कभी कभी बॉडी टिश्यू में एब्नॉर्मल रूप से कुछ फ्लूइड इकट्ठा हो जाता है। इसे एडिमा या सूजन कहते है। ज्यादतर ये समस्या पैरों में होती है। पैरों में सूजन होने को पिडल एडिमा, कई बार ये समस्या दर्द के बिना या दर्द के साथ भी हो सकती है। पिडल एडिमा अर्थात पैर में सूजन होने रोजमर्रा के कार्यो में रुकावट आती है। दरअसल पिडल एडिमा स्वंय में कोई बीमारी नही है, अपितु कुछ अन्य बीमारी का संकेत हैं। जैसे सर्कुलेटरी सिस्टम, लयमोह नोड्स या लिवर से सम्बंधित बीमारिया।
पैर में सूजन के लक्षण
पैर में सूजन होने पर सूजन के अलावा निम्न लक्षण दिखाई देते है।
पैर की त्वचा टाइट, चिकनी और चमकदार दिखती है।
पैर की त्वचा को दबाने पर वहाँ एक टेम्पररी गड्ढा पड़ जाता है, जो प्रेशर हटाने पर फिर से नॉर्मल हो जाता है। ये एडिमा का एक प्रकार है जिसे पिटिंग एडिमा का कहते है।
टखनों के आस पास भी फुलाव दिखाई देता है।
पैर के सभी जोड़ो में दर्द व अकड़न होती है।
पैर की नसें उभरी हुई दिखाई देती है।
पैर सुन्न महसूस होता है।
पैर को हिलाने में परेशानी महसूस होती है।
पैर में खुजली महसूस होती है।
व्यक्ति असहज महसूस करता हैं।
पैर में सूजन
पैर में सूजन आने का कारण
इन्फ्लामेशन
इन्फ्लामेशन का मतलब होता है, शरीर की खुद को ठीक करने की प्रक्रिया के कारण होने वाली सूजन। इस दौरान जलन, सूजन ओर दर्द महसूस होता है।
मोटापा
जब आपका बी एम आई बहुत ज्यादा होती है, अर्थात मोटापा बहुत ज्यादा होता है तो शरीर के सभी अंगों तक खून का दौरा सही से नही जाता। पैरों तक ब्लड सर्कुलेशन सबसे लास्ट में जाता इस कारण पैरों में सूजन आ जाती है।
ज्यादा समय तक पैर लटकाना
जब कोई व्यक्ति ज्यादा लंबे समय तक पैर लटकाकर बैठता है, तो पृथ्वी की ग्रेविटी के कारण बॉडी फ्लूइड नीचे इक्कठा हो जाता है।
इस कारण समय बीतते बीतते सूजन आ जाती है। ऐसी सूजन टेम्पररी होती है। पैरों को सही पोजीशन में लाने पर सही हो जाती है।
दिल कमजोर होना
जिन लोगों का दिल कमजोर होता है, वह पूरे शरीर में ब्लड को अच्छे तरीके से पंप करने में असमर्थ होता हैं। नतीजतन, ब्लड वेसल्स से फ्लूइड बाहर निकलकर स्किन के नीचे मौजूद टिश्यू में जाने लग जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पैरों में सूजन हो जाती है।
प्रोटीन की कमी
ब्लड सेल्स में एल्ब्यूमिन नामक एक प्रोटीन होता है। यही प्रोटीन ब्लड वेसल्स में फ्लूइड को रोककर रखता है। यदि इस प्रोटीन की मात्रा कम हो जाएगी तो ब्लड वेसल्स से फ्लूइड रिसने लगता है जिससे पैरों में सूजन आती है।
गर्भावस्था
गर्भावस्था में गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण, ब्लड वेसल्स सिकुड़ने लगती है, इस कारण उनसे द्रव रिसने लग जाता है। इसके अलावा गर्भवती महिला के शरीर में खून की मात्रा बढ़ने के कारण भी यह समस्या हो जाती है।
लिवर व गुर्दे के रोग
लिवर व गुर्दो के रोग में अक्सर एलब्यूमिन कम हो जाता है। क्योंकि एक तरफ तो लिवर एलब्यूमिन कम मात्रा में बनाता है, और दूसरी तरफ किडनी एलब्यूमिन को मूत्र (यूरिन) में मिलाकर शरीर से बाहर निकाल देती है।
ब्लड क्लॉट या ट्यूमर
कुछ लोगो को ब्लड क्लोटिंग की समस्या होती है, ऐसे में ब्लड सर्कुलेशन पैरों तक सही तरीके से नही पहुंचता। ट्यूमर ब्लड वेसल्स पर प्रेशर डालता है और इस कारण भी पैर में सूजन आ सकती है।
दवा के साइड इफ़ेक्ट
एंटी-हाइपरटेंसिव दवाएं, नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेट्री दवाएं और स्टेरॉयड दवाएं पैरों में सूजन पैदा कर सकती हैं। ज्यादातर मामलों में सूजन काफी हल्की होती है और मरीज को किसी प्रकार की गंभीर समस्या नहीं होती।
त्वचा एलर्जी और संक्रमण
कई बार त्वचा में एलर्जी या संक्रमण आदि होने से भी टांगों में सूजन आने लगती है।
लकवा
हेमीपेरालिसिस, पैरालिसिस जैसी समस्याओं में भी पैरों को सूजन बहुत आम है। रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण कई बार कमर से नीचे का हिस्सा मूवमेंट नही करता जिस कारण पैर में सूजन आ जाती है।
पैर में सूजन आने पर क्या करें
पैरों में सूजन का इलाज उसके कारण पर ही निर्भर करता है।
पैर को हल्का फुल्का सामर्थ्य के अनुसार हिलाने की कोशिश करें।
दिन में कुछ समय सूजन प्रभावित हिस्सें को ह्रदय (हार्ट ) के स्तर से थोड़ी ऊंचाई वाले स्थान पर रखें।खासकर सोते समय जरूर रखें।
प्रभावित स्थान को दिल की तरफ जाने वाली रक्त की गति में हल्की मसाज देना।
नहाने के लिए कितने भी बॉडी वाश और उबटन आ जाए, लेकिन साबुन की जगह ज्यों की त्यों बरकरार है। आज भी 80 प्रतिशत से ज्यादा घरों में नहाने के लिए साबुन का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन साबुन की इतनी बड़ी भीड़ में कई बार ये चुनना मुश्किल हो जाता हैं, कि बेस्ट साबुन फोर स्किन कौन सा है। आज इस आर्टिकल में हम आपको तैलीय और ड्राई दोनों तरह की स्किन के लिए बेस्ट साबुन के बारे में बताएंगे।
बेस्ट साबुन फॉर ऑयली स्किन
ऑयली स्किन के लिए सबसे बेहतर साबुन वही है जो नेचुरल आयल को बनाएं रखे, तथा एक्स्ट्रा आयल निकाल दे।
हिमालया हर्बल्स नीम और टर्मरिक साबुन
हिमालया का ये साबुन पूरी तरह से नेचुरल है, इसमे नीम के तेल और हल्दी का इस्तेमाल किया गया है। इन दोनों तत्वों का एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण तैलीय त्वचा के लिए बेहतरीन है। तैलीय त्वचा पर मुहासों और ब्लैक हेड्स आसानी से होते है। सोडियम लॉरेथ सल्फेट से मुक्त ये साबुन तैलीय त्वचा को अच्छे से साफ साफ करता है।
अवगुण:
इसकी गंध बहुत तेज होती है।
हल्दी
मेडिमिक्स आयुर्वेदिक क्लासिक 18 हर्बस साेप
