जानिए कौन सा है बेस्ट ड्राई स्किन के लिए फेस वाश-Dry Skin Ke Liye Face Wash

जानिए कौन सा है बेस्ट ड्राई स्किन के लिए फेस वाश

ज्यादातर लोग सोचते है त्वचा से सम्बंधित ज्यादातर समस्याएं तैलीय त्वचा वाले को होती है। लेकिन ड्राई यानी रूखी त्वचा वालो की भी अपनी समस्याएं होती है। सर्दियों में ड्राई त्वचा ज्यादा परेशान करने लगती है। ड्राई स्किन का सबसे बड़ा नुकसान होता है कि इस पर उम्र के निशान जल्दी दिखने लगते हैं। इसलिए इसका खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। त्वचा कोई भी हो उसकी साफ सफाई बहुत जरूरी है।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको ड्राई स्किन के लिए फेस वाश के विकल्प देंगे।

ड्राई स्किन के लिए फेस वाश-Dry Skin Ke Liye Face Wash

मामाअर्थ उबटन नैचुरल फेस वाश

मामाअर्थ अब एक जाना माना नाम है। ये फेसवाश अखरोट होने के कारण स्क्रब का काम भी करता है। डेड सेल्स को हटाता है। इसमे है हल्दी, केसर, गाजर के बीज का तेल, मुलेठी, अखरोट जैसे तत्व।

  • यह 100 प्रतिशत प्राकृतिक है।
  • यह सोडियम लॉरिल सल्फेट, एसएलएस, मिनरल ऑयल, पेट्रोलियम, पैराबेन, सिंथेटिक इत्र व रंगों से मुक्त है।
  • कंपनी के अनुसार, यह फेस वाश त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने में मदद कर सकता है।
  • डर्मेटोलॉजिकली टेस्टेड है।

अवगुण

सेंसिटिव्र त्वचा वालो को रेड नेस हो सकती है क्योंकि इसमें अखरोट के दाने होते है। झाग भी नही आता

मुलेठी
मुलेठी

बेला वीटा ऑर्गेनिक एंटी ब्लेमिश पिगमेंटेशन रिमूवल फेस वाश

ये फेसवाश हर लिहाज से बेहतर है। कम्पनी दावा करती है कि उसने इस फेसवाश में शुद्ध चांदी का प्रयोग किया है।

  • इसका इस्तेमाल करने से त्वचा में चमक आती है।
  • प्रदूषण के कारण हुआ कालापन दूर होता है।
  • ड्राई स्किन के लिए परफेक्ट है।

अवगुण

शुद्ध चांदी होने के कारण अन्य फेस वाश की तुलना में महंगा है।

हिमालया मॉइस्चराइजिंग एलोवेरा फेस वाश

हिमालया कम्पनी किसी पहचान की मोहताज नही है। यह कास्मेटिक से लेकर हेल्थ प्रोडक्ट तक बनाती है। इस फेसवाश में एलोवेरा का इस्तेमाल किया गया है।

  • एलोवेरा न केवल त्वचा को साफ करता है बल्कि इसे मुलायम भी बनाता है।
  • यह फेसवाश एंजाइम, पॉलीसेकेराइड और कई फायदेमंद पोषक तत्वों से भरपूर है।
  • ये ज्यादा महंगा भी नही है।
  • सर्दियों के लिए उपयुक्त है।

अवगुण

इसके पैक पर अमोनिया को इंगित किया गया है, जो संवेदनशील त्वचा वालों के लिए हानिकारक हो सकता है।

चेरिल्स डर्मालाइट फेस वाश

यह फेसवाश ड्राई त्वचा के लिए अच्छा है। यह क्लिंजर की तरह चेहरे को साफ करता है। कम्पनी के दावे के अनुसार यह कालेपन के लिए जिम्मेदार मेलेनिन के निर्माण को कम करता है।

अवगुण

सेंसिटिव् स्किन को शायद ये सूट ना करें।

अरोमा मैजिक लैवेंडर फेस वाश

अरोमा मैजिक लैवेंडर फेस वॉश स्किन को हाइड्रेट करता है। यह त्वचा को मुलायम बनाता है।

अवगुण

अगर आपकी स्किन ड्राई है तो कभी कभी इस फेसवाश के बाद थोड़ा मॉइस्चराइजर लगाना पड़ सकता है।

सेटाफिल जेंटल स्किन क्लीन्जर

जैसा कि नाम से विदित है यह फेसवाश जेन्टली चेहरे को साफ करता है, इसमे कोई केमिकल नही है, आर्टिफीसियल खुशबू नही हैं। पी एच को बैलेंस करता है।

  • इस फेसवाश को आप क्लिंजर यानी टिश्यू पर लगाकर यूज़ कर सकते है।
  • यह सेंसेटिव और ड्राई स्किन के लिए बहुत ही बेहतरीन फेसवाश है।

अवगुण

ड्राई स्किन के लिए ये बेहतरीन फेसवाश है, लेकिन तैलीय त्वचा के खास फायदेमंद नही है।

रस्टिक आर्ट ऑर्गेनिक जुनिपर बेरी फेस वॉश

यह फेसवाश आर्गेनिक, नेचुरल और वेगन माइल्ड से मिलाकर बनाया गया है। चेहरे की स्किन को हाइड्रेट करता है। यह वाकई बहुत असरदार फेसवाश है।

  • इसमें सल्फेट, फॉस्फेट, पराबैन, सिंथेटिक रंग और खुशबू नहीं है।
  • आसानी से ट्रेवल के दौरान ले जा सकते है।

अवगुण

अन्य फेस वाश के मुकाबले महंगा है।

निविया फेस वाश

निविया कंपनी का यह प्रोडक्ट भारत में एक भरोसेमंद उत्पाद है। कम्पनी के अनुसार इसे शहद व दूध के गुणों से युक्त बनाया गया है।

  • शहद त्वचा को बेहतरीन पोषण देता है।
  • दूध को अच्छे क्लिंजर के रूप में जाना जाता है। अब आप समझ सकते है दोनों का मेल ड्राई स्किन के लिए कितना असरदार होगा।
  • यह ज्यादा महंगा भी नही है।

अवगुण

किसी किसी को शहद से एलर्जी होती है, खासकर सेन्सटिव स्किन के लिए शायद सूट न करें।

सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं-Cesarean Delivery Ke Baad Kya Khana Chahiye

सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं

सिजेरियन ऑपरेशन आजकल बहुत ही नॉर्मल है। लेकिन सिजेरियन के बाद एक माँ की देखभाल नॉर्मल तरीके से नही होती। सिजेरियन के बाद बहुत ही खास देखभाल की जरूरत होती है। खास देखभाल मतलब एक महिला के स्वास्थ्य के सभी पहलू पर ध्यान देना होता है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं, सिजेरियन डिलिवरी के बाद खान पान कैसा होना चाहिए।

सिजेरियन के बाद माँ को ऐसे भोजन की आवश्यकता होती है जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, बच्चे के लिए माँ के दूध में बढ़ोतरी करे। लेकिन वजन न बढ़ाये और टांकों पर अनावश्यक जोर न डालें।

सिजेरियन ऑपरेशन (C-section) के बाद सभी महिलाओं को यहीं असमंजस रहता है। क्या खाएं क्या न खाएं। इस लेख में हम आप को बताएँगे की सिजेरियन डिलिवरी के बाद खान पान कैसा होना चाहिए।

कितनी कैलोरी चाहिए

यदि एक महिला स्तनपान करा रही है तो उसे अपनी रोज की जरूरत से प्रतिदिन कम से कम 500k ज्यादा की जरूरत होती है।

