जानिए क्या हैं रोगन बादाम शिरीन के फायदे

रोगन बादाम शिरीन के फायदे

बादाम प्रकृति की दी हुई ऐसी चीज़ है जो मनुष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इन बादामों को पीसकर इनका तेल निकाला जाता है जिसे रोगन बादाम शिरीन कहा जाता है। ये हमारे लिए बहुत उपयोगी है। इनमे भरपूर मात्रा में कैल्शियम, पोटाशियम, मैग्नीशियम, विटामिन ए और विटामिन ई पाये जाते हैं। इसके इन्ही गुणों के कारण इसका प्रयोग प्राचीन समय से किया जा रहा है। चाहे त्वचा हो, बाल हो या स्वास्थ्य, ये हर तरह से आपके लिए लाभकारी है। आइये जाने रोगन बादाम शिरीन के फायदे के बारे में।

रोगन बादाम शिरीन के फायदे

दिल को बनाए स्वस्थ और जवान

बादाम रोगन आपके दिल का ख्याल रखता है। ये आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ता है। इसके लिए आप खाना पकाते समय उसमे थोड़ा सा बादाम रोगन डाल सकते है।

डार्क सर्कलस को हटाये

डार्क सर्कलस यानी काले घेरे देखने में बहुत बुरे लगते है और आपकी खूबसूरती को भी कम करते है। इनसे छुटकारा पाने के लिए आप बादाम रोगन का इस्तेमाल कर सकते है। बादाम रोगन में विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो आपकी आंखो को पोषण देता है और आंखो को आराम पहुंचाता है जिससे डार्क सर्कलस कम हो जाते है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले बादाम रोगन थोड़ा सा उँगलियों पर लेकर अच्छे से आँखों के चारों तरफ मसाज करते हुए लगाए। सुबह ठंडे पानी से चेहरे को अच्छे से धो लें।

टेनिंग को करे कम

बादाम रोगन टेनिंग को कम करने में भी आपकी मदद करता है। बादाम रोगन प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह का करता है और आपकी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है। साथ ही यह पहले से हुई टेनिंग को कम करने में भी मदद करता है।

पाये चमकदार और स्वस्थ त्वचा

बादाम रोगन स्वस्थ और चमकदार त्वचा पाने में भी आपकी मदद करता है। ये आपकी त्वचा को पोषण देकर उसे नमी देता है और कोमल बनाता है। साथ ही इसमे मौजूद ऐन्टी ओक्सीडेंट्स आपकी त्वचा के अंदर जाकर उसे हील करते है और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते है।

डैंड्रफ को रखे दूर

अगर आप डेंड्रफ की समस्या से परेशान है तो आप बादाम रोगन का इस्तेमाल कर सकते है। ये बालों की जड़ों को पोषण देता है और नमी को बनाए रखता है जिससे डैंड्रफ की समस्या दूर हो जाती है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले अरंडी के तेल या नारियल के तेल में थोड़ा सा बादाम रोगन मिला कर अपने बालों की जड़ों मे मालिश करते हुए अच्छे से लगा लें। सुबह शैम्पू की सहायता से बालों को अच्छे से धो लें। ऐसा हफ्ते में दो बार जरूर करें।

डैंड्रफ को रखे दूर
डैंड्रफ को रखे दूर

दो मुहें बालों को करे रिपेयर

बादाम रोगन दो मुहें बालों की समस्या से निजात दिलाने में बहुत लाभकारी साबित होता है। इसमे मौजूद ऐन्टी ओक्सीडेंट्स आपके बालों को पोषण प्रदान करते है जिससे दो मुहें बालों की समस्या कम हो जाती है और बाल मजबूत भी बनते है।

पाचन तंत्र को करे मजबूत

बादाम रोगन पाचन तंत्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं। इसके अंदर ऐसे मिनरल्स पाये जाते है जो आपके पाचन तंत्र को मजबूती देते है जिससे खाना जल्दी पचता है और आपको कब्ज़ जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके लिए रात को गरम दूध में थोड़ा सा बादाम रोगन मिला कर इसका सेवन करें।

एजिंग को करे कम

बादाम रोगन एजिंग को कम करने में भी बहुत लाभकारी साबित होता है। इसमे ऐन्टी एजिंग प्रॉपर्टीस पाई जाती है जो एजिंग की प्रोसैस को धीमा कर देती हैं और त्वचा जवान और दमकती हुई नज़र आती है। इसके लिए आप रात को सोने से पहले बादाम रोगन की चेहरे पर अच्छे से मसाज करे। सुबह ठंडे पानी से चेहरे को अच्छे से धो लें।

त्वचा को करे मोइश्चराइज़

अगर आपकी त्वचा बहुत रूखी और ड्राई है तो आप बादाम रोगन का प्रयोग कर सकते है। बादाम रोगन आपकी त्वचा को मोइश्चराइज़ करता है और नमी को बनाए रखता है जिससे रूखापन खत्म हो जाता है। इसके लिए आप हल्के हाथो से चेहरे पर बादाम रोगन लगाए। 15 से 20 मिनट बाद चेहरे को अच्छे से पानी से धो लें।

बादाम का तेल चेहरे पर लगाने से क्या होता है?

रात में सोने जाने से पहले, अपने हाथों को धो लें और बादाम के तेल की कुछ बूंदें लेकर अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ें।अब इसे अपने पूरे चेहरे पर लगाएं और हल्‍के हाथों से कुछ देर मसाज करें। ऐसा नियमित करने से आपके चेहरे में चमक आएगी और दाग-धब्‍बे भी हल्‍के होंगे।

जानिए क्या है गिलोय टेबलेट के फायदे

गिलोय टेबलेट के फायदे

महामारी कोई भी हो चाहे वो डेंगू फैले या चिकनगुनिया, लेकिन जिस आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग अचानक बढ़ जाता है, वो है गिलोय
अनगिनत फायदों से भरी गिलोय एक बेल का प्रकार होता है। इसके फायदों के कारण लोग घर घर मे उगाने लगे है। इसकी पत्तियों का आकार पान के पत्तों के जैसा होता है और इनका रंग गाढ़ा हरा होता है। गिलोय को गुडूची भी कहते है।

गिलोय के बारे में ये भी कहा जाता है की ये जिस पेड़ को आश्रय बनाती है उसके गुण ले लेती है। इसलिए बहुत से लोग नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय का असरदार मानते है। गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड, कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम और मैगनीज भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।

आजकल गिलोय के लिए पतंजलि गिलोय घनवटी काफी चर्चा में है। सबके लिए इसे लेना आसान भी है और ये आसानी से उपलब्ध भी हैं।
पतंजलि गिलोय घनवटी के केवल और केवल गिलोय की बेल का इस्तेमाल किया गया है। यह गिलोय के तने के जूस से मिलाकर बनाई जाती है।

पतंजलि की गिलोय टेबलेट के फायदे

इम्युनिटी बढ़ाये

आज के समय मे शरीर की सबसे बड़ी जरूरत है स्ट्रांग इम्युनिटी। इम्युनिटी कमजोर होने से इंसान जल्दी जल्दी बीमार होने लगता है। ज़रा सा मौसमी बदलाव या खानपान का बदलाव सहन नही कर पाता।

गिलोय टेबलेट व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी बढ़ाकर शरीर को अंदर से मजबूत बनाती है। इस प्रकार व्यक्ति हर प्रकार के संक्रामक रोग जैसे खांसी,जुकाम, बुखार, वायरल से बचता है।

गिलोय
गिलोय

लिवर को स्वस्थ बनाए

लिवर शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। लिवर में किसी भी तरह का नुकसान शरीर की दुर्गति कर देता है। लिवर के महत्व को ध्यान में रखते हुए ही पतंजलि के गिलोय घनवटी बहुत लाभदायक है। गिलोय घनवटी के एंटी-ओक्सिडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाते है।

गिलोय टेबलेट ब्लड प्यूरीफाई करके एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम लेवल को बढ़ाती है। लिवर द्वारा किया जाने वाला कार्य तेजी से होता है। इस प्रकार लिवर की स्थिति बेहतर से बेहतर होती जाती है।

सुंदरता बढ़ाए

पुराने समय मे चेहरे पर कील मुँहासे या दाग धब्बे होने पर गिलोय के तने को पीसकर उसका लेप लगाया जाता था। तो सोचिए इसके सेवन से त्वचा को कितना फायदा होगा।

गिलोय के अंदर मिलने वाला एंटीबैक्टीरियल गुण, केवल कील मुहासों को दूर नही करता। बल्कि उनके कारण को भी जड़ से खत्म करता है। इसलिए किसी भी तरह की त्वचा सम्बन्धी परेशानी दोबारा नही होती। गिलोय टेबलेट का सेवन हमारी त्वचा को सुंदर और चमकदार बनाता है।

ब्लड प्यूरीफाई करें

पतंजलि गिलोय घनवटी में पाए जाने वाले एंटी-ओक्सिडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण ब्लड प्यूरीफाई करते है। जिससे न केवल हमारा स्वास्थ्य बेहतर होता है बल्कि सुंदरता भी निखरती है। खून की सफाई कैंसर जैसी बीमारी को दूर रखने में मदद करती है।

डायबिटीज को करे कंट्रोल-Giloy Ghan Vati For Diabetes

विशेषज्ञों के अनुसार गिलोय हाइपोग्लाईसेमिक एजेंट की तरह काम करती है और टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में असरदार भूमिका निभाती है।

गिलोय जूस (giloy juice) ब्लड शुगर के बढे स्तर को कम करती है, इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती है। इस तरह यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि है।

