How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

आज के युवा जीवन को बहुत ही सुनियोजित तरीके से जीना पसंद करते हैं। यही कारण है कि करियर में आगे बढ़ने के साथ-साथ पर्सनल लाइफ के लिए भी ये खास प्लानिंग करते हैं। वे कब शादी करने की योजना बना रहे हैं? माता-पिता कब बनें? कितने बच्चे होंगे? जैसी महत्वपूर्ण बातें। इस तरह की चीजें शायद एक या दो दशक पहले के समाज द्वारा बहुत योजनाबद्ध तरीके से नहीं की जाती थीं। ऐसे में युवा इन प्राकृतिक चीजों को रोकने के लिए चिकित्सा विज्ञान का सहारा लेते हैं। इसमें सबसे अहम मुद्दा माता-पिता बनना है। भागदौड़ भरी जिंदगी में करियर की अहमियत के चलते युवा अपने हिसाब से परिवार नियोजन करते हैं। ऐसे में वे अनचाहे गर्भ से बचने के लिए दवाओं का सहारा लेती हैं (गर्भनिरोधक से बचें)। लेकिन इन दवाओं के साइड इफेक्ट को देखते हुए हम आपको अनचाहे गर्भ से बचने के कुछ घरेलू उपाय बताते हैं। तो आइए जानते हैं क्या खाने से गर्भ नहीं ठहरता है।

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये

एक पतीले में दो कप गरम पानी चढ़ाएं। अब अदरक ,लॉन्ग ,काली मिर्च और दालचीनी का पेस्ट बनाएं । इस पेस्ट को पानी में मिलाएं और 20 मिनट तक गर्म उबलने दें । थोड़ा ठंडा करके इसे छाने और शहद मिलाएं ,तुलसी का काढ़ा तैयार है।

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हल्दी से प्रेगनेंसी रोकने के उपाय

जानकारों के मुताबिक अगर खाने के दौरान हल्दी का सेवन बहुत कम मात्रा में किया जाए तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान हल्दी के सप्लीमेंट और कैप्सूल का सेवन करती है तो करक्यूमिन की मात्रा अधिक होने के कारण गर्भावस्था से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि करक्यूमिन शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की नकल करता है, जो मासिक धर्म में ऐंठन और गर्भाशय के संकुचन को बढ़ाता है, जिससे समय से पहले जन्म और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

हल्दी
हल्दी

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मेथी से गर्भपात कैसे करें

अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो जरूरत से ज्यादा मेथी के दानों का सेवन करने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर विपरीत असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं इससे आपके गर्भपात की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। दरअसल, मेथी के बीज में सैपोनिन नाम का तत्व पाया जाता है जो गर्भपात का कारण बनता है।

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जायफल से गर्भपात कैसे करें

जायफल में मिरिस्टिसिन होता है, जो एक सक्रिय तत्व है जो भ्रूण को नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इस कारण से अनावश्यक जोखिम से बचने के लिए गर्भावस्था से पहले इसके सेवन से बचना चाहिए। एक से दो चुटकी जायफल का चूर्ण शहद के साथ लेने से गर्भपात हो सकता है। आप दूध के साथ एक चुटकी जायफल का भी सेवन कर सकते हैं।

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तुलसी के पत्ते से गर्भपात कैसे करें

दरअसल, अगर तुलसी के पत्तों का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह शरीर में हानिकारक हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव पैदा कर सकता है, यानी सरल शब्दों में कहें तो तुलसी के अधिक सेवन से शरीर में ब्लड शुगर लेवल में कमी आ सकती है। इससे चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और घबराहट की भावना हो सकती है। तुलसी में यूजेनॉल होता है, जिससे हृदय गति बढ़ सकती है, मुंह में छाले हो सकते हैं, चक्कर आ सकते हैं और शायद इसी वजह से डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को तुलसी का सेवन करने से भी मना करते हैं।

काली चाय से गर्भ कैसे गिराए

अनचाहे गर्भ से निजात पाने के लिए पार्सले का सेवन काफी फायदेमंद साबित होता है। अगर आप प्रेग्नेंसी पॉजिटिव महसूस करती हैं तो रोज सुबह शाम पानी में कुछ पार्सले के पत्ते उबालकर चाय की तरह पिएं। इस प्रक्रिया को लगातार एक महीने तक करें।

