क्या आपको भी भूख न लगने की समस्या है? जानिए भूख लगने के घरेलू नुस्खे

भूख लगने के घरेलू नुस्खे

जब कोई बोलता है कि उसे भूख नही लगती तो इस बात को बहुत ही सरलता से लिया जाता है। जबकि भूख न लगना कई समस्याओं का कारण हो सकता है। बहुत से ऐसे लोग है जिनके खुलकर भूख नहीं लगती । डायजेस्टिस सिस्टम का सही से काम न करना, पेट मे कोई संक्रामक रोग हो जाना, भय, चिंता, तनाव, खून की कमी, लिवर की बीमारी इन सब कारणों से खुलकर भूख नहीं लगती।

भूख नहीं लगने का घरेलू उपाय

भोजन कितना भी स्वादिष्ट बना हो, व्यक्ति भोजन को देखते ही मुँह बनाने लगता है, वह न तो पेट भर खाता है ना मन से खाता है। शुरू में अरुचि के कारण भोजन कम करने की आदत धीरे धीरे परमानेंट हो जाती है। भूख न लगने के कारण व्यक्ति का वजन दिन ब दिन कम होने लगता है। भोजन में अरुचि, भूख न लगने के कारण या भूख कम लगने के अन्य कारण है।

भूख नहीं लगने का कारण

इमोशनल पेन, डिप्रेशन, हार्मोनल असंतुलन, बीमारियों के कारण, भोजन विकार, अरूचि पूर्ण भोजन, शारीरिक और मानसिक कमजोरी।
जब व्यक्ति को खुलकर भूख नहीं लगती तो वो खाने की प्लेट लिए बैठा रहता है, एक दो टुकड़े खाकर हट जाता है। बिना कुछ खाए ही खट्टी डकारें आने लगती है। धीरे धीरे कमजोरी आकर छोटे और साधारण कामो में भी दिक्कत होने लगती है।

भूख लगने के घरेलू नुस्खे -Bhukh Lagne Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

आज हम आपको भूख लगने का घरेलू उपाय बतांएगे जो की बिलकुल घरेलु है, और आप आसानी से कर सकते हैं

आंवला-ज्यादा भूख लगने के लिए क्या खाएं?

आयुर्वेद में आंवले को बहुत सी चीज़ों के लिए फायदेमंद माना गया है, विटामिन सी की प्रचुरता इम्युनिटी बढ़ाती है। यह लिवर को साफ रखने में मदद करता है। आप आंवले का जूस, आंवला कैन्डी, या आंवले का मुरब्बा के रूप में ले सकते है। मुनक्का और आंवला 10-10 ग्राम को एक साथ पीसकर मुंह में रखकर चूसने से भूख लगने लगती है।

दालचीनी और सूखे आंवले को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण दिन में 2 बार सेवन करे, आंवले का जूस रोज सुबह पीए। अगर आपके यहाँ आंवले का पेड़ है जिस पर फल नही हो तो आप, सुबह खाली पेट आंवला के 5-6 ग्राम पत्ते को सेंककर खूब चबा-चबाकर खाए।

अदरक-सबसे ज्यादा भूख कैसे लगती है?

अदरक को हमेशा से भूख बढ़ाने वाला माना जाता है, अदरक को कई प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे अदरक के रस को निम्बू मिलाकर चाटे, इसके अलावा अदरक के टुकड़े पर सेंधा नमक लगाकर चूसे, साबुत धनिया और अदरक को कूट कर पानी मे उबाले। दिन में तीन बार इस पानी को 50 ml पिए।

नींबू-क्या खाने से भूख बढ़ेगी?

भूख बढ़ाने की दवा के रूप में नींबू का प्रयोग किया जा सकता है। निम्बू के साथ काले नमक और भुने जीरे की शिंकनजी बनाकर पिए। या फिर आधा निम्बू काटकर उसे आंच पर सेक ले, गर्म निम्बू पर भुना और पिसा हुआ जीरा व काल नमक छिड़के। इसे बून्द बून्द करके मुँह में निचोड़ लें।

नींबू के एक चम्मच रस में थोड़ी कालीमिर्च व सेंधा नमक का चूर्ण मिलाकर भोजन से पहले गर्म करके पीने से भूख खुलकर लगती है।

पीपल

पीपल के पेड़ पर आपने कभी न कभी पके फल देखे होंगे, यदि आप इन पके फलों का सेवन करते है तो आपको कफ, पित्त, रक्तदोष, विषदोष, जलन, उल्टी तथा अरूचि से मुक्ति मिलेगी और भूख भी बढ़ेगी।

3 ग्राम पीपल, 7 ग्राम टाटरी, 1ग्राम हींग, 1 ग्राम भुना हुआ सफेद जीरा और 30 ग्राम मिश्री को साथ मे पीस ले। इस चूर्ण को कम से कम दिन तीन बार आधा चम्मच ले।

मेथी-भूख ना लगे तो क्या खाना चाहिए

रात को एक चम्मच मेथी भिगो दें, सुबह मेथी फूल जाएगी, सुबह उठकर खाली पेट आधा चम्मच मेथी का सेवन करें। आप चाहे तो मेथी को छलनी में अंकुरित भी कर सकते है, इसके लिए मेथी को छलनी में भिगोए और अंकुरित होने तक पानी देते रहे। चाहे तो मेथी को घी डालकर भून लें, फिर उसे पीसकर एक कांच की शीशी में रख ले। अब इस चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर ले।

अनार या अनारदाना-भूख कैसे बढ़ाएं

भूख बढ़ाने के अनार में जूस बहुत फायदेमंद होता है, अनार के जूस में कालानमक और भुना जीरा मिलाकर पी ले। अनारदाना भी स्वाद को बेहतर बनाकर अरुचि दूर करता है। पर याद रखें, कब्ज में अनार का इस्तेमाल सोच समझ कर करें। यह कब्ज को बढ़ा सकता है।

सेब-भूख बढ़ाने की जड़ी बूटी

रोज सुबह एक सेब का सेवन करें। आप चाहे तो कच्चे सेब की चटपटी सब्जी भी बना सकते है। अगर खाना देखकर आपका जी मिचलाता है तो सुबह खाली पेट सेब की फांक पर काला नमक और भुना जीरा डालकर खा ले।

लालमिर्च-ज्यादा भूख लगने के लिए क्या खाएं?

लालमिर्च को नींबू के रस में पीसकर लगभग आधे-आधे ग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। इस 1-1 गोली प्रतिदिन पान में रखकर 40 दिनों तक खाने से भूख खुलकर लगती है।

संतरा-क्या खाने से भूख बढ़ेगी?

संतरे का जूस पिये उसमे काला नमक डाल लें, संतरे को बिना जूस निकाले खाने में ज्यादा फायदा होता है। इसके अलावा फालसा, जामुन भी खाए।

इन सब उपायों के अलावा निम्न उपाय भी अपनाए

  • योगा, प्राणायाम व एक्सरसाइज करें।
  • पौष्टिक आहार और नियमित व्‍यायाम के साथ ही आप अपनी नींद पर नियंत्रण रखें। अच्‍छी भूख के लिए समय पर सोना और सुबह जल्‍दी उठना भी फायदेमंद होता है।
  • भोजन का समय निश्चित रखे।
  • मोटे आटे की रोटियां खाए।
  • खाने में पुराने चावल का इस्तेमाल करे।
  • स्विमिंग करे, मॉर्निंग वॉक करे
  • सड़ी-गली और बासी चीजें नही खानी चाहिए। गंदा पानी नहीं पीना चाहिए।
  • तनाव, डर और चिंता को दूर करे।
  • भूख न लगने का कारण ढूंढे और इलाज करवाए।

सामान्य प्रश्न

भूख बढ़ाने की जड़ी बूटी, भूख कैसे बढ़ाएं

भूख बढा़ने की जडी़ बूटी आपकी रसोई में ही मिलती है, बडी इलाइची, आंवला, इमली, अजवाइन, सौंफ, अदरक, हींग और लहसुन. .! आइये जानते हैं इन्हें कैसे प्रयोग करें, *इलायची को अच्छी तरह से पीस लें। बच्चों को इसे दूध में मिलाकर पीने को दें। * एक गिलास पानी में आंवला डालें और इसे गर्म कर लें। अब इस पानी में शहद मिलाकर बच्चे को पीने को दें। इससे पाचन शक्ति बढ़ेगी! * इमली की पत्ती की चटनी बनाकर खिलाएं। ये वातहारक होती है। * गुनगुने पानी के साथ अजवाइन पीसकर खिलाएं। यह पाचन प्रणाली पर प्रभावी तरीके से काम करता है। अजवाइन में मौजूद गुण एंटी फ्लैटुलेंस पाचन एंजाइमों के स्त्राव में भी सहायक होते हैं, जो भूख को बढ़ाते हैं। * सौंफ पाचन को भी दुरुस्त करता है। भूख बढाने को आप सौंफ और मिश्री खिला सकते हैं। * भूख बढ़ाने के लिए अदरक का रस ले सकते हैं । * डाइट में हींग और लहसुन को जरूर शामिल करना चाहिए।

भूख बढ़ाने की आयुर्वेदिक सिरप

आजकल बाजार में बहुत से सीरप हैं जो भूख बढाने के लिए दिए जाते हैं, इन्हें एप्टीवेट व एप्टिमस्ट नाम से जाना जाता है। इनके सेवन के तरीके भी इन्हीं की बोतल पर अंकित होते हैं। लेकिन ये कितने प्रमाणिक हैं ये कहा नहीं जा सकता। क्योंकि इनके बारे कोई भी रिसर्च प्रमाणिक तौर पर उपलब्ध नहीं है, इसलिए आप इन्हें जरूर आजमायें लेकिन लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें ।
इसके अलावा कईं कम्पनियों के लीवर टोनिक भी भूख बढ़ाने के लिए दिये जाते हैं।

भूख ना लगे तो क्या खाना चाहिए , ज्यादा भूख लगने के लिए क्या खाएं? , क्या खाने से भूख बढ़ेगी?, अगर भूख ना लगे तो क्या खाएं?

