जानिए क्या हैं रोगन बादाम शिरीन के फायदे

रोगन बादाम शिरीन के फायदे

बादाम प्रकृति की दी हुई ऐसी चीज़ है जो मनुष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इन बादामों को पीसकर इनका तेल निकाला जाता है जिसे रोगन बादाम शिरीन कहा जाता है। ये हमारे लिए बहुत उपयोगी है। इनमे भरपूर मात्रा में कैल्शियम, पोटाशियम, मैग्नीशियम, विटामिन ए और विटामिन ई पाये जाते हैं। इसके इन्ही गुणों के कारण इसका प्रयोग प्राचीन समय से किया जा रहा है। चाहे त्वचा हो, बाल हो या स्वास्थ्य, ये हर तरह से आपके लिए लाभकारी है। आइये जाने रोगन बादाम शिरीन के फायदे के बारे में।

रोगन बादाम शिरीन के फायदे

दिल को बनाए स्वस्थ और जवान

बादाम रोगन आपके दिल का ख्याल रखता है। ये आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ता है। इसके लिए आप खाना पकाते समय उसमे थोड़ा सा बादाम रोगन डाल सकते है।

डार्क सर्कलस को हटाये

डार्क सर्कलस यानी काले घेरे देखने में बहुत बुरे लगते है और आपकी खूबसूरती को भी कम करते है। इनसे छुटकारा पाने के लिए आप बादाम रोगन का इस्तेमाल कर सकते है। बादाम रोगन में विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो आपकी आंखो को पोषण देता है और आंखो को आराम पहुंचाता है जिससे डार्क सर्कलस कम हो जाते है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले बादाम रोगन थोड़ा सा उँगलियों पर लेकर अच्छे से आँखों के चारों तरफ मसाज करते हुए लगाए। सुबह ठंडे पानी से चेहरे को अच्छे से धो लें।

टेनिंग को करे कम

बादाम रोगन टेनिंग को कम करने में भी आपकी मदद करता है। बादाम रोगन प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह का करता है और आपकी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है। साथ ही यह पहले से हुई टेनिंग को कम करने में भी मदद करता है।

पाये चमकदार और स्वस्थ त्वचा

बादाम रोगन स्वस्थ और चमकदार त्वचा पाने में भी आपकी मदद करता है। ये आपकी त्वचा को पोषण देकर उसे नमी देता है और कोमल बनाता है। साथ ही इसमे मौजूद ऐन्टी ओक्सीडेंट्स आपकी त्वचा के अंदर जाकर उसे हील करते है और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते है।

डैंड्रफ को रखे दूर

अगर आप डेंड्रफ की समस्या से परेशान है तो आप बादाम रोगन का इस्तेमाल कर सकते है। ये बालों की जड़ों को पोषण देता है और नमी को बनाए रखता है जिससे डैंड्रफ की समस्या दूर हो जाती है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले अरंडी के तेल या नारियल के तेल में थोड़ा सा बादाम रोगन मिला कर अपने बालों की जड़ों मे मालिश करते हुए अच्छे से लगा लें। सुबह शैम्पू की सहायता से बालों को अच्छे से धो लें। ऐसा हफ्ते में दो बार जरूर करें।

डैंड्रफ को रखे दूर
डैंड्रफ को रखे दूर

दो मुहें बालों को करे रिपेयर

बादाम रोगन दो मुहें बालों की समस्या से निजात दिलाने में बहुत लाभकारी साबित होता है। इसमे मौजूद ऐन्टी ओक्सीडेंट्स आपके बालों को पोषण प्रदान करते है जिससे दो मुहें बालों की समस्या कम हो जाती है और बाल मजबूत भी बनते है।

पाचन तंत्र को करे मजबूत

बादाम रोगन पाचन तंत्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं। इसके अंदर ऐसे मिनरल्स पाये जाते है जो आपके पाचन तंत्र को मजबूती देते है जिससे खाना जल्दी पचता है और आपको कब्ज़ जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके लिए रात को गरम दूध में थोड़ा सा बादाम रोगन मिला कर इसका सेवन करें।

एजिंग को करे कम

बादाम रोगन एजिंग को कम करने में भी बहुत लाभकारी साबित होता है। इसमे ऐन्टी एजिंग प्रॉपर्टीस पाई जाती है जो एजिंग की प्रोसैस को धीमा कर देती हैं और त्वचा जवान और दमकती हुई नज़र आती है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले बादाम रोगन की चेहरे पर अच्छे से मसाज करे। सुबह ठंडे पानी से चेहरे को अच्छे से धो लें।

त्वचा को करे मोइश्चराइज़

अगर आपकी त्वचा बहुत रूखी और ड्राई है तो आप बादाम रोगन का प्रयोग कर सकते है। बादाम रोगन आपकी त्वचा को मोइश्चराइज़ करता है और नमी को बनाए रखता है जिससे रूखापन खत्म हो जाता है। इसके लिए आप हल्के हाथो से चेहरे पर बादाम रोगन लगाए। 15 से 20 मिनट बाद चेहरे को अच्छे से पानी से धो लें।

बादाम का तेल चेहरे पर लगाने से क्या होता है?

रात में सोने जाने से पहले, अपने हाथों को धो लें और बादाम के तेल की कुछ बूंदें लेकर अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ें।अब इसे अपने पूरे चेहरे पर लगाएं और हल्‍के हाथों से कुछ देर मसाज करें। ऐसा नियमित करने से आपके चेहरे में चमक आएगी और दाग-धब्‍बे भी हल्‍के होंगे।

जानिए क्या है गिलोय टेबलेट के फायदे

गिलोय टेबलेट के फायदे

महामारी कोई भी हो चाहे वो डेंगू फैले या चिकनगुनिया, लेकिन जिस आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग अचानक बढ़ जाता है, वो है गिलोय
अनगिनत फायदों से भरी गिलोय एक बेल का प्रकार होता है। इसके फायदों के कारण लोग घर घर मे उगाने लगे है। इसकी पत्तियों का आकार पान के पत्तों के जैसा होता है और इनका रंग गाढ़ा हरा होता है। गिलोय को गुडूची भी कहते है।

गिलोय के बारे में ये भी कहा जाता है की ये जिस पेड़ को आश्रय बनाती है उसके गुण ले लेती है। इसलिए बहुत से लोग नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय का असरदार मानते है। गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड, कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम और मैगनीज भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।

आजकल गिलोय के लिए पतंजलि गिलोय घनवटी काफी चर्चा में है। सबके लिए इसे लेना आसान भी है और ये आसानी से उपलब्ध भी हैं।
पतंजलि गिलोय घनवटी के केवल और केवल गिलोय की बेल का इस्तेमाल किया गया है। यह गिलोय के तने के जूस से मिलाकर बनाई जाती है।

पतंजलि की गिलोय टेबलेट के फायदे

इम्युनिटी बढ़ाये

आज के समय मे शरीर की सबसे बड़ी जरूरत है स्ट्रांग इम्युनिटी। इम्युनिटी कमजोर होने से इंसान जल्दी जल्दी बीमार होने लगता है। ज़रा सा मौसमी बदलाव या खानपान का बदलाव सहन नही कर पाता।

गिलोय टेबलेट व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी बढ़ाकर शरीर को अंदर से मजबूत बनाती है। इस प्रकार व्यक्ति हर प्रकार के संक्रामक रोग जैसे खांसी,जुकाम, बुखार, वायरल से बचता है।

गिलोय
गिलोय

लिवर को स्वस्थ बनाए

लिवर शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। लिवर में किसी भी तरह का नुकसान शरीर की दुर्गति कर देता है। लिवर के महत्व को ध्यान में रखते हुए ही पतंजलि के गिलोय घनवटी बहुत लाभदायक है। गिलोय घनवटी के एंटी-ओक्सिडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाते है।

गिलोय टेबलेट ब्लड प्यूरीफाई करके एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम लेवल को बढ़ाती है। लिवर द्वारा किया जाने वाला कार्य तेजी से होता है। इस प्रकार लिवर की स्थिति बेहतर से बेहतर होती जाती है।

सुंदरता बढ़ाए

पुराने समय मे चेहरे पर कील मुँहासे या दाग धब्बे होने पर गिलोय के तने को पीसकर उसका लेप लगाया जाता था। तो सोचिए इसके सेवन से त्वचा को कितना फायदा होगा।

गिलोय के अंदर मिलने वाला एंटीबैक्टीरियल गुण, केवल कील मुहासों को दूर नही करता। बल्कि उनके कारण को भी जड़ से खत्म करता है। इसलिए किसी भी तरह की त्वचा सम्बन्धी परेशानी दोबारा नही होती। गिलोय टेबलेट का सेवन हमारी त्वचा को सुंदर और चमकदार बनाता है।

