शरीर के लिए क्यों जरुरी है ग्लूकोज, क्या है ग्लूकोज पीने के फायदे

ग्लूकोज के फायदे

ग्लूकोज एक ग्रीक भाषा का शब्द ग्लीको से बना है जिसका अर्थ होता है मीठा। यह चीनी का प्रकार है जो हमें भोजन, फल आदि से मिलता है। ग्लूकोज हमारे शरीर की आवश्यकताओं के लिए अति-आवश्यक है। यह हमें ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है जो मोनोसेक्रेट कार्बोहाइड्रेट की श्रेणी में आता है। ग्लूकोज पीने के फायदे कई है। इसमें चीनी का ही एक अणु है। वसा के अलावा ग्लूकोज शरीर के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। ग्लूकोज हम रोटी, फल, सब्जियों, डेरी उत्पादन से प्राप्त कर सकते हैं।

जो ग्लूकोज रक्त के माध्यम से हमारी कोशिकाओं तक पहुँचता है। उसे हम ब्लड ग्लूकोज या रक्त शर्करा कहते हैं। ग्लूकोज , भोजन से प्राप्त वसा ,कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन से बनता है। लेकिन सबसे अधिक ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट से बनता है। हमारे शरीर के मुख्य ऊर्जा का स्रोत ग्लूकोज है। लेकिन ग्लूकोज को उर्जा में बदलने के लिए इंसुलिन का होना अति आवश्यक है बिना इंसुलिन की मदद के ग्लूकोज का इस्तेमाल कोशिकाएं नहीं कर सकती हैं।

पाचन के दौरान इंसुलिन की मदद से स्टार्च व शुगर ग्लूकोज में टूट जाते हैं। और ग्लूकोज कोशिकाओं की दीवार में प्रवेश करता है। अगर भोजन में शुगर अधिक मात्रा में होती है जिसे हम ग्लूकोज भी कहते हैं। अगर भोजन में ग्लूकोज अधिक मात्रा में होता है तो यह हमारी मांसपेशियों लीवर और शरीर के अन्य भागों में जमा होने लगता है जो बाद में फैट के रूप में बदलता है।

ग्लूकोज के स्रोत

ग्लूकोज फल ,सब्जियों , रेशेदार खाद्य पदार्थ ,डेयरी प्रोडक्ट्स आदि में मिलता है। हमें फाइबर युक्त तलों का सेवन करना चाहिए। हमें साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। साबुत अनाज हमें फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम प्रदान करते हैं अनाज को रिफाइन करने से उसके पोषक तत्व व फाइबर की मात्रा कम हो जाती है। ग्लूकोज हमें सभी अनाजों से मिलता है।

लेकिन साबुत अनाज हमें फाइबर भी देते हैं और खनिज भी देते हैं फलियां प्रोटीन का मुख्य स्रोत होती है। डेरी प्रोडक्ट में संतृप्त वसा अधिक मात्रा में होता है। इसलिए हमें कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए। जो हमें विटामिन खनिज प्रोटीन और कैल्शियम भी देते हैं।

ग्लूकोज युक्त आहार हमारे शरीर की आवश्यकता है। अगर हमें ग्लूकोज की आवश्यक मात्रा ना मिले तो यह हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। इसीलिए हमें ग्लूकोज के स्तर को बैलेंस बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है। ग्लूकोज के स्तर को कंट्रोल करने के लिए हमें संतुलित भोजन करना चाहिए।

भोजन में सभी आवश्यक तत्व जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, मिनरल्स आदि सभी शामिल करने चाहिए और सबसे आवश्यक हमें अपना नाश्ता अवश्य करना चाहिए। ग्लूकोज के लिए हमें पत्तों वाली सब्जियां जैसे ब्रोकली , पालक और अन्य सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।

अंडे, मछली, अंगूर, सूखे मेवे, चीज, शहद, खजूर, अनानास, आम, चुकंदर, खीरा यह सभी ग्लूकोज युक्त भोजन होते हैं। जो हमारे शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं इनके अलावा गर्मियों के मौसम में जब हमारे शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता अधिक होती है क्योंकि हमारे शरीर से पसीने के रूप में पानी बहुत निकलता है। तब हम ग्लूकोज पेय पदार्थ के रूप में लेते हैं।

तो आइए जानते हैं जो ग्लूकोज पीने के फायदे

ग्लूकोज मददगार है बिमारियों से लड़ने में

रेशेदार फाइबर युक्त भोजन टाइप 2 मधुमेह और मोटापे से लड़ने में मददगार होता है। फाइबर पाचन तंत्र को सक्रिय रखता है। दिल को स्वस्थ रखता है। कोलेस्ट्रॉल एवं हृदय रोगों को नियंत्रण में रखता है।

ग्लूकोज रखता है वजन को नियंत्रित

ग्लूकोज से हम अपना वजन बढ़ा भी सकते हैं और घटा भी सकते हैं। हमें अपने वजन को नियंत्रित करने के लिए ताजे फल जैसे तरबूज अंगूर नाशपाती बेर आदि खाने चाहिए। जिन में बहुत अधिक फाइबर और पानी पाया जाता है।

वजन को नियंत्रित
वजन को नियंत्रित

ग्लूकोज रखता है शरीर के तापमान को नियंत्रित

गर्मी के मौसम में जब हमारे शरीर से बहुत पसीना निकलता है तब हम ग्लूकोज पीते हैं। यही ग्लूकोज हमारे शरीर में ऊर्जा के रूप में पहुँचता है यह हमारी मांसपेशियों में ग्लाइकोजन के रूप में एकत्रित होता है और हमारे शरीर के तापमान को नियमित करने में सहायक होता है।

ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को बनाये आसान

हमारे शरीर को सभी आवश्यक शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए जैसे मांसपेशियों के संकुचन, श्वसन, हृदय की गति आदि के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है हृदय गति से लेकर मांसपेशियों में संकुचन तक सभी प्रक्रियाओं के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है और सभी पतियों को ग्लूकोज के द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है बिना ग्लूकोज के यह संभव नहीं है ग्लूकोज शारीरिक प्रक्रियाओं को आसान बनाने में सहायक होता है।

ग्लूकोज है दिमागी कार्यों में मददगार

ग्लूकोज मस्तिष्क के कार्य को सही तरह से करने के लिए आवश्यक होता है। किसी चीज को सीखने की प्रक्रिया में ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। पढ़ने में, याद करने में मस्तिष्क संरक्षित हुए ग्लूकोज का इस्तेमाल करता है इसीलिए ग्लूकोज दिमागी कार्य के लिए अति आवश्यक है।

उर्जा का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है ग्लूकोज

हमें हर कार्य को करने के लिए चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है हमारे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा ना मिले तो हम बहुत जल्दी थक जाते हैं और यही उर्जा हमें भी खुशी मिलती है इसके लिए हम कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पीते हैं।

ग्लूकोज का पाचन, पाचन तंत्र के द्वारा भोजन के पाचन से अलग होता है ग्लूकोज रक्त में अवशोषित होने के बाद ग्लाइकोजन में बदल जाता है। यह ग्लाइकोजन मांसपेशियों में सुरक्षित हो जाता है शरीर को जब भी आवश्यकता होती है ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदलकर ऊर्जा प्रदान करता है।

ग्लूकोज बढ़ाता है शरीर का स्टैमिना

हम सब जानते हैं कि ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।जब भी हम थकने लगते हैं हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम होने लगती है तो हमारी मांसपेशियों में इकट्ठा ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदल जाता है और हमारी थकान को दूर करता है।

ग्लूकोज हमारी मांसपेशियों की ताकत को बढ़ाने का कार्य करता है अगर मांसपेशियों में ग्लाइकोजन की मात्रा है तो इसका अर्थ है कि हमारी मांसपेशियां थकेंगी नहीं। हमारा स्टेमिना बढ़ जाएगा। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि हम बिना थके ज्यादा काम कर सकते हैं।

शरीर को डिहाइड्रेट करता है ग्लूकोज

गर्मी के मौसम में जब लगातार पसीना आता है तब हम बॉडी को तुरंत एनर्जी देने वाला ग्लूकोज पाउडर पीते हैं यह बॉडी को डिहाइड्रेट करके तुरंत एनर्जी देता है।

मधुमेह में लाभदायक है ग्लूकोज

मधुमेह के रोगियों का अचानक शुगर लेवल डाउन होने लगता है। उस समय ग्लूकोज का पानी ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है। शुगर के लेवल को नियंत्रित करता है।