डेंगू, मलेरिया और स्वाइन फ्लू में असरकारक

डेंगू, मलेरिया या स्वाइन फ्लू होने पर एलोपैथी के अलावा सबसे ज्यादा गिलोय का इस्तेमाल किया जा रहा है। गिलोय का एंटीपायरेटिक गुण, बुखार में आराम देता है।

बुखार को ठीक करने के साथ साथ ये इम्युनिटी भी बढ़ाता है। जिससे बुखार जल्दी से रिवर्स नही होता।

डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाए

अगर आप कब्ज, अपच या एसिडिटी से पीड़ित है तो गिलोय इसके लिए बेहतरीन उपाय है। गिलोय टेबलेट अपच को दूर कर, कब्ज हटाती है।
कब्ज, अपच और एसिडिटी के दूर होने से भूख खुलकर लगती है जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

गिलोय टेबलेट के अन्य फायदे

  • सांस सम्बन्धी रोगों जैसे अस्थमा और खांसी में आराम दे।
  • गठिया रोग में आराम देता है।
  • खून की कमी दूर करे।
  • मधुमेह को कम करने में मदद करती है।
  • बुखार की समस्या में लीवर की रक्षा करती है।
  • शरीर की सुजन कम करती है।
  • हाथ-पैर में जलन की समस्या को दूर करती है।

गिलोय का सेवन विधि-गिलोय टेबलेट का सेवन कैसे करें

  • वयस्क दिन में दो बार एक एक गोली का सेवन करे।
  • बच्चे की उम्र कम से कम 7 साल से ऊपर हो। बच्चे को एक गोली का सेवन कराए।
  • खुराक को खाली पेट ले।
  • टेबलेट लेने के एक घण्टे बाद भोजन करे।

सेहत के गुणों से भरपूर छुआरा के फायदे

छुआरे के फायदे

छुआरे यानी सूखे हुए खजूर, खजूर जिसे रेगिस्तान की रोटी कहा जाता है। खजूर की तरह ही छुआरे भी गुणों से भरपूर होते है। सर्दियों में केवल काजू, बादाम, अखरोट ही नही लोग छुआरे को भी डेली रूटीन में शामिल करते है। बहुत पुराने समय से हमारे बुजुर्ग, छुआरा के फायदे बताते रहे है, छुआरे का सेवन बड़े, बूढ़े, बच्चे सभी कर सकते है।

आज इसी अनगिनत गुणों से भरपूर छुआरे के बारे में हम आपको बताएंगे। छुआरे केवल शरीर को गर्माहट नही देते बल्कि विभिन्न रोगों में आराम देता है।

छुआरे में पाए जाने वाले पोषक तत्व

छुआरे में प्रोटीन, फैट (वसा) 0.4, कार्बोहाइड्रेट 33.8, मिनरल्स 1.7, कैल्शियम 0.022, फास्फोरस 0.38, विटामिन बी और सी, शुगर – 85 फीसदी होते है इसके अलावा इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, फाइबर भी पाया जाता है।

छुआरा के फायदे-Chuhare Khane Ke Fayde

ओरल हाइजीन के लिए

छुआरा अपने एंटीमाइक्रोबियल गुण के कारण ओरल हाइजीन में फायदेमंद होता है। इसमे पाया जाने वाला प्रोटीन और विटामिन सी मुँह में होने वाले प्रत्येक संक्रमण को दूर करता है।

मधुमेह

यू तो मधुमेह में किसी भी प्रकार का मीठा मना होता है, लेकिन यदि मधुमेह का मरीज़ सीमित मात्रा में छुआरे का सेवन करता है तो कोई नुकसान नही होगा। क्योंकि छुआरे का प्राकृतिक मीठा कम से कम चीनी से तो बेहतर ही रहता है।

माहवारी का दर्द

यदि महिलाएं माहवारी से 2 दिन पहले से लेकर माहवारी समाप्त होने तक दूध के साथ छुआरे का सेवन करती है, तो माहवारी के दौरान होने वाले दर्द में आराम मिलता है। साथ ही कमर दर्द और पैरों में ऐंठन में भी आराम मिलता है, साथ ही माहवारी के दौरान कम रक्तस्राव भी ठीक होता है।

माहवारी की समस्या
माहवारी की समस्या

पेट की समस्याएं

छुआरे में पाया जाने वाला हाई फाइबर पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पेट की ज्यादातर समस्याए जैसे पेट से जुड़ी समस्या जैसे कब्ज, अपचन, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आंत से जुड़ा विकार) में छुआरा खाना चाहिए।

हाई फाइबर के कारण छुआरा पेट से कब्ज की समस्या को दूर करता है। इसके लिए सुबह-शाम 3 छुहारे खाने के बाद गर्म पानी पी लें।

युवा बनाये रखें

छुआरे में पाए जाने वाले तत्व एंटीएजिंग की तरह काम करते है। छुहारे में बहुत से एंटी ऑक्सीडेंट तत्व विटामिन ए, पैंटोथेनिक एसिड, जिंक, कॉपर व सिलेनियम,पॉलीफेनोल्स पाए जाते है।

ये सभी तत्व त्वचा को हानिकारक तत्वों से बचाकर, युवा और हम बनाये रखते है। त्वचा की नई कोशिकाएं बनाने में पुराने डैमेज को दूर करने मदद मिलती है।

साइटिका

साइटिका के दर्द में पूरा आराम व्यायाम और दवाओं से ही होता है, लेकिन मासपेशियो को मजबूत करने के लिए तथा दर्द में कुछ राहत के लिए छुआरे का सेवन फ़ायदेमंद रहता है।

मसल्स को मजबूत बनाए

मसल्स की मजबूती के लिए सबसे जरूरी तत्व होता है प्रोटीन। और छुआरे में प्रोटीन काफी मात्रा में होता है। छुआरे में पाया जाने वाला प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत को मजबूत बनाता है।

हृदय रोग में फायदेमंद

अभी ये शोध का विषय है कि छुआरा किस हद तक हृदय रोग में फायदेमंद है। पर यह माना जाता है कि हृदय रोग के कुछ कारणों जैसे उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, लिपिड ऑक्सीडेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है।

छुहारे में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट तत्व शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। जिससे दिल की बीमारियों का भी खतरा कम होता है।

तुरन्त ऊर्जा प्रदान करे

किसी भी कार्य मे लगने वाली ऊर्जा कार्बोहायड्रेट से मिलती है, कार्बोहाइड्रेट उर्जा उत्पन्न करने वाले प्रोसेस में ग्लोकोज बनाती है। इसलिए छुआरे में पाई जाने वाली नेचुरल शुगर से शरीर को इंस्टेंट एनर्जी मिलती है और स्टेमिना मजबूत होता है।

बालो के लिए फायदेमंद

आयरन, जिंक, सिलेनियम, विटामिन-ए और विटामिन-सी ऐसे तत्व है जो स्वस्थ्य बालो के लिए बहुत जरूरी है। ये सभी पोषक तत्व छुआरे में होते है खासतौर पर विटामिन सी और सिलेनियम।

ये तत्व बालो को झड़ने से रोकते है। बालो को खूबसूरत बनाते है। साथ ही छुआरे का एन्टी माइक्रोबियल गुण डर्मेटाइटिस या सोरायसिस से स्कैल्प का बचाव करता है।

इन गुणों के अलावा छुआरा कुछ अन्य बीमारियों में भी फायदेमंद है जैसे

  • ब्लडप्रेशर की समस्या
  • बच्चो की बिस्तर पर पेशाब की समस्या
  • खांसी
  • आंखों के रोग
  • सांस की बीमारी
  • एलर्जी या इन्फेक्शन
  • मानसिक रोग
  • एनीमिया
  • कैंसर

छुआरे के साइड इफ़ेक्ट

जरूरत से ज्यादा छुआरे के सेवन से निम्न समस्याए हो सकती है।

  • ब्लोटिंग (पेट फूलना)
  • हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर का स्तर कम होना)
  • अधिक नींद आना
  • अधिक पसीना आना
  • कंपकंपी आना

छुआरा खाने का तरीका

कैसे खाएं

साबुत, दूध में उबालकर, मिठाई में शक्कर की जगह डालकर,आप छुहारों को साबुत खा सकते हैं,सिरेल्स या मूसली में डालकर

गर्भपात से जुड़े कुछ सामान्य सवाल और जरूरी जानकारी (भाग-2)

गर्भपात से जुड़ी जानकारी

कई बार इंटरकोर्स के बाद अनचाहे गर्भ का खतरा बढ़ जाता है। कुछ सावधानियों के साथ नियमित अंतराल में गर्भपात भी किया जा सकता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ तरीकों और उनसे जुड़े कुछ आवश्यक सवाल के बारे में बताने जा रहे हैं।

बता दें कि प्रेग्नेंसी के 3 महीने बाद तक अबॉर्शन किया जा सकता है। इसके बाद गर्भपात महिला की जान के लिए खतरा बन सकता है। इसके अलावा 18 साल से कम और 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं का गर्भपात बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

गर्भ गिराने के लिए पपीता कैसे खाएं?

गर्भ गिराने के लिए पपीते का सेवन एक कारगर नुस्खा है। गर्भ गिराने के लिए कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए । कच्चे पपीते में लेटेक्स नामक पदार्थ की अधिकता होती है जो गर्भाशय को संकुचित करता है जिसके कारण गर्भपात हो जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन गर्भनिरोधक के रूप में किया जाता है ।

प्रेगनेंसी नहीं चाहिए तो क्या करना चाहिए?

