जानिए क्या है नाभि में नारियल का तेल लगाने के नुकसान

नाभि में नारियल का तेल लगाने के नुकसान

नारियल के तेल के फायदें से तो हम सभी वाकिफ हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि नाभि में नारियल का तेल लगाना नुकसान भी दे सकता है। जी हां बिल्कुल सही सुना आपने नाभि में नारियल का तेल लगाने के नुकसान भी हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं अति सर्वत्रे वर्जित तो फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि हम कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। हम जिस नारियल तेल को अपनी नाभि में फायदे के लिए लगा रहे हैं वह हमें फायदे के बजाय नुकसान पहुंचा रहा है।

वैसे तो नारियल का तेल नाभि में लगाने के बहुत सारे फायदे है लेकिन अगर हम कुछ बातों का ध्यान न रखें तो इसके नुकसान भी कम नहीं है। तो आइए जानते हैं कि नाभि में नारियल तेल लगाने के क्या क्या नुकसान है।

नाभि में नारियल का तेल लगाने के नुकसान

नाभि में नारियल का तेल नुकसानदायक है सूखी त्वचा वालों के लिए

आमतौर पर हम सभी को लगता है कि अगर ड्राई स्किन वाले नाभि में नारियल का तेल लगाएंगे तो उनकी स्किन ग्लो करने लगेगी, लेकिन ऐसा है नहीं नारियल का तेल ड्राई स्किन पर फायदा नहीं कर पाता। यह ड्राई स्किन को पोषण नहीं प्रदान कर पाता वैसे तो नारियल का तेल त्वचा को नमी प्रदान करता है और यह शरीर के अंदर अच्छी तरह से पोषण देता है। ड्राई स्किन नारियल के तेल को अच्छी तरह से अपनी त्वचा में सोख नहीं पाती है। ड्राई स्किन के ऊपर नारियल के तेल की परत बन जाती है।

नाभि में नारियल के तेल से होते हैं मुहासे

अगर आप नाभि में नारियल का तेल लगाते हैं तो यह आपके पूरे शरीर को नमी प्रदान करता है। कुछ प्रकार की त्वचा में यह नमी मुहांसों का कारण बनती है। अगर आपकी त्वचा जरूरत से ज्यादा मास्चराइज है और आप ऐसी त्वचा को और अधिक नमी प्रदान कर रहे हैं तो यह आपकी त्वचा में पोषण का कारण तो बिल्कुल नहीं बनेगी बल्कि आपके त्वचा को तैलीय बना देगी। तैलीय त्वचा में कील- मुंहासे, ब्लैकहेड जल्दी होते हैं। नाभि में नारियल का तेल मुंहासें, गंदगी और ब्लैक हेड्स, व्हाइट हेड्स का कारण बन जाती है।

नाभि में नारियल का तेल लाता है चेहरे पर अवांछित बाल

हम सभी को चेहरे पर बाल बिल्कुल भी पसंद नहीं होते। हम सभी चाहते हैं कि हमारी त्वचा चिकनी और हेयरलैस हो अगर बात चेहरे की आती है तो हम एक भी बाल चेहरे पर नहीं चाहते। लेकिन जब हम नाभि में नारियल का तेल लगाते हैं तो धीरे-धीरे हमारे चेहरे पर बाल आने लगते हैं।

नाभि में नारियल का तेल पैदा करता है पेट की समस्या

नाभि में नारियल का तेल आमतौर पर फ़ायदेमंद होता है। गर्मियों में नारियल का तेल काफी गर्म होने के कारण और फैटी एसिड व वसा युक्त होने के कारण गैस और कब्ज की समस्या पैदा करता है। नाभि में नारियल का तेल अगर हम गर्मियों में भी कभी कभार लगाते हैं तो यह हमारे लिए फायदेमंद है लेकिन अगर हम रोज गर्मियों में अपनी नाभि में नारियल का तेल लगाते हैं तो यह काफी नुकसानदायक भी हो सकता है।

नाभि में नारियल तेल लगाने से हो सकती है एलर्जी

नारियल का तेल काफी गर्म होता है अगर हम इसे रोज लगाते हैं या गर्म मौसम में या फिर मानसून के मौसम में अपनी नाभि पर लगाते हैं तो यह हमारे लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। इससे हमारी त्वचा पर दाने व रैसेज हो सकते हैं। हमारी त्वचा लाल हो सकती है।

इसलिए नाभि में रोज नारियल तेल लगाना अवॉइड करना चाहिए। हम यह तो नहीं कह सकते कि नाभि में नारियल तेल लगाना फायदेमंद नहीं है। हम कुछ सावधानियों का ध्यान न रखें तो यह काफी नुकसानदायक हो सकता है। तो आइए जानते हैं कि नाभि में नारियल का तेल लगाते समय किन सावधानियों को ध्यान रखें।

रोज न लगाएं नाभि में नारियल का तेल

नाभि में नारियल का तेल गर्मियों में रोज न लगाएं नारियल का तेल काफी फायदेमंद होता है लेकिन विशेषकर सर्दियों में जब हम गर्मियों में नारियल कर रोज की नाभि पर लगाते हैं हमारे शरीर में काफी गर्मी पैदा करता है जिसके कारण हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है कील मुंहासे, एलर्जी, तैलीय त्वचा यह सब इसी के दुष्परिणाम है।

नाभि में नारियल का तेल लगाते समय साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें

जब आप तेल लगाते हैं तो उससे पहले आपको अपनी नाभि को अच्छे से धो लेना चाहिए और उसके बाद उसे सूती कपड़े से पोछकर सुखा देना चाहिए। जब आप रोज नाभि में नारियल का तेल लगाते हैं और साफ सफाई का ध्यान रखने पर यह धीरे धीरे गंदगी के रूप में इकट्ठा होने लगता है। जिससे हमारे नाभि के आस पास दाने, फोड़े फुंसी होने लगते हैं कभी-कभी स्थिति ऐसी हो जाती है कि हमें ऑपरेशन भी कराना पड़ता है अतः अगर हमें नाभि में नारियल का तेल डालना है तो हमें नाभि को अच्छी तरह से साफ भी करना चाहिए।

अच्छी क्वालिटी का नारियल तेल प्रयोग करें

आजकल मिलावट का समय है ऐसे में नारियल के तेल में पाम आयल डालना या पैराफीन आंँयल डालना एक आम बात है तो हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम उत्तम गुणवत्ता वाला ही नारियल का तेल प्रयोग में लाएं। हम मार्केट से या आयुर्वेदिक दुकानों से इस तेल को खुदरा भी खरीद सकते हैं। नारियल का तेल पारदर्शी होता है और नए-नए नारियल तेल में ज्यादा खुशबू नहीं होते जैसे जैसे वह पुराना होता जाता है नारियल के तेल की खुशबू बहुत तीखी होने लगती है हमें पुराना नारियल तेल नाभि में प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।

किसी सर्जरी के बाद न प्रयोग करें नाभि में नारियल का तेल

आप ही कोई सर्जरी हुई हो या तेज हाथों से नाभि में मसाज करते हुए नारियल का तेल न लगाएं यह आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है।

क्या है जानलेवा मारबर्ग वायरस के लक्षण और इलाज

marburg virus

दुनिया अभी पूरी तरह से कोरोना वायरस का कहर भूली नहीं है कि, अब एक नए वायरस की दस्तक ने लोगों की नींद उड़ा दी है। कोरोना वायरस की भयानक तबाही को पूरे विश्व ने देखा। महीनों तक कई देशों को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा और करोड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। दुनिया के ज्यादातर देशों को कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक नुकसान भी पहुंचा। सभी देशो ने जान माल दोनों की हानि उठायी और मानसिक रूप से लोग इससे बहुत प्रभावित हुए। काफी समय बाद लोगों की जिंदगी कोरोना से उबर कर पटरी पर लौट ही रही थी की, अब एक नए वायरस मारबर्ग की आहट है।

एक न्यूज़ चैनल के मुताबिक, मारबर्ग वायरस के कारण घाना में पिछले महीने 2 लोगों की मौत हो गई थी। ये दोनों लोग मारबर्ग वायरस से संक्रमित पाए गए थे. प्रशासन ने दोनों के संपर्क में आने वाले लोगों को एतिहातन आइसोलेट कर दिया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। WHO ने कहा कि अगर मारबर्ग वायरस को लेकर तुरंत सावधानियां नहीं बरतीं गई तो इस वायरस के फैलने पर हालात बेकाबू हो सकते हैं।

आइये पहले ये जानते है कि क्या है मारबर्ग वायरस?

