आज के समय में बालों की समस्याओं जैसे की बालों का झड़ना, बालों का सफ़ेद होना, गंजापन, सिर में खुजली और डैंड्रफ आदि से ज्यादात्तर लोग परेशान है। लोग इसके लिए बहुत से उपाय करते है। महंगे से महंगे तेल भी खरीदते है, बड़े बड़े सलून और डॉक्टर्स के चक्कर लगाते है पर ये सब इलाज भी कुछ काम नहीं आते।
ऐसे में आप ही के रसोई घर में उपलब्ध एक छोटी सी चीज बालो के लिए वरदान साबित हो सकती है। ये छोटी सी चीज है मेथी दाना या मेथरे। मेथी जितनी ज्यादा शरीर के लिए अच्छी होती है उतनी ही बालों के लिए भी। मेथी के फायदे बालों के लिए कई है। बालों पर मेथी लगाने से बाल मजबूत और घने होते है। इतना ही नहीं मेथी बालों को झड़ने से भी बचाती है।
मेथी क्या है?
मेथी एक प्रकार की हरी सब्जी है जिसे कई तरह से अपने खाने में शामिल किया जाता है। मेथी कई तरह से इस्तेमाल की जाती है। यह हरी सब्जी के रूप मे काम मे ली जाती है। इसे सूखा कर मसालों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं मेथी के दानो को भी साबुत मसालों की तरह ही सब्जी पकाने में उपयोग किया जाता है।
मेथी दाना या मेथरे को बहुत से घरेलू नुस्खों में इस्तेमाल किया जाता है। मेथी के कई फायदे है जैसे की इसके सेवन से रक्तचाप सामान्य रहता है। मेथी वजन घटाने में भी मदतगार है। मेथी का सेवन करने से त्वचा और बालो को भी कई लाभ मिलते है। आज इस लेख में हम जानेगे क्या है मेथी के फायदे बालों के लिए।
मेथी के बीज
मेथी के फायदे बालों के लिए | Methi Ke Fayde Balo Ke Liye
बालों के लिए मेथी एक वरदान है। मेथी के उपयोग से बालों को बहुत से फायदे होते है। चलिये जानते है मेथी के फायदे बालों के लिए।
दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको सिर में खुजली के कारण तथा खुजली के घरेलू उपाय क्या है। आपको यह भी बताएंगे कि यह समस्या क्यों उत्पन्न होती है।
यह हमेशा देखा गया है कि सिर में खुजली की कई वजह हो सकती है क्योंकि हमारा दैनिक जीवन अथवा दैनिक खानपान पर यह समस्या निर्भर करती है। दोस्तों सिर में खुजली होना एक आम बात है तथा इससे ज्यादा भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह एक आम बीमारी भी हो सकती है या किसी अन्य परजीवी का आक्रमण भी हो सकता है।
फिर भी हमारी कुछ असावधानी के वजह से यह समस्या एक विकराल रूप धारण कर सकती है। अगर इसका समय पर निवारण नहीं किया गया तो यह हमारे दैनिक जीवन पर भी असर डाल सकती है। इस लेख के माध्यम से हम आपको विस्तृत जानकारी देंगे।
क्या है सिर की खुजली
यह एक प्रकार की कष्टदायक खुजली होती है, जिससे आपको खुजली करने की इच्छा होती है साथ ही इससे बार-बार सिर में खुजली करने पर सूजन भी हो सकती है। इसका एक यह भी कारण है कि जब हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो हमारी कोशिका है मरने लगती है और वह बालों के बीच में फस कर सिर में ही रह जाती है।
जिससे विभिन्न प्रकार के फंगस तथा रिंग वार्म भी लग जाते हैं जिससे हमारे सिर में खुजली होना चालू हो जाती है। यह एक चर्म रोग के दायरे में आने वाली समस्या है। इस रोग अथवा समस्या का समाधान आपके आस पास के अस्पताल में आसानी से हो जाता है तथा कुछ कम खुजली होने पर इसका उपचार अपने घर में ही कर सकते हैं।
सिर की खुजली
सिर में खुजली होने के लक्षण
दोस्तों सिर में खुजली होना एक आम बात है। इसे ज्यादा गंभीरता से लेना उचित नहीं होता है। लेकिन कभी-कभी जब हमें इसका मुख्य कारण पता नहीं होता है तो यह एक कष्टदायक समस्या बन सकती है।
जब यह समस्या बढ़ने लगती है तो इसके लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होने लगते हैं। इन लक्षणों को पहचानना बड़ा आसान होता है लेकिन आम खुजली हो तो इसे आसानी से पहचान सकते हैं परंतु जब किसी अन्य परजीवी अथवा फंगस अथवा रिंगवर्म का आक्रमण होता है तो तब इनके लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि सूक्ष्म जीवी होते हैं तो इनके लक्षण भी विशेष प्रकार के होते हैं।
आइए जानते हैं किस तरह के यह लक्षण प्रकट करते हैं।
जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ने लगती है वैसे वैसे हमारे बालों का झड़ना चालू हो जाता है और हम गंजे हो जाते हैं।
सिर में रूखी त्वचा उत्पन्न होने लगती है सिर में एक सफेद रंग की पपड़ी जमने लगती है।
अगर समस्या ज्यादा हो गई हो तो सिर में घाव भी बनना चालू हो जाते हैं।
जब समस्या का दायरा बढ़ जाता है तो हल्का बुखार तथा त्वचा में जलन होने लगती है।
सिर में खुजली होने के कारण
दोस्तों सिर में खुजली कई कारणों से हो सकती है जिनमें से कुछ को पहचानना बिना डॉक्टर के कठिन होता है तथा कुछ को आप आसानी से पहचान सकते हैं जो इस प्रकार है।
खुजली ठंड के मौसम में अथवा शुष्क मौसम में अधिक उत्पन्न होती है।
लोगों को अधिक पसीना यह भी एक मुख्य कारण में से एक है।
फंगस तथा रिंग वर्म का संक्रमण कारण से हो सकती है।
सिर में खुजली रोकने के घरेलू उपाय-Khujli Ke Upay
नींबू के रस
नींबू के रस को आप अपने सिर में 10 से 15 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दे और फिर इसे पानी से धोकर सुखा लें आप ऐसा एक से दो बार करें तो आपको इस समस्या से निजात मिल सकती है।
प्याज का रस
प्याज का रस भी यह समस्या को मिटाने में कारगर साबित होता है। इसको आप कम से कम 15 मिनट के लिए अपने सिर पर लगाकर छोड़ दे इसके बाद आपको पानी से धोकर बालों को सुखा लेना है इससे आपकी समस्या कम हो जाएंगे।
गेंदे का फूल
गेंदे का फूल भी एक एंटीबैक्टीरियल गुण रखता है इसका उपयोग करके आप अपने सर की खुजली को मिटा सकते हैं।
दही
दही एक महत्वपूर्ण खुजली नाशक औषधि के रूप में काम करता है क्योंकि यहां खट्टा होता है जिसके वजह से सर में जमी हुई सफेद पपड़ी अथवा डैंड्रफ को आसानी से यहां निकाल देता है।
थायराइड हमारे गले में आगे की तरफ पाए जाने वाली तितली के आकार की ग्रंथि होती है। यह ग्रंथि हमारे शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करती है। यह हमारे भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। थायराइड ग्रंथि हार्मोंन का निर्माण करती है। इन हार्मोंस के असंतुलित हो जाने के कारण ही शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है, जब ऐसा होता है तो उसे थायराइड की समस्या कहते हैं। पुरुषो की अपेक्षा महिलाओ मे थायराइड की समस्या ज्यादा होती है। नीचे थायराइड की समस्या से निजात पाने के कुछ घरेलू उपचार बताऐ गए है जो थायराइड का रामबाण इलाज है, इस प्रकार है।
