शरीर के लिए क्यों जरुरी है ग्लूकोज, क्या है ग्लूकोज पीने के फायदे

ग्लूकोज के फायदे

ग्लूकोज एक ग्रीक भाषा का शब्द ग्लीको से बना है जिसका अर्थ होता है मीठा। यह चीनी का प्रकार है जो हमें भोजन, फल आदि से मिलता है। ग्लूकोज हमारे शरीर की आवश्यकताओं के लिए अति-आवश्यक है। यह हमें ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है जो मोनोसेक्रेट कार्बोहाइड्रेट की श्रेणी में आता है। ग्लूकोज पीने के फायदे कई है। इसमें चीनी का ही एक अणु है। वसा के अलावा ग्लूकोज शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज हम रोटी, फल, सब्जियों, डेरी उत्पादन से प्राप्त कर सकते हैं।

जो ग्लूकोज रक्त के माध्यम से हमारी कोशिकाओं तक पहुँचता है। उसे हम ब्लड ग्लूकोज या रक्त शर्करा कहते हैं। ग्लूकोज , भोजन से प्राप्त वसा ,कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन से बनता है। लेकिन सबसे अधिक ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से बनता है। हमारे शरीर के मुख्य ऊर्जा का स्रोत ग्लूकोज है। लेकिन ग्लूकोज को उर्जा में बदलने के लिए इंसुलिन का होना अति आवश्यक है बिना इंसुलिन की मदद के ग्लूकोज का इस्तेमाल कोशिकाएं नहीं कर सकती हैं।

पाचन के दौरान इंसुलिन की मदद से स्टार्च व शुगर ग्लूकोज में टूट जाते हैं। और ग्लूकोज कोशिकाओं की दीवार में प्रवेश करता है। अगर भोजन में शुगर अधिक मात्रा में होती है जिसे हम ग्लूकोज भी कहते हैं। अगर भोजन में ग्लूकोज अधिक मात्रा में होता है तो यह हमारी मांसपेशियों लीवर और शरीर के अन्य भागों में जमा होने लगता है जो बाद में फैट के रूप में बदलता है।

ग्लूकोज के स्रोत

ग्लूकोज फल ,सब्जियों , रेशेदार खाद्य पदार्थ ,डेयरी प्रोडक्ट्स आदि में मिलता है। हमें फाइबर युक्त तलों का सेवन करना चाहिए। हमें साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। साबुत अनाज हमें फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम प्रदान करते हैं अनाज को रिफाइन करने से उसके पोषक तत्व व फाइबर की मात्रा कम हो जाती है। ग्लूकोज हमें सभी अनाजों से मिलता है।

लेकिन साबुत अनाज हमें फाइबर भी देते हैं और खनिज भी देते हैं फलियां प्रोटीन का मुख्य स्रोत होती है। डेरी प्रोडक्ट में संतृप्त वसा अधिक मात्रा में होता है। इसलिए हमें कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए। जो हमें विटामिन खनिज प्रोटीन और कैल्शियम भी देते हैं।

ग्लूकोज युक्त आहार हमारे शरीर की आवश्यकता है। अगर हमें ग्लूकोज की आवश्यक मात्रा ना मिले तो यह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। इसीलिए हमें ग्लूकोज के स्तर को बैलेंस बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है। ग्लूकोज के स्तर को कंट्रोल करने के लिए हमें संतुलित भोजन करना चाहिए।

भोजन में सभी आवश्यक तत्व जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, मिनरल्स आदि सभी शामिल करने चाहिए और सबसे आवश्यक हमें अपना नाश्ता अवश्य करना चाहिए। ग्लूकोज के लिए हमें पत्तों वाली सब्जियां जैसे ब्रोकली , पालक और अन्य सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।

अंडे, मछली, अंगूर, सूखे मेवे, चीज, शहद, खजूर, अनानास, आम, चुकंदर, खीरा यह सभी ग्लूकोज युक्त भोजन होते हैं। जो हमारे शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं इनके अलावा गर्मियों के मौसम में जब हमारे शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता अधिक होती है क्योंकि हमारे शरीर से पसीने के रूप में पानी बहुत निकलता है। तब हम ग्लूकोज पेय पदार्थ के रूप में लेते हैं।

तो आइए जानते हैं जो ग्लूकोज पीने के फायदे

ग्लूकोज मददगार है बिमारियों से लड़ने में

रेशेदार फाइबर युक्त भोजन टाइप 2 मधुमेह और मोटापे से लड़ने में मददगार होता है। फाइबर पाचन तंत्र को सक्रिय रखता है। दिल को स्वस्थ रखता है। कोलेस्ट्रॉल एवं हृदय रोगों को नियंत्रण में रखता है।

ग्लूकोज रखता है वजन को नियंत्रित

ग्लूकोज से हम अपना वजन बढ़ा भी सकते हैं और घटा भी सकते हैं। हमें अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए ताजे फल जैसे तरबूज अंगूर नाशपाती बेर आदि खाने चाहिए। जिन में बहुत अधिक फाइबर और पानी पाया जाता है।

वजन को नियंत्रित
वजन को नियंत्रित

ग्लूकोज रखता है शरीर के तापमान को नियंत्रित

गर्मी के मौसम में जब हमारे शरीर से बहुत पसीना निकलता है तब हम ग्लूकोज पीते हैं। यही ग्लूकोज हमारे शरीर में ऊर्जा के रूप में पहुँचता है यह हमारी मांसपेशियों में ग्लाइकोजन के रूप में एकत्रित होता है और हमारे शरीर के तापमान को नियमित करने में सहायक होता है।

ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को बनाये आसान

हमारे शरीर को सभी आवश्यक शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए जैसे मांसपेशियों के संकुचन, श्वसन, हृदय की गति आदि के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है हृदय गति से लेकर मांसपेशियों में संकुचन तक सभी प्रक्रियाओं के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है और सभी पतियों को ग्लूकोज के द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है बिना ग्लूकोज के यह संभव नहीं है ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को आसान बनाने में सहायक होता है।

ग्लूकोज है दिमागी कार्यों में मददगार

ग्लूकोज मस्तिष्क के कार्य को सही तरह से करने के लिए आवश्यक होता है। किसी चीज को सीखने की प्रक्रिया में ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। पढ़ने में, याद करने में मस्तिष्क संरक्षित हुए ग्लूकोज का इस्तेमाल करता है इसीलिए ग्लूकोज दिमागी कार्य के लिए अति आवश्यक है।

उर्जा का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है ग्लूकोज

हमें हर कार्य को करने के लिए चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है हमारे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा ना मिले तो हम बहुत जल्दी थक जाते हैं और यही उर्जा हमें भी खुशी मिलती है इसके लिए हम कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पीते हैं।

ग्लूकोज का पाचन, पाचन तंत्र के द्वारा भोजन के पाचन से अलग होता है ग्लूकोज रक्त में अवशोषित होने के बाद ग्लाइकोजन में बदल जाता है। यह ग्लाइकोजन मांसपेशियों में सुरक्षित हो जाता है शरीर को जब भी आवश्यकता होती है ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदलकर ऊर्जा प्रदान करता है।

ग्लूकोज बढ़ाता है शरीर का स्टैमिना

हम सब जानते हैं कि ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।जब भी हम थकने लगते हैं हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम होने लगती है तो हमारी मांसपेशियों में इकट्ठा ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदल जाता है और हमारी थकान को दूर करता है।

ग्लूकोज हमारी मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाने का कार्य करता है अगर मांसपेशियों में ग्लाइकोजन की मात्रा है तो इसका अर्थ है कि हमारी मांसपेशियां थकेंगी नहीं। हमारा स्टेमिना बढ़ जाएगा। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि हम बिना थके ज्यादा काम कर सकते हैं।

शरीर को डिहाइड्रेट करता है ग्लूकोज

गर्मी के मौसम में जब लगातार पसीना आता है तब हम बॉडी को तुरंत एनर्जी देने वाला ग्लूकोज पाउडर पीते हैं यह बॉडी को डिहाइड्रेट करके तुरंत एनर्जी देता है।

मधुमेह में लाभदायक है ग्लूकोज

मधुमेह के रोगियों का अचानक शुगर लेवल डाउन होने लगता है। उस समय ग्लूकोज का पानी ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है। शुगर के लेवल को नियंत्रित करता है।