मारबर्ग वायरस
मारबर्ग वायरस

मारबर्ग वायरस कोरोना की ही तरह चमगादड़ों के स्रोत के कारण होने वाली बीमारी है. विशेषज्ञों के मुताबिक, संक्रमित जानवर से इंसानों में वायरस के क्रॉसओवर के बाद इसका एक से दूसरे व्यक्ति में संचरण हो सकता है. जानकारों के मुताबिक, मारबर्ग वायरस के कारण मारबर्ग वायरस डिजीज (MVD) का खतरा होता है और इसकी मृत्युदर 88 फीसदी से अधिक हो सकती है. आपको बता दें कि ये वायरस भी इबोला परिवार का ही सदस्य है। बताया जा रहा है कि मारबर्ग इबालो से भी ज्यादा तेजी से संक्रमण फैलाता है. साल 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट में सबसे पहले इस वायरस का प्रकोप देखा गया था।

इसके संक्रमण से होने वाले व्यक्ति में इसके लक्षण आने में 2-21 दिन का समय लगता है। इससे संक्रमित मरीज में बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसलिए समय पर इसका इलाज बहुत जरूरी है।

कैसे फैलता है इस वायरस का संक्रमण?

इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के रक्त, शरीर के तरल पदार्थ जैसे मूत्र, लार, पसीना, मल, उल्टी, आदि के संपर्क में आने से संक्रमण दूसरे लोगों में फैल सकता है। यही नहीं संक्रमित व्यक्ति के कपड़े और बिस्तर के इस्तेमाल से भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। इसलिए ये वायरस कोरोना से भी खतरनाक नज़र आता है।

इसके बचाव और इलाज के बारे में जानकार बताते हैं कि, मारबर्ग वायरस से संक्रमित मरीज़ को इलाज के तौर पर उसे लिक्विड डाइट और इलेक्ट्रोलाइट्स को नियंत्रित करने, ऑक्सीजन और ब्लड प्रेशर की स्थिति को कंट्रोल में रखने और खून की कमी न होने देने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए।अगर आप प्रभावित इलाके में रह रहे हैं तो हाथों में दस्ताने और मास्क पहनना आवश्यक है। वहीं, संक्रमित व्यक्ति को क्वारंटीन में रखना चाहिए ।और इस दौरान उसके द्वारा इस्तेमाल की गई किसी भी वस्तु को खुले हाथों से छूना नहीं चाहिए।

जानिये नीम की पत्ती खाने के फायदे-Neem Ki Patti Khane Ke Fayde

जानिये नीम की पत्ती खाने के फायदे

नीम का शायद ही कोई ऐसा भाग है जिसका उपयोग औषधि के रूप में ना किया जाता हो। नीम के फल, बीज, पत्ती, जड़,छाल, टहनी, तेल सभी का प्रयोग विभिन्न बीमारियों में किया जाता है। प्राचीन काल से नींम के ओषधिय गुण से हम सभी अवगत है। लेकिन आज इस आर्टिकल में हम नीम की पत्ती के फायदे बताएंगे।

नीम की पत्तियों का स्वाद भले ही कड़वा हो, पर इनके सेवन से अनगिनत फायदे होते है। यदि आप थोड़ी देर के लिए जीभ के स्वाद को भूल जाए तो, बहुत स्वास्थ्य के मालिक हो सकते है।

नीम की पत्ती खाने के फायदे-Neem Ki Patti Khane Ke Fayde

कैंसर में फायदेमंद

नीम की पत्तियों में शामिल पॉलीसेकीराइड्स और लिमोनाइड्स विभिन्न ट्यूमर और कैंसर के असर को कम करते है। इसके अलावा नीम की पत्तियों का खाली पेट सेवन लिम्फोसाईटिक अनीमिया में भी फायदेमंद है।
नीम शरीर में खून को साफ करके फ्री रेडिकल्स को दूर करता है।

इम्युनिटी बढ़ाए

नीम की पत्तियों के एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से सब परिचित है। ये गुण न केवल सामान्य फ्लू से शरीर को बचाते है, हृदय रोग और कैंसर जैसी कई बीमारियों का खतरा कम करते है।

इम्युनिटी बेहतर होने से आप मौसमी बदलाव या खानपान या जगह के बदलाव से होने कि वाले नुकसान से बचते है।

मुख की साफ सफाई

पुराने जमाने के लोग ही नही बल्कि आज की युवा पीढ़ी भी नीम की दातुन की कायल है, किंतु कई बार समय तो कई बार अनुपलब्ध होने के कारण इसका इस्तेमाल नही कर पाते।

सुबह खाली पेट नीम के पत्ते चबाने से मुख की बहुत बेहतरीन सफाई होती है। मसूड़ो का इन्फेक्शन नही होता, मुख की बदबू दूर होती है। प्लाक और कैविटी से बचे रहते है।

इसके अलावा दांत के कीड़े, तम्बाकू और बीड़ी सिगरेट के कारण होने वाले दांतो का पीलापन दूर होता हौ। दांत चमकदार होकर मुस्कुराहट खूबसूरत बनती है।

पाचनतंत्र को मजबूत बनाए

अगर आपको पाचन से सम्बंधित कोई भी दिक्कत जैसे, एसिडिटी, गैस, सीने में जलन, कब्ज़, है तो नीम के पत्ते आपके लिए रामबाण है। नीम की पत्तियों से ना केवल इम्युनिटी बढ़ती है बल्कि आप भोजन को सही तरीके से पचा पाते है।ये पेट से हानिकारक विषैले तत्वों को निकाल कर इन्फेक्शन से बचाते है।

पाचनतंत्र को मजबूत बनाए
पाचनतंत्र को मजबूत बनाए

डायबिटीज में लाभदायक

आपको डायबिटीज हो या न हो, यदि आप नियम से सुबह खाली पेट नीम के पत्तो का सेवन करते है तो, इस समस्या में बचाव व सुधार दोनों होता है।

केवल आयुर्वेद ही नही होमियोपैथी व अलोपथी भी इस बात को मानती है कि, डायबिटीज में नीम के पत्तो का सेवन स्थिति को काफी हद तक सुधार सकता है।

सौंदर्य को बढ़ाये

जी हाँ सही पढ़ा आपने, नीम की पत्ती को खाने से सौंदर्य में काफी वृद्धि होती है। दरअसल नीम के एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीवायरल, एंटीफंगल गुण खून को साफ करके त्वचा को चमकदार बनाता है। नीम की पत्तियों के सेवन से दाग धब्बे दूर होते है, स्किन की रेडनेस, इन्फेक्शन, खुजली जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा बालो की सुंदरता को बढाने में भी ये बहुत लाभदायक है।

स्कैल्प पर होने वाला हर प्रकार का इन्फेक्शन नीम के सेवन से दूर होता है। जब जड़े स्वस्थ होंगी तो बाल खुद ब खुद रेशमी, मुलायम, घने व चमकदार बनेंगे।

मलेरिया में फायदेमंद

नीम की पत्तियां मलेरिया से लड़ने में बहुत मददगार होती है। मरीजो के लिए ही नही अपितु मलेरिया को फैलने से रोकने के लिए भी इन पत्तियों का उपयोग किया जाता है।

