आंवला चूर्ण ओर शहद के फायदे जानकर आप हो जाएंगे हैरान

आंवला चूर्ण ओर शहद के फायदे

आंवला और शहद के फ़ायदों से तो हम सब अच्छी तरह से वाकिफ है। इन दोनों का इस्तेमाल प्राचीन काल से आयुर्वेद में किया जा रहा है। आंवला और शहद दोनों गुणों की खान माने जाते है। आंवला में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है । तथा शहद में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाये जाते हैं। जहां शहद आपको खांसी से आराम दिलाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, वहीं आंवला हाई ब्लड प्रैशर को कम करने और आँखों की रोशनी को बढ़ाया है। अगर इन दोनों का सेवन साथ में किया जाये तो इनके फायदे और भी बढ़ जाते हैं। आज इस लेख में हम आपको आंवला चूर्ण ओर शहद के फ़ायदे के बारे में बताएँगे।

आंवला चूर्ण ओर शहद के फायदे

गले की खराश को करे ठीक

आज कल मौसम के बदलते ही गले में खराश और खांसी की समस्याएँ हो जाती है। इनसे बचने के लिए आप आंवला चूर्ण में शहद और अदरक का रस मिला कर इसका सेवन करें। ये आपको गले की खराश में आराम दिलाएगा और खांसी को भी कम करेगा।

त्वचा को करे मोइश्चराइज़

आंवला चूर्ण और शहद आपकी त्वचा के लिए भी बहुत ही फायदेमंद साबित होते हैं। ये आपकी रूखी त्वचा में जान डालते हैं और आपकी त्वचा को नमी देकर उसे मोइश्चराइज़ करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच आंवला पाउडर में 1 चम्मच शहद मिला कर इसका पेस्ट बना लें। अब इसे अपने चेहरे पर अच्छे से लगा लें। 15 से 20 मिनट तक इसे लगा रहने दें। इसके बाद अपने चेहरे को पानी की सहायता से धो लें।

पाचन को बनाए बेहतर

कई बार भोजन ठीक से नही पचता। जिस कारण से आपको कब्ज़ और अपच जैसी समस्याएँ भी हो जाती हैं। ऐसे में आप आंवला चूर्ण और शहद का सेवन कर सकते है। इसके लिए 1 चम्मच आंवला चूर्ण और 1 चम्मच शहद को पानी में मिला कर इसका सेवन करें। इसके सेवन से आपके शरीर में गेस्ट्रिक जूस का उत्पादन बेहतर होता है। जिससे भोजन अच्छे से पचता है। इससे आपका मेटाबोलिज़म भी बेहतर होता है। और आपको कब्ज़ जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।

हेयर मास्क की तरह करें प्रयोग

आप इसका प्रयोग एक हेयर मास्क की तरह भी कर सकते हैं। इसके लिये आप 2 चम्मच आंवला के चूर्ण में 2 चम्मच दही और 1 चम्मच शहद मिला कर इसका पेस्ट बना लें। अब इसे बालों में अच्छे से लगा लें। इसे 1 घंटे तक के लिए बालों में लगा रहने दें। इसके बाद बालों को गुनगुने पानी की सहायता से अच्छे से धो लें। इसके प्रयोग से आपके बालों में चमक आती है। आंवला पाउडर आपके बालों को पोषण देता है और उन्हे मजबूत बनाता है। वहीं शहद आपके बालों को नमी प्रदान करता है और उन्हे स्मूद और सिल्की बनाता है।

हेयर मास्क
हेयर मास्क

अस्थमा को रोकने में करे मदद

आज कल कई लोग अस्थमा की बीमारी से पीड़ित है। कई लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आंवला का चूर्ण और शहद आपको आराम दिला सकता है। ये आपकी श्वसन नली को साफ रखता है और सांस लेने में हो रही दिक्कत को कम करता है। इसके लिए 20 ग्राम आंवले के चूर्ण में 1 चम्मच शहद मिलाये और इसका सेवन करें।

विषैले पदार्थों को शरीर से निकालें बाहर

विषैले पदार्थों के शरीर में ही रहने से आपको कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। आंवला का चूर्ण और शहद का एक साथ सेवन शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इससे आप कई तरह की बीमारियों से बचे रहते हैं और आपकी त्वचा भी बहुत सुंदर और साफ हो जाती है।

एजिंग को करे कम

उम्र बढने के साथ साथ शरीर कमजोर होने लगता है और चेहरे पर भी झुर्रियां और फ़ाइन लाइंस आने लगती है। ये देखने में भी अच्छी नहीं लगती। ऐसे में आंवला का चूर्ण और शहद का एक साथ सेवन करने से आप एजिंग को भी कम कर सकते हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच आंवला का चूर्ण लें और इसमे 1 चम्मच शहद मिला दें। अब इसे चेहरे पर फ़ेस मास्क की तरह अप्लाई करे। 15 से 20 मिनट के बाद चेहरे को पानी से अच्छी तरह से धो लें। आंवला का चूर्ण आपकी त्वचा को पोषण देगा जिससे झुर्रियां कम होंगी और शहद आपकी त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करेगा।

जानिए पेट खराब होने पर क्या खाएं-Pet Kharab Ka Desi Ilaj

पेट खराब होने पर क्या खाएं

पेट खराब होना एक बहुत ही आम समस्या है। कभी बाहर का खाने की वजह से, कभी किसी खाने या दवाई के रिएक्शन से, कभी किसी बीमारी के कारण पेट खराब हो सकता है। इसके अलावा भी पेट खराब होने के बहुत से कारण होते है जैसे ठंड लग जाना या प्रेग्नेंसी। लेकिन सवाल ये है कि जब पाचन का मुख्य अंग ही बीमार हो तो क्या खाना चाहिए। आज इस आर्टिकल में हम इसी बारे में बात करेंगे कि पेट खराब होने पर क्या खाएं।

बरसात के मौसम में अक्सर लोगों का पेट खराब हो जाता है. खासतौर पर उनका जो बाहर खाना खाते हैं. पर इस बात की गारंटी नहीं ली जा सकती है कि जो लोग घर पर खाना खाते हैं उनका पेट हमेशा ठीक ही रहे।

कई बार स्ट्रेस, ठंड लगने या पेट की गर्मी से भी पेट खराब हो जाता है। लेकिन ज्यादातर पेट खराब होने पर खानपान एक सा ही होता है।
तो आइए आपको बताते है पेट खराब होने पर क्या खाएं।

पेट खराब होने के लक्षण

  • पेट मे एसिडिटी या गैस बनना
  • जी खराब होना या मितली आना
  • खट्टी डकार के साथ गले तक खाना आना
  • पेट या छाती के पास जलन महसूस होना
  • एसिड रिफ्लक्स
  • पेट फूलना या ब्लोटिंग
  • मुंह से बदबू आना
  • हिचकी आना

पेट खराब के उपाय-पेट खराब होने पर क्या खाएं

हम आपको बताएंगे कि पेट खराब होने के कारण के हिसाब से क्या खाएं और क्या नही

अदरक

अदरक में एंटीफंगल और एंटी-बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं, जो किसी भी तरह के इन्फेक्शन में फायदेमंद है। यदि पेट खराब होने का कारण ठंड या किसी प्रकार का इन्फेक्शन है तो अदरक का प्रयोग करें।

अदरक को पानी मे उबालकर उस पानी को चाय की जगह पिए। एक चम्मच अदरक पाउडर को दूध में मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है।

कब न लें

यदि पेट मे गर्मी हो तो अदरक का प्रयोग न करें।

एप्पल साइडर विनेगर

एप्पल साइडर विनेगर पेट खराब होने पर एक बेहतरीन उपाय है। इसमे पेक्ट‍िन नामक तत्व होता है जो पेट दर्द और मरोड़ में राहत देता है.

इसकी एसिडिक प्रॉपर्टी खराब पेट के संक्रमण को ठीक करने में भी कारगर है। एक चम्मच सिरके को एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से जल्दी आराम होता है।

कब न लें

यदि आपको एसिडिक चीज़ों से एलर्जी हो। बिना डॉक्टर की सलाह के प्रयोग न करें।

दही

जब भी पेट खराब होता है तो सबसे पहली चीज़ जो डॉक्टर सजेस्ट करते है, वो है दही। दही होती है प्रोबियोटिक से भरपूर और यही प्रोबियोटिक गट हेल्थ के लिए बेस्ट होती है।

पेट मे गर्मी होने पर या फ़ूड इन्फेक्शन होने पर दही खिचड़ी का कॉम्बिनेशन सबसे बेस्ट है।

दही
दही

कब न ले

यदि पेट ठंड लगने के कारण खराब हो, उबकाई आ रही हो, बरसात या सर्दी का मौसम हो, अथवा शाम को 4 बजे के बाद दही का सेवन न करें। दही में मीठा डालकर न लें।

केला

आपको जानकर हैरानी होगी कि केला लूज मोशन तथा कब्ज दोनों स्थितियों में खाया जाता है। इसमे मौजूद पेक्टिन, मोशन को बांधने का काम करता है।

साथ ही केले में होता है भरपूर मात्रा में पोटेशियम जो कि बॉडी के सोडियम पोटेशियम सिस्टम को सही रखता है।

