जानिए क्या है गिलोय टेबलेट के फायदे

गिलोय टेबलेट के फायदे

महामारी कोई भी हो चाहे वो डेंगू फैले या चिकनगुनिया, लेकिन जिस आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग अचानक बढ़ जाता है, वो है गिलोय
अनगिनत फायदों से भरी गिलोय एक बेल का प्रकार होता है। इसके फायदों के कारण लोग घर घर मे उगाने लगे है। इसकी पत्तियों का आकार पान के पत्तों के जैसा होता है और इनका रंग गाढ़ा हरा होता है। गिलोय को गुडूची भी कहते है।

गिलोय के बारे में ये भी कहा जाता है की ये जिस पेड़ को आश्रय बनाती है उसके गुण ले लेती है। इसलिए बहुत से लोग नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय का असरदार मानते है। गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड, कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम और मैगनीज भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।

आजकल गिलोय के लिए पतंजलि गिलोय घनवटी काफी चर्चा में है। सबके लिए इसे लेना आसान भी है और ये आसानी से उपलब्ध भी हैं।
पतंजलि गिलोय घनवटी के केवल और केवल गिलोय की बेल का इस्तेमाल किया गया है। यह गिलोय के तने के जूस से मिलाकर बनाई जाती है।

पतंजलि की गिलोय टेबलेट के फायदे

इम्युनिटी बढ़ाये

आज के समय मे शरीर की सबसे बड़ी जरूरत है स्ट्रांग इम्युनिटी। इम्युनिटी कमजोर होने से इंसान जल्दी जल्दी बीमार होने लगता है। ज़रा सा मौसमी बदलाव या खानपान का बदलाव सहन नही कर पाता।

गिलोय टेबलेट व्यक्ति के शरीर की इम्युनिटी बढ़ाकर शरीर को अंदर से मजबूत बनाती है। इस प्रकार व्यक्ति हर प्रकार के संक्रामक रोग जैसे खांसी,जुकाम, बुखार, वायरल से बचता है।

गिलोय
गिलोय

लिवर को स्वस्थ बनाए

लिवर शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। लिवर में किसी भी तरह का नुकसान शरीर की दुर्गति कर देता है। लिवर के महत्व को ध्यान में रखते हुए ही पतंजलि के गिलोय घनवटी बहुत लाभदायक है। गिलोय घनवटी के एंटी-ओक्सिडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाते है।

गिलोय टेबलेट ब्लड प्यूरीफाई करके एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम लेवल को बढ़ाती है। लिवर द्वारा किया जाने वाला कार्य तेजी से होता है। इस प्रकार लिवर की स्थिति बेहतर से बेहतर होती जाती है।

सुंदरता बढ़ाए

पुराने समय मे चेहरे पर कील मुँहासे या दाग धब्बे होने पर गिलोय के तने को पीसकर उसका लेप लगाया जाता था। तो सोचिए इसके सेवन से त्वचा को कितना फायदा होगा।

गिलोय के अंदर मिलने वाला एंटीबैक्टीरियल गुण, केवल कील मुहासों को दूर नही करता। बल्कि उनके कारण को भी जड़ से खत्म करता है। इसलिए किसी भी तरह की त्वचा सम्बन्धी परेशानी दोबारा नही होती। गिलोय टेबलेट का सेवन हमारी त्वचा को सुंदर और चमकदार बनाता है।

ब्लड प्यूरीफाई करें

पतंजलि गिलोय घनवटी में पाए जाने वाले एंटी-ओक्सिडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण ब्लड प्यूरीफाई करते है। जिससे न केवल हमारा स्वास्थ्य बेहतर होता है बल्कि सुंदरता भी निखरती है। खून की सफाई कैंसर जैसी बीमारी को दूर रखने में मदद करती है।

डायबिटीज को करे कंट्रोल-Giloy Ghan Vati For Diabetes

विशेषज्ञों के अनुसार गिलोय हाइपोग्लाईसेमिक एजेंट की तरह काम करती है और टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में असरदार भूमिका निभाती है।

गिलोय जूस (giloy juice) ब्लड शुगर के बढे स्तर को कम करती है, इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती है। इस तरह यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि है।

डेंगू, मलेरिया और स्वाइन फ्लू में असरकारक

डेंगू, मलेरिया या स्वाइन फ्लू होने पर एलोपैथी के अलावा सबसे ज्यादा गिलोय का इस्तेमाल किया जा रहा है। गिलोय का एंटीपायरेटिक गुण, बुखार में आराम देता है।

बुखार को ठीक करने के साथ साथ ये इम्युनिटी भी बढ़ाता है। जिससे बुखार जल्दी से रिवर्स नही होता।

डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाए

अगर आप कब्ज, अपच या एसिडिटी से पीड़ित है तो गिलोय इसके लिए बेहतरीन उपाय है। गिलोय टेबलेट अपच को दूर कर, कब्ज हटाती है।
कब्ज, अपच और एसिडिटी के दूर होने से भूख खुलकर लगती है जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

गिलोय टेबलेट के अन्य फायदे

  • सांस सम्बन्धी रोगों जैसे अस्थमा और खांसी में आराम दे।
  • गठिया रोग में आराम देता है।
  • खून की कमी दूर करे।
  • मधुमेह को कम करने में मदद करती है।
  • बुखार की समस्या में लीवर की रक्षा करती है।
  • शरीर की सुजन कम करती है।
  • हाथ-पैर में जलन की समस्या को दूर करती है।

गिलोय का सेवन विधि-गिलोय टेबलेट का सेवन कैसे करें

  • वयस्क दिन में दो बार एक एक गोली का सेवन करे।
  • बच्चे की उम्र कम से कम 7 साल से ऊपर हो। बच्चे को एक गोली का सेवन कराए।
  • खुराक को खाली पेट ले।
  • टेबलेट लेने के एक घण्टे बाद भोजन करे।

क्या है नवजात शिशु की मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल- डाबर लाल तेल के फायदे

डाबर लाल तेल के फायदे

न जाने कितने वर्षों से भारत मे बच्चो और नवजात शिशु की मालिश का जिक्र आने पर केवल एक तेल याद आता है। वो है डाबर लाल तेल। डाबर भारत का एक जाना माना ब्रांड, जिसे किसी पहचान की जरूरत नही। उसी ब्रांड का ये प्रोडक्ट है डाबर लाल तेल, जिसके बारे हर नई मां जानती जरूर है। चाहे वो इसका इस्तेमाल करे या न करें।

नवजात शिशुओं के लिए बना ये तेल नवजात शिशुओं के बोन्स, जॉइंट्स और मसल्स को मजबूत बनाकर तेजी से विकास करता है। डाबर लाल तेल पूर्णरूप से आयुर्वेदिक चीज़ों से बना होता है, नवजात शिशुओं के लिए ये पूर्णतः सुरक्षित है। जब बच्चा बैठना या चलना शुरू करता है तब इस तेल से बच्चे की मालिश करनी चाहिए।

नवजात शिशु की मालिश करने के बहुत ही फायदे होते है जैसे:

  • बोन्स और मसल्स स्ट्रांग बनते है।
  • हैप्पी हार्मोन ऑक्सिटोसिन रिलीज होता है, जिससे माँ और बच्चे के मध्य बॉंडिंग मजबूत होती है।
  • ब्लड सर्कुलेशन इम्प्रूव होता है। खुल कर भूख लगती है
  • मानसिक विकास होता है।
  • शिशु को साउंड स्लीप आती हैं।
  • त्वचा चमकदार और मुलायम होती है।
  • डाउन सिंड्रोम और सेरेब्रल पाल्सी जैसे रोगों में मालिश काफी प्रभावी होती है

डाबर लाल तेल के फायदे

क्यों ये तेल वर्षो से इतना प्रचलित है? क्योंकि इस तेल में अनगिनत फायदे छुपे है। आज हम आपको डाबर लाल तेल के फायदों से अवगत कराएंगे। डाबर लाल तेल की 200 ml की बोतल की कीमत सामान्य बाजार में 134रुपए है। डाबर लाल तेल में शंखपुष्पी, रतनजोत, उड़द, सीसम तेल, कपूर जैसे आयुर्वेदिक तत्व है।