ब्लड प्यूरीफाई करें

पतंजलि गिलोय घनवटी में पाए जाने वाले एंटी-ओक्सिडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण ब्लड प्यूरीफाई करते है। जिससे न केवल हमारा स्वास्थ्य बेहतर होता है बल्कि सुंदरता भी निखरती है। खून की सफाई कैंसर जैसी बीमारी को दूर रखने में मदद करती है।

डायबिटीज को करे कंट्रोल-Giloy Ghan Vati For Diabetes

विशेषज्ञों के अनुसार गिलोय हाइपोग्लाईसेमिक एजेंट की तरह काम करती है और टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में असरदार भूमिका निभाती है।

गिलोय जूस (giloy juice) ब्लड शुगर के बढे स्तर को कम करती है, इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती है। इस तरह यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि है।

डेंगू, मलेरिया और स्वाइन फ्लू में असरकारक

डेंगू, मलेरिया या स्वाइन फ्लू होने पर एलोपैथी के अलावा सबसे ज्यादा गिलोय का इस्तेमाल किया जा रहा है। गिलोय का एंटीपायरेटिक गुण, बुखार में आराम देता है।

बुखार को ठीक करने के साथ साथ ये इम्युनिटी भी बढ़ाता है। जिससे बुखार जल्दी से रिवर्स नही होता।

डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाए

अगर आप कब्ज, अपच या एसिडिटी से पीड़ित है तो गिलोय इसके लिए बेहतरीन उपाय है। गिलोय टेबलेट अपच को दूर कर, कब्ज हटाती है।
कब्ज, अपच और एसिडिटी के दूर होने से भूख खुलकर लगती है जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

गिलोय टेबलेट के अन्य फायदे

  • सांस सम्बन्धी रोगों जैसे अस्थमा और खांसी में आराम दे।
  • गठिया रोग में आराम देता है।
  • खून की कमी दूर करे।
  • मधुमेह को कम करने में मदद करती है।
  • बुखार की समस्या में लीवर की रक्षा करती है।
  • शरीर की सुजन कम करती है।
  • हाथ-पैर में जलन की समस्या को दूर करती है।

गिलोय का सेवन विधि-गिलोय टेबलेट का सेवन कैसे करें

  • वयस्क दिन में दो बार एक एक गोली का सेवन करे।
  • बच्चे की उम्र कम से कम 7 साल से ऊपर हो। बच्चे को एक गोली का सेवन कराए।
  • खुराक को खाली पेट ले।
  • टेबलेट लेने के एक घण्टे बाद भोजन करे।

सेहत के गुणों से भरपूर छुआरा के फायदे

छुआरे के फायदे

छुआरे यानी सूखे हुए खजूर, खजूर जिसे रेगिस्तान की रोटी कहा जाता है। खजूर की तरह ही छुआरे भी गुणों से भरपूर होते है। सर्दियों में केवल काजू, बादाम, अखरोट ही नही लोग छुआरे को भी डेली रूटीन में शामिल करते है। बहुत पुराने समय से हमारे बुजुर्ग, छुआरा के फायदे बताते रहे है, छुआरे का सेवन बड़े, बूढ़े, बच्चे सभी कर सकते है।

आज इसी अनगिनत गुणों से भरपूर छुआरे के बारे में हम आपको बताएंगे। छुआरे केवल शरीर को गर्माहट नही देते बल्कि विभिन्न रोगों में आराम देता है।

छुआरे में पाए जाने वाले पोषक तत्व

छुआरे में प्रोटीन, फैट (वसा) 0.4, कार्बोहाइड्रेट 33.8, मिनरल्स 1.7, कैल्शियम 0.022, फास्फोरस 0.38, विटामिन बी और सी, शुगर – 85 फीसदी होते है इसके अलावा इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, फाइबर भी पाया जाता है।

छुआरा के फायदे-Chuhare Khane Ke Fayde

ओरल हाइजीन के लिए

छुआरा अपने एंटीमाइक्रोबियल गुण के कारण ओरल हाइजीन में फायदेमंद होता है। इसमे पाया जाने वाला प्रोटीन और विटामिन सी मुँह में होने वाले प्रत्येक संक्रमण को दूर करता है।

मधुमेह

यू तो मधुमेह में किसी भी प्रकार का मीठा मना होता है, लेकिन यदि मधुमेह का मरीज़ सीमित मात्रा में छुआरे का सेवन करता है तो कोई नुकसान नही होगा। क्योंकि छुआरे का प्राकृतिक मीठा कम से कम चीनी से तो बेहतर ही रहता है।

माहवारी का दर्द

यदि महिलाएं माहवारी से 2 दिन पहले से लेकर माहवारी समाप्त होने तक दूध के साथ छुआरे का सेवन करती है, तो माहवारी के दौरान होने वाले दर्द में आराम मिलता है। साथ ही कमर दर्द और पैरों में ऐंठन में भी आराम मिलता है, साथ ही माहवारी के दौरान कम रक्तस्राव भी ठीक होता है।

माहवारी की समस्या
माहवारी की समस्या

पेट की समस्याएं

छुआरे में पाया जाने वाला हाई फाइबर पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पेट की ज्यादातर समस्याए जैसे पेट से जुड़ी समस्या जैसे कब्ज, अपचन, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आंत से जुड़ा विकार) में छुआरा खाना चाहिए।

हाई फाइबर के कारण छुआरा पेट से कब्ज की समस्या को दूर करता है। इसके लिए सुबह-शाम 3 छुहारे खाने के बाद गर्म पानी पी लें।

युवा बनाये रखें

छुआरे में पाए जाने वाले तत्व एंटीएजिंग की तरह काम करते है। छुहारे में बहुत से एंटी ऑक्सीडेंट तत्व विटामिन ए, पैंटोथेनिक एसिड, जिंक, कॉपर व सिलेनियम,पॉलीफेनोल्स पाए जाते है।

ये सभी तत्व त्वचा को हानिकारक तत्वों से बचाकर, युवा और हम बनाये रखते है। त्वचा की नई कोशिकाएं बनाने में पुराने डैमेज को दूर करने मदद मिलती है।

साइटिका

साइटिका के दर्द में पूरा आराम व्यायाम और दवाओं से ही होता है, लेकिन मासपेशियो को मजबूत करने के लिए तथा दर्द में कुछ राहत के लिए छुआरे का सेवन फ़ायदेमंद रहता है।

मसल्स को मजबूत बनाए

मसल्स की मजबूती के लिए सबसे जरूरी तत्व होता है प्रोटीन। और छुआरे में प्रोटीन काफी मात्रा में होता है। छुआरे में पाया जाने वाला प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत को मजबूत बनाता है।

हृदय रोग में फायदेमंद

अभी ये शोध का विषय है कि छुआरा किस हद तक हृदय रोग में फायदेमंद है। पर यह माना जाता है कि हृदय रोग के कुछ कारणों जैसे उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, लिपिड ऑक्सीडेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है।

छुहारे में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट तत्व शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। जिससे दिल की बीमारियों का भी खतरा कम होता है।

तुरन्त ऊर्जा प्रदान करे

किसी भी कार्य मे लगने वाली ऊर्जा कार्बोहायड्रेट से मिलती है, कार्बोहाइड्रेट उर्जा उत्पन्न करने वाले प्रोसेस में ग्लोकोज बनाती है। इसलिए छुआरे में पाई जाने वाली नेचुरल शुगर से शरीर को इंस्टेंट एनर्जी मिलती है और स्टेमिना मजबूत होता है।

बालो के लिए फायदेमंद

आयरन, जिंक, सिलेनियम, विटामिन-ए और विटामिन-सी ऐसे तत्व है जो स्वस्थ्य बालो के लिए बहुत जरूरी है। ये सभी पोषक तत्व छुआरे में होते है खासतौर पर विटामिन सी और सिलेनियम।

ये तत्व बालो को झड़ने से रोकते है। बालो को खूबसूरत बनाते है। साथ ही छुआरे का एन्टी माइक्रोबियल गुण डर्मेटाइटिस या सोरायसिस से स्कैल्प का बचाव करता है।

इन गुणों के अलावा छुआरा कुछ अन्य बीमारियों में भी फायदेमंद है जैसे

  • ब्लडप्रेशर की समस्या
  • बच्चो की बिस्तर पर पेशाब की समस्या
  • खांसी
  • आंखों के रोग
  • सांस की बीमारी
  • एलर्जी या इन्फेक्शन
  • मानसिक रोग
  • एनीमिया
  • कैंसर

