वात रोग क्या है? जानिए कैसे करे वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग की पहचान

आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों का मुख्य कारण वात, पित्त और कफ दोष होता है। अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इन सभी तत्वों से मिलकर शरीर का निर्माण हुआ है। यदि इन सभी तत्वों के बीच असंतुलन होता है तो व्यक्ति रोगी हो सकता है। इनका असंतुलन ही वात, पित्त, कफ दोषों को जन्म देता है। आजकल की जीवनचर्या के कारण वातरोग बहुत ही सामान्य है। आज इस आर्टिकल में हम आपको वात रोग की पहचान बताएंगे।

इस आर्टिकल को पढ़कर आप जान सकेंगे कि आप कहीं वातरोग से पीड़ित तो नही।

वातरोग या वायु विकार के प्रकार

वातरोग या वायु विकार को निम्न भागो में बांटा गया है।

उदान वायु

उदान वायु कंठ में वास करती है,जैसे डकार आना। इस प्रकार में सांस लेने और बोलने में समस्या होती है। चेहरे फीका लगता है, और खांसी जैसी समस्या शामिल है

अपान वायु

बड़ी आंत से मलाशय तक, वात रोग के इस प्रकार में बड़ी आंत और किडनी से जुड़ी समस्याएं होती है।

प्राण वायु

प्राण ह्रदय के ऊपरी भाग मे, इस प्रकार में नर्वस सिस्टम और ब्रेन प्रभावित होता है।

व्यान वायु

पूरे शरीर में फैली है, वात रोग के इस प्रकार में बाल झड़ने की समस्या होती है।

समान वायु

समान वायु का स्थान अमाशय और बड़ी आंत में होता है। इस प्रकार में रोगी को निगलने में तकलीफ, आंतों से संबंधित समस्या और पोषक तत्वों के अवशोषण में परेशानी जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है

आयुर्वेद के अनुसार वात का मुख्य कार्य रेस्पिरेटरी सिस्टम, हार्ट बीट्स, मसल्स एक्टिविटी, और टिश्यू के कार्यों को संतुलित रखना है।

वात रोग के कारण

वात रोग क्यों होता है। वात रोग होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • गलत लाइफस्टाइल
  • असंतुलित भोजन

कैसे करें वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

वात रोग होने पर निम्न लक्षण दिखते है।

  • लगातार शरीर का कमजोर होना।
  • चेहरे पर झुर्रिया आकर चेहरे की चमक गायब होना। दुबला शरीर होना।
  • छोटी, धंसी हुई और सूखी आंखों के साथ उनमें काली और भूरी रंग की धारियों का दिखना।सूखे और फटे होंठ।
  • पतले मसूड़े और दांतों की बिगड़ी हुई स्थिति।त्वचा का रूखा, सूखा और बेजान नजर आना।
  • अनियमित भूख या भूख न लगना
  • डायजेस्टिव सिस्टम खराब होकर लगातार गैस या अपच रहना।
  • बहुत ज्यादा भावुक होना, जल्दी रोना या गुस्सा आना
  • बहुत जल्दी में निर्णय ले लेना, तारीफ सुनते ही सामने वाले के वश में हो जाना।
  • बार बार प्यास लगना, पानी पीने पर भी होंठ और त्वचा ज्यादातर सूखी रहना।
  • मौसम के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होना, गर्मी,सर्दी बर्दाश्त न कर पाना और खास तौर से रात के वक्त जोड़ा, पिंडलियों या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द बना रहता है।
  • दिमाग मे हमेशा बेचैनी रहना, घबराहट होना, सांस जल्दी फूलना, उम्र से बड़ा दिखना, नकारात्मक कल्पनाएं करना।
  • पैर के जोड़ों और हड्डियों में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में जमा हो जाने के कारण जोड़ों, घुटनों, पैरों और मांसपेशियों में सूजन हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को उठने बैठने में काफी तकलीफ होती है और दर्द का भी अनुभव होता है।

वात रोग का नियंत्रण और उपचार

सुबह धूप में बैठे

सुबह धूप में बैठने से अर्थ यह नही की आप बेसमय और बेमौसम धूप में बैठे। गर्मियों में सुबह 6 से 7 और सर्दियों में सुबह 9 से 10 तक का समय सही है। गर्मियों में लू लगने का डर रहता है इसलिए तेज धूप में न बैठे।

सुबह धूप में बैठे
सुबह धूप में बैठे

तांबे के बर्तन का पानी

रात भर तांबे के बर्तन में पानी रखे, सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें। तांबे को शरीर की अशुद्धियों को दूर करने में सहायक माना जाता है।

यह पाचन सिस्टम को दुरुस्त कर चेहरे पर चमक लाता है। वात रोग को दूर करने में मदद मिलती है।

दालचीनी

वात रोग की पहचान होने पर दालचीनी को किसी भी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। ये वातरोग के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे चाय के रूप में या काढ़े के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

दालचीनी को अदरक और हल्दी के साथ काढ़े के रूप में बनाये, ये दोगुना फायदा करेगी।

लहसुन

यह खाने के अवशोषण में मदद करने के साथ पाचन को मजबूत करने में भी सहायता करता है। वहीं यह वात के प्रभाव को बढ़ाकर वात, पित्त और कफ के बीच के संतुलन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

लहसुन की एक कली को सुबह पानी से निगल ले। या गाय के घी में लहसुन का छोक लगाकर दाल में डालकर सेवन करें।

गोल्डन मिल्क यानी हल्दी का दूध

गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन वात दोष से संबंधित कई विकारों से बचा सकता है। दूध को गर्म करके उसमें एक चुटकी हल्दी डालकर उबाल लें। इसमें बिना मीठा डाले इसका सेवन करें।

इन बातों का रखे खास ध्यान

  • सोने जागने और खाने का सही शेड्यूल बनाए।
  • भोजन के स्वाद से ज्यादा पौष्टिकता पर ध्यान दे।
  • खाने में ठंडी तासीर वाली चीजों का सेवन नियंत्रित रूप से करें।
  • खुद को ज्यादा से ज्यादा गर्म रखें।
  • नियमित योगभ्यास या व्यायाम करें
  • पूरे शरीर की तिल या सरसो के तेल से मालिश करें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

वात रोग में कौन कौन से रोग होते हैं?

चरकसंंहिता के अनुसार शरीर में वायु बिगड़ जाने पर अस्सी प्रकार के रोग होते हैं जिनमें से जो आमतौर पर देखने में आते हैं वे निम्नलिखित हैं -- नाखूनों का टूटना, पैरों का सुन्न होना, पैर की पिंडलियों में ऐंठन जैसा दर्द, सियाटिका का दर्द,पेट की गैस ऊपर की ओर आना, उल्टी होना, दिल बैठने जैसा महसूस होना, ह्रदय गति में रुकावट का अनुभव, हार्ट बीट बढ़ना, छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा,भुजा से अंगुली तक मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन व जकडऩ। हाथ ऊपर न उठना। गर्दन के पीछे लघु मस्तिष्क के नीचे के हिस्से में जकडऩ व पीड़ा, होंठों में दर्द, दांतों में पीड़ा,सिरदर्द, मुँह का लकवा, कंपकंपी होना, हिचकी, नींद न आना, चित्त स्थिर न रहना।

वात रोग कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पाँच प्रकार की वायु होती हैं, शरीर में इनके निवास स्थान और अलग कामों के आधार पर इनके नाम है.. प्राण उदान समान व्यान अपान ये पांचों प्रकार की वायु में से कोई भी शरीर में असंतुलित हो जाये तो शरीर के उस हिस्से में रोग हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सिर्फ वात के प्रकोप से कुल 80 प्रकार के रोग होते हैं।

वात पित्त कफ कैसे पहचाने?

लक्षणों के आधार पर हम वात पित्त कफ़ को पहचान सकते हैं, जैसे.. *वात प्रकृति वाले लोगों के शरीर में रूखापन, दुबलापन, नींद की कमी, निर्णय लेने में जल्दबाजी, जल्दी क्रोधित होना व चिढ़ना, जल्दी डर जाना व अस्थिरता पाई जाती हैं। *पित्त प्रकृति के लोगों में गर्मी बर्दाश्त ना कर पाना, त्वचा पर भूरे धब्बे, बालों का जल्दी सफ़ेद होना, मांसपेशियों और हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन, पसीना, शरीर के अंगों से तेज बदबू आना सामान्य लक्षण है। *कफ प्रकृति वाले लोगों की चाल स्थिर और गंभीर होती है। भूख, प्यास और गर्मी कम लगना, पसीना कम आना, शरीर में वीर्य की अधिकता, जोड़ों में मजबूती, और गठीला शरीर होता है, कफ प्रकृति वाले लोग सुन्दर, खुशमिजाज, कोमल और गोरे रंग के होते हैं।

वात रोग को कैसे खत्म करें?

