जानिए यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए

यूरिक एसिड में क्या नही खाना चाहिए

जब शरीर मे यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तो गठिया जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। गठिया जिसे गाउट भी कहते है। यूरिक एसिड बढ़ने से टॉक्सिन्स और अपशिष्ट पदार्थ शरीर से निकल नही पाते जिस कारण वो क्रिस्टल फॉर्म में बदल जाते है। ये क्रिस्टल जोड़ो को बहुत ही दर्दभरा बना देते है खासकर, पैरो की एड़ियों और पंजो को। इतना दर्द होता है कि जमीन पर पैर रखना मुश्किल हो जाता है। यूरिक एसिड को नियंत्रित करने का सबसे सरल और बेहतरीन उपाय है खान पान पर ध्यान देना। यूरिक एसिड बढ़ने पर क्या खाना चाहिए ये जानने से ज्यादा जरूरी है परहेज किसका करें।

यूरिक एसिड में परहेज-यूरिक एसिड में खान पान कितना महत्व रखता है

दरअसल सारा खेल ही भोजन का होता है। होता यूं है कि जिस व्यक्ति के शरीर मे यूरिक एसिड की प्रोब्लम होती है, वो लोग प्यूरिन को पचाकर बने अपशिष्ट को बाहर नही निकाल पाते।

बहुत से खाद्य पदार्थो में पाया जाने प्यूरिन शरीर मे पचकर अपशिष्ट में बदल जाता है, और यूरिक एसिड के रूप में निकल जाता है। लेकिन गाउट के रोगी इस यूरिक एसिड को निकालने में असमर्थ होते है।

अब आपको जानकर हैरानी किसी पदार्थ में प्यूरिन होने के बाद भी गाउट में नुकसान नही करता जैसे बहुत सी हरी सब्जियां।
कुछ खाद्य पदार्थो में प्यूरिन न होने के बाद भी वह यूरिक एसिड को बढ़ा देती है जैसे फ्रुक्टोज (Fructose; फलों में प्राकृतिक शक्कर) और चीनी युक्त पेय पदार्थ, कुछ पदार्थ जैसे कलेजी, भेजा आदि), समुद्री फूड, शराब और बियर आदि में प्यूरीन की मात्रा बहुत अधिक होती है।

एक तरफ जहाँ कम फैट वाले डेरी प्रोडक्ट यूरिक एसिड को कम करते है, वहीं अधिक फैट वाले डेरी प्रोडक्ट यूरिक एसिड को बढ़ाते है।

यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए-Uric Acid Me Kya Nahi Khana Chahiye

नॉनवेज

सभी प्रकार के नॉनवेज तो नही लेकिन कुछ खास चीज़ों का परहेज यूरिक एसिड में जरूरी होता है। जैसे इंटरनल ऑर्गन कलेजी, किडनी, भेजा आदि खाने से यूरिक एसिड बढ़ता है। इसके अलावा तीतर या हिरन का मांस भी न खाए।

कुछ खास तरह की मछलियां जैसे हेरिंग, ट्राउट, मैकेरल, टूना आदि इन मछलियों को खाना यूरिक एसिड में सही नही है। सी फ़ूड जैसे केकड़ा झींगा आदि भी गाउट के लिए हानिकारक हैं।

इनके स्थान पर ताजा मछली, सैल्मन, चिकन, लाल मांस, सुअर का मांस, भेड़ का मांस आदि खाए जा सकते है। कोशिश करे कि नॉनवेज न ही खाए।

प्रोटीन

हाइ प्रोटीन डाइट यूरिक एसिड की समस्या को काफी हद तक बढ़ा सकती है, क्योंकि प्रोटीन के किसी भी पदार्थ में प्रोटीन से दुगुनी मात्रा में प्यूरिन होता है।

शुगर और फ्रक्टोज़

  • जिन फलों में शुगर ज्यादा मात्रा में हो उन्हें खाने या उनका जूस पीने से बचे।
  • कार्बोनेटेड ड्रिंक, सोडा, न पिएं। शहद और हाई फ्रुक्टोस कॉर्न सिरप वाले खाद्य पदार्थों को न खाएं। खमीर खाने से बचे।
  • रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, सफेद ब्रेड, केक और बिस्कुट भी न खाएं।

यूरिक एसिड में क्या खाना चाहिए

अब हम बात करेंगे कि यूरिक एसिड की समस्या में क्या खा सकते है। यूरिक एसिड की समस्या में निम्न खाद्य पदार्थों को खा सकते  हैं –

फल

हाइ शुगर वाले फलों को छोड़कर सभी फल खाएं जा सकते है। खासकर बेरीज और चेरी ये फल न केवल यूरिक एसिड कम करते है बल्कि स्ट्रेस हॉरमोन भी कम करते है।

सब्जियां

यूरिक एसिड की समस्या में सभी प्रकार की सब्जियां खा सकते हैं। लेकिन बादी वाली सब्जियों को खाने से परहेज करें जैसे अरबी, कद्दू आदि।

सब्जियां
सब्जियां

फलियां

सभी हरी फलियों की सब्जी खाने में कोई नुकसान नही होता लेकिन लोबिया की फली गैस बना सकती है जिससे दर्द बढ़ सकता है।

सूखे मेवे

सभी प्रकार के सूख मेवे और बीज खा सकते हैं। लेकिन काजू और सनफ्लॉवर सीड की मात्रा सीमित रखें। इनके अलावा ओट्स, ब्राउन राइस और जौ कम वसा वाले सभी डेरी उत्पाद, अंडा, ग्रीन टी डाइट में ले। कॉफी या चाय के ज्यादा प्रयोग से बचें। तेलों में कैनोला आयल, नारियल तेल , जैतून तेल और अलसी का तेल आदि खाएं।

भोजन के विकल्प

दही के साथ ओट्स, जामुन, स्मूदी, पालक, दही, कम फैट वाला दूध, अलसी, चिया बीज) टोस्ट,  स्ट्राबेरी, इडली, प्लेन गेहूँ का डोसा, उबले हुए अंडे, मशरूम, ऑमलेट, ताजा सब्जियां,  चौलाई (या क्विनोआ) सलाद, भुना हुआ चिकन, शिमला मिर्च, कम फैट वाला पनीर, साबुत अनाज का सैंडविच, ब्राउन राइस, चने, शतावरी, टमाटर और दलीया, ओट्स का उपमा (या टोफू और ब्राउन राइस), मिक्स्ड वेज सब्जी, चिकन बर्गर

सिर के पीछे दर्द क्यों होता है-Sir Ke Pichle Hisse Me Dard Ka Ilaj

सिर के पीछे दर्द

सिरदर्द एक ऐसी दिक्कत है जो आजकल बच्चो से लेकर बूढ़े लोगो तक मे देखी जाती है। सिर दर्द को बहुत ही साधारण तरीक़े से समझा और माना जाता रहा है। यूं तो सिरदर्द, माथे में, कनपटी में, पूरे सिर में कहीं भी हो सकता है। पर आज इस आर्टिकल में हम सिर के पीछे दर्द की बात करेंगे।

सिरदर्द, नींद न पूरी होने से, आंखे कमजोर होने या गलत नम्बर का चश्मा पहनने अथवा तेज शोर में रहने से भी हो सकता है। यही सिर दर्द कभी कभी बहुत गम्भीर बिमारीयो को सूचक होता है। लगातार पेन किलर्स के सहारे इसे नजरंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

सिरदर्द, सिर के किस हिस्से में हो रहा है, ये बात बहुत ही ज्यादा मायने रखती है। क्योंकि हर प्रकार की बीमारी या समस्या का सिरदर्द अलग अलग हिस्से में हो सकता है।

सिर के पिछले हिस्से में दर्द दरअसल, शुरुआत में कान के आसपास से शुरू होता हुआ फैलता है।

सिर के पिछले हिस्से में होने वाले दर्द के कारण

ऑक्सीपिटल नेयुरेल्जिया(occipital neuralgia)

ये दर्द, सिर के occipitial हिस्से अर्थात occipital नर्व्स से सम्बंधित है। occipital नर्व्स में होने वाला ये दर्द बहुत ही भयंकर होता है। ये दर्द हूल की तरह उठता है।

सिर के पिछले हिस्से से फैलता हुआ आंखों तक महसूस होने लगता है।

उपाय

  • इसका उपाय केवल न्यूरोलॉजिस्ट से उचित सलाह व फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट लेना है।

क्लस्टर सिरदर्द

क्लस्टर सिरदर्द दरअसल माइग्रेन से अलग होता है। इसका पैटर्न बहुत ही अजीब होता है। कई बार ये दिन में लगातार बना रहता है, और कई बार दिन के किसी विशेष समय पर होता है।

