ही नही कर सकते बल्कि, अंजीर के पत्तो की चाय बनाकर भी पी सकते हो। इसमे मौजूद नेचुरल शुगर आपका शुगर लेवल नही बढ़ने देगा।।

इन फायदों के अलावा अंजीर के निम्न समस्याओं में भी आराम देता है।

कैंसर, अस्थमा, ब्लड प्रेशर, यौन दुर्बलता, सर्दी जुखाम, कमजोर इम्युनिटी, कमजोरी, कम दिखाई देना, असमय उम्रदराज दिखना, बालो का झड़ना आदि।

अंजीर खाने के तरीक़े-अंजीर को कैसे खायें

सेब की तरह अंजीर को भी सुखाकर खाया जाता है। अगर आप इसे कच्चा खा रहे है तो अच्छे से धोकर खाए। छिलका उतार कर भी खा सकते है और छिलके सहित भी।

अगर आप सूखा अंजीर खाने की सोच रहे है तो एक बात का ध्यान रखें। अंजीर बहुत ही गर्म होता है। इसलिए बेहतर होगा इसे रातभर पानी मे भिगो कर इसका सेवन करे।

आप अंजीर को सैंडविच, सलाद, आइसक्रीम, कस्टर्ड, केक में इस्तेमाल कर सकते है।

जानिए क्या है रोजाना खाली पेट अलसी खाने के फायदे

अलसी के फायदे

आज हम आपको खाली पेट अलसी खाने के फायदे के बारे में बताएंगे । यदि आपके मन में यह सवाल आ रहा है की ये अलसी क्या होती है? तो हम आपको ये भी बताएंगे की आखिर ये अलसी खाने के फायदे क्या होते है ।

अलसी क्या है ?

अलसी छोटे छोटे बीजो की तरह होती है। अलसी को हम हिंदी में तीसी के नाम से जानते है और अलसी को इंग्लिश में फ्लैक्ससीड (flaxseed) कहते है। अलसी के बीज दो तरह की होती है। एक सुनहरे रंग की और दूसरी भूरे रंग की होती है। जिसमे से सुनहरे रंग वाली ज्यादा बढ़िया होती है क्योंकि इसमे ज्यादा तत्व पाए जाते है। अब आपको ये तो पता चल गया होगा की अलसी क्या होती है ? अब खाली पेट अलसी खाने के फायदे भी जान लेते है।

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रोजाना खाली पेट अलसी खाने के फायदे

अलसी का रोजाना सेवन करने के ये सब फायदे है जिनको जानकर आप जरूर चौक जाओगे की आखिर एक पदार्थ से इतने फायदे भी मिल सकते है।

वजन घटाने में सहायक

यदि आप अपने ज्यादा वजन से परेशान हो और अपने वजन को कम करना चाहते है। तो आपको रोजाना खाली पेट अलसी का सेवन करना चाहिए। अलसी मे उपस्थित वसा आपके वजन को कम करने में सहायता प्रदान करता है।

मधुमेह और कैंसर में भी लाभदायक है अलसी

अलसी के बीज के सेवन से आपके शरीर के खून में उपस्थित शर्करा के स्तर को कम करता है। जिससे आप बहुत सारी खून से सम्बन्धित रोगों से बच सकते है जैसे खून का जम जाना, थक्का बन जाना आदि।

अलसी
अलसी

अलसी के बीज कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में भी मदतगार है। किसी भी ब्रैस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर के मरीज को अलसी का सेवन जरूर करना चाहिए। इसमे अल्फा लाइनोइक एसिड पाया जाता है जो ऑथराइटिस, अस्थमा, डाइबिटीज ( मधुमेह ) ओर केंसर जैसे रोगों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है। अलसी में उपस्थित कोलोन कैंसर से लड़ने में बहुत सहायता प्रदान करता है।

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हार्ट के लिए फायदेमंद है अलसी

अलसी के बीज में ओमेगा 3 पाया जाता है जो हमारे दिल के लिए बहुत लाभदायक होता है। रोजाना 1 चम्मच अलसी का पाउडर लेने से आपको हार्ट अटेक आने संभावना काफि हद तक कम हो जाती है। एक चम्मच में 1.8 ग्राम ओमेगा 3 पाया जाता है।

