सिर के पीछे दर्द क्यों होता है-Sir Ke Pichle Hisse Me Dard Ka Ilaj

सिर के पीछे दर्द

सिरदर्द एक ऐसी दिक्कत है जो आजकल बच्चो से लेकर बूढ़े लोगो तक मे देखी जाती है। सिर दर्द को बहुत ही साधारण तरीक़े से समझा और माना जाता रहा है। यूं तो सिरदर्द, माथे में, कनपटी में, पूरे सिर में कहीं भी हो सकता है। पर आज इस आर्टिकल में हम सिर के पीछे दर्द की बात करेंगे।

सिरदर्द, नींद न पूरी होने से, आंखे कमजोर होने या गलत नम्बर का चश्मा पहनने अथवा तेज शोर में रहने से भी हो सकता है। यही सिर दर्द कभी कभी बहुत गम्भीर बिमारीयो को सूचक होता है। लगातार पेन किलर्स के सहारे इसे नजरंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

सिरदर्द, सिर के किस हिस्से में हो रहा है, ये बात बहुत ही ज्यादा मायने रखती है। क्योंकि हर प्रकार की बीमारी या समस्या का सिरदर्द अलग अलग हिस्से में हो सकता है।

सिर के पिछले हिस्से में दर्द दरअसल, शुरुआत में कान के आसपास से शुरू होता हुआ फैलता है।

सिर के पिछले हिस्से में होने वाले दर्द के कारण

ऑक्सीपिटल नेयुरेल्जिया(occipital neuralgia)

ये दर्द, सिर के occipitial हिस्से अर्थात occipital नर्व्स से सम्बंधित है। occipital नर्व्स में होने वाला ये दर्द बहुत ही भयंकर होता है। ये दर्द हूल की तरह उठता है।

सिर के पिछले हिस्से से फैलता हुआ आंखों तक महसूस होने लगता है।

उपाय

  • इसका उपाय केवल न्यूरोलॉजिस्ट से उचित सलाह व फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट लेना है।

क्लस्टर सिरदर्द

क्लस्टर सिरदर्द दरअसल माइग्रेन से अलग होता है। इसका पैटर्न बहुत ही अजीब होता है। कई बार ये दिन में लगातार बना रहता है, और कई बार दिन के किसी विशेष समय पर होता है।

ये पूरे महीने में कुछ समय के अंतराल पर हो सकता है या फिर कई महीनों बाद अचानक अटैक आ सकता है।

ये दर्द सिर के किसी एक हिस्से में या फिर एक आंख के आसपास के हिस्से में इतना तेज, चुभने वाला दर्द होता है कि व्यक्ति नींद से भी जाग जाता है। ज्यादातर ये दर्द कनपटी और ललाट में होता है पर सिर के पिछले ग   हिस्से में भी ये दर्द भयानक रूप से होता है।

उपाय

  • अल्कोहल और स्मोकिंग से न करें।
  • बहुत ज्यादा गर्मी या गर्म वातावरण में ज्यादा व्यायाम करने से बचें

तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द

इस समय तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द सबसे आम है, वर्किंग लोग घण्टो वर्क लोड के , बुक्स लिए, मोबाइल लिए, गर्दन झुकाए बैठे रहते है। और नतीजा होता है सिर के पीछे होने वाला सिरदर्द। ये सिरदर्द दरअसल गर्दन और कंधों पर पड़ने वाले प्रेशर का नतीजा होता है।

तनाव
तनाव

उपाय

  • समय-समय पर आराम करते रहें
  • अपने डेस्क, कुर्सी औऱ कंप्यूटर को ठीक तरीके से व्यवस्थित करें
  • फोन पर बात करने की गलत मुद्रा से बचें
  • दिन में कई बार, 30 मिनट तक दर्द वाली जगह पर बारी-बारी बर्फ़ रखने और गर्म सिकाई करने, स्ट्रेचिंग करें
  • योगा, मैडिटेशन करें।

साइनसाइटिस

मैक्सिलरी साइनस दरअसल खोपड़ी में एक कैविटी यानी खाली जगह होती है। जब इसमे प्रदूषण, एलर्जी, अस्थमा या नाक की हड्डी बढ़ने के कारण सूजन आ जाती है तो सांस लेने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, इस दर्द का अनुभव आप सिर के पीछे, माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आस-पास महसूस कर सकते हैं।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह लें

वर्टिब्रल आर्टरी डाईसेक्शन

वर्टिब्रल आर्टरी गर्दन कि मुख्य आर्टरी होती है। जब इस आर्टरी पर किसी भी तरह को कोई दबाव पड़ता है तो भयंकर दर्द का अहसास होता है।

ये दर्द सर के पिछले हिस्से से होता हुआ जबड़ो तक आता है।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

लिम्फ नोड की सूजन

कान के पीछे के लिम्फ नोड होते है जोकि कभी कभी सूज जाते है। खोपड़ी, कान, आंख, नाक और गले के संक्रमण से लिम्फ नोड में सूजन आ सकती है। कारण हो सकते हैं. इस तरह के दर्द भी काफी कष्टदायक साबित होते हैं.

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

इसके अलावा सिर के पीछे दर्द होने के कुछ अन्य कारण है

  • दिमागी बुखार
  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
  • सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
  • ब्रेन ट्यूमर
  • कंधा जाम होना

वात रोग क्या है? जानिए कैसे करे वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग की पहचान

आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों का मुख्य कारण वात, पित्त और कफ दोष होता है। अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इन सभी तत्वों से मिलकर शरीर का निर्माण हुआ है। यदि इन सभी तत्वों के बीच असंतुलन होता है तो व्यक्ति रोगी हो सकता है। इनका असंतुलन ही वात, पित्त, कफ दोषों को जन्म देता है। आजकल की जीवनचर्या के कारण वातरोग बहुत ही सामान्य है। आज इस आर्टिकल में हम आपको वात रोग की पहचान बताएंगे।

इस आर्टिकल को पढ़कर आप जान सकेंगे कि आप कहीं वातरोग से पीड़ित तो नही।

वातरोग या वायु विकार के प्रकार

वातरोग या वायु विकार को निम्न भागो में बांटा गया है।

उदान वायु

उदान वायु कंठ में वास करती है,जैसे डकार आना। इस प्रकार में सांस लेने और बोलने में समस्या होती है। चेहरे फीका लगता है, और खांसी जैसी समस्या शामिल है

अपान वायु

बड़ी आंत से मलाशय तक, वात रोग के इस प्रकार में बड़ी आंत और किडनी से जुड़ी समस्याएं होती है।

प्राण वायु

प्राण ह्रदय के ऊपरी भाग मे, इस प्रकार में नर्वस सिस्टम और ब्रेन प्रभावित होता है।

व्यान वायु

पूरे शरीर में फैली है, वात रोग के इस प्रकार में बाल झड़ने की समस्या होती है।

समान वायु

समान वायु का स्थान अमाशय और बड़ी आंत में होता है। इस प्रकार में रोगी को निगलने में तकलीफ, आंतों से संबंधित समस्या और पोषक तत्वों के अवशोषण में परेशानी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है

आयुर्वेद के अनुसार वात का मुख्य कार्य रेस्पिरेटरी सिस्टम, हार्ट बीट्स, मसल्स एक्टिविटी, और टिश्यू के कार्यों को संतुलित रखना है।

वात रोग के कारण

वात रोग क्यों होता है। वात रोग होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • गलत लाइफस्टाइल
  • असंतुलित भोजन

कैसे करें वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग होने पर निम्न लक्षण दिखते है।