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नींबू से गर्भ कैसे गिराए

आपको बता दें कि नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह नुकसानदायक नहीं है। लेकिन अगर आप गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में नींबू या किसी खट्टे फल का सेवन करती हैं, तो आपका गर्भपात हो सकता है।

प्रेगनेंसी में खजूर खाने के नुकसान

अगर आपका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा है या आपका ग्लूकोज टेस्ट नॉर्मल नहीं है तो आपको प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में खजूर खाने से बचना चाहिए।

काली मिर्च से गर्भपात कैसे करे

कई लोग प्रेग्नेंसी में काली मिर्च का सेवन करने से मना कर देते हैं। लेकिन क्या प्रेग्नेंसी में काली मिर्च खानी चाहिए? तो इसका उत्तर है- हां, गर्भावस्था के दौरान काली मिर्च का सेवन करना सुरक्षित है, लेकिन इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। अन्य खाद्य पदार्थों की तरह इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए, इससे आपको और आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि, काली मिर्च के अत्यधिक सेवन से एसिडिटी, गर्भपात, अपच और जलन हो सकती है।

अदरक से गर्भपात हो सकता है

गर्भावस्था के दौरान अदरक का सेवन गर्भपात का कारण नहीं होता है। विशेषज्ञों की माने तो सीमित मात्रा में अदरक का सेवन गर्भवती के लिए लाभदायक होता है परंतु यदि अधिक मात्रा में अदरक का सेवन कर लिया जाए तो समस्याएं हो सकती हैं । यदि महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रसित है अथवा लो ब्लड प्रेशर ,लो शुगर की समस्या है तो अदरक का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अति आवश्यक है।

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तिल से गर्भपात कैसे करें

ऐसा माना जाता है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है, जो वास्तव में सच नहीं है। इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है। वहीं तिल में आयरन, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।

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पपीता खाने से गर्भपात कैसे होता है

कच्चा पपीता-पपीता कच्ची अवस्था मे गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। कच्चे पपीते को एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक कहा गया है,इसकी तासीर काफी गर्म होती है।

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गुड़ से गर्भपात हो सकता है

गर्भवती महिला गुड़ का सेवन सीमित मात्रा में कर सकती है। गुड़ आयरन से भरपूर होता है और आयरन की दैनिक आवश्यकता को पूरा कर सकता है। चीनी का प्राकृतिक स्रोत गर्भवती महिला के स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसके अलावा गुड़ खून और मां के दूध को शुद्ध करता है।

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अधूरे गर्भपात के लक्षण क्या है

प्रत्येक महिला के लिए गर्भपात एक शारीरिक और मानसिक दोनों तरीकों से दुखद अवस्था है, परंतु अधूरा गर्भपात और भी भयावह स्थिति  है। यदि आपको लगातार योनि से भारी रक्तस्राव हो रहा है, योनि मार्ग में रक्त के थक्के निकल रहे हैं, पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा है, बुखार है अथवा फ्लू के लक्षण नजर आ रहे हैं तो ये अधूरे गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं। अगर इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

अपूर्ण गर्भपात के उपचार

 

क्या है नोरोवायरस के लक्षण और इलाज-Norovirus ke lakshan aur Ilaz

क्या है नोरोवायरस के लक्षण और इलाज

रात दिन मिलने वाली नयी नयी बीमारियां और होने वाली मेडिकल रिसर्च से पता चलता है कि कोरोना वायरस, टोमैटो फ्लू, निपाह और स्वाइन फ्लू के बाद अब केरल में नोरोवायरस (Norovirus) का मामला भी सामने आया है, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि दो स्कूली बच्चे नोरोवायरस से संक्रमित मिले हैं, उन्होंने बताया कि तिरुवनंतपुरम के एक स्कूल में फूड पॉइजनिंग और डायरिया की शिकायत आने के बाद दो बच्चों के सैम्पल की जांच की गई, जिनमें नोरोवायरस की पुष्टि हुई, फिलहाल दोनों बच्चों की हालत स्थिर है…!