वात रोग दूर करने के लिए सबसे पहले आहार पर ध्यान दें, जो चीजें बादी करती हैं जैसे बैंगन, उड़द की दाल, फूलगोभी, उनका प्रयोग खानें में न करें, आहार में दूध (पनीर, मावा, मिठाई) व उससे बनी हुई चीजें, घी, गुड़, लहसुन, प्याज, हींग, अजवाइन, मेथी, सरसों व तिल का तेल से वात कम होता है। इसके अलावा अपनी जीवन शैली पर ध्यान दे क्योंकि वात रोग में शरीर में रूखापन रहता है इसलिए तेल की नियमित मालिश भी लाभदायी है। त्रिफला मात्र एक ऐसी औषधि है जो शरीर में वात पित्त कफ़ तीनो का संतुलन बनाता है ,इसलिए नियमित त्रिफला का सेवन करना अत्यंत लाभदायक होता है।

सिर के पीछे दर्द क्यों होता है-Sir Ke Pichle Hisse Me Dard Ka Ilaj

सिर के पीछे दर्द

सिरदर्द एक ऐसी दिक्कत है जो आजकल बच्चो से लेकर बूढ़े लोगो तक मे देखी जाती है। सिर दर्द को बहुत ही साधारण तरीक़े से समझा और माना जाता रहा है। यूं तो सिरदर्द, माथे में, कनपटी में, पूरे सिर में कहीं भी हो सकता है। पर आज इस आर्टिकल में हम सिर के पीछे दर्द की बात करेंगे।

सिरदर्द, नींद न पूरी होने से, आंखे कमजोर होने या गलत नम्बर का चश्मा पहनने अथवा तेज शोर में रहने से भी हो सकता है। यही सिर दर्द कभी कभी बहुत गम्भीर बिमारीयो को सूचक होता है। लगातार पेन किलर्स के सहारे इसे नजरंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

सिरदर्द, सिर के किस हिस्से में हो रहा है, ये बात बहुत ही ज्यादा मायने रखती है। क्योंकि हर प्रकार की बीमारी या समस्या का सिरदर्द अलग अलग हिस्से में हो सकता है।

सिर के पिछले हिस्से में दर्द दरअसल, शुरुआत में कान के आसपास से शुरू होता हुआ फैलता है।

सिर के पिछले हिस्से में होने वाले दर्द के कारण

ऑक्सीपिटल नेयुरेल्जिया(occipital neuralgia)

ये दर्द, सिर के occipitial हिस्से अर्थात occipital नर्व्स से सम्बंधित है। occipital नर्व्स में होने वाला ये दर्द बहुत ही भयंकर होता है। ये दर्द हूल की तरह उठता है।

सिर के पिछले हिस्से से फैलता हुआ आंखों तक महसूस होने लगता है।

उपाय

  • इसका उपाय केवल न्यूरोलॉजिस्ट से उचित सलाह व फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट लेना है।

क्लस्टर सिरदर्द

क्लस्टर सिरदर्द दरअसल माइग्रेन से अलग होता है। इसका पैटर्न बहुत ही अजीब होता है। कई बार ये दिन में लगातार बना रहता है, और कई बार दिन के किसी विशेष समय पर होता है।

ये पूरे महीने में कुछ समय के अंतराल पर हो सकता है या फिर कई महीनों बाद अचानक अटैक आ सकता है।

ये दर्द सिर के किसी एक हिस्से में या फिर एक आंख के आसपास के हिस्से में इतना तेज, चुभने वाला दर्द होता है कि व्यक्ति नींद से भी जाग जाता है। ज्यादातर ये दर्द कनपटी और ललाट में होता है पर सिर के पिछले ग   हिस्से में भी ये दर्द भयानक रूप से होता है।

उपाय

  • अल्कोहल और स्मोकिंग से न करें।
  • बहुत ज्यादा गर्मी या गर्म वातावरण में ज्यादा व्यायाम करने से बचें

तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द

इस समय तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द सबसे आम है, वर्किंग लोग घण्टो वर्क लोड के , बुक्स लिए, मोबाइल लिए, गर्दन झुकाए बैठे रहते है। और नतीजा होता है सिर के पीछे होने वाला सिरदर्द। ये सिरदर्द दरअसल गर्दन और कंधों पर पड़ने वाले प्रेशर का नतीजा होता है।

तनाव
तनाव

उपाय

  • समय-समय पर आराम करते रहें
  • अपने डेस्क, कुर्सी औऱ कंप्यूटर को ठीक तरीके से व्यवस्थित करें
  • फोन पर बात करने की गलत मुद्रा से बचें
  • दिन में कई बार, 30 मिनट तक दर्द वाली जगह पर बारी-बारी बर्फ़ रखने और गर्म सिकाई करने, स्ट्रेचिंग करें
  • योगा, मैडिटेशन करें।

साइनसाइटिस

मैक्सिलरी साइनस दरअसल खोपड़ी में एक कैविटी यानी खाली जगह होती है। जब इसमे प्रदूषण, एलर्जी, अस्थमा या नाक की हड्डी बढ़ने के कारण सूजन आ जाती है तो सांस लेने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, इस दर्द का अनुभव आप सिर के पीछे, माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आस-पास महसूस कर सकते हैं।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह लें

वर्टिब्रल आर्टरी डाईसेक्शन

वर्टिब्रल आर्टरी गर्दन कि मुख्य आर्टरी होती है। जब इस आर्टरी पर किसी भी तरह को कोई दबाव पड़ता है तो भयंकर दर्द का अहसास होता है।

ये दर्द सर के पिछले हिस्से से होता हुआ जबड़ो तक आता है।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

लिम्फ नोड की सूजन

कान के पीछे के लिम्फ नोड होते है जोकि कभी कभी सूज जाते है। खोपड़ी, कान, आंख, नाक और गले के संक्रमण से लिम्फ नोड में सूजन आ सकती है। कारण हो सकते हैं. इस तरह के दर्द भी काफी कष्टदायक साबित होते हैं.

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

इसके अलावा सिर के पीछे दर्द होने के कुछ अन्य कारण है

  • दिमागी बुखार
  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
  • सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
  • ब्रेन ट्यूमर
  • कंधा जाम होना

शिशुओं के लिये आहार-6 महीने के बच्चे का आहार, एक साल के बच्चे का भोजन

शिशुओं के लिये आहार

जब शिशु 6 महीने का होता है तभी से एक माँ की चिंता बढ़ जाती है, खाने में क्या दे, क्या न दे। किस प्रकार शिशु को स्वस्थ्य रखे, उसकी इम्युनिटी डवलप हो। तो ऐसे बहुत से सवालों का जवाब इस अर्टिकल-शिशुओं के लिये आहार में आपको मिलेगा। आप माँ हो या पिता एक बार ये आर्टिकल पूरा पढ़ेंगे तो निराश नही होंगे।

6 महीने के शिशुओं के लिये आहार

6 महीने से पहले शिशु को कुछ भी खिलाने की कोशिश न करें। ध्यान रहे कि बच्चा अपनी गर्दन रोक पा रहा हो। शुरू में केवल दिन में एक बार ठोस भोजन दे।

ठोस की शुरुआत सुबह के भोजन से करें, ताकि यदि शिशु को कोई एलर्जी हो तो डॉक्टर को तुरन्त दिखाया जा सके।

6 महीने के शिशु के लिए सुबह का नाश्ता

सुबह के नाश्ते में जो भी दे वो पूरी तरह से मैश्ड यानी मसला हुआ हो। सुबह के नाश्ते के कुछ ऑप्शन है।

  • दही या दूध के साथ ओट्स, मीठा या नमकीन दलिया, सूजी का हलवा, बेसन का हलवा, सूजी, मखाने या चावलों की खीर,अच्छे से मसले हुए फल जैसे सेब, आम, केला, एवाकाडो, आड़ू, नाशपाती आदि।
  • मसली हुई सब्जियां जैसे आलू, शकरगंद, गाजर और विभिन्न प्रकार की प्यूरी दें सकते हैं।
  • दाल का पानी और चावल का पानी दे सकते है।