  • लगातार शरीर का कमजोर होना।
  • चेहरे पर झुर्रिया आकर चेहरे की चमक गायब होना। दुबला शरीर होना।
  • छोटी, धंसी हुई और सूखी आंखों के साथ उनमें काली और भूरी रंग की धारियों का दिखना।सूखे और फटे होंठ।
  • पतले मसूड़े और दांतों की बिगड़ी हुई स्थिति।त्वचा का रूखा, सूखा और बेजान नजर आना।
  • अनियमित भूख या भूख न लगना
  • डायजेस्टिव सिस्टम खराब होकर लगातार गैस या अपच रहना।
  • बहुत ज्यादा भावुक होना, जल्दी रोना या गुस्सा आना
  • बहुत जल्दी में निर्णय ले लेना, तारीफ सुनते ही सामने वाले के वश में हो जाना।
  • बार बार प्यास लगना, पानी पीने पर भी होंठ और त्वचा ज्यादातर सूखी रहना।
  • मौसम के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होना, गर्मी,सर्दी बर्दाश्त न कर पाना और खास तौर से रात के वक्त जोड़ा, पिंडलियों या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द बना रहता है।
  • दिमाग मे हमेशा बेचैनी रहना, घबराहट होना, सांस जल्दी फूलना, उम्र से बड़ा दिखना, नकारात्मक कल्पनाएं करना।
  • पैर के जोड़ों और हड्डियों में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा हो जाने के कारण जोड़ों, घुटनों, पैरों और मांसपेशियों में सूजन हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को उठने बैठने में काफी तकलीफ होती है और दर्द का भी अनुभव होता है।

वात रोग का नियंत्रण और उपचार

सुबह धूप में बैठे

सुबह धूप में बैठने से अर्थ यह नही की आप बेसमय और बेमौसम धूप में बैठे। गर्मियों में सुबह 6 से 7 और सर्दियों में सुबह 9 से 10 तक का समय सही है। गर्मियों में लू लगने का डर रहता है इसलिए तेज धूप में न बैठे।

सुबह धूप में बैठे
सुबह धूप में बैठे

तांबे के बर्तन का पानी

रात भर तांबे के बर्तन में पानी रखे, सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें। तांबे को शरीर की अशुद्धियों को दूर करने में सहायक माना जाता है।

यह पाचन सिस्टम को दुरुस्त कर चेहरे पर चमक लाता है। वात रोग को दूर करने में मदद मिलती है।

दालचीनी

वात रोग की पहचान होने पर दालचीनी को किसी भी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। ये वातरोग के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे चाय के रूप में या काढ़े के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

दालचीनी को अदरक और हल्दी के साथ काढ़े के रूप में बनाये, ये दोगुना फायदा करेगी।

लहसुन

यह खाने के अवशोषण में मदद करने के साथ पाचन को मजबूत करने में भी सहायता करता है। वहीं यह वात के प्रभाव को बढ़ाकर वात, पित्त और कफ के बीच के संतुलन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

लहसुन की एक कली को सुबह पानी से निगल ले। या गाय के घी में लहसुन का छोक लगाकर दाल में डालकर सेवन करें।

गोल्डन मिल्क यानी हल्दी का दूध

गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन वात दोष से संबंधित कई विकारों से बचा सकता है। दूध को गर्म करके उसमें एक चुटकी हल्दी डालकर उबाल लें। इसमें बिना मीठा डाले इसका सेवन करें।

इन बातों का रखे खास ध्यान

  • सोने जागने और खाने का सही शेड्यूल बनाए।
  • भोजन के स्वाद से ज्यादा पौष्टिकता पर ध्यान दे।
  • खाने में ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन नियंत्रित रूप से करें।
  • खुद को ज्यादा से ज्यादा गर्म रखें।
  • नियमित योगभ्यास या व्यायाम करें
  • पूरे शरीर की तिल या सरसो के तेल से मालिश करें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

वात रोग में कौन कौन से रोग होते हैं?

चरकसंंहिता के अनुसार शरीर में वायु बिगड़ जाने पर अस्सी प्रकार के रोग होते हैं जिनमें से जो आमतौर पर देखने में आते हैं वे निम्नलिखित हैं -- नाखूनों का टूटना, पैरों का सुन्न होना, पैर की पिंडलियों में ऐंठन जैसा दर्द, सियाटिका का दर्द,पेट की गैस ऊपर की ओर आना, उल्टी होना, दिल बैठने जैसा महसूस होना, ह्रदय गति में रुकावट का अनुभव, हार्ट बीट बढ़ना, छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा,भुजा से अंगुली तक मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन व जकडऩ। हाथ ऊपर न उठना। गर्दन के पीछे लघु मस्तिष्क के नीचे के हिस्से में जकडऩ व पीड़ा, होंठों में दर्द, दांतों में पीड़ा,सिरदर्द, मुँह का लकवा, कंपकंपी होना, हिचकी, नींद न आना, चित्त स्थिर न रहना।

वात रोग कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पाँच प्रकार की वायु होती हैं, शरीर में इनके निवास स्थान और अलग कामों के आधार पर इनके नाम है.. प्राण उदान समान व्यान अपान ये पांचों प्रकार की वायु में से कोई भी शरीर में असंतुलित हो जाये तो शरीर के उस हिस्से में रोग हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर्फ वात के प्रकोप से कुल 80 प्रकार के रोग होते हैं।

वात पित्त कफ कैसे पहचाने?

लक्षणों के आधार पर हम वात पित्त कफ़ को पहचान सकते हैं, जैसे.. *वात प्रकृति वाले लोगों के शरीर में रूखापन, दुबलापन, नींद की कमी, निर्णय लेने में जल्दबाजी, जल्दी क्रोधित होना व चिढ़ना, जल्दी डर जाना व अस्थिरता पाई जाती हैं। *पित्त प्रकृति के लोगों में गर्मी बर्दाश्त ना कर पाना, त्वचा पर भूरे धब्बे, बालों का जल्दी सफ़ेद होना, मांसपेशियों और हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन, पसीना, शरीर के अंगों से तेज बदबू आना सामान्य लक्षण है। *कफ प्रकृति वाले लोगों की चाल स्थिर और गंभीर होती है। भूख, प्यास और गर्मी कम लगना, पसीना कम आना, शरीर में वीर्य की अधिकता, जोड़ों में मजबूती, और गठीला शरीर होता है, कफ प्रकृति वाले लोग सुन्दर, खुशमिजाज, कोमल और गोरे रंग के होते हैं।

वात रोग को कैसे खत्म करें?

वात रोग दूर करने के लिए सबसे पहले आहार पर ध्यान दें, जो चीजें बादी करती हैं जैसे बैंगन, उड़द की दाल, फूलगोभी, उनका प्रयोग खानें में न करें, आहार में दूध (पनीर, मावा, मिठाई) व उससे बनी हुई चीजें, घी, गुड़, लहसुन, प्याज, हींग, अजवाइन, मेथी, सरसों व तिल का तेल से वात कम होता है। इसके अलावा अपनी जीवन शैली पर ध्यान दे क्योंकि वात रोग में शरीर में रूखापन रहता है इसलिए तेल की नियमित मालिश भी लाभदायी है। त्रिफला मात्र एक ऐसी औषधि है जो शरीर में वात पित्त कफ़ तीनो का संतुलन बनाता है ,इसलिए नियमित त्रिफला का सेवन करना अत्यंत लाभदायक होता है।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

