जानिए कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें- Cholesterol Kam Karne Ke Upay In Hindi

कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें

हमारे बॉडी मे बहुत से कोशिकाओं होती है इन्हे सही से काम करने के लिए किसी भी प्रकार की रुकावट नही चाहिए होती है। परंतु व्यक्ति के गलत खान पान के कारण शरीर मे बहुत सी बीमारिया पैदा हो जाती है। बहुत बार व्यक्ति ऑइल की चीजे ज्यादा खाता है जिससे उसके बुरे प्रभाव उसके शरीर पर पड़ते है। ज्यादा ऑइल का खाना शरीर मे कोलेस्ट्रोल की समस्या पैदाकर देता है। कोलेस्ट्रोल की समस्या से मोटापा, सिर दर्द, सांस फूलना, बेचेनी, सिने मे दर्द, हार्ट के बीमारी आदि होने लगती है। जब कोलेस्ट्रोल बढ़ता है तो यह बीमारिया आम तोर पर होना शुरू हो जाती है। इसके लिए व्यक्ति बहुत से उपाय करने लगता है जिससे कोलेस्ट्रोल कम किया जा सके। तो आइये जानते है कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें ।

कोलेस्ट्रॉल क्या है?

कोलेस्ट्रोल एक वसा से भरा तरल की तरह होता है, जो हमारे लिवर से पैदा होता है। यह हमारे शरीर की कोशिकाओं की दीवारों, हॉर्मोस को बनाये रखने मे, नर्वस सिस्टम के सुरक्षा कवच के लिए जरूरी होता है। बॉडी मे दो तरह के कोलेस्ट्रोल होते है जैसे एक अच्छा दूसरा बुरा। अच्छा कोलेस्ट्रोल काफी हल्का होता है, बुरा ज्यादा गाढ़ा होता है जो हमारे आर्टरी की दीवारों पर जमा होता है। इससे खून का बहाव रुक जाता है।

कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें-Cholesterol Kam Karne Ke Upay In Hindi

कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए हमने नीचे कुछ खाद्य सामाग्री के बारे मे बताया है जिससे व्यक्ति आसानी से अपने बढ़ते हुये कोलेस्ट्रोल को कम कर सकता है। चलिये जानते है कैसे?

ऑलिव ऑयल

कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए ऑलिव ऑयल का उपयोग करना चाहिए क्यूकी इसमे अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल के लेवेल को कम करने के गुण होते है जो कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने से रोकते है। यह हमारे शरीर मे ऑर्टरी को मजबूत बनाए रखता है।
ऑलिव ऑयल हमारे हार्ट के लिए भी सही होता है।

ऑलिव ऑयल ब्लड प्रेशरशुगर के लेवेल को बनाए रखता है। ऑलिव ऑयल का लगातार 6 महीने से ज्यादा काम मे लेने से यह आपका 8-10% कोलेस्ट्रोल घटा देता है।

नींबू

नींबू को कोलेस्ट्रोल कम करने का एक अच्छा स्त्रोत माना गया है। इसमे घुलनशील फाइबर होते है जो हमारे पेट के लिए अच्छे होते है।

नींबू
नींबू

यह हमारे पेट मे कोलेस्ट्रॉल को खून के साथ मिलने से रोकने मे मदद करता है। इसके अंदर पाये जाने वाला विटामिन सी खून की नालियो की सफाई करता है। यह हमारे बड़े हुये कोलेस्ट्रोल को बाहर निकाल देता है। इसके आप खटे फलो को खा सकते है, क्यूकी इनमे एंजाइम्स होते है जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को तेज करते है, जिससे आप कोलेस्ट्रॉल को घाटा सकते है।

सोयाबीन और दालें

कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए व्यक्ति को अंकुरित चीज़ों को खाना चाहिए, इसलिए सोयाबीन और दालें का सेवन करना जरूरी है, क्यूकी अंकुरित अनाज मे खून मे पाये जाने वाले एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने मे लिवर की सहायता करता है।

यदि इन चीज़ों को सही से सेवन नही किया जाता है तो यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ा भी सकती है।

ओट्स

ओट्स मे मोजूद फाइबर हमारे शरीर मे कोलेस्ट्रॉल को कम करने मे मदद करता है। ओट्स मे बीटा ग्लूकॉन होता है जो हमारी आंत की सफाई करता है।

जिससे हमारी कब्ज की परेशानी दूर हो जाती है। इससे खराब कोलेस्ट्रॉल को ख़त्म कर देता है। यदि इसका लगातार सेवन करते रहने से यह 3 महिनो मे ही 6-7 % कोलेस्ट्रॉल को कम कर देता है।

लहसुन

लहसुन को आम तौर पर बहुत से बीमारी के काम मे भी लिया जाता है। इसमे पाये जाने एंजाइम्स कोलेस्ट्रॉल को घटाने मे मदद करते है।

यदि हम लहसुन का रोजाना सेवन करते है तो लगभग 10-15% तक कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते है। यह हमारे ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।

कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय है ड्राई फ्रूट्स

कुछ ड्राई फ्रूट्स जिनमे फाइबर पाये जाते है जैसे पिस्ते, अखरोट और बादाम आदि है। इन ड्राई फ्रूट्स मे ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो की कोलेस्ट्रॉल को कम करने मे हमारी मदद करता है।

इसमे फाइबर ज्यादा होता है ,जो हमे पेट के भरे रहने का अहसास करवाते है। इससे फालतू की चीजे खाने से बच सकता है।

इम्युनिटी बढाने के लिए जानें एप्पल साइडर विनेगर पीने के फायदे

एप्पल साइडर विनेगर पीने के फायदे

एप्पल साइडर विनेगर, यानी सेब का सिरका आजकल काफी ट्रेंडिंग में है। यूट्यूब से लेकर सारे सोशल मीडिया पर इसके गुणों की भरमार है। आज हम भी इस आर्टिकल में एप्पल साइडर विनेगर पीने के फायदे विस्तार में बताएंगे। एप्पल साइडर विनेगर सेब के रस को फर्मेंट करके बनाया जाता है। इसका उपयोग केवल विभिन्न भोज्य पदार्थों में ही नही बल्कि स्वास्थ्य की विभिन्न समस्याओं में किया जाता है।
लेकिन इस आर्टिकल को पढ़ने से पहले आपको एक बात बताना चाहते है कि, एप्पल साइडर विनेगर केवल किसी भी स्वास्थ्य समस्या में आराम देता है, उसका समाधान नही करता।

एप्पल साइडर विनेगर में होता क्या है

जब सेब के रस को फरमेंट करते है तो उस फर्मेन्टेड रस में एथिल अल्कोहल होता है, जो एसीटोबैक्टर नामक सूक्ष्म जीव द्वारा एसिटिक एसिड में परिवर्तित होता है। एसिटिक एसिड, एप्पल साइडर विनेगर का एक्टिव कॉम्पोनेन्ट है। यह इसकी तीव्र गंध और खट्टे स्वाद के लिए भी जिम्मेदार होता है। इसमें विटामिन के साथ कई अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं

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एप्पल साइडर विनेगर पीने के फायदे

डायबिटीज में एप्पल साइडर विनेगर

दरअसल एप्पल साइडर विनेगर शरीर मे ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है। इसके अलावा एप्पल साइडर विनेगर में उपस्थित एसिटिक एसिड में एंटी-डायबिटिक और एंटी-ग्लाइसेमिक गुण होते हैं, जोकि डायबिटीज में बहुत फायदेमंद है।

यदि आप डायबिटीज से पीड़ित है या प्रिडॉयबेटिक है तो, रोज सुबह भोजन से पहले एप्पल साइडर विनेगर का सेवन करें।

पाचनतंत्र को मजबूत बनाएं

एप्पल साइडर विनेगर पाचनतंत्र के लिए बहुत ही बेहतरीन है। यदि आप गैस, अपच, खट्टी डकार, कब्ज या किसी भी पाचन सम्बन्धी समस्या से परेशान है तो, इससे बेहतर कुछ नही।

यदि आप भोजन से कुछ देर पहले थोड़ी सी मात्रा में एप्पल साइडर विनेगर का सेवन करें तो, ये पाचक रसों को एक्टिव करता है। जिससे भोजन अच्छे से पच जाता है।

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मोटापा घटाए

अगर हम ये कहे कि केवल एप्पल साइडर विनेगर पीने से मोटापा खत्म होगा तो ये गलत होगा। लेकिन हां मोटापा कम करने में ये बहुत फायदेमंद है। दरअसल इसमे उपस्थित एसिडिक एसिड फैट को काटने का काम करता है।

इसके सेवन से भोज्य पदार्थ अच्छे से पचता है, जिसके कारण भोजन के फैट में बदलेने की दर कम हो जाती है।यदि आप उचित आहार विहार और व्यायाम के साथ इसका सेवन करें आपका वजन बेहतर और तेज तरीके से कम होगा।

खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करें

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण दिल से जुड़े बहुत से रोग होने का खतरा रहता है। यहां तक कि हार्ट अटैक से जान का खतरा भी होता है।
आपको बता दे कि एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में, एप्पल साइडर विनेगर में मौजूद एसिटिक एसिड, सीरम टोटल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में सहायक पाया गया है।

एप्पल साइडर विनेगर एलडीएल (LDL) यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और एचडीएल (HDL) यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

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इम्युनिटी बढ़ाए

एप्पल साइडर विनेगर में शामिल एसिटिक एसिड और फ्लेवोनोइड होते हैं, जो इम्युनिटी सिस्टम को बेहतर बनाता है। एप्पल साइडर विनेगर में शामिल एंटी-माइक्रोबियल गुण, हानिकारक बैक्टीरिया को शरीर से दूर रखते है।