वैसे तो मातृत्व सुखद एहसास है लेकिन अनचाहा गर्भ कोई नहीं चाहता । आइए जानते हैं प्रेगनेंसी रोकने के घरेलू नुस्खे यदि आप प्रेगनेंसी नहीं चाहती हैं तो असुरक्षित संभोग के बाद शलजम का सेवन करें गर्भधारण को रोकता है । इसके अलावा पपीते के बीज,आंवला,अदरक आदि के सेवन से भी अनचाहा गर्भ रोका जा सकता है। अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए नीम का तेल के कारगर उपाय है इसे वेजाइना में क्रीम के रूप में लगाकर अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है । सेक्स के बाद अजमोद के पानी का कुछ समय तक सेवन करने से भी गर्भ नही ठहरता। इन सभी घरेलू नुस्खे उनके अलावा कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां, कॉपर टी आदि कई सारे विकल्प बाजार में मौजूद हैं जिनके माध्यम से अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है ।

गर्भपात के लिए काढ़ा कैसे बनाएं?

गर्भपात के लिए कई सारे घरेलू नुस्खे उपलब्ध है परंतु उनमें से तुलसी का काढ़ा सबसे कारगर उपाय है। आइए जानते हैं गर्भपात हेतु तुलसी का काढ़ा कैसे बनाएं सामग्री दो कप पानी एक टुकड़ा अदरक 4 से 5 लौंग काली मिर्च पांच से छह पांच से छह तुलसी पत्ती दो चम्मच शहद दालचीनी 1 इंच विधि सबसे पहले एक पतीले में दो कप पानी डालकर गर्म करने के लिए रखें । अदरक , लौंग ,काली मिर्च ,तुलसी की पत्तियों और दालचीनी का पेस्ट बनाएं ।अब इस फेस को पानी में डालकर 15 से 20 मिनट तक उबालें। थोड़ा ठंडा होने दें और कप में छान कर दो चम्मच शहद मिलाएं और सेवन करें । इस काढ़े का सेवन दिन में दो बार करें ।

क्या खाने से मिसकैरेज होता है?

गर्भावस्था के दौरान कुछ ऐसी चीजें होती है जिनका सेवन करने से गर्भपात हो सकता है । आइए जानते हैं, वो चीजें कौनसी हैं - *कच्चा पपीता - कच्चे पपीते में लेटेस्ट नामक पदार्थ पाया जाता है जो गर्भपात का कारण हो सकता है । *कच्चा अंडा - कच्चे अंडे से सेलमोनेन संकर्मण का खतरा होता है जिससे गर्भपात हो सकता है । इसके अलावा कैफीन ,अल्कोहल ,अधपका या प्रोसेस्ड मीट,एलोवेरा, अन्नानास,सहजन, तिल जैसे गर्म प्रकृति की चीजों के सेवन से गर्भपात होता है ।

बच्चा कैसे गिराना चाहिए?

गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में बच्चा गिराने के तरीके - गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में बच्चा गिराने के लिए घरेलू नुस्खा का प्रयोग किया जा सकता है। घरेलू नुस्खे पपीते का सेवन, तुलसी के काढ़े का सेवन आदि कुछ कारगर उपाय हैं । 2 से 4 महीने की गर्भावस्था में बच्चा गिराने के तरीके - गर्भावस्था के समय अवधि यदि 2 महीने से अधिक हो गई हो तो इसके लिए घरेलू नुस्खा के स्थान पर अनुभवी डॉक्टर से सलाह लेकर गर्भपात की गोलियां, डी एन सी अथवा डॉक्टर द्वारा सुझाए गए अन्य तरीकों का प्रयोग कर बच्चा गिरवाना चाहिए । 6 महीने की गर्भावस्था में बच्चा गिराने के तरीके -6 महीने की गर्भावस्था तक भ्रूण का विकास काफी अधिक हो चुका होता है अतः इस अवस्था में बच्चा गिराने की किसी अनुभवी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और यदि बहुत जरूरी हो तभी बच्चा गिराने के बारे में सोचना चाहिए ।

क्या पपीता खाने से गर्भ गिर जाता है?

गर्भावस्था के दौरान पपीता खाने को लेकर कई सारे तर्क दिए जाते हैं। ये सही है की गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में कच्चे पपीते का सेवन गर्भपात का खतरा पैदा करता है । कच्चे पपीते में लेटेस्ट नाम का पदार्थ पाया जाता है जिसे कारण गर्भाशय सिकुड़ जाता है जिससे गर्भपात हो सकता है । गर्भावस्था के दौरान पापा पपीता खाया जा सकता है परंतु उसकी मात्रा बहुत ही सीमित होनी चाहिए ।

पेट में बच्चा कैसे खराब होता है?

पेट में बच्चा खराब होने के तीन प्रमुख कारण माने गए हैं 1. प्लेसेंटा अथवा गर्भनाल शिशु को पोषक तत्व, और ऑक्सीजन मिलती है यदि गर्भनाल में किसी प्रकार की समस्या होती है तो शिशु का विकास रुक जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा कभी-कभी गर्भनाल भशिशु की गर्दन की चारों ओर लपेट जाती है जिसके कारण भी शिशु की मौत हो जाती है । 2. यदि गर्भवती महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, किडनी की समस्या अथवा हाई ब्लड प्रेशर, थायराइड , डायबिटीज से ग्रसित है तब भी कभी-कभी बच्चा पेट में मर जाता है । 3. इन सबके अलावा अधिक मात्रा में धूम्रपान करने , अल्कोहल का सेवन करने या डिप्रेशन के कारण भी गर्भ में बच्चे की मौत हो जाती है ।

10 दिन का गर्भ कैसे गिराया जाता है?

10 दिन के गर्भ हो गिराना आसान होता है । 10 दिन के गर्भ को गिराने के घरेलू नुस्खा प्रयोगी सर्वोत्तम होता है। इसके लिए कच्चे पपीते का सेवन किया जा सकता है इसके अलावा तुलसी के काढ़े से भी से भी गर्भपात हो जाता है। अधिक मात्रा में शारीरिक श्रम करने से, उछल कूद करने से तथा गर्म प्रकृति की चीजों जैसे तिल, अजवाइन आदि का सेवन करने से भी 10 दिनों के गर्भ को गिराया जा सकता है ।

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा पपीता, कच्चा अंडा से गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा कैफीन ,अल्कोहल ,अधपका या प्रोसेस्ड मीट,एलोवेरा, अन्नानास,सहजन, तिल जैसे गर्म प्रकृति की चीजों के सेवन से गर्भपात होता है ।

गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें घरेलू उपाय हिंदी?

यदि आप प्रेगनेंसी नहीं चाहती हैं तो असुरक्षित संभोग के बाद शलजम का सेवन करें गर्भधारण को रोकता है । इसके अलावा पपीते के बीज,आंवला,अदरक आदि के सेवन से भी अनचाहा गर्भ रोका जा सकता है। सेक्स के बाद अजमोद के पानी का कुछ समय तक सेवन करने से भी गर्भ नही ठहरता।

क्या चीज खाने से गर्भपात हो जाता है?

*कच्चा पपीता - कच्चे पपीते में लेटेस्ट नामक पदार्थ पाया जाता है जो गर्भपात का कारण हो सकता है । *कच्चा अंडा - कच्चे अंडे से सेलमोनेन संकर्मण का खतरा होता है जिससे गर्भपात हो सकता है । इसके अलावा कैफीन ,अल्कोहल ,अधपका या प्रोसेस्ड मीट, एलोवेरा, अन्नानास, सहजन, तिल जैसे गर्म प्रकृति की चीजों के सेवन से गर्भपात होता है ।

प्रेगनेंसी में गाजर के बीज खाने से क्या होता है?

प्राचीन काल से गाजर के बीजों का सेवन गर्भनिरोधक के रूप में किया जा रहा है । गाजर के बीजों की प्रकृति गरम होती है इसलिए गर्भावस्था के दौरान इनका सेवन करने से गर्भपात होने की संभावना हो सकती है । गाजर के बीजों के स्थान पर गाजर का सेवन गर्भावस्था के दौरान लाभदायक होता है।

 

क्या है लू लगने के लक्षण व उपचार-loo lagne ke lakshan aur upay

क्या है लू लगने के लक्षण व उपचार

loo lagne ke lakshan aur upay

गर्मियों के मौसम में जब कोई व्यक्ति ज्यादा देर तक धूप के में रहता है तो उसका सिर और चेहरा गर्म हवाओं के संपर्क में आता है इसके कारण उसके शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है और  बेचैनी होने लगती है इसे लू लगना कहते हैं । लगातार 40 डिग्री से अधिक तापमान के संपर्क में रहने पर लू लग सकती है।

लू के लक्षण-loo lagne ke lakshan

लू लगने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है , बेचैनी होने लगती है, उल्टी होना, सिरदर्द और चक्कर आने लगते हैं । कभी-कभी सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है । आप शुरुआत में लू के लक्षण हल्के होते हैं परंतु यदि वक्त रहते इलाज न किया जाए तो गंभीरता बढ़ सकती है । लू लगने पर शरीर का तापमान बढ़ जाता है अधिक तापमान होने पर भी शरीर से पसीना नहीं निकलता है, कभी-कभी लू के लक्षण विपरीत भी हो सकते हैं जिसमें बहुत ज्यादा मात्रा में पसीना निकलना शुरू हो जाता है । शरीर का तापमान बढ़ने पर त्वचा का रंग भी लाल हो जाता है । लू लगने पर दस्त भी लग सकती है । उल्टी और दस्त होने के कारण शरीर में सोडियम और पोटेशियम की कमी हो जाती है । जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है वह लोग लू लगने पर बेहोश तक हो जाते हैं ।