आर्थराइटिस में फायदेमंद

नीम की पत्तियों का सेवन हर प्रकार के आर्थ्राइटिस में फायदेमंद है, इससे न केवल दर्द की स्थिति सुधरती है, बल्कि सूजन मे भी कमी आती है।

नीम की पत्ती खाने के नुकसान

एक बात आपने जरूर सुनी होगी कि ‘अति सर्वत्र वर्जयते’ अर्थात किसी भी काम को सीमा से परे जाकर करना नुकसान दायक है।
इसी प्रकार नीम के पत्तों का सेवन भी कुछ परिस्थितियों में हानिकारक है। अब हम आपको इसी बारे में अवगत कराएंगे।

  • जर्नल कान्ट्रसेप्शन में छपे एक रिसर्च के अनुसार, रोजाना 3 मिलीग्राम या इससे ज्यादा नीम के पत्तों का रस पीने से शुक्राणु नष्ट हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार, नीम का रस ना केवल स्पर्म को गतिहीन कर सकता है बल्कि 20 सेकंड के अंदर ही 100 फीसदी मानव शुक्राणु को भी खत्म कर सकता है।
  • गर्भवती स्त्री को नीम के पत्तो का सेवन नही करना चाहिए, ये बहुत नुकसानदायक हो सकता हैं।
  • नीम शुगर लेवल को कम करता है, इसलिए यदि आप उपवास कर रही हैं तो नीम का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • नीम के ज्यादा सेवन से मुंह का स्वाद खत्म हो जाता है।

जानिए कैसे करे उपयोग ताकि मिले भरपूर कची हल्दी के फायदे

कची हल्दी के फायदे

कच्ची हल्दी रोगियों के लिए बहुत फ़ायदेमंद होती है। कच्ची हल्दी में इन्सुलिन का स्तर कम करने का गुण होता है। कच्ची हल्दी रोग पैदा करने वाले फ्री रेडिकल्स जो शरीर के प्राकृतिक सेल्स को नष्ट करते है उनको शरीर में पनपने नहीं देती। कची हल्दी के फायदे ढेर सारे होते हैं। कच्ची हल्दी का उपयोग चेहरे की सुंदरता निखारने के साथ साथ शरीर की कई बिमारियों से बचने के लिए भी किया जाता है।

सर्दी जुकाम के लिए एक चुटकी हल्दी ही जादू का काम करती है। कोरोना काल में तो हम सभी ने हल्दी के औषधीय गुण देखे ही हैं। तो आइये जानते है कच्ची हल्दी के गुणों को।

कच्ची हल्दी कैसी होती है

कच्ची हल्दी अदरक की तरह गांठ जैसी है इसमें वोलाटाइल नामक तेल पायाा जाता है जिसमे रोग प्रतिरोधक गुण होते है जो कैंसर जैसी बीमारी पर भी भी प्रभाव हैं। कच्ची हल्दी के औषधीय गुण हल्दी पाउडर की तुलना में कहीं अधिक होते  हैं। कच्ची हल्दी से निकलने वाला पीला रंग हल्दी पाउडर की तुलना में अधिक गड़ा होता है

कची हल्दी के फायदे-Kachi Haldi Ke Fayde

कच्ची हल्दी लाभकारी है इम्युनिटी बूस्टर में-Haldi Khane Ke Fayde

कची हल्दी एक प्राकृतिक इम्युनिटी बूस्टर है। कच्ची हल्दी हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। इसका एक मुख्य घटक लिपोपोलीसेकराइड होता है जिसमे एन्टीवैक्टीरियल एंटीफंगल एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। जो शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाते हैं। जिसके कारण कच्ची हल्दी बुखार से लेकर गले के दर्द व घुटनों के दर्द में सामान रूप से उपयोगी होती है।

कच्ची हल्दी रखे स्वस्थ पाचन तंत्र को-Haldi Ke Fayde

कच्ची हल्दी में मौजूद क्यूरक्युमिन नामक अव्यय पित्त उत्पादन को एक्टिवेट करता है। पित्त की अधिकता से खाना जल्दी से पच जाता है। पाचन क्रिया सुचारू रूप से होने के कारण पेट में सूजन और गैस की समस्या नहीं होती।

पाचन क्रिया करे दुरुस्त
पाचन क्रिया करे दुरुस्त

कच्ची हल्दी डाइबिटीज में भी है लाभकारी-Haldi Ka Upyog

कची हल्दी के सेवन से भोजन का पाचन अच्छे से होता है। कच्ची हल्दी इन्सुलिन के स्तर को संतुलित करती है। इन्सुलिन की अधिकता या कमी ही शुगर जैसी बीमारी की वजह होती है जब शरीर में इन्सुलिन की मात्रा संतुलित होती है तो डायबिटीज़ अर्थात शुगर भी कंट्रोल में रहती है।

कच्ची हल्दी उपयोगी है त्वचा व चेहरे के लिए-Kachi Haldi Benefits For Skin In Hindi

कच्ची हल्दी के चेहरे एवं शरीर पर उपयोग से त्वचा निखरती है। कच्चे दूध या दही के साथ बेसन और हल्दी मिलाकर लगाने से त्वचा की टैनिंग दूर होती है एवं त्वचा एवं चेहरे पर निखार आता है।

कच्ची हल्दी का प्रयोग दादी नानी उबटन में सदियों से करती आयी हैं। दुल्हन का रूप निखारने के लिए भी उसे कच्ची हल्दी ही लगायी जाती है।

कच्ची हल्दी फायदेमंद है दिल के लिए-Haldi Ke Gun

कच्ची हल्दी को आर्युवेद में ओषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। कच्ची हल्दी के निरंतर सेवन से शरीर के हानिकारक टोक्सिन बाहार निकल जाते हैं जिससे ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है और धमनियों एवं शिराओ में बहने वाला रक्त गाड़ा नहीं होता एवं रक्त का परभाव सुचारू रूप से होता है।

दिल की बीमारियां काफी हद तक कम हो जाती हैं विज्ञान मे रिशर्च द्वारा भी प्रूव हुआ है कि हल्दी वाले दूध के सेवन से सर्जरी के बाद होने वाले हार्ट अटैक की दर दर में कमी आयी है। कच्ची हल्दी कोलेस्ट्रॉल के लेवल को संतुलित करने में उपयोगी होती है।

कच्ची हल्दी फायदेमंद है त्वचा के रोगों में-Kachi Haldi Benefits For Skin In Hindi

कच्ची हल्दी में एंटीसेप्टिक एवं एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो सोरायसिस जैसे त्वचा रोगों से बचाव करती है। चेहरे की झाइयों को दूर करने के लिए कच्ची हल्दी को पीस कर खीरे के रस के साथ मिलकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झाइयां दूर होती हैं। चर्म रोगों मे कच्ची हल्दी व आवले का रस मिलकर पीने से लाभ मिलता है।

कच्ची हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं जो त्वचा पर पड़ने वाली झुर्रियों व पिग्मेन्टेशन को रॉकने में प्रभावी हैं.