सभी स्त्रियों  की कामना होती है एक सुडौल और आकर्षक स्वस्थ शरीर की जो विवाह और मातृत्व के बाद कहीँ खो सा जाता है। यूँ तो मातृत्व  भी एक अहम  दायित्व है पर इसे निभाने में अपने शरीर के प्रति सबसे ज़्यादा कोई कोताही बरतता है तो वो हैं हम स्त्रियाँ। जब ये चूक आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तो परिणाम शरीर पर जमा चर्बी के रूप में पाते हैं, यदि ये समस्या बहुत बढ़ जाये तो कमर के निचले हिस्से और पैरों को प्रभावित करती है। नतीजा…बढ़ा हुआ वज़न, पैरों में सूजन

कारण

आखिर चूक कहाँ हो जाती है हमसे? अक्सर पति और बच्चों के प्लेट में छोड़े हुए नाश्ते और भोजन को निपटा देने के बाद हम सभी अपने दैनिक कार्यों पर लग जाते हैं। कभी कभी तो हाल यह भो होता है गृहकार्य निपटाने में ,गृहणियाँ अपने नाश्ते और भोजन की अनदेखी कर जाती हैं।

फिर इकट्ठा पेट भर कर भोजन या विश्राम ,यदि कामकाजी है तो फिर दिन कुर्सी पर बैठे ही बीत जाता है। यही कुछ छोटी छोटी बातें हैं,जिन्हें हम नज़रंदाज़ करते जाते हैं और बाद में यही बातें हमारे शरीर पर जमी वसा के रूप में दिखाई पड़ती हैं।

यदि हम  किसी स्वस्थ व्यक्ति की दिनचर्या पर ध्यान दें तो पायेंगे कि इसका राज़ उनकी दिनचर्या में ही छुपा है।

पुरानी कहावत है “नाश्ता राजा की तरह ,दोपहर का भोजन राजकुमार और रात का खाना भिखारी ” की तरह ग्रहण करना चाहिये।
नाश्ता  रेशेदार फ़लों मेवों और  पौष्टिक  चीजों का होना चाहिये। वहीँ दोपहर का भोजन बेहद सन्तुलित होना चाहिये। रात का भोजन बेहद सादा ही उचित होता है।

क्योंकि सुबह हमारी जठराग्नि (पाचनशक्ति) प्रबल होती है,जो दिन बीतने के साथ मन्दी पड़ती जाती है। रात को शरीर दिन भर की टूट फूट की मरम्मत करता है  यदि रात के समय देर रात्रि भोजन किया जाता है तो यह मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को धीमा करता है और मोटापे को बढ़ा देता है।

यही है पहली गलती जो कि हम स्त्रियाँ अक्सर कर डालते हैं,यानि कि अपने नाश्ते को छोड़ देना। नाश्ते में अगर खाते भी हैं तो तला भुना,या मैदायुक्त आहार ।

जिसमें आलू ,या फिर स्टार्च बहुल पदार्थों की अधिकता होती है स्वास्थ्य वर्द्धक पदार्थों या फलों का प्रयोग बहुत कम ही किया जाता है।
दोपहर और रात का भोजन भी देर रात तक  ही खाने के कारण शरीर का उपापचय बेहद धीमा पड़ जाता है  ऊपर से ज़रूरत से ज़्यादा  आरामदायक जीवनशैली करेले पर नीम चढ़ाने का काम करती है।

अब सवाल ये उठता है कि इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं , तो प्रस्तुत हैं कुछ आसान उपाय जिन्हें घरेलू महिलाएं भी  उतनी ही आसानी से कर सकती हैं।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।

गर्म पानी

  • पानी का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये और फ्रिज़ के बजाय मटके का पानी पीना चाहिये ।
  • भोजन करने के आधे घण्टे बाद पानी पीना चाहिए,और पेट पहले सलाद और कच्ची सब्ज़ियों से भरना चाहिये और भूख से 1 रोटी कम सेवन करना चाहिए।
  • दिन की शुरुआत गर्म पानी से करनी चाहिये, ग्रीन टी और पुदीना की चाय दिन में पीनी चाहिये और चीनी के स्थान पर शहद या गुड़ का प्रयोग करना लाभदायक रहता है।

सलाद

सलाद को खाने से पहले खाना चाहिए और सलाद में भी C से शुरू होने वाली सब्जियों का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये,जैसे Cabbage, Carrot, Capsicum, Cucumber, Coriander (बन्दगोभी,गाज़र,शिमला मिर्च,खीरा और हरी धनिया)

इसके अतिरिक्त धनिया और पुदीने का प्रयोग भी करना चाहिये चटनी के रूप में स्वाद और स्वास्थ्य दोनों ही प्राप्त हो जाते हैं।

रेशेदार सब्ज़ियों

शकरकन्द भी रेशेदार सब्ज़ियों का अच्छा विकल्प है इसे खाने से पेट लम्बे समय तक भरा महसूस होता है।

पपीता एवँ अनन्नास  वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं को इससे बचना चाहिए।

मट्ठे का प्रयोग

मक्खन निकले हुए मट्ठे का प्रयोग करना चाहिये 1 कप दही में 4 से छह कप पानी मिलाने से यह लाभदायक हो जाता है।

ब्रिस्क वॉक

ब्रिस्क वॉक करना चाहिये यानि कि तेज़ टहलना इतना तेज कि पसीना आने लगे ,यह चर्बी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ और डेयरी प्रोडक्ट से बचना चाहिये उनके स्थान पर पॉपकॉर्न और भुने हुए चने और मुरमुरे का प्रयोग करना चाहिए।

दालचीनी

दालचीनी का पाउडर रात को एक गिलास पानी मे भिगोकर उसे सुबह गर्म करके सिप करके पीना चाहिये।

दालचीनी
दालचीनी

अजवायन

अजवायन का पानी भी कमर और हिप्स की चर्बी को पिघलाने में  लाभदायक सिध्द होता है।

अदरक

एक ज़ार में एक अदरक का टुकड़ा,1 छील कर पतले टुकड़े में काटा हुआ खीरा ,1 नींबू के टुकड़ें और  पुदीने की 10 से 12 पत्तियों को पानी मिलाकर रात भर रखें और सुबह सेंधा नमक डालकर पियें।

आसन

  • घर मे अनुलोम विलोम,बालासन,सेतुबन्ध व कपालभाति के साथ कुर्सी पर बैठने जैसे आसन की मुद्रा और पश्चिमोत्तासन का प्रयोग करना चाहिए।
  • सम्भव हो लिफ़्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करना चाहिये,खाना देर रात खाने से बचना चाहिये और खाने के बाद तुरंत ही सोने नहीं जाना चाहिये।

बीजों का सेवन

बीजों का सेवन जैसे 1-1 कटोरी  सभी मसालदानी मे उपलब्ध बीज जैसे धनिया,अजवायन ,मेंथी, जीरा, सौंफ़, कलौंजी और आधा कटोरी अलसी के बीजों को हल्का भून कर पीस लें और इस पाऊडर को सुबह शाम गर्म पानी से खाएँ।

हल्की फुल्की भूख

जब हल्की फुल्की भूख हो तो सूप, फलों और बीन्स को प्रयोग करना चाहिये। तरबूज और ककड़ी भी बेहतर विकल्प होते हैं। तरल पदार्थों जैसे मठा,दही ,मलाई निकला हुआ दूध और सूप का प्रयोग बढ़ा कर कोल्डड्रिंक बन्द कर देना चाहिए ।

जानिए क्या है बी पी लो होने का कारण-BP Low Hone Ke Karan

BP Low Hone Ke Karan

बी पी या ब्लड प्रेशर क्या होता है

हमारे शरीर मे बहने वाला रक्त, रक्त वाहिनियों पर दबाव डालता है। यह दबाव कितना होगा यह व्यक्ति की शारिरिक स्थिति जैसे कोई बीमारी, मोटापा, उम्र और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।

