बालों की मेहंदी में क्या मिलाये, जिससे निखरे बाल-Balo Ki Mehndi Me Kya Milaye

बालो की मेहंदी में क्या मिलाएं

बालो की खूबसूरती चेहरे की खूबसूरती का अहम हिस्सा होती है। बाल लंबे हो न हो पर काले घने और रेशमी जरूर हो। यूँ तो आजकल बालो की खूबसूरती के लिए बहुत से ट्रीटमेंट उपलब्ध है, लेकिन अंत मे ये सब तरीके बालो को खराब ही करते है। क्योंकि इन सब तरीको में केमिकल और मशीनों का प्रयोग किया जाता है। आज कल खाने पीने में मिलावट, हार्मोनल डिस्टर्बेंस और पॉल्युशन के कारण बाल समय से पहले ही सफेद हो रहे है। सफेद बालों के लिए भी लोग केमिकल हेयर डाई का प्रयोग कर रहे है, जो न केवल बालो को नुकसान पहुंचाती है बल्कि आंखों पर भी बुरा असर डालती है।

ऐसे में आपके लिए सबसे बेहतरीन विकल्प है मेहंदी, जो न केवल सफेद बालों को छुपाती है बल्कि उन्हें कंडीशन भी करती है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे की बालों की मेहंदी में क्या मिलाये जिससे बालो को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो।

बालों की मेहंदी में क्या मिलाये-Balo Ki Mehndi Me Kya Milaye

अंडे

यदि आप केराटिन ट्रीटमेंट जैसे रेशमी मुलायम बाल घर मे चाहते है तो अंडे से बेहतर कुछ नही है। यदि आपके घर मे अंडे इस्तेमाल किये जाते है तो मेहंदी में इसका प्रयोग जरूर करें।

अंडे में प्रोटीन, सिलिकॉन, सल्फर, विटामिन डी और विटामिन ई होता है जो आपके बालों को पोषण देता हैं। अंडा बालों पर सॉफ्टिंग इफेक्ट डालता है खासतौर पर ड्राई हेयर वालों के लिए यह बहुत ज्यादा फायदेमंद है।

अंडे का प्रोटीन कंटेन्ट यानी इसका पीला भाग बालों को मजबूत बनाता है जबकि सफेद हिस्सा बालों को साफ करता है।

दही

बहुत से लोग केवल इसलिए मेहंदी नही लगाती क्योंकि मेहंदी लगाने से उनके बाल रूखे हो जाते है। ऐसे में यदि वे अंडे का प्रयोग करने में हिचकिचा रहे हो तो दही उनके लिए सबसे बेस्ट हैं।

दही न केवल बालो को कंडिशन देगी बल्कि उन्हें रेशमी मुलायम भी बनाएगी।

दही
दही

कॉफी

अगर आप चाहते है की मेहंदी का रंग बालो पर अच्छे से चढ़े तो कॉफी का इस्तेमाल करे। जब आप मेहंदी घोल ले तो इसमें एक या दो कॉफी का पाउच अपने बालों के अनुसार मिला ले। इसे आप पाउडर या लिक्विड दोनों रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

ये बालों में कलर करने और सफेद बालों को छिपाने में मदद करती है। लिक्विड के रूप में प्रयोग करने के लिए थोड़े से पानी में कॉफी डालकर पानी को अच्छे से उबाल लें।

ठंडा होने के बाद उस पानी को मेहंदी पाउडर में डालकर मेहंदी घोल लीजिए।

चायपत्ती

चायपत्ती में उपस्थित टैनिन तत्व बालो को चमकदार और मुलायम बनाता है। इसके लिए चाय पत्ती को पानी में उबाल कर मेहंदी पाउडर में मिक्स कर लीजिए और रातभर ऐसे ही रहने दें।

इसके इस्तेमाल से बालों में रुखापन नहीं आएगा और वे पहले से अधिक मुलायम लगेंगे।

निम्बू

अगर आपके स्कैल्प पर डेंड्रफ या कोई फंगल इन्फेक्शन है तो निम्बू से बेहतर कुछ नही है। नींबू का रस बालों से डैंड्रफ दूर करने और स्कैल्प के फंगल इन्फेक्शन को खत्म करने में मदद करता है।

लेकिन निम्बू का रस ज्यादा मात्रा में न डाले। क्योंकि निम्बू का खट्टापन मेहंदी का कलर हल्का कर देगा।

बालों में मेहंदी लगाने की सामग्री इन हिंदी-Balo Me Mehndi Lagane Ki Samagri

अन्य टिप्स

  • यदि आप बालों में लाल या गोल्डन की जगह, अन्य रंग देखना चाहते हैं, तो गुड़हल के फूल क्रश करके डालें।
  • ठंड के मौसम में मेहंदी पेस्ट में कुछ लौंग डाल दें। मेहंदी लगाने के बाद अदरक, तुलसी की चाय जरूर लें।
  • ठंड में आप मेहंदी में तेल, चाय पानी या कॉफी जरूर मिक्स करें। सूखा आंवला, चुकन्दर जूस, दालचीनी, अखरोट, कॉफी कुछ ऐसे तत्व हैं, जिसे आप मेहंदी में मिक्स कर सकते हैं।
  • बालों में मेहंदी लगाने से पहले उसे रात भर लोहे के बर्तन में भिगो ले।एक चम्मच मेथी का पावडर मिला लें। ये बालों को असमय सफेद होने से बचाएंगे।
  • मेहंदी पाउडर में निम्बू की जगह संतरे का रस भी मिला सकते हैं।
  • मेहंदी लगाकर पॉली कैप पहन लें, इससे मेहंदी सूख कर कड़ी नही होगी और बाल जड़ो से कमजोर नही होंगे।
  • सर्दियों में मेहंदी लगाने के बाद और मेहंदी धोने के बाद धूप में जरूर बैठे।
  • मेहंदी कम से कम 1घण्टे जरूर लगाएं।
  • मेहंदी लगाते हुए हाथों में ग्लव्स जरूर पहने अन्यथा हाथ देखने मे बहुत ही खराब लगेंगे।

मेहंदी का अच्छा असर कैसे दिखेगा

मेहंदी को बालों से धोते समय शैम्पू न करें। केवल पानी से साफ करें। बाल सूखने पर तेल से बालों की अच्छे से मालिश करें।

सुबह जब आप बालों को शैम्पू करेंगी, बालो की खूबसूरती अलग ही दिखाई देगी।

जानिए आपकी सेहत के लिए क्या है फिगारो आयल के फायदे

फिगारो आयल के फायदे

फिगारो जैतून का तेल आज के समय में सिर्फ किचन तक ही सीमित नहीं है। यह तेल बालों की देखभाल, त्वचा की नमी और दिल की सेहत के लिए भी बेहद उपयोगी है। इसके पोषण तत्व इसे एक हेल्दी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि फिगारो जैतून का तेल के फायदे क्या हैं, इसे कैसे इस्तेमाल करना चाहिए, और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

फिगारो जैतून का तेल क्या है?

फिगारो जैतून का तेल (Figaro Olive Oil) एक उच्च गुणवत्ता वाला ऑलिव ऑयल है, जो यूरोपियन तकनीक से निर्मित होता है। यह दो प्रकार में मिलता है:

  • एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल
  • रिफाइंड ऑलिव ऑयल

दोनों ही प्रकार स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं, लेकिन उपयोग के आधार पर इनका चयन किया जाना चाहिए।

फिगारो जैतून का तेल के फायदे

1. बालों की सेहत के लिए लाभकारी

  • यह तेल बालों की जड़ों तक पोषण पहुंचाता है।
  • डैंड्रफ कम करता है और बालों को झड़ने से रोकता है।
  • बालों को मुलायम, चमकदार और घना बनाता है।

उपयोग: हफ्ते में दो बार हल्का गर्म फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाएं और 1 घंटे बाद शैम्पू करें।

2. त्वचा के लिए बेहतरीन मॉइश्चराइज़र

  • सूखी और बेजान त्वचा को हाइड्रेट करता है।
  • झुर्रियों को कम करने और त्वचा को जवान बनाए रखने में मदद करता है।
  • सनबर्न और स्किन इरिटेशन में राहत देता है।

उपयोग: नहाने के बाद या रात को सोने से पहले त्वचा पर लगाएं।

3. दिल की सेहत के लिए लाभदायक

  • इसमें पाए जाते हैं मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स जो “अच्छे कोलेस्ट्रॉल” को बढ़ाते हैं।
  • नियमित सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
  • ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

उपयोग: खाने में सलाद ड्रेसिंग या हल्की आंच पर खाना बनाने में इस्तेमाल करें।

4. वजन घटाने में मददगार

  • यह तेल शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारता है।
  • लंबे समय तक पेट भरा महसूस होता है जिससे ओवरइटिंग नहीं होती।
  • वजन घटाने वाली डाइट का हिस्सा बन सकता है।
वजन कम करने में मदद करे
वजन कम करने में मदद करे

5. बच्चों की मालिश के लिए सुरक्षित

  • नवजात शिशु की त्वचा के लिए बिल्कुल सुरक्षित।
  • हड्डियों को मजबूत बनाता है और त्वचा को मुलायम रखता है।
  • सर्दियों में त्वचा को ड्राय होने से बचाता है।

फिगारो जैतून का तेल कैसे करें इस्तेमाल?