कच्ची हल्दी गुणकारी है अस्थमा में-Haldi Ke Labh

अस्थमा
अस्थमा

एक चौथाई चम्मच कच्ची हल्दी को आधा चम्मच शहद मिलकर खाने से अस्थमा में तत्काल लाभ मिलता है। कच्ची हल्दी का एक छोटा टुकड़ा मुँह में लेकर चूसने से लगातार रूक रूक कर होने वाली खाँसी में रहत मिलती है। जुकाम व खांसी होने पर गरम दूध में सोंठ पाउडर व कच्ची हल्दी का पाउडर डाल कर पीने से जुकाम व खासी दूर होती है।

कच्ची हल्दी लाभकारी है चोट में-Haldi Ke Faide

कच्ची हल्दी सरसों के तेल में गर्म करकेअगर चोट पर लगाई जाये तो वह घाव को पकने नहीं देती अंदरूनी चोट में गर्म दूध में हल्दी मिलकर पीने से चोट जल्दी ठीक होती है। कच्ची हल्दी, खाने वाला चूना व शहद मिलाकर चोट या मोच की जगह पर लगाने से चोट एवं मोच तुरंत ठीक होती है।

कच्ची हल्दी है रक्त शोधक-Kachi Haldi Benefits For Skin

कच्ची हल्दी में एंटीसेप्टिक व एन्टीबैक्टिरीअल गुण पाए जाते हैं जिसके कारण कच्ची हल्दी खून को साफ़ करती है व रक्त की अशुद्धि के कारण कील मुहांसों व फोड़े फुंसियों को दूर करती हैं। कच्ची हल्दी में मुहांसों की सूजन दूर करती है हल्दी तैलीय त्वचा की अतिरिक्त चिकनाहट को दूर कर त्वचा को स्निगध बनती है। आटा शहद दूध व कच्ची हल्दी का फेस पैक त्वचा को कांतिमान बनता है।

कच्ची हल्दी गुणकारी है गठियां में-Kachi Haldi Ke Fayde

कच्ची हल्दी का नियमित सेवन करने से रोगी को जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। कच्ची हल्दी गठिया के रोगी की जोड़ों की सूजन को कम करने में कारगर होती है। कच्ची हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर में हानिकारक रेडिकल्स को नष्ट करने में सहायक होते हैं।

कच्ची हल्दी है मासिक धर्म में उपयोगी-Haldi Khane Ke Fayde

कच्ची हल्दी सुबह सुबह पानी या दूध के साथ लेने से मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द व ऐठन से राहत मिलती है एवं पीरियड भी नियमित होते हैं।

कच्ची हल्दी बढ़ाये याददाश्त-Haldi Ke Fayde In Hindi

कच्ची हल्दी में मौज़ूद टारमरों नमक अव्यय मस्तिष्क की कोशिकाओं की मरम्मत में मददगार होता है जो मानसिक बिमारियों की संभावनाओं को कम करता है। यह मस्तिष्क में प्लाक के गठन को रोकता है जिससे मस्तिष्क में रक्त एवं ऑक्सीजन का प्रवाह सुचारू रूप से होता है।

कच्ची हल्दी लाभकारी है कैंसर में-Haldi Ke Fayde

कच्ची हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नमक घटक ट्यूमर सेल्स के प्रसार को काम करने एवं उन्हें बनने से रोकने में सक्षम होता है यह प्रोस्टेट ,स्तन व लंग्स कैंसर से बचाव में सहायक होता है।

तो इस तरह से आप सभी ने देखा की एक छोटी सी कच्ची हल्दी की गांठ में कितने सरे फायदे छुपे होते हैं तो फिर हो जाइय शुरु कच्ची हल्दी को अपने घर अपने रसोई घर में जगह देने के लिए।

फिटकरी का पानी पीने के फायदे जो जानकर चौंक जायेंगे आप

फिटकरी का पानी पीने के फायदे

फिटकरी एक ऐसी चीज़ है जो घर में आसानी से मिल जाती है। फिटकरी का इस्तेमाल या फिटकरी से पानी साफ करना प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। आजकल फिटकरी का इस्तेमाल अक्सर शेविंग के बाद फ़ेस पर किया जाता है या गंदे पानी को साफ करने के लिए किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिटकरी का पानी पीने के फायदे भी बहुत हैं। आज इस लेख में हम आपको इन्ही फ़ायदों को बारे में बताएँगे।

क्या है फिटकरी

फिटकरी एक रंगहीन क्रिस्टल होता है। इसे अँग्रेजी में एलम कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम पोटाशियम एल्युमिनियम सल्फ़ेट है। फिटकरी अलग अलग प्रकार की होती है जैसे पोटाशियम एलम, अमोनियम एलम, सोडियम एलम, क्रोम एलम, एल्युमिनियम एलम, सेलेनेट एलम।

फिटकरी
फिटकरी

कैसे बनाएँ फिटकरी का पानी

फिटकरी का पानी बनाना बहुत आसान है। फिटकरी का पानी बनाने के लिए पानी को उबाल लें। जब पानी अच्छे से उबाल जाये तब इसमे फिटकरी के टुकड़े डाल दें। जब ये टुकड़े अच्छे से पानी में पिघल जाये तब इसे गैस से उतार ले। जब ये ठंडा हो जाये तब इसे छान लें। फिटकरी का पानी तैयार है।

फिटकरी का पानी पीने के फायदे

हीमोग्लोबिन बढ़ाए

शरीर के अंदर हीमोग्लोबिन का स्तर बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। इसकी कमी शरीर के लिए बहुत नुकसान दायक हो सकती है। अगर आपके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी है तो फिटकरी का पानी पीना आपके लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। फिटकरी में भरपूर मात्रा मे आयरन पाया जाता है जो शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है और उसके स्तर को बनाए रखता है।

कब्ज़ से दिलाये छुटकारा

आज कल ठीक से भोजन न करने के कारण कब्ज़ और अपच जैसी शिकायतें हो जाती हैं जिसके कारण पेट ठीक से साफ नहीं हो पाता। ऐसे में आप फिटकरी के पानी का सेवन कर सकते है। फिटकरी का पानी पीने से पाचन शक्ति मजबूत होती है जिससे भोजन जल्दी पच जाता है और कब्ज़ की शिकायत दूर होती है।

विषैले पदार्थों को शरीर से निकाले बाहर

फिटकरी का पानी पीने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ भी बाहर निकल जाते है। फिटकरी आपके रक्त को साफ रखती है और विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल देती है जिस कारण आपकी त्वचा भी साफ और सुंदर हो जाती है तथा आपकी त्वचा पर चमक आ जाती है।

एसिडिटी की समस्या को करे दूर

अगर आपको एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या है तो आप फिटकरी का पानी पी सकते हैं। फिटकरी का पानी शरीर में ज्यादा उत्पन्न हुए एसिड की मात्रा हो कम करने में मदद करता है जिससे आपको एसिडिटी नहीं होती और फूला हुआ पेट भी कम हो जाता है।

इम्यूनिटी पावर बढ़ाए

कई लोग बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम इतना मजबूत नहीं होता। इस कारण से उनका शरीर बीमारी से अच्छे से लड़ नही पाता और मौसम के बदलते ही वो बीमार हो जाते हैं। अगर आप भी जल्दी बीमार पड़ जाते हैं तो आप फिटकरी के पानी की सेवन कर सकते हैं।

फिटकरी का पानी आपकी इम्यूनिटी पावर को बढ़ाता है। जिससे आपके शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है और आप स्वस्थ रहते है। इसके सेवन से आप जल्दी बीमार भी नहीं पड़ते।

जानकर चौंक जाएंगे आप चमेली के तेल के फायदे

चमेली के तेल के फायदे

चमेली एक ऐसा फूल जिसकी सुगन्ध कोई भुलाए न भूले, इसी चमेली के तेल का प्रयोग अलग अलग उद्देश्य से किया जाता रहा है।कभी स्वास्थ्य तो कभी सुंदरता के लिए। आज इस लेख में हम चमेली के तेल के बहुत से गुणों और चमेली के तेल के फायदे के बारे में बात करेंगे। चमेली के फूल में बहुत से औषधीय और लाभकारी गुण होते है। इसे जैस्‍मीन के नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे के फूल से निकाले गए एसेंशियल ऑयल को चमेली का तेल कहा जाता है। हो सकता है चमेली के तेल के बहुत से उपयोग आप जानते भी न हो। किस समस्या के लिए इस तेल को किस प्रकार इस्तेमाल किया जाए ये भी हम आपको बताएंगे।