ये पूरे महीने में कुछ समय के अंतराल पर हो सकता है या फिर कई महीनों बाद अचानक अटैक आ सकता है।

ये दर्द सिर के किसी एक हिस्से में या फिर एक आंख के आसपास के हिस्से में इतना तेज, चुभने वाला दर्द होता है कि व्यक्ति नींद से भी जाग जाता है। ज्यादातर ये दर्द कनपटी और ललाट में होता है पर सिर के पिछले ग   हिस्से में भी ये दर्द भयानक रूप से होता है।

उपाय

  • अल्कोहल और स्मोकिंग से न करें।
  • बहुत ज्यादा गर्मी या गर्म वातावरण में ज्यादा व्यायाम करने से बचें

तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द

इस समय तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द सबसे आम है, वर्किंग लोग घण्टो वर्क लोड के , बुक्स लिए, मोबाइल लिए, गर्दन झुकाए बैठे रहते है। और नतीजा होता है सिर के पीछे होने वाला सिरदर्द। ये सिरदर्द दरअसल गर्दन और कंधों पर पड़ने वाले प्रेशर का नतीजा होता है।

तनाव
तनाव

उपाय

  • समय-समय पर आराम करते रहें
  • अपने डेस्क, कुर्सी औऱ कंप्यूटर को ठीक तरीके से व्यवस्थित करें
  • फोन पर बात करने की गलत मुद्रा से बचें
  • दिन में कई बार, 30 मिनट तक दर्द वाली जगह पर बारी-बारी बर्फ़ रखने और गर्म सिकाई करने, स्ट्रेचिंग करें
  • योगा, मैडिटेशन करें।

साइनसाइटिस

मैक्सिलरी साइनस दरअसल खोपड़ी में एक कैविटी यानी खाली जगह होती है। जब इसमे प्रदूषण, एलर्जी, अस्थमा या नाक की हड्डी बढ़ने के कारण सूजन आ जाती है तो सांस लेने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, इस दर्द का अनुभव आप सिर के पीछे, माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आस-पास महसूस कर सकते हैं।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह लें

वर्टिब्रल आर्टरी डाईसेक्शन

वर्टिब्रल आर्टरी गर्दन कि मुख्य आर्टरी होती है। जब इस आर्टरी पर किसी भी तरह को कोई दबाव पड़ता है तो भयंकर दर्द का अहसास होता है।

ये दर्द सर के पिछले हिस्से से होता हुआ जबड़ो तक आता है।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

लिम्फ नोड की सूजन

कान के पीछे के लिम्फ नोड होते है जोकि कभी कभी सूज जाते है। खोपड़ी, कान, आंख, नाक और गले के संक्रमण से लिम्फ नोड में सूजन आ सकती है। कारण हो सकते हैं. इस तरह के दर्द भी काफी कष्टदायक साबित होते हैं.

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

इसके अलावा सिर के पीछे दर्द होने के कुछ अन्य कारण है

  • दिमागी बुखार
  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
  • सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
  • ब्रेन ट्यूमर
  • कंधा जाम होना

वात रोग क्या है? जानिए कैसे करे वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग की पहचान

आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों का मुख्य कारण वात, पित्त और कफ दोष होता है। अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इन सभी तत्वों से मिलकर शरीर का निर्माण हुआ है। यदि इन सभी तत्वों के बीच असंतुलन होता है तो व्यक्ति रोगी हो सकता है। इनका असंतुलन ही वात, पित्त, कफ दोषों को जन्म देता है। आजकल की जीवनचर्या के कारण वातरोग बहुत ही सामान्य है। आज इस आर्टिकल में हम आपको वात रोग की पहचान बताएंगे।

इस आर्टिकल को पढ़कर आप जान सकेंगे कि आप कहीं वातरोग से पीड़ित तो नही।

वातरोग या वायु विकार के प्रकार

वातरोग या वायु विकार को निम्न भागो में बांटा गया है।

उदान वायु

उदान वायु कंठ में वास करती है,जैसे डकार आना। इस प्रकार में सांस लेने और बोलने में समस्या होती है। चेहरे फीका लगता है, और खांसी जैसी समस्या शामिल है

अपान वायु

बड़ी आंत से मलाशय तक, वात रोग के इस प्रकार में बड़ी आंत और किडनी से जुड़ी समस्याएं होती है।

प्राण वायु

प्राण ह्रदय के ऊपरी भाग मे, इस प्रकार में नर्वस सिस्टम और ब्रेन प्रभावित होता है।

व्यान वायु

पूरे शरीर में फैली है, वात रोग के इस प्रकार में बाल झड़ने की समस्या होती है।

समान वायु

समान वायु का स्थान अमाशय और बड़ी आंत में होता है। इस प्रकार में रोगी को निगलने में तकलीफ, आंतों से संबंधित समस्या और पोषक तत्वों के अवशोषण में परेशानी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है

आयुर्वेद के अनुसार वात का मुख्य कार्य रेस्पिरेटरी सिस्टम, हार्ट बीट्स, मसल्स एक्टिविटी, और टिश्यू के कार्यों को संतुलित रखना है।

वात रोग के कारण

वात रोग क्यों होता है। वात रोग होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • गलत लाइफस्टाइल
  • असंतुलित भोजन

कैसे करें वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग होने पर निम्न लक्षण दिखते है।

  • लगातार शरीर का कमजोर होना।
  • चेहरे पर झुर्रिया आकर चेहरे की चमक गायब होना। दुबला शरीर होना।
  • छोटी, धंसी हुई और सूखी आंखों के साथ उनमें काली और भूरी रंग की धारियों का दिखना।सूखे और फटे होंठ।
  • पतले मसूड़े और दांतों की बिगड़ी हुई स्थिति।त्वचा का रूखा, सूखा और बेजान नजर आना।
  • अनियमित भूख या भूख न लगना
  • डायजेस्टिव सिस्टम खराब होकर लगातार गैस या अपच रहना।
  • बहुत ज्यादा भावुक होना, जल्दी रोना या गुस्सा आना
  • बहुत जल्दी में निर्णय ले लेना, तारीफ सुनते ही सामने वाले के वश में हो जाना।
  • बार बार प्यास लगना, पानी पीने पर भी होंठ और त्वचा ज्यादातर सूखी रहना।
  • मौसम के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होना, गर्मी,सर्दी बर्दाश्त न कर पाना और खास तौर से रात के वक्त जोड़ा, पिंडलियों या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द बना रहता है।
  • दिमाग मे हमेशा बेचैनी रहना, घबराहट होना, सांस जल्दी फूलना, उम्र से बड़ा दिखना, नकारात्मक कल्पनाएं करना।
  • पैर के जोड़ों और हड्डियों में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा हो जाने के कारण जोड़ों, घुटनों, पैरों और मांसपेशियों में सूजन हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को उठने बैठने में काफी तकलीफ होती है और दर्द का भी अनुभव होता है।

वात रोग का नियंत्रण और उपचार

सुबह धूप में बैठे

सुबह धूप में बैठने से अर्थ यह नही की आप बेसमय और बेमौसम धूप में बैठे। गर्मियों में सुबह 6 से 7 और सर्दियों में सुबह 9 से 10 तक का समय सही है। गर्मियों में लू लगने का डर रहता है इसलिए तेज धूप में न बैठे।

सुबह धूप में बैठे
सुबह धूप में बैठे

तांबे के बर्तन का पानी

रात भर तांबे के बर्तन में पानी रखे, सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें। तांबे को शरीर की अशुद्धियों को दूर करने में सहायक माना जाता है।

यह पाचन सिस्टम को दुरुस्त कर चेहरे पर चमक लाता है। वात रोग को दूर करने में मदद मिलती है।

दालचीनी

वात रोग की पहचान होने पर दालचीनी को किसी भी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। ये वातरोग के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे चाय के रूप में या काढ़े के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

दालचीनी को अदरक और हल्दी के साथ काढ़े के रूप में बनाये, ये दोगुना फायदा करेगी।

लहसुन

यह खाने के अवशोषण में मदद करने के साथ पाचन को मजबूत करने में भी सहायता करता है। वहीं यह वात के प्रभाव को बढ़ाकर वात, पित्त और कफ के बीच के संतुलन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

लहसुन की एक कली को सुबह पानी से निगल ले। या गाय के घी में लहसुन का छोक लगाकर दाल में डालकर सेवन करें।

गोल्डन मिल्क यानी हल्दी का दूध

गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन वात दोष से संबंधित कई विकारों से बचा सकता है। दूध को गर्म करके उसमें एक चुटकी हल्दी डालकर उबाल लें। इसमें बिना मीठा डाले इसका सेवन करें।

इन बातों का रखे खास ध्यान

  • सोने जागने और खाने का सही शेड्यूल बनाए।
  • भोजन के स्वाद से ज्यादा पौष्टिकता पर ध्यान दे।
  • खाने में ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन नियंत्रित रूप से करें।
  • खुद को ज्यादा से ज्यादा गर्म रखें।
  • नियमित योगभ्यास या व्यायाम करें
  • पूरे शरीर की तिल या सरसो के तेल से मालिश करें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

वात रोग में कौन कौन से रोग होते हैं?