सिजेरियन डिलिवरी के बाद खान पान-Cesarean Delivery Ke Baad Kya Khana Chahiye

आपरेशन के बाद जब आप खाना शुरू करे तो कुछ बातों का खास ध्यान रखें।

खाएं जो आसानी से पचे

इसके लिए खुद के शरीर को जाने, क्योंकि जरुरी नही जो खाने में हल्का हो वो आपको डाइजेस्ट हो जाए। दुसरो के कहने में न आएं। खुद सोचे कि कौन से खाद्य पदार्थ आपको गैस बनाते है, उन्हें अवॉयड करें।

ज्यादा तला भुना, मसालेदार, मैदा, बाहर के भोज्य पदार्थ खाने से बचे।

खाए जो हो फैटी एसिड से भरपूर

पता करे कि कौन से खाद्य पदार्थ फैटी एसिड युक्त है। उन सभी पदार्थो का सीमित मात्रा में सेवन करे। ऐसे आहार आप को कब्ज (constipation) से बचाएगा और साथ ही यह शिशु के विकास के लिए भी अच्छा है।

फैटी एसिड अखरोट जैसे सूखे मेवों, अलसी, सूरजमुखी, सरसों के बीज, कनोडिया या सोयाबीन, स्प्राउट्स, टोफू, गोभी, हरी बीन्स, ब्रोकली, शलजम, हरी पत्तेदार सब्जियों और स्ट्रॉबेरी, रसभरी जैसे फलों में काफी मात्रा में पाया जाता हैै।

प्रोटीन की है सख्त जरूरत

सिजेरियन के बाद जख्म को भरने और कोशिकाओं के रिपेयर होने के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी होता है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थो जैसे मछली, अंडा, चिकन, डेरी उत्पाद, मास, मटर, दाल, राजमा, और अनेक प्रकार के सूखे मेवे को अपने आहार में शामिल करें।

पर ध्यान रहे इनमें से जो भी भोज्य पदार्थ गैस बनाते है उनका प्रयोग सिजेरियन के तुरन्त बाद न करे।

विटामिन सी को न करे नजरअंदाज

विटामिन सी किसी भी तरह के इन्फेक्शन से बचाता है, इसके अलावा माँ और बच्चे दोनों की इम्युनिटी डेवेलप करता है। आखिर शिशु को पोषण अपने माँ के खाए भोजन से तो मिलता है

इसके लिए आप संतरे, तरबूज, पपीता, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, शक्करकंद, टमाटर, गोभी, और ब्राकोली को डाइट में शामिल कर सकती है। पर ध्यान रहे इनसे आपको खांसी न हो। इनका सेवन दिन में करें। खांसी होने से टांकों पर जोर पड़ सकता है।

सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं
सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं

पूरी करें खून की कमी

सिजेरियन है तो खून की कमी तो होगी ही, तो बहुत जरूरी है कि माँ जल्द से जल्द अपने शरीर मे इसकी पूर्ति करें। इसके लिए अंडे की जर्दी, मास, अंजीर, राजमा, और मेवे (dry fruits), अनार, भुने चने, चुकंदर, काले अंगूर का सेवन करें।

लेकिन बहुत ही सीमित मात्रा में, आयरन की मात्रा ज्यादा न होने दे। अन्यथा कब्ज हो सकती है।

जिंक बचाए डिप्रेशन से

आप शायद नही जानते होंगे कि जिंक आपको पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचा सकता है। इसलिए इस कम महत्व दिए जाने वाले सप्पलीमेंट को बिल्कुल न भूले।

जिंक के लिए नट्स जैसे बादाम, काजू, तिल के बीज, मूंगफली और अखरोट।, दाल जैसे काबुली चना, चवली, मूंग, राजमा, सोया का सेवन करें।

कैल्शियम है आवश्यक स्तनपान के दौरान

कैल्शियम माँ के शरीर की मास पेशियोँ को आराम पहुंचाकर उसकी थकान मिटाता है। ये दातों और हाड़ियोँ को भी मजबूत बनाता है।
दूध बनने की प्रक्रिया में माँ के शरीर से कैल्शियम बहुत तेजी से ख़त्म होता है।

अगर आप स्तनपान कराती है तो आप हर दिन कम से कम 250 to 350mg कैल्शियम लेने की आवश्यकता है।

सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं-किन बातों का रखे ध्यान

  • फाइबर युक्त आहार ले।
  • फलों का जूस पीने की बजाये, पूरा फल खाएं।
  • खूब तरल लें, जैसे की दूध, हर्बल चाय, नारियल का पानी, लस्सी, छाज, सूप, और फलों का जूस।
  • चाय कॉफी न ले।
  • कम वासा वाले दूध उत्पाद ले।
  • साबुत अनाज का सेवन करें।
  • दही घर की बनी ले, व आटा चक्की से पिसा ले।

सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं-बहुत जरूरी बातें

  • सिजेरियन में कुछ भी ठोस शुरू करने से पहले डॉक्टर से बात करें।
  • शुरुआत में खिचड़ी, दलिया, सूप ले। कम से कम 15 दिन।
  • धीरे धीरे दाल और एक फुल्का ले, केवल हींग जीरे से तड़का लगा कर
  • दूध में हल्की चायपत्ती डालकर ले।
  • सूखी सब्जी तुरन्त खाना न शुरू करें।
  • कुछ भी दिक्कत महसूस होते ही तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।
  • दिन में कई बार गुनगुना पानी पीएं
  • ठंडी चीज़े खाने से बचें।
  • पारम्परिक खाद्य पदार्थ जैसे गुड़ की पात, केवका या साँधा जो जच्चा को खिलाए जाते है, उनका सेवन कम से कम 20 दिन बाद करें।
  • सिजेरियन बेल्ट का प्रयोग जरूर करें।
  • टांकों को बार बार न छेड़े।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

सिजेरियन डिलीवरी के बाद क्या क्या परहेज करना चाहिए?

सिजेरियन डिलीवरी के बाद आपको आहार में देशी घी, कैफीनयुक्त पेय पदार्थ जैसे कॉफी और चाय, कार्बोनेटेड पेय, गोभी, फूलगोभी, ब्रोकोली, अधिक मसालेदार भोजन, तला हुआ भोजन, चावल, मिर्च और जंक फूड जैसी चीजें शामिल नहीं करना चाहिए।

सिजेरियन डिलीवरी के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

प्रसव के बाद महिलाओं को कम से कम चार सप्ताह तक आराम करना चाहिए। सिजेरियन डिलीवरी के बाद ठीक होने में अधिक समय लग सकता है। वहीं अगर डिलीवरी के दौरान कोई दिक्कत हुई या ऑपरेशन के बाद कोई दिक्कत हुई तो रिकवरी का समय भी बढ़ सकता है।

जानिए बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है-Bache Ke Daant Nikalna

बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है

घर मे किसी नन्हे की किलकारियां गूंजने का अलग ही आनंद होता है। उसकी छोटी छोटी हरकतें भी परिवार के सदस्यों को भावविभोर कर देती है। इन्ही खुशनुमा पलो का हिस्सा होता है बच्चे के दांत निकलना यानी टीथिंग। अपने नन्हे नन्हे दांतो से जब वो खिलखिलाना, चीज़ों को काटना शुरु करता है, तो एक नई खुशी घर मे फैल जाती है। आज इस आर्टिकल में हम बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है, बच्चों के दांत निकलने के लक्षण, बच्चों के दांत निकलने का इलाज, बच्चों के दांत आते समय परेशानियाँ, बच्चों को दांत निकलते समय कैसे राहत दें और शिशु के दांत निकलते समय क्या न करें आदि बातों के बारे मे बताएंगे।