  • बालों के लिए: हल्के गर्म तेल से मालिश करें।
  • त्वचा के लिए: नहाने के बाद त्वचा पर लगाएं।
  • खाने में: सलाद, सूप, पास्ता आदि में मिलाएं।
  • शिशु मालिश के लिए: नहाने से पहले बच्चों के शरीर पर लगाएं।

सावधानियाँ

  • तेज़ आंच पर इस तेल को गर्म न करें, इसके पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं।
  • ऑयली स्किन वाले लोग पहले पैच टेस्ट करें।
  • तलने (Deep Fry) के लिए उपयोग करने से बचें।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. क्या फिगारो जैतून का तेल खाना पकाने के लिए सुरक्षित है?
    हाँ, यह हल्की आंच पर खाना पकाने और सलाद ड्रेसिंग के लिए उपयुक्त है।
  2. क्या फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाने से फायदा होता है?
    जी हाँ, यह बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
  3. क्या यह बच्चों के लिए सुरक्षित है?
    हाँ, यह शुद्ध और हल्का होता है, इसलिए बच्चों की मालिश के लिए बेहतरीन है।
  4. क्या इसे रोजाना त्वचा पर लगा सकते हैं?
    अगर आपकी त्वचा सूखी है तो रोजाना इस्तेमाल फायदेमंद है।

निष्कर्ष

फिगारो जैतून का तेल एक ऑल-राउंडर हेल्थ और ब्यूटी प्रोडक्ट है। यह बालों, त्वचा, दिल और यहां तक कि बच्चों की केयर में भी कारगर है। अगर आप एक ऐसा प्राकृतिक तेल ढूंढ रहे हैं जो कई तरह से फायदेमंद हो, तो फिगारो जैतून का तेल आपकी पहली पसंद होनी चाहिए।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

फिगारो तेल से क्या फायदा होता है?, फिगारो ऑयल के क्या फायदे हैं?

फिगारो जैतून का तेल एक मल्टीपरपज़ ओयल है, ये भोजन में और त्वचा तथा बालों में लगानें के काम आता है, इसमें बेहतरीन ऐंटीआक्सीडेंटस और फैट एसिड होते हैं, जिससे ये हार्ट के लिए बहुत लाभदायक होता है। इस तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है, इसे कई तरह के उबटन में मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं, होठों पर लगाने से होठ फटना बंद हो जाते हैं । नवजात शिशुओं की हड्डियों और बालों के लिए काफी लाभकारी है, बहुत प्यार से फिगारो उनकी नाजुक त्वचा का पोषण करता है।

जैतून का तेल बच्चों को कब लगाना चाहिए?

जैतून का तेल शिशु की त्वचा के लिए बहुत लाभकारी होता है, जब बच्चा पेट दर्द की वजह़ से रो रहा हो तो उसकी नाभि के आसपास हल्के हाथ से तेल की मालिश कर सकते हैं और ये जन्म के हफ्ते भर बाद से ही किया जा सकता है, इसके अलावा पूरे शरीर की मालिश भी हफ्ते बाद ही शुरू कर सकते हैं और डायपर रैशेज पर भी लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जब शिशु छः माह का हो जाए तो उसके खानें में भी एक चौथाई चम्मच जैतून का तेल यूज किया जा सकता है।

जैतून का तेल फेस पर लगाने से क्या होता है?

जैतून का तेल फेस पर लगाने से एक रात में ही आपको ग्लो महसूस हो जाता है, रात को सोने से पहले अपना फेस साफ करके उस पर तेल की 4 बूंदें लेकर मसाज करें। चेहरे और गर्दन पर सिर्फ 2 मिनट की मसाज करें और फिर सो जाएं। सुबह उठकर ग्लो खुद ब खुद देखें, जैतून के तेल में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह तेल आपकी त्वचा का रंग निखारने में बहुत अहम रोल निभाता है। यह स्किन सेल्स की रिपयेरिंग स्पीड को बढ़ा देता है इसलिए सिर्फ एक रात में ग्लो पा सकते हैं।

जैतून का तेल 100 ग्राम कितने का मिलेगा?

गुणवत्ता और पैकेजिंग बोट़ल के अनुसार जैतून के 100 ग्राम तेल के दाम भिन्न भिन्न होते हैं, तेल की शुद्धता, कम्पनी का नाम और पैकजिंग की क्वालिटी ये सब बातें दाम में भिन्नता पैदा करती हैं, इसलिए बाजा़र में अलग अलग कम्पनी के तेल थोड़ा ऊपर नीचें दामों में उपलब्ध हैं जो 95 रुपये से लेकर 160 रूपये तक के बीच में है। ये आपके अनुभव के ऊपर आधारित है कि आपको किस कम्पनी का तेल सूट करता है, बेहतर लगता है।

बच्चों की मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल जो है बहुत ही फायदेमंद

मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल बच्चे के लिए

बच्चो की मालिश की परंपरा सदियों से रही है। चाहे वो हमारी दादी नानी हो या आधुनिक डॉक्टर्स सभी बच्चे की मालिश को जरूरी मानते है। बच्चे की मालिश करने से बालक शारीरिक रूप से मजबूत है। बालक के सर्वागीण विकास के अतिरिक्त एक प्रेम से परिपूर्ण सम्बन्ध माँ और बालक के बीच स्थापित होता है।

मालिश से बच्चे के मसल्स और हड्डियां मजबूत बनती है, बच्चा मानसिक रूप से रिलैक्स महसूस करता है। अब बात करते है मालिश के तेल की, तो कई बार माए उलझन में रहती है कि कौन से तेल से मालिश करें। या किस मौसम में कौन सा तेल बेहतर रहेगा। तो आज इस आर्टिकल में हम उन्ही उलझनों को सुलझाएंगे। हम आपको बताएंगे कि मौसम और बच्चे के हिसाब से मालिश का तेल कैसे चुने।

बच्चे की मालिश के फायदे

  • हड्डियों और मसल्स को मजबूती मिलती है।
  • प्रेम भावना को जाग्रत करने वाला हार्मोन ऑक्सिटोसिन रिलीज होता है, माँ और बच्चे के बीच रिश्ता मजबूत होता है।
  • खून का दौरा बढ़ने के साथ साथ पाचन शक्ति मजबूत होती है।
  • मानसिक विकास होता है।
  • शिशु को नींद अच्छी आती है।
  • स्किन सॉफ्ट होती है।
  • डाउन सिंड्रोम और सेरेब्रल पाल्सी जैसे रोगों में मालिश काफी प्रभावी होती है

मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल

मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल का कोई पैमाना नही है। हर तेल अपने आप में बहुत स्व गुण लिए होता है। हर मौसम का अपना तेल होता है। इसी प्रकार प्रत्येक तेल प्रत्येक बच्चे के लिए नही होता। तो हम तेलों को इसी आधार पर बांटकर उनके गुणों की बात करेंगे।

सेंसिटिव स्किन वाले शिशु के लिए मालिश का तेल

कैमोमाइल तेल

कैमोमाइल तेल
कैमोमाइल तेल

इसके लिए आप कैमोमाइल बेबी आयल का इस्तेमाल करे। यह बच्चों की मालिश के लिए एक बढ़िया बेबी आयल है। बच्चे की त्वचा सेंसिटिव होने या उस पर रैशेज होने पर केमोमाइल ऑयल से फायदा होता है।

अगर आपको लगता है कि शिशु कोलिक पेन से परेशान है तो कैमोमाइल ऑयल से मालिश करे। ऐसा करने से शिशु को आराम मिलेगा।

टी ट्री तेल

इस तेल में एंटीबैक्टेरियल और एंटीफंगल गुण होते है, इसलिए ये सेंसिटिव त्वचा के लिए बेस्ट है। लेकिन ये तेल बहुत ही स्ट्रांग होता है तो इसे डायरेक्ट बच्चे की स्किन पर अप्लाई न करे।

