जानिए अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें-How To Use Arjun Ki Chaal

अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करे

अर्जुन का पेड़ एक ऐसा औषधीय पेड़ है जिसके अनगिनत लाभ है। अर्जुन की छाल अंदर से लाल रंग की होती है और पेड़ से उतारने पर चिकनी चादर की तरह उतरती है। अलग अलग प्रान्त में इसे अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे घवल, ककुभ और नदीसर्ज। आयुर्वेद में इस पेड़ के बहुत से लाभ वर्णित हैं, आज हम बात करेंगे अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें के बारे में।

छाल में बीटा-सिटोस्टिरोल, इलेजिक एसिड, ट्राईहाइड्रोक्सी ट्राईटरपीन, मोनो कार्बोक्सिलिक एसिड, अर्जुनिक एसिड आदि भी पाए जाते हैं। पेड़ की छाल में पोटैशियम, कैल्शियम, मैगनिशियम के तत्व भी पाए जाते हैं। अर्जुन की छाल की तासीर ठंडी होती है ,यदि सर्दियों में इसका सेवन लहसुन के साथ किया जाए तो ज्यादा फायदेमंद होगा।

अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें-How To Use Arjun Ki Chaal

फ्रैक्चर होने पर पानी के साथ करे प्रयोग

ह्रदय को शक्ति देने के लिए दूध के साथ अर्जुन की छाल ली जाती है। यह फ्रैक्चर को ठीक करने में भी लाभकारी होता है। 50 मिली अर्जुन की छाल के पाउडर को पानी में मिलाकर दिन में खाना खाने से पहले एक या दो बार पिये।

एक चम्मच अर्जुन की छाल के पाउडर को 2 कप पानी में डालकर उबालें और आधा कप रह जाने पर छान कर गुनगुना पी लें। आप दूध के साथ अर्जुन की छाल को ले सकते हैं और इसके अर्क से बने कैप्सूल भी ले सकते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर में दूध के साथ करे सेवन

तीन ग्राम चूर्ण की मात्रा सुबह-शाम दूध के साथ लेने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में आराम मिलता है। चायपत्ती की बजाय इसकी छाल को पानी में उबालकर उसमें दूध व चीनी डालकर पीना हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशरकोलेस्ट्रॉल में फायदेमंद है।

वजन कम करना है तो पियें काढ़ा

अर्जुन की छाल में हाइपोलिपिडेमिक पाया जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम अथवा नियंत्रित करता है। वजन कम करने में अर्जुन की छाल गुणकारी है। इसके लिए आप रोजाना सुबह और शाम के वक्त अपनी शारीरिक क्षमता अनुसार अर्जुन की छाल का काढ़ा पी सकते हैं। आपको जल्द असर देखने को मिल सकता है।

अर्जुन की छाल का काढ़ा
अर्जुन की छाल का काढ़ा

अधिक जानकारी के लिए पढ़े: अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये

डायबिटीज़ के रोगी गुनगुने पानी के साथ करें सेवन

अर्जुन की छाल डायबिटीज़ रोग को भी नियंत्रित करती है। इसके लिए रोजाना रात में सोने से पहले आधा चम्मच अर्जुन की छाल पाउडर गुनगुने गर्म पानी में मिलाकर पिएं। इससे आपको बहुत जल्द डायबिटीज़ में आराम देखने को मिल सकता है।

अर्जुन की छाल का पेस्ट बढ़ाये आपकी सुन्दरता

अर्जुन की छाल सेहत और सुंदरता दोनों के लिए गुणकारी है। अगर आप त्वचा की खूबसूरती को बरकरार रखना चाहते हैं, तो अर्जुन की छाल का पाउडर और कपूर को मिलाकर अपने चेहरे पर लगाएं। इसके बाद जब पेस्ट सूख जाए, तो अपने चेहरे को साफ पानी की मदद से धो लें।

पेट दर्द होने पर साथ में लें हींग

पेट दर्द की शिकायत होने पर अर्जुन की छाल का प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए छाल में भुना हुआ हींग और काला नमक मिला कर दिन में दो बार इसका सेवन करना चाहिए।

एक कप पानी में तीन ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण डालकर उबालें। पानी की मात्रा आधी रहने पर इसे सुबह-शाम गुनगुना पी लें। इससे बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

अर्जुन की छाल के अन्य प्रयोग

  • अर्जुन की छाल में कसुआरिनिन (Casuarinin)  नाम का एक तत्व मौजूद होता है जो स्तन कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने के लिए बहुत प्रभावी है।
  • नारियल के तेल में इसकी छाल के चूर्ण को मिलाकर मुँह के छालों पर लगाने से मुख के छाले ठीक हो जाते हैं।
  • अर्जुन की छाल के चूर्ण को गुड के साथ लेने से बुखार में काफ़ी आराम मिलता है।
  • अर्जुन की छाल के काढ़े को यूरिन इन्फेक्शन में प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, यह गुर्दे या मूत्राशय की पथरी को निकालने में भी मदद करती है।
  • इसका काढ़ा बना कर पीने से ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या दूर होती है।
  • हड्डी टूटने, नील पड़ जाने, या अंदुरनी चोट लगने पर भी इसके काढ़े का सेवन तथा चोट पर लेप का इस्तेमाल लाभदायक है।
  • पीरियड के दौरान हैवी ब्लीडिंग में इसका काढ़ा तथा कान के दर्द में इसका एक बूंद रस लाभदायक है।

नींबू और शहद के नुकसान, जिन्हें जानना आपके लिए है जरुरी

नींबू और शहद के नुकसान

जब भी कोई व्यक्ति सेहत के बारे में सोचना शुरू करता है, उसे सबसे पहली सलाह दी जाती है कि गर्म पानी नींबू और शहद पीना शुरू कर दो। मोटापा घटाना हो या सुंदरता बढ़ाना दोनों के लिए नींबू शहद के गुण गाये जाते है। बहुत से कॉस्मेटिक अपने प्रोडक्ट में इनके होने का दावा करते है। लेकिन जैसा हम हमेशा कहते है हर चीज़ का एक नुकसान होता है। उसी प्रकार निम्बू और शहद के भी कुछ साइड इफ़ेक्ट होते हैं। आज हम उन्ही साइड इफ़ेक्ट के बारे में बात करेंगे। सबसे पहले बात करते है, गर्म पानी नींबू और शहद पीने की और नींबू और शहद के नुकसान की।

अगर आप सोचते है सुबह गर्म पानी नींबू और शहद पीने से आप पतले हो जाएंगे, तो आप बहुत बड़ी गलतफहमी में है।

