रूखे और बेजान हेयर को सिल्की करने के टिप्स-Hair Ko Silky Karne Ke Tips

हेयर को सिल्की करने के टिप्स

अगर आप अपने रुखे बालों से परेशान है तो चिंता ना करें। आप अपने बालो का सही तरह से देखभाल करके ठीक कर सकते है। बस आपको अपने खान-पान को सुधारने के साथ सिर में हेयर पैक लगाने की आवश्‍यकता है। और हाँ हफ्ते मे दो बार अपने बालों में तेल जरुर लगा कर मालिश करें। अगर बाल साफ रहेंगे तो सिल्की और शाइन करेगे। आइये जानते हैं बालों को सिल्की करने के टिप्स।

हेयर को सिल्की करने के टिप्स-Hair Ko Silky Karne Ke Tips

शहद-Silky Shiny Hair Tips In Hindi

शहद को अंडे या फिर दूध में मिक्‍स कर के सिर पर लगाएं। पर इस पेस्‍ट को ज्‍यादा देर के लिये सिर पर न छोड़े क्‍योंकि शहद आपके बालों का रंग हल्‍का कर सकता है।

शहद
शहद

दूध-Hair Ko Silky Karne Ke Tips In Hindi

इसमें बहुत सारा प्रोटीन होता है, जो कि बालों के लिये बहुत अच्‍छा होता है। इसे सिर पर हेयर पैक में डाल कर लगाएं। इससे बाल मजबूत और कोमल बनते हैं।

अंडे-Balo Ko Silky Banane Ke Gharelu Nuskhe

अंडे मे बहुत ज्यादा प्रोटीन होता है। इसमें शहद, नींबू या दूध मिला कर सिर पर लगाया जाए तो बाल एकदम कोमल बन जाते हैं। इसे लगाकर आधा घंटे के लिये छोड़ दें।

तेल-Balo Ko Silky Banane Ka Tarika

बालों के लिए तेल बहुत जरुरी है। बिना तेल लगाए बालो की देखभाल हो ही नहीं सकती। अगर आप सिल्की बाल चाहते है तो बिना तेल लगाए बालों को ना धोए नही तो बाल बहुत रूखे बन जाएंगे।

दही-Tips For Silky Smooth Hair At Home In Hindi

इसमें बहुत सारा प्रोटीन होता है। यह बालों में नमी पहुंचाता है। इसमें बेसन मिक्‍स कर के लगाएं या फिर अंडे या मेथी पावडर डाल कर लगाएं।

बीयर-Hair Silky Kaise Kare

बालों को शैंपू से धोने के बाद उसमें बीयर लगा लें। इससे बालों में चमक आएगी और वह बाउंस भी करेंगे।

एप्‍पल साइडर वेनिगर-Silky Shiny Hair Tips In Hindi

सिर को शैंपू से धोने के बाद उसमें एप्‍पल साइडर वेनिगर लगाएं। उसके बाद इसे साफ पानी से धो लें। इससे बालों में नमी आ जाएगी और वह कोमल बन जाएंगे।

केला-Hair Ko Silky Karne Ke Tips In Hindi

केला बालो के लिए एक अच्छा पैक है जितने लंबे आपके बाल हों, उस हिसाब से केला ले कर उसे मैश कर लें। फिर उसे बालों में ऊपर से नीचे की ओर लगाएं और कुछ देर के बाद उसे धो लें।

नींबू-Balo Ko Silky Banane Ke Gharelu Nuskhe

जब इसे हेयर पैक के साथ मिक्‍स कर के लगाया जाएगा तो बाल स्‍मूथ बन जाएंगे। आप नींबू अंडे , तेल , दूध या शहद के साथ मिक्‍स कर के लगाएं।

बेसन-Balo Ko Silky Banane Ka Tarika

इसमें बहुत सारा प्रोटीन होता है इसलिये इसको दही के साथ मिक्‍स कर के हेयर मास्‍क बनाएं। जब बालों और सिर में यह पेस्‍ट अच्‍छी तरह से लग जाए तब इसे पानी से धो लें। आपके बाल सिल्‍की नजर आएंगे।

इन बातों का रखे ध्यान-Hair Ko Silky Karne Ke Tips

इसके आलावा इन बातों का ध्यान रखेगे तो आपके बाल सिल्की नजर आऐगे-

बालो को हर रोज ना धोये- Tips For Silky Smooth Hair At Home In Hindi

क्योकि खोपड़ी के नीचे जहाँ से आपके बाल निकलते है उस जगह पर कई सारे ऑयल ग्लैंड मौजूद होते है। इनसे जो तेल निकलते है वो हमारे बालो को नरम बनाये रखते है। अगर आप हर रोज अपने बालो को धोते है, तो पानी के साथ तेल भी निकलता रहेगा, जिससे आपके बालो की प्राकृतिक नमी ख़त्म हो जायेगी तो बालो को सिल्की बनाये रखने के लिए हफ्ते में १ से २ बार ही बालो को धोये। हेयर को सिल्की बनाये रखने के लिए बालो को ठन्डे पानी से ही धोऐ

अपने बालों को धूप से बचाए –Hair Silky Kaise Kare

अधिक समय तक धुप में रहने के कारन भी आपके बाल सूखे और बेजान दिखने लगते है। तो अगर आपको बाहार धुप में जाना हो तो अपने सिर और बालो को कोई कपड़े से अच्छे से ढक ले, या फिर टोपी पहने।

सिर पर मालिश करे – Silky Shiny Hair Tips In Hindi

सूखे क्षतिग्रस्त बालो को सिल्की बनाने के लिए सिर पर मालिश करना फायदेमन होता है। सिर पर मालिश करने से रक्त संचालन ठीक से हो पाता है, और हमारे बालो पर तेल और प्राकृतिक नमी बनी रहती है। रात को सोने से पहले कोई भी तेल से अपने सिर और बालो पर मालिश करे। इससे ना ही सिर्फ आपके बाल सिल्की बनेंगे बल्कि आपको नींद भी अच्छी आएगी। सुबह किसी अच्छे शैम्पू से अपने बालो को धो ले। आपके बाल सिल्की और चमकता हुआ दिखेगा।

गीले बालो को प्राकृतिक तरीके से ही सुखाएं-Balo Ke Liye Tips

गीले बालो को हेयर ड्रायर से सुखाना, बालो को और ज्यादा सुखा और बेजान बना देता है। इससे निकली गरम हवा बालो के प्राकृतिक नमी को खत्म कर देता है जिससे बाल सुखा हो कर टूटने लगते है। आप नहाने के बाद आपने बालो को टॉवेल से अच्छे से पोंछ ले और उसे खुला छोड़ दे। आपका बाल प्राकृतिक हवा में अपने आप सुख जायेगा और उसका नमी भी बना रहेगा।

बालो पर लीव इन कंडीशनर का इस्तेमाल करे- Hair Ke Liye Tips

बालो को धो लेने और पोंछने के बाद बालो पर बादाम तेल, आर्गन तेल, जैतून तेल या सीया बटर का इस्तेमाल कर सकते है। ये आपके बालो पर लीव इन कंडीशनर का काम करेगा। और बहुत कम समय में आपके बाल सिल्की, नरम और चमकता हुआ दिखेगा।

घर पर बालों के लिए तेल कैसे बनाएं?

तेल घर पर बनाने के लिए आपको 120 ग्राम आंवला पाउडर, 1 लीटर पानी और 250 मिली नारियल के तेल की जरूरत पड़ेगी। सबसे पहले 100 ग्राम आंवला पाउडर को 1 लीटर पानी के साथ तब तक उबालें जब तक कि लिक्विड आधा न रह जाए, दूसरे पैन में नारियल का तेल, बचा हुआ आंवला पाउडर और उबले हुए लिक्विड को मिलाकर धीमी आंच पर तब तक उबालें जब तक कि सारा पानी वाष्पीकृत न हो जाए। आखिर में पैन में पीला और पारदर्शी तरल शेष बचेगा। इसे किसी बोतल में भरकर रख लें।

बालो का झड़ना कैसे रोक सकते हैं?