किसी दूसरे तेल में इसकी कुछ बूंदे मिलाकर प्रयोग करे। 6 माह से छोटे बच्चे के लिए इसका प्रयोग न करे। मालिश करते समय पूरी सावधानी बरतें की ये तेल बच्चे के नाक कान या मुँह में न जाए। बच्चे को ठंड लगने पर छाती पर इसकी मालिश करने से भी आराम मिलता है।

 केलैन्डयुला तेल

यह एक ऐसा एसेंशियल ऑइल है जो की बच्चे की त्वचा को नमी देता है, हल्की ठंडक वाला ये तेल गर्मी के लिए बेहतरीन है। साथ ही बच्चे की सेंसिटिव स्किन को कोई नुकसान भी नही पहुंचाता है।

अरंडी का तेल

अरंडी का तेल न केवल शिशु की हड्डियों ओर मसल्स को मजबूत बनाता है बल्कि इम्युनिटी भी बढ़ाता है। ब्लड सर्कुलेशन को इम्प्रूव करता है, संक्रमण को दूर करता है ,कब्ज से राहत दिलाता है। नाक कान और मुँह को बचाते हुए मालिश करे।

मौसम के अनुसार किस तेल का प्रयोग करे

गर्मी के लिए सर्वोत्तम तेल

 नारियल का तेल

यह बच्चे की मालिश के लिए सर्वोत्तम तेलों में से एक है। इसमे एंटी–फंगल और एंटी–बैक्टीरियल गुण होते है, आसानी से स्किन अब्सॉर्ब होता है। विटामिन ई से भरपूर ये तेल बच्चे की स्किन साफ करके दाग धब्बे भी मिटाता है। गर्मियो में नारियल तेल ही मालिश का एकमात्र आसानी से उपलब्ध होने वाला तेल है।

सर्दियों के लिए सर्वोत्तम तेल

नवजात शिशु की मालिश की सबसे ज्यादा जरूरत सर्दियो में होती है क्योंकि शिशु की त्वचा को हाइड्रेट करना बहुत जरूरी होता है।

तिल का तेल

तिल के तेल की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए इसकी मालिश हल्के हाथों से करें। सर्दियों में बच्चे को होने वाले कफ और कोल्ड में तिल का तेल बहुत ही फायदेमंद है।

ठंड लगने पर बच्चे की छाती पर हल्के हाथ से इसकी मालिश करे।

सरसों का तेल

इस तेल का प्रयोग यदि कुछ चीज़ों के साथ किया जाए तो इसका फायदा दोगुना हो जाता है। सरसो के तेल में लहसुन, मेथी के बीज या अजवाइन को पकाकर, इस तेल को छानकर प्रयोग किया जाए तो पूरी सर्दियो में बच्चे को कोल्ड कफ नही होगा।

बादाम का तेल

बादाम का तेल विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी6 और विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होता है। यह शिशु की त्वचा और बालों दोनों के लिए अच्छा होता है। यह सभी उम्र के बच्चों के लिए बेहतरीन माना जाता है। इससे शिशु की त्वचा चमकदार होने के साथ-साथ कोमल भी बनती है

ये थे बच्चे और नवजात शिशु की मालिश के लिये सर्वोत्तम तेल, किसी भी तेल को प्रयोग करने से पहले बच्चे की स्किन पर थोड़ा सा तेल अप्लाई कर कम से कम 5 से 6 तक उसका असर देखे। कोई रिएक्शन न होने पर ही उस तेल का इस्तेमाल करें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

सबसे गर्म तेल कौन सा होता है?

जैतून और सरसो का तेल गर्म होता है, शरीर पर इसकी मालिश सर्दी को दूर करने वाली, सूजन मिटाने वाली, लकवा, गठिया, कृमि और वात रोगों से छुटकारे के लिए अत्यंत हितकारी होती है।

शरीर में कौन सा तेल लगाना चाहिए?

बादाम, सरसो, तिल, जैतून और नारियल इनमे से कोई तेल शरीर पर लगा कर सकते है। हर तेल के अलग अलग फायदे होते है। अपने जरुरत के हिसाब से इसमे से कोई तेल लगा सकते है।

शरीर में सरसों का तेल लगाने से क्या होता है?

सरसों का तेल थोड़ा चिपचिपा तो होता है, लेकिन यह मालिश के लिए सबसे अच्छा तेल माना जाता है। यह सूजन और दर्द को कम करने में मददगार है। विशेष रूप से सर्दियों में गर्म सरसों के तेल की मालिश से त्वचा के रूखेपन को दूर किया जाता है।

जानिये आखिर क्या हैं पैर में सूजन आने का कारण

पैर में सूजन आने का कारण

कभी कभी बॉडी टिश्यू में एब्नॉर्मल रूप से कुछ फ्लूइड इकट्ठा हो जाता है। इसे एडिमा या सूजन कहते है। ज्यादतर ये समस्या पैरों में होती है। पैरों में सूजन होने को पिडल एडिमा, कई बार ये समस्या दर्द के बिना या दर्द के साथ भी हो सकती है। पिडल एडिमा अर्थात पैर में सूजन होने रोजमर्रा के कार्यो में रुकावट आती है। दरअसल पिडल एडिमा स्वंय में कोई बीमारी नही है, अपितु कुछ अन्य बीमारी का संकेत हैं। जैसे सर्कुलेटरी सिस्टम, लयमोह नोड्स या लिवर से सम्बंधित बीमारिया।

पैर में सूजन के लक्षण

पैर में सूजन होने पर सूजन के अलावा निम्न लक्षण दिखाई देते है।

  • पैर की त्वचा टाइट, चिकनी और चमकदार दिखती है।
  • पैर की त्वचा को दबाने पर वहाँ एक टेम्पररी गड्ढा पड़ जाता है, जो प्रेशर हटाने पर फिर से नॉर्मल हो जाता है। ये एडिमा का एक प्रकार है जिसे पिटिंग एडिमा का कहते है।
  • टखनों के आस पास भी फुलाव दिखाई देता है।
  • पैर के सभी जोड़ो में दर्द व अकड़न होती है।
  • पैर की नसें उभरी हुई दिखाई देती है।
  • पैर सुन्न महसूस होता है।
  • पैर को हिलाने में परेशानी महसूस होती है।
  • पैर में खुजली महसूस होती है।
  • व्यक्ति असहज महसूस करता हैं।
    पैर में सूजन
    पैर में सूजन

पैर में सूजन आने का कारण

इन्फ्लामेशन

इन्फ्लामेशन का मतलब होता है, शरीर की खुद को ठीक करने की प्रक्रिया के कारण होने वाली सूजन। इस दौरान जलन, सूजन ओर दर्द महसूस होता है।

मोटापा

जब आपका बी एम आई बहुत ज्यादा होती है, अर्थात मोटापा बहुत ज्यादा होता है तो शरीर के सभी अंगों तक खून का दौरा सही से नही जाता। पैरों तक ब्लड सर्कुलेशन सबसे लास्ट में जाता इस कारण पैरों में सूजन आ जाती है।

ज्यादा समय तक पैर लटकाना

जब कोई व्यक्ति ज्यादा लंबे समय तक पैर लटकाकर बैठता है, तो पृथ्वी की ग्रेविटी के कारण बॉडी फ्लूइड नीचे इक्कठा हो जाता है।
इस कारण समय बीतते बीतते सूजन आ जाती है। ऐसी सूजन टेम्पररी होती है। पैरों को सही पोजीशन में लाने पर सही हो जाती है।

दिल कमजोर होना

जिन लोगों का दिल कमजोर होता है, वह पूरे शरीर में ब्लड को अच्छे तरीके से पंप करने में असमर्थ होता हैं। नतीजतन, ब्लड वेसल्स से फ्लूइड बाहर निकलकर स्किन के नीचे मौजूद टिश्यू में जाने लग जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पैरों में सूजन हो जाती है।

प्रोटीन की कमी

ब्लड सेल्स में एल्ब्यूमिन नामक एक प्रोटीन होता है। यही प्रोटीन ब्लड वेसल्स में फ्लूइड को रोककर रखता है। यदि इस प्रोटीन की मात्रा कम हो जाएगी तो ब्लड वेसल्स से फ्लूइड रिसने लगता है जिससे पैरों में सूजन आती है।

