वजन बढ़ाने और मोटा होने के लिए क्या खायें-Mota Hone Ke Liye Kya Khaye

मोटा होने के लिए क्या खायें

वजन कम करना कुछ लोगों के लिए बहुत ही ज्यादा अहम हो सकता है और उनकी प्राथमिकता पर वजन कम करना ही रहता है लेकिन खुश रहो कुछ लोग प्राकृतिक रूप से मोटे होते हैं तो उनको वजन कम करने के लिए काफी मेहनत या फिर एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है लेकिन अगर आप स्वस्थ शरीर और अपनी बॉडी को मेंटेन रखने के लिए आप वजन बढ़ाना साथ हैं तो आज हम कुछ वजन बढ़ाने और मोटा होने के तरीकों के बारे में जानेंगे ।

मोटा होने के लिए क्या क्या खाये-Mota Hone Ke Liye Kya Khaye

मोटे होने के लिए आपके लिए सबसे ज्यादा कैलरी खाना या प्राप्त करना होता है आप जितना पहले कैलरी खाते थे उसे कई गुना ज्यादा आपको कैलरी का सेवन करना पड़ेगा जितनी ज्यादा कैलरी की मात्रा बढ़ेगी उतना ही आप जल्दी तरीके से वजन बढ़ा पाएंगे।

  • आलू का सेवन करें
  • चावल का सेवन करे
  • घी का सेवन करें
  • पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें
  • किशमिश का सेवन करें
  • केले का सेवन करें
  • बादाम का सेवन करें
  • नट्स का सेवन करें
  • हरी सब्जियों का सेवन करें
  • संपूर्ण आहार लें
  • प्रोटीन का सेवन करें
  • पूरी नींद ले

आलू का सेवन करें

अगर आप मोटा होना चाहते हैं या वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको अपनी डाइट में आलू को अवश्य रुप से शामिल करना चाहिए। आप आलू खाएंगे तो ज्यादा आप वजन बढ़ा पाएंगे क्योंकि आलू के अंदर कार्बोहाइड्रेट्स एवं कांपलेक्स नामक शुगर है ।

आलू वजन बढ़ाने के लिए बहुत ही ज्यादा मदद करता है लेकिन ध्यान रहे कि आलू ज्यादा भुना हुआ या तला हुआ ना हो।

आलू
आलू

चावल का सेवन करे

अगर आप चावल का सेवन करते है, तो आपका वजन बहुत ही जायदा तेजी से बढ़ेगा, डॉक्टर्स भी चावल व आलू खाने की सलाह देते है। तो आप भी रोजाना नाश्ते में चावल का सेवन करे आपको कुछ ही दिनों में असर देखने को मिल जायेगा ओर आपका वजन भी बढ़ने लगेगा।

मोटा होने के लिए करें घी का सेवन

मोटे होने के घरेलू तरीके में से एक है घी। घी खाने के बाद आपका वजन बहुत ज्यादा बढ़ेगा क्योंकि इसमें Saturated fats होती है होती है और कैलरी की भी ज्यादा मात्रा में होती है। घी को आप शकर के साथ जाकर खाने में डालकर भी खा सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि घी की मात्रा एक सीमित या बराबर रूप से हो।

पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें

अगर आपको वजन बढ़ नहीं रहा है तो कहीं गए पानी आपके लिए एक बड़ी वजह हो सकती है तो आपको इतने कम से कम 5-6 लीटर पानी जरूर रूप से पीना चाहिए क्योंकि हमारा शरिर 80 प्रतिशत पानी से ही बना हुआ होता है।

किशमिश का सेवन करें

आप किशमिश का सेवन करके भी अपना वजन बढ़ा सकते हैं। रोजाना या फिर प्रतिदिन लगभग एक मुट्ठी किशमिश खाने चाहिए ऐसा करने से आप वजन काफी तेजी से बढ़ेगा और इसके अलावा आप किशमिश और अंजीर को दो बराबर भागों में बांट कर और उसको दिल में या फिर रात भर भिगोकर खाएं उसे भी आपको काफी वजन बढ़ाने मैं सहायता मिलेगी।

केले का सेवन करें

वजन बढ़ाने के लिए हमेशा केले खाना काफी आशा साबित होता है। केले से वजन बढ़ाने में काफी सहायता मिलती है। इसके लिए आपको खो जाना केले का सेवन करना चाहिए क्योंकि अकेले में केले की मात्रा बहुत ज्यादा होती है क्योंकि शरीर में एक बहुत ही बढ़िया एनर्जी देती है और साथ ही वजन बढ़ाने वाले विटामिन मिलते हैं आप दूध के साथ खा सकते हैं और उसको शेक बना कर दिखा सकते हैं

बादाम का सेवन करें

बादाम
बादाम

बादाम हमारे वजन बढ़ाने में काफी कारगर साबित होते हैं इनको हमेशा 3-4 बादाम को रात भर पानी में भिगोकर अगले दिन उसको पीसकर दूध के साथ घोलकर पीएं ऐसा आप रोजाना करें तो आपको कुछ ही महीनों में इसका असर देखने को मिलेगा और आपको बहुत ही बढ़िया तरीके से वजन बढ़ता हुआ नजर आएगा।

नट्स का सेवन करें

बादाम, काजू, मूंगफली आपको जरूरी तोड़कर खाना ही सही है क्योंकि मैं बहुत ही ज्यादा मात्रा में कैलोरी पाई जाती है। ग्राफ के शरीर में ज्यादा ज्यादा कैलरी की मात्रा बढ़ेगी तो उसे वजन बढ़ने के काफी ज्यादा चांस बढ़ जाते हैं और यह सभी मार्केट में सस्ते दामों पर भी मिल जाते हैं 100 ग्राम नट्स में लगभग 500 से 600 कैलरी मिल जाती है।

हरी सब्जियों का सेवन करें

वजन बढ़ाने के लिए आपको हरी एवं ताजी सब्जी का सेवन करना चाहिए क्योंकि हर एक सब्जी में एक अलग तरह का विटामिन मौजूद होता है। जिससे आपको वजन बढ़ाने में काफी हद तक मदद मिलती है इन सब्जियों में मुख्य तौर पर दाल सोयाबीन राजमा पनीर आदि शामिल है। उनका आप ज्यादा तौर पर सेवन करें तो आपको कुछ ही महीना असर देखने को मिलेगा।

संपूर्ण आहार लें

अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं तो आपको संपूर्ण आहार लेना चाहिए और आपको कम से कम दिन में 5-6 बार खाना खाना चाहिए थोड़ा-थोड़ा 1 दिन में ज्यादा से ज्यादा खाना खाए और हमेशा सुबह का ब्रेकफास्ट जरूर करें उसमें कुछ विटामिन वाली चीजें खाएं ।

वजन बढ़ाने के लिए प्रोटीन का सेवन करें

अगर आप अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो आपको जरूर रूप से प्रोटीन का सेवन करना ही चाहिए अगर आप किसी भी फिटनेस या जिम ट्रेनर से बात करेंगे तो वह आपको प्रोटीन का सेवन करने की सलाह देगा साथ ही एक सही तरह का डाइट प्लान ही बताएगा जैसे आपको वजन बनाने में काफी हद तक मदद मिलेगी।

वजन बढ़ाना चाहता तो आपको जिम जाना ही चाहिए फिर भी आप जिम नहीं जा सकते तो आप वहां पर जाकर उनसे एक डाइट प्लान लीजिए और उनसे वजन बढ़ाने के लिए सलाह लिजिए, तो वह आपको बढ़िया तरीके से गाइड करेंगे कि आप किस तरह वजन बढ़ा सकते हैं और एक डाइट प्लान को मेंटेन रख सकते हैं।

पूरी नींद ले

जो जो हमने बताया है वो खाने के बावजूद भी आपका वजन नही बढ़ है तो आप पूरी नींद ले क्युकी काफी लोगो का पूरी नींद ना लेने के कारण भी वजन नहीं बढ़ पाता है। हर इंसान को पूरी नींद जरुरी रूप से लेनी चाहिए क्युकी नींद कमी से सिर्फ वजन में ही अन्य नुक्सान भी होते है अगर आप पूरी नींद लगे तो वजन भी बढ़ेगा और भी कई तरह से आपके शरीर में फायदे होंगे।

एक पर्याप्त नींद लेना आपके लिए कई तरीके से फायदेमंद हो सकता है जैसे कि वजन बढ़ना , यादाश्त मैं बढ़ोतरी , मानसिक संतुलन बनाए रखना इत्यादि फायदे हैं ।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के फायदे और सेवन का तरीका-horlicks ke fayde

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के फायदे और सेवन का तरीका

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस आजकल की दौड़-धूप की जिंदगी की व्यवस्ताओं को देखकर बनाया गया है। मिलावट के इस दौर में जब कुछ भी शुद्ध नहीं मिलता। न तो फल और न ही सब्जियां। हमें हमारे शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन विटामिंस इन हमें बाहरी स्रोतों पर निर्भर होना पड़ता है। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस हमारे शरीर की भिन्न आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

विशेष तौर से प्रोटीन की आवश्यकता को ध्यान में रखकर हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर बनाया गया है। यह विशेष रुप से आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी के युवाओं के लिए बनाया गया है जिनके पास समय से खाना पीना खाने का भी टाइम नहीं होता तो हम तो यह तो भूल ही जाए कि वह सब्जियां, फल खाने में समय व्यतीत करेंगे।