नींबू के नुकसान-Nimbu Ke Nuksan In Hindi

  • निम्बू मे सिट्रिक एसिड होता है, जो अगर ज्यादा मात्रा में शरीर मे जाए तो समस्या पैदा कर सकता है। ज्यादा निम्बू के सेवन से शरीर मे डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी हो सकती है। इससे आपको पूरे दिन हलक सूखने की समस्या हो सकती है। गर्म पानी के साथ नींबू का रस लेने से यह डाइयूरेटिक की तरह से कार्य करता है। जरूरत से ज्यादा यूरीनेशन आपको डीहाइड्रेट कर सकता है।
  • ज्यादा नींबू पानी पीने से दांतों की प्रोटेक्शन लेयर यानी इनेमल को नुकसान पहुंचता है। जिससे दांत बहुत सेंसिटिव हो जाते है। आपको ठंडा गर्म लगने की समस्या हो सकती है।
  • इसका कारण निम्बू का एसिडिक नेचर है। आप चाहें तो नींबू पानी हमेशा स्ट्रॉ से पीएं, इससे नींबू की अम्लता दांतों को सीधे तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
  • नींबू पेप्सिन एंजाइम को एक्टीवेट करता है। यह एंजाइम प्रोटीन्स को तोड़ता है। गले और ईसोफेगस में पेप्सिन के एक्टीवेट होने से ही जलन की समस्या होती है। इसके अलावा एसिडिटी, खट्टी डकार, खराब डाइजेस्टिव सिस्टम, की समस्या होती है।
  • ज्यादा नींबू पानी पीने से किडनी स्टोन (पथरी) की समस्या भी हो जाती है। इसके अलावा गुर्दे और पित्ताशय की थैली में समस्या आती है।
  • निम्बू में उपस्थित टायरामाइन नामक तत्व माइग्रेन को बढ़ा सकता है। तो यदि आप माइग्रेन से ग्रस्त है और इसकी की दवा ले रहे हों तो उसके साथ नींबू पानी बिल्कुल न ले।
  • कई बार मुँह में सफेद रंग के दर्द भरे छाले हो जाते है, जिन्हें केंकर सोर्स कहते है। उसका कारण भी निम्बू का एसिडिक होना माना जाता है।

शहद के नुकसान-Shahad Ke Nuksan

अगर आप शहद से मोटापा कम करने का सोच रहे है तो भूल जाए। शहद बहुत ज्यादा मीठा होता है और इसकी जरूरत से ज्यादा मात्रा मोटापा बढ़ाती है।

शहद
शहद

आइए जानते हैं शहद का अधिक सेवन करने से होने वाले नुकसान…

स्माल इंटेस्टाइन में दिक्कत-Shahad Ke Nuksan

अगर आप लगातार शहद का अधिक सेवन कर रहे है तो, स्माल इंटेस्टाइन की न्यूट्रीटीएंट्स को सोखने की कैपेसिटी घट जाएगी। ऐसा शरीर मे फ्रक्टोज नामक तत्व की मात्रा बढ़ने से होता है। इससे शरीर धीरे धीरे कमजोर होने लगेगा।

 डायबिटीज का खतरा-Shahad Ke Nuksan

शहद का लंबे समय तक अधिक सेवन करने से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। अगर आप डायबिटीक पेशेंट हैं, तो शहद भूल कर भी न खाए। यदि नही तो सीमित मात्रा में सेवन करें।

वोमिट की फील-Shahad Ke Nuksan

अगर आप एक साथ अधिक मात्रा में शहद का सेवन करते हैं, तो इससे आपको उल्टी की फीलिंग हो सकती है। फ़ूड पॉइज़निंग हो सकती है। निम्बू और शहद के साथ मे सेवन करने से ब्लोटिंग सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरती है।

नींबू लगाने के नुकसान

त्वचा पर लेमन जूस लगाने से आपकी स्किन पर डार्क स्पॉट हो सकते हैं. खासकर यदि आप बाहर निकल रहे हो तो। क्योंकि सूर्य के प्रकाश में संपर्क में आने से सबसे खतरनाक तरह का सनबर्न हो सकता है। इस सनबर्न को Phytophotodermatitis कहते है।

नींबू के जूस में एसिड अधिक मात्रा में होता है। इसकी वजह से हाइपरपिगमेंटशन, इरिटेशन की समस्या होती है और त्वचा अत्यधिक संवेदनशील हो सकती है।

शहद लगाने के नुकसान

शहद स्किन के लिए अच्छा ही होता है और नुकसान न के बराबर होता है। लेकिन बहुत से लोग इससे एलर्जिक होते है। शहद से एलर्जी होने पर चेहरे पर लाल पैच, जलन और सूजन आ जाती है।

ये थे निम्बू और शहद के सेवन और लगाने के नुकसान।

आपकी सेहत के लिए क्या है करी पत्ता के फायदे और नुकसान-मीठी नीम के फायदे इन हिंदी

करी पत्ता के फायदे और नुकसान

हमारे घर की रसोई में कई तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। ये मसाले खाने के स्वाद को और बढ़ा देते है जिससे खाना और स्वादिष्ट हो जाता है। ऐसा ही एक मसाला है करी पत्ता। करी पता खाने के स्वाद के साथ साथ सुगंध भी बढ़ाता है। करी पत्ते का इस्तेमाल दक्षिण भारत में ज्यादा किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मुराया कोएनिजी है। करी पत्ता बहुत ही गुणकारी है। प्राचीन समय में करी पत्ते का इस्तेमाल इसकी सुगंध के कारण किया जाता था। बाद में इसके सेवन से होने वाले फ़ायदों को देखते हुए लोग इसका इस्तेमाल खाने में भी करने लगे। आज इस लेख में हम आपको करी पत्ता के फायदे और नुकसान के बारे में बताएँगे।

करी पत्ता में पाये जाने वाले पोषक तत्व

प्रति 100 ग्राम करी पत्ता में पाये जाने वाले पोषक तत्व हैं
कैल्सियम 810 mg
फास्फोरस 600 mg
आइरन 3.1 mg
केरोटीन 12600IU
विटामिन सी 4 mg
निकोटिनीक एसिड 2.3 mg

करी पत्ता के फायदे-Kari Patta Ke Fayde

दिल के लिए है बेहतर-Kari Patta Ke Fayde In Hindi

करी पत्ता आपके दिल के लिए बहुत ही बेहतर साबित होता है। करी पत्ता में भरपूर मात्रा में एंटी ओक्सीडेंट्स और विटामिन सी पाया जाता है जो शरीर में मौजूद बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है। इससे आपको दिल से जुड़ी बीमारियाँ होने का खतरा कम हो जाता है और आप स्वस्थ रहते हैं।

बालों की ग्रोथ में करे मदद-Kari Patta For Hair In Hindi

करी पत्ता बालों के लिए भी बहुत अच्छा होता है। ये बालों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद करता है। करी पत्ता से आपके बाल मजबूत होते हैं और बालों की ग्रोथ भी अच्छी होती है। इससे बालों की जड़ें मजबूत हो जाती है। जिससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे हो जाते हैं। अगर आपके बालों में डेंड्रफ की समस्या है तो करी पत्ता इससे भी छुटकारा दिला सकता है। इसके लिए आप करी पत्ता के रस को अपने बालों में लगाएँ। फिर 1 घंटे बाद बालों को धो लें।

डायरिया और कब्ज़ में दे राहत-Kari Patta Ke Fayde

अगर आपको पेट से संबन्धित समस्याएँ जैसे डायरिया या कब्ज़ है तो आप करी पत्ता का सेवन भी कर सकते हैं। करी पत्ता डाइजेस्टीव एंज़ाइम्स को बढ़ाने में मदद करते हें। जिससे खाना अच्छे से पचता है और पेट से जुड़ी समस्याएँ नहीं होती। इसके लिए आप कच्चे करी पत्ता का सेवन भी कर सकते हैं।

