जानिए कितना और कैसे करें इस्तेमाल ताकि ना हो फिटकरी से नुकसान

फिटकरी से नुकसान

फिटकरी के बारे में किसी को बताने की जरूरत नही, ज्यादातर घरों में फिटकरी किसी न किसी काम के लिए रखी ही होती है। कलरलेस और दानेदार दिखने वाले इस पदार्थ को साइंस की भाषा मे साधारण ‘पोटेशियम एल्युमिनियम सल्फेट’ (KAl(SO4)2.12H2O) कहते हैं। सामान्यतया इसे ‘एलम’ (Alums) नाम से जाना जाता है। फिटकरी की तासीर गर्म होती है। इस लेख में हम जानेंगे क्या है फिटकरी के गुण, फिटकरी से नुकसान और इस्तेमाल।

फिटकारी को अंग्रेजी में पोटैश ऐलम या केवल ऐलम भी कहते हैं। यह पोटैशियम सल्फेट और ऐलुमिनियम सल्फेट का साल्ट है। इसके क्रिस्टल अत्यंत सरलता से बनते हैं।

फिटकरी का उपयोग कागज उद्योग, रंगसाजी, छींट की छपाई, पेय जल के शोधन और चमड़ा कमाने में होता है। फिटकरी के अलग अलग रूपो का प्रयोग अलग काम मे लिया जाता है।

पोटैशियम एलम : पोटैशियम एलम को पोटाश एलम और पोटैशियम एलम सल्फेट के नाम से भी जाना जाता है। फिटकरी के इस रूप का इस्तेमाल पानी की गंदगी को साफ करने के लिए किया जाता था पुराने समय मे।

अमोनियम एलम : चिकने सफेद पत्थर की तरह दिखने वाली इस फिटकरी का प्रयोग कॉस्मेटिक या पर्सनल हाइजीन के लिए होता, जैसे आफ्टरशेव लोशन, पसीने की बदबू से छुटकारा और हाथों से जुड़े उत्पाद।

क्रोम एलम : क्रोम एलम भी फिटकरी का एक प्रकार है, यह पूरी तरह से केमिकल बेस्ड है और इसका प्रयोग इस्तेमाल चमड़ा बनाने की प्रक्रिया में किया जाता है।

सोडियम एलम : यह एक इनआर्गेनिक कंपाउंड है, जिसे सोडा एलम भी कहते है। इसका उपयोग बेकिंग पाउडर के निर्माण और फूड एडिटिव के रूप में किया जाता है।

फिटकरी के गुण

फिटकरी में निम्न औषधीय गुण होते है।

  • एंटीबायोटिक (सूक्ष्म जीवों को नष्ट करने वाला)
  • एंटी-ट्राइकोमोनस (प्रोटोजोवल इन्फेक्शन को खत्म करने वाला)
  • एस्ट्रिंजेंट (संकुचन पैदा करने वाला)
  • एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों के प्रभाव को नष्ट करने वाला)
  • एंटीइंफ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाला)
    फिटकरी
    फिटकरी

फिटकरी से नुकसान

यूँ तो फिटकरी के अनगिनत फायदे आपको हर जगह पढ़ने सुनने को मिलेंगे। लेकिन क्या आप जानते है की फिटकरी से नुकसान कितने है।

तो आगे हम आपको बताएंगे कि फिटकरी के क्या क्या नुकसान होते है। ताकि आप इन बातों का ध्यान रखते हुए फिटकरी का प्रयोग करे।

  • बहुत से लोग खांसी ज़ुकाम या नकसीर के लिए फिटकरी का प्रयोग करते है। जैसे फिटकरी का चूर्ण बना कर शहद के साथ लेना। लेकिन ध्यान रखे फिटकरी को सूंघने से नाक-गले में जलन, फेफड़ों को प्रभावित करने वाली खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
  • अगर आप फिटकरी का प्रयोग अपनी त्वचा पर कर रहे है तो ध्यान रखे। फिटकरी घुले हुए पानी से आंखे धोने पर आंखों को नुकसान हो सकता है। इसे लगाने से स्किन और आंखों में जलन व रैशेज भी हो सकते हैं। क्योंकि पोटेशियम ऐलम (potassium alum) त्वचा को कमजोर कर सकता है। इसके कारण ड्राई स्किन, त्वचा में चकते, लाली जैसी समस्याए हो सकती है।
  • लगाने के अलावा फिटकरी खाने से भी नुकसान हो सकता है। इससे पुरुषों में वीर्य और फ्रक्‍टोज (semen and fructose) का स्तर प्रभावित हो सकता है। अगर ज्यादा समय तक फिटकरी का सेवन किया जाए कैंसर और अल्‍जाइमर का खतरा हो सकता है।
  • अगर आप मुँह के छालों के लिए फिटकरी का प्रयोग कर रहे है, तो लार को गलती से भी ना निगले, बच्चो पर इस तरह का कोई प्रयोग ना करें।
  • ज़ुओं से मुक्ति के लिए आप फिटकरी पाउडर का उपयोग लगातार ना करें, इससे बाल रूखे और बेजान हो सकते है।
  • आफ्टर शेव लोशन के तौर पर आप फिटकरी का प्रयोग केवल घर मे करें। अगर आप नाई की दुकान पर जा रहे है तो इससे बचे। क्योंकि नाई एक ही फिटकरी का प्रयोग सबके चेहरे पर करता है जिससे इन्फेक्शन हो सकता है।
  • कुछ लोग दावा करते है कि रात को फिटकरी को चेहरे पर रगड़ने से रंग गोरा होता है। यदि ऐसा होता तो कॉस्मेटिक का बाजार इतना बड़ा नही होता। रंग गोरा हो ना हो पर लगातार फिटकरी को चेहरे पर रगड़ने से रंग काला जरूर हो सकता है। क्योंकि चेहरे की त्वचा बहुत नाजुक होती है।
  • योनि में कसावट के लिये भी महिलाएं फिटकरी का प्रयोग करती है, पर हमारा मानना है कि इसके लिए कीगल एक्सरसाइज से बेहतर कुछ नही हौ। इतनी संवेदनशील भाग पर किसी तरह का एक्सपेरिमेंट ना ही किया जाए तो बेहतर होगा।

फिटकरी को रखने का सही तरीका

  • दानेदार फिटकरी या फिटकरी के टुकड़े को हमेशा सुखाकर रखना चाहिए, इससे वह लंबे समय तक सुरक्षित रह सकती है।
  • यूज़ करने के बाद इसे किसी एयर टाइट कंटेनर में ही रखे।
  • फिटकरी पाउडर की बात करें, तो इसे हमेशा एयरटाइट कंटेनर में रखा जाना चाहिए।

उम्मीद है फिटकरी पर लिखा ये आर्टिकल आपको जरूर पसन्द आया होगा, और फिटकरी का उपयोग करने से पहले आप इसके नुकसानों पर एक नजर जरूर डालेंगे। साथ ही इसके प्रयोग से पहले अपनी स्वास्थ्य और शरीरिक स्थिति को देखते हुए डॉक्टर से परामर्श जरूर ले।
उपयोग करने के कारण कोई समस्या होने पर तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें, घरेलू उपायों में समय बर्बाद ना करें।

जानिए क्या है भीगे चने खाने के नुकसान-Chana Khane Se Kya Hota Hai

भीगे चने खाने के नुकसान

बहुत पुराने समय से भीगे सुबह के समय भीगे चने खाना मानो भारतीय परिवारों की परंपरा रही है। चाहे आयुर्वेद हो या एलोपैथी, भीगे चने खाना दोनों पद्धतियों के अनुसार लाभदायक है। भीगे हुए चने खाने के फायदे अनगिनत है पर आज इस लेख में हम बात करेंगे भीगे चने खाने के नुकसान के बारे में।