संतुलित आहार, नियमित तेल, बालो की कंडिशनिंग करके और तनाव से दूर रहकर बालो का झड़ना रोक सकते है।

छोटे कद से हैं परेशान, तो अपनाएँ कद बढाने के घरेलू तरीके

छोटे कद से हैं परेशान, तो अपनाएँ कद बढाने के घरेलू तरीके

लम्बा कद होना मतलब, आकर्षण की एक सीढ़ी चढ़ जाना। यूं तो सुंदरता के कई पैमाने होते है जैसे लम्बे बाल, तीखे नयन नक्श। पर लम्बाई की बात ही अलग होती है। दस लोगो के बीच जब आप खड़े हो, तो आपका ऊंचा कद ही आपका आत्मविश्वास तय करता है।

लम्बा कद हर कोई चाहता है। हमारे देश में औरतो की औसतन लंबाई 152 सेमी और पुरुषों की 165 सेमी मानी गई है।
माना जाता है हाइट ग्रोथ हार्मोन 20वर्ष की उम्र से कम होने लगते हैं। पर अगर आप अपने आसपास देखेंगे तो पाएंगे कि अमूमन बच्चे अपने टीनएज में ही पूरी हाइट पकड़ लेते है।

इसका अर्थ ये है कि लड़कियों में पीरियड स्टार्ट होने के बाद और लड़कों में दाढ़ी मूंछ शुरू होने के बाद हाइट बढ़ना मुश्किल ही है।
इसलिए कद बढ़ाने की कोशिश टीनएज के आसपास शुरू कर देनी चाहिए। आज हम इसी बारे में बात करेंगे।

यू तो कद आपके परिवार खासकर आपके पेरेंट्स, लेकिन आप ये कोशिश तो कर ही सकते है आपका कद आपके पेरेंट्स और परिवार में सबसे छोटा न रहे।
कद में 60-70 प्रतिशत का असर आनुवंशिक ही होता है। जो कि जीन्स पर आधारित है और यह आनुवंशिक फैक्टर हमारे हाथ में नहीं होता।

आप टीनएज में ही अपने कद का अनुमान ऐसे लगा सकते है।

.आप अपने माता-पिता के कद को जोड़ लें।
.अगर आप लड़के हैं, तो उसमें पांच इंच जोड़ दें और अगर लड़की हैं, तो पांच इंच घटा दें।
.अब जो भी नंबर आएगा, उसे दो से विभाजित कर दें।
.यही आपकी अनुमानित हाइट हो सकती है। इसमें से कुछ इंच का फर्क हो सकता है।

कद न बढ़ने के अन्य कारण

.पौष्टिक भोजन न लेना।
.शारीरिक गतिविधियों से दूर रहना।
.ज्यादा समय तक शरीर की खराब पोजीशन या पोस्चर।
.बचपन से ही किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होना।
.किशोरावस्था में मानसिक रूप से अस्वस्थ होना।
.हार्मोनल डिस्टर्बेंस
.कम उम्र में जरूरत से ज्यादा व्यायाम

कद बढ़ाने के घरेलू तरीके-kad lamba karne ke tarike

पौष्टिक भोजन

पौष्टिक और संतुलित भोजन केवल कद ही नही सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।

जंक फूड कार्बोनेट युक्त पेय पदार्थों, वसा युक्त खाद्य पदार्थों व अत्यधिक मीठा, इन सबका कम से कम प्रयोग करना चाहिए।
भोजन में विटामिन्स मिनरल्स जरूर होने चाहिए। सही खानपान हॉर्मोन्स को नियमित रखता है जोकि कद बढ़ाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रखते है।
भोजन में ताजे व मौसमी फल-सब्जियां, फलियां व पौष्टिक अनाज जरूर शामिल करें।

इनमें प्रचुर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट व ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो ग्रोथ, इम्युनिटी दोनों के लिए अहम है।

कद के लिए जरूरी पोषक तत्व

विटामिन-डी, कैल्शियम और प्रोटीन कद बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। क्योंकि हमारी हड्डियां इन्ही से विकसित होती हैं।
विटामिन डी का मुख्य स्त्रोत तो सूर्य की रोशनी ही है। हो सके तो सुबह 9 बजे तक कुछ देर धूप में जरूर बैठे
धूप में बैठने का समय मौसम पर निर्भर करता है।

इसके अलावा पनीर, फलियां, सोयाबीन, बिना चर्बी के मांस व सफेद अंडे आदि का सेवन करें।
डेयरी खाद्य पदार्थो का सेवन करे, हरी सब्जियां प्रचुर मात्रा में खाए।
जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थों को रोजमर्रा के भोजन में शामिल करें। इसके लिए आप डार्क चॉकलेट, अंडे, ऑइस्टर (एक प्रकार की मछली) और मूंगफली का उपयोग करे।
शरीर के संतुलित विकास के लिए मैग्नीशियम, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेस व अन्य विटामिन्स का सेवन करना भी जरूरी है। खानपान के साथ सीमित मात्रा में सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं।

इनके सेवन से भी जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है।
ध्यान रखे किसी भी पौष्टिक खाद्य पदार्थ की अति न करें। सब कुछ सन्तुलित मात्रा में अपनी शारीरिक स्थिति के अनुसार खाए।

अंडे
अंडे

 एक्सरसाइज

एक्सरसाइज न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रखती है बल्कि कद बढ़ाने में भी लाभदायक है। अलग अलग प्रकार के व्यायाम जैसे कार्डियो, स्ट्रेचिंग, वेट ट्रेनिंग को अपने रूटीन में शामिल करें।
कम उम्र में हद से ज्यादा व्यायाम न करें, इससे हॉर्मोन्स डिस्टर्ब हो सकते है।जब आप व्यायाम की तीव्रता बढ़ाए तो याद रखे आपको पोषण का भी पूरा ध्यान रखना होगा।
बेहतर होगा कि आप व्यायाम किसी एक्सपर्ट की देखरेख में करें। एक्सपर्ट आपकी शारीरिक स्थिति को देखते हुए डाइट प्लान देगा।
हाइट बढ़ाने के लिए यदि आप स्पोर्ट्स का सहारा लेना चाहते है, तो आपके लिए सबसे बेहतरीन गेम है स्वीमिंग, एरोबिक्स, टेनिस, क्रिकेट, फुटबॉल व बास्केटबॉल
इसलिए हाइट बढ़ाने के तरीकों में व्यायाम व खेलकूद को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें।

 योगाभ्यास

भारतीय संस्कृति में शायद ही कोई समस्या हो जिसका समाधान योग में न हो।

कद बढ़ाने के लिए कुछ योगासनों का नियमित अभ्यास वाकई फायदेमंद हैं। लंबाई बढ़ाने के लिए कुछ विशेष योगासन हैं, जो पॉस्चर को ठीक करते है, हॉर्मोन्स को बैलेंस करते है, मांसपेशियों को मजबूत बनाते है।
ये आसन है, त्रिकोणासन, भुजंगासन, सुखासन, वृक्षासन, नटराजासन, मार्जरी आसन व सूर्य नमस्कार

करें योग
करें योग

भरपूर नींद

नींद पूरी करना बहुत जरूरी है, नींद पूरी करने से 9 घण्टे सोना नही है। आप चाहे 6 घण्टे सोएं लेकिन वो 6 घण्टे की नींद गहरी होनी चाहिए।
आपको शायद ये सामान्य बात लगे, लेकिन हॉर्मोन्स डिस्टर्ब होने का सबसे अहम कारण नींद पूरी न होना है। जिससे थाइरोइड या एंग्जायटी जैसी दिक्कते हो सकती है। ये विकास पर बुरा प्रभाव डालती है।

गहरी नींद कैसे ले

.सोने से पहले हल्के गुनगुने पानी से स्नान करें।
.सोने से पहले एक कप कैमोमाइल चाय पी सकते हैं।
.शरीर की मालिश करे।

शरीर की पोजीशन सही रखे

फ्रैक्चर के बाद आपने देखा होगा कि फ्रैक्चर हुआ भाग ठीक होने के बाद जाम हो जाता है। ऐसा लम्बे समय तक उस भाग के एक ही पोजीशन में रहने के कारण होता है।
यदि आप अपनी बैक और कंधों को लंबे समय तक गलत पॉस्चर अर्थात झुका कर रखेंगे तो, आपका शरीर यही पोजीशन गृहण कर लेगा।
जिससे आपका कद ही छोटा नही लगेगा, बल्कि शरीर भी बेढंगा लगेगा।

सही पॉस्चर

.कुर्सी पर सीधे बैठें, कंधे सीधे और ठोड़ी ऊपर की ओर होनी चाहिए।
. झुक कर न चलें, कमर सीधी रखे।
. गर्दन व सिर किसी एक तरफ मुड़ा या झुका हुआ न रखे।
.टी वी व मोबाइल लेटकर न देखे।
.शराब व तम्बाकू का सेवन न करें।
.तनाव से दूर रहे।

क्यों होता है गर्भावस्था मे पेट दर्द-Garbhavastha Me Pet Dard

गर्भावस्था मे पेट दर्द

गर्भावस्था के दौरान किसी न किसी समय गर्भवती महिला अपने पेट में ऐंठन, हल्का दर्द और वेदना महसूस करती है। गर्भावस्था मे पेट दर्द होना सामान्य है क्योंकि गर्भ में पल रहे  शिशु के बढने के कारण आपकी मांसपेशियों और जोड़ों पर अत्यधिक दबाव पड़ सकता है, जिस कारण आपको पेट में बेचैनी महसूस हो सकती है। अगर आपके पेट या उसके आसपास के क्षेत्र में दर्द बना रहता है या अधिक तीव्र है, तो यह गर्भावस्था से संबंधित एक गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है।

पहली तिमाही में होने वाला पेट दर्द

पहली तिमाही के दौरान, आप अपने पेट में ऐंठन से होने वाला दर्द महसूस कर सकती हैं, जो आपके बच्चे में होने वाले सामान्य विकास परिवर्तनों के कारण होता है। ऐंठन का मतलब है कि आपको आपके पेट में दोनों तरफ से एक खिचाव महसूस होता है। गर्भाशय का आकार बढ़ने पर ऐंठन महसूस होती है। गर्भावस्था में ऐंठन को सामान्य माना जाता है

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दूसरी तिमाही में होने वाला पेट दर्द

गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में राउंड लिगामेंट में दर्द काफ़ी सामान्य है, जो 2 बड़े लिगामेंट के कारण होता है जो गर्भाशय को ऊसन्धि से जोड़ता है। राउंड लिगामेंट की मांसपेशी गर्भाशय को सहारा देती है और जब इसपर तनाव आता है, तब पेट के निचले हिस्से में आप एक तीव्र दर्द, या हल्का–सा दर्द महसूस करते हैं। गर्भावस्था के दौरान राउंड लिगामेंट में दर्द को सामान्य माना जाता है और इससे कोई बड़ी समस्या उत्पन्न नहीं होती है।

तीसरी तिमाही मे होने वाला पेट दर्द

तीसरी तिमाही के दौरान गर्भवती महिलाओं को पेट, पीठ और कूल्हों सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द महसूस होता है। बच्चे के जन्म की तैयारी के लिए शरीर के संयोजी ऊतक शिथिल हो जाते हैं जिस कारण जन्म–नली का लचीलापन भी बढ़ता है। ऐसे में ज़्यादातर गर्भवती महिलाएं अपने कूल्हों या पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव करती हैं , जो संयोजी ऊतकों के शिथिलता और खिचाव का कारण होता है। लेकिन अगर गर्भावस्था मे पेट दर्द असहनीय हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चहिए।

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पूरे गर्भावस्था के दौरान एक महिला इस तरह का भी पेट दर्द महसूस कर सकती है जैसे

पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द

गर्भावस्था मे पेट दर्द-पसलियों के निचले हिस्से और नाभि के बीच में होने वाला दर्द हो सकता है।

पेट के ऊपरी हिस्से के बाईं ओर दर्द

यह पसलियों के निचले हिस्से और नाभि के बीच में होने वाला दर्द होता है, जैसे प्लीहा, पैनक्रियाज का अंतिम भाग, बाईं ओर की निचली पसलियां, बाएं गुर्दे, बड़ी आंत व पेट का एक हिस्सा आदि।

गर्भावस्था मे पेट दर्द
गर्भावस्था मे पेट दर्द

पेट के ऊपरी हिस्से के दाईं ओर दर्द

यह दाएं निप्पल से नाभि तक होने वाला दर्द होता है। इसकी ओर लिवर, फेफडे़ का निचला भाग, किडनी जैसे अंग होते हैं, इस वजह से कभी-कभी यह दर्द हो सकता है।

पेट के निचले हिस्से में दर्द

यह नाभि से नीचे की ओर होने वाला दर्द है। यह दर्द किसी चिकित्सीय समस्या के चलते हो सकता है।

पेट के निचले हिस्से के बाईं ओर दर्द

यह निचले दाईं ओर के दर्द से ज्यादा आम है। इसका कारण किडनी का निचला हिस्सा, गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब व मूत्राशय की बनावट हो सकती हैं।

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पेट के निचले हिस्से के दाईं ओर दर्द

यह पेट के निचले दाएं भाग में होना वाला दर्द हो सकता है। यह दर्द हल्का भी हो सकता है और तेज़ भी। यह दर्द कभी-कभी बाईं ओर या पीछे की ओर भी फैल सकता है।

ध्यान देने योग्य बाते

आपका दर्द सामान्य है या गंभीर, यह पता लगाने के लिए डॉक्टर जानना चाहेंगी कि वास्तव में दर्द कैसा महसूस हो रहा है। इसलिए निम्न बातों का ध्यान दे

  • दर्द कब शुरु हुआ?
  • दर्द कितनी देर तक रहा और कितना प्रबल था?
  • क्या यह तीक्ष्ण दर्द था या फिर हल्का दर्द था?

क्या आपके हिलने-डुलने पर दर्द आ-जा रहा था या फिर लगातार बना हुआ था? काफी देर आराम करने के बाद भी यदि दर्द ठीक न हो या फिर आपको निम्न लक्षणों के साथ संकुचन भी हों, तो देर न करें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

नहाने के साबुन के नाम जो आपकी त्वचा को बनायेंगे सॉफ्ट और कोमल

नहाने के साबुन के नाम

स्वस्थ जीवन जीने के लिये मन के साथ साथ शरीर का साफ होना भी जरूरी होता है। त्वचा को साफ सुथरा रखने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। त्वचा को समय समय पर साफ करने से कोई फंगस इन्फेक्शन नहीं होता। पुराने समय में जब साबुन नहीं हुआ करते थे तब लोग खार का प्रयोग करते थे जो कि साबुन का ही काम करता था। समय बदलते रहने से अब प्रायः सभी साबुन का प्रयोग करते है। शरीर ही नहीं कपड़े धोने के लिये भी साबुन का प्रयोग किया जाता है। मार्केट में अब नहाने और कपड़े धोने के लिये अलग अलग साबुन मिल जाते है। नहाने के साबुन के नाम बहुत है।

मार्केट मे नहाने के साबुन के हजारों प्रकार के ब्राण्ड मिल जायेगे। साबुन इस्तेमाल में आसान होते है बल्कि सुविधाजनक भी होते है। कुछ साबुनों में  कैमिकल बहुत ज्यादा होता है जो त्वचा को रूखा और बेजान बना देते है। वही कुछ साबुन त्वचा को बेबी साफ्ट बना देते है।मार्केट में इतने ब्राण्ड की जानना मुश्किल हो जाता है कि नहाने का सबसे अच्छा साबुन कौन सा है जो कि आपकी त्वचा को फ्रेश फील दे और त्वचा का ख्याल भी रखे। साबुन महिला, पुरूष और बच्चो के लिये अलग अलग प्रकार के बनाये जाते है। लड़कियों की त्वचा साफ्ट होती है लड़को की थोड़ी हार्ड होती है साथ ही बच्चों की त्वचा बहुत ही कोमल होती है । आइये जानते है। नहाने के कौन कौन से साबुन होते है ।

नहाने के साबुन के नाम

पीयर्स

यह साबुन ग्लिसरीन युक्त होता है और माॅइश्चराईजर युक्त होता है यह त्वचा को हाईड्रेड रखता है । आप इस का प्रयोग नहाने में कर सकते है ।

पीयर्स
नहाने के साबुन के नाम

ओले अल्ट्रा माॅइश्चराईजर बार

यह साबुन खासकर उन लोगो के लिये उपयुक्त है जिनकी त्वचा रूखी होती है।इसमें शिया बटर होता है । बहुत अधिक माॅइश्चराईजर होता है तो यदि आपकी त्वचा आईली है तो इसका प्रयोग कम करें। इसके इस्तेमाल से त्वचा माॅइश्चराईज हो जाती है ।और इसके यूज से त्वचा पर कोई जलन भी नहीं होती । तो यह बहुत अच्छा साबुन है।

ओले अल्ट्रा माॅइश्चराईजर बार
ओले अल्ट्रा माॅइश्चराईजर बार

डव क्रीम बार

यह साबुन एक चौथाई माॅइश्चराईजिंग मिल्क से बनाया गया है। यह नहाने के बाद यह कई घण्टों तक त्वचा को मुलायम रखता है और माॅइश्चराईज करता रहता है साथ भीनी भीनी खुशबू देता रहता है । इसके प्रयोग से त्वचा में निखार आता है । और त्वचा साफ्ट और स्मूथ हो जाती है ।कुछ लोगों का मानना है कि इसके ज्यादा प्रयोग से रोम छिद्र बन्द हो जाते है और चेहरे पर दाने निकल आते है।

नहाने के साबुन के नाम
डव क्रीम बार

डेटाॅल

आजकल बदलते वातावरण और तरह तरह की डिसिस के कारण संक्रमण का खतरा बहुत रहता है।इस साबुन का दावा है कि यह सौ फीसदी संक्रमण का खतरा खत्म कर देता है । इसके कई सारे वर्जन आपको मार्केट में मिल जायेंगे इसमे डेटाॅल की दवा जैसी गंध आती है और किसी में अलग सुगंध आती है । आप कीटाणु से बचने के लिये इसका प्रयोग कर सकते है । खासकर बारिश के मौसम में यह लाभदायक होगा। उस समय संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है ।इसे एंटीसेप्टिक एंटी क्लींजर कहा जाता है ।

नहाने के साबुन के नाम
डेटाॅल

बायोटीक ऑरेंज पील बाॅडी क्लींजर

यह एक आयुर्वेदिक साबुन है । यह नेचुरल होने के साथ साथ ऑरेंज ऑयल और ऑरेंज जेस्ट के साथ दूसरे फलों और सब्जियों के सत्व से बनता है ।ऑरेंज जेस्ट के एंजाइम  त्वचा से मृत कोशिका को हटाता है और त्वचा में नयी जान डाल देता है त्वचा को युवा बनाता है । और त्वचा का नवीनीकरण करता है । सब्जियो के एक्सटेक्ट से त्वचा के पार्ट खुलने में मदद मिलती है ।

बायोटीक ऑरेंज पील बाॅडी क्लींजर
बायोटीक ऑरेंज पील बाॅडी क्लींजर

लिरिल

यह बहुत पुराना साबुन है और काफी लोग पसन्द भी करते है। यह त्वचा को संक्रमण से बचाता है और लम्बे समय तक ताजगी बनाये रखता है। इसमें मौजूद नींबू सत्व त्वचा को जवां और कीटाणु रहित बनाता है । यह पिंपल और खुजली को दूर रखता है और लम्बे समय तक खुश्बू बनाये रखता है ।