समयाभाव के कारण वो जो जैसा मिले खा लेते हैं। अधिकांश उनका भोजन तो जंक फूड होता है। जिससे पेट तो भर जाता है स्वाद भी मिल जाता है लेकिन शरीर के लिए आवश्यक विटामिन प्रोटीन मिनरल नहीं मिल पाते। हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर शरीर को आवश्यक प्रोटीन मिनरल एवं विटामिन्स प्रदान कर शरीर को उर्जावान बनाता है।

प्लेयर एवं एथलीट ऐसे हेल्थ पेय की तलाश में होते हैं जो शरीर की प्रोटीन की आवश्यकताओं को पूरा करें। लगातार व्यायाम से होने वाली थकान को दूर करें। और शरीर के मसल्स मास को बढ़ाये। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस के अंदर ये सारी खूबियों हैं।

क्या है हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस न्यूट्रिशन ड्रिंक है जो कि कामकाजी युवा के लिए बनाया गया है। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस व्यक्ति की ताकत को बढ़ाता है हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस एक वैज्ञानिक तौर से प्रमाणित फ़ूड न्यूट्रिशन ड्रिंक है जोकि एडल्ट के लिए खास तौर से बनाया गया है।

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस कैसे काम करता है

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस व्यक्ति की ताकत बढाता है। उनके मसल्स मास को गेन करने में मदद करता है। और उनका हेल्दी लाइफ़स्टाइल मेंटेन करने में मदद करता है आफ्टर थर्टी हम सभी अपने शरीर के मसल्स मास को खोने लगते हैं। हमारा मसल्स मास कम होने लगता है हम थकने बहुत जल्दी लगते हैं हमें हाई क्वालिटी प्रोटीन ज्यादा से ज्यादा लेनी चाहिए जिससे कि हम अपनी रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी कर सके और थकान न हो।

थकान होना
थकान होना

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस के पास है पीडीसीएस का मानक

हमारे शरीर का मसल्स मास हमारे प्रोटीन इनटेक पर निर्भर करता है। हमारा मसल्स मास हमने अच्छा प्रोटीन लिया है या नहीं इस पर डिपेंड करता है। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस के पास है पीडीसीएस का मानक जिसे हम प्रोटीन क्वालिटी इंडिकेटर्स कहते हैं। इसका हाई स्कोर हमारे हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस के पास है। जो यह सिद्ध करता है कि हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन प्रोटीन पाउडर है।

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में अमीनो एसिड्स पाये जाते हैं जो कि हमारे शरीर की सारी रिक्वायरमेंट को पूरा करते हैं।वैसे प्रोटीन अमीनो एसिड के अंदर होता है या हम कह सकते हैं कि अमीनो एसिड ही है जो कि प्रोटीन बनाता है। अधिकांश अमीनो एसिड हमारे शरीर में बन जाते हैं लेकिन उनमें से 9 अमीनो एसिड ऐसे हैं जिन्हें कि हमारा शरीर नहीं बना पाता और जिन्हें हमें बाहर से कंज्यूम करना पड़ता है। ऐसे अमीनो एसिड को हम एसेंशियल अमीनो एसिड करते हैं। हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में ये अमीनो एसिड पाये जाते हैं। अमीनो एसिड के अंदर पाये जाने वाले प्रोटीन हमारी बॉडी को मेंटेन करने के लिए। हमारे शरीर की थकान दूर करने के लिए एवं मसल्स मास को को इंप्रूव करने के लिए जरूरी होते हैं।

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में पाये जाने वाले पोषक तत्व

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में 3 तरह के हाई क्वालिटी प्रोटीन आइए जानते हैं इसका प्रोटीन का अनुपात –

100 ग्राम में 30 ग्राम प्रोटीन
55% कार्बोहाइड्रेट,
23.5 ग्रम शुगर
फैट 2 ग्राम

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन b1, विटामिन डी, फास्फोरस, केनिन, बायपिन आदि मिनरल्स पाए जाते हैं जाते हैं। इसका सर्विंग साइज 30 ग्राम के आस-पास है जिसमें 10 ग्राम प्रोटीन, 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, फैट काफी कम मात्रा में पाया जाता है। इसमें कोकोआ पाउडर मिनरल्स व्हीट ग्लूटेन पाया जाता है। हम कह सकते हैं कि हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर और दूसरे प्रोटीन पाउडर से बहुत बेहतर है क्योंकि इसमें तीन तरह के प्रोटीन डालकर इस प्रोटीन पाउडर को बनाया गया है बल्कि दूसरे प्रोटीन पाउडर में सोया प्रोटीन को डाला जाता है लेकिन हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर सोया प्रोटीन के साथ-साथ व्हे प्रोटीन को भी डाला गया है।

क्या है व्हे प्रोटीन

व्हे प्रोटीन
व्हे प्रोटीन

व्हे प्रोटीन में चार ऐसे एसेंशियल अमीनो एसिड होते हैं जो काफी बेहतर होते हैं अन्य प्रोटीन से। ये चार अमीनो एसिड आइसोलूसिंग,लूसिंग ,मिथूनाइन और लायसिन ये चार अमीनो एसिड मिथूनाइन अमीनो एसिड वेट लॉस करने में मदद करता है। लाइसिन अमीनो एसिड मसल्स ग्रोथ को बढाता है। सोया प्रोटीन में आरजेमीनर ,ट्रिपटो फैट ,फैनीलेलेलाइन पापा जाता है।

हार्लिक्स प्रोटीन प्लस में सोया प्रोटीन व व्हे प्रोटीन दोनों के फायदे होते हैं।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर में केसिन प्रोटीन काफी कम मात्रा मे पाया जाता है जो एक डाइजेशन प्रोटीन है।जो डाइजेशन में मदद करता है। केसिन प्रोटीन एक फ़ास्ट एबजारबिंग प्रोटीन है जो अगर दुबले व्यक्ति दूध के साथ सुबह शाम लेते हैं तो यह उनका वेट बढ़ाता है और अगर एथलीट इसे एक्सरसाइज़ के बाद में लेते हैं तो यह मसल्स टोन करने के काम आता है।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को लेने का तरीका

हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस में अब्जॉर्बिग प्रोटीन है। जिसे अलग अलग ज़रूरतों के लिए अलग-अलग तरीके से लिया जाता है। एथलीट या प्लेयर इसे बाडी बिल्डिंग, मसल्स मास गेन करने के लिए लेते हैं। वे हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को पानी या एगव्हाइट के साथ लें क्योंकि यह शरीर में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाता है और इसका प्रोटीन आसानी से शरीर में अवशोषित हो जाता है एथलीट इसे एक्सरसाइज़ के बाद पानी में मिलाकर अंडे के सफेद हिस्से के साथ ले। कमजोर व्यक्ति जो ताकत एवं स्फूर्ति के लिए हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को लेते हैं वो हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को सुबह शाम दूध के साथ ले।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के फायदे-horlicks ke fayde

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर लाभदायक है वेट गेन और वेट लास दोनों में

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर वेट लास या वेट गेन दोनों में फ़ायदा करता है। इसमें शुगर व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा काफी ज्यादा है। हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर के सैचुरेटेड हाई क्वालिटी प्रोटीन शरीर के बॉडी मास को बढ़ाने का कार्य करते हैं तो वेट लाॅस करने के लिए अगर एथलीट हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को लेते हैं तो हमें हॉर्लिक्स पाउडर को एक्सरसाइज करने के बाद पानी में मिलाकर लेना होगा। प्रचुर मात्रा में प्रोटीन के लिए हमें अंडे के सफेद हिस्से के साथ हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को लेना होगा।

ऐसा नहीं है कि हम पानी में अंडे के सफेद हिस्से को फोड़ देंगे और प्रोटीन पाउडर मिलाकर घोलकर पी जाएंगे हमें या तो अंडे को उबालकर उसके सफेद हिस्से को लेना होगा या फिर सफेद हिस्से का हाफ फ्राई खाना होगा। जिससे कि हमारे शरीर को न्यूट्रिशन तो मिले लेकिन कार्बोहाइड्रेट शुगर के कारण हमारा वेट गेन ना हो पाए। हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर में वे प्रोटीन है जो कि हमारे शरीर में आसानी से अवशोषित हो जाता है।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर है बजट फ्रेंडली

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर की कीमत अन्य प्रोटीन पाउडर की तुलना में काफी कम है तो इसे कॉलेज गोइंग युवा से लेकर कामकाजी युवा सभी खरीद सकते हैं। बच्चों और किशोर वर्ग के लोगों के लिये भी हॉरलिक्स प्रोटीन प्लस उनकी शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाला है। हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर जिम में जाने वालों के लिए भी बहुत अच्छा है अपनी कीमत में के सबसे अच्छे हाई क्वालिटी प्रोटीन समय देता है। वो लोग जो एक अफॉर्डेबल प्रोटीन पाउडर की तलाश में है 6 से ₹7000 नहीं खर्च करना चाहते उनके लिए हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन विकल्प है।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर स्वाद में बेहतर है

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर की एक और विशेषता उसका स्वाद है। हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर अन्य सभी प्रोटीन पाउडर के मुकाबले बहुत टेस्टी है। हॉरलिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन विकल्प है।

सामान्य प्रश्न

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस पीने से क्या होता है?