बच्चों के दांत निकलने की उम्र और समय को लेकर भी माए चिंतित होती है, क्योकि बच्चे के दांत निकलने का समय बहुत ही असमंजस भरा भी होता है, खासकर मां के लिए। क्योकि टीथिंग के समय बच्चा बहुत सी समस्याओं से दो चार होता है। समस्या इसलिए भी ज्यादा होती कि छोटा बच्चा कुछ बोलकर बता भी नही सकता।

बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है

आमतौर पर बच्चे के दांत बच्चों के दांत 6 महीने से दिखने शुरू हो जाते है। लेकिन दांत निकलने के लक्षण 4 महीने के बाद कभी भी दिखने शुरू हो सकते है।

लक्षण दिखने से लेकर सारे दांत आने में करीब दो से तीन साल का समय लग सकता है। इसके अलावा दांत निकलना पारिवारिक पैर्टन पर भी निर्भर करता है। कुछ बच्चों के दांत बहुत जल्दी दिखने लगते है तो किसी के देरी से, दांत मसूड़ों के अंदर से बाहर की ओर आते हैं।

दांत निकलने की प्रक्रिया

सबसे पहले बच्चे के निचले जबड़े में दांत आना शुरू होते हैं। इसमें बच्चे के आगे के दो दांत (सेंट्रल इनसाइजर्स)निकलते हैं जिसके बाद ऊपरी जबड़े के सामने के दो दांत (अपर सेंट्रल इनसाइजर्स) आते हैं। इसके बाद ऊपरी जबड़े के ही दो अन्य दांत आते है (अपर लेट्रल इनसाइजर्स), इन दांतों के आने के बाद निचले जबड़े में आए दांतों के दोनों तरफ दो अन्य दांत (लोअर लेट्रल इनसाइजर्स) आना शुरू होते हैं
इसके बाद बच्चे के मुंह के ऊपरी और निचले हिस्से के दाढ़ के दांत अपर व लोअर फर्स्ट मोलर्स) निकलना शुरू होते हैं। दांतों के निकलने की प्रक्रिया में इसके बाद पहले से आए हुए आगे के दांतों और दाढ़ के बीच की जगह को भरने के लिए अन्य दांत (कैनाइन) आते हैं और सबसे आखिर में जबड़े के अंतिम दाढ़ (सेकंड मोलर) निकलते हैं।

बच्चो के दांत निकलने के लक्षण

लार आना

बच्चे के मुहं से लगातार लार निकलती है, कभी कभी इतनी ज्यादा की बच्चे के कपड़े बदलने पड़ते है।

मुंह में घाव होना

लगातार लार आने के कारण बच्चे के मुंह मे रैशेज हो जाते है। बच्चे की ठोड़ी, होंठ और मुंह के आसपास की स्किन क्रेक हो जाती है।

मसूड़ों में सूजन आना

चूंकि दांत निकलते समय मसूड़ों पर दबाव पड़ता है।इसलिए बच्चे के मसूड़ों में सूजन, रेडनेस, मसूड़े फूलना और दर्द होंता है।

खांसी

बहुत ज्यादा लार बनने के कारण बच्चे को खांसी की समस्या हो सकती हूं।

दांत मिसमीसाना

जब दांत मसूड़ों से बाहर निकलने वाले होते हैं, तो बच्चा बहुत ही बेचैनी महसूस करता है। ऐसे में वो सब चीज़ों को काटने और चबाने की कोशिश करता है। तब यह स्थिति बच्चे को काफी परेशान करती है।

बेवजह रोना

चूंकि दांत निकलते समय मसूड़ो में सूजन और दर्द की समस्या होती हैं, तो बच्चा बेवजह लगातार रोता है। बच्चा चिडचिडा हो जाता है। और खेलने के समय भी असहज रहता है।

बेवजह रोना
बेवजह रोना

इन सब समस्याओं के अलावा खाने में रुचि न दिखाना, सोने में मुश्किल होना, कान खींचना और गालों को रगड़ना, जैसी समस्याएं भी होती है।

डॉक्टर से कब सम्पर्क करें

बच्चे के दांत निकलते समय होने वाली समस्याओं का समाधान

निम्नलिखित कुछ उपायों से आप बच्चों के दांत आते समय परेशानियाँ से राहत प्रदान कर सकते हैं।

  • चबाने के लिए साफ और गीला कपड़ा दे। बच्चे हर समय मुहं में कुछ न कुछ देने की कोशिश करते है। तो बेहतर है कि आप ही उसे इसका एक बेहतरीन विकल्प दे।
  • बच्चे के लिए टीथर्स का प्रयोग करें। लेकिन केवल अच्छे ब्रांड के टीथर्स ले। क्योंकि सस्ते टीथर्स में केमिकल हो सकते है। गर्मियों का मौसम हो तो टीथर्स को कुछ समय तक फ्रिज़ में रखकर बच्चे को दे। इससे बच्चे को काफी आराम मिलेगा।
  • बच्चे का ध्यान, अलग अलग खिलौने और खेल में लगाने की कोशिश करें।
  • अगर बच्चा ठोस खाने लगा है तो उसे फल या सब्जी का टुकड़ा चबाने को दे जैसे सेब और गाजर
  • जब बच्चा दांत मिसमिसा रहा हो, या चिड़चिड़ा रहा हो तो, साफ उंगली या गीले कपड़े से उसके मसूड़ो की हल्के हाथों से मसाज करें।
  • साफ-सफाई पर ध्यान रखें।

बच्चों के दांत आते समय परेशानियाँ-क्या न करें

  • बच्चे पर कोई भी घरेलू उपाय न अपनाए
  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी पेस्ट या ब्रशिंग शुरू न करें।
  • टीथर्स को फ्रिज़ में चिल्ड करके न दे।
  • किसी भी प्रकार के मिथक के बहकावे में न आएं जैसे पहले ऊपर के दांत निकले तो माँ के लिए भारी है आदि।
  • बच्चे को कोई भी गंदी चीज़ मुहं में न लेने दे।
  • सोते समय बच्चे को बिल्कुल भी डिस्टर्ब न करें।

अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाने की आसान विधि: हृदय और सेहत के लिए फायदेमंद

अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये

आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही अनेक जड़ी-बूटियों का उपयोग शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से लड़ने के लिए किया जाता रहा है। उन्हीं में से एक है अर्जुन की छाल। इसे हृदय रोगों, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। आज हम जानेंगे कि अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं (arjun ki chhal ka kadha kaise banaen), इसके क्या-क्या फायदे हैं और इसे कब और कैसे पीना चाहिए।

अर्जुन की छाल क्या होती है?

अर्जुन (Terminalia Arjuna) एक औषधीय पेड़ है, जिसकी छाल में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फ्लावोनॉइड्स, टैनिन्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। अर्जुन की छाल खासतौर पर हृदय की कार्यप्रणाली को बेहतर करने में सहायक मानी जाती है।

अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं?