थायराइड का रामबाण इलाज-Thyroid Ke Gharelu Upay
थायराइड का घरेलू उपचार है सेब का सिरका-Thyroid Ke Upay
सेब के सिरके को शहद और पानी मे मिलाकर ले सकते है। यह हार्मोन के संतुलित उत्पादन में मदद करता है। शरीर के वसा को रेग्युलेट करने, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायक है।
मुलेठी-Thyroid Ke Gharelu Upay
थायराइड के मरीज जल्दी थक जाते है इसलिए थाइराइड के मरीजों को मुलेठी का सेवन करना बहुत लाभदायक होता है। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।
लौकी का जूस-Thyroid Ka Ilaaj
थायराइड की बीमारी से अगर आप छुटकारा पाना चाहते है तो रोज सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिए, रोजाना ऐसा करने जल्दी ही आपकी थायराइड की बीमारी ठीक हो जायेगी।
बादाम-Gharelu Nuskhe For Thyroid
थायराइड के मरीजो के लिए बादाम सबसे उपयुक्त हैं। यह प्रोटीन, फाइबर और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। बादाम में सेलेनियम होता है जो थायराइड हेल्दी न्यूट्रिएंट है। यह मैग्नीशियम में भी बहुत समृद्ध है जो थायरायड ग्रंथि को आराम से काम करने में मदद कर सकता है। रोजाना बादाम का सेवन करे।
बादाम
दूध और इससे बने पदार्थ-Thyroid Ke Upay
दूध, पनीर और दही थायराइड के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं जो लोग थायराइड की समस्या से ग्रसित है उन्हे दही और दूध का सेवन अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स थायराइड से ग्रसित लोगों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं। ये आयोडीन में हाई होते हैं जो थायराइड के सही तरह से काम के लिए आवश्यक है।
रोजमेरी एसेंशियल आयल-Thyroid Ke Gharelu Upay
रोजमेरी तेल की तीन-चार बूंदें को एक चम्मच नारियल तेल में मिक्स कर दें। अब इस तेल को थायराइड के एक्यूप्रेशर पॉइंट पर लगाएं। ये पॉइंट गले, टांग के निचले हिस्से और पैर के नीचे होते हैं। इन पॉइंट्स पर करीब दो मिनट तक मालिश करें। रोजमेरी हायपरथायरॉडिज्म के लिए लाभकारी हो सकता है।
थायराइड का रामबाण इलाज है हल्दी-Thyroid Ka Ilaaj
हल्दी का सेवन और साथ ही आयोडीन युक्त नमक का उपयोग किया जाए, तो गॉइटर की समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है हल्दी का उपयोग खाना बनाने के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधि की तरह भी किया जा सकता है। इसका उपयोग थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार करने के तौर पर भी किया जा सकता है। इसमें मौजूद इंटीइंफ्लेमेटरी गुण के कारण यह थाइराइड की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।
सेज की चाय-Gharelu Nuskhe For Thyroid
सेज की पत्तिया इसे तेजपत्ता भी कहा जाता है।एक पैन में पानी डालकर उसे गर्म करने के लिए रखें। जब पानी उबलने लगे, तो उसे गैस से उतार लें। अब इसमें ताजा या सूखे दो चम्मच सेज की पत्तियों को डालकर पांच से दस मिनट के लिए छोड़ दें। अब इस मिश्रण को छानकर एक कप में डाल लें, ताकि सेज के पत्ते अलग हो जाएं। फिर इस मिश्रण में स्वाद के लिए नींबू और शहद को मिक्स करके सेवन करें।
लहसुन-Thyroid Ka Desi Ilaj
रोज सुबह लहसुन की एक या दो कलियों का सेवन किया जा सकता है। अगर लहसुन खाने का मन नहीं करता है, तो लहसुन को सब्जी में उपयोग करके खा सकते हैं। स्वास्थ्य के लिए लहसुन के कई फायदे हैं और थाइराइड भी उन्हीं में से एक है।
अदरक-Thyroid Ke Upay
सबसे पहले अदरक को बारीक टुकड़ों में काट लें। इसके बाद पानी को गर्म करें और अदरक के टुकड़े उसमें डाल दें। अब पानी को हल्का गर्म होने के लिए रख दें। फिर उसमें शहद डालकर मिक्स करें और चाय की तरह पिऐ। अदरक को ऐसे ही साबुत चबाकर भी खाया जा सकता है।
अदरक थायराइड के सही तरह से काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण घरेलू उपाय हो सकता है।
अलसी-Thyroid Ke Gharelu Upay
एक चम्मच अलसी के पाउडर को पानी या फिर फलों के रस में डालें। अब इसे अच्छी तरह मिक्स करें और पिएं। इस मिश्रण को प्रतिदिन एक से दो बार पी सकते है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है और जो हायपोथायरॉडिज्म के जोखिम से बचाव चाहते हैं, वो इसका सेवन कर सकते हैं।
तुलसी-Thyroid Ka Ilaaj
एक पैन में पानी को उबाले फिर इसमें तुलसी के आठ दस पत्ते, एक टूकड़ा अदरक कद्दूकस करके डाले और एक या दो इलायची को डालकर लगभग 10 मिनट तक उबाले। अब चाय को छानकर इसमें शहद या चीनी और नींबू के रस को डालकर गर्मा-गर्म पिएं।
अगर किसी को तुलसी की चाय नहीं पसंद, तो सिर्फ तुलसी के पत्तों का भी सेवन किया जा सकता है। इसमें एंटी-थायराइड गुण मौजूद होते हैं और इसी आधार पर थायराइड के इलाज के लिए तुलसी का सेवन करने का सुझाव दिया जा सकता है
नारियल तेल-Thyroid Ke Upay
रोज एक गिलास पानी में नारियल तेल मिलाकर सेवन कर सकते हैं। अगर ऐसे नहीं पसंद, तो नारियल के तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए कर सकते हैं। थायराइड रोग का उपचार करने के लिए नारियल तेल अच्छा उपाय साबित हो सकता है। यह थायरायड ग्रंथि को सही तरीके से काम करने में मदद करता है।
साबुत धनिये का उपयोग-Gharelu Nuskhe For Thyroid
एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिये को रातभर भिगोकर रख दे, सुबह इसे मसलकर उबाल लें। जब पानी चौथाई भाग उबल कर रह जाये तो इसे खाली पेट पी लें, और साथ मे गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें। ऐसा लगातार करने से थायरायड की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
लिकोरिया क्या होता है, लिकोरिया क्यों होता है लिकोरिया का घरेलू उपाय, इसकी पूरी जानकारी आपको इस आर्टिकल में अवश्य मिलेगी।
लिकोरिया, यह महिलाओं में तेजी से बढ़ता हुआ रोग माना जाता है। हालांकि लिकोरिया खुद एक बीमारी नहीं है। लेकिन कुछ बीमारियों के कारण महिलाओं को लिकोरिया जैसी समस्या उत्पन्न होती है।
लिकोरिया क्या है ?