एप्पल साइडर विनेगर
एप्पल साइडर विनेगर

रक्तचाप को नियंत्रित करे

एप्पल साइडर विनेगर में मौजूद एसिडिक एसिड में एंटीहायपरटेंसिस गुण होते है। जिस कारण उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए ये बहुत फायदेमंद है।

सुबह खाली पेट इसका थोड़ी मात्रा में सेवन करने से हाई बीपी के मरीजों को बहुत फायदा होगा। पर ध्यान रखे लो बी पी वाले मरीज इसके सेवन से बचे।

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दांतों के लिए फायदेमंद

सेब का सिरका दांतों को साफ करने में भी सहायक हो सकता है। सेब का सिरका दांतो के पीलेपन के लिए ब्लीचिंग एजेंट की तरह काम कर सकता है। जिस कारण दांतों के रंग में सुधार हो सकता है।

लेकिन ध्यान रहे कि इसमे एसिडिक एसिड होता है। इसलिए इसका जरूरत से ज्यादा प्रयोग दांतो के लिए हानिकारक है।

एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर

एप्पल साइडर विनेगर का एंटीऑक्सीडेंट गुण गट हेल्थ को सुधारता है। यह लिवर और किडनी से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक है।

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आर्थराइटिस में फायदेमंद

इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटिनोसाइसेप्टिव गुण होते हैं, जो कि जोड़ो की सूजन और दर्द को कम करते है।

कैसे करें इस्तेमाल

  • चिकित्सक के परामर्श अनुसार ही इस्तेमाल करें।
  • सेब के सिरके को सलाद के ऊपर छिड़कर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • एक या डेढ़ चम्मच सेब के सिरके को पानी में मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं।

जानिए कैसे करे बिना किसी साइड इफेक्ट्स के करे पेट कम-Pait kam karne ki dawa

जानिए कैसे करे बिना किसी साइड इफेक्ट्स के करे पेट कम

पेट कम करने के लिए अधिकतर लोग एक्सरसाइज, योग, डाइटिंग और घरेलू नुस्खे प्रयोग करते है। पेट अंदर करने के उपाय को अपनाकर सेहतमंद तरीके से मोटापा कम किया जा सकता है पर कुछ लोगों की जिंदगी भागमभाग होती है जिस कारण वे नियमित रूप से इन उपायों को नहीं कर पाते और ऐसे में वे जल्दी पतले होने की दवाई या कोई आसान तरीका जानना चाहते है। आज हम पेट कम करने वाली दवाओ पर चर्चा करेगे जिनके सेवन से कोई नुकसान नही है।

पेट कम करने की दवा-Pait Kam Karne Ki Dawa

‘एग्रीप्योर गार्शिपेन प्लस टेबलेट’

यह आयुर्वेदिक दवा, पेट कम करने में कारगर आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का मिश्रण है। यह पेट कम करने असरदार है। क्योकि ये आसानी से चर्बी उत्पादन रोक देती है और शरीर की जमी हुई चर्बी को जला देती है। शरीर का भरा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम करती है। मेटाबॉलिज्म लेवल बढ़ाती है। शरीर का बढ़ा हुआ मोटापा कम करने में मदद करती है। शरीर में स्वाभाविक रूप से काम करती है और कभी कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखाती। यह 100% आयुर्वेदिक दवा है।

दिव्य मेदोहर वटी

यह पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा है जो पेट अंदर करने के अलावा पाचन शक्ति को भी दरुस्त करने में कारगर है। ये दिव्य मेदोहर वटी पुरे शरीर का वेट लॉस करने की बजाय पेट कम करने में जादा असरदार दवाई है।

त्रिफला और गुग्गुल इस दवा के प्रमुख सामग्री में से एक है। त्रिफला मोटापा कम करने की आयुर्वेदिक दवाई है जो वसा पचाने की प्रक्रिया में सुधार लाती है। गुग्गल भी त्रिफला की तरह पेट की चर्बी घटाने और वजन कम करने में मदद करती है। दिव्य मेदोहर वटी में कुछ और भी औषधियां मौजूद है जो शरीर में वसा जमा नहीं होने देती और साथ ही फैट लॉस की प्रक्रिया को दरुस्त करने में मदद करते है।

त्रिफला
त्रिफला

ये दवा हार्मोन्स को संतुलन में रखने में मदद करती है। पेट कम के अलावा ये आयुर्वेदिक दवा भूख भी नियंत्रित करती है। ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल को कण्ट्रोल करने में मदद मिलती है। मेदोहर वटी एक हर्बल मेडिसिन है जिससे वजन कम करने के अलावा ताक़त भी मिलती है।

गर्भवती महिला की डिलीवरी के बाद अक्सर वजन बढ़ जाता है और ऐसे में ये वजन कम करने की दवाई काफी सहायक हो सकती है। इस दवा की खुराक प्रयोग करने वाले के वजन और उसकी उम्र के अनुसार दी जाती है। बच्चों के लिए एक से दो गोली, नौजवानों के लिए दो से तीन गोलियां और वृद्ध लोग एक से दो टेबलेट दिन में दो बार ले सकते है। पतले होने के लिए दिन में तीन बार दो से तीन गोली ले सकते है।
दिव्य मेदोहर वटी के अलावा कुछ और पतंजलि दवाईयां भी है जो पेट अंदर करने में मददगार है जो इस प्रकार है।

  • आंवला जूस
  • एलोवेरा जूस
  • त्रिफला गुग्गुलदिव्य गोधन अर्क
  • दिव्या पेय हर्बल टी

वेट लॉस सप्लीमेंट

यह पेट कम करने का कैप्सूल है। ब्लेसिंग ट्री वेट लॉस सप्लीमेंट में ऐसे तत्व शामिल है जिनके द्वारा फैट बर्न होता और भूख पर नियंत्रण रहता है। ये दवा 100% नैचूरल है और इस सप्लीमेंट के साथ अगर आप वर्कआउट एक्सरसाइज भी करते है तो बहुत जल्द आपको अच्छे रिजल्ट देखने को मिल जायेगे इसमें ग्रीन कॉफ़ी बीन और दूसरे तत्वों के कारण वेट लॉस में मदद करता है। यह पेट कम करने के लिए यह सबसे बेस्ट कैप्सूल है।

एप्पल सीडर विनेगर

एप्पल सीडर विनेगर सबसे अच्छा है क्यों की इसके एक नहीं कई अनेक फायदे है। जैसे की वेट लॉस के साथ साथ इससे बाल अच्छे होते है, चेहरे की स्किन पर निखार आता है और हार्ट के लिए भी अच्छा है। ज्यादातर लोग इसे नॉर्मल यूज़ में लेते ही है, इसके कोई भी साइड इफ़ेक्ट या नुक्सान नहीं है इसलिए आप इसे  बेफिक्र होकर यूज़ करे और फायदा उठाये।

फैट बर्नर मेडिसिन

मार्केट में आपको कई तरह के फैट बर्नर टेबलेट मिल जायेगे पर ज्यादातर केस में लोग सही कंपनी का सही प्रोडक्ट पसंद नहीं कर पाते। आपको बता दू की पतले होने के लिए नटुरीज़ ब्रांड का फैट बर्नर सबसे बेस्ट है।इसमें हर वो तत्व शामिल है जो पेट कम करने के लिए जरुरी है जैसे की ग्रीन टी बीन्स, गार्सीनिअ कम्बोगिआ, कैफीन और क्रोमियम। आज तक जिसने भी इस प्रोडक्ट को यूज़ किया है उसमे से 95% लोगो ने इसके पॉजिटिव रिव्यु दिये है।

चांदी का कड़ा पहनने के फायदे है अनेक,जानकार रह जाएंगे दंग

चांदी का कड़ा पहनने के फायदे

सोने और चाँदी के आभूषण देखने में कितने सुंदर लगते है। ये लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते है। आज कल लोगों को खासतौर पर महिलाओं को सोने और चाँदी के आभूषण जैसे अंगूठी, पायल आदि पहनने का बहुत शौक होता है। ऐसे ही लोग चाँदी का कड़ा भी पहनते है।

ये आपके चार्म को बढ़ाता है। साथ ही ज्योतिष और पुराणों के अनुसार भी चांदी का कड़ा पहनने के फायदे अनेक है। सिक्ख धर्म में भी कडा पहनना आवश्यक माना गया है।

चांदी का कड़ा पहनने के फायदे-Chandi Ka Kada Benefits In Hindi

चांदी का कड़ा पहनने की कई फायदे हैं। यह आपके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा को संचारित करता है और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।इतना ही नहीं है यह आपके मन को शांत रखने में भी मदद करता है। तो चलिए विस्तार में जानते हैं चांदी का कड़ा पहनने के फायदे।

चांदी का कड़ा बढ़ाए एकाग्र शक्ति-Chandi Pehnne Ke Fayde

चाँदी अपनी शीतलता के लिए जानी जाती है। इसीलिए चाँदी आपके मन को शांत करती है जिसके कारण आपकी एकाग्र शक्ति बढ़ती है और आप एकाग्र होकर, पूरे ध्यान से किसी भी काम को कर सकते है।

बढ़ाए एकाग्र शक्ति
बढ़ाए एकाग्र शक्ति

बीमारियों को रखे दूर चांदी का कड़ा-Chandi Ka Kada Phene Ke Fayde

आज कल नई नई तरह की बीमारियाँ सामने आ रही हैं और हम सभी इन बीमारियों से बचने की कोशिश करते रहते हैं। ऐसे में आप चाँदी का कड़ा धारण कर सकते है। चाँदी आपको बीमारियों से भी दूर रखने में मदद करती है। चाँदी का कड़ा 20 तरह की बीमारियों को आपसे दूर रखता है।