कब्ज
कब्ज

फंगल और बेक्टीरियल संक्रमण से बचाए-Curry Leaves Benefits In Hindi

अगर आपको फंगल या बेक्टीरियल संक्रमण हुआ है तो आप करी पत्ता का प्रयोग कर सकते हैं। करी पत्ता में एंटी बेक्टीरियल गुण पाये जाते हैं जो संक्रमण को खत्म करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप ताजे करी पत्तों को पीस कर उनका पेस्ट बना लें। अब इसे संक्रमण वाली जगह पर लगा लें।

वज़न घटाने में करे मदद-Kari Patta Ke Fayde In Hindi

अपने बढ़े हुए वज़न को घटाने के लिए आप करी पत्ता का सेवन कर सकते हैं। करी पत्ता में डाइक्लोरोमीथेन और एथिल एसीटेट पाया जाता है। ये आपके बढ़े हुए वजन को कम करने में मदद करता है। जिससे आप फिट और स्वस्थ रहते है।

डायबिटीज़ को करे कंट्रोल-Kari Patta Ke Fayde

करी पत्ता डायबिटीज़ को कंट्रोल करने के लिए भी बहुत लाभकारी साबित होता है। करी पत्ता में एंटी डाइबिटिक प्रॉपर्टीज़ पाई जाती है। जो आपके शरीर में शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है और इंसुलिन की मात्रा को बढ़ाने में भी सहायक है।

करी पत्ता के नुकसान

  • हर चीज़ की अति बुरी होती है। इसलिए करी पत्ता का ज्यादा सेवन करना आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं होता।
  • गर्भवती स्त्री या स्तनपान कराने वाली स्त्रियॉं को डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए।
  • कई लोगों को करी पत्ते से एलर्जी भी हो सकती है। इसलिए अगर आपको एलर्जी है तो आप करी पत्ते का सेवन करने से बचें।

जानिए क्या हैं पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से होने वाले फायदे

पीतल तांबा जस्ता को मिलाकर बनाई गई एक मिश्र धातु है। यह धातु पीले रंग की होती हैं। इस धातु के बने बर्तनों का प्रयोग हिंदू धर्म में पूजा पाठ एवं अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों के आयोजन में किया जाता है। पीतल के बर्तनों का हिंदू धर्म में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है एक बच्चे के जन्म होने से लेकर एक वृद्ध व्यक्ति के मृत्यु संस्कार तक में पीतल के बर्तनों की आवश्यकता होती है। भगवान विष्णु ,देवी मां बगलामुखी, मां लक्ष्मी इन सभी की पूजा में पीतल के बर्तन का प्रयोग किया जाता है।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त होता है

पीतल के बर्तन मे पानी पीने के फायदे अनेक हैं। पीतल की प्रकति गर्म होने के कारण पीतल के बर्तन में रखे हुए पानी से कफ दोष दूर होता है और खांसी जुकाम जैसे विकार नहीं होते।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से वायु दोष की बीमारी भी दूर होती है पहले के लोग अपनी क्षमता अनुसार सोना चाँदी तांबा और पीतल के बर्तन प्रयोग करते थे। जिस कारण वह हमेशा स्वस्थ रहते थे। परंतु आजकल धातु के बर्तनों की जगह प्लास्टिक, एलमुनियम, काँच, मेलामाइन आदि ने ले ली है। जिसके कारण काफी सारी बीमारियाँ बढी हैं। इन बर्तनो के प्रयोग से शरीर के अंदर राहु का प्रकोप बढ़ा है। फल स्वरूप कैंसर जैसी बीमारियां शरीर में घर कर रही है।

पीतल के बर्तन न केवल शारीरिक दृष्टि से बल्कि वास्तु के अनुसार हमारे लिए लाभदायक होते हैं। पीतल के बर्तन हमारे लिए आर्थिक समृद्धि लेकर आते हैं।

पीतल के बर्तनों में बना हुआ भोजन अत्यधिक स्वादिष्ट होता है पीतल के बर्तन में बना हुआ भोजन स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है पीतल बहुत जल्दी गर्म हो जाता है। जिस कारण गैस की बचत होती है। पीतल के बर्तनों में भोजन पकाने से ऊर्जा की बचत होती हैं। पीतल एक शुद्ध धातु है। पीतल के बर्तन मनुष्य को आरोग्यता एवं तेज़ प्रदान करते हैं। पीतल के बर्तन हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं। पीतल के बर्तन हमारी आंखों के लिए पीले रंग के होने के कारण टॉनिक का काम करते हैं।

कई बीमारियों से बचाए

पीतल के बर्तन बहुत मजबूत होते हैं शुद्ध पीतल के बर्तन 70% तांबा और 30% जस्ता को मिलाकर बनाए जाते हैं पीतल एक बहुत उपयोगी और कीमती धातु है। जिसे हमारे पूर्वज प्राचीन काल से प्रयोग करते आ रहे हैं। इसलिए नहीं कि वह प्लास्टिक का प्रयोग नही जानते थे या फिर वह बहुत धनवान थे। हमारे पूर्वज पीतल के औषधीय गुणों को जानते थे। आजकल शरीर में कैंसर, टयूमर, एलर्जी जैसी छोटी बड़ी बीमारियां बढ़ती जा रही है। यह सभी बीमारियां हमारे गलत खानपान का परिणाम है।

हम सभी ने समय की बचत के लिए एवं सुंदरता और अपनी सहूलियत के लिए प्लास्टिक के बर्तनों में, कांच के बर्तनों में, नॉन स्टिक के बर्तनों में खाना बनाना खाना परोसना शुरू कर दिया है। इन सब के दुष्परिणाम भी है। जो हम नई-नई बीमारियों के रूप में देख रहे हैं। पीतल के बर्तन आजकल की दौड़ भाग वाली जिंदगी में संभाल पाना बहुत मुश्किल है। यह हम सब जानते हैं तो हर भोजन तो हम पीतल के बर्तनों में नहीं बना सकते। पर कुछ तो हमें अपने स्वास्थ्य के लिए करना ही होगा। इसलिए हमें पीतल के बर्तनों में पानी पीना चाहिए। पीतल के बर्तन में पानी पीना भी उतने ही स्वास्थ्यवर्धक है जितना पीतल के बर्तनों में खाना खाना।

पीतल के बर्तन
पीतल के बर्तन

आँखों के लिए हैं फायदेमंद

पीतल का पीला रंग हमारी आंखों के लिए लाभदायक होता है यह हमें ऊर्जा प्रदान करता है स्वर्ण की तरह है पीतल भी अति शुभ कार्य होता है भगवान विष्णु को अति प्रिय है। बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए पीतल बहुत लाभदायक होता है। पीतल के बर्तनों में पानी पीने से बृहस्पति ग्रह प्रबल होता है।

पानी को करे स्वच्छ

पीतल के बर्तन जल स्वच्छ करने में कारगर पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से पानी के अंदर मौजूद माइक्रो ऑर्गेनाइज्म खत्म हो जाते हैं और पानी स्वच्छ हो जाता है पीतल के लोटे, थाली को गरीब से गरीब परिवार भी अपनी कन्या को विवाह में देता है। उसके पीछे उद्देश्य यही होता है कि घर मैं भोजन पवित्र एवं स्वच्छ हो और साथ ही शुद्ध भी हो हर मांगलिक कार्य में पीतल के कलश या लोटे में जल भरकर रखा जाता है। उसके पीछे उद्देश्य यही होता है कि जल की कभी भी कमी ना हो।

अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी तो सभी खरीदते हैं परंतु हमारे पूर्वज सदियों से पीतल के लोटे में जल भरकर भगवान के सम्मुख रखते आए हैं। उद्देश्य मात्र यही होता है कि जल की कभी भी कमी ना हो। घर में धनधान्य अन्न जल हमेशा भरा रहे। विवाह संस्कार के समय पीतल के लोटे में जल भर कर रखा जाता है। जो इस बात का प्रतीक है कि घर में पति पत्नी दोनों मिलकर रहेंगे।

घर को करे पवित्र

पीतल से जुडी परम्पराएँ बच्चे के जन्म के समय पीतल की थाली को पीटने की परंपरा है। जो बताती है कि घर में सौभाग्य आ गया है। एक नया वशंज संसार में जन्म ले चुका है। इसी प्रकार मृत्यु के समय अस्थि विसर्जन के पश्चात पीपल पर जल पीतल के कलश से ही चढ़ाया जाता है। पिंडदान के बाद पीतल के कलश में गंगाजल व सोने का टुकड़ा रखकर पूरे घर को पवित्र किया जाता है। यह सारी रीति रिवाज पीतल की पवित्रता व हमारे घर में पीतल की अनिवार्यता के विषय में बताते हैं। हम सभी को नए का प्रयोग करना चाहिए। पर नए के कारण पुराने को बिना सोचे समझे छोड़ देना कहीं की समझदारी नहीं है।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से पानी पौष्टिक, शुद्ध स्वच्छ व शरीर के लिए लाभदायक होता है तो मैं आप सब से यही कहना चाहूंगी कि निकाल लीजिए अपने दादा दादी के जमाने के लोटे और बरतनों को और जगह दे दीजिए एक बार फिर से अपने रसोई घर में।

क्या है पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे आपकी सेहत के लिए

पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे

शतावरी एक जड़ी बूटी है। इसकी लता फैलने वाली और झाड़ीदार होती है एक एक बेल के नीचे कम से कम सौ से अधिक जड़े होती हैं। यह जड़े लगभग 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। इनकी जड़ों के बीच में कड़ा रेसा होता है। जिसे शतावरी कहा जाता है। शतावरी दो प्रकार की होती है। सफेद शतावरी और पीली शतावरी। पीली शतावरी अत्यधिक लाभकारी होती है। पतंजलि शतावरी चूर्ण पीली शतावरी की जड़ों से ही बनाया गया है इस पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे अनेक हैं।

यह अनिद्रा में कामगार होती है। गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी अति लाभकारी है। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है। महिलाओं को माँ बनने के बाद स्तन में दूध की कमी होती है ऐसी स्थिति में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक लाभदायक होता है। नवयौवना के ब्रेस्ट बढ़ने के लिए भी शतावरी का चूर्ण प्रयोग किया जाता है।ल्युकोरिया जैसी बीमारी में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक फ़ायदेमंद होता है। तो आइए जानते हैं शतावरी के फायदे।

पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे-Patanjali Shatavari Churna Benefits In hindi

शतावरी उपयोगी है स्तनों से दूध बढ़ाने में

शतावरी एक शक्तिवर्धक औषधि है वे स्त्री जो बहुत कमजोर होती है उनके स्तनों से दूध कम आता है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ पीने से मां के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है गर्भवती मां के लिए

पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है और मां भी स्वस्थ रहती है गर्भवती महिलाओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण अश्वगंधा मुलेठी और भृगरज के साथ लेना चाहिए। यह सारी औषधियां दूध के साथ लेने पर गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्टैमिना डिवेलप करने में

जो युवा अपना शरीर बनाना चाहते हैं उसके लिए वह जिम में जाकर घंटों एक्सरसाइज करते हैं और फिर हजारों रुपए का प्रोटीन पाउडर खरीदते हैं। उनके लिए पतंजलि शतावरी चूर्ण बहुत फ़ायदेमंद है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ लेने से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ल्यूकोरिया में

वे महिलाएं जो सफेद पानी (ल्यूकोरिया ) की समस्या से काफी परेशान है। जिसके कारण उनके पेट और हाथ पैरों में हमेशा दर्द रहता है। उन्हें पतंजलि शतावरी चूर्ण रात को सोते समय लेना चाहिए कुछ समय में ही उनकी समस्या का समाधान होता है|

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है धात रोग में

पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध के साथ लेने से धात रोग में लाभ होता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद अनिद्रा में

वह स्त्री या पुरुष जी ने रात भर नींद नहीं आती वह नींद आने की बीमारी से परेशान है ऐसे लोगों को पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध में पकड़ कर लेना चाहिए। घी में मिलाकर खाने से नींद ना आने की समस्या दूर होती है।

नींद ना आना
नींद ना आना

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ब्रेस्ट के विकास में

जिन युवतियों के ब्रेस्ट विकसित न हुए हो वो पतंजलि शतावरी चूर्ण का सुबह शाम दूध के साथ सेवन करती हैं तो वक्ष सुडौल होते हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्वप्नदोष में

जिन व्यक्तियों को स्वप्नदोष की समस्या होती है उन्हें शतावरी चूर्ण को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह शाम गर्म दूध में डालकर पीना चाहिए इसे स्वप्नदोष की समस्या दूर होती है और शरीर स्वस्थ होता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है रजोनिवृत्ति में

स्त्रियों में रजोनिवृत्ति के समय चिढ़चिढाहट होती है। थकान होती हैऔर बेचैनी होती है उन सारी परिस्थितियों में पतंजलि शतावरी चूर्ण का सेवन अत्यधिक फ़ायदेमंद है यह है मानसिक और शारीरिक थकान को दूर कर स्त्री के शरीर को ऊर्जावान बनाता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण स्त्रियों के प्रजनन अंगों को ताकत प्रदान करता है

पतंजलि शतावरी चूर्ण में प्राकृतिक रूप से फाइटोएस्ट्रोजन नामक हार्मोन होते हैं। जो कि गर्भाशय को मजबूत करते हैं। और साथ ही साथ स्तनों में दूध के स्तर को भी बढ़ाते हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण है प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट

पतंजलि शतावरी चूर्ण मुक्त कणों को कम करता है शरीर को गैस्टिक क्षेत्र के अंदर की परत की क्षति होने से बचाता है और अल्सर को बनने से रोकता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण दूर करता है। यूरिन की समस्याओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से यूरिन का रुक-रुक कर आना दूर होता है व अन्य यूरिन की समस्याओँ का भी समाधान होता है|

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है पाचन तंत्र में

पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से पाचन तंत्र बेहतर काम करता है और फूड पाइप भी सुचारु रूप से काम करता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण दूर करता है सूजन को

पतंजलि शतावरी चूर्ण के नियमित सेवन से शरीर में कहीं भी सूजन नहीं आती है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण शतावरी नामक जड़ी बूटी से बनाया जाता है यह एस्पैरेगस फैमिली की जड़ी बूटी होती है। शतावरी औरतों के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है यह स्त्री के किशोरावस्था से लेकर रजोनिवृत्ति तक हर अवस्था में उसके स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान में काम आती है रखती है। बल्कि आदमियों के शरीर के लिए भी पतंजलि शतावरी चूर्ण अत्यधिक उपयोगी है यह उन्हें शारीरिक ताकत देता है उनकी दुर्बलता को दूर करता है और स्वप्नदोष जैसी बीमारियों को भी दूर करता है।

