डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार, जो आपके लिए जानना है जरुरी

डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार

बारिश के मौसम के साथ ही ढेरो बीमारियां फैल जाती है। उन्ही में से एक खतरनाक बीमारी होती है डेंगू, डेंगू जो शुरू में एक सामान्य बुखार की तरह लगता है, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर जानलेवा हो सकता है। डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार की जानकारी के अभाव में मरीज की जान भी जा सकती है। डेंगू बुखार मादा एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। जुलाई से अक्टूबर में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण होता है। इसलिए इन महीनों में बहुत ही ध्यान देने की जरूरत होती है।

इन मच्छरों के शरीर पर काली सफेद रंग की धारिया होती है। डेंगू से पीड़ित किसी इंसान को जब ये मच्छर काटता है तो खून के साथ ये वायरस भी मच्छर के शरीर मे चला जाता है। जब यहीं मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी डेंगू हो जाता है।

डेंगू के लक्षण

ये तीन तरह का होता है, और उसी के आधार डेंगू के लक्षण होते है।

साधारण डेंगू के लक्षण

  • दिन से लेकर एक हफ्ते तक व्यक्ति बुखार से पीड़ित रहता है।
  • बुखार हो जाता है।
  • बहुत तेज ठंड महसूस होती है।
  • सरदर्द
  • आँखों मे दर्द होता है जो आंखों को हिलाने पर बढ़ जाता है।
  • मसल्स और जॉइंटस में दर्द होता है।
  • कमजोरी लगती हैं,
  • मुँह में कड़वापन,गले मे भी दर्द होता है।
  • फेस, गर्दन,और छाती पर रैशेस हो जाते है।

डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षण

  • नाक, मुँह और मसूड़ों से खून आने की समस्या हो सकती है।
  • मरीज को हर समय गला सूखा महसूस होता है और प्यास लगती हैं,
  • स्किन पर घाव हो जाते है,
  • त्वचा बहुत ठंडी महसूस होती है,मरीज बेचैनी में कराहता रहता है,
  • उल्टी हो सकती है, जिसमे खून भी आ सकता है।
  • सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती हैं,
    डेंगू हैमरेजिक बुखार
    डेंगू हैमरेजिक बुखार

डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण

  • नाम से पता चल रहा कि मरीज शॉक में आ जाता है।
  • ब्लड प्रेशर गिर जाता है।
  • तेज बुखार महसूस होता है पर शरीर ठंडा रहता है।
  • मरीज का होश खोना आदि लक्षण होते है,नब्ज तेज चलने लगती है।

डेंगू बुखार से बचाव के उपाय

डेंगू से बचाव करने का सबसे सरल और जगजाहिर उपाय है, कि पानी को एक जगह इक्कठा न होने दे। पानी चाहे गंदा हो या साफ़
क्योंकि डेंगू का मच्छर रुके हुए पानी मे पनपता है,ये कुछ निम्न उपाय है जो हम अपना सकते हैं।

  • कूलर का पानी बदलते रहे।
  • पूरी बाजू के कपड़े पहने।
  • अगर आपकी छत या आँगन में कही भी कोई टायर, डब्बा, फालतू बाल्टी, घड़ा, बोतल जैसा कोई भी बर्तन रखा हो जिसमें पानी इक्कठा होता हो उसे तुरंत हटा दे।
  • मच्छर नाशक चीज़ो का प्रयोग करे, लेकिन सावधानी से।
  • टँकीयो और बर्तनों को ढककर रखे।
  • मच्छरदानी का प्रयोग स्वस्थ्य व्यक्ति के साथ साथ मरीज के लिए भी जरूर करें ताकि मच्छर उसको काटकर बीमारी ना फैला सके।
  • एस्पिरिन,आईब्रूफेन बिल्कुल ना दे।
  • डॉक्टर के पास ले जाने तक बुखार के लिए पैरासिटामोल दे सकते है।।
  • जहाँ पानी भरा हो वहां केरोसिन,मिट्टी का तेल डालें
  • नीम की पत्तियां जलाए, कीटनाशक का छिड़काव केवल ऊपरी तौर पर नही घर के अंदुरुनी और छुपे हुए हिस्सो में भी करें।
  • खिड़की,दरवाजो पर बारीक जाली लगवाए।
  • बाहर का खाना, ज्यादा तला हुआ,मसालेदार ना खाएं खासकर बरसात के मौसम में।
  • पूरे मानसून सीजन में पानी उबाल कर पिए।
  • बासी खाना ना खाएं चाहे वो फ्रिज का ही क्यों ना हो।
  • तुलसी, काली मिर्च, अदरक, गिलोय, एलोवेरा, आँवला का प्रयोग करें
  • पानी मे क्लोरीन का प्रयोग, डी डी टी का छिड़काव भी मददगार होता है।
  • इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे।
  • फल और सब्जियों को भली प्रकार धोकर ही उपयोग करे
  • खुले में शौच ना करे,जंक फूड ना खाएं
  • डस्टबीन में गीला सूखा कचरा अलग रखें, और ढक कर रखे।

डेंगू से बचने के घरेलू उपाय

डेंगू में गिलोय का प्रयोग

डेंगू में गिलोय का प्रयोग, अब डेंगू के लिए संजीवनी बूटी की तरह प्रसिद्ध हो चुका है। यह डाइजेस्टिव सिस्टम को सही रखकर इम्युनिटी को स्ट्रांग बनाता है।

कैसे ले

डेंगू बुखार में आप गिलोय की डंडी को पानी में उबालें, पानी के आधा रह जाने पर छान लें और एक हर्बल ड्रिंक के रूप में उपयोग करें। इस पेय में कुछ तुलसी के पत्ते भी मिला सकते हैं।

तुलसी

तुलसी का प्रयोग न केवल इम्युनिटी बढ़ाता है बल्कि किसी भी तरह के संक्रमण को भी दूर करता है। इसके लिए आपको कुछ मेहनत भी नही करनी होगी।

कैसे ले

सुबह कभी भी तुलसी के पत्ते ले और पानी से निगल ले। आप तुलसी के पत्तो को साबुत दालचीनी और काली मिर्च के साथ उबाल कर काढ़ा भी बना सकते है।

मेथी

मेथी के पत्ते डेंगू से होने वाले दर्द में आराम देता है। बेचैनी से मरीज को नींद नही आती उसमें भी मेथी के पत्ते फायदेमंद है और नींद लाने में मदद करते है।

कैसे ले

मेथी के पत्तो का साग, आटे में मिलाकर रोटी या मेथी दाने का भिगोकर प्रयोग करें। रात को मेथी दाना भिगो दें और सुबह पानी से निगल ले।

डेंगू में कौन सा फल खाना चाहिए

क्या डेंगू में संतरे अच्छे होते हैं?

संतरे में मौजूद होते है,एन्टीऑक्सीडेंट जो कि किसी भी प्रकार के बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण में प्रभावी है। साथ ही इसमे होता है विटामिन सी जो इम्युनिटी को बढ़ाता है।

कोलेजन के निर्माण में विटामिन सी की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण यह सेलुलर मरम्मत को उत्तेजित करता है।

संतरा
संतरा

कैसे ले

जूस की बजाय संतरे को खाएं, क्योंकि जूस की जगह संतरे का फाइबर ज्यादा उपयोगी है। शाम के बाद संतरे का सेवन न करें। यदि खांसी है तो संतरा न खाएं।

पपीते के पत्ते

पपीते के पत्ते में न्यूट्रिशनल एलिमेंट और आर्गेनिक एलिमेंट्स की जुगलबंदी प्लेटलेट नंबर्स बढ़ाती है। साथ ही इसमे मौजूद एंटीऑक्सिडेंट ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने और रक्त में अधिक विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में सहायता करता है।

कैसे ले

पपीते के पत्तो को तुलसी या गिलोय के साथ उबालकर इस्तेमाल कर सकते है। साथ ही पपीते के पत्ते का रस निचोड़कर भी सेवन कर सकते है।

पपीते के फल को भी डाइट का हिस्सा बनाए खासकर सुबह के समय जरूर खाए।

जौं

जौ घास ब्लड प्लेटलेट्स को बढ़ाती है। इसलिए इसका सेवन बहुत लाभदायक होता है।

कैसे ले

जौ घास से बना काढ़ा पिएँ या इसे सीधे ही खा सकते है। जौं का सत्तू या रोटी के आटे में मिलाकर प्रयोग करे।

क्या डेंगू बुखार में नारियल पानी पी सकते हैं?

खूब नारियल पानी पिएँ। इसमें मौजूद जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) शरीर को मजबूत बनाते हैं।

कैसे ले

नारियल पानी का सेवन तेज बुखार में न करे। शाम 4 बजे के बाद भी नारियल पानी न पीएं।

इनके अलावा कद्दू (पके हुए कद्दू को पीस कर उसमें एक चम्मच शहद डालकर पिएँ) चुकंदर, एलोवेरा का सेवन भी डेंगू और उसके लक्षणों में आराम देता है।

संतरा एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटामिन-सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए डेंगू के मरीजो़ के लिए संतरे को अच्छा माना जाता है। इसमें भरपूर फाइबर होने से कब्ज़ की समस्या नहीं होती, रसदार होने से डिहाइड्रेशन दूर करता है, पोषक तत्वों से शरीर की कमजोरी दूर होती है। संतरा खाने का अगर रोगी का मन ना हो तो संतरे का जूस भी अच्छा विकल्प है। मुँह का स्वाद अच्छा हो इसके लिए हल्के से काले नमक के साथ भी जूस ले सकते हैं।

बुखार में शरीर का तापमान बढा़ रहता है इसलिए चावल, बहुत ज्यादा खट्टी या ठंडी चीजों को एवोइड़ करनें की सलाह दी जाती है, लेकिन रोटी आप खा सकते हैं। डेंगू बुखार में जितना हो सके हल्का भोजन ही खाना चाहिए, जैसे दाल, दलिया, खिचड़ी और तरल पदार्थ। क्योंकि बुखार में मुँह का स्वाद काफी खराब हो जाता है इसलिए स्वाद बदलने के लिए पतली दाल के साथ रोटी खा सकते हैं।