तैलीय त्वचा गर्मियों में बहुत ही परेशान करती है। घमौरियों, फोड़े फुंसी तैलीय त्वचा के लिए बहुत आम बात है। ऐसे में विभिन्न प्रकार के हर्ब्स मिलाकर बना मेडिमिक्स अच्छा ऑप्शन है।
इस साबुन को 18 प्रकार की जड़ी-बूटियों से मिलाकर बनाया जाता है। ये शरीर की अनचाही गन्ध को दूर करता है। इसमे किसी एनिमल फैट का इस्तेमाल नही किया गया है।
अवगुण:
यह साबुन थोड़ा जल्दी गलता है और आम साबुनों से महंगा है।
संतूर सैंडल और टर्मरिक सोप फॉर टोटल स्किन केयर
‘हल्दी चंदन के गुण इसमे समाए’ संतूर मॉम्स के एड आपने जरूर देखें होंगे। ये साबुन हल्दी और चंदन के गुणों से युक्त है। चेहरे के दाग धब्बो को कम करता है, त्वचा को अच्छे से साफ कर मुलायम बनाता है।
उम्र के निशानों को कम करता है। तैलीय त्वचा के लिए ये एक बेहतरीन ऑप्शन है।
ये साबुन एक बहुत ही यूनिक इंग्रीडिएंट से बना होता है जो है बकरी का दूध, जी हां बकरी का दूध। साथ ही इसमे होता है केसर, इन दोनों इनग्रीडिएंट के कारण ये न केवल प्रदूषण के कारण हुई काली त्वचा को साफ करता है, बल्कि मुहासों को भी सूखाता है।
अवगुण:
महक थोड़ी स्ट्रांग होती है।
डव गो फ्रेश ऑयल कंट्रोल मॉइस्चराइजिंग सोप
डव महिलाओं के पसंदीदा ब्रांड में से एक है। माइल्ड क्लेन्ज़र की तरह त्वचा को साफ करता है। इसमे होता है गुलाबजल जो त्वचा को टोंड करता है।
अवगुण
थोड़ा जल्दी गलता है और मिडिल क्लास के हिसाब से महंगा है।
बेस्ट साबुन फोर स्किन- ड्राई स्किन
ड्राई स्किन के लिए साबुन चुनते हुए और भी सावधानी बरतनी होती है। गलत साबुन स्किन को और भी ड्राई बना सकता है। जिससे उम्र के निशान जल्दी दिखने लगते है।
निविया क्रीम केयर सोप
ड्राई स्किन के निविया के प्रोडक्ट हमेशा सबसे ऊपर माने जाते है। बहुत ही बेहतरीन खुशबू के साथ ये त्वचा को मुलायम बनाकर अलग अहसास देता है। इसमे कोई केमिकल नही है और खास बात की इसका कोई अवगुण अभी संज्ञान में नही है।
मेडिमिक्स आयुर्वेदिक नेचुरल ग्लिसरीन बाथिंग बार
ये साबुन खास तौर पर ड्राई स्किन को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमे है चंदन, हल्दी और ग्लिसरीन, साथ मे 18 नेचुरल हर्ब्स।इन सभी तत्वों की त्वचा के लिए उपयोगिता सभी जानते है। त्वचा को साफ, चमकदार और मुलायम बनाता है।
पियर्स नेचुरल पोमेग्रेनेट ब्राइटनिंग बाथिंग सोप बार
नाम से विदित है कि इसमे अनार का प्रयोग किया गया है। साथ ही इसमे गुलाब का अर्क है। ये स्किन को मुलायम बनाता है। प्रदूषण या एलर्जी से काली हुई त्वचा को साफ करने में मदद करता है। इसमे किसी केमिकल का प्रयोग नही किया गया है।
डव क्रीम ब्यूटी बाथिंग बार
डव, ड्राई स्किन के लिए हमारी नजर में बेहतरीन साबुनों में से एक है। इसे बनाया गया है, मॉइश्चराइजिंग क्रीम से, तो ये त्वचा को कोई नुकसान नही पहुँचाता। त्वचा को अच्छे से साफ कर मुलायम बनाता है। इसकी खुशबू आपका मन खुश कर देगी।
द बॉडी शॉप शिया सोप
शिया बटर के गुणों से भरपूर ये साबुन त्वचा को अलग ही ताजगी देता है। अगर आप अपनी त्वचा के प्रति बहुत कन्सर्न है तो थोड़ी पॉकेट ढीली करनी होगी। क्योंकि अन्य साबुनों के मुकाबले ये साबुन थोड़ा महंगा है। त्वचा को बेहतरीन चमक देता है। खुशबू बहुत ही प्यारी है। कोई भी रसायनिक तत्व इसमे शामिल नही है।
Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न
चेहरे के लिए सबसे अच्छा साबुन कौन सा है?
चेहरे के लिए सबसे अच्छे साबुन की अगर बात की जाए तो हमें अपनी त्वचा की प्रकृति के अनुसार साबुन का प्रयोग करना चाहिए । सामान्य त्वचा के लिए ग्लिसरीन साबुन का प्रयोग सर्वोत्तम होता है जैसे पीयर्स । तैलीय त्वचा के लिए डव, मार्गो, नीम, पीयर्स और मेडिमिक्स जैसे माइल्ड साबुन बढ़िया रहते हैं । रूखी त्वचा के लिए डव क्रीम व्हाट्सएप से फायदेमंद होता है। सेटाफिल और सनोफी साबुन बच्चों और बड़ों दोनों की त्वचा के लिए लाभदायक है , इन साबुनों का प्रयोग संवेदनशील त्वचा वाले लोग भी कर सकते हैं। पियर्स और डव साबुन सभी प्रकार की त्वचा के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं । बाजार में कई प्रकार के साबुन मौजूद है परंतु हमें उसी साबुन का प्रयोग करना चाहिए जो हमारी स्किन को सूट करे ।
महिलाओं के लिए सबसे अच्छा साबुन कौन सा है?
पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की त्वचा अधिक कोमल एवं संवेदनशील होती है । महिलाओं के लिए सबसे बेहतरीन साबुन की अगर बात की जाए तो ग्लिसरीन युक्त साबुन पीयर्स काफी अच्छा विकल्प है । इसमें शुद्ध ग्लिसरीन और पुदीने का सत होता है जो त्वचा को कोमल बनाने के साथ-साथ ठंडक पहुंचाता है । इसे लगाने से त्वचा मॉइश्चराइज और हाइड्रेटेड रहती है । पीयर्स के अलावा डव ब्यूटी बार भी महिलाओं के लिए अच्छा साबुन है ।इस साबुन में 25% मॉइश्चराइजिंग क्रीम होता है त्वचा को मुलायम बनाता है। महिलाएं इसका प्रयोग संपूर्ण शरीर पर कर सकतीं हैं। सर्दियों के लिए साबुन बहुत ही प्रभावी होता है।
बिना केमिकल वाला साबुन कौन सा है?
बाजार में कई तरीके के नहाने के साबुन मौजूद है जिन्हें केमिकल फ्री कह कर बेचा जाता है परंतु यदि हम उन में मिलाए जाने वाले इनग्रेडिएंट्स की जांच करें तो लगभग सभी साबुनों में केमिकल और टॉक्सिक पदार्थ पाए जाते हैं । बिना केमिकल वाला साबुन में पतंजलि मुल्तानी सोप, खादी साबुन तथा घरेलू कुटीर उद्योगों में बनाए जाने वाले साबुन शामिल हैं । इन साबुनों में कम से कम केमिकल पदार्थों का प्रयोग किया जाता है इसलिए यह त्वचा के लिए सबसे सुरक्षित होते हैं ।
दुनिया का सबसे अच्छा साबुन कौन है?