दूर करता है शरीर की थकान

जब भी ज्यादा काम करने के कारण शरीर थकने लगता है। ग्लूकोज शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है। ग्लूकोज थकावट को दूर करके शरीर और दिमाग को स्फूर्ती प्रदान करता है।

थकान को करे दूर
थकान को करे दूर

शरीर को ठंडा करता है ग्लूकोज़

गर्मियों की दोपहर में जब तापमान काफी अधिक होता है। हमारा शरीर का तापमान भी तेजी से बढ़ जाता है। उस समय ग्लूकोज लेने से शरीर का तापमान ठंडा बनाए रखने में मदद मिलती है।

ग्लूकोज़ रखे मांसपेशियों को स्वस्थ

कुछ लोग जिम और एक्साइज करने के बाद ग्लूकोज को एक हेल्थ ड्रिंक की तरह लेते हैं। एक्सरसाइज करते समय ग्लूकोज ग्लाइकोजन में टूट जाता है।

यह ग्लाइकोजन प्रोटीन के साथ मिलकर खून के बहाव में मिल जाता है। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि मांसपेशियों को काम करने में मदद मिलती है और एक्सरसाइज के बाद मांसपेशियों की मरम्मत के लिए ऊर्जा भी मिलती है।

ग्लूकोज रखे शरीर को स्वस्थ

ग्लूकोज में शरीर के लिए आवश्यक सुक्रोज और ग्लूकोज होते हैं जो स्वस्थ शरीर को बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इसमें वसा और फैटी एसिड नहीं होते स्वस्थ व्यक्ति के लिए इसी प्रकार की ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। इस प्रकार ग्लूकोज शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

ग्लूकोस की कमी से शरीर में क्या होता है?

हमारे शरीर को संतुलित और सुरक्षित रखने के लिये शरीर में ग्लूकोज की मात्रा सही होना बेहद जरूरी है।ग्लूकोज़ की कमी होने पर इसके लक्षण समय के साथ बदलते रहते हैं।शरीर में ग्लूकोज़ की कमी होने से कई प्रकार की समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। ग्लूकोज की कमी से निम्नलिखित समस्याएं होती हैं .शरीर से पसीना आना .थकान महसूस करना .सिर चकराना .झुनझुनाहट या कंपकपी होना .दिल की धड़कन का अचानक बढ़ना .व्यवहार में परिवर्तन .शरीर में पीलापन .ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई .नींद अधिक आना .कमजोरी लगना .बेचैनी महसूस होना .मन विचलित होना। उपयुक्त लक्षण दिखने पर डॉ से शीघ्र मिलें।

ग्लूकोज कब पीना चाहिए?

गर्मी के दिनों में हमारे शरीर से पसीना काफी निकलता है, जिसकी वजह से बॉडी में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर अधिक से अधिक पानी का सेवन करने और ग्लूकोज़ पीने की सलाह देते हैं। जब थकान,चक्कर,सिर दर्द,कमजोरी,बेचैनी महसूस हो तब ग्लूकोज का सेवन कर सकते हैं। डॉक्टर विटामिन डी कमी होने पर भी विटामिन डी युक्‍त ग्‍लूकोज पाउडर पीने की सलाह देते हैं। यह मूत्रवधक, हृदयवाही संबंधी स्वास्थ्य, कैल्शियम की कमी होने पर और मधुमेह के रोगियों में अचानक शुगर लेवल डाउन होने पर भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है। ग्लूकोज शरीर को तुरन्त रिलेक्स महसूस कराता है साथ ही ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है।

ग्लूकोज क्या काम करता है?

ग्लूकोज को शायद रक्त शर्करा (ब्लड सुगर) के नाम से जानते हैं। ग्लूकोज शरीर के सभी अंगों के कार्यों को सही तरह से करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा जब सही होती है, तो हम इस पर बिलकुल ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन जब यह स्तर ज्यादा या कम हो जाता है, तो हमे कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है, जो मोनोसैक्राइड कार्बोहायड्रेट की श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि इसमें चीनी का एक ही अणु होता है। ऊर्जा और संचयन के लिए रक्त से ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाता है।वसा के अलावा ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है।

ग्लूकोज दिन में कितनी बार पीना चाहिए?

ग्लूकोज निर्जलीकरण के इलाज में भी सहायता करता है।यह शरीर में विटामिन-डी की कमी को भी पूरा करता है। शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। चिकित्सक के बताये अनुसार ही ग्लूकोज का इस्तेमाल करना चाहिये। ग्लूकोज की कमी की तुरन्त पूर्ति के लिए दो चम्मच ग्लूकोज़ पाउडर एक गिलास ठन्डे पानी में अच्छी तरह मिलाकर पीना चाहिए। हर एक दिन छोड़कर या महीने में किसी भी 10 दिन ग्लूकोज लेना सुरक्षित माना जाता है। ग्लूकोज दिन में एक बार ही सेवन करें या बहुत कमजोरी होने पर दो बार सेवन करें। नोट:ज्यादा सेवन करने से मधुमेह की बीमारी हो सकती है इसलिए डॉक्टर के निर्देशानुसार ही सेवन करें।

माहवारी खुलकर आने के घरेलू उपाय-Masik Dharm Aane Ke Upay In Hindi

गर्भपात

माहवारी शुरू होने से लेकर बन्द होने तक एक महिला बहुत सी समस्याओं से जूझती है। किसी को रक्तस्राव ज्यादा होता है किसी को कम, किसी को गैप होकर पीरियड होते है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे माहवारी खुल कर ना आने की समस्या की, क्योंकि इसके कारण भी कई समस्याए हो सकती है। जैसे प्रजनन क्षमता का घटना या गर्भवती होने में समस्या, वजन बढ़ना, अण्डाशय में ग्रंथियों का बनना, भूख न लगना, चेहरे पर बाल निकलना आदि।

महिलाओं में अल्पस्त्राव की समस्या गलत खान पान से, गलत जीवनशैली से या अत्यधिक तनाव के कारण होती है। हमारे शरीर मे कोई भी रोग वात, पित्त, कफ के असंतुलन के कारण होते हैं। ये असंतुलन पोषक तत्वों की कमी, और अनुचित जीवन शैली, या अन्य कारणों से होता है।

माहवारी खुल कर न होने के कारण-Period Na Aane Ka Reason In Hindi

जब किसी लड़की को माहवारी शुरू होती है, तो शुरू में हो सकता है कि माहवारी खुल कर न हो। ऐसा शुरू के एक वर्ष में हो सकता है। लेकिन अगर एक दो साल बाद भी यही समस्या बनी रहे तो ये चिंता का कारण है।

ज्यादातर इसका कारण यूटरस में किसी दिक्कत, या फिर ओवरी  में ग्रंथियाँ बनने के कारण होता है। माहवारी कम होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • थायरॉइड से संबंधित समस्या का होना।
  • मेनोपॉज के समय पर भी ये समस्या हो सकती है।
  • उचित आहार न लेना जैसे आहार में जरुरी पोषक तत्वों की कमी।
  • तनाव या अवसाद की अधिकता
  • पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम या पॉलिसिस्टिक ओवरियन डिजीज
  • जरूरत से ज्यादा व्यायाम या शारीरिक श्रम करना
  • बहुत लंबे समय तक बीमार रहना
  • गर्भाशय या गर्भाशय नलिका में कोई डिफेक्ट होना
  • महिला एथलीट्स द्वारा या फिटनेस के लिए स्टेरॉयड का सेवन करना।

माहवारी खुलकर आने के घरेलू उपाय

हल्दी

हल्दी की तासीर गर्म होने के कारण इसका उपयोग बहुत ही फायदेमंद है। गरम पानी में या एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर मासिक धर्म की निर्धारित तिथि से पाँच दिन पहले सुबह-शाम पीना शुरू करे। इससे न केवल माहवारी खुल कर आएगी बल्कि हेल्थ के लिए भी अच्छा रहेगा।

हल्दी
हल्दी

गाजर के बीज

गाजर में कैरोटीन होता है, जिससे शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ जाता है। इससे मासिक स्राव खुलकर तथा समय पर होता है। इसके लिए आप गाजर के बीज को पानी मे उबाल कर उस पानी को दिन में तीन बार पिए।

तिल

तिल को आप लड्डू के रूप में या भूनकर ऐसे ही खा सकती है। मासिक धर्म शुरू होने के दस दिन पहले से ही एक चम्मच तिल में गुड़ मिलाकर खाएँ। यह माहवारी में कम रक्तस्राव की समस्या को ठीक करता है।