(arjun ki chaal ka kadha kaise banaye / अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये)

आवश्यक सामग्री:

  • 1 चम्मच अर्जुन की सूखी छाल (कुटी हुई)
  • 2 कप पानी
  • 1/2 कप दूध (वैकल्पिक)
  • 1 छोटा टुकड़ा दालचीनी या 1 लौंग (सर्दियों के लिए)
  • शहद या गुड़ स्वादानुसार

बनाने की विधि:

  1. एक पैन में पानी डालें और उसमें अर्जुन की छाल मिला दें।
  2. इसमें लौंग या दालचीनी डालकर मध्यम आंच पर 10-15 मिनट तक उबालें।
  3. जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें।
  4. अब इसमें शहद या गुड़ मिला लें। चाहें तो थोड़ा दूध भी डाल सकते हैं।
  5. गर्मागर्म या हल्का गुनगुना पीना अधिक लाभकारी होता है।

अर्जुन की छाल के काढ़े के फायदे

(arjun ki chaal ka kada ke fayde)

1. हृदय रोगों में लाभकारी

यह काढ़ा दिल की मांसपेशियों को मजबूत करता है और हृदय की धड़कन को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह हार्ट अटैक के जोखिम को भी कम करने में सहायक होता है।

हार्ट के लिए अर्जुन की छाल
हार्ट के लिए अर्जुन की छाल

2. ब्लड प्रेशर को संतुलित रखे

नियमित रूप से अर्जुन की छाल का काढ़ा पीने से उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है। यह रक्त वाहिकाओं को साफ और लचीला बनाए रखता है।

3. कोलेस्ट्रॉल को घटाए

यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है। जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।

4. डायबिटीज को नियंत्रित करे

इसमें मौजूद तत्व रक्त में ग्लूकोज स्तर को संतुलित करते हैं और यह इंसुलिन की क्रिया को भी बेहतर बनाते हैं।

5. पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए

अर्जुन की छाल का काढ़ा गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में भी राहत देता है। यह लीवर को भी डिटॉक्स करता है।

6. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

इसमें भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।

कब और कैसे पिएं अर्जुन की छाल का काढ़ा?

  • समय – सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले
  • मात्रा – रोज़ 1 कप
  • कैसे पिएं – हल्का गर्म करके, शहद या दूध मिलाकर

यदि आप हृदय, ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो यह काढ़ा आपके लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। इसे कम से कम 2-3 महीने तक नियमित रूप से लेने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

कुछ जरूरी सावधानियां

  • गर्भवती महिलाएं या गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर की सलाह से ही सेवन करें।
पुरानी खांसी
पुरानी खांसी
  • अत्यधिक सेवन करने से ठंडक की समस्या हो सकती है, विशेष रूप से सर्दियों में।
  • सर्दी के मौसम में इसे अदरक, लौंग या दालचीनी के साथ लेना बेहतर रहेगा।

निष्कर्ष

arjun ki chaal ka kada या अर्जुन की छाल का काढ़ा आयुर्वेदिक दृष्टि से एक बहुत ही उपयोगी घरेलू उपाय है जो ना केवल दिल को स्वस्थ रखता है, बल्कि पूरे शरीर के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है। यदि आप प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से सेहत को बनाए रखना चाहते हैं, तो यह काढ़ा आपकी दिनचर्या का हिस्सा ज़रूर बनाना चाहिए।

अस्थमा के लिए आहार क्या खाएं और क्या नहीं-Best Food For Asthma Patients

अस्थमा के लिए आहार

अस्थमा एक ऐसी बीमारी जिसमे व्यक्ति का जीवन दुर्भर हो जाता है। अस्थमा में दरअसल होता क्या है? अस्थमा में श्वास नली सिकुड़ जाती है और सूज जाती है। जिसके कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। अन्य बीमारियों की तरह अस्थमा के मरीजों को भी अपनी डाइट का खास ख्याल रखना पड़ता है। क्योंकि कई बार गलत खान पान ही अस्थमा अटैक का कारण बनता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको अस्थमा के लिए आहार की ही जानकारी देंगे।

अस्थमा के लिए आहार-Best Food For Asthma Patients

Asthma Me Kya Khana Chahiye

एंटीऑक्सिडेंट्स और फइटोकैमिकल्स

इसके लिए मरीज को केवल मौसमी फलों और हरी सब्जियों पर ध्यान देने की जरूरत है। दरअसल ये तत्व फेफड़ों में हुई सूजन को कम करते है।

इसलिए अपने आहार में सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली, करेला, लौकी, भिंडी, कद्दू, मटर, मशरूम आदि को शामिल करें। इन सारी चीजों के अलावा अपने आहार में लहसुन, अदरक, पुदीना, शलगम और प्याज का भी इस्तेमाल करें, साथ ही आलू और तुलसी का इस्तेमाल भी करे क्योंकि इनकी गर्म तासीर शरीर की गर्माहट बनाए रखती है।

विटामिन सी

विटामिन सी अस्थमा के मरीजो के आहार का जरूरी हिस्सा होता है। ये इम्युनिटी और इन्फेक्शन से बचाता है। इसके लिए जरूरी है कि मौसमी फलों का सेवन किया जाए जैसे खरबूजा, तरबूज, पपीता, अंगूर, अनार, सेब, खजूर, अंजीर और शहतूत, संतरा, नींबू, कीवी, आंवला, टमाटर, शिमला मिर्च और ब्रसेल्स स्प्राउट आदि।

पर ध्यान रहे केवल मौसमी फलों का सेवन किया जाए, बेमौसम नही। साथ ही फलों का सेवन केवल शाम से पहले करें। क्योंकि शाम के बाद फल कफ बना सकते है।

विटामिन सी
विटामिन सी

बीटा कैरोटीन

बीटा कैरोटीन से भरपूर चीजें भी अस्थमा मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके लिए आप अपनी डाइट में गाजर, खुबानी, चेरी, हरी मिर्च, शिमला मिर्च और शकरकंद आदि का सेवन कर सकते हैं।

मैग्नीशियम और अन्य विटामिन्स

अस्थमा के मरीज के लिए सबसे बेहतर होती है स्ट्रांग इम्युनिटी। अच्छी इम्युनिटी के लिए मैग्नीशियम और विटामिन्स से भरपूर भोजन को शामिल करें।

इसके लिए मछली का तेल, अखरोट, कद्दू के बीज, सोया पनीर, सोयाबीन, दालचीनी, सरसों का तेल, नट्स और सूखे अंजीर आदि को शामिल करें। इसके अलावा आटे की रोटी, जई आटे की रोटी, दलिया और मूंग की दाल का सेवन भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
विटामिन बी6 युक्त आहार भी अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए अच्छा होता है। इसके लिए अपने आहार में अंकुरित अनाज, चिकन, मछली, ब्रेड, साबुत दालें, ओटमील, ब्राउन राइस, अंडे आदि को शामिल करें।

ओमेगा 3 फैटी एसिड

ऐसे सभी पदार्थो को दैनिक आहार में शामिल रखना चाहिए ओमेगा थ्री फैटी एसिड हो। जैसे अखरोट, सोयाबीन, अलसी और सूरजमुखी के बीज, सामन और टूना मछली, अलसी और सूरजमुखी के बीजों को भूनकर और पीसकर भोजन में इस्तेमाल कर सकते हैं।

ग्रीन टी, ब्लैक टी या काढ़ा

अगर आप अस्थमा के मरीज है तो दूध वाली चाय से परहेज करें। इसकी बजाए आप ग्रीन या ब्लैक टी का सेवन करें। गरम सूप ले, अदरक तुलसी का काढ़ा ले। कभी कभी कॉफी भी ले सकते है।

क्या न खाएं

  • तली हुई चीजें
  • मसालेदार चीजें
  • मूंगफली
  • जंक और डिब्बाबंद फूड्स
  • चावल, दही, आइस्क्रीम
  • दूध, छाछ, अमचूर, इमली,
  • शराब, मांस, चिकन,
  • गुड़, चना, अंडे
  • जरूरत से ज्यादा नमक

सावधानियां

  • एक बार मे एक साथ ज्यादा भोजन न करे।
  • तनाव से दूरी बनाए।
  • छाती और गले पर तिल के तेल, या लहसुन, अजवायन में पके हुए सरसो के तेल का इस्तेमाल करे।
  • दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पिए।
  • सोते वक्त रोजाना सिर के नीचे 3-4 तकिए रखकर सोने की आदत डालने से भी दमे के दौरे का असर धीरे-धीरे कम हो जाता है।।
  • इन्हेलर का इस्तेमाल करें
  • पॉल्युशन से दूर रहें।

पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय,जो आप पहले नहीं जानते होंगे

पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय

पीरियड शुरू होने से लेकर बन्द होने तक कुछ न कुछ समस्याओं से हर महिला दो चार होती है। कभी ब्लीडिंग ज्यादा तो कभी कम, कभी समय पर तो कभी असमय, कभी हैवी तो कभी सिर्फ स्पॉटिंग। यदि आप विवाहित है तो पीरियड मिस होना एक सुखद संकेत हो सकता है, लेकिन हमेशा नही। यदि आप अविवाहित है तो अवश्य ये एक समस्या है। लगातार लंबे समय तक पीरियड मिस होना कई समस्याओं को न्यौता देता हैं, जैसे रिप्रोडक्टिव कैपेसिटी का घटना या गर्भ धारण करने में समस्या, मोटापा बढ़ना, ओवरी में समस्या, भूख न लगना, फैशियल हेयर आदि। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे पीरियड के मिस होने के कारण क्या है और कैसे आप पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय आजमा कर इस समस्या से निजात पा सकती है।

महिलाओं में पीरियड मिस होने की समस्या के निम्न कारणों से हो सकती है।

  • असमय व गलत खान पान से
  • सिडेंटरी लाइफ स्टाइल से
  • एंग्जायटी,डिप्रेशन, हैवी वर्क लोड से
  • थायरॉइड
  • मेनोपॉज
  • आहार में जरुरी पोषक तत्वों की कमी।
  • पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम या पॉलिसिस्टिक ओवरियन डिजीज
  • जरूरत से ज्यादा व्यायाम या शारीरिक श्रम करना
  • बहुत लंबे समय तक बीमार रहना
  • गर्भाशय या गर्भाशय नलिका में कोई डिफेक्ट होना
  • महिला एथलीट्स द्वारा या फिटनेस के लिए स्टेरॉयड का सेवन करना।

हमारे शरीर मे कोई भी रोग वात, पित्त, कफ के असंतुलन के कारण होते हैं। ये असंतुलन पोषक तत्वों की कमी, और अनुचित जीवन शैली, या अन्य कारणों से होता है। जब लड़की में पीरियड की शुरुआत हो तो कई बार पीरियड मिस होते है। ये एक सामान्य बात है। इसी प्रकार किसी महिला में मेनोपॉज़ के आसपास भी पीरियड मिस होना देखा जाता है।

लेकिन यदि ये समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो स्थिति गम्भीर हो सकती है। शुरुआती दौर में इस समस्या के लिए आप घरेलू उपाय अपना सकते है। आज इस आर्टिकल में हम आपको पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय बताएंगे।

पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय-Period Lane Ke Gharelu Upay

हल्दी-Period Jaldi Lane Ke Gharelu Upay

हल्दी एन्टीबैक्टीरियल, एन्टी फंगल होने के अलावा बहुत गर्म भी मानी जाती है। इसलिए इसका उपयोग सर्दी जुकाम में किया जाता है।
यदि किसी महीने आपके पीरियड मिस हो तो गरम पानी में या एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर पीरियड होने की डेट से पाँच दिन पहले सुबह-शाम पीना शुरू करे।

इससे न केवल पीरियड शुरू होंगे बल्कि छोटा मोटा इन्फेक्शन भी खत्म हो जाएगा।

गाजर के बीज-Masik Dharm Aane Ke Upay In Hindi

गाजर के बीज अत्यधिक गर्म तासीर के होते है, तो यदि आप विवाहित है, तो पीरियड मिस होने पर सोच समझकर इसका इस्तेमाल करे।
गाजर में उपस्थित केरोटीन नाम का तत्व बॉडी में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ाता है। इससे पीरियड समय पर खुलकर तथा समय पर होता है।इसके लिए आप गाजर के बीज को पानी मे उबाल कर उस पानी को दिन में तीन बार पिए।

इसके अलावा गाजर के बीज को पीसकर किसी चूर्ण में मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है।

तिल-Period Jaldi Aane Ke Upay

तिल को आप किसी भी रूप में ले ये फायदेमंद ही होते है। आप तिल के लड्डू बनाये या भूनकर खाए। पीरियड शुरू होने के दस दिन पहले से ही इसका सेवन शुरू कर दे।

खासकर गुड़ में मिलाकर खाने से यह ज्यादा फायदा करता है।

तिल
तिल

अदरक-Period Na Aane Par Kya Kare

अदरक का ज्यादा से ज्यादा से उपयोग करें, अदरक का रस निकालकर गुड़ के साथ खाए। अदरक हल्दी की चाय बनाकर पिए, सब्जी में डालकर इसका प्रयोग करें या अचार बनाकर।

अदरक पीरियड मिस होने की समस्या में अकेला फायदा नही करेगा। अदरक का प्रयोग अन्य उपायों के साथ करे।

पपीता-Mahwari Na Aane Ka Ilaj

पीरियड होने से 4 दिन पहले एक प्लेट पपीते का फल खाएं। इसमें मौजूद कैरोटी एस्ट्रोजन हार्मोन को उत्तेजित करता है। इसके सेवन से पीरियड समय पर एवं खुलकर होता है।

धनिया-Masik Dharm Aane Ke Upay In Hindi

साबुत धनिये को रात भर पानी मे भिगोकर रखे, सुबह उस पानी को पी ले। हरे धनिये की जड़ को अच्छी तरह धोकर,उबालकर उस पानी का प्रयोग करें।

पानी को दिन में तीन बार 50ml पिए, हरे धनिये की चटनी खाए। यह उपाय भी पीरियड मिस होने पर लाभ दिलाता है। साथ ही हार्मोनल डिस्टर्बेंस को ठीक करता है।

मेथी-Period Jaldi Lane Ke Gharelu Upay

मेथी का प्रयोग केवल पीरियड के समय नही बल्कि रेगुलर किया जा सकता है। इसके लिए रोज रात को एक चम्मच मेथी भिगो दें, सुबह आधा चम्मच भीगी मेथी पानी से निगल ले।
लगातार ऐसा करने से हॉर्मोनल समस्याए भी दूर होंगी।

गुड़ की पात-Periods Jaldi Aane Ke Upay

गुड़ की पात सामान्यतया जच्चा को दी जाती है, पर पीरियड मिस होने पर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। ये खाने में स्वादिष्ट होने के साथ सेहतमंद भी है, इसे बनाने में अजवायन, गुड़, काजू, बादाम, गोला, घी, मखाने का इस्तेमाल किया जाता है

इन सब उपायों के अलावा आप अपनी जीवनशैली सुधारे, ताकि समस्या जड़ से दूर हो जाये।

  • विटामिन एवं खनिज जैसे पोषक तत्व से भरपूर भोजन करे।
  • सब्जियाँ, दाल, अंकुरित अनाज एवं सूखे मेवों का सेवन करें।
  • केवल मौसमी फल खाएं
  • तनाव को दूर करने के लिए ध्यान, योग, म्यूजिक का सहारा ले।
  • अत्यधिक शारीरिक श्रम एवं व्यायाम से बचें।
  • नियमित रूप से सुबह प्राणायाम एवं योगासन करें।
  • पैकेजिंग वाले और जंकफूड से बचे।

क्या है अंजीर के फायदे इन हिंदी-Anjeer Ke Fayde Hindi Me

अंजीर के फायदे

अंजीर एक ऐसा मीठा फल जो स्वाद के साथ साथ स्वाथ्य भी देता है। वर्षो से विभिन्न रोगों और कमजोरी को दूर करने के लिए अंजीर का प्रयोग किया जाता है। इसे फिकस कैरीका नाम से भी जानते हैं। यह रसीला और गूदेदार फल होता है। आपको शायद जानकर हैरानी होगी कि अलग स्थान पर उगाए गए अंजीर का स्वाद भी अलग अलग होता है।