लिकोरिया को हिंदी में श्वेत प्रदार्थ या जनरल भाषा में सफेद पानी भी कह सकते है। यह लक्षण सामान्यतः सभी महिलाओं में दिखाई देते हैं। लेकिन जब योनि मार्ग से सफेद पानी की मात्रा बहुत ज्यादा हो तो, वह एक रोग हो सकता है।
यह सफेद पानी महावारी से कुछ दिन पहले महिलाओं के योनि मार्ग से निकलता है। जिसे लिकोरिया कहते हैं। लेकिन यह पानी ज्यादा मात्रा में निकले तो इसके बारे में जल्दी ही डॉक्टर से संपर्क करके उचित ट्रीटमेंट लिया जाना चाहिए, क्योंकि भारतीय महिलाओं में शर्म के चक्कर में इस बीमारी के बारे में किसी को नहीं बताते हैं, और इसका उचित ट्रीटमेंट नहीं ले पाते हैं।
ऐसे में इस बीमारी के कारण शरीर का वजन करता है, शरीर कमजोर होता है, तथा अन्य कई लक्षण देखने को मिलते हैं।
यह सफेद पानी निकलने की बीमारी लिकोरिया हर कोई महिला या लड़की में हो सकती है। चाहे वह विवाहित हो यह अविवाहित इस प्रकार की बीमारी होना, सफेद पानी का आना मतलब यह है कि मन में बार-बार संभोग के प्रति उत्तेजना या अत्यधिक संभोग बनाना हो सकता है। 1 से अधिक लोगों के साथ एक साथ लंबे समय तक संबंध बनाने के कारण भी इस प्रकार की बीमारी हो सकती है। कई बार यह बीमारी नवजात लड़की में भी हो सकती है।
ऐसे में नवजात लड़की में माता द्वारा एस्ट्रोजन की मात्रा अत्यधिक मिलने पर नवजात लड़की के योनि से सफेद पानी निकलना शुरू होता है। यह बीमारी अत्यधिक बार लगातार उपवास करने या भूखे रहने से भी हो सकती है। इसके अलावा मन में या किसी के साथ संपूर्ण से संबंधित तथा अश्लील तरीके से वार्तालाप करने पर भी योनि से सफेद पानी निकलता है। संभोग के दौरान कई प्रकार के उलटे आसनों का प्रयोग करना, संभोग बनाने के बाद योनि को अच्छी तरह से नहीं धोना, बार बार गर्भपात भी इस बीमारी का एक कारण है। कई बार यह बीमारी सूक्ष्मजीवों के समूह के कारण भी हो जाती है
घरेलू नुस्खे फॉर लिकोरिया इन हिंदी
लिकोरिया का सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी घरेलू उपाय योनि की साफ सफाई से रखना है। योनि की साफ सफाई के लिए फिटकरी के पानी से योनि को संबंध बनाने के बाद अच्छी तरह से धो लें फिटकरी जीवाणु नाशक औषधि मानी जाती है। योनि की अंदरूनी सफाई के लिए पिचकारी से आयुर्वेदिक तेल तथा बोरिक एसिड के का प्रयोग किया जा सकता है।
मिथुन या संबंध बनाने के पश्चात योनि की साबुन से अवश्य सफाई करे। हर बार मल मूत्र त्याग के पश्चात जननांग योनि को साबुन से अच्छी तरीके से धोएं। बार बार गर्भपात करने से बचें क्योंकि बार-बार गर्भपात करना भी लिकोरिया बीमारी का लक्षण है।
एक अथवा दो संतान प्राप्त होने के बाद महिला की या उसके पति की नसबंदी अवश्य करवा लें। ऐसा करने पर बार बार गर्भपात जैसी समस्या नहीं होगी।
भारतीय महिलाओं में शर्म को लेकर सबसे बड़ी चिंता रहती है। इस प्रकार की बीमारी होने के बाद शर्म की चिंता को छोड़कर महिला विशेषज्ञ से इस बीमारी के बारे में सलाह ले लें। जननांग क्षेत्र को ज्यादा पानी में गिला रखने से बचें योनि को संबंध के बाद धोने के पश्चात अच्छे से पोछ ले ज्यादा समय तक योनि को गिला नहीं रखें ऐसे में कई ऐसे बैक्टीरिया मर जाते हैं। जो आपकी योनि को कई रोगों से बचाते हैं। योन संबंध के दौरान कई प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए कंडोम का इस्तेमाल करें। मधुमेह रोग से ग्रस्त महिलाओं को रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
आपने क्या सीखा लिकोरिया के बारे में
हम उम्मीद करते है, कि लिकोरिया क्या है, सफेद पानी का इलाज और लिकोरिया से बचने के घरेलु उपाय क्या क्या है, इसकी पूरी जानकारी आपको मिल चुकी होगी, और अगर फिर भी आपके मन में इससे रिलेटेड कोई भी सवाल है, तो हमसे कमेंट करके पूछ सकते है, हम जल्द ही जबाब देंगे।
तो दोस्तों अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर से जरूर शेयर करे।
रात दिन मिलने वाली नयी नयी बीमारियां और होने वाली मेडिकल रिसर्च से पता चलता है कि कोरोना वायरस, टोमैटो फ्लू, निपाह और स्वाइन फ्लू के बाद अब केरल में नोरोवायरस (Norovirus) का मामला भी सामने आया है, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि दो स्कूली बच्चे नोरोवायरस से संक्रमित मिले हैं, उन्होंने बताया कि तिरुवनंतपुरम के एक स्कूल में फूड पॉइजनिंग और डायरिया की शिकायत आने के बाद दो बच्चों के सैम्पल की जांच की गई, जिनमें नोरोवायरस की पुष्टि हुई, फिलहाल दोनों बच्चों की हालत स्थिर है…!