छुआरे के साइड इफ़ेक्ट

जरूरत से ज्यादा छुआरे के सेवन से निम्न समस्याए हो सकती है।

  • ब्लोटिंग (पेट फूलना)
  • हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर का स्तर कम होना)
  • अधिक नींद आना
  • अधिक पसीना आना
  • कंपकंपी आना

छुआरा खाने का तरीका

कैसे खाएं

साबुत, दूध में उबालकर, मिठाई में शक्कर की जगह डालकर,आप छुहारों को साबुत खा सकते हैं,सिरेल्स या मूसली में डालकर

गर्भपात से जुड़े कुछ सामान्य सवाल और जरूरी जानकारी (भाग-2)

गर्भपात से जुड़ी जानकारी

कई बार इंटरकोर्स के बाद अनचाहे गर्भ का खतरा बढ़ जाता है। कुछ सावधानियों के साथ नियमित अंतराल में गर्भपात भी किया जा सकता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ तरीकों और उनसे जुड़े कुछ आवश्यक सवाल के बारे में बताने जा रहे हैं।

बता दें कि प्रेग्नेंसी के 3 महीने बाद तक अबॉर्शन किया जा सकता है। इसके बाद गर्भपात महिला की जान के लिए खतरा बन सकता है। इसके अलावा 18 साल से कम और 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं का गर्भपात बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

गर्भ गिराने के लिए पपीता कैसे खाएं?

गर्भ गिराने के लिए पपीते का सेवन एक कारगर नुस्खा है। गर्भ गिराने के लिए कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए । कच्चे पपीते में लेटेक्स नामक पदार्थ की अधिकता होती है जो गर्भाशय को संकुचित करता है जिसके कारण गर्भपात हो जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन गर्भनिरोधक के रूप में किया जाता है ।

प्रेगनेंसी नहीं चाहिए तो क्या करना चाहिए?

वैसे तो मातृत्व सुखद एहसास है लेकिन अनचाहा गर्भ कोई नहीं चाहता । आइए जानते हैं प्रेगनेंसी रोकने के घरेलू नुस्खे यदि आप प्रेगनेंसी नहीं चाहती हैं तो असुरक्षित संभोग के बाद शलजम का सेवन करें गर्भधारण को रोकता है । इसके अलावा पपीते के बीज,आंवला,अदरक आदि के सेवन से भी अनचाहा गर्भ रोका जा सकता है। अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए नीम का तेल के कारगर उपाय है इसे वेजाइना में क्रीम के रूप में लगाकर अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है । सेक्स के बाद अजमोद के पानी का कुछ समय तक सेवन करने से भी गर्भ नही ठहरता। इन सभी घरेलू नुस्खे उनके अलावा कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां, कॉपर टी आदि कई सारे विकल्प बाजार में मौजूद हैं जिनके माध्यम से अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है ।

गर्भपात के लिए काढ़ा कैसे बनाएं?

गर्भपात के लिए कई सारे घरेलू नुस्खे उपलब्ध है परंतु उनमें से तुलसी का काढ़ा सबसे कारगर उपाय है। आइए जानते हैं गर्भपात हेतु तुलसी का काढ़ा कैसे बनाएं सामग्री दो कप पानी एक टुकड़ा अदरक 4 से 5 लौंग काली मिर्च पांच से छह पांच से छह तुलसी पत्ती दो चम्मच शहद दालचीनी 1 इंच विधि सबसे पहले एक पतीले में दो कप पानी डालकर गर्म करने के लिए रखें । अदरक , लौंग ,काली मिर्च ,तुलसी की पत्तियों और दालचीनी का पेस्ट बनाएं ।अब इस फेस को पानी में डालकर 15 से 20 मिनट तक उबालें। थोड़ा ठंडा होने दें और कप में छान कर दो चम्मच शहद मिलाएं और सेवन करें । इस काढ़े का सेवन दिन में दो बार करें ।

क्या खाने से मिसकैरेज होता है?

गर्भावस्था के दौरान कुछ ऐसी चीजें होती है जिनका सेवन करने से गर्भपात हो सकता है । आइए जानते हैं, वो चीजें कौनसी हैं - *कच्चा पपीता - कच्चे पपीते में लेटेस्ट नामक पदार्थ पाया जाता है जो गर्भपात का कारण हो सकता है । *कच्चा अंडा - कच्चे अंडे से सेलमोनेन संकर्मण का खतरा होता है जिससे गर्भपात हो सकता है । इसके अलावा कैफीन ,अल्कोहल ,अधपका या प्रोसेस्ड मीट,एलोवेरा, अन्नानास,सहजन, तिल जैसे गर्म प्रकृति की चीजों के सेवन से गर्भपात होता है ।

बच्चा कैसे गिराना चाहिए?

गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में बच्चा गिराने के तरीके - गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में बच्चा गिराने के लिए घरेलू नुस्खा का प्रयोग किया जा सकता है। घरेलू नुस्खे पपीते का सेवन, तुलसी के काढ़े का सेवन आदि कुछ कारगर उपाय हैं । 2 से 4 महीने की गर्भावस्था में बच्चा गिराने के तरीके - गर्भावस्था के समय अवधि यदि 2 महीने से अधिक हो गई हो तो इसके लिए घरेलू नुस्खा के स्थान पर अनुभवी डॉक्टर से सलाह लेकर गर्भपात की गोलियां, डी एन सी अथवा डॉक्टर द्वारा सुझाए गए अन्य तरीकों का प्रयोग कर बच्चा गिरवाना चाहिए । 6 महीने की गर्भावस्था में बच्चा गिराने के तरीके -6 महीने की गर्भावस्था तक भ्रूण का विकास काफी अधिक हो चुका होता है अतः इस अवस्था में बच्चा गिराने की किसी अनुभवी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और यदि बहुत जरूरी हो तभी बच्चा गिराने के बारे में सोचना चाहिए ।

क्या पपीता खाने से गर्भ गिर जाता है?

गर्भावस्था के दौरान पपीता खाने को लेकर कई सारे तर्क दिए जाते हैं। ये सही है की गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में कच्चे पपीते का सेवन गर्भपात का खतरा पैदा करता है । कच्चे पपीते में लेटेस्ट नाम का पदार्थ पाया जाता है जिसे कारण गर्भाशय सिकुड़ जाता है जिससे गर्भपात हो सकता है । गर्भावस्था के दौरान पापा पपीता खाया जा सकता है परंतु उसकी मात्रा बहुत ही सीमित होनी चाहिए ।

पेट में बच्चा कैसे खराब होता है?

पेट में बच्चा खराब होने के तीन प्रमुख कारण माने गए हैं 1. प्लेसेंटा अथवा गर्भनाल शिशु को पोषक तत्व, और ऑक्सीजन मिलती है यदि गर्भनाल में किसी प्रकार की समस्या होती है तो शिशु का विकास रुक जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा कभी-कभी गर्भनाल भशिशु की गर्दन की चारों ओर लपेट जाती है जिसके कारण भी शिशु की मौत हो जाती है । 2. यदि गर्भवती महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, किडनी की समस्या अथवा हाई ब्लड प्रेशर, थायराइड , डायबिटीज से ग्रसित है तब भी कभी-कभी बच्चा पेट में मर जाता है । 3. इन सबके अलावा अधिक मात्रा में धूम्रपान करने , अल्कोहल का सेवन करने या डिप्रेशन के कारण भी गर्भ में बच्चे की मौत हो जाती है ।

10 दिन का गर्भ कैसे गिराया जाता है?

10 दिन के गर्भ हो गिराना आसान होता है । 10 दिन के गर्भ को गिराने के घरेलू नुस्खा प्रयोगी सर्वोत्तम होता है। इसके लिए कच्चे पपीते का सेवन किया जा सकता है इसके अलावा तुलसी के काढ़े से भी से भी गर्भपात हो जाता है। अधिक मात्रा में शारीरिक श्रम करने से, उछल कूद करने से तथा गर्म प्रकृति की चीजों जैसे तिल, अजवाइन आदि का सेवन करने से भी 10 दिनों के गर्भ को गिराया जा सकता है ।

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा पपीता, कच्चा अंडा से गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा कैफीन ,अल्कोहल ,अधपका या प्रोसेस्ड मीट,एलोवेरा, अन्नानास,सहजन, तिल जैसे गर्म प्रकृति की चीजों के सेवन से गर्भपात होता है ।

गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें घरेलू उपाय हिंदी?

यदि आप प्रेगनेंसी नहीं चाहती हैं तो असुरक्षित संभोग के बाद शलजम का सेवन करें गर्भधारण को रोकता है । इसके अलावा पपीते के बीज,आंवला,अदरक आदि के सेवन से भी अनचाहा गर्भ रोका जा सकता है। सेक्स के बाद अजमोद के पानी का कुछ समय तक सेवन करने से भी गर्भ नही ठहरता।

क्या चीज खाने से गर्भपात हो जाता है?