दुनिया की सबसे अच्छी साबुनों की श्रेणी में कैसवेल मेसी साबुन शीर्ष नंबर पर है । यह साबुन शरीर और चेहरे दोनों के लिए प्रयोग किया जाता है। बकरी के दूध और शुद्ध शहद से निर्मित यह साबुन खनिज पदार्थों, प्रोटीन और लिपोसोम युक्त है जो त्वचा के लिए बेहतरीन है । नाजुक और संवेदनशील त्वचा के लिए यह सबसे अच्छा साबुन है । इसकी कीमत $24 है। इसके अलावा भारतीय साबुन में सबसे अच्छा साबुन सैंडल वुड का मिलेनियम साबुन है जो शुद्ध चंदन के तेल से बनाया गया है। केमिकल रहित यह साबुन त्वचा को कोमल और मुलायम बनाता है ।इसके डेढ़ सौ ग्राम पैक की कीमत ₹810 है।
बालो की खूबसूरती चेहरे की खूबसूरती का अहम हिस्सा होती है। बाल लंबे हो न हो पर काले घने और रेशमी जरूर हो। यूँ तो आजकल बालो की खूबसूरती के लिए बहुत से ट्रीटमेंट उपलब्ध है, लेकिन अंत मे ये सब तरीके बालो को खराब ही करते है। क्योंकि इन सब तरीको में केमिकल और मशीनों का प्रयोग किया जाता है। आज कल खाने पीने में मिलावट, हार्मोनल डिस्टर्बेंस और पॉल्युशन के कारण बाल समय से पहले ही सफेद हो रहे है। सफेद बालों के लिए भी लोग केमिकल हेयर डाई का प्रयोग कर रहे है, जो न केवल बालो को नुकसान पहुंचाती है बल्कि आंखों पर भी बुरा असर डालती है।
ऐसे में आपके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है मेहंदी, जो न केवल सफेद बालों को छुपाती है बल्कि उन्हें कंडीशन भी करती है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे की बालों की मेहंदी में क्या मिलाये जिससे बालो को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो।
बालों की मेहंदी में क्या मिलाये-Balo Ki Mehndi Me Kya Milaye
अंडे
यदि आप केराटिन ट्रीटमेंट जैसे रेशमी मुलायम बाल घर मे चाहते है तो अंडे से बेहतर कुछ नही है। यदि आपके घर मे अंडे इस्तेमाल किये जाते है तो मेहंदी में इसका प्रयोग जरूर करें।
अंडे में प्रोटीन, सिलिकॉन, सल्फर, विटामिन डी और विटामिन ई होता है जो आपके बालों को पोषण देता हैं। अंडा बालों पर सॉफ्टिंग इफेक्ट डालता है खासतौर पर ड्राई हेयर वालों के लिए यह बहुत ज्यादा फायदेमंद है।
अंडे का प्रोटीन कंटेन्ट यानी इसका पीला भाग बालों को मजबूत बनाता है जबकि सफेद हिस्सा बालों को साफ करता है।
दही
बहुत से लोग केवल इसलिए मेहंदी नही लगाती क्योंकि मेहंदी लगाने से उनके बाल रूखे हो जाते है। ऐसे में यदि वे अंडे का प्रयोग करने में हिचकिचा रहे हो तो दही उनके लिए सबसे बेस्ट हैं।
दही न केवल बालो को कंडिशन देगी बल्कि उन्हें रेशमी मुलायम भी बनाएगी।
दही
कॉफी
अगर आप चाहते है की मेहंदी का रंग बालो पर अच्छे से चढ़े तो कॉफी का इस्तेमाल करे। जब आप मेहंदी घोल ले तो इसमें एक या दो कॉफी का पाउच अपने बालों के अनुसार मिला ले। इसे आप पाउडर या लिक्विड दोनों रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
ये बालों में कलर करने और सफेद बालों को छिपाने में मदद करती है। लिक्विड के रूप में प्रयोग करने के लिए थोड़े से पानी में कॉफी डालकर पानी को अच्छे से उबाल लें।
ठंडा होने के बाद उस पानी को मेहंदी पाउडर में डालकर मेहंदी घोल लीजिए।
चायपत्ती
चायपत्ती में उपस्थित टैनिन तत्व बालो को चमकदार और मुलायम बनाता है। इसके लिए चाय पत्ती को पानी में उबाल कर मेहंदी पाउडर में मिक्स कर लीजिए और रातभर ऐसे ही रहने दें।
इसके इस्तेमाल से बालों में रुखापन नहीं आएगा और वे पहले से अधिक मुलायम लगेंगे।
निम्बू
अगर आपके स्कैल्प पर डेंड्रफ या कोई फंगल इन्फेक्शन है तो निम्बू से बेहतर कुछ नही है। नींबू का रस बालों से डैंड्रफ दूर करने और स्कैल्प के फंगल इन्फेक्शन को खत्म करने में मदद करता है।
लेकिन निम्बू का रस ज्यादा मात्रा में न डाले। क्योंकि निम्बू का खट्टापन मेहंदी का कलर हल्का कर देगा।
बालों में मेहंदी लगाने की सामग्री इन हिंदी-Balo Me Mehndi Lagane Ki Samagri
अन्य टिप्स
यदि आप बालों में लाल या गोल्डन की जगह, अन्य रंग देखना चाहते हैं, तो गुड़हल के फूल क्रश करके डालें।
ठंड के मौसम में मेहंदी पेस्ट में कुछ लौंग डाल दें। मेहंदी लगाने के बाद अदरक, तुलसी की चाय जरूर लें।
ठंड में आप मेहंदी में तेल, चाय पानी या कॉफी जरूर मिक्स करें। सूखा आंवला, चुकन्दर जूस, दालचीनी, अखरोट, कॉफी कुछ ऐसे तत्व हैं, जिसे आप मेहंदी में मिक्स कर सकते हैं।
बालों में मेहंदी लगाने से पहले उसे रात भर लोहे के बर्तन में भिगो ले।एक चम्मच मेथी का पावडर मिला लें। ये बालों को असमय सफेद होने से बचाएंगे।
मेहंदी पाउडर में निम्बू की जगह संतरे का रस भी मिला सकते हैं।
मेहंदी लगाकर पॉली कैप पहन लें, इससे मेहंदी सूख कर कड़ी नही होगी और बाल जड़ो से कमजोर नही होंगे।
सर्दियों में मेहंदी लगाने के बाद और मेहंदी धोने के बाद धूप में जरूर बैठे।
मेहंदी कम से कम 1घण्टे जरूर लगाएं।
मेहंदी लगाते हुए हाथों में ग्लव्स जरूर पहने अन्यथा हाथ देखने मे बहुत ही खराब लगेंगे।
चुकंदर या बीटरूट जिसको देखकर ही अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना की जा सकती है, सलाद हो या सूप चुकंदर को खाने के कई फायदे हमने सुने है। आयुर्वेद के अनुसार चुकंदर को खाने से बहुत से फायदे होते हैं। खून की कमी होने पर हीमोग्लोबिन बढ़ाने में करता है। कैंसर से बचाता है, त्वचा को ग्लो देता है। रक्तचाप को कंट्रोल करता है, बालो को मुलायम बनाता है। लेकिन अगर आप सोचते है कि सुंदर और स्वस्थ्य दिखने के लिए आप ज्यादा सेवन करेंगे तो ये गलत है। अति हर चीज़ की नुकसान करती है, इसी प्रकार चुकंदर या बीट रुट के जरूरत से ज्यादा सेवन करना भी खतरनाक है। आज इस आर्टिकल में हम आपको चुकंदर खाने के नुकसान बताएंगे। इससे आप भली प्रकार समझ सकेंगे कि चुंकदर कब और कितनी मात्रा में खाना हैं।
चुकंदर खाने के नुकसान
किडनी स्टोन
किडनी स्टोन चुंकदर के ज्यादा सेवन का सबसे महत्वपूर्ण दुष्परिणाम होता है। ऐसे लोग जो पहले ही किडनी की किसी बीमारी ग्रसित हो चुकंदर का सेवन बिल्कुल न करे।
दरअसल चुकंदर में ऑक्सलेट साधारण से ज्यादा मात्रा में होता है, ऑक्सलेट की ज्यादा मात्रा ही किडनी में स्टोन बनने का मुख्य कारण है।
शौच से सम्बंधित समस्या
चुंकदर का सेवन ज्यादा करने से यूरिन और स्टूल का रंग भी लाल या गुलाबी रंग का हो जाता है। वैसे तो ये कोई खतरनाक स्थिति नही होती, लेकिन मल मूत्र का खून के रंग में आना मानसिक तौर पर बहुत ही उलझन पूर्ण होता है।
इस स्थिति को बीटूरिया कहते हैं। चुकंदर में शामिल बीटानिन तत्व ही इस रंग का कारण होता है। यदि आप इस समस्या से जूझ रहे है तो चुकंदर का सेवन तुरन्त बन्द कर दे।
48 से 50 घण्टे के भीतर गुलाबी या लाल मल मूत्र की समस्या समाप्त हो जाएगी। यदि 50 घण्टे के बाद भी स्थिति जस की तस बनी रहे तो डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करे।
निम्न रक्तचाप
यदि आप उच्च रक्तचाप से ग्रसित है तो चुकंदर आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन यदि आप निम्न रक्तचाप से पीड़ित है तो चुकंदर का ज्यादा सेवन बिल्कुल न करे।
खासकर यदि आप लो ब्लड प्रेशर के लिए कोई दवाई ले रहे है। निम्न रक्तचाप होने से रोजमर्रा के कार्य अव्यवस्थित हो जाते है।
निम्न रक्तचाप
पाचन क्षमता पर बुरा असर
बीटरूट जूस का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा आप चुकन्दर का सेवन धीरे धीरे कम मात्रा में करे।
यदि आप इसे सलाद के रूप में ले रहे है तो साथ मे दूसरे पदार्थ भी सलाद के रूप में ले। यदि आप जूस के रूप में ले रहे है तो कुछ मात्रा में दूसरी सब्जियों का जूस भी मिक्स करें।
मधुमेह में नुकसानदायक
100 ग्राम चुकंदर में लगभग 7 ग्राम शुगर होती है। यदि आप नियमित तौर पर इसका सेवन कर रहे है, तो आपका सुगर लेवल बढ़ सकता हैं।
खासतौर पर यदि आप अन्य मीठी चीज़ों का सेवन भी कर रहे है तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि इसे अन्य खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित कर लें।
चुकंदर खाने के अन्य नुकसान
चुकंदर फाइबर से भरपूर होता है। यदि आप सोचते है कि फाइबर की अधिक मात्रा पेट के लिए सही है तो आप गलत हैं। चुंकदर के रूप में अधिक मात्रा में फाइबर के सेवन से मितली, दस्त और कब्ज की समस्या हो सकती है।
चुकंदर के ज्यादा सेवन से शरीर में कैल्शियम का लेवल कम हो सकता है। कैल्शियम हड्डियों का मुख्य तत्व है, इसका लेवल कम होने से हड्डियों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
कुछ लोगों को बीटरूट से एलर्जी हो सकती है। इससे अर्टिकेरिया (त्वचा पर लाल, खुजलीदार और जलनशील चक्कते), सांस लेने में तकलीफ और आंखों व नाक में समस्या हो सकती है
चुकंदर के अधिक सेवन से लिवर में मेटल जमा हो सकता है। यह पोर्फिरीया कटानिया टार्डा (खून की बीमारी जो त्वचा को प्रभावित करती है), आयरन की कमी या पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।
चुकंदर का कितना सेवन सही रहेगा
वैसे तो चुंकदर की सेवन मात्रा प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है फिर भी साधारण: एक बार में आठ औंस और सप्ताह में तीन बार से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
अर्थात एक बार मे दो चुकंदर का जूस काफी होता है। यदि आप किसी बीमारी जैसे खून की कमी के लिए इसका सेवन कर रहे है तो, बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई बन्द न करें।
आशा है आप चुकंदर खाने के नुकसान अच्छे से समझ गए होंगे और अपनी सेहत और सहूलियत के अनुसार ही इसका सेवन करेंगे।
फिगारो जैतून का तेल आज के समय में सिर्फ किचन तक ही सीमित नहीं है। यह तेल बालों की देखभाल, त्वचा की नमी और दिल की सेहत के लिए भी बेहद उपयोगी है। इसके पोषण तत्व इसे एक हेल्दी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि फिगारो जैतून का तेल के फायदे क्या हैं, इसे कैसे इस्तेमाल करना चाहिए, और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
फिगारो जैतून का तेल क्या है?