लिरिल
लिरिल

खादी नैचुरल सैंडलवुड सोप

यह एक आयुर्वेदिक सोप है जिसमें बहुत सारे गुण भरे है ।साथ ही इसमें चंदन का तेल ,कर्पूर ध्रित कुमारी, मुलैठी , रीठा, कपूर, रत्न जोत, लाल चंदन और ग्लिसरीन मौजूद होते है।यह त्वचा को डेटाॅकासिफाई करता है। त्वचा में निखार लाता है चेहरे से मुहासे हटाता है साथ ही एक्ने दूर करता है ।यह हस्तनिर्मित साबुन है इसमें मौजूद कर्पूर सनबर्न से बचाता है ।

खादी नैचुरल सैंडलवुड सोप
खादी नैचुरल सैंडलवुड सोप

टाम फार्ड जैसमीन रूज

यह चमेली और सेज की ख्श्बू से भरपूर साबुन है जो त्वचा में निखार लाता है । और त्वचा को साफ्ट बनाता है । यह त्वचा को हाईड्रेड रखता है इस से त्वचा में जलन नही होती ।

टाम फार्ड जैसमीन रूज
टाम फार्ड जैसमीन रूज

इसके अलावा मार्केट में बहुत सारे साबुन मिल जाते है जैसे लक्स, निविया , संतूर ,गोदरेज नं वन , लाईफबाॅय, फियामा , हमाम इत्यादि।
कई सारे आयुर्वेदिक साबुन भी बाजार में उपलब्ध है। जैसे खादी रोज सैन्डल सोप, शहनाज हुसैन सफैर आयुर्वेदिक फेयरनैस सोप इत्यादि।

आप अपनी स्किन के अनुसार ही साबुन का चयन करें और यदि परेशानी हो तो पहले डाक्टर से सलाह लेकर ही प्रयोग में लाये।

स्वास्थ्यवर्धक डाबर च्यवनप्राश के फायदे-Dabur Chyawanprash Benefits In Hindi

स्वास्थ्यवर्धक डाबर च्यवनप्राश के फायदे

भारत में स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कई प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपाय सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। ऐसे ही एक अमूल्य उपहार हैं डाबर च्यवनप्राश, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इस लेख में हम जानेंगे Dabur Chyawanprash के फायदे, सेवन विधि, नुकसान, और इसे कैसे सही तरीके से उपयोग किया जाए।

Dabur Chyawanprash क्या है?

डाबर च्यवनप्राश एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक हर्बल टॉनिक है, जिसमें आंवला, अश्वगंधा, तुलसी, पिपली जैसे 40 से अधिक प्राकृतिक औषधीय तत्व शामिल हैं। इसे इम्युनिटी बूस्टर च्यवनप्राश के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को मजबूती प्रदान करता है।

Dabur Chyawanprash के स्वास्थ्यवर्धक फायदे

  1. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
    नियमित सेवन से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है, जिससे सर्दी, जुकाम और अन्य मौसमी बीमारियों से बचाव होता है। 
  2. पाचन शक्ति को बेहतर बनाता है
    इसमें मौजूद हर्ब्स जैसे त्रिकटु और पिपली पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं और पेट की समस्याओं में राहत देते हैं। 
  3. ऊर्जा और स्टैमिना बढ़ाता है
    यह शरीर में थकान को कम कर मानसिक और शारीरिक ताकत बढ़ाता है, जिससे आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते हैं।

    मोटापा कम करने में मदद करे
    मोटापा कम करने में मदद करे
  4. स्मरण शक्ति और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
    ब्राह्मी और शंखपुष्पी जैसे घटक मस्तिष्क की कार्यक्षमता को सुधारते हैं और ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं। 
  5. त्वचा और बालों की सेहत में सुधार
    आंवला और तुलसी एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर हैं, जो त्वचा को स्वस्थ और बालों को मजबूत बनाते हैं।


  • यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है                                                                                                          अश्वगंधा जैसे औषधीय तत्व यौन शक्ति और सहनशक्ति में सुधार करते हैं।
  • Dabur Chyawanprash का सेवन कैसे करें?

    • बच्चों के लिए (5 साल से ऊपर): आधा चम्मच दिन में एक बार, दूध के साथ सेवन करें। 
    • वयस्कों के लिए: 1 से 2 चम्मच दिन में दो बार, गुनगुने दूध या पानी के साथ। 
    • ध्यान रखें कि इसे खाली पेट लेने की बजाय भोजन के बाद लेना अधिक फायदेमंद होता है। 

    Dabur Chyawanprash के संभावित नुकसान

    यह एक प्राकृतिक हर्बल टॉनिक है और अधिकांश लोगों के लिए सुरक्षित है, लेकिन ध्यान रखें:

    • अत्यधिक मात्रा में लेने से पेट में गैस, जलन या अपच हो सकता है। 
    • कुछ लोगों को इसके गर्म प्रकृति के कारण शरीर में गर्मी महसूस हो सकती है। 
    • मधुमेह रोगियों को सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मिठास होती है।

    Dabur Chyawanprash के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

    1. क्या डाबर च्यवनप्राश बच्चों के लिए सुरक्षित है?
      हाँ, 5 साल से ऊपर के बच्चों के लिए इसे आधा चम्मच दूध के साथ सेवन करना सुरक्षित और लाभकारी है।
    2. क्या यह सर्दी और जुकाम से बचाता है?
      जी हाँ, यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर मौसमी बीमारियों से बचाता है।
    3. क्या इसे रोजाना लेना चाहिए?
      हाँ, नियमित और सही मात्रा में सेवन करने से इसके फायदे लंबे समय तक मिलते हैं।

    सेहत के गुणों से भरपूर छुआरा के फायदे

    छुआरे के फायदे

    छुआरे यानी सूखे हुए खजूर, खजूर जिसे रेगिस्तान की रोटी कहा जाता है। खजूर की तरह ही छुआरे भी गुणों से भरपूर होते है। सर्दियों में केवल काजू, बादाम, अखरोट ही नही लोग छुआरे को भी डेली रूटीन में शामिल करते है। बहुत पुराने समय से हमारे बुजुर्ग, छुआरा के फायदे बताते रहे है, छुआरे का सेवन बड़े, बूढ़े, बच्चे सभी कर सकते है।

    आज इसी अनगिनत गुणों से भरपूर छुआरे के बारे में हम आपको बताएंगे। छुआरे केवल शरीर को गर्माहट नही देते बल्कि विभिन्न रोगों में आराम देता है।

    छुआरे में पाए जाने वाले पोषक तत्व

    छुआरे में प्रोटीन, फैट (वसा) 0.4, कार्बोहाइड्रेट 33.8, मिनरल्स 1.7, कैल्शियम 0.022, फास्फोरस 0.38, विटामिन बी और सी, शुगर – 85 फीसदी होते है इसके अलावा इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, फाइबर भी पाया जाता है।

    छुआरा के फायदे-Chuhare Khane Ke Fayde

    ओरल हाइजीन के लिए

    छुआरा अपने एंटीमाइक्रोबियल गुण के कारण ओरल हाइजीन में फायदेमंद होता है। इसमे पाया जाने वाला प्रोटीन और विटामिन सी मुँह में होने वाले प्रत्येक संक्रमण को दूर करता है।

    मधुमेह

    यू तो मधुमेह में किसी भी प्रकार का मीठा मना होता है, लेकिन यदि मधुमेह का मरीज़ सीमित मात्रा में छुआरे का सेवन करता है तो कोई नुकसान नही होगा। क्योंकि छुआरे का प्राकृतिक मीठा कम से कम चीनी से तो बेहतर ही रहता है।

    माहवारी का दर्द

    यदि महिलाएं माहवारी से 2 दिन पहले से लेकर माहवारी समाप्त होने तक दूध के साथ छुआरे का सेवन करती है, तो माहवारी के दौरान होने वाले दर्द में आराम मिलता है। साथ ही कमर दर्द और पैरों में ऐंठन में भी आराम मिलता है, साथ ही माहवारी के दौरान कम रक्तस्राव भी ठीक होता है।

    माहवारी की समस्या
    माहवारी की समस्या

    पेट की समस्याएं

    छुआरे में पाया जाने वाला हाई फाइबर पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पेट की ज्यादातर समस्याए जैसे पेट से जुड़ी समस्या जैसे कब्ज, अपचन, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आंत से जुड़ा विकार) में छुआरा खाना चाहिए।

    हाई फाइबर के कारण छुआरा पेट से कब्ज की समस्या को दूर करता है। इसके लिए सुबह-शाम 3 छुहारे खाने के बाद गर्म पानी पी लें।

    युवा बनाये रखें

    छुआरे में पाए जाने वाले तत्व एंटीएजिंग की तरह काम करते है। छुहारे में बहुत से एंटी ऑक्सीडेंट तत्व विटामिन ए, पैंटोथेनिक एसिड, जिंक, कॉपर व सिलेनियम,पॉलीफेनोल्स पाए जाते है।

    ये सभी तत्व त्वचा को हानिकारक तत्वों से बचाकर, युवा और हम बनाये रखते है। त्वचा की नई कोशिकाएं बनाने में पुराने डैमेज को दूर करने मदद मिलती है।

    साइटिका

    साइटिका के दर्द में पूरा आराम व्यायाम और दवाओं से ही होता है, लेकिन मासपेशियो को मजबूत करने के लिए तथा दर्द में कुछ राहत के लिए छुआरे का सेवन फ़ायदेमंद रहता है।