चमेली के तेल के फायदे

डिप्रेशन एंग्जायटी कम करें

अगर आप खुद को या किसी अपने को डिप्रेशन या एंग्जायटी में देख रहे है तो चमेली के तेल आपकी मदद कर सकता है। चमेली के तेल की सुगंध का उपयोग ऐसे हालात में किया जा सकता है। थाइलैंड यूनिवर्सिटी भी अपने एक रिसर्च में इसका जिक्र करती है। दरअसल चमेली के तेल की खुशबू हैप्पी हॉरमोन को उत्तेजित करती है जिससे खुशी का अहसास होता है।

चमेली का तेल
चमेली का तेल

इसकी खुशबू मन और मस्तिष्‍क को सुखद और शांति का अनुभव कराती है। इसलिए अरोमाथेरेपी में इसका प्रयोग बहुतायत से किया जाता है।

एंटीसेप्टिक के तौर पर

चमेली के तेल में एंटीबैक्टेरियल तत्व पाए जाते है। जिसके कारण इसे एंटीसेप्टिक की तरह भी काम मे लिया जा सकता है।

यौन समस्याओं में लाभकारी

चमेली के तेल की खुशबू सेक्स डिजायर बढ़ाती है, वास्तव में इसकी खुशबू आपको उत्तेजित करके रोमांस जगाती है। यह भी एक कारण है कि नवविवाहित जोड़े के आसपास चमेली के फूलों को जरूर रखा जाता है। चमेली के तेल से अरोमाथेरेपी करके स्‍खलन, फ्रिगडिटी, नपुंसकता और अन्‍य यौन समस्‍याओं का इलाज भी किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि चमेली का फूल प्रेम संबंधों को मजबूत करने में सहायक होता क्योंकि यौन समस्याओं का एक कारण तनाव भी है, और चमेली का तेल तनाव को कम करता है।

बालों की करे देखभाल

अब चूंकि चमेली का तेल तनाव कम करता है तो तनाव से गिरते बालो से भी मुक्ति दिला सकता है। इसके अलावा यह स्‍कैल्‍प और बालों मॉइस्‍चराइज करता है। हमने पहले भी बताया कि चमेली के तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते है जिस कारण यह स्कैल्प के बैक्टीरियल इन्फेक्शन को दूर करता है।

अब जब ये तनाव को दूर करेगा और स्कैल्प पर किसी प्रकार का इन्फेक्शन भी होने देगा, तो बालो का विकास होना लाजमी है। यदि आप भी बालों के रूखेपन, ड्राई स्कैल्प से पीड़ित है तो एक बार चमेली के तेल जरूर प्रयोग करे।

रजोनिवृत्ति अर्थात मेनोपॉज़ को आसान बनाएं

मेनोपॉज़ का समय किसी भी महिला के लिए बहुत ही अजीब होता है। तेजी से हो रहे हार्मोनल बदलाव और बढ़ती उम्र जीवन को मुश्किल कर देती हैं।

ऐसे समय मे अवसाद, ज्यादा गर्मी लगना, रात का पसीना, इर्रिटेशन होने लगती हैं। ऐसे समय मे खुश रहना बहुत ही जरूरी होता है। यदि मेनोपॉज़ के समय महिला खुद को पैम्पर करे तो इन सब लक्षणों से बचने का ये बेहतरीन तरीका होगा।

और एक बेहतरीन बॉडी मसाज से बेहतर क्या होगा। इस समय मे कुछ दूसरे एसेंशियल ऑइल जैसे लैवेंडर ऑयल के साथ चमेली का तेल मिलाकर मालिश करे या करवाए। बॉडी मसाज से न केवल टॉक्सिन्स फ्लश आउट होंगे बल्कि तनाव और इरिटेशन भी कम होगी।

ब्लड प्रेशर का रखे ध्यान

चमेली के तेल का प्रयोग रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी किया जा सकता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) अपनी रिसर्च में ये मानता है कि चमेली के फूलों में एंटी-हाइपरटेंसिव गुण पाए जाते हैं। तो यदि आप उच्च रक्तचाप से पीड़ित है तो चमेली के तेल का प्रयोग करे, खुश रहे जिससे रक्तचाप नियंत्रण में रहे।

सुंदरता बढ़ाये

चमेली के तेल को प्रयोग करने से मुंह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं, क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है। इससे मुंहासे की समस्‍या भी कम होती है, साथ ही चेहरे पर चमक आ जाती है.

अन्य फायदे

  • मस्तिष्क को एकाग्र करे
  • खांसी जुकाम के लक्षणों को कम करें
  • अनिंद्रा के लक्षणों को कम करें

चमेली के तेल में मिलने वाले तत्व

  • कार्बोहाइड्रेट
  • फ्लेवोनॉयड
  • टैनिन्स और फेनोलिक यौगिक
  • ग्लाइकोसाइड
  • सैपोनिंस

चमेली के तेल को कैसे प्रयोग करे

  • चमेली के तेल को मालिश के लिए इस्तेमाल करें।
  • चमेली के तेल को ऑयल पुलिंग के लिए इस्तेमाल करे।
  • चमेली के तेल को सिर पर लगाने के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं।
  • कमरे में खुशबू करने में इस्तेमाल करे

चमेली के तेल का उपयोग जानने के बाद अब हम आपको चमेली के तेल के नुकसान के बारे में बताएंगे।

जानिए क्या है पतंजलि मूसली पाक के फायदे और कैसे करे उपयोग

पतंजलि मूसली पाक के फायदे

सफेद मूसली को एक ऐसी जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है जो बहुत ही को शक्तिवर्द्धक होती है। आयुर्वेद में इस जड़ी बूटी का काफी जिक्र होता है। मूसली के जड़ और बीज का उपयोग आयुर्वेद औषधि के रूप में किया जाता है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि मूसली में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि भरपूर मात्रा में होते है। आज इस लेख में हम आपको मूसली विशेषतः पतंजलि की मूसली पाक के फायदे बताएंगे। पतंजलि अब एक बहुत बड़ा ब्रांड बन चुका है। लोग उस पर भरोसा करते है और पतंजलि इस खरा उतरने का पूरी कोशिश कर रही है।

क्या है मूसली

मोटी और गुच्छो वाली जड़ की मुसली में सफेद फूल होते है। मूसली स्वाद में हल्की मीठी, सेक्स increase करने वाली, कफ को कम करने वाली होती है।

मूसली
मूसली

इसका प्रयोग डिलीवरी के बाद ब्रैस्ट मिल्क बढ़ाने में भी होता है। मूसली को हृदय रोग, मधुमेह, पाइल्स, स्वास रोग तथा एनिमिक रोगियों को फायदा करती है।

मूसली का वानस्पतिक नाम Chlorophytum borivilianum Santapau R.R.Fern. (क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम्)  है। सफेद मूसली Liliaceae (लिलिएसी) कुल का है। सफेद मूसली दुनिया भर में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है,

अब हम बात करते पतंजलि के प्रोडक्ट मूसली पाक के बारे में, खासतौर पर पतंजलि मूसली पाक का प्रयोग पुरूषों के शक्तिवर्धक के रूप में होता है। पतंजलि मूसली पाक 200 ग्राम की मात्रा में मिलता है।

पतंजलि मूसली पाक के फायदे

पतंजलि मूसली पाक निम्न समस्याओं में फायदा करता है।

सामान्य कमजोरी

कभी कभी पोषक तत्वों की कमी या अनियमित दिनचर्या से कमजोरी महसूस होने लगती है। ऐसे में पतंजलि मूसली पाक बहुत फायदेमंद रहता है।

मर्दाना कमजोरी

कुछ पुरुषों में कम स्पर्म काउंट की समस्या होती है, वहीं कुछ में सेक्स की इच्छा ही नही होती। ऐसा किसी भी फिजिकल प्रॉब्लम, मेडिसिन साइड इफ़ेक्ट, या स्ट्रेस के कारण हो सकता है।