हॉर्लिक्स स्वास्थ्य संबधी एक पेय है, जिसको संतुलित आहार के रूप में सेवन किया जाता है। ये बच्चों के कैल्शियम की जरूरतें पूरा करके हड्डियों का कैल्शियम घनत्व बढाता है जिससे हड्डियाँ मजबूत होती है, इसमें मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स रक्त में पोषक तत्व बढा़तें हैं जिससे याददाश्त व एकाग्रता बढ़ती है। इसके सेवन से शरीर में पतले टिशू की वृद्धि होती है, और शरीर मजबूत बनता है। हॉर्लिक्स में मौजूद पोषक तत्व शरीर के समग्र विकास में साहयक हैं, दूध में मिलाकर पीने से ये दूध की गुणवत्ता और स्वाद दोनों बढा़ देता है।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस क्या है?

'हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस' एक ऐसा उत्पाद है जो पोषण की बढ़ती आवश्यकताओं और विशेषकर प्रोटीन की मांग को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह खासतौर से उन व्यस्त लोगो के लिए है, जिनके पास आवश्यक प्रोटीन का सेवन करने के लिए अपनी दिनचर्या के अनुसार समय कम है। आप दिन भर में कितना प्रोटीन लेते हैं इसके साथ यह भी महत्वपूर्ण है, कि उसकी गुणवत्ता कैसी है। सही प्रोटीन लेने से आप अधिक स्वस्थ रहते हैं और जीवन-शैली बेहतर होती है। उपभोक्ताओं की प्रोटीन समबन्धी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 'हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस' बनाया गया है ।

हॉर्लिक्स में क्या क्या पाया जाता है?

हॉर्लिक्स में मुख्य घटक गेहूं के आटे और माल्टेड गेहूं (46%) का मिश्रण है, इसके बाद माल्टेड जौ (26%) है। इसके अलावा सूखा मट्ठा, कैल्शियम कार्बोनेट, सूखे स्किम्ड दूध, चीनी, ताड़ का तेल, नमक, एंटी-काकिंग एजेंट (E551), इसमें मुख्यतः विटामिन ए , विटामिन सी , विटामिन डी ,विटामिन बी1 , विटामिन बी2 ,विटामिन बी5, विटामिन बी6,विटामिन बी12, विटामिन ई, फोलिक एसिड, कार्बोहाइड्रेट, फैट , प्रोटीन, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, नियासिन, बायोटिन, जिंक, और आयरन पाया जाता है। इसलिए ये शरीर की पोषण संबंधी सभी जरूरतें पूरी कर देता है।

प्रोटीन पाउडर कब लेना चाहिए?

प्रोटीन हमारे शरीर के लिए एक मुख्य पोषक तत्व है, जिसको भोजन के साथ जरूर लेना चाहिए, इसके अतिरिक्त - Weight loss के लिए भोजन के बीच में प्रोटीन लेना अच्छा है, इस तरह से ये आपकी भूख नियंत्रित करने के साथ-साथ कम कैलोरी कंज्यूम करने में मदद करता है। मसल्स बिल्डअप के लिए ट्रेनर व्यायाम के 15-60 मिनट बाद प्रोटीन सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं। मसल्स लॉस को रोकने के लिए 30 की उम्र के बाद हर मील के बाद लगभग 25-30 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।

जानिए स्टेरॉयड क्या है, क्या है स्टेरॉयड के फायदे?

स्टेरॉयड के फायदे

स्टेरॉयड क्या है?

स्टेरॉइड के बारे में हमेशा आपने नकारात्मक खबरे ही सुनी होंगी। दरअसल स्टेरॉयड एक आर्टिफीसियल हॉरमोन होता है। जिस प्रकार हॉरमोन मानव शरीर मे निर्मित होते है उसी प्रकार स्टेरॉयड एक मानव निर्मित हॉरमोन है। एक प्रकार के हार्मोन होते हैं जो शरीर में स्वाभाविक रूप से बनते हैं। स्टेरॉयड दवाएं मानव निर्मित होती हैं

स्टेरॉयड का इस्तेमाल केवल बॉडी बिल्डिंग या एथलेटिक्स में नही होता, बल्कि चिकित्सा में भी इसका इस्तेमाल होता है। लेकिन पेशेवर एथलीट और बॉडीबिल्डर जिस स्टेरॉयड का दुरुपयोग अपनी परफॉरमेंस सुधारने के लिए करते है उसे एनाबॉलिक स्टेरॉयड कहते है।

एनाबॉलिक स्टेरॉयड मासपेशियो को तेजी से ग्रोथ देता है। ऐसा पुरुष हॉरमोन टेस्टोस्टेरॉन के इफ़ेक्ट के कारण होता है। इसलिए इसका उपयोग एथलीट्स और बहुत से युवा मसल्स को बढ़ाने में करते है। इससे शरीर मे ताकत का अहसास होता है। स्टेरॉयड लेने वाला व्यक्ति दुगुनी स्पीड और इंटेनसिटी से वर्कआउट कर पाता है।

लेकिन गैरकानूनी रूप से स्टेरॉयड लेना एक अपराध है। ऐसा करने वाले एथलेटिक्स या स्पोर्ट्स प्लेयर को कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया जाता है, साथ ही जुर्माना भी लगता है। शारीरिक, और मानसिक क्षति तो होती ही है, समाज मे बेइज्जती होती है सो अलग। स्टेरॉयड अलग अलग प्रकार से प्रयोग किये जाते है जैसे प्रेडनीसीलोन- गोलियां, सिरप और तरल पदार्थ बीक्लोमेटासोन और फ्लुटाइकसोन-इनहेलर्स और नाक में डालने वाले स्प्रे मेथाईलप्रेडनिसोलोन-इंजेक्शन। हाइड्रोकोर्टिसोन-क्रीम, लोशन और जैल

स्टेरॉयड के फायदे

स्टेरॉयड हमेशा नुकसान दायक नही होते। स्टेरॉयड के कुछ फायदे भी होते है जो आज हम आपको बताएंगे। अगर एक एक्सपर्ट की देखरेख में सही प्रकार से आप स्टेरॉयड का प्रयोग करते है तो आपको निम्न लाभ होंगे।

कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के लाभ

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स स्वेलिंग को कम करके इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करता है। इसलिए ही इस स्टेरॉयड का प्रयोग अस्थमा और एक्जिमा जैसी समस्याओं के लिए किया जाता है।
  • बहुत सी ऑटोइम्यून बीमारी, जैसे रह्यूमोटोइड आर्थराइटिस, ऑटोइम्यून हैपेटाइटिस या सिस्टमिक लुपस एरिथेमैटोसस (एसएलई) का इलाज करने में चिकित्सक इसका प्रयोग करते है।
    अस्थमा
    अस्थमा

कॉर्टिकोस्टेरॉइड लेते समय रखे इन बातों का ध्यान

  • डॉक्टर को अच्छे से अवगत कराएं की पहले कभी आपको किस स्टेरॉयड से रिएक्शन हुआ था।
  • स्टेरॉयड के जो साइड इफ़ेक्ट आपने पहले अपने ऊपर देखे है, डॉक्टर को जरूर बताए।
  • डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री जरूर बताए कि आप फिलहाल और कौन सी दवाइया ले रहे है।

एनाबॉलिक स्टेरॉयड के फायदे

  • बिना फैट बढ़े, मसल्स बिल्डउप होती हैं। जिनमे न केवल ग्रोथ दिखती है। बल्कि ये मसल्स शक्तिशाली भी होती है।
  • ये स्टेरॉयड भूख बढ़ाते है, एनर्जी और डेडिकेशन में इम्प्रूवमेंट लाते है। व्यक्ति का कॉन्फिडेंस अलग ही लेवल पर होता है।
  • स्टेरॉयड लेने से आप व्यायाम या कोई भी एथलेटिक एक्टिविटी लगातार कर सकते है। आपको थकान महसूस नही होती है। इससे होगा ये की आप लगातार एब्स या बाइसेप्स, ट्राइसेप्स की एक्सरसाइज कर सकते हो।जिससे आपके एब्स या बाइसेप्स जल्दी बनते है।
  • स्टेरॉयड लेने से मसल्स साइज तेजी से बढ़ता है। यह हमारे मसल साइज को इंप्रूव करने में मदद करता है. जब हमारे बॉडी के हिसाब से हमारा testosterone  बढ़ जाता है तो हमारे मसल्स की साइज बढ़ने लगती है और ज्यादातर हमारी बाइसेप और leg की muscle सबसे ज्यादा इंप्रूव होती है.