आइये जानते हैं भूख बढ़ाने के कुछ आसान नुस्खें। •अदरक भूख बढानें में सहायक होता है, इसका रस भोजन से पहले आप ले सकते हैं या इसके छोटे छोटे टुकड़े काटकर नींबू के रस में भिगोकर खाने से पहले खाएं, स्वाद के लिए हल्का नमक मिला लें।• आंवले के सेवन से भी भूख बढ़ती है, इसके रस को खाली पेट पानी में ले सकते हैं, साथ में नींबू का रस और शहद मिला लें।•खाने से पहले अगर दो-तीन इलायची खूब चबा चबाकर खायी जाये तो भी भूख बढती हैं।• अजवाईन भी पाचन में बहुत सहायक से इसे भोजन से पहले ले सकते हैं, पाउडर की फोर्म में है तो गर्म पानी से ले लें या चबा चबाकर खा सकते हैं तो खा ले और फिर गुनगुना पानी पी लें।

भूख बढ़ाने के लिए योग

भूख बढा़ने के लिए योगासन बहुत लाभकारी होते हैं,आइये जानते है मुख्यतः प्रयोग होने वाले आसनों के बारे में।

* सबसे पहला और जरूरी आसन है पवनमुक्त आसन । कब्ज, अपच और गैस की परेशानी इस आसन को नियमित करने से दूर होती है।
इसे करने का तरीका है कि सीधे लेट जाएं पीठ के बल, सांस सामान्य लें, फिर एक पैर को उठाकर घुटनों से मोड़ते हुए छाती तक लाएं और घुटनों को चेहरे की ठोढी़ से लगाएं। यहीं प्रक्रिया दूसरे पैर के साथ भी करें। इसे दस बार दोहराएं।

*वज्रासन एक ऐसा इकलौता आसन है जिसे खाना खाने के बाद किया जा सकता है। घुटनों के बल बैठ जाएं और तलवों को पीछे फैलाकर एक पैर को अंगूठे को दूसरे अंगूठे पर रख दें। एड़ियों को अलग-अलग रखना है और ध्यान रहें वे कूल्हों को तलवों के बीच में रहें। इसे जितना हो सके उतनी देर करें कम से कम पांच सात मिनट तो जरूर।

*पाचन तंत्र को सहयोग करने वाला एक अन्य आसन है, शशांक आसन। इसका तरीका ये हैं कि, दाहिने पैर को मोड़कर पीछे की ओर दाहिने कूल्हे के नीचे ले जाएं। इसी तरह बाएं पैर से सेम प्रोसीज़र रिपीट करें और बैठ जाएं।फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। अब धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। सिर को नीचे जमीन पर रख लें। अब सांस छोड़ते हुए पहले की स्थिति में वापस आएं।

भूख बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा, अगर भूख ना लगे तो क्या खाएं?

आयुर्वेद में भूख बढ़ाने के निम्नलिखित प्रयोग हैं- *एक गिलास पानी में 3 ग्राम पुदीना, जीरा, हींग, काली मिर्च, नमक डालकर गरम करके पीने से खाने के प्रति हमारी रुचि बढ़ती है। *खाना खाने से आधे घंटे पहले अदरक की चटनी खाएं इससे भूख ना लगने की बीमारी खत्म होती है। *धनिया, छोटी इलायची और काली मिर्च को समान मात्रा में पीसकर उसमें चौथाई चम्मच घी और चीनी मिला लें। इसके बाद इस मिश्रण को खाने से पहले खाएं। *इमली की कुछ पत्तियां लेकर इसकी चटनी बनाकर बनाकर खाने से भूख भी बढती है साथ ही खाना भी हजम होता है।

जानिये गर्भपात के बाद क्या करें-Abortion Ke Baad Care In Hindi

गर्भपात के बाद क्या करे

गर्भपात के बाद क्या सावधानी रखनी चाहिए?

किसी महिला के जीवन मे गर्भपात सबसे बड़ा दुख होता है। गर्भपात की स्थिति वाकई में काफी पीड़ादायक होती है। यदि कभी किसी महिला के साथ यह अनहोनी हो जाती है तो वह डिप्रेशन शिकार हो जाती है। जिसके कारण उनके शरीर पर काफी बुरा असर पड़ता है। इसमें आपको न केवल भावनात्‍मक सहायता की जरूरत होती है बल्कि मिसकैरेज के बाद शरीर को पोषण की भी आवश्‍यकता होती है। मिसकैरेज की वजह से ब्‍लीडिंग और चक्‍कर आते हैं जिससे शरीर में कमजोरी आना लाजमी है। ऐसी स्थिति में महिलाओं के लिए अपनी सेहत का ध्‍यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है। आज इस लेख में हम जानेंगे कि गर्भपात के बाद क्या करें और गर्भपात के बाद केयर टिप्स।

यदि पहली बार गर्भपात हुआ हो तो काफी सावधानी बरतनी चाहिए।

गर्भपात के बाद क्या करें-Abortion Ke Baad Care In Hindi

गर्भपात के बाद केयर टिप्स-माने डॉक्टर की सलाह

गर्भपात होने के बाद डॉक्टर की बताई गई दवाई समय पर खाएं। गर्भपात के बाद एक महीने तक शारीरिक संबंध न बनाए। यदि गर्भपात के बाद अधिक बुखार हो तो डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। पीठ दर्द होने पर आराम करें। अगर तकलीफ ज्यादा बढ़ जाए तो डॉक्टर से जाँच करवाए।

यदि प्रेग्नेंसी प्रतिक्रियाएं महसूस हो जैसे- मतली, ब्लीडिंग, सूजन आदि हो तो डॉक्टर से सलाह लें। यह किसी तरह का इन्फेक्शन हो सकता है।

गर्भपात के बाद सावधानी-तनाव से रहे दूर

गर्भपात मे तनाव से दूर रहे और साथ ही अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें। गर्भपात होने के बाद महिला को 15 से 30 दिन तक पूरा आराम करना चाहिए।

इस समय महिला के जीवन भाव बदलता रहता है तो साथी को उनका सहारा बनना चाहिऐ।

तनाव से रहे दूर
तनाव से रहे दूर

गर्भपात के बाद घरेलू उपचार

गर्भपात के बाद घरेलू उपचार और देखभाल किसी भी महिला के लिए बेहद जरूरी है। गर्भपात होने पर महिला ना केवल शारीरिक तौर पर बल्कि मानसिक तौर पर भी कमजोर पड़ जाती है ऐसे में उसे आराम की और देखभाल की बहुत जरूरत है।

गर्भपात के बाद भोजन-क्या खाए

  • गर्भपात के बाद हेल्थी डाइट महिला को शारीरिक रूप से इस आघात से उबरने और स्वस्थ होने के लिए बहुत जरुरी है। महिला को आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए।
  • गर्भपात में अत्यधिक रक्तस्राव होने के कारण शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। इसलिए शरीर में आयरन के स्तर को बनाए रखने के लिए आयरन युक्त आहार जैसे की दाल, हरी सब्जियाँ,तिल के बीज और कद्दू के बीज का सेवन करे।
  • गर्भपात के बाद शरीर में कैल्शियम की कमी होना सामान्य है। इसलिए, गर्भपात के बाद महिलाओं को कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे कि गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, दुग्ध उत्पाद, सूखे फल जैसे सूखे अंजीर, खजूर और मेवा, मछली जैसे सार्डिन और सामनआदि का सेवन करना चाहिए।
  • गर्भपात के कारण महिला का उदास होना स्वाभाविक है। परन्तु यह अवस्था डिप्रेशन का कारण भी बन सकती है। इसके लिये मूड ठीक रखना और खुश रहना जरुरी है। इन सब के लिए जरुरी है मैग्नीशियम। मैग्नीशियम चिंता को कम करता है और डिप्रेशन खत्म करने में मदद करता है। मेवे, बीज, हरी पत्तेदार सब्जियों, साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस और साबूत गेहूँ, मूंग-मसूर की दाल, छोले आदि में मैग्नीशियम पाया जाता है।