केरल में नोरोवायरस का पहला मामला नवंबर 2021 में सामने आया था. तब वायनाड में एक वेटरनरी कॉलेज के 13 छात्र इस वायरस से संक्रमित मिले थे, उल्टियां और दस्त इस वायरस का मुख्य लक्षण हैं।
नोरोवायरस से कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में कई बार संक्रमित हो सकता है, क्योंकि इसके कई सारे प्रकार होते हैं, इसलिए अगर आप एक बार संक्रमित हो गए हैं तो आगे भी आप इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
अगर आप नोरोवायरस के किसी एक प्रकार से संक्रमित हुए हैं तो उसके खिलाफ इम्युनिटी बन सकती है, लेकिन दूसरे प्रकार से आप फिर से संक्रमित हो सकते हैं. इस बात को लेकर भी अभी कोई जानकारी नहीं है कि इससे एक बार संक्रमित होने के बाद कितने समय तक इम्युनिटी बनी रहती है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, किसी भी उम्र में कोई भी व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है, नोरोवायरस से आप कितना संक्रमित होते हैं , ये आपके जीन पर भी निर्भर करता है। नोरोवायरस को कई बार ‘स्टमक फ्लू’ या ‘स्टमक बग’ भी कहा जाता है. हालांकि, इससे संक्रमित होने के बाद फ्लू जैसी बीमारी नहीं होती है।
लक्षण
उल्टी, दस्त, पेट दर्द और जी मिचलाना इसके प्रमुख लक्षण हैं. कई बार मरीज को बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। इस वायरस से संक्रमित होने पर पेट या आंतों में जलन हो सकती है,संक्रमित होने के 12 से 48 घंटे बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं,एक से तीन दिन में इससे राहत भी मिलने लगती है।
अगर आप नोरोवायरस से संक्रमित होते हैं तो आपको बुखार हो सकता है, दिन में कई बार उल्टियां और दस्त हो सकते हैं, इसके अलावा डिहाइड्रेशन की शिकायत भी हो सकती है।
बुखार
नोरोवायरस से दूषित कोई खाना खाने या पेय पदार्थ पीने से भी ये संक्रमण फैल सकता हैं, इसलिए मरीज का जूठा ना खाएं, इसके अलावा नोरोवायरस से दूषित किसी सतह या चीज को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है, नोरोवायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।
नोरोवायरस से संक्रमित व्यक्ति इसके अरबों पार्टिकल छोड़ सकता है, और इसके महज कुछ पार्टिकल ही दूसरे व्यक्ति को बीमार कर सकते हैं, इसलिए साफ सफाई और आइसोलेशन जरूरी है।
इलाज
नोरोवायरस से संक्रमित होने पर एक से तीन दिन में ही ठीक हुआ जा सकता है. इससे संक्रमित होने पर डिहाईड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना जरूरी है।
कई मामलों में डिहाईड्रेशन की समस्या बहुत बढ़ जाती है, जिसके बाद अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है. अस्पताल में नसों के जरिए लिक्विड डाला जाता है।
सावधानियाँ
नोरोवायरस का नया संक्रमण तिरुअनंतपुरम के विहिंजम में सामने आया है,केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि बीमारी को फैलने से रोकने के इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ये भी कहा है कि पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि स्कूलों में जो मिड डे मील बांटा गया, उसे खानें से छात्रों में फूड प्वाइजनिंग हुई है, राज्य के स्वास्थ्य विभाग और जनरल एजुकेशन व सिविल सप्लाई विभाग ने रविवार को उच्च स्तरीय बैठक करके बीमारी को फैलने से रोकने के उपायों का ऐलान किया, इनमें मिड डे मील को तैयार करने में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना, पानी के टैंकों की सफाई और स्टाफ को जागरुक करना शामिल है।
क्योंकि आमतौर पर ये दूषित पानी, दूषित खाने और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, ये वायरस बार-बार व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है क्योंकि इसके बहुत सारे वैरिएंट होते हैं. इस वायरस पर कीटाणुनाशक भी काम नहीं करते और ये 60 डिग्री के तापमान पर भी जिंदा रह सकता है। मतलब ये कि पानी को उबालने या क्लोरीन डालने से इस वायरस को नहीं मारा जा सकता है, ये वायरस हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल के बावजूद जिंदा रह सकता है।
आमतौर पर यह संक्रमण जानलेवा नहीं होता लेकिन बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सतर्क रहने की सलाह दी जाती है, संक्रमण लगने और ज्यादा उल्टी-दस्त होने से उनकी स्थिति गंभीर हो सकती है. ज्यादातर मरीज कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं. इसकी कोई खास दवा नहीं है।
हर स्तर पर साफ सफाई और सावधानी ही इसका इलाज़ है।
आज के युवा जीवन को बहुत ही सुनियोजित तरीके से जीना पसंद करते हैं। यही कारण है कि करियर में आगे बढ़ने के साथ-साथ पर्सनल लाइफ के लिए भी ये खास प्लानिंग करते हैं। वे कब शादी करने की योजना बना रहे हैं? माता-पिता कब बनें? कितने बच्चे होंगे? जैसी महत्वपूर्ण बातें। इस तरह की चीजें शायद एक या दो दशक पहले के समाज द्वारा बहुत योजनाबद्ध तरीके से नहीं की जाती थीं। ऐसे में युवा इन प्राकृतिक चीजों को रोकने के लिए चिकित्सा विज्ञान का सहारा लेते हैं। इसमें सबसे अहम मुद्दा माता-पिता बनना है। भागदौड़ भरी जिंदगी में करियर की अहमियत के चलते युवा अपने हिसाब से परिवार नियोजन करते हैं। ऐसे में वे अनचाहे गर्भ से बचने के लिए दवाओं का सहारा लेती हैं (गर्भनिरोधक से बचें)। लेकिन इन दवाओं के साइड इफेक्ट को देखते हुए हम आपको अनचाहे गर्भ से बचने के कुछ घरेलू उपाय बताते हैं। तो आइए जानते हैं क्या खाने से गर्भ नहीं ठहरता है।
How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi
बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन, तुलसी का काढ़ा, लहसून, ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।
गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये
एक पतीले में दो कप गरम पानी चढ़ाएं। अब अदरक ,लॉन्ग ,काली मिर्च और दालचीनी का पेस्ट बनाएं । इस पेस्ट को पानी में मिलाएं और 20 मिनट तक गर्म उबलने दें । थोड़ा ठंडा करके इसे छाने और शहद मिलाएं ,तुलसी का काढ़ा तैयार है।