केरल में नोरोवायरस का पहला मामला नवंबर 2021 में सामने आया था. तब वायनाड में एक वेटरनरी कॉलेज के 13 छात्र इस वायरस से संक्रमित मिले थे, उल्टियां और दस्त इस वायरस का मुख्य लक्षण हैं।
नोरोवायरस से कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में कई बार संक्रमित हो सकता है, क्योंकि इसके कई सारे प्रकार होते हैं, इसलिए अगर आप एक बार संक्रमित हो गए हैं तो आगे भी आप इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।

अगर आप नोरोवायरस के किसी एक प्रकार से संक्रमित हुए हैं तो उसके खिलाफ इम्युनिटी बन सकती है, लेकिन दूसरे प्रकार से आप फिर से संक्रमित हो सकते हैं. इस बात को लेकर भी अभी कोई जानकारी नहीं है कि इससे एक बार संक्रमित होने के बाद कितने समय तक इम्युनिटी बनी रहती है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, किसी भी उम्र में कोई भी व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है, नोरोवायरस से आप कितना संक्रमित होते हैं , ये आपके जीन पर भी निर्भर करता है। नोरोवायरस को कई बार ‘स्टमक फ्लू’ या ‘स्टमक बग’ भी कहा जाता है. हालांकि, इससे संक्रमित होने के बाद फ्लू जैसी बीमारी नहीं होती है।

लक्षण

उल्टी, दस्त, पेट दर्द और जी मिचलाना इसके प्रमुख लक्षण हैं. कई बार मरीज को बुखार, सिरदर्द और शरीर में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। इस वायरस से संक्रमित होने पर पेट या आंतों में जलन हो सकती है,संक्रमित होने के 12 से 48 घंटे बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं,एक से तीन दिन में इससे राहत भी मिलने लगती है।

अगर आप नोरोवायरस से संक्रमित होते हैं तो आपको बुखार हो सकता है, दिन में कई बार उल्टियां और दस्त हो सकते हैं, इसके अलावा डिहाइड्रेशन की शिकायत भी हो सकती है।

बुखार
बुखार

नोरोवायरस से दूषित कोई खाना खाने या पेय पदार्थ पीने से भी ये संक्रमण फैल सकता हैं, इसलिए मरीज का जूठा ना खाएं, इसके अलावा नोरोवायरस से दूषित किसी सतह या चीज को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है, नोरोवायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।

नोरोवायरस से संक्रमित व्यक्ति इसके अरबों पार्टिकल छोड़ सकता है, और इसके महज कुछ पार्टिकल ही दूसरे व्यक्ति को बीमार कर सकते हैं, इसलिए साफ सफाई और आइसोलेशन जरूरी है।

इलाज

नोरोवायरस से संक्रमित होने पर एक से तीन दिन में ही ठीक हुआ जा सकता है. इससे संक्रमित होने पर डिहाईड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना जरूरी है।

कई मामलों में डिहाईड्रेशन की समस्या बहुत बढ़ जाती है, जिसके बाद अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है. अस्पताल में नसों के जरिए लिक्विड डाला जाता है।

सावधानियाँ

नोरोवायरस का नया संक्रमण तिरुअनंतपुरम के विहिंजम में सामने आया है,केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि बीमारी को फैलने से रोकने के इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ये भी कहा है कि पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि स्कूलों में जो मिड डे मील बांटा गया, उसे खानें से छात्रों में फूड प्वाइजनिंग हुई है, राज्य के स्वास्थ्य विभाग और जनरल एजुकेशन व सिविल सप्लाई विभाग ने रविवार को उच्च स्तरीय बैठक करके बीमारी को फैलने से रोकने के उपायों का ऐलान किया, इनमें मिड डे मील को तैयार करने में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना, पानी के टैंकों की सफाई और स्टाफ को जागरुक करना शामिल है।

क्योंकि आमतौर पर ये दूषित पानी, दूषित खाने और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, ये वायरस बार-बार व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है क्योंकि इसके बहुत सारे वैरिएंट होते हैं. इस वायरस पर कीटाणुनाशक भी काम नहीं करते और ये 60 डिग्री के तापमान पर भी जिंदा रह सकता है। मतलब ये कि पानी को उबालने या क्लोरीन डालने से इस वायरस को नहीं मारा जा सकता है, ये वायरस हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल के बावजूद जिंदा रह सकता है।

आमतौर पर यह संक्रमण जानलेवा नहीं होता लेकिन बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सतर्क रहने की सलाह दी जाती है, संक्रमण लगने और ज्यादा उल्टी-दस्त होने से उनकी स्थिति गंभीर हो सकती है. ज्यादातर मरीज कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं. इसकी कोई खास दवा नहीं है।
हर स्तर पर साफ सफाई और सावधानी ही इसका इलाज़ है।