चरकसंंहिता के अनुसार शरीर में वायु बिगड़ जाने पर अस्सी प्रकार के रोग होते हैं जिनमें से जो आमतौर पर देखने में आते हैं वे निम्नलिखित हैं -- नाखूनों का टूटना, पैरों का सुन्न होना, पैर की पिंडलियों में ऐंठन जैसा दर्द, सियाटिका का दर्द,पेट की गैस ऊपर की ओर आना, उल्टी होना, दिल बैठने जैसा महसूस होना, ह्रदय गति में रुकावट का अनुभव, हार्ट बीट बढ़ना, छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा,भुजा से अंगुली तक मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन व जकडऩ। हाथ ऊपर न उठना। गर्दन के पीछे लघु मस्तिष्क के नीचे के हिस्से में जकडऩ व पीड़ा, होंठों में दर्द, दांतों में पीड़ा,सिरदर्द, मुँह का लकवा, कंपकंपी होना, हिचकी, नींद न आना, चित्त स्थिर न रहना।

वात रोग कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पाँच प्रकार की वायु होती हैं, शरीर में इनके निवास स्थान और अलग कामों के आधार पर इनके नाम है.. प्राण उदान समान व्यान अपान ये पांचों प्रकार की वायु में से कोई भी शरीर में असंतुलित हो जाये तो शरीर के उस हिस्से में रोग हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर्फ वात के प्रकोप से कुल 80 प्रकार के रोग होते हैं।

वात पित्त कफ कैसे पहचाने?

लक्षणों के आधार पर हम वात पित्त कफ़ को पहचान सकते हैं, जैसे.. *वात प्रकृति वाले लोगों के शरीर में रूखापन, दुबलापन, नींद की कमी, निर्णय लेने में जल्दबाजी, जल्दी क्रोधित होना व चिढ़ना, जल्दी डर जाना व अस्थिरता पाई जाती हैं। *पित्त प्रकृति के लोगों में गर्मी बर्दाश्त ना कर पाना, त्वचा पर भूरे धब्बे, बालों का जल्दी सफ़ेद होना, मांसपेशियों और हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन, पसीना, शरीर के अंगों से तेज बदबू आना सामान्य लक्षण है। *कफ प्रकृति वाले लोगों की चाल स्थिर और गंभीर होती है। भूख, प्यास और गर्मी कम लगना, पसीना कम आना, शरीर में वीर्य की अधिकता, जोड़ों में मजबूती, और गठीला शरीर होता है, कफ प्रकृति वाले लोग सुन्दर, खुशमिजाज, कोमल और गोरे रंग के होते हैं।

वात रोग को कैसे खत्म करें?

वात रोग दूर करने के लिए सबसे पहले आहार पर ध्यान दें, जो चीजें बादी करती हैं जैसे बैंगन, उड़द की दाल, फूलगोभी, उनका प्रयोग खानें में न करें, आहार में दूध (पनीर, मावा, मिठाई) व उससे बनी हुई चीजें, घी, गुड़, लहसुन, प्याज, हींग, अजवाइन, मेथी, सरसों व तिल का तेल से वात कम होता है। इसके अलावा अपनी जीवन शैली पर ध्यान दे क्योंकि वात रोग में शरीर में रूखापन रहता है इसलिए तेल की नियमित मालिश भी लाभदायी है। त्रिफला मात्र एक ऐसी औषधि है जो शरीर में वात पित्त कफ़ तीनो का संतुलन बनाता है ,इसलिए नियमित त्रिफला का सेवन करना अत्यंत लाभदायक होता है।

क्या है ग्रीन टी पीने के फायदे और नुकसान-Tulsi Green Tea Benefits In Hindi

Tulsi Green Tea Benefits In Hindi

भारत मे तुलसी पौधे की पवित्रता, महत्व और गुणों के बारे में आप सब जानते ही है। भारत में एक पवित्र पौधे के रूप में तुलसी की पूजा की जाती है जो चिकित्सीय शक्तियों के रूप में जाना जाता है। ज्यादातर घरों में इसे रोपा जाता है। Tulsi Green Tea Benefits जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि तुलसी ग्रीन टी में कौन से लाभदायक तत्व होते है।

तुलसी की चाय में पाए जाने वाले पोषक तत्व

  • बी CARYOPHYLLENE
  • एस्कॉर्बिक एसिड
  • कैरोटेन (विटामिन ए)
  • रोजमरारी एसिड
  • यूआरएसओएलआईसीआई एसिड
  • APIGENIN
  • सेलेनियम
  • जस्ता
  • मैंगनीज

क्यों है Tulsi Green Tea चाय कॉफी से बेहतर

  • तुलसी ग्रीन टी में आर्टिफिशल मिठास नही होती
  • तुलसी ग्रीन टी में कोलेस्ट्रॉल नही होता
  • तुलसी ग्रीन टी में सैचुरेटेड फैट नही होता
  • ये टी कैफीन से मुक्त होती है
  • तुलसी ग्रीन टी में फाइबर, कैल्सियम, आयरन की मात्रा पाई जाती है।तुलसी ग्रीन टी
    तुलसी ग्रीन टी
    तुलसी ग्रीन टी

Green Tea Ke Fayde-Tulsi Green Tea Benefits In Hindi

तुलसी ग्रीन टी का सेवन आप रोज कर सकते है लेकिन उसे सही तरीके से बनाना चाहिए। तुलसी ग्रीन टी लेने का सबका उद्देश्य अलग अलग होता है, कुछ लोग वजन कम करने के लिए तुलसी ग्रीन टी पीते हैं जबकि दूसरे इसके एंटीऑक्सिडेंट और अन्य स्वास्थ्य लाभों की वजह से लेते हैं।

रिसर्च बताती है कि ग्रीन टी में फैट और प्रोटीन जैसे मैक्रो पोषक तत्वों का अवशोषण कम होता है। इसलिए भोजन और तुलसी ग्रीन टी के बीच मे कम से कम दो घण्टो का गैप हो।

  • तुलसी ग्रीन टी शरीर की चयापचय को बढ़ाकर और फैट के अवशोषण को रोक देती है। इसलिए ज्यादा फायदे के लिए बहुत से लोग दिन में तीन से पांच कप तुलसी ग्रीन टी पीने लगते है। यूँ तो आप तुलसी ग्रीन टी कितनी बार भी ले सकते है फिर भी इसके सेवन को एक कंट्रोल में रहकर करे।
  • Tulsi ग्रीन टी को यदि हल्दी के साथ लिया जाए तो गले और छाती से सम्बंधित समस्याओं को दूर करती है।
  • तुलसी ग्रीन टी शरीर मे बनने वाले एसिड के स्तर को कम कर बैलेंस करता है, जिससे एसिडिटी की समस्या दूर होती है।
  • तुलसी ग्रीन टी में phytonutrients जैसे पोषक तत्व होते है जिससे ब्रेस्‍ट कैंसर और प्रो-स्‍टेट कैंसर जैसे रोगों को शरीर में पनपने नहीं देता।
  • Tulsi ग्रीन टी तुलसी की चाय पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। तुलसी की चाय में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण अस्थमा से बचाता है।
  • Tulsi Green Tea में होते है एंटीऑक्सिडेंट्स और प्राकृतिक फिटोकेमिकल्स, ये तत्व स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होते है।
  • मुख्य रूप से Tulsi Green Tea इम्युनिटी सिस्टम, रेस्पिरेटरी सिस्टम, डायजेस्टिव और नर्वस सिस्टम की बेहतरी का काम करता है।
  • इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टी, और इम्युनिटी डवलप करने वाले गुणों के कारण ये सर्दी ज़ुकाम, खाँसी, बाहरी इन्फेक्शन, फ्लू में सुधार करती है।
  • Tulsi green tea भूख को बढ़ाती है, पाचन को बढ़ाती है। और जब आपको खुलकर भूख लगेगी और पाचन सही रहेगा तो मानसिक शांति खुद ब खुद मिलेगी। इसलिए ही ये कहा जाता है कि यह गुस्से को शांत करने और तनाव से मुक्त रहने में मदद करती है।