बुखार होने पर हल्के आहार का ही चुनाव करना चाहिए जो पचने में आसान हो, अक्सर बुखार में चावल और ठंडी चीजों से परहेज़ की सलाह दी जाती है लेकिन चावल की खिचड़ी खाना अच्छा माना जाता है। एक्सपर्ट भी यही कहते हैं कि डेंगू बुखार होने पर हल्का-फुल्का भोजन लेना चाहिए। लंच में आप थोड़ा चावल भी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि शाम के वक्त चावल बिल्कुल न खाएं। चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो डेंगू में होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करते हैं ।

डेंगू के मरीजों के लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। इसके पत्ते का जूस पीने से प्लेटलेट्स काउंट भी तेजी से बढ़ता है। गिलॉय के पत्तों का काढा़ अगर नियमित रूप से पीते हैं तो डेंगू बुखार होने की संभावना कम हो जाती है, गिलोय की बेल के 10 छोटे छोटे टुकड़े तोड़कर उसे 2 लीटर पानी में थोड़ा सा अदरक और दो चुटकी अजवाइन के साथ सात मिनट तक उबालकर, थोड़ा ठंडा करके, रोगी को खाली पेट पीने को दें तो बेहद लाभ मिलता है।

डेंगू के रोगियों को आहार में हाई प्रोटीन और आयरन से भरपूर डाइट को शामिल करने की सलाह दी जाती है। अंडे में प्रोटीन आयरन और कईं तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसलिए डेंगू मरीज को अंडा खाने को दे सकते है। बस ध्यान रखें कि कैसे देना है * उबले हुए अंडे खाने को दें और अंडे का पीला हिस्सा हटाकर खाएं।अंडे का यह हिस्सा नुकसान पहुंचा सकता है। *अंडे को फ्राई करके खाना बिल्कुल एवोइड करें इससे उसमें फैट की मात्रा बढ़ जायेगी जो पचनें में मुश्किल करेगी। *और ध्यान रखें कि अधपके अंडे ना खायें इससे शरीर में इंफैक्शन का खतरा रहता है।

फीवर के दौरान पैरों के दर्द की शिकायत अक्सर होती हैं- डॉक्टर बताते हैं कि दो तरह के पेन सामने आते हैं, क्यूट रिएक्टिव आर्थराइटिस और क्रॉनिक जाइंट पेन। रिसर्च से ये भी पता चला है कि मांसपेशियों और जोड़ों में अधिक समय तक दर्द रहने के लक्षण एक ऑटो इम्यून स्थिति भी हो सकती है। अगर ऐसा है तो सामान्य व्यायाम और पैरासिटामोल के द्वारा इसमें आराम मिल जायेगा, लेकिन जब अधिक समय तक आराम न मिले तो फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इसके अलावा घर पर नियमित तेल मालिश भी की जा सकती है, जिससे आराम मिलेगा। मालिश के लिए नारियल, तिल और सरसो का तेल अच्छा रहेगा।

डेंगू के इलाज को लेकर कुछ लोगों का यह मानना है की डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने पर इलायची के सेवन से प्लेटलेट की संख्या बढ़ जाती है ,आइए जानते हैं ,क्या ऐसा होता है?डॉक्टर्स की माने तो इलायची के सेवन से प्लेटलेट्स की संख्या में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है । इलायची पाचन शक्ति को सुधारने और मरीज के मुंह का स्वाद ठीक करने के काम में आती है ।डेंगू के दौरान मरीज के शरीर में होने वाली गर्मी से भी इलायची का सेवन फायदा पहुंचाता है परंतु इसके सेवन से प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ता है ।

सिर के पीछे दर्द क्यों होता है-Sir Ke Pichle Hisse Me Dard Ka Ilaj

सिर के पीछे दर्द

सिरदर्द एक ऐसी दिक्कत है जो आजकल बच्चो से लेकर बूढ़े लोगो तक मे देखी जाती है। सिर दर्द को बहुत ही साधारण तरीक़े से समझा और माना जाता रहा है। यूं तो सिरदर्द, माथे में, कनपटी में, पूरे सिर में कहीं भी हो सकता है। पर आज इस आर्टिकल में हम सिर के पीछे दर्द की बात करेंगे।

सिरदर्द, नींद न पूरी होने से, आंखे कमजोर होने या गलत नम्बर का चश्मा पहनने अथवा तेज शोर में रहने से भी हो सकता है। यही सिर दर्द कभी कभी बहुत गम्भीर बिमारीयो को सूचक होता है। लगातार पेन किलर्स के सहारे इसे नजरंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

सिरदर्द, सिर के किस हिस्से में हो रहा है, ये बात बहुत ही ज्यादा मायने रखती है। क्योंकि हर प्रकार की बीमारी या समस्या का सिरदर्द अलग अलग हिस्से में हो सकता है।

सिर के पिछले हिस्से में दर्द दरअसल, शुरुआत में कान के आसपास से शुरू होता हुआ फैलता है।

सिर के पिछले हिस्से में होने वाले दर्द के कारण

ऑक्सीपिटल नेयुरेल्जिया(occipital neuralgia)

ये दर्द, सिर के occipitial हिस्से अर्थात occipital नर्व्स से सम्बंधित है। occipital नर्व्स में होने वाला ये दर्द बहुत ही भयंकर होता है। ये दर्द हूल की तरह उठता है।

सिर के पिछले हिस्से से फैलता हुआ आंखों तक महसूस होने लगता है।

उपाय

  • इसका उपाय केवल न्यूरोलॉजिस्ट से उचित सलाह व फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट लेना है।

क्लस्टर सिरदर्द

क्लस्टर सिरदर्द दरअसल माइग्रेन से अलग होता है। इसका पैटर्न बहुत ही अजीब होता है। कई बार ये दिन में लगातार बना रहता है, और कई बार दिन के किसी विशेष समय पर होता है।

ये पूरे महीने में कुछ समय के अंतराल पर हो सकता है या फिर कई महीनों बाद अचानक अटैक आ सकता है।

ये दर्द सिर के किसी एक हिस्से में या फिर एक आंख के आसपास के हिस्से में इतना तेज, चुभने वाला दर्द होता है कि व्यक्ति नींद से भी जाग जाता है। ज्यादातर ये दर्द कनपटी और ललाट में होता है पर सिर के पिछले ग   हिस्से में भी ये दर्द भयानक रूप से होता है।

उपाय

  • अल्कोहल और स्मोकिंग से न करें।
  • बहुत ज्यादा गर्मी या गर्म वातावरण में ज्यादा व्यायाम करने से बचें

तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द

इस समय तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द सबसे आम है, वर्किंग लोग घण्टो वर्क लोड के , बुक्स लिए, मोबाइल लिए, गर्दन झुकाए बैठे रहते है। और नतीजा होता है सिर के पीछे होने वाला सिरदर्द। ये सिरदर्द दरअसल गर्दन और कंधों पर पड़ने वाले प्रेशर का नतीजा होता है।

तनाव
तनाव

उपाय

  • समय-समय पर आराम करते रहें
  • अपने डेस्क, कुर्सी औऱ कंप्यूटर को ठीक तरीके से व्यवस्थित करें
  • फोन पर बात करने की गलत मुद्रा से बचें
  • दिन में कई बार, 30 मिनट तक दर्द वाली जगह पर बारी-बारी बर्फ़ रखने और गर्म सिकाई करने, स्ट्रेचिंग करें
  • योगा, मैडिटेशन करें।

साइनसाइटिस

मैक्सिलरी साइनस दरअसल खोपड़ी में एक कैविटी यानी खाली जगह होती है। जब इसमे प्रदूषण, एलर्जी, अस्थमा या नाक की हड्डी बढ़ने के कारण सूजन आ जाती है तो सांस लेने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, इस दर्द का अनुभव आप सिर के पीछे, माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आस-पास महसूस कर सकते हैं।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह लें

वर्टिब्रल आर्टरी डाईसेक्शन

वर्टिब्रल आर्टरी गर्दन कि मुख्य आर्टरी होती है। जब इस आर्टरी पर किसी भी तरह को कोई दबाव पड़ता है तो भयंकर दर्द का अहसास होता है।

ये दर्द सर के पिछले हिस्से से होता हुआ जबड़ो तक आता है।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

लिम्फ नोड की सूजन

कान के पीछे के लिम्फ नोड होते है जोकि कभी कभी सूज जाते है। खोपड़ी, कान, आंख, नाक और गले के संक्रमण से लिम्फ नोड में सूजन आ सकती है। कारण हो सकते हैं. इस तरह के दर्द भी काफी कष्टदायक साबित होते हैं.