जानिए क्या है पतंजलि कायाकल्प वटी के फायदे-Patanjali Kayakalp Vati Benefits

पतंजलि कायाकल्प वटी के फायदे

पतंजलि कायाकल्प वटी एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं के इलाज में किया जाता है। अगर आप patanjali kayakalp vati benefits जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए पूरी जानकारी लेकर आया है। यह दवा शरीर को अंदर से साफ करती है और त्वचा को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बनाती है।

पतंजलि कायाकल्प वटी क्या है?

तनाव

तनावपतंजलि द्वारा बनाई गई यह आयुर्वेदिक वटी कई जड़ी-बूटियों से बनी होती है, जो शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। इसका नियमित उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में कारगर होता है।

जब भी कोई व्यक्ति “patanjali kayakalp vati benefits” खोजता है, तो उसका मकसद त्वचा की देखभाल से जुड़ी जानकारी लेना होता है, और यह वटी उस दिशा में काफी असरदार मानी जाती है।

Patanjali Kayakalp Vati Benefits – प्रमुख फायदे

  • त्वचा की सफाई और चमक: वटी रक्त को शुद्ध करती है जिससे त्वचा में निखार आता है।
  • फोड़े-फुंसी और दाग-धब्बों में राहत: यह त्वचा की गहराई से सफाई करती है और पुराने दाग कम करती है।
  • एलर्जी और खुजली से बचाव: त्वचा की एलर्जी, जलन और खुजली से राहत देती है।
  • त्वचा की उम्र धीमी करती है: यह त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद करती है।

इन सभी patanjali kayakalp vati benefits को पाने के लिए इसे नियमित रूप से और सही तरीके से लेना जरूरी है।

प्रमुख घटक

इन सभी आयुर्वेदिक तत्वों का मिश्रण शरीर को डिटॉक्स करता है और त्वचा को प्राकृतिक रूप से हील करता है।

त्रिफला

त्रिफला

कैसे लें पतंजलि कायाकल्प वटी?

  • एक या दो गोली दिन में दो बार, भोजन के बाद लें।
  • इसे गुनगुने पानी के साथ लें।
  • बेहतर परिणाम के लिए कम से कम 2-3 महीने तक इसका उपयोग करें।

सावधानियाँ

  • गर्भवती महिलाएं या बच्चे इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह लें।
  • यदि किसी घटक से एलर्जी हो, तो उपयोग न करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन न करें।

निष्कर्ष

यदि आप patanjali kayakalp vati benefits की तलाश में हैं, तो यह वटी त्वचा की देखभाल के लिए एक बेहतरीन और सुरक्षित विकल्प हो सकती है। आयुर्वेदिक होने के कारण इसके साइड इफेक्ट बहुत कम हैं और यह आपकी त्वचा को अंदर से सुंदर और स्वस्थ बनाती है।

जानिए क्या है प्याज के रस के फायदे सफेद दाढ़ी के बालों के लिए

प्याज के रस के फायदे सफेद दाढ़ी के बालों के लिए

किसी को भी सफेद बाल अच्छे नहीं लगते चाहे वो स्त्री हो या पुरुष, सफेद बाल किसी की भी उम्र को बढ़ा सकते हैं। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि सर के बाल सफेद नहीं हुए होते और दाढ़ी के बाल सफेद होने लगते हैं। उम्र बढ़ने पर ऐसा हो तो कोई अफसोस नहीं होता पर कम उम्र में ही दाढ़ी के बाल सफेद होने लगे तो यह चिंता का विषय होता है।

सर के बालों के लिए तो बहुत सारे केमिकल्स वाली डाई बाजार में उपलब्ध है पर दाढ़ी के बालों में कोई भी केमिकल लगाना पसंद नहीं करता। डाई न लगा सकने के परिणाम स्वरूप दाढ़ी के बाल सफेद और बेरंग लगते हैं।

सबसे बड़ी चिंता का विषय होता है कि आखिर कम उम्र में ही दाढ़ी के बाल सर के बालों से भी पहले सफेद आखिर हो ही क्यों रहे हैं?