Tulsi Green Tea के नुकसान

जिस चीज़ के फायदे हो उसके नुकसान भी जानना जरूरी है। तो आपको बताते है तुलसी ग्रीन टी के नुकसान

  • Tulsi Green Tea की ज्यादा मात्रा विषाक्त साबित हो सकती है।
  • Tulsi Green Tea को खून का थक्का जमाने वाली दवाइयों के साथ बिल्कुल ना ले।
  • हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित लोग तुलसी ग्रीन टी का ज्यादा सेवन न करे। इससे रक्त शर्करा में अत्यधिक कमी हो सकती है।
  • तुलसी गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय के संकुचन को एब्नॉर्मल तरीके से बढ़ा सकती है, साथ ही गर्म तासीर होने के कारण गर्भ को नुकसान पहुँचा सकती है।

शरीर के लिए क्यों जरुरी है ग्लूकोज, क्या है ग्लूकोज पीने के फायदे

ग्लूकोज के फायदे

ग्लूकोज एक ग्रीक भाषा का शब्द ग्लीको से बना है जिसका अर्थ होता है मीठा। यह चीनी का प्रकार है जो हमें भोजन, फल आदि से मिलता है। ग्लूकोज हमारे शरीर की आवश्यकताओं के लिए अति-आवश्यक है। यह हमें ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है जो मोनोसेक्रेट कार्बोहाइड्रेट की श्रेणी में आता है। ग्लूकोज पीने के फायदे कई है। इसमें चीनी का ही एक अणु है। वसा के अलावा ग्लूकोज शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज हम रोटी, फल, सब्जियों, डेरी उत्पादन से प्राप्त कर सकते हैं।

जो ग्लूकोज रक्त के माध्यम से हमारी कोशिकाओं तक पहुँचता है। उसे हम ब्लड ग्लूकोज या रक्त शर्करा कहते हैं। ग्लूकोज , भोजन से प्राप्त वसा ,कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन से बनता है। लेकिन सबसे अधिक ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से बनता है। हमारे शरीर के मुख्य ऊर्जा का स्रोत ग्लूकोज है। लेकिन ग्लूकोज को उर्जा में बदलने के लिए इंसुलिन का होना अति आवश्यक है बिना इंसुलिन की मदद के ग्लूकोज का इस्तेमाल कोशिकाएं नहीं कर सकती हैं।

पाचन के दौरान इंसुलिन की मदद से स्टार्च व शुगर ग्लूकोज में टूट जाते हैं। और ग्लूकोज कोशिकाओं की दीवार में प्रवेश करता है। अगर भोजन में शुगर अधिक मात्रा में होती है जिसे हम ग्लूकोज भी कहते हैं। अगर भोजन में ग्लूकोज अधिक मात्रा में होता है तो यह हमारी मांसपेशियों लीवर और शरीर के अन्य भागों में जमा होने लगता है जो बाद में फैट के रूप में बदलता है।

ग्लूकोज के स्रोत

ग्लूकोज फल ,सब्जियों , रेशेदार खाद्य पदार्थ ,डेयरी प्रोडक्ट्स आदि में मिलता है। हमें फाइबर युक्त तलों का सेवन करना चाहिए। हमें साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। साबुत अनाज हमें फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम प्रदान करते हैं अनाज को रिफाइन करने से उसके पोषक तत्व व फाइबर की मात्रा कम हो जाती है। ग्लूकोज हमें सभी अनाजों से मिलता है।

लेकिन साबुत अनाज हमें फाइबर भी देते हैं और खनिज भी देते हैं फलियां प्रोटीन का मुख्य स्रोत होती है। डेरी प्रोडक्ट में संतृप्त वसा अधिक मात्रा में होता है। इसलिए हमें कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए। जो हमें विटामिन खनिज प्रोटीन और कैल्शियम भी देते हैं।

ग्लूकोज युक्त आहार हमारे शरीर की आवश्यकता है। अगर हमें ग्लूकोज की आवश्यक मात्रा ना मिले तो यह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। इसीलिए हमें ग्लूकोज के स्तर को बैलेंस बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है। ग्लूकोज के स्तर को कंट्रोल करने के लिए हमें संतुलित भोजन करना चाहिए।

भोजन में सभी आवश्यक तत्व जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, मिनरल्स आदि सभी शामिल करने चाहिए और सबसे आवश्यक हमें अपना नाश्ता अवश्य करना चाहिए। ग्लूकोज के लिए हमें पत्तों वाली सब्जियां जैसे ब्रोकली , पालक और अन्य सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।

अंडे, मछली, अंगूर, सूखे मेवे, चीज, शहद, खजूर, अनानास, आम, चुकंदर, खीरा यह सभी ग्लूकोज युक्त भोजन होते हैं। जो हमारे शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं इनके अलावा गर्मियों के मौसम में जब हमारे शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता अधिक होती है क्योंकि हमारे शरीर से पसीने के रूप में पानी बहुत निकलता है। तब हम ग्लूकोज पेय पदार्थ के रूप में लेते हैं।

तो आइए जानते हैं जो ग्लूकोज पीने के फायदे

ग्लूकोज मददगार है बिमारियों से लड़ने में

रेशेदार फाइबर युक्त भोजन टाइप 2 मधुमेह और मोटापे से लड़ने में मददगार होता है। फाइबर पाचन तंत्र को सक्रिय रखता है। दिल को स्वस्थ रखता है। कोलेस्ट्रॉल एवं हृदय रोगों को नियंत्रण में रखता है।

ग्लूकोज रखता है वजन को नियंत्रित

ग्लूकोज से हम अपना वजन बढ़ा भी सकते हैं और घटा भी सकते हैं। हमें अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए ताजे फल जैसे तरबूज अंगूर नाशपाती बेर आदि खाने चाहिए। जिन में बहुत अधिक फाइबर और पानी पाया जाता है।

वजन को नियंत्रित
वजन को नियंत्रित

ग्लूकोज रखता है शरीर के तापमान को नियंत्रित

गर्मी के मौसम में जब हमारे शरीर से बहुत पसीना निकलता है तब हम ग्लूकोज पीते हैं। यही ग्लूकोज हमारे शरीर में ऊर्जा के रूप में पहुँचता है यह हमारी मांसपेशियों में ग्लाइकोजन के रूप में एकत्रित होता है और हमारे शरीर के तापमान को नियमित करने में सहायक होता है।

ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को बनाये आसान

हमारे शरीर को सभी आवश्यक शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए जैसे मांसपेशियों के संकुचन, श्वसन, हृदय की गति आदि के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है हृदय गति से लेकर मांसपेशियों में संकुचन तक सभी प्रक्रियाओं के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है और सभी पतियों को ग्लूकोज के द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है बिना ग्लूकोज के यह संभव नहीं है ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को आसान बनाने में सहायक होता है।

ग्लूकोज है दिमागी कार्यों में मददगार

ग्लूकोज मस्तिष्क के कार्य को सही तरह से करने के लिए आवश्यक होता है। किसी चीज को सीखने की प्रक्रिया में ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। पढ़ने में, याद करने में मस्तिष्क संरक्षित हुए ग्लूकोज का इस्तेमाल करता है इसीलिए ग्लूकोज दिमागी कार्य के लिए अति आवश्यक है।

उर्जा का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है ग्लूकोज

हमें हर कार्य को करने के लिए चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है हमारे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा ना मिले तो हम बहुत जल्दी थक जाते हैं और यही उर्जा हमें भी खुशी मिलती है इसके लिए हम कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पीते हैं।

ग्लूकोज का पाचन, पाचन तंत्र के द्वारा भोजन के पाचन से अलग होता है ग्लूकोज रक्त में अवशोषित होने के बाद ग्लाइकोजन में बदल जाता है। यह ग्लाइकोजन मांसपेशियों में सुरक्षित हो जाता है शरीर को जब भी आवश्यकता होती है ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदलकर ऊर्जा प्रदान करता है।

ग्लूकोज बढ़ाता है शरीर का स्टैमिना

हम सब जानते हैं कि ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।जब भी हम थकने लगते हैं हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम होने लगती है तो हमारी मांसपेशियों में इकट्ठा ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदल जाता है और हमारी थकान को दूर करता है।