आइए अब जानते है डाबर लाल के फायदों के बारे में

संक्रमण से बचाए

डाबर लाल तेल शिशु की त्वचा को किसी भी प्रकर के संक्रमण से बचाता है। डाबर लाल तेल में शंखपुष्पी और कपूर के एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते है। यही गुण छोटे बच्चे की त्वचा का किसी भी बाहरी संक्रमण से बचाव करते है।

हड्डियों को मजबूत बनाये

डाबर लाल तेल में मौजूद उड़द बच्चो के मसल्स और हड्डियों को मजबूत बनाता है। ग्रोथ फेज में बच्चे की मालिश बहुत ही जरूरी है।
खासकर तब, जब शिशु गर्दन टिकाने की, बैठने की या चलने की कोशिश कर रहा हो।

डाबर लाल तेल की मालिश से बच्चा जल्द से जल्द अपने सपोर्ट पर आने की कोशिश करता है। इसके लिए जरूरी है कि रेगुलर इंटरवल पर बच्चे की मालिश की जाए।

त्वचा को मुलायम बनाए

बहुत से तेल से जब नवजात शिशु की मालिश करते है तो बच्चे को थोड़ा चिपचिपा पन लगता है। साथ ही त्वचा खुरदुरी भी महसूस होने लगती है।

डाबर लाल तेल में सीसम आयल होने के कारण ये बहुत ही आसानी से अब्सॉर्ब हो जाता है। इससे न केवल त्वचा मुलायम होती है बल्कि बाहरी संक्रमण से भी त्वचा की रक्षा होती है।

त्वचा को मुलायम बनाए
त्वचा को मुलायम बनाए

हैप्पी हॉरमोन

डाबर लाल तेल से मालिश होने के कारण शिशु में हैप्पी हॉरमोन रिलीज होते है। शिशु खुशनुमा रहता है। अच्छे से खेलता है और भरपूर नींद लेता है। डाबर लाल तेल से मालिश करने पर बच्चे को गहरी नींद आती है, जिससे वो चिड़चिड़ा नही होता। साथ ही शिशु और माँ के बीच बेहतरीन बॉन्डिंग बनती है।

खून का दौरा तेज करें

डाबर लाल तेल में मौजूद कपूर शिशु का ब्लड सर्कुलेशन इम्प्रूव करता है। खून का दौरा तेज होने से ऑक्सीजन पूरे शरीर मे अच्छे से प्रवाहित होता है।

शिशु को भूख खुलकर लगती है और ऑक्सीजन भोजन और दूध से मिलने वाले सभी पोषक तत्वों को शरीर के हर हिस्से तक पहुचाती है।
बच्चे का विकास तेजी से होता है और बच्चा हेल्थी होता है।

मालिश कैसे करें

  • बच्चे की दिन में कम से कम दो बार मालिश करें।
  • गर्मियों में कम तेल का प्रयोग करें, दिन में केवल एक बार मालिश करें।
  • डाबर लाल तेल को गर्म करके न लगाए।
  • शिशु के बालों पर डाबर लाल तेल इस्तेमाल न करे।
  • डाबर लाल तेल को शिशु की आंखों में न जाने दे।

जानिए स्टेरॉयड क्या है, क्या है स्टेरॉयड के फायदे?

स्टेरॉयड के फायदे

स्टेरॉयड क्या है?

स्टेरॉइड के बारे में हमेशा आपने नकारात्मक खबरे ही सुनी होंगी। दरअसल स्टेरॉयड एक आर्टिफीसियल हॉरमोन होता है। जिस प्रकार हॉरमोन मानव शरीर मे निर्मित होते है उसी प्रकार स्टेरॉयड एक मानव निर्मित हॉरमोन है। एक प्रकार के हार्मोन होते हैं जो शरीर में स्वाभाविक रूप से बनते हैं। स्टेरॉयड दवाएं मानव निर्मित होती हैं

स्टेरॉयड का इस्तेमाल केवल बॉडी बिल्डिंग या एथलेटिक्स में नही होता, बल्कि चिकित्सा में भी इसका इस्तेमाल होता है। लेकिन पेशेवर एथलीट और बॉडीबिल्डर जिस स्टेरॉयड का दुरुपयोग अपनी परफॉरमेंस सुधारने के लिए करते है उसे एनाबॉलिक स्टेरॉयड कहते है।

एनाबॉलिक स्टेरॉयड मासपेशियो को तेजी से ग्रोथ देता है। ऐसा पुरुष हॉरमोन टेस्टोस्टेरॉन के इफ़ेक्ट के कारण होता है। इसलिए इसका उपयोग एथलीट्स और बहुत से युवा मसल्स को बढ़ाने में करते है। इससे शरीर मे ताकत का अहसास होता है। स्टेरॉयड लेने वाला व्यक्ति दुगुनी स्पीड और इंटेनसिटी से वर्कआउट कर पाता है।

लेकिन गैरकानूनी रूप से स्टेरॉयड लेना एक अपराध है। ऐसा करने वाले एथलेटिक्स या स्पोर्ट्स प्लेयर को कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया जाता है, साथ ही जुर्माना भी लगता है। शारीरिक, और मानसिक क्षति तो होती ही है, समाज मे बेइज्जती होती है सो अलग। स्टेरॉयड अलग अलग प्रकार से प्रयोग किये जाते है जैसे प्रेडनीसीलोन- गोलियां, सिरप और तरल पदार्थ बीक्लोमेटासोन और फ्लुटाइकसोन-इनहेलर्स और नाक में डालने वाले स्प्रे मेथाईलप्रेडनिसोलोन-इंजेक्शन। हाइड्रोकोर्टिसोन-क्रीम, लोशन और जैल

स्टेरॉयड के फायदे

स्टेरॉयड हमेशा नुकसान दायक नही होते। स्टेरॉयड के कुछ फायदे भी होते है जो आज हम आपको बताएंगे। अगर एक एक्सपर्ट की देखरेख में सही प्रकार से आप स्टेरॉयड का प्रयोग करते है तो आपको निम्न लाभ होंगे।

कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के लाभ

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स स्वेलिंग को कम करके इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करता है। इसलिए ही इस स्टेरॉयड का प्रयोग अस्थमा और एक्जिमा जैसी समस्याओं के लिए किया जाता है।
  • बहुत सी ऑटोइम्यून बीमारी, जैसे रह्यूमोटोइड आर्थराइटिस, ऑटोइम्यून हैपेटाइटिस या सिस्टमिक लुपस एरिथेमैटोसस (एसएलई) का इलाज करने में चिकित्सक इसका प्रयोग करते है।
    अस्थमा
    अस्थमा

कॉर्टिकोस्टेरॉइड लेते समय रखे इन बातों का ध्यान

  • डॉक्टर को अच्छे से अवगत कराएं की पहले कभी आपको किस स्टेरॉयड से रिएक्शन हुआ था।
  • स्टेरॉयड के जो साइड इफ़ेक्ट आपने पहले अपने ऊपर देखे है, डॉक्टर को जरूर बताए।
  • डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री जरूर बताए कि आप फिलहाल और कौन सी दवाइया ले रहे है।

एनाबॉलिक स्टेरॉयड के फायदे

  • बिना फैट बढ़े, मसल्स बिल्डउप होती हैं। जिनमे न केवल ग्रोथ दिखती है। बल्कि ये मसल्स शक्तिशाली भी होती है।
  • ये स्टेरॉयड भूख बढ़ाते है, एनर्जी और डेडिकेशन में इम्प्रूवमेंट लाते है। व्यक्ति का कॉन्फिडेंस अलग ही लेवल पर होता है।
  • स्टेरॉयड लेने से आप व्यायाम या कोई भी एथलेटिक एक्टिविटी लगातार कर सकते है। आपको थकान महसूस नही होती है। इससे होगा ये की आप लगातार एब्स या बाइसेप्स, ट्राइसेप्स की एक्सरसाइज कर सकते हो।जिससे आपके एब्स या बाइसेप्स जल्दी बनते है।
  • स्टेरॉयड लेने से मसल्स साइज तेजी से बढ़ता है। यह हमारे मसल साइज को इंप्रूव करने में मदद करता है. जब हमारे बॉडी के हिसाब से हमारा testosterone  बढ़ जाता है तो हमारे मसल्स की साइज बढ़ने लगती है और ज्यादातर हमारी बाइसेप और leg की muscle सबसे ज्यादा इंप्रूव होती है.