गर्भपात के बाद भोजन-क्या ना खाए

गर्भपात के बाद किसी भी महिला को जंक फ़ूड से दूर रहना चाहिए। इस समय महिला के शरीर को सबसे अधिक विटामिन और प्रोटीन की आवश्यकता होती है। जो घर के पोष्टिक आहार से मिलता है।

  • सोया वैसे तो सेहत के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। लेकिन किसी महिला का गर्भपात हुआ तो उसके लिए यह हानिकारक होता है।
  • ऐसे समय में किसी भी तरह का डिब्बाबंद खाना हानिकारक होता है। कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन युक्त भोजन करें।
  • जब तक आप पूर्ण रूप से ठीक नहीं हो जाती तब तक ठंडी चीजों के सेवन से बचें।

सामान्य प्रश्न

गर्भपात के बाद कमजोरी दूर करने के उपाय

आपको संतुलित व पौष्टिक भोजन की आवश्यकता है। अपनी पूरी टाइट लें। भोजन में आयरन, पोटेशियम, विटामिन और मिनरल्स के अलावा कैल्शियम से भरपूर भोजन लें। घी, दूध, मक्खन , बींस, किशमिश, हरी पत्तेदार सब्जियों, भींगे हुए अखरोट, बादाम, दालें, कद्दू के बीज, सोयाबीन खायें। ठंडी चीजों, का परहेज करें ।‌ तैलीय, तीखा, चटपटा, मसालेदार भोजन का परहेज करें । इस समय आप के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को आपकी बहुत देखभाल की आवश्यकता है। आप अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। आपको जो लोग पसंद है उनसे बात करें ।अपनी पसंद के गानों को सुने, मेडीटेशन करें। सेक्स से परहेज़ करें।

गर्भपात के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है

गर्भपात के एक से दो महीने बाद पीरियड्स रेगुलर होना शुरु होते हैं। तीन से चार महीने के बाद गर्भ ठहर सकता है। डाक्टर कहते हैं कि एक महिला को सुरक्षित गर्भ के लिए अपने शरीर को वक्त देना चाहिए । गर्भपात के बाद एक महिला मानसिक और शारीरिक दोनों हीं रुप से कमजोर होती है। ऐसे में उसे जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए उसे पहले अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। उसके परिवार वालों को उसे सपोर्ट करना चाहिए ताकि वह जल्दी ही रिकवर कर पाएं। उसे कम से कम छह महीने के बाद ही गर्भधारण करना चाहिए।

गर्भपात के बाद पीरियड ना आए तो क्या करें

गर्भपात के बाद शरीर अंदर से कमजोर होता है। जब भ्रूण आपके शरीर से अच्छी तरह से बाहर निकल जाता है तब आपका शरीर पहले अंदर से खुद को मजबूत करता है। जब आप अंदर से स्वस्थ हो जाते हैं तब आपका शरीर दुबारा से अंडे का निर्माण करने लगता है। अब आपके गर्भाशय की दीवार अंदर से मजबूत होली लगती हैं गर्भाशय की दीवार के स्वस्थ होने पर ही पीरियड्स दुबारा शुरु होते हैं। अगर दो से तीन महीने तक पीरियड्स न आए तब आपको डॉक्टर को सलाह लेनी की आवश्यकता होती है।

बहुत ही फायदेमंद है हमदर्द साफ़ी-Safi Ke Fayde In Hindi

साफी पीने के फायदे

हमदर्द की साफी एक ऐसी हर्बल दवा है, जिसे खून साफ करने की दवा के तौर पर जाना जाता है। काफी पुराने समय से साफी, हमदर्द के एक जाने माने प्रोडक्ट के रूप में जाना जाता है। यह एक यूनानी टॉनिक है जिसका रंग गहरा काला और स्वाद काफी कडवा होता है। साफी में किसी भी तरह कोई केमिकल इस्तेमाल नही किया जाता। यह तुलसी, नीम, चिराता जैसे प्राकृतिक चीजों को मिलाकर बनाया जाता है। आज इस लेख में हम जानेंगे की साफी पीने के फायदे क्या क्या है।

हमदर्द साफी में डाले जाने वाले इंग्रीडिएंट

ब्रह्मी (बाकोपा मोननेरी)

चोपचिनी (स्माइलैक्स चीन)

शीशम (दलबर्गिया सिसोसो)

निम्फेया कमल (निम्फेया लोट्स)

खेत्पप्रा (फ़ुमारिया परविफ्लोरा)

चैरता (स्वर्टिया चिराता)

शंखुष्पी (कंसकोरा डिकुसाटा)

काली हल्दी (कर्कुमा कैसिया)

अमर बेल (कुस्कटा रिफ्लेक्स)

तुलसी (अधिकतम कैनम)

लाल चंदन (पेट्रोकार्पस सैंटलिनस)

गुलाब (रोजा दमास्केन)

नीम (अज़ादिराचा इंडिका)

घी

हमदर्द साफी को प्रयोग करने का तरीका

हमदर्द साफी के प्रयोग का तरीका उस पर लिखा होता है। लेकिन अच्छा होगा कि आप छोटी छोटी डोज़ से शुरुआत करे। ताकि आपको अगर कोई रिएक्शन हो तो आप साफी का सेवन रोक सके।

हमदर्द साफी
हमदर्द साफी

हमदर्द साफी को दिन में दो बार सेवन करें। एक बार मे केवल एक से दो चम्मच का सेवन करे। आप साफी को पानी, दूध या जूस के साथ ले सकते है। इसका सेवन करने के दौरान तो हल्का आहार ले और मसाले, सॉफ्ट ड्रिंक, फ़ास्ट फ़ूड और भारी भोजन का सेवन ना करें

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साफी पीने के फायदे-Safi Ke Fayde In Hindi

पेट दर्द को ठीक करने में

हमदर्द साफी digestion को बेहतर बनाती है, अगर आपको पेट की कब्ज या अन्य किसी कारण से पेट मे दर्द महसूस हो रहा हो, तो आप साफी का सेवन कर सकते है।

साफी पेट को बेहतर बनाकर, पेट की समस्याओं को दूर करती है। इसमे शामिल ब्राह्मी पित्तनाशक और पेट को ठंडक देने वाला होता है।

खून साफ करे

साफी में उपस्थित काली हल्दी न केवल खून को साफ करती है बल्कि फेफड़ो की सूजन भी कम करती है। ये फेफड़ो को अच्छे से काम करने में मदद करती है जिससे ऑक्सीजन अच्छे से फ्लो करती है। साफी हैजा, साइनस, और खांसी में भी आराम देती है।

साफी खून साफ करके ब्लड शुगर या मधुमेह में भी आराम देता है।

दमकती त्वचा बनाए

कील, मुँहासे, झाइयां झुर्रियों के लिए साफी का इस्तेमाल बहुत समय से किया जाता है। साफी के सेवन से त्वचा चमकदार बनती है। इसमे उपस्थित तुलसी, लाल चंदन और गुलाब त्वचा संक्रमण को दूर करके त्वचा में नमी लाती है।

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खुल कर भूख लगाए

साफी के हर्बल तत्व जैसे ब्राह्मी, चोपचीनी, चैरता, digestive सिस्टम को बेहतर बनाता है। साफी कब्ज और गैस जैसी समस्याओं को दूर करती है। इस कारण आप जो भी खाएंगे वो अच्छे से पचेगा और आपको खुल कर भूख लगेगी।

जिन लोगो को वजन बढ़ाना हो वो बेफिक्र होकर साफी का यूज़ कर सकते है।

बाल्डनेस को कम करें

साफी में शामिल शीशम, निम्फेया कमल, और अमरबेल बालो को दोबारा उगाने में मदद करते है। अगर आपको गंजापन की समस्या है या आपके बाल झड़ने लग रहे हैं तो आपको उनसे छुटकारा पाना है तो आपको हमददर्द साफी का सेवन करना चाहिए।

बाल्डनेस
बाल्डनेस

संक्रमण को दूर करें

नीम और तुलसी जैसे तत्व साफी को एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल बनाती है। इसलिए यदि आप इसका सेवन करते है तो आपको साधारण खुजली से छुटकारा मिल जाएगा। त्वचा पर होने वाले किसी भी प्रकार के दाने भी साफी के सेवन से दूर हो जाते है। इन सब फायदों के अलावा साफी दस्त, थकान, सरदर्द, मुँह की बदबू में फायदा करती है।