ग्लूकोज हमारी मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाने का कार्य करता है अगर मांसपेशियों में ग्लाइकोजन की मात्रा है तो इसका अर्थ है कि हमारी मांसपेशियां थकेंगी नहीं। हमारा स्टेमिना बढ़ जाएगा। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि हम बिना थके ज्यादा काम कर सकते हैं।

शरीर को डिहाइड्रेट करता है ग्लूकोज

गर्मी के मौसम में जब लगातार पसीना आता है तब हम बॉडी को तुरंत एनर्जी देने वाला ग्लूकोज पाउडर पीते हैं यह बॉडी को डिहाइड्रेट करके तुरंत एनर्जी देता है।

मधुमेह में लाभदायक है ग्लूकोज

मधुमेह के रोगियों का अचानक शुगर लेवल डाउन होने लगता है। उस समय ग्लूकोज का पानी ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है। शुगर के लेवल को नियंत्रित करता है।

दूर करता है शरीर की थकान

जब भी ज्यादा काम करने के कारण शरीर थकने लगता है। ग्लूकोज शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है। ग्लूकोज थकावट को दूर करके शरीर और दिमाग को स्फूर्ती प्रदान करता है।

थकान को करे दूर
थकान को करे दूर

शरीर को ठंडा करता है ग्लूकोज़

गर्मियों की दोपहर में जब तापमान काफी अधिक होता है। हमारा शरीर का तापमान भी तेजी से बढ़ जाता है। उस समय ग्लूकोज लेने से शरीर का तापमान ठंडा बनाए रखने में मदद मिलती है।

ग्लूकोज़ रखे मांसपेशियों को स्वस्थ

कुछ लोग जिम और एक्साइज करने के बाद ग्लूकोज को एक हेल्थ ड्रिंक की तरह लेते हैं। एक्सरसाइज करते समय ग्लूकोज ग्लाइकोजन में टूट जाता है।

यह ग्लाइकोजन प्रोटीन के साथ मिलकर खून के बहाव में मिल जाता है। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि मांसपेशियों को काम करने में मदद मिलती है और एक्सरसाइज के बाद मांसपेशियों की मरम्मत के लिए ऊर्जा भी मिलती है।

ग्लूकोज रखे शरीर को स्वस्थ

ग्लूकोज में शरीर के लिए आवश्यक सुक्रोज और ग्लूकोज होते हैं जो स्वस्थ शरीर को बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इसमें वसा और फैटी एसिड नहीं होते स्वस्थ व्यक्ति के लिए इसी प्रकार की ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। इस प्रकार ग्लूकोज शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

ग्लूकोस की कमी से शरीर में क्या होता है?

हमारे शरीर को संतुलित और सुरक्षित रखने के लिये शरीर में ग्लूकोज की मात्रा सही होना बेहद जरूरी है।ग्लूकोज़ की कमी होने पर इसके लक्षण समय के साथ बदलते रहते हैं।शरीर में ग्लूकोज़ की कमी होने से कई प्रकार की समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। ग्लूकोज की कमी से निम्नलिखित समस्याएं होती हैं .शरीर से पसीना आना .थकान महसूस करना .सिर चकराना .झुनझुनाहट या कंपकपी होना .दिल की धड़कन का अचानक बढ़ना .व्यवहार में परिवर्तन .शरीर में पीलापन .ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई .नींद अधिक आना .कमजोरी लगना .बेचैनी महसूस होना .मन विचलित होना। उपयुक्त लक्षण दिखने पर डॉ से शीघ्र मिलें।

ग्लूकोज कब पीना चाहिए?

गर्मी के दिनों में हमारे शरीर से पसीना काफी निकलता है, जिसकी वजह से बॉडी में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर अधिक से अधिक पानी का सेवन करने और ग्लूकोज़ पीने की सलाह देते हैं। जब थकान,चक्कर,सिर दर्द,कमजोरी,बेचैनी महसूस हो तब ग्लूकोज का सेवन कर सकते हैं। डॉक्टर विटामिन डी कमी होने पर भी विटामिन डी युक्‍त ग्‍लूकोज पाउडर पीने की सलाह देते हैं। यह मूत्रवधक, हृदयवाही संबंधी स्वास्थ्य, कैल्शियम की कमी होने पर और मधुमेह के रोगियों में अचानक शुगर लेवल डाउन होने पर भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है। ग्लूकोज शरीर को तुरन्त रिलेक्स महसूस कराता है साथ ही ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है।

ग्लूकोज क्या काम करता है?

ग्लूकोज को शायद रक्त शर्करा (ब्लड सुगर) के नाम से जानते हैं। ग्लूकोज शरीर के सभी अंगों के कार्यों को सही तरह से करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा जब सही होती है, तो हम इस पर बिलकुल ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन जब यह स्तर ज्यादा या कम हो जाता है, तो हमे कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है, जो मोनोसैक्राइड कार्बोहायड्रेट की श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि इसमें चीनी का एक ही अणु होता है। ऊर्जा और संचयन के लिए रक्त से ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाता है।वसा के अलावा ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है।

ग्लूकोज दिन में कितनी बार पीना चाहिए?

ग्लूकोज निर्जलीकरण के इलाज में भी सहायता करता है।यह शरीर में विटामिन-डी की कमी को भी पूरा करता है। शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। चिकित्सक के बताये अनुसार ही ग्लूकोज का इस्तेमाल करना चाहिये। ग्लूकोज की कमी की तुरन्त पूर्ति के लिए दो चम्मच ग्लूकोज़ पाउडर एक गिलास ठन्डे पानी में अच्छी तरह मिलाकर पीना चाहिए। हर एक दिन छोड़कर या महीने में किसी भी 10 दिन ग्लूकोज लेना सुरक्षित माना जाता है। ग्लूकोज दिन में एक बार ही सेवन करें या बहुत कमजोरी होने पर दो बार सेवन करें। नोट:ज्यादा सेवन करने से मधुमेह की बीमारी हो सकती है इसलिए डॉक्टर के निर्देशानुसार ही सेवन करें।

जानिए क्यों होती है आँखे लाल और कैसे करे घरेलू उपचार

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आँख लाल होने के कारण और उपचार

आँख लाल क्यों होती है इसके क्या लक्षण, कारण और उपचार हम कर सकते ये तमाम जानकारी इस लेख के द्वारा प्राप्त करने वाले है। कई बार जब हमारी आंख में कुछ कूड़ा का कद या धुल मिटटी पहुंच जाती है तब हमारी आँख लाल हो जाती है। लम्बे समय तक जागने से भी हमारी आंखे लाल होने लगती है।

आंखों में लालपन होने पर आंखों की सफेद पुतलियां लाल नजर आने लगती हैं। आंखों का लाल होना ये एक आम बीमारी है जिसका इलाज़ आप घर बैठे ही कर सकते हो। लेकिन अगर आपको लम्बे समय से लाल आंख की बीमारी है तो आप इसको हलके में बिलकुल भी ना ले और तुरंत अपने नज़दीकी डॉक्टर को दिखाए या संपर्क करे।

आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है की जयादातर उन लोगो की ही आंखे लाल ज़्यादा मिलती है जो लोग फ़ोन टीवी या कंप्यूटर को लम्बे समय तक ज्यादा रौशनी करके अँधेरे में देखते रहते है। आँख लाल होने का यही  प्रमुख कारण है। आपको ऐसा नहीं करना है ऐसा करने से हमारी आँखे खराब भी हो सकती है। हम यहाँ पर आपको आंख लाल होने के कुछ कारण बता रहे है, अगर आपकी आंख भी लाल हो जाती है तो आपको इनसे दूर रहना होगा।

आंख लाल होने के कुछ प्रमुख कारण

  • ज्यादा लम्बे समय कॉन्टेक्ट लेंस पहनने से आंखे लाल हो जाती है।
  • अधिक धूम्रपान करने से भी आँखे लाल होने लगती है।
  • लम्बे समय तक गाडी चलने से हमारी आँखे लाल हो सकती है।
  • आँखों में धूल मिटटी पहुंचने से भी आँखे लाल हो पड़ती है।
  • आँखों में ऐलर्जी होने के कारण भी आँखे लाल हो सकती है।
  • आँखों को अधिक मलना भी आंख लाल होने का कारण हो सकता है।
  • नींद की कमी से भी आँखे लाल हो जाती है।
  • कोई बीमारी के संकेत से भी आँखे लाल पड़ती है।

तो ये थे आँखों के लाल होने के कुछ प्रमुख कारण, आपको इनको पढ़कर ध्यानपूर्वक इनपे गौर करना होगा। तब तो आप आंख लाल होने की समस्या से बच सकते हो। तो चलिए अब जानते है आंख लाल होने के कुछ लक्षण आप कैसे जान सकते है की आपकी आंखे अब लाल होने वाली है।

