आंवला चूर्ण ओर शहद के फायदे जानकर आप हो जाएंगे हैरान

आंवला चूर्ण ओर शहद के फायदे

आंवला और शहद के फ़ायदों से तो हम सब अच्छी तरह से वाकिफ है। इन दोनों का इस्तेमाल प्राचीन काल से आयुर्वेद में किया जा रहा है। आंवला और शहद दोनों गुणों की खान माने जाते है। आंवला में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है । तथा शहद में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाये जाते हैं। जहां शहद आपको खांसी से आराम दिलाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, वहीं आंवला हाई ब्लड प्रैशर को कम करने और आँखों की रोशनी को बढ़ाया है। अगर इन दोनों का सेवन साथ में किया जाये तो इनके फायदे और भी बढ़ जाते हैं। आज इस लेख में हम आपको आंवला चूर्ण ओर शहद के फ़ायदे के बारे में बताएँगे।

आंवला चूर्ण ओर शहद के फायदे

गले की खराश को करे ठीक

आज कल मौसम के बदलते ही गले में खराश और खांसी की समस्याएँ हो जाती है। इनसे बचने के लिए आप आंवला चूर्ण में शहद और अदरक का रस मिला कर इसका सेवन करें। ये आपको गले की खराश में आराम दिलाएगा और खांसी को भी कम करेगा।

त्वचा को करे मोइश्चराइज़

आंवला चूर्ण और शहद आपकी त्वचा के लिए भी बहुत ही फायदेमंद साबित होते हैं। ये आपकी रूखी त्वचा में जान डालते हैं और आपकी त्वचा को नमी देकर उसे मोइश्चराइज़ करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच आंवला पाउडर में 1 चम्मच शहद मिला कर इसका पेस्ट बना लें। अब इसे अपने चेहरे पर अच्छे से लगा लें। 15 से 20 मिनट तक इसे लगा रहने दें। इसके बाद अपने चेहरे को पानी की सहायता से धो लें।

पाचन को बनाए बेहतर

कई बार भोजन ठीक से नही पचता। जिस कारण से आपको कब्ज़ और अपच जैसी समस्याएँ भी हो जाती हैं। ऐसे में आप आंवला चूर्ण और शहद का सेवन कर सकते है। इसके लिए 1 चम्मच आंवला चूर्ण और 1 चम्मच शहद को पानी में मिला कर इसका सेवन करें। इसके सेवन से आपके शरीर में गेस्ट्रिक जूस का उत्पादन बेहतर होता है। जिससे भोजन अच्छे से पचता है। इससे आपका मेटाबोलिज़म भी बेहतर होता है। और आपको कब्ज़ जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।

हेयर मास्क की तरह करें प्रयोग

आप इसका प्रयोग एक हेयर मास्क की तरह भी कर सकते हैं। इसके लिये आप 2 चम्मच आंवला के चूर्ण में 2 चम्मच दही और 1 चम्मच शहद मिला कर इसका पेस्ट बना लें। अब इसे बालों में अच्छे से लगा लें। इसे 1 घंटे तक के लिए बालों में लगा रहने दें। इसके बाद बालों को गुनगुने पानी की सहायता से अच्छे से धो लें। इसके प्रयोग से आपके बालों में चमक आती है। आंवला पाउडर आपके बालों को पोषण देता है और उन्हे मजबूत बनाता है। वहीं शहद आपके बालों को नमी प्रदान करता है और उन्हे स्मूद और सिल्की बनाता है।

हेयर मास्क
हेयर मास्क

अस्थमा को रोकने में करे मदद

आज कल कई लोग अस्थमा की बीमारी से पीड़ित है। कई लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आंवला का चूर्ण और शहद आपको आराम दिला सकता है। ये आपकी श्वसन नली को साफ रखता है और सांस लेने में हो रही दिक्कत को कम करता है। इसके लिए 20 ग्राम आंवले के चूर्ण में 1 चम्मच शहद मिलाये और इसका सेवन करें।

विषैले पदार्थों को शरीर से निकालें बाहर

विषैले पदार्थों के शरीर में ही रहने से आपको कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। आंवला का चूर्ण और शहद का एक साथ सेवन शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इससे आप कई तरह की बीमारियों से बचे रहते हैं और आपकी त्वचा भी बहुत सुंदर और साफ हो जाती है।

एजिंग को करे कम

उम्र बढने के साथ साथ शरीर कमजोर होने लगता है और चेहरे पर भी झुर्रियां और फ़ाइन लाइंस आने लगती है। ये देखने में भी अच्छी नहीं लगती। ऐसे में आंवला का चूर्ण और शहद का एक साथ सेवन करने से आप एजिंग को भी कम कर सकते हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच आंवला का चूर्ण लें और इसमे 1 चम्मच शहद मिला दें। अब इसे चेहरे पर फ़ेस मास्क की तरह अप्लाई करे। 15 से 20 मिनट के बाद चेहरे को पानी से अच्छी तरह से धो लें। आंवला का चूर्ण आपकी त्वचा को पोषण देगा जिससे झुर्रियां कम होंगी और शहद आपकी त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करेगा।

असरदार घरेलू उपाय जो दिलाएंगे सफेद बालों से छुटकारा

सफेद बालों से छुटकारा

आज के समय में कम उम्र में ही बालों का सफेद होना एक आम बात है। आजकल की दौड़ भाग भरी जिंदगी में हम अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिस वजह से हमारे शरीर में कई प्रकार के विकार उत्पन्न होने लगते हैं, जिनमें से बालों का सफेद होना चालू हो जाता है। साथियों इस आर्टिकल के माध्यम में हम सफेद बालों से छुटकारा पाने के तरीको के बारे में विस्तृत जानकारी आपको देंगे तथा यह लेख आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है।

आजकल मानो यह एक गंभीर समस्या बनते जा रही है, क्योंकि हर तीसरे या चौथे व्यक्ति के बाल कम समय में अथवा असमय में सफेद होने लगे हैं। आजकल तो यह समस्या 14 साल की बच्चे में भी दिखाई देने लगी है। ज्यादातर इसका निवारण लोग रसायन युक्त पदार्थों का इस्तेमाल कर करते हैं, परंतु यह रसायन हमारे बालों के साथ-साथ हमारे शरीर के लिए भी हानिकारक है, क्योंकि इन रसायनों का इस्तेमाल करने पर हमारे शरीर में इसके दुष्प्रभाव पड़ने लगते हैं तथा हमें अपने घरेलू उपायों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

आइए जानते हैं बाल सफ़ेद होने के कारण क्या है और कौन-कौन से घरेलू उपाय हैं जो सफेद बालों से छुटकारा दिला सकते है।

सफेद बाल
सफेद बाल

बाल सफ़ेद होने के कारण-Baal Safed Hone Ke Karan

दोस्तों इसके कई कारण हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं।

  • बालों का सफेद होना अपने खानपान पर भी निर्भर करता है यदि हम संतुलित आहार नहीं ले रहे हैं तो हमारे बाल सफेद हो सकते हैं। भोजन में हमें आवश्यक सभी प्रकार के तत्वों की पूर्ति करना चाहिए जो लोग खानपान में इन सारी बातों तथा आवश्यक तत्वों का ध्यान नहीं रखते हैं तो इसका असर आपके बालों में दिखाई देता है।
  • यह भी एक कारण है कि हमारी दैनिक जीवन की गतिविधि जिसके वजह से हम दिन भर अपने कामों में उलझे रहते हैं और नियमित रूप से अपने बालों का तथा शरीर का ध्यान नहीं दे पाते हैं। इस कारणवश इसका असर बालों पर नजर आता है यह एक महत्वपूर्ण समस्या बन जाती है।
  • जो लोग तनाव में रहते हैं तथा वह बहुत जल्द ही डर तथा घबरा जाते हैं तब यह समस्या उत्पन्न होना चालू हो जाती है।
    अनुवांशिकता एक महत्वपूर्ण कारण है जिसके वजह से बाल सफेद होते हैं दोस्तों यदि आपके परिवार या आपके पूर्वजों में यह समस्या चली आ रही है तो आपके भी बाल सफेद होंगे।
  • जैसे-जैसे पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ते जा रहा है, वैसे वैसे ही इसका दुष्परिणाम हमारे शरीर पर आ रहा है, परंतु इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हमारी त्वचा तथा बालों पर पड़ता है। इस दूषित पर्यावरण से हमारे बाल सफेद होने लगते हैं।
  • बाजार में रसायन युक्त शैंपू, कंडीशनर, डाई आदि पदार्थ बढ़ रहे हैं। जिनमें बहुत मात्रा में रसायनों का उपयोग होता है जिससे बालों का सफेद होना निश्चित होता है।
  • बाजार में मौजूद विभिन्न प्रकार के खुशबूदार तेल का भी हम लोग बहुत इस्तेमाल करते हैं इनमें उपस्थित रसायनों की वजह से हमारे बाल सफेद होने लगते हैं।