फिगारो जैतून का तेल (Figaro Olive Oil) एक उच्च गुणवत्ता वाला ऑलिव ऑयल है, जो यूरोपियन तकनीक से निर्मित होता है। यह दो प्रकार में मिलता है:
एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल
रिफाइंड ऑलिव ऑयल
दोनों ही प्रकार स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं, लेकिन उपयोग के आधार पर इनका चयन किया जाना चाहिए।
फिगारो जैतून का तेल के फायदे
1. बालों की सेहत के लिए लाभकारी
यह तेल बालों की जड़ों तक पोषण पहुंचाता है।
डैंड्रफ कम करता है और बालों को झड़ने से रोकता है।
बालों को मुलायम, चमकदार और घना बनाता है।
उपयोग: हफ्ते में दो बार हल्का गर्म फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाएं और 1 घंटे बाद शैम्पू करें।
2. त्वचा के लिए बेहतरीन मॉइश्चराइज़र
सूखी और बेजान त्वचा को हाइड्रेट करता है।
झुर्रियों को कम करने और त्वचा को जवान बनाए रखने में मदद करता है।
सनबर्न और स्किन इरिटेशन में राहत देता है।
उपयोग: नहाने के बाद या रात को सोने से पहले त्वचा पर लगाएं।
3. दिल की सेहत के लिए लाभदायक
इसमें पाए जाते हैं मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स जो “अच्छे कोलेस्ट्रॉल” को बढ़ाते हैं।
नियमित सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
उपयोग: खाने में सलाद ड्रेसिंग या हल्की आंच पर खाना बनाने में इस्तेमाल करें।
4. वजन घटाने में मददगार
यह तेल शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारता है।
लंबे समय तक पेट भरा महसूस होता है जिससे ओवरइटिंग नहीं होती।
वजन घटाने वाली डाइट का हिस्सा बन सकता है।
वजन कम करने में मदद करे
5. बच्चों की मालिश के लिए सुरक्षित
नवजात शिशु की त्वचा के लिए बिल्कुल सुरक्षित।
हड्डियों को मजबूत बनाता है और त्वचा को मुलायम रखता है।
सर्दियों में त्वचा को ड्राय होने से बचाता है।
फिगारो जैतून का तेल कैसे करें इस्तेमाल?
बालों के लिए: हल्के गर्म तेल से मालिश करें।
त्वचा के लिए: नहाने के बाद त्वचा पर लगाएं।
खाने में: सलाद, सूप, पास्ता आदि में मिलाएं।
शिशु मालिश के लिए: नहाने से पहले बच्चों के शरीर पर लगाएं।
सावधानियाँ
तेज़ आंच पर इस तेल को गर्म न करें, इसके पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं।
ऑयली स्किन वाले लोग पहले पैच टेस्ट करें।
तलने (Deep Fry) के लिए उपयोग करने से बचें।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या फिगारो जैतून का तेल खाना पकाने के लिए सुरक्षित है? हाँ, यह हल्की आंच पर खाना पकाने और सलाद ड्रेसिंग के लिए उपयुक्त है।
क्या फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाने से फायदा होता है? जी हाँ, यह बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
क्या यह बच्चों के लिए सुरक्षित है? हाँ, यह शुद्ध और हल्का होता है, इसलिए बच्चों की मालिश के लिए बेहतरीन है।
क्या इसे रोजाना त्वचा पर लगा सकते हैं? अगर आपकी त्वचा सूखी है तो रोजाना इस्तेमाल फायदेमंद है।
निष्कर्ष
फिगारो जैतून का तेल एक ऑल-राउंडर हेल्थ और ब्यूटी प्रोडक्ट है। यह बालों, त्वचा, दिल और यहां तक कि बच्चों की केयर में भी कारगर है। अगर आप एक ऐसा प्राकृतिक तेल ढूंढ रहे हैं जो कई तरह से फायदेमंद हो, तो फिगारो जैतून का तेल आपकी पहली पसंद होनी चाहिए।
Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न
फिगारो तेल से क्या फायदा होता है?, फिगारो ऑयल के क्या फायदे हैं?
फिगारो जैतून का तेल एक मल्टीपरपज़ ओयल है, ये भोजन में और त्वचा तथा बालों में लगानें के काम आता है, इसमें बेहतरीन ऐंटीआक्सीडेंटस और फैट एसिड होते हैं, जिससे ये हार्ट के लिए बहुत लाभदायक होता है। इस तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है, इसे कई तरह के उबटन में मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं, होठों पर लगाने से होठ फटना बंद हो जाते हैं । नवजात शिशुओं की हड्डियों और बालों के लिए काफी लाभकारी है, बहुत प्यार से फिगारो उनकी नाजुक त्वचा का पोषण करता है।
जैतून का तेल बच्चों को कब लगाना चाहिए?
जैतून का तेल शिशु की त्वचा के लिए बहुत लाभकारी होता है, जब बच्चा पेट दर्द की वजह़ से रो रहा हो तो उसकी नाभि के आसपास हल्के हाथ से तेल की मालिश कर सकते हैं और ये जन्म के हफ्ते भर बाद से ही किया जा सकता है, इसके अलावा पूरे शरीर की मालिश भी हफ्ते बाद ही शुरू कर सकते हैं और डायपर रैशेज पर भी लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जब शिशु छः माह का हो जाए तो उसके खानें में भी एक चौथाई चम्मच जैतून का तेल यूज किया जा सकता है।
जैतून का तेल फेस पर लगाने से क्या होता है?
जैतून का तेल फेस पर लगाने से एक रात में ही आपको ग्लो महसूस हो जाता है, रात को सोने से पहले अपना फेस साफ करके उस पर तेल की 4 बूंदें लेकर मसाज करें। चेहरे और गर्दन पर सिर्फ 2 मिनट की मसाज करें और फिर सो जाएं। सुबह उठकर ग्लो खुद ब खुद देखें, जैतून के तेल में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह तेल आपकी त्वचा का रंग निखारने में बहुत अहम रोल निभाता है। यह स्किन सेल्स की रिपयेरिंग स्पीड को बढ़ा देता है इसलिए सिर्फ एक रात में ग्लो पा सकते हैं।
जैतून का तेल 100 ग्राम कितने का मिलेगा?