भीगे चने के फायदे

भीगे हुए चनों में होता है फॉस्फोरस और क्लोरोफिल जो शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाता है। इनमें पाया जाने वाला हाई फाइबर पेट की कब्ज और अपच से मुक्ति दिलाता है। डायबिटीज में आराम दे शरीर मे फुर्ती लाता है और पुरूषों में वीर्य को गाढ़ा करके नपुंसकता दूर करता है।

चने में ब्यूटिरेट नामक फैटी एसिड पाया जाता है, जो मुख्य रूप से कैसर को जन्म देने वाली कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करता है।

इसमें पाया जाने वाला तत्व β-कैरोटीन आंखों की कोशिकाओं को फायदा करता है।भीगे हुए चने में विटामिन-ए, बी, और विटामिन-ई बालो और स्किन को चमकदार बनाता है। इसके अलावा खून की कमी को दूर करता है।

कब्ज
कब्ज

भीगे चने खानें के नुकसान

अब जिसके इतने अनगिनत फायदे हो क्या उसके कुछ नुकसान हो सकते है। तो बिल्कुल हो सकते है। हर चीज़ के दो पहलू होते है, इसी प्रकार भीगे चने खाने के तरीके, समय, और मात्रा के कारण ये भी नुकसान कर सकते है।

तो आगे हम आपको बताएंगे भीगे चने खाने के नुकसान

  • जब आप सुबह खाली पेट भीगे हुए चने खाते है तो इससे आपके पेट में गैस बन सकती है, जिस कारण पेट में दर्द हो सकता है।
  • हाई फाइबर होने के कारण डिजेस्टिव सिस्टम एब्नॉर्मल हो सकता है। चने में ‘प्यूरिन’ नामक यौगिक होते हैं जो शरीर के यूरिक एसिड द्वारा टूट सकते हैं जिससे कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • भीगे  हुए चने खाने से पेट में सूजन, ऐंठन, कब्ज और बदहजमी की समस्या भी हो सकती है।
  • अचार,करेला या हाई एसिडिक चीज़ों के साथ आसपास भीगे चने खाने से, हाई एसिडिटी, जलन यहाँ तक कि हार्ट अटैक आ सकता है।
  • हाई प्रोटीन होने के कारण यदि हम इसका ज्यादा सेवन करते है तो ज्यादा प्रोटीन नुकसान करता है।
  • इससे वजन बढ़ना, कब्ज़ ब्लॉटिंग, डिहाइड्रेशन, ऑस्टियोपोरोसिस, और किडनी की बीमारी जैसी समस्याएं हो सकती है
  • इसी प्रकार भीगे चनों से मिलने वाला ज्यादा आयरन भी नुकसानदेह है। ज्यादा मात्रा में भीगे चने खाने से सीने में जलन, उल्टी, दस्त, शरीर में पानी की कमी, लिवर डैमेज, लगातार गिरता बीपी, धडक़नों का घटना-बढऩा हार्ट फेल या किडनी फेल की समस्या हो सकती है।
  • भीगे चनों में पाया जाने वाला फॉस्फोरस यदि अधिक मात्रा में लिया जाए तो इससे हाइपरफॉस्फेटिमिया की समस्या हो सकती है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

चने में पाए जाने वाले पोषक तत्व

पोषक तत्वमात्रा ( प्रति100 ग्राम)
पानी (g) 60.21
ऊर्जा (kcal) 164
प्रोटीन (g) 8.86
कुल फैट(g) 2.59
कार्बोहाइड्रेट (g) 27.42
फाइबर (g) 7.6
कुल शुगर (g) 4.80

मिनरल्स
कैल्शियम (mg) 49
आयरन (mg) 2.89
मैग्नीशियम (mg) 48
फास्फोरस (mg) 168
पोटैशियम (mg) 291
सोडियम (mg) 7
जिंक (mg) 1.53

विटामिन
विटामिन सी (mg) 1.3
थियामिन (mg) 0.116
राइबोफ्लेविन (mg) 0.063
नियासिन (mg) 0.526
विटामिन बी 6 (mg) 0.139
फोलेट (μg) 172
विटामिन बी -12 (μg) 0.00
विटामिन ए (μg RAE) 1
विटामिन ए (IU) 27
विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल),mg0.35
विटामिन डी (डी2 + डी3)00.0
विटामिन डी (IU) 0
विटामिन K1 (फाइलोक्विनोन) (μg)4.0
लिपिडफैटी एसिड कुल सैचुरेटेड (g)0.269फैटी एसिड, कुल मोनोअनसैचुरेटेड (g)0.583फैटी एसिड, कुल पॉलीअनसैचुरेटेड (g)1.156फैटी एसिड, कुल ट्रांस। 0.000
कोलेस्ट्रॉल (मिलीग्राम) 0

इसलिए भीगे चने खाने की शुरुआत करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखे।

  • शुरुआत से ही ज्यादा मात्रा का सेवन न करे।
  • भीगे चने खाने से पहले कोई फल जरूर ले।
  • भीगे चने खाने के आसपास या साथ मे एसिडिक भोजन न करें।
  • गुर्दे की पथरी, पित्त या गठिया से पीड़ित इसका सेवन बिल्कुल भी न करें।

जानिए कैसे करे बिना किसी साइड इफेक्ट्स के करे पेट कम-Pait kam karne ki dawa

जानिए कैसे करे बिना किसी साइड इफेक्ट्स के करे पेट कम

पेट कम करने के लिए अधिकतर लोग एक्सरसाइज, योग, डाइटिंग और घरेलू नुस्खे प्रयोग करते है। पेट अंदर करने के उपाय को अपनाकर सेहतमंद तरीके से मोटापा कम किया जा सकता है पर कुछ लोगों की जिंदगी भागमभाग होती है जिस कारण वे नियमित रूप से इन उपायों को नहीं कर पाते और ऐसे में वे जल्दी पतले होने की दवाई या कोई आसान तरीका जानना चाहते है। आज हम पेट कम करने वाली दवाओ पर चर्चा करेगे जिनके सेवन से कोई नुकसान नही है।

पेट कम करने की दवा-Pait Kam Karne Ki Dawa

‘एग्रीप्योर गार्शिपेन प्लस टेबलेट’

यह आयुर्वेदिक दवा, पेट कम करने में कारगर आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का मिश्रण है। यह पेट कम करने असरदार है। क्योकि ये आसानी से चर्बी उत्पादन रोक देती है और शरीर की जमी हुई चर्बी को जला देती है। शरीर का भरा हुआ कोलेस्ट्रॉल कम करती है। मेटाबॉलिज्म लेवल बढ़ाती है। शरीर का बढ़ा हुआ मोटापा कम करने में मदद करती है। शरीर में स्वाभाविक रूप से काम करती है और कभी कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखाती। यह 100% आयुर्वेदिक दवा है।

दिव्य मेदोहर वटी

यह पतंजलि की आयुर्वेदिक दवा है जो पेट अंदर करने के अलावा पाचन शक्ति को भी दरुस्त करने में कारगर है। ये दिव्य मेदोहर वटी पुरे शरीर का वेट लॉस करने की बजाय पेट कम करने में जादा असरदार दवाई है।

त्रिफला और गुग्गुल इस दवा के प्रमुख सामग्री में से एक है। त्रिफला मोटापा कम करने की आयुर्वेदिक दवाई है जो वसा पचाने की प्रक्रिया में सुधार लाती है। गुग्गल भी त्रिफला की तरह पेट की चर्बी घटाने और वजन कम करने में मदद करती है। दिव्य मेदोहर वटी में कुछ और भी औषधियां मौजूद है जो शरीर में वसा जमा नहीं होने देती और साथ ही फैट लॉस की प्रक्रिया को दरुस्त करने में मदद करते है।