बच्चों को लू लगने के लक्षण-loo lagne ke lakshan in hindi

बच्चों में लू लगने का खतरा अधिक होता है। बच्चों को लू लगने पर उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है इसके अलावा बच्चों को लू लगने के लक्षण हैं सांसो का तेजी से चलना, बार-बार प्यास लगना, चिड़चिड़ापन,होंठ सूखना, त्वचा का लाल और शुष्क होना, चक्कर आना, सिर दर्द ,उल्टी दस्त, सुस्ती अथवा बेहोशी आदि होते हैं ।

चक्कर आना
चक्कर आना

लू लगने के घरेलू उपचार

हर साल गर्मियों के मौसम में तापमान की अधिकता के कारण कई लोग लू की चपेट में आ जाते हैं और कुछ लोगों की मृत्यु तक हो जाती है। कहते हैं सावधानी ही बचाव है इसलिए आइए जानते हैं गर्मियों के मौसम में लू लगने से कैसे बचा जा सकता है

  • ज्यादा देर धूप में रहने से बचें । ज्यादा देर धूप में रहना है तो छाते का इस्तेमाल करें।
  • गर्मियों के मौसम में कभी भी खाली पेट घर से बाहर ना निकले।
  • समय-समय पर पानी पीते रहे ,शरीर में पानी की कमी ना होने दें। यदि घर से बाहर निकल रहे हैं तो अपने साथ एक बोतल पानी अवश्य रखें।
  • हल्के रंगों वाले आरामदायक सूती कपड़े पहनें ।
  • पूरी बाजू के कपड़े पहने और नंगे पांव ना निकलें।
  • मौसमी फलों जैसे खरबूज, तरबूज इत्यादि का सेवन करें । इनमे में अत्यधिक मात्रा में पानी पाया जाता है जो शरीर को हाइड्रेटेड रखता है।

लू लगने पर क्या करें

सबसे पहले व्यक्ति को किसी छायादार स्थान पर लेकर जाकर लिटाएं। शरीर को ठंडा रखने के लिए गीले कपड़े से शरीर को पोछें । यदि व्यक्ति ने टाइट कपड़े पहन रखे हैं तो उन्हें ढीला कर दें । खिड़की दरवाजे खोल दें और ताजी हवा आने दें । कूलर अथवा एसी है तो ऑन कर दें। आराम महसूस होने पर व्यक्ति को तुरंत सादा पानी अथवा ओ आर एस का घोल पिलाएं। यदि व्यक्ति बेहोश हो गया है या गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं ।

लू लगने के घरेलू उपचार

लू लगने पर अधिकतर घरेलू उपायों द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। आइए जानते हैं लू लगने के घरेलू उपचार कौन-कौन से हैं

  • लू के लक्षण लगने पर आम के पने का सेवन सबसे ज्यादा लाभदायक होता है ।
  • प्याज को भून कर उसमें पिसी हुई मिश्री और भुना हुआ जीरा मिलाकर खाने से लू में फायदा होता है। रोजाना कच्चे प्याज का सेवन करने से लू नहीं लगती ।
  • लू लगने पर नींबू पानी बनाकर पीने से भी लाभ मिलता है ।
  • पैरों के तलवे पर पुदीने की पत्तियों को पीसकर लगाने से लू में लाभ मिलता है।
  • कच्चे नारियल की गिरी को पीसकर उसके रस में काला नमक मिलाकर पीने से भी लू में तुरंत आराम मिलता है । इसके अलावा नारियल पानी के सेवन से भी लू लगने में फायदा होता है।
  • सौंफ की तासीर ठंडी होती है इसलिए सौंफ के पानी में थोड़ा सा पुदीने का रस मिलाकर देने से भी लाभ होता है ।
  • लू लगने पर व्यक्ति को अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थ जैसे नींबू पानी, छाछ, फलों का रस आदि देते रहे ।

यदि लू लगने पर गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं जैसे शरीर का सुन्न पड़ना, बेहोशी आदि ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास ले कर जाएं ।

डार्क सर्कल्स से छुटकारा पाने के उपाय | Dark Circle Khatam Karne Ka Tarika

डार्क सर्कल्स से छुटकारा पाने के उपाय

आजकल की जिंदगी में छोटे छोटे बच्चे भी इतना ब्यस्त है कि वो अपनी रोज़ाना की की दिनचर्या पर ध्यान नहीं दे पा रहे है। सही रहन-सहन और सही खान-पान ना मिल पाने के कारण हमारे शरीर को उचित पोषण नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते लोगो की आँखों के नीचे डार्क सर्कल्स जिनको हम लोग अपनी भाषा में काले घेरे बोलते है। आज के समय में बाजार में कई ऐसे रासायनिक उत्पाद मौजूद हैं जो डार्क सर्कल खत्म करने का दावा करते हैं और नकली प्रोडक्ट्स का व्यापर करते है, तो आपको उनके झांसे में नहीं पड़ना है। आपको बढ़िया कंपनी का प्रोडक्ट ही प्रयोग  करना है। आजकल हर कोई डार्क सर्कल की समस्या से परेशान है फिर चाहे वो लड़के हो या फिर लड़कियां हों या फिर महिला-पुरुष। आखिर क्यों होते हैं डार्क सर्कल,आँखों के नीचे काले घेरे इनकी वजह क्या है।

कई बार ऐसा होता है की हम ज्यादा टाइम तक सोते रहते है तो हमारे ज्यादा सोने की वजह से डार्क सर्कल्स होने लगते है बैसे तो डार्क सर्कल्स होने के बहुत से कारण होते है तो चलिए सबसे पहले जान लेते है की डार्क सर्कल्स यानी काले घेरे का आँखों के निचे होने के क्या क्या क्या कारण है और आप इसको अपनी आँखों से कैसे मिटा सकते हो, तो चलिए सटार्ट करते है ।

डार्क सर्किल होने के कारण

  •  कई  बार ऐसा होता है की लोगों को ज्यादा टेलीविज़न और मोबाइल फोन देखने व् चलाने की आदत होती है। किसी चीज़ या वस्तु पर ज्यादा फोकस करने की वजह से भी  हमारी आंखों के नीचे काले घेरे हो जाते हैं।
  • कम पानी पीने की वजह से हमारे शरीर में अगर पानी की कमी होती है तो भी डार्क सर्कल यानि आंखों के नीचे काले घेरे होने लगते हैं। डॉक्टर्स और हकीम  लोगो का कहना ये है की शरीर में पानी की कमी से खून का सर्कुलेशन सही नहीं हो पता है और ना अच्छे से हमारे शरीर की गंदगी साफ होती है, इसकी वजह से चेहरे पर कील मुंहासे फुंसी फोड़े और डार्क सर्कल्स जैसी बीमारी तथा एलर्जी से हमे झूझना पड़ता है ।
  • लगातार धूप में रहने अथवा काम करने की वजह से चेहरे पर पिगमेंटेशन की समस्या हो जाती है और हमारे चेहरे पर आँखों के नीचे काले घेरे पड़ने लगते है, और साथ ही हमारी त्वचा का रंग भी काला व शाबला होने लगता है ।
  • सिगरेट और शराब तथा धूम्रपान के सेवन से भी आंखों के नीचे काले घेरे आने लगते  हैं। वल्कि हम जो खाते पीते भी है उसका असर भी सीधा हमारे शरीर पर पड़ता है ।
  • बहुत से लोगो को मेकअप करने का बहुत शौक होता है। खासकर लड़कियों को कुछ  ज्यादा ही होता है। कास्मेटिक को यूज़ करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन डेट निकले हुए प्रोडक्ट्स को यूज़ करने से हमारे मुँह की खाल कमज़ोर हो जाती है जिसके कारन भी हमारे चेहरे पर डार्क सर्कल्स होने लगते है।

Dark Circle Khatam Karne Ka Tarika | डार्क सर्कल्स से छुटकारा पाने के उपाय

ठंडा दूध

कहा जाता है की ठंडे दूध के लेप से भी हमारी आंखों के नीचे का कालापन दूर हो जाता है। कच्चे दूध को आपको फ्रिज में रख देना है। कुछ समय के बाद निकाल लेना है और किसी रुई या कॉटन के कपड़े की मदद से आपको अपने डार्क सर्कल्स वाली जगह पर  लगाना है ऐसे 2 दिन लगातार आपको करना होगा। आपको जल्दी ही फायदा मिलेगा।

दूध
दूध

टमाटर

जहा पर  त्वचा को कोमल और मुलायम बनाने की बात आती है तो टमाटर का नाम सबसे पहले लिए जाता है। आँखों के नीचे से डार्क सर्कल्स से छुटकारा पाने के लिए टमाटर सबसे पूर्ण उपाय है। यह नेचुरल तरीके के साथ आँखों के काले घेरे को खत्म करता है और इसके नियमित उपाय से त्वचा खिली हुई चमकी हुई नज़र आती है ।

एलोवेरा

आप अपने चेहरे के डार्क सर्कल्स यानि काले घेरो को दूर करने के लिए एलोवेरा का भी प्रयोग कर सकते हो । एलोवेरा को आँखों के नीचे रगड़ने व् डार्क सर्कल्स वाली जगह पर लगाने से डार्क सर्कल बहुत ही जल्दी खत्म हो जाते हैं।

संतरा

संतरे को बाजार से खरीदकर संतरे के छिलके को धूप में सुखाकर किसी  बर्तन में पीस ले।और इस पाउडर में थोड़ी सी मात्रा में गुलाब जल को मिलकर आपको एक लेप बना है।  और उसको आँखों के निचे यानि डार्क सर्कल्स वाली जगह पर लगाना है और ठन्डे पानी से कुछ मिनट बाद मुँह को धो लेना है।