कब न ले

शाम के बाद केला खाने से बचे खासकर यदि पेट ठंड से खराब हो तो

 पुदीना

पुदीना सर्दियों में मिलने वाल बेहतरीन हर्ब है. आप सर्दियों में इसे सुखाकर रख सकते है और गर्मियों में प्रयोग कर सकते है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाचन क्रिया को सुधारने में भी सहायक होता है।

पुदीने को चटनी के रूप में या छाछ और दही में मिलाकर खाए। इससे जी साफ होता है और उबकाई में आराम मिलता है। यह आंतों में मांसपेशियों की ऐंठन को कम करता है।

कब न ले

अगर कच्चा पुदीना चटनी के रूप में आपको नुकसान कर रहा है, तो इसका उपयोग बन्द कर दे। आप पुदीने के पाउडर को जूस, चाय या अन्य खाद्य पदार्थों में डाल कर भी ले सकते हैं।

जीरा

जीरा पेट के लिए संजीवनी जैसा होता है। इसलिए भारतीय रसोई में जीरा रोज़ के खानपान का हिस्सा है। जीरा चबाकर पानी पी सकते है, भुना जीरा दही या छाछ में डालकर खा सकते है।

सब्जी, दाल या खिचड़ी को छोंकने में तो इसका प्रयोग होता ही है।

कब न लें

जीरा कभी भी, कैसे भी लिया जा सकता है। इसको पानी मे उबाल कर भी पिया जा सकता है।

पेट खराब होने पर उपयोगी अन्य खाद्यपदार्थ

  • फाइबर से भरपूर बेल या बेल का शरबत पेट को ठंडा रखता है।
  • निम्बू को गैस पर गर्म करके उसपर भुना जीरा और काला नमक छिड़कर चूसे, गैस और एसिडिटी से राहत मिलेगी। (ध्यान रहे कि निम्बू गर्म रहे, ठंडा नही)
  • सिट्रिक एसिड एलर्जी से ग्रस्त लोग निम्बू का प्रयोग न करें। निम्बू पानी का प्रयोग कर सकते है।
  • दालचीनी को अदरक, अजवायन के साथ पानी मे उबालकर पियें। अपच, गैस, खट्टी डकार से राहत मिलेगी। चाय में भी प्रयोग करें।
  • मेथीदाना, एलोवेरा का प्रयोग करें।

इन बातों का रखें ध्यान

  • दूध का प्रयोग केवल पेट में जलन या एसिडिटी होने पर करें। दूध में सौंफ उबालकर पिए। लेकिन किसी प्रकार का संक्रमण होने पर इसका प्रयोग न करें।
  • खाना खाने के बाद लेटने या सोने की बजाय वज्रासन में बैठे या 100 कदम चले।
  • तला भुना, मसालेदार, भारी और बाहर का न खाएं।
  • फाइबर युक्त भोजन ले, खूब पानी पिएं, नारियल पानी ले।

क्या हींग से गर्भपात हो सकता है? कितना है सुरक्षित गर्भवस्था में हींग का सेवन?

हींग से गर्भपात

हर स्त्री का सपना होता है मां बनना। कभी-कभी लेकिन ऐसी परिस्थितियां होती है कि मां बनना एक दुस्वप्न लगता है। कभी ऐसा भी होता है कि आप प्रेगनेंसी कंसीव कर लेते हैं और आपको पता ही नहीं चलता। यह भी हो सकता है कि आपकी फैमिली कंप्लीट होती है और आप इस बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं होते। ऐसे में गर्भपात करना आवश्यक हो जाता है।

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

यहां पर हम बात करेंगे हींग से गर्भपात के तरीके की। हमें ध्यान रखना है कि यह सिर्फ शुरुआत के 1 महीने के लिए ही संभव है। इसके अलावा इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। बेहतर तो यही होगा कि हमें चिकित्सक परामर्श ले लेना चाहिए। डॉक्टर के पास जाना कभी-कभी संभव नहीं होता। ऐसे में हम घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। यहां पर हम ऐसे ही एक घरेलू नुस्खे हींग की बात कर रहे हैं। 

हींग का गर्भनिरोधक गुण

हींग
हींग
  • हींग तासीर में बहुत गर्म होती है। यह गर्भवती स्त्री के ब्लड प्रेशर लेवल को बड़ा सकती है। जिसके कारण भ्रूण गर्भ में ही नष्ट हो सकता है।
  • हींग अपने गर्भनिरोधक गुण के कारण भ्रूण को गर्भाशय में बढ़ने नहीं देती। भ्रूण को गर्भ में ही नष्ट कर देती है।
  • हींग में ऐसे केमिकल पाये जाते हैं जो कि बच्चे के लिए नुकसान करते हैं। ये केमिकल बच्चे के मस्तिष्क में विकार उत्पन्न करके उसकी मृत्यु तक करा सकते हैं।
  • हींग का सेवन करने से गर्भवती महिला के शरीर में वात का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे बच्चे के नर्वस सिस्टम के टिशु के विकास में बाधा पहुंचती है।
  • लगातार सेवन करने से बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। हींग गर्भाशय को तेजी से संकुचित करती है। जिसके कारण गर्भपात हो जाता है। आइए जानते हैं हींग के द्वारा गर्भपात के तरीके।

हींग का काढा

सुबह-सुबह हींग के काढे का सेवन लगातार तीन-चार दिन करने से जल्दी ही गर्भपात हो जाता है। हींग का काढा बनाने के लिए आपको एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच चाय पत्ती और थोड़ी सी हींग डालकर खौलानी होती है। जब यह पानी आधा हो जाए तो इसे गरम-गरम पीना होता है। यह नुस्खा बहुत ही जल्दी असर करता है। लेकिन इससे बेचैनी और घबराहट होने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं। 

अजवाइन और हींग का काढा

अजवाइन और हींग दोनों ही गर्भनिरोधक का कार्य करती हैं। इन दोनों का अगर मिलाकर सेवन किया जाए तो गर्भपात की संभावना काफी बढ़ जाती है। अजवाइन का काढ़ा बनाने के लिए आपको दो गिलास गर्म पानी को उबालना है। उबलते हुए गर्म पानी में आपको एक चम्मच अजवाइन और 1 चम्मच हींग डालनी है। जब हींग और अजवाइन का पानी आधा रह जाए तो उसे गरम गरम तीन-चार दिन तक लेना है। यह उपाय बहुत कारगर है बहुत ही जल्दी गर्भपात हो जाता है। 

हींग और गुड़ का काढा

गुड़ बहुत गर्म होता है। हींग भी काफी गर्म होती है। हींग और गुड़ मिलकर एक उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। जिससे बहुत जल्दी ही गर्भपात हो जाता है। हींग और गुड़ की चाय बनाने के लिए आपको एक गिलास पानी में एक चम्मच चाय पत्ती डालेंगे। जब यह खौलने लगेगा तो इसमें आपको एक गुड़ का टुकड़ा डाल देना है। जब यह खौलते खौलते आधा रह जाएगा तब इसे पी लेना है। यह काढ़ा बहुत आरामदायक होता है इसको पीने से दर्द से भी राहत मिलती है।

हींग और सौंठ का काढा 

सौंठ और हींग दोनो ही बहुत गर्म होते हैं। जो गर्भाशय के संकुचन को बढ़ाता है जिसके कारण गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है। हमें दो गिलास पानी में एक चम्मच सौंठ और एक चौथाई चम्मच हींग और गुड़ का मिलाकर उबालना होता है जब यह चाय एक चौथाई से भी कम रह जाए। इस चाय को सुबह उठते समय और रात को सोते समय 4 दिन तक लगातार लेने से गर्भपात होने की संभावना अधिक हो जाती हैं।

हींग और सौंठ, अजवाइन, गुड़ का काढा 

आप चाहे तो इन सारी सामग्रीयों को एक साथ मिलाकर भी उबाल सकते हैं। जब यह काढा पी सकते हैं। यह प्रक्रिया आपको तब तक दोहरानी है जब तक आप की डेट आने ना लगे। जब हम लेकिन एक साथ इतनी सारी गर्म चीजें उपयोग में लाएंगे तो इसके काफी सारे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हमारा बीपी बढ़ सकता है। हमें हीट स्ट्रोक्स आ सकते हैं। एन्जाइटी हो सकती है। बीपी बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक हर्ट अटैक की संभावनाएं भी हो सकती हैं। इन सारी चीजों के कारण गर्भपात तो भले ही हो जाए पर और दूसरी समस्याएं भी हो सकती है। अतः सारी सामग्रियों को एक साथ मिलाकर उपयोग में लाना अच्छा विकल्प नही है। आप चाहे तो सुबह शाम अलग-अलग तरह के काढे प्रयोग में ला सकते हैं।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार, जो आपके लिए जानना है जरुरी

डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार

बारिश के मौसम के साथ ही ढेरो बीमारियां फैल जाती है। उन्ही में से एक खतरनाक बीमारी होती है डेंगू, डेंगू जो शुरू में एक सामान्य बुखार की तरह लगता है, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर जानलेवा हो सकता है। डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार की जानकारी के अभाव में मरीज की जान भी जा सकती है। डेंगू बुखार मादा एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। जुलाई से अक्टूबर में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण होता है। इसलिए इन महीनों में बहुत ही ध्यान देने की जरूरत होती है।