    मसल्स को मजबूत बनाए

    मसल्स की मजबूती के लिए सबसे जरूरी तत्व होता है प्रोटीन। और छुआरे में प्रोटीन काफी मात्रा में होता है। छुआरे में पाया जाने वाला प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत को मजबूत बनाता है।

    हृदय रोग में फायदेमंद

    अभी ये शोध का विषय है कि छुआरा किस हद तक हृदय रोग में फायदेमंद है। पर यह माना जाता है कि हृदय रोग के कुछ कारणों जैसे उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, लिपिड ऑक्सीडेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है।

    छुहारे में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट तत्व शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। जिससे दिल की बीमारियों का भी खतरा कम होता है।

    तुरन्त ऊर्जा प्रदान करे

    किसी भी कार्य मे लगने वाली ऊर्जा कार्बोहायड्रेट से मिलती है, कार्बोहाइड्रेट उर्जा उत्पन्न करने वाले प्रोसेस में ग्लोकोज बनाती है। इसलिए छुआरे में पाई जाने वाली नेचुरल शुगर से शरीर को इंस्टेंट एनर्जी मिलती है और स्टेमिना मजबूत होता है।

    बालो के लिए फायदेमंद

    आयरन, जिंक, सिलेनियम, विटामिन-ए और विटामिन-सी ऐसे तत्व है जो स्वस्थ्य बालो के लिए बहुत जरूरी है। ये सभी पोषक तत्व छुआरे में होते है खासतौर पर विटामिन सी और सिलेनियम।

    ये तत्व बालो को झड़ने से रोकते है। बालो को खूबसूरत बनाते है। साथ ही छुआरे का एन्टी माइक्रोबियल गुण डर्मेटाइटिस या सोरायसिस से स्कैल्प का बचाव करता है।

    इन गुणों के अलावा छुआरा कुछ अन्य बीमारियों में भी फायदेमंद है जैसे

    • ब्लडप्रेशर की समस्या
    • बच्चो की बिस्तर पर पेशाब की समस्या
    • खांसी
    • आंखों के रोग
    • सांस की बीमारी
    • एलर्जी या इन्फेक्शन
    • मानसिक रोग
    • एनीमिया
    • कैंसर

    छुआरे के साइड इफ़ेक्ट

    जरूरत से ज्यादा छुआरे के सेवन से निम्न समस्याए हो सकती है।

    • ब्लोटिंग (पेट फूलना)
    • हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर का स्तर कम होना)
    • अधिक नींद आना
    • अधिक पसीना आना
    • कंपकंपी आना

    छुआरा खाने का तरीका

    कैसे खाएं

    साबुत, दूध में उबालकर, मिठाई में शक्कर की जगह डालकर,आप छुहारों को साबुत खा सकते हैं,सिरेल्स या मूसली में डालकर

    क्या हैं रात को दलिया खाने के फायदे-Raat Me Daliya Khane Ke Fayde

    दलिया खाने से क्या होता है

    दलिया एक पौष्टिक और हल्का भोजन है जिसे रात को खाने के अनेक फायदे होते हैं। यदि आप सोच रहे हैं कि रात को दलिया खाने के फायदे क्या हैं, तो यह लेख आपके लिए है। दलिया न केवल आपके शरीर को पोषण देता है, बल्कि यह आपके पाचन तंत्र, नींद और वजन नियंत्रण में भी सहायक होता है।

    दलिया में पाए जाने वाले पोषक तत्व

    दलिया में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स और खनिज जैसे कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं। 100 ग्राम दलिया में लगभग 83 कैलोरी ऊर्जा होती है।

    रात को दलिया खाने के मुख्य फायदे

    1. डायबिटीज़ नियंत्रण में मददगार:

      दलिया में मैग्नीशियम होता है जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है, इसलिए यह डायबिटीज़ के मरीजों के लिए फायदेमंद है।

      मधुमेह
      मधुमेह
    2. पाचन तंत्र को मजबूत बनाए:

      दलिया में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो कब्ज जैसी पाचन समस्याओं को कम करता है।

    3. वजन नियंत्रण में सहायक:

      कम कैलोरी और अधिक फाइबर की वजह से दलिया लंबे समय तक भूख को नियंत्रित करता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।

    4. नींद में सुधार:

      दलिया में पाए जाने वाले मैग्नीशियम और ट्रिप्टोफैन मस्तिष्क को शांति देते हैं, जिससे अच्छी नींद आती है।

    5. दिल की सेहत बनाए:

      दलिया खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे हृदय रोग का खतरा घटता है।

    दलिया खाने के दौरान सावधानियां

    अत्यधिक सेवन से गैस या अपच हो सकता है।

    • ग्लूटेन से एलर्जी वाले लोग इसे सावधानी से लें।

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    क्या रात को दलिया खाना डायबिटीज़ के लिए सही है?

    हाँ, यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है और डायबिटीज़ के मरीजों के लिए अच्छा विकल्प है।

    रात में दलिया खाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

    सोने से लगभग 2-3 घंटे पहले हल्का भोजन करना उचित होता है।

    निष्कर्ष

    रात को दलिया खाने के फायदे अनेक हैं- यह न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इसे अपनी डाइट में शामिल करें और बेहतर स्वास्थ्य का आनंद लें।

    Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

    क्या रात को दलिया खाना चाहिए?

    दलिया कम फैट वाला और फाइबर से भरा खाद्य पदार्थ होता है, जो भूख तो अच्छी तरह मिटाता ही है,इसके अलावा ये आपकी कॉन्सटिपेशन और दिल से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करने में मदद करता है। तीन कटोरी लगभग पतला दलिया रात के खाने में पर्याप्त कैलोरी देता है इसे स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाने के लिए आप इसे सीजनल सब्जियों के साथ बनाकर भी खा सकते हैं। अगर आप दलिया रात के खाने में शामिल करते हैं तो ये आपको अच्छी और गहरी नींद भी देता है, इसमें सेराटोनिन हॉर्मोन होता है जो स्ट्रेस को कम करने में मददगार साबित है. ये आपके मूड को बेहतर कर शरीर को भी शांत रखने में मददगार है ।

    गेहूं की दलिया खाने से क्या फायदा है?

    गेंहू के दलिया के अंदर 68 से 70% तक कार्बोहाइड्रेट, 8 से 24% तक प्रोटीन तथा 1 से 2% वसा होती है। गेहूँ का दलिया गेहूं की रोटी की तुलना मे बहुत अधिक फायदा करता है। क्योंकि हम इसके अंदर गेहूं के दाने को पिसते तो हैं लेकिन उसको आटे की तरह महीन नहीं पीसते हैं। जिसका फायदा यह होता है कि इसके अंदर उच्च मात्रा मे पोषक तत्व बने रहते हैं। गेहूँ के चोकर में लौह, कैल्सियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि खनिज पदार्थ होते हैं। लेकिन हम इसके चोकर को छानकर जानवरों को खिला देते हैं। असल मे गेहूं के दलिया मे हमको पूरा फायदा इसलिए भी मिलता है क्योंकि इसके अंदर गेहूं के छिलका (चोकर ) साथ ही रहता है।

    दलिया से वजन कैसे घटाएं?

    दलिया नाश्ते के लिए एक स्वस्थ और बेहतरीन विकल्प है, खासकर वजन घटाने के लिए, दलिया काफी पौष्टिक होता है। इसमें आयरन, फोलेट, कॉपर, नियासिन, मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व होते हैं। ये फाइबर से भरपूर होता है, इसलिए पेट में ज्यादा जगह घेरता है और आप कम खुद ही मात्रा में डाइट लेते हैं । यह अनाज आपके पेट के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है और वजन बढ़ने के पीछे एक कारक कब्ज को रोकता है। दलिया में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन बी से भरपूर होता है, जो वजन घटाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक कटोरी वेजिटेबल दलिया खाने से आपको तृप्ति और पौष्टिकता दोनों मिलती हैं। आप दलिया में रागी, बाजरा, गेहूँ और भी अन्य अनाजों से विकल्प तलाश सकते हैं।

    क्या दलिया खाने से मोटे होते हैं?