मिड स्नैक्स

मिड स्नैक्स में बच्चे को कुछ हल्का दे जैसे स्मूदी, सब्जियों का सूप, टोमेटो सूप आदि

लंच

लंच में शिशु को मूंग की दाल या खिचड़ी दे। लंच में ध्यान रखे कि ये दही खाने का सबसे बेस्ट समय होता है इसलिए लंच में कुछ भी दे,दही अवश्य दे।
दही में प्रोबियोटिक होते है जो पेट के लिए अच्छे होते है।

दही
दही

मिड स्नैक्स

इस समय आप शिशु को होममेड सेरेलक या दूध के साथ सुगर फ्री बिस्किट दे सकते है।

डिनर

जो चीज़े आपने लंच में रखी है उन्ही में से आप डिनर के लिए चुन सकते है बस रात में दही बिल्कुल ना दे।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • रेडीमेड सेरेलक न दे, कोशिश करे कि एक साल तक चीनी नमक न के बराबर या बिल्कुल न दे।
  • चीनी नमक 1 साल तक ना दें, प्राकतिक स्वाद लेने दें बच्चे को।
  • बच्चे को खिलाने में जबरदस्ती न करें
  • दूध दिन में केवल 3 से 4 बार कर दे तथा मात्रा भी घटा दे।
  • बोतल धीरे धीरे छुड़ाए अन्यथा कई बार बच्चे दूध बिल्कुल छोड़ देते है। दिन में 5 से 6 बार ठोस खाना दे।

एक साल से दो साल तक के शिशुओं के लिये आहार

एक साल के बच्चे का भोजन ऐसा हो जिसमें सभी पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में हो। एक साल का होने पर शिशु खाद्य पदार्थो को अच्छे से चबाने लगता है। तो आप अब खाने के ऑप्शन को बढ़ा सकते है, जैसे

सुबह का नाश्ता

वेजीटेबल नमकीन पोहा, ऑमलेट, बेसन का चीला, कॉर्नफ़्लेक्स, मीठा या नमकीन दलिया, आलू या पनीर का परांठा दही के साथ या रागी डोसा, इडली भी दे सकते है।

लंच

बच्चे को वही खाने की आदत डालें जो सबके लिए बना हो। दाल और छोटी सी चपाती, चपाती को दाल में भिगो कर भी खिला सकते है,दाल चावल या वेज पुलाव, सब्जी और रोटी दे, अंडा करी और चावल, लाइट चिकन और चावल या मच्छी भात दे, पनीर भुजीया या सोयाबीन सब्जी के साथ रोटी दे, कोई भी हरी सब्जी और रोटी।

मिड स्नैक्स

मिड स्नैक्स में फ्रूट की आदत डालें। पर भूलकर भी बेमौसम फल न खिलाए। ठंडे और खट्टे फल देखभाल कर बच्चे की स्थिति के अनुसार दे। कुछ बच्चो को खट्टे से एलर्जी होती है। कुछ फल शाम 4 बजे से पहले दे, जैसे ऑरेंज,अंगूर केला। पपीता सुबह खाली पेट या खाने के बाद कभी भी, हर फ्रूट के लिए एक टाइम डिसाइड कर ले और रूटीन में रखे। दिन में 2 फ्रूट से ज्यादा ना दे, और एक बार मे एक ही फल दे।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • चिकनाई जैसे घर का मक्खन, घर का घी, नारियल तेल को आहार में जरूर शामिल करें।
  • इनका प्रयोग केवल सब्जी या दाल में डालकर करे।
  • हरी सब्जियों को सूप के रूप में, परांठो में भरकर, दिया जा सकता है।
  • 8 महीने की उम्र तक बच्चे को केवल अंडे का पीला भाग यानी पीली जर्दी दे। उसके बाद पूरा अंडा दिया जा सकता है।
  • ड्राई फ्रूट्स को पाउडर के रूप में दूध में मिलाकर पिलाया जा सकता है।
  • पनीर और दही घर का बना दे।
  • दो साल के बच्चे को रात को दूध में अश्वगंधा भी दे सकते है।
  • आवंले को आंवला कैंडी के रूप में दे सकते है।
  • मेवे जैसे अखरोट, बादाम, किशमिश (काली,हरी)डेट्स, मखाने, भुना चना, गुड़, डाइट में जरूर रखे। मखाने भूनकर रख ले।
  • नाभि में सरसों का तेल तथा नाक पर गाय का घी।

ये सब करने पर आपका बच्चा अंदर से स्वस्थ रहेगा और इम्युनिटी बेहतर होगी।

जानिए क्या हैं पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से होने वाले फायदे

पीतल तांबा जस्ता को मिलाकर बनाई गई एक मिश्र धातु है। यह धातु पीले रंग की होती हैं। इस धातु के बने बर्तनों का प्रयोग हिंदू धर्म में पूजा पाठ एवं अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों के आयोजन में किया जाता है। पीतल के बर्तनों का हिंदू धर्म में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है एक बच्चे के जन्म होने से लेकर एक वृद्ध व्यक्ति के मृत्यु संस्कार तक में पीतल के बर्तनों की आवश्यकता होती है। भगवान विष्णु ,देवी मां बगलामुखी, मां लक्ष्मी इन सभी की पूजा में पीतल के बर्तन का प्रयोग किया जाता है।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त होता है

पीतल के बर्तन मे पानी पीने के फायदे अनेक हैं। पीतल की प्रकति गर्म होने के कारण पीतल के बर्तन में रखे हुए पानी से कफ दोष दूर होता है और खांसी जुकाम जैसे विकार नहीं होते।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से वायु दोष की बीमारी भी दूर होती है पहले के लोग अपनी क्षमता अनुसार सोना चाँदी तांबा और पीतल के बर्तन प्रयोग करते थे। जिस कारण वह हमेशा स्वस्थ रहते थे। परंतु आजकल धातु के बर्तनों की जगह प्लास्टिक, एलमुनियम, काँच, मेलामाइन आदि ने ले ली है। जिसके कारण काफी सारी बीमारियाँ बढी हैं। इन बर्तनो के प्रयोग से शरीर के अंदर राहु का प्रकोप बढ़ा है। फल स्वरूप कैंसर जैसी बीमारियां शरीर में घर कर रही है।

पीतल के बर्तन न केवल शारीरिक दृष्टि से बल्कि वास्तु के अनुसार हमारे लिए लाभदायक होते हैं। पीतल के बर्तन हमारे लिए आर्थिक समृद्धि लेकर आते हैं।

पीतल के बर्तनों में बना हुआ भोजन अत्यधिक स्वादिष्ट होता है पीतल के बर्तन में बना हुआ भोजन स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है पीतल बहुत जल्दी गर्म हो जाता है। जिस कारण गैस की बचत होती है। पीतल के बर्तनों में भोजन पकाने से ऊर्जा की बचत होती हैं। पीतल एक शुद्ध धातु है। पीतल के बर्तन मनुष्य को आरोग्यता एवं तेज़ प्रदान करते हैं। पीतल के बर्तन हमारे लिए बहुत उपयोगी होते हैं। पीतल के बर्तन हमारी आंखों के लिए पीले रंग के होने के कारण टॉनिक का काम करते हैं।

कई बीमारियों से बचाए

पीतल के बर्तन बहुत मजबूत होते हैं शुद्ध पीतल के बर्तन 70% तांबा और 30% जस्ता को मिलाकर बनाए जाते हैं पीतल एक बहुत उपयोगी और कीमती धातु है। जिसे हमारे पूर्वज प्राचीन काल से प्रयोग करते आ रहे हैं। इसलिए नहीं कि वह प्लास्टिक का प्रयोग नही जानते थे या फिर वह बहुत धनवान थे। हमारे पूर्वज पीतल के औषधीय गुणों को जानते थे। आजकल शरीर में कैंसर, टयूमर, एलर्जी जैसी छोटी बड़ी बीमारियां बढ़ती जा रही है। यह सभी बीमारियां हमारे गलत खानपान का परिणाम है।

हम सभी ने समय की बचत के लिए एवं सुंदरता और अपनी सहूलियत के लिए प्लास्टिक के बर्तनों में, कांच के बर्तनों में, नॉन स्टिक के बर्तनों में खाना बनाना खाना परोसना शुरू कर दिया है। इन सब के दुष्परिणाम भी है। जो हम नई-नई बीमारियों के रूप में देख रहे हैं। पीतल के बर्तन आजकल की दौड़ भाग वाली जिंदगी में संभाल पाना बहुत मुश्किल है। यह हम सब जानते हैं तो हर भोजन तो हम पीतल के बर्तनों में नहीं बना सकते। पर कुछ तो हमें अपने स्वास्थ्य के लिए करना ही होगा। इसलिए हमें पीतल के बर्तनों में पानी पीना चाहिए। पीतल के बर्तन में पानी पीना भी उतने ही स्वास्थ्यवर्धक है जितना पीतल के बर्तनों में खाना खाना।