स्टेरोइड लेने के नुकसान स्टेरॉयड के नुकसान

कॉर्टिकोस्टेरॉइड के साइड इफेक्ट

  • भूख कम होना
  • मूड में बदलाव
  • सोने में कठिनाई

एनाबॉलिक स्टेरॉयड के दुष्प्रभाव

मुँहासे, ब्लोटिंग, पेशाब करते समय दर्द या परेशानी हो सकती है, पुरुषों में छाती का बढ़ना, रेड ब्लड सेल की संख्या खतरनाक स्तर तक बढ़ना, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होना, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ना  बाल झड़ना, स्पर्म क्वांटिटी कम होना, नपुंसकता। लिबिडो में कमी, कार्डियोवैस्कुलर समस्या, लिवर की समस्याएं, ट्यूमर, ऑस्टियोपोरोसिस, विकास का रुक जाना, स्त्रियों में अनियमित माहवारी, वॉइस चेंज, क्लाइटोरिस की लम्बाई बढ़ना, फैशियल हेयर, ब्रैस्ट की त्वचा का सिकुड़ना, सेक्स ड्राइव में वृद्धि, लिवर को नुकसान, आदि

इसलिए जब भी आप स्टेरॉयड का सेवन करने का विचार करे। उसके फायदे नुकसान पर भली भांति विचार कर ले।

जानिए क्या है लिव 52 के फायदे

लिव 52 के फायदे

हिमालय कम्पनी का लिव 52 बहुत सी दुर्लभ जड़ीबूटियों को मिलाकर बनाया गया उत्पाद है। सामान्यतया माना जाता है कि इसका मुख्य प्रयोग लिवर को स्वस्थ्य रखने में होता है। लेकिन लिव 52 के फायदे और भी बहुत है जो आज हम आपको इस लेख में बताएंगे। सबसे पहले हम पूरी तरह से लिव 52 को जानेंगे कि ये दरअसल क्या है। लिव 52 पूर्ण रूप से आयुर्वेद पर बेस्ड एक प्रोडक्ट है जिसमे केमिकल का प्रयोग नही किया गया है।

दरअसल इसका नाम और इसकी संकल्पना ही लिवर को लेकर की गई है। लिवर से निकलने वाले जूस ही हमारे भोजन को पचाते है। यदि लिवर में ही कोई कमी आ जाए तो डायजेस्टिव सिस्टम बिगड़ जाता है। इसी डायजेस्टिव सिस्टम को मजबूत बनाने और लीवर को मजबूत करने के उपाय के लिए लिव 52 का उपयोग किया जाता है। लिव 52 लिवर को सभी संक्रमणो से दूर रखता है तथा हेपेटाइटिस बी जैसे संक्रमण से दूर रखता है।

हिमालय लिव 52 दो रूपो में मिलता है टेबलेट और सिरप। लिव 52 में प्रयुक्त होने वाली जड़ीबूटियां निम्न है।

  • हिमसरा काबरा ( Humara capparis spinosa )
  • कासनी चिकोरी (Kasani cichorium ) 34mg
  • काकमाची ( kakamachi ) 34mg
  • अर्जुना ( Arjuna ) 16mg
  • झउका ( Jhavuka ) 8mg
  • बिरंजासिफिआ ( Biranjasipha ) 8mg

लिव 52 के फायदे-LivK52 Ke Fayde

एनीमिया

एनीमिया
एनीमिया

एनीमिया यानी खून की कमी, इसका सीधा सम्बन्ध तो लिवर से नही है। पर यदि हमारे भोजन को पचाने में हमारा लिवर सक्षम नही तो सभी पौष्टिक तत्व शरीर को नही मिलेंगे। आयरन भी इन्ही में एक है, तो यदि आप एनीमिया से ग्रसित है तो लिव 52 का सेवन आपके लिए लाभकारी होगा।

हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस ए हो या हेपेटाइटिस बी दोनों ही स्थितियों लिवर कमजोर होने लगता है। इसका कारण लिवर में होने वाला संक्रमण है। ऐसे में लिव 52 का सेवन चाहे वो सिरप हो या टैबलेट लाभकारी रहता है।

भूख की कमी

जब लिवर सही तरीके से काम नही करेगा तो उससे निकलने वाले पाचन रस भी कार्य नही करेंगे। ऐसे में भूख की कमी हो जाती है, व्यक्ति का वजन दिन ब दिन कम होने लगता है। ऐसे में डॉक्टर्स लिव 52 की ही सलाह देते है।

लिव 52 भोजन की खपत को बढ़ाने का भी कार्य करता है। इसके अलावा हमारे शरीर से टॉक्सिन्स मटेरियल को बाहर निकालने में मदद करता है। ये सभी पाचक एंजाइम को सही प्रकार से संतुलित करके डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाता है।

लिवर सिरोसिस

लिवर सिरोसिस का अर्थ है लिवर की कोशिकाओं को नुकसान होना। लिवर सेल्स को नुकसान होने का एक बहुत बड़ा कारण है शराब का अधिक सेवन। शराब का अधिक सेवन लीवर से संबंधित और भी तमाम बीमारिया होती है जैसे- फैटी लिवर, लिवर हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस।

जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन करता है तो लिवर सेल्स डैमेज होने लगती है। ऐसे में व्यक्ति को शराब का सेवन बन्द या कम से कम करके, लिव 52 का सेवन करना चाहिए।

लिव 52 लिवर के आगे होने वाले डैमेज को कम करके, damaged सेल्स को रिपेयर भी करता है। यदि शराब पीने या किसी अन्य कारण से लिवर डैमेज हो जाए तो ट्रांसप्लांट के अलावा अन्य कोई चारा नही रहता।

लिव 52 के अन्य फायदे

यदि कोई व्यक्ति अल्कोहल के सेवन के बाद हैंगओवर में है तो लिव 52 के सेवन से हैंगओवर का असर कम हो सकता है।
लेकिन सावधान रहिए हर बार ये तरीका आजमाना आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है।

आज कल खान पान सेहत पर कम और जंकफूड पर ज्यादा टिका है। लगातार पैकेज्ड और जंकफूड खाने से छोटी आंत में टॉक्सिन बनने लगते है। ऐसे में जंक फूड का सेवन कम करके लिव 52 लेने से डायजेस्टिव सिस्टम से टॉक्सिन बाहर निकल जाते है।

जब लिवर में बिलीरुबिन एंजाइम की मात्रा कम या समाप्त हो जाती है तो यूरिन, स्किन और आंखों का रंग पीला हो जाता है। इस स्थिति को पीलिया या जॉन्डिस कहते है। इस स्थिति में भी लिव 52 भी स्थिति में सुधार लाने में मदद करता है।

लिव 52 कितनी मात्रा में ले।

लिव52सिरप

बच्चों के लिए Liv 52 syrup का खुराक

हिमालया लिव 52 सिरप  1 चम्मच (5 ml)दिन में तीन बार  सुबह-दोपहर-शाम

व्यस्को के लिए Liv 52 syrup का खुराक

हिमालया लिव 52 सिरप 2 चम्मच (10 ml)दिन में तीन बार  सुबह-दोपहर-शाम

लिव52 टेबलेट

दिन में दो बार(चिकित्सक के परामर्श अनुसार खाने के बाद या पहले)

गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इसका सेवन करे।

जानिए सेहत से भरपूर वीट ग्रास के फायदे-Wheatgrass Ke Fayde

व्हीट ग्रास के फायदे

आज कल दुनिया में कई तरह की बीमारियाँ हैं और हर रोज़ नई तरह की बीमारियाँ पनप रही है। हमारे शरीर को इन बीमारियों से लड़ने के लिए कई तरह के विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम और प्रोटीन आदि की आवश्यकता पड़ती है। हम इन आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए कई प्रकार की चीजों का सेवन भी करते हैं। इसके बावजूद कई बार छोटी मोटी परेशानियाँ आ ही जाती हैं। ऐसे में वीट ग्रास बहुत ही मददगार साबित होता है। वीट ग्रास के फायदे अनेक हैं। वीट ग्रास एक ऐसी चीज़ है जो शरीर में जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स की कमी को पूरा करता है और कई बीमारियों को खत्म करता है।

क्या है वीट ग्रास-Wheatgrass In Hindi

गेहूं के पौधे पर उसके पकने से पहले जो हरी और युवा घास होती है उसे वीट ग्रास कहा जाता है। इन्हे तोड़ कर और सुखा कर इनका पाउडर बना लिया जाता है और फिर इस्तेमाल किया जाता है। कई लोग बिना सुखाये ही इनका प्रयोग कर लेते हैं। वीट ग्रास को एक सुपर फूड माना जाता है।

वीट ग्रास
वीट ग्रास

वीट ग्रास के फायदे-Wheatgrass Ke Fayde

कमजोरी को करे दूर-wheatgrass benefits in hindi

दिन भर काम करने की वजह से शरीर में कमजोरी आ जाती है और चक्कर भी आने लगते है। ऐसे में वीट ग्रास किसी रामबाण से कम नहीं। वीट ग्रास का जूस शरीर में ज़रूरी तत्वों की पूर्ति करता है और कमजोरी को दूर करता है।

पाचन में करे मदद-wheatgrass juice benefits in hindi

आज कल लोगों का खान पान ठीक ना होने के कारण पेट में भोजन ठीक से पच नहीं पाता। इससे पेट में कई विकार उत्पन्न हो जाते है और ये कई और समस्याओं को जन्म देता है। ऐसे में व्हीट ग्रास आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाता है। वीट ग्रास में अमीनो ऐसिड और एंज़ाइम्स भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं जो भोजन को जल्दी पचाने में मदद करते हैं और पेट को साफ रखते हैं।

शरीर को दे पोषण-benefits of wheatgrass juice in hindi

वीट ग्रास शरीर को पोषण भी देता है। इसमे भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी और मिनरल्स पाये जाते हैं जो आपके शरीर को पोषण देकर आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।

ग्लूकोज़ के लेवेल को करे कंट्रोल-jawara juice benefits

वीट ग्रास डायबिटीज़ के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। वीट ग्रास के जूस का नियमित सेवन करने से शरीर में ग्लूकोस का स्तर कंट्रोल में रहता है जिससे डायबिटीज़ भी कंट्रोल में रहता है।

भूख को करे कम-jaware ka juice benefit in hindi

जिन लोगों को भूख बहुत ज्यादा लगती है वो लोग वीट ग्रास का सेवन कर सकते हैं। वीट ग्रास शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति करके भूख को कम करने में मदद करता है। इसके लिए आप नियमित रूप से वीट ग्रास के जूस का सेवन करें या सुबह खाली पेट व्हीट ग्रास खाये।

कोलेस्ट्रॉल को करे कम-wheatgrass benefits in hindi

वीट ग्रास आपके दिल का भी खयाल रखता है। वीट ग्रास में ऐसे तत्व पाये जाते है जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते है और आपको स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।

कैंसर से लड़े-wheatgrass juice benefits in hindi

वीट ग्रास कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में भी आपकी मदद करता है। वीट ग्रास में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स पाये जाते है जो कैंसर को खत्म करने में मदद करते है।

जोड़ों के दर्द को करे दूर-benefits of wheatgrass juice in hindi

जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वैसे वैसे जोड़ों में दर्द की समस्या आम हो जाती है। कई बार तो यह समस्या बहुत बढ़ जाती है और चलने फिरने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे छुटकारा पाने के लिए आप वीट ग्रास का सेवन भी कर सकते हैं। वीट ग्रास के नियमित सेवन से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

व्हीटग्रास जूस पीने के क्या फायदे हैं?