इन मच्छरों के शरीर पर काली सफेद रंग की धारिया होती है। डेंगू से पीड़ित किसी इंसान को जब ये मच्छर काटता है तो खून के साथ ये वायरस भी मच्छर के शरीर मे चला जाता है। जब यहीं मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी डेंगू हो जाता है।

डेंगू के लक्षण

ये तीन तरह का होता है, और उसी के आधार डेंगू के लक्षण होते है।

साधारण डेंगू के लक्षण

  • दिन से लेकर एक हफ्ते तक व्यक्ति बुखार से पीड़ित रहता है।
  • बुखार हो जाता है।
  • बहुत तेज ठंड महसूस होती है।
  • सरदर्द
  • आँखों मे दर्द होता है जो आंखों को हिलाने पर बढ़ जाता है।
  • मसल्स और जॉइंटस में दर्द होता है।
  • कमजोरी लगती हैं,
  • मुँह में कड़वापन,गले मे भी दर्द होता है।
  • फेस, गर्दन,और छाती पर रैशेस हो जाते है।

डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षण

  • नाक, मुँह और मसूड़ों से खून आने की समस्या हो सकती है।
  • मरीज को हर समय गला सूखा महसूस होता है और प्यास लगती हैं,
  • स्किन पर घाव हो जाते है,
  • त्वचा बहुत ठंडी महसूस होती है,मरीज बेचैनी में कराहता रहता है,
  • उल्टी हो सकती है, जिसमे खून भी आ सकता है।
  • सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती हैं,
    डेंगू हैमरेजिक बुखार
    डेंगू हैमरेजिक बुखार

डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण

  • नाम से पता चल रहा कि मरीज शॉक में आ जाता है।
  • ब्लड प्रेशर गिर जाता है।
  • तेज बुखार महसूस होता है पर शरीर ठंडा रहता है।
  • मरीज का होश खोना आदि लक्षण होते है,नब्ज तेज चलने लगती है।

डेंगू बुखार से बचाव के उपाय

डेंगू से बचाव करने का सबसे सरल और जगजाहिर उपाय है, कि पानी को एक जगह इक्कठा न होने दे। पानी चाहे गंदा हो या साफ़
क्योंकि डेंगू का मच्छर रुके हुए पानी मे पनपता है,ये कुछ निम्न उपाय है जो हम अपना सकते हैं।

  • कूलर का पानी बदलते रहे।
  • पूरी बाजू के कपड़े पहने।
  • अगर आपकी छत या आँगन में कही भी कोई टायर, डब्बा, फालतू बाल्टी, घड़ा, बोतल जैसा कोई भी बर्तन रखा हो जिसमें पानी इक्कठा होता हो उसे तुरंत हटा दे।
  • मच्छर नाशक चीज़ो का प्रयोग करे, लेकिन सावधानी से।
  • टँकीयो और बर्तनों को ढककर रखे।
  • मच्छरदानी का प्रयोग स्वस्थ्य व्यक्ति के साथ साथ मरीज के लिए भी जरूर करें ताकि मच्छर उसको काटकर बीमारी ना फैला सके।
  • एस्पिरिन,आईब्रूफेन बिल्कुल ना दे।
  • डॉक्टर के पास ले जाने तक बुखार के लिए पैरासिटामोल दे सकते है।।
  • जहाँ पानी भरा हो वहां केरोसिन,मिट्टी का तेल डालें
  • नीम की पत्तियां जलाए, कीटनाशक का छिड़काव केवल ऊपरी तौर पर नही घर के अंदुरुनी और छुपे हुए हिस्सो में भी करें।
  • खिड़की,दरवाजो पर बारीक जाली लगवाए।
  • बाहर का खाना, ज्यादा तला हुआ,मसालेदार ना खाएं खासकर बरसात के मौसम में।
  • पूरे मानसून सीजन में पानी उबाल कर पिए।
  • बासी खाना ना खाएं चाहे वो फ्रिज का ही क्यों ना हो।
  • तुलसी, काली मिर्च, अदरक, गिलोय, एलोवेरा, आँवला का प्रयोग करें
  • पानी मे क्लोरीन का प्रयोग, डी डी टी का छिड़काव भी मददगार होता है।
  • इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे।
  • फल और सब्जियों को भली प्रकार धोकर ही उपयोग करे
  • खुले में शौच ना करे,जंक फूड ना खाएं
  • डस्टबीन में गीला सूखा कचरा अलग रखें, और ढक कर रखे।

डेंगू से बचने के घरेलू उपाय

डेंगू में गिलोय का प्रयोग

डेंगू में गिलोय का प्रयोग, अब डेंगू के लिए संजीवनी बूटी की तरह प्रसिद्ध हो चुका है। यह डाइजेस्टिव सिस्टम को सही रखकर इम्युनिटी को स्ट्रांग बनाता है।

कैसे ले

डेंगू बुखार में आप गिलोय की डंडी को पानी में उबालें, पानी के आधा रह जाने पर छान लें और एक हर्बल ड्रिंक के रूप में उपयोग करें। इस पेय में कुछ तुलसी के पत्ते भी मिला सकते हैं।

तुलसी

तुलसी का प्रयोग न केवल इम्युनिटी बढ़ाता है बल्कि किसी भी तरह के संक्रमण को भी दूर करता है। इसके लिए आपको कुछ मेहनत भी नही करनी होगी।

कैसे ले

सुबह कभी भी तुलसी के पत्ते ले और पानी से निगल ले। आप तुलसी के पत्तो को साबुत दालचीनी और काली मिर्च के साथ उबाल कर काढ़ा भी बना सकते है।

मेथी

मेथी के पत्ते डेंगू से होने वाले दर्द में आराम देता है। बेचैनी से मरीज को नींद नही आती उसमें भी मेथी के पत्ते फायदेमंद है और नींद लाने में मदद करते है।

कैसे ले

मेथी के पत्तो का साग, आटे में मिलाकर रोटी या मेथी दाने का भिगोकर प्रयोग करें। रात को मेथी दाना भिगो दें और सुबह पानी से निगल ले।

डेंगू में कौन सा फल खाना चाहिए

क्या डेंगू में संतरे अच्छे होते हैं?

संतरे में मौजूद होते है,एन्टीऑक्सीडेंट जो कि किसी भी प्रकार के बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण में प्रभावी है। साथ ही इसमे होता है विटामिन सी जो इम्युनिटी को बढ़ाता है।

कोलेजन के निर्माण में विटामिन सी की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण यह सेलुलर मरम्मत को उत्तेजित करता है।

संतरा
संतरा

कैसे ले

जूस की बजाय संतरे को खाएं, क्योंकि जूस की जगह संतरे का फाइबर ज्यादा उपयोगी है। शाम के बाद संतरे का सेवन न करें। यदि खांसी है तो संतरा न खाएं।

पपीते के पत्ते

पपीते के पत्ते में न्यूट्रिशनल एलिमेंट और आर्गेनिक एलिमेंट्स की जुगलबंदी प्लेटलेट नंबर्स बढ़ाती है। साथ ही इसमे मौजूद एंटीऑक्सिडेंट ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने और रक्त में अधिक विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में सहायता करता है।

कैसे ले

पपीते के पत्तो को तुलसी या गिलोय के साथ उबालकर इस्तेमाल कर सकते है। साथ ही पपीते के पत्ते का रस निचोड़कर भी सेवन कर सकते है।

पपीते के फल को भी डाइट का हिस्सा बनाए खासकर सुबह के समय जरूर खाए।

जौं

जौ घास ब्लड प्लेटलेट्स को बढ़ाती है। इसलिए इसका सेवन बहुत लाभदायक होता है।

कैसे ले

जौ घास से बना काढ़ा पिएँ या इसे सीधे ही खा सकते है। जौं का सत्तू या रोटी के आटे में मिलाकर प्रयोग करे।

क्या डेंगू बुखार में नारियल पानी पी सकते हैं?