आंख लाल होने के बहुत से कारन होते है जैसे – आंख में अधिक समय तक खुजली होना , आँखों से पानी बहना , धुन्धला दिखाई पड़ना , नज़र कमज़ोर होना , आँखों में किरकिराहट महसूस होना , पढ़ने के या टीवी मोबाइल देखने के बाद धुंधला नज़र आना आदि। ये सब आँखे लाल होने के कुछ लक्षण थे जिनको आप करके समय रहते अपनी आँखों को लाल होने से बचा सकते हो।

आंख लाल होने के घरेलू उपाय

अगर आपकी आंखे लाल हो गयी है और आप इनको घर बैठे ठीक करना चाहते हो, तो हम आपको बता दते है, कुछ घरेलु उपाय आंखे लाल होने के बाद आप इनको इस्तेमाल करके अपनी आँखों को नार्मल बना सकते हो।

दूध और शहद

दूध और शहद
दूध और शहद

उम्मीद है आपको दूध और शहद के एंटीबैक्टीरियल गुण आँखों के लालपने में आराम देंगे । किसी बर्तन में 4 चम्मच दूध और थोड़ सा शहद मिला ले, और इन दोनों चीज़ो को मिक्स करके एक पेस्ट या मिश्रण बना ले। आईड्रॉपर की मदद से 2 बूँद दोनों आँखों में डाले आपको ये बिधि 4 से 5 दिन लगातार करनी है। ऐसा करने से आपको जल्दी ही आराम मिलेगा।

ज्यादा पिए पानी

अगर आप उचित मात्रा में पानी नहीं पीते है तो डिहाइड्रेशन के चलते आपकी आँखों में भी पानी की कमी हो जाती है जिससे आँखें लाल हो जाती हैं और उनमें जलन होने लगती है। तो आपसे अनुरोध है की अगर आप अपनी आँखों को सुरक्षित करना चाहते है, तो दिन में कम से कम 7 से 8 लीटर पानी जरूर पिए।

हरा धनिया

धनिये का उपयोग ज्यादा करने से हमारी आँखों के सभी रोगो से मुक्ति मिलती है। आँखो में खुजली, जलन, पानी आना, जैसी आंख की बीमारियों से धनिया आपको बहुत फायदा पहुँचता है। तो हरे धनिया का ज्यादा ही प्रयोग करे तो अच्छा रहेगा।

पूरी नींद

आपको मोबाइल फ़ोन और टीवी आदि से दूर ही रहना है। जब तक आपकी आँखे दोबारा से नार्मल नहीं होती , और अच्छे से नींद लेनी है।

हरी सब्ज़िया

ये बात तो आप लोगो को मालूम ही होगी की हमारी आंखे कमज़ोरी और खून की कमी की वजह से भी लाल हो जाती है। तो आपको हरी सब्ज़िया अधिक मात्रा में यूज़ करनी है जिससे आपकी कमज़ोरी दूर हो और आपकी आंखे लाल से जल्दी ही सामान्य हो जाये।

जानिए क्या है लीवर को मजबूत करने के उपाय

लीवर को मजबूत करने के उपाय

लीवर अगर कमजोर हो तो कई बिमारीया घेर लेती है। लीवर को स्वस्थ्य रखने के लिए आयुर्वेद मे अनेक औषधियों का वर्णन मिलता है जिनका उपयोग करके लीवर को निरोग रखा जा सकता है। साथ ही ये लीवर की कार्यशीलता को भी बढ़ाती है। मानव शरीर के अंगों में लीवर सबसे महत्वपूर्ण अंग है। देखा जाए तो शरीर के सभी अंगों का सुचारू रूप से चलना बहुत ही आवश्यक है। अगर शरीर का एक अंग भी अपना कार्य ठीक से ना करे तो शरीर को बिगड़ने में देर नहीं लगती। यहाँ हम कुछ ऐसे औषधियो की बात कर रहे है जो हमारे किचन मे आसानी से मिल जाती है और हमारे लीवर को मजबूत बनाती है।

लीवर को मजबूत करने के उपाय-Liver Majboot Karne Ke Upay

हल्दी-Liver Ke Liye Gharelu Nuskhe

हल्दी वाला दूध लीवर की कमजोरी को दूर करता है। रात को सोने से पहले दूध में हल्दी मिला कर पीयें। हल्दी में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। यह हैपेटाइटिस बी व सी के कारण होने वाले वायरस को बढ़ने से रोकता है और हमारे लीवर को भी स्वस्थ रखता है।

एप्पल साइडर विनेगर-Liver Ki Sujan Ka Ilaj In Hindi

एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर और शहद मिला कर दिन में दो से तीन बार लें। यह शरीर में मौजूद विषैले चीजों को निकालने में मदद करता है।

आंवला-Liver Problem Solution In Hindi

आंवला विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत है। यह लीवर की कमजोरी दूर करता है और लीवर को कार्यशील बनाने में मदद करता है। स्वस्थ लीवर के लिए दिन में 4-5 आंवलें का सेवन ज़रूर करना चाहिए।

नींबू-Liver Thik Karne Ke Upay

लीवर की देखभाल करने के लिए दिन में एक बार नींबू की चाय, सलाद या पानी में नींबू लें। नींबू शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायक होता है। यह अग्नाशय की पथरी को विकसित नही होने देता। इतना ही नही यह आपके हाजमे को भी बढ़ाता है।

ग्रीन टी-Liver Majboot Karne Ke Upay

ग्रीन टी में प्रचुर मात्रा में केटेकाइन्स और एंटीऑक्सीडेंट होता है जो लीवर की कार्यप्रणाली की क्षमता बढ़ाकर लीवर में वसा के जमाव को कम करने में सहायक बनता है।

ग्रीन टी
ग्रीन टी

ओलिव ऑयल-Liver Ka Ilaj In Hindi

लीवर की देखभाल करने के लिए भोजन को बनाने में जैतून के तेल का प्रयोग करें और मीठे से परहेज जरूर रखे। ओलिव ऑयल से लीवर के रोगों का खतरा कम हो जाता है।

ज्वार और बाजरा-Liver Ke Liye Gharelu Nuskhe

इनमें मौजूद फाइबर शरीर से टोक्सिन बाहर करने में सहायक है जिससे लीवर की सफाई होती है। इसकी रोटी बनाकर खाना फायदेमंद होता है।

जूस उपवास-Liver Problem Solution In Hindi

व्रत करना लीवर को साफ रखने का एक बेहतरीन तरीका है। व्रत के समय किसी तरह का ठोस आहार नहीं लिया जाता। जिस कारण लीवर को आराम मिलता है और एक निश्चित समय पर फल, जूस या कुछ सब्जियाँ ली जाती है जिसे लीवर बहुत कम समय में आसानी से पचा लेता है।

पपीता-Liver Thik Karne Ke Upay

पेट से सम्बंधित सभी रोगों क लिए एक रामबाण औषधि है। प्रतिदिन दो चम्मच पपीते के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलकर पिये। इससे पेट सम्बंधित कई परेशानियों से निजात मिलता है। खासकर यह “लीवर सिरोसिस” में लाभकारी होता है। पपीता खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है पपीते को आप सुबह नाश्ते में ले सकते है। पपीते को आप खाने के समय या खाने के बाद भी उपयोग कर सकते है।

लहसुन-Liver Majboot Karne Ke Upay

लहसुन का उपयोग भी आप प्रतिदिन खाने पीने चीजों में कर सकते है। उसके अलावा सुबह लहसुन के एक,दो टुकड़े भी खाने से लाभ होता है।

अंजीर-Liver Ka Ilaj In Hindi

अंजीर हमारे लीवर के लिए बहुत फायदेनंद है। अंजीर को रातभर पानी में भिगों दे और सुबह के समय उसको खा ले आप चाहे तो और इसी तरह सुबह के भिगोयें हुए अंजीर शाम को खा सकते है।

मिल्क थिस्टल-Liver Strong Karne Ke Upay

मिल्क थिस्टल हमारे लीवर को मजबूत बनाता है।  बाजार में मिल्क थिस्टल कैप्सूल के रूप में आसानी से मिल जाता है। मिल्क थिस्टल का सेवन लीवर की कार्य क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है।

पालक-Liver Problem Solution In Hindi

पालक भी हमारे लीवर को स्वस्थ रखता है। लीवर की देखभाल करने के लिए आप पालक और गाजर के रस का मिश्रण बनाकर पिये। यह “लीवर सिरोसिस” के लिए फायदेमंद घरेलू उपचार है।