व्हीटग्रास यानि जवारे का रस के कई फायदे हैं - 1.जवारे का रस का सेवन करने से खून की कमी पूरी होती है ,एनीमिक व्यक्ति को जवारे का जूस का सेवन करने से फायदा होता है । 2.मोटापे से ग्रसित व्यक्ति को जवारे के रस का सेवन करने से काफी लाभ होता है । इसके सेवन से शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं । 3.जवारे के रस सेवन से पेट की अपच की समस्या में काफी लाभ होता है । 4.जवारे के रस का सेवन बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है ।जिसकी वजह से दिल की बीमारी का खतरा कम रहता है । 5.जवारे के रस का सेवन करने से ब्लड प्रेशर सामान्य रहता । 6.जवारे के रस का सेवन मधुमेह की बीमारी को मात दे सकते हैं ।जवारे के जूस पीने से शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है और खून में शुगर की मात्रा कम हो जाती है । 7.जवारे का रस गठिया की बीमारी में काफी लाभ मिलता है । इसके सेवन से घुटनों के सूजन और दर्द में भी आराम मिलता है । 8.जवारे के जूस में एंटी एगिंग गुण भी पाए जाते हैं । जो उम्र के साथ चेहरे पर आने वाली झुर्रियों को बढ़ने से रोकता है ।

गेहूं के जवारे का रस कब पीना चाहिए?

गेहूं के जवारे के रस की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसका प्रयोग गर्मियों में ज्यादा किया जाता है। सर्दियों में गेहूं के जवारे का सेवन दोपहर के समय करना चाहिए । गेहूं के जवारे के रस का सेवन अधिकांश सुबह के समय करना चाहिए जिससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलेंगे और व्यक्ति स्वस्थ महसूस करेगा । यदि सुबह सेवन करना संभव ना हो तो दोपहर के खाने से पहले इसका सेवन करना चाहिए ।

व्हीटग्रास के क्या फायदे हैं?

व्हीट ग्रास यानी गेहूं के जवारे अत्यधिक गुणकारी होते हैं - 1. चेहरे के मुहासे को ठीक करने में व्हीट ग्रास गुणकारी है। 2.व्हीट ग्रास पाउडर के नियमित सेवन से पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता बढ़ती है । 3.व्हीट ग्रास में एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं जो घाव, कीड़ों के काटने ,खरोच तथा त्वचा पर चकत्ते आने पर लाभदाई है। 4.व्हीट ग्रास मे पाए जाने वाले क्लोरोफिल से शरीर में हिमोग्लोबिन का उत्पादन होता है इसीलिए एनीमिया के रोगियों को व्हीटग्रास के सेवन की सलाह दी जाती है । 5. व्हीट ग्रास में कैंसर की कोशिकाओं को रोकने की क्षमता होती है इसीलिए कैंसर के रोगियों को व्हीटग्रास पाउडर पाउडर या जूस का सेवन करना चाहिए । 6. शराब के सेवन के बाद होने वाले हैंगओवर का भी गेहूं के जवारे से इलाज किया जा सकता है । 7. अवसाद के रोगियों के लिए भी गेहूं के जवारे का सेवन फायदेमंद होता है ।

गेहूं के ज्वारे कैसे उगाये?

गेहूं के जवारे उगाने की विधि - गेहूं के ज्वारे उगाने के लिए हमेशा अच्छी किस्म के जैविक यानी ऑर्गेनिक गेहूं का प्रयोग करना चाहिए कभी इसके गुणों का भरपूर लाभ मिलता है । गेहूं के जवारे उगाने के लिए लगभग 100 ग्राम गेहूं को रात को सोते समय किसी बर्तन में भिगोकर रख दें । 7 गोलाकार गमले लेकर उनके तले के छेद को एक पतले पत्थर के टुकड़े से ढक दें । मिट्टी और खाद को अच्छी तरह से मिलाकर गमले में 2 इंच मोटी पर परत बिछा दें और पानी छिड़क दे । गेहूं के जवारे उगाने के लिए हमेशा जैविक खाद का ही प्रयोग करें ।अगले दिन गेहूं को धोकर निथार लें ।अब एक गमला लेकर उस पर गेहूं की एक परत बिछा दे। गेहुओं के ऊपर थोड़ी मिट्टी डाल दें और पानी से सीच दें ।गमले को किसी छायादार स्थान जैसे बरामदे या खिड़की के पास रख दें जहां पर्याप्त हवा और प्रकाश आता हो लेकिन धूप की सीधी किरण मामले पर नहीं पड़नी चाहिए ।अगले दिन अगला गमला लेकर उसमें गेहूं बो दीजिए और इसी तरह हर रोज एक गमले में गेहूं बोते रहें । गमलों में रोजाना कम से कम दो बार पानी दें ताकि मिट्टी नम और गीली बनी रहे। जब गेहूं के जवारे 1 इंच से बड़े हो जाएं तो एक बार ही पानी देना पर्याप्त रहता है पानी देने के लिए स्प्रे बॉटल का प्रयोग करें । 7 दिन बाद 5 से 6 पत्तियों वाला 6 से 8 इंच लंबा जवारा निकल जाएगा अब इस जवारे को जड़ सहित उखाड़ ले और पानी से अच्छे से धो कर प्रयोग कर ले । इस प्रकार आप हर रोज एक गमले से जवारे तोड़ते जाइए और रोज गमले में जवारे बोते जाइए ताकि आपको निरंतर जवारे मिलते रहे ।

व्हीटग्रास पाउडर क्या होता है?

व्हीटग्रास यानी गेहूं के जवारे हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक होते हैं । खासकर जवारे का रस । परंतु व्हीटग्रास जूस बनाने में थोड़ा समय लगता है इसीलिए आजकल लोग व्हीटग्रास पाउडर का प्रयोग करते हैं । व्हीटग्रास पाउडर व्हीट ग्रास को धूप में सुखाकर उसे पीस कर बनाया जाता है ।इस पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पीना लाभदायक होता है ।

क्या हैं रात को दलिया खाने के फायदे-Raat Me Daliya Khane Ke Fayde

दलिया खाने से क्या होता है

दलिया एक पौष्टिक और हल्का भोजन है जिसे रात को खाने के अनेक फायदे होते हैं। यदि आप सोच रहे हैं कि रात को दलिया खाने के फायदे क्या हैं, तो यह लेख आपके लिए है। दलिया न केवल आपके शरीर को पोषण देता है, बल्कि यह आपके पाचन तंत्र, नींद और वजन नियंत्रण में भी सहायक होता है।

दलिया में पाए जाने वाले पोषक तत्व

दलिया में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स और खनिज जैसे कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं। 100 ग्राम दलिया में लगभग 83 कैलोरी ऊर्जा होती है।

रात को दलिया खाने के मुख्य फायदे

  1. डायबिटीज़ नियंत्रण में मददगार:

    दलिया में मैग्नीशियम होता है जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है, इसलिए यह डायबिटीज़ के मरीजों के लिए फायदेमंद है।

    मधुमेह
    मधुमेह
  2. पाचन तंत्र को मजबूत बनाए:

    दलिया में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो कब्ज जैसी पाचन समस्याओं को कम करता है।

  3. वजन नियंत्रण में सहायक:

    कम कैलोरी और अधिक फाइबर की वजह से दलिया लंबे समय तक भूख को नियंत्रित करता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।

  4. नींद में सुधार:

    दलिया में पाए जाने वाले मैग्नीशियम और ट्रिप्टोफैन मस्तिष्क को शांति देते हैं, जिससे अच्छी नींद आती है।

  5. दिल की सेहत बनाए:

    दलिया खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे हृदय रोग का खतरा घटता है।

दलिया खाने के दौरान सावधानियां

अत्यधिक सेवन से गैस या अपच हो सकता है।

  • ग्लूटेन से एलर्जी वाले लोग इसे सावधानी से लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या रात को दलिया खाना डायबिटीज़ के लिए सही है?