बाल काले करने के घरेलू उपाय-Baal Kale Karne Ke Gharelu Upay

  • मेहंदी के पौधे से पत्तियां तोड़ कर उसे पीसकर मेहंदी तैयार करें और अपने बालों में लगाना चाहिए इससे आप सफेद बालों पर बहुत हद तक नियंत्रण पा सकते हैं।
  • यदि आप अपने खान-पान में कढ़ी के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे, यह आपके बालों के लिए लाभदायक होते हैं।
  • सिर में नारियल के तेल की मालिश करना यह भी तेल की मालिश एक घरेलू उपाय है, करने से तेल बालो की जड़ तक जाता है जिसे बालो को पूरे नुट्रिएंट मिलते है जिसे बाल सफ़ेद नहीं होते है, जिससे हम इस समस्या से निदान पाने में काफी हद तक सफल हो सकते हैं।
  • सफ़ेद बालो को रोकने के लिए काली मिर्च को पानी के साथ उबालकर अपने बालो में लगाए। इस घोल को 15 से 20 मिनट अपने बालो में लगा कर रखे, फिर उसे ठंडे पानी से धो ले, यह प्रक्रिया सहप्ते में दो बार करे आप देखेंगे की आपके सफ़ेद बाल काफी हद तक काम होंगे है।
  • चाय पत्ती का पानी यह भी एक घरेलू उपाय है जिसके माध्यम से आप अपने बालों को चमकदार तथा रेशमी बना सकते हैं चाय पत्ती का पानी आप सस्ते में एक या दो बार उपयोग में लाए और 15 से 20 मिनट इसे सूखने के लिए रख दें आप देखेंगे कि आपके सफेद बालों पर काफी हद तक काबू में कर सकते हैं।
  • चुकंदर का रस यह भी एक घरेलू नुस्खा है इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्वों के माध्यम से हम अपने बालों को पोषण प्रदान करते हैं, जिसके वजह से यह हमारे बालों को स्वस्थ बनाकर रखते हैं बालों का स्वस्थ होना ही सफेद बालों को दूर रखने का एक तरीका होता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

बालों में तेल कब और कैसे लगाएं?

बालो मे तेल हमेशा रात मे लगाऐ और अगली सुबह धो ले।अपनी उंगलियों को तेल मे डुबोकर बालो के हिस्से कर के सिर पर हल्के हाथो से पूरे सिर पर लगाऐ और थोड़ी देर मसाज करे।

बालो का झड़ना कैसे रोक सकते हैं?

संतुलित आहार, नियमित तेल, बालो की कंडिशनिंग करके और तनाव से दूर रहकर बालो का झड़ना रोक सकते है।

गन्ने का सिरका के फायदे है अनेक, जानिए क्या है सिरका के उपयोग

गन्ने का सिरका के फायदे

गन्ने का सिरका गन्ने के रस से बनाया जाता है। गन्ने के रस को एक मिटटी के बर्तन में एक महीने के लिए धुप में रखा जाता है। बर्तन के मुँह के ऊपर एक मलमल का कपडा बांध कर एक महीने तक धुप में रखते हैं फिर उसे ठंडा करके काँच की बोतल में भरकर दो तीन लाल मिर्ची डाल कर रख देते है। गन्ने का सिरका तैयार है। गन्ने का सिरका बहुत गुणकारी होता है। वैसे तो गन्ने का सिरका के फायदे अनगिनत हैं यहाँ हम सिरका के उपयोग के बारे में जानेंगे।

गन्ने का सिरका के फायदे

सिरके के लाभ बड़े हुए लिवर व वजन को कम करने में

गन्ने का सिरका रक्त वसा को कम करता है जो बड़े हुए लिवरवजन को कम करने में सहायक होता है। यह शरीर के वजन बॉडी मास,व सीरम ट्राई ग्लिसरॉइड का स्तर कम करने में मददगार होता है। यह दैनिक चपापचप सिंड्रोम की रोकथाम करता है। यह सीरम एच डी एल के स्तर में वृद्धि करता है व बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।

सिरके का उपयोग त्वचा के लिए

त्वचा के दाग धब्बों के लिए सिरका जादू जैसा कारगर होता है। प्याज के रस में सिरका मिलाकर चेहरे के निशानों पर लगाने सेचेहरे के निशान कुछ ही दिनों में निशान गायब हो जाते हैं।

सिरके के फायदे उच्च रक्त चाप में

सिरके का नियमित सेवन उच्च रक्तचाप को कम करता है। व रक्तचाप कंट्रोल में रहता है।

सिरके के फायदे गले की सूजन व जलन को दूर करने में

सिरके में औषधीय गुण पाए जाते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाते है व गले की सूजन कम करते है। जिसके कारण गर्म पानी में सिरका मिलाकर कुल्ला करने से गले की खराश व सूजन कम होती है।

सिरके का पेट दर्द में उपयोग

एसिडिटी के कारण होने वाले पेट दर्द मे आधा चम्मच सिरका एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से पेटदर्द में राहत मिलती है।

सिरके के लाभ दस्त या कब्ज में

दस्त या कब्ज होने पर सलाद या पानी में सिरका मिलकर पीने से दस्त और कब्ज में आराम मिलता है।

सिरके के फायदे जहरीले कीड़े के काटने पर

जैली फिश का जहर सबसे हानिकारक विष में से एक माना जाता है। सिरका जैली फिश के विष के प्रभाव को कम कर देता हैं क्योकि सिरका जहरीले विष के हानिकारक प्रोटीन को तोड़ देता है अतः घाव में सिरका भरने से विष का प्रभाव तत्काल कम हो जाता है।

सिरके का उपयोग लू से बचाव में

गर्मियों की लू से बचने के लिए सिरका बहुत प्रभावी होता है सिरके को प्याज में मिलाकर खाने से लू नहीं लगती है।

सिरके के फायदे बालों के झड़ने में

बालों की समस्याओ के समाधान के लिए भी सिरका बहुत उपयोगी होता है। पानी में सिरका मिलाकर बाल धोने से बाल नहीं झड़ते हैं। क्योकि यह बालों को पोषण प्रदान करता हैं।

बालों के झड़ने में
बालों के झड़ने में

सिरका है इन्फ़ेक्शन रोधी

सिरका सर के फोड़े फुंसी फंगल इन्स्फेक्शन के लिए भी बहुत कारगर होता है यह सर के इंफेक्शन को दूर करता है। सिरकेवाले पानी से बाल धोने से सर के फोड़े फुंसी दूर होते हैं।

सिरका है रक्त शोधक

रक्त साफ़ न होने के कारण चेहरे पर होने वाले फोड़े फुन्सी की रोकथाम के लिए भी सिरका राम बाण होता है। सिरका पानी में मिलकर पीने से रक्त साफ़ होता है।

सिरका हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता हैं

सिरका गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा कर बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।

सिरके का उपयोग हिचकी रोकने में

लगातार आती हिचकियों से परेशान हो तो एक चम्मच सिरके से तुरंत लाभ मिलता है।

सिरका है उपयोगी पथरी में

मूत्र में अधिक अम्ल होने के कारण एसिड या ऑक्स्लेट के स्टोन बन जाते है। यह स्टोन पथरी होती है। सिरका मूत्राशय को क्षारीय बनाता है जिससे किडनी के स्टोन तोड़ने में मदद मिलती है। गुर्दे की पथरी में गन्ने के सिरके के सेवन से एक महीने में फायदा मिलता है।

गन्ने का सिरका है पीलिया में फायदेमंद

गन्ने के सिरके को पीलिया में लेने से तत्काल आराम मिलता है।

गन्ने के सिरके के फायदे आँखों की रोशनी बढ़ाने में

गन्ने के सिरके के नियमित सेवन से आँखों की रोशनी बढ़ती है।

गन्ने के फायदे पाचन में

गैस बनने पर सिरका पानी में मिलाकर लेने से हाजमा दुरुस्त करने में गन्ने का सिरका बहुत लाभदायक होता है।

गन्ने का सिरका है एक अच्छा प्रिजर्वेटिव

गन्ने का सिरका एक बहुत अच्छा प्रिजर्वेटिव होता है। अचार में सिरका डालने से अचार खराब नहीं होता।

सिरका है एक हेअर कंडीशनर

बालो के लिए सिरका एक हर्बल कंडीशनर होता है. बालों को धोने के बाद सिरका मिले पानी से बाल निथारने से बालों में चमक आती है।