दूर करता है शरीर की थकान

जब भी ज्यादा काम करने के कारण शरीर थकने लगता है। ग्लूकोज शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है। ग्लूकोज थकावट को दूर करके शरीर और दिमाग को स्फूर्ती प्रदान करता है।

थकान को करे दूर
थकान को करे दूर

शरीर को ठंडा करता है ग्लूकोज़

गर्मियों की दोपहर में जब तापमान काफी अधिक होता है। हमारा शरीर का तापमान भी तेजी से बढ़ जाता है। उस समय ग्लूकोज लेने से शरीर का तापमान ठंडा बनाए रखने में मदद मिलती है।

ग्लूकोज़ रखे मांसपेशियों को स्वस्थ

कुछ लोग जिम और एक्साइज करने के बाद ग्लूकोज को एक हेल्थ ड्रिंक की तरह लेते हैं। एक्सरसाइज करते समय ग्लूकोज ग्लाइकोजन में टूट जाता है।

यह ग्लाइकोजन प्रोटीन के साथ मिलकर खून के बहाव में मिल जाता है। ग्लूकोज पीने के फायदे हैं कि मांसपेशियों को काम करने में मदद मिलती है और एक्सरसाइज के बाद मांसपेशियों की मरम्मत के लिए ऊर्जा भी मिलती है।

ग्लूकोज रखे शरीर को स्वस्थ

ग्लूकोज में शरीर के लिए आवश्यक सुक्रोज और ग्लूकोज होते हैं जो स्वस्थ शरीर को बनाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इसमें वसा और फैटी एसिड नहीं होते स्वस्थ व्यक्ति के लिए इसी प्रकार की ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। इस प्रकार ग्लूकोज शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

ग्लूकोस की कमी से शरीर में क्या होता है?

हमारे शरीर को संतुलित और सुरक्षित रखने के लिये शरीर में ग्लूकोज की मात्रा सही होना बेहद जरूरी है।ग्लूकोज़ की कमी होने पर इसके लक्षण समय के साथ बदलते रहते हैं।शरीर में ग्लूकोज़ की कमी होने से कई प्रकार की समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। ग्लूकोज की कमी से निम्नलिखित समस्याएं होती हैं .शरीर से पसीना आना .थकान महसूस करना .सिर चकराना .झुनझुनाहट या कंपकपी होना .दिल की धड़कन का अचानक बढ़ना .व्यवहार में परिवर्तन .शरीर में पीलापन .ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई .नींद अधिक आना .कमजोरी लगना .बेचैनी महसूस होना .मन विचलित होना। उपयुक्त लक्षण दिखने पर डॉ से शीघ्र मिलें।

ग्लूकोज कब पीना चाहिए?

गर्मी के दिनों में हमारे शरीर से पसीना काफी निकलता है, जिसकी वजह से बॉडी में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर अधिक से अधिक पानी का सेवन करने और ग्लूकोज़ पीने की सलाह देते हैं। जब थकान,चक्कर,सिर दर्द,कमजोरी,बेचैनी महसूस हो तब ग्लूकोज का सेवन कर सकते हैं। डॉक्टर विटामिन डी कमी होने पर भी विटामिन डी युक्‍त ग्‍लूकोज पाउडर पीने की सलाह देते हैं। यह मूत्रवधक, हृदयवाही संबंधी स्वास्थ्य, कैल्शियम की कमी होने पर और मधुमेह के रोगियों में अचानक शुगर लेवल डाउन होने पर भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है। ग्लूकोज शरीर को तुरन्त रिलेक्स महसूस कराता है साथ ही ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है।

ग्लूकोज क्या काम करता है?

ग्लूकोज को शायद रक्त शर्करा (ब्लड सुगर) के नाम से जानते हैं। ग्लूकोज शरीर के सभी अंगों के कार्यों को सही तरह से करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा जब सही होती है, तो हम इस पर बिलकुल ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन जब यह स्तर ज्यादा या कम हो जाता है, तो हमे कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ग्लूकोज एक तरह का कार्बोहाइड्रेट होता है, जो मोनोसैक्राइड कार्बोहायड्रेट की श्रेणी में आता है। इसका मतलब है कि इसमें चीनी का एक ही अणु होता है। ऊर्जा और संचयन के लिए रक्त से ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाता है।वसा के अलावा ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत है।

ग्लूकोज दिन में कितनी बार पीना चाहिए?

ग्लूकोज निर्जलीकरण के इलाज में भी सहायता करता है।यह शरीर में विटामिन-डी की कमी को भी पूरा करता है। शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। चिकित्सक के बताये अनुसार ही ग्लूकोज का इस्तेमाल करना चाहिये। ग्लूकोज की कमी की तुरन्त पूर्ति के लिए दो चम्मच ग्लूकोज़ पाउडर एक गिलास ठन्डे पानी में अच्छी तरह मिलाकर पीना चाहिए। हर एक दिन छोड़कर या महीने में किसी भी 10 दिन ग्लूकोज लेना सुरक्षित माना जाता है। ग्लूकोज दिन में एक बार ही सेवन करें या बहुत कमजोरी होने पर दो बार सेवन करें। नोट:ज्यादा सेवन करने से मधुमेह की बीमारी हो सकती है इसलिए डॉक्टर के निर्देशानुसार ही सेवन करें।

जानिए आपकी सेहत के लिए क्या है फिगारो आयल के फायदे

फिगारो आयल के फायदे

फिगारो जैतून का तेल आज के समय में सिर्फ किचन तक ही सीमित नहीं है। यह तेल बालों की देखभाल, त्वचा की नमी और दिल की सेहत के लिए भी बेहद उपयोगी है। इसके पोषण तत्व इसे एक हेल्दी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि फिगारो जैतून का तेल के फायदे क्या हैं, इसे कैसे इस्तेमाल करना चाहिए, और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

फिगारो जैतून का तेल क्या है?

फिगारो जैतून का तेल (Figaro Olive Oil) एक उच्च गुणवत्ता वाला ऑलिव ऑयल है, जो यूरोपियन तकनीक से निर्मित होता है। यह दो प्रकार में मिलता है:

  • एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल
  • रिफाइंड ऑलिव ऑयल

दोनों ही प्रकार स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं, लेकिन उपयोग के आधार पर इनका चयन किया जाना चाहिए।

फिगारो जैतून का तेल के फायदे

1. बालों की सेहत के लिए लाभकारी

  • यह तेल बालों की जड़ों तक पोषण पहुंचाता है।
  • डैंड्रफ कम करता है और बालों को झड़ने से रोकता है।
  • बालों को मुलायम, चमकदार और घना बनाता है।

उपयोग: हफ्ते में दो बार हल्का गर्म फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाएं और 1 घंटे बाद शैम्पू करें।

2. त्वचा के लिए बेहतरीन मॉइश्चराइज़र

  • सूखी और बेजान त्वचा को हाइड्रेट करता है।
  • झुर्रियों को कम करने और त्वचा को जवान बनाए रखने में मदद करता है।
  • सनबर्न और स्किन इरिटेशन में राहत देता है।

उपयोग: नहाने के बाद या रात को सोने से पहले त्वचा पर लगाएं।

3. दिल की सेहत के लिए लाभदायक

  • इसमें पाए जाते हैं मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स जो “अच्छे कोलेस्ट्रॉल” को बढ़ाते हैं।
  • नियमित सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
  • ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

उपयोग: खाने में सलाद ड्रेसिंग या हल्की आंच पर खाना बनाने में इस्तेमाल करें।

4. वजन घटाने में मददगार

  • यह तेल शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारता है।
  • लंबे समय तक पेट भरा महसूस होता है जिससे ओवरइटिंग नहीं होती।
  • वजन घटाने वाली डाइट का हिस्सा बन सकता है।
वजन कम करने में मदद करे
वजन कम करने में मदद करे

5. बच्चों की मालिश के लिए सुरक्षित

  • नवजात शिशु की त्वचा के लिए बिल्कुल सुरक्षित।
  • हड्डियों को मजबूत बनाता है और त्वचा को मुलायम रखता है।
  • सर्दियों में त्वचा को ड्राय होने से बचाता है।

फिगारो जैतून का तेल कैसे करें इस्तेमाल?