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साफी की सेवनविधि और मात्रा-How To Use Safi Syrup

  • 10 मिलीलीटर (दो चम्मच) साफी को एक गिलास ताज़ा पानी के साथ दिन में एक बार लेना चाहिए।
  • इसका प्रयोग हमेशा भोजन के बाद करें।
  • साफी को नाश्ते के बाद ले तो ज्यादा बेहतर है।
  • दो महीने से तीन महीने तक नियमित रूप से पीना चाहिए।
  • कम से कम दो महीने लगातार प्रयोग करे।
  • 14 साल से कम उम्र के बच्चों को केवल एक चम्मच साफी दे।
  • प्रयोग से पहले साफी की बोतल को अच्छे से हिलाएं।

साफी कब न ले

गर्भावस्था, ब्रेस्टफीडिंग, व अतिसार की समस्या में साफी का प्रयोग न करे।

साफी के परहेज

साफी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो बहुत ही ज्यादा लाभदायक है। उपचार के दौरान तला हुआ, मसालेदार, और समृद्ध भोजन नहीं खाना चाहिए। आसानी से पचने वाले हल्के खाद्य पदार्थ का सेवन करें।

साफी के परहेज  इस प्रकार हैं –

  • गर्भवती महिलाओं को साफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी साफी का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • यदि आप किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, हृदय रोग आदि से ग्रसित हैं तो आपको साफी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श  लेकर ही इसका सेवन करना चाहिए ।
  • छोटे बच्चों के लिए साफी का सेवन सुरक्षित नहीं है ।
  • यदि आप किसी भी प्रकार का नशा करते हैं तो उसके साथ साफी का सेवन करने से आपको कोई लाभ नहीं होता ।
  • खाली पेट साफी का सेवन नहीं करना चाहिए।

साफी के अधिक  सेवन से होने वाले नुकसान

  • साफी के सेवन से एक ओर जहां रक्त साफ होता है वहीं दूसरी ओर मूत्र विसर्जन बढ़ जाता है इसके सेवन से कई बार बार-बार पेशाब आने की समस्या हो जाती है ।
  • यदि आप अधिक मात्रा में साफी का सेवन करते हैं तो आपका वजन असामान्य रूप से घट सकता है जिसके कारण शरीर में कमजोरी और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है ।
  • कुछ व्यक्तियों को साफी पीने से एलर्जी होती है यदि आपको साफी पीने के बाद में शरीर में किसी भी प्रकार की एलर्जी दिखाई दे तो साफी का सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए  ।
  • साफी के अत्यधिक सेवन से पेट में दर्द ,अपच और पेट फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं ।

साफी सिरप से जुड़ी कुछ गलतफहमियां है, आइए जानते हैं वह कौन सी हैं ?

लोगों में साफी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं जैसे –

*मिथ- यह केवल महिलाओं के लिए है

वास्तविकता –  कई लोगों का मानना है कि साफी केबल महिलाओं के लिए काम आने वाला सिरप है और पुरुषों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए । यह बात सही है की महिलाएं अधिक मात्रा में साफी का सेवन करती हैं परंतु साफी पुरुषों के लिए भी साफी पीने के फायदे उतना ही है जितना महिलाओं के लिए ।

पुरुषों में भी रक्त  संबंधित समस्याएं और पेट के रोग होना आम बात है साफी  इन सभी समस्याओं की कारगर दवा है ।

*मिथ – साफी पीने से त्वचा में जलन होती है

वास्तविकता – त्वचा सबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए साफी सिरप कारगर होता है इससे त्वचा में किसी प्रकार की जलन नहीं होती है। किसी किसी मामले  में यदि त्वचा में जलन की समस्या होती तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका पेट खराब है और खून साफ नहीं है।

इस कारण शरीर में विषैले तत्व जमा हो गए हैं और कई तरह के रोग उत्पन्न हो सकते हैं ,इसी कारण त्वचा में जलन होती है ।साफी के नियमित सेवन से खून साफ होता है ,त्वचा निखरती है साथ ही त्वचा में जलन की समस्या भी समाप्त हो जाती है।

*मिथ – साफी  शरीर के लिए गर्म होता है

वास्तविकता – साफी  में चीनी ,चिरायता, सना तुलसी ,नीम जैसे प्राकृतिक और हर्बल पदार्थ होते हैं । साफी वर्षों से प्रयोग किया जाने वाली एक भरोसेमंद आयुर्वेदिक औषधि है इससे शरीर में किसी प्रकार की गर्मी नहीं होती है।

यह त्वचा और खून को साफ करने के साथ-साथ ब्लड सरकुलेशन और पीएच वैल्यू को सही रखने में मदद करता है । यह ध्यान देना आवश्यक है कि इसका सेवन बताए गए दिशा निर्देशों के अनुसार करना चाहिए ।

मिथ – साफी के सेवन से उल्टी और दस्त होते हैं

वास्तविकता – साफी के अंदर नीम जैसी कई आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां पाई जाती हैं जो स्वाद में कड़वी होती है किसी कारण साफी का स्वाद कड़वा होता है। शुरू शुरू में स्वाद में कड़वा होने के कारण कुछ लोगों को इसका सेवन करने से उल्टी हो सकती हैं लेकिन यदि लगातार इसका सेवन किया जाए तो धीरे धीरे उल्टी होना बंद हो जाता है।

दस्त की बात करें तो यदि अधिक मात्रा में किसी  भी चीज का सेवन करना खराब होता है चाहे फिर वह कुछ भी क्यों ना हो । अतः अधिक मात्रा में साफी का सेवन दस्त का कारण बन सकता है इसलिए हमेशा बताए गए दिशा निर्देशों के अनुसार ही इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए ।

तो ये थीं साफी से जुड़ी कुछ धारणाएं , उचित मात्रा मे ,उपयुक्त दिशा निर्देशों का पालन करके यदि साफी का सेवन किया जाए तो साफी पीने के फायदे जरूर होते है। गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों को साफी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेकर ही सेवन करना चाहिए ।

जानिये नीम की पत्ती खाने के फायदे-Neem Ki Patti Khane Ke Fayde

जानिये नीम की पत्ती खाने के फायदे

नीम का शायद ही कोई ऐसा भाग है जिसका उपयोग औषधि के रूप में ना किया जाता हो। नीम के फल, बीज, पत्ती, जड़,छाल, टहनी, तेल सभी का प्रयोग विभिन्न बीमारियों में किया जाता है। प्राचीन काल से नींम के ओषधिय गुण से हम सभी अवगत है। लेकिन आज इस आर्टिकल में हम नीम की पत्ती के फायदे बताएंगे।

नीम की पत्तियों का स्वाद भले ही कड़वा हो, पर इनके सेवन से अनगिनत फायदे होते है। यदि आप थोड़ी देर के लिए जीभ के स्वाद को भूल जाए तो, बहुत स्वास्थ्य के मालिक हो सकते है।

नीम की पत्ती खाने के फायदे-Neem Ki Patti Khane Ke Fayde

कैंसर में फायदेमंद

नीम की पत्तियों में शामिल पॉलीसेकीराइड्स और लिमोनाइड्स विभिन्न ट्यूमर और कैंसर के असर को कम करते है। इसके अलावा नीम की पत्तियों का खाली पेट सेवन लिम्फोसाईटिक अनीमिया में भी फायदेमंद है।
नीम शरीर में खून को साफ करके फ्री रेडिकल्स को दूर करता है।

इम्युनिटी बढ़ाए

नीम की पत्तियों के एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से सब परिचित है। ये गुण न केवल सामान्य फ्लू से शरीर को बचाते है, हृदय रोग और कैंसर जैसी कई बीमारियों का खतरा कम करते है।

इम्युनिटी बेहतर होने से आप मौसमी बदलाव या खानपान या जगह के बदलाव से होने कि वाले नुकसान से बचते है।

मुख की साफ सफाई

पुराने जमाने के लोग ही नही बल्कि आज की युवा पीढ़ी भी नीम की दातुन की कायल है, किंतु कई बार समय तो कई बार अनुपलब्ध होने के कारण इसका इस्तेमाल नही कर पाते।

सुबह खाली पेट नीम के पत्ते चबाने से मुख की बहुत बेहतरीन सफाई होती है। मसूड़ो का इन्फेक्शन नही होता, मुख की बदबू दूर होती है। प्लाक और कैविटी से बचे रहते है।

इसके अलावा दांत के कीड़े, तम्बाकू और बीड़ी सिगरेट के कारण होने वाले दांतो का पीलापन दूर होता हौ। दांत चमकदार होकर मुस्कुराहट खूबसूरत बनती है।