खूब नारियल पानी पिएँ। इसमें मौजूद जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) शरीर को मजबूत बनाते हैं।

कैसे ले

नारियल पानी का सेवन तेज बुखार में न करे। शाम 4 बजे के बाद भी नारियल पानी न पीएं।

इनके अलावा कद्दू (पके हुए कद्दू को पीस कर उसमें एक चम्मच शहद डालकर पिएँ) चुकंदर, एलोवेरा का सेवन भी डेंगू और उसके लक्षणों में आराम देता है।

संतरा एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटामिन-सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए डेंगू के मरीजो़ के लिए संतरे को अच्छा माना जाता है। इसमें भरपूर फाइबर होने से कब्ज़ की समस्या नहीं होती, रसदार होने से डिहाइड्रेशन दूर करता है, पोषक तत्वों से शरीर की कमजोरी दूर होती है। संतरा खाने का अगर रोगी का मन ना हो तो संतरे का जूस भी अच्छा विकल्प है। मुँह का स्वाद अच्छा हो इसके लिए हल्के से काले नमक के साथ भी जूस ले सकते हैं।

बुखार में शरीर का तापमान बढा़ रहता है इसलिए चावल, बहुत ज्यादा खट्टी या ठंडी चीजों को एवोइड़ करनें की सलाह दी जाती है, लेकिन रोटी आप खा सकते हैं। डेंगू बुखार में जितना हो सके हल्का भोजन ही खाना चाहिए, जैसे दाल, दलिया, खिचड़ी और तरल पदार्थ। क्योंकि बुखार में मुँह का स्वाद काफी खराब हो जाता है इसलिए स्वाद बदलने के लिए पतली दाल के साथ रोटी खा सकते हैं।

बुखार होने पर हल्के आहार का ही चुनाव करना चाहिए जो पचने में आसान हो, अक्सर बुखार में चावल और ठंडी चीजों से परहेज़ की सलाह दी जाती है लेकिन चावल की खिचड़ी खाना अच्छा माना जाता है। एक्सपर्ट भी यही कहते हैं कि डेंगू बुखार होने पर हल्का-फुल्का भोजन लेना चाहिए। लंच में आप थोड़ा चावल भी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि शाम के वक्त चावल बिल्कुल न खाएं। चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो डेंगू में होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करते हैं ।

डेंगू के मरीजों के लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। इसके पत्ते का जूस पीने से प्लेटलेट्स काउंट भी तेजी से बढ़ता है। गिलॉय के पत्तों का काढा़ अगर नियमित रूप से पीते हैं तो डेंगू बुखार होने की संभावना कम हो जाती है, गिलोय की बेल के 10 छोटे छोटे टुकड़े तोड़कर उसे 2 लीटर पानी में थोड़ा सा अदरक और दो चुटकी अजवाइन के साथ सात मिनट तक उबालकर, थोड़ा ठंडा करके, रोगी को खाली पेट पीने को दें तो बेहद लाभ मिलता है।

डेंगू के रोगियों को आहार में हाई प्रोटीन और आयरन से भरपूर डाइट को शामिल करने की सलाह दी जाती है। अंडे में प्रोटीन आयरन और कईं तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसलिए डेंगू मरीज को अंडा खाने को दे सकते है। बस ध्यान रखें कि कैसे देना है * उबले हुए अंडे खाने को दें और अंडे का पीला हिस्सा हटाकर खाएं।अंडे का यह हिस्सा नुकसान पहुंचा सकता है। *अंडे को फ्राई करके खाना बिल्कुल एवोइड करें इससे उसमें फैट की मात्रा बढ़ जायेगी जो पचनें में मुश्किल करेगी। *और ध्यान रखें कि अधपके अंडे ना खायें इससे शरीर में इंफैक्शन का खतरा रहता है।

फीवर के दौरान पैरों के दर्द की शिकायत अक्सर होती हैं- डॉक्टर बताते हैं कि दो तरह के पेन सामने आते हैं, क्यूट रिएक्टिव आर्थराइटिस और क्रॉनिक जाइंट पेन। रिसर्च से ये भी पता चला है कि मांसपेशियों और जोड़ों में अधिक समय तक दर्द रहने के लक्षण एक ऑटो इम्यून स्थिति भी हो सकती है। अगर ऐसा है तो सामान्य व्यायाम और पैरासिटामोल के द्वारा इसमें आराम मिल जायेगा, लेकिन जब अधिक समय तक आराम न मिले तो फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इसके अलावा घर पर नियमित तेल मालिश भी की जा सकती है, जिससे आराम मिलेगा। मालिश के लिए नारियल, तिल और सरसो का तेल अच्छा रहेगा।

डेंगू के इलाज को लेकर कुछ लोगों का यह मानना है की डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने पर इलायची के सेवन से प्लेटलेट की संख्या बढ़ जाती है ,आइए जानते हैं ,क्या ऐसा होता है?डॉक्टर्स की माने तो इलायची के सेवन से प्लेटलेट्स की संख्या में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है । इलायची पाचन शक्ति को सुधारने और मरीज के मुंह का स्वाद ठीक करने के काम में आती है ।डेंगू के दौरान मरीज के शरीर में होने वाली गर्मी से भी इलायची का सेवन फायदा पहुंचाता है परंतु इसके सेवन से प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ता है ।

सिर के पीछे दर्द क्यों होता है-Sir Ke Pichle Hisse Me Dard Ka Ilaj

सिर के पीछे दर्द

सिरदर्द एक ऐसी दिक्कत है जो आजकल बच्चो से लेकर बूढ़े लोगो तक मे देखी जाती है। सिर दर्द को बहुत ही साधारण तरीक़े से समझा और माना जाता रहा है। यूं तो सिरदर्द, माथे में, कनपटी में, पूरे सिर में कहीं भी हो सकता है। पर आज इस आर्टिकल में हम सिर के पीछे दर्द की बात करेंगे।

सिरदर्द, नींद न पूरी होने से, आंखे कमजोर होने या गलत नम्बर का चश्मा पहनने अथवा तेज शोर में रहने से भी हो सकता है। यही सिर दर्द कभी कभी बहुत गम्भीर बिमारीयो को सूचक होता है। लगातार पेन किलर्स के सहारे इसे नजरंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

सिरदर्द, सिर के किस हिस्से में हो रहा है, ये बात बहुत ही ज्यादा मायने रखती है। क्योंकि हर प्रकार की बीमारी या समस्या का सिरदर्द अलग अलग हिस्से में हो सकता है।

सिर के पिछले हिस्से में दर्द दरअसल, शुरुआत में कान के आसपास से शुरू होता हुआ फैलता है।

सिर के पिछले हिस्से में होने वाले दर्द के कारण

ऑक्सीपिटल नेयुरेल्जिया(occipital neuralgia)

ये दर्द, सिर के occipitial हिस्से अर्थात occipital नर्व्स से सम्बंधित है। occipital नर्व्स में होने वाला ये दर्द बहुत ही भयंकर होता है। ये दर्द हूल की तरह उठता है।

सिर के पिछले हिस्से से फैलता हुआ आंखों तक महसूस होने लगता है।

उपाय

  • इसका उपाय केवल न्यूरोलॉजिस्ट से उचित सलाह व फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट लेना है।

क्लस्टर सिरदर्द

क्लस्टर सिरदर्द दरअसल माइग्रेन से अलग होता है। इसका पैटर्न बहुत ही अजीब होता है। कई बार ये दिन में लगातार बना रहता है, और कई बार दिन के किसी विशेष समय पर होता है।

ये पूरे महीने में कुछ समय के अंतराल पर हो सकता है या फिर कई महीनों बाद अचानक अटैक आ सकता है।

ये दर्द सिर के किसी एक हिस्से में या फिर एक आंख के आसपास के हिस्से में इतना तेज, चुभने वाला दर्द होता है कि व्यक्ति नींद से भी जाग जाता है। ज्यादातर ये दर्द कनपटी और ललाट में होता है पर सिर के पिछले ग   हिस्से में भी ये दर्द भयानक रूप से होता है।

उपाय

  • अल्कोहल और स्मोकिंग से न करें।
  • बहुत ज्यादा गर्मी या गर्म वातावरण में ज्यादा व्यायाम करने से बचें

तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द

इस समय तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द सबसे आम है, वर्किंग लोग घण्टो वर्क लोड के , बुक्स लिए, मोबाइल लिए, गर्दन झुकाए बैठे रहते है। और नतीजा होता है सिर के पीछे होने वाला सिरदर्द। ये सिरदर्द दरअसल गर्दन और कंधों पर पड़ने वाले प्रेशर का नतीजा होता है।

तनाव
तनाव

उपाय

  • समय-समय पर आराम करते रहें
  • अपने डेस्क, कुर्सी औऱ कंप्यूटर को ठीक तरीके से व्यवस्थित करें
  • फोन पर बात करने की गलत मुद्रा से बचें
  • दिन में कई बार, 30 मिनट तक दर्द वाली जगह पर बारी-बारी बर्फ़ रखने और गर्म सिकाई करने, स्ट्रेचिंग करें
  • योगा, मैडिटेशन करें।

साइनसाइटिस

मैक्सिलरी साइनस दरअसल खोपड़ी में एक कैविटी यानी खाली जगह होती है। जब इसमे प्रदूषण, एलर्जी, अस्थमा या नाक की हड्डी बढ़ने के कारण सूजन आ जाती है तो सांस लेने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, इस दर्द का अनुभव आप सिर के पीछे, माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आस-पास महसूस कर सकते हैं।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह लें

वर्टिब्रल आर्टरी डाईसेक्शन

वर्टिब्रल आर्टरी गर्दन कि मुख्य आर्टरी होती है। जब इस आर्टरी पर किसी भी तरह को कोई दबाव पड़ता है तो भयंकर दर्द का अहसास होता है।

ये दर्द सर के पिछले हिस्से से होता हुआ जबड़ो तक आता है।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

लिम्फ नोड की सूजन

कान के पीछे के लिम्फ नोड होते है जोकि कभी कभी सूज जाते है। खोपड़ी, कान, आंख, नाक और गले के संक्रमण से लिम्फ नोड में सूजन आ सकती है। कारण हो सकते हैं. इस तरह के दर्द भी काफी कष्टदायक साबित होते हैं.