पीतल के बर्तन
पीतल के बर्तन

आँखों के लिए हैं फायदेमंद

पीतल का पीला रंग हमारी आंखों के लिए लाभदायक होता है यह हमें ऊर्जा प्रदान करता है स्वर्ण की तरह है पीतल भी अति शुभ कार्य होता है भगवान विष्णु को अति प्रिय है। बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए पीतल बहुत लाभदायक होता है। पीतल के बर्तनों में पानी पीने से बृहस्पति ग्रह प्रबल होता है।

पानी को करे स्वच्छ

पीतल के बर्तन जल स्वच्छ करने में कारगर पीतल के बर्तन में रखा पानी पीने से पानी के अंदर मौजूद माइक्रो ऑर्गेनाइज्म खत्म हो जाते हैं और पानी स्वच्छ हो जाता है पीतल के लोटे, थाली को गरीब से गरीब परिवार भी अपनी कन्या को विवाह में देता है। उसके पीछे उद्देश्य यही होता है कि घर मैं भोजन पवित्र एवं स्वच्छ हो और साथ ही शुद्ध भी हो हर मांगलिक कार्य में पीतल के कलश या लोटे में जल भरकर रखा जाता है। उसके पीछे उद्देश्य यही होता है कि जल की कभी भी कमी ना हो।

अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी तो सभी खरीदते हैं परंतु हमारे पूर्वज सदियों से पीतल के लोटे में जल भरकर भगवान के सम्मुख रखते आए हैं। उद्देश्य मात्र यही होता है कि जल की कभी भी कमी ना हो। घर में धनधान्य अन्न जल हमेशा भरा रहे। विवाह संस्कार के समय पीतल के लोटे में जल भर कर रखा जाता है। जो इस बात का प्रतीक है कि घर में पति पत्नी दोनों मिलकर रहेंगे।

घर को करे पवित्र

पीतल से जुडी परम्पराएँ बच्चे के जन्म के समय पीतल की थाली को पीटने की परंपरा है। जो बताती है कि घर में सौभाग्य आ गया है। एक नया वशंज संसार में जन्म ले चुका है। इसी प्रकार मृत्यु के समय अस्थि विसर्जन के पश्चात पीपल पर जल पीतल के कलश से ही चढ़ाया जाता है। पिंडदान के बाद पीतल के कलश में गंगाजल व सोने का टुकड़ा रखकर पूरे घर को पवित्र किया जाता है। यह सारी रीति रिवाज पीतल की पवित्रता व हमारे घर में पीतल की अनिवार्यता के विषय में बताते हैं। हम सभी को नए का प्रयोग करना चाहिए। पर नए के कारण पुराने को बिना सोचे समझे छोड़ देना कहीं की समझदारी नहीं है।

पीतल के बर्तन में पानी पीने से पानी पौष्टिक, शुद्ध स्वच्छ व शरीर के लिए लाभदायक होता है तो मैं आप सब से यही कहना चाहूंगी कि निकाल लीजिए अपने दादा दादी के जमाने के लोटे और बरतनों को और जगह दे दीजिए एक बार फिर से अपने रसोई घर में।

क्या है पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे आपकी सेहत के लिए

पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे

शतावरी एक जड़ी बूटी है। इसकी लता फैलने वाली और झाड़ीदार होती है एक एक बेल के नीचे कम से कम सौ से अधिक जड़े होती हैं। यह जड़े लगभग 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। इनकी जड़ों के बीच में कड़ा रेसा होता है। जिसे शतावरी कहा जाता है। शतावरी दो प्रकार की होती है। सफेद शतावरी और पीली शतावरी। पीली शतावरी अत्यधिक लाभकारी होती है। पतंजलि शतावरी चूर्ण पीली शतावरी की जड़ों से ही बनाया गया है इस पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे अनेक हैं।

यह अनिद्रा में कामगार होती है। गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी अति लाभकारी है। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है। महिलाओं को माँ बनने के बाद स्तन में दूध की कमी होती है ऐसी स्थिति में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक लाभदायक होता है। नवयौवना के ब्रेस्ट बढ़ने के लिए भी शतावरी का चूर्ण प्रयोग किया जाता है।ल्युकोरिया जैसी बीमारी में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक फ़ायदेमंद होता है। तो आइए जानते हैं शतावरी के फायदे।

पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे-Patanjali Shatavari Churna Benefits In hindi

शतावरी उपयोगी है स्तनों से दूध बढ़ाने में

शतावरी एक शक्तिवर्धक औषधि है वे स्त्री जो बहुत कमजोर होती है उनके स्तनों से दूध कम आता है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ पीने से मां के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है गर्भवती मां के लिए

पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है और मां भी स्वस्थ रहती है गर्भवती महिलाओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण अश्वगंधा मुलेठी और भृगरज के साथ लेना चाहिए। यह सारी औषधियां दूध के साथ लेने पर गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्टैमिना डिवेलप करने में

जो युवा अपना शरीर बनाना चाहते हैं उसके लिए वह जिम में जाकर घंटों एक्सरसाइज करते हैं और फिर हजारों रुपए का प्रोटीन पाउडर खरीदते हैं। उनके लिए पतंजलि शतावरी चूर्ण बहुत फ़ायदेमंद है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ लेने से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ल्यूकोरिया में

वे महिलाएं जो सफेद पानी (ल्यूकोरिया ) की समस्या से काफी परेशान है। जिसके कारण उनके पेट और हाथ पैरों में हमेशा दर्द रहता है। उन्हें पतंजलि शतावरी चूर्ण रात को सोते समय लेना चाहिए कुछ समय में ही उनकी समस्या का समाधान होता है|

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है धात रोग में

पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध के साथ लेने से धात रोग में लाभ होता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद अनिद्रा में

वह स्त्री या पुरुष जी ने रात भर नींद नहीं आती वह नींद आने की बीमारी से परेशान है ऐसे लोगों को पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध में पकड़ कर लेना चाहिए। घी में मिलाकर खाने से नींद ना आने की समस्या दूर होती है।

नींद ना आना
नींद ना आना

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ब्रेस्ट के विकास में

जिन युवतियों के ब्रेस्ट विकसित न हुए हो वो पतंजलि शतावरी चूर्ण का सुबह शाम दूध के साथ सेवन करती हैं तो वक्ष सुडौल होते हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्वप्नदोष में

जिन व्यक्तियों को स्वप्नदोष की समस्या होती है उन्हें शतावरी चूर्ण को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह शाम गर्म दूध में डालकर पीना चाहिए इसे स्वप्नदोष की समस्या दूर होती है और शरीर स्वस्थ होता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है रजोनिवृत्ति में

स्त्रियों में रजोनिवृत्ति के समय चिढ़चिढाहट होती है। थकान होती हैऔर बेचैनी होती है उन सारी परिस्थितियों में पतंजलि शतावरी चूर्ण का सेवन अत्यधिक फ़ायदेमंद है यह है मानसिक और शारीरिक थकान को दूर कर स्त्री के शरीर को ऊर्जावान बनाता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण स्त्रियों के प्रजनन अंगों को ताकत प्रदान करता है

पतंजलि शतावरी चूर्ण में प्राकृतिक रूप से फाइटोएस्ट्रोजन नामक हार्मोन होते हैं। जो कि गर्भाशय को मजबूत करते हैं। और साथ ही साथ स्तनों में दूध के स्तर को भी बढ़ाते हैं।

पतंजलि शतावरी चूर्ण है प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट

पतंजलि शतावरी चूर्ण मुक्त कणों को कम करता है शरीर को गैस्टिक क्षेत्र के अंदर की परत की क्षति होने से बचाता है और अल्सर को बनने से रोकता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण दूर करता है। यूरिन की समस्याओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से यूरिन का रुक-रुक कर आना दूर होता है व अन्य यूरिन की समस्याओँ का भी समाधान होता है|

पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है पाचन तंत्र में

पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से पाचन तंत्र बेहतर काम करता है और फूड पाइप भी सुचारु रूप से काम करता है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण दूर करता है सूजन को