*कच्चा पपीता - कच्चे पपीते में लेटेस्ट नामक पदार्थ पाया जाता है जो गर्भपात का कारण हो सकता है । *कच्चा अंडा - कच्चे अंडे से सेलमोनेन संकर्मण का खतरा होता है जिससे गर्भपात हो सकता है । इसके अलावा कैफीन ,अल्कोहल ,अधपका या प्रोसेस्ड मीट, एलोवेरा, अन्नानास, सहजन, तिल जैसे गर्म प्रकृति की चीजों के सेवन से गर्भपात होता है ।

प्रेगनेंसी में गाजर के बीज खाने से क्या होता है?

प्राचीन काल से गाजर के बीजों का सेवन गर्भनिरोधक के रूप में किया जा रहा है । गाजर के बीजों की प्रकृति गरम होती है इसलिए गर्भावस्था के दौरान इनका सेवन करने से गर्भपात होने की संभावना हो सकती है । गाजर के बीजों के स्थान पर गाजर का सेवन गर्भावस्था के दौरान लाभदायक होता है।

 

क्या है लू लगने के लक्षण व उपचार-loo lagne ke lakshan aur upay

क्या है लू लगने के लक्षण व उपचार

loo lagne ke lakshan aur upay

गर्मियों के मौसम में जब कोई व्यक्ति ज्यादा देर तक धूप के में रहता है तो उसका सिर और चेहरा गर्म हवाओं के संपर्क में आता है इसके कारण उसके शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है और  बेचैनी होने लगती है इसे लू लगना कहते हैं । लगातार 40 डिग्री से अधिक तापमान के संपर्क में रहने पर लू लग सकती है।

लू के लक्षण-loo lagne ke lakshan

लू लगने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है , बेचैनी होने लगती है, उल्टी होना, सिरदर्द और चक्कर आने लगते हैं । कभी-कभी सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है । आप शुरुआत में लू के लक्षण हल्के होते हैं परंतु यदि वक्त रहते इलाज न किया जाए तो गंभीरता बढ़ सकती है । लू लगने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है अधिक तापमान होने पर भी शरीर से पसीना नहीं निकलता है, कभी-कभी लू के लक्षण विपरीत भी हो सकते हैं जिसमें बहुत ज्यादा मात्रा में पसीना निकलना शुरू हो जाता है । शरीर का तापमान बढ़ने पर त्वचा का रंग भी लाल हो जाता है । लू लगने पर दस्त भी लग सकती है । उल्टी और दस्त होने के कारण शरीर में सोडियम और पोटेशियम की कमी हो जाती है । जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है वह लोग लू लगने पर बेहोश तक हो जाते हैं ।

बच्चों को लू लगने के लक्षण-loo lagne ke lakshan in hindi

बच्चों में लू लगने का खतरा अधिक होता है। बच्चों को लू लगने पर उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है इसके अलावा बच्चों को लू लगने के लक्षण हैं सांसो का तेजी से चलना, बार-बार प्यास लगना, चिड़चिड़ापन,होंठ सूखना, त्वचा का लाल और शुष्क होना, चक्कर आना, सिर दर्द ,उल्टी दस्त, सुस्ती अथवा बेहोशी आदि होते हैं ।

चक्कर आना
चक्कर आना

लू लगने के घरेलू उपचार

हर साल गर्मियों के मौसम में तापमान की अधिकता के कारण कई लोग लू की चपेट में आ जाते हैं और कुछ लोगों की मृत्यु तक हो जाती है। कहते हैं सावधानी ही बचाव है इसलिए आइए जानते हैं गर्मियों के मौसम में लू लगने से कैसे बचा जा सकता है

  • ज्यादा देर धूप में रहने से बचें । ज्यादा देर धूप में रहना है तो छाते का इस्तेमाल करें।
  • गर्मियों के मौसम में कभी भी खाली पेट घर से बाहर ना निकले।
  • समय-समय पर पानी पीते रहे ,शरीर में पानी की कमी ना होने दें। यदि घर से बाहर निकल रहे हैं तो अपने साथ एक बोतल पानी अवश्य रखें।
  • हल्के रंगों वाले आरामदायक सूती कपड़े पहनें ।
  • पूरी बाजू के कपड़े पहने और नंगे पांव ना निकलें।
  • मौसमी फलों जैसे खरबूज, तरबूज इत्यादि का सेवन करें । इनमे में अत्यधिक मात्रा में पानी पाया जाता है जो शरीर को हाइड्रेटेड रखता है।

लू लगने पर क्या करें

सबसे पहले व्यक्ति को किसी छायादार स्थान पर लेकर जाकर लिटाएं। शरीर को ठंडा रखने के लिए गीले कपड़े से शरीर को पोछें । यदि व्यक्ति ने टाइट कपड़े पहन रखे हैं तो उन्हें ढीला कर दें । खिड़की दरवाजे खोल दें और ताजी हवा आने दें । कूलर अथवा एसी है तो ऑन कर दें। आराम महसूस होने पर व्यक्ति को तुरंत सादा पानी अथवा ओ आर एस का घोल पिलाएं। यदि व्यक्ति बेहोश हो गया है या गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं ।

लू लगने के घरेलू उपचार

लू लगने पर अधिकतर घरेलू उपायों द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। आइए जानते हैं लू लगने के घरेलू उपचार कौन-कौन से हैं

  • लू के लक्षण लगने पर आम के पने का सेवन सबसे ज्यादा लाभदायक होता है ।
  • प्याज को भून कर उसमें पिसी हुई मिश्री और भुना हुआ जीरा मिलाकर खाने से लू में फायदा होता है। रोजाना कच्चे प्याज का सेवन करने से लू नहीं लगती ।
  • लू लगने पर नींबू पानी बनाकर पीने से भी लाभ मिलता है ।
  • पैरों के तलवे पर पुदीने की पत्तियों को पीसकर लगाने से लू में लाभ मिलता है।
  • कच्चे नारियल की गिरी को पीसकर उसके रस में काला नमक मिलाकर पीने से भी लू में तुरंत आराम मिलता है । इसके अलावा नारियल पानी के सेवन से भी लू लगने में फायदा होता है।
  • सौंफ की तासीर ठंडी होती है इसलिए सौंफ के पानी में थोड़ा सा पुदीने का रस मिलाकर देने से भी लाभ होता है ।
  • लू लगने पर व्यक्ति को अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थ जैसे नींबू पानी, छाछ, फलों का रस आदि देते रहे ।

यदि लू लगने पर गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं जैसे शरीर का सुन्न पड़ना, बेहोशी आदि ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास ले कर जाएं ।

दाने वाली खुजली का उपचार कैसे करें-Khujali Ke Gharelu Upay

दाने वाली खुजली का उपचार कैसे करें

खुजली जो एक बार हो जाए तो रात की नींद और दिन का चैन छीन लेती है। खुजली कभी किसी इन्फेक्शन, कभी किसी दवाई के साइड इफ़ेक्ट के कारण होती है। खुजली करने पर थोड़ा आराम जरूर लगता है पर यह समस्या गंभीर भी हो सकती है। आज के इस लेख में हम खुजली के कारण, हाथ और पैर में खुजली होने का कारण और दाने वाली खुजली का उपचार, खुजली को जड़ से खत्म करने का इलाज के बारे में बात करेंगे।

खुजली के प्रकार

खुजली कई प्रकार की होती है

प्रुरिटोसेप्टिव खुजली

ये सूजन, उम्र का असर या किसी इन्फेक्शन के कारण होने वाली खुजली होती है। इसके लिए डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है।

न्यूरोजेनिक खुजली

न्यूरोजेनिक मतलब न्यूरॉन्स यानी सेंट्रल नर्वस सिस्टम से रिलेटेड खुजली। ऐसी बीमारिया या दिक्कतें जो दरअसल त्वचा से नही किडनी, लिवर, खून और कैंसर से जुड़ी होती है और खुजली इन्ही में से किसी कारण से होती है।

साइकोजेनिक खुजली

ऐसी खुजली डिप्रेशन, एंग्जायटी और अन्य मानसिक विकारों के कारण हो सकती है। इसमे खुजली न होने पर भी व्यक्ति त्वचा को खुजलाता रहता है।

न्यूरोपैथिक खुजली

ये खुजली पेरिफेरल नर्वस सिस्टम से जुड़ी किसी दिक्कत के कारण होता है। यह खुजली विकार जैसे पैरेस्थेसिया (हाथों में लगातार सुई चुभने जैसा एहसास) के कारण हो सकती है। यह विकार कई बार खुजली के साथ दर्द का भी कारण बन सकते हैं।