पतंजलि मुसली पाक इसके लिए परफेक्ट है यह शीघ्रपतन को भी दूर करती है साथ ही व्यक्ति को बल, ताकत, ओज, और आयुष्य देती है।

महिलाओं के लिए

मूसली पाक को बहुत से लोग केवल पुरुषों के लिए लाभप्रद मानते है। जबकि यह महिलाओं के लिए भी उतना ही असरकारक है।

अन्य फायदे

  • इम्युनिटी बढ़ाती है।
  • पेट के रोग जैसे पेट दर्द, अपच, भूख न लगना में फायदेमंद है।
  • स्पर्म्स की गुणवत्ता को बेहतर करती है।
  • दस्तों में लाभप्रद है।

पतंजलि मूसली पाक में इस्तेमाल होने वाली सामग्री

  • अश्वगंधा
  • जायफल
  • अकरकरा
  • शतावर की जड़
  • गाय का घी
  • वंशलोचन
  • सफ़ेद मुसली
  • कौंच बीज
  • इलायची
  • दालचीनी
  • गोखरू दाना
  • लौंग
  • काली मिर्च
  • ताल-मखाना
  • चीनी
  • वंग भस्म
  • कमलगट्टा
  • मकरध्वज भस्म
  • जावित्री
  • सौंठ
  • पीपल
  • हरड़ छिलका
  • बला बीज
  • तेज पत्ता
  • चित्रक

पतंजलि मुसली पाक को कैसे ले।

पतंजलि मूसली पाक के सेवन के बारे में चिकित्सक से सलाह जरूर करे। वैसे आप पतंजलि मूसली पाक को दिन में 2 बार एक चम्मच ले। इसे आप सुबह-शाम खाने के 1 घंटे बाद गर्म दूध या गर्म पानी से ले।

सेवन करते समय बरते कुछ सावधानियां

  • बच्चो को भूलकर भी इसका सेवन न कराए।
  • दूसरी दवाओं के साथ पतंजलि मूसली पाक को लेने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट करे।
  • ज्यादा मात्रा में दवा लेने से ज्यादा फायदे की जगह नुकसान होगा। पेट मे दिक्कत हो सकती है ध्यान रखे।
  • अगर आप आयुर्वेदिक दवाओं के लिए सेंसीटिव है तो इसके प्रयोग से बचे।
  • इसके साथ अल्कोहल बिल्कुल न ले।
  • यदि आप गर्भवती है या बच्चे को स्तनपान करा रही है, डॉक्टर से विचार विमर्श के बाद ही इसका सेवन करे।
  • पतंजलि मूसली पाक का खाली पेट सेवन न करे, भोजन के बाद ही ले।
  • यदि आप पतंजलि मूसली पाक का लगातार इस्तेमाल करते है तो इसकी लत नहीं पड़ती है।

स्वाद और गुणों से भरपूर टमाटर का सूप के फायदे

टमाटर के सूप के फायदे

एक ऐसी सब्जी जिसके बिना आधी सब्जियों का सब्जियो का रंग और स्वाद ही गायब हो जाएगा। जी हां हम बात कर रहे है टमाटर की। टमाटर का प्रयोग कई तरीके से किया जाता है जैसे चटनी में, सलाद में, सब्जी पकाने में। लेकिन टमाटर का सूप एक ऐसी चीज़ है जो शादियों में खाने से पहले लोग पीते ही है। कारण ? यही की भूख खुलकर लगेगी। हास्यास्पद बात है पर है सोलह आने सच। दरअसल टमाटर में फाइबर, खनिज, विटामिन और कार्बनिक अम्ल बहुतायत से पाए जाते है।

टमाटर में पाए जाने वाले पोषक तत्व

पोषक तत्व  मात्रा

प्रोटीन 0.9 ग्राम
कार्ब्स 3.9 ग्राम
चीनी 2.6 ग्राम
फाइबर 1.2 ग्राम
फैट 0.2 ग्राम
एनर्जी या उर्जा 18 कैलोरी
विटामिन सी 13 मिली ग्राम
विटामिन इ 0.54 मिली ग्राम
विटामिन के 7.9 माईक्रो ग्राम
सोडियम 5 मिली ग्राम
पोटैशियम 237 मिली ग्राम
कैल्सियम 10 मिली ग्राम
आयरन 0.3 मिली ग्राम
मैग्नीशियम 11 मिली ग्राम

टमाटर में सूप के फायदे-Tomato Soup Ke Fayde

टमाटर का सूप
टमाटर का सूप

कैंसर के खतरे को कम करे

टमाटर के सूप में लाइकोपीन, कैरोटीनॉयड, विटामिन सी, बीटा कैरोटिन, एंटीऑक्सीडेंट होते है। ये सभी तत्व कैंसर के कणों को शरीर पर हावी नही होने देते। एंटीऑक्सिडेंट, ऑक्सीडेटिव तनाव और पुरानी सूजन को कम करते हैं। यह स्त्री पुरुष दोनों में कैंसर के खतरे को कम करता है।

सूखा रोग

सूखा रोग से पीड़ित बच्चो को टमाटर के सूप से बहुत फायदा होता है। लेकिन सूखा में सूप केवल कच्चे टमाटरों से बनाया जाता है। सूखा रोग से पीड़ित व्यक्ति को इसका नियमित सेवन करवाना चाहिए।

सुंदरता बढ़ाये

टमाटर का सूप मतलब सौंदर्य का खजाना, टमाटर में मौजूद विटामिन सी और दूसरे तत्व त्वचा की सुंदरता बढ़ाता है। टमाटर के सूप के सेवन से त्वचा में निखार आता है, दाग धब्बे दूर होते है। खुले रोमछिद्र बन्द होते है।

दिल को तन्दरुस्त करे

टमाटर का सूप कैपिलरी और वेंस में फैट के जमाव को रोकता है। बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। टमाटर में उपस्थित लाइकोपिन ब्लड वेसल्स की इनर लेयर को सेफ करती है। जिस कारण ब्लड क्लॉट नही होता और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद

गर्भवती महिलाओं को आने वाली उबकाई टमाटर के सूप से कम होती है। एक तरफ ये गर्भवती महिला का स्वाद ठीक करता है वहीं इसमे मौजूद विटामिन सी उसकी इम्युनिटी बढ़ाता है। इसमे फ़ोलिक एसिड होता है, जिसका सेवन गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचाता है।

गाउट के उपचार में

गाउट के मरीजो को भी टमाटर का सूप देने से उनमे पॉजिटिव रिजल्ट दिखाई दिए है। गाउट के मरीजों को टमाटर के जूस में आजवाईन मिलकर पिलाना चाहिए. ऐसा नियमित करने से उन्हें दर्द में भी आराम मिलता है।

डायबिटीज के लिए परफेक्ट

डायबिटीज के मरीजो को अपनी डाइट में टमाटर का सूप जरूर रखना चाहिए। क्योंकि इसमें उपस्थित क्रोमियम,ब्लड शुगर के रेगुलेशन में मदद करता है। लेकिन ध्यान रहे कि डायबिटीज के मरीज मीठा डालकर सूप न पिएं।

खून की कमी दूर करें

टमाटर के सूप में उपस्थित सेलेनियम खून के दौरे को बेहतरीन रखता है। यह खून की कमी दूर करके एनीमिया से बचाता है।

मोटापा घटाए

टमाटर के सूप में काफी मात्रा में फाइबर और पानी होता है। इस कारण ये काफी समय तक फुल होने की फीलिंग देता है। इसलिए टमाटर के सूप को अपनी डाइट में जरूर रखे, खासकर यदि आप वजन कम करने की सोच रहे है।