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

इसके अलावा सिर के पीछे दर्द होने के कुछ अन्य कारण है

  • दिमागी बुखार
  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
  • सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
  • ब्रेन ट्यूमर
  • कंधा जाम होना

वात रोग क्या है? जानिए कैसे करे वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग की पहचान

आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों का मुख्य कारण वात, पित्त और कफ दोष होता है। अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इन सभी तत्वों से मिलकर शरीर का निर्माण हुआ है। यदि इन सभी तत्वों के बीच असंतुलन होता है तो व्यक्ति रोगी हो सकता है। इनका असंतुलन ही वात, पित्त, कफ दोषों को जन्म देता है। आजकल की जीवनचर्या के कारण वातरोग बहुत ही सामान्य है। आज इस आर्टिकल में हम आपको वात रोग की पहचान बताएंगे।

इस आर्टिकल को पढ़कर आप जान सकेंगे कि आप कहीं वातरोग से पीड़ित तो नही।

वातरोग या वायु विकार के प्रकार

वातरोग या वायु विकार को निम्न भागो में बांटा गया है।

उदान वायु

उदान वायु कंठ में वास करती है,जैसे डकार आना। इस प्रकार में सांस लेने और बोलने में समस्या होती है। चेहरे फीका लगता है, और खांसी जैसी समस्या शामिल है

अपान वायु

बड़ी आंत से मलाशय तक, वात रोग के इस प्रकार में बड़ी आंत और किडनी से जुड़ी समस्याएं होती है।

प्राण वायु

प्राण ह्रदय के ऊपरी भाग मे, इस प्रकार में नर्वस सिस्टम और ब्रेन प्रभावित होता है।

व्यान वायु

पूरे शरीर में फैली है, वात रोग के इस प्रकार में बाल झड़ने की समस्या होती है।

समान वायु

समान वायु का स्थान अमाशय और बड़ी आंत में होता है। इस प्रकार में रोगी को निगलने में तकलीफ, आंतों से संबंधित समस्या और पोषक तत्वों के अवशोषण में परेशानी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है

आयुर्वेद के अनुसार वात का मुख्य कार्य रेस्पिरेटरी सिस्टम, हार्ट बीट्स, मसल्स एक्टिविटी, और टिश्यू के कार्यों को संतुलित रखना है।

वात रोग के कारण

वात रोग क्यों होता है। वात रोग होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • गलत लाइफस्टाइल
  • असंतुलित भोजन

कैसे करें वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग होने पर निम्न लक्षण दिखते है।

  • लगातार शरीर का कमजोर होना।
  • चेहरे पर झुर्रिया आकर चेहरे की चमक गायब होना। दुबला शरीर होना।
  • छोटी, धंसी हुई और सूखी आंखों के साथ उनमें काली और भूरी रंग की धारियों का दिखना।सूखे और फटे होंठ।
  • पतले मसूड़े और दांतों की बिगड़ी हुई स्थिति।त्वचा का रूखा, सूखा और बेजान नजर आना।
  • अनियमित भूख या भूख न लगना
  • डायजेस्टिव सिस्टम खराब होकर लगातार गैस या अपच रहना।
  • बहुत ज्यादा भावुक होना, जल्दी रोना या गुस्सा आना
  • बहुत जल्दी में निर्णय ले लेना, तारीफ सुनते ही सामने वाले के वश में हो जाना।
  • बार बार प्यास लगना, पानी पीने पर भी होंठ और त्वचा ज्यादातर सूखी रहना।
  • मौसम के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होना, गर्मी,सर्दी बर्दाश्त न कर पाना और खास तौर से रात के वक्त जोड़ा, पिंडलियों या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द बना रहता है।
  • दिमाग मे हमेशा बेचैनी रहना, घबराहट होना, सांस जल्दी फूलना, उम्र से बड़ा दिखना, नकारात्मक कल्पनाएं करना।
  • पैर के जोड़ों और हड्डियों में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा हो जाने के कारण जोड़ों, घुटनों, पैरों और मांसपेशियों में सूजन हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को उठने बैठने में काफी तकलीफ होती है और दर्द का भी अनुभव होता है।

वात रोग का नियंत्रण और उपचार

सुबह धूप में बैठे

सुबह धूप में बैठने से अर्थ यह नही की आप बेसमय और बेमौसम धूप में बैठे। गर्मियों में सुबह 6 से 7 और सर्दियों में सुबह 9 से 10 तक का समय सही है। गर्मियों में लू लगने का डर रहता है इसलिए तेज धूप में न बैठे।

सुबह धूप में बैठे
सुबह धूप में बैठे

तांबे के बर्तन का पानी

रात भर तांबे के बर्तन में पानी रखे, सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें। तांबे को शरीर की अशुद्धियों को दूर करने में सहायक माना जाता है।

यह पाचन सिस्टम को दुरुस्त कर चेहरे पर चमक लाता है। वात रोग को दूर करने में मदद मिलती है।

दालचीनी

वात रोग की पहचान होने पर दालचीनी को किसी भी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। ये वातरोग के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे चाय के रूप में या काढ़े के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

दालचीनी को अदरक और हल्दी के साथ काढ़े के रूप में बनाये, ये दोगुना फायदा करेगी।

लहसुन

यह खाने के अवशोषण में मदद करने के साथ पाचन को मजबूत करने में भी सहायता करता है। वहीं यह वात के प्रभाव को बढ़ाकर वात, पित्त और कफ के बीच के संतुलन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

लहसुन की एक कली को सुबह पानी से निगल ले। या गाय के घी में लहसुन का छोक लगाकर दाल में डालकर सेवन करें।

गोल्डन मिल्क यानी हल्दी का दूध

गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन वात दोष से संबंधित कई विकारों से बचा सकता है। दूध को गर्म करके उसमें एक चुटकी हल्दी डालकर उबाल लें। इसमें बिना मीठा डाले इसका सेवन करें।

इन बातों का रखे खास ध्यान

  • सोने जागने और खाने का सही शेड्यूल बनाए।
  • भोजन के स्वाद से ज्यादा पौष्टिकता पर ध्यान दे।
  • खाने में ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन नियंत्रित रूप से करें।
  • खुद को ज्यादा से ज्यादा गर्म रखें।
  • नियमित योगभ्यास या व्यायाम करें
  • पूरे शरीर की तिल या सरसो के तेल से मालिश करें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

वात रोग में कौन कौन से रोग होते हैं?

चरकसंंहिता के अनुसार शरीर में वायु बिगड़ जाने पर अस्सी प्रकार के रोग होते हैं जिनमें से जो आमतौर पर देखने में आते हैं वे निम्नलिखित हैं -- नाखूनों का टूटना, पैरों का सुन्न होना, पैर की पिंडलियों में ऐंठन जैसा दर्द, सियाटिका का दर्द,पेट की गैस ऊपर की ओर आना, उल्टी होना, दिल बैठने जैसा महसूस होना, ह्रदय गति में रुकावट का अनुभव, हार्ट बीट बढ़ना, छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा,भुजा से अंगुली तक मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन व जकडऩ। हाथ ऊपर न उठना। गर्दन के पीछे लघु मस्तिष्क के नीचे के हिस्से में जकडऩ व पीड़ा, होंठों में दर्द, दांतों में पीड़ा,सिरदर्द, मुँह का लकवा, कंपकंपी होना, हिचकी, नींद न आना, चित्त स्थिर न रहना।

वात रोग कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पाँच प्रकार की वायु होती हैं, शरीर में इनके निवास स्थान और अलग कामों के आधार पर इनके नाम है.. प्राण उदान समान व्यान अपान ये पांचों प्रकार की वायु में से कोई भी शरीर में असंतुलित हो जाये तो शरीर के उस हिस्से में रोग हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर्फ वात के प्रकोप से कुल 80 प्रकार के रोग होते हैं।

वात पित्त कफ कैसे पहचाने?

लक्षणों के आधार पर हम वात पित्त कफ़ को पहचान सकते हैं, जैसे.. *वात प्रकृति वाले लोगों के शरीर में रूखापन, दुबलापन, नींद की कमी, निर्णय लेने में जल्दबाजी, जल्दी क्रोधित होना व चिढ़ना, जल्दी डर जाना व अस्थिरता पाई जाती हैं। *पित्त प्रकृति के लोगों में गर्मी बर्दाश्त ना कर पाना, त्वचा पर भूरे धब्बे, बालों का जल्दी सफ़ेद होना, मांसपेशियों और हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन, पसीना, शरीर के अंगों से तेज बदबू आना सामान्य लक्षण है। *कफ प्रकृति वाले लोगों की चाल स्थिर और गंभीर होती है। भूख, प्यास और गर्मी कम लगना, पसीना कम आना, शरीर में वीर्य की अधिकता, जोड़ों में मजबूती, और गठीला शरीर होता है, कफ प्रकृति वाले लोग सुन्दर, खुशमिजाज, कोमल और गोरे रंग के होते हैं।

वात रोग को कैसे खत्म करें?