अलसी के बीज के रोजाना सेवन से आपके शरीर में उपस्थित बुरे कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है । इससे आपके शरीर में रक्त प्रवाह सही से बना रहता है और ये खून को जमने से रोकता है।

त्वचा के लिए भी गुणकारी है अलसी

अलसी के बीज में एन्टी ऑक्सीडेंट्स ओर फाइटोकैमिककल्स पाया जाता है जो आपको त्वचा रोगों से बचाता है। इसके नियमित सेवन से आपको त्वचा स्वस्थ और चमकदार भी होगी।

यदि आपके जोड़ो में दर्द है या शरीर का कोई भाग दर्द कर रहा है तो आपको रोजाना अलसी के तेल से मालिश करना चाहिए, इससे आपका दर्द काफी हद तक ठीक हो जाएगा और आपकी त्वचा भी अच्छी ओर चमकदार हो जाएगी।

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अलसी के फायदे-अन्य

अलसी के बीज में उपस्थित लाइगन नामक तत्व आपके शरीर की आंतो के लिए बहुत जरूरी है, ये आपके शरीर की आंतों में एक तत्व का निर्माण करता है जो फीमेल हार्मोन्स के सन्तुलन को बनाये रखता है ।

अलसी के बीज का रोजाना सेवन आपको बहुत सारी बीमारियों से बचाता है और इसको आप पीसकर पानी के साथ ले सकते हो ।

यदि आपको कभी भी सर्दी या जुखाम होता है तो आप अलसी के बीज की चाय बनाकर पी सकते हो, अलसी में उपस्थित ब्रोकाइटिस, एन्टी इंफ्लेमेटरी आपको सर्दी जुखाम से छुटकारा पाने में मदद करता है।

अलसी के बीज में उपस्थित फाइबर, ओमेगा 3 ओर प्रोटीन आपको कब्ज जैसी बीमारियों से राहत दिलाता है।

यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है तो आपको नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। अपने खानपान का भी ध्यान रखना चाहिए। अपने खानपान के साथ में अलसी के बीज का भी सेवन करना चाहिए, ये आपको इस बीमारी से लड़ने में बहुत सहायता प्रदान करता है।

यदि आपको फंगल इन्फेक्शन जैसी कोई भी त्वचा की बीमारी है या त्वचा में खुजलीजलन होना, त्वचा के ऊपरी सतह पर रैशेज, पपड़ी व लाल निशान उबर जाना ऐसी कोई भी बीमारी है तो आपको नियमित अलसी के बीज का सेवन करना चाहिए। अलसी ऐसी बीमारियों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है।

तो ये सब अलसी के बीज के फायदे होते है यदि आपका अलसी से सम्बन्धित कोई भी सवाल या प्रश्न है तो आप हमे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हो । हम आपके सवाल का जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे ।

इस जानकारी को अपने दोस्तो ओर सोशल मीडिया पर जरूर से शेयर करे ताकि उनको भी अलसी के बीज के फायदों के बारे में पता चल सके।

आँखों में दर्द का कारण और घरेलु इलाज

आँखों में दर्द और जलन का घरेलु इलाज

जैसा की हम जानते है की आँखे हमारे शरीर में सबसे नाजुक और भावुक अंग है। अगर हमारी आँख चुब जाती है या जरा भी चोट बगेरा लग जाती है तो आँखों में दर्द महसूस होने लगता है। कई बार ऐसा भी होता है की हम कंप्यूटर या मोबाइल में ज्यादा समय तक काम करते हैं। तब भी आँखों में दर्द होने लग जाता है, क्या आप भी इन सब समस्यओं से परेशान है? क्या आपको भी इन सब से छुटकारा पाना है तो आप बिलकुल सही जगह आये है। आज के इस लेख में हम आपको इन सब से सम्बंधित जानकारी पेश करेंगे।