सिरका है उपयोगी कपड़ों का रंग बरक़रार रखने में

सिरका मिले पानी से कपडे धोने से कपडे रंग नहीं छोड़ते व उनकी चमक बरक़रार रहती है तथा वे लम्बे समय तक नए रहते है।

सिरका कैल्शियम को शोषित करने में मददगार

सिरका आहार में मौजूद कैल्शियम को शरीर के द्वारा शोषित करता है|

सिरका है उपयोगी कैंसर से बचाव में

कैंसर रोगियों के लिए गन्ने का सिरका बहुत उपयोगी होता है। यह शरीर में पोटेशियम व अन्य उपयोगी खनिज पदार्थ की कमी पूरी करता है।

अल्जाइमर एवं डिमेंशिया में लाभकारी

अल्जाइमर एवं डिमेंशिया ऐसी बीमारियां हैं जिनमे मरीज की याददाश्त व सिखने की क्षमता धीरे धीरे काम होने लगती है सिरके के सेवन से डिमेंशिया के दौरान संज्ञानात्मक कार्य में सुधार कर सकते है।

दादी नानी के ज़माने से सिरके के ऐसे ही न जाने कितने छोटे बड़े फायदे हैं। जिन्हे हम अपने जीवन में अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं एवं अपनी दिनचर्या से जुडी छोटी छोटी समस्याओं का समाधान कर सकते है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

गन्ने के सिरके में क्या क्या पड़ता है?

.सिरका तैयार करने के लिये लीटर गन्ने के रस को उबाल लिया जाता है। .खमीरन डालकर इसे खमीर बनने के लिए छोड़ दिया जाता है। .ठंडा होने के एक दिन बाद खमीर मिलाया जाता है। .इसके बाद इस जूस को तीन-चार दिन के लिए एक ऐसी जगह रख दिया जाता है जहां का तापमान 25 से 30 डिग्री के बीच हो। .फिर इसे छानकर साफ बर्तन में निकाल लिया जाता है और छठे दिन इसमें विशेष बैक्टीरिया वाला तरल पदार्थ साथ ही इसमें पुराना तैयार सिरका की कुछ मात्रा भी मिला दी जाती है। .7 से 14वें दिन इस पर झिल्ली बन जाती है जिसे हटा कर ठंडे स्थान पर रख दिया जाता है।फिर सिरके को इस्तेमाल में लाते हैं।

सिरके के क्या फायदे हैं?

अक्सर हमलोग सिरके का इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए ही करते हैं।लेकिन सिरका हमारे लिए किसी औषधि से कम नहीं है। स्वास्थ्य के लिहाज से सफेद सिरका और सेब के रस से बना सिरका बहुत फायदेमंद होता है. सिरके का इस्तेमाल रूप निखारने से लेकर कई छोटी-बड़ी बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है. सिरके के फायदे: .सिरके का इस्तेमाल कंडिशनर के रूप में करें। .अगर आपको लगातार हिचकियां आ रही है तो एक चम्मच सिरका पीने से हिचकी बन्द हो जाती है। .गले की खराश को दूर करने के लिये। .मांस-पेशियों की तकलीफ में राहत के लिए,सिरके से मसाज करें। .रोजाना एक निश्च‍ित मात्रा में सिरके का सेवन कर मोटापा कम कर सकते हैं।

सिरका पीने से क्या नुकसान होता है?

सिरका पीने के फायदे बहुत है तो नुकसान भी है। .भूख में कमी की समस्या हो सकती है। .इससे मतली की समस्या भी हो सकती है। .ज्यादा एसिटिक खाद्य या पेय पदार्थों से दांत संवेदनशील हो सकते हैं। .सिरके का सेवन दांत खराब कर सकता है। .इससे संवेदनशील त्वचा पर जलन या रैशेज की समस्या भी हो सकती है। इसलिए, त्वचा पर इसके उपयोग से पहले पैच टेस्ट जरूर करें। .गर्भवती महिलाओं के लिये भी हानिकारक होता है। इसलिए जब भी सिरके का इस्तेमाल करें तो एकबार जरूर डॉक्टर से सलाह लेकर ही सिरके का सेवन करें।

गन्ने का सिरका कैसे बनाए?

बाजार में मिलने वाला सिरका सेहत के लिये काफी नुकसानदेह है इसलिए हमसभी को रोजमर्रा की ज़िन्दगी में स्वस्थ के प्रति सचेत रहना चाहिये।इसलिए घर पर ही गन्ने से आसान तरीके से सिरका तैयार कर इस्तेमाल करना चाहिए। आइये जानते हैं विधि- .सिरका तैयार करने के लिए गन्ने के रस को उबाल लें। .गन्ने के रस को मिट्टी की हांडी में भर दें। .अब इस हाँडी को एक साफ व सूती कपड़े से बांधकर रोज़ तेज़ धूप में रखें। .इस प्रक्रिया को तकरीबन एक महीने तक दोहराएं और इसके बाद इस सिरके को छानकर एक कांच की बोतल में भर दें। .और फिर इसमें तीन सूखी लाल मिर्च डालकर बोतल को बंद कर दें। बहुत आसान विधि से उपयुक्त तरीके अपनाकर घर पर ही सिरका तैयार कर सकते हैं।

वात रोग क्या है? जानिए कैसे करे वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग की पहचान

आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों का मुख्य कारण वात, पित्त और कफ दोष होता है। अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इन सभी तत्वों से मिलकर शरीर का निर्माण हुआ है। यदि इन सभी तत्वों के बीच असंतुलन होता है तो व्यक्ति रोगी हो सकता है। इनका असंतुलन ही वात, पित्त, कफ दोषों को जन्म देता है। आजकल की जीवनचर्या के कारण वातरोग बहुत ही सामान्य है। आज इस आर्टिकल में हम आपको वात रोग की पहचान बताएंगे।

इस आर्टिकल को पढ़कर आप जान सकेंगे कि आप कहीं वातरोग से पीड़ित तो नही।

वातरोग या वायु विकार के प्रकार

वातरोग या वायु विकार को निम्न भागो में बांटा गया है।

उदान वायु

उदान वायु कंठ में वास करती है,जैसे डकार आना। इस प्रकार में सांस लेने और बोलने में समस्या होती है। चेहरे फीका लगता है, और खांसी जैसी समस्या शामिल है

अपान वायु

बड़ी आंत से मलाशय तक, वात रोग के इस प्रकार में बड़ी आंत और किडनी से जुड़ी समस्याएं होती है।

प्राण वायु

प्राण ह्रदय के ऊपरी भाग मे, इस प्रकार में नर्वस सिस्टम और ब्रेन प्रभावित होता है।

व्यान वायु

पूरे शरीर में फैली है, वात रोग के इस प्रकार में बाल झड़ने की समस्या होती है।

समान वायु

समान वायु का स्थान अमाशय और बड़ी आंत में होता है। इस प्रकार में रोगी को निगलने में तकलीफ, आंतों से संबंधित समस्या और पोषक तत्वों के अवशोषण में परेशानी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है

आयुर्वेद के अनुसार वात का मुख्य कार्य रेस्पिरेटरी सिस्टम, हार्ट बीट्स, मसल्स एक्टिविटी, और टिश्यू के कार्यों को संतुलित रखना है।

वात रोग के कारण

वात रोग क्यों होता है। वात रोग होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • गलत लाइफस्टाइल
  • असंतुलित भोजन

कैसे करें वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग होने पर निम्न लक्षण दिखते है।

  • लगातार शरीर का कमजोर होना।
  • चेहरे पर झुर्रिया आकर चेहरे की चमक गायब होना। दुबला शरीर होना।
  • छोटी, धंसी हुई और सूखी आंखों के साथ उनमें काली और भूरी रंग की धारियों का दिखना।सूखे और फटे होंठ।
  • पतले मसूड़े और दांतों की बिगड़ी हुई स्थिति।त्वचा का रूखा, सूखा और बेजान नजर आना।
  • अनियमित भूख या भूख न लगना
  • डायजेस्टिव सिस्टम खराब होकर लगातार गैस या अपच रहना।
  • बहुत ज्यादा भावुक होना, जल्दी रोना या गुस्सा आना
  • बहुत जल्दी में निर्णय ले लेना, तारीफ सुनते ही सामने वाले के वश में हो जाना।
  • बार बार प्यास लगना, पानी पीने पर भी होंठ और त्वचा ज्यादातर सूखी रहना।
  • मौसम के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होना, गर्मी,सर्दी बर्दाश्त न कर पाना और खास तौर से रात के वक्त जोड़ा, पिंडलियों या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द बना रहता है।
  • दिमाग मे हमेशा बेचैनी रहना, घबराहट होना, सांस जल्दी फूलना, उम्र से बड़ा दिखना, नकारात्मक कल्पनाएं करना।
  • पैर के जोड़ों और हड्डियों में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा हो जाने के कारण जोड़ों, घुटनों, पैरों और मांसपेशियों में सूजन हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को उठने बैठने में काफी तकलीफ होती है और दर्द का भी अनुभव होता है।