हाथ और पैर में खुजली होने का कारण-खुजली के कारण

  • प्रदूषित हवा व पानी से
  • किसी खास भोज्य पदार्थ से एलर्जी
  • किसी दवा के साइड इफेक्ट से
  • ड्राई त्वचा
  • कॉस्मेटिक्स के साइड इफ़ेक्ट से जैसे केमिकलयुक्त हेयर डाई या हेयर कलर, क्रीम, डिओडरेंट या मेकअप प्रोडक्ट
  • मौसमी बदलाव
  • कीड़े मकोड़ो के काटने से
  • किडनी की बीमारी, आयरन की कमी या थायराइड की समस्या में हो तो खुजली हो सकती है।
  • पित्ती (हाइव्स), सोरायसिस (त्वचा पर खुजली, रैशेज और चकत्ते)
  • गर्भावस्था में पूरे शरीर में खुजली होना

दाने वाली खुजली का उपचार

दाने वाली खुजली भी कई तरह की की होती है, जैसे लाल जलन दार दानों वाली, पानी के दानों वाली, दर्दभरे दानों वाली खुजली। आज इस आर्टिकल में हम आपको दाने वाली खुजली के घरेलू उपचार बताएंगे।

आम की छाल का करें प्रयोग

आम के पेड़ की छाल और बबूल के पेड़ की छाल को बराबर मात्रा में ले। एक ली. पानी में उबाल लें और इस पानी से खुजली वाली जगह पर भाप लें। फिर इस जगह पर घी लगाएँ।

गंधक से मिले आराम

दाने वाली खुजली का उपचार करने के लिए गंधक को पीसकर नारियल के तेल में मिला ले। इस लेप को खुजली वाली जगह पर लगाए। इससे बहुत ज्यादा जलन होगी लेकिन खुजली में आराम मिलता है।

एलोवेरा दिलाये आराम

ताजे एलोवेरा को बीच से काटकर उसका पल्प खुजली की जगह रगड़े आराम मिलेगा। साथ ही ऐलोवेरा जूस का सेवन करें।

एलोवेरा
एलोवेरा

गिलोय के जूस का करें सेवन

गिलोय के जूस या काढ़े का सेवन करने से शरीर के अंदर की अशुद्धि दूर होती हैं,और खुजली में आराम मिलता है।

खुजली को जड़ से खत्म करने का इलाज है बेकिंग सोडा

नहाते समय बाथटब में एक से डेढ़ चम्मच बेकिंग सोडा मिला लें। इस पानी को खुजली वाले स्थान पर कुछ देर तक डाले और फिर साफ पानी मे नहा ले।

तुलसी के पत्तों का करें इस्तेमाल

तुलसी से दाद का इलाज करने के लिए तुलसी के पत्ते पानी मे उबाल लें। इस पानी को नहाने के पानी मे मिला ले। अब इस पानी से स्नान करें। चाहें तो तुलसी की पत्तियों का पेस्ट लगा सकते हैं। तुलसी में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल, एंटीइंफ्लेमेटरी गुण सूजन व खुजली में आराम देते है।

नींबू से खुजली का इलाज

नीबू के रस को पानी मे मिलाकर प्रभावित स्थान पर कॉटन से लगाएं। नींबू में एंटीएजिंग गुण पाए जाते हैं, जो बढ़ती उम्र के कारण होने वाली खुजली का घरेलू इलाज करने में मदद कर सकते हैं। संवेदनशील त्वचा पर इस्तेमाल न करें।

सेब का सिरका है लाभदायक

नहाने के पानी में एक कप सेब का सिरका मिलाएं। कुछ देर प्रभावित स्थान पर डाले। बाद में साफ पानी से नहा लें।

दाने वाली खुजली का उपचार हैं नीम की पत्तियां

नीम की पत्तियों को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। पेस्ट को खुजली वाली जगह पर लगाएं और कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। पानी में नीम की पत्तियों को उबालकर नहा भी सकते हैं। नीम के एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल एवं एंटीवायरल गुण हर प्रकार की खुजली में आराम देते है।

नीम के तेल से दाद का इलाज भी किया जा सकता है।

ओटमील का करें प्रयोग

ओटमील पानी में कुछ मिनट के लिए भिगो दें।अब एक सूती कपड़े में रखें और इसे कस लें। कपड़े में बंधे हुए ओटमील को पांच-दस मिनट के लिए नहाने के पानी में डाल दे, और स्नान करें।

इन सबके अलावा नारियल तेल, पुदीना, पेपरमिंट ऑयल का प्रयोग कर सकते है।

किन बातों का रखे ध्यान

  • साफ सफाई का ध्यान रखें
  • हल्के कपड़े पहनें।
  • तेज गर्म पानी से नहाने से बचें।
  • त्वचा को मॉइस्चराइज रखें।
  • कॉस्मेटिक्स का कम से कम प्रयोग करे
  • पानी वाले दानों को फोड़े नही
  • दर्द भरे दानों को बार बार न छेड़े

न करें नजरअंदाज और तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करे जब

  • खुजली गंभीर रूप ले ले।
  • आसानी से आराम न मिले।
  • खुजली का कारण समझ न आए।

सामान्य प्रश्न

शरीर में दाना क्यों निकलते हैं?

कई बार हमारे शरीर में छोटे छोटे दाने हो जाते हैं जिन में पानी भर जाता है और खुजली होती है कई बार ये दाने फंगल इंफेक्शन की वजह से होती है परंतु कभी-कभी यह हर्पीज नामक बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं । इस बीमारी को शिंगल्स के नाम से भी जाना जाता है । यह रोग उन लोगों को अधिक होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है ।यह वायरस द्वारा होने वाला रोग है ।इस बीमारी के होने पर रोगी के शरीर के एक तरफ की त्वचा पर पानी वाले दाने निकलते हैं। इस वजह से रोगी को त्वचा में खुजली या दर्द या जलन या सुन्नपन या झनझनाहट की परेशानी होती है। इतना ही नहीं, जिस जगह ये दाने निकलते हैं, वहां की त्वचा बेहद संवेदनशील हो जाती है और उसे छूने पर दर्द होता है।

खुजली में कौन सा साबुन लगाना चाहिए?

दाद, खाज, खुजली शरीर में फंगल इंफेक्शन की वजह से होती है इसके लिए हमें नहाने के लिए एंटी बैक्टीरियल साबुन का प्रयोग करना चाहिए। एंटीबैक्टीरियल साबुन जैसे Ketotosc एक ऐंटिफंगल साबुन है जो सेट्रिमाइड, नीम ऑयल, एलो वेरा ऑयल और कैमोमाइल एक्स्ट्रैक्ट से भरपूर है। इसके अलावा Tetmosol Soap भी एक असरदार साबुन है खुजली से राहत दिलाता है । इन एंटीबैक्टीरियल साबुनों का इस्तेमाल किसी भी तरह की दाद, खाज, खुजली, सफेद दाग या बैक्टीरिया में भी कर सकते हैं । एंटीबैक्टीरियल साबुन का प्रयोग करते वक्त गुनगुने पानी से नहाने से अधिक फायदा मिलता है ।

खुजली की सबसे अच्छी टेबलेट कौन सी है?

Candiforce -200 काफी कारगर होती है । इसके साथ LECOPE टेबलेट लेने से और भी बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं । यदि शरीर में खुजली से परेशान है तो Fluka-150 टैबलेट काफी कारगर साबित हो सकती है । इसके साथ सिट्राजिन टेबलेट लेने और एंटी फंगल क्रीम और एंटीफंगल सोप का प्रयोग करके खुजली से निजात पाया जा सकता है। दाने वाली खुजली के लिए candid clotrimazol cream काफी मददगार साबित हो सकती है यह क्रीम सूखी खुजली में भी काफी लाभदायक होती है । इन सभी प्रयासों के बावजूद यदि खुजली ठीक नहीं हो रही है तो किसी अच्छे त्वचा के डॉक्टर से संपर्क करें ।

दाने वाली खुजली कैसे ठीक होती है?