वात रोग दूर करने के लिए सबसे पहले आहार पर ध्यान दें, जो चीजें बादी करती हैं जैसे बैंगन, उड़द की दाल, फूलगोभी, उनका प्रयोग खानें में न करें, आहार में दूध (पनीर, मावा, मिठाई) व उससे बनी हुई चीजें, घी, गुड़, लहसुन, प्याज, हींग, अजवाइन, मेथी, सरसों व तिल का तेल से वात कम होता है। इसके अलावा अपनी जीवन शैली पर ध्यान दे क्योंकि वात रोग में शरीर में रूखापन रहता है इसलिए तेल की नियमित मालिश भी लाभदायी है। त्रिफला मात्र एक ऐसी औषधि है जो शरीर में वात पित्त कफ़ तीनो का संतुलन बनाता है ,इसलिए नियमित त्रिफला का सेवन करना अत्यंत लाभदायक होता है।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

सभी स्त्रियों  की कामना होती है एक सुडौल और आकर्षक स्वस्थ शरीर की जो विवाह और मातृत्व के बाद कहीँ खो सा जाता है। यूँ तो मातृत्व  भी एक अहम  दायित्व है पर इसे निभाने में अपने शरीर के प्रति सबसे ज़्यादा कोई कोताही बरतता है तो वो हैं हम स्त्रियाँ। जब ये चूक आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तो परिणाम शरीर पर जमा चर्बी के रूप में पाते हैं, यदि ये समस्या बहुत बढ़ जाये तो कमर के निचले हिस्से और पैरों को प्रभावित करती है। नतीजा…बढ़ा हुआ वज़न, पैरों में सूजन

कारण

आखिर चूक कहाँ हो जाती है हमसे? अक्सर पति और बच्चों के प्लेट में छोड़े हुए नाश्ते और भोजन को निपटा देने के बाद हम सभी अपने दैनिक कार्यों पर लग जाते हैं। कभी कभी तो हाल यह भो होता है गृहकार्य निपटाने में ,गृहणियाँ अपने नाश्ते और भोजन की अनदेखी कर जाती हैं।

फिर इकट्ठा पेट भर कर भोजन या विश्राम ,यदि कामकाजी है तो फिर दिन कुर्सी पर बैठे ही बीत जाता है। यही कुछ छोटी छोटी बातें हैं,जिन्हें हम नज़रंदाज़ करते जाते हैं और बाद में यही बातें हमारे शरीर पर जमी वसा के रूप में दिखाई पड़ती हैं।

यदि हम  किसी स्वस्थ व्यक्ति की दिनचर्या पर ध्यान दें तो पायेंगे कि इसका राज़ उनकी दिनचर्या में ही छुपा है।

पुरानी कहावत है “नाश्ता राजा की तरह ,दोपहर का भोजन राजकुमार और रात का खाना भिखारी ” की तरह ग्रहण करना चाहिये।
नाश्ता  रेशेदार फ़लों मेवों और  पौष्टिक  चीजों का होना चाहिये। वहीँ दोपहर का भोजन बेहद सन्तुलित होना चाहिये। रात का भोजन बेहद सादा ही उचित होता है।

क्योंकि सुबह हमारी जठराग्नि (पाचनशक्ति) प्रबल होती है,जो दिन बीतने के साथ मन्दी पड़ती जाती है। रात को शरीर दिन भर की टूट फूट की मरम्मत करता है  यदि रात के समय देर रात्रि भोजन किया जाता है तो यह मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को धीमा करता है और मोटापे को बढ़ा देता है।

यही है पहली गलती जो कि हम स्त्रियाँ अक्सर कर डालते हैं,यानि कि अपने नाश्ते को छोड़ देना। नाश्ते में अगर खाते भी हैं तो तला भुना,या मैदायुक्त आहार ।

जिसमें आलू ,या फिर स्टार्च बहुल पदार्थों की अधिकता होती है स्वास्थ्य वर्द्धक पदार्थों या फलों का प्रयोग बहुत कम ही किया जाता है।
दोपहर और रात का भोजन भी देर रात तक  ही खाने के कारण शरीर का उपापचय बेहद धीमा पड़ जाता है  ऊपर से ज़रूरत से ज़्यादा  आरामदायक जीवनशैली करेले पर नीम चढ़ाने का काम करती है।

अब सवाल ये उठता है कि इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं , तो प्रस्तुत हैं कुछ आसान उपाय जिन्हें घरेलू महिलाएं भी  उतनी ही आसानी से कर सकती हैं।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।

गर्म पानी

  • पानी का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये और फ्रिज़ के बजाय मटके का पानी पीना चाहिये ।
  • भोजन करने के आधे घण्टे बाद पानी पीना चाहिए,और पेट पहले सलाद और कच्ची सब्ज़ियों से भरना चाहिये और भूख से 1 रोटी कम सेवन करना चाहिए।
  • दिन की शुरुआत गर्म पानी से करनी चाहिये, ग्रीन टी और पुदीना की चाय दिन में पीनी चाहिये और चीनी के स्थान पर शहद या गुड़ का प्रयोग करना लाभदायक रहता है।

सलाद

सलाद को खाने से पहले खाना चाहिए और सलाद में भी C से शुरू होने वाली सब्जियों का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये,जैसे Cabbage, Carrot, Capsicum, Cucumber, Coriander (बन्दगोभी,गाज़र,शिमला मिर्च,खीरा और हरी धनिया)

इसके अतिरिक्त धनिया और पुदीने का प्रयोग भी करना चाहिये चटनी के रूप में स्वाद और स्वास्थ्य दोनों ही प्राप्त हो जाते हैं।

रेशेदार सब्ज़ियों

शकरकन्द भी रेशेदार सब्ज़ियों का अच्छा विकल्प है इसे खाने से पेट लम्बे समय तक भरा महसूस होता है।

पपीता एवँ अनन्नास  वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं को इससे बचना चाहिए।

मट्ठे का प्रयोग

मक्खन निकले हुए मट्ठे का प्रयोग करना चाहिये 1 कप दही में 4 से छह कप पानी मिलाने से यह लाभदायक हो जाता है।

ब्रिस्क वॉक

ब्रिस्क वॉक करना चाहिये यानि कि तेज़ टहलना इतना तेज कि पसीना आने लगे ,यह चर्बी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ और डेयरी प्रोडक्ट से बचना चाहिये उनके स्थान पर पॉपकॉर्न और भुने हुए चने और मुरमुरे का प्रयोग करना चाहिए।

दालचीनी

दालचीनी का पाउडर रात को एक गिलास पानी मे भिगोकर उसे सुबह गर्म करके सिप करके पीना चाहिये।

दालचीनी
दालचीनी

अजवायन

अजवायन का पानी भी कमर और हिप्स की चर्बी को पिघलाने में  लाभदायक सिध्द होता है।

अदरक

एक ज़ार में एक अदरक का टुकड़ा,1 छील कर पतले टुकड़े में काटा हुआ खीरा ,1 नींबू के टुकड़ें और  पुदीने की 10 से 12 पत्तियों को पानी मिलाकर रात भर रखें और सुबह सेंधा नमक डालकर पियें।

आसन

  • घर मे अनुलोम विलोम,बालासन,सेतुबन्ध व कपालभाति के साथ कुर्सी पर बैठने जैसे आसन की मुद्रा और पश्चिमोत्तासन का प्रयोग करना चाहिए।
  • सम्भव हो लिफ़्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करना चाहिये,खाना देर रात खाने से बचना चाहिये और खाने के बाद तुरंत ही सोने नहीं जाना चाहिये।

बीजों का सेवन

बीजों का सेवन जैसे 1-1 कटोरी  सभी मसालदानी मे उपलब्ध बीज जैसे धनिया,अजवायन ,मेंथी, जीरा, सौंफ़, कलौंजी और आधा कटोरी अलसी के बीजों को हल्का भून कर पीस लें और इस पाऊडर को सुबह शाम गर्म पानी से खाएँ।

हल्की फुल्की भूख

जब हल्की फुल्की भूख हो तो सूप, फलों और बीन्स को प्रयोग करना चाहिये। तरबूज और ककड़ी भी बेहतर विकल्प होते हैं। तरल पदार्थों जैसे मठा,दही ,मलाई निकला हुआ दूध और सूप का प्रयोग बढ़ा कर कोल्डड्रिंक बन्द कर देना चाहिए ।

जानिए क्या है बी पी लो होने का कारण-BP Low Hone Ke Karan

BP Low Hone Ke Karan

बी पी या ब्लड प्रेशर क्या होता है

हमारे शरीर मे बहने वाला रक्त, रक्त वाहिनियों पर दबाव डालता है। यह दबाव कितना होगा यह व्यक्ति की शारिरिक स्थिति जैसे कोई बीमारी, मोटापा, उम्र और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।