वात रोग का नियंत्रण और उपचार

सुबह धूप में बैठे

सुबह धूप में बैठने से अर्थ यह नही की आप बेसमय और बेमौसम धूप में बैठे। गर्मियों में सुबह 6 से 7 और सर्दियों में सुबह 9 से 10 तक का समय सही है। गर्मियों में लू लगने का डर रहता है इसलिए तेज धूप में न बैठे।

सुबह धूप में बैठे
सुबह धूप में बैठे

तांबे के बर्तन का पानी

रात भर तांबे के बर्तन में पानी रखे, सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें। तांबे को शरीर की अशुद्धियों को दूर करने में सहायक माना जाता है।

यह पाचन सिस्टम को दुरुस्त कर चेहरे पर चमक लाता है। वात रोग को दूर करने में मदद मिलती है।

दालचीनी

वात रोग की पहचान होने पर दालचीनी को किसी भी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। ये वातरोग के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे चाय के रूप में या काढ़े के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

दालचीनी को अदरक और हल्दी के साथ काढ़े के रूप में बनाये, ये दोगुना फायदा करेगी।

लहसुन

यह खाने के अवशोषण में मदद करने के साथ पाचन को मजबूत करने में भी सहायता करता है। वहीं यह वात के प्रभाव को बढ़ाकर वात, पित्त और कफ के बीच के संतुलन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

लहसुन की एक कली को सुबह पानी से निगल ले। या गाय के घी में लहसुन का छोक लगाकर दाल में डालकर सेवन करें।

गोल्डन मिल्क यानी हल्दी का दूध

गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन वात दोष से संबंधित कई विकारों से बचा सकता है। दूध को गर्म करके उसमें एक चुटकी हल्दी डालकर उबाल लें। इसमें बिना मीठा डाले इसका सेवन करें।

इन बातों का रखे खास ध्यान

  • सोने जागने और खाने का सही शेड्यूल बनाए।
  • भोजन के स्वाद से ज्यादा पौष्टिकता पर ध्यान दे।
  • खाने में ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन नियंत्रित रूप से करें।
  • खुद को ज्यादा से ज्यादा गर्म रखें।
  • नियमित योगभ्यास या व्यायाम करें
  • पूरे शरीर की तिल या सरसो के तेल से मालिश करें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

वात रोग में कौन कौन से रोग होते हैं?

चरकसंंहिता के अनुसार शरीर में वायु बिगड़ जाने पर अस्सी प्रकार के रोग होते हैं जिनमें से जो आमतौर पर देखने में आते हैं वे निम्नलिखित हैं -- नाखूनों का टूटना, पैरों का सुन्न होना, पैर की पिंडलियों में ऐंठन जैसा दर्द, सियाटिका का दर्द,पेट की गैस ऊपर की ओर आना, उल्टी होना, दिल बैठने जैसा महसूस होना, ह्रदय गति में रुकावट का अनुभव, हार्ट बीट बढ़ना, छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा,भुजा से अंगुली तक मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन व जकडऩ। हाथ ऊपर न उठना। गर्दन के पीछे लघु मस्तिष्क के नीचे के हिस्से में जकडऩ व पीड़ा, होंठों में दर्द, दांतों में पीड़ा,सिरदर्द, मुँह का लकवा, कंपकंपी होना, हिचकी, नींद न आना, चित्त स्थिर न रहना।

वात रोग कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पाँच प्रकार की वायु होती हैं, शरीर में इनके निवास स्थान और अलग कामों के आधार पर इनके नाम है.. प्राण उदान समान व्यान अपान ये पांचों प्रकार की वायु में से कोई भी शरीर में असंतुलित हो जाये तो शरीर के उस हिस्से में रोग हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर्फ वात के प्रकोप से कुल 80 प्रकार के रोग होते हैं।

वात पित्त कफ कैसे पहचाने?

लक्षणों के आधार पर हम वात पित्त कफ़ को पहचान सकते हैं, जैसे.. *वात प्रकृति वाले लोगों के शरीर में रूखापन, दुबलापन, नींद की कमी, निर्णय लेने में जल्दबाजी, जल्दी क्रोधित होना व चिढ़ना, जल्दी डर जाना व अस्थिरता पाई जाती हैं। *पित्त प्रकृति के लोगों में गर्मी बर्दाश्त ना कर पाना, त्वचा पर भूरे धब्बे, बालों का जल्दी सफ़ेद होना, मांसपेशियों और हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन, पसीना, शरीर के अंगों से तेज बदबू आना सामान्य लक्षण है। *कफ प्रकृति वाले लोगों की चाल स्थिर और गंभीर होती है। भूख, प्यास और गर्मी कम लगना, पसीना कम आना, शरीर में वीर्य की अधिकता, जोड़ों में मजबूती, और गठीला शरीर होता है, कफ प्रकृति वाले लोग सुन्दर, खुशमिजाज, कोमल और गोरे रंग के होते हैं।

वात रोग को कैसे खत्म करें?

वात रोग दूर करने के लिए सबसे पहले आहार पर ध्यान दें, जो चीजें बादी करती हैं जैसे बैंगन, उड़द की दाल, फूलगोभी, उनका प्रयोग खानें में न करें, आहार में दूध (पनीर, मावा, मिठाई) व उससे बनी हुई चीजें, घी, गुड़, लहसुन, प्याज, हींग, अजवाइन, मेथी, सरसों व तिल का तेल से वात कम होता है। इसके अलावा अपनी जीवन शैली पर ध्यान दे क्योंकि वात रोग में शरीर में रूखापन रहता है इसलिए तेल की नियमित मालिश भी लाभदायी है। त्रिफला मात्र एक ऐसी औषधि है जो शरीर में वात पित्त कफ़ तीनो का संतुलन बनाता है ,इसलिए नियमित त्रिफला का सेवन करना अत्यंत लाभदायक होता है।

क्या है पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे आपकी सेहत के लिए

पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे

शतावरी एक जड़ी बूटी है। इसकी लता फैलने वाली और झाड़ीदार होती है एक एक बेल के नीचे कम से कम सौ से अधिक जड़े होती हैं। यह जड़े लगभग 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। इनकी जड़ों के बीच में कड़ा रेसा होता है। जिसे शतावरी कहा जाता है। शतावरी दो प्रकार की होती है। सफेद शतावरी और पीली शतावरी। पीली शतावरी अत्यधिक लाभकारी होती है। पतंजलि शतावरी चूर्ण पीली शतावरी की जड़ों से ही बनाया गया है इस पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे अनेक हैं।

यह अनिद्रा में कामगार होती है। गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी अति लाभकारी है। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है। महिलाओं को माँ बनने के बाद स्तन में दूध की कमी होती है ऐसी स्थिति में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक लाभदायक होता है। नवयौवना के ब्रेस्ट बढ़ने के लिए भी शतावरी का चूर्ण प्रयोग किया जाता है।ल्युकोरिया जैसी बीमारी में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक फ़ायदेमंद होता है। तो आइए जानते हैं शतावरी के फायदे।

पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे-Patanjali Shatavari Churna Benefits In hindi

शतावरी उपयोगी है स्तनों से दूध बढ़ाने में

शतावरी एक शक्तिवर्धक औषधि है वे स्त्री जो बहुत कमजोर होती है उनके स्तनों से दूध कम आता है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ पीने से मां के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है गर्भवती मां के लिए

पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है और मां भी स्वस्थ रहती है गर्भवती महिलाओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण अश्वगंधा मुलेठी और भृगरज के साथ लेना चाहिए। यह सारी औषधियां दूध के साथ लेने पर गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्टैमिना डिवेलप करने में

जो युवा अपना शरीर बनाना चाहते हैं उसके लिए वह जिम में जाकर घंटों एक्सरसाइज करते हैं और फिर हजारों रुपए का प्रोटीन पाउडर खरीदते हैं। उनके लिए पतंजलि शतावरी चूर्ण बहुत फ़ायदेमंद है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ लेने से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ल्यूकोरिया में

वे महिलाएं जो सफेद पानी (ल्यूकोरिया ) की समस्या से काफी परेशान है। जिसके कारण उनके पेट और हाथ पैरों में हमेशा दर्द रहता है। उन्हें पतंजलि शतावरी चूर्ण रात को सोते समय लेना चाहिए कुछ समय में ही उनकी समस्या का समाधान होता है|