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नकारात्मक शक्तियों को रखे दूर चांदी का कड़ा-Chandi Pehnne Ke Fayde

चाँदी का कड़ा धारण करने से नकारात्मक शक्तियाँ भी आपसे दूर रहती हैं और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। चाँदी का कड़े से बच्चों और गर्भ के पल रहे भ्रूण को भी बुरी और नकारात्मक शक्तियों से बचाया जा सकता है।

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चन्द्र से जुड़े दोषों को करे खत्म चांदी का कड़ा-Chandi ka kada pahne ke fayde

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चाँदी को चन्द्र का कारक माना जाता है। इसीलिए यदि आप चाँदी का कड़ा धारण करते हैं तो चन्द्र से जुड़े जितने भी दोष है वो सब खत्म हो जाएंगे।

चांदी का कड़ा करे चुम्बकीय ऊर्जा उत्पन्न-Chandi ka kada pehne ke fayde benefits in hindi

चाँदी एक धातु है। इसलिए चाँदी का कड़ा धारण करने से शरीर में चुम्बकीय ऊर्जा का संचार होता है जो नकारात्मक ऊर्जा को शरीर से बाहर निकाल कर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करती है और बढ़ाती है।

गुस्से को करें कंट्रोल चांदी का कड़ा-Chandi Pehnne Ke Fayde

आज कल तनाव के कारण कुछ लोगों को छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है जो आपके दिमाग और शरीर के लिए ठीक नहीं है। ऐसे में चाँदी का कड़ा धारण करने से आपको बहुत फायदा मिल सकता है। क्योंकि चाँदी शीतल होती है, इसलिए ये आपके दिमाग को शांत रखती है जिस कारण आपको गुस्सा कम आता है।

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दिल के लिए है अच्छा चांदी का कड़ा-Chandi ka kada pehne ke Fayde

चाँदी का कड़ा धारण करना आपके दिल के लिए भी बहुत लाभकारी साबित होता है। ज्यादा गुस्सा करना आपके दिल के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं होता। ऐसे में चाँदी ना केवल आपके गुस्से को कंट्रोल करने में मदद करती है, साथ ही ये आपके ब्लड प्रैशर को कंट्रोल करने में भी मदद करती है। इसके कारण आपका दिल स्वस्थ रहता है।

विषरोधी है चांदी का कड़ा-Silver Bracelet Benefits In Hindi

चाँदी के अंदर विषरोधी गुण पाये जाते हैं। इसलिए चाँदी का कड़ा धारण करने से शरीर में मौजूद विष बाहर निकल जाते हैं। इसके कारण आपकी सुंदरता बढ़ती है और आप स्वस्थ रहते हैं।

मन को करे मजबूत चांदी का कड़ा-Chandi ka kada pehne ke fayde benefits in hindi

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चाँदी चन्द्र के साथ साथ शुक्र का कारक भी मानी जाती है। इसलिए चाँदी का कड़ा धारण करने से शुक्र ग्रह शांत रहता है। शुक्र ग्रह के शांत रहने से आपका मन मजबूत होता है और आप प्रसन्नचित रहते है।

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Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

चांदी का कड़ा पहनने से क्या होता है?

चांदी शिवजी के नेत्र से उत्पन्न हुई है अतः चांदी का कड़ा पहनने का अपना महत्व है। ज्योतिषियों के अनुसार चांदी का कड़ा पहनने से चंद्र और शुक्र ग्रह से जुड़े दोष समाप्त और यह ग्रह मजबूत होते हैं जिससे जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है साथ ही मन की एकाग्रता भी बढ़ती है । चांदी शरीर के जल तत्व और कफ को नियंत्रित करती । कड़ा हाथ में धारण करने से कई प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं। ऐसा माना जाता है कि चांदी का कड़ा धारण करने वाले व्यक्ति पर लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहती है।

कड़ा कौन से हाथ में पहनना चाहिए?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चांदी का कड़ा पहनने से चंद्रमा संबंधी दोष दूर होते हैं। चांदी का कड़ा शुक्रवार को बनाना चाहिए और सोमवार के दिन इसे शिव मंदिर में शिवजी के समक्ष रखकर ओम नमः शिवाय का जाप कर अभिजीत मुहूर्त में दाएं हाथ में धारण करना चाहिए इससे मन एकाग्र चित्त रहता है तथा वैभव की प्राप्ति होती है।

चांदी का कड़ा काला क्यों पड़ जाता है?

चांदी के कड़े को लगातार पहनने से वह काला पड़ जाता है । चांदी वायु में उपस्थित हाइड्रोजन सल्फाइड के साथ रासायनिक क्रिया करती है , जब कोई व्यक्ति चांदी का कड़ा लगातार पहनता है तो चांदी पसीने के संपर्क में आती है शुद्ध पसीना हाइड्रोजन सल्फाइड का एक रूप है जिसके कारण चांदी का रंग काला पड़ जाता है।

पुरुषों को हाथ में क्यों पहनना चाहिए कड़ा?

अधिकांश धर्मों में कड़ा पहनना शुभ माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुरुषो को अपनी कुंडली में कमजोर ग्रहों को बलवान करने के लिए कड़ा धारण करना चाहिए। चंद्रमा ग्रह को बलवान करने के लिए चांदी का कड़ा धारण करना चाहिए यह मन को एकाग्र चित्त बनाता है और जीवन में समृद्धि लाता है । यदि कोई पुरुष बार-बार बीमार पड़ता है तो उसे अष्टधातु का कड़ा पहनना चाहिए । इसके अलावा मंगल ग्रह दोष से पीड़ित व्यक्ति को तांबे का कड़ा धारण करना चाहिए । पुरुषों को कड़ा सही विधि और नियमों का पालन करके ही धारण करना चाहिए तभी लाभ प्राप्त होता है ।

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कैसा हो टाइफाइड में खान पान ताकि जल्दी स्वस्थ हो जाये आप

टाइफाइड में खान पान

कई बार व्यक्ति अचानक बीमार पड़ सकता है। साधारण बुखार आ सकता है। इस दौरान हम कुछ दवाई लेकर ठीक हो जाते है, परंतु बुखार का बार बार आना टाइफाइड होने का संकेत देता है। इस बीमारी मे बहुत से लोगो को पता नही चलता है की उन्हे टाइफाइड हुआ है। व्यक्ति एक साधारण बुखार समझ कर दवाइया लेता रहता है, जिससे उसके पाचन तंत्र पर असर पड़ता है। यदि समय रहते आपको टाइफाइड का पता नही चलता और आप अपने खाने पीने मे गलत चीज़ों का इस्तेमाल कर लेते है तो इससे आपकी तबीयत और ज्यादा खराब हो सकती है। ऐसे में जरुरी है की आप टाइफाइड में खान पान का ध्यान रखे।

टाइफाइड क्या है?

टाइफाइड एक बुखार की तरह होता है जो दूषित पानी या दूषित भोजन का इस्तेमाल करने के कारण होता है। ये बीमारी अधिकतर गंदे बासी भोजन, गंदे पानी या अन्य खाने पीने की खराब चीजो से फैलती है। टाइफाइड एक तरह का संक्रामक बुखार है जो एक से दूसरे में आसानी से फैलता है। इसीलिए घर के एक सदस्य को टायफायड होने पर सबको सावधानी बरतनी चाहिए।

टाइफाइड के क्या क्या लक्षण है?

ज्यादतर टाइफाइड 1-2 सप्ताह तक रहता है। यह एक साधारण बुखार से ज्यादा से ज्यादा दिन लेता है। यदि यह बीमारी ज्यादा दिन तक चलती है तो इसमे कुछ लक्षण सामने आते है। जो यह बताते है की व्यक्ति टाइफाइड से ग्रसित है।

चलिये जानते है टाइफाइड के लक्षण

  • भूख में कमी
  • तेज सिर दर्द
  • तेज बुखार – 104 डिग्री
  • शरीर मे कमजोरी
  • पेट के परेशानी जैसे दस्त होना
बुखार
बुखार

टाइफाइड में खान पान

किसी भी बीमारी को दूर करने में सही तरीके से खाना पीना भी उतना ही महत्वूर्ण होता है जितनी की दवाइयां महत्वपूर्ण हैं। क्योकि दवाइयां सिर्फ बीमारी के कारण को ढूंढ़कर उन्हें खत्म करती हैं वो आपके शरीर में ऊर्जा नहीं डालती है। ऊर्जा पाने के लिए आपको पोषक तत्वों से भरपूर भोजन खाना बहुत आवश्यक है और दवाइयां भी तभी असर करेंगी जब आपका सही खानपान रहेगा। 

आज हम आपको बताएंगे कि टाइफाइड होने पर आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।

टायफाइड में क्या खाना- पीना चाहिए?