त्रिफला
त्रिफला

ये दवा हार्मोन्स को संतुलन में रखने में मदद करती है। पेट कम के अलावा ये आयुर्वेदिक दवा भूख भी नियंत्रित करती है। ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल को कण्ट्रोल करने में मदद मिलती है। मेदोहर वटी एक हर्बल मेडिसिन है जिससे वजन कम करने के अलावा ताक़त भी मिलती है।

गर्भवती महिला की डिलीवरी के बाद अक्सर वजन बढ़ जाता है और ऐसे में ये वजन कम करने की दवाई काफी सहायक हो सकती है। इस दवा की खुराक प्रयोग करने वाले के वजन और उसकी उम्र के अनुसार दी जाती है। बच्चों के लिए एक से दो गोली, नौजवानों के लिए दो से तीन गोलियां और वृद्ध लोग एक से दो टेबलेट दिन में दो बार ले सकते है। पतले होने के लिए दिन में तीन बार दो से तीन गोली ले सकते है।
दिव्य मेदोहर वटी के अलावा कुछ और पतंजलि दवाईयां भी है जो पेट अंदर करने में मददगार है जो इस प्रकार है।

  • आंवला जूस
  • एलोवेरा जूस
  • त्रिफला गुग्गुलदिव्य गोधन अर्क
  • दिव्या पेय हर्बल टी

वेट लॉस सप्लीमेंट

यह पेट कम करने का कैप्सूल है। ब्लेसिंग ट्री वेट लॉस सप्लीमेंट में ऐसे तत्व शामिल है जिनके द्वारा फैट बर्न होता और भूख पर नियंत्रण रहता है। ये दवा 100% नैचूरल है और इस सप्लीमेंट के साथ अगर आप वर्कआउट एक्सरसाइज भी करते है तो बहुत जल्द आपको अच्छे रिजल्ट देखने को मिल जायेगे इसमें ग्रीन कॉफ़ी बीन और दूसरे तत्वों के कारण वेट लॉस में मदद करता है। यह पेट कम करने के लिए यह सबसे बेस्ट कैप्सूल है।

एप्पल सीडर विनेगर

एप्पल सीडर विनेगर सबसे अच्छा है क्यों की इसके एक नहीं कई अनेक फायदे है। जैसे की वेट लॉस के साथ साथ इससे बाल अच्छे होते है, चेहरे की स्किन पर निखार आता है और हार्ट के लिए भी अच्छा है। ज्यादातर लोग इसे नॉर्मल यूज़ में लेते ही है, इसके कोई भी साइड इफ़ेक्ट या नुक्सान नहीं है इसलिए आप इसे  बेफिक्र होकर यूज़ करे और फायदा उठाये।

फैट बर्नर मेडिसिन

मार्केट में आपको कई तरह के फैट बर्नर टेबलेट मिल जायेगे पर ज्यादातर केस में लोग सही कंपनी का सही प्रोडक्ट पसंद नहीं कर पाते। आपको बता दू की पतले होने के लिए नटुरीज़ ब्रांड का फैट बर्नर सबसे बेस्ट है।इसमें हर वो तत्व शामिल है जो पेट कम करने के लिए जरुरी है जैसे की ग्रीन टी बीन्स, गार्सीनिअ कम्बोगिआ, कैफीन और क्रोमियम। आज तक जिसने भी इस प्रोडक्ट को यूज़ किया है उसमे से 95% लोगो ने इसके पॉजिटिव रिव्यु दिये है।

हीमोग्लोबिन की कमी कैसे दूर करे | हीमोग्लोबिन बढाने के घरेलु उपाय

हीमोग्लोबिन की कमी कैसे दूर करे

हीमोग्लोबिन की कमी कैसे दूर करे

हीमोग्लोबिन की कमी एक सामान्य समस्या है, जिसको हम प्रोटीन भी कह सकते है यह लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) में पाया जाता है। जैसा की हम जानते है की ये लाल कोशिकाए जो हमारे शरीर के चारो ओर ऑक्सीजन ले जाने का काम करती है, क्या आप भी गूगल पर हीमोग्लोबिन की कमी कैसे दूर करे । सर्च करते हुए हमारे इस ब्लॉग पर आये है तो आप बिलकुल सही जगह आये है, आज के इस लेख में हम आपको हीमोग्लोबिन की कमी कैसे दूर करे और साथ ही साथ हीमोग्लोबिन की कमी के कारण और घरेलु उपाय भी बताएँगे ।

हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से अनेक तरह की बीमारी हो सकती है, जैसे अनीमिया, किडनी में दिक्कत, आयरन की कमी इसलिए शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होने दे, आज के इस लेख में हम कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों को बताएँगे जिनसे आप हीमोग्लोबिन को बढ़ा सकते है ।

हीमोग्लोबिन की कमी के कारण

नीचे हम आपको हीमोग्लोबिन के कुछ कारण बता रहे है, क्यूंकि किसी भी बीमारी को सही करने के लिए उसकी बजह पता होना बहुत जरूरी है की वह किन कारणों से हो सकती है, हीमोग्लोबिन के कारण कुछ इस प्रकार है ।

  • आयरन या विटामिन बी -12 की कमी हीमोग्लोबिन जैसी कमी के कारण है ।
  • शरीर में पूर्ण रूप से खून की कमी होना, हीमोग्लोबिन की कमी का मुख्य कारण है ।
  • शरीर में लाल रक्त की कोशिकाओं का नस्ट हो जाना।
  • यदि आपके शरीर में किसी भाग से रक्तस्राव होना या कोशिकाओं का निर्माण काम गति से होना।

हीमोग्लोबिन की कमी कैसे दूर करे

हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के लिए सबसे पहले रोगी को अपने खाने में हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए जैसे मेथी, पालक आदि। साथ ही सलाद, फल का सेवन करने से हीमोग्लोबिन की कमी दूर हो सकती है। नीचे हम आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे है जिनका सेवन करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है।

चुकन्दर

चुकंदर एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन व खून की कमी दूर होती है, इसका सेवन करने से एनीमिया जैसी बीमारी से भी बच सकते है, साथ ही साथ इसकी पत्तियों में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, क्यूंकि चुकंदर की तुलना में इसकी पत्तियों में अधिक गुना आयरन होता है।

चुकन्दर
चुकन्दर

अंगूर

अंगूर जैसे फल में कई तरह के पोषक तत्‍व मौजूद हैं, और आयरन भी अधिक होता है, हीमोग्लोबिन की कमी से सम्बंधित रोगी को अगर इसका सेवन सुबह-शाम करना चाहिए तो वह बहुत ही जल्द ठीक हो सकता है । इसका अधिक सेवन करने से विटामिन सी भी बढ़ती है, जो उम्र को रोकता है ।

बादाम

बादाम जिसमे कैल्शियम, मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है, साथ ही साथ 10 ग्राम ड्राई रोस्टेड बादाम में 0.5 मिलीग्राम आयरन होता है। इसका सेवन करने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।

गुड़ और मूंगफली

जैसा की हम जानते ही है की गुड़ में अधिक खनिज लवण होते है। इसलिए गुड़ और मूँगफली को मिलाकर दोनों को अच्छे से चबाकर इसका सेवन करे, ऐसा करने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती है।

हरी सब्जियां

आपको ऊपर की ओर बताया की हरी सब्जिया हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करने में सबसे ज्यादा लाभदायक होती है, क्यूंकि हरी सब्जियों में हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले तत्व ज्यादा मात्रा में पाये जाते है। इसलिए अपने शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा भरपूर बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां को अपने भोजन में शामिल करे।

अंकुरित आहार

अंकुरित आहार जैसे- चना, मूंगफली, गेहूँ और मोठ आदि इन सब का सेवन अधिक करने से हीमोग्लोबिन की कमी दूर हो जाती है, अगर इसमें आप नीबू मिलाकर सेवन करते है तो और अच्छा रहता है ।

