असरदार घरेलू उपाय जो दिलाएंगे सफेद बालों से छुटकारा

सफेद बालों से छुटकारा

आज के समय में कम उम्र में ही बालों का सफेद होना एक आम बात है। आजकल की दौड़ भाग भरी जिंदगी में हम अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिस वजह से हमारे शरीर में कई प्रकार के विकार उत्पन्न होने लगते हैं, जिनमें से बालों का सफेद होना चालू हो जाता है। साथियों इस आर्टिकल के माध्यम में हम सफेद बालों से छुटकारा पाने के तरीको के बारे में विस्तृत जानकारी आपको देंगे तथा यह लेख आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है।

आजकल मानो यह एक गंभीर समस्या बनते जा रही है, क्योंकि हर तीसरे या चौथे व्यक्ति के बाल कम समय में अथवा असमय में सफेद होने लगे हैं। आजकल तो यह समस्या 14 साल की बच्चे में भी दिखाई देने लगी है। ज्यादातर इसका निवारण लोग रसायन युक्त पदार्थों का इस्तेमाल कर करते हैं, परंतु यह रसायन हमारे बालों के साथ-साथ हमारे शरीर के लिए भी हानिकारक है, क्योंकि इन रसायनों का इस्तेमाल करने पर हमारे शरीर में इसके दुष्प्रभाव पड़ने लगते हैं तथा हमें अपने घरेलू उपायों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

आइए जानते हैं बाल सफ़ेद होने के कारण क्या है और कौन-कौन से घरेलू उपाय हैं जो सफेद बालों से छुटकारा दिला सकते है।

सफेद बाल
सफेद बाल

बाल सफ़ेद होने के कारण-Baal Safed Hone Ke Karan

दोस्तों इसके कई कारण हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं।

  • बालों का सफेद होना अपने खानपान पर भी निर्भर करता है यदि हम संतुलित आहार नहीं ले रहे हैं तो हमारे बाल सफेद हो सकते हैं। भोजन में हमें आवश्यक सभी प्रकार के तत्वों की पूर्ति करना चाहिए जो लोग खानपान में इन सारी बातों तथा आवश्यक तत्वों का ध्यान नहीं रखते हैं तो इसका असर आपके बालों में दिखाई देता है।
  • यह भी एक कारण है कि हमारी दैनिक जीवन की गतिविधि जिसके वजह से हम दिन भर अपने कामों में उलझे रहते हैं और नियमित रूप से अपने बालों का तथा शरीर का ध्यान नहीं दे पाते हैं। इस कारणवश इसका असर बालों पर नजर आता है यह एक महत्वपूर्ण समस्या बन जाती है।
  • जो लोग तनाव में रहते हैं तथा वह बहुत जल्द ही डर तथा घबरा जाते हैं तब यह समस्या उत्पन्न होना चालू हो जाती है।
    अनुवांशिकता एक महत्वपूर्ण कारण है जिसके वजह से बाल सफेद होते हैं दोस्तों यदि आपके परिवार या आपके पूर्वजों में यह समस्या चली आ रही है तो आपके भी बाल सफेद होंगे।
  • जैसे-जैसे पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ते जा रहा है, वैसे वैसे ही इसका दुष्परिणाम हमारे शरीर पर आ रहा है, परंतु इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारी त्वचा तथा बालों पर पड़ता है। इस दूषित पर्यावरण से हमारे बाल सफेद होने लगते हैं।
  • बाजार में रसायन युक्त शैंपू, कंडीशनर, डाई आदि पदार्थ बढ़ रहे हैं। जिनमें बहुत मात्रा में रसायनों का उपयोग होता है जिससे बालों का सफेद होना निश्चित होता है।
  • बाजार में मौजूद विभिन्न प्रकार के खुशबूदार तेल का भी हम लोग बहुत इस्तेमाल करते हैं इनमें उपस्थित रसायनों की वजह से हमारे बाल सफेद होने लगते हैं।

बाल काले करने के घरेलू उपाय-Baal Kale Karne Ke Gharelu Upay

  • मेहंदी के पौधे से पत्तियां तोड़ कर उसे पीसकर मेहंदी तैयार करें और अपने बालों में लगाना चाहिए इससे आप सफेद बालों पर बहुत हद तक नियंत्रण पा सकते हैं।
  • यदि आप अपने खान-पान में कढ़ी के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे, यह आपके बालों के लिए लाभदायक होते हैं।
  • सिर में नारियल के तेल की मालिश करना यह भी तेल की मालिश एक घरेलू उपाय है, करने से तेल बालो की जड़ तक जाता है जिसे बालो को पूरे नुट्रिएंट मिलते है जिसे बाल सफ़ेद नहीं होते है, जिससे हम इस समस्या से निदान पाने में काफी हद तक सफल हो सकते हैं।
  • सफ़ेद बालो को रोकने के लिए काली मिर्च को पानी के साथ उबालकर अपने बालो में लगाए। इस घोल को 15 से 20 मिनट अपने बालो में लगा कर रखे, फिर उसे ठंडे पानी से धो ले, यह प्रक्रिया सहप्ते में दो बार करे आप देखेंगे की आपके सफ़ेद बाल काफी हद तक काम होंगे है।
  • चाय पत्ती का पानी यह भी एक घरेलू उपाय है जिसके माध्यम से आप अपने बालों को चमकदार तथा रेशमी बना सकते हैं चाय पत्ती का पानी आप सस्ते में एक या दो बार उपयोग में लाए और 15 से 20 मिनट इसे सूखने के लिए रख दें आप देखेंगे कि आपके सफेद बालों पर काफी हद तक काबू में कर सकते हैं।
  • चुकंदर का रस यह भी एक घरेलू नुस्खा है इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्वों के माध्यम से हम अपने बालों को पोषण प्रदान करते हैं, जिसके वजह से यह हमारे बालों को स्वस्थ बनाकर रखते हैं बालों का स्वस्थ होना ही सफेद बालों को दूर रखने का एक तरीका होता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

बालों में तेल कब और कैसे लगाएं?

बालो मे तेल हमेशा रात मे लगाऐ और अगली सुबह धो ले।अपनी उंगलियों को तेल मे डुबोकर बालो के हिस्से कर के सिर पर हल्के हाथो से पूरे सिर पर लगाऐ और थोड़ी देर मसाज करे।

बालो का झड़ना कैसे रोक सकते हैं?

संतुलित आहार, नियमित तेल, बालो की कंडिशनिंग करके और तनाव से दूर रहकर बालो का झड़ना रोक सकते है।

गन्ने का सिरका के फायदे है अनेक, जानिए क्या है सिरका के उपयोग

गन्ने का सिरका के फायदे

गन्ने का सिरका गन्ने के रस से बनाया जाता है। गन्ने के रस को एक मिटटी के बर्तन में एक महीने के लिए धुप में रखा जाता है। बर्तन के मुँह के ऊपर एक मलमल का कपडा बांध कर एक महीने तक धुप में रखते हैं फिर उसे ठंडा करके काँच की बोतल में भरकर दो तीन लाल मिर्ची डाल कर रख देते है। गन्ने का सिरका तैयार है। गन्ने का सिरका बहुत गुणकारी होता है। वैसे तो गन्ने का सिरका के फायदे अनगिनत हैं यहाँ हम सिरका के उपयोग के बारे में जानेंगे।

गन्ने का सिरका के फायदे

सिरके के लाभ बड़े हुए लिवर व वजन को कम करने में

गन्ने का सिरका रक्त वसा को कम करता है जो बड़े हुए लिवरवजन को कम करने में सहायक होता है। यह शरीर के वजन बॉडी मास,व सीरम ट्राई ग्लिसरॉइड का स्तर कम करने में मददगार होता है। यह दैनिक चपापचप सिंड्रोम की रोकथाम करता है। यह सीरम एच डी एल के स्तर में वृद्धि करता है व बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।

सिरके का उपयोग त्वचा के लिए

त्वचा के दाग धब्बों के लिए सिरका जादू जैसा कारगर होता है। प्याज के रस में सिरका मिलाकर चेहरे के निशानों पर लगाने सेचेहरे के निशान कुछ ही दिनों में निशान गायब हो जाते हैं।

सिरके के फायदे उच्च रक्त चाप में

सिरके का नियमित सेवन उच्च रक्तचाप को कम करता है। व रक्तचाप कंट्रोल में रहता है।

सिरके के फायदे गले की सूजन व जलन को दूर करने में

सिरके में औषधीय गुण पाए जाते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाते है व गले की सूजन कम करते है। जिसके कारण गर्म पानी में सिरका मिलाकर कुल्ला करने से गले की खराश व सूजन कम होती है।

सिरके का पेट दर्द में उपयोग

एसिडिटी के कारण होने वाले पेट दर्द मे आधा चम्मच सिरका एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से पेटदर्द में राहत मिलती है।

सिरके के लाभ दस्त या कब्ज में

दस्त या कब्ज होने पर सलाद या पानी में सिरका मिलकर पीने से दस्त और कब्ज में आराम मिलता है।

सिरके के फायदे जहरीले कीड़े के काटने पर

जैली फिश का जहर सबसे हानिकारक विष में से एक माना जाता है। सिरका जैली फिश के विष के प्रभाव को कम कर देता हैं क्योकि सिरका जहरीले विष के हानिकारक प्रोटीन को तोड़ देता है अतः घाव में सिरका भरने से विष का प्रभाव तत्काल कम हो जाता है।

सिरके का उपयोग लू से बचाव में

गर्मियों की लू से बचने के लिए सिरका बहुत प्रभावी होता है सिरके को प्याज में मिलाकर खाने से लू नहीं लगती है।