स्टेरोइड लेने के नुकसान स्टेरॉयड के नुकसान

कॉर्टिकोस्टेरॉइड के साइड इफेक्ट

  • भूख कम होना
  • मूड में बदलाव
  • सोने में कठिनाई

एनाबॉलिक स्टेरॉयड के दुष्प्रभाव

मुँहासे, ब्लोटिंग, पेशाब करते समय दर्द या परेशानी हो सकती है, पुरुषों में छाती का बढ़ना, रेड ब्लड सेल की संख्या खतरनाक स्तर तक बढ़ना, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होना, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ना  बाल झड़ना, स्पर्म क्वांटिटी कम होना, नपुंसकता। लिबिडो में कमी, कार्डियोवैस्कुलर समस्या, लिवर की समस्याएं, ट्यूमर, ऑस्टियोपोरोसिस, विकास का रुक जाना, स्त्रियों में अनियमित माहवारी, वॉइस चेंज, क्लाइटोरिस की लम्बाई बढ़ना, फैशियल हेयर, ब्रैस्ट की त्वचा का सिकुड़ना, सेक्स ड्राइव में वृद्धि, लिवर को नुकसान, आदि

इसलिए जब भी आप स्टेरॉयड का सेवन करने का विचार करे। उसके फायदे नुकसान पर भली भांति विचार कर ले।

जानिए क्या है लिव 52 के फायदे

लिव 52 के फायदे

हिमालय कम्पनी का लिव 52 बहुत सी दुर्लभ जड़ीबूटियों को मिलाकर बनाया गया उत्पाद है। सामान्यतया माना जाता है कि इसका मुख्य प्रयोग लिवर को स्वस्थ्य रखने में होता है। लेकिन लिव 52 के फायदे और भी बहुत है जो आज हम आपको इस लेख में बताएंगे। सबसे पहले हम पूरी तरह से लिव 52 को जानेंगे कि ये दरअसल क्या है। लिव 52 पूर्ण रूप से आयुर्वेद पर बेस्ड एक प्रोडक्ट है जिसमे केमिकल का प्रयोग नही किया गया है।

दरअसल इसका नाम और इसकी संकल्पना ही लिवर को लेकर की गई है। लिवर से निकलने वाले जूस ही हमारे भोजन को पचाते है। यदि लिवर में ही कोई कमी आ जाए तो डायजेस्टिव सिस्टम बिगड़ जाता है। इसी डायजेस्टिव सिस्टम को मजबूत बनाने और लीवर को मजबूत करने के उपाय के लिए लिव 52 का उपयोग किया जाता है। लिव 52 लिवर को सभी संक्रमणो से दूर रखता है तथा हेपेटाइटिस बी जैसे संक्रमण से दूर रखता है।

हिमालय लिव 52 दो रूपो में मिलता है टेबलेट और सिरप। लिव 52 में प्रयुक्त होने वाली जड़ीबूटियां निम्न है।

  • हिमसरा काबरा ( Humara capparis spinosa )
  • कासनी चिकोरी (Kasani cichorium ) 34mg
  • काकमाची ( kakamachi ) 34mg
  • अर्जुना ( Arjuna ) 16mg
  • झउका ( Jhavuka ) 8mg
  • बिरंजासिफिआ ( Biranjasipha ) 8mg

लिव 52 के फायदे-LivK52 Ke Fayde

एनीमिया

एनीमिया
एनीमिया

एनीमिया यानी खून की कमी, इसका सीधा सम्बन्ध तो लिवर से नही है। पर यदि हमारे भोजन को पचाने में हमारा लिवर सक्षम नही तो सभी पौष्टिक तत्व शरीर को नही मिलेंगे। आयरन भी इन्ही में एक है, तो यदि आप एनीमिया से ग्रसित है तो लिव 52 का सेवन आपके लिए लाभकारी होगा।

हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस ए हो या हेपेटाइटिस बी दोनों ही स्थितियों लिवर कमजोर होने लगता है। इसका कारण लिवर में होने वाला संक्रमण है। ऐसे में लिव 52 का सेवन चाहे वो सिरप हो या टैबलेट लाभकारी रहता है।

भूख की कमी

जब लिवर सही तरीके से काम नही करेगा तो उससे निकलने वाले पाचन रस भी कार्य नही करेंगे। ऐसे में भूख की कमी हो जाती है, व्यक्ति का वजन दिन ब दिन कम होने लगता है। ऐसे में डॉक्टर्स लिव 52 की ही सलाह देते है।

लिव 52 भोजन की खपत को बढ़ाने का भी कार्य करता है। इसके अलावा हमारे शरीर से टॉक्सिन्स मटेरियल को बाहर निकालने में मदद करता है। ये सभी पाचक एंजाइम को सही प्रकार से संतुलित करके डायजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाता है।

लिवर सिरोसिस

लिवर सिरोसिस का अर्थ है लिवर की कोशिकाओं को नुकसान होना। लिवर सेल्स को नुकसान होने का एक बहुत बड़ा कारण है शराब का अधिक सेवन। शराब का अधिक सेवन लीवर से संबंधित और भी तमाम बीमारिया होती है जैसे- फैटी लिवर, लिवर हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस।

जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन करता है तो लिवर सेल्स डैमेज होने लगती है। ऐसे में व्यक्ति को शराब का सेवन बन्द या कम से कम करके, लिव 52 का सेवन करना चाहिए।

लिव 52 लिवर के आगे होने वाले डैमेज को कम करके, damaged सेल्स को रिपेयर भी करता है। यदि शराब पीने या किसी अन्य कारण से लिवर डैमेज हो जाए तो ट्रांसप्लांट के अलावा अन्य कोई चारा नही रहता।

लिव 52 के अन्य फायदे

यदि कोई व्यक्ति अल्कोहल के सेवन के बाद हैंगओवर में है तो लिव 52 के सेवन से हैंगओवर का असर कम हो सकता है।
लेकिन सावधान रहिए हर बार ये तरीका आजमाना आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है।

आज कल खान पान सेहत पर कम और जंकफूड पर ज्यादा टिका है। लगातार पैकेज्ड और जंकफूड खाने से छोटी आंत में टॉक्सिन बनने लगते है। ऐसे में जंक फूड का सेवन कम करके लिव 52 लेने से डायजेस्टिव सिस्टम से टॉक्सिन बाहर निकल जाते है।

जब लिवर में बिलीरुबिन एंजाइम की मात्रा कम या समाप्त हो जाती है तो यूरिन, स्किन और आंखों का रंग पीला हो जाता है। इस स्थिति को पीलिया या जॉन्डिस कहते है। इस स्थिति में भी लिव 52 भी स्थिति में सुधार लाने में मदद करता है।

लिव 52 कितनी मात्रा में ले।

लिव52सिरप

बच्चों के लिए Liv 52 syrup का खुराक

हिमालया लिव 52 सिरप  1 चम्मच (5 ml)दिन में तीन बार  सुबह-दोपहर-शाम

व्यस्को के लिए Liv 52 syrup का खुराक

हिमालया लिव 52 सिरप 2 चम्मच (10 ml)दिन में तीन बार  सुबह-दोपहर-शाम

लिव52 टेबलेट

दिन में दो बार(चिकित्सक के परामर्श अनुसार खाने के बाद या पहले)

गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इसका सेवन करे।

जानिए घर पर कैसे करे नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट-Pregnancy Test With Salt In Hindi

नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट

नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट

विवाह के बाद दूसरा पड़ाव होता है मातृत्व सुख, ऐसे में हर महीने होने वाली माहवारी कुछ खास हो जाती है। थोड़ा सी देर हुई नही की मन मे कोपलें फूटने लगती है। थोड़ा बहुत हॉर्मोनल प्रॉब्लम हो तो माहवारी आगे पीछे होना सामान्य है। पर शादी के बाद ऐसे में महिला असमंजस में हो जाती है कि ये प्रेग्नेंसी का लक्षण है या हार्मोनल अनियमितता का। अब इस उधेड़बुन में वो डॉक्टर के पास जाने की जल्दबाजी नही कर सकती। कई घरों में महिलाएं बाहर जाकर टेस्ट किट लेने में भी झिझकती है ऐसे में वो क्या करें? तो ऐसे महिलाएं बहुत से घरेलू उपाय आजमा सकती है जिनसे वो अपनी प्रेग्नेंसी कन्फर्म कर सके। ऐसा ही एक तरीका है नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट, अगर आपकी माहवारी की डेट को निकले कम से कम एक से डेढ़ हफ्ता हो गया है तो आपको प्रेग्नेंसी टेस्ट जरूर करना चाहिए।

होता क्या है कि शारीरिक सम्बन्ध बनाने के बाद जब स्पर्म एग को fertilize करता है तो फीमेल में HCG हॉर्मोन बनने लगता है। लेकिन पेशाब में इस हॉरमोन की उपस्थिति का पता 7-14 दिन के बाद ही लगाया जा सकता है।

Pregnancy Ke Lakshan

इसलिए अगर आपके पीरियड्स मिस हो गए हो तो जल्दबाजी में कोई टेस्ट ना करे, थोड़ा धैर्य रखें। इन टेस्ट के अलावा भी आप कुछ शारीरिक और मानसिक बदलावों पर नजर रखे जैसे

  • स्तन में सूजन आना या स्तनों में अकड़न महसूस होना
  • बिना वजह थकान महसूस होना
  • स्पॉटिंग अर्थात खुल कर माहवारी होने के स्थान पर केवल कुछ धब्बे दिखाई देना
  • मसल्स और जॉइंट्स में ऐंठन महसूस होना
  • जी मिचलाना या उबकाई आना, कभी कभी उल्टी होना।
  • हर समय खाने की या कुछ विशेष खाने की इच्छा करना।
  • बार-बार कब्ज़ या सिरदर्द होना
  • मूड स्विंग्स
  • चक्कर आना
  • बॉडी टेम्परेचर बढ़ना
  • खाने से बदबू आना
    चक्कर आना
    चक्कर आना

हो सकता है ये लक्षण किसी शारीरिक रोग से सम्बंधित हो, फिर भी एक बार प्रेग्नेंसी टेस्ट जरूर करे। कई बार माहवारी समय पर ना होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • घर या कार्यालय में तनाव
  • बहुत ज्यादा वजन बढ़ना या घटने से हार्मोन का असंतुलन होता है, जो आपके मासिक धर्म को प्रभावित करता हैं
  • कोई बीमारी, अनियमित भोजन करने की आदत,
  • कॉन्ट्रासेप्टिव तरीके अपनाना खासकर पिल्स
  • अत्यधिक काम करने से हार्मोन का संतुलन प्रभावित होता है और मासिक धर्म में देरी होती है।
  • लम्बी दूरी की यात्रा, एनवायर्नमेंटल चेंज, अनियमित नींद चक्र
  • कुछ महिलाएं प्रोलैक्टिनोमा से पीड़ित होती हैं, जिससे एस्ट्रोजेन कम हो जाता हैं और मासिक धर्म में देरी होती है।
  • पीसीओएस या थाइरोइड होना

नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट कब करें-Pregnancy Test Kab Karna Chahiye In Hindi

अगर आप ओव्यूलेशन के पांचवें दिन नमक से प्रेग्नेंसी टेस्ट करेंगे तो परिणाम ज्यादा प्रभावी होंगे। इसके लिए पहले से ही अपना ओव्यूलेशन डेट ट्रैक करने की जरूरत पड़ती है।

नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करे

  • नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए सबसे पहले एक खाली बर्तन ले। कोशिश करे कि बर्तन ऐसी धातु का हो जो यूरिन से रिएक्शन न करे।
  • सुबह सबसे पहले उठते ही इस बर्तन में अपना यूरिन सैम्पल ले, शुरुआती सैम्पल ही सटीक रिज़ल्ट देने में कारगर होता है।
  • अब इस बर्तन में यानी यूरिन सैम्पल में करीब तीन चौथाई चम्मच नमक मिलाएं।
  • एक या दो मिनट तक इंतजार करें और नमक का यूरीन के साथ रिएक्शन देखें।
  • प्रेग्नेंसी होने पर यूरीन में मौजूद एचसीजी हार्मोन नमक के साथ अभिक्रिया करके झाग बन जाता है।
  • प्रेग्नेंसी नहीं होने पर नमक यूरीन के साथ कोई अभिक्रिया नहीं करता है।

इस प्रकार आप नमक से अपनी प्रेग्नेंसी जाँच सकती है, ये 100 प्रतिशत सटीक रिजल्ट नही देती लेकिन कोई और उपाय ना होने पर उसे आजमाया जा सकता है।

क्योंकि सटीक रिजल्ट तो कई बार प्रेग्नेंसी टेस्ट किट भी नही देती, और इसलिए ही डॉक्टर के पास जाना और अल्ट्रासाउंड कराना ही एकमात्र उपाय है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

कोलगेट से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करते हैं?

बिना प्रेगनेंसी टेस्ट किट के कुछ घरेलू चीजों की मदद से भी प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा सकता है जैसे कोलगेट। कोलगेट के माध्यम से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए किसी बर्तन में सुबह का पहला पेशाब लें सुबह के पहले पेशाब प्रयोग करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इस पेशाब में एचसीजी हार्मोन की मात्रा सर्वाधिक होती है ।अब पेशाब में एक चम्मच कोलगेट मिलाएं । पेशाब में कोलगेट मिलाने के बाद यदि उसका रंग बदलकर नीला हो जाता है तो प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव है । इसके अलावा पेशाब और कोलगेट के मिश्रण में यदि झाग इकट्ठे हो रहे हैं तब भी प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव समझा जाएगा।इस मिश्रण में यदि किसी प्रकार का बदलाव ना दिखाई दे तो प्रेगनेंसी नहीं है ।

पेशाब में नमक डालने से क्या होता है?

आजकल घर बैठे तक प्रेगनेंसी टेस्ट करना बड़ा आसान हो गया है ,किट के अभाव में घरेलू चीज़ों की मदद से भी प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जा सकता है । इसके लिए यूरीन में नमक मिलाएं प्रेगनेंसी होने पर यूरीन में मौजूद एचसीजी हार्मोन नमक के साथ रिजेक्ट करके झाग बनाएगा और यदि प्रेगनेंसी नहीं है तो यूरिन में नमक मिलाने से कोई भी रीएक्शन नहीं होगा । इस प्रकार हम बिना टेस्ट किट की सहायता के नमक से भी प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं। नमक से प्रेग्नेंसी टेस्ट करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि सुबह के सबसे पहले यूरिन का प्रयोग ही टेस्ट के लिए किया जाए ।

साबुन से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करें?

साबुन से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए हमें इन चीजों की आवश्यकता होगी - एक छोटा टुकड़ा साबुन, सुबह का पहला यूरीन और एक प्लास्टिक का कप । इस टेस्ट को करने के लिए सबसे पहले साबुन के छोटे से टुकड़े को लेकर थोड़े से पानी में इस प्रकार घोलें कि झाग बन जाए अब उस घोल में यूरिन डालें ।साबुन के घोल की मात्रा से तीन गुना यूरीन मिलाएं । सुबह का पहला यूरिन इसलिए बेहतर होता है क्योंकि उसमें कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन का लेवल सबसे ज्‍यादा होता है। इसके बाद 5 से 10 मिनट तक इंतजार करें । यदि प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव है तो घोल में झाग आने लग जायेंगे और घोल का रंग हरे से बदलकर नीला हो जाएगा । प्रेगनेंसी टेस्ट नेगेटिव होने की स्थिति में 10 मिनट के बाद भी घोल के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होगा । किसी प्रकार के संशय की स्थिति में गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें ।

बिना किट के प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करें?