हम आपको बता दे की बहुत से ऐसे लोग होते है जो आंख के दर्द को सेरियस्ली नहीं लेते है, जो बाद में बहुत पछताते है। वैसे तो आँख का दर्द कभी कभी अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन कभी कभी यह आपके लिए गंभीर स्थिति का संकेत भी हो सकता है। इसलिए कभी भी आँखों में जलन, आँखों में तेजी से दर्द अथवा आँखे लाल होना ये सभी लक्षण नज़र आये तो डॉक्टर के सलाह जरूर ले। अगर आप आँख दर्द का इलाज अपनी घरेलू चीज़ो से करना चाहते है तो इस लेख को लास्ट तक पढ़े ।

आँखों में दर्द होने के कारण

आँखों में दर्द
आँखों में दर्द

अगर आप आँखों के दर्द को ठीक करना चाहते है और दुबारा आँख का कोई रोग ना हो तो इससे पहले आपको यह जानना भी बहुत जरूरी है की आंख का दर्द किन कारणों से होता है, कभी कभी हमारी आँखों में विभिन्न कारणों की बजह से दर्द व जलन महसूस होने लगती है, क्यूंकि आंखों में दर्द होना एक आम समस्या है लेकिन नीचे हम आपको इसके कुछ मुख्य कारन बताएँगे जिनसे आँखों में दर्द होता है:-

  • कार्नियल पर चोट या घाव का होना ।
  • सर्जरी की वजह से भी आंखों में दर्द हो सकता है।
  • आँखों पर संक्रमण होना और चोट लगना।
  • आँख के पालक के नीचे फुंसी (Hoodlumका होना।
  • धूल या कंकड़ के जाने से भी आंखों में दर्द हो सकता है।

आँखों में दर्द का घरेलु इलाज

बहुत से ऐसे उपाय है जिनसे आप आँखों का दर्द रोक सकते है, लेकिन नीचे हम आपको आँखों में दर्द रोकने के कुछ मुख्य घरेलू उपाय बता रहे है, जैसा हम आपको इस लेख में बताये आपको बैसा ही करना है

खीरा

खीरा ठंडा और पोसेटिव है, जो हमको खारा शीतल प्रदान करता है इसको आप अपने फ्रीज़ में कुछ टाइम रखे इसके बाद स्लाइम को काटे और अपनी आँखों पर लगाए, करीब 5-6 मिनट इसको लगाए रखे ऐसा करने से आपकी आँख का दर्द भी सही हो जायेगा और जलन भी महसूस नहीं होगी ।

गुलाब का रस

आपको रात को सोते समय गुलाब के रस का प्रयोग करना है। इसकी 2 बूँद आप अपनी आँखों में डाले आपकी आँखों की जलन और दर्द को बड़े आसानी से सही कर सकती है, ऐसा ही आपको रोज़ाना सोते समय या सुबह उठते बक्त करना है, आपकी आँखों में कभी भी जलन महसूस नहीं होगा।

बबूल के पत्ते

अगर आप सोच रहे है की बबूल के पत्तो से आँख का दर्द सही हो जायेगा तो आप बिलकुल सही सोच रहे है जी हां, आपको बस कुछ बबूल के नरम पत्ते लेने है और उनको सही तरीके से पीसकर रस निकलना है और उस रस की 2 बूँद आपको अपनी आँखों में टपकना है, आप ऐसा भी कर सकते है पत्तो को बारीक पीसकर उसकी टिकिया बनाकर रात को सोते बक्त लगाकर आँखों की सूजन और दर्द खत्म होता है ।

शहद

शहद एक जीवाणुरोधी एजेंट और प्राकर्तिक क्लीनर है जो हर मर्ज़ में काम आता है, साथ ही लोग इसको खाते भी है, आपको उस प्रभावित आँख में एक शहद की बूँद डालना है, आपको बता दे की इससे आपको डालते ही कुछ जलन महसूस होगी लेकिन बाद में यह आपकी आँख की सफाई और दर्द में राहत देगा ।

आलू का रस

आलू जो की सब्जियों में फलो का राजा कहलाता है। जिसको हम खाने में सबसे ज्यादा उज करते है। क्या आपको पता है इसके रस से आँखों के दर्द व जलन को भी ठीक कर सकते है। आपको बस एक आलू लेना है और उसका रस निकल लेना है। इसकी एक बूँद आपकी आँखों को राहत दे सकती है।