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

इसके अलावा सिर के पीछे दर्द होने के कुछ अन्य कारण है

  • दिमागी बुखार
  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
  • सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
  • ब्रेन ट्यूमर
  • कंधा जाम होना

वात रोग क्या है? जानिए कैसे करे वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग की पहचान

आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों का मुख्य कारण वात, पित्त और कफ दोष होता है। अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इन सभी तत्वों से मिलकर शरीर का निर्माण हुआ है। यदि इन सभी तत्वों के बीच असंतुलन होता है तो व्यक्ति रोगी हो सकता है। इनका असंतुलन ही वात, पित्त, कफ दोषों को जन्म देता है। आजकल की जीवनचर्या के कारण वातरोग बहुत ही सामान्य है। आज इस आर्टिकल में हम आपको वात रोग की पहचान बताएंगे।

इस आर्टिकल को पढ़कर आप जान सकेंगे कि आप कहीं वातरोग से पीड़ित तो नही।

वातरोग या वायु विकार के प्रकार

वातरोग या वायु विकार को निम्न भागो में बांटा गया है।

उदान वायु

उदान वायु कंठ में वास करती है,जैसे डकार आना। इस प्रकार में सांस लेने और बोलने में समस्या होती है। चेहरे फीका लगता है, और खांसी जैसी समस्या शामिल है

अपान वायु

बड़ी आंत से मलाशय तक, वात रोग के इस प्रकार में बड़ी आंत और किडनी से जुड़ी समस्याएं होती है।

प्राण वायु

प्राण ह्रदय के ऊपरी भाग मे, इस प्रकार में नर्वस सिस्टम और ब्रेन प्रभावित होता है।

व्यान वायु

पूरे शरीर में फैली है, वात रोग के इस प्रकार में बाल झड़ने की समस्या होती है।

समान वायु

समान वायु का स्थान अमाशय और बड़ी आंत में होता है। इस प्रकार में रोगी को निगलने में तकलीफ, आंतों से संबंधित समस्या और पोषक तत्वों के अवशोषण में परेशानी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है

आयुर्वेद के अनुसार वात का मुख्य कार्य रेस्पिरेटरी सिस्टम, हार्ट बीट्स, मसल्स एक्टिविटी, और टिश्यू के कार्यों को संतुलित रखना है।

वात रोग के कारण

वात रोग क्यों होता है। वात रोग होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • गलत लाइफस्टाइल
  • असंतुलित भोजन

कैसे करें वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग होने पर निम्न लक्षण दिखते है।

  • लगातार शरीर का कमजोर होना।
  • चेहरे पर झुर्रिया आकर चेहरे की चमक गायब होना। दुबला शरीर होना।
  • छोटी, धंसी हुई और सूखी आंखों के साथ उनमें काली और भूरी रंग की धारियों का दिखना।सूखे और फटे होंठ।
  • पतले मसूड़े और दांतों की बिगड़ी हुई स्थिति।त्वचा का रूखा, सूखा और बेजान नजर आना।
  • अनियमित भूख या भूख न लगना
  • डायजेस्टिव सिस्टम खराब होकर लगातार गैस या अपच रहना।
  • बहुत ज्यादा भावुक होना, जल्दी रोना या गुस्सा आना
  • बहुत जल्दी में निर्णय ले लेना, तारीफ सुनते ही सामने वाले के वश में हो जाना।
  • बार बार प्यास लगना, पानी पीने पर भी होंठ और त्वचा ज्यादातर सूखी रहना।
  • मौसम के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होना, गर्मी,सर्दी बर्दाश्त न कर पाना और खास तौर से रात के वक्त जोड़ा, पिंडलियों या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द बना रहता है।
  • दिमाग मे हमेशा बेचैनी रहना, घबराहट होना, सांस जल्दी फूलना, उम्र से बड़ा दिखना, नकारात्मक कल्पनाएं करना।
  • पैर के जोड़ों और हड्डियों में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा हो जाने के कारण जोड़ों, घुटनों, पैरों और मांसपेशियों में सूजन हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को उठने बैठने में काफी तकलीफ होती है और दर्द का भी अनुभव होता है।

वात रोग का नियंत्रण और उपचार

सुबह धूप में बैठे

सुबह धूप में बैठने से अर्थ यह नही की आप बेसमय और बेमौसम धूप में बैठे। गर्मियों में सुबह 6 से 7 और सर्दियों में सुबह 9 से 10 तक का समय सही है। गर्मियों में लू लगने का डर रहता है इसलिए तेज धूप में न बैठे।

सुबह धूप में बैठे
सुबह धूप में बैठे

तांबे के बर्तन का पानी

रात भर तांबे के बर्तन में पानी रखे, सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें। तांबे को शरीर की अशुद्धियों को दूर करने में सहायक माना जाता है।

यह पाचन सिस्टम को दुरुस्त कर चेहरे पर चमक लाता है। वात रोग को दूर करने में मदद मिलती है।

दालचीनी

वात रोग की पहचान होने पर दालचीनी को किसी भी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। ये वातरोग के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे चाय के रूप में या काढ़े के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

दालचीनी को अदरक और हल्दी के साथ काढ़े के रूप में बनाये, ये दोगुना फायदा करेगी।

लहसुन

यह खाने के अवशोषण में मदद करने के साथ पाचन को मजबूत करने में भी सहायता करता है। वहीं यह वात के प्रभाव को बढ़ाकर वात, पित्त और कफ के बीच के संतुलन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

लहसुन की एक कली को सुबह पानी से निगल ले। या गाय के घी में लहसुन का छोक लगाकर दाल में डालकर सेवन करें।

गोल्डन मिल्क यानी हल्दी का दूध

गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन वात दोष से संबंधित कई विकारों से बचा सकता है। दूध को गर्म करके उसमें एक चुटकी हल्दी डालकर उबाल लें। इसमें बिना मीठा डाले इसका सेवन करें।

इन बातों का रखे खास ध्यान

  • सोने जागने और खाने का सही शेड्यूल बनाए।
  • भोजन के स्वाद से ज्यादा पौष्टिकता पर ध्यान दे।
  • खाने में ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन नियंत्रित रूप से करें।
  • खुद को ज्यादा से ज्यादा गर्म रखें।
  • नियमित योगभ्यास या व्यायाम करें
  • पूरे शरीर की तिल या सरसो के तेल से मालिश करें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

वात रोग में कौन कौन से रोग होते हैं?

चरकसंंहिता के अनुसार शरीर में वायु बिगड़ जाने पर अस्सी प्रकार के रोग होते हैं जिनमें से जो आमतौर पर देखने में आते हैं वे निम्नलिखित हैं -- नाखूनों का टूटना, पैरों का सुन्न होना, पैर की पिंडलियों में ऐंठन जैसा दर्द, सियाटिका का दर्द,पेट की गैस ऊपर की ओर आना, उल्टी होना, दिल बैठने जैसा महसूस होना, ह्रदय गति में रुकावट का अनुभव, हार्ट बीट बढ़ना, छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा,भुजा से अंगुली तक मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन व जकडऩ। हाथ ऊपर न उठना। गर्दन के पीछे लघु मस्तिष्क के नीचे के हिस्से में जकडऩ व पीड़ा, होंठों में दर्द, दांतों में पीड़ा,सिरदर्द, मुँह का लकवा, कंपकंपी होना, हिचकी, नींद न आना, चित्त स्थिर न रहना।

वात रोग कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पाँच प्रकार की वायु होती हैं, शरीर में इनके निवास स्थान और अलग कामों के आधार पर इनके नाम है.. प्राण उदान समान व्यान अपान ये पांचों प्रकार की वायु में से कोई भी शरीर में असंतुलित हो जाये तो शरीर के उस हिस्से में रोग हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर्फ वात के प्रकोप से कुल 80 प्रकार के रोग होते हैं।

वात पित्त कफ कैसे पहचाने?

लक्षणों के आधार पर हम वात पित्त कफ़ को पहचान सकते हैं, जैसे.. *वात प्रकृति वाले लोगों के शरीर में रूखापन, दुबलापन, नींद की कमी, निर्णय लेने में जल्दबाजी, जल्दी क्रोधित होना व चिढ़ना, जल्दी डर जाना व अस्थिरता पाई जाती हैं। *पित्त प्रकृति के लोगों में गर्मी बर्दाश्त ना कर पाना, त्वचा पर भूरे धब्बे, बालों का जल्दी सफ़ेद होना, मांसपेशियों और हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन, पसीना, शरीर के अंगों से तेज बदबू आना सामान्य लक्षण है। *कफ प्रकृति वाले लोगों की चाल स्थिर और गंभीर होती है। भूख, प्यास और गर्मी कम लगना, पसीना कम आना, शरीर में वीर्य की अधिकता, जोड़ों में मजबूती, और गठीला शरीर होता है, कफ प्रकृति वाले लोग सुन्दर, खुशमिजाज, कोमल और गोरे रंग के होते हैं।

वात रोग को कैसे खत्म करें?

वात रोग दूर करने के लिए सबसे पहले आहार पर ध्यान दें, जो चीजें बादी करती हैं जैसे बैंगन, उड़द की दाल, फूलगोभी, उनका प्रयोग खानें में न करें, आहार में दूध (पनीर, मावा, मिठाई) व उससे बनी हुई चीजें, घी, गुड़, लहसुन, प्याज, हींग, अजवाइन, मेथी, सरसों व तिल का तेल से वात कम होता है। इसके अलावा अपनी जीवन शैली पर ध्यान दे क्योंकि वात रोग में शरीर में रूखापन रहता है इसलिए तेल की नियमित मालिश भी लाभदायी है। त्रिफला मात्र एक ऐसी औषधि है जो शरीर में वात पित्त कफ़ तीनो का संतुलन बनाता है ,इसलिए नियमित त्रिफला का सेवन करना अत्यंत लाभदायक होता है।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

सभी स्त्रियों  की कामना होती है एक सुडौल और आकर्षक स्वस्थ शरीर की जो विवाह और मातृत्व के बाद कहीँ खो सा जाता है। यूँ तो मातृत्व  भी एक अहम  दायित्व है पर इसे निभाने में अपने शरीर के प्रति सबसे ज़्यादा कोई कोताही बरतता है तो वो हैं हम स्त्रियाँ। जब ये चूक आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तो परिणाम शरीर पर जमा चर्बी के रूप में पाते हैं, यदि ये समस्या बहुत बढ़ जाये तो कमर के निचले हिस्से और पैरों को प्रभावित करती है। नतीजा…बढ़ा हुआ वज़न, पैरों में सूजन

कारण

आखिर चूक कहाँ हो जाती है हमसे? अक्सर पति और बच्चों के प्लेट में छोड़े हुए नाश्ते और भोजन को निपटा देने के बाद हम सभी अपने दैनिक कार्यों पर लग जाते हैं। कभी कभी तो हाल यह भो होता है गृहकार्य निपटाने में ,गृहणियाँ अपने नाश्ते और भोजन की अनदेखी कर जाती हैं।

फिर इकट्ठा पेट भर कर भोजन या विश्राम ,यदि कामकाजी है तो फिर दिन कुर्सी पर बैठे ही बीत जाता है। यही कुछ छोटी छोटी बातें हैं,जिन्हें हम नज़रंदाज़ करते जाते हैं और बाद में यही बातें हमारे शरीर पर जमी वसा के रूप में दिखाई पड़ती हैं।