प्रेगनेंसी कंफर्म करने के लिए महिलाएं हमेशा प्रेगनेंसी टेस्ट किट का प्रयोग करती हैं परंतु प्रेगनेंसी टेस्ट उपलब्ध ना होने की स्थिति में निम्न घरेलू तरीकों से भी प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा सकता है - 1. कांच का ग्लास - कांच के गिलास में यूरिन डालें कुछ समय पश्चात इस पर यदि सफेद परत दिखाई दे तो आप गर्भवती हो सकती हैं । 2.विनेगर - किसी प्लास्टिक के कप में थोड़ी सी मात्रा में विनेगर लें उसमे सुबह का पहला यूरीन मिलाएं यदि घोल के रंग में कोई परिवर्तन दिखाई देता है तो प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव हो सकता है । 3. डेटॉल टेस्ट - डेटॉल से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए एक कांच के गिलास में बराबर मात्रा में यूरीन और डेटॉल मिक्स करें यदि डिटॉल यूरिन में घुल जाता है तो प्रेगनेंसी टेस्ट नेगेटिव है परंतु यदि यूरिन डेटॉल के ऊपर परत के रूप में दिखाई देता है तो प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव हो सकता है । 4. ब्लीच - कांच या प्लास्टिक के बर्तन में थोड़ी ब्लीच लें उसमे यूरिन मिलाएं यदि इस घोल में झाग दिखाई दें तो यह प्रेग्नेंट होने का संकेत है । इन सभी चीजों से प्रेगनेंसी टेस्ट करते समय सुबह के पहले यूरिन का ही प्रयोग करें । घरेलू चीजों से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के बाद असमंजस की स्थिति हो तो डॉक्टर से मिलें ।

Vitamin D-क्या है विटामिन डी, विटामिन डी की कमी को कैसे पूरा करे

क्या है विटामिन डी, विटामिन डी की कमी को कैसे पूरा करे

विटामिन डी क्या होता है?

विटामिन डी हमारे शरीर मे पाया जाने वाला एक विटामिन है जो कई प्रकार से हमारे शरीर को रोगों से लड़ने से मदद करता है और अगर इसकी कमी हो तो वही हमारे शरीर को कई प्रकार की बीमारियों का हो जाना आम बात होता है। इस लिए हमे इसके बारे में पता होना चाहिए और शरीर मे इसकी कमी नही होने देनी चाहिए। विटामिन डी वसा घुलनशील प्रो हार्मोन का स्रोत होता है।

हाल ही में हुई रिसर्च के मुताबिक भारत मे 70 फीसदी लोगों ने विटामिन डी की कमी पाई गई है। इसलिए भारतीय लोगों को इस कि कमियों को पूरा करने के स्रोत और इसकी कमी के लक्षण के बारे में जानकारी होना जरूरी है।

अगर आप में भी विटामिन डी की कमी होती है तो यह कई प्रकार की बीमारियों को न्योता देने वाली बात होती है। तो देखते हैं नीचे की विटामिन डी की कमी के क्या कारण होते है।

विटामिन डी 3 की कमी होने के कारण

  • खाने के रूप में विटामिन डी के आहार की कमी होना सबसे बड़ा कारण है।
  • खाने से विटामिन डी का निचोड़ ना निकाल पाना।
  • धूप में कम बैठना।
  • लिवर और किडनी का आहार को विटामिन डी में परिवर्तन ना कर पाना।
  • अन्य बीमारियों की दवाइयां लेने से भी कई बार विटामिन डी की कमी होने लगती है।

विटामिन डी की कमी के लक्षण

  • यदि आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है, तो यह आपके रक्तचाप पर प्रभाव डाल सकता है। इसकी कमी से अक्सर उच्च रक्तचाप की समस्या होती है।
  • हड्डियों का कमजोर होना और मांसपेशियों में हमेशा दर्द और थकान रहता है तो यह विटामिन डी की कमी के कारण हो सकता है। आपके दांतों का कमजोर होना भी इसकी कमी का एक लक्षण है।
    थकान होना
    थकान होना
  • हमेशा सुस्ती रहनी और किसी काम को करने में आलस आना और काम करते हुए जल्दी थकावट का हो जाना भी विटामिन डी की कमी का एक लक्षण होता है।
  • कई बार विटामिन डी की कमी के कारण मूड भी अचानक बदल जाता है। विटामिन डी सेरोटोनिन का उत्पादन करता है जो हमारे मूड को अच्छा रखने में सहायक है। सेरोटोनिन की कमी मूड में कमी की एक सामान्य विशेषता है।
  • विटामिन डी की कमी से पसीना आने लगता है। पसीना आना वैसे तो एक आम बात है लेकिन अगर बहुत ज्यादा मात्रा में पसीना आ रहा है तो यह विटामिन डी की कमी का संकेत हो सकता है। यह विटामिन डी की कमी का एक शुरुआती लक्ष्म है।
  • विटामिन डी फैट को घुलनशील करने वाला पदार्थ है इस लिए अगर आप का वजन बढ़ रहा है तो इसका कारण विटामिन डी की कमी हो सकती है।
  • जल्दी बुढापे के लक्षण दिखने व बुढापा आने लगना विटामिन डी की कमी का एक लक्षण है।
  • विटामिन डी की कमी से दांत और मसूड़ों में समस्या आ जाती है। मसूड़े कमजोर हो जाते हैं और दर्द होते रहते हैं।

विटामिन डी के स्रोत

धूप

विटामिन डी की कमी को पूरा करने का पहला और सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत है धूप। धूप में बैठने से हमे विटामिन डी की प्रप्ति होती है इस लिए जितना ज्यादा हो सके विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए धूप में बैठे। यह एक सबसे अच्छा स्रोत है जिसके ना कोई बुरा प्रभाव है और यह एक प्रकृतिक और मुफ्त स्रोत है जिसको हर व्यक्ति ले सकता है। और सुबह की धूप इसमे बहुत फायदेमंद होती है।

भोजन में करें अंडे को शामिल

अंडे के पीले भाग (जिसे जर्दी भी कहा जाता है) में भरपूर मात्रा में विटामिन डी होता है। अपने भोजन में अंडे को शामिल करें, सुबह नाश्ते में खाने से आपको दिन के लिए ऊर्जा भी मिलेगी और विटामिन डी भी पूरा होता रहेगा।

संतरे का जूस

संतरे का जूस इसके लिए एक बहुत अच्छा स्रोत है। हर रोज़ सुबह और शाम एक एक गिलास संतरे के जूस का सेवन करे और संतरे को खाने से भी इसकी कमी पूरा होती है।

मशरूम

मशरूम में विटामिन डी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जैसे ही सूरज की रोशनी होती है, मशरूम के अंदर विटामिन डी के उत्पादन की प्रक्रिया बहुत तेजी से शुरू होती है, जिसके कारण इसमें विटामिन डी की बहुत अधिक मात्रा होती है।

गाजर का सेवन

अगर आपको विटामिन डी की कमी है, तो गाजर का सेवन शुरू करें। गाजर का जूस भी निकाला और पिया जा सकता है। शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होगी।

दूध, दही, मक्खन, पनीर

दूध में सबसे अधिक कैल्शियम पाया जाता है। दूध, दही, मक्खन, पनीर के सेवन से विटामिन डी की कमी को दूर किया जा सकता है। जिन बच्चों को दूध पसंद नहीं है उनमें विटामिन डी की कमी होती है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

मछलियों का सेवन

अगर आप मांसाहारी भोजन का सेवन करते हैं तो जितना ज्यादा हो सके मछलियों का सेवन करें इस से भी विटामिन डी की कमी पूरा होती है और मासांहारी लोगों के लिए यह एक बहुत अच्छा स्रोत है विटामिन डी की कमी पूरा करने का।