हाँ, यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है और डायबिटीज़ के मरीजों के लिए अच्छा विकल्प है।

रात में दलिया खाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

सोने से लगभग 2-3 घंटे पहले हल्का भोजन करना उचित होता है।

निष्कर्ष

रात को दलिया खाने के फायदे अनेक हैं- यह न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इसे अपनी डाइट में शामिल करें और बेहतर स्वास्थ्य का आनंद लें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

क्या रात को दलिया खाना चाहिए?

दलिया कम फैट वाला और फाइबर से भरा खाद्य पदार्थ होता है, जो भूख तो अच्छी तरह मिटाता ही है,इसके अलावा ये आपकी कॉन्सटिपेशन और दिल से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म करने में मदद करता है। तीन कटोरी लगभग पतला दलिया रात के खाने में पर्याप्त कैलोरी देता है इसे स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाने के लिए आप इसे सीजनल सब्जियों के साथ बनाकर भी खा सकते हैं। अगर आप दलिया रात के खाने में शामिल करते हैं तो ये आपको अच्छी और गहरी नींद भी देता है, इसमें सेराटोनिन हॉर्मोन होता है जो स्ट्रेस को कम करने में मददगार साबित है. ये आपके मूड को बेहतर कर शरीर को भी शांत रखने में मददगार है ।

गेहूं की दलिया खाने से क्या फायदा है?

गेंहू के दलिया के अंदर 68 से 70% तक कार्बोहाइड्रेट, 8 से 24% तक प्रोटीन तथा 1 से 2% वसा होती है। गेहूँ का दलिया गेहूं की रोटी की तुलना मे बहुत अधिक फायदा करता है। क्योंकि हम इसके अंदर गेहूं के दाने को पिसते तो हैं लेकिन उसको आटे की तरह महीन नहीं पीसते हैं। जिसका फायदा यह होता है कि इसके अंदर उच्च मात्रा मे पोषक तत्व बने रहते हैं। गेहूँ के चोकर में लौह, कैल्सियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि खनिज पदार्थ होते हैं। लेकिन हम इसके चोकर को छानकर जानवरों को खिला देते हैं। असल मे गेहूं के दलिया मे हमको पूरा फायदा इसलिए भी मिलता है क्योंकि इसके अंदर गेहूं के छिलका (चोकर ) साथ ही रहता है।

दलिया से वजन कैसे घटाएं?

दलिया नाश्ते के लिए एक स्वस्थ और बेहतरीन विकल्प है, खासकर वजन घटाने के लिए, दलिया काफी पौष्टिक होता है। इसमें आयरन, फोलेट, कॉपर, नियासिन, मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व होते हैं। ये फाइबर से भरपूर होता है, इसलिए पेट में ज्यादा जगह घेरता है और आप कम खुद ही मात्रा में डाइट लेते हैं । यह अनाज आपके पेट के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है और वजन बढ़ने के पीछे एक कारक कब्ज को रोकता है। दलिया में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन बी से भरपूर होता है, जो वजन घटाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक कटोरी वेजिटेबल दलिया खाने से आपको तृप्ति और पौष्टिकता दोनों मिलती हैं। आप दलिया में रागी, बाजरा, गेहूँ और भी अन्य अनाजों से विकल्प तलाश सकते हैं।

क्या दलिया खाने से मोटे होते हैं?

दलिया में कैलोरी की मात्रा बहुत होती है जिससे बॉडी को एनर्जी मिलती है। लेकिन इससे मोटापा नहीं बढ़ता है। रोजाना दलिया खाने से आपको बहुत कम मात्रा में कैलोरी मिलती है। क्योंकि इसमें बहुत अच्छी मात्रा में फ़ाइबर होता है इसलिए कम मात्रा लेने पर ही आपका पेट भर जाता है और साथ ही साथ कब्ज की समस्या नहीं रहती, पाचनतंत्र मजबूत होता है। दलिये के साथ जुडा़ कोई भी कारक ऐसा नहीं है जो वजन बढा़ने की ओर इशारा करता है।

शुगर लेवल कम होने के लक्षण, जिन्हें जानना आपके लिए है जरुरी

शुगर लेवल कम होने के लक्षण

हमारे समाज मे शुगर लेवल ज्यादा होना एक गम्भीर समस्या माना जाता है। ब्लड शुगर कम होना कितना खतरनाक है इस पर कोई बात ही नही करता। लो ब्लड शुगर को हाइपोग्लाइसीमिया भी कहते है। शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन के संतुलन के बिगड़ने की वजह से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। हॉर्मोनल लेवल के बिगड़ने के कारण भी ये बीमारी हो सकती हैं। चीनी हमारी बॉडी को ऊर्जा देती है इसलिए हाइपोग्लाइसीमिया वाले लोग अक्सर थका हुआ महसूस करते हैं। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि क्या है शुगर लेवल कम होने के लक्षण और कारण।

कब माने की शुगर लेवल कम है

सामान्य ब्लड शुगर लेवल 80-110 मिग्रा/डीएल के बीच होता है और 90 मिग्रा/डीएल को औसत ब्लड शुगर लेवल माना जाता है.
अगर ब्लड शुगर लेवल 70 से नीचे चला जाये तो संभल जाए। ऐसी स्थिति में तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।

शुगर लेवल कम होने के कारण

बुखार और हाइपोग्लाइसीमिया जैसी स्थितियां खुद एक बीमारी नहीं होती, बल्कि ये किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या का संकेत करती हैं
शुगर लेवल कम होने के निम्न कारण हो सकते है

  • डायबिटीज़ की दवाइयों का मात्रा स्व ज्यादा सेवन करना।
  • यदि आप इन्सुलिन ले रहे है तो, एक्सरसाइज़ करने के दौरान और उसके बाद में हाइपोग्लाइसीमिया का ख़तरा बढ़ सकता है.
  • लंबे समय तके भूखा रहना या भूख से कम मात्रा में खाना
  • शराब का अत्यधिक सेवन
  • लिवर संबंधित गंभीर बीमारियां, जैसे गंभीर हेपेटाइटिस भी ब्लड शुगर कम होने का कारण हो सकते है
  • एड्रिनल ग्रंथि और पिट्यूटरी ग्रंथि में गड़बड़ आने के परिणामस्वरूप कुछ खास हार्मोन्स की कमी

हाइपोग्लाइसीमिया की फिजियोलॉजी

शुगर हमारे शरीर के लिए मुख्य ईंधन की तरह काम करता है और हमारा दिमाग़ भी इस पर पूरी तरह निर्भर है। जब आपका ब्लड शुगर लेवल कम होता है तो दिमाग़ के काम करने की क्षमता पर भी इसका असर पड़ता है. हाइपोग्लाइसीमिया से निपटने के लिए शरीर की अंदरूनी कार्यप्रणाली इंसुलिन के स्त्राव को कम करती है और ग्लूकागॉन का स्राव बढ़ा देती है।

शुगर लेवल कम होने के लक्षण

शुगर लेवल कम होने को अनदेखा ना करें। आप शायद नही जानते कि शुगर लेवल कम होना कितना खतरनाक हो सकता है। इससे न केवल स्ट्रोक या कोमा जैसी स्थिति हो सकती है, बल्कि जान भी जा सकती है।

आप सोच सकते है यदि आपको ड्राइविंग या सड़क पर चलने के दौरान हाइपोग्लाइसेमिक अटैक आया तो क्या होगा। आपका एक्सीडेंट हो सकता है। इसलिए बहुत जरूरी हैं कि आप कुछ लक्षणों पर जरूर ध्यान दे। यदि आप इन्हें इग्नोर करेंगे तो ये लक्षण लगातार बने रहेंगे। इससे आपकी रोजमर्रा की जीवनचर्या प्रभावित होगी।

शुगर लेवल कम होने
शुगर लेवल कम होना

यदि आपको निम्न लक्षण दिखाए दे तो सचेत हो जाए।

  • दिल का बुरी तरह से घबराना
  • किसी कार्य को करते करते या कभी कभी बिना कारण अचानक थकान महसूस होना।
  • त्वचा का पीला पड़ जाना।
  • शरीर का बुरी तरह कांपना।
  • बिना कारण स्ट्रेस महसूस होना, एंग्जायटी लेना।
  • हथेलियां पर ज्यादा पसीना आना, कभी कभी पूरे शरीर पर पसीना आना।
  • बहुत तेज भूख लगना, जैसे बहुत समय से कुछ खाया न जाए।
  • बिना कारण चिड़चिड़ापन होना।
  • मुंह के चारों ओर झुनझुनी और सनसनी महसूस होना
  • कभी कभी कुछ लोग नींद के दौरान रोते है

यदि आप इन लक्षणों को लगातार इग्नोर करते रहेंगे। तो समस्या बढ़ती चली जाएगी।

समस्या गम्भीर होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते है।

  • रोजमर्रा की गतिविधियों को पूरा करने में असमर्थता होने लगती है।
  • आंखों की रोशनी कम होकर देखने में परेशानी होने लगती है। धुंधला दिखाई देने लगता है।
  • दौरा पड़ने की समस्या भी देखने को मिलती है।
  • अचानक ब्लड शुगर लेवल कम होने पर व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है।
  • पीड़ित लोग किसी नशे में चूर व्यक्ति की तरह लगते हैं, जो शब्दों का स्पष्ट तरीके से उच्चारण नहीं कर पाते हैं।