पतंजलि शतावरी चूर्ण के नियमित सेवन से शरीर में कहीं भी सूजन नहीं आती है।

पतंजलि शतावरी चूर्ण शतावरी नामक जड़ी बूटी से बनाया जाता है यह एस्पैरेगस फैमिली की जड़ी बूटी होती है। शतावरी औरतों के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है यह स्त्री के किशोरावस्था से लेकर रजोनिवृत्ति तक हर अवस्था में उसके स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान में काम आती है रखती है। बल्कि आदमियों के शरीर के लिए भी पतंजलि शतावरी चूर्ण अत्यधिक उपयोगी है यह उन्हें शारीरिक ताकत देता है उनकी दुर्बलता को दूर करता है और स्वप्नदोष जैसी बीमारियों को भी दूर करता है।

जानिए क्या है दिव्य किट के फायदे-Divya Kit In Hindi

दिव्य किट के फायदे

दिव्य किट एक चमत्कारिक किट है। इसमें अधिकतर सभी बिमारियों का इलाज संभव है। इसमें एक्सरसाइज ,एक्यूप्रेशर ,हिप्नोटिस्म सभी के द्वारा इलाज होता है। इस दिव्य किट के द्वारा हम स्वंय ही उपचार कर सकते हैं। दिव्य किट इंसान के शरीर के अंदर मौजूद तत्वों को एक्टिव करती है। इसमें ज्ञान मुद्रा एक्ससरसाइज, मैडिटेशन योगा एक्यूप्रेशर हिप्नोटिज्म द्वारा बिमारियों का इलाज होता है।

कोई भी बीमारी शरीर में घर तब ही कर सकती है ,जब हमारा शरीर अंदर से कमजोर हो। ये सारी क्रियाएं हमारे शरीर को अंदर से साफ़ रखती हैं। दिव्य किट में खान पान योग, व्यायाम को अपनाकार हम अपनी बिमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। इसमें प्राकृतिक और जैविक रूप से शुद्ध घटक पाये जाते हैं। स्वर्ण भस्म, मोती भस्म, लवण भास्कर और कई प्रकार के अन्य बहुमूल्य घटक पाये जाते हैं।

40 से 50 साल की उम्र में दिव्य किट के प्रयोग से आगे जाकर शरीर में कोई समस्या नहीं आयेगी। दिव्य किट शरीर के शुद्धि करण में उपयोगी है। यह एक आर्युवेद औषधि के रूप में शरीर की सभी स्वास्थ्य सभी समस्याओं का समाधान करती है।

दिव्य किट बिमारियों को रोकने और शरीर को रोग मुक्त करने के लिए सावधानी बरतने में उपयोगी है।

दिव्य किट के फायदे

दिव्य किट की आलौकिक शक्ति टैबलेट के फायदे

दिव्य किट में आलौकिक शक्ति नामक टैबलेट होती है। यह टैबलेट थाइरोइड के उपचार में कारगर होती है। थाइरोइड ग्रंथि के ऊपर कार्बन एवं केमिकल की परत जम जाती है। आलौकिक शक्ति टैबलेट के नियमित इस्तेमाल से यह परत हटने लगती है। इस परत के हटते ही थाइरोइड भी ठीक हो जाता है।

दिव्य किट की परम शुद्धि टैबलेट के फायदे

दिव्य किट में परम शुद्धि टैबलेट होती है। यह टेबलेट शरीर में वाले सभी तरह के फंगल इन्फेक्शन को रोकने में कारगर होता है। इसे एक दिन खाने से ही बैक्टीरिया वाइरस मर जाते हैं।

दिव्य किट

दिव्य किट में दिव्य शक्ति पाउडर

दिव्य मे पाया जाने वाला दिव्य शक्ति पाउडर शरीर पर लगाने पर नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है।

दिव्य शक्ति पाउडर शरीर के ऊर्जा पुंज को सकारात्मक बनता है।

दिव्य किट में है दिव्य साधना सी डी

  • दिव्य किट में दिव्य साधना नामक सी डी है जिसे पढ़कर हम बिमार नही पढेंगे। दिव्य साधना सी डी के प्रयोग से जो बिमारी है उसमें लाभ हो जायेगा।
  • दिव्य साधना सी डी में योग व मेडिटेशन का समावेश है। दिव्य साधना सी डी 3 मिनट की अवधि की है। दो गिलास गर्म पानी पीकर खाली पेट दिव्य साधना सीडी को फौलो करना चाहिए।
  • दिव्य साधना सी डी को फौलो करने से हम कभी बिमार नही पढेंगे।

दिव्य किट में है एक पुस्तक

दिव्य किट में है एक पुस्तक। इस पुस्तक में शरीर के सात ऊर्जा चक्रो के बारे में बताया गया है। इन सातों ऊर्जा चक्रो से शरीर का ऊर्जा पुंज बनता है। ये सातों ऊर्जा चक्र रीढ़ की हड्डी में पाये जाते हैं। ऊर्जा चक्रों में कमियों के कारण ही शरीर मे बीमारियां घर बनाती हैं।

इस पुस्तक में हर ऊर्जा चक्र से सम्बंधित बीमारी का नाम व उसे ठीक करने के तरीके के बारे में गया है। जिस चक्र मे समस्या है ,उस चक्र की मालिश करना सिखाया गया है। यह मालिश शरीर के सात चक्रो को संतुलित करती है।

दिव्य में है एक सी डी दिव्य्र ज्ञान

इस सी डी में क्या कब और कितना खाना है और क्या नहीं खाना है बताया गया है।

दिव्य किट के उपयोग

  • दिव्य किट शरीर के सात चक्रो को संतुलित करके सात उर्जा जागरूकता केंद्रों को संतुलित करता है।
  • दिव्य किट को आर्युवेदिक पदार्थों से बनाया गया है। दिव्य किट लिवर की कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं।
  • दिव्य किट के साइड इफेक्ट नहीं होते जबकि थायराइड बीपीहर्ट की बिमारियों में हम सालों साल दवाइयाँ खाते हैं। हर दवा के साइड इफेक्ट्स होते हैं जिनके कारण फाइब्राइड,यौनरोग यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना होती है।
  • सरदर्द, बदन दर्द, कमर दर्द होने पर खायी जाने वाली पेन किलर के भी काफी दुष्प्रभाव होते हैं। किडनी,लिवर में भी समस्या आती है। दिव्य किट के साइड इफेक्ट नहीं होते जबकि थायराइड बीपी व हर्ट की बिमारियों में हम सालों साल दवाइयाँ खाते हैं। हर दवा के साइड इफेक्ट्स होते हैं जिनके कारण फाइब्राइड,यौनरोग यहां तक कि कैंसर होने की भी संभावना होती है।।
    सरदर्द
    सरदर्द
  • दिव्य किट शरीर का उर्जा पुंज ठीक करता है। ब्रह्मांड से उर्जा लेकर हम ऊर्जा वान बनते हैं। दिव्य वटी शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलती है। शरीर के अंदर रीढ़ की हड्डी में सात उर्जा चक्र होते हैं। सातों ऊर्जा चक्र मिला कर ऊर्जा पुंज बनाते हैं।
  • दिव्य किट बिमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है। दिव्य किट बिमारियों को दूर करती है।
  • दिव्य किट के तरीके और एक्सरसाइज करने से थायराइड ठीक हो सकता है।
  • दिव्य किट का चालीस दिन का प्रयोग 4,200 रूपये का है।
  • दिव्य किट के प्रयोग से एसिडिटी, गैस, बदहजमी की समस्या दूर होती है।
  • दिव्य किट शरीर के सभी अंगों को स्फूर्ति प्रदान करती है। दिव्य किट वजन कम करने में मददगार है।
  • दिव्य किट शरीर के हार्मोनल लेवल को संतुलित करती है। दिव्य किट बिना किसी साइड इफेक्ट्स के हार्मोंस को संतुलित करती है।
  • दिव्य किट में जड़ी बूटी के अव्यय पाये जाते हैं। दिव्य किट शरीर को बिमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है। दिव्य किट शरीर के हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालती है।
  • दिव्य किट में उपयोगी हीलिंग तकनीक होती है। हीलिंग प्रकिया लिवर को स्वस्थ बनाए रखती है। दिव्य किट स्वस्थ जीवन पद्धति को बढावा देती है।
  • दिव्य किट शरीर का अंदर से शुद्धिकरण कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है।
  • दिव्य किट शरीर के अंदरूनी अंगों को साफ करती है।