  • बालों के लिए: हल्के गर्म तेल से मालिश करें।
  • त्वचा के लिए: नहाने के बाद त्वचा पर लगाएं।
  • खाने में: सलाद, सूप, पास्ता आदि में मिलाएं।
  • शिशु मालिश के लिए: नहाने से पहले बच्चों के शरीर पर लगाएं।

सावधानियाँ

  • तेज़ आंच पर इस तेल को गर्म न करें, इसके पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं।
  • ऑयली स्किन वाले लोग पहले पैच टेस्ट करें।
  • तलने (Deep Fry) के लिए उपयोग करने से बचें।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. क्या फिगारो जैतून का तेल खाना पकाने के लिए सुरक्षित है?
    हाँ, यह हल्की आंच पर खाना पकाने और सलाद ड्रेसिंग के लिए उपयुक्त है।
  2. क्या फिगारो जैतून का तेल बालों में लगाने से फायदा होता है?
    जी हाँ, यह बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
  3. क्या यह बच्चों के लिए सुरक्षित है?
    हाँ, यह शुद्ध और हल्का होता है, इसलिए बच्चों की मालिश के लिए बेहतरीन है।
  4. क्या इसे रोजाना त्वचा पर लगा सकते हैं?
    अगर आपकी त्वचा सूखी है तो रोजाना इस्तेमाल फायदेमंद है।

निष्कर्ष

फिगारो जैतून का तेल एक ऑल-राउंडर हेल्थ और ब्यूटी प्रोडक्ट है। यह बालों, त्वचा, दिल और यहां तक कि बच्चों की केयर में भी कारगर है। अगर आप एक ऐसा प्राकृतिक तेल ढूंढ रहे हैं जो कई तरह से फायदेमंद हो, तो फिगारो जैतून का तेल आपकी पहली पसंद होनी चाहिए।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

फिगारो तेल से क्या फायदा होता है?, फिगारो ऑयल के क्या फायदे हैं?

फिगारो जैतून का तेल एक मल्टीपरपज़ ओयल है, ये भोजन में और त्वचा तथा बालों में लगानें के काम आता है, इसमें बेहतरीन ऐंटीआक्सीडेंटस और फैट एसिड होते हैं, जिससे ये हार्ट के लिए बहुत लाभदायक होता है। इस तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है, इसे कई तरह के उबटन में मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं, होठों पर लगाने से होठ फटना बंद हो जाते हैं । नवजात शिशुओं की हड्डियों और बालों के लिए काफी लाभकारी है, बहुत प्यार से फिगारो उनकी नाजुक त्वचा का पोषण करता है।

जैतून का तेल बच्चों को कब लगाना चाहिए?

जैतून का तेल शिशु की त्वचा के लिए बहुत लाभकारी होता है, जब बच्चा पेट दर्द की वजह़ से रो रहा हो तो उसकी नाभि के आसपास हल्के हाथ से तेल की मालिश कर सकते हैं और ये जन्म के हफ्ते भर बाद से ही किया जा सकता है, इसके अलावा पूरे शरीर की मालिश भी हफ्ते बाद ही शुरू कर सकते हैं और डायपर रैशेज पर भी लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जब शिशु छः माह का हो जाए तो उसके खानें में भी एक चौथाई चम्मच जैतून का तेल यूज किया जा सकता है।

जैतून का तेल फेस पर लगाने से क्या होता है?

जैतून का तेल फेस पर लगाने से एक रात में ही आपको ग्लो महसूस हो जाता है, रात को सोने से पहले अपना फेस साफ करके उस पर तेल की 4 बूंदें लेकर मसाज करें। चेहरे और गर्दन पर सिर्फ 2 मिनट की मसाज करें और फिर सो जाएं। सुबह उठकर ग्लो खुद ब खुद देखें, जैतून के तेल में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह तेल आपकी त्वचा का रंग निखारने में बहुत अहम रोल निभाता है। यह स्किन सेल्स की रिपयेरिंग स्पीड को बढ़ा देता है इसलिए सिर्फ एक रात में ग्लो पा सकते हैं।

जैतून का तेल 100 ग्राम कितने का मिलेगा?

गुणवत्ता और पैकेजिंग बोट़ल के अनुसार जैतून के 100 ग्राम तेल के दाम भिन्न भिन्न होते हैं, तेल की शुद्धता, कम्पनी का नाम और पैकजिंग की क्वालिटी ये सब बातें दाम में भिन्नता पैदा करती हैं, इसलिए बाजा़र में अलग अलग कम्पनी के तेल थोड़ा ऊपर नीचें दामों में उपलब्ध हैं जो 95 रुपये से लेकर 160 रूपये तक के बीच में है। ये आपके अनुभव के ऊपर आधारित है कि आपको किस कम्पनी का तेल सूट करता है, बेहतर लगता है।

कब और कितना खाएं चुकंदर ताकि ना हो ये चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर या बीटरूट जिसको देखकर ही अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना की जा सकती है, सलाद हो या सूप चुकंदर को खाने के कई फायदे हमने सुने है। आयुर्वेद के अनुसार चुकंदर को खाने से बहुत से फायदे होते हैं। खून की कमी होने पर ​​हीमोग्लोबिन बढ़ाने में करता है। ​कैंसर से बचाता है, त्वचा को ग्लो देता है। रक्तचाप को कंट्रोल करता है, बालो को मुलायम बनाता है। लेकिन अगर आप सोचते है कि सुंदर और स्वस्थ्य दिखने के लिए आप ज्यादा सेवन करेंगे तो ये गलत है। अति हर चीज़ की नुकसान करती है, इसी प्रकार चुकंदर या बीट रुट के जरूरत से ज्यादा सेवन करना भी खतरनाक है। आज इस आर्टिकल में हम आपको चुकंदर खाने के नुकसान बताएंगे। इससे आप भली प्रकार समझ सकेंगे कि चुंकदर कब और कितनी मात्रा में खाना हैं।

चुकंदर खाने के नुकसान

किडनी स्टोन

किडनी स्टोन चुंकदर के ज्यादा सेवन का सबसे महत्वपूर्ण दुष्परिणाम होता है। ऐसे लोग जो पहले ही किडनी की किसी बीमारी ग्रसित हो चुकंदर का सेवन बिल्कुल न करे।

दरअसल चुकंदर में ऑक्सलेट साधारण से ज्यादा मात्रा में होता है, ऑक्सलेट की ज्यादा मात्रा ही किडनी में स्टोन बनने का मुख्य कारण है।

शौच से सम्बंधित समस्या

चुंकदर का सेवन ज्यादा करने से यूरिन और स्टूल का रंग भी लाल या गुलाबी रंग का हो जाता है। वैसे तो ये कोई खतरनाक स्थिति नही होती, लेकिन मल मूत्र का खून के रंग में आना मानसिक तौर पर बहुत ही उलझन पूर्ण होता है।

इस स्थिति को बीटूरिया कहते हैं। चुकंदर में शामिल बीटानिन तत्व ही इस रंग का कारण होता है। यदि आप इस समस्या से जूझ रहे है तो चुकंदर का सेवन तुरन्त बन्द कर दे।

48 से 50 घण्टे के भीतर गुलाबी या लाल मल मूत्र की समस्या समाप्त हो जाएगी। यदि 50 घण्टे के बाद भी स्थिति जस की तस बनी रहे तो डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करे।

निम्न रक्तचाप

यदि आप उच्च रक्तचाप से ग्रसित है तो चुकंदर आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन यदि आप निम्न रक्तचाप से पीड़ित है तो चुकंदर का ज्यादा सेवन बिल्कुल न करे।

खासकर यदि आप लो ब्लड प्रेशर के लिए कोई दवाई ले रहे है। निम्न रक्तचाप होने से रोजमर्रा के कार्य अव्यवस्थित हो जाते है।

निम्न रक्तचाप
निम्न रक्तचाप

पाचन क्षमता पर बुरा असर

बीटरूट जूस का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा आप चुकन्दर का सेवन धीरे धीरे कम मात्रा में करे।

यदि आप इसे सलाद के रूप में ले रहे है तो साथ मे दूसरे पदार्थ भी सलाद के रूप में ले। यदि आप जूस के रूप में ले रहे है तो कुछ मात्रा में दूसरी सब्जियों का जूस भी मिक्स करें।

मधुमेह में नुकसानदायक

100 ग्राम चुकंदर में लगभग 7 ग्राम शुगर होती है। यदि आप नियमित तौर पर इसका सेवन कर रहे है, तो आपका सुगर लेवल बढ़ सकता हैं।
खासतौर पर यदि आप अन्य मीठी चीज़ों का सेवन भी कर रहे है तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि इसे अन्य खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित कर लें।