  • टाइफाइड में खिचड़ी,दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां , पत्तागोभी, पालक, फूलगोभी, पपीता और गाजर खाना अच्छा है|
  • जल्दी से पच सकने वाले हल्के फुल्के फल और सब्जियां खाएं जैसे कि – आलू, पके हुए फल इत्यादि।
  • इस रोग में दही खाना बहुत फायदेमंड है। दही के सेवन से भूख और पेट की जलन दोनों में राहत मिलती है। परंतु अगर रोगी को जुकाम, खांसी या जोड़ो में दर्द की तकलीफ हो तो उन्हें दही नहीं खानी चाहिए|
  • अगर डायरिया ना हो तो 1 कप दूध या फिर पानी के अंदर 1 चम्मच जितना ग्लुकोज़ मिला दें और इसे पिएं। इस घोल को बार-बार पीने से ताकत मिलेगी।
  • दूध पीना बहुत फायदेमंद है। दूध पीने से दवाइयां शरीर में गर्मी नहीं करती हैं और शरीर को काफी उर्जा भी मिलेगी।
  • टाइफाइड के दौरान अनार का रस, संतरे का रस, नारियल पानी, गन्ने का रस, चुकंदर का रस और सेब का रस पीना बहुत अच्छा होता है। 
  • अलग अलग सब्जी का सूप भी फायदा करेगा। पर याद रखें सूप में किसी भी तरह के मसाले या दूसरी वस्तु ना मिलाएं।
  • टाइफाइड के दौरान वजन कम होना शुरू हो जाता है, इसलिए आपको ज्यादा मात्रा में प्रोटीन और कार्बोहाईड्रेट देने वाली चीज़े खानी चाहिए। 
  • एवोकाडो, ड्राई फ्रूट्स, खजूर और खुबानी जैसे खाद्य पदार्थो का सेवन करना बेहतर रहेगा।
  • संतरा, गाजर और आलू खाएं क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में विटामिन्स पाए जाते हैं। विटामिन ए, बी और सी युक्त भोजन का सेवन आपको टाइफाइड से लड़ने में मदद करता है।
  • अगर टाइफाइड में कब्ज की शिकायत हो तो गुनगुने पानी में इसबगोल के दाने डालकर पीने से लाभ मिलेगा।
कब्ज
कब्ज

टाइफाइड मे क्या नही खाना चाहिए-Typhoid Me Kya Nahi Khana Chahiye

टाइफाइड में खान पान का धयान रखना बहुत जरुरी है नहीं तो आप टाइफाइड कमजोरी के शिकार हो सकते है। टाइफाइड कमजोरी होने पर आपके शरीर की सारी ऊर्जा खत्म हो जाती है। हमे टाइफाइड बीमारी के समय नीचे बताई गयी चीज़ों को नही खाना चाहिए।

  • टायफायड में तेल वाला और मसालेदार खाना नहीं खाना चाहिए। ये आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित करता है और आपकी पाचनशक्ति को भी कमजोर करता है। टाइफाइड के समय व्यक्ति को स्पाइसी खाना बिलकुल नही खाना चाहिए। क्यूंकि स्पाइसी खाना हमारा पाचन तंत्र आसानी से पचा नहीं पाएगा। यह टाइफाइड को ज्यादा बढ़ा देगा।
  • टायफाइड में आपको कॉफी नहीं पीना चाहिए। कॉफी में कैफीन होता है, जो आपकी पाचन क्रिया के लिए अच्छा नहीं होता है। कॉफ़ी पीने से इस बीमारी में आपको दस्त की परेशानी हो सकती है।
  • जब व्यक्ति को टाइफाइड हो तो उसे घी नही का सेवन नही करना है। क्यूंकि हमारा शरीर मे घी पचाने के क्षमता खत्म हो चुकी होती है। घी खाना आपके लिए हानिकारक हो सकता है।
  • जंक फूड और बाहर के खानपान की चीज़ों से परहेज करें ।
  • टाइफाइड में गरिष्ठ पदार्थ, भारी और पेट में गैस पैदा करने वाली खानपान की चीजें नहीं लेनी चाहिए।
  • बासी, खुले रखे हुए भोजन या पानी का भूलकर भी सेवन ना करें।
  • टाइफाइड के दौरान परांठे, पूरी, नूडल्स, पिज़्ज़ा,मैगी, बर्गर और चटपटा मसालेदार खाना बिल्कुल ना खाएं।
  • इस बीमारी के दौरान मीट ना खाएं और अंडा भी ना खाएं। टाइफाइड में व्यक्ति को भूल कर भी अंडा नही खाना चाहिए। इसमे ज्यादा फेट होता है, जो हमारे पाचन क्रिया को कमजोर कर देता है।
  • टाइफाइड बीमार व्यक्ति को दो तीन सप्ताह तक मटन नही खाना चाहिए। मटन मे बहुत ज्यादा कार्बोहाइड्रेड होता है जो हमारे लीवर पर काफी असर पैदा करता है। इससे आपकी तबीयत ज्यादा खराब हो सकती है।
  • टाइफाइड के समय व्यक्ति को ओइली खाना नही खाना चाहिए। यह व्यक्ति के लिवर व पाचन क्रिया पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

टाइफाइड ठीक होने के बाद ताकत के लिए क्या खाना चाहिए?

  • टाइफाइड में आई कमजोरी दूर करने के लिए किशमिश, मूंग की पतली दाल, मुनक्का, पतला दलिया, उबला हुआ दूध, मक्खन, दही आदि का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
  • बादाम खाना भी बहुत अच्छा है। इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और ये आपके ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है। बादाम खाने से आपका घटा हुआ वजन भी संतुलित बनता है।
  • हल्के गर्म पानी में 1 चम्मच नींबू रस मिलाइए और इसे खाली पेट पी लीजिए। ऐसा करने से आपकी पाचन क्रिया बहुत अच्छी हो जाएगी। नींबू में विटामिन सी होता है, जो लीवर को मजबूत बनाता है तो आपको पेट की समस्या से निजात मिलेगा।
  • दही में भरपूर प्रोटीन होता है। दही खाने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और आपके शरीर को बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता मिलती है। इसलिए दही का सेवन जरूर करें।
  • टमाटर सूप में अधिक कैलोरी होती है और आसानी से पच भी जाता है, इसलिए टायफाइड बुखार में टमाटर खाएं और दूसरी सब्जियों के सूप भी पिएं।

जानिए यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए

यूरिक एसिड में क्या नही खाना चाहिए

जब शरीर मे यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तो गठिया जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। गठिया जिसे गाउट भी कहते है। यूरिक एसिड बढ़ने से टॉक्सिन्स और अपशिष्ट पदार्थ शरीर से निकल नही पाते जिस कारण वो क्रिस्टल फॉर्म में बदल जाते है। ये क्रिस्टल जोड़ो को बहुत ही दर्दभरा बना देते है खासकर, पैरो की एड़ियों और पंजो को। इतना दर्द होता है कि जमीन पर पैर रखना मुश्किल हो जाता है। यूरिक एसिड को नियंत्रित करने का सबसे सरल और बेहतरीन उपाय है खान पान पर ध्यान देना। यूरिक एसिड बढ़ने पर क्या खाना चाहिए ये जानने से ज्यादा जरूरी है परहेज किसका करें।

यूरिक एसिड में परहेज-यूरिक एसिड में खान पान कितना महत्व रखता है

दरअसल सारा खेल ही भोजन का होता है। होता यूं है कि जिस व्यक्ति के शरीर मे यूरिक एसिड की प्रोब्लम होती है, वो लोग प्यूरिन को पचाकर बने अपशिष्ट को बाहर नही निकाल पाते।

बहुत से खाद्य पदार्थो में पाया जाने प्यूरिन शरीर मे पचकर अपशिष्ट में बदल जाता है, और यूरिक एसिड के रूप में निकल जाता है। लेकिन गाउट के रोगी इस यूरिक एसिड को निकालने में असमर्थ होते है।

अब आपको जानकर हैरानी किसी पदार्थ में प्यूरिन होने के बाद भी गाउट में नुकसान नही करता जैसे बहुत सी हरी सब्जियां।
कुछ खाद्य पदार्थो में प्यूरिन न होने के बाद भी वह यूरिक एसिड को बढ़ा देती है जैसे फ्रुक्टोज (Fructose; फलों में प्राकृतिक शक्कर) और चीनी युक्त पेय पदार्थ, कुछ पदार्थ जैसे कलेजी, भेजा आदि), समुद्री फूड, शराब और बियर आदि में प्यूरीन की मात्रा बहुत अधिक होती है।

एक तरफ जहाँ कम फैट वाले डेरी प्रोडक्ट यूरिक एसिड को कम करते है, वहीं अधिक फैट वाले डेरी प्रोडक्ट यूरिक एसिड को बढ़ाते है।

यूरिक एसिड में क्या नहीं खाना चाहिए-Uric Acid Me Kya Nahi Khana Chahiye

नॉनवेज

सभी प्रकार के नॉनवेज तो नही लेकिन कुछ खास चीज़ों का परहेज यूरिक एसिड में जरूरी होता है। जैसे इंटरनल ऑर्गन कलेजी, किडनी, भेजा आदि खाने से यूरिक एसिड बढ़ता है। इसके अलावा तीतर या हिरन का मांस भी न खाए।

कुछ खास तरह की मछलियां जैसे हेरिंग, ट्राउट, मैकेरल, टूना आदि इन मछलियों को खाना यूरिक एसिड में सही नही है। सी फ़ूड जैसे केकड़ा झींगा आदि भी गाउट के लिए हानिकारक हैं।

इनके स्थान पर ताजा मछली, सैल्मन, चिकन, लाल मांस, सुअर का मांस, भेड़ का मांस आदि खाए जा सकते है। कोशिश करे कि नॉनवेज न ही खाए।

प्रोटीन

हाइ प्रोटीन डाइट यूरिक एसिड की समस्या को काफी हद तक बढ़ा सकती है, क्योंकि प्रोटीन के किसी भी पदार्थ में प्रोटीन से दुगुनी मात्रा में प्यूरिन होता है।