गर्भावस्था

गर्भावस्था में गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण, ब्लड वेसल्स सिकुड़ने लगती है, इस कारण उनसे द्रव रिसने लग जाता है। इसके अलावा गर्भवती महिला के शरीर में खून की मात्रा बढ़ने के कारण भी यह समस्या हो जाती है।

लिवर व गुर्दे के रोग

लिवर व गुर्दो के रोग में अक्सर एलब्यूमिन कम हो जाता है। क्योंकि एक तरफ तो लिवर एलब्यूमिन कम मात्रा में बनाता है, और दूसरी तरफ किडनी एलब्यूमिन को मूत्र (यूरिन) में मिलाकर शरीर से बाहर निकाल देती है।

ब्लड क्लॉट या ट्यूमर

कुछ लोगो को ब्लड क्लोटिंग की समस्या होती है, ऐसे में ब्लड सर्कुलेशन पैरों तक सही तरीके से नही पहुंचता। ट्यूमर ब्लड वेसल्स पर प्रेशर डालता है और इस कारण भी पैर में सूजन आ सकती है।

दवा के साइड इफ़ेक्ट

एंटी-हाइपरटेंसिव दवाएं, नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेट्री दवाएं और स्टेरॉयड दवाएं पैरों में सूजन पैदा कर सकती हैं। ज्यादातर मामलों में सूजन काफी हल्की होती है और मरीज को किसी प्रकार की गंभीर समस्या नहीं होती।

त्वचा एलर्जी और संक्रमण

कई बार त्वचा में एलर्जी या संक्रमण आदि होने से भी टांगों में सूजन आने लगती है।

लकवा

हेमीपेरालिसिस, पैरालिसिस जैसी समस्याओं में भी पैरों को सूजन बहुत आम है। रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण कई बार कमर से नीचे का हिस्सा मूवमेंट नही करता जिस कारण पैर में सूजन आ जाती है।

पैर में सूजन आने पर क्या करें

पैरों में सूजन का इलाज उसके कारण पर ही निर्भर करता है।

  • पैर को हल्का फुल्का सामर्थ्य के अनुसार हिलाने की कोशिश करें।
  • दिन में कुछ समय सूजन प्रभावित हिस्सें को ह्रदय (हार्ट ) के स्तर से थोड़ी ऊंचाई वाले स्थान पर रखें।खासकर सोते समय जरूर रखें।
  • प्रभावित स्थान को दिल की तरफ जाने वाली रक्त की गति में हल्की मसाज देना।
  • नमक का सेवन कम करें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • अत्याधिक देर तक बैठे या खड़े ना रहें।
  • अत्याधिक तापमान से टांगों को बचाएं।

कब और कितना खाएं चुकंदर ताकि ना हो ये चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर या बीटरूट जिसको देखकर ही अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना की जा सकती है, सलाद हो या सूप चुकंदर को खाने के कई फायदे हमने सुने है। आयुर्वेद के अनुसार चुकंदर को खाने से बहुत से फायदे होते हैं। खून की कमी होने पर ​​हीमोग्लोबिन बढ़ाने में करता है। ​कैंसर से बचाता है, त्वचा को ग्लो देता है। रक्तचाप को कंट्रोल करता है, बालो को मुलायम बनाता है। लेकिन अगर आप सोचते है कि सुंदर और स्वस्थ्य दिखने के लिए आप ज्यादा सेवन करेंगे तो ये गलत है। अति हर चीज़ की नुकसान करती है, इसी प्रकार चुकंदर या बीट रुट के जरूरत से ज्यादा सेवन करना भी खतरनाक है। आज इस आर्टिकल में हम आपको चुकंदर खाने के नुकसान बताएंगे। इससे आप भली प्रकार समझ सकेंगे कि चुंकदर कब और कितनी मात्रा में खाना हैं।

चुकंदर खाने के नुकसान

किडनी स्टोन

किडनी स्टोन चुंकदर के ज्यादा सेवन का सबसे महत्वपूर्ण दुष्परिणाम होता है। ऐसे लोग जो पहले ही किडनी की किसी बीमारी ग्रसित हो चुकंदर का सेवन बिल्कुल न करे।

दरअसल चुकंदर में ऑक्सलेट साधारण से ज्यादा मात्रा में होता है, ऑक्सलेट की ज्यादा मात्रा ही किडनी में स्टोन बनने का मुख्य कारण है।

शौच से सम्बंधित समस्या

चुंकदर का सेवन ज्यादा करने से यूरिन और स्टूल का रंग भी लाल या गुलाबी रंग का हो जाता है। वैसे तो ये कोई खतरनाक स्थिति नही होती, लेकिन मल मूत्र का खून के रंग में आना मानसिक तौर पर बहुत ही उलझन पूर्ण होता है।

इस स्थिति को बीटूरिया कहते हैं। चुकंदर में शामिल बीटानिन तत्व ही इस रंग का कारण होता है। यदि आप इस समस्या से जूझ रहे है तो चुकंदर का सेवन तुरन्त बन्द कर दे।

48 से 50 घण्टे के भीतर गुलाबी या लाल मल मूत्र की समस्या समाप्त हो जाएगी। यदि 50 घण्टे के बाद भी स्थिति जस की तस बनी रहे तो डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करे।

निम्न रक्तचाप

यदि आप उच्च रक्तचाप से ग्रसित है तो चुकंदर आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन यदि आप निम्न रक्तचाप से पीड़ित है तो चुकंदर का ज्यादा सेवन बिल्कुल न करे।

खासकर यदि आप लो ब्लड प्रेशर के लिए कोई दवाई ले रहे है। निम्न रक्तचाप होने से रोजमर्रा के कार्य अव्यवस्थित हो जाते है।

निम्न रक्तचाप
निम्न रक्तचाप

पाचन क्षमता पर बुरा असर

बीटरूट जूस का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा आप चुकन्दर का सेवन धीरे धीरे कम मात्रा में करे।

यदि आप इसे सलाद के रूप में ले रहे है तो साथ मे दूसरे पदार्थ भी सलाद के रूप में ले। यदि आप जूस के रूप में ले रहे है तो कुछ मात्रा में दूसरी सब्जियों का जूस भी मिक्स करें।

मधुमेह में नुकसानदायक

100 ग्राम चुकंदर में लगभग 7 ग्राम शुगर होती है। यदि आप नियमित तौर पर इसका सेवन कर रहे है, तो आपका सुगर लेवल बढ़ सकता हैं।
खासतौर पर यदि आप अन्य मीठी चीज़ों का सेवन भी कर रहे है तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि इसे अन्य खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित कर लें।

चुकंदर खाने के अन्य नुकसान

  • चुकंदर फाइबर से भरपूर होता है। यदि आप सोचते है कि फाइबर की अधिक मात्रा पेट के लिए सही है तो आप गलत हैं। चुंकदर के रूप में अधिक मात्रा में फाइबर के सेवन से मितली,  दस्त और कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • चुकंदर के ज्यादा सेवन से शरीर में कैल्शियम का लेवल कम हो सकता है। कैल्शियम हड्डियों का मुख्य तत्व है, इसका लेवल कम होने से हड्ड‍ियों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • कुछ लोगों को बीटरूट से एलर्जी हो सकती है। इससे अर्टिकेरिया (त्वचा पर लाल, खुजलीदार और जलनशील चक्कते), सांस लेने में तकलीफ और आंखों व नाक में समस्या हो सकती है
  • चुकंदर के अधिक सेवन से लिवर में मेटल जमा हो सकता है। यह पोर्फिरीया कटानिया टार्डा (खून की बीमारी जो त्वचा को प्रभावित करती है), आयरन की कमी या पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।

चुकंदर का कितना सेवन सही रहेगा

वैसे तो चुंकदर की सेवन मात्रा प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है फिर भी साधारण: एक बार में आठ औंस और सप्ताह में तीन बार से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

अर्थात एक बार मे दो चुकंदर का जूस काफी होता है। यदि आप किसी बीमारी जैसे खून की कमी के लिए इसका सेवन कर रहे है तो, बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई बन्द न करें।

आशा है आप चुकंदर खाने के नुकसान अच्छे से समझ गए होंगे और अपनी सेहत और सहूलियत के अनुसार ही इसका सेवन करेंगे।

दालचीनी के उपयोग जो आप नहीं जानते होंगे-Dalchini Ke Upyog

दालचीनी के उपयोग जो आप नहीं जानते होंगे

दालचीनी से क्या क्या होता है?