काफी पीने के फायदे जो जानकर हैरान हो जाएंगे आप

काफी पीने के फायदे

कॉफी की खुशबू ही किसी को एनर्जी देने के लिए काफी होती है। कॉफी पीकर न केवल जीभ का स्वाद अच्छा होता है बल्कि तन मन मे एक स्फूर्ति आती है। दिमाग एक्टिव होता है। काफी पीने के फायदे बहुत है। कॉफी के फल को भूनकर ही कॉफी बिन्स तैयार की जाती है। कॉफी के हर ब्रांड का फ्लेवर अलग अलग होता है। और इस फ्लेवर का कारण होता है बीजो को भूनने में इस्तेमाल किया गया भिन्न भिन्न टेम्परेचर।

मुख्यतया कॉफी के दो प्रकार होते है एरेबिका और रोबस्‍ता सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय हैं। इनमे एरेबिका कॉफी क्वालिटी, खुशबू, फ्लेवर एवं स्‍वाद लोग ज्यादा पसंद करते है।। कॉफी केवल गर्म ही नही बल्कि कोल्ड कॉफी के रूप में भी पी जाती है।

ब्राजील में कॉफी सबसे ज्यादा मात्रा में उगाई जाती है का सबसे बड़ा उतदक है। भारत मे कॉफी का उत्पादन कर्नाटक (चिकमगलूर और कोडगु) केरल तथा तमिलनाडु में किया जाता है। दरअसल कॉफी में मौजूद कैफीन ही इसे ऊर्जादायक बनाता है। कैफीन नुकसानदायक होती है।लेकिन यदि कॉफी का इस्तेमाल सही तरीके से किया तो बेहतरीन रिजल्ट मिलता है। आपने हमेशा कॉफी के नुकसान ही सुने होंगे आज हम आपको कॉफी के फायदों के बारे में बताएंगे।

काफी पीने के फायदे-Coffee Peene Ke Fayde In Hindi

मोटापा कम करें

यहाँ हम चीनी की मिठास से भरी कॉफी की बात नही कर रहे। हम बात कर है ब्लैक या ग्रीन कॉफी की। ब्लैक या ग्रीन कॉफी मेटाबोलिज्म को तेजी से बढ़ाती है। मेटाबॉलिज्म बेहतर होने मोटापा घटाने में आसानी होती है। क्योंकि बेहतर मेटाबोलिज्म मतलब, खाने से पोषक तत्वों का जल्दी और अच्छे तरीके से शरीर को पहुँचना।

मोटापा कम करने में मदद करे
मोटापा कम करने में मदद करे

डायबिटीज में फायदेमंद

कॉफी में कुछ ऐसे तत्व होते है जो शरीर के द्वारा इन्सुलिंन के प्रयोग को बेहतर बनाते है। और वो तत्व है मैग्नीशियम और पोटेशियम। ये तत्व ब्लड शुगर लेवल को रेगुलर करते है साथ ही मीठा खाने की तलब कम करते है।कुछ रिसर्च ऐसा मानती है कि रोजाना 3 से 4 कप कॉफी पीने से डायबिटीज का ख़तरा 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

पार्किंसन से बचाव में करती है मदद

पार्किंसंन दरअसल एक न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारी है। ब्रेन में ये ऐसे न्यूरॉन्स को खत्म करती है जो डोपामाइन पैदा करते है। रिसर्च में ये देखा गया है कि कॉफी का नियमित सेवन करने वाले 40 से 60 % लोगो में पार्किंसंन विकसित नही होता।

दिल का रखे ख्याल

माना जाता है कि कॉफी दिल के लिए भी फायदेमंद है, इसका नियमित सेवन करने से महिला और पुरुष दोनों में स्ट्रोक या हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है।

इंस्टेंट एनर्जी दे

दरअसल कॉफी में उपस्थित कैफीन एक हल्के ड्रग की तरह काम करती है। कॉफी का एक बेहतरीन कप दिन भर होने वाली थकान को दूर कर देता है। कॉफी दिमाग को जाग्रत रखती है, इंस्टेंट एनर्जी देती है। इसलिए रात भर जाग कर पढ़ने वाले या काम करने वाले स्टूडेंट और एम्प्लॉयी कॉफी का सेवन करते है। एक रिसर्च ने साबित किया है की, 400 मिलीग्राम कैफीन आपकी सहनशक्ति में सुधार कर सकता है।

कैंसर

रिसर्च कहती है कि दिन में कम से कम 2 बार कॉफी का सेवन करने वाले को कैंसर का खतरा कम हो जाता है। कॉफी कई प्रकार के कैंसर का खतरा कम करती है जैसे लिवर कैंसर, स्किन कैंसर, गर्भाशय कैंसर आदि।

ब्रेस्ट का आकार बढ़ाए

कॉफी का सेवन स्तनों के आकार में बढोत्तरी करता है। यदि कोई महिला अपने छोटे स्तनों से दुखी है तो वो कम से कम दिन में तीन बार कॉफी का सेवन करें। इससे पूरी उम्मीद होती है कि स्तन के आकार में फर्क आएगा।

निम्न रक्तचाप को ठीक करें

यदि आपको लगता है कि आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है तो दिन में कम से कम एक बार कॉफी जरूर पिए। ऐसा करने से ब्लड प्रेशर कम होने पर आपको तुरन्त राहत मिलेगी।

कॉफी के अन्य फायदे

  • कॉफी कन्सन्ट्रेशन पावर बढ़ाती है।
  • इंनस्टेन्ट स्टैमिना बिल्ड अप करती है जिससे कोई भारी काम करने से पहले एनर्जी आती है
  • कॉफी में मौजूद तत्व लगातार स्क्रीन वर्क करने पर आँखो की रक्षा करती है।
  • कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते है।
  • अवसाद को दूर करने में फायदेमंद है।
  • आंखों के नीचे बने काले घेरे यानि की डार्क सर्कल्स को कम करने में मदद करता है।
  • University of Sao Paulo के द्वारा एक अध्ययन ने साबित किया है कि जिन त्वचा पर लगाने वाली क्रीम में कैफीन होता है वो सेल्युलाईट फैट को 17% तक कम करती हैं।
  • कॉफी का कैफीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम को एक्टिव करता है और सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरड्रेनलाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को बढ़ाता है, जो आपके मूड को अच्छा करता है।

ध्यान रहे कि इस आर्टिकल में सारी जानकारी ब्लैक, ग्रीन और फीकी कॉफी को ध्यान में रखकर दी गयी है।

pregnancy me bp low ho to kya kare-प्रेगनेंसी में बीपी लो हो तो क्या करें

pregnancy me bp low ho to kya kare

प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में हारमोंस चेंज होते हैं, इसके कारण उसे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है , इनमें ब्लड प्रेशर का लो या हाई होना सामान्य बात है । अधिकांश मामलों में लो बीपी से समस्या नहीं होती तथा डिलीवरी के बाद यह समस्या अपने आप समाप्त हो जाती है लेकिन कभी-कभी लो ब्लड प्रेशर मां और गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

ब्लड प्रेशर क्या होता है?

ह्रदय के धड़कने से धमनियों पर रक्त का जो प्रवाह होता है वह ब्लड प्रेशर कहलाता है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती है जिसके कारण ब्लड प्रेशर लो हो जाता है ।

ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या कब होती है ?

अधिकांशतया गर्भावस्था के दूसरे व तीसरे महीने में ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या अधिक होती है जो लगभग 24 वें हफ्ते तक रहती सकती है।

लो ब्लड प्रेशर कितना होता है?

अगर ब्‍लड प्रेशर की रीडिंग 90 एमएमएचजी/60 एमएमएचजी या इससे कम हो तो इस रीडिंग को लो माना जाता है। नॉर्मल ब्‍लड प्रेशर की रेंज 120 एमएमएचजी/80एमएमएचजी होती है।

गर्भावस्था में लो बीपी के लक्षण

गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर लो होने पर चक्कर आना, जी मिचलाना, धुंधला दिखाई देना, त्वचा का नीला पड़ना, अधिक प्यास लगना, सांस फूलना आदि लक्षण दिखाई देते हैं ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

लो ब्लड प्रेशर
लो ब्लड प्रेशर

ब्लड प्रेशर लो होने पर क्या करें ?