अनार

अनार में कैल्सियम और प्रोटीन, फाइबर कार्बोहाइड्रेट और साथ ही साथ आयरन की भी भरपूर मात्रा होती है, इसलिए रोज़ाना एक गिलास अनार का जूस पीने से हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है और खून की कमी भी नहीं होती हैं ।

सूखी किशमिश

किशमिश में बी1, बी2, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, तथा मिनरल्स, आयरन और कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक होती है, इसका सेवन आप सुबह को खली पेट करे ऐसा करने से हीमोग्लोबिन की कमी दूर होती है ।

सेब

सेब एक ऐसा फल है जो हीमोग्लोबिन के स्वस्थ स्तर को बनाये रखता है, और साथ ही सेब से एनीमिया जैसी बीमारियों के लिए भी लाभकारी होता है। रोज़ाना एक सेब का सेवन करे आपको हीमोग्लोबिन से सम्बंधित रोग की  होगी ।

तुलसी

तुलसी में कई तरह के पोषक तत्‍व मौजूद हैं, जो शरीर में खून की कमी नहीं होने देते है, इसका रोज़ाना सेवन करने से हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है ।

शरीर में हीमोग्लोबिन कितनी मात्रा में होना चाहिए

हमरे शरीर में आयरन की स्वस्थ मात्रा 20-25 ग्राम होना चाहिए, इससे हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती है, और नहीं अधिक होती है, इसलिए शरीर में आयरन की मात्रा स्वस्थ होना चाहिए नीचे हम आपको महिलाएं और पुरुष की हीमोग्लोबिन की मात्रा बता रहे है, इससे काम हो तो डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है ।

महिलाएं के लिए

उम्र 12 से 18 साल के बीच – 12.0 से 16.0 g/dl

उम्र 18 साल से ज्यादा हो तो – 12.1 से 15.1 g/dl

पुरुषों के लिए

उम्र 12 से 18 साल के बीच – 13.0 से 16.0 g/dl

18 साल से ज्यादा हो तो – 13.6 से 17.7 g/dl

जानिए क्या है गिलोय के फायदे आपकी सेहत के लिए-Giloy Ke Fayde

जानिए क्या है गिलोय के फायदे आपकी सेहत के लिए

गिलोय एक बेल रूपी पौधा है, जिसका औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण तथा अत्यधिक प्रभावशाली औषधि पौधा है। इस पौधे का उल्लेख आयुर्वेद में भी किया जाता है। इसे लोगों की कई बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है। आज इस लेख में हम जानेंगे की गिलोय के फायदे क्या है।

इसके क्षेत्र अनुसार तथा भाषाओं के अनुसार इसके कई नाम है; जिनमें से अमृता, गुडूच, चितरंगी आदि। गिलोय आमतौर से जंगलों में तथा पेड़ों के आसपास मिलती है। यह पेड़ों के ऊपर चढ़कर अपना जीवन व्यापन करता है।

वैसे तो इसका पूरा पौधा ही औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, परंतु इसका डंठल अथवा बेला रूपी तना इसका ज्यादा उपयोग में लाया जाता है। इसकी छाल जड़ तना तथा पत्तियों में कुछ फास्फोरस प्रोटीन तथा अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं।

गिलोय का कैसे सेवन करें

गिलोय के डंठल का काढ़ा

गिलोय के डंठल को कुचल कर इसका काढ़ा बनाकर पी सकते हैं तथा इसको अन्य जड़ी बूटी के साथ मिलाकर भी प्रयोग में ला सकते हैं।

गिलोय का चूर्ण

गिलोय का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन दो से 4 ग्राम तक खा सकते हैं तथा इसके विभिन्न भागों का इस्तेमाल भिन्न-भिन्न विधियों का इस्तेमाल करके उपयोग में ला सकते हैं।

गिलोय के फायदे-Giloy Ke Fayde

सर्दी खासी

जब किसी व्यक्ति को सर्दी खांसी तथा जुकाम की समस्या हो जाए तो उसे दो से तीन चम्मच गिलोय का रस हर सुबह पिलाने से खासी काफी हद तक कम हो जाती है तथा आप इसे लगातार उपयोग में लाते हैं दो पूरी तरह से खासी ठीक हो जाएंगे हैं।

खांसी
खांसी

कैंसर

यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, जिससे कि कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायता प्रदान करती हैं। गिलोय का पौधा एक विशेष तथा महत्वपूर्ण औषधि पौधा है वैज्ञानिकों के अनुसार यह भी पता किया गया कि कैंसर पीड़ित मरीजों को किसका रस देने पर लंबे समय तक कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जा सकता है।

मोटे व्यक्तियों के लिए फायदेमंद

गिलोय का इस्तेमाल मोटापा कम करने के लिए भी कर सकते हैं। ज्यादातर लोगों को अपने मोटापे से परेशानी होने लगती है, जिस वजह से वहां चल फिर नहीं सकता हम गिलोय का इस्तेमाल करके इसको दूर कर सकते हैं। गिलोय के जून को एक चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से मोटापा दूर हो जाएगा।

पेट के कीड़े

गिलोय के रस का इस्तेमाल करके हम पेट के कीड़े भी मार सकते हैं जिससे शरीर में खून की कमी तथा उसकी शुद्धता को बरकरार रख सकते हैं कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करें ताकि पूरी तरीके से पेट के कीड़े मर जाए।

डायबिटीज

जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी है वह जानते ही होगे कि इस बीमारी से काफी तकलीफ होती है। लेकिन गिलोय का पौधा डायबिटीज के मरीजों के लिए एक औषधि के रूप में काम करता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण है। गिलोय के तनों से रस निकालकर उसमें थोड़ी हल्दी मिला है और हर सुबह एक चम्मच इसका सेवन रोज करें तो इससे आपकी डायबिटीज नियंत्रित हो जाएगी।

पाचन शक्ति को बढ़ाना

गिलोय के रस को नियमित रूप से पीने से पाचन तंत्र ठीक तरह से काम करते रहता है । इसमें विशेष प्रकार के ऑक्साइड पाए जाते हैं जो पाचन तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है, चाहे तो आप इसे एक चम्मच आंवले के चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन कर सकते हैं।

आंखों की रोशनी

जिन लोगों को कम दिखाई देता है अथवा आंखों से संबंधित विकारों से परेशान है तो वहां गिलोय का पौधा उनके लिए वरदान साबित होगा।

गिलोय का रस का नियमित रूप से सेवन करने पर आपकी आंखों की रोशनी बढ़ जाएगी तथा इससे संबंधित विकार दूर हो जाएंगे। यह पौधा विभिन्न बीमारियों के लिए कारगर साबित हुआ है।

डेंगू में गिलोय का प्रयोग

गिलोय को एक तरह से बुखार नाशक भी कहा जाता है क्योंकि इसमें कुछ अल्कलॉइड्स पाए जाते हैं जो बुखार को कम करने में मदद करते हैं। डेंगू में गिलोय का प्रयोग

जिन लोगों को डेंगू बुखार अथवा सामान्य बुखार की समस्या होता है वह इसका सेवन करें, इससे आपको आराम मिलेगा।

नियमित रूप से यदि कोई व्यक्ति गिलोय के रस का एक से दो चम्मच सुबह तथा शाम सेवन करता है तो वहां बड़े से बड़े बुखार का सामना कर सकता है तथा उससे छुटकारा भी पा सकता है।

ध्यान देने योग्य बातें

गिलोय के पौधे का उपयोग करते समय यह ध्यान में रखे की गिलोय के पत्तों का सेवन ना करें अथवा किसके डंठल का ही प्रयोग करें और आप इसके जड़ों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसका ज्यादा सेवन करने से मुंह में छाले हो सकते हैं तथा इसका उपयोग करने से पहले अपने आसपास के डॉक्टर से सलाह मशवरा करके ही इस्तेमाल करें।