गुणवत्ता और पैकेजिंग बोट़ल के अनुसार जैतून के 100 ग्राम तेल के दाम भिन्न भिन्न होते हैं, तेल की शुद्धता, कम्पनी का नाम और पैकजिंग की क्वालिटी ये सब बातें दाम में भिन्नता पैदा करती हैं, इसलिए बाजा़र में अलग अलग कम्पनी के तेल थोड़ा ऊपर नीचें दामों में उपलब्ध हैं जो 95 रुपये से लेकर 160 रूपये तक के बीच में है। ये आपके अनुभव के ऊपर आधारित है कि आपको किस कम्पनी का तेल सूट करता है, बेहतर लगता है।
ग्लूकोज एक ग्रीक भाषा का शब्द ग्लीको से बना है जिसका अर्थ होता है मीठा। यह चीनी का प्रकार है जो हमें भोजन, फल आदि से मिलता है। ग्लूकोज हमारे शरीर की आवश्यकताओं के लिए अति-आवश्यक है। यह हमें ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है जो मोनोसेक्रेट कार्बोहाइड्रेट की श्रेणी में आता है। ग्लूकोज पीने के फायदे कई है। इसमें चीनी का ही एक अणु है। वसा के अलावा ग्लूकोज शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज हम रोटी, फल, सब्जियों, डेरी उत्पादन से प्राप्त कर सकते हैं।
जो ग्लूकोज रक्त के माध्यम से हमारी कोशिकाओं तक पहुँचता है। उसे हम ब्लड ग्लूकोज या रक्त शर्करा कहते हैं। ग्लूकोज , भोजन से प्राप्त वसा ,कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन से बनता है। लेकिन सबसे अधिक ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से बनता है। हमारे शरीर के मुख्य ऊर्जा का स्रोत ग्लूकोज है। लेकिन ग्लूकोज को उर्जा में बदलने के लिए इंसुलिन का होना अति आवश्यक है बिना इंसुलिन की मदद के ग्लूकोज का इस्तेमाल कोशिकाएं नहीं कर सकती हैं।
पाचन के दौरान इंसुलिन की मदद से स्टार्च व शुगर ग्लूकोज में टूट जाते हैं। और ग्लूकोज कोशिकाओं की दीवार में प्रवेश करता है। अगर भोजन में शुगर अधिक मात्रा में होती है जिसे हम ग्लूकोज भी कहते हैं। अगर भोजन में ग्लूकोज अधिक मात्रा में होता है तो यह हमारी मांसपेशियों लीवर और शरीर के अन्य भागों में जमा होने लगता है जो बाद में फैट के रूप में बदलता है।
ग्लूकोज के स्रोत
ग्लूकोज फल ,सब्जियों , रेशेदार खाद्य पदार्थ ,डेयरी प्रोडक्ट्स आदि में मिलता है। हमें फाइबर युक्त तलों का सेवन करना चाहिए। हमें साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। साबुत अनाज हमें फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम प्रदान करते हैं अनाज को रिफाइन करने से उसके पोषक तत्व व फाइबर की मात्रा कम हो जाती है। ग्लूकोज हमें सभी अनाजों से मिलता है।
लेकिन साबुत अनाज हमें फाइबर भी देते हैं और खनिज भी देते हैं फलियां प्रोटीन का मुख्य स्रोत होती है। डेरी प्रोडक्ट में संतृप्त वसा अधिक मात्रा में होता है। इसलिए हमें कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए। जो हमें विटामिन खनिज प्रोटीन और कैल्शियम भी देते हैं।
ग्लूकोज युक्त आहार हमारे शरीर की आवश्यकता है। अगर हमें ग्लूकोज की आवश्यक मात्रा ना मिले तो यह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। इसीलिए हमें ग्लूकोज के स्तर को बैलेंस बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है। ग्लूकोज के स्तर को कंट्रोल करने के लिए हमें संतुलित भोजन करना चाहिए।
भोजन में सभी आवश्यक तत्व जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, मिनरल्स आदि सभी शामिल करने चाहिए और सबसे आवश्यक हमें अपना नाश्ता अवश्य करना चाहिए। ग्लूकोज के लिए हमें पत्तों वाली सब्जियां जैसे ब्रोकली , पालक और अन्य सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।
अंडे, मछली, अंगूर, सूखे मेवे, चीज, शहद, खजूर, अनानास, आम, चुकंदर, खीरा यह सभी ग्लूकोज युक्त भोजन होते हैं। जो हमारे शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं इनके अलावा गर्मियों के मौसम में जब हमारे शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता अधिक होती है क्योंकि हमारे शरीर से पसीने के रूप में पानी बहुत निकलता है। तब हम ग्लूकोज पेय पदार्थ के रूप में लेते हैं।
तो आइए जानते हैं जो ग्लूकोज पीने के फायदे
ग्लूकोज मददगार है बिमारियों से लड़ने में
रेशेदार फाइबर युक्त भोजन टाइप 2 मधुमेह और मोटापे से लड़ने में मददगार होता है। फाइबर पाचन तंत्र को सक्रिय रखता है। दिल को स्वस्थ रखता है। कोलेस्ट्रॉल एवं हृदय रोगों को नियंत्रण में रखता है।
ग्लूकोज रखता है वजन को नियंत्रित
ग्लूकोज से हम अपना वजन बढ़ा भी सकते हैं और घटा भी सकते हैं। हमें अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए ताजे फल जैसे तरबूज अंगूर नाशपाती बेर आदि खाने चाहिए। जिन में बहुत अधिक फाइबर और पानी पाया जाता है।
वजन को नियंत्रित
ग्लूकोज रखता है शरीर के तापमान को नियंत्रित
गर्मी के मौसम में जब हमारे शरीर से बहुत पसीना निकलता है तब हम ग्लूकोज पीते हैं। यही ग्लूकोज हमारे शरीर में ऊर्जा के रूप में पहुँचता है यह हमारी मांसपेशियों में ग्लाइकोजन के रूप में एकत्रित होता है और हमारे शरीर के तापमान को नियमित करने में सहायक होता है।
ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को बनाये आसान
हमारे शरीर को सभी आवश्यक शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए जैसे मांसपेशियों के संकुचन, श्वसन, हृदय की गति आदि के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है हृदय गति से लेकर मांसपेशियों में संकुचन तक सभी प्रक्रियाओं के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है और सभी पतियों को ग्लूकोज के द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है बिना ग्लूकोज के यह संभव नहीं है ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को आसान बनाने में सहायक होता है।
ग्लूकोज है दिमागी कार्यों में मददगार
ग्लूकोज मस्तिष्क के कार्य को सही तरह से करने के लिए आवश्यक होता है। किसी चीज को सीखने की प्रक्रिया में ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। पढ़ने में, याद करने में मस्तिष्क संरक्षित हुए ग्लूकोज का इस्तेमाल करता है इसीलिए ग्लूकोज दिमागी कार्य के लिए अति आवश्यक है।
उर्जा का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है ग्लूकोज
हमें हर कार्य को करने के लिए चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है हमारे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा ना मिले तो हम बहुत जल्दी थक जाते हैं और यही उर्जा हमें भी खुशी मिलती है इसके लिए हम कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पीते हैं।
ग्लूकोज का पाचन, पाचन तंत्र के द्वारा भोजन के पाचन से अलग होता है ग्लूकोज रक्त में अवशोषित होने के बाद ग्लाइकोजन में बदल जाता है। यह ग्लाइकोजन मांसपेशियों में सुरक्षित हो जाता है शरीर को जब भी आवश्यकता होती है ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदलकर ऊर्जा प्रदान करता है।
ग्लूकोज बढ़ाता है शरीर का स्टैमिना
हम सब जानते हैं कि ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।जब भी हम थकने लगते हैं हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम होने लगती है तो हमारी मांसपेशियों में इकट्ठा ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदल जाता है और हमारी थकान को दूर करता है।
ग्लूकोज हमारी मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाने का कार्य करता है अगर मांसपेशियों में ग्लाइकोजन की मात्रा है तो इसका अर्थ है कि हमारी मांसपेशियां थकेंगी नहीं। हमारा स्टेमिना बढ़ जाएगा। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि हम बिना थके ज्यादा काम कर सकते हैं।
शरीर को डिहाइड्रेट करता है ग्लूकोज
गर्मी के मौसम में जब लगातार पसीना आता है तब हम बॉडी को तुरंत एनर्जी देने वाला ग्लूकोज पाउडर पीते हैं यह बॉडी को डिहाइड्रेट करके तुरंत एनर्जी देता है।
मधुमेह में लाभदायक है ग्लूकोज
मधुमेह के रोगियों का अचानक शुगर लेवल डाउन होने लगता है। उस समय ग्लूकोज का पानी ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है। शुगर के लेवल को नियंत्रित करता है।
दूर करता है शरीर की थकान
जब भी ज्यादा काम करने के कारण शरीर थकने लगता है। ग्लूकोज शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है। ग्लूकोज थकावट को दूर करके शरीर और दिमाग को स्फूर्ती प्रदान करता है।
थकान को करे दूर
शरीर को ठंडा करता है ग्लूकोज़
गर्मियों की दोपहर में जब तापमान काफी अधिक होता है। हमारा शरीर का तापमान भी तेजी से बढ़ जाता है। उस समय ग्लूकोज लेने से शरीर का तापमान ठंडा बनाए रखने में मदद मिलती है।
ग्लूकोज़ रखे मांसपेशियों को स्वस्थ
कुछ लोग जिम और एक्साइज करने के बाद ग्लूकोज को एक हेल्थ ड्रिंक की तरह लेते हैं। एक्सरसाइज करते समय ग्लूकोज ग्लाइकोजन में टूट जाता है।
यह ग्लाइकोजन प्रोटीन के साथ मिलकर खून के बहाव में मिल जाता है। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि मांसपेशियों को काम करने में मदद मिलती है और एक्सरसाइज के बाद मांसपेशियों की मरम्मत के लिए ऊर्जा भी मिलती है।
ग्लूकोज रखे शरीर को स्वस्थ
ग्लूकोज में शरीर के लिए आवश्यक सुक्रोज और ग्लूकोज होते हैं जो स्वस्थ शरीर को बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इसमें वसा और फैटी एसिड नहीं होते स्वस्थ व्यक्ति के लिए इसी प्रकार की ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। इस प्रकार ग्लूकोज शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न
ग्लूकोस की कमी से शरीर में क्या होता है?