अदरक

अदरक का ज्यादा से ज्यादा से उपयोग करें, एक चम्मच अदरक के रस में एक चम्मच गुड़ मिलाकर खाएँ। इसके अलावा अदरक को पानी मे उबालकर उस पानी को भी पीया जा सकता हूं।

पपीता

पीरियड होने से 4 दिन पहले एक प्लेट पपीते का फल खाएं। इसमें मौजूद कैरोटी एस्ट्रोजन हार्मोन को उत्तेजित करता है। इसके सेवन से मासिक स्राव समय पर एवं खुलकर होता है।

धनिया

धनिया की पत्ती को अच्छे से साफ करके पानी मे उबाल लें, इस पानी को दिन में तीन बार 50ml पिए। यह उपाय भी माहवारी में कम रक्तस्राव होने पर लाभ दिलाता है।

मेथी

मेथी का प्रयोग केवल माहवारी के समय नही बल्कि रेगुलर किया जा सकता है। इसके लिए रोज रात को एक चम्मच मेथी भिगो दें, सुबह आधा चम्मच भीगी मेथी पानी से निगल ले। लगातार ऐसा करने से हॉर्मोनल समस्याए भी दूर होंगी।

इन सब उपायों के अलावा आपकी अपनी जीवनशैली में भी बदलाव लाना होगा ताकि समस्या जड़ से दूर हो जाये।

  • विटामिन एवं खनिज जैसे पोषक तत्व से भरपूर भोजन करे।
  • सब्जियाँ, दाल, अंकुरित अनाज एवं सूखे मेवों का सेवन करें।
  • केवल मौसमी फल खाएं
  • तनाव को दूर करने के लिए ध्यान, योग, म्यूजिक का सहारा ले।
  • अत्यधिक शारीरिक श्रम एवं व्यायाम से बचें।
  • नियमित रूप से सुबह प्राणायाम एवं योगासन करें।
  • पैकेजिंग वाले और जंकफूड से बचे।

जानिए कैसे करे चेहरे पर गड्ढे का इलाज-Chehre Ke Gadde Ka Ilaj

चेहरे पर गड्ढे का इलाज

हर कोई चाहता है कि उसका चेहरा बेदाग और सुंदर हो। लेकिन कई बार किसी न किसी वजह से चेहरे पर गड्ढे होे जाते हैं। चेहरे पर इन दाग-धब्बों और गहरे गड्ढों के होने के कई कारण हो सकतें हैं…जैसे पिंपल का होना,चेचक के दाग या फिर किसी चोट की वजह। इनको दूर करने के लिए कई लोग कई तरह के मेडिसीन का प्रयोग करते है। पर कभी-कभी कभी उनके साइडइफेक्ट भी होते हैं। पर आज हम आपको चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय बता रहे है जिसका कोई साइडइफेक्ट नही है।

चेहरे पर गड्ढे का इलाज-Chehre Ke Gadde Ka Ilaj

चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय-चंदन

चेहरे के गड्ढे भरने के लिए एक चम्मच चन्दन पाउडर में एक चम्मच ग्लिसरीन और तीन चम्मच गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आधा घंटा चेहरे पर लगाने के बाद धो लें। इससे चेहरा साफ होने लगेगा और गाल के गड्ढे भी भरने लगेंगे।

चेहरे पर गड्ढे का इलाज-नीबू और हल्दी

चेहरे पर गड्ढे का इलाज करने के लिए नींबू के रस में चुटकी भर हल्‍दी मिलाकर उसका पेस्‍ट तैयार कर ले। फिर कुछ मिनट तक गड्ढ़ों वाली स्किन पर लगाकर धो ले।

चेहरे के गड्ढे भरने का तरीका-दही

दही भी चेहरे के गड्ढे भरने के लिए उपयोगी होता है। इसके लिए आप एक कटोरी दही में नींबू के रस को मिलाकर उसका पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को चेहरे पर लगाए, सुखने के बाद पानी से चेहरा धुल ले।

चेहरे पर गड्ढे का घरेलू इलाज-दालचीनी

दालचीनी पिंपल्‍स की वजह से होने वाले चेहरे के गड्ढों के लिए बेहतरीन उपाय है। एक बाउल में दालचीनी पाउडर और शहद को मिलाएं। अब इस पेस्‍ट को चेहरे के गड्ढे पर लगा लें और फिर उसे रातभर के लिए ऐसे ही लगा हुआ छोड़ दें। अब सुबह में चेहरे को गुनगुने पानी से धो दें। ये उपाय पिंपल्‍स की वजह से चेहरे पर पड़ने वाले गड्ढों के लिए बहुत ही प्रभावी है।

चेहरे पर गड्ढे का इलाज-नींबू के पत्ते

नींबू के पेड़ के पत्तों को पीस कर इसमें समान मात्रा में हल्दी का पेस्ट मिला ले और अपने चेहरे पर मले, हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते है जो गड्ढे जल्दी भरने में कारगर है। अगर नींबू के पेड़ के पत्ते ना मिले तो आप नींबू का रस भी इस्तेमाल कर सकते है। इस नुस्खे को दो हफ़्तों तक करे। चेहरे के गड्ढे जल्दी भर जायेगे।

चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय-बेसन

बेसन, दूध और नींबू का रस इन तीनो को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। फिर इस पैक को हफ्ते में एक बार फेस पर लगाएं। इससे  चेहरे पर कसावट आकर गड्ढे भी ठीक हो जाएंगे।

चेहरे के गड्ढे भरने का तरीका-शहद

सबसे पहले तीन से चार बूंद नींबू के रस को शहद के साथ मिला लें। अब इस पेस्‍ट को अपने चेहरे पर लगा लें।  कुछ समय के लिए इस पेस्‍ट को चेहरे पर ऐसे ही लगा हुआ छोड़ दें और जब ये सुख जाये तो चेहरे को पानी से धो लें। आप चाहे तो शहद रोज दिन में 3 से 4 चमच्च शहद में नींबू का रस मिलाकर अपने चेहरे की मालिश करें। फिर थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धो लें। इससे भी गाल के गड्ढे जल्दी भरने लगेंगे

चेहरे पर गड्ढे का घरेलू इलाज-बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा त्वचा के रोम छिद्र को खोलता है. हफ्ते मे 1 या 2 बार एक चमच बेकिंग सोडा मे पानी मिलाकर मुहासों और गड्ढो पर लगाये और पांच से दस मिनट तक सुखाने के बाद धो ले.

चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय-एलोवेरा

एलोवेरा चेहरे के गड्ढ़े भरने के साथ-साथ चेहरे की सुंदरता को भी बढ़ा देता हैं। एलोवेरा के इस्‍तेमाल से स्किन पर एक्‍ने, पिंपल्‍स और कील मुंहासे आदि के कारण हुए गड्ढे भर जाते हैं। फेस के गड्ढे भरने के लिए रात को सोने से पहले एलोवेरा में विटामिन-ई ऑयल मिलाकर फेस पर लगाये और सुबह चेहरे को पानी से धो लें। इस उपाय को कुछ दिन अपनाने से ही समस्‍या दूर होने लगती है

चेहरे पर गड्ढे का इलाज-मुल्तानी मिट्टी

चेहरे के गड्ढों को भरने के लिए मुल्तानी मिट्टी में नींबू का रस और गुलाब जल को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं। करीब आधे घंटे बाद इसे धो लें, इसके लगातार प्रयोग से गाल के गड्ढे भरने लगेंगे।

चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय-पुदीने की पत्तियां

पुदीने की पत्तियों में पिंपल्‍स से लड़ने के गुण होते हैं और ये मुहांसों की वजह से पड़ने वाले गड्ढों के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है। सबसे पहले पुदीने की पत्तियों का रस निकाल लें। अब इस रस को गाल के गड्ढों पर अच्छे से लगाएं। चेहरे पर इस पेस्‍ट को सूखने दें और फिर उसे ठंडे पानी से धो लें।