छोटे बच्चों को एक नियमित रूप से ही सेवन कराएं तथा यह भी ध्यान रखें की कम मात्रा ही उनको पिलाना चाहिए।

चांदी का कड़ा पहनने के फायदे है अनेक,जानकार रह जाएंगे दंग

चांदी का कड़ा पहनने के फायदे

सोने और चाँदी के आभूषण देखने में कितने सुंदर लगते है। ये लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते है। आज कल लोगों को खासतौर पर महिलाओं को सोने और चाँदी के आभूषण जैसे अंगूठी, पायल आदि पहनने का बहुत शौक होता है। ऐसे ही लोग चाँदी का कड़ा भी पहनते है।

ये आपके चार्म को बढ़ाता है। साथ ही ज्योतिष और पुराणों के अनुसार भी चांदी का कड़ा पहनने के फायदे अनेक है। सिक्ख धर्म में भी कडा पहनना आवश्यक माना गया है।

चांदी का कड़ा पहनने के फायदे-Chandi Ka Kada Benefits In Hindi

चांदी का कड़ा पहनने की कई फायदे हैं। यह आपके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा को संचारित करता है और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।इतना ही नहीं है यह आपके मन को शांत रखने में भी मदद करता है। तो चलिए विस्तार में जानते हैं चांदी का कड़ा पहनने के फायदे।

चांदी का कड़ा बढ़ाए एकाग्र शक्ति-Chandi Pehnne Ke Fayde

चाँदी अपनी शीतलता के लिए जानी जाती है। इसीलिए चाँदी आपके मन को शांत करती है जिसके कारण आपकी एकाग्र शक्ति बढ़ती है और आप एकाग्र होकर, पूरे ध्यान से किसी भी काम को कर सकते है।

बढ़ाए एकाग्र शक्ति
बढ़ाए एकाग्र शक्ति

बीमारियों को रखे दूर चांदी का कड़ा-Chandi Ka Kada Phene Ke Fayde

आज कल नई नई तरह की बीमारियाँ सामने आ रही हैं और हम सभी इन बीमारियों से बचने की कोशिश करते रहते हैं। ऐसे में आप चाँदी का कड़ा धारण कर सकते है। चाँदी आपको बीमारियों से भी दूर रखने में मदद करती है। चाँदी का कड़ा 20 तरह की बीमारियों को आपसे दूर रखता है।

और पढ़ें: जानिए क्या हैं पीतल के बर्तन में पानी पीने के फायदे

नकारात्मक शक्तियों को रखे दूर चांदी का कड़ा-Chandi Pehnne Ke Fayde

चाँदी का कड़ा धारण करने से नकारात्मक शक्तियाँ भी आपसे दूर रहती हैं और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। चाँदी का कड़े से बच्चों और गर्भ के पल रहे भ्रूण को भी बुरी और नकारात्मक शक्तियों से बचाया जा सकता है।

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चन्द्र से जुड़े दोषों को करे खत्म चांदी का कड़ा-Chandi ka kada pahne ke fayde

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चाँदी को चन्द्र का कारक माना जाता है। इसीलिए यदि आप चाँदी का कड़ा धारण करते हैं तो चन्द्र से जुड़े जितने भी दोष है वो सब खत्म हो जाएंगे।

चांदी का कड़ा करे चुम्बकीय ऊर्जा उत्पन्न-Chandi ka kada pehne ke fayde benefits in hindi

चाँदी एक धातु है। इसलिए चाँदी का कड़ा धारण करने से शरीर में चुम्बकीय ऊर्जा का संचार होता है जो नकारात्मक ऊर्जा को शरीर से बाहर निकाल कर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करती है और बढ़ाती है।

गुस्से को करें कंट्रोल चांदी का कड़ा-Chandi Pehnne Ke Fayde

आज कल तनाव के कारण कुछ लोगों को छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है जो आपके दिमाग और शरीर के लिए ठीक नहीं है। ऐसे में चाँदी का कड़ा धारण करने से आपको बहुत फायदा मिल सकता है। क्योंकि चाँदी शीतल होती है, इसलिए ये आपके दिमाग को शांत रखती है जिस कारण आपको गुस्सा कम आता है।

और पढ़ें: वात रोग क्या है? जानिए कैसे करे वात रोग की पहचान-Vaat Rog Ke Lakshan

दिल के लिए है अच्छा चांदी का कड़ा-Chandi ka kada pehne ke Fayde

चाँदी का कड़ा धारण करना आपके दिल के लिए भी बहुत लाभकारी साबित होता है। ज्यादा गुस्सा करना आपके दिल के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं होता। ऐसे में चाँदी ना केवल आपके गुस्से को कंट्रोल करने में मदद करती है, साथ ही ये आपके ब्लड प्रैशर को कंट्रोल करने में भी मदद करती है। इसके कारण आपका दिल स्वस्थ रहता है।

विषरोधी है चांदी का कड़ा-Silver Bracelet Benefits In Hindi

चाँदी के अंदर विषरोधी गुण पाये जाते हैं। इसलिए चाँदी का कड़ा धारण करने से शरीर में मौजूद विष बाहर निकल जाते हैं। इसके कारण आपकी सुंदरता बढ़ती है और आप स्वस्थ रहते हैं।

मन को करे मजबूत चांदी का कड़ा-Chandi ka kada pehne ke fayde benefits in hindi

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चाँदी चन्द्र के साथ साथ शुक्र का कारक भी मानी जाती है। इसलिए चाँदी का कड़ा धारण करने से शुक्र ग्रह शांत रहता है। शुक्र ग्रह के शांत रहने से आपका मन मजबूत होता है और आप प्रसन्नचित रहते है।

chandi ka kada
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Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

चांदी का कड़ा पहनने से क्या होता है?

चांदी शिवजी के नेत्र से उत्पन्न हुई है अतः चांदी का कड़ा पहनने का अपना महत्व है। ज्योतिषियों के अनुसार चांदी का कड़ा पहनने से चंद्र और शुक्र ग्रह से जुड़े दोष समाप्त और यह ग्रह मजबूत होते हैं जिससे जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है साथ ही मन की एकाग्रता भी बढ़ती है । चांदी शरीर के जल तत्व और कफ को नियंत्रित करती । कड़ा हाथ में धारण करने से कई प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं। ऐसा माना जाता है कि चांदी का कड़ा धारण करने वाले व्यक्ति पर लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहती है।

कड़ा कौन से हाथ में पहनना चाहिए?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चांदी का कड़ा पहनने से चंद्रमा संबंधी दोष दूर होते हैं। चांदी का कड़ा शुक्रवार को बनाना चाहिए और सोमवार के दिन इसे शिव मंदिर में शिवजी के समक्ष रखकर ओम नमः शिवाय का जाप कर अभिजीत मुहूर्त में दाएं हाथ में धारण करना चाहिए इससे मन एकाग्र चित्त रहता है तथा वैभव की प्राप्ति होती है।

चांदी का कड़ा काला क्यों पड़ जाता है?

चांदी के कड़े को लगातार पहनने से वह काला पड़ जाता है । चांदी वायु में उपस्थित हाइड्रोजन सल्फाइड के साथ रासायनिक क्रिया करती है , जब कोई व्यक्ति चांदी का कड़ा लगातार पहनता है तो चांदी पसीने के संपर्क में आती है शुद्ध पसीना हाइड्रोजन सल्फाइड का एक रूप है जिसके कारण चांदी का रंग काला पड़ जाता है।

पुरुषों को हाथ में क्यों पहनना चाहिए कड़ा?