शुगर और फ्रक्टोज़

  • जिन फलों में शुगर ज्यादा मात्रा में हो उन्हें खाने या उनका जूस पीने से बचे।
  • कार्बोनेटेड ड्रिंक, सोडा, न पिएं। शहद और हाई फ्रुक्टोस कॉर्न सिरप वाले खाद्य पदार्थों को न खाएं। खमीर खाने से बचे।
  • रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, सफेद ब्रेड, केक और बिस्कुट भी न खाएं।

यूरिक एसिड में क्या खाना चाहिए

अब हम बात करेंगे कि यूरिक एसिड की समस्या में क्या खा सकते है। यूरिक एसिड की समस्या में निम्न खाद्य पदार्थों को खा सकते  हैं –

फल

हाइ शुगर वाले फलों को छोड़कर सभी फल खाएं जा सकते है। खासकर बेरीज और चेरी ये फल न केवल यूरिक एसिड कम करते है बल्कि स्ट्रेस हॉरमोन भी कम करते है।

सब्जियां

यूरिक एसिड की समस्या में सभी प्रकार की सब्जियां खा सकते हैं। लेकिन बादी वाली सब्जियों को खाने से परहेज करें जैसे अरबी, कद्दू आदि।

सब्जियां
सब्जियां

फलियां

सभी हरी फलियों की सब्जी खाने में कोई नुकसान नही होता लेकिन लोबिया की फली गैस बना सकती है जिससे दर्द बढ़ सकता है।

सूखे मेवे

सभी प्रकार के सूख मेवे और बीज खा सकते हैं। लेकिन काजू और सनफ्लॉवर सीड की मात्रा सीमित रखें। इनके अलावा ओट्स, ब्राउन राइस और जौ कम वसा वाले सभी डेरी उत्पाद, अंडा, ग्रीन टी डाइट में ले। कॉफी या चाय के ज्यादा प्रयोग से बचें। तेलों में कैनोला आयल, नारियल तेल , जैतून तेल और अलसी का तेल आदि खाएं।

भोजन के विकल्प

दही के साथ ओट्स, जामुन, स्मूदी, पालक, दही, कम फैट वाला दूध, अलसी, चिया बीज) टोस्ट,  स्ट्राबेरी, इडली, प्लेन गेहूँ का डोसा, उबले हुए अंडे, मशरूम, ऑमलेट, ताजा सब्जियां,  चौलाई (या क्विनोआ) सलाद, भुना हुआ चिकन, शिमला मिर्च, कम फैट वाला पनीर, साबुत अनाज का सैंडविच, ब्राउन राइस, चने, शतावरी, टमाटर और दलीया, ओट्स का उपमा (या टोफू और ब्राउन राइस), मिक्स्ड वेज सब्जी, चिकन बर्गर

डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार, जो आपके लिए जानना है जरुरी

डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार

बारिश के मौसम के साथ ही ढेरो बीमारियां फैल जाती है। उन्ही में से एक खतरनाक बीमारी होती है डेंगू, डेंगू जो शुरू में एक सामान्य बुखार की तरह लगता है, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर जानलेवा हो सकता है। डेंगू बुखार के लक्षण व उपचार की जानकारी के अभाव में मरीज की जान भी जा सकती है। डेंगू बुखार मादा एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। जुलाई से अक्टूबर में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण होता है। इसलिए इन महीनों में बहुत ही ध्यान देने की जरूरत होती है।

इन मच्छरों के शरीर पर काली सफेद रंग की धारिया होती है। डेंगू से पीड़ित किसी इंसान को जब ये मच्छर काटता है तो खून के साथ ये वायरस भी मच्छर के शरीर मे चला जाता है। जब यहीं मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसे भी डेंगू हो जाता है।

डेंगू के लक्षण

ये तीन तरह का होता है, और उसी के आधार डेंगू के लक्षण होते है।

साधारण डेंगू के लक्षण

  • दिन से लेकर एक हफ्ते तक व्यक्ति बुखार से पीड़ित रहता है।
  • बुखार हो जाता है।
  • बहुत तेज ठंड महसूस होती है।
  • सरदर्द
  • आँखों मे दर्द होता है जो आंखों को हिलाने पर बढ़ जाता है।
  • मसल्स और जॉइंटस में दर्द होता है।
  • कमजोरी लगती हैं,
  • मुँह में कड़वापन,गले मे भी दर्द होता है।
  • फेस, गर्दन,और छाती पर रैशेस हो जाते है।

डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षण

  • नाक, मुँह और मसूड़ों से खून आने की समस्या हो सकती है।
  • मरीज को हर समय गला सूखा महसूस होता है और प्यास लगती हैं,
  • स्किन पर घाव हो जाते है,
  • त्वचा बहुत ठंडी महसूस होती है,मरीज बेचैनी में कराहता रहता है,
  • उल्टी हो सकती है, जिसमे खून भी आ सकता है।
  • सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती हैं,
    डेंगू हैमरेजिक बुखार
    डेंगू हैमरेजिक बुखार

डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण

  • नाम से पता चल रहा कि मरीज शॉक में आ जाता है।
  • ब्लड प्रेशर गिर जाता है।
  • तेज बुखार महसूस होता है पर शरीर ठंडा रहता है।
  • मरीज का होश खोना आदि लक्षण होते है,नब्ज तेज चलने लगती है।

डेंगू बुखार से बचाव के उपाय

डेंगू से बचाव करने का सबसे सरल और जगजाहिर उपाय है, कि पानी को एक जगह इक्कठा न होने दे। पानी चाहे गंदा हो या साफ़
क्योंकि डेंगू का मच्छर रुके हुए पानी मे पनपता है,ये कुछ निम्न उपाय है जो हम अपना सकते हैं।

  • कूलर का पानी बदलते रहे।
  • पूरी बाजू के कपड़े पहने।
  • अगर आपकी छत या आँगन में कही भी कोई टायर, डब्बा, फालतू बाल्टी, घड़ा, बोतल जैसा कोई भी बर्तन रखा हो जिसमें पानी इक्कठा होता हो उसे तुरंत हटा दे।
  • मच्छर नाशक चीज़ो का प्रयोग करे, लेकिन सावधानी से।
  • टँकीयो और बर्तनों को ढककर रखे।
  • मच्छरदानी का प्रयोग स्वस्थ्य व्यक्ति के साथ साथ मरीज के लिए भी जरूर करें ताकि मच्छर उसको काटकर बीमारी ना फैला सके।
  • एस्पिरिन,आईब्रूफेन बिल्कुल ना दे।
  • डॉक्टर के पास ले जाने तक बुखार के लिए पैरासिटामोल दे सकते है।।
  • जहाँ पानी भरा हो वहां केरोसिन,मिट्टी का तेल डालें
  • नीम की पत्तियां जलाए, कीटनाशक का छिड़काव केवल ऊपरी तौर पर नही घर के अंदुरुनी और छुपे हुए हिस्सो में भी करें।
  • खिड़की,दरवाजो पर बारीक जाली लगवाए।
  • बाहर का खाना, ज्यादा तला हुआ,मसालेदार ना खाएं खासकर बरसात के मौसम में।
  • पूरे मानसून सीजन में पानी उबाल कर पिए।
  • बासी खाना ना खाएं चाहे वो फ्रिज का ही क्यों ना हो।
  • तुलसी, काली मिर्च, अदरक, गिलोय, एलोवेरा, आँवला का प्रयोग करें
  • पानी मे क्लोरीन का प्रयोग, डी डी टी का छिड़काव भी मददगार होता है।
  • इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे।
  • फल और सब्जियों को भली प्रकार धोकर ही उपयोग करे
  • खुले में शौच ना करे,जंक फूड ना खाएं
  • डस्टबीन में गीला सूखा कचरा अलग रखें, और ढक कर रखे।

डेंगू से बचने के घरेलू उपाय

डेंगू में गिलोय का प्रयोग

डेंगू में गिलोय का प्रयोग, अब डेंगू के लिए संजीवनी बूटी की तरह प्रसिद्ध हो चुका है। यह डाइजेस्टिव सिस्टम को सही रखकर इम्युनिटी को स्ट्रांग बनाता है।

कैसे ले

डेंगू बुखार में आप गिलोय की डंडी को पानी में उबालें, पानी के आधा रह जाने पर छान लें और एक हर्बल ड्रिंक के रूप में उपयोग करें। इस पेय में कुछ तुलसी के पत्ते भी मिला सकते हैं।

तुलसी

तुलसी का प्रयोग न केवल इम्युनिटी बढ़ाता है बल्कि किसी भी तरह के संक्रमण को भी दूर करता है। इसके लिए आपको कुछ मेहनत भी नही करनी होगी।

कैसे ले

सुबह कभी भी तुलसी के पत्ते ले और पानी से निगल ले। आप तुलसी के पत्तो को साबुत दालचीनी और काली मिर्च के साथ उबाल कर काढ़ा भी बना सकते है।

मेथी

मेथी के पत्ते डेंगू से होने वाले दर्द में आराम देता है। बेचैनी से मरीज को नींद नही आती उसमें भी मेथी के पत्ते फायदेमंद है और नींद लाने में मदद करते है।

कैसे ले

मेथी के पत्तो का साग, आटे में मिलाकर रोटी या मेथी दाने का भिगोकर प्रयोग करें। रात को मेथी दाना भिगो दें और सुबह पानी से निगल ले।

डेंगू में कौन सा फल खाना चाहिए

क्या डेंगू में संतरे अच्छे होते हैं?