क्या है ग्रीन टी पीने के फायदे और नुकसान-Tulsi Green Tea Benefits In Hindi

Tulsi Green Tea Benefits In Hindi

भारत मे तुलसी पौधे की पवित्रता, महत्व और गुणों के बारे में आप सब जानते ही है। भारत में एक पवित्र पौधे के रूप में तुलसी की पूजा की जाती है जो चिकित्सीय शक्तियों के रूप में जाना जाता है। ज्यादातर घरों में इसे रोपा जाता है। Tulsi Green Tea Benefits जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि तुलसी ग्रीन टी में कौन से लाभदायक तत्व होते है।

तुलसी की चाय में पाए जाने वाले पोषक तत्व

  • बी CARYOPHYLLENE
  • एस्कॉर्बिक एसिड
  • कैरोटेन (विटामिन ए)
  • रोजमरारी एसिड
  • यूआरएसओएलआईसीआई एसिड
  • APIGENIN
  • सेलेनियम
  • जस्ता
  • मैंगनीज

क्यों है Tulsi Green Tea चाय कॉफी से बेहतर

  • तुलसी ग्रीन टी में आर्टिफिशल मिठास नही होती
  • तुलसी ग्रीन टी में कोलेस्ट्रॉल नही होता
  • तुलसी ग्रीन टी में सैचुरेटेड फैट नही होता
  • ये टी कैफीन से मुक्त होती है
  • तुलसी ग्रीन टी में फाइबर, कैल्सियम, आयरन की मात्रा पाई जाती है।तुलसी ग्रीन टी
    तुलसी ग्रीन टी
    तुलसी ग्रीन टी

Green Tea Ke Fayde-Tulsi Green Tea Benefits In Hindi

तुलसी ग्रीन टी का सेवन आप रोज कर सकते है लेकिन उसे सही तरीके से बनाना चाहिए। तुलसी ग्रीन टी लेने का सबका उद्देश्य अलग अलग होता है, कुछ लोग वजन कम करने के लिए तुलसी ग्रीन टी पीते हैं जबकि दूसरे इसके एंटीऑक्सिडेंट और अन्य स्वास्थ्य लाभों की वजह से लेते हैं।

रिसर्च बताती है कि ग्रीन टी में फैट और प्रोटीन जैसे मैक्रो पोषक तत्वों का अवशोषण कम होता है। इसलिए भोजन और तुलसी ग्रीन टी के बीच मे कम से कम दो घण्टो का गैप हो।

  • तुलसी ग्रीन टी शरीर की चयापचय को बढ़ाकर और फैट के अवशोषण को रोक देती है। इसलिए ज्यादा फायदे के लिए बहुत से लोग दिन में तीन से पांच कप तुलसी ग्रीन टी पीने लगते है। यूँ तो आप तुलसी ग्रीन टी कितनी बार भी ले सकते है फिर भी इसके सेवन को एक कंट्रोल में रहकर करे।
  • Tulsi ग्रीन टी को यदि हल्दी के साथ लिया जाए तो गले और छाती से सम्बंधित समस्याओं को दूर करती है।
  • तुलसी ग्रीन टी शरीर मे बनने वाले एसिड के स्तर को कम कर बैलेंस करता है, जिससे एसिडिटी की समस्या दूर होती है।
  • तुलसी ग्रीन टी में phytonutrients जैसे पोषक तत्व होते है जिससे ब्रेस्‍ट कैंसर और प्रो-स्‍टेट कैंसर जैसे रोगों को शरीर में पनपने नहीं देता।
  • Tulsi ग्रीन टी तुलसी की चाय पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। तुलसी की चाय में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण अस्थमा से बचाता है।
  • Tulsi Green Tea में होते है एंटीऑक्सिडेंट्स और प्राकृतिक फिटोकेमिकल्स, ये तत्व स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होते है।
  • मुख्य रूप से Tulsi Green Tea इम्युनिटी सिस्टम, रेस्पिरेटरी सिस्टम, डायजेस्टिव और नर्वस सिस्टम की बेहतरी का काम करता है।
  • इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टी, और इम्युनिटी डवलप करने वाले गुणों के कारण ये सर्दी ज़ुकाम, खाँसी, बाहरी इन्फेक्शन, फ्लू में सुधार करती है।
  • Tulsi green tea भूख को बढ़ाती है, पाचन को बढ़ाती है। और जब आपको खुलकर भूख लगेगी और पाचन सही रहेगा तो मानसिक शांति खुद ब खुद मिलेगी। इसलिए ही ये कहा जाता है कि यह गुस्से को शांत करने और तनाव से मुक्त रहने में मदद करती है।

Tulsi Green Tea के नुकसान

जिस चीज़ के फायदे हो उसके नुकसान भी जानना जरूरी है। तो आपको बताते है तुलसी ग्रीन टी के नुकसान

  • Tulsi Green Tea की ज्यादा मात्रा विषाक्त साबित हो सकती है।
  • Tulsi Green Tea को खून का थक्का जमाने वाली दवाइयों के साथ बिल्कुल ना ले।
  • हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित लोग तुलसी ग्रीन टी का ज्यादा सेवन न करे। इससे रक्त शर्करा में अत्यधिक कमी हो सकती है।
  • तुलसी गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय के संकुचन को एब्नॉर्मल तरीके से बढ़ा सकती है, साथ ही गर्म तासीर होने के कारण गर्भ को नुकसान पहुँचा सकती है।

मेथी के फायदे बालों के लिए | Methi Ke Fayde Balo Ke Liye

मेथी के फायदे बालों के लिए

आज के समय में बालों की समस्याओं जैसे की बालों का झड़ना, बालों का सफ़ेद होना, गंजापन, सिर में खुजली और डैंड्रफ आदि से ज्यादात्तर लोग परेशान है। लोग इसके लिए बहुत से उपाय करते है। महंगे से महंगे तेल भी खरीदते है, बड़े बड़े सलून और डॉक्टर्स के चक्कर लगाते है पर ये सब इलाज भी कुछ काम नहीं आते।

ऐसे में आप ही के रसोई घर में उपलब्ध एक छोटी सी चीज बालो के लिए वरदान साबित हो सकती है। ये छोटी सी चीज है मेथी दाना या मेथरे। मेथी जितनी ज्यादा शरीर के लिए अच्छी होती है उतनी ही बालों के लिए भी। मेथी के फायदे बालों के लिए कई है। बालों पर मेथी लगाने से बाल मजबूत और घने होते है। इतना ही नहीं मेथी बालों को झड़ने से भी बचाती है।

मेथी क्या है?

मेथी एक प्रकार की हरी सब्जी है जिसे कई तरह से अपने खाने में शामिल किया जाता है। मेथी कई तरह से इस्तेमाल की जाती है। यह हरी सब्जी के रूप मे काम मे ली जाती है। इसे सूखा कर मसालों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं मेथी के दानो को भी साबुत मसालों की तरह ही सब्जी पकाने में उपयोग किया जाता है।

मेथी दाना या मेथरे को बहुत से घरेलू नुस्खों में इस्तेमाल किया जाता है। मेथी के कई फायदे है जैसे की इसके सेवन से रक्तचाप सामान्य रहता है। मेथी वजन घटाने में भी मदतगार है। मेथी का सेवन करने से त्वचा और बालो को भी कई लाभ मिलते है। आज इस लेख में हम जानेगे क्या है मेथी के फायदे बालों के लिए।

मेथी के बीज
मेथी के बीज

मेथी के फायदे बालों के लिए | Methi Ke Fayde Balo Ke Liye

बालों के लिए मेथी एक वरदान है। मेथी के उपयोग से बालों को बहुत से फायदे होते है। चलिये जानते है मेथी के फायदे बालों के लिए।

  • मेथी के उपयोग से बालों को घना किया जा सकता है।
  • मेथी के इस्तेमाल से सफ़ेद बालों से छुटकारा मिल जाता है।
  • मेथी बालों को बढ़ाने मे मदद करती है।
  • मेथी के उपयोग से बालों को प्रोटीन व निकोटिनिक एसिड के प्रचुर मात्रा मिल जाती है।
  • मेथी बालों को झड़ने से बचाता है।
  • मेथी का उपयोग करने से बाल कम टूटते है।
  • मेथी के दाने का उपयोग करने से बालों को मुलायम बनाया जा सकता है।
  • मेथी के इस्तेमाल से बालों मे चमक आती है।

बालों के फायदे के लिए मेथी कैसे काम मे ले-Methi Dana For Hair In Hindi

बालों के फायदे के लिए मेथी को आप अलग अलग तरीको से काम मे ले सकते है। चलिये जानते है कैसे मेथी को काम मे कैसे लेना चाहिए।