यह  दबाव सामान्य से कम या अधिक हो जाता तब उसे लो बी पी या हाई बी पी कहा जाता है।

सामान्य बी पी दर क्या होती है-BP Kitna Hona Chahiye

उम्र के अनुसार बी पी की दर

15 से 18 साल                     पुरुष – 117-77mmHg                महिला- 120-85mmHg
19 से 24 साल                     पुरुष ,महिला -120-79mmHg
25 से 29 साल                     पुरुष, महिला- 120-80mmHG
30 से 39 साल                     पुरुष-122-81mmHg                 महिला- 123-82mmHg
40 से 45 साल                     पुरुष-124-83mmHg                 महिला-125-83mmHg
46 से 49 साल                     पुरुष 126-84mmHg                 महिला 127-84mmHg
50 से 55                            पुरुष- 128-85mmHg                महिला 129-85mmHg
60 साल से अधिक                पुरुष- 131-87mmHg               महिला- 130-86mmHg

बी पी लो क्या होता है।

लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप को हाइपोटेंशन भी कहा जाता है. जब किसी भी इंसान का ब्लड प्रेशर 90/60 से नीचे चला जाता है, तो इस अवस्था को लो बीपी या हाइपोटेंशन कहते है।

ब्लड प्रेशर कम होना मतलब रक्त के साथ ऑक्सीजन का बहाव कम होना। ऑक्सीजन ही हमारी जीवनदायिनी शक्ति है। अब आप सोच सकते है यदि जीवनदायिनी शक्ति ही मुख्य अंगों तक सही से ना पहुचे तो स्थिति कितनी खतरनाक है।

बी पी लो होने के कारण-BP Low Hone Ke Karan

डीहाइड्रेशन

डीहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी, शरीर मे पानी की कमी कई कारणों से हो सकती है, जैसे उल्टी, डायरिया, हैवी वर्कआउट, तेज धूप या गर्मी में लंबा समय बिताना,लू लगना आदि।

इन सब कारणों से शरीर मे पानी हो जाती है, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।

डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन

ज्यादा खून बहना

ज्यादा खून बहने से भी रक्तचाप कम हो सकता है। अचानक कोई बड़ी दुर्घटना, डिलीवरी के दौरान तीव्र रक्तस्राव, या किसी अन्य आपरेशन के दौरान रक्त का बहाव हो सकता है।

दिल से सम्बंधित बीमारियां

ऐसे लोग जिनका दिल कमजोर होता है, वो लो बी पी के ज्यादा शिकार होते है। क्योंकि दिल की कमजोर मांसपेशियों से दिल की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और दिल कम मात्रा में खून को पंप कर पाता है। इससे आप समझ सकते है कि यदि हार्ट प्रॉब्लम के साथ लो बी पी की समस्या भी हो तो, हार्ट अटैक और दिल में इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। हार्ट आर्टरीज के ब्लॉक होने, पर भी लो बी पी होता है।

गंभीर इन्फेक्शन

किसी भी प्रकार का गंभीर इन्फेक्शन लो बी पी होने का बहुत बड़ा कारण है। इसका कारण होता है, इन्फेक्शन का खून में प्रवेश कर जाना।

पोषक तत्वों की कमी

आयरन, विटामिन बी-12 , और कुछ अन्य पोषक तत्वों की कमी से शरीर मे रेड ब्लड सेल्स में कमी आ सकती है।जिससे रक्तचाप कम हो जाता है।

एन्डोक्राइन ग्रंथि से जुड़ी समस्या

एन्डोक्राइन ग्रंथि से हार्मोन के कम स्राव के कारण थाइरॉएड, डायबिटीज या इस तरह की अन्य कई बीमारियां होती हैं। उपचार में लापरवाही करने से कई बार रक्तचाप औसत से कम हो जाता है।

लो बी पी को ठीक करने के घरेलू उपाय

  • रात को 7 से 8 किशमिश भिगो दें। खाली पेट सुबह चबा चबा कर खाएं।
  • देसी चने रात को भिगो दें सुबह चबा चबा कर खाए, यदि आपको गैस की दिक्कत है तो मात्र कम रखे, और एक दिन का गैप रखे।
  • कुछ सूप आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है, जैसे गाजर, टमाटर, पालक, चुकंदर का सूप। सूप में भुना जीरा और काला नमक डालें।
  • छाछ में नमक, भुना हुआ जीरा और हींग मिलाकर सेवन करें।
  • सुबह आंवले के मुरब्बे का सेवन करें।
  • इंस्टेंट रिलीफ के लिए कॉफी का सेवन करें।
  • रात को गुनगुने दूध के साथ खजूर का सेवन करें।
  • अदरक के छोटे-छोटे करके, उनमें नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर रख दें। अब इसे प्रतिदिन भोजन से पहले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाते रहें। दिनभर में 3 से 4 बार भी इसका सेवन आप कर सकते हैं।
  • समय से खाएं खाना
  • तुलसी का सेवन करें
  • बादाम और बादाम के दूध का सेवन करें

बी पी के लिए लाभदायक मुद्रा

इस मुद्रा को आप कभी भी प्रयोग कर सकते है। इसके लिए दोनों हाथों की तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा उंगलियों से मुट्ठी बनाएं और दोनों हाथों के अंगूठों के अग्रभाग को आपस में मिलाएं। हथेलियों की दिशा नीचे की ओर रहे। रोजाना धीमी-लंबी-गहरी सांस के साथ 15 से 45 मिनट तक करें।

जानिए क्या है दिव्य किट के फायदे-Divya Kit In Hindi

दिव्य किट के फायदे

दिव्य किट एक चमत्कारिक किट है। इसमें अधिकतर सभी बिमारियों का इलाज संभव है। इसमें एक्सरसाइज ,एक्यूप्रेशर ,हिप्नोटिस्म सभी के द्वारा इलाज होता है। इस दिव्य किट के द्वारा हम स्वंय ही उपचार कर सकते हैं। दिव्य किट इंसान के शरीर के अंदर मौजूद तत्वों को एक्टिव करती है। इसमें ज्ञान मुद्रा एक्ससरसाइज, मैडिटेशन योगा एक्यूप्रेशर हिप्नोटिज्म द्वारा बिमारियों का इलाज होता है।

कोई भी बीमारी शरीर में घर तब ही कर सकती है ,जब हमारा शरीर अंदर से कमजोर हो। ये सारी क्रियाएं हमारे शरीर को अंदर से साफ़ रखती हैं। दिव्य किट में खान पान योग, व्यायाम को अपनाकार हम अपनी बिमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। इसमें प्राकृतिक और जैविक रूप से शुद्ध घटक पाये जाते हैं। स्वर्ण भस्म, मोती भस्म, लवण भास्कर और कई प्रकार के अन्य बहुमूल्य घटक पाये जाते हैं।

40 से 50 साल की उम्र में दिव्य किट के प्रयोग से आगे जाकर शरीर में कोई समस्या नहीं आयेगी। दिव्य किट शरीर के शुद्धि करण में उपयोगी है। यह एक आर्युवेद औषधि के रूप में शरीर की सभी स्वास्थ्य सभी समस्याओं का समाधान करती है।

दिव्य किट बिमारियों को रोकने और शरीर को रोग मुक्त करने के लिए सावधानी बरतने में उपयोगी है।

दिव्य किट के फायदे

दिव्य किट की आलौकिक शक्ति टैबलेट के फायदे

दिव्य किट में आलौकिक शक्ति नामक टैबलेट होती है। यह टैबलेट थाइरोइड के उपचार में कारगर होती है। थाइरोइड ग्रंथि के ऊपर कार्बन एवं केमिकल की परत जम जाती है। आलौकिक शक्ति टैबलेट के नियमित इस्तेमाल से यह परत हटने लगती है। इस परत के हटते ही थाइरोइड भी ठीक हो जाता है।

दिव्य किट की परम शुद्धि टैबलेट के फायदे

दिव्य किट में परम शुद्धि टैबलेट होती है। यह टेबलेट शरीर में वाले सभी तरह के फंगल इन्फेक्शन को रोकने में कारगर होता है। इसे एक दिन खाने से ही बैक्टीरिया वाइरस मर जाते हैं।

दिव्य किट

दिव्य किट में दिव्य शक्ति पाउडर

दिव्य मे पाया जाने वाला दिव्य शक्ति पाउडर शरीर पर लगाने पर नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है।

दिव्य शक्ति पाउडर शरीर के ऊर्जा पुंज को सकारात्मक बनता है।

दिव्य किट में है दिव्य साधना सी डी

  • दिव्य किट में दिव्य साधना नामक सी डी है जिसे पढ़कर हम बिमार नही पढेंगे। दिव्य साधना सी डी के प्रयोग से जो बिमारी है उसमें लाभ हो जायेगा।
  • दिव्य साधना सी डी में योग व मेडिटेशन का समावेश है। दिव्य साधना सी डी 3 मिनट की अवधि की है। दो गिलास गर्म पानी पीकर खाली पेट दिव्य साधना सीडी को फौलो करना चाहिए।
  • दिव्य साधना सी डी को फौलो करने से हम कभी बिमार नही पढेंगे।

दिव्य किट में है एक पुस्तक

दिव्य किट में है एक पुस्तक। इस पुस्तक में शरीर के सात ऊर्जा चक्रो के बारे में बताया गया है। इन सातों ऊर्जा चक्रो से शरीर का ऊर्जा पुंज बनता है। ये सातों ऊर्जा चक्र रीढ़ की हड्डी में पाये जाते हैं। ऊर्जा चक्रों में कमियों के कारण ही शरीर मे बीमारियां घर बनाती हैं।