तुर्की विश्व मे सबसे बड़ा अंजीर उत्पादक है इसके अलावा भारत चीन और अमरीका समेत कई भागों में भी अंजीर उगाया जाता है। अंजीर का थोड़ा बहुत उत्पादन अमेरिका और यूरोप में भी होता है।

अंजीर कितने तरह का होता है

ब्लैक मिशन

अंदर से गुलाबी रंग का ये अंजीर मीठा और रसभरा होता है।

कडोटा

हरे रंग का ये अंजीर कम मीठा होता है।

कैलिमिरना

हरे पीले रंग का होता है और अन्य किस्मो के मुकाबले बड़ा होता है।

ब्राउन तुर्की

इस अंजीर का बाहरी रंग बैंगनी और गूदा लाल होता है। इसका स्वाद हल्का और कम मीठा होता है।

एड्रियाटिक अंजीर

हल्का हरा और अंदर से गुलाबी रंग का होता है। इसका स्वाद बहुत मीठा होता है।

अंजीर में पाए जाने वाले पोषक तत्व

अंजीर में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स, सॉल्युबल फाइबर और नेचुरल सुगर होती है।

अंजीर के फायदे-Anjeer Ke Fayde Hindi Me

आज इस आर्टिकल में हम आपको अंजीर के फायदों से अवगत कराएंगे।

फिट एंड ट्रिम करें

अगर आप स्लिम होने के बारे में सोच रहे है तो अंजीर स्नैक के लिए सबसे बेहतर ऑप्शन है। ये हाई फाइबर होता है जिससे आसानी से पच भी जाता है। इसे खाकर आपको स्नैक के बाद जल्दी भूख नही लगेगी।

डाइटिंग के समय ये आपके स्वीट टूथ को भी सन्तुष्ठ करेगी, लेकिन इसमें मौजूद मीठा आपका वजन नही बढ़ाएगा। ये एक्स्ट्रा फैट को गलाकर, मोटापे को inches से कम करती है।

बोन्स को मजबूती दे

अंजीर में कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होते है। और यही तत्व हड्डियों का मुख्य हिस्सा है। इसलिये अगर आप रेगुलर अपनी डाइट में अंजीर को रखते है तो फ्रैक्चर की संभावना बहुत कम हो जाती है। अंजीर हड्डियों को मजबूती देता है।

डायजेस्टिव सिस्टम को सपोर्ट करें

अंजीर को आप फल के तौर पर खाए या सुखाकर, इसका हाई फाइबर आपके पाचन तंत्र को सपोर्ट करेगा। घुलनशील फाइबर होने के कारण ये आसानी से पच जाता है। साथ ही इंटेस्टाइन के पेरिस्ताल्टिक मूव को बढ़ाता है। इसी कारण अंजीर खाने से आपको कब्ज, गैस एसिडिटी, अपच जैसी समस्याएं नही होती।

दिल को रखे स्वस्थ

अंजीर में होते है एंटीऑक्सीडेंट जो दिल को नुकसान पहुचाने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करते है। साथ ही अंजीर में होते है ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड, जो वाहिकाओं और धमनियों को स्वस्थ्य रख व्यक्ति को हार्ट अटैक और स्ट्रोक से सुरक्षित रखते है।

दिल को रखे स्वस्थ
दिल को रखे स्वस्थ

कोलेस्ट्रॉल

अंजीर में मौजूद पेक्टिन, B6, ओमेगा 4 और ओमेगा 6 शरीर मे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखता है।यह बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। अंजीर डायजेस्टिव सिस्टम से भी खराब कोलेस्ट्रॉल को फ्लश आउट करता है।

खून की कमी

अगर किसी के अंदर खून की कमी है तो उसे भविष्य में अन्य रोग भी हो सकते है। ऐसे में आयरन का सेवन बहुत जरूरी हो जाता है। सूखे अंजीर में आयरन की काफी मात्रा होती है, इसलिए अपने शरीर मे खून की कमी दूर करने के लिए अंजीर का सेवन करे।

डायबिटीज

डायबिटीज जैसी समस्या में केवल आप अंजीर के फल का प्रयोफ ही नही कर सकते बल्कि, अंजीर के पत्तो की चाय बनाकर भी पी सकते हो। इसमे मौजूद नेचुरल शुगर आपका शुगर लेवल नही बढ़ने देगा।।

इन फायदों के अलावा अंजीर के निम्न समस्याओं में भी आराम देता है।

कैंसर, अस्थमा, ब्लड प्रेशर, यौन दुर्बलता, सर्दी जुखाम, कमजोर इम्युनिटी, कमजोरी, कम दिखाई देना, असमय उम्रदराज दिखना, बालो का झड़ना आदि।

अंजीर खाने के तरीक़े-अंजीर को कैसे खायें

सेब की तरह अंजीर को भी सुखाकर खाया जाता है। अगर आप इसे कच्चा खा रहे है तो अच्छे से धोकर खाए। छिलका उतार कर भी खा सकते है और छिलके सहित भी।

अगर आप सूखा अंजीर खाने की सोच रहे है तो एक बात का ध्यान रखें। अंजीर बहुत ही गर्म होता है। इसलिए बेहतर होगा इसे रातभर पानी मे भिगो कर इसका सेवन करे।

आप अंजीर को सैंडविच, सलाद, आइसक्रीम, कस्टर्ड, केक में इस्तेमाल कर सकते है।

डिलीवरी के बाद बढ़े हुए पेट को कैसे करे कम-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

डिलीवरी के बाद बढ़े हुए पेट को कैसे करे कम

नॉर्मल डिलवरी हो या सिजेरियन पर हर महिला पेट को लेकर परेशान होती है कि बढे पेट को कम कैसे करे? पर आप को परेशान होने की जरुरत नही हम डिलीवरी के बाद पेट कम करने के उपाय बतला रहे है जिसके प्रयोग से आप काफी हद तक प्रसव के बाद पेट कम करना कर सकते है।

प्रसव के बाद पेट कम करना-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

मसाज-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

प्रसव के बाद पेट की चर्बी को कम करने का सबसे अच्छा उपाय मसाज है। बच्चे के जन्म के बाद प्रत्येक महिला को अपने पेट के उस हिस्से पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ती है जहां कि चर्बी सबसे ज्यादा इकट्ठी होती है। पेट के उस हिस्से पर मसाज करने से चर्बी धीरे-धीरे कम होने लगती है और नियमित लंबे समय तक मसाज करने पर महिला का पेट फिर से पहले जैसा हो जाता है।

मेथी-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

डिलीवरी के बाद पेट कम करने के उपाय हैं मेथी के बीज। मेथी के बीज पेट कम करने में काफी मददगार होते हैं। रात के समय में 1 चम्मच मेथी के बीजों को 1 ग्लास पानी में उबालें,पानी को हल्का गुनगुना होने पर पीएं,पेट जल्दी कम हो जाएगा।

स्तनपान-Pregnancy K Bad Pait Kam Karna

एक सोध के मुताबिक, स्तनपान कराने से शरीर में मौजूद फैट सेल्स और कैलोरीज दोनों मिलकर दूध बनाने का का काम करते हैं. जिससे बिना कुछ करे ही वजन कम हो जाता है। इसलिए स्तनपान जरुर कराऐ

गर्म पानी-Cesarean Delivery Ke Baad Pet Kaise Kam Kare

गर्म पानी पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है। बच्चे को जन्म देने के बाद पीने के लिए सिर्फ गर्म पानी का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि गर्म पानी ना केवल पेट कम करता है बल्कि यह शरीर के वजन को भी कम करता है।

कपड़े या बेल्ट का प्रयोग-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

आप अपने पेट को किसी गर्म कपड़े या बेल्ट की मदद से लपेट कर रखें। यह पेट को सामान्य आकार में लाने मे मदद करता है साथ ही इससे पीठ के दर्द में भी आराम मिलता है।