स्किन एलर्जी या इन्फेक्शन होने के कारण कई बार त्वचा पर छोटे छोटे दाने निकल आते हैं जिनमें खुजली होती है और पानी निकलने लगता है। इससे राहत पाने के लिए निम्न घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं = 1. एलोवेरा के पत्ते को काटकर उसका गूदा निकालकर उसे प्रभावित स्थान पर लगाने से दाने वाली खुजली ठीक हो जाती हैं। 2. शुद्ध नारियल तेल को हल्का गुनागुना करके लगाने से भी जाने वाली खुजली में आराम मिलता है । 3. टमाटर का गूदा पीसकर लगाने से भी दाने वाली खुजली में राहत मिलती है।

घर बैठे करें हेयर स्पा – आसान तरीका Hair Spa Karne Ka Tarika

हेयर स्पा

बालों की देखभाल के लिए हेयर स्पा एक प्रभावी तरीका है, जो बालों को मजबूत, मुलायम और चमकदार बनाता है। यदि आप पार्लर जाने का समय या पैसा बचाना चाहते हैं, तो घर पर ही हेयर स्पा करना एक बेहतरीन विकल्प है। इस लेख में, हम आपको घर पर हेयर स्पा करने का तरीका (Hair Spa Karne Ka Tarika) बताएंगे।

हेयर स्पा क्या है? (What is Hair Spa?)

हेयर स्पा एक विशेष उपचार है जो बालों और स्कैल्प की गहराई से सफाई, पोषण और मालिश करता है। यह प्रक्रिया बालों की गुणवत्ता में सुधार करती है, डैंड्रफ को कम करती है और बालों को स्वस्थ बनाती है।

✅ हेयर स्पा के फायदे (Benefits of Hair Spa)

  • बालों को पोषण प्रदान करता है: हेयर स्पा बालों की जड़ों तक पोषण पहुंचाता है, जिससे वे मजबूत होते हैं।
  • डैंड्रफ को कम करता है: नियमित हेयर स्पा से स्कैल्प की सफाई होती है, जिससे डैंड्रफ की समस्या कम होती है।
  • बालों को मुलायम और चमकदार बनाता है: हेयर स्पा बालों को सॉफ्ट और शाइनी बनाता है।
  • तनाव को कम करता है: सिर की मालिश से मानसिक तनाव में राहत मिलती है।
  • बालों के झड़ने को रोकता है: हेयर स्पा बालों की जड़ों को मजबूत करता है, जिससे हेयर फॉल कम होता है।

️ घर पर हेयर स्पा करने का तरीका (How to Do Hair Spa at Home)

1. बालों की सफाई (Hair Wash)

माइल्ड शैम्पू से बालों को अच्छी तरह धोएं ताकि धूल और गंदगी हट जाए।

2. तेल लगाना (Hair Oiling)

गुनगुने नारियल या बादाम के तेल से स्कैल्प की मालिश करें। इससे रक्त संचार बेहतर होता है और जड़ें मजबूत होती हैं।

मसाज
मसाज

मसाज

  • 3. स्टीमिंग (Steaming)

    एक तौलिया को गर्म पानी में भिगोकर बालों में लपेटें। इससे तेल स्कैल्प में अच्छी तरह समा जाता है।

    4. हेयर मास्क लगाना (Applying Hair Mask)

    प्राकृतिक सामग्री जैसे दही, शहद, एलोवेरा जेल या मार्केट में उपलब्ध हेयर स्पा क्रीम का प्रयोग करें।

    5. 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें

    मास्क को बालों में लगाकर 15-20 मिनट तक रहने दें।

    6. फिर से शैम्पू और कंडीशनिंग करें

    सॉफ्ट शैम्पू से बाल धोएं और हल्का कंडीशनर लगाएं।

    प्राकृतिक सामग्री से हेयर स्पा (Natural Ingredients for Hair Spa)

    सामग्री लाभ
    दही बालों को मुलायम और चमकदार बनाता है
    शहद नमी को बनाए रखता है
    एलोवेरा स्कैल्प को ठंडक और डैंड्रफ में राहत
    नारियल तेल बालों की जड़ों को मजबूत करता है

    ⚠️ हेयर स्पा करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

    • हफ्ते में एक बार से ज़्यादा हेयर स्पा न करें।
    • हमेशा केमिकल-फ्री प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें।
    • बहुत ज़्यादा गर्म पानी से परहेज करें।
    • ओवर-मसाज करने से स्कैल्प को नुकसान हो सकता है।

    ❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    Q1: क्या घर पर हेयर स्पा करना प्रभावी होता है?
    हाँ, अगर सही तरीके से किया जाए तो घर पर हेयर स्पा बालों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

    Q2: कौन-कौन से घरेलू उपाय सबसे अच्छे हैं?
    दही, शहद, एलोवेरा और नारियल तेल से बना हेयर मास्क काफी अच्छा होता है।

    Q3: हेयर स्पा करने का सबसे अच्छा समय क्या है?
    रात को सोने से पहले हेयर स्पा करना अच्छा रहता है ताकि बालों को पूरी तरह पोषण मिल सके।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

घर पर बालों में स्पा कैसे करें?

घर पर हेयर स्पा पाँच आसान स्टेप्स में कर सकते हैं। 1. सबसे पहले ऑयल को गुनगुना करके 15 से 20 मिनट तक हल्के हाथों से सिर की मसाज करें। 2.मसाज के बाद बालों को स्टीम देने के लिए गर्म पानी में कॉटन का एक मोटा टॉवल डुबोकर निचोड़ लें, इस टॉवल को बालों के चारोंओर 10 मिनट तक लपेट कर रखें। 3. स्टीम के बाद किसी माइल्ड शैंपू से हेयर वॉश करें। हेयर वॉश करने के लिए सादे पानी का इस्तेमाल करें, सर्दियों का मौसम है तो हल्का गर्म पानी लें। 4.बालों को शैंपू करने के बाद एक अच्छी क्वॉलिटी का कंडीशनर लगाना भी जरूरी है। 5. और लास्ट में हल्के गीले बालों में हेयर मास्क लगायें कम से कम 30 मिनट तक, फिर शैम्पू से बालों को धो लें।

हेयर स्पा कराने के क्या क्या फायदे हैं?

हेयर स्‍पा बालों की खूबसूरती बढाने में मदद करता है। ये रूखे और डैमेज़ बालो को हैल्दी बनाता है। साथ ही हेयर स्पा बालों का टेक्सचर और चमकदार बनाता है। बालों के फ्रिजनेस को कम करता है, जिससे बालों को मनपसंद स्टाइल दिया जा सकता है। हेयर स्पा बालों को कई तरह की परेशानियों से बचाव भी करता है। आमतौर पर स्‍पा कराने से बालों से डैन्ड्रफ, हेयर फॉल और सिर की त्वचा की समस्याएं खत्म होती हैं। इसके अलावा स्‍पा के मदद से बालों की खोयी हुई चमक और नमी को वापस आ जाती है। हेयर स्‍पा में प्रोटीन ट्रीटमेंट्स को भी शामिल किया जा सकता है ताकि आपके बाल रोजाना की विभिन्न परिस्थितियों का सामना करने लायक मज़बूत हो सकें।

सबसे अच्छा हेयर स्पा कौन सा है?

बालों की कंडीशन के हिसाब से अलग अलग स्पा अलग अलग बालों के लिए बेस्ट होते हैं..! * ड्राई हेयर के लिए कैरेटिन युक्त स्पा सबसे बेस्ट है।यह बालों को मुलायम बनाता है। * अगर बाल ऑयली हैं, तो एलोवेरा और नींबू युक्त स्पा बेहतर रहेगा। ऐलोवेरा और नींबू का मिश्रण स्कैल्प पर तेल कम करता है। *अगर बाल प्रदूषण की वजह से खराब हो गए हैं, तो आगर्न तेल या नारियल तेल युक्त हेयर स्पा बेहतर रहेगा। ये बालों को नई जान देगा और वॉल्यूम बढा़येगा। *अगर बालों में डैंड्रफ ज्यादा है, तो आपको लैवेंडर तेल युक्त स्पा का चुनाव बेहतर है। लैवेंडर तेल रूसी रोकने का सबसे बेहतर उपाय है। *अगर बाल बहुत ज्यादा झड़ते हैं या पतले हैं, तो ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त हेयर स्पा सही रहेगा। *अगर आपकी स्कैल्प ड्राई है और सिर में खुजली होती है, तो नारियल तेल युक्त हेयर स्पा अच्छा विकल्प है।

हेयर स्पा में कितने पैसे लगते हैं?