जानिए क्या है दिव्य किट के फायदे-Divya Kit In Hindi

दिव्य किट के फायदे

दिव्य किट एक चमत्कारिक किट है। इसमें अधिकतर सभी बिमारियों का इलाज संभव है। इसमें एक्सरसाइज ,एक्यूप्रेशर ,हिप्नोटिस्म सभी के द्वारा इलाज होता है। इस दिव्य किट के द्वारा हम स्वंय ही उपचार कर सकते हैं। दिव्य किट इंसान के शरीर के अंदर मौजूद तत्वों को एक्टिव करती है। इसमें ज्ञान मुद्रा एक्ससरसाइज, मैडिटेशन योगा एक्यूप्रेशर हिप्नोटिज्म द्वारा बिमारियों का इलाज होता है।

कोई भी बीमारी शरीर में घर तब ही कर सकती है ,जब हमारा शरीर अंदर से कमजोर हो। ये सारी क्रियाएं हमारे शरीर को अंदर से साफ़ रखती हैं। दिव्य किट में खान पान योग, व्यायाम को अपनाकार हम अपनी बिमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। इसमें प्राकृतिक और जैविक रूप से शुद्ध घटक पाये जाते हैं। स्वर्ण भस्म, मोती भस्म, लवण भास्कर और कई प्रकार के अन्य बहुमूल्य घटक पाये जाते हैं।

40 से 50 साल की उम्र में दिव्य किट के प्रयोग से आगे जाकर शरीर में कोई समस्या नहीं आयेगी। दिव्य किट शरीर के शुद्धि करण में उपयोगी है। यह एक आर्युवेद औषधि के रूप में शरीर की सभी स्वास्थ्य सभी समस्याओं का समाधान करती है।

दिव्य किट बिमारियों को रोकने और शरीर को रोग मुक्त करने के लिए सावधानी बरतने में उपयोगी है।

दिव्य किट के फायदे

दिव्य किट की आलौकिक शक्ति टैबलेट के फायदे

दिव्य किट में आलौकिक शक्ति नामक टैबलेट होती है। यह टैबलेट थाइरोइड के उपचार में कारगर होती है। थाइरोइड ग्रंथि के ऊपर कार्बन एवं केमिकल की परत जम जाती है। आलौकिक शक्ति टैबलेट के नियमित इस्तेमाल से यह परत हटने लगती है। इस परत के हटते ही थाइरोइड भी ठीक हो जाता है।

दिव्य किट की परम शुद्धि टैबलेट के फायदे

दिव्य किट में परम शुद्धि टैबलेट होती है। यह टेबलेट शरीर में वाले सभी तरह के फंगल इन्फेक्शन को रोकने में कारगर होता है। इसे एक दिन खाने से ही बैक्टीरिया वाइरस मर जाते हैं।

दिव्य किट

दिव्य किट में दिव्य शक्ति पाउडर

दिव्य मे पाया जाने वाला दिव्य शक्ति पाउडर शरीर पर लगाने पर नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है।

दिव्य शक्ति पाउडर शरीर के ऊर्जा पुंज को सकारात्मक बनता है।

दिव्य किट में है दिव्य साधना सी डी

  • दिव्य किट में दिव्य साधना नामक सी डी है जिसे पढ़कर हम बिमार नही पढेंगे। दिव्य साधना सी डी के प्रयोग से जो बिमारी है उसमें लाभ हो जायेगा।
  • दिव्य साधना सी डी में योग व मेडिटेशन का समावेश है। दिव्य साधना सी डी 3 मिनट की अवधि की है। दो गिलास गर्म पानी पीकर खाली पेट दिव्य साधना सीडी को फौलो करना चाहिए।
  • दिव्य साधना सी डी को फौलो करने से हम कभी बिमार नही पढेंगे।

दिव्य किट में है एक पुस्तक

दिव्य किट में है एक पुस्तक। इस पुस्तक में शरीर के सात ऊर्जा चक्रो के बारे में बताया गया है। इन सातों ऊर्जा चक्रो से शरीर का ऊर्जा पुंज बनता है। ये सातों ऊर्जा चक्र रीढ़ की हड्डी में पाये जाते हैं। ऊर्जा चक्रों में कमियों के कारण ही शरीर मे बीमारियां घर बनाती हैं।

इस पुस्तक में हर ऊर्जा चक्र से सम्बंधित बीमारी का नाम व उसे ठीक करने के तरीके के बारे में गया है। जिस चक्र मे समस्या है ,उस चक्र की मालिश करना सिखाया गया है। यह मालिश शरीर के सात चक्रो को संतुलित करती है।

दिव्य में है एक सी डी दिव्य्र ज्ञान

इस सी डी में क्या कब और कितना खाना है और क्या नहीं खाना है बताया गया है।

दिव्य किट के उपयोग

  • दिव्य किट शरीर के सात चक्रो को संतुलित करके सात उर्जा जागरूकता केंद्रों को संतुलित करता है।
  • दिव्य किट को आर्युवेदिक पदार्थों से बनाया गया है। दिव्य किट लिवर की कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं।
  • दिव्य किट के साइड इफेक्ट नहीं होते जबकि थायराइड बीपीहर्ट की बिमारियों में हम सालों साल दवाइयाँ खाते हैं। हर दवा के साइड इफेक्ट्स होते हैं जिनके कारण फाइब्राइड,यौनरोग यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना होती है।
  • सरदर्द, बदन दर्द, कमर दर्द होने पर खायी जाने वाली पेन किलर के भी काफी दुष्प्रभाव होते हैं। किडनी,लिवर में भी समस्या आती है। दिव्य किट के साइड इफेक्ट नहीं होते जबकि थायराइड बीपी व हर्ट की बिमारियों में हम सालों साल दवाइयाँ खाते हैं। हर दवा के साइड इफेक्ट्स होते हैं जिनके कारण फाइब्राइड,यौनरोग यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना होती है।।
    सरदर्द
    सरदर्द
  • दिव्य किट शरीर का उर्जा पुंज ठीक करता है। ब्रह्मांड से उर्जा लेकर हम ऊर्जा वान बनते हैं। दिव्य वटी शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलती है। शरीर के अंदर रीढ़ की हड्डी में सात उर्जा चक्र होते हैं। सातों ऊर्जा चक्र मिला कर ऊर्जा पुंज बनाते हैं।
  • दिव्य किट बिमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है। दिव्य किट बिमारियों को दूर करती है।
  • दिव्य किट के तरीके और एक्सरसाइज करने से थायराइड ठीक हो सकता है।
  • दिव्य किट का चालीस दिन का प्रयोग 4,200 रूपये का है।
  • दिव्य किट के प्रयोग से एसिडिटी, गैस, बदहजमी की समस्या दूर होती है।
  • दिव्य किट शरीर के सभी अंगों को स्फूर्ति प्रदान करती है। दिव्य किट वजन कम करने में मददगार है।
  • दिव्य किट शरीर के हार्मोनल लेवल को संतुलित करती है। दिव्य किट बिना किसी साइड इफेक्ट्स के हार्मोंस को संतुलित करती है।
  • दिव्य किट में जड़ी बूटी के अव्यय पाये जाते हैं। दिव्य किट शरीर को बिमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है। दिव्य किट शरीर के हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालती है।
  • दिव्य किट में उपयोगी हीलिंग तकनीक होती है। हीलिंग प्रकिया लिवर को स्वस्थ बनाए रखती है। दिव्य किट स्वस्थ जीवन पद्धति को बढावा देती है।
  • दिव्य किट शरीर का अंदर से शुद्धिकरण कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है।
  • दिव्य किट शरीर के अंदरूनी अंगों को साफ करती है।