शुगर लेवल कम होने पर क्या करें

अगर डायबिटीज हो तो

  • डॉक्टर द्वारा व खुद बनाए गए डायबिटीज के प्लान का ध्यानपूर्वक पालन करें।
  • निरंतर ग्लूकोज मॉनिटर (CGM) जैसे उपकरण का प्रयोग करें।
  • हाई इन्टेन्सिटी वर्कआउट करने से बचें
  • अपने पास हमेशा ग्लूकोज़ टेबलेट, जूस, मीठा फल या कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थ जरुर रखे।

अगर डायबिटीज न हो तो

  • सुबह का नाश्ता कभी मिस न करें, ये दिन की बहुत ही जरूरी मील है।
  • 24 घण्टो में थोड़े थोड़े गैप पर कुछ न कुछ हल्का फुल्का खाते रहे।

हाई ब्लड प्रेशर तुरन्त कैसे कम करें-high blood pressure ko turant kaise kam kare

हाई ब्लड प्रेशर तुरन्त कैसे कम करें

हाई बल्ड प्रेशर किसे कहते है

हम आपको बहुत ही सरल शब्दो मे समझाते है। जब भी हमारा हृदय धड़कता है, तो वो ब्लड पंप करता हैं। हर पंप के साथ ब्लड आर्टरी से होता हुआ शरीर मे के हर अंग तक जाता है।
इन्हीं धमनियों से कितना खून पास हो रहा है इसे ही ब्लड प्रेशर कहते हैं। ब्लड प्रेशर यानी जब बहते हुए खून का दबाव धमनियों पर बढ़ जाता है। इसे हाई ब्लड प्रेशर कहते है।

क्या है हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति

भारत में हर 3 में से 1 भारतीय हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहा है।कहा जाता था कि हाई बी पी बूढ़े लोगो की बीमारी है, लेकिन अब यंग लोगो मे भी ये बीमारी देखी जा रही है।
भारत की करीब 40 प्रतिशत शहरी आबादी हाइपरटेंशन की समस्या से पीड़ित है,और यह संख्या तेजी से बढ़ भी रही है।

हाई ब्लड प्रेशर से होने वाली दिक्कतें

  • हार्ट अटैक या स्ट्रोक
  • हार्ट फेलियर
  • किडनी पर बुरा असर
  • आंखों के ब्लड वेसल्स पर बुरा असर
  • डिमेंशिया
  • याददाश्त कमजोर आदि

हाई ब्लड प्रेशर के कारण

तनाव

हाई ब्लड प्रेशर का सबसे बड़ा कारण तनाव है। तनाव होना आजकल एक आम बात है। केवल बड़ो को ही नही, आजकल स्कूल जाने वाले बच्चे भी तनाव से पीड़ित हैं।
जरूरत से ज्यादा तनाव पूरी बॉडी पर खराब असर डालकर, बी पी बढ़ाने वाले हॉर्मोन्स सीक्रिट करता है।

तनाव
तनाव

नमक का ज्यादा सेवन

बहुत से लोग जरूरत से ज्यादा नमक खाते है। बनी हुई सब्जी में ऊपर से नमक डालना, दही और सलाद में भी नमक डालना। ये आदत बहुत ही नुकसानदायक है।
ज्यादा नमक खाने से शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ जाती है जिस वजह से किडनी में वॉटर रिटेंशन होने लगता है और आपके खून में ढेर सारे फ्लूइड्स बहने लगते हैं जिस वजह से रक्त धमनियों यानी ब्लड वेसल्स में प्रेशर बढ़ता है और ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है।

स्मोकिंग और ड्रिंकिंग

शराब व सिगरेट में मौजूद निकोटिन ब्लड वेसल्स को कॉन्ट्रैक्ट कर देती है। ये आपकी फिजिकल कंडीशन पर डिपेंड करता है कि निकोटिन का असर आपको कितने सेवन के बाद होगा।

हाई बी एम आई

अगर आपका मोटापा यानी वजन बहुत ज्यादा है तो आपका बी एम आई भी बहुत ज्यादा होगा। जब ब्लड वेसल्स के चारो तरफ फैट ज्यादा होगा तो
वस्कुलर रेजिस्टेंज भी बढ़ने लगता है जिस वजह से हार्ट को दिनभर में ज्यादा खून पंप करना पड़ता है और हार्ट का काम अगर बढ़ जाता है तो यह ब्लड प्रेशर बढ़ने की सबसे बड़ी निशानी है।

प्रेगनेंसी

प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को भी बी.पी. बढ़ने की समस्या होती है।

हाई बी पी के लक्षण

  • हाई बी पी में सरदर्द के साथ चक्कर आते है।
  • हाई बी पी में व्यक्ति को थकावट और ज्यादा तनाव होता है।
  • कई बार सीने की तरफ दर्द और भारीपन महसूस होता है।
  • सांस लेने में परेशानी और घबराहट होती है।
  • रोगी के पैर अचानक सुन्न हो जाते हैं, और रोगी को धुंधला दिखाई पड़ता है।

बी पी की नई गाइड लाइन

पुरानी गाइड लाइन के अनुसार नॉर्मल बी पी रेंज है,
120/80 बल्कि यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी की गाइडलाइन के अनुसार नई बी पी रेंज है, 140/90

हाई बी पी से कैसे बचें

  • रोजाना कम से कम 20-25 मिनट एक्सरसाइज करें।
  • हरी सब्जियां व कम फैट वाला भोजन ले।
  • मैग्निशियम, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ अधिक खाने चाहिए।
  • केवल मौसमी फलों जैसे सेब, अमरूद, अनार, केला, अंगूर, अनानास, मौसंबी, पपीता का सेवन करे।
  • रोजाना पानी अधिक मात्रा में पीये।

हाई बी पी को तुरंत कैसे कम करें-high blood pressure ko turant kaise kam kare

  • बी पी हाई होने पर शरीर को तुरन्त आराम की अवस्था में ले आएं।
  • एक गिलास पानी मे निम्बू और चीनी का घोल बनाकर पिए, भूलकर भी नमक न डालें।
  • तनाव को कम करने की कोशिश करें, जिंदगी से जुड़ी पॉजिटिव चीज़ों के बारे में सोचें।
  • आँवले का चूर्ण और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम ले।
  • जब ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो तो आधे गिलास गुनगुने पानी में काली मिर्च पाउडर का एक चम्मच घोल लें। इसे दो-दो घंटे के बाद पीते रहें।
  • तरबूज के बीज की गिरी तथा खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में रख लें। इसका रोजाना एक-एक चम्मच सेवन करें।
  • रोज सुबह खुली हवा में नंगे पैर हरी घास पर वॉकिंग करें।
  • मौसम के अनुसार पालक, चुकंदर, अनार, गाजर का जूस पिए।
  • 3 ग्राम मेथीदाना पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे प्रतिदिन खाने से लाभ मिलता है।

यूरिक एसिड में क्या क्या सावधानियां बरतें?

यूरिक एसिड में सावधानियां

यूरिक एसिड हमारे शरीर का वो अपशिष्ट एवं अवांछित तत्व है जो कि हमारे शरीर से बाहर न निकलने के कारण हमारे जोड़ों में इकट्ठा हो जाता है। यूरिक एसिड अकेला नहीं आता अपने साथ ढेर सारी समस्या लेकर आता है। यूरिक एसिड की सबसे बड़ी समस्या अर्थराइटिस एवं गठिया होती है। जिसकी वजह से हमारे शरीर के जोड़ो में दर्द होने लगता है। कुछ समय बाद हमारा चलना फिरना, अपने हाथ पैरों से काम करना मुश्किल हो जाता है। हमें अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से हम यूरिक एसिड को कंट्रोल कर सकते हैं। 

यूरिक एसिड बढ़ता क्यों है

हमारा शरीर किडनी और यूरिन के माध्यम से यूरिक एसिड को शरीर से बाहर विसर्जित करता है। अगर हम बहुत अधिक यूरिक एसिड वाली चीजें भोजन में लेते हैं तो हमारे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। इस अवस्था को हाइपरयूरीसीमिया कहा जाता है। इस अवस्था में फ्यूरिन की मात्रा अधिक होती है। ज्यादा यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में यूरेट क्रिस्टल जमा हो जाते हैं। यह यूरेट क्रिस्टल यूरिन को अधिक अम्लीय बना देते हैं। जिससे यूरिन शरीर से अच्छी तरह से बाहर नहीं निकाल पाता। जिसके कारण यह अपशिष्ट पदार्थ शरीर में जमा हो जाता है।

यूरिक एसिड बढ़ने के कारण

यूरिक एसिड बढ़ने का कारण हमारा खान-पान हो सकता है। अगर हम गरिष्ठ भोजन खाते हैं सी फूड, दाल, राजमा, पनीर और चावल जैसी चीजे लगातार खाते हैं तो हमारा यूरिक एसिड बढ़ जाता है।

डायबिटीज के मरीजों का यूरिक एसिड भी अक्सर बढ़ जाता है।

मोटापा यूरिक एसिड बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। मोटापे के कारण हमारी किडनी अच्छी तरह से काम नहीं कर पाती या

हम यह कह सकते हैं कि हम बहुत अधिक खाते हैं जिसके कारण हम बहुत मोटे होते हैं। बहुत मोटे होने के कारण हमारे शरीर से यूरिक एसिड यूरिन के रूप में पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाता।