आलू

आँखों के नीचे हुए काले घेरे दूर करने के लिए आप आलू का भी इस्तेमाल कर सकते है। आलू के रस को रूई की सहायता से आंखों के नीचे रोजाना लगाने से डार्क सर्कल्स से जल्दी ही छुटकारा मिल सकता है।

पुदीना

आँखों के लिए पुदीना बहुत ही असरदार मन जाता  है। पुदीने को पीस कर इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिक्स करें ले । और लगभग पन्द्रह मिनट के लिए इसे अपनी आँखों पर लगाएं  रखना है । और कई दिनों लगातार आपको सुबह में ये नुस्खा अपने मुँह पे लगाना है । आपको जल्दी ही असर दिखाई देने लगेगा।

जानिए क्या है आंवला,रीठा, शिकाकाई को बालों में लगाने के फायदे

आंवला रीठा शिकाकाई को बालों में लगाने के फायदे

हम सभी को काले घने एवं सुन्दर बाल बहुत पसंद होते हैं। हम अपने बालों की बढ़ाने के लिए न जाने कितने तरह के शैम्पू तेल व कंडीशनर का प्रयोग करते हैं। समय के साथ हम देखते हैं कि हमारे बाल पतले, सफ़ेद और निस्तेज होते जाते हैं। जब हम अपने बालों में शैम्पू और तेल लगाते हैं तब बाल सुन्दर लगते हैं। पर कुछ ही समय बाद वो रूखे और बेजान लगने लगते हैं। साथ ही साथ हमारे बालों में झड़ने और सफ़ेद होने जैसी समस्याएँ सर उठाने लगती हैं। तब हमें याद आते हैं अपनी दादी नानी के नुस्खे।

रीठा,आँवला, शिकाकाई को हमारी दादी नानी की भी दादी नानी सदियों से प्रयोग करती आयी हैं तो आइये जाने आर्युवेदिक गुणों की खानों को।

रीठा, आँवला, शिकाकाई-Amla Reetha And Shikakai Paste For Hair In Hindi

रीठा,आँवला, शिकाकाई तीनों को हम आर्युवेदिक औषधि की तरह प्रयोग करते हैं। ये तीनो फल बालों का त्रिफला नाम से जाने जाते हैं। आइये जानते हैं इन फलों की खूबियों को एक एक करके, तो सबसे पहले जानते हैं आँवला के बारे में।

आँवला

आँवला एक बहुत गुणकारी फल होता है। जिसे खाने के अनगिनत फायदे होते हैं। यहाँ हम बातें करते हैं आँवला बालों की सुंदरता में कितना उपयोगी है। आँवले को अंग्रेजी में गूज-बेरी कहते हैं। आँवले में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा मे पाया जाता है।

डैंड्रफ से लड़ने के लिए

आंवला, शिकाकाई, रीठा पाउडर का पेस्ट बहुत उपयोगी होता है। आंवला शिकाकाई रीठा पाउडर को मिलाकर नारियल के तेल के साथ लगाने से डैंड्रफ दूर हो जाती है।

डैंड्रफ को रखे दूर
डैंड्रफ को रखे दूर

आँवला खराब हो चुके बालों की मरम्मत करता है बालों को सफेद होने से बचाता है और बालों को झड़ने नहीं देता है

रीठा एक अच्छा हेयर क्लीनर

रीठा आवॅले की ही तरह एक फल होता है।अपने साबुन की तरह सफाई करने के गुण के कारण रीठा को सोप नट कहते हैं। रीठा में काफी एनटीआक्सीडेन्ट पाये जाते हैं जो बालों को नुकसान नहीं पहुचने देते। ये बालों को स्वस्थ रखने में अपना योगदान देते हैं।रीठा एक बेहतरीन हेयर क्लीनर का करता है। रीठा संक्रमण करने वाले माइक्रो आर्गेनिज्म का सफाया कर सर की त्वचा को साफ रखता है।

शिकाकाई

शिकाकाई फलियों के रूप में मिलती है। शिकाकाई की सूखी फलियाॅ बालों के लिये बहुत लाभदायक होती हैं। शिकाकाई की ताजा फलियाॅ भी बालों के लिए बहुत लाभदायक होती हैं। शिकाकाई का अँग्रेजी नाम एक्सा कोस्टा है। इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शिकाकाई बालों के पीएच लेबल को कम करता है। बालो के पीएच के संतुलित होने पर बालों का प्राकृतिक तेल बना रहता है पीएच लेवल के संतुलित होने पर बाल चमकदार और स्वस्थ होते हैं।

शिकाकाई के लाभ

यह बालों को मजबूती प्रदान करता है। शिकाकाई एक बेहतरीन कंडीशनर है।

आंवला रीठा शिकाकाई का प्रयोग कैसे किया जाता है-How To Use Amla Reetha Shikakai Powder On Hair

वैसे तो आंवला रीठा और शिकाकाई तीनों ही बालों के लिए बहुत उपयोगी है पर जब इन तीनों चीजों को एक साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है तो रीठा आंवला शिकाकाई की गुणवत्ता कई गुना बढ़ जाती है।

रीठा आंवला शिकाकाई इन तीनों को एक साथ पानी में रात भर भिगोकर छोड़ दे हमें एक चम्मच रीठा दो चम्मच शिकाकाई तीन चम्मच आंवला लेना है अगले दिन इस पानी को उबालकर ठंडा करने और इस पानी से बाल धोए रीठा आंवला शिकाकाई के प्रयोग से बालों की समस्याएं दूर होती है।

रीठा आंवला शिकाकाई इन तीनों को पीस ले रीठा आंवला शिकाकाई का पाउडर भी बाजार में मिलता है। हम चाहे तो इस पाउडर को भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आंवले का जूस और रीठा पाउडर शिकाकाई पाउडर और कच्चा दूध गुलाब जल इन सब को मिलाकर फेस जैसा बना ले फिर कलर लगाने वाले ब्रश से धीरे धीरे पूरे बालों में लगा ले। यह पैक बालों की हर समस्या के लिए लाभदायक है।

रीठा आंवला शिकाकाई मददगार है बालों को झड़ने से रोकने में

एक चम्मच आंवला पाउडर एक चम्मच शिकाकाई पाउडर एक चम्मच रीठा पाउडर लेकर आधा चम्मच कपूर पाउडर दो या तीन चम्मच के गुलाब जल के साथ मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बाल झड़ना बंद होते हैं

बालों का झड़ना
बालों का झड़ना

बालों को मजबूत बनाने के लिए

रीठा आंवला शिकाकाई पाउडर को नारियल तेल या फिर जैतून के तेल में ब्राह्मी के साथ मिलाकर लगाते हैं। तेल को 10 मिनट तक गर्म कर कर उसमें रीठा आंवला शिकाकाई पाउडर मिला कर रख देते हैं। फिर ब्रह्मी पाउडर मिलाकर 3 से 4 घंटे के लिए बाल में लगाते हैं। तीन-चार घंटे बाद बालों को ठंडे पानी से धो लेते हैं। रीठा आंवला शिकाकाई पाउडर बालों को मजबूती प्रदान करता है

रीठा आंवला शिकाकाई पाउडर बालों की डैंड्रफ दूर करने के लिए

रीठा पाउडर आंवला पाउडर शिकाकाई पाउडर इन तीनों को एक साथ दही नारियल तेल या देसी घी के साथ मिलाकर लगाने से डैंड्रफ की समस्या दूर होती है। इस मिश्रण को लगाकर सर की त्वचा की मालिश करने से डैंड्रफ दूर होती है

आंवला रीठा शिकाकाई पाउडर उपयोगी है बालों के दो मुंहे होने की समस्या में

आंवला पाउडर, रीठा पाउडर, शिकाकाई पाउडर को समान मात्रा में लेकर नारियल के तेल और कच्चा दूध मिलाकर बालों में लगाते हैं। यह मिश्रण बालों की जड़ों के साथ-साथ बालों के निचले हिस्से में अच्छे से लगाना चाहिए। रीठा आंवला शिकाकाई पाउडर बालों को दो मुंहे होने से रोकता है रीठा आंवला शिकाकाई पाउडर जो बाल दो मुंहे हो चुके हैं उन्हें खत्म करता है। रीठा आँवला शिकाकाई के इस मिश्रण को 2 या 3 घंटे लगाते है। या फिर 45 मिनट कम से कम लगाकर सादे पानी से धो लेना चाहिए हफ्ते में एक या दो बार इस प्रयोग को करने से बाल दो मुंहे होने कम होते है। रीठा आंवला शिकाकाई पाउडर उपयोगी है बालों को सफेद होने से रोकने में।

आंवला शिकाकाई रीठा पाउडर उपयोगी है रूखे एवं बेजान बालों में

एक लोहे की कढ़ाई में रीठा पाउडर आधा चम्मच शिकाकाई पाउडर एक चम्मच आंवला पाउडर दो चम्मच मेहंदी चार चम्मच गुड़हल के फूलों का पेस्ट आधा चम्मच लेकर दही या चाय के पानी में मिलाकर रात भर छोड़ दें। अगले दिन इस मिश्रण को तीन से चार घंटों के लिए बालों में लगा ले यह पेस्ट बालों को रंगत व चमक प्रदान करता है।

रीठा आंवला शिकाकाई पाउडर उपयोगी है तैलीय बालों के लिए

रीठा आंवला शिकाकाई पाउडर को दूध व मुल्तानी मिट्टी के साथ मिलाकर लगाने से बालों का अतिरिक्त तेल निकलता है।