नोट :- हमने आपको उपर जितने भी आँखों के दर्द को रोकने के घरेलु उपाय बताये है, इन सब में से कोई भी इस्तेमाल करने से पहले आप आयुर्वेदिक चिकित्सा की सलाह जरूर ले, क्योकि आंखे हमारे शरीर के सबसे नाजुक और भावुक अंग है।

जानिए क्या है लीवर की सूजन के लक्षण और कारण-Liver Me Sujan Ke Lakshan

लीवर की सूजन के लक्षण

लिवर शरीर में सबसे बड़े आकार का अंग होता है। इस अंग का काम होता है, भोजन को पचाकर एनर्जी कलेक्ट करना तथा टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालना। कई बार लिवर में सूजन आ जाती है, लिवर में सूजन आने के कई कारण हो सकते है जैसे दवाइयों का साइड इफ़ेक्ट, अल्कोहल, केमिकल व अन्य ऑटोइम्यून रोग। आज इस आर्टिकल में लिवर में सूजन के कारण और लीवर की सूजन के लक्षण की बात करेंगे।

लिवर में सूजन आने को हिपेटोगीमेली भी कहते है। कई बार लोगो को समझ ही नही आता कि उनके लिवर में सूजन है।

लिवर का कार्य

  • लिवर शरीर के लिए एक छलनी की तरह काम करता है और टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालता है।
  • टॉक्सिन्स के बाहर निकलने के कारण शरीर को ऊर्जा मिलती है।
  • लिवर पाचन के लिए जरूरी रसों को रिलीज करता है।

हिपेटोगीमेली का अर्थ

लिवर की सूजन यानी हिपेटोगीमेली का मतलब सिर्फ ये नही की, लिवर अपने आकार बड़ा हो जाता है। बल्कि लिवर अपने कार्य करने का तरीका बदल देता है।

लिवर के कार्य करने का तरीका बदलते ही, शरीर पर बुरा असर दिखने लगता है। इससे शरीर के अन्य अंगों की कार्य क्षमता पर भी असर पड़ता है। इसके साथ ही बहुत सी समस्याएं उत्तपन्न हो जाती है।

लीवर की सूजन के लक्षण-Liver Me Sujan Ke Lakshan

बिना किसी टेस्ट के ये पता लगाना की लिवर में सूजन है या नही, थोड़ा मुश्किल है। फिर भी कुछ लक्षणों के आधार पर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि लिवर में कहीं कोई दिक्कत तो नही।

आइए आपको लीवर की सूजन के लक्षण जो की बहुत सामान्य है, के बारे में बताते है।

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पेट में दर्द

लिवर की सूजन की शुरुआत में पेट मे हल्का हल्का दर्द शुरू होता है। ये दर्द खासतौर पर पेट के लेफ्ट साइड में थोड़ा ऊपर की तरफ होता है।

यदि लंबे समय तक इन लक्षणों को नजर अंदाज किया जाए तो दर्द धीरे धीरे बढ़ने लगता है।

पेट का आकार बढ़ना

जब लिवर की सूजन को काफी समय बीत जाता है तो पेट फूला हुआ और थोड़ा बड़ा दिखता है। पेट बेढंगे तरीके से बढ़ता है, आप ध्यान से देखेंगे तो हल्का सा एक तरफ फूला हुआ दिखता है।

बुखार

यूं तो बुखार किसी भी वायरस, बैक्टीरिया, या इन्फेक्शन के कारण होता है। किंतु यदि आपको लगातार हल्का हल्का बुखार बना रहता है तो हो सकता आपके लिवर में सूजन हो।

बुखार
बुखार

लेकिन केवल बुखार होने इसका प्रमाण नही है, साथ मे अन्य लक्षणों पर भी ध्यान दे।

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शरीर का पीला पड़ना

शरीर का पीला पड़ना या पीलिया लिवर में किसी न किसी दिक्कत के कारण होता है। लिवर में सूजन के कारण आँखों और त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है।

वोमिट आना

जैसा कि आपको ऊपर बताया, की लिवर का मुख्य काम शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालना हैं, ऐसे में अगर लिवर ही सही से काम नही करेगा तो टॉक्सिन्स शरीर से नही निकलेंगे।