मेथी हेयर पैक

  • रात मे पहले गुनगुने पानी मे मेथी के दाने डाल कर भीगने के छोड़ दे।
  • अगले दिन भीगी हुई मेथी का पेस्ट बना लेना है।
  •  अब इस पेस्ट को बालों पर इसके साथ जड़ तक लगाना है।
  • अब बालों को 30 मिनट तक छोड़ दे।
  • 30 मिनट बाद मे बालों को अच्छे से धो ले।

कोकोनेट मिल्क एंड मेथी हेयर पैक

बालों को मजबूत व मुलायम बनाने के लिए आप मेथी को नारियल के दूध व नींबू के साथ मेथी काम मे ले सकते है। यह आपके बालों के लिए फायदेमंद रहेगा।

  • सबसे पहले रात मे गुनगुने पानी मे रात मे दो चम्मच मेथी के दाने भिगोने के लिए छोड़ दे।
  • सुबह तक मेथी पेस्ट के तरह बन जाएगी इससे अच्छे से पेस्ट कर ले।
  • इस पेस्ट मे एक चम्मच नीबू का रस व कोकोनेट मिल्क मिला ले।
  • इससे बालों मे अच्छे लगा कर 20 मिनट तक सूखने के छोड़ दे।
  • अब एक बार बालों की मालिश कर ले बाद मे इसे शैम्पू से धो ले।

सिर में खुजली होने लक्षण और सिर में खुजली के उपाय-Khujli Ke Upay

सिर में खुजली

दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको सिर में खुजली के कारण तथा खुजली के घरेलू उपाय क्या है। आपको यह भी बताएंगे कि यह समस्या क्यों उत्पन्न होती है।

यह हमेशा देखा गया है कि सिर में खुजली की कई वजह हो सकती है क्योंकि हमारा दैनिक जीवन अथवा दैनिक खानपान पर यह समस्या निर्भर करती है। दोस्तों सिर में खुजली होना एक आम बात है तथा इससे ज्यादा भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह एक आम बीमारी भी हो सकती है या किसी अन्य परजीवी का आक्रमण भी हो सकता है।

फिर भी हमारी कुछ असावधानी के वजह से यह समस्या एक विकराल रूप धारण कर सकती है। अगर इसका समय पर निवारण नहीं किया गया तो यह हमारे दैनिक जीवन पर भी असर डाल सकती है। इस लेख के माध्यम से हम आपको विस्तृत जानकारी देंगे।

क्या है सिर की खुजली

यह एक प्रकार की कष्टदायक खुजली होती है, जिससे आपको खुजली करने की इच्छा होती है साथ ही इससे बार-बार सिर में खुजली करने पर सूजन भी हो सकती है। इसका एक यह भी कारण है कि जब हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो हमारी कोशिका है मरने लगती है और वह बालों के बीच में फस कर सिर में ही रह जाती है।

जिससे विभिन्न प्रकार के फंगस तथा रिंग वार्म भी लग जाते हैं जिससे हमारे सिर में खुजली होना चालू हो जाती है। यह एक चर्म रोग के दायरे में आने वाली समस्या है। इस रोग अथवा समस्या का समाधान आपके आस पास के अस्पताल में आसानी से हो जाता है तथा कुछ कम खुजली होने पर इसका उपचार अपने घर में ही कर सकते हैं।

सिर की खुजली
सिर की खुजली

सिर में खुजली होने के लक्षण

दोस्तों सिर में खुजली होना एक आम बात है। इसे ज्यादा गंभीरता से लेना उचित नहीं होता है। लेकिन कभी-कभी जब हमें इसका मुख्य कारण पता नहीं होता है तो यह एक कष्टदायक समस्या बन सकती है।

जब यह समस्या बढ़ने लगती है तो इसके लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होने लगते हैं। इन लक्षणों को पहचानना बड़ा आसान होता है लेकिन आम खुजली हो तो इसे आसानी से पहचान सकते हैं परंतु जब किसी अन्य परजीवी अथवा फंगस अथवा रिंगवर्म का आक्रमण होता है तो तब इनके लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि सूक्ष्म जीवी होते हैं तो इनके लक्षण भी विशेष प्रकार के होते हैं।

आइए जानते हैं किस तरह के यह लक्षण प्रकट करते हैं।

  • जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ने लगती है वैसे वैसे हमारे बालों का झड़ना चालू हो जाता है और हम गंजे हो जाते हैं।
  • सिर में रूखी त्वचा उत्पन्न होने लगती है सिर में एक सफेद रंग की पपड़ी जमने लगती है।
  • अगर समस्या ज्यादा हो गई हो तो सिर में घाव भी बनना चालू हो जाते हैं।
  • जब समस्या का दायरा बढ़ जाता है तो हल्का बुखार तथा त्वचा में जलन होने लगती है।

सिर में खुजली होने के कारण

दोस्तों सिर में खुजली कई कारणों से हो सकती है जिनमें से कुछ को पहचानना बिना डॉक्टर के कठिन होता है तथा कुछ को आप आसानी से पहचान सकते हैं जो इस प्रकार है।

  • सिर में खुजली होने का सबसे पहला कारण है डैंड्रफ।
  • अस्थमा और फीवर जैसी एलर्जी एक मुख्य कारण है।
  • सिर में खुजली का एक और कारण तनाव भी है।
  • नींद की कमी के कारण भी सिर में खुजली हो सकती है।
  • बालों में ठीक तरह से तेल नहीं लगाना।
  • खुजली ठंड के मौसम में अथवा शुष्क मौसम में अधिक उत्पन्न होती है।
  • लोगों को अधिक पसीना यह भी एक मुख्य कारण में से एक है।
  • फंगस तथा रिंग वर्म का संक्रमण कारण से हो सकती है।

सिर में खुजली रोकने के घरेलू उपाय-Khujli Ke Upay

नींबू के रस

नींबू के रस को आप अपने सिर में 10 से 15 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दे और फिर इसे पानी से धोकर सुखा लें आप ऐसा एक से दो बार करें तो आपको इस समस्या से निजात मिल सकती है।

प्याज का रस

प्याज का रस भी यह समस्या को मिटाने में कारगर साबित होता है। इसको आप कम से कम 15 मिनट के लिए अपने सिर पर लगाकर छोड़ दे इसके बाद आपको पानी से धोकर बालों को सुखा लेना है इससे आपकी समस्या कम हो जाएंगे।

गेंदे का फूल

गेंदे का फूल भी एक एंटीबैक्टीरियल गुण रखता है इसका उपयोग करके आप अपने सर की खुजली को मिटा सकते हैं।

दही

दही एक महत्वपूर्ण खुजली नाशक औषधि के रूप में काम करता है क्योंकि यहां खट्टा होता है जिसके वजह से सर में जमी हुई सफेद पपड़ी अथवा डैंड्रफ को आसानी से यहां निकाल देता है।

थायराइड का रामबाण इलाज है ये घरेलु उपाय | Thyroid Ke Gharelu Upay

थायराइड का घरेलु इलाज

थायराइड हमारे गले में आगे की तरफ पाए जाने वाली तितली के आकार की ग्रंथि होती है। यह ग्रंथि हमारे शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करती है। यह हमारे भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। थायराइड ग्रंथि हार्मोंन का निर्माण करती है। इन हार्मोंस के असंतुलित हो जाने के कारण ही शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है, जब ऐसा होता है तो उसे थायराइड की समस्या कहते हैं। पुरुषो की अपेक्षा महिलाओ मे थायराइड की समस्या ज्यादा होती है। नीचे थायराइड की समस्या से निजात पाने के कुछ घरेलू उपचार बताऐ गए है जो थायराइड का रामबाण इलाज है, इस प्रकार है।

थायराइड का रामबाण इलाज-Thyroid Ke Gharelu Upay

थायराइड का घरेलू उपचार है सेब का सिरका-Thyroid Ke Upay

सेब के सिरके को शहद और पानी मे मिलाकर ले सकते है। यह हार्मोन के संतुलित उत्पादन में मदद करता है। शरीर के वसा को रेग्युलेट करने, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायक है।

मुलेठी-Thyroid Ke Gharelu Upay

थायराइड के मरीज जल्दी थक जाते है इसलिए थाइराइड के मरीजों को मुलेठी का सेवन करना बहुत लाभदायक होता है। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।