सिरके के फायदे बालों के झड़ने में

बालों की समस्याओ के समाधान के लिए भी सिरका बहुत उपयोगी होता है। पानी में सिरका मिलाकर बाल धोने से बाल नहीं झड़ते हैं। क्योकि यह बालों को पोषण प्रदान करता हैं।

बालों के झड़ने में
बालों के झड़ने में

सिरका है इन्फ़ेक्शन रोधी

सिरका सर के फोड़े फुंसी फंगल इन्स्फेक्शन के लिए भी बहुत कारगर होता है यह सर के इंफेक्शन को दूर करता है। सिरकेवाले पानी से बाल धोने से सर के फोड़े फुंसी दूर होते हैं।

सिरका है रक्त शोधक

रक्त साफ़ न होने के कारण चेहरे पर होने वाले फोड़े फुन्सी की रोकथाम के लिए भी सिरका राम बाण होता है। सिरका पानी में मिलकर पीने से रक्त साफ़ होता है।

सिरका हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता हैं

सिरका गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा कर बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।

सिरके का उपयोग हिचकी रोकने में

लगातार आती हिचकियों से परेशान हो तो एक चम्मच सिरके से तुरंत लाभ मिलता है।

सिरका है उपयोगी पथरी में

मूत्र में अधिक अम्ल होने के कारण एसिड या ऑक्स्लेट के स्टोन बन जाते है। यह स्टोन पथरी होती है। सिरका मूत्राशय को क्षारीय बनाता है जिससे किडनी के स्टोन तोड़ने में मदद मिलती है। गुर्दे की पथरी में गन्ने के सिरके के सेवन से एक महीने में फायदा मिलता है।

गन्ने का सिरका है पीलिया में फायदेमंद

गन्ने के सिरके को पीलिया में लेने से तत्काल आराम मिलता है।

गन्ने के सिरके के फायदे आँखों की रोशनी बढ़ाने में

गन्ने के सिरके के नियमित सेवन से आँखों की रोशनी बढ़ती है।

गन्ने के फायदे पाचन में

गैस बनने पर सिरका पानी में मिलाकर लेने से हाजमा दुरुस्त करने में गन्ने का सिरका बहुत लाभदायक होता है।

गन्ने का सिरका है एक अच्छा प्रिजर्वेटिव

गन्ने का सिरका एक बहुत अच्छा प्रिजर्वेटिव होता है। अचार में सिरका डालने से अचार खराब नहीं होता।

सिरका है एक हेअर कंडीशनर

बालो के लिए सिरका एक हर्बल कंडीशनर होता है. बालों को धोने के बाद सिरका मिले पानी से बाल निथारने से बालों में चमक आती है।

सिरका है उपयोगी कपड़ों का रंग बरक़रार रखने में

सिरका मिले पानी से कपडे धोने से कपडे रंग नहीं छोड़ते व उनकी चमक बरक़रार रहती है तथा वे लम्बे समय तक नए रहते है।

सिरका कैल्शियम को शोषित करने में मददगार

सिरका आहार में मौजूद कैल्शियम को शरीर के द्वारा शोषित करता है|

सिरका है उपयोगी कैंसर से बचाव में

कैंसर रोगियों के लिए गन्ने का सिरका बहुत उपयोगी होता है। यह शरीर में पोटेशियम व अन्य उपयोगी खनिज पदार्थ की कमी पूरी करता है।

अल्जाइमर एवं डिमेंशिया में लाभकारी

अल्जाइमर एवं डिमेंशिया ऐसी बीमारियां हैं जिनमे मरीज की याददाश्त व सिखने की क्षमता धीरे धीरे काम होने लगती है सिरके के सेवन से डिमेंशिया के दौरान संज्ञानात्मक कार्य में सुधार कर सकते है।

दादी नानी के ज़माने से सिरके के ऐसे ही न जाने कितने छोटे बड़े फायदे हैं। जिन्हे हम अपने जीवन में अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं एवं अपनी दिनचर्या से जुडी छोटी छोटी समस्याओं का समाधान कर सकते है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

गन्ने के सिरके में क्या क्या पड़ता है?

.सिरका तैयार करने के लिये लीटर गन्ने के रस को उबाल लिया जाता है। .खमीरन डालकर इसे खमीर बनने के लिए छोड़ दिया जाता है। .ठंडा होने के एक दिन बाद खमीर मिलाया जाता है। .इसके बाद इस जूस को तीन-चार दिन के लिए एक ऐसी जगह रख दिया जाता है जहां का तापमान 25 से 30 डिग्री के बीच हो। .फिर इसे छानकर साफ बर्तन में निकाल लिया जाता है और छठे दिन इसमें विशेष बैक्टीरिया वाला तरल पदार्थ साथ ही इसमें पुराना तैयार सिरका की कुछ मात्रा भी मिला दी जाती है। .7 से 14वें दिन इस पर झिल्ली बन जाती है जिसे हटा कर ठंडे स्थान पर रख दिया जाता है।फिर सिरके को इस्तेमाल में लाते हैं।

सिरके के क्या फायदे हैं?

अक्सर हमलोग सिरके का इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही करते हैं।लेकिन सिरका हमारे लिए किसी औषधि से कम नहीं है। स्वास्थ्य के लिहाज से सफेद सिरका और सेब के रस से बना सिरका बहुत फायदेमंद होता है. सिरके का इस्तेमाल रूप निखारने से लेकर कई छोटी-बड़ी बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है. सिरके के फायदे: .सिरके का इस्तेमाल कंडिशनर के रूप में करें। .अगर आपको लगातार हिचकियां आ रही है तो एक चम्मच सिरका पीने से हिचकी बन्द हो जाती है। .गले की खराश को दूर करने के लिये। .मांस-पेशियों की तकलीफ में राहत के लिए,सिरके से मसाज करें। .रोजाना एक निश्च‍ित मात्रा में सिरके का सेवन कर मोटापा कम कर सकते हैं।

सिरका पीने से क्या नुकसान होता है?

सिरका पीने के फायदे बहुत है तो नुकसान भी है। .भूख में कमी की समस्या हो सकती है। .इससे मतली की समस्या भी हो सकती है। .ज्यादा एसिटिक खाद्य या पेय पदार्थों से दांत संवेदनशील हो सकते हैं। .सिरके का सेवन दांत खराब कर सकता है। .इससे संवेदनशील त्वचा पर जलन या रैशेज की समस्या भी हो सकती है। इसलिए, त्वचा पर इसके उपयोग से पहले पैच टेस्ट जरूर करें। .गर्भवती महिलाओं के लिये भी हानिकारक होता है। इसलिए जब भी सिरके का इस्तेमाल करें तो एकबार जरूर डॉक्टर से सलाह लेकर ही सिरके का सेवन करें।

गन्ने का सिरका कैसे बनाए?

बाजार में मिलने वाला सिरका सेहत के लिये काफी नुकसानदेह है इसलिए हमसभी को रोजमर्रा की ज़िन्दगी में स्वस्थ के प्रति सचेत रहना चाहिये।इसलिए घर पर ही गन्ने से आसान तरीके से सिरका तैयार कर इस्तेमाल करना चाहिए। आइये जानते हैं विधि- .सिरका तैयार करने के लिए गन्ने के रस को उबाल लें। .गन्ने के रस को मिट्टी की हांडी में भर दें। .अब इस हाँडी को एक साफ व सूती कपड़े से बांधकर रोज़ तेज़ धूप में रखें। .इस प्रक्रिया को तकरीबन एक महीने तक दोहराएं और इसके बाद इस सिरके को छानकर एक कांच की बोतल में भर दें। .और फिर इसमें तीन सूखी लाल मिर्च डालकर बोतल को बंद कर दें। बहुत आसान विधि से उपयुक्त तरीके अपनाकर घर पर ही सिरका तैयार कर सकते हैं।

बेहद ही आसान है ड्राई स्कैल्प से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय

ड्राई स्कैल्प से छुटकारा

ड्राई स्कैल्प से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय

ड्राई स्कैल्प से छुटकारा पाने के लिए इस लेख में आपको कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में बताया जा रहा है जो आपके लिए लाभकारी साबित होंगे जहां नुक्से निम्नलिखित है।

सेब का सिरका

यह एक अच्छा तथा सस्ता रास्ता है जिसके माध्यम से आप ड्राई स्कैल्प की समस्या से निदान पा सकते हैं। इसमें आपको ज्यादा तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं है।

इस्तेमाल करने का तरीका

इसमें केवल दो से तीन चम्मच सेब का सिरका और थोड़ी सी रुई की आवश्यकता होती है चाहो तो आप दो से तीन चम्मच पानी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सिरका तथा पानी को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लीजिए उसके बाद रूई की सहायता से आप अपने बालों में लगाएं।

बालों में लगाने का तरीका यह है कि रूई को बालों की जड़ों तक पहुंचा सके जिससे कि वह सिरका नीचे तक अच्छे से पहुंच जाएं इस तरह से यह घरेलू नुक्से को आजमा सकते हैं।

एप्पल साइडर विनेगर
एप्पल साइडर विनेगर

नींबू का रस

यह आमतौर से सभी लोग जानते हैं कि ड्राई स्कैल्प के लिए यह औषधि का काम करता है। नींबू का रस इसलिए लाभदायक होता है क्योंकि इसमें विटामिन सी तथा होता है साथ ही इस में एसिड भी पाया जाता है। विटामिन सी त्वचा से संबंधित विकारों को दूर करता है।