यदि हम  किसी स्वस्थ व्यक्ति की दिनचर्या पर ध्यान दें तो पायेंगे कि इसका राज़ उनकी दिनचर्या में ही छुपा है।

पुरानी कहावत है “नाश्ता राजा की तरह ,दोपहर का भोजन राजकुमार और रात का खाना भिखारी ” की तरह ग्रहण करना चाहिये।
नाश्ता  रेशेदार फ़लों मेवों और  पौष्टिक  चीजों का होना चाहिये। वहीँ दोपहर का भोजन बेहद सन्तुलित होना चाहिये। रात का भोजन बेहद सादा ही उचित होता है।

क्योंकि सुबह हमारी जठराग्नि (पाचनशक्ति) प्रबल होती है,जो दिन बीतने के साथ मन्दी पड़ती जाती है। रात को शरीर दिन भर की टूट फूट की मरम्मत करता है  यदि रात के समय देर रात्रि भोजन किया जाता है तो यह मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को धीमा करता है और मोटापे को बढ़ा देता है।

यही है पहली गलती जो कि हम स्त्रियाँ अक्सर कर डालते हैं,यानि कि अपने नाश्ते को छोड़ देना। नाश्ते में अगर खाते भी हैं तो तला भुना,या मैदायुक्त आहार ।

जिसमें आलू ,या फिर स्टार्च बहुल पदार्थों की अधिकता होती है स्वास्थ्य वर्द्धक पदार्थों या फलों का प्रयोग बहुत कम ही किया जाता है।
दोपहर और रात का भोजन भी देर रात तक  ही खाने के कारण शरीर का उपापचय बेहद धीमा पड़ जाता है  ऊपर से ज़रूरत से ज़्यादा  आरामदायक जीवनशैली करेले पर नीम चढ़ाने का काम करती है।

अब सवाल ये उठता है कि इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं , तो प्रस्तुत हैं कुछ आसान उपाय जिन्हें घरेलू महिलाएं भी  उतनी ही आसानी से कर सकती हैं।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।

गर्म पानी

  • पानी का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये और फ्रिज़ के बजाय मटके का पानी पीना चाहिये ।
  • भोजन करने के आधे घण्टे बाद पानी पीना चाहिए,और पेट पहले सलाद और कच्ची सब्ज़ियों से भरना चाहिये और भूख से 1 रोटी कम सेवन करना चाहिए।
  • दिन की शुरुआत गर्म पानी से करनी चाहिये, ग्रीन टी और पुदीना की चाय दिन में पीनी चाहिये और चीनी के स्थान पर शहद या गुड़ का प्रयोग करना लाभदायक रहता है।

सलाद

सलाद को खाने से पहले खाना चाहिए और सलाद में भी C से शुरू होने वाली सब्जियों का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये,जैसे Cabbage, Carrot, Capsicum, Cucumber, Coriander (बन्दगोभी,गाज़र,शिमला मिर्च,खीरा और हरी धनिया)

इसके अतिरिक्त धनिया और पुदीने का प्रयोग भी करना चाहिये चटनी के रूप में स्वाद और स्वास्थ्य दोनों ही प्राप्त हो जाते हैं।

रेशेदार सब्ज़ियों

शकरकन्द भी रेशेदार सब्ज़ियों का अच्छा विकल्प है इसे खाने से पेट लम्बे समय तक भरा महसूस होता है।

पपीता एवँ अनन्नास  वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं को इससे बचना चाहिए।

मट्ठे का प्रयोग

मक्खन निकले हुए मट्ठे का प्रयोग करना चाहिये 1 कप दही में 4 से छह कप पानी मिलाने से यह लाभदायक हो जाता है।

ब्रिस्क वॉक

ब्रिस्क वॉक करना चाहिये यानि कि तेज़ टहलना इतना तेज कि पसीना आने लगे ,यह चर्बी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ और डेयरी प्रोडक्ट से बचना चाहिये उनके स्थान पर पॉपकॉर्न और भुने हुए चने और मुरमुरे का प्रयोग करना चाहिए।

दालचीनी

दालचीनी का पाउडर रात को एक गिलास पानी मे भिगोकर उसे सुबह गर्म करके सिप करके पीना चाहिये।

दालचीनी
दालचीनी

अजवायन

अजवायन का पानी भी कमर और हिप्स की चर्बी को पिघलाने में  लाभदायक सिध्द होता है।

अदरक

एक ज़ार में एक अदरक का टुकड़ा,1 छील कर पतले टुकड़े में काटा हुआ खीरा ,1 नींबू के टुकड़ें और  पुदीने की 10 से 12 पत्तियों को पानी मिलाकर रात भर रखें और सुबह सेंधा नमक डालकर पियें।

आसन

  • घर मे अनुलोम विलोम,बालासन,सेतुबन्ध व कपालभाति के साथ कुर्सी पर बैठने जैसे आसन की मुद्रा और पश्चिमोत्तासन का प्रयोग करना चाहिए।
  • सम्भव हो लिफ़्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करना चाहिये,खाना देर रात खाने से बचना चाहिये और खाने के बाद तुरंत ही सोने नहीं जाना चाहिये।

बीजों का सेवन

बीजों का सेवन जैसे 1-1 कटोरी  सभी मसालदानी मे उपलब्ध बीज जैसे धनिया,अजवायन ,मेंथी, जीरा, सौंफ़, कलौंजी और आधा कटोरी अलसी के बीजों को हल्का भून कर पीस लें और इस पाऊडर को सुबह शाम गर्म पानी से खाएँ।

हल्की फुल्की भूख

जब हल्की फुल्की भूख हो तो सूप, फलों और बीन्स को प्रयोग करना चाहिये। तरबूज और ककड़ी भी बेहतर विकल्प होते हैं। तरल पदार्थों जैसे मठा,दही ,मलाई निकला हुआ दूध और सूप का प्रयोग बढ़ा कर कोल्डड्रिंक बन्द कर देना चाहिए ।

माहवारी खुलकर आने के घरेलू उपाय-Masik Dharm Aane Ke Upay In Hindi

गर्भपात

माहवारी शुरू होने से लेकर बन्द होने तक एक महिला बहुत सी समस्याओं से जूझती है। किसी को रक्तस्राव ज्यादा होता है किसी को कम, किसी को गैप होकर पीरियड होते है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे माहवारी खुल कर ना आने की समस्या की, क्योंकि इसके कारण भी कई समस्याए हो सकती है। जैसे प्रजनन क्षमता का घटना या गर्भवती होने में समस्या, वजन बढ़ना, अण्डाशय में ग्रंथियों का बनना, भूख न लगना, चेहरे पर बाल निकलना आदि।

महिलाओं में अल्पस्त्राव की समस्या गलत खान पान से, गलत जीवनशैली से या अत्यधिक तनाव के कारण होती है। हमारे शरीर मे कोई भी रोग वात, पित्त, कफ के असंतुलन के कारण होते हैं। ये असंतुलन पोषक तत्वों की कमी, और अनुचित जीवन शैली, या अन्य कारणों से होता है।

माहवारी खुल कर न होने के कारण-Period Na Aane Ka Reason In Hindi

जब किसी लड़की को माहवारी शुरू होती है, तो शुरू में हो सकता है कि माहवारी खुल कर न हो। ऐसा शुरू के एक वर्ष में हो सकता है। लेकिन अगर एक दो साल बाद भी यही समस्या बनी रहे तो ये चिंता का कारण है।

ज्यादातर इसका कारण यूटरस में किसी दिक्कत, या फिर ओवरी  में ग्रंथियाँ बनने के कारण होता है। माहवारी कम होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • थायरॉइड से संबंधित समस्या का होना।
  • मेनोपॉज के समय पर भी ये समस्या हो सकती है।
  • उचित आहार न लेना जैसे आहार में जरुरी पोषक तत्वों की कमी।
  • तनाव या अवसाद की अधिकता
  • पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम या पॉलिसिस्टिक ओवरियन डिजीज
  • जरूरत से ज्यादा व्यायाम या शारीरिक श्रम करना
  • बहुत लंबे समय तक बीमार रहना
  • गर्भाशय या गर्भाशय नलिका में कोई डिफेक्ट होना
  • महिला एथलीट्स द्वारा या फिटनेस के लिए स्टेरॉयड का सेवन करना।

माहवारी खुलकर आने के घरेलू उपाय

हल्दी

हल्दी की तासीर गर्म होने के कारण इसका उपयोग बहुत ही फायदेमंद है। गरम पानी में या एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर मासिक धर्म की निर्धारित तिथि से पाँच दिन पहले सुबह-शाम पीना शुरू करे। इससे न केवल माहवारी खुल कर आएगी बल्कि हेल्थ के लिए भी अच्छा रहेगा।

हल्दी
हल्दी

गाजर के बीज

गाजर में कैरोटीन होता है, जिससे शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ जाता है। इससे मासिक स्राव खुलकर तथा समय पर होता है। इसके लिए आप गाजर के बीज को पानी मे उबाल कर उस पानी को दिन में तीन बार पिए।

तिल

तिल को आप लड्डू के रूप में या भूनकर ऐसे ही खा सकती है। मासिक धर्म शुरू होने के दस दिन पहले से ही एक चम्मच तिल में गुड़ मिलाकर खाएँ। यह माहवारी में कम रक्तस्राव की समस्या को ठीक करता है।

अदरक

अदरक का ज्यादा से ज्यादा से उपयोग करें, एक चम्मच अदरक के रस में एक चम्मच गुड़ मिलाकर खाएँ। इसके अलावा अदरक को पानी मे उबालकर उस पानी को भी पीया जा सकता हूं।

पपीता

पीरियड होने से 4 दिन पहले एक प्लेट पपीते का फल खाएं। इसमें मौजूद कैरोटी एस्ट्रोजन हार्मोन को उत्तेजित करता है। इसके सेवन से मासिक स्राव समय पर एवं खुलकर होता है।