बारिश में भीगे बालों की केयर कैसे करें-Barish Me Balo Ki Dekhbhal

बारिश में भीगे बालों की केयर

बारिश का मौसम सबका मनपसंद मौसम होता है। लोग इस मौसम का बेसब्री से इंतज़ार करते है। बारिश में भीगकर सबका मन खुश हो जाता है। लेकिन आज कल के बढ़ते प्रदूषण के कारण बारिश का पानी भी प्रदूषित हो गया है। प्रदूषण के ये कण बारिश के पानी में मिलकर उसे प्रदूषित कर देते है जो हमारे बालों पर बुरा प्रभाव डालते है। ये ना सिर्फ आपके बालों को फ़्रीजी बना देते है साथ ही इससे आपको स्कैल्प पर फंगल इंफेक्शन भी हो सकता है। लेकिन आप कुछ आसान सी टिप्स को फॉलो करके बारिश में भीगे बालों की अच्छे से केयर कर सकते है ताकि आपके बाल बारिश के मौसम में भी स्वस्थ रहें और आप बिना किसी फिक्र के बारिश का मज़ा ले सकें।

बारिश में भीगे बालों की केयर कैसे करें

  • बालों को करें शैंपू
  • करें गुनगुने पानी का प्रयोग
  • करें कंडीशनर का इस्तेमाल
  • बालों को सुखाना है जरुरी
  • करें हेयर मास्क का इस्तेमाल
  • हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का कम करें प्रयोग

बालों को करें शैंपू

बारिश में भीगने के बाद आप नहा लें। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि बारिश में भीगने से उसमे मौजूद प्रदूषण के कण आपके बालों और त्वचा पर जम जाते हैं जिससे आपके बाल खराब हो जाते है और आपको बालों के झड़ने की समस्या हो सकती है। शैंपू आपके बालों में से इन प्रदूषण के कणों को निकालने में मदद करता है। आप पानी में नीम के कुछ पत्ते डाल कर उसका प्रयोग कर सकते है। नीम त्वचा और बालों में मौजूद जीवाणुओं को खत्म कर देता है और डैंड्रफ की समस्या को होने से रोकता है। अगर आपके पास नीम के पत्ते नहीं है तो आप नीम युक्त शैंपू का प्रयोग भी कर सकते हैं। ये बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

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बालों को करें शैंपू
बालों को करें शैंपू

 

करें गुनगुने पानी का प्रयोग

बारिश में भीगने के बाद नहाने के लिए हल्के गुनगुने पानी का प्रयोग करें। ये बालों में मौजूद जीवाणुओं को मार देता है और फंगल इंफेक्शन जैसी समस्या को होने से रोकता है। ध्यान रखें कि पानी ज्यादा गर्म ना हो नहीं तो ये आपके बालों को नुकसान पहुंचा सकता है।

करें कंडीशनर का इस्तेमाल

बालों को धोने के बाद कंडीशनर का इस्तेमाल जरूर करें। कंडीशनर आपके बालों को पोषण देगा और फ्रिज़ की समस्या को भी रोकने में मदद करेगा।

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बालों को सुखाना है जरुरी

बालों को धोने के बाद ये जरुरी हो जाता है कि आप अपने बालों को अच्छे से सूखा लें क्योंकि मॉनसून में हवा में नमी ज्यादा हो जाती है और अगर ऐसे में आपके बाल ज्यादा समय तक गीले रहें तो इससे बालों में जीवाणु जैसे बैक्टीरिया और फंगी जल्दी पनपते है। इससे आपको स्कैल्प पर संक्रमण हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले अपने बालों को तौलिए की मदद से सुखाए। बालों को तौलिए से रगड़ें नहीं। इससे आपके बाल टूट सकते है क्योंकि गीले बाल बहुत कमजोर होते ही। इसीलिए या तो बालों को अपने आप है सूखने दे या फिर ब्लो ड्रायर का प्रयोग करें। लेकिन ब्लो ड्रायर का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि ड्रायर का तापमान कम हो क्योंकि ये आपके बालों को डैमेज कर सकता है।

करें हेयर मास्क का इस्तेमाल

आप अपने बालों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हेयर मास्क का प्रयोग भी कर सकते है। इसके लिए आप एक कटोरी दही में 3 चम्मच जैतून का तेल मिला लें। अब इस हेयर मास्क को अपने बालों और स्कैल्प पर अच्छे से लगा लें। 30 मिनट बाद अपने बालों को धो लें। ये हेयर मास्क आपके बालों को पोषण देगा और आपके बालों के लिए प्राकृतिक कंडीशनर का भी काम करेगा।

जानिए: कौन सा है बेस्ट बाल लम्बे करने का शैम्पू-Bal Lambe Karne Ka Shampoo

हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का कम करें प्रयोग

कोशिश करें कि मॉनसून में कम से कम हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें। हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स में केमिकल होता है जो आपके बालों को डैमेज करता है। इनके ज्यादा प्रयोग बाल फ्रिजी हो जाते है और झड़ने लगते हैं।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

क्या गीले बालों में तेल लगाना चाहिए?

गीले बालो की जड़े कमजोर होती है तेल लगाने से जड़ से उखड़ जाते है और गीले बालो पर तेल लगाने से बदबू की समस्या भी हो सकती है 

बालों में तेल कब और कैसे लगाएं?

बालो मे तेल हमेशा रात मे लगाऐ और अगली सुबह धो ले।अपनी उंगलियों को तेल मे डुबोकर बालो के हिस्से कर के सिर पर हल्के हाथो से पूरे सिर पर लगाऐ और थोड़ी देर मसाज करे।

यूरिक एसिड में क्या क्या सावधानियां बरतें?

यूरिक एसिड में सावधानियां

यूरिक एसिड हमारे शरीर का वो अपशिष्ट एवं अवांछित तत्व है जो कि हमारे शरीर से बाहर न निकलने के कारण हमारे जोड़ों में इकट्ठा हो जाता है। यूरिक एसिड अकेला नहीं आता अपने साथ ढेर सारी समस्या लेकर आता है। यूरिक एसिड की सबसे बड़ी समस्या अर्थराइटिस एवं गठिया होती है। जिसकी वजह से हमारे शरीर के जोड़ो में दर्द होने लगता है। कुछ समय बाद हमारा चलना फिरना, अपने हाथ पैरों से काम करना मुश्किल हो जाता है। हमें अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से हम यूरिक एसिड को कंट्रोल कर सकते हैं। 

यूरिक एसिड बढ़ता क्यों है

हमारा शरीर किडनी और यूरिन के माध्यम से यूरिक एसिड को शरीर से बाहर विसर्जित करता है। अगर हम बहुत अधिक यूरिक एसिड वाली चीजें भोजन में लेते हैं तो हमारे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। इस अवस्था को हाइपरयूरीसीमिया कहा जाता है। इस अवस्था में फ्यूरिन की मात्रा अधिक होती है। ज्यादा यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में यूरेट क्रिस्टल जमा हो जाते हैं। यह यूरेट क्रिस्टल यूरिन को अधिक अम्लीय बना देते हैं। जिससे यूरिन शरीर से अच्छी तरह से बाहर नहीं निकाल पाता। जिसके कारण यह अपशिष्ट पदार्थ शरीर में जमा हो जाता है।

यूरिक एसिड बढ़ने के कारण

यूरिक एसिड बढ़ने का कारण हमारा खान-पान हो सकता है। अगर हम गरिष्ठ भोजन खाते हैं सी फूड, दाल, राजमा, पनीर और चावल जैसी चीजे लगातार खाते हैं तो हमारा यूरिक एसिड बढ़ जाता है।

डायबिटीज के मरीजों का यूरिक एसिड भी अक्सर बढ़ जाता है।

मोटापा यूरिक एसिड बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। मोटापे के कारण हमारी किडनी अच्छी तरह से काम नहीं कर पाती या

हम यह कह सकते हैं कि हम बहुत अधिक खाते हैं जिसके कारण हम बहुत मोटे होते हैं। बहुत मोटे होने के कारण हमारे शरीर से यूरिक एसिड यूरिन के रूप में पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाता।