    दलिया में कैलोरी की मात्रा बहुत होती है जिससे बॉडी को एनर्जी मिलती है। लेकिन इससे मोटापा नहीं बढ़ता है। रोजाना दलिया खाने से आपको बहुत कम मात्रा में कैलोरी मिलती है। क्योंकि इसमें बहुत अच्छी मात्रा में फ़ाइबर होता है इसलिए कम मात्रा लेने पर ही आपका पेट भर जाता है और साथ ही साथ कब्ज की समस्या नहीं रहती, पाचनतंत्र मजबूत होता है। दलिये के साथ जुडा़ कोई भी कारक ऐसा नहीं है जो वजन बढा़ने की ओर इशारा करता है।

    जानिए सेहत से भरपूर वीट ग्रास के फायदे-Wheatgrass Ke Fayde

    व्हीट ग्रास के फायदे

    आज कल दुनिया में कई तरह की बीमारियाँ हैं और हर रोज़ नई तरह की बीमारियाँ पनप रही है। हमारे शरीर को इन बीमारियों से लड़ने के लिए कई तरह के विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम और प्रोटीन आदि की आवश्यकता पड़ती है। हम इन आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए कई प्रकार की चीजों का सेवन भी करते हैं। इसके बावजूद कई बार छोटी मोटी परेशानियाँ आ ही जाती हैं। ऐसे में वीट ग्रास बहुत ही मददगार साबित होता है। वीट ग्रास के फायदे अनेक हैं। वीट ग्रास एक ऐसी चीज़ है जो शरीर में जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स की कमी को पूरा करता है और कई बीमारियों को खत्म करता है।

    क्या है वीट ग्रास-Wheatgrass In Hindi

    गेहूं के पौधे पर उसके पकने से पहले जो हरी और युवा घास होती है उसे वीट ग्रास कहा जाता है। इन्हे तोड़ कर और सुखा कर इनका पाउडर बना लिया जाता है और फिर इस्तेमाल किया जाता है। कई लोग बिना सुखाये ही इनका प्रयोग कर लेते हैं। वीट ग्रास को एक सुपर फूड माना जाता है।

    वीट ग्रास
    वीट ग्रास

    वीट ग्रास के फायदे-Wheatgrass Ke Fayde

    कमजोरी को करे दूर-wheatgrass benefits in hindi

    दिन भर काम करने की वजह से शरीर में कमजोरी आ जाती है और चक्कर भी आने लगते है। ऐसे में वीट ग्रास किसी रामबाण से कम नहीं। वीट ग्रास का जूस शरीर में ज़रूरी तत्वों की पूर्ति करता है और कमजोरी को दूर करता है।

    पाचन में करे मदद-wheatgrass juice benefits in hindi

    आज कल लोगों का खान पान ठीक ना होने के कारण पेट में भोजन ठीक से पच नहीं पाता। इससे पेट में कई विकार उत्पन्न हो जाते है और ये कई और समस्याओं को जन्म देता है। ऐसे में व्हीट ग्रास आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाता है। वीट ग्रास में अमीनो ऐसिड और एंज़ाइम्स भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं जो भोजन को जल्दी पचाने में मदद करते हैं और पेट को साफ रखते हैं।

    शरीर को दे पोषण-benefits of wheatgrass juice in hindi

    वीट ग्रास शरीर को पोषण भी देता है। इसमे भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी और मिनरल्स पाये जाते हैं जो आपके शरीर को पोषण देकर आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।

    ग्लूकोज़ के लेवेल को करे कंट्रोल-jawara juice benefits

    वीट ग्रास डायबिटीज़ के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। वीट ग्रास के जूस का नियमित सेवन करने से शरीर में ग्लूकोस का स्तर कंट्रोल में रहता है जिससे डायबिटीज़ भी कंट्रोल में रहता है।

    भूख को करे कम-jaware ka juice benefit in hindi

    जिन लोगों को भूख बहुत ज्यादा लगती है वो लोग वीट ग्रास का सेवन कर सकते हैं। वीट ग्रास शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति करके भूख को कम करने में मदद करता है। इसके लिए आप नियमित रूप से वीट ग्रास के जूस का सेवन करें या सुबह खाली पेट व्हीट ग्रास खाये।

    कोलेस्ट्रॉल को करे कम-wheatgrass benefits in hindi

    वीट ग्रास आपके दिल का भी खयाल रखता है। वीट ग्रास में ऐसे तत्व पाये जाते है जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते है और आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।

    कैंसर से लड़े-wheatgrass juice benefits in hindi

    वीट ग्रास कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में भी आपकी मदद करता है। वीट ग्रास में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स पाये जाते है जो कैंसर को खत्म करने में मदद करते है।

    जोड़ों के दर्द को करे दूर-benefits of wheatgrass juice in hindi

    जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वैसे वैसे जोड़ों में दर्द की समस्या आम हो जाती है। कई बार तो यह समस्या बहुत बढ़ जाती है और चलने फिरने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे छुटकारा पाने के लिए आप वीट ग्रास का सेवन भी कर सकते हैं। वीट ग्रास के नियमित सेवन से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

    व्हीटग्रास जूस पीने के क्या फायदे हैं?

    व्हीटग्रास यानि जवारे का रस के कई फायदे हैं - 1.जवारे का रस का सेवन करने से खून की कमी पूरी होती है ,एनीमिक व्यक्ति को जवारे का जूस का सेवन करने से फायदा होता है । 2.मोटापे से ग्रसित व्यक्ति को जवारे के रस का सेवन करने से काफी लाभ होता है । इसके सेवन से शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं । 3.जवारे के रस सेवन से पेट की अपच की समस्या में काफी लाभ होता है । 4.जवारे के रस का सेवन बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है ।जिसकी वजह से दिल की बीमारी का खतरा कम रहता है । 5.जवारे के रस का सेवन करने से ब्लड प्रेशर सामान्य रहता । 6.जवारे के रस का सेवन मधुमेह की बीमारी को मात दे सकते हैं ।जवारे के जूस पीने से शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है और खून में शुगर की मात्रा कम हो जाती है । 7.जवारे का रस गठिया की बीमारी में काफी लाभ मिलता है । इसके सेवन से घुटनों के सूजन और दर्द में भी आराम मिलता है । 8.जवारे के जूस में एंटी एगिंग गुण भी पाए जाते हैं । जो उम्र के साथ चेहरे पर आने वाली झुर्रियों को बढ़ने से रोकता है ।

    गेहूं के जवारे का रस कब पीना चाहिए?

    गेहूं के जवारे के रस की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसका प्रयोग गर्मियों में ज्यादा किया जाता है। सर्दियों में गेहूं के जवारे का सेवन दोपहर के समय करना चाहिए । गेहूं के जवारे के रस का सेवन अधिकांश सुबह के समय करना चाहिए जिससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलेंगे और व्यक्ति स्वस्थ महसूस करेगा । यदि सुबह सेवन करना संभव ना हो तो दोपहर के खाने से पहले इसका सेवन करना चाहिए ।

    व्हीटग्रास के क्या फायदे हैं?

    व्हीट ग्रास यानी गेहूं के जवारे अत्यधिक गुणकारी होते हैं - 1. चेहरे के मुहासे को ठीक करने में व्हीट ग्रास गुणकारी है। 2.व्हीट ग्रास पाउडर के नियमित सेवन से पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता बढ़ती है । 3.व्हीट ग्रास में एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं जो घाव, कीड़ों के काटने ,खरोच तथा त्वचा पर चकत्ते आने पर लाभदाई है। 4.व्हीट ग्रास मे पाए जाने वाले क्लोरोफिल से शरीर में हिमोग्लोबिन का उत्पादन होता है इसीलिए एनीमिया के रोगियों को व्हीटग्रास के सेवन की सलाह दी जाती है । 5. व्हीट ग्रास में कैंसर की कोशिकाओं को रोकने की क्षमता होती है इसीलिए कैंसर के रोगियों को व्हीटग्रास पाउडर पाउडर या जूस का सेवन करना चाहिए । 6. शराब के सेवन के बाद होने वाले हैंगओवर का भी गेहूं के जवारे से इलाज किया जा सकता है । 7. अवसाद के रोगियों के लिए भी गेहूं के जवारे का सेवन फायदेमंद होता है ।

    गेहूं के ज्वारे कैसे उगाये?

    गेहूं के जवारे उगाने की विधि - गेहूं के ज्वारे उगाने के लिए हमेशा अच्छी किस्म के जैविक यानी ऑर्गेनिक गेहूं का प्रयोग करना चाहिए कभी इसके गुणों का भरपूर लाभ मिलता है । गेहूं के जवारे उगाने के लिए लगभग 100 ग्राम गेहूं को रात को सोते समय किसी बर्तन में भिगोकर रख दें । 7 गोलाकार गमले लेकर उनके तले के छेद को एक पतले पत्थर के टुकड़े से ढक दें । मिट्टी और खाद को अच्छी तरह से मिलाकर गमले में 2 इंच मोटी पर परत बिछा दें और पानी छिड़क दे । गेहूं के जवारे उगाने के लिए हमेशा जैविक खाद का ही प्रयोग करें ।अगले दिन गेहूं को धोकर निथार लें ।अब एक गमला लेकर उस पर गेहूं की एक परत बिछा दे। गेहुओं के ऊपर थोड़ी मिट्टी डाल दें और पानी से सीच दें ।गमले को किसी छायादार स्थान जैसे बरामदे या खिड़की के पास रख दें जहां पर्याप्त हवा और प्रकाश आता हो लेकिन धूप की सीधी किरण मामले पर नहीं पड़नी चाहिए ।अगले दिन अगला गमला लेकर उसमें गेहूं बो दीजिए और इसी तरह हर रोज एक गमले में गेहूं बोते रहें । गमलों में रोजाना कम से कम दो बार पानी दें ताकि मिट्टी नम और गीली बनी रहे। जब गेहूं के जवारे 1 इंच से बड़े हो जाएं तो एक बार ही पानी देना पर्याप्त रहता है पानी देने के लिए स्प्रे बॉटल का प्रयोग करें । 7 दिन बाद 5 से 6 पत्तियों वाला 6 से 8 इंच लंबा जवारा निकल जाएगा अब इस जवारे को जड़ सहित उखाड़ ले और पानी से अच्छे से धो कर प्रयोग कर ले । इस प्रकार आप हर रोज एक गमले से जवारे तोड़ते जाइए और रोज गमले में जवारे बोते जाइए ताकि आपको निरंतर जवारे मिलते रहे ।

    व्हीटग्रास पाउडर क्या होता है?