बीमारियां भी है यूरिक एसिड बढ़ने का कारण

  • स्ट्रेस भी यूरिक एसिड बढ़ने का एक मुख्य कारण हो सकता है। स्ट्रेस के कारण हम तनाव में रहते हैं और हमारी किडनी पूरी तरह से फंक्शन नहीं कर पाती। जिसके कारण हमारे शरीर का यूरिक एसिड हमारे शरीर से बाहर नहीं निकल पाता।
  • पूर्वजों को, माता पिता को यह बीमारी हुई होती है तो हमें यूरिक एसिड होने की संभावना ज्यादा होती है।
  • अगर हमारे शरीर में किडनी की कोई परेशानी होती है तो किडनी प्रॉपर काम नहीं करती जिसके कारण यूरिक एसिड शरीर से बाहर नहीं निकल पाता।
  • हाइपोथायरायडिज्म के कारण शरीर से यूरिक एसिड बाहर नहीं निकल पाता है।
  • अगर किसी को कैंसर है तो कैंसर भी यूरिक एसिड बनने का एक कारण होता है। कैंसर में कीमोथेरेपी की जाती है। वह भी यूरिक एसिड के बढ़ने का कारण होती है।

यूरिक एसिड से कैसे बचे

अगर हमारा खान-पान ठीक नहीं है। हम ऐसे पदार्थों को अधिक मात्रा में लेते हैं जो यूरिक एसिड को बढ़ाते हैं तो हमारा यूरिक एसिड बढ़ जाता है।

  • शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना रोकने के लिए काफी सारा पानी पीना चाहिए। अगर व्यक्ति पानी अधिक मात्रा में पीता है यूरिक एसिड शरीर से यूरिन के रूप में बाहर निकल जाता है। किडनी को काम करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। 
  • धूम्रपान एवं शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। यूरिक एसिड के लिए शराब बहुत हानिकारक है। शराब पीने से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है।  शरीर को अगर स्वस्थ रखना है तो हमें शराब नहीं पीनी चाहिए और पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए।
  • यूरिक एसिड से बचने के लिए सबसे पहले तो हमें अपने वेट पर ध्यान देना होता है। यूरिक एसिड अधिकतर मोटे लोगों का बढ़ा हुआ होता है। अगर हम अपने वेट को संतुलित कर दें तो यूरिक एसिड अपने आप कम हो जाएगा। 

यूरिक एसिड की सही मात्रा

यूरिक एसिड के विषय में हम सभी को पता है कि शरीर में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में या कम मात्रा में नहीं होना चाहिए पर हमें यह नहीं पता कि कितना अधिक मात्रा या कम मात्रा में नहीं होना चाहिए। आइए जानते हैं कि शरीर में यूरिक एसिड किन लोगों में कितनी मात्रा में होना चाहिए।

पुरुषों में यूरिक एसिड की मात्रा 2.5 mg dl – 7 mg/dl है। अगर यूरिक एसिड की मात्रा पुरुषों में 2.5 एमजी से कम है तो इसका मतलब है शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम है। आपको अपनी डाइट में प्रोटीन बढ़ाने की आवश्यकता है अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा 7 एमजी से अधिक है तो इसका अर्थ है कि आपको अपनी डाइट को कंट्रोल करने की आवश्यकता है आपको उपयुक्त डाइट लेनी पड़ेगी।

स्त्रीयों में यूरिक एसिड की मात्रा 1.5 mg /dl – 6.5mg,/dl है। पुरुषों की ही तरह स्त्रीयों को भी अपनी डाइट का ध्यान रखना होगा। अगर आपके शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक है। तो आपको अपनी डाइट को कंट्रोल करना होगा और अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम है तो अपनी डाइट में प्रोटीन बढ़ाना होगा।

बी पी कम होने के लक्षण, जिन्हें जानना अपने लिए है जरुरी-bp low hone ke lakshan

बी पी कम होने के लक्षण

बी पी यानी ब्लड प्रेशर क्या होता है।

रक्त वाहिनियों पर पड़ने वाले ख़ून के दबाव को ब्लड प्रेशर कहा जाता है। हाई ब्लड प्रेशर में ख़ून का दबाव ज़्यादा और लो ब्लड प्रेशर में ख़ून का दबाव कम होता है। आज के इस लेख में हम जानेंगे बी पी कम होने के लक्षण ।

क्या केवल उच्च रक्तचाप है खतरनाक

ज्यादातर हमारे समाज मे हाई बी पी अर्थात उच्च रक्तचाप को ही गम्भीर विषय माना जाता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नही है, निम्न रक्तचाप अर्थात लो ब्लड प्रेशर भी चिंता का विषय है।

बी पी कम होना किसे कहते हैं

लो ब्लड प्रेशर या निम्न रक्तचाप को हाइपोटेंशन भी कहा जाता है. जब किसी भी इंसान का ब्लड प्रेशर 90/60 से नीचे चला जाता है, तो इस अवस्था को लो बीपी या हाइपोटेंशन कहते है।

बी पी कम होने पर रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे हृदय, मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों में पर्याप्त रक्त नहीं पहुंच पाता. जब शरीर के इन मुख्य भागो तक रक्त सही से नही पहुँचेगा तो, रक्त के साथ जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाएगी। अब आप समझ सकते है कि शारीरिक स्थिति क्या होगी।

सामान्य रक्तचाप कितना होता है।

एक स्वस्थ्य व्यक्ति का रक्तचाप 120/80 (सिस्टोलिक/डायस्टोलिक) होना चाहिए सिस्टोलिक के लिए 120 मिलीमीटर एचजी से कम और डायस्टोलिक के लिए 60 मिलीमीटर एचजी से कम को लो बीपी माना जाता है.

लेकिन ये डिटेल सबके लिए मान्य नही है, किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति का सामान्य बी पी कितना होगा,ये बहुत सी बातों पर निर्भर करता है। जैसे उम्र, लिंग, निवास स्थान, आनुवंशिक बीमारी या कोई मेडिकल प्रॉब्लम

बी पी कम होने के कारण

खून की कमी

किसी बीमारी के कारण, पोषण की कमी या कोई दुर्घटना होने पर ब्लड लॉस, इन सब कारणों से शरीर मे खून की कमी हो जाती है। शरीर तेजी से लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता जिससे बी पी कम हो जाता है.

हृदय रोग

हृदय से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या होने पर रक्तचाप निम्न हो सकता है. इसलिए इस दौरान आपको विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.

पानी की कमी

शरीर मे पानी बहुत जरूरी हैं, पोषक तत्वों को जरूरी अंगों तके पहुचाने और खून के दौरे को सही से रखने के लिए। पानी की कमी से इस प्रक्रिया में कमी आती है जिस कारण बी पी कम हो जाता है।

डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन

गर्भावस्था

गर्भावस्‍था की बात करें तो इस दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण सर्कुलेटरी सिस्टम में ब्लड वेसल्स चौड़ी हो जाती हैं। इससे ब्‍लड प्रेशर लो हो जाता है

इन सबके अलावा डायबिटीज, थायरॉयड, एडिसंस डिसीज आदि में भी बी पी कम होने की समस्या होती है। साथ ही किसी प्रकार का टेंशन, सदमा लगने, डर जाने, इंफेक्शन आदि होने पर भी यह समस्या हो सकती है.

बी पी कम होने के लक्षण-bp low hone ke lakshan

बेहद कमजोरी महसूस करना

बी पी कम होने पर अचानक बहुत कमजोरी महसूस होने लगती है। ऐसा पोषक तत्वों के मुख्य अंगों तक न पहुचने के कारण होता है।

चक्कर आना

बी पी कम होने पर चक्कर आते है, ये चक्कर सर्वाइवल या हाई बी पी के चक्करों से अलग होते है। ये चक्कर आपको केवल कुछ काम करते हुए या चलते हुए महसूस होते है।

थकान और डिप्रेशन

बी पी कम होने पर ऐसा लगता है जैसे शरीर शारिरिक और मानसिक रूप से थका है। ऐसा महसूस होता है मानो आप कई रात सही से सोए नही है।

मन मे उलझन रहती है, काम के बारे में सोचने पर डिप्रेशन महसूस होता है, दिमाग बंधा हुआ महसूस करता है।

जी मिचलाना और खाने में स्वाद ना आना

बहुत ज्यादा बी पी कम होने पर जी मिचलाने लगता है, कुछ भी खाते समय लगता है कि उल्टी हो जाएगी। इसी कारण व्यक्ति खाने को देखकर उबकाई लेता है।

अन्य लक्षण

इनके अलावा बी पी कम होने पर निम्न लक्षण दिखाई देते है।

  • प्यास लगना
  • धुंधला दिखाई देना,
  • त्वचा में पीलापन,
  • शरीर ठंडा पड़ जाना,
  • आधी-अधूरी और तेज सांसें आना

 बी पी कम होने पर क्या करें

  • आराम करें पर सोए ना
  • तुरंत नमक का पानी पिएं, अगर आपको डायबिटीज हो तो खाएं।
  • अपनी मुट्ठी बांधें, फिर खोलें। ऐसा बार- बार करें।
  • बॉडी को पूरी तरह सक्रिय रखें।
  • कॉफी पिए
  • सबसे जरूरी बात सुबह उठने के बाद ब्रेकफास्ट में देरी न करें। बहुत लंबे समय तक खाली पेट न रहे।
  • यदि ज्यादातर आपका बी पी कम रहता है तो उपवास से बचें, या हल्का फुल्का कुछ खाते रहे।
  • थाइरोइड या pcod होने पर जंक फूड और खराब लाइफ स्टाइल से बचे।
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