इस्तेमाल करने का तरीका

दो से तीन चम्मच नींबू का रस आपको अपने बालों में 5 मिनट तक रगड़ना है। उसके बाद उसे सूखने के लिए छोड़ दें सूखने के बाद आपको अच्छे पानी से सिर धो लेना है। आप देखेंगे कि आपके सिर में जो ड्राई स्कैल्प है उसमें कमी आ गई है। यह प्रक्रिया लगभग हफ्ते में दो से तीन बार करना है।

एलोवेरा

जैसा कि आप जानते हैं एलोवेरा एक औषधि पौधा है। जिसमें यह भी गुण होता है कि किसी फंगस तथा बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है। इस कारण से हम इसका इस्तेमाल ड्राई स्कैल्प में कर सकते हैं।

इस्तेमाल करने का तरीका

एक एलोवेरा की पत्ती तथा पानी की आवश्यकता होती है। एलोवेरा की पत्ती से जेल निकालकर उसको पानी में मिला दे जिससे की एक जूस बनकर तैयार हो जाएगा। जूस का इस्तेमाल आप अपने सिर में 20 मिनट तक की मालिश करने में करें यह प्रक्रिया हफ्ते में दो बार करें इससे आपको ड्राई स्कैल्प से राहत मिलेगी।

अंडा

एक शोध में पाया गया कि अंडा का इस्तेमाल भी इस ड्राई स्कैल्प के निदान के लिए किया जा सकता है । इसमें ऐसे गुण होते हैं जो स्वास्थ्य के साथ-साथ बालों से संबंधित विकारों को भी दूर करता है।

इस्तेमाल करने का तरीका

आप एक अंडे की जर्दी ले, ऑलिव आयल तथा एक चम्मच नींबू का रस लें इसको अच्छे से मिला ले मिलाने के बाद इस मिश्रण को 15 मिनट के लिए छोड़ दें। 15 मिनट के बाद आप इसको अपने सिर में लगा सकते हैं। लगाने के पश्चात 30 मिनट तक अपने बाल ना धोए उसके पश्चात आप अपने बाल धो सकते हैं।

इस प्रक्रिया को सप्ताह में एक बार या दो बार कर सकते हैं।

मेथी के बीज

मेथी के बीज में भी औषधि गुण होते हैं। यह बालों की मजबूती के साथ साथ हाइड्रेट रखने में भी सहायक होते हैं क्योंकि इन बीजों में निकोटीन एसिड तथा कुछ आवश्यक प्रोटीन पाए जाते हैं जो बालों को स्वस्थ रखने के लिए लाभकारी होते हैं।

इस्तेमाल करने का तरीका

इन बीजों का इस्तेमाल इस प्रकार करें आपको दो चम्मच मेथी के बीज लेना है तथा आधा कप पानी लेना है। मेथी के बीज को पानी में रात भर भिगोकर रख दे सुबह उठकर इसे पीस कर पेस्ट बना ले पेस्ट बनाने के बाद आप अपने बालों में अच्छे से लगाए।
इसे 30 मिनट तक लगाकर रखें तत्पश्चात आप अपने बाल ठंडे पानी से धो ले।

आप देखेंगे कि ड्राई स्कैल्प की मात्रा कम हो गई है।

बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडे में भी एंटीबैक्टीरियल रसायन पाए जाते हैं जिससे आप अपने बालों को स्वस्थ रखने में इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि इसका ज्यादा उपयोग करने से बालों को क्षति भी पहुंच सकती है।

इस्तेमाल करने का तरीका

तीन से चार चम्मच बेकिंग सोडा तथा तीन से चार चम्मच ही गुलाब जल का इस्तेमाल करें। इन दोनों को मिलाकर एक पेस्ट बनाने पेस्ट बनाने के तत्पश्चात 2 मिनट तक अपने बालों में इसे लगाकर अच्छी तरह से मालिश करें।

इस प्रक्रिया को आप चाहो तो सप्ताह में दो से तीन बार कर सकते हैं। यह आपके बालों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

बालों की इस समस्या से लगभग हर कोई परेशान रहता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए लेख में आपको महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। आशा करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे तथा इन घरेलू उपाय को ड्राई स्कैल्प के निदान के लिए उपयोग करेंगे।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

सभी स्त्रियों  की कामना होती है एक सुडौल और आकर्षक स्वस्थ शरीर की जो विवाह और मातृत्व के बाद कहीँ खो सा जाता है। यूँ तो मातृत्व  भी एक अहम  दायित्व है पर इसे निभाने में अपने शरीर के प्रति सबसे ज़्यादा कोई कोताही बरतता है तो वो हैं हम स्त्रियाँ। जब ये चूक आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तो परिणाम शरीर पर जमा चर्बी के रूप में पाते हैं, यदि ये समस्या बहुत बढ़ जाये तो कमर के निचले हिस्से और पैरों को प्रभावित करती है। नतीजा…बढ़ा हुआ वज़न, पैरों में सूजन

कारण

आखिर चूक कहाँ हो जाती है हमसे? अक्सर पति और बच्चों के प्लेट में छोड़े हुए नाश्ते और भोजन को निपटा देने के बाद हम सभी अपने दैनिक कार्यों पर लग जाते हैं। कभी कभी तो हाल यह भो होता है गृहकार्य निपटाने में ,गृहणियाँ अपने नाश्ते और भोजन की अनदेखी कर जाती हैं।

फिर इकट्ठा पेट भर कर भोजन या विश्राम ,यदि कामकाजी है तो फिर दिन कुर्सी पर बैठे ही बीत जाता है। यही कुछ छोटी छोटी बातें हैं,जिन्हें हम नज़रंदाज़ करते जाते हैं और बाद में यही बातें हमारे शरीर पर जमी वसा के रूप में दिखाई पड़ती हैं।

यदि हम  किसी स्वस्थ व्यक्ति की दिनचर्या पर ध्यान दें तो पायेंगे कि इसका राज़ उनकी दिनचर्या में ही छुपा है।

पुरानी कहावत है “नाश्ता राजा की तरह ,दोपहर का भोजन राजकुमार और रात का खाना भिखारी ” की तरह ग्रहण करना चाहिये।
नाश्ता  रेशेदार फ़लों मेवों और  पौष्टिक  चीजों का होना चाहिये। वहीँ दोपहर का भोजन बेहद सन्तुलित होना चाहिये। रात का भोजन बेहद सादा ही उचित होता है।

क्योंकि सुबह हमारी जठराग्नि (पाचनशक्ति) प्रबल होती है,जो दिन बीतने के साथ मन्दी पड़ती जाती है। रात को शरीर दिन भर की टूट फूट की मरम्मत करता है  यदि रात के समय देर रात्रि भोजन किया जाता है तो यह मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को धीमा करता है और मोटापे को बढ़ा देता है।

यही है पहली गलती जो कि हम स्त्रियाँ अक्सर कर डालते हैं,यानि कि अपने नाश्ते को छोड़ देना। नाश्ते में अगर खाते भी हैं तो तला भुना,या मैदायुक्त आहार ।

जिसमें आलू ,या फिर स्टार्च बहुल पदार्थों की अधिकता होती है स्वास्थ्य वर्द्धक पदार्थों या फलों का प्रयोग बहुत कम ही किया जाता है।
दोपहर और रात का भोजन भी देर रात तक  ही खाने के कारण शरीर का उपापचय बेहद धीमा पड़ जाता है  ऊपर से ज़रूरत से ज़्यादा  आरामदायक जीवनशैली करेले पर नीम चढ़ाने का काम करती है।

अब सवाल ये उठता है कि इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं , तो प्रस्तुत हैं कुछ आसान उपाय जिन्हें घरेलू महिलाएं भी  उतनी ही आसानी से कर सकती हैं।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।

गर्म पानी

  • पानी का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये और फ्रिज़ के बजाय मटके का पानी पीना चाहिये ।
  • भोजन करने के आधे घण्टे बाद पानी पीना चाहिए,और पेट पहले सलाद और कच्ची सब्ज़ियों से भरना चाहिये और भूख से 1 रोटी कम सेवन करना चाहिए।
  • दिन की शुरुआत गर्म पानी से करनी चाहिये, ग्रीन टी और पुदीना की चाय दिन में पीनी चाहिये और चीनी के स्थान पर शहद या गुड़ का प्रयोग करना लाभदायक रहता है।

सलाद

सलाद को खाने से पहले खाना चाहिए और सलाद में भी C से शुरू होने वाली सब्जियों का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये,जैसे Cabbage, Carrot, Capsicum, Cucumber, Coriander (बन्दगोभी,गाज़र,शिमला मिर्च,खीरा और हरी धनिया)

इसके अतिरिक्त धनिया और पुदीने का प्रयोग भी करना चाहिये चटनी के रूप में स्वाद और स्वास्थ्य दोनों ही प्राप्त हो जाते हैं।

रेशेदार सब्ज़ियों

शकरकन्द भी रेशेदार सब्ज़ियों का अच्छा विकल्प है इसे खाने से पेट लम्बे समय तक भरा महसूस होता है।

पपीता एवँ अनन्नास  वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं को इससे बचना चाहिए।

मट्ठे का प्रयोग

मक्खन निकले हुए मट्ठे का प्रयोग करना चाहिये 1 कप दही में 4 से छह कप पानी मिलाने से यह लाभदायक हो जाता है।

ब्रिस्क वॉक

ब्रिस्क वॉक करना चाहिये यानि कि तेज़ टहलना इतना तेज कि पसीना आने लगे ,यह चर्बी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ और डेयरी प्रोडक्ट से बचना चाहिये उनके स्थान पर पॉपकॉर्न और भुने हुए चने और मुरमुरे का प्रयोग करना चाहिए।