हेयर स्पा से रूखे बालों, दो मुँहे बाल, बालों का झड़ना, बेजान बाल आदि समस्याओं को दूर किया जा सकता है। हेयर स्पा प्राइस इस बात पर निर्भर करता है कि आपके बालों की लेंथ कितनी है और आप इसे किस एरिया के सैलून में करा रहे हैं, अमूमन हेयर स्पा की कीमत 500 से 1500 रुपये तक की होती है। और अगर आप हैमर स्पा घर पर ही करते हैं तो जितना पैसा आपका सामंग्री खरीदनें में लगेगा, वही कीमत होगी और ये किफा़यती ही रहेगा क्योंकि मेहनत आपकी है।

गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये, कैसे होता है तुलसी के पत्तों से गर्भपात-Tulsi Se Garbhpat

गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये

आजकल महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या अनचाहे गर्भ की होती है । प्रत्येक महिला चाहती है की यदि अनचाहा गर्भ ठहर गया है तो उसका निस्तारण घरेलू नुस्खों से हो जाए । यूं तो गर्भपात के लिए कई सारे घरेलू नुस्खे (bacha girane ke gharelu nuskhe) अपनाए जा सकते हैं परंतु इनमें से सबसे ज्यादा सुरक्षित और कारगर तरीका है तुलसी का काढ़ा। तुलसी के सेवन से गर्भाशय में संकुचन बढ़ने लगता है जिससे गर्भपात हो जाता है।
प्राकृतिक औषधीय गुणों से युक्त तुलसी एक बहुत ही लाभदायक जड़ी बूटी है जो हमारे घरों में आसानी से उपलब्ध होती है।
आइए जानते हैं गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये, कैसे होता है तुलसी के पत्तों से गर्भपात (1 mahine ka garbhpat)-

1. तुलसी के बीजों में संकुचन को प्रेरित करने की क्षमता होती है जिससे गर्भपात हो जाता है ।

2. गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक तुलसी का सेवन ब्लड शुगर लेवल को बहुत कम कर देता है जिसके कारण गर्भपात होता है ।

आइए जानते हैं गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये (bacha girane ke gharelu nuskhe):

पहली विधि –

सामग्री

1. दो का पानी
2. 4 लॉन्ग
3. एक इंच अदरक का टुकड़ा
4. 5 से 6 काली मिर्च
5. 5 से 6 तुलसी के पत्ते
6. 1 इंच दालचीनी का टुकड़ा

गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये: विधि

एक पतीले में दो कप गरम पानी चढ़ाएं। अब अदरक ,लॉन्ग ,काली मिर्च और दालचीनी का पेस्ट बनाएं । इस पेस्ट को पानी में मिलाएं और 20 मिनट तक गर्म उबलने दें । थोड़ा ठंडा करके इसे छाने और शहद मिलाएं ,तुलसी का काढ़ा तैयार है।

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का कैसे करें इलायची से गर्भपात

तुलसी का काढ़ा
तुलसी का काढ़ा

 

दूसरी विधि

सामग्री

1. आधा चम्मच तुलसी के बीज
2. 5 से 6 तुलसी के पत्ते साफ किए हुए
3. दो गिलास पानी
4. एक छोटी डली गुड़

गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये: विधि

पतीले में दो गिलास पानी डालकर गरम करने के लिए रख दें ,फिर उसमें एक चम्मच तुलसी के बीज ,5 से 6 तुलसी के पत्ते और एक छोटी डली गुड़ डालकर अच्छे से करीब पानी चौथाई रह जाने तक उबालें उसे छानकर गरम गरम सेवन करें ।

इसके अलावा गर्म पानी के साथ आधा चम्मच तुलसी के बीजों के सेवन करने से भी अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिल जाता है ।

सेवन की मात्रा – गर्भपात हेतु दिन में आधा कप तुलसी का काढ़ा प्रयोग किया जा सकता है इसे सुबह नाश्ते के बाद अथवा रात को सोने से पहले इसका सेवन किया जा सकता है।

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का अजवाइन से गर्भपात कैसे करे?

तुलसी की प्रवृत्ति गर्म होती है इसलिए इसका सेवन अधिक मात्रा में करने से बचना चाहिए आइए जानते हैं तुलसी के काढ़े का सेवन करते समय क्या क्या सावधानियां रखना आवश्यक है –

1. तुलसी में हमारे खून पतला करने की क्षमता मौजूद रहती है इसलिए यदि गर्भवती महिला खून पतला करने वाली दवाओं का सेवन कर रही है तो उसे तुलसी के काढ़े का सेवन नहीं करना चाहिए ।
2. तुलसी का उपयोग ब्लड शुगर को कम करने के लिए किया जाता है इसलिए यदि किसी महिला को लो ब्लड प्रेशर की समस्या है तो उससे तुलसी का काढ़ा नहीं लेना चाहिए।
3. मतली ,उल्टी और घबराहट आदि के लिए जाने वाली विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन करने वाली महिलाओं को भी तुलसी के काढ़े का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
4. गंभीर प्रकार की बीमारियों जैसे कैंसर ,किडनी की समस्या आदि से प्रभावित महिलाओं को भी गर्भपात के लिए तुलसी के काढ़े का सेवन करने से बचना चाहिए ।

वैसे तो तुलसी के काढ़े और तुलसी के पत्तों से गर्भपात हो जाता है परंतु यदि किसी भी प्रकार की समस्या के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

6 महीने का गर्भ कैसे गिराए?

यदि आप अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं तो इसके लिए शुरुआती 5से 6 हफ्ते का समय सबसे उचित रहता है इसके बाद जैसे-जैसे वक्त बढ़ता जाता है जटिलताएं बढ़ने लगती है । 6 महीने का गर्भ काफी बड़ा होता है इसलिए इसे गिराने के लिए किसी प्रकार के घरेलू उपाय ना अपनाएं यह गर्भवती के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है । 6 महीने के गर्भ को गिराने के लिए डॉक्टर की मदद से ही हॉस्पिटल में गर्भपात करवाएं ।

गर्भपात के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए?

यदि आपने गर्भपात के लिए अबॉर्शन किट का प्रयोग किया है किया है तो ब्लीडिंग बंद होने के तीन से चार हफ्ते बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए या सटीक परिणाम देता है परंतु अगर आप जल्दी परिणाम जानने की इच्छुक हैं तो आपको गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करके अल्ट्रासाउंड या ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए। इसके अलावा यदि आप गर्भपात के बाद गर्भधारण हेतु प्रयास कर रही हैं तो पीरियड मिस होने के हफ्ते भर बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना सही परिणाम देता है ।

बार बार गर्भपात करने से क्या होता है?

अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए कई जोड़े बार बार गर्भपात का सहारा लेते हैं। बार बार गर्भपात कराने से गर्भाशय ग्रीवा कमजोर हो जाती है किसी कारण अगली बार गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा महिला के शरीर में खून की कमी, इन्फेक्शन ,रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएं, एम्बोलिज़्म, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक आदि कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए बार बार गर्भपात कराने के स्थान पर परिवार नियोजन के तरीके अपनाकर गर्भधारण को रोकना ही ज्यादा कारगर उपाय है ।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

Tomato flu, tomato fever symptoms in hindi-टोमैटो फीवर के कारण, लक्षण और उपचार

टोमैटो फीवर के कारण, लक्षण और उपचार

Tomato flu

कोरोना वायरस महामारी का खौफ अभी तक खत्म नहीं हुआ है. इस बीच एक नई बीमारी का खतरा मंडराने लगा है, और अभी तक की जो भी रिपोर्ट आई हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि ये टमाटर बुखार छोटे बच्चों के लिए खतरा बना हुआ है। केरल के कई हिस्सों में ये वायरस पाया गया है, बता दें कि वायरस का पता चलने के बाद, इससे पीड़ित सभी लोगों की टेस्टिंग की जा रही है. राज्य में अब तक पाँच साल से कम उम्र के 80 से ज्‍यादा बच्चे इस वायरस से संक्रमित हुए हैं।

एक निवारक कदम के रूप में, आंँगनवाड़ी सुविधाओं को बंद कर दिया गया है, और अधिकारियों ने जागरूकता बढ़ाने के लिए छोटे क्षेत्रों में जागरूकता अभियान शुरू किया है।

टोमैटो फीवर क्या है?

टोमैटो फीवर एक अज्ञात वायरस बुखार है जो केरल में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में पाया गया है, और वायरस के संक्रमण से फैलता है, इससे संक्रमित बच्चों को रैशेज और फ़फ़ोले हो जाते हैं, ये रैशेज और फ़फ़ोले आमतौर पर लाल होते हैं। इसलिए इसे टोमैटो फीवर कहा जाता है, बता दें कि अभी तक ये फ्लू केरल के कुछ हिस्सों में ही पाया गया है, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर संक्रमण को रोकने के उपाय नहीं किए गए तो ये वायरस और फैल सकता है।

टोमैटो फीवर के लक्षण

टोमैटो फीवर के मुख्य लक्षण है

  • रेड रैशेज,
  • तेज बुखार
  • छाले,
  • स्किन में जलन
  • डिहाइड्रेशन

इसके अलावा, संक्रमित बच्चों में तेज बुखार, हाथों में दर्द, जोड़ों में सूजन, थकान, पेट में ऐंठन, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, खांसी, छींक और नाक बहना और हाथों के रंग में बदलाव जैसे लक्षण होते हैं.