जानकारों के मुताबिक अगर खाने के दौरान हल्दी का सेवन बहुत कम मात्रा में किया जाए तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान हल्दी के सप्लीमेंट और कैप्सूल का सेवन करती है तो करक्यूमिन की मात्रा अधिक होने के कारण गर्भावस्था से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि करक्यूमिन शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की नकल करता है, जो मासिक धर्म में ऐंठन और गर्भाशय के संकुचन को बढ़ाता है, जिससे समय से पहले जन्म और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो जरूरत से ज्यादा मेथी के दानों का सेवन करने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर विपरीत असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं इससे आपके गर्भपात की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। दरअसल, मेथी के बीज में सैपोनिन नाम का तत्व पाया जाता है जो गर्भपात का कारण बनता है।
जायफल में मिरिस्टिसिन होता है, जो एक सक्रिय तत्व है जो भ्रूण को नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इस कारण से अनावश्यक जोखिम से बचने के लिए गर्भावस्था से पहले इसके सेवन से बचना चाहिए। एक से दो चुटकी जायफल का चूर्ण शहद के साथ लेने से गर्भपात हो सकता है। आप दूध के साथ एक चुटकी जायफल का भी सेवन कर सकते हैं।
दरअसल, अगर तुलसी के पत्तों का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह शरीर में हानिकारक हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव पैदा कर सकता है, यानी सरल शब्दों में कहें तो तुलसी के अधिक सेवन से शरीर में ब्लड शुगर लेवल में कमी आ सकती है। इससे चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और घबराहट की भावना हो सकती है। तुलसी में यूजेनॉल होता है, जिससे हृदय गति बढ़ सकती है, मुंह में छाले हो सकते हैं, चक्कर आ सकते हैं और शायद इसी वजह से डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को तुलसी का सेवन करने से भी मना करते हैं।
काली चाय से गर्भ कैसे गिराए
अनचाहे गर्भ से निजात पाने के लिए पार्सले का सेवन काफी फायदेमंद साबित होता है। अगर आप प्रेग्नेंसी पॉजिटिव महसूस करती हैं तो रोज सुबह शाम पानी में कुछ पार्सले के पत्ते उबालकर चाय की तरह पिएं। इस प्रक्रिया को लगातार एक महीने तक करें।
आपको बता दें कि नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह नुकसानदायक नहीं है। लेकिन अगर आप गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में नींबू या किसी खट्टे फल का सेवन करती हैं, तो आपका गर्भपात हो सकता है।
प्रेगनेंसी में खजूर खाने के नुकसान
अगर आपका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा है या आपका ग्लूकोज टेस्ट नॉर्मल नहीं है तो आपको प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में खजूर खाने से बचना चाहिए।
काली मिर्च से गर्भपात कैसे करे
कई लोग प्रेग्नेंसी में काली मिर्च का सेवन करने से मना कर देते हैं। लेकिन क्या प्रेग्नेंसी में काली मिर्च खानी चाहिए? तो इसका उत्तर है- हां, गर्भावस्था के दौरान काली मिर्च का सेवन करना सुरक्षित है, लेकिन इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। अन्य खाद्य पदार्थों की तरह इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए, इससे आपको और आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि, काली मिर्च के अत्यधिक सेवन से एसिडिटी, गर्भपात, अपच और जलन हो सकती है।
अदरक से गर्भपात हो सकता है
गर्भावस्था के दौरान अदरक का सेवन गर्भपात का कारण नहीं होता है। विशेषज्ञों की माने तो सीमित मात्रा में अदरक का सेवन गर्भवती के लिए लाभदायक होता है परंतु यदि अधिक मात्रा में अदरक का सेवन कर लिया जाए तो समस्याएं हो सकती हैं । यदि महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रसित है अथवा लो ब्लड प्रेशर ,लो शुगर की समस्या है तो अदरक का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अति आवश्यक है।
ऐसा माना जाता है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है, जो वास्तव में सच नहीं है। इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है। वहीं तिल में आयरन, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।
कच्चा पपीता-पपीता कच्ची अवस्था मे गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। कच्चे पपीते को एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक कहा गया है,इसकी तासीर काफी गर्म होती है।
गर्भवती महिला गुड़ का सेवन सीमित मात्रा में कर सकती है। गुड़ आयरन से भरपूर होता है और आयरन की दैनिक आवश्यकता को पूरा कर सकता है। चीनी का प्राकृतिक स्रोत गर्भवती महिला के स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसके अलावा गुड़ खून और मां के दूध को शुद्ध करता है।
प्रत्येक महिला के लिए गर्भपात एक शारीरिक और मानसिक दोनों तरीकों से दुखद अवस्था है, परंतु अधूरा गर्भपात और भी भयावह स्थिति है। यदि आपको लगातार योनि से भारी रक्तस्राव हो रहा है, योनि मार्ग में रक्त के थक्के निकल रहे हैं, पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा है, बुखार है अथवा फ्लू के लक्षण नजर आ रहे हैं तो ये अधूरे गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं। अगर इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
गर्भावस्था हर स्त्री के लिए एक सुखद एहसास है परंतु इसके साथ साथ प्रत्येक स्त्री हमेशा इस बात को लेकर शंका में रहती है कि उसे इस दौरान कौन सी चीजें खानी चाहिए और कौन सी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। घर की बुजुर्ग महिलाएं भी इस संबंध में अलग-अलग प्रकार की सलाह देती रहती हैं । इन्हीं चीजों में से एक है अदरक, अदरक का सेवन गर्भावस्था के दौरान करना चाहिए अथवा नहीं या कितनी मात्रा में करना चाहिए इन सभी बातों को लेकर कई सारे भ्रम दिमाग में रहते हैं। आइए जानते हैं की क्या प्रेगनेंसी में अदरक खाना चाहिए? अदरक से गर्भपात हो सकता है क्या?