    व्हीटग्रास यानी गेहूं के जवारे हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक होते हैं । खासकर जवारे का रस । परंतु व्हीटग्रास जूस बनाने में थोड़ा समय लगता है इसीलिए आजकल लोग व्हीटग्रास पाउडर का प्रयोग करते हैं । व्हीटग्रास पाउडर व्हीट ग्रास को धूप में सुखाकर उसे पीस कर बनाया जाता है ।इस पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पीना लाभदायक होता है ।

    जानिए क्या हैं रोगन बादाम शिरीन के फायदे

    रोगन बादाम शिरीन के फायदे

    बादाम प्रकृति की दी हुई ऐसी चीज़ है जो मनुष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इन बादामों को पीसकर इनका तेल निकाला जाता है जिसे रोगन बादाम शिरीन कहा जाता है। ये हमारे लिए बहुत उपयोगी है। इनमे भरपूर मात्रा में कैल्शियम, पोटाशियम, मैग्नीशियम, विटामिन ए और विटामिन ई पाये जाते हैं। इसके इन्ही गुणों के कारण इसका प्रयोग प्राचीन समय से किया जा रहा है। चाहे त्वचा हो, बाल हो या स्वास्थ्य, ये हर तरह से आपके लिए लाभकारी है। आइये जाने रोगन बादाम शिरीन के फायदे के बारे में।

    रोगन बादाम शिरीन के फायदे

    दिल को बनाए स्वस्थ और जवान

    बादाम रोगन आपके दिल का ख्याल रखता है। ये आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ता है। इसके लिए आप खाना पकाते समय उसमे थोड़ा सा बादाम रोगन डाल सकते है।

    डार्क सर्कलस को हटाये

    डार्क सर्कलस यानी काले घेरे देखने में बहुत बुरे लगते है और आपकी खूबसूरती को भी कम करते है। इनसे छुटकारा पाने के लिए आप बादाम रोगन का इस्तेमाल कर सकते है। बादाम रोगन में विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो आपकी आंखो को पोषण देता है और आंखो को आराम पहुंचाता है जिससे डार्क सर्कलस कम हो जाते है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले बादाम रोगन थोड़ा सा उँगलियों पर लेकर अच्छे से आँखों के चारों तरफ मसाज करते हुए लगाए। सुबह ठंडे पानी से चेहरे को अच्छे से धो लें।

    टेनिंग को करे कम

    बादाम रोगन टेनिंग को कम करने में भी आपकी मदद करता है। बादाम रोगन प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह का करता है और आपकी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है। साथ ही यह पहले से हुई टेनिंग को कम करने में भी मदद करता है।

    पाये चमकदार और स्वस्थ त्वचा

    बादाम रोगन स्वस्थ और चमकदार त्वचा पाने में भी आपकी मदद करता है। ये आपकी त्वचा को पोषण देकर उसे नमी देता है और कोमल बनाता है। साथ ही इसमे मौजूद ऐन्टी ओक्सीडेंट्स आपकी त्वचा के अंदर जाकर उसे हील करते है और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते है।

    डैंड्रफ को रखे दूर

    अगर आप डेंड्रफ की समस्या से परेशान है तो आप बादाम रोगन का इस्तेमाल कर सकते है। ये बालों की जड़ों को पोषण देता है और नमी को बनाए रखता है जिससे डैंड्रफ की समस्या दूर हो जाती है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले अरंडी के तेल या नारियल के तेल में थोड़ा सा बादाम रोगन मिला कर अपने बालों की जड़ों मे मालिश करते हुए अच्छे से लगा लें। सुबह शैम्पू की सहायता से बालों को अच्छे से धो लें। ऐसा हफ्ते में दो बार जरूर करें।

    डैंड्रफ को रखे दूर
    डैंड्रफ को रखे दूर

    दो मुहें बालों को करे रिपेयर

    बादाम रोगन दो मुहें बालों की समस्या से निजात दिलाने में बहुत लाभकारी साबित होता है। इसमे मौजूद ऐन्टी ओक्सीडेंट्स आपके बालों को पोषण प्रदान करते है जिससे दो मुहें बालों की समस्या कम हो जाती है और बाल मजबूत भी बनते है।

    पाचन तंत्र को करे मजबूत

    बादाम रोगन पाचन तंत्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं। इसके अंदर ऐसे मिनरल्स पाये जाते है जो आपके पाचन तंत्र को मजबूती देते है जिससे खाना जल्दी पचता है और आपको कब्ज़ जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके लिए रात को गरम दूध में थोड़ा सा बादाम रोगन मिला कर इसका सेवन करें।

    एजिंग को करे कम

    बादाम रोगन एजिंग को कम करने में भी बहुत लाभकारी साबित होता है। इसमे ऐन्टी एजिंग प्रॉपर्टीस पाई जाती है जो एजिंग की प्रोसैस को धीमा कर देती हैं और त्वचा जवान और दमकती हुई नज़र आती है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले बादाम रोगन की चेहरे पर अच्छे से मसाज करे। सुबह ठंडे पानी से चेहरे को अच्छे से धो लें।

    त्वचा को करे मोइश्चराइज़

    अगर आपकी त्वचा बहुत रूखी और ड्राई है तो आप बादाम रोगन का प्रयोग कर सकते है। बादाम रोगन आपकी त्वचा को मोइश्चराइज़ करता है और नमी को बनाए रखता है जिससे रूखापन खत्म हो जाता है। इसके लिए आप हल्के हाथो से चेहरे पर बादाम रोगन लगाए। 15 से 20 मिनट बाद चेहरे को अच्छे से पानी से धो लें।

    बादाम का तेल चेहरे पर लगाने से क्या होता है?

    रात में सोने जाने से पहले, अपने हाथों को धो लें और बादाम के तेल की कुछ बूंदें लेकर अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ें।अब इसे अपने पूरे चेहरे पर लगाएं और हल्‍के हाथों से कुछ देर मसाज करें। ऐसा नियमित करने से आपके चेहरे में चमक आएगी और दाग-धब्‍बे भी हल्‍के होंगे।

    गर्भावस्था में सोने के तरीके, जिससे बच्चे को ना हो कोई नुकसान | प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए

    गर्भावस्था में सोने के तरीके

    गर्भावस्था मे महिला को अपने सेहत के साथ-साथ सोने के तरीके पर ध्यान देना चाहिए। गलत पोजीशन मे सोने पर बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए गर्भावस्था मे महिला को कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए। इस लेख में हम बात करेंगे गर्भावस्था में सोने के तरीके के बारे में, प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए।

    सबसे पहले ये जानना जरुरी है की गर्भावस्था के दौरान सोना मुश्किल क्यों होता है?

    प्रेगनेंसी में नींद ना आना-Pregnancy Me Neend Na Aana

    गर्भावस्था के दौरान नींद ना आना और सोने में दिक्कत होना बहुत ही सामान्य है। इसके कई कारण है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई बदलाव होते है जैसे की भ्रूण व योनि का आकार बढ़ना, स्तनों का आकार बढ़ना, बार-बार पेशाब आना और सांस लेने में दिक्कत। इतना ही नहीं, गर्भावस्था में डॉक्टर पेट के बल न सोने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे भ्रूण पर दबाव पड़ता है। इन्ही सब बातों के चलते गर्भवती महिला को ठीक तरह से नींद नहीं आती। आइए विस्तार से जानते है गर्भावस्था में नींद ना आने के कारण और उनके उपाय।

    बार-बार पेशाब आना

    गर्भावस्था की पहली तिमाही में खून का प्रवाह बढ़ने के कारण बार-बार पेशाब आता है। शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन और गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण भी ऐसा होता है। बार-बार पेशाब आने की वजह से भी नींद खराब होती है।

    बार-बार पेशाब आने की समस्या कम करने के लिए शाम के बाद पेय पदार्थ कम लें। दिनभर में जितना हो सके पेय पदार्थ का सेवन करें, लेकिन शाम को छह बजे के बाद पेय पदार्थ का सेवन कम कर दें। ऐसा करने से रात को सोते समय बार-बार शौचालय नहीं जाना पड़ेगा।

    शरीर में दर्द

    शरीर में दर्द
    शरीर में दर्द

    गर्भावस्था में मांसपेशियों और हड्डियों पर दबाव पड़ता है क्यूंकि आपका शरीर शिशु को संभालने के लिए तैयार हो रहा होता है। इस दवाब के कारण शरीर में दर्द महसूस होता है। इस दर्द के कारण भी रात को बार-बार नींद खराब होती है।

    गर्भावस्था में रात को आराम से सोने के लिए आप अपनी सुविधानुसार शैड्यूल तैयार करें। यदि रात में ठीक तरह से नींद ना आये तो आप दिन में सो कर कुछ हद नींद पूरी कर सकती हैं।

    उल्टी आना

    गर्भावस्था में कभी-कभी रात को उल्टी आने की वजह से भी नींद ठीक से नहीं आती। हलांकि जी मिचलना और उल्टी सामान्यत दिन के समय ही आम है।

    गर्भावस्था में खान-पान पर ध्यान रख के उल्टी और जी मिचलने की समस्या से बचा जा सकता है। तली और भुनी हुई चीज, मैदे से बनी चीजे ना खाए। पौष्टिक और संतुलित आहार खाएं। अदरक वाली चाय या फिर नींबू पानी का सेवन करें।