दालचीनी-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

गर्भावस्था के बाद पेट को कम करने के लिए दालचीनी और लौंग बहुत कारगार साबित होते हैं। इसके लिए 2-3 लौंग और और आधा चम्मच दालचीनी को उबाल कर उसके पानी को ठंडा करके पिऐ जल्द ही पेट कम हो जाएगा।

दालचीनी
दालचीनी

ग्रीन टी-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

ग्रीन टी वजन को कम करने में काफी लाभकारी होती है। यह एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, साथ ही इससे बच्चे और मां की सेहत को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है और वजन भी कम हो जाता है।

नियमित खानपान लें-Pregnancy K Bad Pait Kam Karna

अक्सर लोग वजन कम करने के चक्कर में खाना-पीना कम करने लगते है। लेकिन ऐसा बिल्कुल न करें। ऐसा करने से कमजोरी आ सकती है या फिर मोटापा और बढ़ सकता है। इसलिए, खाने-पीने में कटौती न करें, बस स्वस्थ खानपान लें।

थोड़ा-थोड़ा, लेकिन कई बार खाएं-Cesarean Delivery Ke Baad Pet Kaise Kam Kare

कभी भी खाना इकट्ठे नही खाना चाहिऐ दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा कर के खाए। थोड़ा-थोड़ा खाने से आपका पाचन तंत्र ठीक रहेगा।

कम कैलोरी लें-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

आप ऐसी चीजें खाएं, जो आपको पोषण दें और जिनमें कैलोरी कम हो। ओमेगा-3 फैटी एसिड, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर युक्त चीजें खाएं जैसे- अंडे, चिकन, लीन मीट, टूना व साल्मन मछली, बीन्स और साबुत अनाज आदि।

खूब पानी पिऐ-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

खुद को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए, आप दिन में आठ से 10 गिलास पानी जरूर पिएं। इससे आपके शरीर से टॉक्सिन दूर होंगे और वजन कम करने में आसानी होगी।

व्यायाम करें-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

नियमित रूप से व्यायाम करना प्रसव के बाद मोटापा कम करने में काफी मदद करता है। हल्का फुल्का व्यायाम जरुर करे।

भरपूर नींद लें-Pregnancy K Bad Pait Kam Karna

बच्चे के जन्म के बाद आठ घंटे की लगातार नींद ले पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन आपको भरपूर नींद लेनी होगी। इसके लिए जब आप का बच्चा सो रहा हो तो उस समय आप भी सो ले। उस समय घर के अन्य काम बाकी सदस्यों को दे सकती हैं।

स्नैक्स कम खाएं-Cesarean Delivery Ke Baad Pet Kaise Kam Kare

स्तनपान कराने वालीं माताओं को बार-बार भूख लगना सामान्य है। ऐसे में कई बार आपका स्नैक्स खाने का मन करेगा, लेकिन आप स्नैक्स भी सोच समझकर खाएं। ऐसा कुछ न खाएं, जिससे आपका वजन बढ़े। इसकी जगह, आप ओट्स, सूखे मेवे व साबुत अनाज का सेवन कर सकती हैं।

तनाव से दूर रखे-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

इसमें कोई दो राय नहीं है कि वजन बढ़ने का मुख्य कारण तनाव होता है। इसलिए, जितना हो सके खुद को तनाव से दूर रखें। और हमेशा खुश रहने की कोशिश करें।

डांस करें-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

डांस करने से भी वजन कम करने में मदद मिलेगी। इसके लिए आप अपना पसंदीदा म्यूजिक लगाएं और डांस करें।

कैफीन और एल्कोहल से दूर रहें-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

डिलीवरी के बाद मोटापे को कम करने के लिए जरूरी है कि आप कैफीन और एल्कोहल से दूर रहें।

गर्भवती होने के उपाय, प्रेग्नेंट होने के लिए क्या-क्या खाएं

गर्भवती होने के उपाय, प्रेग्नेंट होने के लिए क्या-क्या खाएं

अगर आप प्रेग्नेंट होना चाहते हैं। फैमिली प्लान कर रहे हैं तो आपको अपने सेहत पर भी पहले से ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। प्रेग्नेंट होने से पहले खुद को स्वस्थ रखें और अपने खानपान का अवश्य ध्यान देना शुरू कर दें।  हर महिला को प्रेग्नेंट होने से पहले अपने स्वास्थ्य के बारे में ध्यान देना चाहिए। क्योंकि अगर खुद स्वस्थ नहीं होगी तो बच्चे की सेहत पर भी असर पड़ेगा।

अपनी डाइट में उन चीजों को शामिल जरूर करें जिससे गर्भ धारण करने में आसानी हो और जिनसे गर्भ की सेहत पर भी कोई बुरा असर न पड़े। गर्भधारण करने के लिए हर महिला के पास ताकत और शक्ति होनी चाहिए। क्योंकि गर्भावस्था में महिला का शरीर नाजुक हो जाता है। इस ताकत और शक्ति को बनाए रखने के लिए आपको यह डाइट अपने खान-पान में जरूर शामिल करनी चाहिए। जिससे आपकी सेहत अच्छी बनी रहे और होने वाला शिशु भी स्वस्थ और तंदुरुस्त पैदा हो।

प्रेग्नेंट होने के लिए यह सभी डायट अपने खान-पान में शामिल करें

विटामिन बी लेना है बहुत जरूरी

प्रेग्नेंट होने से पहले हर महिला के शरीर में विटामिन बी भरपूर मात्रा में होना चाहिए। अपने शरीर में विटामिन बी की मात्रा को जरूर बढ़ाएं। हरी पत्तेदार सब्ज‍ियों, साबूत अनाज, अंडे और मांस में विटामिन बी की मात्रा भरपूर पाई जाती है जो कि आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है।

फोलिक एसिड को धारण जरूर करें

फोलिक एसिड हर एक गर्भधारण करने वाली महिला के शरीर में होना चाहिए। गर्भधारण करने की क्षमता को भी बढ़ाता है। वही यह गर्भ में विकास के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसको बढ़ाने के लिए सोयाबीन, आलू, चुकंदर, केला और ब्रोकली इत्यादि का नियमित रूप से सेवन करें.

शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें

हर एक गर्भधारण करने वाली महिला को अपने शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। और प्रेग्नेंट होने से पहले अपने शरीर में पानी की मात्रा को भरपूर रखें। पानी की कमी शरीर में होने से गर्भावस्था के समय मां और बच्चे के लिए घातक साबित हो सकती है।

डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन

अपने खान-पान में डेयरी प्रोडक्ट शामिल करें।

डेहरी प्रोडक्ट में कैल्शियम की मात्रा भरपूर पाई जाती है। यह न केवल फर्टिलिटी को बढ़ाने का काम करते हैं। बल्कि हड्डियों को मजबूत करने के लिए भी फायदेमंद होते हैं। ऐसे में प्रेग्नेंट होने से पहले हर महिला को दूध, दही, अंडा और मछली जैसी फर्टिलिटी बढ़ने वाली चीजों को अपने खानपान में अवश्य शामिल करे।

विटामिन सी को भरपूर मात्रा में प्राप्त करें।

आमतौर पर यह माना जाता है कि विटामिन सी के सेवन से सिर्फ संक्रमण से सुरक्षा मिलती है। लेकिन विटामिन सी आयरन को सोखने का काम करता है। विटामिन सी प्राप्त करने के लिए संतरा, मौसमी, टमाटर और आंवला जैसे पदार्थ का सेवन करें।