लौकी का जूस-Thyroid Ka Ilaaj

थायराइड की बीमारी से अगर आप छुटकारा पाना चाहते है तो रोज सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिए, रोजाना ऐसा करने जल्दी ही आपकी थायराइड की बीमारी ठीक हो जायेगी।

बादाम-Gharelu Nuskhe For Thyroid

थायराइड के मरीजो के लिए बादाम सबसे उपयुक्त हैं। यह प्रोटीन, फाइबर और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। बादाम में सेलेनियम होता है जो थायराइड हेल्दी न्यूट्रिएंट है। यह मैग्नीशियम में भी बहुत समृद्ध है जो थायरायड ग्रंथि को आराम से काम करने में मदद कर सकता है। रोजाना बादाम का सेवन करे।

बादाम
बादाम

दूध और इससे बने पदार्थ-Thyroid Ke Upay

दूध, पनीर और दही थायराइड के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं जो लोग थायराइड की समस्या से ग्रसित है उन्हे दही और दूध का सेवन अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स थायराइड से ग्रसित लोगों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं। ये आयोडीन में हाई होते हैं जो थायराइड के सही तरह से काम के लिए आवश्यक है।

रोजमेरी एसेंशियल आयल-Thyroid Ke Gharelu Upay

रोजमेरी तेल की तीन-चार बूंदें को एक चम्मच नारियल तेल में मिक्स कर दें। अब इस तेल को थायराइड के एक्यूप्रेशर पॉइंट पर लगाएं। ये पॉइंट गले, टांग के निचले हिस्से और पैर के नीचे होते हैं। इन पॉइंट्स पर करीब दो मिनट तक मालिश करें। रोजमेरी  हायपरथायरॉडिज्म के लिए लाभकारी हो सकता है।

थायराइड का रामबाण इलाज है हल्दी-Thyroid Ka Ilaaj

हल्दी का सेवन और साथ ही आयोडीन युक्त नमक का उपयोग किया जाए, तो गॉइटर की समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है हल्दी का उपयोग खाना बनाने के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधि की तरह भी किया जा सकता है। इसका उपयोग थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार करने के तौर पर भी किया जा सकता है। इसमें मौजूद इंटीइंफ्लेमेटरी गुण के कारण यह थाइराइड की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।

सेज की चाय-Gharelu Nuskhe For Thyroid

सेज की पत्तिया इसे तेजपत्ता भी कहा जाता है।एक पैन में पानी डालकर उसे गर्म करने के लिए रखें। जब पानी उबलने लगे, तो उसे गैस से उतार लें। अब इसमें ताजा या सूखे दो चम्मच सेज की पत्तियों को डालकर पांच से दस मिनट के लिए छोड़ दें। अब इस मिश्रण को छानकर एक कप में डाल लें, ताकि सेज के पत्ते अलग हो जाएं। फिर इस मिश्रण में स्वाद के लिए नींबू और शहद को मिक्स करके सेवन करें।

लहसुन-Thyroid Ka Desi Ilaj

रोज सुबह लहसुन की एक या दो कलियों का सेवन किया जा सकता है। अगर लहसुन खाने का मन नहीं करता है, तो लहसुन को सब्जी में उपयोग करके खा सकते हैं। स्वास्थ्य के लिए लहसुन के कई फायदे हैं और थाइराइड भी उन्हीं में से एक है।

अदरक-Thyroid Ke Upay

सबसे पहले अदरक को बारीक टुकड़ों में काट लें। इसके बाद पानी को गर्म करें और अदरक के टुकड़े उसमें डाल दें। अब पानी को हल्का गर्म होने के लिए रख दें। फिर उसमें शहद डालकर मिक्स करें और चाय की तरह पिऐ। अदरक को ऐसे ही साबुत चबाकर भी खाया जा सकता है।

अदरक थायराइड के सही तरह से काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण घरेलू उपाय हो सकता है।

अलसी-Thyroid Ke Gharelu Upay

एक चम्मच अलसी के पाउडर को पानी या फिर फलों के रस में डालें। अब इसे अच्छी तरह मिक्स करें और पिएं। इस मिश्रण को प्रतिदिन एक से दो बार पी सकते है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है और जो हायपोथायरॉडिज्म के जोखिम से बचाव चाहते हैं, वो इसका सेवन कर सकते हैं।

तुलसी-Thyroid Ka Ilaaj

एक पैन में पानी को उबाले फिर इसमें तुलसी के आठ दस पत्ते,  एक टूकड़ा अदरक कद्दूकस करके डाले और एक या दो इलायची को डालकर लगभग 10 मिनट तक उबाले। अब चाय को छानकर इसमें शहद या चीनी और नींबू के रस को डालकर गर्मा-गर्म पिएं।

अगर किसी को तुलसी की चाय नहीं पसंद, तो सिर्फ तुलसी के पत्तों का भी सेवन किया जा सकता है। इसमें एंटी-थायराइड गुण मौजूद होते हैं और इसी आधार पर थायराइड के इलाज के लिए तुलसी का सेवन करने का सुझाव दिया जा सकता है

 नारियल तेल-Thyroid Ke Upay

रोज एक गिलास पानी में नारियल तेल मिलाकर सेवन कर सकते हैं। अगर ऐसे नहीं पसंद, तो नारियल के तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए कर सकते हैं। थायराइड रोग का उपचार करने के लिए नारियल तेल अच्छा उपाय साबित हो सकता है। यह थायरायड ग्रंथि को सही तरीके से काम करने में मदद करता है।

साबुत धनिये का उपयोग-Gharelu Nuskhe For Thyroid

एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिये को रातभर भिगोकर रख दे, सुबह इसे मसलकर उबाल लें। जब पानी चौथाई भाग उबल कर रह जाये तो इसे खाली पेट पी लें, और साथ मे गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें। ऐसा लगातार करने से थायरायड की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

लिकोरिया क्या होता है? लिकोरिया का घरेलू उपाय? कैसे करे इसको ठीक?

लिकोरिया का घरेलू उपाय

लिकोरिया क्या होता है, लिकोरिया क्यों होता है लिकोरिया का घरेलू उपाय, इसकी पूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल में अवश्य मिलेगी।

लिकोरिया, यह महिलाओं में तेजी से बढ़ता हुआ रोग माना जाता है। हालांकि लिकोरिया खुद एक बीमारी नहीं है। लेकिन कुछ बीमारियों के कारण महिलाओं को लिकोरिया जैसी समस्या उत्पन्न होती है।

लिकोरिया क्या है ?

लिकोरिया को हिंदी में श्वेत प्रदार्थ या जनरल भाषा में सफेद पानी भी कह सकते है। यह लक्षण सामान्यतः सभी महिलाओं में दिखाई देते हैं। लेकिन जब योनि मार्ग से सफेद पानी की मात्रा बहुत ज्यादा हो तो, वह एक रोग हो सकता है।

यह सफेद पानी महावारी से कुछ दिन पहले महिलाओं के योनि मार्ग से निकलता है। जिसे लिकोरिया कहते हैं। लेकिन यह पानी ज्यादा मात्रा में निकले तो इसके बारे में जल्दी ही डॉक्टर से संपर्क करके उचित ट्रीटमेंट लिया जाना चाहिए, क्योंकि भारतीय महिलाओं में शर्म के चक्कर में इस बीमारी के बारे में किसी को नहीं बताते हैं, और इसका उचित ट्रीटमेंट नहीं ले पाते हैं।

ऐसे में इस बीमारी के कारण शरीर का वजन करता है, शरीर कमजोर होता है, तथा अन्य कई लक्षण देखने को मिलते हैं।

लिकोरिया के लक्षण व सफेद पानी आने का कारण

  1. योनि क्षेत्र में खुजली होना
  2. योनि के बाहरी भाग में हल्की सूजन आना
  3. योनि में खिंचाव होना
  4. कमर दर्द होना
  5. चिड़चिड़ापन व्यवहार रहना
  6. शरीर में कमजोरी का एहसास होना
  7. शरीर के वजन का अत्यधिक मात्रा में घटना
  8. चक्कर आना
  9. बार-बार जी मिचलाना
    योनि क्षेत्र में खुजली होना
    योनि क्षेत्र में खुजली होना