हमारे शरीर को संतुलित और सुरक्षित रखने के लिये शरीर में ग्लूकोज की मात्रा सही होना बेहद जरूरी है।ग्लूकोज़ की कमी होने पर इसके लक्षण समय के साथ बदलते रहते हैं।शरीर में ग्लूकोज़ की कमी होने से कई प्रकार की समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। ग्लूकोज की कमी से निम्नलिखित समस्याएं होती हैं .शरीर से पसीना आना .थकान महसूस करना .सिर चकराना .झुनझुनाहट या कंपकपी होना .दिल की धड़कन का अचानक बढ़ना .व्यवहार में परिवर्तन .शरीर में पीलापन .ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई .नींद अधिक आना .कमजोरी लगना .बेचैनी महसूस होना .मन विचलित होना। उपयुक्त लक्षण दिखने पर डॉ से शीघ्र मिलें।
ग्लूकोज कब पीना चाहिए?
गर्मी के दिनों में हमारे शरीर से पसीना काफी निकलता है, जिसकी वजह से बॉडी में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर अधिक से अधिक पानी का सेवन करने और ग्लूकोज़ पीने की सलाह देते हैं। जब थकान,चक्कर,सिर दर्द,कमजोरी,बेचैनी महसूस हो तब ग्लूकोज का सेवन कर सकते हैं। डॉक्टर विटामिन डी कमी होने पर भी विटामिन डी युक्त ग्लूकोज पाउडर पीने की सलाह देते हैं। यह मूत्रवधक, हृदयवाही संबंधी स्वास्थ्य, कैल्शियम की कमी होने पर और मधुमेह के रोगियों में अचानक शुगर लेवल डाउन होने पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्लूकोज शरीर को तुरन्त रिलेक्स महसूस कराता है साथ ही ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है।
ग्लूकोज क्या काम करता है?
ग्लूकोज को शायद रक्त शर्करा (ब्लड सुगर) के नाम से जानते हैं। ग्लूकोज शरीर के सभी अंगों के कार्यों को सही तरह से करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा जब सही होती है, तो हम इस पर बिलकुल ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन जब यह स्तर ज्यादा या कम हो जाता है, तो हमे कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है, जो मोनोसैक्राइड कार्बोहायड्रेट की श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि इसमें चीनी का एक ही अणु होता है। ऊर्जा और संचयन के लिए रक्त से ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाता है।वसा के अलावा ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है।
ग्लूकोज दिन में कितनी बार पीना चाहिए?
ग्लूकोज निर्जलीकरण के इलाज में भी सहायता करता है।यह शरीर में विटामिन-डी की कमी को भी पूरा करता है। शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। चिकित्सक के बताये अनुसार ही ग्लूकोज का इस्तेमाल करना चाहिये। ग्लूकोज की कमी की तुरन्त पूर्ति के लिए दो चम्मच ग्लूकोज़ पाउडर एक गिलास ठन्डे पानी में अच्छी तरह मिलाकर पीना चाहिए। हर एक दिन छोड़कर या महीने में किसी भी 10 दिन ग्लूकोज लेना सुरक्षित माना जाता है। ग्लूकोज दिन में एक बार ही सेवन करें या बहुत कमजोरी होने पर दो बार सेवन करें। नोट:ज्यादा सेवन करने से मधुमेह की बीमारी हो सकती है इसलिए डॉक्टर के निर्देशानुसार ही सेवन करें।
बच्चो की मालिश की परंपरा सदियों से रही है। चाहे वो हमारी दादी नानी हो या आधुनिक डॉक्टर्स सभी बच्चे की मालिश को जरूरी मानते है। बच्चे की मालिश करने से बालक शारीरिक रूप से मजबूत है। बालक के सर्वागीण विकास के अतिरिक्त एक प्रेम से परिपूर्ण सम्बन्ध माँ और बालक के बीच स्थापित होता है।
मालिश से बच्चे के मसल्स और हड्डियां मजबूत बनती है, बच्चा मानसिक रूप से रिलैक्स महसूस करता है। अब बात करते है मालिश के तेल की, तो कई बार माए उलझन में रहती है कि कौन से तेल से मालिश करें। या किस मौसम में कौन सा तेल बेहतर रहेगा। तो आज इस आर्टिकल में हम उन्ही उलझनों को सुलझाएंगे। हम आपको बताएंगे कि मौसम और बच्चे के हिसाब से मालिश का तेल कैसे चुने।
बच्चे की मालिश के फायदे
हड्डियों और मसल्स को मजबूती मिलती है।
प्रेम भावना को जाग्रत करने वाला हार्मोन ऑक्सिटोसिन रिलीज होता है, माँ और बच्चे के बीच रिश्ता मजबूत होता है।
खून का दौरा बढ़ने के साथ साथ पाचन शक्ति मजबूत होती है।
मानसिक विकास होता है।
शिशु को नींद अच्छी आती है।
स्किन सॉफ्ट होती है।
डाउन सिंड्रोम और सेरेब्रल पाल्सी जैसे रोगों में मालिश काफी प्रभावी होती है
मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल
मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल का कोई पैमाना नही है। हर तेल अपने आप में बहुत स्व गुण लिए होता है। हर मौसम का अपना तेल होता है। इसी प्रकार प्रत्येक तेल प्रत्येक बच्चे के लिए नही होता। तो हम तेलों को इसी आधार पर बांटकर उनके गुणों की बात करेंगे।
सेंसिटिव स्किन वाले शिशु के लिए मालिश का तेल
कैमोमाइल तेल
कैमोमाइल तेल
इसके लिए आप कैमोमाइल बेबी आयल का इस्तेमाल करे। यह बच्चों की मालिश के लिए एक बढ़िया बेबी आयल है। बच्चे की त्वचा सेंसिटिव होने या उस पर रैशेज होने पर केमोमाइल ऑयल से फायदा होता है।
अगर आपको लगता है कि शिशु कोलिक पेन से परेशान है तो कैमोमाइल ऑयल से मालिश करे। ऐसा करने से शिशु को आराम मिलेगा।
टी ट्री तेल
इस तेल में एंटीबैक्टेरियल और एंटीफंगल गुण होते है, इसलिए ये सेंसिटिव त्वचा के लिए बेस्ट है। लेकिन ये तेल बहुत ही स्ट्रांग होता है तो इसे डायरेक्ट बच्चे की स्किन पर अप्लाई न करे।
किसी दूसरे तेल में इसकी कुछ बूंदे मिलाकर प्रयोग करे। 6 माह से छोटे बच्चे के लिए इसका प्रयोग न करे। मालिश करते समय पूरी सावधानी बरतें की ये तेल बच्चे के नाक कान या मुँह में न जाए। बच्चे को ठंड लगने पर छाती पर इसकी मालिश करने से भी आराम मिलता है।
केलैन्डयुला तेल
यह एक ऐसा एसेंशियल ऑइल है जो की बच्चे की त्वचा को नमी देता है, हल्की ठंडक वाला ये तेल गर्मी के लिए बेहतरीन है। साथ ही बच्चे की सेंसिटिव स्किन को कोई नुकसान भी नही पहुंचाता है।
अरंडी का तेल
अरंडी का तेल न केवल शिशु की हड्डियों ओर मसल्स को मजबूत बनाता है बल्कि इम्युनिटी भी बढ़ाता है। ब्लड सर्कुलेशन को इम्प्रूव करता है, संक्रमण को दूर करता है ,कब्ज से राहत दिलाता है। नाक कान और मुँह को बचाते हुए मालिश करे।
मौसम के अनुसार किस तेल का प्रयोग करे
गर्मी के लिए सर्वोत्तम तेल
नारियल का तेल
यह बच्चे की मालिश के लिए सर्वोत्तम तेलों में से एक है। इसमे एंटी–फंगल और एंटी–बैक्टीरियल गुण होते है, आसानी से स्किन अब्सॉर्ब होता है। विटामिन ई से भरपूर ये तेल बच्चे की स्किन साफ करके दाग धब्बे भी मिटाता है। गर्मियो में नारियल तेल ही मालिश का एकमात्र आसानी से उपलब्ध होने वाला तेल है।
सर्दियों के लिए सर्वोत्तम तेल
नवजात शिशु की मालिश की सबसे ज्यादा जरूरत सर्दियो में होती है क्योंकि शिशु की त्वचा को हाइड्रेट करना बहुत जरूरी होता है।
तिल का तेल
तिल के तेल की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए इसकी मालिश हल्के हाथों से करें। सर्दियों में बच्चे को होने वाले कफ और कोल्ड में तिल का तेल बहुत ही फायदेमंद है।
ठंड लगने पर बच्चे की छाती पर हल्के हाथ से इसकी मालिश करे।
सरसों का तेल
इस तेल का प्रयोग यदि कुछ चीज़ों के साथ किया जाए तो इसका फायदा दोगुना हो जाता है। सरसो के तेल में लहसुन, मेथी के बीज या अजवाइन को पकाकर, इस तेल को छानकर प्रयोग किया जाए तो पूरी सर्दियो में बच्चे को कोल्ड कफ नही होगा।
बादाम का तेल
बादाम का तेल विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी6 और विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होता है। यह शिशु की त्वचा और बालों दोनों के लिए अच्छा होता है। यह सभी उम्र के बच्चों के लिए बेहतरीन माना जाता है। इससे शिशु की त्वचा चमकदार होने के साथ-साथ कोमल भी बनती है
ये थे बच्चे और नवजात शिशु की मालिश के लिये सर्वोत्तम तेल, किसी भी तेल को प्रयोग करने से पहले बच्चे की स्किन पर थोड़ा सा तेल अप्लाई कर कम से कम 5 से 6 तक उसका असर देखे। कोई रिएक्शन न होने पर ही उस तेल का इस्तेमाल करें।
Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न
सबसे गर्म तेल कौन सा होता है?