बुखार
बुखार

क्या टोमेटो फ्लू छूत की बीमारी है?

फ्लू के अन्य मामलों की तरह, टमाटर फ्लू संक्रामक है। आपको जानकर हैरानी होगी कि टमाटर फ्लू एक छूत की बीमारी है जो छूने से फैलती है। इसलिए अगर आपके आस-पास कोई इस बीमारी से पीड़ित है तो उससे दूर रहें और खासकर बच्चों को मरीज के करीब न आने दें। यह गलती आपके बच्चे को भारी पड़ सकती है। अगर आपका बच्चा इस गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गया है, तो उसे अलग-थलग रखें और उसके आसपास थोड़ा काम करें। फिलहाल इस लेख को लिखते समय यह राहत की बात है कि टमाटर फ्लू से अब तक किसी की मौत नहीं हुई है।

टोमैटो फीवर होने पर क्या करें?

विशेषज्ञों के पास अभी तक टोमैटो फीवर को लेकर कोई विशेष जानकारी नहीं है इसलिए इसका कोई सटीक कारण और इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है। अभी इससे संक्रमित बच्चों का इलाज भी अन्य फ्लू की तरह से ही किया जा रहा है। टोमैटो फीवर के तेज़ी से फैलने के खतरे को देखते हुए सरकार द्वारा सलाह दी गई है कि इसके लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करें। इसके अलावा साफ-सफाई का उचित ध्यान रखने, सही डाइट और संक्रमित लोगों से दूरी बनाकर रखने से आप इस स्थिति का शिकार होने से अपने बच्चों को बचा सकते हैं और इस संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं।

इस तरह लें सावधानी…

  • बच्चों में कुछ भी लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर्स से सलाह लें ।
  • बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा पानी और तरल पदार्थों दें।
  • छालों पर खुजली ना करने दें।
  • कमरे का तापमान कम रखें जिससे छालों में जलन से परेशानी ना हो ।
  • बच्चों को कम तला और मसालें का खाना दें,सादा भोजन ही दें ।
  • बच्चों को कम से कम एक हफ्ते का बेड रेस्ट दें
  • कोई भी दवाई देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें ।
  • बच्चे को आइसोलेट रखें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
  • स्वस्थ बच्चों को संक्रमित बच्चों से दूर रखें ।

हमेशा याद रखिए जानकारी है तो बचाव है।

यूरिक एसिड में क्या क्या सावधानियां बरतें?

यूरिक एसिड में सावधानियां

यूरिक एसिड हमारे शरीर का वो अपशिष्ट एवं अवांछित तत्व है जो कि हमारे शरीर से बाहर न निकलने के कारण हमारे जोड़ों में इकट्ठा हो जाता है। यूरिक एसिड अकेला नहीं आता अपने साथ ढेर सारी समस्या लेकर आता है। यूरिक एसिड की सबसे बड़ी समस्या अर्थराइटिस एवं गठिया होती है। जिसकी वजह से हमारे शरीर के जोड़ो में दर्द होने लगता है। कुछ समय बाद हमारा चलना फिरना, अपने हाथ पैरों से काम करना मुश्किल हो जाता है। हमें अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से हम यूरिक एसिड को कंट्रोल कर सकते हैं। 

यूरिक एसिड बढ़ता क्यों है

हमारा शरीर किडनी और यूरिन के माध्यम से यूरिक एसिड को शरीर से बाहर विसर्जित करता है। अगर हम बहुत अधिक यूरिक एसिड वाली चीजें भोजन में लेते हैं तो हमारे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। इस अवस्था को हाइपरयूरीसीमिया कहा जाता है। इस अवस्था में फ्यूरिन की मात्रा अधिक होती है। ज्यादा यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में यूरेट क्रिस्टल जमा हो जाते हैं। यह यूरेट क्रिस्टल यूरिन को अधिक अम्लीय बना देते हैं। जिससे यूरिन शरीर से अच्छी तरह से बाहर नहीं निकाल पाता। जिसके कारण यह अपशिष्ट पदार्थ शरीर में जमा हो जाता है।

यूरिक एसिड बढ़ने के कारण

यूरिक एसिड बढ़ने का कारण हमारा खान-पान हो सकता है। अगर हम गरिष्ठ भोजन खाते हैं सी फूड, दाल, राजमा, पनीर और चावल जैसी चीजे लगातार खाते हैं तो हमारा यूरिक एसिड बढ़ जाता है।

डायबिटीज के मरीजों का यूरिक एसिड भी अक्सर बढ़ जाता है।

मोटापा यूरिक एसिड बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। मोटापे के कारण हमारी किडनी अच्छी तरह से काम नहीं कर पाती या

हम यह कह सकते हैं कि हम बहुत अधिक खाते हैं जिसके कारण हम बहुत मोटे होते हैं। बहुत मोटे होने के कारण हमारे शरीर से यूरिक एसिड यूरिन के रूप में पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाता।

बीमारियां भी है यूरिक एसिड बढ़ने का कारण

  • स्ट्रेस भी यूरिक एसिड बढ़ने का एक मुख्य कारण हो सकता है। स्ट्रेस के कारण हम तनाव में रहते हैं और हमारी किडनी पूरी तरह से फंक्शन नहीं कर पाती। जिसके कारण हमारे शरीर का यूरिक एसिड हमारे शरीर से बाहर नहीं निकल पाता।
  • पूर्वजों को, माता पिता को यह बीमारी हुई होती है तो हमें यूरिक एसिड होने की संभावना ज्यादा होती है।
  • अगर हमारे शरीर में किडनी की कोई परेशानी होती है तो किडनी प्रॉपर काम नहीं करती जिसके कारण यूरिक एसिड शरीर से बाहर नहीं निकल पाता।
  • हाइपोथायरायडिज्म के कारण शरीर से यूरिक एसिड बाहर नहीं निकल पाता है।
  • अगर किसी को कैंसर है तो कैंसर भी यूरिक एसिड बनने का एक कारण होता है। कैंसर में कीमोथेरेपी की जाती है। वह भी यूरिक एसिड के बढ़ने का कारण होती है।

यूरिक एसिड से कैसे बचे

अगर हमारा खान-पान ठीक नहीं है। हम ऐसे पदार्थों को अधिक मात्रा में लेते हैं जो यूरिक एसिड को बढ़ाते हैं तो हमारा यूरिक एसिड बढ़ जाता है।

  • शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना रोकने के लिए काफी सारा पानी पीना चाहिए। अगर व्यक्ति पानी अधिक मात्रा में पीता है यूरिक एसिड शरीर से यूरिन के रूप में बाहर निकल जाता है। किडनी को काम करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। 
  • धूम्रपान एवं शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। यूरिक एसिड के लिए शराब बहुत हानिकारक है। शराब पीने से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है।  शरीर को अगर स्वस्थ रखना है तो हमें शराब नहीं पीनी चाहिए और पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए।
  • यूरिक एसिड से बचने के लिए सबसे पहले तो हमें अपने वेट पर ध्यान देना होता है। यूरिक एसिड अधिकतर मोटे लोगों का बढ़ा हुआ होता है। अगर हम अपने वेट को संतुलित कर दें तो यूरिक एसिड अपने आप कम हो जाएगा। 

यूरिक एसिड की सही मात्रा

यूरिक एसिड के विषय में हम सभी को पता है कि शरीर में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में या कम मात्रा में नहीं होना चाहिए पर हमें यह नहीं पता कि कितना अधिक मात्रा या कम मात्रा में नहीं होना चाहिए। आइए जानते हैं कि शरीर में यूरिक एसिड किन लोगों में कितनी मात्रा में होना चाहिए।

पुरुषों में यूरिक एसिड की मात्रा 2.5 mg dl – 7 mg/dl है। अगर यूरिक एसिड की मात्रा पुरुषों में 2.5 एमजी से कम है तो इसका मतलब है शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम है। आपको अपनी डाइट में प्रोटीन बढ़ाने की आवश्यकता है अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा 7 एमजी से अधिक है तो इसका अर्थ है कि आपको अपनी डाइट को कंट्रोल करने की आवश्यकता है आपको उपयुक्त डाइट लेनी पड़ेगी।

स्त्रीयों में यूरिक एसिड की मात्रा 1.5 mg /dl – 6.5mg,/dl है। पुरुषों की ही तरह स्त्रीयों को भी अपनी डाइट का ध्यान रखना होगा। अगर आपके शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक है। तो आपको अपनी डाइट को कंट्रोल करना होगा और अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम है तो अपनी डाइट में प्रोटीन बढ़ाना होगा।

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