अदरक के अनेक औषधीय गुण हैं, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। विशेषज्ञों की मानें तो गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला मॉडरेशन में अदरक का सेवन कर सकती है। अदरक का सेवन कच्चा ही किया जाना चाहिए इसकी सूखी जड़ का सेवन नुकसानदायक होता है।
गर्भावस्था में अदरक का सेवन करते समय निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए –
यदि गर्भवती महिला खून पतला करने की दवाई ले रही है तो उसे अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अदरक में एंटीप्लेटलेट तत्व पाए जाते हैं जो खून में रक्त का थक्का नहीं जमने देते ।
यदि आपको गर्भावस्था में एसिडिटी की समस्या है तो अदरक का सेवन से और बढ़ा सकता है ।
अदरक का सेवन रक्तचाप को कम करता है अतः लो ब्लड प्रेशर की समस्या वाली गर्भवती महिलाओं को सेवन नहीं करना चाहिए ।
क्या गर्भावस्था के दौरान अदरक के सेवन से गर्भपात हो सकता है ?
गर्भावस्था के दौरान अदरक का सेवन गर्भपात का कारण नहीं होता है। विशेषज्ञों की माने तो सीमित मात्रा में अदरक का सेवन गर्भवती के लिए लाभदायक होता है परंतु यदि अधिक मात्रा में अदरक का सेवन कर लिया जाए तो समस्याएं हो सकती हैं । यदि महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रसित है अथवा लो ब्लड प्रेशर ,लो शुगर की समस्या है तो अदरक का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अति आवश्यक है।
जिन व्यक्तिओ को सांस लेने में तकलीफ होती है उनका जीवन कितना मुश्किल होता है, वही लोग समझ सकते है। सांस लेने में दिक्कत होने के बहुत कारण होते है। कभी ये दिक्कत टेम्पररी होती है कभी परमानेंट। इसका इलाज भी इसके होने के कारण पर निर्भर करता है।सांस लेने में दिक्कत होना किसी खास बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। ये स्थिति परिस्थिजन्य भी हो सकती है, जैसे एक्सरसाइज, या पॉल्युशन के कारण। आज इस आर्टिकल में हम आपको सांस लेने में तकलीफ से जुड़ी सारी जानकारी देंगी। इस लेख में सांस लेने में तकलीफ होने पर क्या होता है, सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करना चाहिए और सांस फूलने पर डॉक्टर के पास कब जाएं के बारे में बताया गया है।
सांस लेने में दिक्कत होने के कारण
सांस की नली में सूजन, या इंफेक्शन, अस्थमा, निमोनिया या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
थाइरोइड,पीसीओडी जैसी हार्मोनल समस्या में सांस लेने की दिक्कत होती है।
सांस लेने ने दिक्क्क्त होने पर व्यक्ति कैसा महसूस करता है।
ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए व्यक्ति तेज-तेज सांस लेने लगता है।
चूंकि शरीर के जरूरी अंगों तक ऑक्सिजन नही पहुचती इसलिए होठों, उँगलियों और नाखूनों का रंग हल्का नीला हो जाता है।
व्यक्ति को एंग्जायटी हो जाती है और वो चिंतित महसूस करता है।
क्योंकि ऑक्सीजन सही से ब्रेन में भी नही जाती इसलिए व्यक्ति को चक्कर महसूस होने लगते है।
नॉर्मल टेम्परेचर में भी तेजी से पसीना आता है।
हार्ट को ब्लड पंप के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, इस कारण छाती में दर्द महसूस होता हैं।
व्यक्ति सुस्त करता है।
सही से सांस लेने के लिए व्यक्ति कम्फर्टेबल पोजीशन लेता है।
खांसी आने लगती है,कई बार खांसी के साथ खून भी आता है। साथ ही उबकाई महसूस होती है।
दिल की धड़कन तेज होने के साथ, सांस लेने में आवाज आने लगती है।
सांस लेने में दिक्कत
किसी दूसरे को सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करें
अगर आपके सामने किसी की सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो, बिना किसी देर डॉक्टर से सम्पर्क करे। पीड़ित व्यक्ति को बिना विलम्ब डॉक्टरी सहायता पहुचाने की कोशिश करें।
इसके अलावा आप यदि प्राथमिक चिकित्सा जानते हैं, तो जल्द से जल्द इसका प्रयोग करें
व्यक्ति को धीरे धीरे सहारा देकर बिठा दे। पीठ की तरफ कुछ सपोर्ट जरूर दे।
व्यक्ति की सांस और नब्ज देखें।अगर व्यक्ति की सांस की गति बहुत ही कम है तो उसे सी पी आर देने की कोशिश करें।
पीड़ित व्यक्ति के कपडो को ढीला करें और आसपास लोगो को इकट्ठा ना होने दे।
सबसे पहला और जरूरी काम व्यक्ति को तनावमुक्त करें। ढांढस बांधे।
अगर व्यक्ति सांस लेने में आवाज करना बंद कर दे तो यह न समझें कि उसकी हालत सुधर रही है। उसे अभी भी मदद की जरूरत हो सकती है।
क्या करें जब आप खुद तकलीफ में हो।
सबसे पहले बिल्कुल तनाव ना ले, तनाव परिस्थिति को खराब कर देगा।
यदि आपको सांस फूलने की दिक्कत सिगरेट, पॉल्युशन के कारण हैं, तो इस कारण को दूर करे।
स्वच्छ व खुले वातावरण में जाये। लम्बी लम्बी सांसे ले।
अपनी नाक से सांस अंदर लें और होठों को गोल करके सांस बाहर छोड़ें।
अगर आपको अस्थमा है या डॉक्टर के द्वारा बताया गया है, तो इनहेलर का उपयोग करें।
निम्न परिस्थितियों में तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें
कोई भी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के कारण सांस लेने में दिक्कत हो तो।
2 हफ्ते से अधिक जुकाम हो तो या सीधे लेटने पर सांस लेने में दिक्कत होना।
सांस लेने में तकलीफ के साथ खांसी में खून आना।
सांस फूलने के साथ तेज बुखार, ठण्ड लगना और खांसी होना।
सांस में दिक्कत होने पर क्या करें घरेलू उपाय
आप निम्न घरेलू उपाय को अपनाकर आराम महसूस कर सकते है। लेकिन इन उपायों को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले। साथ ही अपनी दिक्कत का कारण भी ध्यान में रखे।
आयुर्वेदिक काढ़े और हर्बल चाय का नियमित तौर पर प्रयोग करें। दिन में गुनगुने पानी का सेवन करें।
प्राणायाम, ध्यान और योग करें। वॉकिंग और रनिंग करें। इससे आपको अपने लंग्स को मजबूत बनाने में सहायता मिलेगी।