चुकंदर खाने के अन्य नुकसान

  • चुकंदर फाइबर से भरपूर होता है। यदि आप सोचते है कि फाइबर की अधिक मात्रा पेट के लिए सही है तो आप गलत हैं। चुंकदर के रूप में अधिक मात्रा में फाइबर के सेवन से मितली,  दस्त और कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • चुकंदर के ज्यादा सेवन से शरीर में कैल्शियम का लेवल कम हो सकता है। कैल्शियम हड्डियों का मुख्य तत्व है, इसका लेवल कम होने से हड्ड‍ियों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • कुछ लोगों को बीटरूट से एलर्जी हो सकती है। इससे अर्टिकेरिया (त्वचा पर लाल, खुजलीदार और जलनशील चक्कते), सांस लेने में तकलीफ और आंखों व नाक में समस्या हो सकती है
  • चुकंदर के अधिक सेवन से लिवर में मेटल जमा हो सकता है। यह पोर्फिरीया कटानिया टार्डा (खून की बीमारी जो त्वचा को प्रभावित करती है), आयरन की कमी या पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।

चुकंदर का कितना सेवन सही रहेगा

वैसे तो चुंकदर की सेवन मात्रा प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है फिर भी साधारण: एक बार में आठ औंस और सप्ताह में तीन बार से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

अर्थात एक बार मे दो चुकंदर का जूस काफी होता है। यदि आप किसी बीमारी जैसे खून की कमी के लिए इसका सेवन कर रहे है तो, बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई बन्द न करें।

आशा है आप चुकंदर खाने के नुकसान अच्छे से समझ गए होंगे और अपनी सेहत और सहूलियत के अनुसार ही इसका सेवन करेंगे।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

शादी के बाद कौन मां नहीं बनना चाहता लेकिन कई बार ये प्रेग्नेंसी अनचाही हो जाती है तो परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में कई बार महिला गर्भधारण को खत्म करने के घरेलू उपायों से गर्भपात कराने के बारे में सोचती है। गर्भपात का अर्थ है गर्भवती होने के 24 सप्ताह के भीतर गर्भ में भ्रूण का विनाश। यदि गर्भपात गर्भवती होने के 12 सप्ताह के भीतर हो जाता है, तो इसे प्रारंभिक गर्भपात कहा जाता है।

यदि गर्भावस्था के पहले या दूसरे सप्ताह में रक्तस्राव होता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आपका गर्भपात हो गया है। लेकिन इस स्थिति में भी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा अबॉर्शन पिल्स भी आजकल उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल दो महीने तक की प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है।

लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था को तीन महीने हो गए हैं, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार से गुजरना होगा। ऐसे में अगर आप घरेलू नुस्खे अपनाती हैं तो ब्लीडिंग होती है, लेकिन सही तरीके से गर्भपात न होने के कारण अधूरे गर्भपात का मतलब यह हो सकता है कि आपके गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह गए हैं, जो बाद में आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। आज हम आपको बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे बताएंगे, जिनकी मदद से आप 1 महीने तक गर्भपात करवा सकते हैं।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

लहसुन-गर्भपात के घरेलु उपाय

लहसुन हर किसी की रसोई में शामिल होता है, इसमें ‘एलिसिन’ नामक तत्व होता है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्त संचार बढ़ाता है। लहसुन से गर्भपात के लिए किसी भी तरह से अधिक मात्रा में इसका सेवन करें।

लहसुन
लहसुन

बबूल के पत्ते – गर्भ गिराने के उपाय

अगर 1 महीने से 15 दिन का गर्भ है तो उसके लिए बबूल के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। इस पानी को दिन में चार से पांच बार तब तक पिएं जब तक आपको ब्लीडिंग न होने लगे।

अजवाइन से गर्भपात

अजवायन का असर बहुत ही गर्म माना जाता है, आप इसका इस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं कि गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में रोजाना आधा चम्मच अजवायन लें, या फिर इसे एक गिलास पानी में उबालकर पी लें।

इलायची से गर्भ कैसे गिराए

इलायची के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें, एक चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार लें और रक्तस्राव बंद होने तक रखें।

गर्भ धारण करने के घरेलू उपाय के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर और 5 इलायची को उबालकर एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें, छानकर रख लें। दिन में तीन बार 50 मिलीलीटर पिएं।

तुलसी का काढ़ा

तुलसी का प्रभाव भी बहुत गर्म होता है, तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या इसका काढ़ा बनाकर पीएं, दोनों तरह से यह गर्भपात में सहायक है।

अनानास का रस-गर्भपात के घरेलु नुस्खे

अनानस गर्भवती महिलाओं से दूर रखा जाता है क्योंकि अनानास में बड़ी मात्रा में विटामिन सी, एंजाइम और रसायन होते हैं, जो गर्भपात का कारण बनते हैं। इसमें ब्रोमेलैन की उपस्थिति के कारण गर्भाशय की दीवार नरम हो जाती है। इसलिए अगर शुरुआती हफ्तों में इसका इस्तेमाल किया जाए तो गर्भपात आसानी से किया जा सकता है।

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

पपीते को एक गर्म फल भी माना जाता है, इसका इस्तेमाल ज्यादातर महिलाएं अबॉर्शन के लिए करती हैं। क्योंकि पपीते में मौजूद फाइटोकेमिकल्स प्रोजेस्टेरोन गतिविधि में हस्तक्षेप कर सकते हैं। जो गर्भपात का कारण बनता है।

विटामिन सी फूड्स

घर पर गर्भपात कराने के लिए आपको विटामिन सी युक्त फलों का भरपूर सेवन करना चाहिए।

गर्भपात के लिए घरेलू उपचार अपनाते समय यदि अधिक रक्तस्राव, पेट में दर्द, बुखार, कमजोरी जैसे लक्षण लंबे समय तक दिखाई दें तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एस्पिरिन टैबलेट

मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध एस्पिरिन की गोली लें, इस टैबलेट को रोजाना 6 से 8 खुराक में लें। टेबलेट लेने के साथ-साथ अन्य घरेलू उपचार भी करते रहें।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

छोटे से जीरे के गुण है कई, जानिए कब और कैसे करे इस्तेमाल

जीरे के गुण

जीरा हमारी रसोई में उपयोग में आने वाला एक बहुत ही लोकप्रिय मसाला है। भारत मे हर जगह यह पैदा होता है। आयुर्वेदिक औषधि विज्ञान में भी जीरे को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह तीन प्रकार का होता है-  सफेद जीरा, काला जीरा और कलौजी जीरा। तीनों प्रकार के जीरे के गुण को देखा जाय लगभग एक समान ही होते है | जीरा की तासीर ठंडी होती है। सफेद जीरा में अजवायन की तरह एक उड़नशील तेल, खनिज द्रव्य और विटामिन पाए जाते हैं। काले जीरे में भी उड़नशील तेल पाया जाता है, जिसके कारण इसकी महक बहुत तेज़ होती है। जीरे के गुण अनेक है जो इस प्रकार है।

जीरे के गुण-Jeera Ke Fayde Hindi Me

पाचन क्रिया करे दुरुस्त

  • सोंठ, जीरा, छोटी पीपल, कालीमिर्च और सेंधा नमक प्रत्येक समान भाग लेकर पीसकर और बारीक कपड़े से छानकर इस पाउडर को खाना खाने के बाद 1-1 चम्मच (3 से 5 ग्राम) ताजा पानी के साथ सेवन करने से भोजन शीघ्र ही पचता है।
  • जीरा 2 चम्मच लेकर 1 गिलास  पानी में उबालकर उसके बाद ठंडा करके और छानकर आधा-आधा कप की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से बदहजमी दूर होकर भोजन जल्दी पचता है।
  • धनिया व जीरे का चूर्ण चीनी के साथ सेवन करने से अम्ल-पित्त के कारण खाना खाने के बाद होने वाली छाती में जलन को ठीक करता है।
  • जीरा और सेंधा नमक समान भाग लेकर नींबू के रस में 7 दिन तक भिगोकर रखें, उसके बाद उसे सुखाकर पाउडर बनाकर रख लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम सेवन करने से अफारा मिटता है तथा पाचन शक्ति भी तेज़ होती है।
    पाचन क्रिया करे दुरुस्त
    पाचन क्रिया करे दुरुस्त

चेहरा करे साफ़

जीरे को पानी में उबालकर उस जीरे का पानी से मुख धोने से कुछ ही दिनों में इस प्रयोग को निरंतर करने से मुंह की झाइयां, चकत्ते, मुंहासों के दाग आदि दूर होकर चेहरा साफ़ हो जाता है ।

स्तनों में दुग्ध वृद्धि

  • जीरे को घी में भूनकर, भुने हुए आटे के लड्डुओं में डालकर प्रसूता स्त्री (जच्चा) को खिलाने से स्तनों में दुग्ध वृद्धि होती है।
  • शिशु को दूध पिलाने वाली स्त्रियों में दूध की कमी हो तो सफेद जीरा पीसकर समान भाग पिसी हुई शक्कर या मिश्री मिलाकर 10-10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार सुबह-शाम सेवन करके ऊपर से दुग्धपान करने से यह कमी दूर करने में मदद मिलती है।