अधिकांश धर्मों में कड़ा पहनना शुभ माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुरुषो को अपनी कुंडली में कमजोर ग्रहों को बलवान करने के लिए कड़ा धारण करना चाहिए। चंद्रमा ग्रह को बलवान करने के लिए चांदी का कड़ा धारण करना चाहिए यह मन को एकाग्र चित्त बनाता है और जीवन में समृद्धि लाता है । यदि कोई पुरुष बार-बार बीमार पड़ता है तो उसे अष्टधातु का कड़ा पहनना चाहिए । इसके अलावा मंगल ग्रह दोष से पीड़ित व्यक्ति को तांबे का कड़ा धारण करना चाहिए । पुरुषों को कड़ा सही विधि और नियमों का पालन करके ही धारण करना चाहिए तभी लाभ प्राप्त होता है ।

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बेहद ही आसान है ड्राई स्कैल्प से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय

ड्राई स्कैल्प से छुटकारा

ड्राई स्कैल्प से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय

ड्राई स्कैल्प से छुटकारा पाने के लिए इस लेख में आपको कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में बताया जा रहा है जो आपके लिए लाभकारी साबित होंगे जहां नुक्से निम्नलिखित है।

सेब का सिरका

यह एक अच्छा तथा सस्ता रास्ता है जिसके माध्यम से आप ड्राई स्कैल्प की समस्या से निदान पा सकते हैं। इसमें आपको ज्यादा तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं है।

इस्तेमाल करने का तरीका

इसमें केवल दो से तीन चम्मच सेब का सिरका और थोड़ी सी रुई की आवश्यकता होती है चाहो तो आप दो से तीन चम्मच पानी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सिरका तथा पानी को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लीजिए उसके बाद रूई की सहायता से आप अपने बालों में लगाएं।

बालों में लगाने का तरीका यह है कि रूई को बालों की जड़ों तक पहुंचा सके जिससे कि वह सिरका नीचे तक अच्छे से पहुंच जाएं इस तरह से यह घरेलू नुक्से को आजमा सकते हैं।

एप्पल साइडर विनेगर
एप्पल साइडर विनेगर

नींबू का रस

यह आमतौर से सभी लोग जानते हैं कि ड्राई स्कैल्प के लिए यह औषधि का काम करता है। नींबू का रस इसलिए लाभदायक होता है क्योंकि इसमें विटामिन सी तथा होता है साथ ही इस में एसिड भी पाया जाता है। विटामिन सी त्वचा से संबंधित विकारों को दूर करता है।

इस्तेमाल करने का तरीका

दो से तीन चम्मच नींबू का रस आपको अपने बालों में 5 मिनट तक रगड़ना है। उसके बाद उसे सूखने के लिए छोड़ दें सूखने के बाद आपको अच्छे पानी से सिर धो लेना है। आप देखेंगे कि आपके सिर में जो ड्राई स्कैल्प है उसमें कमी आ गई है। यह प्रक्रिया लगभग हफ्ते में दो से तीन बार करना है।

एलोवेरा

जैसा कि आप जानते हैं एलोवेरा एक औषधि पौधा है। जिसमें यह भी गुण होता है कि किसी फंगस तथा बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है। इस कारण से हम इसका इस्तेमाल ड्राई स्कैल्प में कर सकते हैं।

इस्तेमाल करने का तरीका

एक एलोवेरा की पत्ती तथा पानी की आवश्यकता होती है। एलोवेरा की पत्ती से जेल निकालकर उसको पानी में मिला दे जिससे की एक जूस बनकर तैयार हो जाएगा। जूस का इस्तेमाल आप अपने सिर में 20 मिनट तक की मालिश करने में करें यह प्रक्रिया हफ्ते में दो बार करें इससे आपको ड्राई स्कैल्प से राहत मिलेगी।

अंडा

एक शोध में पाया गया कि अंडा का इस्तेमाल भी इस ड्राई स्कैल्प के निदान के लिए किया जा सकता है । इसमें ऐसे गुण होते हैं जो स्वास्थ्य के साथ-साथ बालों से संबंधित विकारों को भी दूर करता है।

इस्तेमाल करने का तरीका

आप एक अंडे की जर्दी ले, ऑलिव आयल तथा एक चम्मच नींबू का रस लें इसको अच्छे से मिला ले मिलाने के बाद इस मिश्रण को 15 मिनट के लिए छोड़ दें। 15 मिनट के बाद आप इसको अपने सिर में लगा सकते हैं। लगाने के पश्चात 30 मिनट तक अपने बाल ना धोए उसके पश्चात आप अपने बाल धो सकते हैं।

इस प्रक्रिया को सप्ताह में एक बार या दो बार कर सकते हैं।

मेथी के बीज

मेथी के बीज में भी औषधि गुण होते हैं। यह बालों की मजबूती के साथ साथ हाइड्रेट रखने में भी सहायक होते हैं क्योंकि इन बीजों में निकोटीन एसिड तथा कुछ आवश्यक प्रोटीन पाए जाते हैं जो बालों को स्वस्थ रखने के लिए लाभकारी होते हैं।

इस्तेमाल करने का तरीका

इन बीजों का इस्तेमाल इस प्रकार करें आपको दो चम्मच मेथी के बीज लेना है तथा आधा कप पानी लेना है। मेथी के बीज को पानी में रात भर भिगोकर रख दे सुबह उठकर इसे पीस कर पेस्ट बना ले पेस्ट बनाने के बाद आप अपने बालों में अच्छे से लगाए।
इसे 30 मिनट तक लगाकर रखें तत्पश्चात आप अपने बाल ठंडे पानी से धो ले।

आप देखेंगे कि ड्राई स्कैल्प की मात्रा कम हो गई है।

बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडे में भी एंटीबैक्टीरियल रसायन पाए जाते हैं जिससे आप अपने बालों को स्वस्थ रखने में इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि इसका ज्यादा उपयोग करने से बालों को क्षति भी पहुंच सकती है।

इस्तेमाल करने का तरीका

तीन से चार चम्मच बेकिंग सोडा तथा तीन से चार चम्मच ही गुलाब जल का इस्तेमाल करें। इन दोनों को मिलाकर एक पेस्ट बनाने पेस्ट बनाने के तत्पश्चात 2 मिनट तक अपने बालों में इसे लगाकर अच्छी तरह से मालिश करें।

इस प्रक्रिया को आप चाहो तो सप्ताह में दो से तीन बार कर सकते हैं। यह आपके बालों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

बालों की इस समस्या से लगभग हर कोई परेशान रहता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए लेख में आपको महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। आशा करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे तथा इन घरेलू उपाय को ड्राई स्कैल्प के निदान के लिए उपयोग करेंगे।

जानिए कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें- Cholesterol Kam Karne Ke Upay In Hindi

कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें

हमारे बॉडी मे बहुत से कोशिकाओं होती है इन्हे सही से काम करने के लिए किसी भी प्रकार की रुकावट नही चाहिए होती है। परंतु व्यक्ति के गलत खान पान के कारण शरीर मे बहुत सी बीमारिया पैदा हो जाती है। बहुत बार व्यक्ति ऑइल की चीजे ज्यादा खाता है जिससे उसके बुरे प्रभाव उसके शरीर पर पड़ते है। ज्यादा ऑइल का खाना शरीर मे कोलेस्ट्रोल की समस्या पैदाकर देता है। कोलेस्ट्रोल की समस्या से मोटापा, सिर दर्द, सांस फूलना, बेचेनी, सिने मे दर्द, हार्ट के बीमारी आदि होने लगती है। जब कोलेस्ट्रोल बढ़ता है तो यह बीमारिया आम तोर पर होना शुरू हो जाती है। इसके लिए व्यक्ति बहुत से उपाय करने लगता है जिससे कोलेस्ट्रोल कम किया जा सके। तो आइये जानते है कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें ।

कोलेस्ट्रॉल क्या है?