इस कारण टॉक्सीन्स वोमिट के रूप में बाहर निकलते है। इसी कारण व्यक्ति तला भुना,व मसालेदार खाना नही पचा पाता।

मल मूत्र की असामान्यता

कहते है कि शरीर मे होने वाले किसी बदलाव का सबसे पहला असर मल मूत्र पर होता है। इसलिए यदि आपको लिवर की सूजन का कोई भी लक्षण दिखाई दे रहे हो, तो अपने मल मूत्र को ध्यान से देखें।

यदि लिवर में सूजन है तो मल का रंग बहुत हल्का यहां तक कि लगभग सफेद भी हो सकता है। साथ ही मूत्र में एसिड की अधिकता से मूत्र में गाढ़ापन आ जाता हैं।

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मुहं में बदबू होना

लिवर का खराब होना मतलब टॉक्सीन्स का शरीर से निस्तारण बन्द, जब टॉक्सीन्स शरीर से नही निकलेंगे तो वो शरीर मे ही विचरण करेंगें।
इस कारण ये टॉक्सीन्स मुहं तक पहुंचकर मुहं में बदबू पैदा करते है। इस कारण व्यक्ति के मुहं का स्वाद सदैव कसैला बना रहता है।

लीवर की सूजन क्यों आती है-Liver Me Sujan Ke Karan

लिवर में सूजन इन कारणों से आ सकती है।

  • अल्कोहल का जरूरत से ज्यादा सेवन
  • बैक्टीरियल इन्फेक्शन
  • हैपेटाइटिस लिवर की सूजन का बहुत बड़ा कारण है।
  • दवाईओ का नशा करना
  • फैटी लिवर

लिवर का रामबाण इलाज-Liver Thik Karne Ke Upay

अब आपको लिवर की सूजन के घरेलू उपचार बताएंगे।

एप्‍पल साइडर विनेगर

लिवर को स्वस्थ्य रखने के लिए एप्पल साइडर विनेगर एक अच्छा ऑप्शन है। विनेगर लिवर से विषाक्‍त पदार्थों को बाहर निकाल देता है।
एप्पल साइडर विनेगर लेने के लिए रोज एक चम्मच विनेगर को एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर ले।

एप्पल साइडर विनेगर
एप्पल साइडर विनेगर

नींबू

विटामिन सी से भरपूर नींबू इम्युनिटी और एंटीऑक्‍सीडेंट का सोर्स है। इसका एंटीऑक्सीडेंट गुण लिवर सेल्स को स्वस्थ्य रखता है। एक कप पानी में आधा नींबू निचोड़ें और एक चम्‍मच शहद डालकर रोज सुबह पिएं।

हल्‍दी

यदि लिवर की सूजन का कारण शराब या किसी का प्रकार का नशा नही है, तो हल्दी आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। एक गिलास पानी लें और उसे उबालने के लिए रख दें। अब इसमें एक चुटकी हल्‍दी डालें। आप चाहें तो इसमें नींबू का रस भी डाल सकते हैं। मिक्‍स कर के रोज सुबह इस गुनगुने पानी का सेवन करें।

आंवला

आंवले में क्‍यूरसेटिन नामक फाइटोकेमिकल होता है जो लिवर कोशिकाओं के ऑक्‍सीडेटिव स्‍ट्रेस को कम कर सकता है। आंवले को किसी भी रूप में ले, लेकिन मुरब्बा या अचार अवॉयड करें। आंवले को उबालकर, या उसका जूस प्रयोग करें।

दालचीनी

दालचीनी का प्रयोग लिवर की सूजन में रामबाण है। इसका प्रयोग, हल्दी दालचीनी टी के रूप में कर सकते है।इसके सूजन-रोधी गुण ज्‍यादा शराब के कारण लिवर में आई सूजन को कम करते हैं

​डैंडलियोन टी

एक कप पानी में चार से पांच डैंडलियोन के फूलों को एक से दो मिनट तक उबालें। अब इस पानी को छानकर पी लें। डैंडलियोन में पॉवरफुल बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो शरीर में कोलेस्‍ट्रोल के लेवल को कम कर सकते हैं।