दांतों का दर्द

  • काले जीरे के काढ़े से कुल्लियां करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
  • जीरे को भूनकर खाने से मुंह की बदबू से भी छुटकारा मिलता है।
  • भुना हुआ जीरा और सेंधा नमक समान भाग लेकर तथा बारीक पीसकर मसूढ़ों पर हल्के-हल्के लगाने से मसूढ़ों की सूजन/मसूढ़े फूलना, टीस व दर्द होना आदि कष्ट दूर होते हैं।

पथरी की समस्या

पथरी की समस्या में जीरा और चीनी समान मात्रा में लेकर व पीसकर 1-1 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन करने से पथरी रोग में बहुत लाभ होता हैं।

पतले दस्तों में लाभ

  • जीरा 5 ग्राम को तवे पर भूनकर फिर पीसकर दही या दही की लस्सी में मिलाकर सेवन करने से अतिसार/पतले दस्तों में लाभ होता है।
  • बच्चों के दस्तों की शिकायत में जीरे को भूनकर और पीसकर 500 मि.ग्रा. मात्रा में लेकर 1 चम्मच पानी में घोलकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ होता हैं |
  • जीरा 15 ग्राम लेकर 400 ग्राम पानी में उबालकर जब 100 ग्राम पानी शेष रह जाये तब इस जीरे का पानी छानकर रोगी को सेवन कराने से पेट के कृमि खत्म जाते हैं।

अन्य फायदे

  • जुकाम होने पर काले जीरे को जलाकर उसका धुआं सूंघने से बंद नाक खुलती है।
  • बारीक पिसा हुआ जीरा पाउडर आधा चम्मच लेकर 100 ग्राम खौलते हुए पानी में डालकर ढक दें। 5 मिनट के बाद उसमें दूध और चीनी डालकर सुबह-शाम चाय की तरह सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है।

जानिए क्या है लीवर को मजबूत करने के उपाय

लीवर को मजबूत करने के उपाय

लीवर अगर कमजोर हो तो कई बिमारीया घेर लेती है। लीवर को स्वस्थ्य रखने के लिए आयुर्वेद मे अनेक औषधियों का वर्णन मिलता है जिनका उपयोग करके लीवर को निरोग रखा जा सकता है। साथ ही ये लीवर की कार्यशीलता को भी बढ़ाती है। मानव शरीर के अंगों में लीवर सबसे महत्वपूर्ण अंग है। देखा जाए तो शरीर के सभी अंगों का सुचारू रूप से चलना बहुत ही आवश्यक है। अगर शरीर का एक अंग भी अपना कार्य ठीक से ना करे तो शरीर को बिगड़ने में देर नहीं लगती। यहाँ हम कुछ ऐसे औषधियो की बात कर रहे है जो हमारे किचन मे आसानी से मिल जाती है और हमारे लीवर को मजबूत बनाती है।

लीवर को मजबूत करने के उपाय-Liver Majboot Karne Ke Upay

हल्दी-Liver Ke Liye Gharelu Nuskhe

हल्दी वाला दूध लीवर की कमजोरी को दूर करता है। रात को सोने से पहले दूध में हल्दी मिला कर पीयें। हल्दी में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। यह हैपेटाइटिस बी व सी के कारण होने वाले वायरस को बढ़ने से रोकता है और हमारे लीवर को भी स्वस्थ रखता है।

एप्पल साइडर विनेगर-Liver Ki Sujan Ka Ilaj In Hindi

एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर और शहद मिला कर दिन में दो से तीन बार लें। यह शरीर में मौजूद विषैले चीजों को निकालने में मदद करता है।

आंवला-Liver Problem Solution In Hindi

आंवला विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत है। यह लीवर की कमजोरी दूर करता है और लीवर को कार्यशील बनाने में मदद करता है। स्वस्थ लीवर के लिए दिन में 4-5 आंवलें का सेवन ज़रूर करना चाहिए।

नींबू-Liver Thik Karne Ke Upay

लीवर की देखभाल करने के लिए दिन में एक बार नींबू की चाय, सलाद या पानी में नींबू लें। नींबू शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायक होता है। यह अग्नाशय की पथरी को विकसित नही होने देता। इतना ही नही यह आपके हाजमे को भी बढ़ाता है।

ग्रीन टी-Liver Majboot Karne Ke Upay

ग्रीन टी में प्रचुर मात्रा में केटेकाइन्स और एंटीऑक्सीडेंट होता है जो लीवर की कार्यप्रणाली की क्षमता बढ़ाकर लीवर में वसा के जमाव को कम करने में सहायक बनता है।

ग्रीन टी
ग्रीन टी

ओलिव ऑयल-Liver Ka Ilaj In Hindi

लीवर की देखभाल करने के लिए भोजन को बनाने में जैतून के तेल का प्रयोग करें और मीठे से परहेज जरूर रखे। ओलिव ऑयल से लीवर के रोगों का खतरा कम हो जाता है।

ज्वार और बाजरा-Liver Ke Liye Gharelu Nuskhe

इनमें मौजूद फाइबर शरीर से टोक्सिन बाहर करने में सहायक है जिससे लीवर की सफाई होती है। इसकी रोटी बनाकर खाना फायदेमंद होता है।

जूस उपवास-Liver Problem Solution In Hindi

व्रत करना लीवर को साफ रखने का एक बेहतरीन तरीका है। व्रत के समय किसी तरह का ठोस आहार नहीं लिया जाता। जिस कारण लीवर को आराम मिलता है और एक निश्चित समय पर फल, जूस या कुछ सब्जियाँ ली जाती है जिसे लीवर बहुत कम समय में आसानी से पचा लेता है।

पपीता-Liver Thik Karne Ke Upay

पेट से सम्बंधित सभी रोगों क लिए एक रामबाण औषधि है। प्रतिदिन दो चम्मच पपीते के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलकर पिये। इससे पेट सम्बंधित कई परेशानियों से निजात मिलता है। खासकर यह “लीवर सिरोसिस” में लाभकारी होता है। पपीता खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है पपीते को आप सुबह नाश्ते में ले सकते है। पपीते को आप खाने के समय या खाने के बाद भी उपयोग कर सकते है।

लहसुन-Liver Majboot Karne Ke Upay

लहसुन का उपयोग भी आप प्रतिदिन खाने पीने चीजों में कर सकते है। उसके अलावा सुबह लहसुन के एक,दो टुकड़े भी खाने से लाभ होता है।

अंजीर-Liver Ka Ilaj In Hindi

अंजीर हमारे लीवर के लिए बहुत फायदेनंद है। अंजीर को रातभर पानी में भिगों दे और सुबह के समय उसको खा ले आप चाहे तो और इसी तरह सुबह के भिगोयें हुए अंजीर शाम को खा सकते है।

मिल्क थिस्टल-Liver Strong Karne Ke Upay

मिल्क थिस्टल हमारे लीवर को मजबूत बनाता है।  बाजार में मिल्क थिस्टल कैप्सूल के रूप में आसानी से मिल जाता है। मिल्क थिस्टल का सेवन लीवर की कार्य क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है।

पालक-Liver Problem Solution In Hindi

पालक भी हमारे लीवर को स्वस्थ रखता है। लीवर की देखभाल करने के लिए आप पालक और गाजर के रस का मिश्रण बनाकर पिये। यह “लीवर सिरोसिस” के लिए फायदेमंद घरेलू उपचार है।

सेब-Liver Ke Liye Gharelu Nuskhe

सेब और हरी पत्तेदार सब्जी पाचन तंत्र में उपस्थित जहरीली चीजों को बाहर निकलने में और लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसलिए दिन मे एक सेब जरुर खाऐ।

अजवायन खाने के फायदे जो नहीं जानते होंगे आप-Ajwain Ke Fayde Hindi Me

अजवायन खाने के फायदे

कहा जाता है कि अजवायन हर अपच वाले खाने को पचा देती है। ये एक ऐसी औषधि है जो आसानी से उपलब्ध होने के साथ ही ढेरो फायदे लिए हुए है। आज इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे ढेरो अजवायन खाने के फायदे बताएंगे जो आपको शायद पता न हो।

दरअसल अजवायन एक बीज होता है, जिसका प्रयोग मसाला एवं औषधि के रूप में किया जाता है। अजवाइन तीन तरह की होती है:-