यह  दबाव सामान्य से कम या अधिक हो जाता तब उसे लो बी पी या हाई बी पी कहा जाता है।

सामान्य बी पी दर क्या होती है-BP Kitna Hona Chahiye

उम्र के अनुसार बी पी की दर

15 से 18 साल                     पुरुष – 117-77mmHg                महिला- 120-85mmHg
19 से 24 साल                     पुरुष ,महिला -120-79mmHg
25 से 29 साल                     पुरुष, महिला- 120-80mmHG
30 से 39 साल                     पुरुष-122-81mmHg                 महिला- 123-82mmHg
40 से 45 साल                     पुरुष-124-83mmHg                 महिला-125-83mmHg
46 से 49 साल                     पुरुष 126-84mmHg                 महिला 127-84mmHg
50 से 55                            पुरुष- 128-85mmHg                महिला 129-85mmHg
60 साल से अधिक                पुरुष- 131-87mmHg               महिला- 130-86mmHg

बी पी लो क्या होता है।

लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप को हाइपोटेंशन भी कहा जाता है. जब किसी भी इंसान का ब्लड प्रेशर 90/60 से नीचे चला जाता है, तो इस अवस्था को लो बीपी या हाइपोटेंशन कहते है।

ब्लड प्रेशर कम होना मतलब रक्त के साथ ऑक्सीजन का बहाव कम होना। ऑक्सीजन ही हमारी जीवनदायिनी शक्ति है। अब आप सोच सकते है यदि जीवनदायिनी शक्ति ही मुख्य अंगों तक सही से ना पहुचे तो स्थिति कितनी खतरनाक है।

बी पी लो होने के कारण-BP Low Hone Ke Karan

डीहाइड्रेशन

डीहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी, शरीर मे पानी की कमी कई कारणों से हो सकती है, जैसे उल्टी, डायरिया, हैवी वर्कआउट, तेज धूप या गर्मी में लंबा समय बिताना,लू लगना आदि।

इन सब कारणों से शरीर मे पानी हो जाती है, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।

डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन

ज्यादा खून बहना

ज्यादा खून बहने से भी रक्तचाप कम हो सकता है। अचानक कोई बड़ी दुर्घटना, डिलीवरी के दौरान तीव्र रक्तस्राव, या किसी अन्य आपरेशन के दौरान रक्त का बहाव हो सकता है।

दिल से सम्बंधित बीमारियां

ऐसे लोग जिनका दिल कमजोर होता है, वो लो बी पी के ज्यादा शिकार होते है। क्योंकि दिल की कमजोर मांसपेशियों से दिल की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और दिल कम मात्रा में खून को पंप कर पाता है। इससे आप समझ सकते है कि यदि हार्ट प्रॉब्लम के साथ लो बी पी की समस्या भी हो तो, हार्ट अटैक और दिल में इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। हार्ट आर्टरीज के ब्लॉक होने, पर भी लो बी पी होता है।

गंभीर इन्फेक्शन

किसी भी प्रकार का गंभीर इन्फेक्शन लो बी पी होने का बहुत बड़ा कारण है। इसका कारण होता है, इन्फेक्शन का खून में प्रवेश कर जाना।

पोषक तत्वों की कमी

आयरन, विटामिन बी-12 , और कुछ अन्य पोषक तत्वों की कमी से शरीर मे रेड ब्लड सेल्स में कमी आ सकती है।जिससे रक्तचाप कम हो जाता है।

एन्डोक्राइन ग्रंथि से जुड़ी समस्या

एन्डोक्राइन ग्रंथि से हार्मोन के कम स्राव के कारण थाइरॉएड, डायबिटीज या इस तरह की अन्य कई बीमारियां होती हैं। उपचार में लापरवाही करने से कई बार रक्तचाप औसत से कम हो जाता है।

लो बी पी को ठीक करने के घरेलू उपाय

  • रात को 7 से 8 किशमिश भिगो दें। खाली पेट सुबह चबा चबा कर खाएं।
  • देसी चने रात को भिगो दें सुबह चबा चबा कर खाए, यदि आपको गैस की दिक्कत है तो मात्र कम रखे, और एक दिन का गैप रखे।
  • कुछ सूप आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है, जैसे गाजर, टमाटर, पालक, चुकंदर का सूप। सूप में भुना जीरा और काला नमक डालें।
  • छाछ में नमक, भुना हुआ जीरा और हींग मिलाकर सेवन करें।
  • सुबह आंवले के मुरब्बे का सेवन करें।
  • इंस्टेंट रिलीफ के लिए कॉफी का सेवन करें।
  • रात को गुनगुने दूध के साथ खजूर का सेवन करें।
  • अदरक के छोटे-छोटे करके, उनमें नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर रख दें। अब इसे प्रतिदिन भोजन से पहले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाते रहें। दिनभर में 3 से 4 बार भी इसका सेवन आप कर सकते हैं।
  • समय से खाएं खाना
  • तुलसी का सेवन करें
  • बादाम और बादाम के दूध का सेवन करें

बी पी के लिए लाभदायक मुद्रा

इस मुद्रा को आप कभी भी प्रयोग कर सकते है। इसके लिए दोनों हाथों की तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा उंगलियों से मुट्ठी बनाएं और दोनों हाथों के अंगूठों के अग्रभाग को आपस में मिलाएं। हथेलियों की दिशा नीचे की ओर रहे। रोजाना धीमी-लंबी-गहरी सांस के साथ 15 से 45 मिनट तक करें।

कब और कितना खाएं चुकंदर ताकि ना हो ये चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर या बीटरूट जिसको देखकर ही अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना की जा सकती है, सलाद हो या सूप चुकंदर को खाने के कई फायदे हमने सुने है। आयुर्वेद के अनुसार चुकंदर को खाने से बहुत से फायदे होते हैं। खून की कमी होने पर ​​हीमोग्लोबिन बढ़ाने में करता है। ​कैंसर से बचाता है, त्वचा को ग्लो देता है। रक्तचाप को कंट्रोल करता है, बालो को मुलायम बनाता है। लेकिन अगर आप सोचते है कि सुंदर और स्वस्थ्य दिखने के लिए आप ज्यादा सेवन करेंगे तो ये गलत है। अति हर चीज़ की नुकसान करती है, इसी प्रकार चुकंदर या बीट रुट के जरूरत से ज्यादा सेवन करना भी खतरनाक है। आज इस आर्टिकल में हम आपको चुकंदर खाने के नुकसान बताएंगे। इससे आप भली प्रकार समझ सकेंगे कि चुंकदर कब और कितनी मात्रा में खाना हैं।

चुकंदर खाने के नुकसान

किडनी स्टोन

किडनी स्टोन चुंकदर के ज्यादा सेवन का सबसे महत्वपूर्ण दुष्परिणाम होता है। ऐसे लोग जो पहले ही किडनी की किसी बीमारी ग्रसित हो चुकंदर का सेवन बिल्कुल न करे।

दरअसल चुकंदर में ऑक्सलेट साधारण से ज्यादा मात्रा में होता है, ऑक्सलेट की ज्यादा मात्रा ही किडनी में स्टोन बनने का मुख्य कारण है।

शौच से सम्बंधित समस्या

चुंकदर का सेवन ज्यादा करने से यूरिन और स्टूल का रंग भी लाल या गुलाबी रंग का हो जाता है। वैसे तो ये कोई खतरनाक स्थिति नही होती, लेकिन मल मूत्र का खून के रंग में आना मानसिक तौर पर बहुत ही उलझन पूर्ण होता है।

इस स्थिति को बीटूरिया कहते हैं। चुकंदर में शामिल बीटानिन तत्व ही इस रंग का कारण होता है। यदि आप इस समस्या से जूझ रहे है तो चुकंदर का सेवन तुरन्त बन्द कर दे।