संतरे में मौजूद होते है,एन्टीऑक्सीडेंट जो कि किसी भी प्रकार के बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण में प्रभावी है। साथ ही इसमे होता है विटामिन सी जो इम्युनिटी को बढ़ाता है।

कोलेजन के निर्माण में विटामिन सी की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण यह सेलुलर मरम्मत को उत्तेजित करता है।

संतरा
संतरा

कैसे ले

जूस की बजाय संतरे को खाएं, क्योंकि जूस की जगह संतरे का फाइबर ज्यादा उपयोगी है। शाम के बाद संतरे का सेवन न करें। यदि खांसी है तो संतरा न खाएं।

पपीते के पत्ते

पपीते के पत्ते में न्यूट्रिशनल एलिमेंट और आर्गेनिक एलिमेंट्स की जुगलबंदी प्लेटलेट नंबर्स बढ़ाती है। साथ ही इसमे मौजूद एंटीऑक्सिडेंट ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने और रक्त में अधिक विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में सहायता करता है।

कैसे ले

पपीते के पत्तो को तुलसी या गिलोय के साथ उबालकर इस्तेमाल कर सकते है। साथ ही पपीते के पत्ते का रस निचोड़कर भी सेवन कर सकते है।

पपीते के फल को भी डाइट का हिस्सा बनाए खासकर सुबह के समय जरूर खाए।

जौं

जौ घास ब्लड प्लेटलेट्स को बढ़ाती है। इसलिए इसका सेवन बहुत लाभदायक होता है।

कैसे ले

जौ घास से बना काढ़ा पिएँ या इसे सीधे ही खा सकते है। जौं का सत्तू या रोटी के आटे में मिलाकर प्रयोग करे।

क्या डेंगू बुखार में नारियल पानी पी सकते हैं?

खूब नारियल पानी पिएँ। इसमें मौजूद जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) शरीर को मजबूत बनाते हैं।

कैसे ले

नारियल पानी का सेवन तेज बुखार में न करे। शाम 4 बजे के बाद भी नारियल पानी न पीएं।

इनके अलावा कद्दू (पके हुए कद्दू को पीस कर उसमें एक चम्मच शहद डालकर पिएँ) चुकंदर, एलोवेरा का सेवन भी डेंगू और उसके लक्षणों में आराम देता है।

संतरा एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटामिन-सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए डेंगू के मरीजो़ के लिए संतरे को अच्छा माना जाता है। इसमें भरपूर फाइबर होने से कब्ज़ की समस्या नहीं होती, रसदार होने से डिहाइड्रेशन दूर करता है, पोषक तत्वों से शरीर की कमजोरी दूर होती है। संतरा खाने का अगर रोगी का मन ना हो तो संतरे का जूस भी अच्छा विकल्प है। मुँह का स्वाद अच्छा हो इसके लिए हल्के से काले नमक के साथ भी जूस ले सकते हैं।

बुखार में शरीर का तापमान बढा़ रहता है इसलिए चावल, बहुत ज्यादा खट्टी या ठंडी चीजों को एवोइड़ करनें की सलाह दी जाती है, लेकिन रोटी आप खा सकते हैं। डेंगू बुखार में जितना हो सके हल्का भोजन ही खाना चाहिए, जैसे दाल, दलिया, खिचड़ी और तरल पदार्थ। क्योंकि बुखार में मुँह का स्वाद काफी खराब हो जाता है इसलिए स्वाद बदलने के लिए पतली दाल के साथ रोटी खा सकते हैं।

बुखार होने पर हल्के आहार का ही चुनाव करना चाहिए जो पचने में आसान हो, अक्सर बुखार में चावल और ठंडी चीजों से परहेज़ की सलाह दी जाती है लेकिन चावल की खिचड़ी खाना अच्छा माना जाता है। एक्सपर्ट भी यही कहते हैं कि डेंगू बुखार होने पर हल्का-फुल्का भोजन लेना चाहिए। लंच में आप थोड़ा चावल भी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि शाम के वक्त चावल बिल्कुल न खाएं। चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो डेंगू में होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करते हैं ।

डेंगू के मरीजों के लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। इसके पत्ते का जूस पीने से प्लेटलेट्स काउंट भी तेजी से बढ़ता है। गिलॉय के पत्तों का काढा़ अगर नियमित रूप से पीते हैं तो डेंगू बुखार होने की संभावना कम हो जाती है, गिलोय की बेल के 10 छोटे छोटे टुकड़े तोड़कर उसे 2 लीटर पानी में थोड़ा सा अदरक और दो चुटकी अजवाइन के साथ सात मिनट तक उबालकर, थोड़ा ठंडा करके, रोगी को खाली पेट पीने को दें तो बेहद लाभ मिलता है।

डेंगू के रोगियों को आहार में हाई प्रोटीन और आयरन से भरपूर डाइट को शामिल करने की सलाह दी जाती है। अंडे में प्रोटीन आयरन और कईं तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसलिए डेंगू मरीज को अंडा खाने को दे सकते है। बस ध्यान रखें कि कैसे देना है * उबले हुए अंडे खाने को दें और अंडे का पीला हिस्सा हटाकर खाएं।अंडे का यह हिस्सा नुकसान पहुंचा सकता है। *अंडे को फ्राई करके खाना बिल्कुल एवोइड करें इससे उसमें फैट की मात्रा बढ़ जायेगी जो पचनें में मुश्किल करेगी। *और ध्यान रखें कि अधपके अंडे ना खायें इससे शरीर में इंफैक्शन का खतरा रहता है।

फीवर के दौरान पैरों के दर्द की शिकायत अक्सर होती हैं- डॉक्टर बताते हैं कि दो तरह के पेन सामने आते हैं, क्यूट रिएक्टिव आर्थराइटिस और क्रॉनिक जाइंट पेन। रिसर्च से ये भी पता चला है कि मांसपेशियों और जोड़ों में अधिक समय तक दर्द रहने के लक्षण एक ऑटो इम्यून स्थिति भी हो सकती है। अगर ऐसा है तो सामान्य व्यायाम और पैरासिटामोल के द्वारा इसमें आराम मिल जायेगा, लेकिन जब अधिक समय तक आराम न मिले तो फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इसके अलावा घर पर नियमित तेल मालिश भी की जा सकती है, जिससे आराम मिलेगा। मालिश के लिए नारियल, तिल और सरसो का तेल अच्छा रहेगा।

डेंगू के इलाज को लेकर कुछ लोगों का यह मानना है की डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने पर इलायची के सेवन से प्लेटलेट की संख्या बढ़ जाती है ,आइए जानते हैं ,क्या ऐसा होता है?डॉक्टर्स की माने तो इलायची के सेवन से प्लेटलेट्स की संख्या में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है । इलायची पाचन शक्ति को सुधारने और मरीज के मुंह का स्वाद ठीक करने के काम में आती है ।डेंगू के दौरान मरीज के शरीर में होने वाली गर्मी से भी इलायची का सेवन फायदा पहुंचाता है परंतु इसके सेवन से प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ता है ।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

सभी स्त्रियों  की कामना होती है एक सुडौल और आकर्षक स्वस्थ शरीर की जो विवाह और मातृत्व के बाद कहीँ खो सा जाता है। यूँ तो मातृत्व  भी एक अहम  दायित्व है पर इसे निभाने में अपने शरीर के प्रति सबसे ज़्यादा कोई कोताही बरतता है तो वो हैं हम स्त्रियाँ। जब ये चूक आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तो परिणाम शरीर पर जमा चर्बी के रूप में पाते हैं, यदि ये समस्या बहुत बढ़ जाये तो कमर के निचले हिस्से और पैरों को प्रभावित करती है। नतीजा…बढ़ा हुआ वज़न, पैरों में सूजन

कारण

आखिर चूक कहाँ हो जाती है हमसे? अक्सर पति और बच्चों के प्लेट में छोड़े हुए नाश्ते और भोजन को निपटा देने के बाद हम सभी अपने दैनिक कार्यों पर लग जाते हैं। कभी कभी तो हाल यह भो होता है गृहकार्य निपटाने में ,गृहणियाँ अपने नाश्ते और भोजन की अनदेखी कर जाती हैं।

फिर इकट्ठा पेट भर कर भोजन या विश्राम ,यदि कामकाजी है तो फिर दिन कुर्सी पर बैठे ही बीत जाता है। यही कुछ छोटी छोटी बातें हैं,जिन्हें हम नज़रंदाज़ करते जाते हैं और बाद में यही बातें हमारे शरीर पर जमी वसा के रूप में दिखाई पड़ती हैं।

यदि हम  किसी स्वस्थ व्यक्ति की दिनचर्या पर ध्यान दें तो पायेंगे कि इसका राज़ उनकी दिनचर्या में ही छुपा है।

पुरानी कहावत है “नाश्ता राजा की तरह ,दोपहर का भोजन राजकुमार और रात का खाना भिखारी ” की तरह ग्रहण करना चाहिये।
नाश्ता  रेशेदार फ़लों मेवों और  पौष्टिक  चीजों का होना चाहिये। वहीँ दोपहर का भोजन बेहद सन्तुलित होना चाहिये। रात का भोजन बेहद सादा ही उचित होता है।

क्योंकि सुबह हमारी जठराग्नि (पाचनशक्ति) प्रबल होती है,जो दिन बीतने के साथ मन्दी पड़ती जाती है। रात को शरीर दिन भर की टूट फूट की मरम्मत करता है  यदि रात के समय देर रात्रि भोजन किया जाता है तो यह मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को धीमा करता है और मोटापे को बढ़ा देता है।

यही है पहली गलती जो कि हम स्त्रियाँ अक्सर कर डालते हैं,यानि कि अपने नाश्ते को छोड़ देना। नाश्ते में अगर खाते भी हैं तो तला भुना,या मैदायुक्त आहार ।