आमतौर पर दालचीनी का प्रयोग केवल मसालों के रूप में ही होता हैं, आयुर्वेद में दालचीनी को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में बताया गया है।आजकल दालचीनी का उपयोग कैंसर जैसे असाध्य रोंगो में भी किया जाता है। दालचीनी की छाल तेजपात की वृक्ष छाल से अधिक पतली, पीली, और अधिक सुगन्धित होती है। यह भूरे रंग की मुलायम, और चिकनी होती है। इसे दालचीनी, दारुचीनी, दारचीनी भी कहतें हैं। रोजमर्रा की ज़िंदगी में दालचीनी के बहुत सारे उपयोग है।

दालचीनी के उपयोग-Dalchini Ke Upyog

आयुर्वेद के अनुसार, दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियां ठीक की जा सकती हैं। इसके साथ ही दस्त, और टीबी में भी इसके प्रयोग से लाभ मिलता है। आइए जानतें कि दालचीनी का उपयोग कैसे करना चाहिए?

दालचीनी का उपयोग कैसे करना चाहिए?

हिचकी को रोके-Dalchini Khane Ke Fayde

हिचकी आना बहुत ही साधारण सी बात है, लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें हमेशा हिचकी आने की शिकायत रहती है। ऐसे लोग दालचीनी का उपयोग कर सकते हैं। दालचीनी के 10-20 मिली काढ़ा को पिएं। इससे आराम मिलता है।

भूख बढ़ाये-Dalchini Ke Fayde In Hindi

दालचीनी भूख बढाने में भी मदद करती है. भूख को बढ़ाने के लिए 500 मिग्रा शुंठी चूर्ण, 500 मिग्रा इलायची, तथा 500 मिग्रा दालचीनी को पीस लें। भोजन के पहले सुबह-शाम लेने से भूख बढ़ती है।

आँखों की रोशनी बढ़ाये-Dalchini Ka Upyog

आंखों के रोग में दालचीनी का प्रयोग कर सकते हैं,इसे भोजन में शामिल करने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।

दांत दर्द से पाए आराम-Dalchini Ke Fayde

दांत के दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी के तेल को रूई से दांतों में लगाएं। इससे आराम मिलेगा। दालचीनी के 5-6 पत्तों को पीसकर मंजन करें। इससे दांत साफ, और चमकीले हो जाते हैं।

सिर दर्द से पायें आराम-Dalchini Powder Ke Fayde

सिर दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप बना लें। दालचीनी के लेप को मस्तक पर लगाने से ठंड, या गर्मी से होने वाली सिर दर्द से आराम मिलता है। आराम मिलने पर लेप को धोकर साफ कर लें।

दालचीनी के तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सर्दी की वजह से होने वाले सिरदर्द से आराम मिलती है।

सरदर्द
सरदर्द

दालचीनी, तेजपत्ता, तथा चीनी को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इसे चावल के धोवन (चावल को धोने के बाद निकाला गया पानी) से पीस कर बारीक चूर्ण बना लें। इसे नाक के रास्ते लें। इसके बाद गाय के घी को भी नाक के रास्ते लें। इससे सिर से संबंधित विकारों में आराम मिलता है।

तंत्रिका-तंत्र संबंधी परेशानियों के लिए दालचीनी के तेल को सिर पर लगाएं। इससे फायदा होता है

खांसी का करें इलाज-Dalchini Ke Gun

खांसी के इलाज के लिए दालचीनी का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। खांसी से परेशान रहने वाले लोग आधा चम्मच दालचीनी के चूर्ण को, 2 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे खांसी से आराम मिलता है।

दालचीनी उबालकर पीने से क्या होता है?

दालचीनी के पत्ते का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से खांसी ठीक होती है। एक चौथाई चम्मच दालचीनी के चूर्ण में 1 चम्मच मधु को मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी, और दस्त में फायदा होता है।

वजन कम करने में करे मदद-Dalchini Powder For Weight Loss In Hindi

वजन कम करने के लिए दालचीनी का प्रयोग कैसे करें?

वजन को कम करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। आप भी मोटापा कम करने में दालचीनी से फायदा ले सकते हैं। एक कप पानी में दो चम्मच मधु, तथा तीन चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिला लें। इसका रोज 3 बार सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल कम होता है।

वजन को करे नियंत्रित
वजन को करे नियंत्रित

पेट सम्बंधित विकारों को करे दूर-Dalchini Ke Fayde Kya Kya Hai

पेट से संबंधित कई तरह के रोगों में दालचीनी बहुत ही फायदेमंद होती है। 5 ग्राम दालचीनी चूर्ण में 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करें। पेट के फूलने की बीमारी ठीक होती है।

दालचीनी , इलायची और तेजपत्ता को बराबर-बराबर लेकर काढ़ा बना लें। इसके सेवन से आमाशय की ऐंठन ठीक होती है।

आंतों को स्वस्थ रखने के लिए भी दालचीनी का इस्तेमाल करना अच्छा परिणाम देता है। दालचीनी का तेल पेट पर मलने से आंतों का खिंचाव दूर हो जाता है।

प्रसव के बाद दालचीनी के सेवन से फायदे बहुत ही ज्यादा होतें हैं। त्रिकटु, पीपरामूल, दालचीनी, इलायची, तेजपात, तथा अकरकरा लें। इनके 1-2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ चाटें। इससे मां बनने वाली महिलाओं के रोग रक्त जनित और अंदरूनी रोग ठीक हो जाते हैं।

दालचीनी का उपयोग कर रक्तस्राव पर रोक-Dalchini Benefits to Stop Bleeding in Hindi

अगर फेफड़ों, या गर्भाशय से रक्तस्राव हो रहा है तो दालचीनी का काढ़ा 10-20 मिली पिएं। आपको काढ़ा को सुबह, दोपहर तथा शाम पीना है। इससे लाभ पहुंचता है।

गठिया रोग को करे दूर-Dalchini Ke Kya Fayde Hain

गठिया में 10-20 ग्राम दालचीनी के चूर्ण को 20-30 ग्राम मधु में मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे दर्द वाले स्थान पर धीरे-धीरे मालिश करें। इससे फायदा मिलेगा।

इसके साथ-साथ एक कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच मधु, एवं दालचीनी का 2 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे सुबह, दोपहर, तथा शाम सेवन करें। गठिया में लाभ देता है।

अन्य उपयोग-Dalchini Ke Fayde Hindi Me

  • वीर्य वृद्धि के लिये दालचीनी पाउडर सुबह शाम गुनगुने दूध के साथ ले।
  • मुह की दुर्गंध और दांत की दवा में दालचीनी का उपयोग किया जाता है।
  • मुहांसे कम करने के लिये दालचीनी का चूर्ण नींबू के रस में मिलाकर लगाये।
  • उल्टी को रोकने के लिए दालचीनी का प्रयोग दालचीनी, और लौंग का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से उल्टी पर रोक लगती है।
  • चर्म रोग में दालचीनी से फायदा चर्म रोग को ठीक करने के लिए शहद एवं दालचीनी को मिलाकर रोग वाले अंग लगाएं। आप देखेंगे कि थोड़े ही दिनों में खुजली-खाज, तथा फोड़े-फुन्सी ठीक होने लगेंगे।
  • दालचीनी के सेवन से बुखार में 1 चम्मच शहद में 5 ग्राम दालचीनी का चूर्ण मिला लें। सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से ठंड के साथ आने वाला संक्रामक बुखार ठीक होता है।

ध्यान रखने योग्य बातें-

  • दालचीनी उष्ण गुणधर्म की है, इसलिये गर्मी के दिनो में कम उपयोग करें।
  • दालचीनीसे पित्त बढ सकता है।
  • दालचीनी के अति सेवन से शरीर को नुकसान भी हो सकता है इसलिए दालचीनी के नुकसान से बचने के लिए इस्तेमाल से पहले देख परख कर या चिकित्सक से सलाह से ही इसका उपयोग करें।

जानिए गर्मियों में लौकी के जूस के फायदे-lauki ke juice ke fayde hindi me

जानिए गर्मियों में लौकी के जूस के फायदे

लौकी एक ऐसी सब्जी जिसे ज्यादातर लोग खाने से बचते है। लेकिन इसे सबसे पौष्टिक सब्जियों में से एक माना जाता है। लौकी को घीया या दूधी के नाम भी कहा जाता है। लौकी को केवल साधारण सब्जी ही नही बल्कि खीर, मिठाई, के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। क्या आप जानते है की लौकी डायबिटीज में बहुत असरकारी होती है। इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं जिससे शरीर ठीक तरह से अपना कार्य कर पाता है और बीमारियों से बचाव होता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको लौकी के जूस और लौकी के जूस के फायदे से सम्बंधित सारी जानकारी देंगे।