48 से 50 घण्टे के भीतर गुलाबी या लाल मल मूत्र की समस्या समाप्त हो जाएगी। यदि 50 घण्टे के बाद भी स्थिति जस की तस बनी रहे तो डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करे।

निम्न रक्तचाप

यदि आप उच्च रक्तचाप से ग्रसित है तो चुकंदर आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन यदि आप निम्न रक्तचाप से पीड़ित है तो चुकंदर का ज्यादा सेवन बिल्कुल न करे।

खासकर यदि आप लो ब्लड प्रेशर के लिए कोई दवाई ले रहे है। निम्न रक्तचाप होने से रोजमर्रा के कार्य अव्यवस्थित हो जाते है।

निम्न रक्तचाप
निम्न रक्तचाप

पाचन क्षमता पर बुरा असर

बीटरूट जूस का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा आप चुकन्दर का सेवन धीरे धीरे कम मात्रा में करे।

यदि आप इसे सलाद के रूप में ले रहे है तो साथ मे दूसरे पदार्थ भी सलाद के रूप में ले। यदि आप जूस के रूप में ले रहे है तो कुछ मात्रा में दूसरी सब्जियों का जूस भी मिक्स करें।

मधुमेह में नुकसानदायक

100 ग्राम चुकंदर में लगभग 7 ग्राम शुगर होती है। यदि आप नियमित तौर पर इसका सेवन कर रहे है, तो आपका सुगर लेवल बढ़ सकता हैं।
खासतौर पर यदि आप अन्य मीठी चीज़ों का सेवन भी कर रहे है तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि इसे अन्य खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित कर लें।

चुकंदर खाने के अन्य नुकसान

  • चुकंदर फाइबर से भरपूर होता है। यदि आप सोचते है कि फाइबर की अधिक मात्रा पेट के लिए सही है तो आप गलत हैं। चुंकदर के रूप में अधिक मात्रा में फाइबर के सेवन से मितली,  दस्त और कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • चुकंदर के ज्यादा सेवन से शरीर में कैल्शियम का लेवल कम हो सकता है। कैल्शियम हड्डियों का मुख्य तत्व है, इसका लेवल कम होने से हड्ड‍ियों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • कुछ लोगों को बीटरूट से एलर्जी हो सकती है। इससे अर्टिकेरिया (त्वचा पर लाल, खुजलीदार और जलनशील चक्कते), सांस लेने में तकलीफ और आंखों व नाक में समस्या हो सकती है
  • चुकंदर के अधिक सेवन से लिवर में मेटल जमा हो सकता है। यह पोर्फिरीया कटानिया टार्डा (खून की बीमारी जो त्वचा को प्रभावित करती है), आयरन की कमी या पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।

चुकंदर का कितना सेवन सही रहेगा

वैसे तो चुंकदर की सेवन मात्रा प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है फिर भी साधारण: एक बार में आठ औंस और सप्ताह में तीन बार से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

अर्थात एक बार मे दो चुकंदर का जूस काफी होता है। यदि आप किसी बीमारी जैसे खून की कमी के लिए इसका सेवन कर रहे है तो, बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई बन्द न करें।

आशा है आप चुकंदर खाने के नुकसान अच्छे से समझ गए होंगे और अपनी सेहत और सहूलियत के अनुसार ही इसका सेवन करेंगे।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

शादी के बाद कौन मां नहीं बनना चाहता लेकिन कई बार ये प्रेग्नेंसी अनचाही हो जाती है तो परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में कई बार महिला गर्भधारण को खत्म करने के घरेलू उपायों से गर्भपात कराने के बारे में सोचती है। गर्भपात का अर्थ है गर्भवती होने के 24 सप्ताह के भीतर गर्भ में भ्रूण का विनाश। यदि गर्भपात गर्भवती होने के 12 सप्ताह के भीतर हो जाता है, तो इसे प्रारंभिक गर्भपात कहा जाता है।

यदि गर्भावस्था के पहले या दूसरे सप्ताह में रक्तस्राव होता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आपका गर्भपात हो गया है। लेकिन इस स्थिति में भी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा अबॉर्शन पिल्स भी आजकल उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल दो महीने तक की प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है।

लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था को तीन महीने हो गए हैं, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार से गुजरना होगा। ऐसे में अगर आप घरेलू नुस्खे अपनाती हैं तो ब्लीडिंग होती है, लेकिन सही तरीके से गर्भपात न होने के कारण अधूरे गर्भपात का मतलब यह हो सकता है कि आपके गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह गए हैं, जो बाद में आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। आज हम आपको बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे बताएंगे, जिनकी मदद से आप 1 महीने तक गर्भपात करवा सकते हैं।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

लहसुन-गर्भपात के घरेलु उपाय

लहसुन हर किसी की रसोई में शामिल होता है, इसमें ‘एलिसिन’ नामक तत्व होता है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्त संचार बढ़ाता है। लहसुन से गर्भपात के लिए किसी भी तरह से अधिक मात्रा में इसका सेवन करें।

लहसुन
लहसुन

बबूल के पत्ते – गर्भ गिराने के उपाय

अगर 1 महीने से 15 दिन का गर्भ है तो उसके लिए बबूल के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। इस पानी को दिन में चार से पांच बार तब तक पिएं जब तक आपको ब्लीडिंग न होने लगे।

अजवाइन से गर्भपात

अजवायन का असर बहुत ही गर्म माना जाता है, आप इसका इस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं कि गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में रोजाना आधा चम्मच अजवायन लें, या फिर इसे एक गिलास पानी में उबालकर पी लें।

इलायची से गर्भ कैसे गिराए

इलायची के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें, एक चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार लें और रक्तस्राव बंद होने तक रखें।

गर्भ धारण करने के घरेलू उपाय के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर और 5 इलायची को उबालकर एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें, छानकर रख लें। दिन में तीन बार 50 मिलीलीटर पिएं।

तुलसी का काढ़ा

तुलसी का प्रभाव भी बहुत गर्म होता है, तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या इसका काढ़ा बनाकर पीएं, दोनों तरह से यह गर्भपात में सहायक है।

अनानास का रस-गर्भपात के घरेलु नुस्खे

अनानस गर्भवती महिलाओं से दूर रखा जाता है क्योंकि अनानास में बड़ी मात्रा में विटामिन सी, एंजाइम और रसायन होते हैं, जो गर्भपात का कारण बनते हैं। इसमें ब्रोमेलैन की उपस्थिति के कारण गर्भाशय की दीवार नरम हो जाती है। इसलिए अगर शुरुआती हफ्तों में इसका इस्तेमाल किया जाए तो गर्भपात आसानी से किया जा सकता है।

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

पपीते को एक गर्म फल भी माना जाता है, इसका इस्तेमाल ज्यादातर महिलाएं अबॉर्शन के लिए करती हैं। क्योंकि पपीते में मौजूद फाइटोकेमिकल्स प्रोजेस्टेरोन गतिविधि में हस्तक्षेप कर सकते हैं। जो गर्भपात का कारण बनता है।

विटामिन सी फूड्स

घर पर गर्भपात कराने के लिए आपको विटामिन सी युक्त फलों का भरपूर सेवन करना चाहिए।

गर्भपात के लिए घरेलू उपचार अपनाते समय यदि अधिक रक्तस्राव, पेट में दर्द, बुखार, कमजोरी जैसे लक्षण लंबे समय तक दिखाई दें तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एस्पिरिन टैबलेट

मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध एस्पिरिन की गोली लें, इस टैबलेट को रोजाना 6 से 8 खुराक में लें। टेबलेट लेने के साथ-साथ अन्य घरेलू उपचार भी करते रहें।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