जिसमें आलू ,या फिर स्टार्च बहुल पदार्थों की अधिकता होती है स्वास्थ्य वर्द्धक पदार्थों या फलों का प्रयोग बहुत कम ही किया जाता है।
दोपहर और रात का भोजन भी देर रात तक  ही खाने के कारण शरीर का उपापचय बेहद धीमा पड़ जाता है  ऊपर से ज़रूरत से ज़्यादा  आरामदायक जीवनशैली करेले पर नीम चढ़ाने का काम करती है।

अब सवाल ये उठता है कि इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं , तो प्रस्तुत हैं कुछ आसान उपाय जिन्हें घरेलू महिलाएं भी  उतनी ही आसानी से कर सकती हैं।

हिप्स कम करने के उपाय-Hips Kam Karne Ke Upay Hindi Me

उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।उपाय- कमर के निचले भाग की फैट(वसा) को कम करने के लिये खाना छोड़ देना गलत होता है ,क्यूंकि जब खाना वापस शुरू होता है तो बाद में फिर वजन तेज़ी से बढ़ जाता है।

गर्म पानी

  • पानी का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये और फ्रिज़ के बजाय मटके का पानी पीना चाहिये ।
  • भोजन करने के आधे घण्टे बाद पानी पीना चाहिए,और पेट पहले सलाद और कच्ची सब्ज़ियों से भरना चाहिये और भूख से 1 रोटी कम सेवन करना चाहिए।
  • दिन की शुरुआत गर्म पानी से करनी चाहिये, ग्रीन टी और पुदीना की चाय दिन में पीनी चाहिये और चीनी के स्थान पर शहद या गुड़ का प्रयोग करना लाभदायक रहता है।

सलाद

सलाद को खाने से पहले खाना चाहिए और सलाद में भी C से शुरू होने वाली सब्जियों का प्रयोग बढ़ा देना चाहिये,जैसे Cabbage, Carrot, Capsicum, Cucumber, Coriander (बन्दगोभी,गाज़र,शिमला मिर्च,खीरा और हरी धनिया)

इसके अतिरिक्त धनिया और पुदीने का प्रयोग भी करना चाहिये चटनी के रूप में स्वाद और स्वास्थ्य दोनों ही प्राप्त हो जाते हैं।

रेशेदार सब्ज़ियों

शकरकन्द भी रेशेदार सब्ज़ियों का अच्छा विकल्प है इसे खाने से पेट लम्बे समय तक भरा महसूस होता है।

पपीता एवँ अनन्नास  वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु गर्भवती व दूध पिलाने वाली माताओं को इससे बचना चाहिए।

मट्ठे का प्रयोग

मक्खन निकले हुए मट्ठे का प्रयोग करना चाहिये 1 कप दही में 4 से छह कप पानी मिलाने से यह लाभदायक हो जाता है।

ब्रिस्क वॉक

ब्रिस्क वॉक करना चाहिये यानि कि तेज़ टहलना इतना तेज कि पसीना आने लगे ,यह चर्बी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ

डिब्बा बन्द खाद्य पदार्थ और डेयरी प्रोडक्ट से बचना चाहिये उनके स्थान पर पॉपकॉर्न और भुने हुए चने और मुरमुरे का प्रयोग करना चाहिए।

दालचीनी

दालचीनी का पाउडर रात को एक गिलास पानी मे भिगोकर उसे सुबह गर्म करके सिप करके पीना चाहिये।

दालचीनी
दालचीनी

अजवायन

अजवायन का पानी भी कमर और हिप्स की चर्बी को पिघलाने में  लाभदायक सिध्द होता है।

अदरक

एक ज़ार में एक अदरक का टुकड़ा,1 छील कर पतले टुकड़े में काटा हुआ खीरा ,1 नींबू के टुकड़ें और  पुदीने की 10 से 12 पत्तियों को पानी मिलाकर रात भर रखें और सुबह सेंधा नमक डालकर पियें।

आसन

  • घर मे अनुलोम विलोम,बालासन,सेतुबन्ध व कपालभाति के साथ कुर्सी पर बैठने जैसे आसन की मुद्रा और पश्चिमोत्तासन का प्रयोग करना चाहिए।
  • सम्भव हो लिफ़्ट के बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करना चाहिये,खाना देर रात खाने से बचना चाहिये और खाने के बाद तुरंत ही सोने नहीं जाना चाहिये।

बीजों का सेवन

बीजों का सेवन जैसे 1-1 कटोरी  सभी मसालदानी मे उपलब्ध बीज जैसे धनिया,अजवायन ,मेंथी, जीरा, सौंफ़, कलौंजी और आधा कटोरी अलसी के बीजों को हल्का भून कर पीस लें और इस पाऊडर को सुबह शाम गर्म पानी से खाएँ।

हल्की फुल्की भूख

जब हल्की फुल्की भूख हो तो सूप, फलों और बीन्स को प्रयोग करना चाहिये। तरबूज और ककड़ी भी बेहतर विकल्प होते हैं। तरल पदार्थों जैसे मठा,दही ,मलाई निकला हुआ दूध और सूप का प्रयोग बढ़ा कर कोल्डड्रिंक बन्द कर देना चाहिए ।

काफी पीने के फायदे जो जानकर हैरान हो जाएंगे आप

काफी पीने के फायदे

कॉफी की खुशबू ही किसी को एनर्जी देने के लिए काफी होती है। कॉफी पीकर न केवल जीभ का स्वाद अच्छा होता है बल्कि तन मन मे एक स्फूर्ति आती है। दिमाग एक्टिव होता है। काफी पीने के फायदे बहुत है। कॉफी के फल को भूनकर ही कॉफी बिन्स तैयार की जाती है। कॉफी के हर ब्रांड का फ्लेवर अलग अलग होता है। और इस फ्लेवर का कारण होता है बीजो को भूनने में इस्तेमाल किया गया भिन्न भिन्न टेम्परेचर।

मुख्यतया कॉफी के दो प्रकार होते है एरेबिका और रोबस्‍ता सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय हैं। इनमे एरेबिका कॉफी क्वालिटी, खुशबू, फ्लेवर एवं स्‍वाद लोग ज्यादा पसंद करते है।। कॉफी केवल गर्म ही नही बल्कि कोल्ड कॉफी के रूप में भी पी जाती है।

ब्राजील में कॉफी सबसे ज्यादा मात्रा में उगाई जाती है का सबसे बड़ा उतदक है। भारत मे कॉफी का उत्पादन कर्नाटक (चिकमगलूर और कोडगु) केरल तथा तमिलनाडु में किया जाता है। दरअसल कॉफी में मौजूद कैफीन ही इसे ऊर्जादायक बनाता है। कैफीन नुकसानदायक होती है।लेकिन यदि कॉफी का इस्तेमाल सही तरीके से किया तो बेहतरीन रिजल्ट मिलता है। आपने हमेशा कॉफी के नुकसान ही सुने होंगे आज हम आपको कॉफी के फायदों के बारे में बताएंगे।

काफी पीने के फायदे-Coffee Peene Ke Fayde In Hindi

मोटापा कम करें

यहाँ हम चीनी की मिठास से भरी कॉफी की बात नही कर रहे। हम बात कर है ब्लैक या ग्रीन कॉफी की। ब्लैक या ग्रीन कॉफी मेटाबोलिज्म को तेजी से बढ़ाती है। मेटाबॉलिज्म बेहतर होने मोटापा घटाने में आसानी होती है। क्योंकि बेहतर मेटाबोलिज्म मतलब, खाने से पोषक तत्वों का जल्दी और अच्छे तरीके से शरीर को पहुँचना।

मोटापा कम करने में मदद करे
मोटापा कम करने में मदद करे

डायबिटीज में फायदेमंद

कॉफी में कुछ ऐसे तत्व होते है जो शरीर के द्वारा इन्सुलिंन के प्रयोग को बेहतर बनाते है। और वो तत्व है मैग्नीशियम और पोटेशियम। ये तत्व ब्लड शुगर लेवल को रेगुलर करते है साथ ही मीठा खाने की तलब कम करते है।कुछ रिसर्च ऐसा मानती है कि रोजाना 3 से 4 कप कॉफी पीने से डायबिटीज का ख़तरा 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

पार्किंसन से बचाव में करती है मदद

पार्किंसंन दरअसल एक न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारी है। ब्रेन में ये ऐसे न्यूरॉन्स को खत्म करती है जो डोपामाइन पैदा करते है। रिसर्च में ये देखा गया है कि कॉफी का नियमित सेवन करने वाले 40 से 60 % लोगो में पार्किंसंन विकसित नही होता।

दिल का रखे ख्याल

माना जाता है कि कॉफी दिल के लिए भी फायदेमंद है, इसका नियमित सेवन करने से महिला और पुरुष दोनों में स्ट्रोक या हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है।

इंस्टेंट एनर्जी दे

दरअसल कॉफी में उपस्थित कैफीन एक हल्के ड्रग की तरह काम करती है। कॉफी का एक बेहतरीन कप दिन भर होने वाली थकान को दूर कर देता है। कॉफी दिमाग को जाग्रत रखती है, इंस्टेंट एनर्जी देती है। इसलिए रात भर जाग कर पढ़ने वाले या काम करने वाले स्टूडेंट और एम्प्लॉयी कॉफी का सेवन करते है। एक रिसर्च ने साबित किया है की, 400 मिलीग्राम कैफीन आपकी सहनशक्ति में सुधार कर सकता है।

कैंसर

रिसर्च कहती है कि दिन में कम से कम 2 बार कॉफी का सेवन करने वाले को कैंसर का खतरा कम हो जाता है। कॉफी कई प्रकार के कैंसर का खतरा कम करती है जैसे लिवर कैंसर, स्किन कैंसर, गर्भाशय कैंसर आदि।