आंवला रीठा शिकाकाई पाउडर उपयोगी है बालों को स्मूथ और सिल्की बनाने मे

आंवला रीठा शिकाकाई पाउडर को शहद व अंडे के साथ मिलाकर लगाने से बाल स्मूथ और सिल्की होते हैं।

जानिए क्या है तिल के तेल की मालिश के फायदे-Til Ke Tel Ke Maalish Ke Fayde

तिल के तेल की मालिश के फायदे

मालिश शरीर की हो या बालो की अलग ही आनन्द देती है। केवल शारीरिक स्वास्थ्य के नजरिये से तो ये बेहतर ही है, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य और सुंदरता बढ़ाने में भी मदद करती है। दरअसल तिल के तेल की मालिश करने से बॉडी का रक्तसंचार तेज होता है। रक्त संचार तेज होने से ऑक्सीजन भी उसी फ्लो से सभी बॉडी पार्ट में जाती है।

इसी कारण भोज्य पदार्थ से मिलने वाले विटामिन्स, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्व तेजी से बॉडी सिस्टम को मिलते है। इसी का फायदा होता है कि त्वचा तो चमकदार होती ही है, अंदर से भी हेल्थ अच्छी होती है। मालिश से हैप्पी हॉरमोन ऑक्ससीटोसिन रिलीज होता है। जिससे मानसिक तनाव दूर होता है।

तो अब आप समझ गए होंगे मालिश शारीरिक मजबूती से लेकर बालों को सुंदर बनाने और तनाव को दूर करने के लिए फायदेमंद है।

तिल के तेल की मालिश के फायदे

यूँ तो मालिश के लिए बहुत से तेल इस्तेमाल होते है। पर आज इस आर्टिकल में हम तिल के तेल की मालिश की बात करेंगे। तिल का तेल वर्षो से मालिश के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। तिल के तेल में विटामिन ई, बी कॉम्प्लेक्स, कैल्शि‍यम, मैग्नीशि‍यम, फॉस्फोरस और प्रोटीन पाया जाता है। तिल का तेल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। तिल का तेल एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल होता है।

हड्डियों में मजबूती

तिल के तेल में पाया जाने वाला प्रोटीन और एमिनो बोन्स को स्ट्रांग बनाने में मदद करता है। इसलिए ही बढ़ते बच्चो की मालिश तिल के तेल से करनी चाहिए। खासकर सर्दियों में इसका अलग ही फायदा होता है क्योंकि तिल के तेल की तासीर गर्म होती है।

मांसपेशियों को मजबूत करें

यदि आओ किसी प्रकार की बोन प्रॉब्लम से परेशान है तो तिल के तेल की मालिश करे। क्योंकि जब आपकी हड्डी सही प्रकार से अपना काम न कर रही हो तो, ये जरूरी है कि उस हड्डी के आसपास की मासपेशियो को मजबूत बनाया जाए।

तिल के तेल में मौजूद कैल्श‍ियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम आदि मसल्‍स को एक्‍टिव रखने में मदद करते हैं।

त्वचा को प्राकृतिक रूप से मुलायम बनाए

तिल के तेल में विटामिन बी और विटामिन ई पाया जाता है, तो जब आप रेगुलर तिल के तेल से मालिश करेंगे तो त्वचा को भरपूर नमी मिलेगी।

केवल त्वचा मुलायम ही नही होती बल्कि चमकदार भी बनती है।

क्रेक हील का इलाज

अगर आप हर मौसम में फटी एड़ियों से परेशान है तो, तिल का तेल आपके लिए बहुत काम की चीज़ है। तिल के तेल और मोम को मिलाकर रख ले। पैरो को अच्छे से साफ करके इसे एड़ियो पर लगाए और कॉटन सॉक्स पहन लें। जल्दी ही आपकी एड़ियां ठीक हों जाएँगी।

क्रेक हील का इलाज
क्रेक हील का इलाज

घाव भरें

शरीर के किसी भी अंग की त्वचा के जल जाने पर, तिल को पीसकर घी और कपूर के साथ लगाने पर आराम मिलता है और घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है।

ब्रैस्ट को सुडौल और सुंदर बनाए

तिल के तेल में विटामिन ए और विटामिन ई होता है। यदि आप रोज रात को स्तनों की मालिश तिल के तेल से करे तो स्तन सुडौल बनने के साथ सट्रेच मार्क्स भी दूर होते है।

तनाव दूर करें

तिल में कुछ ऐसे तत्व और विटामिन पाए जाते हैं जो तनाव और डिप्रेशन को कम करने में हेल्‍प करता है। यदि आप तिल के तेल से फुल बॉडी मसाज करते है तो मन को खुशी मिलती है। तनाव रिलीज होता है। आप अच्छा महसूस करते है।

किसी भी तरह का दर्द दूर करे

आपके शरीर मे किसी भी प्रकार का दर्द हो, आर्थराइटिस, गाउट, फ्रैक्चर के ठीक होने के बाद का दर्द, स्ट्रेन, स्प्रेन। सभी तरह के दर्द में तिल के मालिश गजब का असर दिखाता है।

तिल के तेल में कपूर मिलाकर प्रभावित स्थान पर मालिश करे। कुछ ही दिन में आपको दर्द में आराम मिलने लगेगा।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

बालों के लिए कौन सा तेल सही है?

बालो के लिए सबसे अच्छा कैस्टर आयल होता है। यह बालो को घना करता है।

बालों में तेल कब और कैसे लगाएं?

बालो मे तेल हमेशा रात मे लगाऐ और अगली सुबह धो ले।अपनी उंगलियों को तेल मे डुबोकर बालो के हिस्से कर के सिर पर हल्के हाथो से पूरे सिर पर लगाऐ और थोड़ी देर मसाज करे।

बालों में गर्म तेल लगाने से क्या होता है?

हल्के गर्म तेल से मसाज करने पर डैंड्रफ की समस्या में काफी फायदा होता है। हल्के गर्म तेल से मसाज करने पर बालों का झड़ना कम होता है।ये बालों को पोषण देने का काम करता है जिससे बालों की जड़ें मजबूत बनती है, हल्के गर्म तेल से मसाज करने पर डैंड्रफ की समस्या में काफी फायदा होता है।

घर पर बालों के लिए तेल कैसे बनाएं?

तेल घर पर बनाने के लिए आपको 120 ग्राम आंवला पाउडर, 1 लीटर पानी और 250 मिली नारियल के तेल की जरूरत पड़ेगी। सबसे पहले 100 ग्राम आंवला पाउडर को 1 लीटर पानी के साथ तब तक उबालें जब तक कि लिक्विड आधा न रह जाए, दूसरे पैन में नारियल का तेल, बचा हुआ आंवला पाउडर और उबले हुए लिक्विड को मिलाकर धीमी आंच पर तब तक उबालें जब तक कि सारा पानी वाष्पीकृत न हो जाए। आखिर में पैन में पीला और पारदर्शी तरल शेष बचेगा। इसे किसी बोतल में भरकर रख लें।

क्या कैल्शियम की कमी से बाल झड़ते हैं?

कैल्शियम की कमी से बाल तेजी से झड़ने लगते है।

बीमारियों से निजात के लिए जाने हरसिंगार का पत्ता के फायदे

हरसिंगार का पत्ता के फायदे

हरसिंगार का नाम वनस्पति शास्त्र और आयुर्वेद में काफी प्रचलित है। इसका बोटैनिकल नेम निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस है। इसका लगभग हर एक भाग मेडिकल में प्रयोग किया है। दरअसल हरसिंगार के पत्तों में आर्थराइटिस को दूर करने के गुण होते हैं। इसके अलावा, पत्तियों के काढ़े से लीवर की रक्षा करने वाले, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एनाल्जेसिक, एंटीपायरेटिक, एंटी-इंफ्लैमेटरी, एंटीस्पास्मोडिक, हाइपोटेंसिव जैसे गुण भी पाए जा सकते हैं। इसकी पत्तियों में एंटी-लीशमैनियल गुण भी होते हैं, जो शरीर में परजीवियों को खत्म करने, जैसे पेट की कीड़ों की समस्या दूर करने में भी मदद कर सकते हैं। आज हम आपको बताते हैं कि हरसिंगार का पत्ता के फायदे और हरसिंगार का सेवन करने से आपको किन-किन बीमारियों से निजात मिल सकती है।

हरसिंगार की पत्तियों में निम्न औषधीय गुण होते है।

  • टैनिन एसिड
  • बीटा-एमिरिन
  • बीटा-सिटोस्टेरोल
  • लिनोलिक एसिड
  • मेथिलसेलिसिलेट
  • डी-मैनिटोल
  • हेंट्रिएकॉन्टेन
  • बेंजोइक एसिड
  • एस्ट्रैगलिन
  • निकोटिफ्लोरिन
  • ओलीनोलिक एसिड
  • नेक्टेन्थिक एसिड फ्राइडेलिन
  • विटामिन सी
  • विटामिन ए

और पढ़ें: जानिए क्या है मुनक्का के बीज के फायदे आपकी सेहत के लिए

हरसिंगार का पत्ता के फायदे-Harsingar Leaves Benefits In Hindi

जॉइंट्स पेन या गठिया

हरसिंगार के पत्तो का इस्तेमाल जोड़ो के दर्द के लिए बहुतायत से किया जाता है। शुरुआत में इसके काढ़े का प्रयोग कम मात्रा में करें। इससे आप अपने शरीर पर इसके असर से अवगत रहेंगे।