धनिया

धनिया की पत्ती को अच्छे से साफ करके पानी मे उबाल लें, इस पानी को दिन में तीन बार 50ml पिए। यह उपाय भी माहवारी में कम रक्तस्राव होने पर लाभ दिलाता है।

मेथी

मेथी का प्रयोग केवल माहवारी के समय नही बल्कि रेगुलर किया जा सकता है। इसके लिए रोज रात को एक चम्मच मेथी भिगो दें, सुबह आधा चम्मच भीगी मेथी पानी से निगल ले। लगातार ऐसा करने से हॉर्मोनल समस्याए भी दूर होंगी।

इन सब उपायों के अलावा आपकी अपनी जीवनशैली में भी बदलाव लाना होगा ताकि समस्या जड़ से दूर हो जाये।

  • विटामिन एवं खनिज जैसे पोषक तत्व से भरपूर भोजन करे।
  • सब्जियाँ, दाल, अंकुरित अनाज एवं सूखे मेवों का सेवन करें।
  • केवल मौसमी फल खाएं
  • तनाव को दूर करने के लिए ध्यान, योग, म्यूजिक का सहारा ले।
  • अत्यधिक शारीरिक श्रम एवं व्यायाम से बचें।
  • नियमित रूप से सुबह प्राणायाम एवं योगासन करें।
  • पैकेजिंग वाले और जंकफूड से बचे।

बच्चों की मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल जो है बहुत ही फायदेमंद

मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल बच्चे के लिए

बच्चो की मालिश की परंपरा सदियों से रही है। चाहे वो हमारी दादी नानी हो या आधुनिक डॉक्टर्स सभी बच्चे की मालिश को जरूरी मानते है। बच्चे की मालिश करने से बालक शारीरिक रूप से मजबूत है। बालक के सर्वागीण विकास के अतिरिक्त एक प्रेम से परिपूर्ण सम्बन्ध माँ और बालक के बीच स्थापित होता है।

मालिश से बच्चे के मसल्स और हड्डियां मजबूत बनती है, बच्चा मानसिक रूप से रिलैक्स महसूस करता है। अब बात करते है मालिश के तेल की, तो कई बार माए उलझन में रहती है कि कौन से तेल से मालिश करें। या किस मौसम में कौन सा तेल बेहतर रहेगा। तो आज इस आर्टिकल में हम उन्ही उलझनों को सुलझाएंगे। हम आपको बताएंगे कि मौसम और बच्चे के हिसाब से मालिश का तेल कैसे चुने।

बच्चे की मालिश के फायदे

  • हड्डियों और मसल्स को मजबूती मिलती है।
  • प्रेम भावना को जाग्रत करने वाला हार्मोन ऑक्सिटोसिन रिलीज होता है, माँ और बच्चे के बीच रिश्ता मजबूत होता है।
  • खून का दौरा बढ़ने के साथ साथ पाचन शक्ति मजबूत होती है।
  • मानसिक विकास होता है।
  • शिशु को नींद अच्छी आती है।
  • स्किन सॉफ्ट होती है।
  • डाउन सिंड्रोम और सेरेब्रल पाल्सी जैसे रोगों में मालिश काफी प्रभावी होती है

मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल

मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल का कोई पैमाना नही है। हर तेल अपने आप में बहुत स्व गुण लिए होता है। हर मौसम का अपना तेल होता है। इसी प्रकार प्रत्येक तेल प्रत्येक बच्चे के लिए नही होता। तो हम तेलों को इसी आधार पर बांटकर उनके गुणों की बात करेंगे।

सेंसिटिव स्किन वाले शिशु के लिए मालिश का तेल

कैमोमाइल तेल

कैमोमाइल तेल
कैमोमाइल तेल

इसके लिए आप कैमोमाइल बेबी आयल का इस्तेमाल करे। यह बच्चों की मालिश के लिए एक बढ़िया बेबी आयल है। बच्चे की त्वचा सेंसिटिव होने या उस पर रैशेज होने पर केमोमाइल ऑयल से फायदा होता है।

अगर आपको लगता है कि शिशु कोलिक पेन से परेशान है तो कैमोमाइल ऑयल से मालिश करे। ऐसा करने से शिशु को आराम मिलेगा।

टी ट्री तेल

इस तेल में एंटीबैक्टेरियल और एंटीफंगल गुण होते है, इसलिए ये सेंसिटिव त्वचा के लिए बेस्ट है। लेकिन ये तेल बहुत ही स्ट्रांग होता है तो इसे डायरेक्ट बच्चे की स्किन पर अप्लाई न करे।

किसी दूसरे तेल में इसकी कुछ बूंदे मिलाकर प्रयोग करे। 6 माह से छोटे बच्चे के लिए इसका प्रयोग न करे। मालिश करते समय पूरी सावधानी बरतें की ये तेल बच्चे के नाक कान या मुँह में न जाए। बच्चे को ठंड लगने पर छाती पर इसकी मालिश करने से भी आराम मिलता है।

 केलैन्डयुला तेल

यह एक ऐसा एसेंशियल ऑइल है जो की बच्चे की त्वचा को नमी देता है, हल्की ठंडक वाला ये तेल गर्मी के लिए बेहतरीन है। साथ ही बच्चे की सेंसिटिव स्किन को कोई नुकसान भी नही पहुंचाता है।

अरंडी का तेल

अरंडी का तेल न केवल शिशु की हड्डियों ओर मसल्स को मजबूत बनाता है बल्कि इम्युनिटी भी बढ़ाता है। ब्लड सर्कुलेशन को इम्प्रूव करता है, संक्रमण को दूर करता है ,कब्ज से राहत दिलाता है। नाक कान और मुँह को बचाते हुए मालिश करे।

मौसम के अनुसार किस तेल का प्रयोग करे

गर्मी के लिए सर्वोत्तम तेल

 नारियल का तेल

यह बच्चे की मालिश के लिए सर्वोत्तम तेलों में से एक है। इसमे एंटी–फंगल और एंटी–बैक्टीरियल गुण होते है, आसानी से स्किन अब्सॉर्ब होता है। विटामिन ई से भरपूर ये तेल बच्चे की स्किन साफ करके दाग धब्बे भी मिटाता है। गर्मियो में नारियल तेल ही मालिश का एकमात्र आसानी से उपलब्ध होने वाला तेल है।

सर्दियों के लिए सर्वोत्तम तेल

नवजात शिशु की मालिश की सबसे ज्यादा जरूरत सर्दियो में होती है क्योंकि शिशु की त्वचा को हाइड्रेट करना बहुत जरूरी होता है।

तिल का तेल

तिल के तेल की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए इसकी मालिश हल्के हाथों से करें। सर्दियों में बच्चे को होने वाले कफ और कोल्ड में तिल का तेल बहुत ही फायदेमंद है।

ठंड लगने पर बच्चे की छाती पर हल्के हाथ से इसकी मालिश करे।

सरसों का तेल

इस तेल का प्रयोग यदि कुछ चीज़ों के साथ किया जाए तो इसका फायदा दोगुना हो जाता है। सरसो के तेल में लहसुन, मेथी के बीज या अजवाइन को पकाकर, इस तेल को छानकर प्रयोग किया जाए तो पूरी सर्दियो में बच्चे को कोल्ड कफ नही होगा।

बादाम का तेल

बादाम का तेल विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी6 और विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होता है। यह शिशु की त्वचा और बालों दोनों के लिए अच्छा होता है। यह सभी उम्र के बच्चों के लिए बेहतरीन माना जाता है। इससे शिशु की त्वचा चमकदार होने के साथ-साथ कोमल भी बनती है

ये थे बच्चे और नवजात शिशु की मालिश के लिये सर्वोत्तम तेल, किसी भी तेल को प्रयोग करने से पहले बच्चे की स्किन पर थोड़ा सा तेल अप्लाई कर कम से कम 5 से 6 तक उसका असर देखे। कोई रिएक्शन न होने पर ही उस तेल का इस्तेमाल करें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

सबसे गर्म तेल कौन सा होता है?

जैतून और सरसो का तेल गर्म होता है, शरीर पर इसकी मालिश सर्दी को दूर करने वाली, सूजन मिटाने वाली, लकवा, गठिया, कृमि और वात रोगों से छुटकारे के लिए अत्यंत हितकारी होती है।

शरीर में कौन सा तेल लगाना चाहिए?

बादाम, सरसो, तिल, जैतून और नारियल इनमे से कोई तेल शरीर पर लगा कर सकते है। हर तेल के अलग अलग फायदे होते है। अपने जरुरत के हिसाब से इसमे से कोई तेल लगा सकते है।

शरीर में सरसों का तेल लगाने से क्या होता है?