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है धात रोग में

पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध के साथ लेने से धात रोग में लाभ होता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद अनिद्रा में

वह स्त्री या पुरुष जी ने रात भर नींद नहीं आती वह नींद आने की बीमारी से परेशान है ऐसे लोगों को पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध में पकड़ कर लेना चाहिए। घी में मिलाकर खाने से नींद ना आने की समस्या दूर होती है।

नींद ना आना
नींद ना आना

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ब्रेस्ट के विकास में

जिन युवतियों के ब्रेस्ट विकसित न हुए हो वो पतंजलि शतावरी चूर्ण का सुबह शाम दूध के साथ सेवन करती हैं तो वक्ष सुडौल होते हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्वप्नदोष में

जिन व्यक्तियों को स्वप्नदोष की समस्या होती है उन्हें शतावरी चूर्ण को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह शाम गर्म दूध में डालकर पीना चाहिए इसे स्वप्नदोष की समस्या दूर होती है और शरीर स्वस्थ होता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है रजोनिवृत्ति में

स्त्रियों में रजोनिवृत्ति के समय चिढ़चिढाहट होती है। थकान होती हैऔर बेचैनी होती है उन सारी परिस्थितियों में पतंजलि शतावरी चूर्ण का सेवन अत्यधिक फ़ायदेमंद है यह है मानसिक और शारीरिक थकान को दूर कर स्त्री के शरीर को ऊर्जावान बनाता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण स्त्रियों के प्रजनन अंगों को ताकत प्रदान करता है

पतंजलि शतावरी चूर्ण में प्राकृतिक रूप से फाइटोएस्ट्रोजन नामक हार्मोन होते हैं। जो कि गर्भाशय को मजबूत करते हैं। और साथ ही साथ स्तनों में दूध के स्तर को भी बढ़ाते हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण है प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट

पतंजलि शतावरी चूर्ण मुक्त कणों को कम करता है शरीर को गैस्टिक क्षेत्र के अंदर की परत की क्षति होने से बचाता है और अल्सर को बनने से रोकता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण दूर करता है। यूरिन की समस्याओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से यूरिन का रुक-रुक कर आना दूर होता है व अन्य यूरिन की समस्याओँ का भी समाधान होता है|

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है पाचन तंत्र में

पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से पाचन तंत्र बेहतर काम करता है और फूड पाइप भी सुचारु रूप से काम करता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण दूर करता है सूजन को

पतंजलि शतावरी चूर्ण के नियमित सेवन से शरीर में कहीं भी सूजन नहीं आती है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण शतावरी नामक जड़ी बूटी से बनाया जाता है यह एस्पैरेगस फैमिली की जड़ी बूटी होती है। शतावरी औरतों के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है यह स्त्री के किशोरावस्था से लेकर रजोनिवृत्ति तक हर अवस्था में उसके स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान में काम आती है रखती है। बल्कि आदमियों के शरीर के लिए भी पतंजलि शतावरी चूर्ण अत्यधिक उपयोगी है यह उन्हें शारीरिक ताकत देता है उनकी दुर्बलता को दूर करता है और स्वप्नदोष जैसी बीमारियों को भी दूर करता है।

आपकी सेहत के लिए क्या है करी पत्ता के फायदे और नुकसान-मीठी नीम के फायदे इन हिंदी

करी पत्ता के फायदे और नुकसान

हमारे घर की रसोई में कई तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। ये मसाले खाने के स्वाद को और बढ़ा देते है जिससे खाना और स्वादिष्ट हो जाता है। ऐसा ही एक मसाला है करी पत्ता। करी पता खाने के स्वाद के साथ साथ सुगंध भी बढ़ाता है। करी पत्ते का इस्तेमाल दक्षिण भारत में ज्यादा किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मुराया कोएनिजी है। करी पत्ता बहुत ही गुणकारी है। प्राचीन समय में करी पत्ते का इस्तेमाल इसकी सुगंध के कारण किया जाता था। बाद में इसके सेवन से होने वाले फ़ायदों को देखते हुए लोग इसका इस्तेमाल खाने में भी करने लगे। आज इस लेख में हम आपको करी पत्ता के फायदे और नुकसान के बारे में बताएँगे।

करी पत्ता में पाये जाने वाले पोषक तत्व

प्रति 100 ग्राम करी पत्ता में पाये जाने वाले पोषक तत्व हैं
कैल्सियम 810 mg
फास्फोरस 600 mg
आइरन 3.1 mg
केरोटीन 12600IU
विटामिन सी 4 mg
निकोटिनीक एसिड 2.3 mg

करी पत्ता के फायदे-Kari Patta Ke Fayde

दिल के लिए है बेहतर-Kari Patta Ke Fayde In Hindi

करी पत्ता आपके दिल के लिए बहुत ही बेहतर साबित होता है। करी पत्ता में भरपूर मात्रा में एंटी ओक्सीडेंट्स और विटामिन सी पाया जाता है जो शरीर में मौजूद बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है। इससे आपको दिल से जुड़ी बीमारियाँ होने का खतरा कम हो जाता है और आप स्वस्थ रहते हैं।

बालों की ग्रोथ में करे मदद-Kari Patta For Hair In Hindi

करी पत्ता बालों के लिए भी बहुत अच्छा होता है। ये बालों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद करता है। करी पत्ता से आपके बाल मजबूत होते हैं और बालों की ग्रोथ भी अच्छी होती है। इससे बालों की जड़ें मजबूत हो जाती है। जिससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे हो जाते हैं। अगर आपके बालों में डेंड्रफ की समस्या है तो करी पत्ता इससे भी छुटकारा दिला सकता है। इसके लिए आप करी पत्ता के रस को अपने बालों में लगाएँ। फिर 1 घंटे बाद बालों को धो लें।

डायरिया और कब्ज़ में दे राहत-Kari Patta Ke Fayde

अगर आपको पेट से संबन्धित समस्याएँ जैसे डायरिया या कब्ज़ है तो आप करी पत्ता का सेवन भी कर सकते हैं। करी पत्ता डाइजेस्टीव एंज़ाइम्स को बढ़ाने में मदद करते हें। जिससे खाना अच्छे से पचता है और पेट से जुड़ी समस्याएँ नहीं होती। इसके लिए आप कच्चे करी पत्ता का सेवन भी कर सकते हैं।

कब्ज
कब्ज

फंगल और बेक्टीरियल संक्रमण से बचाए-Curry Leaves Benefits In Hindi

अगर आपको फंगल या बेक्टीरियल संक्रमण हुआ है तो आप करी पत्ता का प्रयोग कर सकते हैं। करी पत्ता में एंटी बेक्टीरियल गुण पाये जाते हैं जो संक्रमण को खत्म करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप ताजे करी पत्तों को पीस कर उनका पेस्ट बना लें। अब इसे संक्रमण वाली जगह पर लगा लें।

वज़न घटाने में करे मदद-Kari Patta Ke Fayde In Hindi

अपने बढ़े हुए वज़न को घटाने के लिए आप करी पत्ता का सेवन कर सकते हैं। करी पत्ता में डाइक्लोरोमीथेन और एथिल एसीटेट पाया जाता है। ये आपके बढ़े हुए वजन को कम करने में मदद करता है। जिससे आप फिट और स्वस्थ रहते है।

डायबिटीज़ को करे कंट्रोल-Kari Patta Ke Fayde

करी पत्ता डायबिटीज़ को कंट्रोल करने के लिए भी बहुत लाभकारी साबित होता है। करी पत्ता में एंटी डाइबिटिक प्रॉपर्टीज़ पाई जाती है। जो आपके शरीर में शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है और इंसुलिन की मात्रा को बढ़ाने में भी सहायक है।

करी पत्ता के नुकसान

  • हर चीज़ की अति बुरी होती है। इसलिए करी पत्ता का ज्यादा सेवन करना आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं होता।
  • गर्भवती स्त्री या स्तनपान कराने वाली स्त्रियॉं को डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए।
  • कई लोगों को करी पत्ते से एलर्जी भी हो सकती है। इसलिए अगर आपको एलर्जी है तो आप करी पत्ते का सेवन करने से बचें।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

सभी स्त्रियों  की कामना होती है एक सुडौल और आकर्षक स्वस्थ शरीर की जो विवाह और मातृत्व के बाद कहीँ खो सा जाता है। यूँ तो मातृत्व  भी एक अहम  दायित्व है पर इसे निभाने में अपने शरीर के प्रति सबसे ज़्यादा कोई कोताही बरतता है तो वो हैं हम स्त्रियाँ। जब ये चूक आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तो परिणाम शरीर पर जमा चर्बी के रूप में पाते हैं, यदि ये समस्या बहुत बढ़ जाये तो कमर के निचले हिस्से और पैरों को प्रभावित करती है। नतीजा…बढ़ा हुआ वज़न, पैरों में सूजन