लिवर की सूजन बहुत गम्भीर स्थिति नही है, उचित देखभाल, सही जीवन शैली, नशीले पदार्थ से दूरी और हेल्थी खानपान से इसे ठीक किया जा सकता है।

थायराइड में परहेज क्यों है जरुरी,थायरॉइड है तो करें इन चीजों से परहेज

थायराइड में परहेज

थाइरोइड क्या होता है इन हिंदी

इसमें पुरुषों की बजाय महिलाएं ज्यादा हायराइड बीमारी से ग्रस्त हैं। इस बात का खुलासा इंडियन थायराइड सोसायटी द्वारा निकाली गई रिपोर्ट में मिला है जिसमें इस बात का भी खुलासा हुआ है, कि पुरुषों की बजाय देश की महिलाओं में थायराइड बीमारी ज्यादा पाई गई है।

थायराइड की वजह से व्यक्ति के शरीर में और भी कई बीमारियों के बढ़ने की आशंका होती है। थायराइड जिन व्यक्ति को होता है उन्हें खून की समस्या, कोलेस्ट्रॉल , डिप्रेशन ,डायबिटीज , इनसोम्निया, और दिल की बीमारी जैसा खतरा मंडराने लगता है।

थायराइड किसी बीमारी का नहीं बल्कि मनुष्य के गले में पाई जाने वाली तितली के आकार की एक ग्रंथि का नाम है। यह ग्रंथि हमारे शरीर में कई जरूरी गतिविधियों को नियंत्रित करती है। थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर के लिए कुछ हॉर्मोंस का निर्माण करती है, जिनके नाम इस प्रकार है – टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन (triiodothyronine), टी4 यानी थायरॉक्सिन (thyroxine) और कैल्सीटोनिन (calcitonin)। ये हार्मोंस व्यक्ति के वजन, कोलेस्ट्रॉल, तापमान और भी कई अन्य चीजों पर प्रभाव डालते है। इन हॉर्मोंस में असंतुलन का सीधा असर हमारे शरीर के वजन पर पड़ने के साथ साथ शरीर के बाकी कई अन्य अंग भी प्रभावित होते है। शरीर की इस अवस्था को ही थायराइड की समस्या कहा जाता हैं।

थायराइड काफी घातक बीमारी है और ज्यादातर लोग इस बीमारी के शिकार होते जा रहे हैं। जिन व्यक्तियों को थायराइड है उन्हें कई चीजों से परहेज रखना बहुत जरूरी होता है। इन चीजों से परहेज रखते हुए अपने थायराइड की समस्या को और अधिक बढ़ने से रोक सकते हैं।

थायराइड में परहेज | थाइरोइड में क्या ना खाये

कैफीन

कॉफी
कॉफी

कॉफी तथा चाय इन दोनों में कैफीन भरपूर उपस्थित होता है। जिससे सीधे थायराइड नहीं बढ़ता है, लेकिन उन लोगो में काफी परेशानियां खड़ी करता है। जिससे थायराइड की वजह पैदा होती है।

जैसे बेचैनी आना और चक्कर आना इस प्रकार के लक्षण ज्यादा चाय कॉफी पीने से आते हैं। थायराइड से ग्रस्त लोगों को चाय कॉफी को नजरअंदाज करना चाहिए

रेड मीट

मीट प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थ हैं लेकिन रेड मीट में कोलेस्ट्रॉल तथा फैट बहुत ज्यादा होती है। जिससे शरीर का मोटापा तेजी से बढ़ता है। थायराइड से ग्रस्त लोगों को पहले से ही मोटापे की परेशानी होती है इसलिए रेड मीट नहीं खाएं। थायराइड की समस्या से ग्रस्त लोग जब रेड मीट का सेवन करते हैं, तो उनके आमाशय में एसिडिटी जैसी समस्या उत्पन्न होती है।

एल्कोहल

थायराइड से परेशान लोग नशीले पदार्थ जैसे शराब बीयर या कोई अन्य एनर्जी ड्रिंक का सेवन नहीं करें। थायराइड की समस्या वाले लोगों को इस प्रकार की नशीली पदार्थों के सेवन से नींद में दिक्कत और मस्तिष्क संबंधित कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है। इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस का भी खतरा बढ़ता है।