सरसों का तेल थोड़ा चिपचिपा तो होता है, लेकिन यह मालिश के लिए सबसे अच्छा तेल माना जाता है। यह सूजन और दर्द को कम करने में मददगार है। विशेष रूप से सर्दियों में गर्म सरसों के तेल की मालिश से त्वचा के रूखेपन को दूर किया जाता है।

शरीर के लिए क्यों जरुरी है ग्लूकोज, क्या है ग्लूकोज पीने के फायदे

ग्लूकोज के फायदे

ग्लूकोज एक ग्रीक भाषा का शब्द ग्लीको से बना है जिसका अर्थ होता है मीठा। यह चीनी का प्रकार है जो हमें भोजन, फल आदि से मिलता है। ग्लूकोज हमारे शरीर की आवश्यकताओं के लिए अति-आवश्यक है। यह हमें ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है जो मोनोसेक्रेट कार्बोहाइड्रेट की श्रेणी में आता है। ग्लूकोज पीने के फायदे कई है। इसमें चीनी का ही एक अणु है। वसा के अलावा ग्लूकोज शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज हम रोटी, फल, सब्जियों, डेरी उत्पादन से प्राप्त कर सकते हैं।

जो ग्लूकोज रक्त के माध्यम से हमारी कोशिकाओं तक पहुँचता है। उसे हम ब्लड ग्लूकोज या रक्त शर्करा कहते हैं। ग्लूकोज , भोजन से प्राप्त वसा ,कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन से बनता है। लेकिन सबसे अधिक ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से बनता है। हमारे शरीर के मुख्य ऊर्जा का स्रोत ग्लूकोज है। लेकिन ग्लूकोज को उर्जा में बदलने के लिए इंसुलिन का होना अति आवश्यक है बिना इंसुलिन की मदद के ग्लूकोज का इस्तेमाल कोशिकाएं नहीं कर सकती हैं।

पाचन के दौरान इंसुलिन की मदद से स्टार्च व शुगर ग्लूकोज में टूट जाते हैं। और ग्लूकोज कोशिकाओं की दीवार में प्रवेश करता है। अगर भोजन में शुगर अधिक मात्रा में होती है जिसे हम ग्लूकोज भी कहते हैं। अगर भोजन में ग्लूकोज अधिक मात्रा में होता है तो यह हमारी मांसपेशियों लीवर और शरीर के अन्य भागों में जमा होने लगता है जो बाद में फैट के रूप में बदलता है।

ग्लूकोज के स्रोत

ग्लूकोज फल ,सब्जियों , रेशेदार खाद्य पदार्थ ,डेयरी प्रोडक्ट्स आदि में मिलता है। हमें फाइबर युक्त तलों का सेवन करना चाहिए। हमें साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। साबुत अनाज हमें फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम प्रदान करते हैं अनाज को रिफाइन करने से उसके पोषक तत्व व फाइबर की मात्रा कम हो जाती है। ग्लूकोज हमें सभी अनाजों से मिलता है।

लेकिन साबुत अनाज हमें फाइबर भी देते हैं और खनिज भी देते हैं फलियां प्रोटीन का मुख्य स्रोत होती है। डेरी प्रोडक्ट में संतृप्त वसा अधिक मात्रा में होता है। इसलिए हमें कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए। जो हमें विटामिन खनिज प्रोटीन और कैल्शियम भी देते हैं।

ग्लूकोज युक्त आहार हमारे शरीर की आवश्यकता है। अगर हमें ग्लूकोज की आवश्यक मात्रा ना मिले तो यह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। इसीलिए हमें ग्लूकोज के स्तर को बैलेंस बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है। ग्लूकोज के स्तर को कंट्रोल करने के लिए हमें संतुलित भोजन करना चाहिए।

भोजन में सभी आवश्यक तत्व जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, मिनरल्स आदि सभी शामिल करने चाहिए और सबसे आवश्यक हमें अपना नाश्ता अवश्य करना चाहिए। ग्लूकोज के लिए हमें पत्तों वाली सब्जियां जैसे ब्रोकली , पालक और अन्य सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।

अंडे, मछली, अंगूर, सूखे मेवे, चीज, शहद, खजूर, अनानास, आम, चुकंदर, खीरा यह सभी ग्लूकोज युक्त भोजन होते हैं। जो हमारे शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं इनके अलावा गर्मियों के मौसम में जब हमारे शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता अधिक होती है क्योंकि हमारे शरीर से पसीने के रूप में पानी बहुत निकलता है। तब हम ग्लूकोज पेय पदार्थ के रूप में लेते हैं।

तो आइए जानते हैं जो ग्लूकोज पीने के फायदे

ग्लूकोज मददगार है बिमारियों से लड़ने में

रेशेदार फाइबर युक्त भोजन टाइप 2 मधुमेह और मोटापे से लड़ने में मददगार होता है। फाइबर पाचन तंत्र को सक्रिय रखता है। दिल को स्वस्थ रखता है। कोलेस्ट्रॉल एवं हृदय रोगों को नियंत्रण में रखता है।

ग्लूकोज रखता है वजन को नियंत्रित

ग्लूकोज से हम अपना वजन बढ़ा भी सकते हैं और घटा भी सकते हैं। हमें अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए ताजे फल जैसे तरबूज अंगूर नाशपाती बेर आदि खाने चाहिए। जिन में बहुत अधिक फाइबर और पानी पाया जाता है।

वजन को नियंत्रित
वजन को नियंत्रित

ग्लूकोज रखता है शरीर के तापमान को नियंत्रित

गर्मी के मौसम में जब हमारे शरीर से बहुत पसीना निकलता है तब हम ग्लूकोज पीते हैं। यही ग्लूकोज हमारे शरीर में ऊर्जा के रूप में पहुँचता है यह हमारी मांसपेशियों में ग्लाइकोजन के रूप में एकत्रित होता है और हमारे शरीर के तापमान को नियमित करने में सहायक होता है।

ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को बनाये आसान

हमारे शरीर को सभी आवश्यक शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए जैसे मांसपेशियों के संकुचन, श्वसन, हृदय की गति आदि के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है हृदय गति से लेकर मांसपेशियों में संकुचन तक सभी प्रक्रियाओं के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है और सभी पतियों को ग्लूकोज के द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है बिना ग्लूकोज के यह संभव नहीं है ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को आसान बनाने में सहायक होता है।

ग्लूकोज है दिमागी कार्यों में मददगार

ग्लूकोज मस्तिष्क के कार्य को सही तरह से करने के लिए आवश्यक होता है। किसी चीज को सीखने की प्रक्रिया में ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। पढ़ने में, याद करने में मस्तिष्क संरक्षित हुए ग्लूकोज का इस्तेमाल करता है इसीलिए ग्लूकोज दिमागी कार्य के लिए अति आवश्यक है।

उर्जा का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है ग्लूकोज

हमें हर कार्य को करने के लिए चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है हमारे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा ना मिले तो हम बहुत जल्दी थक जाते हैं और यही उर्जा हमें भी खुशी मिलती है इसके लिए हम कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पीते हैं।

ग्लूकोज का पाचन, पाचन तंत्र के द्वारा भोजन के पाचन से अलग होता है ग्लूकोज रक्त में अवशोषित होने के बाद ग्लाइकोजन में बदल जाता है। यह ग्लाइकोजन मांसपेशियों में सुरक्षित हो जाता है शरीर को जब भी आवश्यकता होती है ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदलकर ऊर्जा प्रदान करता है।

ग्लूकोज बढ़ाता है शरीर का स्टैमिना

हम सब जानते हैं कि ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।जब भी हम थकने लगते हैं हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम होने लगती है तो हमारी मांसपेशियों में इकट्ठा ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदल जाता है और हमारी थकान को दूर करता है।

ग्लूकोज हमारी मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाने का कार्य करता है अगर मांसपेशियों में ग्लाइकोजन की मात्रा है तो इसका अर्थ है कि हमारी मांसपेशियां थकेंगी नहीं। हमारा स्टेमिना बढ़ जाएगा। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि हम बिना थके ज्यादा काम कर सकते हैं।

शरीर को डिहाइड्रेट करता है ग्लूकोज

गर्मी के मौसम में जब लगातार पसीना आता है तब हम बॉडी को तुरंत एनर्जी देने वाला ग्लूकोज पाउडर पीते हैं यह बॉडी को डिहाइड्रेट करके तुरंत एनर्जी देता है।

मधुमेह में लाभदायक है ग्लूकोज

मधुमेह के रोगियों का अचानक शुगर लेवल डाउन होने लगता है। उस समय ग्लूकोज का पानी ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है। शुगर के लेवल को नियंत्रित करता है।

दूर करता है शरीर की थकान

जब भी ज्यादा काम करने के कारण शरीर थकने लगता है। ग्लूकोज शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है। ग्लूकोज थकावट को दूर करके शरीर और दिमाग को स्फूर्ती प्रदान करता है।

थकान को करे दूर
थकान को करे दूर

शरीर को ठंडा करता है ग्लूकोज़

गर्मियों की दोपहर में जब तापमान काफी अधिक होता है। हमारा शरीर का तापमान भी तेजी से बढ़ जाता है। उस समय ग्लूकोज लेने से शरीर का तापमान ठंडा बनाए रखने में मदद मिलती है।

ग्लूकोज़ रखे मांसपेशियों को स्वस्थ

कुछ लोग जिम और एक्साइज करने के बाद ग्लूकोज को एक हेल्थ ड्रिंक की तरह लेते हैं। एक्सरसाइज करते समय ग्लूकोज ग्लाइकोजन में टूट जाता है।

यह ग्लाइकोजन प्रोटीन के साथ मिलकर खून के बहाव में मिल जाता है। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि मांसपेशियों को काम करने में मदद मिलती है और एक्सरसाइज के बाद मांसपेशियों की मरम्मत के लिए ऊर्जा भी मिलती है।

ग्लूकोज रखे शरीर को स्वस्थ

ग्लूकोज में शरीर के लिए आवश्यक सुक्रोज और ग्लूकोज होते हैं जो स्वस्थ शरीर को बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इसमें वसा और फैटी एसिड नहीं होते स्वस्थ व्यक्ति के लिए इसी प्रकार की ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। इस प्रकार ग्लूकोज शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

ग्लूकोस की कमी से शरीर में क्या होता है?

हमारे शरीर को संतुलित और सुरक्षित रखने के लिये शरीर में ग्लूकोज की मात्रा सही होना बेहद जरूरी है।ग्लूकोज़ की कमी होने पर इसके लक्षण समय के साथ बदलते रहते हैं।शरीर में ग्लूकोज़ की कमी होने से कई प्रकार की समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। ग्लूकोज की कमी से निम्नलिखित समस्याएं होती हैं .शरीर से पसीना आना .थकान महसूस करना .सिर चकराना .झुनझुनाहट या कंपकपी होना .दिल की धड़कन का अचानक बढ़ना .व्यवहार में परिवर्तन .शरीर में पीलापन .ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई .नींद अधिक आना .कमजोरी लगना .बेचैनी महसूस होना .मन विचलित होना। उपयुक्त लक्षण दिखने पर डॉ से शीघ्र मिलें।

ग्लूकोज कब पीना चाहिए?