पाचनतंत्र को मजबूत बनाए

अगर आपको पाचन से सम्बंधित कोई भी दिक्कत जैसे, एसिडिटी, गैस, सीने में जलन, कब्ज़, है तो नीम के पत्ते आपके लिए रामबाण है। नीम की पत्तियों से ना केवल इम्युनिटी बढ़ती है बल्कि आप भोजन को सही तरीके से पचा पाते है।ये पेट से हानिकारक विषैले तत्वों को निकाल कर इन्फेक्शन से बचाते है।

पाचनतंत्र को मजबूत बनाए
पाचनतंत्र को मजबूत बनाए

डायबिटीज में लाभदायक

आपको डायबिटीज हो या न हो, यदि आप नियम से सुबह खाली पेट नीम के पत्तो का सेवन करते है तो, इस समस्या में बचाव व सुधार दोनों होता है।

केवल आयुर्वेद ही नही होमियोपैथी व अलोपथी भी इस बात को मानती है कि, डायबिटीज में नीम के पत्तो का सेवन स्थिति को काफी हद तक सुधार सकता है।

सौंदर्य को बढ़ाये

जी हाँ सही पढ़ा आपने, नीम की पत्ती को खाने से सौंदर्य में काफी वृद्धि होती है। दरअसल नीम के एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीवायरल, एंटीफंगल गुण खून को साफ करके त्वचा को चमकदार बनाता है। नीम की पत्तियों के सेवन से दाग धब्बे दूर होते है, स्किन की रेडनेस, इन्फेक्शन, खुजली जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा बालो की सुंदरता को बढाने में भी ये बहुत लाभदायक है।

स्कैल्प पर होने वाला हर प्रकार का इन्फेक्शन नीम के सेवन से दूर होता है। जब जड़े स्वस्थ होंगी तो बाल खुद ब खुद रेशमी, मुलायम, घने व चमकदार बनेंगे।

मलेरिया में फायदेमंद

नीम की पत्तियां मलेरिया से लड़ने में बहुत मददगार होती है। मरीजो के लिए ही नही अपितु मलेरिया को फैलने से रोकने के लिए भी इन पत्तियों का उपयोग किया जाता है।

आर्थराइटिस में फायदेमंद

नीम की पत्तियों का सेवन हर प्रकार के आर्थ्राइटिस में फायदेमंद है, इससे न केवल दर्द की स्थिति सुधरती है, बल्कि सूजन मे भी कमी आती है।

नीम की पत्ती खाने के नुकसान

एक बात आपने जरूर सुनी होगी कि ‘अति सर्वत्र वर्जयते’ अर्थात किसी भी काम को सीमा से परे जाकर करना नुकसान दायक है।
इसी प्रकार नीम के पत्तों का सेवन भी कुछ परिस्थितियों में हानिकारक है। अब हम आपको इसी बारे में अवगत कराएंगे।

  • जर्नल कान्ट्रसेप्शन में छपे एक रिसर्च के अनुसार, रोजाना 3 मिलीग्राम या इससे ज्यादा नीम के पत्तों का रस पीने से शुक्राणु नष्ट हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार, नीम का रस ना केवल स्पर्म को गतिहीन कर सकता है बल्कि 20 सेकंड के अंदर ही 100 फीसदी मानव शुक्राणु को भी खत्म कर सकता है।
  • गर्भवती स्त्री को नीम के पत्तो का सेवन नही करना चाहिए, ये बहुत नुकसानदायक हो सकता हैं।
  • नीम शुगर लेवल को कम करता है, इसलिए यदि आप उपवास कर रही हैं तो नीम का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • नीम के ज्यादा सेवन से मुंह का स्वाद खत्म हो जाता है।

स्वाद और गुणों से भरपूर टमाटर का सूप के फायदे

टमाटर के सूप के फायदे

एक ऐसी सब्जी जिसके बिना आधी सब्जियों का सब्जियो का रंग और स्वाद ही गायब हो जाएगा। जी हां हम बात कर रहे है टमाटर की। टमाटर का प्रयोग कई तरीके से किया जाता है जैसे चटनी में, सलाद में, सब्जी पकाने में। लेकिन टमाटर का सूप एक ऐसी चीज़ है जो शादियों में खाने से पहले लोग पीते ही है। कारण ? यही की भूख खुलकर लगेगी। हास्यास्पद बात है पर है सोलह आने सच। दरअसल टमाटर में फाइबर, खनिज, विटामिन और कार्बनिक अम्ल बहुतायत से पाए जाते है।

टमाटर में पाए जाने वाले पोषक तत्व

पोषक तत्व  मात्रा

प्रोटीन 0.9 ग्राम
कार्ब्स 3.9 ग्राम
चीनी 2.6 ग्राम
फाइबर 1.2 ग्राम
फैट 0.2 ग्राम
एनर्जी या उर्जा 18 कैलोरी
विटामिन सी 13 मिली ग्राम
विटामिन इ 0.54 मिली ग्राम
विटामिन के 7.9 माईक्रो ग्राम
सोडियम 5 मिली ग्राम
पोटैशियम 237 मिली ग्राम
कैल्सियम 10 मिली ग्राम
आयरन 0.3 मिली ग्राम
मैग्नीशियम 11 मिली ग्राम

टमाटर में सूप के फायदे-Tomato Soup Ke Fayde

टमाटर का सूप
टमाटर का सूप

कैंसर के खतरे को कम करे

टमाटर के सूप में लाइकोपीन, कैरोटीनॉयड, विटामिन सी, बीटा कैरोटिन, एंटीऑक्सीडेंट होते है। ये सभी तत्व कैंसर के कणों को शरीर पर हावी नही होने देते। एंटीऑक्सिडेंट, ऑक्सीडेटिव तनाव और पुरानी सूजन को कम करते हैं। यह स्त्री पुरुष दोनों में कैंसर के खतरे को कम करता है।

सूखा रोग

सूखा रोग से पीड़ित बच्चो को टमाटर के सूप से बहुत फायदा होता है। लेकिन सूखा में सूप केवल कच्चे टमाटरों से बनाया जाता है। सूखा रोग से पीड़ित व्यक्ति को इसका नियमित सेवन करवाना चाहिए।

सुंदरता बढ़ाये

टमाटर का सूप मतलब सौंदर्य का खजाना, टमाटर में मौजूद विटामिन सी और दूसरे तत्व त्वचा की सुंदरता बढ़ाता है। टमाटर के सूप के सेवन से त्वचा में निखार आता है, दाग धब्बे दूर होते है। खुले रोमछिद्र बन्द होते है।

दिल को तन्दरुस्त करे

टमाटर का सूप कैपिलरी और वेंस में फैट के जमाव को रोकता है। बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। टमाटर में उपस्थित लाइकोपिन ब्लड वेसल्स की इनर लेयर को सेफ करती है। जिस कारण ब्लड क्लॉट नही होता और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद

गर्भवती महिलाओं को आने वाली उबकाई टमाटर के सूप से कम होती है। एक तरफ ये गर्भवती महिला का स्वाद ठीक करता है वहीं इसमे मौजूद विटामिन सी उसकी इम्युनिटी बढ़ाता है। इसमे फ़ोलिक एसिड होता है, जिसका सेवन गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचाता है।

गाउट के उपचार में

गाउट के मरीजो को भी टमाटर का सूप देने से उनमे पॉजिटिव रिजल्ट दिखाई दिए है। गाउट के मरीजों को टमाटर के जूस में आजवाईन मिलकर पिलाना चाहिए. ऐसा नियमित करने से उन्हें दर्द में भी आराम मिलता है।

डायबिटीज के लिए परफेक्ट

डायबिटीज के मरीजो को अपनी डाइट में टमाटर का सूप जरूर रखना चाहिए। क्योंकि इसमें उपस्थित क्रोमियम,ब्लड शुगर के रेगुलेशन में मदद करता है। लेकिन ध्यान रहे कि डायबिटीज के मरीज मीठा डालकर सूप न पिएं।

खून की कमी दूर करें

टमाटर के सूप में उपस्थित सेलेनियम खून के दौरे को बेहतरीन रखता है। यह खून की कमी दूर करके एनीमिया से बचाता है।

मोटापा घटाए

टमाटर के सूप में काफी मात्रा में फाइबर और पानी होता है। इस कारण ये काफी समय तक फुल होने की फीलिंग देता है। इसलिए टमाटर के सूप को अपनी डाइट में जरूर रखे, खासकर यदि आप वजन कम करने की सोच रहे है।

पेट के कीड़े मारे

बच्चों के पेट में कीड़ा हो जाने पर उन्हें थोड़े थोड़े अंतराल पर टमाटर का सूप देना चाहिए। ऐसा करने से उनका पेट साफ होगा और कीड़े शौच के रास्ते निकल सकते है।

इन सब फायदों के अलावा, टमाटर का सूप अवसाद से लड़ने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है।