दालचीनी

दालचीनी का पाउडर रात को एक गिलास पानी मे भिगोकर उसे सुबह गर्म करके सिप करके पीना चाहिये।

दालचीनी
दालचीनी

अजवायन

अजवायन का पानी भी कमर और हिप्स की चर्बी को पिघलाने में  लाभदायक सिध्द होता है।

अदरक

एक ज़ार में एक अदरक का टुकड़ा,1 छील कर पतले टुकड़े में काटा हुआ खीरा ,1 नींबू के टुकड़ें और  पुदीने की 10 से 12 पत्तियों को पानी मिलाकर रात भर रखें और सुबह सेंधा नमक डालकर पियें।

आसन

  • घर मे अनुलोम विलोम,बालासन,सेतुबन्ध व कपालभाति के साथ कुर्सी पर बैठने जैसे आसन की मुद्रा और पश्चिमोत्तासन का प्रयोग करना चाहिए।
  • सम्भव हो लिफ़्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करना चाहिये,खाना देर रात खाने से बचना चाहिये और खाने के बाद तुरंत ही सोने नहीं जाना चाहिये।

बीजों का सेवन

बीजों का सेवन जैसे 1-1 कटोरी  सभी मसालदानी मे उपलब्ध बीज जैसे धनिया,अजवायन ,मेंथी, जीरा, सौंफ़, कलौंजी और आधा कटोरी अलसी के बीजों को हल्का भून कर पीस लें और इस पाऊडर को सुबह शाम गर्म पानी से खाएँ।

हल्की फुल्की भूख

जब हल्की फुल्की भूख हो तो सूप, फलों और बीन्स को प्रयोग करना चाहिये। तरबूज और ककड़ी भी बेहतर विकल्प होते हैं। तरल पदार्थों जैसे मठा,दही ,मलाई निकला हुआ दूध और सूप का प्रयोग बढ़ा कर कोल्डड्रिंक बन्द कर देना चाहिए ।

जानिए क्या है बी पी लो होने का कारण-BP Low Hone Ke Karan

BP Low Hone Ke Karan

बी पी या ब्लड प्रेशर क्या होता है

हमारे शरीर मे बहने वाला रक्त, रक्त वाहिनियों पर दबाव डालता है। यह दबाव कितना होगा यह व्यक्ति की शारिरिक स्थिति जैसे कोई बीमारी, मोटापा, उम्र और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।

यह  दबाव सामान्य से कम या अधिक हो जाता तब उसे लो बी पी या हाई बी पी कहा जाता है।

सामान्य बी पी दर क्या होती है-BP Kitna Hona Chahiye

उम्र के अनुसार बी पी की दर

15 से 18 साल                     पुरुष – 117-77mmHg                महिला- 120-85mmHg
19 से 24 साल                     पुरुष ,महिला -120-79mmHg
25 से 29 साल                     पुरुष, महिला- 120-80mmHG
30 से 39 साल                     पुरुष-122-81mmHg                 महिला- 123-82mmHg
40 से 45 साल                     पुरुष-124-83mmHg                 महिला-125-83mmHg
46 से 49 साल                     पुरुष 126-84mmHg                 महिला 127-84mmHg
50 से 55                            पुरुष- 128-85mmHg                महिला 129-85mmHg
60 साल से अधिक                पुरुष- 131-87mmHg               महिला- 130-86mmHg

बी पी लो क्या होता है।

लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप को हाइपोटेंशन भी कहा जाता है. जब किसी भी इंसान का ब्लड प्रेशर 90/60 से नीचे चला जाता है, तो इस अवस्था को लो बीपी या हाइपोटेंशन कहते है।

ब्लड प्रेशर कम होना मतलब रक्त के साथ ऑक्सीजन का बहाव कम होना। ऑक्सीजन ही हमारी जीवनदायिनी शक्ति है। अब आप सोच सकते है यदि जीवनदायिनी शक्ति ही मुख्य अंगों तक सही से ना पहुचे तो स्थिति कितनी खतरनाक है।

बी पी लो होने के कारण-BP Low Hone Ke Karan

डीहाइड्रेशन

डीहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी, शरीर मे पानी की कमी कई कारणों से हो सकती है, जैसे उल्टी, डायरिया, हैवी वर्कआउट, तेज धूप या गर्मी में लंबा समय बिताना,लू लगना आदि।

इन सब कारणों से शरीर मे पानी हो जाती है, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।

डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन

ज्यादा खून बहना

ज्यादा खून बहने से भी रक्तचाप कम हो सकता है। अचानक कोई बड़ी दुर्घटना, डिलीवरी के दौरान तीव्र रक्तस्राव, या किसी अन्य आपरेशन के दौरान रक्त का बहाव हो सकता है।

दिल से सम्बंधित बीमारियां

ऐसे लोग जिनका दिल कमजोर होता है, वो लो बी पी के ज्यादा शिकार होते है। क्योंकि दिल की कमजोर मांसपेशियों से दिल की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और दिल कम मात्रा में खून को पंप कर पाता है। इससे आप समझ सकते है कि यदि हार्ट प्रॉब्लम के साथ लो बी पी की समस्या भी हो तो, हार्ट अटैक और दिल में इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। हार्ट आर्टरीज के ब्लॉक होने, पर भी लो बी पी होता है।

गंभीर इन्फेक्शन

किसी भी प्रकार का गंभीर इन्फेक्शन लो बी पी होने का बहुत बड़ा कारण है। इसका कारण होता है, इन्फेक्शन का खून में प्रवेश कर जाना।

पोषक तत्वों की कमी

आयरन, विटामिन बी-12 , और कुछ अन्य पोषक तत्वों की कमी से शरीर मे रेड ब्लड सेल्स में कमी आ सकती है।जिससे रक्तचाप कम हो जाता है।

एन्डोक्राइन ग्रंथि से जुड़ी समस्या

एन्डोक्राइन ग्रंथि से हार्मोन के कम स्राव के कारण थाइरॉएड, डायबिटीज या इस तरह की अन्य कई बीमारियां होती हैं। उपचार में लापरवाही करने से कई बार रक्तचाप औसत से कम हो जाता है।

लो बी पी को ठीक करने के घरेलू उपाय

  • रात को 7 से 8 किशमिश भिगो दें। खाली पेट सुबह चबा चबा कर खाएं।
  • देसी चने रात को भिगो दें सुबह चबा चबा कर खाए, यदि आपको गैस की दिक्कत है तो मात्र कम रखे, और एक दिन का गैप रखे।
  • कुछ सूप आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है, जैसे गाजर, टमाटर, पालक, चुकंदर का सूप। सूप में भुना जीरा और काला नमक डालें।
  • छाछ में नमक, भुना हुआ जीरा और हींग मिलाकर सेवन करें।
  • सुबह आंवले के मुरब्बे का सेवन करें।
  • इंस्टेंट रिलीफ के लिए कॉफी का सेवन करें।
  • रात को गुनगुने दूध के साथ खजूर का सेवन करें।
  • अदरक के छोटे-छोटे करके, उनमें नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर रख दें। अब इसे प्रतिदिन भोजन से पहले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाते रहें। दिनभर में 3 से 4 बार भी इसका सेवन आप कर सकते हैं।
  • समय से खाएं खाना
  • तुलसी का सेवन करें
  • बादाम और बादाम के दूध का सेवन करें

बी पी के लिए लाभदायक मुद्रा

इस मुद्रा को आप कभी भी प्रयोग कर सकते है। इसके लिए दोनों हाथों की तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा उंगलियों से मुट्ठी बनाएं और दोनों हाथों के अंगूठों के अग्रभाग को आपस में मिलाएं। हथेलियों की दिशा नीचे की ओर रहे। रोजाना धीमी-लंबी-गहरी सांस के साथ 15 से 45 मिनट तक करें।

जानिए क्या हैं पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से होने वाले फायदे

पीतल तांबा जस्ता को मिलाकर बनाई गई एक मिश्र धातु है। यह धातु पीले रंग की होती हैं। इस धातु के बने बर्तनों का प्रयोग हिंदू धर्म में पूजा पाठ एवं अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों के आयोजन में किया जाता है। पीतल के बर्तनों का हिंदू धर्म में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है एक बच्चे के जन्म होने से लेकर एक वृद्ध व्यक्ति के मृत्यु संस्कार तक में पीतल के बर्तनों की आवश्यकता होती है। भगवान विष्णु ,देवी मां बगलामुखी, मां लक्ष्मी इन सभी की पूजा में पीतल के बर्तन का प्रयोग किया जाता है।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त होता है

पीतल के बर्तन मे पानी पीने के फायदे अनेक हैं। पीतल की प्रकति गर्म होने के कारण पीतल के बर्तन में रखे हुए पानी से कफ दोष दूर होता है और खांसी जुकाम जैसे विकार नहीं होते।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से वायु दोष की बीमारी भी दूर होती है पहले के लोग अपनी क्षमता अनुसार सोना चाँदी तांबा और पीतल के बर्तन प्रयोग करते थे। जिस कारण वह हमेशा स्वस्थ रहते थे। परंतु आजकल धातु के बर्तनों की जगह प्लास्टिक, एलमुनियम, काँच, मेलामाइन आदि ने ले ली है। जिसके कारण काफी सारी बीमारियाँ बढी हैं। इन बर्तनो के प्रयोग से शरीर के अंदर राहु का प्रकोप बढ़ा है। फल स्वरूप कैंसर जैसी बीमारियां शरीर में घर कर रही है।