थायराइड का रामबाण इलाज है ये घरेलु उपाय | Thyroid Ke Gharelu Upay

थायराइड का घरेलु इलाज

थायराइड हमारे गले में आगे की तरफ पाए जाने वाली तितली के आकार की ग्रंथि होती है। यह ग्रंथि हमारे शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करती है। यह हमारे भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। थायराइड ग्रंथि हार्मोंन का निर्माण करती है। इन हार्मोंस के असंतुलित हो जाने के कारण ही शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है, जब ऐसा होता है तो उसे थायराइड की समस्या कहते हैं। पुरुषो की अपेक्षा महिलाओ मे थायराइड की समस्या ज्यादा होती है। नीचे थायराइड की समस्या से निजात पाने के कुछ घरेलू उपचार बताऐ गए है जो थायराइड का रामबाण इलाज है, इस प्रकार है।

थायराइड का रामबाण इलाज-Thyroid Ke Gharelu Upay

थायराइड का घरेलू उपचार है सेब का सिरका-Thyroid Ke Upay

सेब के सिरके को शहद और पानी मे मिलाकर ले सकते है। यह हार्मोन के संतुलित उत्पादन में मदद करता है। शरीर के वसा को रेग्युलेट करने, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायक है।

मुलेठी-Thyroid Ke Gharelu Upay

थायराइड के मरीज जल्दी थक जाते है इसलिए थाइराइड के मरीजों को मुलेठी का सेवन करना बहुत लाभदायक होता है। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।

लौकी का जूस-Thyroid Ka Ilaaj

थायराइड की बीमारी से अगर आप छुटकारा पाना चाहते है तो रोज सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिए, रोजाना ऐसा करने जल्दी ही आपकी थायराइड की बीमारी ठीक हो जायेगी।

बादाम-Gharelu Nuskhe For Thyroid

थायराइड के मरीजो के लिए बादाम सबसे उपयुक्त हैं। यह प्रोटीन, फाइबर और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। बादाम में सेलेनियम होता है जो थायराइड हेल्दी न्यूट्रिएंट है। यह मैग्नीशियम में भी बहुत समृद्ध है जो थायरायड ग्रंथि को आराम से काम करने में मदद कर सकता है। रोजाना बादाम का सेवन करे।

बादाम
बादाम

दूध और इससे बने पदार्थ-Thyroid Ke Upay

दूध, पनीर और दही थायराइड के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं जो लोग थायराइड की समस्या से ग्रसित है उन्हे दही और दूध का सेवन अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स थायराइड से ग्रसित लोगों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं। ये आयोडीन में हाई होते हैं जो थायराइड के सही तरह से काम के लिए आवश्यक है।

रोजमेरी एसेंशियल आयल-Thyroid Ke Gharelu Upay

रोजमेरी तेल की तीन-चार बूंदें को एक चम्मच नारियल तेल में मिक्स कर दें। अब इस तेल को थायराइड के एक्यूप्रेशर पॉइंट पर लगाएं। ये पॉइंट गले, टांग के निचले हिस्से और पैर के नीचे होते हैं। इन पॉइंट्स पर करीब दो मिनट तक मालिश करें। रोजमेरी  हायपरथायरॉडिज्म के लिए लाभकारी हो सकता है।

थायराइड का रामबाण इलाज है हल्दी-Thyroid Ka Ilaaj

हल्दी का सेवन और साथ ही आयोडीन युक्त नमक का उपयोग किया जाए, तो गॉइटर की समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है हल्दी का उपयोग खाना बनाने के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधि की तरह भी किया जा सकता है। इसका उपयोग थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार करने के तौर पर भी किया जा सकता है। इसमें मौजूद इंटीइंफ्लेमेटरी गुण के कारण यह थाइराइड की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।

सेज की चाय-Gharelu Nuskhe For Thyroid

सेज की पत्तिया इसे तेजपत्ता भी कहा जाता है।एक पैन में पानी डालकर उसे गर्म करने के लिए रखें। जब पानी उबलने लगे, तो उसे गैस से उतार लें। अब इसमें ताजा या सूखे दो चम्मच सेज की पत्तियों को डालकर पांच से दस मिनट के लिए छोड़ दें। अब इस मिश्रण को छानकर एक कप में डाल लें, ताकि सेज के पत्ते अलग हो जाएं। फिर इस मिश्रण में स्वाद के लिए नींबू और शहद को मिक्स करके सेवन करें।

लहसुन-Thyroid Ka Desi Ilaj

रोज सुबह लहसुन की एक या दो कलियों का सेवन किया जा सकता है। अगर लहसुन खाने का मन नहीं करता है, तो लहसुन को सब्जी में उपयोग करके खा सकते हैं। स्वास्थ्य के लिए लहसुन के कई फायदे हैं और थाइराइड भी उन्हीं में से एक है।

अदरक-Thyroid Ke Upay

सबसे पहले अदरक को बारीक टुकड़ों में काट लें। इसके बाद पानी को गर्म करें और अदरक के टुकड़े उसमें डाल दें। अब पानी को हल्का गर्म होने के लिए रख दें। फिर उसमें शहद डालकर मिक्स करें और चाय की तरह पिऐ। अदरक को ऐसे ही साबुत चबाकर भी खाया जा सकता है।

अदरक थायराइड के सही तरह से काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण घरेलू उपाय हो सकता है।

अलसी-Thyroid Ke Gharelu Upay

एक चम्मच अलसी के पाउडर को पानी या फिर फलों के रस में डालें। अब इसे अच्छी तरह मिक्स करें और पिएं। इस मिश्रण को प्रतिदिन एक से दो बार पी सकते है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है और जो हायपोथायरॉडिज्म के जोखिम से बचाव चाहते हैं, वो इसका सेवन कर सकते हैं।

तुलसी-Thyroid Ka Ilaaj

एक पैन में पानी को उबाले फिर इसमें तुलसी के आठ दस पत्ते,  एक टूकड़ा अदरक कद्दूकस करके डाले और एक या दो इलायची को डालकर लगभग 10 मिनट तक उबाले। अब चाय को छानकर इसमें शहद या चीनी और नींबू के रस को डालकर गर्मा-गर्म पिएं।

अगर किसी को तुलसी की चाय नहीं पसंद, तो सिर्फ तुलसी के पत्तों का भी सेवन किया जा सकता है। इसमें एंटी-थायराइड गुण मौजूद होते हैं और इसी आधार पर थायराइड के इलाज के लिए तुलसी का सेवन करने का सुझाव दिया जा सकता है

 नारियल तेल-Thyroid Ke Upay

रोज एक गिलास पानी में नारियल तेल मिलाकर सेवन कर सकते हैं। अगर ऐसे नहीं पसंद, तो नारियल के तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए कर सकते हैं। थायराइड रोग का उपचार करने के लिए नारियल तेल अच्छा उपाय साबित हो सकता है। यह थायरायड ग्रंथि को सही तरीके से काम करने में मदद करता है।

साबुत धनिये का उपयोग-Gharelu Nuskhe For Thyroid

एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिये को रातभर भिगोकर रख दे, सुबह इसे मसलकर उबाल लें। जब पानी चौथाई भाग उबल कर रह जाये तो इसे खाली पेट पी लें, और साथ मे गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें। ऐसा लगातार करने से थायरायड की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

सिर में खुजली होने लक्षण और सिर में खुजली के उपाय-Khujli Ke Upay

सिर में खुजली

दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको सिर में खुजली के कारण तथा खुजली के घरेलू उपाय क्या है। आपको यह भी बताएंगे कि यह समस्या क्यों उत्पन्न होती है।