गुणों से भरी काली हरड़ के फायदे-Kali Harad Ke Fayde In Hindi

काली हरड़ के फायदे

काली हरड़ त्रिफला मे से एक है। इसे हरीतकी के नाम से भी जाना जाता है। ये हरड़ होती तो छोटी सी है परंतु इस काली हरड़ के फायदे बहुत बड़े होते है। काली हरड़ बहुत ही गुणकारी होती है। हरीतकी का फल, छाल और जड़ तीनों ही बहुत ही लाभकारी होते हैं और इनका प्रयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है।

काली हरड़ के फायदे-Kali Harad Ke Fayde In Hindi

नेत्र विकारों को करे दूर

जैसे जैसे इंसान ने तकनीकी उन्नति की है वैसे वैसे अब हम कम्प्युटर और मोबाइल पर निर्भर होते जा रहे है। परंतु इनका हमारी आँखों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इनके ज्यादा प्रयोग से कई नेत्र विकार उत्पन्न हो जाते है। ऐसे में आप काली हरड़ का प्रयोग कर सकते है। इसके लिए रात को हरड़ पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को अच्छे से छन लें। अब इस पानी से आँखों को धोएँ। ये आपकी आँखों को शीतलता प्रदान करता है।

कब्ज़ और गैस में मिले आराम

आज कल लोगो का खान पान ठीक न होने के कारण उन्हे कब्ज़ और गैस जैसी समस्याएँ हो जाती है। ऐसे में आप काली हरड़ का भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए भोजन करने के बाद काली हरड़ के एक टुकड़े को अच्छे से पानी से साफ कर लें। अब इसे मुंह में रख कर चूस लें। इसके नियमित प्रयोग से लाभ मिलेगा।

कब्ज
कब्ज

खांसी की समस्या से छुटकारा

खांसी और दमा की समस्या में काली हरड़ किसी रामबाण से कम नही। इसके लिए आप निंलिखित तरह से इसका प्रयोग कर सकते है।

  1. काली हरड़ के 2 से 5 ग्राम चूर्ण का हर रोज़ सेवन करें।
  2. हरड़ के चूर्ण और हल्दी पाउडर को बराबर मात्र में लें। अब इसमे 1 ग्राम मिश्री का पाउडर मिलाये। अब इस मिश्रण को हर रोज़ हल्के गुंगुने पानी के साथ लें।

पाचन को करे बेहतर

खान पान ठीक न होने के कारण अपच की समस्या होना आम बात है। ऐसे में काली हरड़ बहुत ही लाभकारी साबित होती है। काली हरड़ पाचन को बेहतर बनाने में बहुत मदद करती है। इसके लिए भोजन करने के बाद 3 से 5 ग्राम हरड़ का चूर्ण लें। अब इसमे बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करें।

भूख बढ़ाए

कई बार लंबी बीमारी या तनाव के चलते हमें भूख कम लगती है। जिसका हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में काली हरड़ आपके लिए बहुत सहायक है। इसके लिए हरड़ का चूर्ण, सौंठ का पाउडर और सेंधा नमक के मिश्रण को ठंडे पानी के साथ लें। इसका सेवन रोज़ करने से लाभ मिलेगा।

त्वचा संबन्धित एलर्जी को रखे दूर

हरड़ त्वचा संबन्धित एलर्जी को दूर करने मे भी मददगार साबित होता है। इसके लिए हरड़ के फल को पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े का सेवन दिन में दो बार ज़रूर करें। साथ ही इस काढ़े से एलर्जि वाली जगह को धोये।

मुंह की सूजन से मिले निजात

काली हरड़ मुंह की सूजन को दूर करने में भी बहुत मदद करती है। इसके लिए हरड़ को पानी में उबाल लें। अब इस पानी के थोड़े ठंडे होने पर इस पानी से गरारे करे। ऐसा नियमित रूप से करने पर मुंह की सूजन से आराम मिलेगा।

मुंह में छाले होने पर

आप मुंह के छालों को ठीक करने के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते है। इसके लिए हरड़ को पानी मे घिस लें। अब इस लेप को अपने छालों पर लगाएँ।

कौन काली हरड़ का सेवन नहीं कर सकते

  • गर्भवती महिलाएं
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चे काली हरड़ का सेवन करने से बचें।

फिटकरी का पानी पीने के फायदे जो जानकर चौंक जायेंगे आप

फिटकरी का पानी पीने के फायदे

फिटकरी एक ऐसी चीज़ है जो घर में आसानी से मिल जाती है। फिटकरी का इस्तेमाल या फिटकरी से पानी साफ करना प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। आजकल फिटकरी का इस्तेमाल अक्सर शेविंग के बाद फ़ेस पर किया जाता है या गंदे पानी को साफ करने के लिए किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिटकरी का पानी पीने के फायदे भी बहुत हैं। आज इस लेख में हम आपको इन्ही फ़ायदों को बारे में बताएँगे।

क्या है फिटकरी

फिटकरी एक रंगहीन क्रिस्टल होता है। इसे अँग्रेजी में एलम कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम पोटाशियम एल्युमिनियम सल्फ़ेट है। फिटकरी अलग अलग प्रकार की होती है जैसे पोटाशियम एलम, अमोनियम एलम, सोडियम एलम, क्रोम एलम, एल्युमिनियम एलम, सेलेनेट एलम।

फिटकरी
फिटकरी

कैसे बनाएँ फिटकरी का पानी

फिटकरी का पानी बनाना बहुत आसान है। फिटकरी का पानी बनाने के लिए पानी को उबाल लें। जब पानी अच्छे से उबाल जाये तब इसमे फिटकरी के टुकड़े डाल दें। जब ये टुकड़े अच्छे से पानी में पिघल जाये तब इसे गैस से उतार ले। जब ये ठंडा हो जाये तब इसे छान लें। फिटकरी का पानी तैयार है।

फिटकरी का पानी पीने के फायदे

हीमोग्लोबिन बढ़ाए

शरीर के अंदर हीमोग्लोबिन का स्तर बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। इसकी कमी शरीर के लिए बहुत नुकसान दायक हो सकती है। अगर आपके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी है तो फिटकरी का पानी पीना आपके लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। फिटकरी में भरपूर मात्रा मे आयरन पाया जाता है जो शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है और उसके स्तर को बनाए रखता है।

कब्ज़ से दिलाये छुटकारा

आज कल ठीक से भोजन न करने के कारण कब्ज़ और अपच जैसी शिकायतें हो जाती हैं जिसके कारण पेट ठीक से साफ नहीं हो पाता। ऐसे में आप फिटकरी के पानी का सेवन कर सकते है। फिटकरी का पानी पीने से पाचन शक्ति मजबूत होती है जिससे भोजन जल्दी पच जाता है और कब्ज़ की शिकायत दूर होती है।

विषैले पदार्थों को शरीर से निकाले बाहर

फिटकरी का पानी पीने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ भी बाहर निकल जाते है। फिटकरी आपके रक्त को साफ रखती है और विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल देती है जिस कारण आपकी त्वचा भी साफ और सुंदर हो जाती है तथा आपकी त्वचा पर चमक आ जाती है।

एसिडिटी की समस्या को करे दूर

अगर आपको एसिडिटी और पेट फूलने की समस्या है तो आप फिटकरी का पानी पी सकते हैं। फिटकरी का पानी शरीर में ज्यादा उत्पन्न हुए एसिड की मात्रा हो कम करने में मदद करता है जिससे आपको एसिडिटी नहीं होती और फूला हुआ पेट भी कम हो जाता है।

इम्यूनिटी पावर बढ़ाए

कई लोग बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम इतना मजबूत नहीं होता। इस कारण से उनका शरीर बीमारी से अच्छे से लड़ नही पाता और मौसम के बदलते ही वो बीमार हो जाते हैं। अगर आप भी जल्दी बीमार पड़ जाते हैं तो आप फिटकरी के पानी की सेवन कर सकते हैं।

फिटकरी का पानी आपकी इम्यूनिटी पावर को बढ़ाता है। जिससे आपके शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है और आप स्वस्थ रहते है। इसके सेवन से आप जल्दी बीमार भी नहीं पड़ते।

रात को चेहरे पर शहद लगाने से मिलते हैं ये 5 फायदे, नुकसान और लगाने का सही तरीका

चेहरे पर शहद लगाने के फायदे

क्या आप जानते हैं रात को चेहरे पर शहद लगाने से क्या होता है? शहद एक प्राकृतिक और बहुत फायदेमंद चीज़ है जो आपकी त्वचा के लिए बेहद उपयोगी साबित होती है। इस लेख में हम जानेंगे chehre par shahad lagane se kya hota hai, इसके 5 मुख्य फायदे, नुकसान, और इसे लगाने का सही तरीका।

 

शहद
फेस पर शहद लगाने के फायदे

 