गर्मी के दिनों में हमारे शरीर से पसीना काफी निकलता है, जिसकी वजह से बॉडी में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर अधिक से अधिक पानी का सेवन करने और ग्लूकोज़ पीने की सलाह देते हैं। जब थकान,चक्कर,सिर दर्द,कमजोरी,बेचैनी महसूस हो तब ग्लूकोज का सेवन कर सकते हैं। डॉक्टर विटामिन डी कमी होने पर भी विटामिन डी युक्‍त ग्‍लूकोज पाउडर पीने की सलाह देते हैं। यह मूत्रवधक, हृदयवाही संबंधी स्वास्थ्य, कैल्शियम की कमी होने पर और मधुमेह के रोगियों में अचानक शुगर लेवल डाउन होने पर भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है। ग्लूकोज शरीर को तुरन्त रिलेक्स महसूस कराता है साथ ही ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है।

ग्लूकोज क्या काम करता है?

ग्लूकोज को शायद रक्त शर्करा (ब्लड सुगर) के नाम से जानते हैं। ग्लूकोज शरीर के सभी अंगों के कार्यों को सही तरह से करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा जब सही होती है, तो हम इस पर बिलकुल ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन जब यह स्तर ज्यादा या कम हो जाता है, तो हमे कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है, जो मोनोसैक्राइड कार्बोहायड्रेट की श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि इसमें चीनी का एक ही अणु होता है। ऊर्जा और संचयन के लिए रक्त से ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाता है।वसा के अलावा ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है।

ग्लूकोज दिन में कितनी बार पीना चाहिए?

ग्लूकोज निर्जलीकरण के इलाज में भी सहायता करता है।यह शरीर में विटामिन-डी की कमी को भी पूरा करता है। शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। चिकित्सक के बताये अनुसार ही ग्लूकोज का इस्तेमाल करना चाहिये। ग्लूकोज की कमी की तुरन्त पूर्ति के लिए दो चम्मच ग्लूकोज़ पाउडर एक गिलास ठन्डे पानी में अच्छी तरह मिलाकर पीना चाहिए। हर एक दिन छोड़कर या महीने में किसी भी 10 दिन ग्लूकोज लेना सुरक्षित माना जाता है। ग्लूकोज दिन में एक बार ही सेवन करें या बहुत कमजोरी होने पर दो बार सेवन करें। नोट:ज्यादा सेवन करने से मधुमेह की बीमारी हो सकती है इसलिए डॉक्टर के निर्देशानुसार ही सेवन करें।

जानिए आपकी सेहत के लिए क्या है फिगारो आयल के फायदे

फिगारो आयल के फायदे

फिगारो जैतून का तेल आज के समय में सिर्फ किचन तक ही सीमित नहीं है। यह तेल बालों की देखभाल, त्वचा की नमी और दिल की सेहत के लिए भी बेहद उपयोगी है। इसके पोषण तत्व इसे एक हेल्दी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि फिगारो जैतून का तेल के फायदे क्या हैं, इसे कैसे इस्तेमाल करना चाहिए, और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

फिगारो जैतून का तेल क्या है?

फिगारो जैतून का तेल (Figaro Olive Oil) एक उच्च गुणवत्ता वाला ऑलिव ऑयल है, जो यूरोपियन तकनीक से निर्मित होता है। यह दो प्रकार में मिलता है:

  • एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल
  • रिफाइंड ऑलिव ऑयल

दोनों ही प्रकार स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं, लेकिन उपयोग के आधार पर इनका चयन किया जाना चाहिए।

फिगारो जैतून का तेल के फायदे

1. बालों की सेहत के लिए लाभकारी

  • यह तेल बालों की जड़ों तक पोषण पहुंचाता है।
  • डैंड्रफ कम करता है और बालों को झड़ने से रोकता है।
  • बालों को मुलायम, चमकदार और घना बनाता है।

उपयोग: हफ्ते में दो बार हल्का गर्म फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाएं और 1 घंटे बाद शैम्पू करें।

2. त्वचा के लिए बेहतरीन मॉइश्चराइज़र

  • सूखी और बेजान त्वचा को हाइड्रेट करता है।
  • झुर्रियों को कम करने और त्वचा को जवान बनाए रखने में मदद करता है।
  • सनबर्न और स्किन इरिटेशन में राहत देता है।

उपयोग: नहाने के बाद या रात को सोने से पहले त्वचा पर लगाएं।

3. दिल की सेहत के लिए लाभदायक

  • इसमें पाए जाते हैं मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स जो “अच्छे कोलेस्ट्रॉल” को बढ़ाते हैं।
  • नियमित सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
  • ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

उपयोग: खाने में सलाद ड्रेसिंग या हल्की आंच पर खाना बनाने में इस्तेमाल करें।

4. वजन घटाने में मददगार

  • यह तेल शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारता है।
  • लंबे समय तक पेट भरा महसूस होता है जिससे ओवरइटिंग नहीं होती।
  • वजन घटाने वाली डाइट का हिस्सा बन सकता है।
वजन कम करने में मदद करे
वजन कम करने में मदद करे

5. बच्चों की मालिश के लिए सुरक्षित

  • नवजात शिशु की त्वचा के लिए बिल्कुल सुरक्षित।
  • हड्डियों को मजबूत बनाता है और त्वचा को मुलायम रखता है।
  • सर्दियों में त्वचा को ड्राय होने से बचाता है।

फिगारो जैतून का तेल कैसे करें इस्तेमाल?

  • बालों के लिए: हल्के गर्म तेल से मालिश करें।
  • त्वचा के लिए: नहाने के बाद त्वचा पर लगाएं।
  • खाने में: सलाद, सूप, पास्ता आदि में मिलाएं।
  • शिशु मालिश के लिए: नहाने से पहले बच्चों के शरीर पर लगाएं।

सावधानियाँ

  • तेज़ आंच पर इस तेल को गर्म न करें, इसके पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं।
  • ऑयली स्किन वाले लोग पहले पैच टेस्ट करें।
  • तलने (Deep Fry) के लिए उपयोग करने से बचें।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. क्या फिगारो जैतून का तेल खाना पकाने के लिए सुरक्षित है?
    हाँ, यह हल्की आंच पर खाना पकाने और सलाद ड्रेसिंग के लिए उपयुक्त है।
  2. क्या फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाने से फायदा होता है?
    जी हाँ, यह बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
  3. क्या यह बच्चों के लिए सुरक्षित है?
    हाँ, यह शुद्ध और हल्का होता है, इसलिए बच्चों की मालिश के लिए बेहतरीन है।
  4. क्या इसे रोजाना त्वचा पर लगा सकते हैं?
    अगर आपकी त्वचा सूखी है तो रोजाना इस्तेमाल फायदेमंद है।

निष्कर्ष

फिगारो जैतून का तेल एक ऑल-राउंडर हेल्थ और ब्यूटी प्रोडक्ट है। यह बालों, त्वचा, दिल और यहां तक कि बच्चों की केयर में भी कारगर है। अगर आप एक ऐसा प्राकृतिक तेल ढूंढ रहे हैं जो कई तरह से फायदेमंद हो, तो फिगारो जैतून का तेल आपकी पहली पसंद होनी चाहिए।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

फिगारो तेल से क्या फायदा होता है?, फिगारो ऑयल के क्या फायदे हैं?

फिगारो जैतून का तेल एक मल्टीपरपज़ ओयल है, ये भोजन में और त्वचा तथा बालों में लगानें के काम आता है, इसमें बेहतरीन ऐंटीआक्सीडेंटस और फैट एसिड होते हैं, जिससे ये हार्ट के लिए बहुत लाभदायक होता है। इस तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है, इसे कई तरह के उबटन में मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं, होठों पर लगाने से होठ फटना बंद हो जाते हैं । नवजात शिशुओं की हड्डियों और बालों के लिए काफी लाभकारी है, बहुत प्यार से फिगारो उनकी नाजुक त्वचा का पोषण करता है।

जैतून का तेल बच्चों को कब लगाना चाहिए?

जैतून का तेल शिशु की त्वचा के लिए बहुत लाभकारी होता है, जब बच्चा पेट दर्द की वजह़ से रो रहा हो तो उसकी नाभि के आसपास हल्के हाथ से तेल की मालिश कर सकते हैं और ये जन्म के हफ्ते भर बाद से ही किया जा सकता है, इसके अलावा पूरे शरीर की मालिश भी हफ्ते बाद ही शुरू कर सकते हैं और डायपर रैशेज पर भी लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जब शिशु छः माह का हो जाए तो उसके खानें में भी एक चौथाई चम्मच जैतून का तेल यूज किया जा सकता है।

जैतून का तेल फेस पर लगाने से क्या होता है?

जैतून का तेल फेस पर लगाने से एक रात में ही आपको ग्लो महसूस हो जाता है, रात को सोने से पहले अपना फेस साफ करके उस पर तेल की 4 बूंदें लेकर मसाज करें। चेहरे और गर्दन पर सिर्फ 2 मिनट की मसाज करें और फिर सो जाएं। सुबह उठकर ग्लो खुद ब खुद देखें, जैतून के तेल में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह तेल आपकी त्वचा का रंग निखारने में बहुत अहम रोल निभाता है। यह स्किन सेल्स की रिपयेरिंग स्पीड को बढ़ा देता है इसलिए सिर्फ एक रात में ग्लो पा सकते हैं।

जैतून का तेल 100 ग्राम कितने का मिलेगा?