यह हमेशा देखा गया है कि सिर में खुजली की कई वजह हो सकती है क्योंकि हमारा दैनिक जीवन अथवा दैनिक खानपान पर यह समस्या निर्भर करती है। दोस्तों सिर में खुजली होना एक आम बात है तथा इससे ज्यादा भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह एक आम बीमारी भी हो सकती है या किसी अन्य परजीवी का आक्रमण भी हो सकता है।

फिर भी हमारी कुछ असावधानी के वजह से यह समस्या एक विकराल रूप धारण कर सकती है। अगर इसका समय पर निवारण नहीं किया गया तो यह हमारे दैनिक जीवन पर भी असर डाल सकती है। इस लेख के माध्यम से हम आपको विस्तृत जानकारी देंगे।

क्या है सिर की खुजली

यह एक प्रकार की कष्टदायक खुजली होती है, जिससे आपको खुजली करने की इच्छा होती है साथ ही इससे बार-बार सिर में खुजली करने पर सूजन भी हो सकती है। इसका एक यह भी कारण है कि जब हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो हमारी कोशिका है मरने लगती है और वह बालों के बीच में फस कर सिर में ही रह जाती है।

जिससे विभिन्न प्रकार के फंगस तथा रिंग वार्म भी लग जाते हैं जिससे हमारे सिर में खुजली होना चालू हो जाती है। यह एक चर्म रोग के दायरे में आने वाली समस्या है। इस रोग अथवा समस्या का समाधान आपके आस पास के अस्पताल में आसानी से हो जाता है तथा कुछ कम खुजली होने पर इसका उपचार अपने घर में ही कर सकते हैं।

सिर की खुजली
सिर की खुजली

सिर में खुजली होने के लक्षण

दोस्तों सिर में खुजली होना एक आम बात है। इसे ज्यादा गंभीरता से लेना उचित नहीं होता है। लेकिन कभी-कभी जब हमें इसका मुख्य कारण पता नहीं होता है तो यह एक कष्टदायक समस्या बन सकती है।

जब यह समस्या बढ़ने लगती है तो इसके लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होने लगते हैं। इन लक्षणों को पहचानना बड़ा आसान होता है लेकिन आम खुजली हो तो इसे आसानी से पहचान सकते हैं परंतु जब किसी अन्य परजीवी अथवा फंगस अथवा रिंगवर्म का आक्रमण होता है तो तब इनके लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि सूक्ष्म जीवी होते हैं तो इनके लक्षण भी विशेष प्रकार के होते हैं।

आइए जानते हैं किस तरह के यह लक्षण प्रकट करते हैं।

  • जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ने लगती है वैसे वैसे हमारे बालों का झड़ना चालू हो जाता है और हम गंजे हो जाते हैं।
  • सिर में रूखी त्वचा उत्पन्न होने लगती है सिर में एक सफेद रंग की पपड़ी जमने लगती है।
  • अगर समस्या ज्यादा हो गई हो तो सिर में घाव भी बनना चालू हो जाते हैं।
  • जब समस्या का दायरा बढ़ जाता है तो हल्का बुखार तथा त्वचा में जलन होने लगती है।

सिर में खुजली होने के कारण

दोस्तों सिर में खुजली कई कारणों से हो सकती है जिनमें से कुछ को पहचानना बिना डॉक्टर के कठिन होता है तथा कुछ को आप आसानी से पहचान सकते हैं जो इस प्रकार है।

  • सिर में खुजली होने का सबसे पहला कारण है डैंड्रफ।
  • अस्थमा और फीवर जैसी एलर्जी एक मुख्य कारण है।
  • सिर में खुजली का एक और कारण तनाव भी है।
  • नींद की कमी के कारण भी सिर में खुजली हो सकती है।
  • बालों में ठीक तरह से तेल नहीं लगाना।
  • खुजली ठंड के मौसम में अथवा शुष्क मौसम में अधिक उत्पन्न होती है।
  • लोगों को अधिक पसीना यह भी एक मुख्य कारण में से एक है।
  • फंगस तथा रिंग वर्म का संक्रमण कारण से हो सकती है।

सिर में खुजली रोकने के घरेलू उपाय-Khujli Ke Upay

नींबू के रस

नींबू के रस को आप अपने सिर में 10 से 15 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दे और फिर इसे पानी से धोकर सुखा लें आप ऐसा एक से दो बार करें तो आपको इस समस्या से निजात मिल सकती है।

प्याज का रस

प्याज का रस भी यह समस्या को मिटाने में कारगर साबित होता है। इसको आप कम से कम 15 मिनट के लिए अपने सिर पर लगाकर छोड़ दे इसके बाद आपको पानी से धोकर बालों को सुखा लेना है इससे आपकी समस्या कम हो जाएंगे।

गेंदे का फूल

गेंदे का फूल भी एक एंटीबैक्टीरियल गुण रखता है इसका उपयोग करके आप अपने सर की खुजली को मिटा सकते हैं।

दही

दही एक महत्वपूर्ण खुजली नाशक औषधि के रूप में काम करता है क्योंकि यहां खट्टा होता है जिसके वजह से सर में जमी हुई सफेद पपड़ी अथवा डैंड्रफ को आसानी से यहां निकाल देता है।

मेथी के फायदे बालों के लिए | Methi Ke Fayde Balo Ke Liye

मेथी के फायदे बालों के लिए

आज के समय में बालों की समस्याओं जैसे की बालों का झड़ना, बालों का सफ़ेद होना, गंजापन, सिर में खुजली और डैंड्रफ आदि से ज्यादात्तर लोग परेशान है। लोग इसके लिए बहुत से उपाय करते है। महंगे से महंगे तेल भी खरीदते है, बड़े बड़े सलून और डॉक्टर्स के चक्कर लगाते है पर ये सब इलाज भी कुछ काम नहीं आते।

ऐसे में आप ही के रसोई घर में उपलब्ध एक छोटी सी चीज बालो के लिए वरदान साबित हो सकती है। ये छोटी सी चीज है मेथी दाना या मेथरे। मेथी जितनी ज्यादा शरीर के लिए अच्छी होती है उतनी ही बालों के लिए भी। मेथी के फायदे बालों के लिए कई है। बालों पर मेथी लगाने से बाल मजबूत और घने होते है। इतना ही नहीं मेथी बालों को झड़ने से भी बचाती है।

मेथी क्या है?

मेथी एक प्रकार की हरी सब्जी है जिसे कई तरह से अपने खाने में शामिल किया जाता है। मेथी कई तरह से इस्तेमाल की जाती है। यह हरी सब्जी के रूप मे काम मे ली जाती है। इसे सूखा कर मसालों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं मेथी के दानो को भी साबुत मसालों की तरह ही सब्जी पकाने में उपयोग किया जाता है।

मेथी दाना या मेथरे को बहुत से घरेलू नुस्खों में इस्तेमाल किया जाता है। मेथी के कई फायदे है जैसे की इसके सेवन से रक्तचाप सामान्य रहता है। मेथी वजन घटाने में भी मदतगार है। मेथी का सेवन करने से त्वचा और बालो को भी कई लाभ मिलते है। आज इस लेख में हम जानेगे क्या है मेथी के फायदे बालों के लिए।

मेथी के बीज
मेथी के बीज

मेथी के फायदे बालों के लिए | Methi Ke Fayde Balo Ke Liye

बालों के लिए मेथी एक वरदान है। मेथी के उपयोग से बालों को बहुत से फायदे होते है। चलिये जानते है मेथी के फायदे बालों के लिए।