  • अजवाइन
  • जंगली अजवाइन
  • खुरासानी अजवाइन

आइए आपको बताते हैं अजवाइन के गुण।

अजवायन खाने के फायदे-Ajwain Ke Fayde Hindi Me

अजवायन के ढेरों फायदे होते है जो उसे इस्तेमाल करने के तरीके पर निर्भर होते है। आज हम आपको अजवायन के प्रयोग करने के तरीके के साथ साथ इसके फायदे भी बताएंगे।

पेट से जुड़ी समस्याएं

प्राचीन समय से जिस समस्या के लिए अजवायन का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है वो है पेट की समस्या। यदि आपको जल्दी जल्दी छाती में जलन की समस्या होती है तो अजवायन और बादाम को एक साथ मुँह में डाले और चबा चबा कर खाए। इसके अलावा आप एक चम्मच अजवायन, आधा आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर और सेंधा नमक मिलाकर रख ले। इस मिश्रण को गुनगुने पानी के साथ ले।

पेट के लिए चूर्ण

  • 60 ग्राम अजवाइन, 30 ग्राम सेंधा नमक, 30 ग्राम काली मिर्च, 30 ग्राम काला नमक, 250मिग्रा यवक्षार ले ले। उसके बाद कच्चे पपीते से निकलने वाला दूध ले,ये सारी सामग्री इस दूध के साथ पीस ले और एक कांच के बर्तन में रख कर, 1 ली नींबू का रस डाल दे। लगभग महीने भर में ये धूप में अच्छे से सूख जाएगा। रोज इस चूर्ण को आधा चम्मच सेवन करें। इससे अपच, अमाशय संबंधी रोग, और बार-बार दस्त होने की बीमारी में लाभ होता है।
  • एक बर्तन में 2 गिलास पानी रखे। जब पानी उबलकर सवाया रह जाए, तो उसमें करीब 2 चम्मच अजवायन डाल कर ढक दे। गैस ऑफ कर दे। इस पानी को दिन में दो बार 50-50ml पी ले।
  • अगर किसी बच्चे या बड़े को दूध ठीक से ना पचता हो, उसे इस पानी की कुछ बूंदे दूध में डाल कर दी जा सकती है।
  • यदि गेहूं की रोटी ,परांठा, या मैदे की मठरी, मिठाई में अजवायन डाल दी जाए तो ये पचने में आसान हो जाती है। सोंठ, काली मिर्च तथा पिप्पली को पानी मे उबालकर काढ़ा बना लें या पीसकर चूर्ण बना ले। इसके सेवन से पैट की गैस की समस्या ठीक होती है।
  • diarrhea की समस्या में अजवाइन, और काले नमक को ताजे पानी के साथ सेवन करें। दस्त में अजवाइन के फायदे काफी है।

#ajwain for gas

माहवारी की समस्या

माहवारी की किसी भी प्रकार की समस्या हो चाहे रक्तस्राव कम होना, ज्यादा होना या अनियमित माहवारी, अजवायन सभी समस्याओं में कारगर हैं।

यदि आपको माहवारी खुल कर नही होती है तो एक बर्तन में 200ml पानी रखे। अब इसमें अजवायन गुड़, बादाम, गोला और खरबूजे के बीज डालकर उबाल लें। उबाल आने पर थोड़ा घी डाले और गर्म गर्म सेवन करे यह खाने में भी स्वादिष्ट होता है।

  • इससे गर्भाशय की गंदगी साफ होती है, और मासिक धर्म संबंधी विकार भी ठीक होते हैं।
  • अजवाइन के चूर्ण को या अजवायन को गर्म दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे भी मासिक धर्म में लाभ होता है।
    माहवारी की समस्या
    माहवारी की समस्या

सर्दी-जुकाम

अगर छोटा बच्चा सर्दी-जुकाम से पीड़ित है तो 200 ग्राम अजवाइन को मलमल के कपड़े में बांध लें। इसे पोटली बनाकर तवे पर गर्म कर लें।
इस पोटली को बच्चे के सिरहाने रखे, हल्का ठंडा होने पे छाती पर घुमाए, दोबारा गर्म करके इस्तेमाल करे।

  • 2-3 ग्राम अजवाइन के चूर्ण को गुनगुने पानी या दूध के साथ पिएं। इसे दिन में दो-तीन बार सेवन करना है। इससे जुकाम, खांसी तथा सिर दर्द में लाभ होता है।
  • अजवायन, सोंठ और लौंग को 200ml पानी मे पकाए। ठंडा होने पर छान लें, शहद मिला कर घूंट घूंट करके पी ले।
  • अगर खांसी के साथ बहुत ज्यादा कफ हो तो अजवाइन के रस में घी, और शहद मिला लें। इसे दिन में 3 बार खाएं। इससे कफ वाली खांसी में लाभ होता है।

अन्य फायदे

  • जो बच्चे बिस्तर गीला कर देते हैं, उन्हें रात में 500 मिग्रा अजवाइन खिलाएं। इससे फायदा हो सकता है।
  • कान में दर्द की समस्या होने पर अजवाइन को सरसो के तेल में पका लें। अब इस तेल को छान कर रख ले। इस तेल को गुनगुना कर, 2-2 बूंद कान में डालें। इससे कान का दर्द ठीक होता है। इस तेल से शरीर और जोड़ो की मालिश करने से दर्द में बहुत आराम मिलता है।
  • डिलीवरी के बाद महिला को ज्यादा से ज्यादा अजवायन का सेवन कराया जाता है ताकि गर्भाशय की सफाई अच्छे से हो जाए।
    50 ग्राम अजवाइन को 50 ग्राम गुड़ के साथ अच्छी प्रकार कूट लें। इसकी 1-1 ग्राम की गोली बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम ताजे पानी के साथ लें।
  • इससे एक सप्ताह में ही शरीर पर फैली हुई पित्ती शांत होती है। इसी गोली के सेवन से यूरिन से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती है।

ये थे अजवायन के अनगिनत फायदे

दालचीनी के उपयोग जो आप नहीं जानते होंगे-Dalchini Ke Upyog

दालचीनी के उपयोग जो आप नहीं जानते होंगे

दालचीनी से क्या क्या होता है?

आमतौर पर दालचीनी का प्रयोग केवल मसालों के रूप में ही होता हैं, आयुर्वेद में दालचीनी को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में बताया गया है।आजकल दालचीनी का उपयोग कैंसर जैसे असाध्य रोंगो में भी किया जाता है। दालचीनी की छाल तेजपात की वृक्ष छाल से अधिक पतली, पीली, और अधिक सुगन्धित होती है। यह भूरे रंग की मुलायम, और चिकनी होती है। इसे दालचीनी, दारुचीनी, दारचीनी भी कहतें हैं। रोजमर्रा की ज़िंदगी में दालचीनी के बहुत सारे उपयोग है।

दालचीनी के उपयोग-Dalchini Ke Upyog

आयुर्वेद के अनुसार, दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियां ठीक की जा सकती हैं। इसके साथ ही दस्त, और टीबी में भी इसके प्रयोग से लाभ मिलता है। आइए जानतें कि दालचीनी का उपयोग कैसे करना चाहिए?

दालचीनी का उपयोग कैसे करना चाहिए?

हिचकी को रोके-Dalchini Khane Ke Fayde

हिचकी आना बहुत ही साधारण सी बात है, लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें हमेशा हिचकी आने की शिकायत रहती है। ऐसे लोग दालचीनी का उपयोग कर सकते हैं। दालचीनी के 10-20 मिली काढ़ा को पिएं। इससे आराम मिलता है।

भूख बढ़ाये-Dalchini Ke Fayde In Hindi

दालचीनी भूख बढाने में भी मदद करती है. भूख को बढ़ाने के लिए 500 मिग्रा शुंठी चूर्ण, 500 मिग्रा इलायची, तथा 500 मिग्रा दालचीनी को पीस लें। भोजन के पहले सुबह-शाम लेने से भूख बढ़ती है।

आँखों की रोशनी बढ़ाये-Dalchini Ka Upyog

आंखों के रोग में दालचीनी का प्रयोग कर सकते हैं,इसे भोजन में शामिल करने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।

दांत दर्द से पाए आराम-Dalchini Ke Fayde

दांत के दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी के तेल को रूई से दांतों में लगाएं। इससे आराम मिलेगा। दालचीनी के 5-6 पत्तों को पीसकर मंजन करें। इससे दांत साफ, और चमकीले हो जाते हैं।

सिर दर्द से पायें आराम-Dalchini Powder Ke Fayde

सिर दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप बना लें। दालचीनी के लेप को मस्तक पर लगाने से ठंड, या गर्मी से होने वाली सिर दर्द से आराम मिलता है। आराम मिलने पर लेप को धोकर साफ कर लें।

दालचीनी के तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सर्दी की वजह से होने वाले सिरदर्द से आराम मिलती है।

सरदर्द
सरदर्द

दालचीनी, तेजपत्ता, तथा चीनी को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इसे चावल के धोवन (चावल को धोने के बाद निकाला गया पानी) से पीस कर बारीक चूर्ण बना लें। इसे नाक के रास्ते लें। इसके बाद गाय के घी को भी नाक के रास्ते लें। इससे सिर से संबंधित विकारों में आराम मिलता है।

तंत्रिका-तंत्र संबंधी परेशानियों के लिए दालचीनी के तेल को सिर पर लगाएं। इससे फायदा होता है

खांसी का करें इलाज-Dalchini Ke Gun

खांसी के इलाज के लिए दालचीनी का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। खांसी से परेशान रहने वाले लोग आधा चम्मच दालचीनी के चूर्ण को, 2 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे खांसी से आराम मिलता है।

दालचीनी उबालकर पीने से क्या होता है?