पीतल के बर्तन न केवल शारीरिक दृष्टि से बल्कि वास्तु के अनुसार हमारे लिए लाभदायक होते हैं। पीतल के बर्तन हमारे लिए आर्थिक समृद्धि लेकर आते हैं।

पीतल के बर्तनों में बना हुआ भोजन अत्यधिक स्वादिष्ट होता है पीतल के बर्तन में बना हुआ भोजन स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है पीतल बहुत जल्दी गर्म हो जाता है। जिस कारण गैस की बचत होती है। पीतल के बर्तनों में भोजन पकाने से ऊर्जा की बचत होती हैं। पीतल एक शुद्ध धातु है। पीतल के बर्तन मनुष्य को आरोग्यता एवं तेज़ प्रदान करते हैं। पीतल के बर्तन हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं। पीतल के बर्तन हमारी आंखों के लिए पीले रंग के होने के कारण टॉनिक का काम करते हैं।

कई बीमारियों से बचाए

पीतल के बर्तन बहुत मजबूत होते हैं शुद्ध पीतल के बर्तन 70% तांबा और 30% जस्ता को मिलाकर बनाए जाते हैं पीतल एक बहुत उपयोगी और कीमती धातु है। जिसे हमारे पूर्वज प्राचीन काल से प्रयोग करते आ रहे हैं। इसलिए नहीं कि वह प्लास्टिक का प्रयोग नही जानते थे या फिर वह बहुत धनवान थे। हमारे पूर्वज पीतल के औषधीय गुणों को जानते थे। आजकल शरीर में कैंसर, टयूमर, एलर्जी जैसी छोटी बड़ी बीमारियां बढ़ती जा रही है। यह सभी बीमारियां हमारे गलत खानपान का परिणाम है।

हम सभी ने समय की बचत के लिए एवं सुंदरता और अपनी सहूलियत के लिए प्लास्टिक के बर्तनों में, कांच के बर्तनों में, नॉन स्टिक के बर्तनों में खाना बनाना खाना परोसना शुरू कर दिया है। इन सब के दुष्परिणाम भी है। जो हम नई-नई बीमारियों के रूप में देख रहे हैं। पीतल के बर्तन आजकल की दौड़ भाग वाली जिंदगी में संभाल पाना बहुत मुश्किल है। यह हम सब जानते हैं तो हर भोजन तो हम पीतल के बर्तनों में नहीं बना सकते। पर कुछ तो हमें अपने स्वास्थ्य के लिए करना ही होगा। इसलिए हमें पीतल के बर्तनों में पानी पीना चाहिए। पीतल के बर्तन में पानी पीना भी उतने ही स्वास्थ्यवर्धक है जितना पीतल के बर्तनों में खाना खाना।

पीतल के बर्तन
पीतल के बर्तन

आँखों के लिए हैं फायदेमंद

पीतल का पीला रंग हमारी आंखों के लिए लाभदायक होता है यह हमें ऊर्जा प्रदान करता है स्वर्ण की तरह है पीतल भी अति शुभ कार्य होता है भगवान विष्णु को अति प्रिय है। बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए पीतल बहुत लाभदायक होता है। पीतल के बर्तनों में पानी पीने से बृहस्पति ग्रह प्रबल होता है।

पानी को करे स्वच्छ

पीतल के बर्तन जल स्वच्छ करने में कारगर पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से पानी के अंदर मौजूद माइक्रो ऑर्गेनाइज्म खत्म हो जाते हैं और पानी स्वच्छ हो जाता है पीतल के लोटे, थाली को गरीब से गरीब परिवार भी अपनी कन्या को विवाह में देता है। उसके पीछे उद्देश्य यही होता है कि घर मैं भोजन पवित्र एवं स्वच्छ हो और साथ ही शुद्ध भी हो हर मांगलिक कार्य में पीतल के कलश या लोटे में जल भरकर रखा जाता है। उसके पीछे उद्देश्य यही होता है कि जल की कभी भी कमी ना हो।

अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी तो सभी खरीदते हैं परंतु हमारे पूर्वज सदियों से पीतल के लोटे में जल भरकर भगवान के सम्मुख रखते आए हैं। उद्देश्य मात्र यही होता है कि जल की कभी भी कमी ना हो। घर में धनधान्य अन्न जल हमेशा भरा रहे। विवाह संस्कार के समय पीतल के लोटे में जल भर कर रखा जाता है। जो इस बात का प्रतीक है कि घर में पति पत्नी दोनों मिलकर रहेंगे।

घर को करे पवित्र

पीतल से जुडी परम्पराएँ बच्चे के जन्म के समय पीतल की थाली को पीटने की परंपरा है। जो बताती है कि घर में सौभाग्य आ गया है। एक नया वशंज संसार में जन्म ले चुका है। इसी प्रकार मृत्यु के समय अस्थि विसर्जन के पश्चात पीपल पर जल पीतल के कलश से ही चढ़ाया जाता है। पिंडदान के बाद पीतल के कलश में गंगाजल व सोने का टुकड़ा रखकर पूरे घर को पवित्र किया जाता है। यह सारी रीति रिवाज पीतल की पवित्रता व हमारे घर में पीतल की अनिवार्यता के विषय में बताते हैं। हम सभी को नए का प्रयोग करना चाहिए। पर नए के कारण पुराने को बिना सोचे समझे छोड़ देना कहीं की समझदारी नहीं है।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से पानी पौष्टिक, शुद्ध स्वच्छ व शरीर के लिए लाभदायक होता है तो मैं आप सब से यही कहना चाहूंगी कि निकाल लीजिए अपने दादा दादी के जमाने के लोटे और बरतनों को और जगह दे दीजिए एक बार फिर से अपने रसोई घर में।

नींबू और शहद के नुकसान, जिन्हें जानना आपके लिए है जरुरी

नींबू और शहद के नुकसान

जब भी कोई व्यक्ति सेहत के बारे में सोचना शुरू करता है, उसे सबसे पहली सलाह दी जाती है कि गर्म पानी नींबू और शहद पीना शुरू कर दो। मोटापा घटाना हो या सुंदरता बढ़ाना दोनों के लिए नींबू शहद के गुण गाये जाते है। बहुत से कॉस्मेटिक अपने प्रोडक्ट में इनके होने का दावा करते है। लेकिन जैसा हम हमेशा कहते है हर चीज़ का एक नुकसान होता है। उसी प्रकार निम्बू और शहद के भी कुछ साइड इफ़ेक्ट होते हैं। आज हम उन्ही साइड इफ़ेक्ट के बारे में बात करेंगे। सबसे पहले बात करते है, गर्म पानी नींबू और शहद पीने की और नींबू और शहद के नुकसान की।

अगर आप सोचते है सुबह गर्म पानी नींबू और शहद पीने से आप पतले हो जाएंगे, तो आप बहुत बड़ी गलतफहमी में है।

नींबू के नुकसान-Nimbu Ke Nuksan In Hindi

  • निम्बू मे सिट्रिक एसिड होता है, जो अगर ज्यादा मात्रा में शरीर मे जाए तो समस्या पैदा कर सकता है। ज्यादा निम्बू के सेवन से शरीर मे डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी हो सकती है। इससे आपको पूरे दिन हलक सूखने की समस्या हो सकती है। गर्म पानी के साथ नींबू का रस लेने से यह डाइयूरेटिक की तरह से कार्य करता है। जरूरत से ज्यादा यूरीनेशन आपको डीहाइड्रेट कर सकता है।
  • ज्यादा नींबू पानी पीने से दांतों की प्रोटेक्शन लेयर यानी इनेमल को नुकसान पहुंचता है। जिससे दांत बहुत सेंसिटिव हो जाते है। आपको ठंडा गर्म लगने की समस्या हो सकती है।
  • इसका कारण निम्बू का एसिडिक नेचर है। आप चाहें तो नींबू पानी हमेशा स्ट्रॉ से पीएं, इससे नींबू की अम्लता दांतों को सीधे तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
  • नींबू पेप्सिन एंजाइम को एक्टीवेट करता है। यह एंजाइम प्रोटीन्स को तोड़ता है। गले और ईसोफेगस में पेप्सिन के एक्टीवेट होने से ही जलन की समस्या होती है। इसके अलावा एसिडिटी, खट्टी डकार, खराब डाइजेस्टिव सिस्टम, की समस्या होती है।
  • ज्यादा नींबू पानी पीने से किडनी स्टोन (पथरी) की समस्या भी हो जाती है। इसके अलावा गुर्दे और पित्ताशय की थैली में समस्या आती है।
  • निम्बू में उपस्थित टायरामाइन नामक तत्व माइग्रेन को बढ़ा सकता है। तो यदि आप माइग्रेन से ग्रस्त है और इसकी की दवा ले रहे हों तो उसके साथ नींबू पानी बिल्कुल न ले।
  • कई बार मुँह में सफेद रंग के दर्द भरे छाले हो जाते है, जिन्हें केंकर सोर्स कहते है। उसका कारण भी निम्बू का एसिडिक होना माना जाता है।

शहद के नुकसान-Shahad Ke Nuksan

अगर आप शहद से मोटापा कम करने का सोच रहे है तो भूल जाए। शहद बहुत ज्यादा मीठा होता है और इसकी जरूरत से ज्यादा मात्रा मोटापा बढ़ाती है।

