हिमालय कम्पनी का लिव 52 बहुत सी दुर्लभ जड़ीबूटियों को मिलाकर बनाया गया उत्पाद है। सामान्यतया माना जाता है कि इसका मुख्य प्रयोग लिवर को स्वस्थ्य रखने में होता है। लेकिन लिव 52 के फायदे और भी बहुत है जो आज हम आपको इस लेख में बताएंगे। सबसे पहले हम पूरी तरह से लिव 52 को जानेंगे कि ये दरअसल क्या है। लिव 52 पूर्ण रूप से आयुर्वेद पर बेस्ड एक प्रोडक्ट है जिसमे केमिकल का प्रयोग नही किया गया है।
दरअसल इसका नाम और इसकी संकल्पना ही लिवर को लेकर की गई है। लिवर से निकलने वाले जूस ही हमारे भोजन को पचाते है। यदि लिवर में ही कोई कमी आ जाए तो डायजेस्टिव सिस्टम बिगड़ जाता है। इसी डायजेस्टिव सिस्टम को मजबूत बनाने और लीवर को मजबूत करने के उपाय के लिए लिव 52 का उपयोग किया जाता है। लिव 52 लिवर को सभी संक्रमणो से दूर रखता है तथा हेपेटाइटिस बी जैसे संक्रमण से दूर रखता है।
हिमालय लिव 52 दो रूपो में मिलता है टेबलेट और सिरप। लिव 52 में प्रयुक्त होने वाली जड़ीबूटियां निम्न है।
- हिमसरा काबरा ( Humara capparis spinosa )
- कासनी चिकोरी (Kasani cichorium ) 34mg
- काकमाची ( kakamachi ) 34mg
- अर्जुना ( Arjuna ) 16mg
- झउका ( Jhavuka ) 8mg
- बिरंजासिफिआ ( Biranjasipha ) 8mg
लिव 52 के फायदे-LivK52 Ke Fayde
एनीमिया
![एनीमिया](/wp-content/uploads/2022/07/%E0%A4%8F%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE.jpg)
![एनीमिया](/wp-content/uploads/2022/07/%E0%A4%8F%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE.jpg)
एनीमिया यानी खून की कमी, इसका सीधा सम्बन्ध तो लिवर से नही है। पर यदि हमारे भोजन को पचाने में हमारा लिवर सक्षम नही तो सभी पौष्टिक तत्व शरीर को नही मिलेंगे। आयरन भी इन्ही में एक है, तो यदि आप एनीमिया से ग्रसित है तो लिव 52 का सेवन आपके लिए लाभकारी होगा।
हेपेटाइटिस
हेपेटाइटिस ए हो या हेपेटाइटिस बी दोनों ही स्थितियों लिवर कमजोर होने लगता है। इसका कारण लिवर में होने वाला संक्रमण है। ऐसे में लिव 52 का सेवन चाहे वो सिरप हो या टैबलेट लाभकारी रहता है।
भूख की कमी
जब लिवर सही तरीके से काम नही करेगा तो उससे निकलने वाले पाचन रस भी कार्य नही करेंगे। ऐसे में भूख की कमी हो जाती है, व्यक्ति का वजन दिन ब दिन कम होने लगता है। ऐसे में डॉक्टर्स लिव 52 की ही सलाह देते है।
लिव 52 भोजन की खपत को बढ़ाने का भी कार्य करता है। इसके अलावा हमारे शरीर से टॉक्सिन्स मटेरियल को बाहर निकालने में मदद करता है। ये सभी पाचक एंजाइम को सही प्रकार से संतुलित करके डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाता है।
लिवर सिरोसिस
लिवर सिरोसिस का अर्थ है लिवर की कोशिकाओं को नुकसान होना। लिवर सेल्स को नुकसान होने का एक बहुत बड़ा कारण है शराब का अधिक सेवन। शराब का अधिक सेवन लीवर से संबंधित और भी तमाम बीमारिया होती है जैसे- फैटी लिवर, लिवर हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस।
जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन करता है तो लिवर सेल्स डैमेज होने लगती है। ऐसे में व्यक्ति को शराब का सेवन बन्द या कम से कम करके, लिव 52 का सेवन करना चाहिए।
लिव 52 लिवर के आगे होने वाले डैमेज को कम करके, damaged सेल्स को रिपेयर भी करता है। यदि शराब पीने या किसी अन्य कारण से लिवर डैमेज हो जाए तो ट्रांसप्लांट के अलावा अन्य कोई चारा नही रहता।
लिव 52 के अन्य फायदे
यदि कोई व्यक्ति अल्कोहल के सेवन के बाद हैंगओवर में है तो लिव 52 के सेवन से हैंगओवर का असर कम हो सकता है।
लेकिन सावधान रहिए हर बार ये तरीका आजमाना आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है।
आज कल खान पान सेहत पर कम और जंकफूड पर ज्यादा टिका है। लगातार पैकेज्ड और जंकफूड खाने से छोटी आंत में टॉक्सिन बनने लगते है। ऐसे में जंक फूड का सेवन कम करके लिव 52 लेने से डायजेस्टिव सिस्टम से टॉक्सिन बाहर निकल जाते है।
जब लिवर में बिलीरुबिन एंजाइम की मात्रा कम या समाप्त हो जाती है तो यूरिन, स्किन और आंखों का रंग पीला हो जाता है। इस स्थिति को पीलिया या जॉन्डिस कहते है। इस स्थिति में भी लिव 52 भी स्थिति में सुधार लाने में मदद करता है।
लिव 52 कितनी मात्रा में ले।
लिव52सिरप
बच्चों के लिए Liv 52 syrup का खुराक
हिमालया लिव 52 सिरप 1 चम्मच (5 ml)दिन में तीन बार सुबह-दोपहर-शाम
व्यस्को के लिए Liv 52 syrup का खुराक
हिमालया लिव 52 सिरप 2 चम्मच (10 ml)दिन में तीन बार सुबह-दोपहर-शाम
लिव52 टेबलेट
दिन में दो बार(चिकित्सक के परामर्श अनुसार खाने के बाद या पहले)
गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इसका सेवन करे।