बीमारियां भी है यूरिक एसिड बढ़ने का कारण

  • स्ट्रेस भी यूरिक एसिड बढ़ने का एक मुख्य कारण हो सकता है। स्ट्रेस के कारण हम तनाव में रहते हैं और हमारी किडनी पूरी तरह से फंक्शन नहीं कर पाती। जिसके कारण हमारे शरीर का यूरिक एसिड हमारे शरीर से बाहर नहीं निकल पाता।
  • पूर्वजों को, माता पिता को यह बीमारी हुई होती है तो हमें यूरिक एसिड होने की संभावना ज्यादा होती है।
  • अगर हमारे शरीर में किडनी की कोई परेशानी होती है तो किडनी प्रॉपर काम नहीं करती जिसके कारण यूरिक एसिड शरीर से बाहर नहीं निकल पाता।
  • हाइपोथायरायडिज्म के कारण शरीर से यूरिक एसिड बाहर नहीं निकल पाता है।
  • अगर किसी को कैंसर है तो कैंसर भी यूरिक एसिड बनने का एक कारण होता है। कैंसर में कीमोथेरेपी की जाती है। वह भी यूरिक एसिड के बढ़ने का कारण होती है।

यूरिक एसिड से कैसे बचे

अगर हमारा खान-पान ठीक नहीं है। हम ऐसे पदार्थों को अधिक मात्रा में लेते हैं जो यूरिक एसिड को बढ़ाते हैं तो हमारा यूरिक एसिड बढ़ जाता है।

  • शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना रोकने के लिए काफी सारा पानी पीना चाहिए। अगर व्यक्ति पानी अधिक मात्रा में पीता है यूरिक एसिड शरीर से यूरिन के रूप में बाहर निकल जाता है। किडनी को काम करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। 
  • धूम्रपान एवं शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। यूरिक एसिड के लिए शराब बहुत हानिकारक है। शराब पीने से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है।  शरीर को अगर स्वस्थ रखना है तो हमें शराब नहीं पीनी चाहिए और पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए।
  • यूरिक एसिड से बचने के लिए सबसे पहले तो हमें अपने वेट पर ध्यान देना होता है। यूरिक एसिड अधिकतर मोटे लोगों का बढ़ा हुआ होता है। अगर हम अपने वेट को संतुलित कर दें तो यूरिक एसिड अपने आप कम हो जाएगा। 

यूरिक एसिड की सही मात्रा

यूरिक एसिड के विषय में हम सभी को पता है कि शरीर में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में या कम मात्रा में नहीं होना चाहिए पर हमें यह नहीं पता कि कितना अधिक मात्रा या कम मात्रा में नहीं होना चाहिए। आइए जानते हैं कि शरीर में यूरिक एसिड किन लोगों में कितनी मात्रा में होना चाहिए।

पुरुषों में यूरिक एसिड की मात्रा 2.5 mg dl – 7 mg/dl है। अगर यूरिक एसिड की मात्रा पुरुषों में 2.5 एमजी से कम है तो इसका मतलब है शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम है। आपको अपनी डाइट में प्रोटीन बढ़ाने की आवश्यकता है अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा 7 एमजी से अधिक है तो इसका अर्थ है कि आपको अपनी डाइट को कंट्रोल करने की आवश्यकता है आपको उपयुक्त डाइट लेनी पड़ेगी।

स्त्रीयों में यूरिक एसिड की मात्रा 1.5 mg /dl – 6.5mg,/dl है। पुरुषों की ही तरह स्त्रीयों को भी अपनी डाइट का ध्यान रखना होगा। अगर आपके शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक है। तो आपको अपनी डाइट को कंट्रोल करना होगा और अगर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कम है तो अपनी डाइट में प्रोटीन बढ़ाना होगा।

जानिए क्या है प्रेगनेंसी में चीकू खाने के नुकसान, कितना और कैसे खाये

प्रेगनेंसी में चीकू

गर्भावस्था में चीकू खाने के नुकसान स्पष्ट नहीं हैं। हांँ, अधपका चीकू खाने से मुंह कड़वा और गले में खुजली हो सकती है। साथ ही माउथ अल्सर का खतरा भी हो सकता है । इसके अलावा, चीकू में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है, इसी वजह से माना जाता है कि इसे अधिक मात्रा में खाने से थोड़ा वजन बढ़ सकता है। ऐसा भी कहा जाता है कि चीकू के अधिक सेवन से पेट में दर्द और डायरिया जैसी समस्या हो सकती हैं। फिलहाल, इस संबंध में कोई सटीक वैज्ञानिक शोध या प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

इसलिए प्रेगनेंसी में चीकू का सेवन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है-

  • हमेशा पका चीकू ही खाएं।
  • इसे खाते समय मात्रा का खास ध्यान रखें।
  • कोशिश करें कि एक ही बार में अधिक चीकू न खाएं, बल्कि दिन में दो से तीन बार में खाएं।
  • चीकू को खाते समय उसे अच्छे से छीलकर ही खाएं। जल्दबाजी में छीलते हुए कई बार फल में छिलका छूट जाता है, लेकिन ध्यान दें कि ऐसा न हो।
  • इसे छीलने से पहले अच्छे से हाथ जरूर धोएं ताकि किसी तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन न हो।

संतुलित मात्रा में सेवन

प्रकृति ने हमें अनमोल चीकू जैसे फल से नवाजा है। चीकू में मौजूद गुणकारी पोषक तत्व इसे खास बनाते हैं। गर्भावस्था में अधिक एनर्जी की जरूरत होती है, जिसकी पूर्ति करने में चीकू मदद कर सकता है। चीकू को एनर्जी यानी ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत बताया जाता है। दरअसल, इसमें फ्रुक्टोज और सुक्रोज की अच्छी मात्रा होती है और यह दोनों प्राकृतिक तत्व एनर्जी बूस्टर की तरह कार्य करते हैं। इसी वजह से गर्भावस्था में होने वाली कमजोरी के एहसास को कम करने और महिला को ऊर्जावान बनाने में चीकू मदद कर सकता है।

आप इसका संतुलित मात्रा में सेवन करके इसके लाभ उठा सकते हैं। इसे खाते समय ध्यान दें कि गर्भावस्था में किसी भी चीज की अधिकता भारी पड़ सकती है। एक रिसर्च में बताया गया है कि प्रेगनेंसी के समय लिए जाने वाले आहार में चीकू को शामिल करने से मांँ और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। दरअसल, इसमें कार्बोहाइड्रेट और एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स होते हैं।

इसके सेवन से होने वाले लाभ के बारे में हम यहाँ बात कर सकते हैं।

पोषक तत्व

इसमें हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम, आयरन, कॉपर और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये सभी पोषक तत्व मिलकर हड्डियों को मजबूत बनाने और उनके विकास में मदद करते हैं।

स्ट्रेस यानी तनाव से छुटकारा

गर्भावस्था के समय होने वाले स्ट्रेस यानी तनाव से छुटकारा पाने में भी चीकू मदद कर सकता है। दरअसल, चीकू विटामिन-सी से समृद्ध होता है। यह विटामिन प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने व अन्य किसी वजह से हुए तनाव को दूर करने का काम कर सकता है।

रक्तचाप नियंत्रण

रक्तचाप नियंत्रण करने के तरीके में चीकू को भी शामिल कर सकते हैं। असल में चीकू मैग्नीशियम से समृद्ध होता है, जो रक्त वाहिकाओं को गतिशील बनाए रखने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, चीकू में पोटैशियम भी होता है, जिसे रक्तचाप और ब्लड सर्कुलेशन को संतुलित रखने के लिए जाना जाता है।

कब्ज से छुटकारा

नसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान डाइजेशन से जुड़ी समस्या कब्ज का होना आम है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए चीकू का सेवन लाभदायक हो सकता है। चीकू में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। यह लैक्सेटिव की तरह कार्य करके पेट से मल को बाहर निकालने और पाचन में मदद करने का काम कर सकता है।

अतः इसे फल की तरह या फ्रूट सलाद के रूप में सुबह या दोपहर के समय खा सकते हैं। इसके हलवे को मीठे के रूप में खाना खाने के बाद खाया जा सकता है।

अब सवाल ये उठता है कि कितना खाएं?