ब्रेस्ट का आकार बढ़ाए

कॉफी का सेवन स्तनों के आकार में बढोत्तरी करता है। यदि कोई महिला अपने छोटे स्तनों से दुखी है तो वो कम से कम दिन में तीन बार कॉफी का सेवन करें। इससे पूरी उम्मीद होती है कि स्तन के आकार में फर्क आएगा।

निम्न रक्तचाप को ठीक करें

यदि आपको लगता है कि आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है तो दिन में कम से कम एक बार कॉफी जरूर पिए। ऐसा करने से ब्लड प्रेशर कम होने पर आपको तुरन्त राहत मिलेगी।

कॉफी के अन्य फायदे

  • कॉफी कन्सन्ट्रेशन पावर बढ़ाती है।
  • इंनस्टेन्ट स्टैमिना बिल्ड अप करती है जिससे कोई भारी काम करने से पहले एनर्जी आती है
  • कॉफी में मौजूद तत्व लगातार स्क्रीन वर्क करने पर आँखो की रक्षा करती है।
  • कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते है।
  • अवसाद को दूर करने में फायदेमंद है।
  • आंखों के नीचे बने काले घेरे यानि की डार्क सर्कल्स को कम करने में मदद करता है।
  • University of Sao Paulo के द्वारा एक अध्ययन ने साबित किया है कि जिन त्वचा पर लगाने वाली क्रीम में कैफीन होता है वो सेल्युलाईट फैट को 17% तक कम करती हैं।
  • कॉफी का कैफीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम को एक्टिव करता है और सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरड्रेनलाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को बढ़ाता है, जो आपके मूड को अच्छा करता है।

ध्यान रहे कि इस आर्टिकल में सारी जानकारी ब्लैक, ग्रीन और फीकी कॉफी को ध्यान में रखकर दी गयी है।

जानिए आपकी सेहत के लिए क्या है फिगारो आयल के फायदे

फिगारो आयल के फायदे

फिगारो जैतून का तेल आज के समय में सिर्फ किचन तक ही सीमित नहीं है। यह तेल बालों की देखभाल, त्वचा की नमी और दिल की सेहत के लिए भी बेहद उपयोगी है। इसके पोषण तत्व इसे एक हेल्दी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि फिगारो जैतून का तेल के फायदे क्या हैं, इसे कैसे इस्तेमाल करना चाहिए, और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

फिगारो जैतून का तेल क्या है?

फिगारो जैतून का तेल (Figaro Olive Oil) एक उच्च गुणवत्ता वाला ऑलिव ऑयल है, जो यूरोपियन तकनीक से निर्मित होता है। यह दो प्रकार में मिलता है:

  • एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल
  • रिफाइंड ऑलिव ऑयल

दोनों ही प्रकार स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं, लेकिन उपयोग के आधार पर इनका चयन किया जाना चाहिए।

फिगारो जैतून का तेल के फायदे

1. बालों की सेहत के लिए लाभकारी

  • यह तेल बालों की जड़ों तक पोषण पहुंचाता है।
  • डैंड्रफ कम करता है और बालों को झड़ने से रोकता है।
  • बालों को मुलायम, चमकदार और घना बनाता है।

उपयोग: हफ्ते में दो बार हल्का गर्म फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाएं और 1 घंटे बाद शैम्पू करें।

2. त्वचा के लिए बेहतरीन मॉइश्चराइज़र

  • सूखी और बेजान त्वचा को हाइड्रेट करता है।
  • झुर्रियों को कम करने और त्वचा को जवान बनाए रखने में मदद करता है।
  • सनबर्न और स्किन इरिटेशन में राहत देता है।

उपयोग: नहाने के बाद या रात को सोने से पहले त्वचा पर लगाएं।

3. दिल की सेहत के लिए लाभदायक

  • इसमें पाए जाते हैं मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स जो “अच्छे कोलेस्ट्रॉल” को बढ़ाते हैं।
  • नियमित सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
  • ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

उपयोग: खाने में सलाद ड्रेसिंग या हल्की आंच पर खाना बनाने में इस्तेमाल करें।

4. वजन घटाने में मददगार

  • यह तेल शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारता है।
  • लंबे समय तक पेट भरा महसूस होता है जिससे ओवरइटिंग नहीं होती।
  • वजन घटाने वाली डाइट का हिस्सा बन सकता है।
वजन कम करने में मदद करे
वजन कम करने में मदद करे

5. बच्चों की मालिश के लिए सुरक्षित

  • नवजात शिशु की त्वचा के लिए बिल्कुल सुरक्षित।
  • हड्डियों को मजबूत बनाता है और त्वचा को मुलायम रखता है।
  • सर्दियों में त्वचा को ड्राय होने से बचाता है।

फिगारो जैतून का तेल कैसे करें इस्तेमाल?

  • बालों के लिए: हल्के गर्म तेल से मालिश करें।
  • त्वचा के लिए: नहाने के बाद त्वचा पर लगाएं।
  • खाने में: सलाद, सूप, पास्ता आदि में मिलाएं।
  • शिशु मालिश के लिए: नहाने से पहले बच्चों के शरीर पर लगाएं।

सावधानियाँ

  • तेज़ आंच पर इस तेल को गर्म न करें, इसके पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं।
  • ऑयली स्किन वाले लोग पहले पैच टेस्ट करें।
  • तलने (Deep Fry) के लिए उपयोग करने से बचें।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. क्या फिगारो जैतून का तेल खाना पकाने के लिए सुरक्षित है?
    हाँ, यह हल्की आंच पर खाना पकाने और सलाद ड्रेसिंग के लिए उपयुक्त है।
  2. क्या फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाने से फायदा होता है?
    जी हाँ, यह बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
  3. क्या यह बच्चों के लिए सुरक्षित है?
    हाँ, यह शुद्ध और हल्का होता है, इसलिए बच्चों की मालिश के लिए बेहतरीन है।
  4. क्या इसे रोजाना त्वचा पर लगा सकते हैं?
    अगर आपकी त्वचा सूखी है तो रोजाना इस्तेमाल फायदेमंद है।

निष्कर्ष

फिगारो जैतून का तेल एक ऑल-राउंडर हेल्थ और ब्यूटी प्रोडक्ट है। यह बालों, त्वचा, दिल और यहां तक कि बच्चों की केयर में भी कारगर है। अगर आप एक ऐसा प्राकृतिक तेल ढूंढ रहे हैं जो कई तरह से फायदेमंद हो, तो फिगारो जैतून का तेल आपकी पहली पसंद होनी चाहिए।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

फिगारो तेल से क्या फायदा होता है?, फिगारो ऑयल के क्या फायदे हैं?

फिगारो जैतून का तेल एक मल्टीपरपज़ ओयल है, ये भोजन में और त्वचा तथा बालों में लगानें के काम आता है, इसमें बेहतरीन ऐंटीआक्सीडेंटस और फैट एसिड होते हैं, जिससे ये हार्ट के लिए बहुत लाभदायक होता है। इस तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है, इसे कई तरह के उबटन में मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं, होठों पर लगाने से होठ फटना बंद हो जाते हैं । नवजात शिशुओं की हड्डियों और बालों के लिए काफी लाभकारी है, बहुत प्यार से फिगारो उनकी नाजुक त्वचा का पोषण करता है।

जैतून का तेल बच्चों को कब लगाना चाहिए?

जैतून का तेल शिशु की त्वचा के लिए बहुत लाभकारी होता है, जब बच्चा पेट दर्द की वजह़ से रो रहा हो तो उसकी नाभि के आसपास हल्के हाथ से तेल की मालिश कर सकते हैं और ये जन्म के हफ्ते भर बाद से ही किया जा सकता है, इसके अलावा पूरे शरीर की मालिश भी हफ्ते बाद ही शुरू कर सकते हैं और डायपर रैशेज पर भी लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जब शिशु छः माह का हो जाए तो उसके खानें में भी एक चौथाई चम्मच जैतून का तेल यूज किया जा सकता है।

जैतून का तेल फेस पर लगाने से क्या होता है?

जैतून का तेल फेस पर लगाने से एक रात में ही आपको ग्लो महसूस हो जाता है, रात को सोने से पहले अपना फेस साफ करके उस पर तेल की 4 बूंदें लेकर मसाज करें। चेहरे और गर्दन पर सिर्फ 2 मिनट की मसाज करें और फिर सो जाएं। सुबह उठकर ग्लो खुद ब खुद देखें, जैतून के तेल में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह तेल आपकी त्वचा का रंग निखारने में बहुत अहम रोल निभाता है। यह स्किन सेल्स की रिपयेरिंग स्पीड को बढ़ा देता है इसलिए सिर्फ एक रात में ग्लो पा सकते हैं।

जैतून का तेल 100 ग्राम कितने का मिलेगा?

गुणवत्ता और पैकेजिंग बोट़ल के अनुसार जैतून के 100 ग्राम तेल के दाम भिन्न भिन्न होते हैं, तेल की शुद्धता, कम्पनी का नाम और पैकजिंग की क्वालिटी ये सब बातें दाम में भिन्नता पैदा करती हैं, इसलिए बाजा़र में अलग अलग कम्पनी के तेल थोड़ा ऊपर नीचें दामों में उपलब्ध हैं जो 95 रुपये से लेकर 160 रूपये तक के बीच में है। ये आपके अनुभव के ऊपर आधारित है कि आपको किस कम्पनी का तेल सूट करता है, बेहतर लगता है।

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