लौकी का जूस कैसे बनाए

बहुत से लोग स्वाद के कारण लौकी का जूस नही पीते, आप इस तरीके से लौकी का जूस बनाएंगे तो आपको जरूर पसंद आएगा।
जूस निकालने से पहले आप लौकी को चख कर देख लें की लौकी कड़वी तो नहीं है अगर लौकी कड़वी है तो उस का जूस नहीं निकालें।

आवश्यक सामग्री

  • आधी लौकी
  • 8-10 पुदीना पत्ता
  • चुटकीभर काली मिर्च पाउडर
  • चुटकीभर नमक
  • आधा छोटा चम्मच नींबू का रस
  • पानी जरूरत के अनुसार

विधि

  • सबसे पहले लौकी को धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
  • अब लौकी के टुकड़े, पानी और पुदीने पत्ते को एक मिक्सर जार में डालकर पीस लें।
  • तैयार रस को एक छन्नी से छानते एक गिलास में निकालकर रखें। लौकी का जूस तैयार है।
  • काली मिर्च पाउडर, थोड़ा नमक और नींबू का रस मिलाकर पिएं।

सबसे जरूरी बात अगर लौकी का जूस कड़वा निकल आए तो उस जूस को बिल्कुल भी न लें।

लौकी के जूस का सेवन कब करें

लौकी के जूस के सेवन का कोई निश्चित समय नही होता। फिर भी खाना खाने के तुरन्त बाद इसका सेवन ना करें। यदि इसका सेवन सुबह-सुबह खाली पेट किया जाए तो यह अधिक फायदेमंद होता है। लेकिन बहुत से लोगो को इससे जी खराब होने की समस्या हो सकती है। तो बेहतर यही है कि आप शुरुआत में कम मात्रा में इसका सेवन करके देखे।

लौकी के जूस के फायदे-lauki ke juice ke fayde hindi me

वजन कम करने में

यदि आप नियमित व्यायाम के साथ लौकी के जूस का सेवन करते है, तो वजन घटाने में बहुत ही मदद मिलेगी। एक्सरसाइज के बाद लगभग 100gm लौकी का जूस पिए। इससे आपको इंस्टेंट एनर्जी भी मिलेंगी साथ ही पेट भी काफी समय तक भरा फील होगा।

वजन कम करने में मदद करे
वजन कम करने में मदद करे

पाचन तंत्र सुधारे

लौकी के रस में  विटामिन, पोटेशियम, लौह, पानी और फाइबर होता है।ये सभी पोषक तत्व पाचन तंत्र में होने वाली क्रियाओं को नियमित करते है। इसमे उपस्थित फाइबर कब्ज को दूर रखता है। जिससे भूख खुलकर लगती है।

इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) भी होते हैं जो शरीर में इसके बैलेंस को बनाकर रखते हैं, जिससे लूजमोशन की समस्या नहीं होती है।लौकी का जूस अन्य पाचन समस्याओं जैसे पेट दर्द, खराब बॉवेल मूवमेंट, गैस, पेट फूलना, सूजन आदि से राहत प्रदान करने के लिए भी प्रभावी है।

ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें

रोज सुबह लौकी का जूस पीने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। हाई ब्लड प्रेशर को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। हाई बी पी के कारण हृदय संबंधी दूसरी समस्या हो सकती हैं, जैसे दिल का दौरा, अनियमित दिल की धड़कन आदि। लौकी का जूस 200 मिलीग्राम प्रतिदिन पीने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है और इससे उच्च रक्तचाप की समस्या से निजात मिलता है।

ब्लड सर्क्युलेशन को ठीक करे

लौकी के जूस में मिलने वाला पोटेशियम बेहतरीन वेसोडाइलेटर के रूप में काम करता है। यह ब्लड कैपिलरीज को बड़ा करने का काम करता है। ब्लड वेसेल्स को रिलैक्स करता है।

ब्लड सर्कुलेशन जितना अच्छा होगा। शरीर के सभी भागों तक ऑक्सीजन उतनी ही जाएगी। इससे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक आराम भी मिलता है।

यूरिन इन्फेक्शन को ठीक करें

लौकी का जूस यूरिन इन्फेक्शन को दूर करता है। इसमे पानी की भरपूर मात्रा होती है। जिसके कारण यूरिन खुलकर आता है। साथ ही क्योंकि लौकी ठंडी होती है, प्राइवेट पार्ट में गर्मी से होने वाली जलन को भी दूर करती है।

लौकी के जूस के अन्य फायदे

  • इसके ड्यूरेटिक, सेडेटिव और एंटी-बिलियस गुण तनाव को दूर करते है।
  • लौकी के जूस में उपस्थित न्यूरोट्रांस्मिटर कोलीन मस्तिष्क को सुचारु रूप से कार्य करने में मदद करता है।
  • आंवला और लौकी के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से रूसी कम होती है. साथ ही इस मिश्रण से सिर पर मालिश करने से भी रूसी ठीक होती है।
  • लौकी का रस मिर्गी, पेट अम्लता, अपच, अल्सर और अन्य तंत्रिका रोगों के उपचार में बहुत उपयोगी है।
  • लौकी के रस में लेक्टिंस (lectins) और प्रोटीन होता है जो कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकता है।

कुछ बातों का रखे ध्यान

  • गर्भवती स्त्री को लौकी के जूस का सेवन न कराए। क्योंकि यदि लौकी कड़वी हुई तो भारी नुकसान हो सकता है।
  • लौकी के जूस को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें दुनिया भर की चीज़ें न डाले।
  • शुरु में इसके रस का उपयोग कम मात्रा में करें और जैसे-जैसे यह अच्छे से पचने लगे इसकी मात्रा को बढ़ा दें।

सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करें-Saans Lene Me Dikkat Ho To Kya Kare

सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करें

जिन व्यक्तिओ को सांस लेने में तकलीफ होती है उनका जीवन कितना मुश्किल होता है, वही लोग समझ सकते है। सांस लेने में दिक्कत होने के बहुत कारण होते है। कभी ये दिक्कत टेम्पररी होती है कभी परमानेंट। इसका इलाज भी इसके होने के कारण पर निर्भर करता है।सांस लेने में दिक्कत होना किसी खास बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। ये स्थिति परिस्थिजन्य भी हो सकती है, जैसे एक्सरसाइज, या पॉल्युशन के कारण। आज इस आर्टिकल में हम आपको सांस लेने में तकलीफ से जुड़ी सारी जानकारी देंगी। इस लेख में सांस लेने में तकलीफ होने पर क्या होता है, सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करना चाहिए और सांस फूलने पर डॉक्टर के पास कब जाएं के बारे में बताया गया है।

सांस लेने में दिक्कत होने के कारण

  • सांस की नली में सूजन, या इंफेक्शन, अस्थमा, निमोनिया या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
  • बहुत अधिक वजन बढ़ना
  • हर समय तनाव महसूस करना
  • थाइरोइड,पीसीओडी जैसी हार्मोनल समस्या में सांस लेने की दिक्कत होती है।

सांस लेने ने दिक्क्क्त होने पर व्यक्ति कैसा महसूस करता है।

  • ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए व्यक्ति तेज-तेज सांस लेने लगता है।
  • चूंकि शरीर के जरूरी अंगों तक ऑक्सिजन नही पहुचती इसलिए होठों, उँगलियों और नाखूनों का रंग हल्का नीला हो जाता है।
  • व्यक्ति को एंग्जायटी हो जाती है और वो चिंतित महसूस करता है।
  • क्योंकि ऑक्सीजन सही से ब्रेन में भी नही जाती इसलिए व्यक्ति को चक्कर महसूस होने लगते है।
  • नॉर्मल टेम्परेचर में भी तेजी से पसीना आता है।
  • हार्ट को ब्लड पंप के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, इस कारण छाती में दर्द महसूस होता हैं।
  • व्यक्ति सुस्त करता है।
  • सही से सांस लेने के लिए व्यक्ति कम्फर्टेबल पोजीशन लेता है।
  • खांसी आने लगती है,कई बार खांसी के साथ खून भी आता है। साथ ही उबकाई महसूस होती है।
  • दिल की धड़कन तेज होने के साथ, सांस लेने में आवाज आने लगती है।
    सांस लेने में दिक्कत
    सांस लेने में दिक्कत