पेट के कीड़े मारे

बच्चों के पेट में कीड़ा हो जाने पर उन्हें थोड़े थोड़े अंतराल पर टमाटर का सूप देना चाहिए। ऐसा करने से उनका पेट साफ होगा और कीड़े शौच के रास्ते निकल सकते है।

इन सब फायदों के अलावा, टमाटर का सूप अवसाद से लड़ने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है।

गुणों से भरी काली हरड़ के फायदे-Kali Harad Ke Fayde In Hindi

काली हरड़ के फायदे

काली हरड़ त्रिफला मे से एक है। इसे हरीतकी के नाम से भी जाना जाता है। ये हरड़ होती तो छोटी सी है परंतु इस काली हरड़ के फायदे बहुत बड़े होते है। काली हरड़ बहुत ही गुणकारी होती है। हरीतकी का फल, छाल और जड़ तीनों ही बहुत ही लाभकारी होते हैं और इनका प्रयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है।

काली हरड़ के फायदे-Kali Harad Ke Fayde In Hindi

नेत्र विकारों को करे दूर

जैसे जैसे इंसान ने तकनीकी उन्नति की है वैसे वैसे अब हम कम्प्युटर और मोबाइल पर निर्भर होते जा रहे है। परंतु इनका हमारी आँखों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इनके ज्यादा प्रयोग से कई नेत्र विकार उत्पन्न हो जाते है। ऐसे में आप काली हरड़ का प्रयोग कर सकते है। इसके लिए रात को हरड़ पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को अच्छे से छन लें। अब इस पानी से आँखों को धोएँ। ये आपकी आँखों को शीतलता प्रदान करता है।

कब्ज़ और गैस में मिले आराम

आज कल लोगो का खान पान ठीक न होने के कारण उन्हे कब्ज़ और गैस जैसी समस्याएँ हो जाती है। ऐसे में आप काली हरड़ का भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए भोजन करने के बाद काली हरड़ के एक टुकड़े को अच्छे से पानी से साफ कर लें। अब इसे मुंह में रख कर चूस लें। इसके नियमित प्रयोग से लाभ मिलेगा।

कब्ज
कब्ज

खांसी की समस्या से छुटकारा

खांसी और दमा की समस्या में काली हरड़ किसी रामबाण से कम नही। इसके लिए आप निंलिखित तरह से इसका प्रयोग कर सकते है।

  1. काली हरड़ के 2 से 5 ग्राम चूर्ण का हर रोज़ सेवन करें।
  2. हरड़ के चूर्ण और हल्दी पाउडर को बराबर मात्र में लें। अब इसमे 1 ग्राम मिश्री का पाउडर मिलाये। अब इस मिश्रण को हर रोज़ हल्के गुंगुने पानी के साथ लें।

पाचन को करे बेहतर

खान पान ठीक न होने के कारण अपच की समस्या होना आम बात है। ऐसे में काली हरड़ बहुत ही लाभकारी साबित होती है। काली हरड़ पाचन को बेहतर बनाने में बहुत मदद करती है। इसके लिए भोजन करने के बाद 3 से 5 ग्राम हरड़ का चूर्ण लें। अब इसमे बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करें।

भूख बढ़ाए

कई बार लंबी बीमारी या तनाव के चलते हमें भूख कम लगती है। जिसका हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में काली हरड़ आपके लिए बहुत सहायक है। इसके लिए हरड़ का चूर्ण, सौंठ का पाउडर और सेंधा नमक के मिश्रण को ठंडे पानी के साथ लें। इसका सेवन रोज़ करने से लाभ मिलेगा।

त्वचा संबन्धित एलर्जी को रखे दूर

हरड़ त्वचा संबन्धित एलर्जी को दूर करने मे भी मददगार साबित होता है। इसके लिए हरड़ के फल को पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े का सेवन दिन में दो बार ज़रूर करें। साथ ही इस काढ़े से एलर्जि वाली जगह को धोये।

मुंह की सूजन से मिले निजात

काली हरड़ मुंह की सूजन को दूर करने में भी बहुत मदद करती है। इसके लिए हरड़ को पानी में उबाल लें। अब इस पानी के थोड़े ठंडे होने पर इस पानी से गरारे करे। ऐसा नियमित रूप से करने पर मुंह की सूजन से आराम मिलेगा।

मुंह में छाले होने पर

आप मुंह के छालों को ठीक करने के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते है। इसके लिए हरड़ को पानी मे घिस लें। अब इस लेप को अपने छालों पर लगाएँ।

कौन काली हरड़ का सेवन नहीं कर सकते

  • गर्भवती महिलाएं
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चे काली हरड़ का सेवन करने से बचें।

बहुत ही फायदेमंद है हमदर्द साफ़ी-Safi Ke Fayde In Hindi

साफी पीने के फायदे

हमदर्द की साफी एक ऐसी हर्बल दवा है, जिसे खून साफ करने की दवा के तौर पर जाना जाता है। काफी पुराने समय से साफी, हमदर्द के एक जाने माने प्रोडक्ट के रूप में जाना जाता है। यह एक यूनानी टॉनिक है जिसका रंग गहरा काला और स्वाद काफी कडवा होता है। साफी में किसी भी तरह कोई केमिकल इस्तेमाल नही किया जाता। यह तुलसी, नीम, चिराता जैसे प्राकृतिक चीजों को मिलाकर बनाया जाता है। आज इस लेख में हम जानेंगे की साफी पीने के फायदे क्या क्या है।

हमदर्द साफी में डाले जाने वाले इंग्रीडिएंट

ब्रह्मी (बाकोपा मोननेरी)

चोपचिनी (स्माइलैक्स चीन)

शीशम (दलबर्गिया सिसोसो)

निम्फेया कमल (निम्फेया लोट्स)

खेत्पप्रा (फ़ुमारिया परविफ्लोरा)

चैरता (स्वर्टिया चिराता)

शंखुष्पी (कंसकोरा डिकुसाटा)

काली हल्दी (कर्कुमा कैसिया)

अमर बेल (कुस्कटा रिफ्लेक्स)

तुलसी (अधिकतम कैनम)

लाल चंदन (पेट्रोकार्पस सैंटलिनस)

गुलाब (रोजा दमास्केन)

नीम (अज़ादिराचा इंडिका)

घी

हमदर्द साफी को प्रयोग करने का तरीका

हमदर्द साफी के प्रयोग का तरीका उस पर लिखा होता है। लेकिन अच्छा होगा कि आप छोटी छोटी डोज़ से शुरुआत करे। ताकि आपको अगर कोई रिएक्शन हो तो आप साफी का सेवन रोक सके।

हमदर्द साफी
हमदर्द साफी

हमदर्द साफी को दिन में दो बार सेवन करें। एक बार मे केवल एक से दो चम्मच का सेवन करे। आप साफी को पानी, दूध या जूस के साथ ले सकते है। इसका सेवन करने के दौरान तो हल्का आहार ले और मसाले, सॉफ्ट ड्रिंक, फ़ास्ट फ़ूड और भारी भोजन का सेवन ना करें

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साफी पीने के फायदे-Safi Ke Fayde In Hindi

पेट दर्द को ठीक करने में

हमदर्द साफी digestion को बेहतर बनाती है, अगर आपको पेट की कब्ज या अन्य किसी कारण से पेट मे दर्द महसूस हो रहा हो, तो आप साफी का सेवन कर सकते है।

साफी पेट को बेहतर बनाकर, पेट की समस्याओं को दूर करती है। इसमे शामिल ब्राह्मी पित्तनाशक और पेट को ठंडक देने वाला होता है।

खून साफ करे

साफी में उपस्थित काली हल्दी न केवल खून को साफ करती है बल्कि फेफड़ो की सूजन भी कम करती है। ये फेफड़ो को अच्छे से काम करने में मदद करती है जिससे ऑक्सीजन अच्छे से फ्लो करती है। साफी हैजा, साइनस, और खांसी में भी आराम देती है।