जानिए यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए

यूरिक एसिड में क्या नही खाना चाहिए

जब शरीर मे यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तो गठिया जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। गठिया जिसे गाउट भी कहते है। यूरिक एसिड बढ़ने से टॉक्सिन्स और अपशिष्ट पदार्थ शरीर से निकल नही पाते जिस कारण वो क्रिस्टल फॉर्म में बदल जाते है। ये क्रिस्टल जोड़ो को बहुत ही दर्दभरा बना देते है खासकर, पैरो की एड़ियों और पंजो को। इतना दर्द होता है कि जमीन पर पैर रखना मुश्किल हो जाता है। यूरिक एसिड को नियंत्रित करने का सबसे सरल और बेहतरीन उपाय है खान पान पर ध्यान देना। यूरिक एसिड बढ़ने पर क्या खाना चाहिए ये जानने से ज्यादा जरूरी है परहेज किसका करें।

यूरिक एसिड में परहेज-यूरिक एसिड में खान पान कितना महत्व रखता है

दरअसल सारा खेल ही भोजन का होता है। होता यूं है कि जिस व्यक्ति के शरीर मे यूरिक एसिड की प्रोब्लम होती है, वो लोग प्यूरिन को पचाकर बने अपशिष्ट को बाहर नही निकाल पाते।

बहुत से खाद्य पदार्थो में पाया जाने प्यूरिन शरीर मे पचकर अपशिष्ट में बदल जाता है, और यूरिक एसिड के रूप में निकल जाता है। लेकिन गाउट के रोगी इस यूरिक एसिड को निकालने में असमर्थ होते है।

अब आपको जानकर हैरानी किसी पदार्थ में प्यूरिन होने के बाद भी गाउट में नुकसान नही करता जैसे बहुत सी हरी सब्जियां।
कुछ खाद्य पदार्थो में प्यूरिन न होने के बाद भी वह यूरिक एसिड को बढ़ा देती है जैसे फ्रुक्टोज (Fructose; फलों में प्राकृतिक शक्कर) और चीनी युक्त पेय पदार्थ, कुछ पदार्थ जैसे कलेजी, भेजा आदि), समुद्री फूड, शराब और बियर आदि में प्यूरीन की मात्रा बहुत अधिक होती है।

एक तरफ जहाँ कम फैट वाले डेरी प्रोडक्ट यूरिक एसिड को कम करते है, वहीं अधिक फैट वाले डेरी प्रोडक्ट यूरिक एसिड को बढ़ाते है।

यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए-Uric Acid Me Kya Nahi Khana Chahiye

नॉनवेज

सभी प्रकार के नॉनवेज तो नही लेकिन कुछ खास चीज़ों का परहेज यूरिक एसिड में जरूरी होता है। जैसे इंटरनल ऑर्गन कलेजी, किडनी, भेजा आदि खाने से यूरिक एसिड बढ़ता है। इसके अलावा तीतर या हिरन का मांस भी न खाए।

कुछ खास तरह की मछलियां जैसे हेरिंग, ट्राउट, मैकेरल, टूना आदि इन मछलियों को खाना यूरिक एसिड में सही नही है। सी फ़ूड जैसे केकड़ा झींगा आदि भी गाउट के लिए हानिकारक हैं।

इनके स्थान पर ताजा मछली, सैल्मन, चिकन, लाल मांस, सुअर का मांस, भेड़ का मांस आदि खाए जा सकते है। कोशिश करे कि नॉनवेज न ही खाए।

प्रोटीन

हाइ प्रोटीन डाइट यूरिक एसिड की समस्या को काफी हद तक बढ़ा सकती है, क्योंकि प्रोटीन के किसी भी पदार्थ में प्रोटीन से दुगुनी मात्रा में प्यूरिन होता है।

शुगर और फ्रक्टोज़

  • जिन फलों में शुगर ज्यादा मात्रा में हो उन्हें खाने या उनका जूस पीने से बचे।
  • कार्बोनेटेड ड्रिंक, सोडा, न पिएं। शहद और हाई फ्रुक्टोस कॉर्न सिरप वाले खाद्य पदार्थों को न खाएं। खमीर खाने से बचे।
  • रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, सफेद ब्रेड, केक और बिस्कुट भी न खाएं।

यूरिक एसिड में क्या खाना चाहिए

अब हम बात करेंगे कि यूरिक एसिड की समस्या में क्या खा सकते है। यूरिक एसिड की समस्या में निम्न खाद्य पदार्थों को खा सकते  हैं –

फल

हाइ शुगर वाले फलों को छोड़कर सभी फल खाएं जा सकते है। खासकर बेरीज और चेरी ये फल न केवल यूरिक एसिड कम करते है बल्कि स्ट्रेस हॉरमोन भी कम करते है।

सब्जियां

यूरिक एसिड की समस्या में सभी प्रकार की सब्जियां खा सकते हैं। लेकिन बादी वाली सब्जियों को खाने से परहेज करें जैसे अरबी, कद्दू आदि।

सब्जियां
सब्जियां

फलियां

सभी हरी फलियों की सब्जी खाने में कोई नुकसान नही होता लेकिन लोबिया की फली गैस बना सकती है जिससे दर्द बढ़ सकता है।

सूखे मेवे

सभी प्रकार के सूख मेवे और बीज खा सकते हैं। लेकिन काजू और सनफ्लॉवर सीड की मात्रा सीमित रखें। इनके अलावा ओट्स, ब्राउन राइस और जौ कम वसा वाले सभी डेरी उत्पाद, अंडा, ग्रीन टी डाइट में ले। कॉफी या चाय के ज्यादा प्रयोग से बचें। तेलों में कैनोला आयल, नारियल तेल , जैतून तेल और अलसी का तेल आदि खाएं।

भोजन के विकल्प

दही के साथ ओट्स, जामुन, स्मूदी, पालक, दही, कम फैट वाला दूध, अलसी, चिया बीज) टोस्ट,  स्ट्राबेरी, इडली, प्लेन गेहूँ का डोसा, उबले हुए अंडे, मशरूम, ऑमलेट, ताजा सब्जियां,  चौलाई (या क्विनोआ) सलाद, भुना हुआ चिकन, शिमला मिर्च, कम फैट वाला पनीर, साबुत अनाज का सैंडविच, ब्राउन राइस, चने, शतावरी, टमाटर और दलीया, ओट्स का उपमा (या टोफू और ब्राउन राइस), मिक्स्ड वेज सब्जी, चिकन बर्गर

काफी पीने के फायदे जो जानकर हैरान हो जाएंगे आप

काफी पीने के फायदे

कॉफी की खुशबू ही किसी को एनर्जी देने के लिए काफी होती है। कॉफी पीकर न केवल जीभ का स्वाद अच्छा होता है बल्कि तन मन मे एक स्फूर्ति आती है। दिमाग एक्टिव होता है। काफी पीने के फायदे बहुत है। कॉफी के फल को भूनकर ही कॉफी बिन्स तैयार की जाती है। कॉफी के हर ब्रांड का फ्लेवर अलग अलग होता है। और इस फ्लेवर का कारण होता है बीजो को भूनने में इस्तेमाल किया गया भिन्न भिन्न टेम्परेचर।