गुणवत्ता और पैकेजिंग बोट़ल के अनुसार जैतून के 100 ग्राम तेल के दाम भिन्न भिन्न होते हैं, तेल की शुद्धता, कम्पनी का नाम और पैकजिंग की क्वालिटी ये सब बातें दाम में भिन्नता पैदा करती हैं, इसलिए बाजा़र में अलग अलग कम्पनी के तेल थोड़ा ऊपर नीचें दामों में उपलब्ध हैं जो 95 रुपये से लेकर 160 रूपये तक के बीच में है। ये आपके अनुभव के ऊपर आधारित है कि आपको किस कम्पनी का तेल सूट करता है, बेहतर लगता है।

कब और कितना खाएं चुकंदर ताकि ना हो ये चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर या बीटरूट जिसको देखकर ही अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना की जा सकती है, सलाद हो या सूप चुकंदर को खाने के कई फायदे हमने सुने है। आयुर्वेद के अनुसार चुकंदर को खाने से बहुत से फायदे होते हैं। खून की कमी होने पर ​​हीमोग्लोबिन बढ़ाने में करता है। ​कैंसर से बचाता है, त्वचा को ग्लो देता है। रक्तचाप को कंट्रोल करता है, बालो को मुलायम बनाता है। लेकिन अगर आप सोचते है कि सुंदर और स्वस्थ्य दिखने के लिए आप ज्यादा सेवन करेंगे तो ये गलत है। अति हर चीज़ की नुकसान करती है, इसी प्रकार चुकंदर या बीट रुट के जरूरत से ज्यादा सेवन करना भी खतरनाक है। आज इस आर्टिकल में हम आपको चुकंदर खाने के नुकसान बताएंगे। इससे आप भली प्रकार समझ सकेंगे कि चुंकदर कब और कितनी मात्रा में खाना हैं।

चुकंदर खाने के नुकसान

किडनी स्टोन

किडनी स्टोन चुंकदर के ज्यादा सेवन का सबसे महत्वपूर्ण दुष्परिणाम होता है। ऐसे लोग जो पहले ही किडनी की किसी बीमारी ग्रसित हो चुकंदर का सेवन बिल्कुल न करे।

दरअसल चुकंदर में ऑक्सलेट साधारण से ज्यादा मात्रा में होता है, ऑक्सलेट की ज्यादा मात्रा ही किडनी में स्टोन बनने का मुख्य कारण है।

शौच से सम्बंधित समस्या

चुंकदर का सेवन ज्यादा करने से यूरिन और स्टूल का रंग भी लाल या गुलाबी रंग का हो जाता है। वैसे तो ये कोई खतरनाक स्थिति नही होती, लेकिन मल मूत्र का खून के रंग में आना मानसिक तौर पर बहुत ही उलझन पूर्ण होता है।

इस स्थिति को बीटूरिया कहते हैं। चुकंदर में शामिल बीटानिन तत्व ही इस रंग का कारण होता है। यदि आप इस समस्या से जूझ रहे है तो चुकंदर का सेवन तुरन्त बन्द कर दे।

48 से 50 घण्टे के भीतर गुलाबी या लाल मल मूत्र की समस्या समाप्त हो जाएगी। यदि 50 घण्टे के बाद भी स्थिति जस की तस बनी रहे तो डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करे।

निम्न रक्तचाप

यदि आप उच्च रक्तचाप से ग्रसित है तो चुकंदर आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन यदि आप निम्न रक्तचाप से पीड़ित है तो चुकंदर का ज्यादा सेवन बिल्कुल न करे।

खासकर यदि आप लो ब्लड प्रेशर के लिए कोई दवाई ले रहे है। निम्न रक्तचाप होने से रोजमर्रा के कार्य अव्यवस्थित हो जाते है।

निम्न रक्तचाप
निम्न रक्तचाप

पाचन क्षमता पर बुरा असर

बीटरूट जूस का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा आप चुकन्दर का सेवन धीरे धीरे कम मात्रा में करे।

यदि आप इसे सलाद के रूप में ले रहे है तो साथ मे दूसरे पदार्थ भी सलाद के रूप में ले। यदि आप जूस के रूप में ले रहे है तो कुछ मात्रा में दूसरी सब्जियों का जूस भी मिक्स करें।

मधुमेह में नुकसानदायक

100 ग्राम चुकंदर में लगभग 7 ग्राम शुगर होती है। यदि आप नियमित तौर पर इसका सेवन कर रहे है, तो आपका सुगर लेवल बढ़ सकता हैं।
खासतौर पर यदि आप अन्य मीठी चीज़ों का सेवन भी कर रहे है तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि इसे अन्य खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित कर लें।

चुकंदर खाने के अन्य नुकसान

  • चुकंदर फाइबर से भरपूर होता है। यदि आप सोचते है कि फाइबर की अधिक मात्रा पेट के लिए सही है तो आप गलत हैं। चुंकदर के रूप में अधिक मात्रा में फाइबर के सेवन से मितली,  दस्त और कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • चुकंदर के ज्यादा सेवन से शरीर में कैल्शियम का लेवल कम हो सकता है। कैल्शियम हड्डियों का मुख्य तत्व है, इसका लेवल कम होने से हड्ड‍ियों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • कुछ लोगों को बीटरूट से एलर्जी हो सकती है। इससे अर्टिकेरिया (त्वचा पर लाल, खुजलीदार और जलनशील चक्कते), सांस लेने में तकलीफ और आंखों व नाक में समस्या हो सकती है
  • चुकंदर के अधिक सेवन से लिवर में मेटल जमा हो सकता है। यह पोर्फिरीया कटानिया टार्डा (खून की बीमारी जो त्वचा को प्रभावित करती है), आयरन की कमी या पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।

चुकंदर का कितना सेवन सही रहेगा

वैसे तो चुंकदर की सेवन मात्रा प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है फिर भी साधारण: एक बार में आठ औंस और सप्ताह में तीन बार से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

अर्थात एक बार मे दो चुकंदर का जूस काफी होता है। यदि आप किसी बीमारी जैसे खून की कमी के लिए इसका सेवन कर रहे है तो, बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई बन्द न करें।

आशा है आप चुकंदर खाने के नुकसान अच्छे से समझ गए होंगे और अपनी सेहत और सहूलियत के अनुसार ही इसका सेवन करेंगे।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

शादी के बाद कौन मां नहीं बनना चाहता लेकिन कई बार ये प्रेग्नेंसी अनचाही हो जाती है तो परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में कई बार महिला गर्भधारण को खत्म करने के घरेलू उपायों से गर्भपात कराने के बारे में सोचती है। गर्भपात का अर्थ है गर्भवती होने के 24 सप्ताह के भीतर गर्भ में भ्रूण का विनाश। यदि गर्भपात गर्भवती होने के 12 सप्ताह के भीतर हो जाता है, तो इसे प्रारंभिक गर्भपात कहा जाता है।

यदि गर्भावस्था के पहले या दूसरे सप्ताह में रक्तस्राव होता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आपका गर्भपात हो गया है। लेकिन इस स्थिति में भी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा अबॉर्शन पिल्स भी आजकल उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल दो महीने तक की प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है।

लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था को तीन महीने हो गए हैं, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार से गुजरना होगा। ऐसे में अगर आप घरेलू नुस्खे अपनाती हैं तो ब्लीडिंग होती है, लेकिन सही तरीके से गर्भपात न होने के कारण अधूरे गर्भपात का मतलब यह हो सकता है कि आपके गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह गए हैं, जो बाद में आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। आज हम आपको बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे बताएंगे, जिनकी मदद से आप 1 महीने तक गर्भपात करवा सकते हैं।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

लहसुन-गर्भपात के घरेलु उपाय

लहसुन हर किसी की रसोई में शामिल होता है, इसमें ‘एलिसिन’ नामक तत्व होता है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्त संचार बढ़ाता है। लहसुन से गर्भपात के लिए किसी भी तरह से अधिक मात्रा में इसका सेवन करें।

लहसुन
लहसुन

बबूल के पत्ते – गर्भ गिराने के उपाय

अगर 1 महीने से 15 दिन का गर्भ है तो उसके लिए बबूल के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। इस पानी को दिन में चार से पांच बार तब तक पिएं जब तक आपको ब्लीडिंग न होने लगे।

अजवाइन से गर्भपात

अजवायन का असर बहुत ही गर्म माना जाता है, आप इसका इस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं कि गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में रोजाना आधा चम्मच अजवायन लें, या फिर इसे एक गिलास पानी में उबालकर पी लें।

इलायची से गर्भ कैसे गिराए

इलायची के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें, एक चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार लें और रक्तस्राव बंद होने तक रखें।

गर्भ धारण करने के घरेलू उपाय के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर और 5 इलायची को उबालकर एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें, छानकर रख लें। दिन में तीन बार 50 मिलीलीटर पिएं।

तुलसी का काढ़ा

तुलसी का प्रभाव भी बहुत गर्म होता है, तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या इसका काढ़ा बनाकर पीएं, दोनों तरह से यह गर्भपात में सहायक है।

अनानास का रस-गर्भपात के घरेलु नुस्खे

अनानस गर्भवती महिलाओं से दूर रखा जाता है क्योंकि अनानास में बड़ी मात्रा में विटामिन सी, एंजाइम और रसायन होते हैं, जो गर्भपात का कारण बनते हैं। इसमें ब्रोमेलैन की उपस्थिति के कारण गर्भाशय की दीवार नरम हो जाती है। इसलिए अगर शुरुआती हफ्तों में इसका इस्तेमाल किया जाए तो गर्भपात आसानी से किया जा सकता है।

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

पपीते को एक गर्म फल भी माना जाता है, इसका इस्तेमाल ज्यादातर महिलाएं अबॉर्शन के लिए करती हैं। क्योंकि पपीते में मौजूद फाइटोकेमिकल्स प्रोजेस्टेरोन गतिविधि में हस्तक्षेप कर सकते हैं। जो गर्भपात का कारण बनता है।

विटामिन सी फूड्स

घर पर गर्भपात कराने के लिए आपको विटामिन सी युक्त फलों का भरपूर सेवन करना चाहिए।

गर्भपात के लिए घरेलू उपचार अपनाते समय यदि अधिक रक्तस्राव, पेट में दर्द, बुखार, कमजोरी जैसे लक्षण लंबे समय तक दिखाई दें तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एस्पिरिन टैबलेट

मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध एस्पिरिन की गोली लें, इस टैबलेट को रोजाना 6 से 8 खुराक में लें। टेबलेट लेने के साथ-साथ अन्य घरेलू उपचार भी करते रहें।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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