    गर्भावस्था में सोने के तरीके-Pregnancy Me Sone Ke Tarike In Hindi

    पीठ के बल सोने से बचे

    गर्भावस्था के पहली तिमाही मे आप पीठ के बल सो सकती है इसमे आपको कोई चिंता करने की ज़रूरत नही है। जब आप दूसरे तिमाही मे चली जाती हैं तो आपको पीठ के बल सोने से बचना चाहिए।

    तीसरे तिमाही मे पीठ के बल सोने पर गर्भाशय का पूरा भार आपकी पीठ पर रहता है जो आपके शरीर के निचले हिस्से से रक्त को आपके हृदय तक पहुंचाती है जिससे आपको बहुत सी परेशानिया हो सकती है जैसे पीठ दर्द, बवासीर, अपच, सांस लेने में तकलीफ़ और रक्त परिसंचरण में कठिनाई होती है।

    दाएँ करवट कम सोयें

    गर्भावस्था मे दाईं हाथ की तरफ सोना पीठ के बल सोने से ज्यादा सही है लेकिन यह उतना सुरक्षित नही है जितना की बाईं तरफ सोने से है इसका कारण यह है कि आपके दाहिने हाथ पर सोते हुए आपके जिगर पर दबाव पड़ सकता है। अगर फिर भी आपका बाई तरफ़ सोने से थकान या दबाब हो गया हो तो आप थोड़े समय के लिए दाईं तरफ करवट ले सकते हैं।

    बाएँ करवट सोना होता है अच्छा

    बाएँ करवट सोना
    बाएँ करवट सोना

    गर्भावस्था में बाएं करवट सोना अच्छा होता है यह आपको और आपके पेट मे पल रहे शिशु को स्वस्थ बनाता है | बाएं तरफ सोने से आपके और आपके शिशु के शरीर मे रक्त का प्रवाह सही तरीके से होता है जिससे आप के बेबी को भरपूर ऑक्सीजन और पोषण मिलता है। बायीं करवट मे सोने से शिशु को कोई भी चोट लगने की कम सम्भावना होती है।

    गर्भावस्था मे आप बाईं तरफ मुंह और अपने घुटनो को मोड़कर सो सकते हैं इस अवस्था मे आपको बहुत तकलीफ़ तो होगी लेकिन अगर आप चाहते है की आपका शिशु स्वस्थ और निरोगी रहे तो आपको ये तो करना ही होगा।

    इन बातों का भी रखें ध्यान-प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए

    • गर्भावस्था के शुरूआती महीनों में महिलाओं को सीधा होकर सोना चाहिए। इससे भ्रूण का विकास अच्छी तरह से होता है।
    • सोते समय अपने सिर के नीचे नर्म तकिए लगा लें। तकिया मोटा और सख्त नहीं होना चाहिए इससे बच्चे के साथ-साथ आपको भी नुकसान हो सकता है।
    • सोते समय अपने घुटनों को थोड़ा-सा मोड़ ले इससे पीठ को आराम मिलता है और कमर दर्द की समस्या नहीं होती। और एक ही मुद्रा मे बहुत देर तक ना सोऐ।
    • गर्भावस्था के दौरान महिला को बाई तरफ करवट लेकर सोना चाहिए। इससे भ्रूण में रक्त बढ़ता है और पोषण भी मिलता है।
    •  सोते समय तकिए को पैरों के बीच में रख ले इससे आपको आराम मिलेगा और आपके पेट को भी सहारा मिलेगा।
    • अगर आप एक तरफ करवट लेकर सोते है तो सोते समय अपनी पीठ के पीछे तकिया लगा लें। इससे आपको पीठ दर्द की समस्या नहीं होगी।

    गर्भावस्था के दौरान अच्छी और गहरी नींद के लिए टिप्स

    तकिया

    गर्भावस्था में अच्छी नींद के लिए तकिए का उपयोग करे। सोते समय एक से अधिक तकिये का इस्तेमाल करे। एक तकिया अपने पेट के नीचे रखें और एक अपने घुटनों के बीच में रख कर आराम से लेट जाए। इससे आपको आराम मिलेगा और अच्छी नींद आएगी। साइड पोजीशन यानि करवट ले कर आराम से सोने के लिए मैटरनिटी पिलो का इस्तेमाल भी कर सकती है।

    खानपान

    गर्भवती महिला को रात को डिनर में मिर्च-मसाले और तले हुए भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। सोने से कम से कम दो घंटे पहले हल्का भोजन करें और भोजन के बाद कुछ देर टहलें।

    मालिश

    हाथों, पैरों, गर्दन व सिर की मालिश करवाने से भी तनाव दूर होता है और आपको अच्छी नींद आती हैं।

    अच्छी और पूरी नींद हमे अगले दिन पूरी ऊर्जा के साथ फिर से काम करने के लिए तैयार करती हैं। गर्भवती महिला के लिए नींद पूरी होना और भी ज्यादा जरूरी है क्योंकि पर्याप्त नींद लेने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहतर तरीके से होता है। हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको गर्भवती महिला के लिए पर्याप्त नींद की क्यों जरुरी है और गर्भवस्था में नींद पूरी करने के लिए आप क्या क्या कर सकते है समझ आ गया होगा।

    Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

    गर्भवती महिला को कितने घंटे सोना चाहिए?

    प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अच्छी नींद नहीं ले पाती हैं। जबकि हर गर्भवती महिला के लिए पूरे दिन में 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद जरूरी है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी आवश्यक है, कम नींद लेने से शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है। लेकिन शरीर केआकार में बदलाव, हारमोन्स परिवर्तन और अन्य कईं स्वास्थ्य समस्याएं होने से अक्सर गर्भवती महिला की नींद बाधित होती है। ठीक इसी तरह बिस्तर पर सारे दिन लेटे रहना भी शिशु के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है,और एक अच्छी नींद के लिए भी ये जरूरी है कि सारा दिन बिस्तर पर न रहकर कुछ हल्के फुल्के काम करना और टहलना जरूर चाहिए। बेड़रेस्ट तभी करें, जब डॉक्टर ने सजेस्ट किया हो।

    गर्भवती महिला को कैसे रहना चाहिए?

    गर्भावस्था किसी औरत की जिंदगी का बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है, इसलिए सबसे पहले गर्भवती महिला का खुश रहना बहुत जरूरी है, इसके अलावा उसके आसपास का पारिवारिक माहौल भी खुशहाल हो तो सोने पर सुहागा। आहार पर विशेष ध्यान दें,भोजन छोटे छोटे मील में बाँटकर चार पाँच बार करें, भोजन पौष्टिक हो लेकिन अपनी रूचि का हो ताकि जी न मिचलायें,भोजन में सभी आवश्यक तत्व आइरन फोलिक एसिड़, विटामिन्स, प्रोटीन व कैल्शियम सभी हों। इसके अलावा अच्छी नींद लें,टहलें और डॉक्टर से नियमित चैकअप कराये, डॉक्टर की सलाह से आवश्यक सपलीमेंटस ले, सोनोग्राफी कराकर बच्चे का विकास सुनिश्चित करें। अच्छा साहित्य पढे़ , सोशल मीडिया पर सकारात्मक कंटेंट ही देखें, योगा और प्राणायम को किसी ट्रेनर से सीख कर अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायें।

    प्रेगनेंसी में सुबह कितने बजे उठना चाहिए?

    प्रत्येक व्यक्ति के लिए जल्दी सोना व जल्दी उठना एक आदर्श दिनचर्या का हिस्सा होता है, प्रिगनेंसी में ये और भी ज्यादा जरूरी है, अगर आप जल्दी सोकर सात घंटे की अच्छी नींद लेकर सुबह सूर्योदय के समय उठ जाती हैं और थोड़ी देर उगते सूरज की धूप लेती हैं तो सारा दिन व्यवस्थित रहेगा। एक सर्वे में पाया गया कि देर रात तक जगने वाली महिलाओं की फिटनेस सुबह उठने वालों के मुकाबले कमजोर हाेती है। ऐसी महिलाएं ज्यादातर रोजमर्रा के कामों को पूरा करने के लिए बॉडी क्लॉक के विरुद्ध जाती हैं जो शरीर की अंदरूनी कार्यशैली को अव्यवस्थित करता है। इसलिए शाम को सही समय पर हल्का भोजन करें तथा नियमित समय पर मोबाइल को खुद से दूर रखकर सोने की कोशिश करें ।

    प्रेगनेंसी में सुबह उठकर क्या खाना चाहिए?

    गर्भवती महिला को सुबह की अपनी पहली खुराक पौष्टिकता और अपनी रूचि के हिसाब से निर्धारित करनी चाहिए, इस विषय पर हमारी सलाह है..! *गर्भवती महिला सुबह उठकर सेब खा सकती हैं, ये रोगों से लड़ने में मदद करता है,इसमें फाइबर अच्छी मात्रा में होता हैऔर यह एक अच्छा एंटीऑक्सिडेंट भी है। *रात भर भीगे बादाम सुबह खाने से मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए पोषण और ऊर्जा मिलती है। *आप सुबह-सुबह दूध पी सकती हैं, अगर आपको दूध पीने से मितली या उल्टी आती है तो आप साथ में कुछ नट्स या बिस्कुट ले सकती हैं। *अगर आप फल नहीं खाना चाहती है तो आप जूस ले सकती है इससे आपको वो सारे पोषक तत्व मिलेंगे जो फल से मिलते हैं।

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