सेब-Liver Ke Liye Gharelu Nuskhe

सेब और हरी पत्तेदार सब्जी पाचन तंत्र में उपस्थित जहरीली चीजों को बाहर निकलने में और लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसलिए दिन मे एक सेब जरुर खाऐ।

जानें क्या हैं सोते समय ग्रीन टी पीने के फायदे

सोने से पहले ग्रीन टी पीने के फायदे

ग्रीन टी पीने के फायदे से आज कल सभी लोग अच्छे से वाकिफ है। ग्रीन टी हमारी सेहत और स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। इसमे भरपूर मात्रा में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स पाये जाते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है। आप ग्रीन टी का सेवन रात में सोने से पहले भी कर सकते है। कुछ लोग रात को सोने से पहले गरम दूध पीते है तो कुछ लोग चाय पीते है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रात को ग्रीन टी पीकर सोना आपके लिए कितना फायदेमंद साबित हो सकता है।

सोते समय ग्रीन टी पीने के फायदे-Green Tea Ke Fayde

स्ट्रैस को करे कम

आज कल की भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में हर कोई चिंता और तनाव से जूझ रहा है। ऐसे में स्ट्रैस को कम करने के लिए ग्रीन टी बहुत ही लाभकारक है। ग्रीन टी मे प्रचुर मात्रा में ऐन्टी डिप्रेसेंट गुण पाये जाते है जो स्ट्रैस लेवेल को कम करते है और दिमाग शांत हो जाता है।

दिल को रखे स्वस्थ

रात को सोने से पहले ग्रीन टी पीना आपके दिल के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होता है। सोते समय ग्रीन टी का सेवन करने से दिल की बीमारी के खतरे भी कम होते है।

अच्छी नींद लाने में करे मदद

ग्रीन टी अच्छी नींद लाने में भी मदद करती है। ग्रीन टी में ऐसे कम्पाउंड्स पाये जाए है जो दिमाग और शरीर को स्वस्थ रखते है और नींद लाने में मदद करते है। दूसरा रात को सोने से पहले गरम चीज़ पीने से नींद भी जल्दी और अच्छी आती है।

अच्छी नींद लाने में करे मदद
अच्छी नींद लाने में करे मदद

मेटाबोलिस्म को करे बेहतर

सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन मेटाबोलिस्म को बढ़ाने में भी बहुत मदद करता है। ग्रीन टी में भरपूर मात्रा में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स पाये जाते है जो मेटाबोलिस्म को बेहतर बनाते है और इसमे केफिन भी बहुत कम मात्रा में पाया जाता है जो मेटाबोलिस्म को मजबूती देता है।

मोटापे को करे कम

आज कल कई लोग मोटापे की समस्या से बहुत परेशान है। ग्रीन टी के सेवन से मोटापे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। सोने से पहले ग्रीन टी के सेवन से मेटाबोलिस्म बेहतर होता है जो फैट को कम करता है जिससे वजन और मोटापा दोनों कम हो जाते है। जिसके फलस्वरूप आप स्वस्थ और फिट रह सकते है।

इम्यून सिस्टम को बनाए मजबूत

सही खान पान न होना और शरीर में पोषक तत्वों की कमी हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है जिससे हमारा शरीर रोग फैलाने वाले जीवाणुओं से लड़ नहीं पाता और हम जल्दी बीमार पड़ जाते है। ऐसे में रात को सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। इसमे भरपूर मात्रा में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स और पोषक तत्व पाये जाते है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है ओर इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने में मदद करते है।

पाये चमकदार और स्वस्थ त्वचा

ग्रीन टी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में भी बहुत मददगार साबित होती है। इसमे मौजूद पोषक तत्व आपकी त्वचा को पोषण देते है जिससे आपकी त्वचा स्वस्थ रहती है और त्वचा में निखार भी आता है।

कैंसर का खतरा करे कम

कैंसर एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। इस बीमारी के चलते कई बार व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है। ऐसे में ग्रीन टी का सेवन कैंसर के खतरे को कम करने में भी मदद करता है। रात में सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोटेस्ट कैंसर और कोलोरेक्तल कैंसर का खतरा कम होता है।

कोलेस्ट्रॉल को करे कम

बैड कोलेस्ट्रॉल दिल के लिए बहुत हानिकारक है। इसकी शरीर में अधिकता होने से दिल का दौरा भी पड़ सकता है। ऐसे में आप रात को ग्रीन टी का सेवन कर सकते है। ग्रीन टी आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है जिससे दिल स्वस्थ रहता है।

क्या है नोरोवायरस के लक्षण और इलाज-Norovirus ke lakshan aur Ilaz

क्या है नोरोवायरस के लक्षण और इलाज

रात दिन मिलने वाली नयी नयी बीमारियां और होने वाली मेडिकल रिसर्च से पता चलता है कि कोरोना वायरस, टोमैटो फ्लू, निपाह और स्वाइन फ्लू के बाद अब केरल में नोरोवायरस (Norovirus) का मामला भी सामने आया है, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि दो स्कूली बच्चे नोरोवायरस से संक्रमित मिले हैं, उन्होंने बताया कि तिरुवनंतपुरम के एक स्कूल में फूड पॉइजनिंग और डायरिया की शिकायत आने के बाद दो बच्चों के सैम्पल की जांच की गई, जिनमें नोरोवायरस की पुष्टि हुई, फिलहाल दोनों बच्चों की हालत स्थिर है…!

केरल में नोरोवायरस का पहला मामला नवंबर 2021 में सामने आया था. तब वायनाड में एक वेटरनरी कॉलेज के 13 छात्र इस वायरस से संक्रमित मिले थे, उल्टियां और दस्त इस वायरस का मुख्य लक्षण हैं।
नोरोवायरस से कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में कई बार संक्रमित हो सकता है, क्योंकि इसके कई सारे प्रकार होते हैं, इसलिए अगर आप एक बार संक्रमित हो गए हैं तो आगे भी आप इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।

अगर आप नोरोवायरस के किसी एक प्रकार से संक्रमित हुए हैं तो उसके खिलाफ इम्युनिटी बन सकती है, लेकिन दूसरे प्रकार से आप फिर से संक्रमित हो सकते हैं. इस बात को लेकर भी अभी कोई जानकारी नहीं है कि इससे एक बार संक्रमित होने के बाद कितने समय तक इम्युनिटी बनी रहती है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, किसी भी उम्र में कोई भी व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है, नोरोवायरस से आप कितना संक्रमित होते हैं , ये आपके जीन पर भी निर्भर करता है। नोरोवायरस को कई बार ‘स्टमक फ्लू’ या ‘स्टमक बग’ भी कहा जाता है. हालांकि, इससे संक्रमित होने के बाद फ्लू जैसी बीमारी नहीं होती है।

लक्षण

उल्टी, दस्त, पेट दर्द और जी मिचलाना इसके प्रमुख लक्षण हैं. कई बार मरीज को बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। इस वायरस से संक्रमित होने पर पेट या आंतों में जलन हो सकती है,संक्रमित होने के 12 से 48 घंटे बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं,एक से तीन दिन में इससे राहत भी मिलने लगती है।

अगर आप नोरोवायरस से संक्रमित होते हैं तो आपको बुखार हो सकता है, दिन में कई बार उल्टियां और दस्त हो सकते हैं, इसके अलावा डिहाइड्रेशन की शिकायत भी हो सकती है।

बुखार
बुखार

नोरोवायरस से दूषित कोई खाना खाने या पेय पदार्थ पीने से भी ये संक्रमण फैल सकता हैं, इसलिए मरीज का जूठा ना खाएं, इसके अलावा नोरोवायरस से दूषित किसी सतह या चीज को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है, नोरोवायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।

नोरोवायरस से संक्रमित व्यक्ति इसके अरबों पार्टिकल छोड़ सकता है, और इसके महज कुछ पार्टिकल ही दूसरे व्यक्ति को बीमार कर सकते हैं, इसलिए साफ सफाई और आइसोलेशन जरूरी है।

इलाज

नोरोवायरस से संक्रमित होने पर एक से तीन दिन में ही ठीक हुआ जा सकता है. इससे संक्रमित होने पर डिहाईड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना जरूरी है।

कई मामलों में डिहाईड्रेशन की समस्या बहुत बढ़ जाती है, जिसके बाद अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है. अस्पताल में नसों के जरिए लिक्विड डाला जाता है।