कारण

आखिर चूक कहाँ हो जाती है हमसे? अक्सर पति और बच्चों के प्लेट में छोड़े हुए नाश्ते और भोजन को निपटा देने के बाद हम सभी अपने दैनिक कार्यों पर लग जाते हैं। कभी कभी तो हाल यह भो होता है गृहकार्य निपटाने में ,गृहणियाँ अपने नाश्ते और भोजन की अनदेखी कर जाती हैं।

फिर इकट्ठा पेट भर कर भोजन या विश्राम ,यदि कामकाजी है तो फिर दिन कुर्सी पर बैठे ही बीत जाता है। यही कुछ छोटी छोटी बातें हैं,जिन्हें हम नज़रंदाज़ करते जाते हैं और बाद में यही बातें हमारे शरीर पर जमी वसा के रूप में दिखाई पड़ती हैं।

यदि हम  किसी स्वस्थ व्यक्ति की दिनचर्या पर ध्यान दें तो पायेंगे कि इसका राज़ उनकी दिनचर्या में ही छुपा है।

पुरानी कहावत है “नाश्ता राजा की तरह ,दोपहर का भोजन राजकुमार और रात का खाना भिखारी ” की तरह ग्रहण करना चाहिये।
नाश्ता  रेशेदार फ़लों मेवों और  पौष्टिक  चीजों का होना चाहिये। वहीँ दोपहर का भोजन बेहद सन्तुलित होना चाहिये। रात का भोजन बेहद सादा ही उचित होता है।

क्योंकि सुबह हमारी जठराग्नि (पाचनशक्ति) प्रबल होती है,जो दिन बीतने के साथ मन्दी पड़ती जाती है। रात को शरीर दिन भर की टूट फूट की मरम्मत करता है  यदि रात के समय देर रात्रि भोजन किया जाता है तो यह मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को धीमा करता है और मोटापे को बढ़ा देता है।

यही है पहली गलती जो कि हम स्त्रियाँ अक्सर कर डालते हैं,यानि कि अपने नाश्ते को छोड़ देना। नाश्ते में अगर खाते भी हैं तो तला भुना,या मैदायुक्त आहार ।

जिसमें आलू ,या फिर स्टार्च बहुल पदार्थों की अधिकता होती है स्वास्थ्य वर्द्धक पदार्थों या फलों का प्रयोग बहुत कम ही किया जाता है।
दोपहर और रात का भोजन भी देर रात तक  ही खाने के कारण शरीर का उपापचय बेहद धीमा पड़ जाता है  ऊपर से ज़रूरत से ज़्यादा  आरामदायक जीवनशैली करेले पर नीम चढ़ाने का काम करती है।

अब सवाल ये उठता है कि इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं , तो प्रस्तुत हैं कुछ आसान उपाय जिन्हें घरेलू महिलाएं भी  उतनी ही आसानी से कर सकती हैं।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।

गर्म पानी

  • पानी का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये और फ्रिज़ के बजाय मटके का पानी पीना चाहिये ।
  • भोजन करने के आधे घण्टे बाद पानी पीना चाहिए,और पेट पहले सलाद और कच्ची सब्ज़ियों से भरना चाहिये और भूख से 1 रोटी कम सेवन करना चाहिए।
  • दिन की शुरुआत गर्म पानी से करनी चाहिये, ग्रीन टी और पुदीना की चाय दिन में पीनी चाहिये और चीनी के स्थान पर शहद या गुड़ का प्रयोग करना लाभदायक रहता है।

सलाद

सलाद को खाने से पहले खाना चाहिए और सलाद में भी C से शुरू होने वाली सब्जियों का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये,जैसे Cabbage, Carrot, Capsicum, Cucumber, Coriander (बन्दगोभी,गाज़र,शिमला मिर्च,खीरा और हरी धनिया)

इसके अतिरिक्त धनिया और पुदीने का प्रयोग भी करना चाहिये चटनी के रूप में स्वाद और स्वास्थ्य दोनों ही प्राप्त हो जाते हैं।

रेशेदार सब्ज़ियों

शकरकन्द भी रेशेदार सब्ज़ियों का अच्छा विकल्प है इसे खाने से पेट लम्बे समय तक भरा महसूस होता है।

पपीता एवँ अनन्नास  वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं को इससे बचना चाहिए।

मट्ठे का प्रयोग

मक्खन निकले हुए मट्ठे का प्रयोग करना चाहिये 1 कप दही में 4 से छह कप पानी मिलाने से यह लाभदायक हो जाता है।

ब्रिस्क वॉक

ब्रिस्क वॉक करना चाहिये यानि कि तेज़ टहलना इतना तेज कि पसीना आने लगे ,यह चर्बी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ और डेयरी प्रोडक्ट से बचना चाहिये उनके स्थान पर पॉपकॉर्न और भुने हुए चने और मुरमुरे का प्रयोग करना चाहिए।

दालचीनी

दालचीनी का पाउडर रात को एक गिलास पानी मे भिगोकर उसे सुबह गर्म करके सिप करके पीना चाहिये।

दालचीनी
दालचीनी

अजवायन

अजवायन का पानी भी कमर और हिप्स की चर्बी को पिघलाने में  लाभदायक सिध्द होता है।

अदरक

एक ज़ार में एक अदरक का टुकड़ा,1 छील कर पतले टुकड़े में काटा हुआ खीरा ,1 नींबू के टुकड़ें और  पुदीने की 10 से 12 पत्तियों को पानी मिलाकर रात भर रखें और सुबह सेंधा नमक डालकर पियें।

आसन

  • घर मे अनुलोम विलोम,बालासन,सेतुबन्ध व कपालभाति के साथ कुर्सी पर बैठने जैसे आसन की मुद्रा और पश्चिमोत्तासन का प्रयोग करना चाहिए।
  • सम्भव हो लिफ़्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करना चाहिये,खाना देर रात खाने से बचना चाहिये और खाने के बाद तुरंत ही सोने नहीं जाना चाहिये।

बीजों का सेवन

बीजों का सेवन जैसे 1-1 कटोरी  सभी मसालदानी मे उपलब्ध बीज जैसे धनिया,अजवायन ,मेंथी, जीरा, सौंफ़, कलौंजी और आधा कटोरी अलसी के बीजों को हल्का भून कर पीस लें और इस पाऊडर को सुबह शाम गर्म पानी से खाएँ।

हल्की फुल्की भूख

जब हल्की फुल्की भूख हो तो सूप, फलों और बीन्स को प्रयोग करना चाहिये। तरबूज और ककड़ी भी बेहतर विकल्प होते हैं। तरल पदार्थों जैसे मठा,दही ,मलाई निकला हुआ दूध और सूप का प्रयोग बढ़ा कर कोल्डड्रिंक बन्द कर देना चाहिए ।

जानिए क्या है बी पी लो होने का कारण-BP Low Hone Ke Karan

BP Low Hone Ke Karan

बी पी या ब्लड प्रेशर क्या होता है

हमारे शरीर मे बहने वाला रक्त, रक्त वाहिनियों पर दबाव डालता है। यह दबाव कितना होगा यह व्यक्ति की शारिरिक स्थिति जैसे कोई बीमारी, मोटापा, उम्र और आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है।

यह  दबाव सामान्य से कम या अधिक हो जाता तब उसे लो बी पी या हाई बी पी कहा जाता है।

सामान्य बी पी दर क्या होती है-BP Kitna Hona Chahiye

उम्र के अनुसार बी पी की दर

15 से 18 साल                     पुरुष – 117-77mmHg                महिला- 120-85mmHg
19 से 24 साल                     पुरुष ,महिला -120-79mmHg
25 से 29 साल                     पुरुष, महिला- 120-80mmHG
30 से 39 साल                     पुरुष-122-81mmHg                 महिला- 123-82mmHg
40 से 45 साल                     पुरुष-124-83mmHg                 महिला-125-83mmHg
46 से 49 साल                     पुरुष 126-84mmHg                 महिला 127-84mmHg
50 से 55                            पुरुष- 128-85mmHg                महिला 129-85mmHg
60 साल से अधिक                पुरुष- 131-87mmHg               महिला- 130-86mmHg

बी पी लो क्या होता है।

लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप को हाइपोटेंशन भी कहा जाता है. जब किसी भी इंसान का ब्लड प्रेशर 90/60 से नीचे चला जाता है, तो इस अवस्था को लो बीपी या हाइपोटेंशन कहते है।