आइये आपको बताते हैं, गर्भावस्था में प्रतिदिन चीकू के सेवन की सुरक्षित मात्रा को लेकर किसी तरह की सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हांँ, ऐसा बताया जाता है कि प्रतिदिन 200 ग्राम तक चीकू का सेवन सुरक्षित हो सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, प्रतिदिन 5000 mg प्रति किलो वजन के अनुसार इसे लेना सुरक्षित है। इस हिसाब से 50 किलो वजन वाले 250 ग्राम तक चीकू का सेवन कर सकते हैं।

आप चाहें तो गर्भावस्था में चीकू के सेवन की सही मात्रा जानने के लिए आहार विशेषज्ञ से भी मदद ले सकते हैं।

Menstrual leave-क्या है भारतीय नियम और पॉलिसी

Menstrual leave-क्या है भारतीय नियम और पॉलिसी

सभी जानते हैं कि महिलाओं को पीरियड के दौरान पहले तीन दिन काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, पूरे विश्व की महिलाओं पर अगर सर्वे कर लिया जाये तो अमूमन यही बात निकलकर सामने आयेगी कि इस दौरान उनकी कार्यक्षमता घट जाती है और शारिरिक परेशानियों के चलते वे चिडचिडी़ भी हो जाती हैं।

हमारे समाज में इसपर खुलकर बात नहीं होती, क्योंकि इसे टैबू की तरह देखा गया है। हालत बयां करने का रास्ता नहीं दिखने और चुपचाप बैठकर पीड़ा सहन करने के चक्कर में कई बार महिलाओं की तबीयत काफी बिगड़ जाती है।

कामकाजी महिलायें इस दौरान छुट्टी भी ले लेती हैं लेकिन उसमें उनका वेतन कटता है इसलिए ये बात सामने आयी कि महिलाओं को पीरियड के दौरान छुट्टी दी जाए।

पीरियड
पीरियड

पीरियड के दौरान औरतों को दर्द का सामना करना पड़ता है। यह दर्द उनकी लाइफ को काफी प्रभावित करता है। स्पेन पहला पश्चिमी देश बनने जा रहा है, जो मासिक धर्म के पेन के कारण महिलाओं को मेंस्ट्रुअल लीव देगा। यह छुट्टी हर महीने 3 दिन की हो सकती है।

पिछले दिनों हमारे देश में ये बातें तब शुरू हुई , जब कुछ कंपनियों ने अपनी महिला कर्मचारियों को ये सुविधा देने की घोषणा की, तब तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर इस समबन्ध में आई, कुछ लोंगों ने तो इसे बराबरी में खतरे की तरह देखा।

बोलूं या न बोलूं। महिलाएं इस संकोच में चुप रह गईं , लेकिन दीपिंदर गोयल ने परवाह किए बिना पूछ डाला, ‘महीने में कितने दिन आपको पीरियड्स के दर्द की वजह से ऑफिस से छुट्टी करनी पड़ती है?’

देश के बड़े फूड डिलिवरी ऐप ज़ोमैटो के फाउंडर और चीफ एग्ज़िक्यूटिव ऑफिसर गोयल ने यह सवाल अपने चार हज़ार कर्मचारियों के सामने रखा। फिर बेबाकी से कंपनी में काम कर रहीं महिलाओं और ट्रांसजेंडर को साल में 10 छुट्टी देने का ऐलान कर दिया। ज़ोमैटो का यह फैसला तुरंत चर्चा का विषय बन गया और लौट आई वर्षों से चल रही बहस।

पीरियड के लिए अलग से छुट्टी देना कितना जायज़ है?

इसका विरोध करने वालों में सबसे आगे नाम आता है जानी-मानी पत्रकार बरखा दत्त का। उनका मानना है कि इस तरह की पॉलिसी महिलाओं के साथ भेदभाव का ज़रिया बनेगी। उन्होंने ट्वीट किया, ‘इससे महिलाओं की सेना में भर्ती होने, फाइटर जेट उड़ाने, वॉर रिपोर्टिंग करने, स्पेस में जाने जैसी इच्छाएं और बड़ी ज़िम्मेदारियों के मौके मारे जाएंगे।’ इससे पहले 2017 में भी उन्होंने पीरियड लीव के ख़िलाफ कई ट्वीट्स के ज़रिए पक्ष रखा था।

बरखा के ट्वीट का कई महिलाओं-पुरुषों ने समर्थन किया, तो बढ़-चढ़कर विरोध भी हुआ। महिलाओं के हक़ में आवाज़ उठाने वाली एक्टिविस्ट रितुपर्णा चटर्जी ने लिखा, ‘पीरियड का अनुभव सबके लिए एक-सा नहीं होता। जो वर्षों से इसके भयंकर दर्द से गुज़र रही हैं, उनका उसपर बस नहीं। उन्हें लीव का अधिकार मिलना चाहिए। छुट्टी करें या न करें, यह उनका फैसला है।’

यूँ तो महिलाओं के कल्याण के लिए बहुत सारे बिल समय समय पर सरकार की ओर से पास होते रहे हैं,लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी “मेंसुरेशन बेनेफिट बिल 2017′” अरुणाचल प्रदेश के एक कांग्रेसी सांसद निनॉन्ग इरिंग ने 2017 में सदन में पेश किया । इस बिल में पीरियड्स के दौरान प्राइवेट और सरकारी दोनों क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को 2 दिनों की छुट्टी देने का प्रावधान था, इसके अलावा पीरियड्स के दौरान ऑफिस में महिलाओं के आराम करने की व्यवस्था करने की बात भी शामिल थी।
इस बिल को 2017 के आखिर में आम सहमति मिली और 2018 में वो संसद में पास हो गया।

हर महीने होने वाले पीरियड महिलाओं के लिए कई तरह की परेशानियां साथ लेकर आते हैं। कइयों के लिए इसका दर्द असहनीय होता है। पेट में एक अजीब ऐंठन। कमर जाम हो जाना। पैरों में फटन। कमज़ोरी और कभी-कभी तो उल्टी-बेहोशी तक नौबत पहुंच जाती है।

स्पैनिश गायनोकोलॉजी एंड ऑब्सटेट्रिक्स सोसाइटी का कहना है कि एक तिहाई महिलाएं अपने पीरियड्स के दौरान गंभीर दर्द से पीड़ित होती हैं। लक्षणों में तेज पेट दर्द, सिरदर्द, दस्त और बुखार शामिल हैं। कई महिलाओं को मासिक धर्म से पहले भी पेन होता है।

हम एक ऐसे देश में रहते हैं , जहां पीरियड्स को एक टैबू माना जाता है। यहां लड़कियों को शुरू से ही पीरियड्स पर खुलकर बात करने की इजाजत नहीं है। लेकिन हमें सोशल मीडिया का शुक्रगुजार होना चाहिए कि लोग अब इस मुद्दे पर चर्चा करने लगे हैं। यहां तक कि कई देशों ने तो वुमेन एम्प्लॉयीज के लिए पीरियड लीव भी देनी शुरू कर दी है। अच्छी बात ये है कि इनकी देखा-देखी Swiggy, Goozop, Byjus जैसी भारत की कुछ कंपनियों ने भी अपनी फीमेल एम्प्लॉयीज को पीरियड के दौरान एक या दो दिन की छुट्टी देने का सिस्टम बनाया हुआ है। अमेरिकन अकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन के अनुसार, पीरियड में दर्द होना आम है। पांच में से लगभग एक महिला को इतनी तेज दर्द होता है कि उसकी रोजाना गतिविधियां भी बाधित हो जाती हैं।

तो आइए जानते हैं उन देशों के बारे में, जो महिलाओं को पीरियड लीव देते हैं, स्पेन के अलावा अन्य कईं देशों में ये प्रावाधान है, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और जाम्बिया राष्ट्रीय स्तर पर मासिक धर्म की छुट्टी की पेशकश करते हैं। संयुक्त राज्य में कुछ कंपनियां मासिक धर्म अवकाश प्रदान करती हैं।

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