किसी दूसरे को सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करें

  • अगर आपके सामने किसी की सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो, बिना किसी देर डॉक्टर से सम्पर्क करे। पीड़ित व्यक्ति को बिना विलम्ब डॉक्टरी सहायता पहुचाने की कोशिश करें।
  • इसके अलावा आप यदि प्राथमिक चिकित्सा जानते हैं, तो जल्द से जल्द इसका प्रयोग करें
  • व्यक्ति को धीरे धीरे सहारा देकर बिठा दे। पीठ की तरफ कुछ सपोर्ट जरूर दे।
  • व्यक्ति की सांस और नब्ज देखें।अगर व्यक्ति की सांस की गति बहुत ही कम है तो उसे सी पी आर देने की कोशिश करें।
  • पीड़ित व्यक्ति के कपडो को ढीला करें और आसपास लोगो को इकट्ठा ना होने दे।
  • सबसे पहला और जरूरी काम व्यक्ति को तनावमुक्त करें। ढांढस बांधे।
  • अगर व्यक्ति सांस लेने में आवाज करना बंद कर दे तो यह न समझें कि उसकी हालत सुधर रही है। उसे अभी भी मदद की जरूरत हो सकती है।

क्या करें जब आप खुद तकलीफ में हो।

  • सबसे पहले बिल्कुल तनाव ना ले, तनाव परिस्थिति को खराब कर देगा।
  • यदि आपको सांस फूलने की दिक्कत सिगरेट, पॉल्युशन के कारण हैं, तो इस कारण को दूर करे।
  • स्वच्छ व खुले वातावरण में जाये। लम्बी लम्बी सांसे ले।
  • अपनी नाक से सांस अंदर लें और होठों को गोल करके सांस बाहर छोड़ें।
  • अगर आपको अस्थमा है या डॉक्टर के द्वारा बताया गया है, तो इनहेलर का उपयोग करें।

निम्न परिस्थितियों में तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें

  • कोई भी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के कारण सांस लेने में दिक्कत हो तो।
  • 2 हफ्ते से अधिक जुकाम हो तो या सीधे लेटने पर सांस लेने में दिक्कत होना।
  • सांस लेने में तकलीफ के साथ खांसी में खून आना।
  • सांस फूलने के साथ तेज बुखार, ठण्ड लगना और खांसी होना।

सांस में दिक्कत होने पर क्या करें घरेलू उपाय

आप निम्न घरेलू उपाय को अपनाकर आराम महसूस कर सकते है। लेकिन इन उपायों को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले। साथ ही अपनी दिक्कत का कारण भी ध्यान में रखे।

  • आयुर्वेदिक काढ़े और हर्बल चाय का नियमित तौर पर प्रयोग करें। दिन में गुनगुने पानी का सेवन करें।
  • प्राणायाम, ध्यान और योग करें। वॉकिंग और रनिंग करें। इससे आपको अपने लंग्स को मजबूत बनाने में सहायता मिलेगी।
  • दिन में कुछ समय बाहर खुले वातावरण में बिताए।
  • हफ्ते में दो बार भाप ले।
  • अदरक का सेवन करें, चाय के रूप में या कच्चा चबाए।
  • जूस या सलाद के रूप में चुकंदर का सेवन करे।

जानें क्या हैं सोते समय ग्रीन टी पीने के फायदे

सोने से पहले ग्रीन टी पीने के फायदे

ग्रीन टी पीने के फायदे से आज कल सभी लोग अच्छे से वाकिफ है। ग्रीन टी हमारी सेहत और स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। इसमे भरपूर मात्रा में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स पाये जाते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है। आप ग्रीन टी का सेवन रात में सोने से पहले भी कर सकते है। कुछ लोग रात को सोने से पहले गरम दूध पीते है तो कुछ लोग चाय पीते है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रात को ग्रीन टी पीकर सोना आपके लिए कितना फायदेमंद साबित हो सकता है।

सोते समय ग्रीन टी पीने के फायदे-Green Tea Ke Fayde

स्ट्रैस को करे कम

आज कल की भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में हर कोई चिंता और तनाव से जूझ रहा है। ऐसे में स्ट्रैस को कम करने के लिए ग्रीन टी बहुत ही लाभकारक है। ग्रीन टी मे प्रचुर मात्रा में ऐन्टी डिप्रेसेंट गुण पाये जाते है जो स्ट्रैस लेवेल को कम करते है और दिमाग शांत हो जाता है।

दिल को रखे स्वस्थ

रात को सोने से पहले ग्रीन टी पीना आपके दिल के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होता है। सोते समय ग्रीन टी का सेवन करने से दिल की बीमारी के खतरे भी कम होते है।

अच्छी नींद लाने में करे मदद

ग्रीन टी अच्छी नींद लाने में भी मदद करती है। ग्रीन टी में ऐसे कम्पाउंड्स पाये जाए है जो दिमाग और शरीर को स्वस्थ रखते है और नींद लाने में मदद करते है। दूसरा रात को सोने से पहले गरम चीज़ पीने से नींद भी जल्दी और अच्छी आती है।

अच्छी नींद लाने में करे मदद
अच्छी नींद लाने में करे मदद

मेटाबोलिस्म को करे बेहतर

सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन मेटाबोलिस्म को बढ़ाने में भी बहुत मदद करता है। ग्रीन टी में भरपूर मात्रा में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स पाये जाते है जो मेटाबोलिस्म को बेहतर बनाते है और इसमे केफिन भी बहुत कम मात्रा में पाया जाता है जो मेटाबोलिस्म को मजबूती देता है।

मोटापे को करे कम

आज कल कई लोग मोटापे की समस्या से बहुत परेशान है। ग्रीन टी के सेवन से मोटापे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। सोने से पहले ग्रीन टी के सेवन से मेटाबोलिस्म बेहतर होता है जो फैट को कम करता है जिससे वजन और मोटापा दोनों कम हो जाते है। जिसके फलस्वरूप आप स्वस्थ और फिट रह सकते है।

इम्यून सिस्टम को बनाए मजबूत

सही खान पान न होना और शरीर में पोषक तत्वों की कमी हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है जिससे हमारा शरीर रोग फैलाने वाले जीवाणुओं से लड़ नहीं पाता और हम जल्दी बीमार पड़ जाते है। ऐसे में रात को सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। इसमे भरपूर मात्रा में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स और पोषक तत्व पाये जाते है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है ओर इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने में मदद करते है।

पाये चमकदार और स्वस्थ त्वचा

ग्रीन टी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में भी बहुत मददगार साबित होती है। इसमे मौजूद पोषक तत्व आपकी त्वचा को पोषण देते है जिससे आपकी त्वचा स्वस्थ रहती है और त्वचा में निखार भी आता है।

कैंसर का खतरा करे कम

कैंसर एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। इस बीमारी के चलते कई बार व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है। ऐसे में ग्रीन टी का सेवन कैंसर के खतरे को कम करने में भी मदद करता है। रात में सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोटेस्ट कैंसर और कोलोरेक्तल कैंसर का खतरा कम होता है।

कोलेस्ट्रॉल को करे कम

बैड कोलेस्ट्रॉल दिल के लिए बहुत हानिकारक है। इसकी शरीर में अधिकता होने से दिल का दौरा भी पड़ सकता है। ऐसे में आप रात को ग्रीन टी का सेवन कर सकते है। ग्रीन टी आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है जिससे दिल स्वस्थ रहता है।

क्या खाने से मिसकैरिज होता है?-Kya Khane Se Miscarriage Hota Hai

क्या खाने से मिसकैरिज होता है?