शहद
शहद

आइए जानते हैं शहद का अधिक सेवन करने से होने वाले नुकसान…

स्माल इंटेस्टाइन में दिक्कत-Shahad Ke Nuksan

अगर आप लगातार शहद का अधिक सेवन कर रहे है तो, स्माल इंटेस्टाइन की न्यूट्रीटीएंट्स को सोखने की कैपेसिटी घट जाएगी। ऐसा शरीर मे फ्रक्टोज नामक तत्व की मात्रा बढ़ने से होता है। इससे शरीर धीरे धीरे कमजोर होने लगेगा।

 डायबिटीज का खतरा-Shahad Ke Nuksan

शहद का लंबे समय तक अधिक सेवन करने से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। अगर आप डायबिटीक पेशेंट हैं, तो शहद भूल कर भी न खाए। यदि नही तो सीमित मात्रा में सेवन करें।

वोमिट की फील-Shahad Ke Nuksan

अगर आप एक साथ अधिक मात्रा में शहद का सेवन करते हैं, तो इससे आपको उल्टी की फीलिंग हो सकती है। फ़ूड पॉइज़निंग हो सकती है। निम्बू और शहद के साथ मे सेवन करने से ब्लोटिंग सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरती है।

नींबू लगाने के नुकसान

त्वचा पर लेमन जूस लगाने से आपकी स्किन पर डार्क स्पॉट हो सकते हैं. खासकर यदि आप बाहर निकल रहे हो तो। क्योंकि सूर्य के प्रकाश में संपर्क में आने से सबसे खतरनाक तरह का सनबर्न हो सकता है। इस सनबर्न को Phytophotodermatitis कहते है।

नींबू के जूस में एसिड अधिक मात्रा में होता है। इसकी वजह से हाइपरपिगमेंटशन, इरिटेशन की समस्या होती है और त्वचा अत्यधिक संवेदनशील हो सकती है।

शहद लगाने के नुकसान

शहद स्किन के लिए अच्छा ही होता है और नुकसान न के बराबर होता है। लेकिन बहुत से लोग इससे एलर्जिक होते है। शहद से एलर्जी होने पर चेहरे पर लाल पैच, जलन और सूजन आ जाती है।

ये थे निम्बू और शहद के सेवन और लगाने के नुकसान।

जानिए अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें-How To Use Arjun Ki Chaal

अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करे

अर्जुन का पेड़ एक ऐसा औषधीय पेड़ है जिसके अनगिनत लाभ है। अर्जुन की छाल अंदर से लाल रंग की होती है और पेड़ से उतारने पर चिकनी चादर की तरह उतरती है। अलग अलग प्रान्त में इसे अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे घवल, ककुभ और नदीसर्ज। आयुर्वेद में इस पेड़ के बहुत से लाभ वर्णित हैं, आज हम बात करेंगे अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें के बारे में।

छाल में बीटा-सिटोस्टिरोल, इलेजिक एसिड, ट्राईहाइड्रोक्सी ट्राईटरपीन, मोनो कार्बोक्सिलिक एसिड, अर्जुनिक एसिड आदि भी पाए जाते हैं। पेड़ की छाल में पोटैशियम, कैल्शियम, मैगनिशियम के तत्व भी पाए जाते हैं। अर्जुन की छाल की तासीर ठंडी होती है ,यदि सर्दियों में इसका सेवन लहसुन के साथ किया जाए तो ज्यादा फायदेमंद होगा।

अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें-How To Use Arjun Ki Chaal

फ्रैक्चर होने पर पानी के साथ करे प्रयोग

ह्रदय को शक्ति देने के लिए दूध के साथ अर्जुन की छाल ली जाती है। यह फ्रैक्चर को ठीक करने में भी लाभकारी होता है। 50 मिली अर्जुन की छाल के पाउडर को पानी में मिलाकर दिन में खाना खाने से पहले एक या दो बार पिये।

एक चम्मच अर्जुन की छाल के पाउडर को 2 कप पानी में डालकर उबालें और आधा कप रह जाने पर छान कर गुनगुना पी लें। आप दूध के साथ अर्जुन की छाल को ले सकते हैं और इसके अर्क से बने कैप्सूल भी ले सकते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर में दूध के साथ करे सेवन

तीन ग्राम चूर्ण की मात्रा सुबह-शाम दूध के साथ लेने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में आराम मिलता है। चायपत्ती की बजाय इसकी छाल को पानी में उबालकर उसमें दूध व चीनी डालकर पीना हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशरकोलेस्ट्रॉल में फायदेमंद है।

वजन कम करना है तो पियें काढ़ा

अर्जुन की छाल में हाइपोलिपिडेमिक पाया जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम अथवा नियंत्रित करता है। वजन कम करने में अर्जुन की छाल गुणकारी है। इसके लिए आप रोजाना सुबह और शाम के वक्त अपनी शारीरिक क्षमता अनुसार अर्जुन की छाल का काढ़ा पी सकते हैं। आपको जल्द असर देखने को मिल सकता है।

अर्जुन की छाल का काढ़ा
अर्जुन की छाल का काढ़ा

अधिक जानकारी के लिए पढ़े: अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये

डायबिटीज़ के रोगी गुनगुने पानी के साथ करें सेवन

अर्जुन की छाल डायबिटीज़ रोग को भी नियंत्रित करती है। इसके लिए रोजाना रात में सोने से पहले आधा चम्मच अर्जुन की छाल पाउडर गुनगुने गर्म पानी में मिलाकर पिएं। इससे आपको बहुत जल्द डायबिटीज़ में आराम देखने को मिल सकता है।

अर्जुन की छाल का पेस्ट बढ़ाये आपकी सुन्दरता

अर्जुन की छाल सेहत और सुंदरता दोनों के लिए गुणकारी है। अगर आप त्वचा की खूबसूरती को बरकरार रखना चाहते हैं, तो अर्जुन की छाल का पाउडर और कपूर को मिलाकर अपने चेहरे पर लगाएं। इसके बाद जब पेस्ट सूख जाए, तो अपने चेहरे को साफ पानी की मदद से धो लें।

पेट दर्द होने पर साथ में लें हींग

पेट दर्द की शिकायत होने पर अर्जुन की छाल का प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए छाल में भुना हुआ हींग और काला नमक मिला कर दिन में दो बार इसका सेवन करना चाहिए।

एक कप पानी में तीन ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर उबालें। पानी की मात्रा आधी रहने पर इसे सुबह-शाम गुनगुना पी लें। इससे बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

अर्जुन की छाल के अन्य प्रयोग

  • अर्जुन की छाल में कसुआरिनिन (Casuarinin)  नाम का एक तत्व मौजूद होता है जो स्तन कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने के लिए बहुत प्रभावी है।
  • नारियल के तेल में इसकी छाल के चूर्ण को मिलाकर मुँह के छालों पर लगाने से मुख के छाले ठीक हो जाते हैं।
  • अर्जुन की छाल के चूर्ण को गुड के साथ लेने से बुखार में काफ़ी आराम मिलता है।
  • अर्जुन की छाल के काढ़े को यूरिन इन्फेक्शन में प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, यह गुर्दे या मूत्राशय की पथरी को निकालने में भी मदद करती है।
  • इसका काढ़ा बना कर पीने से ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या दूर होती है।
  • हड्डी टूटने, नील पड़ जाने, या अंदुरनी चोट लगने पर भी इसके काढ़े का सेवन तथा चोट पर लेप का इस्तेमाल लाभदायक है।
  • पीरियड के दौरान हैवी ब्लीडिंग में इसका काढ़ा तथा कान के दर्द में इसका एक बूंद रस लाभदायक है।

डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार, जो आपके लिए जानना है जरुरी

डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार

बारिश के मौसम के साथ ही ढेरो बीमारियां फैल जाती है। उन्ही में से एक खतरनाक बीमारी होती है डेंगू, डेंगू जो शुरू में एक सामान्य बुखार की तरह लगता है, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर जानलेवा हो सकता है। डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार की जानकारी के अभाव में मरीज की जान भी जा सकती है। डेंगू बुखार मादा एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। जुलाई से अक्टूबर में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण होता है। इसलिए इन महीनों में बहुत ही ध्यान देने की जरूरत होती है।

इन मच्छरों के शरीर पर काली सफेद रंग की धारिया होती है। डेंगू से पीड़ित किसी इंसान को जब ये मच्छर काटता है तो खून के साथ ये वायरस भी मच्छर के शरीर मे चला जाता है। जब यहीं मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी डेंगू हो जाता है।

डेंगू के लक्षण

ये तीन तरह का होता है, और उसी के आधार डेंगू के लक्षण होते है।

साधारण डेंगू के लक्षण

  • दिन से लेकर एक हफ्ते तक व्यक्ति बुखार से पीड़ित रहता है।
  • बुखार हो जाता है।
  • बहुत तेज ठंड महसूस होती है।
  • सरदर्द
  • आँखों मे दर्द होता है जो आंखों को हिलाने पर बढ़ जाता है।
  • मसल्स और जॉइंटस में दर्द होता है।
  • कमजोरी लगती हैं,
  • मुँह में कड़वापन,गले मे भी दर्द होता है।
  • फेस, गर्दन,और छाती पर रैशेस हो जाते है।

डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षण

  • नाक, मुँह और मसूड़ों से खून आने की समस्या हो सकती है।
  • मरीज को हर समय गला सूखा महसूस होता है और प्यास लगती हैं,
  • स्किन पर घाव हो जाते है,
  • त्वचा बहुत ठंडी महसूस होती है,मरीज बेचैनी में कराहता रहता है,
  • उल्टी हो सकती है, जिसमे खून भी आ सकता है।
  • सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती हैं,
    डेंगू हैमरेजिक बुखार
    डेंगू हैमरेजिक बुखार

डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण

  • नाम से पता चल रहा कि मरीज शॉक में आ जाता है।
  • ब्लड प्रेशर गिर जाता है।
  • तेज बुखार महसूस होता है पर शरीर ठंडा रहता है।
  • मरीज का होश खोना आदि लक्षण होते है,नब्ज तेज चलने लगती है।

डेंगू बुखार से बचाव के उपाय

डेंगू से बचाव करने का सबसे सरल और जगजाहिर उपाय है, कि पानी को एक जगह इक्कठा न होने दे। पानी चाहे गंदा हो या साफ़
क्योंकि डेंगू का मच्छर रुके हुए पानी मे पनपता है,ये कुछ निम्न उपाय है जो हम अपना सकते हैं।

  • कूलर का पानी बदलते रहे।
  • पूरी बाजू के कपड़े पहने।
  • अगर आपकी छत या आँगन में कही भी कोई टायर, डब्बा, फालतू बाल्टी, घड़ा, बोतल जैसा कोई भी बर्तन रखा हो जिसमें पानी इक्कठा होता हो उसे तुरंत हटा दे।
  • मच्छर नाशक चीज़ो का प्रयोग करे, लेकिन सावधानी से।
  • टँकीयो और बर्तनों को ढककर रखे।
  • मच्छरदानी का प्रयोग स्वस्थ्य व्यक्ति के साथ साथ मरीज के लिए भी जरूर करें ताकि मच्छर उसको काटकर बीमारी ना फैला सके।
  • एस्पिरिन,आईब्रूफेन बिल्कुल ना दे।
  • डॉक्टर के पास ले जाने तक बुखार के लिए पैरासिटामोल दे सकते है।।
  • जहाँ पानी भरा हो वहां केरोसिन,मिट्टी का तेल डालें
  • नीम की पत्तियां जलाए, कीटनाशक का छिड़काव केवल ऊपरी तौर पर नही घर के अंदुरुनी और छुपे हुए हिस्सो में भी करें।
  • खिड़की,दरवाजो पर बारीक जाली लगवाए।
  • बाहर का खाना, ज्यादा तला हुआ,मसालेदार ना खाएं खासकर बरसात के मौसम में।
  • पूरे मानसून सीजन में पानी उबाल कर पिए।
  • बासी खाना ना खाएं चाहे वो फ्रिज का ही क्यों ना हो।
  • तुलसी, काली मिर्च, अदरक, गिलोय, एलोवेरा, आँवला का प्रयोग करें
  • पानी मे क्लोरीन का प्रयोग, डी डी टी का छिड़काव भी मददगार होता है।
  • इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे।
  • फल और सब्जियों को भली प्रकार धोकर ही उपयोग करे
  • खुले में शौच ना करे,जंक फूड ना खाएं
  • डस्टबीन में गीला सूखा कचरा अलग रखें, और ढक कर रखे।

डेंगू से बचने के घरेलू उपाय

डेंगू में गिलोय का प्रयोग

डेंगू में गिलोय का प्रयोग, अब डेंगू के लिए संजीवनी बूटी की तरह प्रसिद्ध हो चुका है। यह डाइजेस्टिव सिस्टम को सही रखकर इम्युनिटी को स्ट्रांग बनाता है।

कैसे ले

डेंगू बुखार में आप गिलोय की डंडी को पानी में उबालें, पानी के आधा रह जाने पर छान लें और एक हर्बल ड्रिंक के रूप में उपयोग करें। इस पेय में कुछ तुलसी के पत्ते भी मिला सकते हैं।

तुलसी

तुलसी का प्रयोग न केवल इम्युनिटी बढ़ाता है बल्कि किसी भी तरह के संक्रमण को भी दूर करता है। इसके लिए आपको कुछ मेहनत भी नही करनी होगी।

कैसे ले

सुबह कभी भी तुलसी के पत्ते ले और पानी से निगल ले। आप तुलसी के पत्तो को साबुत दालचीनी और काली मिर्च के साथ उबाल कर काढ़ा भी बना सकते है।

मेथी

मेथी के पत्ते डेंगू से होने वाले दर्द में आराम देता है। बेचैनी से मरीज को नींद नही आती उसमें भी मेथी के पत्ते फायदेमंद है और नींद लाने में मदद करते है।

कैसे ले

मेथी के पत्तो का साग, आटे में मिलाकर रोटी या मेथी दाने का भिगोकर प्रयोग करें। रात को मेथी दाना भिगो दें और सुबह पानी से निगल ले।

डेंगू में कौन सा फल खाना चाहिए

क्या डेंगू में संतरे अच्छे होते हैं?

संतरे में मौजूद होते है,एन्टीऑक्सीडेंट जो कि किसी भी प्रकार के बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण में प्रभावी है। साथ ही इसमे होता है विटामिन सी जो इम्युनिटी को बढ़ाता है।

कोलेजन के निर्माण में विटामिन सी की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण यह सेलुलर मरम्मत को उत्तेजित करता है।

संतरा
संतरा

कैसे ले

जूस की बजाय संतरे को खाएं, क्योंकि जूस की जगह संतरे का फाइबर ज्यादा उपयोगी है। शाम के बाद संतरे का सेवन न करें। यदि खांसी है तो संतरा न खाएं।

पपीते के पत्ते

पपीते के पत्ते में न्यूट्रिशनल एलिमेंट और आर्गेनिक एलिमेंट्स की जुगलबंदी प्लेटलेट नंबर्स बढ़ाती है। साथ ही इसमे मौजूद एंटीऑक्सिडेंट ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने और रक्त में अधिक विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में सहायता करता है।

कैसे ले

पपीते के पत्तो को तुलसी या गिलोय के साथ उबालकर इस्तेमाल कर सकते है। साथ ही पपीते के पत्ते का रस निचोड़कर भी सेवन कर सकते है।

पपीते के फल को भी डाइट का हिस्सा बनाए खासकर सुबह के समय जरूर खाए।

जौं

जौ घास ब्लड प्लेटलेट्स को बढ़ाती है। इसलिए इसका सेवन बहुत लाभदायक होता है।

कैसे ले

जौ घास से बना काढ़ा पिएँ या इसे सीधे ही खा सकते है। जौं का सत्तू या रोटी के आटे में मिलाकर प्रयोग करे।

क्या डेंगू बुखार में नारियल पानी पी सकते हैं?

खूब नारियल पानी पिएँ। इसमें मौजूद जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) शरीर को मजबूत बनाते हैं।

कैसे ले

नारियल पानी का सेवन तेज बुखार में न करे। शाम 4 बजे के बाद भी नारियल पानी न पीएं।

इनके अलावा कद्दू (पके हुए कद्दू को पीस कर उसमें एक चम्मच शहद डालकर पिएँ) चुकंदर, एलोवेरा का सेवन भी डेंगू और उसके लक्षणों में आराम देता है।

संतरा एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटामिन-सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए डेंगू के मरीजो़ के लिए संतरे को अच्छा माना जाता है। इसमें भरपूर फाइबर होने से कब्ज़ की समस्या नहीं होती, रसदार होने से डिहाइड्रेशन दूर करता है, पोषक तत्वों से शरीर की कमजोरी दूर होती है। संतरा खाने का अगर रोगी का मन ना हो तो संतरे का जूस भी अच्छा विकल्प है। मुँह का स्वाद अच्छा हो इसके लिए हल्के से काले नमक के साथ भी जूस ले सकते हैं।

बुखार में शरीर का तापमान बढा़ रहता है इसलिए चावल, बहुत ज्यादा खट्टी या ठंडी चीजों को एवोइड़ करनें की सलाह दी जाती है, लेकिन रोटी आप खा सकते हैं। डेंगू बुखार में जितना हो सके हल्का भोजन ही खाना चाहिए, जैसे दाल, दलिया, खिचड़ी और तरल पदार्थ। क्योंकि बुखार में मुँह का स्वाद काफी खराब हो जाता है इसलिए स्वाद बदलने के लिए पतली दाल के साथ रोटी खा सकते हैं।

बुखार होने पर हल्के आहार का ही चुनाव करना चाहिए जो पचने में आसान हो, अक्सर बुखार में चावल और ठंडी चीजों से परहेज़ की सलाह दी जाती है लेकिन चावल की खिचड़ी खाना अच्छा माना जाता है। एक्सपर्ट भी यही कहते हैं कि डेंगू बुखार होने पर हल्का-फुल्का भोजन लेना चाहिए। लंच में आप थोड़ा चावल भी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि शाम के वक्त चावल बिल्कुल न खाएं। चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो डेंगू में होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करते हैं ।

डेंगू के मरीजों के लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। इसके पत्ते का जूस पीने से प्लेटलेट्स काउंट भी तेजी से बढ़ता है। गिलॉय के पत्तों का काढा़ अगर नियमित रूप से पीते हैं तो डेंगू बुखार होने की संभावना कम हो जाती है, गिलोय की बेल के 10 छोटे छोटे टुकड़े तोड़कर उसे 2 लीटर पानी में थोड़ा सा अदरक और दो चुटकी अजवाइन के साथ सात मिनट तक उबालकर, थोड़ा ठंडा करके, रोगी को खाली पेट पीने को दें तो बेहद लाभ मिलता है।