इस पुस्तक में हर ऊर्जा चक्र से सम्बंधित बीमारी का नाम व उसे ठीक करने के तरीके के बारे में गया है। जिस चक्र मे समस्या है ,उस चक्र की मालिश करना सिखाया गया है। यह मालिश शरीर के सात चक्रो को संतुलित करती है।

दिव्य में है एक सी डी दिव्य्र ज्ञान

इस सी डी में क्या कब और कितना खाना है और क्या नहीं खाना है बताया गया है।

दिव्य किट के उपयोग

  • दिव्य किट शरीर के सात चक्रो को संतुलित करके सात उर्जा जागरूकता केंद्रों को संतुलित करता है।
  • दिव्य किट को आर्युवेदिक पदार्थों से बनाया गया है। दिव्य किट लिवर की कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं।
  • दिव्य किट के साइड इफेक्ट नहीं होते जबकि थायराइड बीपीहर्ट की बिमारियों में हम सालों साल दवाइयाँ खाते हैं। हर दवा के साइड इफेक्ट्स होते हैं जिनके कारण फाइब्राइड,यौनरोग यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना होती है।
  • सरदर्द, बदन दर्द, कमर दर्द होने पर खायी जाने वाली पेन किलर के भी काफी दुष्प्रभाव होते हैं। किडनी,लिवर में भी समस्या आती है। दिव्य किट के साइड इफेक्ट नहीं होते जबकि थायराइड बीपी व हर्ट की बिमारियों में हम सालों साल दवाइयाँ खाते हैं। हर दवा के साइड इफेक्ट्स होते हैं जिनके कारण फाइब्राइड,यौनरोग यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना होती है।।
    सरदर्द
    सरदर्द
  • दिव्य किट शरीर का उर्जा पुंज ठीक करता है। ब्रह्मांड से उर्जा लेकर हम ऊर्जा वान बनते हैं। दिव्य वटी शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलती है। शरीर के अंदर रीढ़ की हड्डी में सात उर्जा चक्र होते हैं। सातों ऊर्जा चक्र मिला कर ऊर्जा पुंज बनाते हैं।
  • दिव्य किट बिमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है। दिव्य किट बिमारियों को दूर करती है।
  • दिव्य किट के तरीके और एक्सरसाइज करने से थायराइड ठीक हो सकता है।
  • दिव्य किट का चालीस दिन का प्रयोग 4,200 रूपये का है।
  • दिव्य किट के प्रयोग से एसिडिटी, गैस, बदहजमी की समस्या दूर होती है।
  • दिव्य किट शरीर के सभी अंगों को स्फूर्ति प्रदान करती है। दिव्य किट वजन कम करने में मददगार है।
  • दिव्य किट शरीर के हार्मोनल लेवल को संतुलित करती है। दिव्य किट बिना किसी साइड इफेक्ट्स के हार्मोंस को संतुलित करती है।
  • दिव्य किट में जड़ी बूटी के अव्यय पाये जाते हैं। दिव्य किट शरीर को बिमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है। दिव्य किट शरीर के हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालती है।
  • दिव्य किट में उपयोगी हीलिंग तकनीक होती है। हीलिंग प्रकिया लिवर को स्वस्थ बनाए रखती है। दिव्य किट स्वस्थ जीवन पद्धति को बढावा देती है।
  • दिव्य किट शरीर का अंदर से शुद्धिकरण कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है।
  • दिव्य किट शरीर के अंदरूनी अंगों को साफ करती है।

क्या है पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे आपकी सेहत के लिए

पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे

शतावरी एक जड़ी बूटी है। इसकी लता फैलने वाली और झाड़ीदार होती है एक एक बेल के नीचे कम से कम सौ से अधिक जड़े होती हैं। यह जड़े लगभग 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। इनकी जड़ों के बीच में कड़ा रेसा होता है। जिसे शतावरी कहा जाता है। शतावरी दो प्रकार की होती है। सफेद शतावरी और पीली शतावरी। पीली शतावरी अत्यधिक लाभकारी होती है। पतंजलि शतावरी चूर्ण पीली शतावरी की जड़ों से ही बनाया गया है इस पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे अनेक हैं।

यह अनिद्रा में कामगार होती है। गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी अति लाभकारी है। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है। महिलाओं को माँ बनने के बाद स्तन में दूध की कमी होती है ऐसी स्थिति में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक लाभदायक होता है। नवयौवना के ब्रेस्ट बढ़ने के लिए भी शतावरी का चूर्ण प्रयोग किया जाता है।ल्युकोरिया जैसी बीमारी में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक फ़ायदेमंद होता है। तो आइए जानते हैं शतावरी के फायदे।

पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे-Patanjali Shatavari Churna Benefits In hindi

शतावरी उपयोगी है स्तनों से दूध बढ़ाने में

शतावरी एक शक्तिवर्धक औषधि है वे स्त्री जो बहुत कमजोर होती है उनके स्तनों से दूध कम आता है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ पीने से मां के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है गर्भवती मां के लिए

पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है और मां भी स्वस्थ रहती है गर्भवती महिलाओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण अश्वगंधा मुलेठी और भृगरज के साथ लेना चाहिए। यह सारी औषधियां दूध के साथ लेने पर गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्टैमिना डिवेलप करने में

जो युवा अपना शरीर बनाना चाहते हैं उसके लिए वह जिम में जाकर घंटों एक्सरसाइज करते हैं और फिर हजारों रुपए का प्रोटीन पाउडर खरीदते हैं। उनके लिए पतंजलि शतावरी चूर्ण बहुत फ़ायदेमंद है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ लेने से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ल्यूकोरिया में

वे महिलाएं जो सफेद पानी (ल्यूकोरिया ) की समस्या से काफी परेशान है। जिसके कारण उनके पेट और हाथ पैरों में हमेशा दर्द रहता है। उन्हें पतंजलि शतावरी चूर्ण रात को सोते समय लेना चाहिए कुछ समय में ही उनकी समस्या का समाधान होता है|

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है धात रोग में

पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध के साथ लेने से धात रोग में लाभ होता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद अनिद्रा में

वह स्त्री या पुरुष जी ने रात भर नींद नहीं आती वह नींद आने की बीमारी से परेशान है ऐसे लोगों को पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध में पकड़ कर लेना चाहिए। घी में मिलाकर खाने से नींद ना आने की समस्या दूर होती है।

नींद ना आना
नींद ना आना

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ब्रेस्ट के विकास में

जिन युवतियों के ब्रेस्ट विकसित न हुए हो वो पतंजलि शतावरी चूर्ण का सुबह शाम दूध के साथ सेवन करती हैं तो वक्ष सुडौल होते हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्वप्नदोष में

जिन व्यक्तियों को स्वप्नदोष की समस्या होती है उन्हें शतावरी चूर्ण को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह शाम गर्म दूध में डालकर पीना चाहिए इसे स्वप्नदोष की समस्या दूर होती है और शरीर स्वस्थ होता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है रजोनिवृत्ति में

स्त्रियों में रजोनिवृत्ति के समय चिढ़चिढाहट होती है। थकान होती हैऔर बेचैनी होती है उन सारी परिस्थितियों में पतंजलि शतावरी चूर्ण का सेवन अत्यधिक फ़ायदेमंद है यह है मानसिक और शारीरिक थकान को दूर कर स्त्री के शरीर को ऊर्जावान बनाता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण स्त्रियों के प्रजनन अंगों को ताकत प्रदान करता है

पतंजलि शतावरी चूर्ण में प्राकृतिक रूप से फाइटोएस्ट्रोजन नामक हार्मोन होते हैं। जो कि गर्भाशय को मजबूत करते हैं। और साथ ही साथ स्तनों में दूध के स्तर को भी बढ़ाते हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण है प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट

पतंजलि शतावरी चूर्ण मुक्त कणों को कम करता है शरीर को गैस्टिक क्षेत्र के अंदर की परत की क्षति होने से बचाता है और अल्सर को बनने से रोकता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण दूर करता है। यूरिन की समस्याओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से यूरिन का रुक-रुक कर आना दूर होता है व अन्य यूरिन की समस्याओँ का भी समाधान होता है|

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है पाचन तंत्र में

पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से पाचन तंत्र बेहतर काम करता है और फूड पाइप भी सुचारु रूप से काम करता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण दूर करता है सूजन को

पतंजलि शतावरी चूर्ण के नियमित सेवन से शरीर में कहीं भी सूजन नहीं आती है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण शतावरी नामक जड़ी बूटी से बनाया जाता है यह एस्पैरेगस फैमिली की जड़ी बूटी होती है। शतावरी औरतों के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है यह स्त्री के किशोरावस्था से लेकर रजोनिवृत्ति तक हर अवस्था में उसके स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान में काम आती है रखती है। बल्कि आदमियों के शरीर के लिए भी पतंजलि शतावरी चूर्ण अत्यधिक उपयोगी है यह उन्हें शारीरिक ताकत देता है उनकी दुर्बलता को दूर करता है और स्वप्नदोष जैसी बीमारियों को भी दूर करता है।

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