जॉइंट्स पेन
जॉइंट्स पेन

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार के पत्तो को धोकर छोटा छोटा काट ले, अब इसे पानी मे उबाले। पानी को ढक कर उबाले ताकि इसके गुण भाप के रूप में न उड़े।
पानी आधा रह जाने पर इसे छान लें। सुबह खाली पेट हल्का गुनगुना करके पिए। यदि आपको ये काढ़ा खाली पेट लगता है तो, हल्के नाश्ते के बाद इसका सेवन करें।

और पढ़ें: जानिए यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए

खांसी

यदि आपको काफी लंबे समय से खांसी की समस्या है, तो इसका प्रयोग जरूर करें। खांसी के लिए आप हरसिंगार के पत्तो के साथ फूलों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार के 3 से 4 पत्तियां ले, हार सिंगार का एक फूल ले, थोड़ी सी अदरक और दो पत्ते तुलसी के पानी मे उबाले।
थोड़ी देर उबलने पर छान लें। हल्का गुनगुना पी ले। इसमे बहुत थोड़ा सा शहद मिला कर दे सकते है। 5 साल से छोटे बच्चे को न दे।

बुखार

हरसिंगार के पत्तो को आप बुखार की रिकवरी स्टेज में या बुखार की शुरुआत में इस्तेमाल कर सकते है। चिकित्सको के अनुसार हरसिंगार का काढ़ा डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बूखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है।

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार के पत्तो का रस निकाल ले या बारीक काटकर पानी मे उबाले, शहद तथा अदरक के साथ सेवन करें। बुखार में आराम मिलेगा। यदि आप स्वस्थ है, और घर मे किसी को संक्रामक बुखार है तो भी इसी का सेवन करें।

साइटिका और कमरदर्द

साइटिका और कमर दर्द में हरसिंगार पर निर्भर ना रहे, उसके लिए साइटिका और कमरदर्द का कारण और उसके हिसाब से इलाज जैसे कि फिजियोथेरेपी जरूरी है। लेकिन साथ साथ हरसिंगार का सेवन करने से इस रोग में तीव्रता से आराम मिलता है।

कैसे प्रयोग करें

दो कप पानी में हरसिंगार के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे अंच से उतार लें। इस काढ़े को दिन में दो बार – प्रातः खाली पेट एवं सायं भोजन के एक डेढ़ घंटा पहले पियें। इस काढ़े का प्रयोग कम से कम 7 दिन तक अवश्य करना चाहिए । एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।

बवासीर या पाईल्स

बवासीर या पाईल्स के लिए हरसिंगार के पत्ते तो नही लेकिन उसके बीज बहुत ही लाभदायक है। खानपान में बदलाव व उपयुक्त जीवनशैली के साथ हरसिंगार के बीजों का प्रयोग लाभ देता है।

कैसे प्रयोग करें

आप हरसिंगार के बीजों को दो प्रकार से प्रयोग कर सकते है। चाहे तो एक बीज का सेवन प्रतिदिन करें, या गुदाद्वार में सूजन या मस्से हों तो हरसिंगार के बीजों का लेप बनाकर गुदा पर लगाए।

सुंदरता बढ़ाए

चेहरे की सुंदरता की सही पहचान होती है चमकदार त्वचा। इसके लिए भी हरसिंगार के पत्ते और फूलों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार के पत्तो और फूलों का पेस्ट बनाकर उबटन में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। त्वचा उजली व चमकदार बनेगी। लेकिन चेहरे पर इसका प्रयोग करने से पहले स्किन पर पैच टेस्ट जरूर कर ले।

हृदय रोग व मांसपेशियों का दर्द

हृदय रोग व मांसपेशियों के दर्द में हार सिंगार के फूल व पत्तो का रस बहुत ही लाभदायक है।

कैसे प्रयोग करें

10 से 12 फूलों का रस निकाल सुबह शाम सेवन करने से हृदय मजबूत होता है। हरसिंगार के पत्तो का काढ़ा किसी भी प्रकार के संक्रमण, मांसपेशियों के दर्द में बहुत लाभ देता है।

अस्थमा

यदि आपको अस्थमा या सांस की किसी भी प्रकार की दिक्कत है तो हरसिंगार की छाल का प्रयोग करें।

कैसे प्रयोग करें

हरसिंगार की छाल का चूर्ण पंसारी की दुकान से ले ले, एक से डेढ़ चुटकी छाल का चूर्ण पान के पत्ते में रखकर धीरे धीरे चूसे। प्रदूषण वाले स्थानों से दूर रहे।

स्त्री रोग

यदि आप एक महिला है और आपको किसी भी तरह स्त्री विशेष परेशानी जैसे यूरिन इन्फेक्शन, लिकोरिया तो हरसिंगार का प्रयोग करें।
हरसिंगार की 7 कोंपलों (नयी पत्तियों) को पाँच काली मिर्च के साथ पीसकर प्रातः खाली पेट सेवन करने से विभिन्न स्त्री रोगों में लाभ मिलता है।

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इम्युनिटी पावर

हरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर आप नियमित रूप से भी सेवन कर सकते है। इसका सेवन करने से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, बालो मे रूसी की समस्या में भी बेहद फायदेमंद है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

हरसिंगार के पत्ते के क्या क्या फायदे हैं?

हरसिंगार को पारिजात के नाम से भी जाना जाता है। हरसिंगार के पत्ते बहुत ही फायदेमंद होते हैं । हरसिंगार के पत्ते बुखार को ठीक करने काम करते हैं । यदि किसी व्यक्ति के प्लेटलेट कम हो गया हो तो हरसिंगार के पत्तों का सेवन करने से प्लेटलेट काउंट बढ़ जाता हैं । हरसिंगार के पत्तों की सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है । सूखी खांसी, अस्थमा तथा ब्रोंकाइटिस में भी हरसिंगार के पत्ते बहुत लाभदायक होते हैं । गठिया रोग में भी हरसिंगार के पत्तों का सेवन फायदेमंद होता है इसके अलावा लीवर के बढ़ने तथा फैटी लीवर में भी हरसिंगार के पत्तों का सेवन करने की सलाह दी जाती है । इसके पत्तों का रस निकालकर लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं ।

हरसिंगार के पत्ते कितने दिन पीना चाहिए?

हरसिंगार के पत्तों का सेवन मुख्य रूप से दो प्रकार से किया जा सकता है । पहला पत्तों को पीसकर उसके रस का सेवन करना ,दूसरा पत्तों का काढ़ा बनाकर उसका सेवन करना । हरसिंगार के पत्तों का सेवन लगभग एक हफ्ते तक किया जा सकता है इससे अधिक सेवन करने से बचना चाहिए। वहीं हरसिंगार के काढ़े का प्रयोग दिन में दो बार, एक हफ्ते तक किया जा सकता है । अधिक मात्रा में हरसिंगार के पत्तों का सेवन करने से नुकसान हो सकते हैं इसलिए इसका उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए।

हरसिंगार के पत्तों का उपयोग कैसे करें?

हरसिंगार के पत्तों का निम्न प्रकार किया जा सकता है 1. पत्तों का रस निकालकर - प्रतिदिन पांच से सात हरसिंगार के पत्तों पीसकर उनका रस हल्का गुनगुना करके सेवन करने से गठिया, ह्रदय रोग, जुकाम खांसी जैसे कई रोगों में लाभ मिलता है। 2. काढ़ा बनाकर- 7 से 8 हरसिंगार के पत्तों को पानी में मिलाकर उनका काढ़ा बनाकर सेवन किया जाता है जिससे रक्त में प्लेटलेट्स की कमी, गठिया रोग, फैटी लीवर आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है । 3. पाउडर बनाकर -हरसिंगार के पत्तों को सुखाकर उनका पाउडर बनाकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर उसका सेवन करने से खांसी जुकाम में लाभ मिलता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 4. फेस पैक बनाकर - हरसिंगार के पत्तों और फूलों को पीसकर चेहरे पर लगाने से झाइयों और दाग धब्बों से छुटकारा मिलता है ।

हरसिंगार कौन कौन सी बीमारी में काम आता है?

हरसिंगार में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं । बुखार, जुकाम खांसी, फैटी लीवर या बढ़े हुए लीवर, गठिया रोग, जोड़ों के दर्द, रक्त में प्लेटलेट्स की कमी, साइटिका, बवासीर, त्वचा की झाइयोंऔर दाग दाग धब्बों , ह्रदय रोग ,अस्थमा आदि लोगों में लाभदायक होता है इसके अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है ।

दाने वाली खुजली का उपचार कैसे करें-Khujali Ke Gharelu Upay

दाने वाली खुजली का उपचार कैसे करें

खुजली जो एक बार हो जाए तो रात की नींद और दिन का चैन छीन लेती है। खुजली कभी किसी इन्फेक्शन, कभी किसी दवाई के साइड इफ़ेक्ट के कारण होती है। खुजली करने पर थोड़ा आराम जरूर लगता है पर यह समस्या गंभीर भी हो सकती है। आज के इस लेख में हम खुजली के कारण, हाथ और पैर में खुजली होने का कारण और दाने वाली खुजली का उपचार, खुजली को जड़ से खत्म करने का इलाज के बारे में बात करेंगे।

खुजली के प्रकार

खुजली कई प्रकार की होती है

प्रुरिटोसेप्टिव खुजली

ये सूजन, उम्र का असर या किसी इन्फेक्शन के कारण होने वाली खुजली होती है। इसके लिए डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है।