दालचीनी के पत्ते का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से खांसी ठीक होती है। एक चौथाई चम्मच दालचीनी के चूर्ण में 1 चम्मच मधु को मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी, और दस्त में फायदा होता है।

वजन कम करने में करे मदद-Dalchini Powder For Weight Loss In Hindi

वजन कम करने के लिए दालचीनी का प्रयोग कैसे करें?

वजन को कम करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। आप भी मोटापा कम करने में दालचीनी से फायदा ले सकते हैं। एक कप पानी में दो चम्मच मधु, तथा तीन चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिला लें। इसका रोज 3 बार सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल कम होता है।

वजन को करे नियंत्रित
वजन को करे नियंत्रित

पेट सम्बंधित विकारों को करे दूर-Dalchini Ke Fayde Kya Kya Hai

पेट से संबंधित कई तरह के रोगों में दालचीनी बहुत ही फायदेमंद होती है। 5 ग्राम दालचीनी चूर्ण में 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करें। पेट के फूलने की बीमारी ठीक होती है।

दालचीनी , इलायची और तेजपत्ता को बराबर-बराबर लेकर काढ़ा बना लें। इसके सेवन से आमाशय की ऐंठन ठीक होती है।

आंतों को स्वस्थ रखने के लिए भी दालचीनी का इस्तेमाल करना अच्छा परिणाम देता है। दालचीनी का तेल पेट पर मलने से आंतों का खिंचाव दूर हो जाता है।

प्रसव के बाद दालचीनी के सेवन से फायदे बहुत ही ज्यादा होतें हैं। त्रिकटु, पीपरामूल, दालचीनी, इलायची, तेजपात, तथा अकरकरा लें। इनके 1-2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ चाटें। इससे मां बनने वाली महिलाओं के रोग रक्त जनित और अंदरूनी रोग ठीक हो जाते हैं।

दालचीनी का उपयोग कर रक्तस्राव पर रोक-Dalchini Benefits to Stop Bleeding in Hindi

अगर फेफड़ों, या गर्भाशय से रक्तस्राव हो रहा है तो दालचीनी का काढ़ा 10-20 मिली पिएं। आपको काढ़ा को सुबह, दोपहर तथा शाम पीना है। इससे लाभ पहुंचता है।

गठिया रोग को करे दूर-Dalchini Ke Kya Fayde Hain

गठिया में 10-20 ग्राम दालचीनी के चूर्ण को 20-30 ग्राम मधु में मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे दर्द वाले स्थान पर धीरे-धीरे मालिश करें। इससे फायदा मिलेगा।

इसके साथ-साथ एक कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच मधु, एवं दालचीनी का 2 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे सुबह, दोपहर, तथा शाम सेवन करें। गठिया में लाभ देता है।

अन्य उपयोग-Dalchini Ke Fayde Hindi Me

  • वीर्य वृद्धि के लिये दालचीनी पाउडर सुबह शाम गुनगुने दूध के साथ ले।
  • मुह की दुर्गंध और दांत की दवा में दालचीनी का उपयोग किया जाता है।
  • मुहांसे कम करने के लिये दालचीनी का चूर्ण नींबू के रस में मिलाकर लगाये।
  • उल्टी को रोकने के लिए दालचीनी का प्रयोग दालचीनी, और लौंग का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से उल्टी पर रोक लगती है।
  • चर्म रोग में दालचीनी से फायदा चर्म रोग को ठीक करने के लिए शहद एवं दालचीनी को मिलाकर रोग वाले अंग लगाएं। आप देखेंगे कि थोड़े ही दिनों में खुजली-खाज, तथा फोड़े-फुन्सी ठीक होने लगेंगे।
  • दालचीनी के सेवन से बुखार में 1 चम्मच शहद में 5 ग्राम दालचीनी का चूर्ण मिला लें। सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से ठंड के साथ आने वाला संक्रामक बुखार ठीक होता है।

ध्यान रखने योग्य बातें-

  • दालचीनी उष्ण गुणधर्म की है, इसलिये गर्मी के दिनो में कम उपयोग करें।
  • दालचीनीसे पित्त बढ सकता है।
  • दालचीनी के अति सेवन से शरीर को नुकसान भी हो सकता है इसलिए दालचीनी के नुकसान से बचने के लिए इस्तेमाल से पहले देख परख कर या चिकित्सक से सलाह से ही इसका उपयोग करें।

जानिए गर्मियों में लौकी के जूस के फायदे-lauki ke juice ke fayde hindi me

जानिए गर्मियों में लौकी के जूस के फायदे

लौकी एक ऐसी सब्जी जिसे ज्यादातर लोग खाने से बचते है। लेकिन इसे सबसे पौष्टिक सब्जियों में से एक माना जाता है। लौकी को घीया या दूधी के नाम भी कहा जाता है। लौकी को केवल साधारण सब्जी ही नही बल्कि खीर, मिठाई, के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। क्या आप जानते है की लौकी डायबिटीज में बहुत असरकारी होती है। इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं जिससे शरीर ठीक तरह से अपना कार्य कर पाता है और बीमारियों से बचाव होता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको लौकी के जूस और लौकी के जूस के फायदे से सम्बंधित सारी जानकारी देंगे।

लौकी का जूस कैसे बनाए

बहुत से लोग स्वाद के कारण लौकी का जूस नही पीते, आप इस तरीके से लौकी का जूस बनाएंगे तो आपको जरूर पसंद आएगा।
जूस निकालने से पहले आप लौकी को चख कर देख लें की लौकी कड़वी तो नहीं है अगर लौकी कड़वी है तो उस का जूस नहीं निकालें।

आवश्यक सामग्री

  • आधी लौकी
  • 8-10 पुदीना पत्ता
  • चुटकीभर काली मिर्च पाउडर
  • चुटकीभर नमक
  • आधा छोटा चम्मच नींबू का रस
  • पानी जरूरत के अनुसार

विधि

  • सबसे पहले लौकी को धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
  • अब लौकी के टुकड़े, पानी और पुदीने पत्ते को एक मिक्सर जार में डालकर पीस लें।
  • तैयार रस को एक छन्नी से छानते एक गिलास में निकालकर रखें। लौकी का जूस तैयार है।
  • काली मिर्च पाउडर, थोड़ा नमक और नींबू का रस मिलाकर पिएं।

सबसे जरूरी बात अगर लौकी का जूस कड़वा निकल आए तो उस जूस को बिल्कुल भी न लें।

लौकी के जूस का सेवन कब करें

लौकी के जूस के सेवन का कोई निश्चित समय नही होता। फिर भी खाना खाने के तुरन्त बाद इसका सेवन ना करें। यदि इसका सेवन सुबह-सुबह खाली पेट किया जाए तो यह अधिक फायदेमंद होता है। लेकिन बहुत से लोगो को इससे जी खराब होने की समस्या हो सकती है। तो बेहतर यही है कि आप शुरुआत में कम मात्रा में इसका सेवन करके देखे।

लौकी के जूस के फायदे-lauki ke juice ke fayde hindi me

वजन कम करने में

यदि आप नियमित व्यायाम के साथ लौकी के जूस का सेवन करते है, तो वजन घटाने में बहुत ही मदद मिलेगी। एक्सरसाइज के बाद लगभग 100gm लौकी का जूस पिए। इससे आपको इंस्टेंट एनर्जी भी मिलेंगी साथ ही पेट भी काफी समय तक भरा फील होगा।