  • खाली पेट ना रहें थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ ना कुछ हेल्थी खाती रहें ।
  • ज्यादा गर्म पानी से नहाने से बचें ।
  • ढीले ढाले व आरामदायक कपड़े पहनें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीती रहें।
  • झटके से उठने बैठने से बचें ।
  • धूम्रपान से बचें
  • अल्कोहल का सेवन ना करें ।
  • डॉक्टर की सलाह से नियमित रूप से हल्की फुल्की एक्सरसाइज और योगा करें
  • पौष्टिक भोजन का सेवन करें और भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें ।
  • अधिक मात्रा में ताला वाला और गरिष्ठ भोजन करने से बचें । जंक फूड का सेवन सीमित मात्रा में करें ।
  • तनाव लेने से बचें और खुश रहें ।

ब्लड प्रेशर के लो होने पर घरेलू इलाज-pregnancy me bp low ho to kya kare

नमक के पानी का सेवन

नमक में सोडियम पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। ब्लड प्रेशर लो होने की स्थिति में पानी में आधा चम्मच नमक घोलकर उसका सेवन किया जा सकता है इसके अलावा ओआरएस का घोल बनाकर पीने से भी ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।

किशमिश का सेवन

लो ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर किशमिश का सेवन लाभदायक होता है। इसके लिए 5 से 6 किशमिश को रात भर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह खाली पेट इन किशमिश को खा ले और पानी भी पी लें । कुछ हफ्तों तक ऐसा करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित हो जाता है ।

तुलसी का सेवन

तुलसी में विटामिन सी, मैग्‍नीशियम, पोटेशियम और पैण्टोथेनिक एसिड पाए जाते हैं ये लो ब्‍लड प्रेशर में फायदा पहुंचाते हैं। 34 तुलसी की पत्तियों का रस निकालकर उसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में आता है परंतु तुलसी का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।

नींबू का सेवन

नींबू का रस ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में बहुत मददगार साबित होता है। प्रतिदिन गुनगुने पानी में नींबू के रस के साथ थोड़ा सा शहद मिला कर उसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है । आप चाहे तो पानी में नींबू के रस के साथ काला नमक डालकर भी सेवन कर सकतीं हैं।

इन सबके अलावा गाजर और चुकंदर के रस का सेवन करने से भी ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। गर्भवती महिला को लो ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है तो उसे समय-समय पर डॉक्टर से ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना चाहिए। किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

शादी के बाद कौन मां नहीं बनना चाहता लेकिन कई बार ये प्रेग्नेंसी अनचाही हो जाती है तो परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में कई बार महिला गर्भधारण को खत्म करने के घरेलू उपायों से गर्भपात कराने के बारे में सोचती है। गर्भपात का अर्थ है गर्भवती होने के 24 सप्ताह के भीतर गर्भ में भ्रूण का विनाश। यदि गर्भपात गर्भवती होने के 12 सप्ताह के भीतर हो जाता है, तो इसे प्रारंभिक गर्भपात कहा जाता है।

यदि गर्भावस्था के पहले या दूसरे सप्ताह में रक्तस्राव होता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आपका गर्भपात हो गया है। लेकिन इस स्थिति में भी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा अबॉर्शन पिल्स भी आजकल उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल दो महीने तक की प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है।

लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था को तीन महीने हो गए हैं, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार से गुजरना होगा। ऐसे में अगर आप घरेलू नुस्खे अपनाती हैं तो ब्लीडिंग होती है, लेकिन सही तरीके से गर्भपात न होने के कारण अधूरे गर्भपात का मतलब यह हो सकता है कि आपके गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह गए हैं, जो बाद में आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। आज हम आपको बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे बताएंगे, जिनकी मदद से आप 1 महीने तक गर्भपात करवा सकते हैं।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

लहसुन-गर्भपात के घरेलु उपाय

लहसुन हर किसी की रसोई में शामिल होता है, इसमें ‘एलिसिन’ नामक तत्व होता है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्त संचार बढ़ाता है। लहसुन से गर्भपात के लिए किसी भी तरह से अधिक मात्रा में इसका सेवन करें।

लहसुन
लहसुन

बबूल के पत्ते – गर्भ गिराने के उपाय

अगर 1 महीने से 15 दिन का गर्भ है तो उसके लिए बबूल के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। इस पानी को दिन में चार से पांच बार तब तक पिएं जब तक आपको ब्लीडिंग न होने लगे।

अजवाइन से गर्भपात

अजवायन का असर बहुत ही गर्म माना जाता है, आप इसका इस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं कि गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में रोजाना आधा चम्मच अजवायन लें, या फिर इसे एक गिलास पानी में उबालकर पी लें।

इलायची से गर्भ कैसे गिराए

इलायची के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें, एक चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार लें और रक्तस्राव बंद होने तक रखें।

गर्भ धारण करने के घरेलू उपाय के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर और 5 इलायची को उबालकर एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें, छानकर रख लें। दिन में तीन बार 50 मिलीलीटर पिएं।

तुलसी का काढ़ा

तुलसी का प्रभाव भी बहुत गर्म होता है, तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या इसका काढ़ा बनाकर पीएं, दोनों तरह से यह गर्भपात में सहायक है।

अनानास का रस-गर्भपात के घरेलु नुस्खे

अनानस गर्भवती महिलाओं से दूर रखा जाता है क्योंकि अनानास में बड़ी मात्रा में विटामिन सी, एंजाइम और रसायन होते हैं, जो गर्भपात का कारण बनते हैं। इसमें ब्रोमेलैन की उपस्थिति के कारण गर्भाशय की दीवार नरम हो जाती है। इसलिए अगर शुरुआती हफ्तों में इसका इस्तेमाल किया जाए तो गर्भपात आसानी से किया जा सकता है।

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

पपीते को एक गर्म फल भी माना जाता है, इसका इस्तेमाल ज्यादातर महिलाएं अबॉर्शन के लिए करती हैं। क्योंकि पपीते में मौजूद फाइटोकेमिकल्स प्रोजेस्टेरोन गतिविधि में हस्तक्षेप कर सकते हैं। जो गर्भपात का कारण बनता है।

विटामिन सी फूड्स

घर पर गर्भपात कराने के लिए आपको विटामिन सी युक्त फलों का भरपूर सेवन करना चाहिए।

गर्भपात के लिए घरेलू उपचार अपनाते समय यदि अधिक रक्तस्राव, पेट में दर्द, बुखार, कमजोरी जैसे लक्षण लंबे समय तक दिखाई दें तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एस्पिरिन टैबलेट

मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध एस्पिरिन की गोली लें, इस टैबलेट को रोजाना 6 से 8 खुराक में लें। टेबलेट लेने के साथ-साथ अन्य घरेलू उपचार भी करते रहें।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

बेस्ट साबुन फोर स्किन जो त्वचा का रखे ख्याल-Best Skin Soap

बेस्ट साबुन फोर स्किन

नहाने के लिए कितने भी बॉडी वाश और उबटन आ जाए, लेकिन साबुन की जगह ज्यों की त्यों बरकरार है। आज भी 80 प्रतिशत से ज्यादा घरों में नहाने के लिए साबुन का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन साबुन की इतनी बड़ी भीड़ में कई बार ये चुनना मुश्किल हो जाता हैं, कि बेस्ट साबुन फोर स्किन कौन सा है। आज इस आर्टिकल में हम आपको तैलीय और ड्राई दोनों तरह की स्किन के लिए बेस्ट साबुन के बारे में बताएंगे।

बेस्ट साबुन फॉर ऑयली स्किन

ऑयली स्किन के लिए सबसे बेहतर साबुन वही है जो नेचुरल आयल को बनाएं रखे, तथा एक्स्ट्रा आयल निकाल दे।

हिमालया हर्बल्स नीम और टर्मरिक साबुन

हिमालया का ये साबुन पूरी तरह से नेचुरल है, इसमे नीम के तेल और हल्दी का इस्तेमाल किया गया है। इन दोनों तत्वों का एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण तैलीय त्वचा के लिए बेहतरीन है। तैलीय त्वचा पर मुहासों और ब्लैक हेड्स आसानी से होते है। सोडियम लॉरेथ सल्फेट से मुक्त ये साबुन तैलीय त्वचा को अच्छे से साफ साफ करता है।

अवगुण:

इसकी गंध बहुत तेज होती है।

हल्दी
हल्दी

मेडिमिक्स आयुर्वेदिक क्लासिक 18 हर्बस साेप

तैलीय त्वचा गर्मियों में बहुत ही परेशान करती है। घमौरियों, फोड़े फुंसी तैलीय त्वचा के लिए बहुत आम बात है। ऐसे में विभिन्न प्रकार के हर्ब्स मिलाकर बना मेडिमिक्स अच्छा ऑप्शन है।
इस साबुन को 18 प्रकार की जड़ी-बूटियों से मिलाकर बनाया जाता है। ये शरीर की अनचाही गन्ध को दूर करता है। इसमे किसी एनिमल फैट का इस्तेमाल नही किया गया है।