स्मोकिंग नहीं करें

थायराइड से ग्रस्त लोगों को सिगरेट बीड़ी जैसे स्मोकिंग पदार्थों से दूरी रखनी होती है, क्योंकि स्मोकिंग में उपस्थित विषैला पदार्थ थायनोसाईनेट जो सीधा थायराइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाता है, तथा थायराइड ग्रंथि इस प्रकार के नशीले पदार्थों के सेवन से थायरोक्सिन के निर्माण में कमी ला देती है, और शरीर में कई अन्य इफेक्ट आने शुरू होते हैं ।

इस प्रकार के पदार्थों के नियमित सेवन से दिल का दौरा तथा कैंसर जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है

इन सब्जियों से भी रखे दूरी

हालांकि ज्यादातर सब्जियां थायराइड से ग्रस्त लोगों के लिए नुकसानदायक नहीं होती है, परंतु कुछ सब्जियां जैसे फूल गोभी पत्ता गोभी तथा ब्रोकली यह थायराइड से ग्रस्त लोगों के लिए काफी ज्यादा हानिकारक साबित हुई है।

इस प्रकार की सब्जियों का सेवन थायराइड से ग्रस्त लोग बिल्कुल ना करें इसके अलावा थायराइड से ग्रस्त लोग हर चार-पांच महीने के अंदर अपने थायराइड की जांच जरूर करवाएं और चिकित्सक से सलाह लें तथा साथ ही नियमित रूप से दवाइयों का सेवन करें।

आपने क्या सीखा

हम उम्मीद करते है, की थायराइड क्या है, थायराइड के लक्षण क्या होते है, थायराइड में परहेज क्यों जरुरी है, साथ ही थायराइड से बचने के घरेलु उपाय क्या है, इसकी पूरी जानकारी आपको मिल चुकी होगी, यदि आपका इससे सम्बधित कोई सवाल है, तो आप कमेंट के जरिये पूछ सकते है।

तो दोस्तों अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर जरूर से जरूर शेयर करे ताकि वो भी इस तरह के बीमारी से अवगात हो सके ।

जानिए क्या है पपीता खाने के फायदे और पपीता खाने का सही समय

पपीता खाने के फायदे

आयुर्वेद के अनुसार सभी फलों को खाने का अलग अलग समय निश्चित किया हुआ है, जब हम निश्चित समय पर ही उन फलों का सेवन करते है तो वो हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा लाभगदायक हो जाते हैं। आज हम आपको बताएंगे की पपीता खाने का सही समय क्या होता है ओर पपीता खाने के फायदे क्या होते है।

आयुर्वेद के अनुसार हमे फलों का सेवन सुबह से समय में करना चाहिए जो हमारे लिए बहुत लाभदायक होता है। यदि हम फलों का सेवन शाम के समय में करते है तो इससे हमारे पाचन क्रिया पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है ।

पपीता खाने का सही समय

पपीते का सेवन करना का सही समय होता है सुबह के 5 से 9 बजे के बीच में या हमे नाश्ते में पपीते का सेवन करना चाहिए क्योंकि इससे हमे पूरे दिन ऊर्जा मिलती रहती है और हमे थकान महसूस नही होती है ।

पपीता खाने के फायदे

यदि आप रोजना पपीते का सेवन करते है तो आपको ये सब फायदे मिलते है।

त्वचा के लिए लाभदायक

पपीते में ऐसे बहुत सारे तत्व होते है जो हमारे शरीर की त्वचा के लिए बहुत लाभदायक होते है। आप पपीते को खाने के साथ अपनी त्वचा पर किसी क्रीम की तरह लगा भी सकते हो, जिससे आपकी त्वचा पर उपस्थित मृत कोशिकाएं हटने लगेगी ओर परिमाण स्वरूप आपकी त्वचा का निखार बढ़ने लगेगा।