1. चेहरे की त्वचा को गहराई से हाइड्रेट करता है

शहद एक प्राकृतिक मॉइस्चराइजर है जो आपकी त्वचा की नमी को लॉक करता है। रात को चेहरे पर शहद लगाने से आपकी त्वचा नरम, मुलायम और हाइड्रेटेड बनी रहती है। यह खास तौर पर ड्राई स्किन के लिए बहुत फायदेमंद है और प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के रूप में काम करता है।

2. चेहरे की रंगत निखारता है

शहद में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो आपकी त्वचा की डलनेस और मुरझाई हुई रंगत को कम करते हैं। नियमित रूप से chehre per shehad lagane ke fayde में यह भी शामिल है कि यह त्वचा की रंगत को निखारकर उसे स्वस्थ और चमकदार बनाता है।

3. मुंहासों और पिंपल्स को कम करता है

शहद के एंटी-बैक्टीरियल गुण त्वचा को साफ रखते हैं और मुंहासों को कम करने में मदद करते हैं। इसे नियमित इस्तेमाल करने से चेहरे की त्वचा में इंफ्लेमेशन कम होता है और मुंहासे दूर रहते हैं।

4. उम्र बढ़ने के निशान कम करता है

शहद में मौजूद प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट आपकी त्वचा को झुर्रियों और उम्र बढ़ने के निशानों से बचाते हैं। इसलिए रात को चेहरे पर शहद लगाने से त्वचा जवान, स्वस्थ और चमकदार दिखती है।

5. सनबर्न और त्वचा की जलन में राहत देता है

शहद में ठंडक पहुंचाने वाले गुण होते हैं, जो सनबर्न या जलन को कम करते हैं। यह संवेदनशील त्वचा वाले लोगों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है और त्वचा की सूजन को शांत करता है।

शहद लगाने का सही तरीका

  • सबसे पहले अपने चेहरे को हल्के साबुन से धोकर साफ करें।
  • 1 से 2 चम्मच कच्चा शहद लें।
  • इसे अपने चेहरे पर अच्छी तरह से लगाएं।
  • लगभग 15-20 मिनट तक शहद को चेहरे पर रहने दें।
  • गुनगुने पानी से इसे धो लें।
  • सप्ताह में 3-4 बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।

शहद के नुकसान और सावधानियां

  • यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है, तो पहले शहद को हाथ की त्वचा पर टेस्ट करें।
  • कभी-कभी शहद से एलर्जी हो सकती है, इसलिए ध्यान से इस्तेमाल करें।
  • ज्यादा देर तक चेहरे पर शहद लगाने से त्वचा चिपचिपी और असहज हो सकती है।
  • यदि आपको कोई जलन या खुजली महसूस हो तो तुरंत उपयोग बंद कर दें।

FAQS

Q: Chehre par shahad lagane se kya hota hai?

A: यह आपकी त्वचा को हाइड्रेट करता है, मुंहासों को कम करता है, और चेहरे की चमक बढ़ाता है।

Q: क्या रोजाना शहद लगाना ठीक है?

A: हफ्ते में 3-4 बार शहद लगाना सबसे अच्छा और सुरक्षित होता है।

निष्कर्ष

रात को चेहरे पर शहद लगाना एक प्राकृतिक और असरदार तरीका है अपनी त्वचा की देखभाल करने का। इससे आपकी त्वचा मुलायम, चमकदार, और स्वस्थ बनी रहती है। उचित मात्रा में और सही तरीके से शहद लगाने से आप इसके सभी फायदे महसूस कर सकते हैं।

पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय,जो आप पहले नहीं जानते होंगे

पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय

पीरियड शुरू होने से लेकर बन्द होने तक कुछ न कुछ समस्याओं से हर महिला दो चार होती है। कभी ब्लीडिंग ज्यादा तो कभी कम, कभी समय पर तो कभी असमय, कभी हैवी तो कभी सिर्फ स्पॉटिंग। यदि आप विवाहित है तो पीरियड मिस होना एक सुखद संकेत हो सकता है, लेकिन हमेशा नही। यदि आप अविवाहित है तो अवश्य ये एक समस्या है। लगातार लंबे समय तक पीरियड मिस होना कई समस्याओं को न्यौता देता हैं, जैसे रिप्रोडक्टिव कैपेसिटी का घटना या गर्भ धारण करने में समस्या, मोटापा बढ़ना, ओवरी में समस्या, भूख न लगना, फैशियल हेयर आदि। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे पीरियड के मिस होने के कारण क्या है और कैसे आप पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय आजमा कर इस समस्या से निजात पा सकती है।

महिलाओं में पीरियड मिस होने की समस्या के निम्न कारणों से हो सकती है।

  • असमय व गलत खान पान से
  • सिडेंटरी लाइफ स्टाइल से
  • एंग्जायटी,डिप्रेशन, हैवी वर्क लोड से
  • थायरॉइड
  • मेनोपॉज
  • आहार में जरुरी पोषक तत्वों की कमी।
  • पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम या पॉलिसिस्टिक ओवरियन डिजीज
  • जरूरत से ज्यादा व्यायाम या शारीरिक श्रम करना
  • बहुत लंबे समय तक बीमार रहना
  • गर्भाशय या गर्भाशय नलिका में कोई डिफेक्ट होना
  • महिला एथलीट्स द्वारा या फिटनेस के लिए स्टेरॉयड का सेवन करना।

हमारे शरीर मे कोई भी रोग वात, पित्त, कफ के असंतुलन के कारण होते हैं। ये असंतुलन पोषक तत्वों की कमी, और अनुचित जीवन शैली, या अन्य कारणों से होता है। जब लड़की में पीरियड की शुरुआत हो तो कई बार पीरियड मिस होते है। ये एक सामान्य बात है। इसी प्रकार किसी महिला में मेनोपॉज़ के आसपास भी पीरियड मिस होना देखा जाता है।

लेकिन यदि ये समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो स्थिति गम्भीर हो सकती है। शुरुआती दौर में इस समस्या के लिए आप घरेलू उपाय अपना सकते है। आज इस आर्टिकल में हम आपको पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय बताएंगे।

पीरियड मिस होने पर घरेलू उपाय-Period Lane Ke Gharelu Upay

हल्दी-Period Jaldi Lane Ke Gharelu Upay

हल्दी एन्टीबैक्टीरियल, एन्टी फंगल होने के अलावा बहुत गर्म भी मानी जाती है। इसलिए इसका उपयोग सर्दी जुकाम में किया जाता है।
यदि किसी महीने आपके पीरियड मिस हो तो गरम पानी में या एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर पीरियड होने की डेट से पाँच दिन पहले सुबह-शाम पीना शुरू करे।

इससे न केवल पीरियड शुरू होंगे बल्कि छोटा मोटा इन्फेक्शन भी खत्म हो जाएगा।

गाजर के बीज-Masik Dharm Aane Ke Upay In Hindi

गाजर के बीज अत्यधिक गर्म तासीर के होते है, तो यदि आप विवाहित है, तो पीरियड मिस होने पर सोच समझकर इसका इस्तेमाल करे।
गाजर में उपस्थित केरोटीन नाम का तत्व बॉडी में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ाता है। इससे पीरियड समय पर खुलकर तथा समय पर होता है।इसके लिए आप गाजर के बीज को पानी मे उबाल कर उस पानी को दिन में तीन बार पिए।

इसके अलावा गाजर के बीज को पीसकर किसी चूर्ण में मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है।

तिल-Period Jaldi Aane Ke Upay

तिल को आप किसी भी रूप में ले ये फायदेमंद ही होते है। आप तिल के लड्डू बनाये या भूनकर खाए। पीरियड शुरू होने के दस दिन पहले से ही इसका सेवन शुरू कर दे।

खासकर गुड़ में मिलाकर खाने से यह ज्यादा फायदा करता है।

तिल
तिल

अदरक-Period Na Aane Par Kya Kare

अदरक का ज्यादा से ज्यादा से उपयोग करें, अदरक का रस निकालकर गुड़ के साथ खाए। अदरक हल्दी की चाय बनाकर पिए, सब्जी में डालकर इसका प्रयोग करें या अचार बनाकर।

अदरक पीरियड मिस होने की समस्या में अकेला फायदा नही करेगा। अदरक का प्रयोग अन्य उपायों के साथ करे।

पपीता-Mahwari Na Aane Ka Ilaj

पीरियड होने से 4 दिन पहले एक प्लेट पपीते का फल खाएं। इसमें मौजूद कैरोटी एस्ट्रोजन हार्मोन को उत्तेजित करता है। इसके सेवन से पीरियड समय पर एवं खुलकर होता है।

धनिया-Masik Dharm Aane Ke Upay In Hindi

साबुत धनिये को रात भर पानी मे भिगोकर रखे, सुबह उस पानी को पी ले। हरे धनिये की जड़ को अच्छी तरह धोकर,उबालकर उस पानी का प्रयोग करें।