प्रेगनेंसी मे हर महिला के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लेना बहुत ही जरुरी है। पर कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जो कि गर्भवती महिलाओं को नहीं खाने चाहिए, ख़ासकर प्रेगनेंसी के शुरु के तीन महिने के दौरान, आमतौर पर इन तीन महिने मे गर्भवती महिलाओं में गर्भपात होने का ख़तरा ज़्यादा होता है। गर्भवती महिला के लिए यह जानना जरुरी है कि क्या खाने से मिसकैरिज होता है, क्या चीज खाने से गर्भपात हो जाता है? गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में शामिल खाद्य पदार्थों का ध्यान रखना आवश्यक हैं और गर्भपात से बचने के लिए गर्भावस्था के दौरान कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों से गर्भाशय फैल सकता है या खुल सकता है और परिणामस्वरूप गर्भाशय में संकुचन हो सकता है जिससे गर्भपात होने का खतरा हो सकता नीचे हम कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ की बात कर रहे है जो गर्भपात का कारण बन सकते हैं।

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क्या खाने से मिसकैरिज होता है?-Kya Khane Se Miscarriage Hota Hai

इलायची से गर्भपात

गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक मात्रा में इलायची का सेवन करने से गर्भपात होने का खतरा रहता है। गर्भावस्था के दौरान इलाइची  के सेवन से जुड़ी पर्याप्त चिकित्सकीय जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि आप गर्भवास्था के दौरान इलायची का ज्यादा सेवन से परहेज करें।

अनानास

अनानास में ब्रोमेलैन पाया जाता है जो गर्भवती महिला के गर्भाशय को ढीला कर सकता है और जिससे गर्भाशय में संकुचन की शुरुआत हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। गर्भावस्था के शुरुआती समय में अनानास या उसके रस का सेवन करने से बचना ही बेहतर है।

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तिल

गर्भवती महिलाओं को शुरुआती दिनों में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए । शहद के साथ तिल का सेवन, गर्भावस्था में परेशानी उत्पन्न कर सकता है। वैसे गर्भावस्था के बाद के पड़ाव में महिलाएं कभी–कभार काले तिल का सेवन कर सकती हैं क्योंकि यह प्रसव क्रिया के लिए लाभदायक माने जाते हैं।

पशु का यकृत

पशु का यकृत विटामिन ‘ए’ से भरपूर होता है, इसे आमतौर पर सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है। इसलिए, इसे महीने में एक या दो बार खाने में कोई ख़तरा नहीं है। लेकिन, यदि गर्भवती महिलाएं ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन करती हैं, तो यह गर्भावस्था के दौरान परेशानी हो सकती है क्योंकि इससे धीरे–धीरे रेटिनॉल जम सकता है और जिसका बुरा असर बच्चे पर पड़ सकता है।

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एलोवेरा

एलोवेरा में ऐंथ्राकीनोन होते हैं, यह एक प्रकार से गर्भाशय में संकुचन पैदा करती है जिससे योनि से रक्तस्राव हो सकता हैं, और जो गर्भपात कि वजह भी बन सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान ऊपर ऊपर से एलोवेरा जेल लगाना सुरक्षित माना जाता है।

गर्भ गिराने के लिए पपीता कैसे खाएं?

कच्चे पपीते या हरे पपीतों में ऐसे कुछ तत्त्व होते हैं जो संकुचन का काम करते हैं, पपीते के बीज एंजाइम से भरपूर होते हैं जो गर्भाशय में संकुचन का कारण बन सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात भी हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान किसी भी रूप में पपीते का सेवन करना सुरक्षित नहीं है।

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सहजन

सहजन मे अल्फा–सिटोस्टेरोल होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता हैं। परंतु, सहजन आयरन, पोटेशियम और विटामिन से भरपूर होता है । इसलिए, इन्हें सीमित मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है।

कच्चे दूध के पदार्थ

दूध, गोर्गोन्ज़ोला, मोज़ेरेला, फ़ेटा चीज़ और ब्री जैसे कच्चे या अपाश्चरीकृत पदार्थों में लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स जैसे रोग फैलाने वाले जीवाणु हो सकते हैं, और जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होते है। गर्भवती महिलाओं के लिए कच्चे दूध से बनी कोई भी चीज़ खाना या पीना सुरक्षित नहीं माना जाता है।

काली चाय से गर्भपात कैसे करें

ब्लैक टी की मदद से गर्भपात आसानी से किया जा सकता है। काली चाय बहुत गर्म होती है। इसे पीने से शरीर में बहुत अधिक गर्मी होती है, इसलिए यदि गर्भावस्था को अधिक समय नहीं हुआ है, तो यह आसानी से गर्भपात का कारण बन सकती है।

काली चाय
काली चाय

इसे बनाने के लिए चाय बनाते समय हम दो गिलास पानी गर्म करते हैं और उसमें चाय की पत्ती डालकर उबालते हैं। जब यह पानी आधा हो जाए तो इसे गर्मागर्म पिएं। इसे कुछ दिनों तक लगातार पीने से जल्द ही गर्भपात हो जाएगा।

कैफीन

गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा कैफीन के कारण गर्भपात या जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों के अनुसार कैफीन मूत्रवर्धक या निर्जलीकारक माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर में द्रव्य पदार्थों की कमी का कारण बन सकता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कैफीन कई खाद्य पदार्थ में शामिल होती है जैसे कि चाय, कॉफी, चॉकलेट और कुछ ऊर्जा शक्ति प्रदान करने वाले पेय पदार्थ आदि।

पारा युक्त मछली

हालांकि मछली आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती है, गर्भवती महिलाएं ऐसी किस्म की मछलियां खाने से परहेज करें जिनमें बड़ी मात्रा में पारा पाया जाता है, जैसे कि किंग मैकरेल, ऑरेंज रफ, मार्लिन, शार्क, टाइलफिश, स्वोर्डफ़िश, और बिगआय ट्यूना मछली। इसका कारण यह कि पारा के सेवन से बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास पर भारी प्रभाव पड़ सकता हैं।

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जंगली सेब

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जंगली सेब खाने से बचना चाहिए। इनके अम्लीय और खट्टे गुण से गर्भाशय में संकुचन का कारण बन सकता हैं। इससे समय से पहले प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है या गर्भपात हो सकता है।

संसाधित माँस

गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से अधपका या कच्चा माँस खाने से बचना चाहिए क्योंकि माँस में मौजूद जीवाणु बच्चे तक पहुँच सकते हैं, जिससे गर्भपात, समय से पहले प्रसव या मृत जन्म जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, माँस को सही तरीके से पकाने या खाने से पहले इसे अच्छी तरह से दोबारा गर्म करना आवश्यक है।

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कच्चे अंडे

अंडे के साल्मोनेला नामक जीवाणु के कारण खाद्य विषाक्तता, अतिसार, बुखार, आँतों में दर्द या गर्भपात जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अंडे को अच्छी तरह से पकाना आवश्यक है, यानी जब तक कि अंडे का सफ़ेद और पीला हिस्सा ठोस नहीं हो जाता तब तक पकाए । इससे जीवाणु मर जाते हैं और अंडा खाने के लिए सुरक्षित हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को ऐसे खाद्य पदार्थों से भी दूर रहना चाहिए जिनमें कच्चे अंडे का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि एगनोग, घर का बना मेयोनेज़, सूफले और ऐसी स्मूदी जिसमें कच्चे अंडे हो।

मसाले-मेथी से गर्भपात कैसे करें?

गर्भावस्था में महिलाओं को मेथी, हींग, लहसुन, एंजेलिका, पेपरमिंट जैसे कुछ मसालों का सेवन अधिक मात्रा मे नहीं करना चाहिए। यह मसाले गर्भाशय को उत्तेजित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संकुचन हो सकता है, और फिर प्रसव पीड़ा या गर्भपात जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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आड़ू

आड़ू एक “गर्म ” फल है। यदि गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए, तो यह गर्भवती महिला के शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा कर सकता है।

आड़ू
आड़ू

इससे अंदरूनी रक्तस्त्राव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को याद से इस फल को खाने से पहले इसका छिलका निकालने चाहिए क्योंकि फलों के रेशे से गले में जलन और खुजली पैदा हो सकती हैं।

प्रेगनेंसी में नींबू खाने से क्या होता है

गर्भावस्था में चक्कर आना, सिर दर्द और जी मिचलाना जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए महिलाएं कभी-कभी नींबू पानी पीती हैं या फिर नींबू पर नमक छिड़क कर चाट लेती हैं। लेकिन, नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह हानिकारक नहीं है।

अदरक से गर्भपात हो सकता है

विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को एक दिन में केवल 1500 मिलीग्राम अदरक का ही सेवन करना चाहिए। इससे ज्यादा सेवन करने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए अदरक या अदरक की चाय का अधिक मात्रा में सेवन बिल्कुल न करें।

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अजवाइन खाने से गर्भ गिर जाता है क्या

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन,  फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही  इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और अजवाईन की तासीर गर्म  हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

सामान्य प्रश्न

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।

6 महीने का गर्भ कैसे गिराए?

यदि आप अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं तो इसके लिए शुरुआती 5से 6 हफ्ते का समय सबसे उचित रहता है इसके बाद जैसे-जैसे वक्त बढ़ता जाता है जटिलताएं बढ़ने लगती है । 6 महीने का गर्भ काफी बड़ा होता है इसलिए इसे गिराने के लिए किसी प्रकार के घरेलू उपाय ना अपनाएं यह गर्भवती के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है । 6 महीने के गर्भ को गिराने के लिए डॉक्टर की मदद से ही हॉस्पिटल में गर्भपात करवाएं ।

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