कोलेस्ट्रोल एक वसा से भरा तरल की तरह होता है, जो हमारे लिवर से पैदा होता है। यह हमारे शरीर की कोशिकाओं की दीवारों, हॉर्मोस को बनाये रखने मे, नर्वस सिस्टम के सुरक्षा कवच के लिए जरूरी होता है। बॉडी मे दो तरह के कोलेस्ट्रोल होते है जैसे एक अच्छा दूसरा बुरा। अच्छा कोलेस्ट्रोल काफी हल्का होता है, बुरा ज्यादा गाढ़ा होता है जो हमारे आर्टरी की दीवारों पर जमा होता है। इससे खून का बहाव रुक जाता है।

कोलेस्ट्रोल कैसे कम करें-Cholesterol Kam Karne Ke Upay In Hindi

कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए हमने नीचे कुछ खाद्य सामाग्री के बारे मे बताया है जिससे व्यक्ति आसानी से अपने बढ़ते हुये कोलेस्ट्रोल को कम कर सकता है। चलिये जानते है कैसे?

ऑलिव ऑयल

कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए ऑलिव ऑयल का उपयोग करना चाहिए क्यूकी इसमे अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल के लेवेल को कम करने के गुण होते है जो कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने से रोकते है। यह हमारे शरीर मे ऑर्टरी को मजबूत बनाए रखता है।
ऑलिव ऑयल हमारे हार्ट के लिए भी सही होता है।

ऑलिव ऑयल ब्लड प्रेशरशुगर के लेवेल को बनाए रखता है। ऑलिव ऑयल का लगातार 6 महीने से ज्यादा काम मे लेने से यह आपका 8-10% कोलेस्ट्रोल घटा देता है।

नींबू

नींबू को कोलेस्ट्रोल कम करने का एक अच्छा स्त्रोत माना गया है। इसमे घुलनशील फाइबर होते है जो हमारे पेट के लिए अच्छे होते है।

नींबू
नींबू

यह हमारे पेट मे कोलेस्ट्रॉल को खून के साथ मिलने से रोकने मे मदद करता है। इसके अंदर पाये जाने वाला विटामिन सी खून की नालियो की सफाई करता है। यह हमारे बड़े हुये कोलेस्ट्रोल को बाहर निकाल देता है। इसके आप खटे फलो को खा सकते है, क्यूकी इनमे एंजाइम्स होते है जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को तेज करते है, जिससे आप कोलेस्ट्रॉल को घाटा सकते है।

सोयाबीन और दालें

कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए व्यक्ति को अंकुरित चीज़ों को खाना चाहिए, इसलिए सोयाबीन और दालें का सेवन करना जरूरी है, क्यूकी अंकुरित अनाज मे खून मे पाये जाने वाले एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने मे लिवर की सहायता करता है।

यदि इन चीज़ों को सही से सेवन नही किया जाता है तो यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ा भी सकती है।

ओट्स

ओट्स मे मोजूद फाइबर हमारे शरीर मे कोलेस्ट्रॉल को कम करने मे मदद करता है। ओट्स मे बीटा ग्लूकॉन होता है जो हमारी आंत की सफाई करता है।

जिससे हमारी कब्ज की परेशानी दूर हो जाती है। इससे खराब कोलेस्ट्रॉल को ख़त्म कर देता है। यदि इसका लगातार सेवन करते रहने से यह 3 महिनो मे ही 6-7 % कोलेस्ट्रॉल को कम कर देता है।

लहसुन

लहसुन को आम तौर पर बहुत से बीमारी के काम मे भी लिया जाता है। इसमे पाये जाने एंजाइम्स कोलेस्ट्रॉल को घटाने मे मदद करते है।

यदि हम लहसुन का रोजाना सेवन करते है तो लगभग 10-15% तक कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते है। यह हमारे ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।

कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय है ड्राई फ्रूट्स

कुछ ड्राई फ्रूट्स जिनमे फाइबर पाये जाते है जैसे पिस्ते, अखरोट और बादाम आदि है। इन ड्राई फ्रूट्स मे ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो की कोलेस्ट्रॉल को कम करने मे हमारी मदद करता है।

इसमे फाइबर ज्यादा होता है ,जो हमे पेट के भरे रहने का अहसास करवाते है। इससे फालतू की चीजे खाने से बच सकता है।

विटामिन ई के फायदे और नुकसान जो नहीं जानते होंगे आप

विटामिन इ के फायदे और नुकसान

हेलो दोस्तों कैसे हो आप मै उम्मीद करता हूँ आप सब ठीक होंगे अगर आप भी इंटरनेट पर विटामिन ई के फायदे और नुकसान से सम्बंधित कोई जानकारी खोज रहे थे तो आप बिलकुल सही जगह पर हो। क्यूंकि आज की इस पोस्ट में हम लोग जानेगे विटामिन ई कैप्सूल खाने के फायदे।

शायद आपने ये देखा ही होगा या आप जानते होंगे की विटामिन इ कुछ फलो और ड्राई फ्रूट्स में पाए जाते है जो हमारी सेहत के साथ साथ हमारी त्वचा और सौन्दर्य को भी निखारता है।

सोर्स ऑफ विटामिन इ-विटामिन इ किसमें पाया जाता है?

सोयाबीन, जैतून, तिल के तेल, सूरजमुखी, पालक, ऐलोवेरा, शतावरी आदि में विटामिन इ के गुण पाए जाते है तो चलिए अब जानते है विटामिन इ होता क्या है?

विटामिन इ बसा में आसानी से घुल जाने वाला एक पदार्थ है। इसमें बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण मैजूद होते है जो हमारी बॉडी के लिए फायदेमंद है। ज्यादातर लोग विटामिन ई कैप्सूल का सेवन अपने स्किन और त्वचा के लिए ही करते है।

एलोवेरा
एलोवेरा

कई खाद्य पदार्थो में विटामिन इ की मात्रा पाई जाती है जो मैं आपको ऊपर की ओर बता चूका हु। ये त्वचा के लचीलेपन को बनाये रखता है बालो का गिरना, झुर्रिया पड़ना और त्वचा का फटना ऐसी समस्याओ से राहत मिलती है। ये सारी समस्याएं हमारी कोशिकाओं के द्वारा होती है जिनको हम इंग्लिश में रेडिकल्स बोलते है। विटामिन इ का इस्तेमाल वैसे तो कहा जाता है की बाजार में मिलने वाली हरी सब्ज़ियों में भी विटामिन इ पाया जाता है।

विटामिन ई के फायदे

अगर आपके स्किन और बाल बहुत ज्यादा खराब हो गए हैं और आपको लगता है की अब सब्ज़ियों से मुझे कोई फायदा नहीं होगा। तो आप विटामिन ई के कैप्सूल ले सकते हैं। किसी भी अच्छे मेडिकल शॉप या पतंजलि स्टोर पे विटामिन ई कैप्सूल हमेशा मौजूद रहते है। आप वहाँ पर जाकर विटामिन ई कैप्सूल खरीद सकते हो और उन्हें खा सकते हो।

विटामिन ई के फायदे-बालों के लिए

अगर आपकी त्वचा और स्किन से सम्बंधित कोई प्रॉब्लम है साथ ही आपको बालो से रिलेटेड कोइ दिक्कत है तो आपको विटामिन ई कैप्सूल में सूई से छेद करके सारा ज़ेल निकाल लेना है और उसे रात को सोने से पहले बालों में लगाकर सो जाना है। फिर सुबह उठकर बालों को धो लें ऐसा लगतार हफ्ते करने से आपको फायदा होगा इससे बालों को पोषक-तत्व प्राप्त होंगे और बाल शाइन करने लगेंगे।

स्किन के लिए-Vitamin E Capsule Face Pe Kaise Use Kare

विटामिन ई के फायदे विटामिन ई कैप्सूलों का उपयोग कई तरह के सौंदर्य की परेशानिओ में किया जाता है। इसका अहम कारण है कि यह एक बेहतरीन क्लिंजर है जो त्वचा की सारे पार्ट्स और अंगो में जमी गंदगी और मृत कोशिकाओं की सफाई करने में सहायक है।