डेंगू के रोगियों को आहार में हाई प्रोटीन और आयरन से भरपूर डाइट को शामिल करने की सलाह दी जाती है। अंडे में प्रोटीन आयरन और कईं तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसलिए डेंगू मरीज को अंडा खाने को दे सकते है। बस ध्यान रखें कि कैसे देना है * उबले हुए अंडे खाने को दें और अंडे का पीला हिस्सा हटाकर खाएं।अंडे का यह हिस्सा नुकसान पहुंचा सकता है। *अंडे को फ्राई करके खाना बिल्कुल एवोइड करें इससे उसमें फैट की मात्रा बढ़ जायेगी जो पचनें में मुश्किल करेगी। *और ध्यान रखें कि अधपके अंडे ना खायें इससे शरीर में इंफैक्शन का खतरा रहता है।

फीवर के दौरान पैरों के दर्द की शिकायत अक्सर होती हैं- डॉक्टर बताते हैं कि दो तरह के पेन सामने आते हैं, क्यूट रिएक्टिव आर्थराइटिस और क्रॉनिक जाइंट पेन। रिसर्च से ये भी पता चला है कि मांसपेशियों और जोड़ों में अधिक समय तक दर्द रहने के लक्षण एक ऑटो इम्यून स्थिति भी हो सकती है। अगर ऐसा है तो सामान्य व्यायाम और पैरासिटामोल के द्वारा इसमें आराम मिल जायेगा, लेकिन जब अधिक समय तक आराम न मिले तो फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इसके अलावा घर पर नियमित तेल मालिश भी की जा सकती है, जिससे आराम मिलेगा। मालिश के लिए नारियल, तिल और सरसो का तेल अच्छा रहेगा।

डेंगू के इलाज को लेकर कुछ लोगों का यह मानना है की डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने पर इलायची के सेवन से प्लेटलेट की संख्या बढ़ जाती है ,आइए जानते हैं ,क्या ऐसा होता है?डॉक्टर्स की माने तो इलायची के सेवन से प्लेटलेट्स की संख्या में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है । इलायची पाचन शक्ति को सुधारने और मरीज के मुंह का स्वाद ठीक करने के काम में आती है ।डेंगू के दौरान मरीज के शरीर में होने वाली गर्मी से भी इलायची का सेवन फायदा पहुंचाता है परंतु इसके सेवन से प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ता है ।

जानिए क्या है दिव्य किट के फायदे-Divya Kit In Hindi

दिव्य किट के फायदे

दिव्य किट एक चमत्कारिक किट है। इसमें अधिकतर सभी बिमारियों का इलाज संभव है। इसमें एक्सरसाइज ,एक्यूप्रेशर ,हिप्नोटिस्म सभी के द्वारा इलाज होता है। इस दिव्य किट के द्वारा हम स्वंय ही उपचार कर सकते हैं। दिव्य किट इंसान के शरीर के अंदर मौजूद तत्वों को एक्टिव करती है। इसमें ज्ञान मुद्रा एक्ससरसाइज, मैडिटेशन योगा एक्यूप्रेशर हिप्नोटिज्म द्वारा बिमारियों का इलाज होता है।

कोई भी बीमारी शरीर में घर तब ही कर सकती है ,जब हमारा शरीर अंदर से कमजोर हो। ये सारी क्रियाएं हमारे शरीर को अंदर से साफ़ रखती हैं। दिव्य किट में खान पान योग, व्यायाम को अपनाकार हम अपनी बिमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। इसमें प्राकृतिक और जैविक रूप से शुद्ध घटक पाये जाते हैं। स्वर्ण भस्म, मोती भस्म, लवण भास्कर और कई प्रकार के अन्य बहुमूल्य घटक पाये जाते हैं।

40 से 50 साल की उम्र में दिव्य किट के प्रयोग से आगे जाकर शरीर में कोई समस्या नहीं आयेगी। दिव्य किट शरीर के शुद्धि करण में उपयोगी है। यह एक आर्युवेद औषधि के रूप में शरीर की सभी स्वास्थ्य सभी समस्याओं का समाधान करती है।

दिव्य किट बिमारियों को रोकने और शरीर को रोग मुक्त करने के लिए सावधानी बरतने में उपयोगी है।

दिव्य किट के फायदे

दिव्य किट की आलौकिक शक्ति टैबलेट के फायदे

दिव्य किट में आलौकिक शक्ति नामक टैबलेट होती है। यह टैबलेट थाइरोइड के उपचार में कारगर होती है। थाइरोइड ग्रंथि के ऊपर कार्बन एवं केमिकल की परत जम जाती है। आलौकिक शक्ति टैबलेट के नियमित इस्तेमाल से यह परत हटने लगती है। इस परत के हटते ही थाइरोइड भी ठीक हो जाता है।

दिव्य किट की परम शुद्धि टैबलेट के फायदे

दिव्य किट में परम शुद्धि टैबलेट होती है। यह टेबलेट शरीर में वाले सभी तरह के फंगल इन्फेक्शन को रोकने में कारगर होता है। इसे एक दिन खाने से ही बैक्टीरिया वाइरस मर जाते हैं।

दिव्य किट

दिव्य किट में दिव्य शक्ति पाउडर

दिव्य मे पाया जाने वाला दिव्य शक्ति पाउडर शरीर पर लगाने पर नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है।

दिव्य शक्ति पाउडर शरीर के ऊर्जा पुंज को सकारात्मक बनता है।

दिव्य किट में है दिव्य साधना सी डी

  • दिव्य किट में दिव्य साधना नामक सी डी है जिसे पढ़कर हम बिमार नही पढेंगे। दिव्य साधना सी डी के प्रयोग से जो बिमारी है उसमें लाभ हो जायेगा।
  • दिव्य साधना सी डी में योग व मेडिटेशन का समावेश है। दिव्य साधना सी डी 3 मिनट की अवधि की है। दो गिलास गर्म पानी पीकर खाली पेट दिव्य साधना सीडी को फौलो करना चाहिए।
  • दिव्य साधना सी डी को फौलो करने से हम कभी बिमार नही पढेंगे।

दिव्य किट में है एक पुस्तक

दिव्य किट में है एक पुस्तक। इस पुस्तक में शरीर के सात ऊर्जा चक्रो के बारे में बताया गया है। इन सातों ऊर्जा चक्रो से शरीर का ऊर्जा पुंज बनता है। ये सातों ऊर्जा चक्र रीढ़ की हड्डी में पाये जाते हैं। ऊर्जा चक्रों में कमियों के कारण ही शरीर मे बीमारियां घर बनाती हैं।

इस पुस्तक में हर ऊर्जा चक्र से सम्बंधित बीमारी का नाम व उसे ठीक करने के तरीके के बारे में गया है। जिस चक्र मे समस्या है ,उस चक्र की मालिश करना सिखाया गया है। यह मालिश शरीर के सात चक्रो को संतुलित करती है।

दिव्य में है एक सी डी दिव्य्र ज्ञान

इस सी डी में क्या कब और कितना खाना है और क्या नहीं खाना है बताया गया है।

दिव्य किट के उपयोग

  • दिव्य किट शरीर के सात चक्रो को संतुलित करके सात उर्जा जागरूकता केंद्रों को संतुलित करता है।
  • दिव्य किट को आर्युवेदिक पदार्थों से बनाया गया है। दिव्य किट लिवर की कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं।
  • दिव्य किट के साइड इफेक्ट नहीं होते जबकि थायराइड बीपीहर्ट की बिमारियों में हम सालों साल दवाइयाँ खाते हैं। हर दवा के साइड इफेक्ट्स होते हैं जिनके कारण फाइब्राइड,यौनरोग यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना होती है।
  • सरदर्द, बदन दर्द, कमर दर्द होने पर खायी जाने वाली पेन किलर के भी काफी दुष्प्रभाव होते हैं। किडनी,लिवर में भी समस्या आती है। दिव्य किट के साइड इफेक्ट नहीं होते जबकि थायराइड बीपी व हर्ट की बिमारियों में हम सालों साल दवाइयाँ खाते हैं। हर दवा के साइड इफेक्ट्स होते हैं जिनके कारण फाइब्राइड,यौनरोग यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना होती है।।
    सरदर्द
    सरदर्द
  • दिव्य किट शरीर का उर्जा पुंज ठीक करता है। ब्रह्मांड से उर्जा लेकर हम ऊर्जा वान बनते हैं। दिव्य वटी शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलती है। शरीर के अंदर रीढ़ की हड्डी में सात उर्जा चक्र होते हैं। सातों ऊर्जा चक्र मिला कर ऊर्जा पुंज बनाते हैं।
  • दिव्य किट बिमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है। दिव्य किट बिमारियों को दूर करती है।
  • दिव्य किट के तरीके और एक्सरसाइज करने से थायराइड ठीक हो सकता है।
  • दिव्य किट का चालीस दिन का प्रयोग 4,200 रूपये का है।
  • दिव्य किट के प्रयोग से एसिडिटी, गैस, बदहजमी की समस्या दूर होती है।
  • दिव्य किट शरीर के सभी अंगों को स्फूर्ति प्रदान करती है। दिव्य किट वजन कम करने में मददगार है।
  • दिव्य किट शरीर के हार्मोनल लेवल को संतुलित करती है। दिव्य किट बिना किसी साइड इफेक्ट्स के हार्मोंस को संतुलित करती है।
  • दिव्य किट में जड़ी बूटी के अव्यय पाये जाते हैं। दिव्य किट शरीर को बिमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है। दिव्य किट शरीर के हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालती है।
  • दिव्य किट में उपयोगी हीलिंग तकनीक होती है। हीलिंग प्रकिया लिवर को स्वस्थ बनाए रखती है। दिव्य किट स्वस्थ जीवन पद्धति को बढावा देती है।
  • दिव्य किट शरीर का अंदर से शुद्धिकरण कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है।
  • दिव्य किट शरीर के अंदरूनी अंगों को साफ करती है।
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