  • मेथी के उपयोग से बालों को घना किया जा सकता है।
  • मेथी के इस्तेमाल से सफ़ेद बालों से छुटकारा मिल जाता है।
  • मेथी बालों को बढ़ाने मे मदद करती है।
  • मेथी के उपयोग से बालों को प्रोटीन व निकोटिनिक एसिड के प्रचुर मात्रा मिल जाती है।
  • मेथी बालों को झड़ने से बचाता है।
  • मेथी का उपयोग करने से बाल कम टूटते है।
  • मेथी के दाने का उपयोग करने से बालों को मुलायम बनाया जा सकता है।
  • मेथी के इस्तेमाल से बालों मे चमक आती है।

बालों के फायदे के लिए मेथी कैसे काम मे ले-Methi Dana For Hair In Hindi

बालों के फायदे के लिए मेथी को आप अलग अलग तरीको से काम मे ले सकते है। चलिये जानते है कैसे मेथी को काम मे कैसे लेना चाहिए।

मेथी हेयर पैक

  • रात मे पहले गुनगुने पानी मे मेथी के दाने डाल कर भीगने के छोड़ दे।
  • अगले दिन भीगी हुई मेथी का पेस्ट बना लेना है।
  •  अब इस पेस्ट को बालों पर इसके साथ जड़ तक लगाना है।
  • अब बालों को 30 मिनट तक छोड़ दे।
  • 30 मिनट बाद मे बालों को अच्छे से धो ले।

कोकोनेट मिल्क एंड मेथी हेयर पैक

बालों को मजबूत व मुलायम बनाने के लिए आप मेथी को नारियल के दूध व नींबू के साथ मेथी काम मे ले सकते है। यह आपके बालों के लिए फायदेमंद रहेगा।

  • सबसे पहले रात मे गुनगुने पानी मे रात मे दो चम्मच मेथी के दाने भिगोने के लिए छोड़ दे।
  • सुबह तक मेथी पेस्ट के तरह बन जाएगी इससे अच्छे से पेस्ट कर ले।
  • इस पेस्ट मे एक चम्मच नीबू का रस व कोकोनेट मिल्क मिला ले।
  • इससे बालों मे अच्छे लगा कर 20 मिनट तक सूखने के छोड़ दे।
  • अब एक बार बालों की मालिश कर ले बाद मे इसे शैम्पू से धो ले।

क्या है ग्रीन टी पीने के फायदे और नुकसान-Tulsi Green Tea Benefits In Hindi

Tulsi Green Tea Benefits In Hindi

भारत मे तुलसी पौधे की पवित्रता, महत्व और गुणों के बारे में आप सब जानते ही है। भारत में एक पवित्र पौधे के रूप में तुलसी की पूजा की जाती है जो चिकित्सीय शक्तियों के रूप में जाना जाता है। ज्यादातर घरों में इसे रोपा जाता है। Tulsi Green Tea Benefits जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि तुलसी ग्रीन टी में कौन से लाभदायक तत्व होते है।

तुलसी की चाय में पाए जाने वाले पोषक तत्व

  • बी CARYOPHYLLENE
  • एस्कॉर्बिक एसिड
  • कैरोटेन (विटामिन ए)
  • रोजमरारी एसिड
  • यूआरएसओएलआईसीआई एसिड
  • APIGENIN
  • सेलेनियम
  • जस्ता
  • मैंगनीज

क्यों है Tulsi Green Tea चाय कॉफी से बेहतर

  • तुलसी ग्रीन टी में आर्टिफिशल मिठास नही होती
  • तुलसी ग्रीन टी में कोलेस्ट्रॉल नही होता
  • तुलसी ग्रीन टी में सैचुरेटेड फैट नही होता
  • ये टी कैफीन से मुक्त होती है
  • तुलसी ग्रीन टी में फाइबर, कैल्सियम, आयरन की मात्रा पाई जाती है।तुलसी ग्रीन टी
    तुलसी ग्रीन टी
    तुलसी ग्रीन टी

Green Tea Ke Fayde-Tulsi Green Tea Benefits In Hindi

तुलसी ग्रीन टी का सेवन आप रोज कर सकते है लेकिन उसे सही तरीके से बनाना चाहिए। तुलसी ग्रीन टी लेने का सबका उद्देश्य अलग अलग होता है, कुछ लोग वजन कम करने के लिए तुलसी ग्रीन टी पीते हैं जबकि दूसरे इसके एंटीऑक्सिडेंट और अन्य स्वास्थ्य लाभों की वजह से लेते हैं।

रिसर्च बताती है कि ग्रीन टी में फैट और प्रोटीन जैसे मैक्रो पोषक तत्वों का अवशोषण कम होता है। इसलिए भोजन और तुलसी ग्रीन टी के बीच मे कम से कम दो घण्टो का गैप हो।

  • तुलसी ग्रीन टी शरीर की चयापचय को बढ़ाकर और फैट के अवशोषण को रोक देती है। इसलिए ज्यादा फायदे के लिए बहुत से लोग दिन में तीन से पांच कप तुलसी ग्रीन टी पीने लगते है। यूँ तो आप तुलसी ग्रीन टी कितनी बार भी ले सकते है फिर भी इसके सेवन को एक कंट्रोल में रहकर करे।
  • Tulsi ग्रीन टी को यदि हल्दी के साथ लिया जाए तो गले और छाती से सम्बंधित समस्याओं को दूर करती है।
  • तुलसी ग्रीन टी शरीर मे बनने वाले एसिड के स्तर को कम कर बैलेंस करता है, जिससे एसिडिटी की समस्या दूर होती है।
  • तुलसी ग्रीन टी में phytonutrients जैसे पोषक तत्व होते है जिससे ब्रेस्‍ट कैंसर और प्रो-स्‍टेट कैंसर जैसे रोगों को शरीर में पनपने नहीं देता।
  • Tulsi ग्रीन टी तुलसी की चाय पीने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। तुलसी की चाय में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण अस्थमा से बचाता है।
  • Tulsi Green Tea में होते है एंटीऑक्सिडेंट्स और प्राकृतिक फिटोकेमिकल्स, ये तत्व स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होते है।
  • मुख्य रूप से Tulsi Green Tea इम्युनिटी सिस्टम, रेस्पिरेटरी सिस्टम, डायजेस्टिव और नर्वस सिस्टम की बेहतरी का काम करता है।
  • इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टी, और इम्युनिटी डवलप करने वाले गुणों के कारण ये सर्दी ज़ुकाम, खाँसी, बाहरी इन्फेक्शन, फ्लू में सुधार करती है।
  • Tulsi green tea भूख को बढ़ाती है, पाचन को बढ़ाती है। और जब आपको खुलकर भूख लगेगी और पाचन सही रहेगा तो मानसिक शांति खुद ब खुद मिलेगी। इसलिए ही ये कहा जाता है कि यह गुस्से को शांत करने और तनाव से मुक्त रहने में मदद करती है।

Tulsi Green Tea के नुकसान

जिस चीज़ के फायदे हो उसके नुकसान भी जानना जरूरी है। तो आपको बताते है तुलसी ग्रीन टी के नुकसान

  • Tulsi Green Tea की ज्यादा मात्रा विषाक्त साबित हो सकती है।
  • Tulsi Green Tea को खून का थक्का जमाने वाली दवाइयों के साथ बिल्कुल ना ले।
  • हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित लोग तुलसी ग्रीन टी का ज्यादा सेवन न करे। इससे रक्त शर्करा में अत्यधिक कमी हो सकती है।
  • तुलसी गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय के संकुचन को एब्नॉर्मल तरीके से बढ़ा सकती है, साथ ही गर्म तासीर होने के कारण गर्भ को नुकसान पहुँचा सकती है।
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