मुख्यतया कॉफी के दो प्रकार होते है एरेबिका और रोबस्‍ता सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय हैं। इनमे एरेबिका कॉफी क्वालिटी, खुशबू, फ्लेवर एवं स्‍वाद लोग ज्यादा पसंद करते है।। कॉफी केवल गर्म ही नही बल्कि कोल्ड कॉफी के रूप में भी पी जाती है।

ब्राजील में कॉफी सबसे ज्यादा मात्रा में उगाई जाती है का सबसे बड़ा उतदक है। भारत मे कॉफी का उत्पादन कर्नाटक (चिकमगलूर और कोडगु) केरल तथा तमिलनाडु में किया जाता है। दरअसल कॉफी में मौजूद कैफीन ही इसे ऊर्जादायक बनाता है। कैफीन नुकसानदायक होती है।लेकिन यदि कॉफी का इस्तेमाल सही तरीके से किया तो बेहतरीन रिजल्ट मिलता है। आपने हमेशा कॉफी के नुकसान ही सुने होंगे आज हम आपको कॉफी के फायदों के बारे में बताएंगे।

काफी पीने के फायदे-Coffee Peene Ke Fayde In Hindi

मोटापा कम करें

यहाँ हम चीनी की मिठास से भरी कॉफी की बात नही कर रहे। हम बात कर है ब्लैक या ग्रीन कॉफी की। ब्लैक या ग्रीन कॉफी मेटाबोलिज्म को तेजी से बढ़ाती है। मेटाबॉलिज्म बेहतर होने मोटापा घटाने में आसानी होती है। क्योंकि बेहतर मेटाबोलिज्म मतलब, खाने से पोषक तत्वों का जल्दी और अच्छे तरीके से शरीर को पहुँचना।

मोटापा कम करने में मदद करे
मोटापा कम करने में मदद करे

डायबिटीज में फायदेमंद

कॉफी में कुछ ऐसे तत्व होते है जो शरीर के द्वारा इन्सुलिंन के प्रयोग को बेहतर बनाते है। और वो तत्व है मैग्नीशियम और पोटेशियम। ये तत्व ब्लड शुगर लेवल को रेगुलर करते है साथ ही मीठा खाने की तलब कम करते है।कुछ रिसर्च ऐसा मानती है कि रोजाना 3 से 4 कप कॉफी पीने से डायबिटीज का ख़तरा 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

पार्किंसन से बचाव में करती है मदद

पार्किंसंन दरअसल एक न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारी है। ब्रेन में ये ऐसे न्यूरॉन्स को खत्म करती है जो डोपामाइन पैदा करते है। रिसर्च में ये देखा गया है कि कॉफी का नियमित सेवन करने वाले 40 से 60 % लोगो में पार्किंसंन विकसित नही होता।

दिल का रखे ख्याल

माना जाता है कि कॉफी दिल के लिए भी फायदेमंद है, इसका नियमित सेवन करने से महिला और पुरुष दोनों में स्ट्रोक या हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है।

इंस्टेंट एनर्जी दे

दरअसल कॉफी में उपस्थित कैफीन एक हल्के ड्रग की तरह काम करती है। कॉफी का एक बेहतरीन कप दिन भर होने वाली थकान को दूर कर देता है। कॉफी दिमाग को जाग्रत रखती है, इंस्टेंट एनर्जी देती है। इसलिए रात भर जाग कर पढ़ने वाले या काम करने वाले स्टूडेंट और एम्प्लॉयी कॉफी का सेवन करते है। एक रिसर्च ने साबित किया है की, 400 मिलीग्राम कैफीन आपकी सहनशक्ति में सुधार कर सकता है।

कैंसर

रिसर्च कहती है कि दिन में कम से कम 2 बार कॉफी का सेवन करने वाले को कैंसर का खतरा कम हो जाता है। कॉफी कई प्रकार के कैंसर का खतरा कम करती है जैसे लिवर कैंसर, स्किन कैंसर, गर्भाशय कैंसर आदि।

ब्रेस्ट का आकार बढ़ाए

कॉफी का सेवन स्तनों के आकार में बढोत्तरी करता है। यदि कोई महिला अपने छोटे स्तनों से दुखी है तो वो कम से कम दिन में तीन बार कॉफी का सेवन करें। इससे पूरी उम्मीद होती है कि स्तन के आकार में फर्क आएगा।

निम्न रक्तचाप को ठीक करें

यदि आपको लगता है कि आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है तो दिन में कम से कम एक बार कॉफी जरूर पिए। ऐसा करने से ब्लड प्रेशर कम होने पर आपको तुरन्त राहत मिलेगी।

कॉफी के अन्य फायदे

  • कॉफी कन्सन्ट्रेशन पावर बढ़ाती है।
  • इंनस्टेन्ट स्टैमिना बिल्ड अप करती है जिससे कोई भारी काम करने से पहले एनर्जी आती है
  • कॉफी में मौजूद तत्व लगातार स्क्रीन वर्क करने पर आँखो की रक्षा करती है।
  • कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते है।
  • अवसाद को दूर करने में फायदेमंद है।
  • आंखों के नीचे बने काले घेरे यानि की डार्क सर्कल्स को कम करने में मदद करता है।
  • University of Sao Paulo के द्वारा एक अध्ययन ने साबित किया है कि जिन त्वचा पर लगाने वाली क्रीम में कैफीन होता है वो सेल्युलाईट फैट को 17% तक कम करती हैं।
  • कॉफी का कैफीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम को एक्टिव करता है और सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरड्रेनलाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को बढ़ाता है, जो आपके मूड को अच्छा करता है।

ध्यान रहे कि इस आर्टिकल में सारी जानकारी ब्लैक, ग्रीन और फीकी कॉफी को ध्यान में रखकर दी गयी है।

pregnancy me bp low ho to kya kare-प्रेगनेंसी में बीपी लो हो तो क्या करें

pregnancy me bp low ho to kya kare

प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में हारमोंस चेंज होते हैं, इसके कारण उसे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है , इनमें ब्लड प्रेशर का लो या हाई होना सामान्य बात है । अधिकांश मामलों में लो बीपी से समस्या नहीं होती तथा डिलीवरी के बाद यह समस्या अपने आप समाप्त हो जाती है लेकिन कभी-कभी लो ब्लड प्रेशर मां और गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

ब्लड प्रेशर क्या होता है?

ह्रदय के धड़कने से धमनियों पर रक्त का जो प्रवाह होता है वह ब्लड प्रेशर कहलाता है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती है जिसके कारण ब्लड प्रेशर लो हो जाता है ।

ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या कब होती है ?

अधिकांशतया गर्भावस्था के दूसरे व तीसरे महीने में ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या अधिक होती है जो लगभग 24 वें हफ्ते तक रहती सकती है।

लो ब्लड प्रेशर कितना होता है?