न्यूरोजेनिक खुजली

न्यूरोजेनिक मतलब न्यूरॉन्स यानी सेंट्रल नर्वस सिस्टम से रिलेटेड खुजली। ऐसी बीमारिया या दिक्कतें जो दरअसल त्वचा से नही किडनी, लिवर, खून और कैंसर से जुड़ी होती है और खुजली इन्ही में से किसी कारण से होती है।

साइकोजेनिक खुजली

ऐसी खुजली डिप्रेशन, एंग्जायटी और अन्य मानसिक विकारों के कारण हो सकती है। इसमे खुजली न होने पर भी व्यक्ति त्वचा को खुजलाता रहता है।

न्यूरोपैथिक खुजली

ये खुजली पेरिफेरल नर्वस सिस्टम से जुड़ी किसी दिक्कत के कारण होता है। यह खुजली विकार जैसे पैरेस्थेसिया (हाथों में लगातार सुई चुभने जैसा एहसास) के कारण हो सकती है। यह विकार कई बार खुजली के साथ दर्द का भी कारण बन सकते हैं।

हाथ और पैर में खुजली होने का कारण-खुजली के कारण

  • प्रदूषित हवा व पानी से
  • किसी खास भोज्य पदार्थ से एलर्जी
  • किसी दवा के साइड इफेक्ट से
  • ड्राई त्वचा
  • कॉस्मेटिक्स के साइड इफ़ेक्ट से जैसे केमिकलयुक्त हेयर डाई या हेयर कलर, क्रीम, डिओडरेंट या मेकअप प्रोडक्ट
  • मौसमी बदलाव
  • कीड़े मकोड़ो के काटने से
  • किडनी की बीमारी, आयरन की कमी या थायराइड की समस्या में हो तो खुजली हो सकती है।
  • पित्ती (हाइव्स), सोरायसिस (त्वचा पर खुजली, रैशेज और चकत्ते)
  • गर्भावस्था में पूरे शरीर में खुजली होना

दाने वाली खुजली का उपचार

दाने वाली खुजली भी कई तरह की की होती है, जैसे लाल जलन दार दानों वाली, पानी के दानों वाली, दर्दभरे दानों वाली खुजली। आज इस आर्टिकल में हम आपको दाने वाली खुजली के घरेलू उपचार बताएंगे।

आम की छाल का करें प्रयोग

आम के पेड़ की छाल और बबूल के पेड़ की छाल को बराबर मात्रा में ले। एक ली. पानी में उबाल लें और इस पानी से खुजली वाली जगह पर भाप लें। फिर इस जगह पर घी लगाएँ।

गंधक से मिले आराम

दाने वाली खुजली का उपचार करने के लिए गंधक को पीसकर नारियल के तेल में मिला ले। इस लेप को खुजली वाली जगह पर लगाए। इससे बहुत ज्यादा जलन होगी लेकिन खुजली में आराम मिलता है।

एलोवेरा दिलाये आराम

ताजे एलोवेरा को बीच से काटकर उसका पल्प खुजली की जगह रगड़े आराम मिलेगा। साथ ही ऐलोवेरा जूस का सेवन करें।

एलोवेरा
एलोवेरा

गिलोय के जूस का करें सेवन

गिलोय के जूस या काढ़े का सेवन करने से शरीर के अंदर की अशुद्धि दूर होती हैं,और खुजली में आराम मिलता है।

खुजली को जड़ से खत्म करने का इलाज है बेकिंग सोडा

नहाते समय बाथटब में एक से डेढ़ चम्मच बेकिंग सोडा मिला लें। इस पानी को खुजली वाले स्थान पर कुछ देर तक डाले और फिर साफ पानी मे नहा ले।

तुलसी के पत्तों का करें इस्तेमाल

तुलसी से दाद का इलाज करने के लिए तुलसी के पत्ते पानी मे उबाल लें। इस पानी को नहाने के पानी मे मिला ले। अब इस पानी से स्नान करें। चाहें तो तुलसी की पत्तियों का पेस्ट लगा सकते हैं। तुलसी में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल, एंटीइंफ्लेमेटरी गुण सूजन व खुजली में आराम देते है।

नींबू से खुजली का इलाज

नीबू के रस को पानी मे मिलाकर प्रभावित स्थान पर कॉटन से लगाएं। नींबू में एंटीएजिंग गुण पाए जाते हैं, जो बढ़ती उम्र के कारण होने वाली खुजली का घरेलू इलाज करने में मदद कर सकते हैं। संवेदनशील त्वचा पर इस्तेमाल न करें।

सेब का सिरका है लाभदायक

नहाने के पानी में एक कप सेब का सिरका मिलाएं। कुछ देर प्रभावित स्थान पर डाले। बाद में साफ पानी से नहा लें।

दाने वाली खुजली का उपचार हैं नीम की पत्तियां

नीम की पत्तियों को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। पेस्ट को खुजली वाली जगह पर लगाएं और कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। पानी में नीम की पत्तियों को उबालकर नहा भी सकते हैं। नीम के एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल एवं एंटीवायरल गुण हर प्रकार की खुजली में आराम देते है।

नीम के तेल से दाद का इलाज भी किया जा सकता है।

ओटमील का करें प्रयोग

ओटमील पानी में कुछ मिनट के लिए भिगो दें।अब एक सूती कपड़े में रखें और इसे कस लें। कपड़े में बंधे हुए ओटमील को पांच-दस मिनट के लिए नहाने के पानी में डाल दे, और स्नान करें।

इन सबके अलावा नारियल तेल, पुदीना, पेपरमिंट ऑयल का प्रयोग कर सकते है।

किन बातों का रखे ध्यान

  • साफ सफाई का ध्यान रखें
  • हल्के कपड़े पहनें।
  • तेज गर्म पानी से नहाने से बचें।
  • त्वचा को मॉइस्चराइज रखें।
  • कॉस्मेटिक्स का कम से कम प्रयोग करे
  • पानी वाले दानों को फोड़े नही
  • दर्द भरे दानों को बार बार न छेड़े

न करें नजरअंदाज और तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करे जब

  • खुजली गंभीर रूप ले ले।
  • आसानी से आराम न मिले।
  • खुजली का कारण समझ न आए।

सामान्य प्रश्न

शरीर में दाना क्यों निकलते हैं?

कई बार हमारे शरीर में छोटे छोटे दाने हो जाते हैं जिन में पानी भर जाता है और खुजली होती है कई बार ये दाने फंगल इंफेक्शन की वजह से होती है परंतु कभी-कभी यह हर्पीज नामक बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं । इस बीमारी को शिंगल्स के नाम से भी जाना जाता है । यह रोग उन लोगों को अधिक होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है ।यह वायरस द्वारा होने वाला रोग है ।इस बीमारी के होने पर रोगी के शरीर के एक तरफ की त्वचा पर पानी वाले दाने निकलते हैं। इस वजह से रोगी को त्वचा में खुजली या दर्द या जलन या सुन्नपन या झनझनाहट की परेशानी होती है। इतना ही नहीं, जिस जगह ये दाने निकलते हैं, वहां की त्वचा बेहद संवेदनशील हो जाती है और उसे छूने पर दर्द होता है।

खुजली में कौन सा साबुन लगाना चाहिए?

दाद, खाज, खुजली शरीर में फंगल इंफेक्शन की वजह से होती है इसके लिए हमें नहाने के लिए एंटी बैक्टीरियल साबुन का प्रयोग करना चाहिए। एंटीबैक्टीरियल साबुन जैसे Ketotosc एक ऐंटिफंगल साबुन है जो सेट्रिमाइड, नीम ऑयल, एलो वेरा ऑयल और कैमोमाइल एक्स्ट्रैक्ट से भरपूर है। इसके अलावा Tetmosol Soap भी एक असरदार साबुन है खुजली से राहत दिलाता है । इन एंटीबैक्टीरियल साबुनों का इस्तेमाल किसी भी तरह की दाद, खाज, खुजली, सफेद दाग या बैक्टीरिया में भी कर सकते हैं । एंटीबैक्टीरियल साबुन का प्रयोग करते वक्त गुनगुने पानी से नहाने से अधिक फायदा मिलता है ।

खुजली की सबसे अच्छी टेबलेट कौन सी है?

Candiforce -200 काफी कारगर होती है । इसके साथ LECOPE टेबलेट लेने से और भी बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं । यदि शरीर में खुजली से परेशान है तो Fluka-150 टैबलेट काफी कारगर साबित हो सकती है । इसके साथ सिट्राजिन टेबलेट लेने और एंटी फंगल क्रीम और एंटीफंगल सोप का प्रयोग करके खुजली से निजात पाया जा सकता है। दाने वाली खुजली के लिए candid clotrimazol cream काफी मददगार साबित हो सकती है यह क्रीम सूखी खुजली में भी काफी लाभदायक होती है । इन सभी प्रयासों के बावजूद यदि खुजली ठीक नहीं हो रही है तो किसी अच्छे त्वचा के डॉक्टर से संपर्क करें ।

दाने वाली खुजली कैसे ठीक होती है?

स्किन एलर्जी या इन्फेक्शन होने के कारण कई बार त्वचा पर छोटे छोटे दाने निकल आते हैं जिनमें खुजली होती है और पानी निकलने लगता है। इससे राहत पाने के लिए निम्न घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं = 1. एलोवेरा के पत्ते को काटकर उसका गूदा निकालकर उसे प्रभावित स्थान पर लगाने से दाने वाली खुजली ठीक हो जाती हैं। 2. शुद्ध नारियल तेल को हल्का गुनागुना करके लगाने से भी जाने वाली खुजली में आराम मिलता है । 3. टमाटर का गूदा पीसकर लगाने से भी दाने वाली खुजली में राहत मिलती है।

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