लौकी एक ऐसी सब्जी जिसे ज्यादातर लोग खाने से बचते है। लेकिन इसे सबसे पौष्टिक सब्जियों में से एक माना जाता है। लौकी को घीया या दूधी के नाम भी कहा जाता है। लौकी को केवल साधारण सब्जी ही नही बल्कि खीर, मिठाई, के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। क्या आप जानते है की लौकी डायबिटीज में बहुत असरकारी होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं जिससे शरीर ठीक तरह से अपना कार्य कर पाता है और बीमारियों से बचाव होता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको लौकी के जूस और लौकी के जूस के फायदे से सम्बंधित सारी जानकारी देंगे।
लौकी का जूस कैसे बनाए
बहुत से लोग स्वाद के कारण लौकी का जूस नही पीते, आप इस तरीके से लौकी का जूस बनाएंगे तो आपको जरूर पसंद आएगा।
जूस निकालने से पहले आप लौकी को चख कर देख लें की लौकी कड़वी तो नहीं है अगर लौकी कड़वी है तो उस का जूस नहीं निकालें।
सबसे पहले लौकी को धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
अब लौकी के टुकड़े, पानी और पुदीने पत्ते को एक मिक्सर जार में डालकर पीस लें।
तैयार रस को एक छन्नी से छानते एक गिलास में निकालकर रखें। लौकी का जूस तैयार है।
काली मिर्च पाउडर, थोड़ा नमक और नींबू का रस मिलाकर पिएं।
सबसे जरूरी बात अगर लौकी का जूस कड़वा निकल आए तो उस जूस को बिल्कुल भी न लें।
लौकी के जूस का सेवन कब करें
लौकी के जूस के सेवन का कोई निश्चित समय नही होता। फिर भी खाना खाने के तुरन्त बाद इसका सेवन ना करें। यदि इसका सेवन सुबह-सुबह खाली पेट किया जाए तो यह अधिक फायदेमंद होता है। लेकिन बहुत से लोगो को इससे जी खराब होने की समस्या हो सकती है। तो बेहतर यही है कि आप शुरुआत में कम मात्रा में इसका सेवन करके देखे।
लौकी के जूस के फायदे-lauki ke juice ke fayde hindi me
वजन कम करने में
यदि आप नियमित व्यायाम के साथ लौकी के जूस का सेवन करते है, तो वजन घटाने में बहुत ही मदद मिलेगी। एक्सरसाइज के बाद लगभग 100gm लौकी का जूस पिए। इससे आपको इंस्टेंट एनर्जी भी मिलेंगी साथ ही पेट भी काफी समय तक भरा फील होगा।
वजन कम करने में मदद करे
पाचन तंत्र सुधारे
लौकी के रस में विटामिन, पोटेशियम, लौह, पानी और फाइबर होता है।ये सभी पोषक तत्व पाचन तंत्र में होने वाली क्रियाओं को नियमित करते है। इसमे उपस्थित फाइबर कब्ज को दूर रखता है। जिससे भूख खुलकर लगती है।
इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) भी होते हैं जो शरीर में इसके बैलेंस को बनाकर रखते हैं, जिससे लूजमोशन की समस्या नहीं होती है।लौकी का जूस अन्य पाचन समस्याओं जैसे पेट दर्द, खराब बॉवेल मूवमेंट, गैस, पेट फूलना, सूजन आदि से राहत प्रदान करने के लिए भी प्रभावी है।
ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें
रोज सुबह लौकी का जूस पीने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। हाई ब्लड प्रेशर को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। हाई बी पी के कारण हृदय संबंधी दूसरी समस्या हो सकती हैं, जैसे दिल का दौरा, अनियमित दिल की धड़कन आदि। लौकी का जूस 200 मिलीग्राम प्रतिदिन पीने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है और इससे उच्च रक्तचाप की समस्या से निजात मिलता है।
ब्लड सर्क्युलेशन को ठीक करे
लौकी के जूस में मिलने वाला पोटेशियम बेहतरीन वेसोडाइलेटर के रूप में काम करता है। यह ब्लड कैपिलरीज को बड़ा करने का काम करता है। ब्लड वेसेल्स को रिलैक्स करता है।
ब्लड सर्कुलेशन जितना अच्छा होगा। शरीर के सभी भागों तक ऑक्सीजन उतनी ही जाएगी। इससे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक आराम भी मिलता है।
यूरिन इन्फेक्शन को ठीक करें
लौकी का जूस यूरिन इन्फेक्शन को दूर करता है। इसमे पानी की भरपूर मात्रा होती है। जिसके कारण यूरिन खुलकर आता है। साथ ही क्योंकि लौकी ठंडी होती है, प्राइवेट पार्ट में गर्मी से होने वाली जलन को भी दूर करती है।
लौकी के जूस के अन्य फायदे
इसके ड्यूरेटिक, सेडेटिव और एंटी-बिलियस गुण तनाव को दूर करते है।
लौकी के जूस में उपस्थित न्यूरोट्रांस्मिटर कोलीन मस्तिष्क को सुचारु रूप से कार्य करने में मदद करता है।
आंवला और लौकी के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से रूसी कम होती है. साथ ही इस मिश्रण से सिर पर मालिश करने से भी रूसी ठीक होती है।
लौकी का रस मिर्गी, पेट अम्लता, अपच, अल्सर और अन्य तंत्रिका रोगों के उपचार में बहुत उपयोगी है।
लौकी के रस में लेक्टिंस (lectins) और प्रोटीन होता है जो कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकता है।
कुछ बातों का रखे ध्यान
गर्भवती स्त्री को लौकी के जूस का सेवन न कराए। क्योंकि यदि लौकी कड़वी हुई तो भारी नुकसान हो सकता है।
लौकी के जूस को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें दुनिया भर की चीज़ें न डाले।
शुरु में इसके रस का उपयोग कम मात्रा में करें और जैसे-जैसे यह अच्छे से पचने लगे इसकी मात्रा को बढ़ा दें।
आमतौर पर दालचीनी का प्रयोग केवल मसालों के रूप में ही होता हैं, आयुर्वेद में दालचीनी को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में बताया गया है।आजकल दालचीनी का उपयोग कैंसर जैसे असाध्य रोंगो में भी किया जाता है। दालचीनी की छाल तेजपात की वृक्ष छाल से अधिक पतली, पीली, और अधिक सुगन्धित होती है। यह भूरे रंग की मुलायम, और चिकनी होती है। इसे दालचीनी, दारुचीनी, दारचीनी भी कहतें हैं। रोजमर्रा की ज़िंदगी में दालचीनी के बहुत सारे उपयोग है।
दालचीनी के उपयोग-Dalchini Ke Upyog
आयुर्वेद के अनुसार, दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियां ठीक की जा सकती हैं। इसके साथ ही दस्त, और टीबी में भी इसके प्रयोग से लाभ मिलता है। आइए जानतें कि दालचीनी का उपयोग कैसे करना चाहिए?
दालचीनी का उपयोग कैसे करना चाहिए?