ओमेगा 3 भी है बहुत जरूरी

प्रेग्नेंट होने से पहले हर महिला को अपने शरीर में ओमेगा 3 की मात्रा को भरपूर करना चाहिए। ओमेगा-3 अपने शरीर में बढ़ाने के लिए बादाम, अखरोट और मछली को अपने खान-पान में शामिल करना चाहिए। इन तीनों चीजों में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 पाया जाता है।

ओमेगा-3 को न केवल गर्भ धारण करने से पहले लेना जरूरी है। बल्कि इसको प्रेगनेंसी में भी लिया जाता है। यह प्रत्येक महिला के लिए काफी फायदेमंद होता है।

हरी पत्तेदार सब्जियां और बीटा कैरोटीन लेना है बहुत जरूरी।

हरी पत्तेदार सब्जियां सेहत के लिए बहुत जरूरी होती है। यह सामान्य महिला को भी खानी चाहिए। जिससे और स्वस्थ और तंदुरुस्त रहें। लेकिन अगर आप गर्भधारण करना चाहते हैं तो उससे पहले तो आपको हरी सब्जियों को अपना मुख्य भोजन बनाना चाहिए।

हरी सब्जियों में आयरन, फोलिक एसिड और एंटीऑक्सीडेंट बहुत ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा सब्जियों में कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है जो कि हर गर्भधारण करने वाली महिला के लिए लाभदायक होते हैं।

अगर कोई महिला गर्भधारण करना चाहती है। तो उसको ऊपर दी गई यह 7 डाइट को अपने खान-पान में शामिल करना चाहिए। ऐसा करने से महिला और होने वाला शिशु दोनों स्वस्थ रहेंगे। अगर आप गर्भधारण से पहले तैलीय पदार्थ, नशा युक्त पदार्थ या जहरीले पदार्थ का सेवन करते हैं तो यह आपके गर्भावस्था और डिलीवरी के बाद भी नुकसान पहुंचाता है।

जानिए क्या है रोजाना खाली पेट अलसी खाने के फायदे

अलसी के फायदे

आज हम आपको खाली पेट अलसी खाने के फायदे के बारे में बताएंगे । यदि आपके मन में यह सवाल आ रहा है की ये अलसी क्या होती है? तो हम आपको ये भी बताएंगे की आखिर ये अलसी खाने के फायदे क्या होते है ।

अलसी क्या है ?

अलसी छोटे छोटे बीजो की तरह होती है। अलसी को हम हिंदी में तीसी के नाम से जानते है और अलसी को इंग्लिश में फ्लैक्ससीड (flaxseed) कहते है। अलसी के बीज दो तरह की होती है। एक सुनहरे रंग की और दूसरी भूरे रंग की होती है। जिसमे से सुनहरे रंग वाली ज्यादा बढ़िया होती है क्योंकि इसमे ज्यादा तत्व पाए जाते है। अब आपको ये तो पता चल गया होगा की अलसी क्या होती है ? अब खाली पेट अलसी खाने के फायदे भी जान लेते है।

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रोजाना खाली पेट अलसी खाने के फायदे

अलसी का रोजाना सेवन करने के ये सब फायदे है जिनको जानकर आप जरूर चौक जाओगे की आखिर एक पदार्थ से इतने फायदे भी मिल सकते है।

वजन घटाने में सहायक

यदि आप अपने ज्यादा वजन से परेशान हो और अपने वजन को कम करना चाहते है। तो आपको रोजाना खाली पेट अलसी का सेवन करना चाहिए। अलसी मे उपस्थित वसा आपके वजन को कम करने में सहायता प्रदान करता है।

मधुमेह और कैंसर में भी लाभदायक है अलसी

अलसी के बीज के सेवन से आपके शरीर के खून में उपस्थित शर्करा के स्तर को कम करता है। जिससे आप बहुत सारी खून से सम्बन्धित रोगों से बच सकते है जैसे खून का जम जाना, थक्का बन जाना आदि।

अलसी
अलसी

अलसी के बीज कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में भी मदतगार है। किसी भी ब्रैस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर के मरीज को अलसी का सेवन जरूर करना चाहिए। इसमे अल्फा लाइनोइक एसिड पाया जाता है जो ऑथराइटिस, अस्थमा, डाइबिटीज ( मधुमेह ) ओर केंसर जैसे रोगों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है। अलसी में उपस्थित कोलोन कैंसर से लड़ने में बहुत सहायता प्रदान करता है।

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हार्ट के लिए फायदेमंद है अलसी

अलसी के बीज में ओमेगा 3 पाया जाता है जो हमारे दिल के लिए बहुत लाभदायक होता है। रोजाना 1 चम्मच अलसी का पाउडर लेने से आपको हार्ट अटेक आने संभावना काफि हद तक कम हो जाती है। एक चम्मच में 1.8 ग्राम ओमेगा 3 पाया जाता है।

अलसी के बीज के रोजाना सेवन से आपके शरीर में उपस्थित बुरे कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है । इससे आपके शरीर में रक्त प्रवाह सही से बना रहता है और ये खून को जमने से रोकता है।

त्वचा के लिए भी गुणकारी है अलसी

अलसी के बीज में एन्टी ऑक्सीडेंट्स ओर फाइटोकैमिककल्स पाया जाता है जो आपको त्वचा रोगों से बचाता है। इसके नियमित सेवन से आपको त्वचा स्वस्थ और चमकदार भी होगी।

यदि आपके जोड़ो में दर्द है या शरीर का कोई भाग दर्द कर रहा है तो आपको रोजाना अलसी के तेल से मालिश करना चाहिए, इससे आपका दर्द काफी हद तक ठीक हो जाएगा और आपकी त्वचा भी अच्छी ओर चमकदार हो जाएगी।

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अलसी के फायदे-अन्य

अलसी के बीज में उपस्थित लाइगन नामक तत्व आपके शरीर की आंतो के लिए बहुत जरूरी है, ये आपके शरीर की आंतों में एक तत्व का निर्माण करता है जो फीमेल हार्मोन्स के सन्तुलन को बनाये रखता है ।

अलसी के बीज का रोजाना सेवन आपको बहुत सारी बीमारियों से बचाता है और इसको आप पीसकर पानी के साथ ले सकते हो ।

यदि आपको कभी भी सर्दी या जुखाम होता है तो आप अलसी के बीज की चाय बनाकर पी सकते हो, अलसी में उपस्थित ब्रोकाइटिस, एन्टी इंफ्लेमेटरी आपको सर्दी जुखाम से छुटकारा पाने में मदद करता है।

अलसी के बीज में उपस्थित फाइबर, ओमेगा 3 ओर प्रोटीन आपको कब्ज जैसी बीमारियों से राहत दिलाता है।

यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है तो आपको नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। अपने खानपान का भी ध्यान रखना चाहिए। अपने खानपान के साथ में अलसी के बीज का भी सेवन करना चाहिए, ये आपको इस बीमारी से लड़ने में बहुत सहायता प्रदान करता है।

यदि आपको फंगल इन्फेक्शन जैसी कोई भी त्वचा की बीमारी है या त्वचा में खुजलीजलन होना, त्वचा के ऊपरी सतह पर रैशेज, पपड़ी व लाल निशान उबर जाना ऐसी कोई भी बीमारी है तो आपको नियमित अलसी के बीज का सेवन करना चाहिए। अलसी ऐसी बीमारियों से लड़ने में सहायता प्रदान करता है।

तो ये सब अलसी के बीज के फायदे होते है यदि आपका अलसी से सम्बन्धित कोई भी सवाल या प्रश्न है तो आप हमे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हो । हम आपके सवाल का जल्द से जल्द जवाब देने का प्रयास करेंगे ।

इस जानकारी को अपने दोस्तो ओर सोशल मीडिया पर जरूर से शेयर करे ताकि उनको भी अलसी के बीज के फायदों के बारे में पता चल सके।

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