अगर ब्‍लड प्रेशर की रीडिंग 90 एमएमएचजी/60 एमएमएचजी या इससे कम हो तो इस रीडिंग को लो माना जाता है। नॉर्मल ब्‍लड प्रेशर की रेंज 120 एमएमएचजी/80एमएमएचजी होती है।

गर्भावस्था में लो बीपी के लक्षण

गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर लो होने पर चक्कर आना, जी मिचलाना, धुंधला दिखाई देना, त्वचा का नीला पड़ना, अधिक प्यास लगना, सांस फूलना आदि लक्षण दिखाई देते हैं ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

लो ब्लड प्रेशर
लो ब्लड प्रेशर

ब्लड प्रेशर लो होने पर क्या करें ?

  • खाली पेट ना रहें थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ ना कुछ हेल्थी खाती रहें ।
  • ज्यादा गर्म पानी से नहाने से बचें ।
  • ढीले ढाले व आरामदायक कपड़े पहनें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीती रहें।
  • झटके से उठने बैठने से बचें ।
  • धूम्रपान से बचें
  • अल्कोहल का सेवन ना करें ।
  • डॉक्टर की सलाह से नियमित रूप से हल्की फुल्की एक्सरसाइज और योगा करें
  • पौष्टिक भोजन का सेवन करें और भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें ।
  • अधिक मात्रा में ताला वाला और गरिष्ठ भोजन करने से बचें । जंक फूड का सेवन सीमित मात्रा में करें ।
  • तनाव लेने से बचें और खुश रहें ।

ब्लड प्रेशर के लो होने पर घरेलू इलाज-pregnancy me bp low ho to kya kare

नमक के पानी का सेवन

नमक में सोडियम पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। ब्लड प्रेशर लो होने की स्थिति में पानी में आधा चम्मच नमक घोलकर उसका सेवन किया जा सकता है इसके अलावा ओआरएस का घोल बनाकर पीने से भी ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।

किशमिश का सेवन

लो ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर किशमिश का सेवन लाभदायक होता है। इसके लिए 5 से 6 किशमिश को रात भर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह खाली पेट इन किशमिश को खा ले और पानी भी पी लें । कुछ हफ्तों तक ऐसा करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित हो जाता है ।

तुलसी का सेवन

तुलसी में विटामिन सी, मैग्‍नीशियम, पोटेशियम और पैण्टोथेनिक एसिड पाए जाते हैं ये लो ब्‍लड प्रेशर में फायदा पहुंचाते हैं। 34 तुलसी की पत्तियों का रस निकालकर उसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में आता है परंतु तुलसी का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।

नींबू का सेवन

नींबू का रस ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में बहुत मददगार साबित होता है। प्रतिदिन गुनगुने पानी में नींबू के रस के साथ थोड़ा सा शहद मिला कर उसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है । आप चाहे तो पानी में नींबू के रस के साथ काला नमक डालकर भी सेवन कर सकतीं हैं।

इन सबके अलावा गाजर और चुकंदर के रस का सेवन करने से भी ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। गर्भवती महिला को लो ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है तो उसे समय-समय पर डॉक्टर से ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना चाहिए। किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

शादी के बाद कौन मां नहीं बनना चाहता लेकिन कई बार ये प्रेग्नेंसी अनचाही हो जाती है तो परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में कई बार महिला गर्भधारण को खत्म करने के घरेलू उपायों से गर्भपात कराने के बारे में सोचती है। गर्भपात का अर्थ है गर्भवती होने के 24 सप्ताह के भीतर गर्भ में भ्रूण का विनाश। यदि गर्भपात गर्भवती होने के 12 सप्ताह के भीतर हो जाता है, तो इसे प्रारंभिक गर्भपात कहा जाता है।

यदि गर्भावस्था के पहले या दूसरे सप्ताह में रक्तस्राव होता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आपका गर्भपात हो गया है। लेकिन इस स्थिति में भी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा अबॉर्शन पिल्स भी आजकल उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल दो महीने तक की प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है।

लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था को तीन महीने हो गए हैं, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार से गुजरना होगा। ऐसे में अगर आप घरेलू नुस्खे अपनाती हैं तो ब्लीडिंग होती है, लेकिन सही तरीके से गर्भपात न होने के कारण अधूरे गर्भपात का मतलब यह हो सकता है कि आपके गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह गए हैं, जो बाद में आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। आज हम आपको बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे बताएंगे, जिनकी मदद से आप 1 महीने तक गर्भपात करवा सकते हैं।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

लहसुन-गर्भपात के घरेलु उपाय

लहसुन हर किसी की रसोई में शामिल होता है, इसमें ‘एलिसिन’ नामक तत्व होता है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्त संचार बढ़ाता है। लहसुन से गर्भपात के लिए किसी भी तरह से अधिक मात्रा में इसका सेवन करें।

लहसुन
लहसुन

बबूल के पत्ते – गर्भ गिराने के उपाय

अगर 1 महीने से 15 दिन का गर्भ है तो उसके लिए बबूल के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। इस पानी को दिन में चार से पांच बार तब तक पिएं जब तक आपको ब्लीडिंग न होने लगे।

अजवाइन से गर्भपात

अजवायन का असर बहुत ही गर्म माना जाता है, आप इसका इस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं कि गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में रोजाना आधा चम्मच अजवायन लें, या फिर इसे एक गिलास पानी में उबालकर पी लें।

इलायची से गर्भ कैसे गिराए

इलायची के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें, एक चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार लें और रक्तस्राव बंद होने तक रखें।

गर्भ धारण करने के घरेलू उपाय के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर और 5 इलायची को उबालकर एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें, छानकर रख लें। दिन में तीन बार 50 मिलीलीटर पिएं।

तुलसी का काढ़ा

तुलसी का प्रभाव भी बहुत गर्म होता है, तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या इसका काढ़ा बनाकर पीएं, दोनों तरह से यह गर्भपात में सहायक है।

अनानास का रस-गर्भपात के घरेलु नुस्खे

अनानस गर्भवती महिलाओं से दूर रखा जाता है क्योंकि अनानास में बड़ी मात्रा में विटामिन सी, एंजाइम और रसायन होते हैं, जो गर्भपात का कारण बनते हैं। इसमें ब्रोमेलैन की उपस्थिति के कारण गर्भाशय की दीवार नरम हो जाती है। इसलिए अगर शुरुआती हफ्तों में इसका इस्तेमाल किया जाए तो गर्भपात आसानी से किया जा सकता है।

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

पपीते को एक गर्म फल भी माना जाता है, इसका इस्तेमाल ज्यादातर महिलाएं अबॉर्शन के लिए करती हैं। क्योंकि पपीते में मौजूद फाइटोकेमिकल्स प्रोजेस्टेरोन गतिविधि में हस्तक्षेप कर सकते हैं। जो गर्भपात का कारण बनता है।

विटामिन सी फूड्स

घर पर गर्भपात कराने के लिए आपको विटामिन सी युक्त फलों का भरपूर सेवन करना चाहिए।

गर्भपात के लिए घरेलू उपचार अपनाते समय यदि अधिक रक्तस्राव, पेट में दर्द, बुखार, कमजोरी जैसे लक्षण लंबे समय तक दिखाई दें तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एस्पिरिन टैबलेट

मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध एस्पिरिन की गोली लें, इस टैबलेट को रोजाना 6 से 8 खुराक में लें। टेबलेट लेने के साथ-साथ अन्य घरेलू उपचार भी करते रहें।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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