विटामिन ई डैड यानि मृत स्किन कोशिकाओं को हटाकर हटाकर नई स्किन कोशिकाओं को जल्दी लाने में अधिक मदद करता है । इसलिए ये स्किन के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसी तरह ये बालों को एंटीऑक्सीडेंट प्रदान कर उन्हें शाइन करने में मदद करते हैं ये बालो के लिए भी उचित फायदेमंद होता है।

विटामिन ई के फायदे-प्रेग्‍नेंसी के दौरान

हमारे शरीर में रेड ब्‍लड सेल्‍स यानि लाल रक्‍त कोशिकाओं का निर्माण करने में विटामिन-ई बहुत ही ज्यादा सहायक है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान विटामिन- ई का सेवन बच्‍चे में एनीमिया मतलब खून की कमी से छुटकारा दिलाता है।

विटामिन ई के फायदे-बढ़ती उम्र के असर को कम करने के लिए

अगर उम्र से पहले हीआपके बाल सफ़ेद हो रहे है तो आप विटामिन ई कैप्सूल का उपयोग करे क्योकि विटामिन ई कैप्सूल बालो को सफ़ेद होंने से बचाता है।आप विटामिन इ कैप्सूल की जगह पर विटामिन का तेल भी अपने बालो पर लगा सकते हो। ऐसा करने से भी आपको उचित फायदा होगा।

विटामिन ई के कैप्सूलों में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा यह झुर्रियों को भी जड़ से ख़त्म करने में सहायक है।

विटामिन ई के फायदे-कमज़ोरी कम करने के लिए

विटामिन ई के कैप्सूल का सेवन करने से शरीर से तनाव थकन मिटाने में सहायता मिलती है व् शरीर में नया जोश और ताकत प्राप्त होती है। विटामिन इ की कमी से मानसिक रोग बढ़ जाते है जिस कारण लोगो को कमज़ोरी महसूस होती है उनके लिए भी विटामिन ई के कैप्सूल काफी हद तक फायेमंद साबित होते है।

अकसर देखा गया है की जिन लोगो को कैंसर की बीमारी होती है उन लोगो में विटामिन की कमी होती है तो डॉक्टर उन लोगो को विटामिन ई के कैप्सूल खाने की सलाह देते है अगर आपको भी इससे सम्बंधित कोई तकलीफ है तो आप बिटामिन इ के कैप्सूल का सेवन कर सकते है।

सिर के पीछे दर्द क्यों होता है-Sir Ke Pichle Hisse Me Dard Ka Ilaj

सिर के पीछे दर्द

सिरदर्द एक ऐसी दिक्कत है जो आजकल बच्चो से लेकर बूढ़े लोगो तक मे देखी जाती है। सिर दर्द को बहुत ही साधारण तरीक़े से समझा और माना जाता रहा है। यूं तो सिरदर्द, माथे में, कनपटी में, पूरे सिर में कहीं भी हो सकता है। पर आज इस आर्टिकल में हम सिर के पीछे दर्द की बात करेंगे।

सिरदर्द, नींद न पूरी होने से, आंखे कमजोर होने या गलत नम्बर का चश्मा पहनने अथवा तेज शोर में रहने से भी हो सकता है। यही सिर दर्द कभी कभी बहुत गम्भीर बिमारीयो को सूचक होता है। लगातार पेन किलर्स के सहारे इसे नजरंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

सिरदर्द, सिर के किस हिस्से में हो रहा है, ये बात बहुत ही ज्यादा मायने रखती है। क्योंकि हर प्रकार की बीमारी या समस्या का सिरदर्द अलग अलग हिस्से में हो सकता है।

सिर के पिछले हिस्से में दर्द दरअसल, शुरुआत में कान के आसपास से शुरू होता हुआ फैलता है।

सिर के पिछले हिस्से में होने वाले दर्द के कारण

ऑक्सीपिटल नेयुरेल्जिया(occipital neuralgia)

ये दर्द, सिर के occipitial हिस्से अर्थात occipital नर्व्स से सम्बंधित है। occipital नर्व्स में होने वाला ये दर्द बहुत ही भयंकर होता है। ये दर्द हूल की तरह उठता है।

सिर के पिछले हिस्से से फैलता हुआ आंखों तक महसूस होने लगता है।

उपाय

  • इसका उपाय केवल न्यूरोलॉजिस्ट से उचित सलाह व फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट लेना है।

क्लस्टर सिरदर्द

क्लस्टर सिरदर्द दरअसल माइग्रेन से अलग होता है। इसका पैटर्न बहुत ही अजीब होता है। कई बार ये दिन में लगातार बना रहता है, और कई बार दिन के किसी विशेष समय पर होता है।

ये पूरे महीने में कुछ समय के अंतराल पर हो सकता है या फिर कई महीनों बाद अचानक अटैक आ सकता है।

ये दर्द सिर के किसी एक हिस्से में या फिर एक आंख के आसपास के हिस्से में इतना तेज, चुभने वाला दर्द होता है कि व्यक्ति नींद से भी जाग जाता है। ज्यादातर ये दर्द कनपटी और ललाट में होता है पर सिर के पिछले ग   हिस्से में भी ये दर्द भयानक रूप से होता है।

उपाय

  • अल्कोहल और स्मोकिंग से न करें।
  • बहुत ज्यादा गर्मी या गर्म वातावरण में ज्यादा व्यायाम करने से बचें

तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द

इस समय तनाव या वर्कलोड से होने वाला सरदर्द सबसे आम है, वर्किंग लोग घण्टो वर्क लोड के , बुक्स लिए, मोबाइल लिए, गर्दन झुकाए बैठे रहते है। और नतीजा होता है सिर के पीछे होने वाला सिरदर्द। ये सिरदर्द दरअसल गर्दन और कंधों पर पड़ने वाले प्रेशर का नतीजा होता है।

तनाव
तनाव

उपाय

  • समय-समय पर आराम करते रहें
  • अपने डेस्क, कुर्सी औऱ कंप्यूटर को ठीक तरीके से व्यवस्थित करें
  • फोन पर बात करने की गलत मुद्रा से बचें
  • दिन में कई बार, 30 मिनट तक दर्द वाली जगह पर बारी-बारी बर्फ़ रखने और गर्म सिकाई करने, स्ट्रेचिंग करें
  • योगा, मैडिटेशन करें।

साइनसाइटिस

मैक्सिलरी साइनस दरअसल खोपड़ी में एक कैविटी यानी खाली जगह होती है। जब इसमे प्रदूषण, एलर्जी, अस्थमा या नाक की हड्डी बढ़ने के कारण सूजन आ जाती है तो सांस लेने के लिए अत्यधिक जोर लगाना पड़ता है। सांस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, इस दर्द का अनुभव आप सिर के पीछे, माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आस-पास महसूस कर सकते हैं।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह लें

वर्टिब्रल आर्टरी डाईसेक्शन

वर्टिब्रल आर्टरी गर्दन कि मुख्य आर्टरी होती है। जब इस आर्टरी पर किसी भी तरह को कोई दबाव पड़ता है तो भयंकर दर्द का अहसास होता है।

ये दर्द सर के पिछले हिस्से से होता हुआ जबड़ो तक आता है।

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

लिम्फ नोड की सूजन

कान के पीछे के लिम्फ नोड होते है जोकि कभी कभी सूज जाते है। खोपड़ी, कान, आंख, नाक और गले के संक्रमण से लिम्फ नोड में सूजन आ सकती है। कारण हो सकते हैं. इस तरह के दर्द भी काफी कष्टदायक साबित होते हैं.

उपाय

  • डॉक्टर से सलाह ले।

इसके अलावा सिर के पीछे दर्द होने के कुछ अन्य कारण है

  • दिमागी बुखार
  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस
  • सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
  • ब्रेन ट्यूमर
  • कंधा जाम होना
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