वजन कम करने में मदद करे
वजन कम करने में मदद करे

पाचन तंत्र सुधारे

लौकी के रस में  विटामिन, पोटेशियम, लौह, पानी और फाइबर होता है।ये सभी पोषक तत्व पाचन तंत्र में होने वाली क्रियाओं को नियमित करते है। इसमे उपस्थित फाइबर कब्ज को दूर रखता है। जिससे भूख खुलकर लगती है।

इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) भी होते हैं जो शरीर में इसके बैलेंस को बनाकर रखते हैं, जिससे लूजमोशन की समस्या नहीं होती है।लौकी का जूस अन्य पाचन समस्याओं जैसे पेट दर्द, खराब बॉवेल मूवमेंट, गैस, पेट फूलना, सूजन आदि से राहत प्रदान करने के लिए भी प्रभावी है।

ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें

रोज सुबह लौकी का जूस पीने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। हाई ब्लड प्रेशर को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। हाई बी पी के कारण हृदय संबंधी दूसरी समस्या हो सकती हैं, जैसे दिल का दौरा, अनियमित दिल की धड़कन आदि। लौकी का जूस 200 मिलीग्राम प्रतिदिन पीने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है और इससे उच्च रक्तचाप की समस्या से निजात मिलता है।

ब्लड सर्क्युलेशन को ठीक करे

लौकी के जूस में मिलने वाला पोटेशियम बेहतरीन वेसोडाइलेटर के रूप में काम करता है। यह ब्लड कैपिलरीज को बड़ा करने का काम करता है। ब्लड वेसेल्स को रिलैक्स करता है।

ब्लड सर्कुलेशन जितना अच्छा होगा। शरीर के सभी भागों तक ऑक्सीजन उतनी ही जाएगी। इससे न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक आराम भी मिलता है।

यूरिन इन्फेक्शन को ठीक करें

लौकी का जूस यूरिन इन्फेक्शन को दूर करता है। इसमे पानी की भरपूर मात्रा होती है। जिसके कारण यूरिन खुलकर आता है। साथ ही क्योंकि लौकी ठंडी होती है, प्राइवेट पार्ट में गर्मी से होने वाली जलन को भी दूर करती है।

लौकी के जूस के अन्य फायदे

  • इसके ड्यूरेटिक, सेडेटिव और एंटी-बिलियस गुण तनाव को दूर करते है।
  • लौकी के जूस में उपस्थित न्यूरोट्रांस्मिटर कोलीन मस्तिष्क को सुचारु रूप से कार्य करने में मदद करता है।
  • आंवला और लौकी के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से रूसी कम होती है. साथ ही इस मिश्रण से सिर पर मालिश करने से भी रूसी ठीक होती है।
  • लौकी का रस मिर्गी, पेट अम्लता, अपच, अल्सर और अन्य तंत्रिका रोगों के उपचार में बहुत उपयोगी है।
  • लौकी के रस में लेक्टिंस (lectins) और प्रोटीन होता है जो कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकता है।

कुछ बातों का रखे ध्यान

  • गर्भवती स्त्री को लौकी के जूस का सेवन न कराए। क्योंकि यदि लौकी कड़वी हुई तो भारी नुकसान हो सकता है।
  • लौकी के जूस को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें दुनिया भर की चीज़ें न डाले।
  • शुरु में इसके रस का उपयोग कम मात्रा में करें और जैसे-जैसे यह अच्छे से पचने लगे इसकी मात्रा को बढ़ा दें।

क्या सच में अदरक की चाय से हो सकता है गर्भपात का खतरा? क्या प्रेगनेंसी में अदरक खाना चाहिए? अदरक से गर्भपात हो सकता है क्या?

क्या सच में अदरक की चाय से हो सकता है गर्भपात का खतरा? क्या प्रेगनेंसी में अदरक खाना चाहिए? अदरक से गर्भपात हो सकता है क्या?

गर्भावस्था हर स्त्री के लिए एक सुखद एहसास है परंतु इसके साथ साथ प्रत्येक स्त्री हमेशा इस बात को लेकर शंका में रहती है कि उसे इस दौरान कौन सी चीजें खानी चाहिए और कौन सी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। घर की बुजुर्ग महिलाएं भी इस संबंध में अलग-अलग प्रकार की सलाह देती रहती हैं । इन्हीं चीजों में से एक है अदरक, अदरक का सेवन गर्भावस्था के दौरान करना चाहिए अथवा नहीं या कितनी मात्रा में करना चाहिए इन सभी बातों को लेकर कई सारे भ्रम दिमाग में रहते हैं। आइए जानते हैं की क्या प्रेगनेंसी में अदरक खाना चाहिए? अदरक से गर्भपात हो सकता है क्या?

अदरक के अनेक औषधीय गुण हैं, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। विशेषज्ञों की मानें तो गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला मॉडरेशन में अदरक का सेवन कर सकती है। अदरक का सेवन कच्चा ही किया जाना चाहिए इसकी सूखी जड़ का सेवन नुकसानदायक होता है।

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गर्भवती महिला को 1 दिन में कितनी मात्रा में अदरक का सेवन करना चाहिए ?

गर्भवती महिला को 1 दिन में महज एक या अधिकतम 2 ग्राम अदरक का सेवन करना चाहिए । इससे अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है।

गर्भावस्था में अदरक का सेवन करने के लाभ

उल्टी
उल्टी
  • अदरक इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाती है और गर्भवती को सर्दी ,जुकाम ,खांसी जैसी बीमारियों से बचाती है।
  • अदरक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करती है तथा हृदय को मजबूत बनाती है।
  • अदरक के सेवन से रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और भ्रूण रक्त की आपूर्ति सही तरीके से होती है ।
  • अदरक भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करने का कार्य भी भली प्रकार से करने में मदद करती है ।
  • अदरक गर्भावस्था के दौरान होने वाली थकान को दूर कर शरीर को स्फूर्ति प्रदान करती है।
  • यह ब्लड शुगर कंट्रोल करने में भी मदद करती है ।
  • रात में अदरक का सेवन करने से गैस, मितली और उल्टी की समस्या नहीं होती ।
  • मॉर्निंग सिकनेस की समस्या में भी अदरक का सेवन लाभदायक है ।
  • अदरक में एंटी इन्फ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में होने वाली सूजन में लाभदायक है।

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गर्भावस्था में अदरक के सेवन से होने वाले नुकसान

  • गर्भावस्था में अदरक का अधिक मात्रा में सेवन करने से एसिडिटी की समस्या होती है।
  • ज्यादा अदरक के सेवन से कभी-कभी त्वचा पर शक करते या लाल दाने उभर सकते हैं।
  • अधिक मात्रा में अदरक के सेवन से शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है ।
  • अदरक के सेवन कभी-कभी लो शुगर लो ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है।

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गर्भावस्था में अदरक का सेवन करते समय निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए –

  • यदि गर्भवती महिला खून पतला करने की दवाई ले रही है तो उसे अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अदरक में एंटीप्लेटलेट तत्व पाए जाते हैं जो खून में रक्त का थक्का नहीं जमने देते ।
  • यदि आपको गर्भावस्था में एसिडिटी की समस्या है तो अदरक का सेवन से और बढ़ा सकता है ।
  • अदरक का सेवन रक्तचाप को कम करता है अतः लो ब्लड प्रेशर की समस्या वाली गर्भवती महिलाओं को सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • यदि कोई महिला गॉल ब्लैडर में स्टोन की समस्या से पीड़ित है तो उसे अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • यदि गर्भवती का ब्लड शुगर लेवल लो रहता है तो भी उसे अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए।

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क्या गर्भावस्था के दौरान अदरक के सेवन से गर्भपात हो सकता है ?

गर्भावस्था के दौरान अदरक का सेवन गर्भपात का कारण नहीं होता है। विशेषज्ञों की माने तो सीमित मात्रा में अदरक का सेवन गर्भवती के लिए लाभदायक होता है परंतु यदि अधिक मात्रा में अदरक का सेवन कर लिया जाए तो समस्याएं हो सकती हैं । यदि महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रसित है अथवा लो ब्लड प्रेशर ,लो शुगर की समस्या है तो अदरक का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अति आवश्यक है।

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गर्भावस्था के दौरान किस समय अदरक का सेवन किया जा सकता है ?

गर्भावस्था के प्रथम तीन महीनों तक अदरक का सेवन लाभदायक होता है ।

अदरक का सेवन किस किस प्रकार से किया जा सकता है ?

अदरक का सेवन चाय में, अदरक के सत के कैप्सूल के, अदरक की कैंडी के रूप में तथा अदरक के रस का सेवन किया जा सकता है।

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