पानी को दिन में तीन बार 50ml पिए, हरे धनिये की चटनी खाए। यह उपाय भी पीरियड मिस होने पर लाभ दिलाता है। साथ ही हार्मोनल डिस्टर्बेंस को ठीक करता है।

मेथी-Period Jaldi Lane Ke Gharelu Upay

मेथी का प्रयोग केवल पीरियड के समय नही बल्कि रेगुलर किया जा सकता है। इसके लिए रोज रात को एक चम्मच मेथी भिगो दें, सुबह आधा चम्मच भीगी मेथी पानी से निगल ले।
लगातार ऐसा करने से हॉर्मोनल समस्याए भी दूर होंगी।

गुड़ की पात-Periods Jaldi Aane Ke Upay

गुड़ की पात सामान्यतया जच्चा को दी जाती है, पर पीरियड मिस होने पर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। ये खाने में स्वादिष्ट होने के साथ सेहतमंद भी है, इसे बनाने में अजवायन, गुड़, काजू, बादाम, गोला, घी, मखाने का इस्तेमाल किया जाता है

इन सब उपायों के अलावा आप अपनी जीवनशैली सुधारे, ताकि समस्या जड़ से दूर हो जाये।

  • विटामिन एवं खनिज जैसे पोषक तत्व से भरपूर भोजन करे।
  • सब्जियाँ, दाल, अंकुरित अनाज एवं सूखे मेवों का सेवन करें।
  • केवल मौसमी फल खाएं
  • तनाव को दूर करने के लिए ध्यान, योग, म्यूजिक का सहारा ले।
  • अत्यधिक शारीरिक श्रम एवं व्यायाम से बचें।
  • नियमित रूप से सुबह प्राणायाम एवं योगासन करें।
  • पैकेजिंग वाले और जंकफूड से बचे।

प्रेगनेंसी का तीसरा महीना ,क्या क्या जानना है जरुरी- pregnancy ka tisra mahina

प्रेग्नेंसी का तीसरा महीना

प्रेगनेंसी के वो नौ महीने एक खूबसूरत कहानी की तरह होते है। जिसमे सुख दुख हंसना रोना सब कुछ होता है। लेकिन इस कहानी का अंत हमेशा खूबसूरत होता है। एक नन्ही मुन्नी जान आपके हाथों में किलकारियां भरती है। लेकिन सबको ये अंत नसीब नही होता। कई बार गर्भपात अर्थात एबॉर्शन एक पल में सब कुछ छीन लेता है। यूं तो गर्भपात कभी भी हो सकता है, लेकिन पहली तिमाही में इसका खतरा सबसे ज्यादा होता है। खासकर प्रेगनेंसी का तीसरा महीना।

आज इस आर्टिकल में हम प्रेगनेंसी का तीसरा महीना कैसा होता है उसके बारे में आपको डिटेल में बताएंगे।

प्रेग्नेंसी का तीसरा महीना-बदलाव

प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने में बाहरी तौर पर कुछ खास फर्क नही पड़ता। मतलब देखने से प्रेग्नेंसी का पता नही चलता लेकिन अंदुरुनी तौर पर निम्न बदलाव दिखाई देने लगते है। आपके गर्भ में मौजूद डिंब एक भ्रूण के रूप में बदल जाता है।

  • प्रेग्नेंसी में कब्ज और पेट में दर्द

कब्ज और पेट में दर्द की समस्या आने लगती है। ये समस्या प्रोजेस्टेरोन की मात्रा बढ़ने और गर्भाशय के आकार बढ़ने के कारण होती हैं। क्योंकि गर्भाशय के आसपास के लिगामेंट स्ट्रेच होने लगते है। यदि पेट में दर्द लगातार बना रहे तो डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करें।

कब्ज
कब्ज
  • प्रेग्नेंसी में थकान और मॉर्निंग सिकनेस

    थकान और मॉर्निंग सिकनेस की समस्या लगभग प्रत्येक गर्भवती में देखी जाती है। इसका कारण होता है गर्भस्थ शिशु की पोषण आवश्यकताए। इसी कारण ब्लड सुगर तथा ब्लड प्रेशर पर अच्छा खासा फर्क पड़ता है। लेकिन महीना समाप्त होते होते ये समस्या ठीक होने लगती है।

  • प्रेग्नेंसी में सीने में जलन और नसों में सूजन

    सीने में जलन और नसों में सूजन भी देखने को मिलती है। कुछ भी खाने पर एसिड बार बार ऊपर की तरफ आता हैं, क्योंकि डाइजेस्टिव सिस्टम कमजोर हो जाता है। साथ ही गर्भाशय का आकार बढ़ने से आसपास की ब्लड वेसल्स सिकुड़ने लगती है, क्योंकि उनके लिए जगह की कमी हो जाती है।

  • जब ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती है तो पैरों की तरफ खून का दौरा कम हो जाता है और पैरों में बहुत ज्यादा सूजन आ जाती है।
  • प्रेग्नेंसी में बार बार यूरिन जाना

    शिशु के विकास के लिए हार्मोन एच.सी.जी ज्यादा मात्रा में खून का उत्पादन करता है। जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट पर प्रेशर पड़ता है। इसलिए बार बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है।

  • प्रेग्नेंसी में वैजाइनल डिस्चार्ज

    ये वैजाइनल डिस्चार्ज दरअसल हर प्रकार के संक्रमण को गर्भाशय में जाने से रोकता है। इसका कारण एस्ट्रोजन लेवल बढ़ना होता है।

प्रेग्नेंसी का तीसरा महीना-शिशु का विकास

  • गर्भस्थ शिशु तीसरे महीने के अंत तक 3 से 4 इंच लंबा होगा। यह एक बड़े नीबू का आकार है।
  • गर्भस्थ शिशु का वजन करीब 28 ग्राम होगा।
  • इस समय तक बेबी के सभी जरूरी अंग जैसे बाहें, हाथ, उंगलियां, पैर, अंगूठे बन चुके होते हैं सिर्फ उनका विकास होता रहता है।
  • हार्ट अपने कार्य सम्भाल लेता है।
  • जबान, जबड़ा, आंखें, जननांग और किडनी का विकास शुरू हो जाता है।
  • मांसपेशियों और हड्डियों का ढांचा बनना शुरू हो जाता है।
  • त्वचा सही से विकसित नही हुई होती और सभी नसें दिखाई दे रही होती है।

प्रेग्नेंसी का तीसरा महीना-कैसा हो आहार

  • बहुत ही हल्का और सुपाच्य भोजन ले जिससे एसिड न बनें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। जरूरत से ज्यादा पानी ना पिए, किडनी पर ज़ोर पड़ेगा। केवल पानी को ही तरल में ना गिने। आपके द्वारा लिए गए पानीदार फल और सब्जियां भी तरल पदार्थ की पूर्ति करती हैं।
    ऐसा करने से कब्ज दूर होगी और डायजेस्टिव सिस्टम सही से काम करेगा।
  • फाइबर का भरपूर सेवन करें, इससे गर्भाशय की दीवार मजबूत बनेगी और शिशु के विकास में मददगार होगी। फाइबर की मात्रा को बढ़ाने के लिए आप अपनी डाइट में मोटा अनाज, अनार, अनानास, संतरे, सेब और दूसरे फलों को शामिल कर सकती हैं।
  • कैल्शियम, आयरन, तथा अन्य विटामिंस व सप्लीमेंट डॉक्टर की सलाह अनुसार लेती रहे। इसके अलावा खानपान से इनकी पूर्ति जरूर करें। निम्न खाद्य पदार्थो को भोजन में जरूर शामिल करें।
    दूध और इससे बने दूसरे प्रोडक्ट और केले, सेब, संतरा, ब्रोकली, आलू, बिन्स, अनाज, पीनट बटर, बादाम, वाइट लीन मीट यानी यानी की वो मीट जिसमें कम फैट होता है

प्रेगनेंसी में किन बातो का ध्यान रखें

  • प्रेगनेंसी में भूखे ना रहें।
  • आरामदायक कपड़े पहने
  • पेट पर बेल्ट या किसी अन्य प्रकार का प्रेशर न डाले।
  • ज्यादा वर्कलोड न ले, बीच बीच मे आराम करें
  • फ़ास्ट फूड, मसालेदार भोजन, सिगरेट और शराब से दूर रहें।
  • ऊंची हिल वाली सैंडल न पहने।
  • प्रेगनेंसी में तनाव से बचें
  • एक्सपर्ट की देखरेख में योग, व्यायाम करें।
  • सुबह टहलने का प्रयास करें।
  • प्रेगनेंसी में सप्लीमेंट्स न खाएं
  • किसी भी तरह की कोई परेशानी होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें और उन्हें अपनी परेशानी के बारे में बताएं।
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