साफी खून साफ करके ब्लड शुगर या मधुमेह में भी आराम देता है।

दमकती त्वचा बनाए

कील, मुँहासे, झाइयां झुर्रियों के लिए साफी का इस्तेमाल बहुत समय से किया जाता है। साफी के सेवन से त्वचा चमकदार बनती है। इसमे उपस्थित तुलसी, लाल चंदन और गुलाब त्वचा संक्रमण को दूर करके त्वचा में नमी लाती है।

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खुल कर भूख लगाए

साफी के हर्बल तत्व जैसे ब्राह्मी, चोपचीनी, चैरता, digestive सिस्टम को बेहतर बनाता है। साफी कब्ज और गैस जैसी समस्याओं को दूर करती है। इस कारण आप जो भी खाएंगे वो अच्छे से पचेगा और आपको खुल कर भूख लगेगी।

जिन लोगो को वजन बढ़ाना हो वो बेफिक्र होकर साफी का यूज़ कर सकते है।

बाल्डनेस को कम करें

साफी में शामिल शीशम, निम्फेया कमल, और अमरबेल बालो को दोबारा उगाने में मदद करते है। अगर आपको गंजापन की समस्या है या आपके बाल झड़ने लग रहे हैं तो आपको उनसे छुटकारा पाना है तो आपको हमददर्द साफी का सेवन करना चाहिए।

बाल्डनेस
बाल्डनेस

संक्रमण को दूर करें

नीम और तुलसी जैसे तत्व साफी को एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल बनाती है। इसलिए यदि आप इसका सेवन करते है तो आपको साधारण खुजली से छुटकारा मिल जाएगा। त्वचा पर होने वाले किसी भी प्रकार के दाने भी साफी के सेवन से दूर हो जाते है। इन सब फायदों के अलावा साफी दस्त, थकान, सरदर्द, मुँह की बदबू में फायदा करती है।

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साफी की सेवनविधि और मात्रा-How To Use Safi Syrup

  • 10 मिलीलीटर (दो चम्मच) साफी को एक गिलास ताज़ा पानी के साथ दिन में एक बार लेना चाहिए।
  • इसका प्रयोग हमेशा भोजन के बाद करें।
  • साफी को नाश्ते के बाद ले तो ज्यादा बेहतर है।
  • दो महीने से तीन महीने तक नियमित रूप से पीना चाहिए।
  • कम से कम दो महीने लगातार प्रयोग करे।
  • 14 साल से कम उम्र के बच्चों को केवल एक चम्मच साफी दे।
  • प्रयोग से पहले साफी की बोतल को अच्छे से हिलाएं।

साफी कब न ले

गर्भावस्था, ब्रेस्टफीडिंग, व अतिसार की समस्या में साफी का प्रयोग न करे।

साफी के परहेज

साफी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो बहुत ही ज्यादा लाभदायक है। उपचार के दौरान तला हुआ, मसालेदार, और समृद्ध भोजन नहीं खाना चाहिए। आसानी से पचने वाले हल्के खाद्य पदार्थ का सेवन करें।

साफी के परहेज  इस प्रकार हैं –

  • गर्भवती महिलाओं को साफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी साफी का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • यदि आप किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, हृदय रोग आदि से ग्रसित हैं तो आपको साफी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श  लेकर ही इसका सेवन करना चाहिए ।
  • छोटे बच्चों के लिए साफी का सेवन सुरक्षित नहीं है ।
  • यदि आप किसी भी प्रकार का नशा करते हैं तो उसके साथ साफी का सेवन करने से आपको कोई लाभ नहीं होता ।
  • खाली पेट साफी का सेवन नहीं करना चाहिए।

साफी के अधिक  सेवन से होने वाले नुकसान

  • साफी के सेवन से एक ओर जहां रक्त साफ होता है वहीं दूसरी ओर मूत्र विसर्जन बढ़ जाता है इसके सेवन से कई बार बार-बार पेशाब आने की समस्या हो जाती है ।
  • यदि आप अधिक मात्रा में साफी का सेवन करते हैं तो आपका वजन असामान्य रूप से घट सकता है जिसके कारण शरीर में कमजोरी और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है ।
  • कुछ व्यक्तियों को साफी पीने से एलर्जी होती है यदि आपको साफी पीने के बाद में शरीर में किसी भी प्रकार की एलर्जी दिखाई दे तो साफी का सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए  ।
  • साफी के अत्यधिक सेवन से पेट में दर्द ,अपच और पेट फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं ।

साफी सिरप से जुड़ी कुछ गलतफहमियां है, आइए जानते हैं वह कौन सी हैं ?

लोगों में साफी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं जैसे –

*मिथ- यह केवल महिलाओं के लिए है

वास्तविकता –  कई लोगों का मानना है कि साफी केबल महिलाओं के लिए काम आने वाला सिरप है और पुरुषों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए । यह बात सही है की महिलाएं अधिक मात्रा में साफी का सेवन करती हैं परंतु साफी पुरुषों के लिए भी साफी पीने के फायदे उतना ही है जितना महिलाओं के लिए ।

पुरुषों में भी रक्त  संबंधित समस्याएं और पेट के रोग होना आम बात है साफी  इन सभी समस्याओं की कारगर दवा है ।

*मिथ – साफी पीने से त्वचा में जलन होती है

वास्तविकता – त्वचा सबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए साफी सिरप कारगर होता है इससे त्वचा में किसी प्रकार की जलन नहीं होती है। किसी किसी मामले  में यदि त्वचा में जलन की समस्या होती तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका पेट खराब है और खून साफ नहीं है।

इस कारण शरीर में विषैले तत्व जमा हो गए हैं और कई तरह के रोग उत्पन्न हो सकते हैं ,इसी कारण त्वचा में जलन होती है ।साफी के नियमित सेवन से खून साफ होता है ,त्वचा निखरती है साथ ही त्वचा में जलन की समस्या भी समाप्त हो जाती है।

*मिथ – साफी  शरीर के लिए गर्म होता है

वास्तविकता – साफी  में चीनी ,चिरायता, सना तुलसी ,नीम जैसे प्राकृतिक और हर्बल पदार्थ होते हैं । साफी वर्षों से प्रयोग किया जाने वाली एक भरोसेमंद आयुर्वेदिक औषधि है इससे शरीर में किसी प्रकार की गर्मी नहीं होती है।

यह त्वचा और खून को साफ करने के साथ-साथ ब्लड सरकुलेशन और पीएच वैल्यू को सही रखने में मदद करता है । यह ध्यान देना आवश्यक है कि इसका सेवन बताए गए दिशा निर्देशों के अनुसार करना चाहिए ।

मिथ – साफी के सेवन से उल्टी और दस्त होते हैं

वास्तविकता – साफी के अंदर नीम जैसी कई आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां पाई जाती हैं जो स्वाद में कड़वी होती है किसी कारण साफी का स्वाद कड़वा होता है। शुरू शुरू में स्वाद में कड़वा होने के कारण कुछ लोगों को इसका सेवन करने से उल्टी हो सकती हैं लेकिन यदि लगातार इसका सेवन किया जाए तो धीरे धीरे उल्टी होना बंद हो जाता है।

दस्त की बात करें तो यदि अधिक मात्रा में किसी  भी चीज का सेवन करना खराब होता है चाहे फिर वह कुछ भी क्यों ना हो । अतः अधिक मात्रा में साफी का सेवन दस्त का कारण बन सकता है इसलिए हमेशा बताए गए दिशा निर्देशों के अनुसार ही इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए ।

तो ये थीं साफी से जुड़ी कुछ धारणाएं , उचित मात्रा मे ,उपयुक्त दिशा निर्देशों का पालन करके यदि साफी का सेवन किया जाए तो साफी पीने के फायदे जरूर होते है। गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों को साफी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेकर ही सेवन करना चाहिए ।

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