यह सफेद पानी निकलने की बीमारी लिकोरिया हर कोई महिला या लड़की में हो सकती है। चाहे वह विवाहित हो यह अविवाहित इस प्रकार की बीमारी होना, सफेद पानी का आना मतलब यह है कि मन में बार-बार संभोग के प्रति उत्तेजना या अत्यधिक संभोग बनाना हो सकता है। 1 से अधिक लोगों के साथ एक साथ लंबे समय तक संबंध बनाने के कारण भी इस प्रकार की बीमारी हो सकती है। कई बार यह बीमारी नवजात लड़की में भी हो सकती है।

ऐसे में नवजात लड़की में माता द्वारा एस्ट्रोजन की मात्रा अत्यधिक मिलने पर नवजात लड़की के योनि से सफेद पानी निकलना शुरू होता है। यह बीमारी अत्यधिक बार लगातार उपवास करने या भूखे रहने से भी हो सकती है। इसके अलावा मन में या किसी के साथ संपूर्ण से संबंधित तथा अश्लील तरीके से वार्तालाप करने पर भी योनि से सफेद पानी निकलता है। संभोग के दौरान कई प्रकार के उलटे आसनों का प्रयोग करना, संभोग बनाने के बाद योनि को अच्छी तरह से नहीं धोना, बार बार गर्भपात भी इस बीमारी का एक कारण है। कई बार यह बीमारी सूक्ष्मजीवों के समूह के कारण भी हो जाती है

घरेलू नुस्खे फॉर लिकोरिया इन हिंदी

लिकोरिया का सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी घरेलू उपाय योनि की साफ सफाई से रखना है। योनि की साफ सफाई के लिए फिटकरी के पानी से योनि को संबंध बनाने के बाद अच्छी तरह से धो लें फिटकरी जीवाणु नाशक औषधि मानी जाती है। योनि की अंदरूनी सफाई के लिए पिचकारी से आयुर्वेदिक तेल तथा बोरिक एसिड के का प्रयोग किया जा सकता है।

मिथुन या संबंध बनाने के पश्चात योनि की साबुन से अवश्य सफाई करे। हर बार मल मूत्र त्याग के पश्चात जननांग योनि को साबुन से अच्छी तरीके से धोएं। बार बार गर्भपात करने से बचें क्योंकि बार-बार गर्भपात करना भी लिकोरिया बीमारी का लक्षण है।
एक अथवा दो संतान प्राप्त होने के बाद महिला की या उसके पति की नसबंदी अवश्य करवा लें। ऐसा करने पर बार बार गर्भपात जैसी समस्या नहीं होगी।

भारतीय महिलाओं में शर्म को लेकर सबसे बड़ी चिंता रहती है। इस प्रकार की बीमारी होने के बाद शर्म की चिंता को छोड़कर महिला विशेषज्ञ से इस बीमारी के बारे में सलाह ले लें। जननांग क्षेत्र को ज्यादा पानी में गिला रखने से बचें योनि को संबंध के बाद धोने के पश्चात अच्छे से पोछ ले ज्यादा समय तक योनि को गिला नहीं रखें ऐसे में कई ऐसे बैक्टीरिया मर जाते हैं। जो आपकी योनि को कई रोगों से बचाते हैं। योन संबंध के दौरान कई प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए कंडोम का इस्तेमाल करें। मधुमेह रोग से ग्रस्त महिलाओं को रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

आपने क्या सीखा लिकोरिया के बारे में

हम उम्मीद करते है, कि लिकोरिया क्या है, सफेद पानी का इलाज और लिकोरिया से बचने के घरेलु उपाय क्या क्या है, इसकी पूरी जानकारी आपको मिल चुकी होगी, और अगर फिर भी आपके मन में इससे रिलेटेड कोई भी सवाल है, तो हमसे कमेंट करके पूछ सकते है, हम जल्द ही जबाब देंगे।

तो दोस्तों अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर से जरूर शेयर करे।

क्या है नोरोवायरस के लक्षण और इलाज-Norovirus ke lakshan aur Ilaz

क्या है नोरोवायरस के लक्षण और इलाज

रात दिन मिलने वाली नयी नयी बीमारियां और होने वाली मेडिकल रिसर्च से पता चलता है कि कोरोना वायरस, टोमैटो फ्लू, निपाह और स्वाइन फ्लू के बाद अब केरल में नोरोवायरस (Norovirus) का मामला भी सामने आया है, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि दो स्कूली बच्चे नोरोवायरस से संक्रमित मिले हैं, उन्होंने बताया कि तिरुवनंतपुरम के एक स्कूल में फूड पॉइजनिंग और डायरिया की शिकायत आने के बाद दो बच्चों के सैम्पल की जांच की गई, जिनमें नोरोवायरस की पुष्टि हुई, फिलहाल दोनों बच्चों की हालत स्थिर है…!

केरल में नोरोवायरस का पहला मामला नवंबर 2021 में सामने आया था. तब वायनाड में एक वेटरनरी कॉलेज के 13 छात्र इस वायरस से संक्रमित मिले थे, उल्टियां और दस्त इस वायरस का मुख्य लक्षण हैं।
नोरोवायरस से कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में कई बार संक्रमित हो सकता है, क्योंकि इसके कई सारे प्रकार होते हैं, इसलिए अगर आप एक बार संक्रमित हो गए हैं तो आगे भी आप इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।

अगर आप नोरोवायरस के किसी एक प्रकार से संक्रमित हुए हैं तो उसके खिलाफ इम्युनिटी बन सकती है, लेकिन दूसरे प्रकार से आप फिर से संक्रमित हो सकते हैं. इस बात को लेकर भी अभी कोई जानकारी नहीं है कि इससे एक बार संक्रमित होने के बाद कितने समय तक इम्युनिटी बनी रहती है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, किसी भी उम्र में कोई भी व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है, नोरोवायरस से आप कितना संक्रमित होते हैं , ये आपके जीन पर भी निर्भर करता है। नोरोवायरस को कई बार ‘स्टमक फ्लू’ या ‘स्टमक बग’ भी कहा जाता है. हालांकि, इससे संक्रमित होने के बाद फ्लू जैसी बीमारी नहीं होती है।

लक्षण

उल्टी, दस्त, पेट दर्द और जी मिचलाना इसके प्रमुख लक्षण हैं. कई बार मरीज को बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। इस वायरस से संक्रमित होने पर पेट या आंतों में जलन हो सकती है,संक्रमित होने के 12 से 48 घंटे बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं,एक से तीन दिन में इससे राहत भी मिलने लगती है।

अगर आप नोरोवायरस से संक्रमित होते हैं तो आपको बुखार हो सकता है, दिन में कई बार उल्टियां और दस्त हो सकते हैं, इसके अलावा डिहाइड्रेशन की शिकायत भी हो सकती है।

बुखार
बुखार

नोरोवायरस से दूषित कोई खाना खाने या पेय पदार्थ पीने से भी ये संक्रमण फैल सकता हैं, इसलिए मरीज का जूठा ना खाएं, इसके अलावा नोरोवायरस से दूषित किसी सतह या चीज को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है, नोरोवायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।

नोरोवायरस से संक्रमित व्यक्ति इसके अरबों पार्टिकल छोड़ सकता है, और इसके महज कुछ पार्टिकल ही दूसरे व्यक्ति को बीमार कर सकते हैं, इसलिए साफ सफाई और आइसोलेशन जरूरी है।

इलाज

नोरोवायरस से संक्रमित होने पर एक से तीन दिन में ही ठीक हुआ जा सकता है. इससे संक्रमित होने पर डिहाईड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना जरूरी है।

कई मामलों में डिहाईड्रेशन की समस्या बहुत बढ़ जाती है, जिसके बाद अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है. अस्पताल में नसों के जरिए लिक्विड डाला जाता है।

सावधानियाँ

नोरोवायरस का नया संक्रमण तिरुअनंतपुरम के विहिंजम में सामने आया है,केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि बीमारी को फैलने से रोकने के इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ये भी कहा है कि पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि स्कूलों में जो मिड डे मील बांटा गया, उसे खानें से छात्रों में फूड प्वाइजनिंग हुई है, राज्य के स्वास्थ्य विभाग और जनरल एजुकेशन व सिविल सप्लाई विभाग ने रविवार को उच्च स्तरीय बैठक करके बीमारी को फैलने से रोकने के उपायों का ऐलान किया, इनमें मिड डे मील को तैयार करने में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना, पानी के टैंकों की सफाई और स्टाफ को जागरुक करना शामिल है।