ब्लड प्रेशर कम होना मतलब रक्त के साथ ऑक्सीजन का बहाव कम होना। ऑक्सीजन ही हमारी जीवनदायिनी शक्ति है। अब आप सोच सकते है यदि जीवनदायिनी शक्ति ही मुख्य अंगों तक सही से ना पहुचे तो स्थिति कितनी खतरनाक है।

बी पी लो होने के कारण-BP Low Hone Ke Karan

डीहाइड्रेशन

डीहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी, शरीर मे पानी की कमी कई कारणों से हो सकती है, जैसे उल्टी, डायरिया, हैवी वर्कआउट, तेज धूप या गर्मी में लंबा समय बिताना,लू लगना आदि।

इन सब कारणों से शरीर मे पानी हो जाती है, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।

डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन

ज्यादा खून बहना

ज्यादा खून बहने से भी रक्तचाप कम हो सकता है। अचानक कोई बड़ी दुर्घटना, डिलीवरी के दौरान तीव्र रक्तस्राव, या किसी अन्य आपरेशन के दौरान रक्त का बहाव हो सकता है।

दिल से सम्बंधित बीमारियां

ऐसे लोग जिनका दिल कमजोर होता है, वो लो बी पी के ज्यादा शिकार होते है। क्योंकि दिल की कमजोर मांसपेशियों से दिल की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और दिल कम मात्रा में खून को पंप कर पाता है। इससे आप समझ सकते है कि यदि हार्ट प्रॉब्लम के साथ लो बी पी की समस्या भी हो तो, हार्ट अटैक और दिल में इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। हार्ट आर्टरीज के ब्लॉक होने, पर भी लो बी पी होता है।

गंभीर इन्फेक्शन

किसी भी प्रकार का गंभीर इन्फेक्शन लो बी पी होने का बहुत बड़ा कारण है। इसका कारण होता है, इन्फेक्शन का खून में प्रवेश कर जाना।

पोषक तत्वों की कमी

आयरन, विटामिन बी-12 , और कुछ अन्य पोषक तत्वों की कमी से शरीर मे रेड ब्लड सेल्स में कमी आ सकती है।जिससे रक्तचाप कम हो जाता है।

एन्डोक्राइन ग्रंथि से जुड़ी समस्या

एन्डोक्राइन ग्रंथि से हार्मोन के कम स्राव के कारण थाइरॉएड, डायबिटीज या इस तरह की अन्य कई बीमारियां होती हैं। उपचार में लापरवाही करने से कई बार रक्तचाप औसत से कम हो जाता है।

लो बी पी को ठीक करने के घरेलू उपाय

  • रात को 7 से 8 किशमिश भिगो दें। खाली पेट सुबह चबा चबा कर खाएं।
  • देसी चने रात को भिगो दें सुबह चबा चबा कर खाए, यदि आपको गैस की दिक्कत है तो मात्र कम रखे, और एक दिन का गैप रखे।
  • कुछ सूप आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है, जैसे गाजर, टमाटर, पालक, चुकंदर का सूप। सूप में भुना जीरा और काला नमक डालें।
  • छाछ में नमक, भुना हुआ जीरा और हींग मिलाकर सेवन करें।
  • सुबह आंवले के मुरब्बे का सेवन करें।
  • इंस्टेंट रिलीफ के लिए कॉफी का सेवन करें।
  • रात को गुनगुने दूध के साथ खजूर का सेवन करें।
  • अदरक के छोटे-छोटे करके, उनमें नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर रख दें। अब इसे प्रतिदिन भोजन से पहले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाते रहें। दिनभर में 3 से 4 बार भी इसका सेवन आप कर सकते हैं।
  • समय से खाएं खाना
  • तुलसी का सेवन करें
  • बादाम और बादाम के दूध का सेवन करें

बी पी के लिए लाभदायक मुद्रा

इस मुद्रा को आप कभी भी प्रयोग कर सकते है। इसके लिए दोनों हाथों की तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा उंगलियों से मुट्ठी बनाएं और दोनों हाथों के अंगूठों के अग्रभाग को आपस में मिलाएं। हथेलियों की दिशा नीचे की ओर रहे। रोजाना धीमी-लंबी-गहरी सांस के साथ 15 से 45 मिनट तक करें।

जानिए क्या हैं पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से होने वाले फायदे

पीतल तांबा जस्ता को मिलाकर बनाई गई एक मिश्र धातु है। यह धातु पीले रंग की होती हैं। इस धातु के बने बर्तनों का प्रयोग हिंदू धर्म में पूजा पाठ एवं अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों के आयोजन में किया जाता है। पीतल के बर्तनों का हिंदू धर्म में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है एक बच्चे के जन्म होने से लेकर एक वृद्ध व्यक्ति के मृत्यु संस्कार तक में पीतल के बर्तनों की आवश्यकता होती है। भगवान विष्णु ,देवी मां बगलामुखी, मां लक्ष्मी इन सभी की पूजा में पीतल के बर्तन का प्रयोग किया जाता है।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त होता है

पीतल के बर्तन मे पानी पीने के फायदे अनेक हैं। पीतल की प्रकति गर्म होने के कारण पीतल के बर्तन में रखे हुए पानी से कफ दोष दूर होता है और खांसी जुकाम जैसे विकार नहीं होते।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से वायु दोष की बीमारी भी दूर होती है पहले के लोग अपनी क्षमता अनुसार सोना चाँदी तांबा और पीतल के बर्तन प्रयोग करते थे। जिस कारण वह हमेशा स्वस्थ रहते थे। परंतु आजकल धातु के बर्तनों की जगह प्लास्टिक, एलमुनियम, काँच, मेलामाइन आदि ने ले ली है। जिसके कारण काफी सारी बीमारियाँ बढी हैं। इन बर्तनो के प्रयोग से शरीर के अंदर राहु का प्रकोप बढ़ा है। फल स्वरूप कैंसर जैसी बीमारियां शरीर में घर कर रही है।

पीतल के बर्तन न केवल शारीरिक दृष्टि से बल्कि वास्तु के अनुसार हमारे लिए लाभदायक होते हैं। पीतल के बर्तन हमारे लिए आर्थिक समृद्धि लेकर आते हैं।

पीतल के बर्तनों में बना हुआ भोजन अत्यधिक स्वादिष्ट होता है पीतल के बर्तन में बना हुआ भोजन स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है पीतल बहुत जल्दी गर्म हो जाता है। जिस कारण गैस की बचत होती है। पीतल के बर्तनों में भोजन पकाने से ऊर्जा की बचत होती हैं। पीतल एक शुद्ध धातु है। पीतल के बर्तन मनुष्य को आरोग्यता एवं तेज़ प्रदान करते हैं। पीतल के बर्तन हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं। पीतल के बर्तन हमारी आंखों के लिए पीले रंग के होने के कारण टॉनिक का काम करते हैं।

कई बीमारियों से बचाए

पीतल के बर्तन बहुत मजबूत होते हैं शुद्ध पीतल के बर्तन 70% तांबा और 30% जस्ता को मिलाकर बनाए जाते हैं पीतल एक बहुत उपयोगी और कीमती धातु है। जिसे हमारे पूर्वज प्राचीन काल से प्रयोग करते आ रहे हैं। इसलिए नहीं कि वह प्लास्टिक का प्रयोग नही जानते थे या फिर वह बहुत धनवान थे। हमारे पूर्वज पीतल के औषधीय गुणों को जानते थे। आजकल शरीर में कैंसर, टयूमर, एलर्जी जैसी छोटी बड़ी बीमारियां बढ़ती जा रही है। यह सभी बीमारियां हमारे गलत खानपान का परिणाम है।

हम सभी ने समय की बचत के लिए एवं सुंदरता और अपनी सहूलियत के लिए प्लास्टिक के बर्तनों में, कांच के बर्तनों में, नॉन स्टिक के बर्तनों में खाना बनाना खाना परोसना शुरू कर दिया है। इन सब के दुष्परिणाम भी है। जो हम नई-नई बीमारियों के रूप में देख रहे हैं। पीतल के बर्तन आजकल की दौड़ भाग वाली जिंदगी में संभाल पाना बहुत मुश्किल है। यह हम सब जानते हैं तो हर भोजन तो हम पीतल के बर्तनों में नहीं बना सकते। पर कुछ तो हमें अपने स्वास्थ्य के लिए करना ही होगा। इसलिए हमें पीतल के बर्तनों में पानी पीना चाहिए। पीतल के बर्तन में पानी पीना भी उतने ही स्वास्थ्यवर्धक है जितना पीतल के बर्तनों में खाना खाना।