जैतून और सरसो का तेल गर्म होता है, शरीर पर इसकी मालिश सर्दी को दूर करने वाली, सूजन मिटाने वाली, लकवा, गठिया, कृमि और वात रोगों से छुटकारे के लिए अत्यंत हितकारी होती है।
शरीर में कौन सा तेल लगाना चाहिए?
बादाम, सरसो, तिल, जैतून और नारियल इनमे से कोई तेल शरीर पर लगा कर सकते है। हर तेल के अलग अलग फायदे होते है। अपने जरुरत के हिसाब से इसमे से कोई तेल लगा सकते है।
शरीर में सरसों का तेल लगाने से क्या होता है?
सरसों का तेल थोड़ा चिपचिपा तो होता है, लेकिन यह मालिश के लिए सबसे अच्छा तेल माना जाता है। यह सूजन और दर्द को कम करने में मददगार है। विशेष रूप से सर्दियों में गर्म सरसों के तेल की मालिश से त्वचा के रूखेपन को दूर किया जाता है।
माहवारी शुरू होने से लेकर बन्द होने तक एक महिला बहुत सी समस्याओं से जूझती है। किसी को रक्तस्राव ज्यादा होता है किसी को कम, किसी को गैप होकर पीरियड होते है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे माहवारी खुल कर ना आने की समस्या की, क्योंकि इसके कारण भी कई समस्याए हो सकती है। जैसे प्रजनन क्षमता का घटना या गर्भवती होने में समस्या, वजन बढ़ना, अण्डाशय में ग्रंथियों का बनना, भूख न लगना, चेहरे पर बाल निकलना आदि।
महिलाओं में अल्पस्त्राव की समस्या गलत खान पान से, गलत जीवनशैली से या अत्यधिक तनाव के कारण होती है। हमारे शरीर मे कोई भी रोग वात, पित्त, कफ के असंतुलन के कारण होते हैं। ये असंतुलन पोषक तत्वों की कमी, और अनुचित जीवन शैली, या अन्य कारणों से होता है।
माहवारी खुल कर न होने के कारण-Period Na Aane Ka Reason In Hindi
जब किसी लड़की को माहवारी शुरू होती है, तो शुरू में हो सकता है कि माहवारी खुल कर न हो। ऐसा शुरू के एक वर्ष में हो सकता है। लेकिन अगर एक दो साल बाद भी यही समस्या बनी रहे तो ये चिंता का कारण है।
ज्यादातर इसका कारण यूटरस में किसी दिक्कत, या फिर ओवरी में ग्रंथियाँ बनने के कारण होता है। माहवारी कम होने के निम्न कारण हो सकते है।
उचित आहार न लेना जैसे आहार में जरुरी पोषक तत्वों की कमी।
तनाव या अवसाद की अधिकता
पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम या पॉलिसिस्टिक ओवरियन डिजीज
जरूरत से ज्यादा व्यायाम या शारीरिक श्रम करना
बहुत लंबे समय तक बीमार रहना
गर्भाशय या गर्भाशय नलिका में कोई डिफेक्ट होना
महिला एथलीट्स द्वारा या फिटनेस के लिए स्टेरॉयड का सेवन करना।
माहवारी खुलकर आने के घरेलू उपाय
हल्दी
हल्दी की तासीर गर्म होने के कारण इसका उपयोग बहुत ही फायदेमंद है। गरम पानी में या एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर मासिक धर्म की निर्धारित तिथि से पाँच दिन पहले सुबह-शाम पीना शुरू करे। इससे न केवल माहवारी खुल कर आएगी बल्कि हेल्थ के लिए भी अच्छा रहेगा।
हल्दी
गाजर के बीज
गाजर में कैरोटीन होता है, जिससे शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ जाता है। इससे मासिक स्राव खुलकर तथा समय पर होता है। इसके लिए आप गाजर के बीज को पानी मे उबाल कर उस पानी को दिन में तीन बार पिए।
तिल
तिल को आप लड्डू के रूप में या भूनकर ऐसे ही खा सकती है। मासिक धर्म शुरू होने के दस दिन पहले से ही एक चम्मच तिल में गुड़ मिलाकर खाएँ। यह माहवारी में कम रक्तस्राव की समस्या को ठीक करता है।
अदरक
अदरक का ज्यादा से ज्यादा से उपयोग करें, एक चम्मच अदरक के रस में एक चम्मच गुड़ मिलाकर खाएँ। इसके अलावा अदरक को पानी मे उबालकर उस पानी को भी पीया जा सकता हूं।
पपीता
पीरियड होने से 4 दिन पहले एक प्लेट पपीते का फल खाएं। इसमें मौजूद कैरोटी एस्ट्रोजन हार्मोन को उत्तेजित करता है। इसके सेवन से मासिक स्राव समय पर एवं खुलकर होता है।
धनिया
धनिया की पत्ती को अच्छे से साफ करके पानी मे उबाल लें, इस पानी को दिन में तीन बार 50ml पिए। यह उपाय भी माहवारी में कम रक्तस्राव होने पर लाभ दिलाता है।
मेथी
मेथी का प्रयोग केवल माहवारी के समय नही बल्कि रेगुलर किया जा सकता है। इसके लिए रोज रात को एक चम्मच मेथी भिगो दें, सुबह आधा चम्मच भीगी मेथी पानी से निगल ले। लगातार ऐसा करने से हॉर्मोनल समस्याए भी दूर होंगी।
इन सब उपायों के अलावा आपकी अपनी जीवनशैली में भी बदलाव लाना होगा ताकि समस्या जड़ से दूर हो जाये।
विटामिन एवं खनिज जैसे पोषक तत्व से भरपूर भोजन करे।
सब्जियाँ, दाल, अंकुरित अनाज एवं सूखे मेवों का सेवन करें।
केवल मौसमी फल खाएं
तनाव को दूर करने के लिए ध्यान, योग, म्यूजिक का सहारा ले।
हर कोई चाहता है कि उसका चेहरा बेदाग और सुंदर हो। लेकिन कई बार किसी न किसी वजह से चेहरे पर गड्ढे होे जाते हैं। चेहरे पर इन दाग-धब्बों और गहरे गड्ढों के होने के कई कारण हो सकतें हैं…जैसे पिंपल का होना,चेचक के दाग या फिर किसी चोट की वजह। इनको दूर करने के लिए कई लोग कई तरह के मेडिसीन का प्रयोग करते है। पर कभी-कभी कभी उनके साइडइफेक्ट भी होते हैं। पर आज हम आपको चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय बता रहे है जिसका कोई साइडइफेक्ट नही है।
चेहरे पर गड्ढे का इलाज-Chehre Ke Gadde Ka Ilaj
चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय-चंदन
चेहरे के गड्ढे भरने के लिए एक चम्मच चन्दन पाउडर में एक चम्मच ग्लिसरीन और तीन चम्मच गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आधा घंटा चेहरे पर लगाने के बाद धो लें। इससे चेहरा साफ होने लगेगा और गाल के गड्ढे भी भरने लगेंगे।
चेहरे पर गड्ढे का इलाज-नीबू और हल्दी
चेहरे पर गड्ढे का इलाज करने के लिए नींबू के रस में चुटकी भर हल्दी मिलाकर उसका पेस्ट तैयार कर ले। फिर कुछ मिनट तक गड्ढ़ों वाली स्किन पर लगाकर धो ले।
चेहरे के गड्ढे भरने का तरीका-दही
दही भी चेहरे के गड्ढे भरने के लिए उपयोगी होता है। इसके लिए आप एक कटोरी दही में नींबू के रस को मिलाकर उसका पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को चेहरे पर लगाए, सुखने के बाद पानी से चेहरा धुल ले।
चेहरे पर गड्ढे का घरेलू इलाज-दालचीनी