हिचकी को रोके-Dalchini Khane Ke Fayde
हिचकी आना बहुत ही साधारण सी बात है, लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें हमेशा हिचकी आने की शिकायत रहती है। ऐसे लोग दालचीनी का उपयोग कर सकते हैं। दालचीनी के 10-20 मिली काढ़ा को पिएं। इससे आराम मिलता है।
भूख बढ़ाये-Dalchini Ke Fayde In Hindi
दालचीनी भूख बढाने में भी मदद करती है. भूख को बढ़ाने के लिए 500 मिग्रा शुंठी चूर्ण, 500 मिग्रा इलायची, तथा 500 मिग्रा दालचीनी को पीस लें। भोजन के पहले सुबह-शाम लेने से भूख बढ़ती है।
आँखों की रोशनी बढ़ाये-Dalchini Ka Upyog
आंखों के रोग में दालचीनी का प्रयोग कर सकते हैं,इसे भोजन में शामिल करने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
दांत दर्द से पाए आराम-Dalchini Ke Fayde
दांत के दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी के तेल को रूई से दांतों में लगाएं। इससे आराम मिलेगा। दालचीनी के 5-6 पत्तों को पीसकर मंजन करें। इससे दांत साफ, और चमकीले हो जाते हैं।
सिर दर्द से पायें आराम-Dalchini Powder Ke Fayde
सिर दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप बना लें। दालचीनी के लेप को मस्तक पर लगाने से ठंड, या गर्मी से होने वाली सिर दर्द से आराम मिलता है। आराम मिलने पर लेप को धोकर साफ कर लें।
दालचीनी के तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सर्दी की वजह से होने वाले सिरदर्द से आराम मिलती है।
सरदर्द
दालचीनी, तेजपत्ता, तथा चीनी को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इसे चावल के धोवन (चावल को धोने के बाद निकाला गया पानी) से पीस कर बारीक चूर्ण बना लें। इसे नाक के रास्ते लें। इसके बाद गाय के घी को भी नाक के रास्ते लें। इससे सिर से संबंधित विकारों में आराम मिलता है।
तंत्रिका-तंत्र संबंधी परेशानियों के लिए दालचीनी के तेल को सिर पर लगाएं। इससे फायदा होता है
खांसी का करें इलाज-Dalchini Ke Gun
खांसी के इलाज के लिए दालचीनी का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। खांसी से परेशान रहने वाले लोग आधा चम्मच दालचीनी के चूर्ण को, 2 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे खांसी से आराम मिलता है।
दालचीनी उबालकर पीने से क्या होता है?
दालचीनी के पत्ते का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से खांसी ठीक होती है। एक चौथाई चम्मच दालचीनी के चूर्ण में 1 चम्मच मधु को मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी, और दस्त में फायदा होता है।
वजन कम करने में करे मदद-Dalchini Powder For Weight Loss In Hindi
वजन कम करने के लिए दालचीनी का प्रयोग कैसे करें?
वजन को कम करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। आप भी मोटापा कम करने में दालचीनी से फायदा ले सकते हैं। एक कप पानी में दो चम्मच मधु, तथा तीन चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिला लें। इसका रोज 3 बार सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल कम होता है।
वजन को करे नियंत्रित
पेट सम्बंधित विकारों को करे दूर-Dalchini Ke Fayde Kya Kya Hai
पेट से संबंधित कई तरह के रोगों में दालचीनी बहुत ही फायदेमंद होती है। 5 ग्राम दालचीनी चूर्ण में 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करें। पेट के फूलने की बीमारी ठीक होती है।
दालचीनी , इलायची और तेजपत्ता को बराबर-बराबर लेकर काढ़ा बना लें। इसके सेवन से आमाशय की ऐंठन ठीक होती है।
आंतों को स्वस्थ रखने के लिए भी दालचीनी का इस्तेमाल करना अच्छा परिणाम देता है। दालचीनी का तेल पेट पर मलने से आंतों का खिंचाव दूर हो जाता है।
प्रसव के बाद दालचीनी के सेवन से फायदे बहुत ही ज्यादा होतें हैं। त्रिकटु, पीपरामूल, दालचीनी, इलायची, तेजपात, तथा अकरकरा लें। इनके 1-2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ चाटें। इससे मां बनने वाली महिलाओं के रोग रक्त जनित और अंदरूनी रोग ठीक हो जाते हैं।
दालचीनी का उपयोग कर रक्तस्राव पर रोक-Dalchini Benefits to Stop Bleeding in Hindi
अगर फेफड़ों, या गर्भाशय से रक्तस्राव हो रहा है तो दालचीनी का काढ़ा 10-20 मिली पिएं। आपको काढ़ा को सुबह, दोपहर तथा शाम पीना है। इससे लाभ पहुंचता है।
गठिया रोग को करे दूर-Dalchini Ke Kya Fayde Hain
गठिया में 10-20 ग्राम दालचीनी के चूर्ण को 20-30 ग्राम मधु में मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे दर्द वाले स्थान पर धीरे-धीरे मालिश करें। इससे फायदा मिलेगा।
इसके साथ-साथ एक कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच मधु, एवं दालचीनी का 2 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे सुबह, दोपहर, तथा शाम सेवन करें। गठिया में लाभ देता है।
अन्य उपयोग-Dalchini Ke Fayde Hindi Me
वीर्य वृद्धि के लिये दालचीनी पाउडर सुबह शाम गुनगुने दूध के साथ ले।
मुह की दुर्गंध और दांत की दवा में दालचीनी का उपयोग किया जाता है।
मुहांसे कम करने के लिये दालचीनी का चूर्ण नींबू के रस में मिलाकर लगाये।
उल्टी को रोकने के लिए दालचीनी का प्रयोग दालचीनी, और लौंग का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से उल्टी पर रोक लगती है।
चर्म रोग में दालचीनी से फायदा चर्म रोग को ठीक करने के लिए शहद एवं दालचीनी को मिलाकर रोग वाले अंग लगाएं। आप देखेंगे कि थोड़े ही दिनों में खुजली-खाज, तथा फोड़े-फुन्सी ठीक होने लगेंगे।
दालचीनी के सेवन से बुखार में 1 चम्मच शहद में 5 ग्राम दालचीनी का चूर्ण मिला लें। सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से ठंड के साथ आने वाला संक्रामक बुखार ठीक होता है।
ध्यान रखने योग्य बातें-
दालचीनी उष्ण गुणधर्म की है, इसलिये गर्मी के दिनो में कम उपयोग करें।
दालचीनीसे पित्त बढ सकता है।
दालचीनी के अति सेवन से शरीर को नुकसान भी हो सकता है इसलिए दालचीनी के नुकसान से बचने के लिए इस्तेमाल से पहले देख परख कर या चिकित्सक से सलाह से ही इसका उपयोग करें।