क्योंकि आमतौर पर ये दूषित पानी, दूषित खाने और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, ये वायरस बार-बार व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है क्योंकि इसके बहुत सारे वैरिएंट होते हैं. इस वायरस पर कीटाणुनाशक भी काम नहीं करते और ये 60 डिग्री के तापमान पर भी जिंदा रह सकता है। मतलब ये कि पानी को उबालने या क्लोरीन डालने से इस वायरस को नहीं मारा जा सकता है, ये वायरस हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल के बावजूद जिंदा रह सकता है।

आमतौर पर यह संक्रमण जानलेवा नहीं होता लेकिन बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सतर्क रहने की सलाह दी जाती है, संक्रमण लगने और ज्यादा उल्टी-दस्त होने से उनकी स्थिति गंभीर हो सकती है. ज्यादातर मरीज कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं. इसकी कोई खास दवा नहीं है।
हर स्तर पर साफ सफाई और सावधानी ही इसका इलाज़ है।

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

आज के युवा जीवन को बहुत ही सुनियोजित तरीके से जीना पसंद करते हैं। यही कारण है कि करियर में आगे बढ़ने के साथ-साथ पर्सनल लाइफ के लिए भी ये खास प्लानिंग करते हैं। वे कब शादी करने की योजना बना रहे हैं? माता-पिता कब बनें? कितने बच्चे होंगे? जैसी महत्वपूर्ण बातें। इस तरह की चीजें शायद एक या दो दशक पहले के समाज द्वारा बहुत योजनाबद्ध तरीके से नहीं की जाती थीं। ऐसे में युवा इन प्राकृतिक चीजों को रोकने के लिए चिकित्सा विज्ञान का सहारा लेते हैं। इसमें सबसे अहम मुद्दा माता-पिता बनना है। भागदौड़ भरी जिंदगी में करियर की अहमियत के चलते युवा अपने हिसाब से परिवार नियोजन करते हैं। ऐसे में वे अनचाहे गर्भ से बचने के लिए दवाओं का सहारा लेती हैं (गर्भनिरोधक से बचें)। लेकिन इन दवाओं के साइड इफेक्ट को देखते हुए हम आपको अनचाहे गर्भ से बचने के कुछ घरेलू उपाय बताते हैं। तो आइए जानते हैं क्या खाने से गर्भ नहीं ठहरता है।

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये

एक पतीले में दो कप गरम पानी चढ़ाएं। अब अदरक ,लॉन्ग ,काली मिर्च और दालचीनी का पेस्ट बनाएं । इस पेस्ट को पानी में मिलाएं और 20 मिनट तक गर्म उबलने दें । थोड़ा ठंडा करके इसे छाने और शहद मिलाएं ,तुलसी का काढ़ा तैयार है।

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हल्दी से प्रेगनेंसी रोकने के उपाय

जानकारों के मुताबिक अगर खाने के दौरान हल्दी का सेवन बहुत कम मात्रा में किया जाए तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान हल्दी के सप्लीमेंट और कैप्सूल का सेवन करती है तो करक्यूमिन की मात्रा अधिक होने के कारण गर्भावस्था से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि करक्यूमिन शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की नकल करता है, जो मासिक धर्म में ऐंठन और गर्भाशय के संकुचन को बढ़ाता है, जिससे समय से पहले जन्म और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

हल्दी
हल्दी

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मेथी से गर्भपात कैसे करें

अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो जरूरत से ज्यादा मेथी के दानों का सेवन करने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर विपरीत असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं इससे आपके गर्भपात की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। दरअसल, मेथी के बीज में सैपोनिन नाम का तत्व पाया जाता है जो गर्भपात का कारण बनता है।

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जायफल से गर्भपात कैसे करें

जायफल में मिरिस्टिसिन होता है, जो एक सक्रिय तत्व है जो भ्रूण को नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इस कारण से अनावश्यक जोखिम से बचने के लिए गर्भावस्था से पहले इसके सेवन से बचना चाहिए। एक से दो चुटकी जायफल का चूर्ण शहद के साथ लेने से गर्भपात हो सकता है। आप दूध के साथ एक चुटकी जायफल का भी सेवन कर सकते हैं।

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तुलसी के पत्ते से गर्भपात कैसे करें

दरअसल, अगर तुलसी के पत्तों का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह शरीर में हानिकारक हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव पैदा कर सकता है, यानी सरल शब्दों में कहें तो तुलसी के अधिक सेवन से शरीर में ब्लड शुगर लेवल में कमी आ सकती है। इससे चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और घबराहट की भावना हो सकती है। तुलसी में यूजेनॉल होता है, जिससे हृदय गति बढ़ सकती है, मुंह में छाले हो सकते हैं, चक्कर आ सकते हैं और शायद इसी वजह से डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को तुलसी का सेवन करने से भी मना करते हैं।

काली चाय से गर्भ कैसे गिराए

अनचाहे गर्भ से निजात पाने के लिए पार्सले का सेवन काफी फायदेमंद साबित होता है। अगर आप प्रेग्नेंसी पॉजिटिव महसूस करती हैं तो रोज सुबह शाम पानी में कुछ पार्सले के पत्ते उबालकर चाय की तरह पिएं। इस प्रक्रिया को लगातार एक महीने तक करें।

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नींबू से गर्भ कैसे गिराए

आपको बता दें कि नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह नुकसानदायक नहीं है। लेकिन अगर आप गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में नींबू या किसी खट्टे फल का सेवन करती हैं, तो आपका गर्भपात हो सकता है।

प्रेगनेंसी में खजूर खाने के नुकसान

अगर आपका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा है या आपका ग्लूकोज टेस्ट नॉर्मल नहीं है तो आपको प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में खजूर खाने से बचना चाहिए।

काली मिर्च से गर्भपात कैसे करे

कई लोग प्रेग्नेंसी में काली मिर्च का सेवन करने से मना कर देते हैं। लेकिन क्या प्रेग्नेंसी में काली मिर्च खानी चाहिए? तो इसका उत्तर है- हां, गर्भावस्था के दौरान काली मिर्च का सेवन करना सुरक्षित है, लेकिन इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। अन्य खाद्य पदार्थों की तरह इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए, इससे आपको और आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि, काली मिर्च के अत्यधिक सेवन से एसिडिटी, गर्भपात, अपच और जलन हो सकती है।

अदरक से गर्भपात हो सकता है

गर्भावस्था के दौरान अदरक का सेवन गर्भपात का कारण नहीं होता है। विशेषज्ञों की माने तो सीमित मात्रा में अदरक का सेवन गर्भवती के लिए लाभदायक होता है परंतु यदि अधिक मात्रा में अदरक का सेवन कर लिया जाए तो समस्याएं हो सकती हैं । यदि महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रसित है अथवा लो ब्लड प्रेशर ,लो शुगर की समस्या है तो अदरक का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अति आवश्यक है।

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तिल से गर्भपात कैसे करें

ऐसा माना जाता है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है, जो वास्तव में सच नहीं है। इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है। वहीं तिल में आयरन, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।

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पपीता खाने से गर्भपात कैसे होता है

कच्चा पपीता-पपीता कच्ची अवस्था मे गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। कच्चे पपीते को एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक कहा गया है,इसकी तासीर काफी गर्म होती है।

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गुड़ से गर्भपात हो सकता है

गर्भवती महिला गुड़ का सेवन सीमित मात्रा में कर सकती है। गुड़ आयरन से भरपूर होता है और आयरन की दैनिक आवश्यकता को पूरा कर सकता है। चीनी का प्राकृतिक स्रोत गर्भवती महिला के स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसके अलावा गुड़ खून और मां के दूध को शुद्ध करता है।

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अधूरे गर्भपात के लक्षण क्या है

प्रत्येक महिला के लिए गर्भपात एक शारीरिक और मानसिक दोनों तरीकों से दुखद अवस्था है, परंतु अधूरा गर्भपात और भी भयावह स्थिति  है। यदि आपको लगातार योनि से भारी रक्तस्राव हो रहा है, योनि मार्ग में रक्त के थक्के निकल रहे हैं, पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा है, बुखार है अथवा फ्लू के लक्षण नजर आ रहे हैं तो ये अधूरे गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं। अगर इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

अपूर्ण गर्भपात के उपचार

 

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