पीतल के बर्तन
पीतल के बर्तन

आँखों के लिए हैं फायदेमंद

पीतल का पीला रंग हमारी आंखों के लिए लाभदायक होता है यह हमें ऊर्जा प्रदान करता है स्वर्ण की तरह है पीतल भी अति शुभ कार्य होता है भगवान विष्णु को अति प्रिय है। बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए पीतल बहुत लाभदायक होता है। पीतल के बर्तनों में पानी पीने से बृहस्पति ग्रह प्रबल होता है।

पानी को करे स्वच्छ

पीतल के बर्तन जल स्वच्छ करने में कारगर पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से पानी के अंदर मौजूद माइक्रो ऑर्गेनाइज्म खत्म हो जाते हैं और पानी स्वच्छ हो जाता है पीतल के लोटे, थाली को गरीब से गरीब परिवार भी अपनी कन्या को विवाह में देता है। उसके पीछे उद्देश्य यही होता है कि घर मैं भोजन पवित्र एवं स्वच्छ हो और साथ ही शुद्ध भी हो हर मांगलिक कार्य में पीतल के कलश या लोटे में जल भरकर रखा जाता है। उसके पीछे उद्देश्य यही होता है कि जल की कभी भी कमी ना हो।

अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी तो सभी खरीदते हैं परंतु हमारे पूर्वज सदियों से पीतल के लोटे में जल भरकर भगवान के सम्मुख रखते आए हैं। उद्देश्य मात्र यही होता है कि जल की कभी भी कमी ना हो। घर में धनधान्य अन्न जल हमेशा भरा रहे। विवाह संस्कार के समय पीतल के लोटे में जल भर कर रखा जाता है। जो इस बात का प्रतीक है कि घर में पति पत्नी दोनों मिलकर रहेंगे।

घर को करे पवित्र

पीतल से जुडी परम्पराएँ बच्चे के जन्म के समय पीतल की थाली को पीटने की परंपरा है। जो बताती है कि घर में सौभाग्य आ गया है। एक नया वशंज संसार में जन्म ले चुका है। इसी प्रकार मृत्यु के समय अस्थि विसर्जन के पश्चात पीपल पर जल पीतल के कलश से ही चढ़ाया जाता है। पिंडदान के बाद पीतल के कलश में गंगाजल व सोने का टुकड़ा रखकर पूरे घर को पवित्र किया जाता है। यह सारी रीति रिवाज पीतल की पवित्रता व हमारे घर में पीतल की अनिवार्यता के विषय में बताते हैं। हम सभी को नए का प्रयोग करना चाहिए। पर नए के कारण पुराने को बिना सोचे समझे छोड़ देना कहीं की समझदारी नहीं है।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से पानी पौष्टिक, शुद्ध स्वच्छ व शरीर के लिए लाभदायक होता है तो मैं आप सब से यही कहना चाहूंगी कि निकाल लीजिए अपने दादा दादी के जमाने के लोटे और बरतनों को और जगह दे दीजिए एक बार फिर से अपने रसोई घर में।

नींबू और शहद के नुकसान, जिन्हें जानना आपके लिए है जरुरी

नींबू और शहद के नुकसान

जब भी कोई व्यक्ति सेहत के बारे में सोचना शुरू करता है, उसे सबसे पहली सलाह दी जाती है कि गर्म पानी नींबू और शहद पीना शुरू कर दो। मोटापा घटाना हो या सुंदरता बढ़ाना दोनों के लिए नींबू शहद के गुण गाये जाते है। बहुत से कॉस्मेटिक अपने प्रोडक्ट में इनके होने का दावा करते है। लेकिन जैसा हम हमेशा कहते है हर चीज़ का एक नुकसान होता है। उसी प्रकार निम्बू और शहद के भी कुछ साइड इफ़ेक्ट होते हैं। आज हम उन्ही साइड इफ़ेक्ट के बारे में बात करेंगे। सबसे पहले बात करते है, गर्म पानी नींबू और शहद पीने की और नींबू और शहद के नुकसान की।

अगर आप सोचते है सुबह गर्म पानी नींबू और शहद पीने से आप पतले हो जाएंगे, तो आप बहुत बड़ी गलतफहमी में है।

नींबू के नुकसान-Nimbu Ke Nuksan In Hindi

  • निम्बू मे सिट्रिक एसिड होता है, जो अगर ज्यादा मात्रा में शरीर मे जाए तो समस्या पैदा कर सकता है। ज्यादा निम्बू के सेवन से शरीर मे डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी हो सकती है। इससे आपको पूरे दिन हलक सूखने की समस्या हो सकती है। गर्म पानी के साथ नींबू का रस लेने से यह डाइयूरेटिक की तरह से कार्य करता है। जरूरत से ज्यादा यूरीनेशन आपको डीहाइड्रेट कर सकता है।
  • ज्यादा नींबू पानी पीने से दांतों की प्रोटेक्शन लेयर यानी इनेमल को नुकसान पहुंचता है। जिससे दांत बहुत सेंसिटिव हो जाते है। आपको ठंडा गर्म लगने की समस्या हो सकती है।
  • इसका कारण निम्बू का एसिडिक नेचर है। आप चाहें तो नींबू पानी हमेशा स्ट्रॉ से पीएं, इससे नींबू की अम्लता दांतों को सीधे तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
  • नींबू पेप्सिन एंजाइम को एक्टीवेट करता है। यह एंजाइम प्रोटीन्स को तोड़ता है। गले और ईसोफेगस में पेप्सिन के एक्टीवेट होने से ही जलन की समस्या होती है। इसके अलावा एसिडिटी, खट्टी डकार, खराब डाइजेस्टिव सिस्टम, की समस्या होती है।
  • ज्यादा नींबू पानी पीने से किडनी स्टोन (पथरी) की समस्या भी हो जाती है। इसके अलावा गुर्दे और पित्ताशय की थैली में समस्या आती है।
  • निम्बू में उपस्थित टायरामाइन नामक तत्व माइग्रेन को बढ़ा सकता है। तो यदि आप माइग्रेन से ग्रस्त है और इसकी की दवा ले रहे हों तो उसके साथ नींबू पानी बिल्कुल न ले।
  • कई बार मुँह में सफेद रंग के दर्द भरे छाले हो जाते है, जिन्हें केंकर सोर्स कहते है। उसका कारण भी निम्बू का एसिडिक होना माना जाता है।

शहद के नुकसान-Shahad Ke Nuksan

अगर आप शहद से मोटापा कम करने का सोच रहे है तो भूल जाए। शहद बहुत ज्यादा मीठा होता है और इसकी जरूरत से ज्यादा मात्रा मोटापा बढ़ाती है।

शहद
शहद

आइए जानते हैं शहद का अधिक सेवन करने से होने वाले नुकसान…

स्माल इंटेस्टाइन में दिक्कत-Shahad Ke Nuksan

अगर आप लगातार शहद का अधिक सेवन कर रहे है तो, स्माल इंटेस्टाइन की न्यूट्रीटीएंट्स को सोखने की कैपेसिटी घट जाएगी। ऐसा शरीर मे फ्रक्टोज नामक तत्व की मात्रा बढ़ने से होता है। इससे शरीर धीरे धीरे कमजोर होने लगेगा।

 डायबिटीज का खतरा-Shahad Ke Nuksan

शहद का लंबे समय तक अधिक सेवन करने से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। अगर आप डायबिटीक पेशेंट हैं, तो शहद भूल कर भी न खाए। यदि नही तो सीमित मात्रा में सेवन करें।

वोमिट की फील-Shahad Ke Nuksan

अगर आप एक साथ अधिक मात्रा में शहद का सेवन करते हैं, तो इससे आपको उल्टी की फीलिंग हो सकती है। फ़ूड पॉइज़निंग हो सकती है। निम्बू और शहद के साथ मे सेवन करने से ब्लोटिंग सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरती है।

नींबू लगाने के नुकसान

त्वचा पर लेमन जूस लगाने से आपकी स्किन पर डार्क स्पॉट हो सकते हैं. खासकर यदि आप बाहर निकल रहे हो तो। क्योंकि सूर्य के प्रकाश में संपर्क में आने से सबसे खतरनाक तरह का सनबर्न हो सकता है। इस सनबर्न को Phytophotodermatitis कहते है।

नींबू के जूस में एसिड अधिक मात्रा में होता है। इसकी वजह से हाइपरपिगमेंटशन, इरिटेशन की समस्या होती है और त्वचा अत्यधिक संवेदनशील हो सकती है।

शहद लगाने के नुकसान

शहद स्किन के लिए अच्छा ही होता है और नुकसान न के बराबर होता है। लेकिन बहुत से लोग इससे एलर्जिक होते है। शहद से एलर्जी होने पर चेहरे पर लाल पैच, जलन और सूजन आ जाती है।

ये थे निम्बू और शहद के सेवन और लगाने के नुकसान।

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