कैंसर के उपचार में

पपीता में लाइकोपिन, कैरोटिनॉइड, एंटीऑक्सिडेंट, बीटा-क्रिप्टोक्साथीन और बीटा कैरोटिन आदि तत्व पाए जाते है जो कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से लड़ने में आपको सहायता प्रदान करते है। पपीते में आइसोथियोसाइनेट्स नामक एक तत्व पाया जाता है जो कार्सिनोजेंस नामक तत्व को खत्म करने का काम करता है।

पपीता
पपीता

प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाना

पपीते में एंटीऑक्सिडेंट, प्रोटीन, विटामिन E , C और A ये सब तत्व बहुत ज्यादा मात्रा में पाये जाते है, जिनसे WBC (स्वेत रक्त कोशिका) में बढ़ोतरी होती है प्रतिरक्षा तंत्र और मजबूत होने लगता है ।

दिल के लिए लाभदायक

पपीते में विटामिन A , C और E ,एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर आदि बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। फाइबर हमारे शरीर में उपस्थित हानिकारक कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करता है जिससे आपको हार्ट अटेक जैसी दिल की बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है।

बालों के लिए

पपीते के अंदर भरपूर मात्रा में खनिज, एंजाइम और विटामिन्स पाए जाते है जो हमारे बालों के वृद्धि और विकास के लिए बहुत जरुरी होते हैं, पपीते का रोजाना सेवन करना हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है इससे हमारे शरीर के बालो में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिलती है ।

रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक

उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को रोजाना पपीते का सेवन करना चाहिए। वह बहुत लाभदायक होता है क्योंकि पपीते में पोटेशियम पाया जाता है जो हमारे शरीर में सोडियम के प्रभाव को कम करता है जिससे रक्तचाप नियंत्रण में रहता है ।

पाचन में सहायक

पपीते में प्रचुर मात्रा में पपेन नाम का एक एंजाइम पाया जाता है जो हमारे शरीर में पाचन क्रिया को बढ़ाने का काम करता है। इसके अलावा पपीते में फाइबर, बीटा कैरोटिन, विटामिन ई और फोलेट आदि तत्व पाए जाते है जो कब्ज को रोकने में सहायता प्रदान करते है ओर साथ ही कैंसर से भी बचाव करता है ।

वजन कम करने में सहायक

यदि आपका वजन ज्यादा है और आप अपने वजन को कम करना चाहते हो तो आपको रोजाना पपीते का सेवन करना चाहिए, पपीते में फाइबर, विटामिन सी, फोलेट और पोटेशियम आदि तत्व पाए जाते है जो पाचन किया को बढ़ाते है ओर पपीते में कोलेस्ट्राल और वसा दोनों बहुत ही कम मात्रा में पाए जाते है जो की वजन कम करने ये लिए बहुत ज्यादा लाभगदायक है ।

जोड़ों के दर्द में

यदि आपके जोड़ो में दर्द है तो आपको रोजाना पपीते का सेवन करना चाहिए क्योंकि पपीते में उपस्तिथ एंटी-इन्फ्लेमेटरी, पपेन और चयमोपपेन जैसे एंजाइम जोड़ो के दर्द को काफी हद तक कम करने में सहायता प्रदान करता है, पपीते के रोजाना सेवन से शरीर पर होने वाली सूजन में भी कमी आती है ।

आँखों के लिए लाभगदायक

पपीते में विटामिन A काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है जो आपकी आंखों के लिए बहुत जरूरी होता है। विटामिन A से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है ओर साथ पपीते में कुछ ऐसे तत्व भी होते है जो मोतियाबिंद रोग में आपको बहुत ज्यादा राहत दिलाता है। इसके अलावा नील प्रकाश से रक्षा करने के लिए पपीते में कैरोटिनॉइड ल्यूटिन और जेक्सैंटिन भी पाया जाता है जो रेटिना को नुकसान पहुचाने से बचाता है।

तो दोस्तों आज अपने जाना की अगर आप पपीता का सेवन करते है, तो आपके शरीर को कितना फायदा होगा, साथ ही इससे आप इसके सेवन से बड़े बड़े बीमारियों से दूर रहेंगे। अगर आपको इस आर्टिकल से रिलेटेड कोई भी सवाल पूछना चाहते है, तो आप निचे कमेंट करके पूछ सकते है।

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