सावधानियाँ

नोरोवायरस का नया संक्रमण तिरुअनंतपुरम के विहिंजम में सामने आया है,केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि बीमारी को फैलने से रोकने के इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ये भी कहा है कि पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि स्कूलों में जो मिड डे मील बांटा गया, उसे खानें से छात्रों में फूड प्वाइजनिंग हुई है, राज्य के स्वास्थ्य विभाग और जनरल एजुकेशन व सिविल सप्लाई विभाग ने रविवार को उच्च स्तरीय बैठक करके बीमारी को फैलने से रोकने के उपायों का ऐलान किया, इनमें मिड डे मील को तैयार करने में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना, पानी के टैंकों की सफाई और स्टाफ को जागरुक करना शामिल है।

क्योंकि आमतौर पर ये दूषित पानी, दूषित खाने और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, ये वायरस बार-बार व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है क्योंकि इसके बहुत सारे वैरिएंट होते हैं. इस वायरस पर कीटाणुनाशक भी काम नहीं करते और ये 60 डिग्री के तापमान पर भी जिंदा रह सकता है। मतलब ये कि पानी को उबालने या क्लोरीन डालने से इस वायरस को नहीं मारा जा सकता है, ये वायरस हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल के बावजूद जिंदा रह सकता है।

आमतौर पर यह संक्रमण जानलेवा नहीं होता लेकिन बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सतर्क रहने की सलाह दी जाती है, संक्रमण लगने और ज्यादा उल्टी-दस्त होने से उनकी स्थिति गंभीर हो सकती है. ज्यादातर मरीज कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं. इसकी कोई खास दवा नहीं है।
हर स्तर पर साफ सफाई और सावधानी ही इसका इलाज़ है।

सिगरेट कैसे छोड़े-Smoking Chodne Ke Tarike In Hindi

सिगरेट कैसे छोड़े

सिगरेट का सेवन काफी लोग करते हैं। सिगरेट शरीर के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं। सिगरेट शरीर के फेफड़ों को बहुत ज्यादा क्षति पहुंचाते हैं और फेफड़ों कैंसर जैसी समस्याएं भी सिगरेट की वजह से उत्पन्न होती है। सिगरेट की लत लगने के पश्चात सिगरेट को छोड़ना काफी मुश्किल होता है। सिगरेट की वजह से होने वाले नुकसान सिगरेट छोड़ने के पश्चात भी समाप्त होते हैं। अन्यथा सिगरेट से होने वाले नुकसान शरीर को भी एक दिन खत्म कर सकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सिगरेट की लत से छुटकारा पाया था। अगर आप खुद इस बारे में जिद कर लें कि मुझे सिगरेट छोड़ना है तो आप आसानी से छोड़ सकते हैं। आज इस लेख में हम जानेंगे कि सिगरेट कैसे छोड़े और सिगरेट से होने वाले नुकसान शरीर को कैसे बचाए।

सिगरेट कैसे छोड़े

कई लोग शौक से सिगरेट पीते हैं। स्मोकिंग करना कई लोगों की लाइफ स्टाइल में है। तो कोई लोग शौक से ही इस लत के शिकार हो जाते हैं। युवा लोग जो सिगरेट को इतना सीरियस नहीं लेकर धीरे-धीरे घरवालों के चुपके-चुपके सीख जाते हैं और एक बार आदत पढ़ने के पश्चात सिगरेट को छोड़ना काफी मुश्किल हो जाता है।

लेकिन बराक ओबामा ने 48 साल की उम्र में सिगरेट को छोड़ दिया था। अगर बराक ओबामा 48 साल की उम्र में सिगरेट छोड़ सकते हैं। तो युवा लोग जो आज के समय में बहुत ज्यादा सिगरेट के शिकार हो रहे हैं। वह भी अगर ठान ले तो सिगरेट छोड़ सकते हैं।

सिगरेट को छोड़ने के लिए अपने दैनिक जीवन में कई प्रकार के बदलाव करने होते हैं। अपनी दिनचर्या में कुछ अन्य टॉपिक जोड़ने होते हैं। ताकि आप सिगरेट की याद को भुला सके और उसे छोड़ने में आसानी हो। कई विशेषज्ञों के अनुसार बराक ओबामा के सहित दुनिया भर में जितने भी लोग स्मोकिंग करके उसके पश्चात छोड़ चुके हैं। उनके ऊपर कई प्रकार के फाइव स्टेप प्लान बनाया गया है।

इस प्लान को फॉलो कर के युवा लोग जो आज के समय में सबसे ज्यादा सिगरेट के शिकार होते जा रहे हैं। युवा लोग जो शुरुआत में शौक से सिगरेट पीते हैं और बाद में उनकी लत हो जाती है। इन निम्नलिखित स्टेप को फॉलो कर के युवा लोग के साथ-साथ बुजुर्ग भी सिगरेट को हमेशा के लिए छोड़ सकते हैं।

सिगरेट छोड़ने के लिए इन स्टेप को करें फॉलो | Smoking Chodne Ke Tarike In Hindi

अपने आपको तनाव से दूर करें

आदमी को सिगरेट की याद सबसे ज्यादा तब आती है। जब व्यक्ति तनाव में होता है। किसी भी व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार की चिंता होती है। तब व्यक्ति सिगरेट पीने की सोचता है। लेकिन ऐसे में अपने आपको कहीं दूसरे काम में उड़ जाएं और खुद को तनाव से उबरने की कोशिश करें।

अपने शरीर को तनाव से उबरने के लिए आप अन्य कई प्रकार के काम कर सकते हैं। जैसे:- दोस्तों के साथ खेलना, फिल्म देखना,किताबें पढ़ना, संगीत सुनना, ऑनलाइन किसी के साथ वीडियो कॉल पर बात करना इत्यादि।इस प्रकार से आप अपने शरीर के तनाव को कम कर सकते हैं और ऐसा करने पर आपको सिगरेट की याद नहीं आएगी। लगातार ऐसा करते रहेंगे तो आप सिगरेट आसानी से छोड़ सकते हैं।

सिगरेट कैसे छोड़े
सिगरेट कैसे छोड़े

खुद की प्रशंसा करें और खुद से जिद करें

सिगरेट कैसे छोड़े-सिगरेट छोड़ने के लिए अपने खुद के मन में एक मजबूत कारण बनाएं कि मुझे इस वजह से सिगरेट छोड़ दी है। आपको कुछ अलग अपने दिमाग में सोचना होगा और जब आप खुद पूरी तरह से सिगरेट की लत को छुड़ा देते हैं। तो खुद को तोहफा दे खुद की प्रशंसा करें।

सिगरेट छोड़ने के लिए थोड़ा समय दें

सिगरेट छोड़ने के लिए आपको समय निश्चित करना होता है, कि मैं आज से या इस तारीख से सिगरेट छोड़ने के लिए तैयार हूं। उसके बाद आपको एक साथ या एक ही दिन में सिगरेट को नहीं छोड़ना है।

धीरे-धीरे छोड़ने का प्रयास करें

स्मोकिंग को छोड़ने के लिए आपको अपने एक निश्चित अवधि के दौरान धीरे-धीरे करके एक एक सिगरेट की संख्या कम करते जाना होगा। सिगरेट को छोड़ने के लिए आपको एक निश्चित समय इस मुद्दे के लिए देना होग।

उदाहरण के तौर पर यदि आप दिन में 5 सिगरेट पीते हैं। तो जिस दिन से सिगरेट छोड़ने की शुरुआत करते हैं। तब दिन की चार सिगरेट पीना शुरू करें। यह काम चार-पांच दिन तक करें जब आपको उचित लगे,कि मैं चार सिगरेट में भी अपना दिन गुजार सकता हूं। तो उसके बाद एक सिगरेट और कम करें ऐसे ऐसे करके सिगरेट को अपने आप से छुड़वाए।

उन दोस्तों के साथ ना बैठे जो आपको सिगरेट पीने को कहे

सिगरेट छोड़ने के लिए अपने जिंदगी में एक नई सोच रखकर एक बड़ा डिसीजन लेना होता है। जिंदगी की नई शुरुआत करने के लिए आपको हर दिन खुद को बधाई देनी होती है और आपको अपने आप पर काबू पाने के लिए खुद से जिद करके बैठना होगा। ऐसा करके ही आप सिगरेट को छुड़ा सकते हैं।

जब आप सिगरेट छोड़ने की मन में ठान लेते हैं। तो उसके पश्चात आप ऐसे दोस्तों के साथ ज्यादा संपर्क में ना रहे। जो आपको सिगरेट पीने के लिए कहते हैं या सिगरेट पीने के लिए उकसाते हैं।

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