दालचीनी पिंपल्स की वजह से होने वाले चेहरे के गड्ढों के लिए बेहतरीन उपाय है। एक बाउल में दालचीनी पाउडर और शहद को मिलाएं। अब इस पेस्ट को चेहरे के गड्ढे पर लगा लें और फिर उसे रातभर के लिए ऐसे ही लगा हुआ छोड़ दें। अब सुबह में चेहरे को गुनगुने पानी से धो दें। ये उपाय पिंपल्स की वजह से चेहरे पर पड़ने वाले गड्ढों के लिए बहुत ही प्रभावी है।
चेहरे पर गड्ढे का इलाज-नींबू के पत्ते
नींबू के पेड़ के पत्तों को पीस कर इसमें समान मात्रा में हल्दी का पेस्ट मिला ले और अपने चेहरे पर मले, हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते है जो गड्ढे जल्दी भरने में कारगर है। अगर नींबू के पेड़ के पत्ते ना मिले तो आप नींबू का रस भी इस्तेमाल कर सकते है। इस नुस्खे को दो हफ़्तों तक करे। चेहरे के गड्ढे जल्दी भर जायेगे।
चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय-बेसन
बेसन, दूध और नींबू का रस इन तीनो को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। फिर इस पैक को हफ्ते में एक बार फेस पर लगाएं। इससे चेहरे पर कसावट आकर गड्ढे भी ठीक हो जाएंगे।
चेहरे के गड्ढे भरने का तरीका-शहद
सबसे पहले तीन से चार बूंद नींबू के रस को शहद के साथ मिला लें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगा लें। कुछ समय के लिए इस पेस्ट को चेहरे पर ऐसे ही लगा हुआ छोड़ दें और जब ये सुख जाये तो चेहरे को पानी से धो लें। आप चाहे तो शहद रोज दिन में 3 से 4 चमच्च शहद में नींबू का रस मिलाकर अपने चेहरे की मालिश करें। फिर थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धो लें। इससे भी गाल के गड्ढे जल्दी भरने लगेंगे
चेहरे पर गड्ढे का घरेलू इलाज-बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा त्वचा के रोम छिद्र को खोलता है. हफ्ते मे 1 या 2 बार एक चमच बेकिंग सोडा मे पानी मिलाकर मुहासों और गड्ढो पर लगाये और पांच से दस मिनट तक सुखाने के बाद धो ले.
चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय-एलोवेरा
एलोवेरा चेहरे के गड्ढ़े भरने के साथ-साथ चेहरे की सुंदरता को भी बढ़ा देता हैं। एलोवेरा के इस्तेमाल से स्किन पर एक्ने, पिंपल्स और कील मुंहासे आदि के कारण हुए गड्ढे भर जाते हैं। फेस के गड्ढे भरने के लिए रात को सोने से पहले एलोवेरा में विटामिन-ई ऑयल मिलाकर फेस पर लगाये और सुबह चेहरे को पानी से धो लें। इस उपाय को कुछ दिन अपनाने से ही समस्या दूर होने लगती है
चेहरे पर गड्ढे का इलाज-मुल्तानी मिट्टी
चेहरे के गड्ढों को भरने के लिए मुल्तानी मिट्टी में नींबू का रस और गुलाब जल को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। अब इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं। करीब आधे घंटे बाद इसे धो लें, इसके लगातार प्रयोग से गाल के गड्ढे भरने लगेंगे।
चेहरे के गड्ढे भरने के उपाय-पुदीने की पत्तियां
पुदीने की पत्तियों में पिंपल्स से लड़ने के गुण होते हैं और ये मुहांसों की वजह से पड़ने वाले गड्ढों के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है। सबसे पहले पुदीने की पत्तियों का रस निकाल लें। अब इस रस को गाल के गड्ढों पर अच्छे से लगाएं। चेहरे पर इस पेस्ट को सूखने दें और फिर उसे ठंडे पानी से धो लें।
भारत मे तुलसी पौधे की पवित्रता, महत्व और गुणों के बारे में आप सब जानते ही है। भारत में एक पवित्र पौधे के रूप में तुलसी की पूजा की जाती है जो चिकित्सीय शक्तियों के रूप में जाना जाता है। ज्यादातर घरों में इसे रोपा जाता है। Tulsi Green Tea Benefits जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि तुलसी ग्रीन टी में कौन से लाभदायक तत्व होते है।
तुलसी ग्रीन टी में फाइबर, कैल्सियम, आयरन की मात्रा पाई जाती है।तुलसी ग्रीन टी तुलसी ग्रीन टी
Green Tea Ke Fayde-Tulsi Green Tea Benefits In Hindi
तुलसी ग्रीन टी का सेवन आप रोज कर सकते है लेकिन उसे सही तरीके से बनाना चाहिए। तुलसी ग्रीन टी लेने का सबका उद्देश्य अलग अलग होता है, कुछ लोग वजन कम करने के लिए तुलसी ग्रीन टी पीते हैं जबकि दूसरे इसके एंटीऑक्सिडेंट और अन्य स्वास्थ्य लाभों की वजह से लेते हैं।
रिसर्च बताती है कि ग्रीन टी में फैट और प्रोटीन जैसे मैक्रो पोषक तत्वों का अवशोषण कम होता है। इसलिए भोजन और तुलसी ग्रीन टी के बीच मे कम से कम दो घण्टो का गैप हो।
तुलसी ग्रीन टी शरीर की चयापचय को बढ़ाकर और फैट के अवशोषण को रोक देती है। इसलिए ज्यादा फायदे के लिए बहुत से लोग दिन में तीन से पांच कप तुलसी ग्रीन टी पीने लगते है। यूँ तो आप तुलसी ग्रीन टी कितनी बार भी ले सकते है फिर भी इसके सेवन को एक कंट्रोल में रहकर करे।
Tulsi ग्रीन टी को यदि हल्दी के साथ लिया जाए तो गले और छाती से सम्बंधित समस्याओं को दूर करती है।
मुख्य रूप से Tulsi Green Tea इम्युनिटी सिस्टम, रेस्पिरेटरी सिस्टम, डायजेस्टिव और नर्वस सिस्टम की बेहतरी का काम करता है।
इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टी, और इम्युनिटी डवलप करने वाले गुणों के कारण ये सर्दी ज़ुकाम, खाँसी, बाहरी इन्फेक्शन, फ्लू में सुधार करती है।
Tulsi green tea भूख को बढ़ाती है, पाचन को बढ़ाती है। और जब आपको खुलकर भूख लगेगी और पाचन सही रहेगा तो मानसिक शांति खुद ब खुद मिलेगी। इसलिए ही ये कहा जाता है कि यह गुस्से को शांत करने और तनाव से मुक्त रहने में मदद करती है।
Tulsi Green Tea के नुकसान
जिस चीज़ के फायदे हो उसके नुकसान भी जानना जरूरी है। तो आपको बताते है तुलसी ग्रीन टी के नुकसान
Tulsi Green Tea की ज्यादा मात्रा विषाक्त साबित हो सकती है।
Tulsi Green Tea को खून का थक्का जमाने वाली दवाइयों के साथ बिल्कुल ना ले।
हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित लोग तुलसी ग्रीन टी का ज्यादा सेवन न करे। इससे रक्त शर्करा में अत्यधिक कमी हो सकती है।
तुलसी गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय के संकुचन को एब्नॉर्मल तरीके से बढ़ा सकती है, साथ ही गर्म तासीर होने के कारण गर्भ को नुकसान पहुँचा सकती है।