अवगुण:

यह साबुन थोड़ा जल्दी गलता है और आम साबुनों से महंगा है।

संतूर सैंडल और टर्मरिक सोप फॉर टोटल स्किन केयर

‘हल्दी चंदन के गुण इसमे समाए’ संतूर मॉम्स के एड आपने जरूर देखें होंगे। ये साबुन हल्दी और चंदन के गुणों से युक्त है। चेहरे के दाग धब्बो को कम करता है, त्वचा को अच्छे से साफ कर मुलायम बनाता है।

उम्र के निशानों को कम करता है। तैलीय त्वचा के लिए ये एक बेहतरीन ऑप्शन है।

अवगुण:

ड्राई स्किन वालों को शायद ये बिल्कुल पसंद न आएं।

वादी हर्बल्स लग्जूरियस सैफ्रॉन स्किन व्हाइटनिंग थेरेपी सोप

ये साबुन एक बहुत ही यूनिक इंग्रीडिएंट से बना होता है जो है बकरी का दूध, जी हां बकरी का दूध। साथ ही इसमे होता है केसर, इन दोनों इनग्रीडिएंट के कारण ये न केवल प्रदूषण के कारण हुई काली त्वचा को साफ करता है, बल्कि मुहासों को भी सूखाता है।

अवगुण:

महक थोड़ी स्ट्रांग होती है।

डव गो फ्रेश ऑयल कंट्रोल मॉइस्चराइजिंग सोप

डव महिलाओं के पसंदीदा ब्रांड में से एक है। माइल्ड क्लेन्ज़र की तरह त्वचा को साफ करता है। इसमे होता है गुलाबजल जो त्वचा को टोंड करता है।

अवगुण

थोड़ा जल्दी गलता है और मिडिल क्लास के हिसाब से महंगा है।

बेस्ट साबुन फोर स्किन- ड्राई स्किन

ड्राई स्किन के लिए साबुन चुनते हुए और भी सावधानी बरतनी होती है। गलत साबुन स्किन को और भी ड्राई बना सकता है। जिससे उम्र के निशान जल्दी दिखने लगते है।

निविया क्रीम केयर सोप

ड्राई स्किन के निविया के प्रोडक्ट हमेशा सबसे ऊपर माने जाते है। बहुत ही बेहतरीन खुशबू के साथ ये त्वचा को मुलायम बनाकर अलग अहसास देता है। इसमे कोई केमिकल नही है और खास बात की इसका कोई अवगुण अभी संज्ञान में नही है।

मेडिमिक्स आयुर्वेदिक नेचुरल ग्लिसरीन बाथिंग बार

ये साबुन खास तौर पर ड्राई स्किन को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमे है चंदन, हल्दी और ग्लिसरीन, साथ मे 18 नेचुरल हर्ब्स।इन सभी तत्वों की त्वचा के लिए उपयोगिता सभी जानते है। त्वचा को साफ, चमकदार और मुलायम बनाता है।

पियर्स नेचुरल पोमेग्रेनेट ब्राइटनिंग बाथिंग सोप बार

नाम से विदित है कि इसमे अनार का प्रयोग किया गया है। साथ ही इसमे गुलाब का अर्क है। ये स्किन को मुलायम बनाता है। प्रदूषण या एलर्जी से काली हुई त्वचा को साफ करने में मदद करता है। इसमे किसी केमिकल का प्रयोग नही किया गया है।

डव क्रीम ब्यूटी बाथिंग बार

डव, ड्राई स्किन के लिए हमारी नजर में बेहतरीन साबुनों में से एक है। इसे बनाया गया है, मॉइश्चराइजिंग क्रीम से, तो ये त्वचा को कोई नुकसान नही पहुँचाता। त्वचा को अच्छे से साफ कर मुलायम बनाता है। इसकी खुशबू आपका मन खुश कर देगी।

द बॉडी शॉप शिया सोप

शिया बटर के गुणों से भरपूर ये साबुन त्वचा को अलग ही ताजगी देता है। अगर आप अपनी त्वचा के प्रति बहुत कन्सर्न है तो थोड़ी पॉकेट ढीली करनी होगी। क्योंकि अन्य साबुनों के मुकाबले ये साबुन थोड़ा महंगा है। त्वचा को बेहतरीन चमक देता है। खुशबू बहुत ही प्यारी है। कोई भी रसायनिक तत्व इसमे शामिल नही है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

चेहरे के लिए सबसे अच्छा साबुन कौन सा है?

चेहरे के लिए सबसे अच्छे साबुन की अगर बात की जाए तो हमें अपनी त्वचा की प्रकृति के अनुसार साबुन का प्रयोग करना चाहिए । सामान्य त्वचा के लिए ग्लिसरीन साबुन का प्रयोग सर्वोत्तम होता है जैसे पीयर्स । तैलीय त्वचा के लिए डव, मार्गो, नीम, पीयर्स और मेडिमिक्स जैसे माइल्ड साबुन बढ़िया रहते हैं । रूखी त्वचा के लिए डव क्रीम व्हाट्सएप से फायदेमंद होता है। सेटाफिल और सनोफी साबुन बच्चों और बड़ों दोनों की त्वचा के लिए लाभदायक है , इन साबुनों का प्रयोग संवेदनशील त्वचा वाले लोग भी कर सकते हैं। पियर्स और डव साबुन सभी प्रकार की त्वचा के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं । बाजार में कई प्रकार के साबुन मौजूद है परंतु हमें उसी साबुन का प्रयोग करना चाहिए जो हमारी स्किन को सूट करे ।

महिलाओं के लिए सबसे अच्छा साबुन कौन सा है?

पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की त्वचा अधिक कोमल एवं संवेदनशील होती है । महिलाओं के लिए सबसे बेहतरीन साबुन की अगर बात की जाए तो ग्लिसरीन युक्त साबुन पीयर्स काफी अच्छा विकल्प है । इसमें शुद्ध ग्लिसरीन और पुदीने का सत होता है जो त्वचा को कोमल बनाने के साथ-साथ ठंडक पहुंचाता है । इसे लगाने से त्वचा मॉइश्चराइज और हाइड्रेटेड रहती है । पीयर्स के अलावा डव ब्यूटी बार भी महिलाओं के लिए अच्छा साबुन है ।इस साबुन में 25% मॉइश्चराइजिंग क्रीम होता है त्वचा को मुलायम बनाता है। महिलाएं इसका प्रयोग संपूर्ण शरीर पर कर सकतीं हैं। सर्दियों के लिए साबुन बहुत ही प्रभावी होता है।

बिना केमिकल वाला साबुन कौन सा है?

बाजार में कई तरीके के नहाने के साबुन मौजूद है जिन्हें केमिकल फ्री कह कर बेचा जाता है परंतु यदि हम उन में मिलाए जाने वाले इनग्रेडिएंट्स की जांच करें तो लगभग सभी साबुनों में केमिकल और टॉक्सिक पदार्थ पाए जाते हैं । बिना केमिकल वाला साबुन में पतंजलि मुल्तानी सोप, खादी साबुन तथा घरेलू कुटीर उद्योगों में बनाए जाने वाले साबुन शामिल हैं । इन साबुनों में कम से कम केमिकल पदार्थों का प्रयोग किया जाता है इसलिए यह त्वचा के लिए सबसे सुरक्षित होते हैं ।

दुनिया का सबसे अच्छा साबुन कौन है?

दुनिया की सबसे अच्छी साबुनों की श्रेणी में कैसवेल मेसी साबुन शीर्ष नंबर पर है । यह साबुन शरीर और चेहरे दोनों के लिए प्रयोग किया जाता है। बकरी के दूध और शुद्ध शहद से निर्मित यह साबुन खनिज पदार्थों, प्रोटीन और लिपोसोम युक्त है जो त्वचा के लिए बेहतरीन है । नाजुक और संवेदनशील त्वचा के लिए यह सबसे अच्छा साबुन है । इसकी कीमत $24 है। इसके अलावा भारतीय साबुन में सबसे अच्छा साबुन सैंडल वुड का मिलेनियम साबुन है जो शुद्ध चंदन के तेल से बनाया गया है। केमिकल रहित यह साबुन त्वचा को कोमल और मुलायम बनाता है ।इसके डेढ़ सौ ग्राम पैक की कीमत ₹810 है।

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