दाढ़ी के बाल सफ़ेद होने के कारण

  • दाढ़ी के बाल मेलेनिन की कमी के कारण कम उम्र में सफेद होने लगते हैं।
  • मानसिक तनाव के कारण भी दाढ़ी के बालों का रंग जल्दी सफेद होने लगता है।
  • ध्रूमपान व नशा करने से भी दाढ़ी के बाल जल्दी सफेद हो जाते है।

बिना केमिकल्स के भी प्राकृतिक चीजों के प्रयोग से दाढ़ी के बालों को सफेद किया जा सकता है। उन्हीं में से एक है प्याज का रस, प्याज के रस में अनगिनत फायदे होते हैं जो बालों की वृद्धि करते हैं और बालों को सफेद होने से बचाते हैं।

एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण प्याज का रस बालों को सफेद होने से रोकता है। प्याज में कैटलस नामक एक एंजाइम काफी अधिक मात्रा में होता है। यह बालों का सफेद होना रोकता है। प्याज में सल्फर काफी अधिक मात्रा मे पाया जाता है जो बालों को पोषण देता है और बालों को सफेद होने से बचाता है। प्याज का रस दाढ़ी के सफेद बालों के लिए बहुत अच्छा है। प्याज का रस दाढ़ी के सफेद बालों पर लगाने से बाल सफेद नहीं होते। दाढी के सफेद बाल धीरे-धीरे काले होने लगते है।

प्याज के रस को दाढ़ी के बालों में लगाने की विधि

प्याज व पुदीने के रस से

प्याज के रस को कटोरी में निकाल ले ,फिर उसमें दो चम्मच पुदीने का रस मिलाकर दाढ़ी के बालों पर आधा घंटा लगा रहने दे। कुछ समय बाद ठंडे पानी से दाढ़ी के बालों को धो लें। ऐसा सप्ताह में दो बार करें कुछ समय बाद ही दाढ़ी के बाल काले लगने लगेंगे।

पुदीना
पुदीना

अंकुरित प्याज एवं फिटकरी से

अंकुरित प्याज को छीलकर काट लें और काटकर पीस लें। अंकुरित हिस्से को भी छोटे-छोटे हिस्सों में काटकर पीस लें। फिटकरी को बारीक पीस लें | इन तीनों चीजों को आपस में मिलाकर 2 से 5 मिनट के लिए छोड़ दें। इस मिश्रण को धीरे धीरे दाढ़ी की मालिश करते हुए दाढ़ी पर लगाएँ 30 से 25 मिनट तक लगा रहने दें। ठंडे पानी से दाढ़ी के बाल धो ले। कुछ दिनों बाद ही आपकी दाढ़ी के बाल सफेद होने कम हो जाएंगे।

यह एक आयुर्वेदिक उपाय हैं। प्याज में आयरन, पोटेशियम और सल्फर प्रचुर मात्रा में होता है ,जो बालों को सफेद होने से बचाता है। फिटकरी भी एक एंटीसेप्टिक होने के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से युक्त होती है।

प्याज, नींबू के रस और कलौंजी से

एक प्याज को लेकर उस का रस निकाल ले। कलौंजी को पीस लें। पिसी हुई कलौंजी को प्याज के रस में मिला ले। नीबू को भी काटकर उस का रस निकाल लें। नींबू के रस में प्याज का रस मिलाकर दाढ़ी के बालों पर लगा ले। 30 से 45 मिनट तक बालों पर लगा रहने दे कुछ समय बाद बालों को धो लें यह नुस्खा हफ्ते में एक बार अवश्य करना है। कुछ समय बाद फर्क सभी को दिखने लगेगा।

प्याज, आंवला, गुड़हल, करी पत्ते, भृंगराज से

गुड़हल के कुछ फूल और करी पत्ते को पीस ले। आंवले के रस और प्याज के रस के साथ गुड़हल के फूल और करी पत्ते के मिश्रण को मिला ले। इस मिश्रण में भृंगराज पाउडर भी डाल लें। इन सारी चीजों को एक साथ मिलाकर चटनी जैसा बना ले रात भर लोहे की कढ़ाई में रहने दे।

सुबह उठकर दाढ़ी के बालों पर लगा लें। कुछ समय लगा रहने दें।1 घंटे बाद पानी से धो दें। हफ्ते में एक अवश्य लगाये। कुछ महीनों में ही जो बाल सफेद हुए हैं वह भी काले लगने लगेंगे।

प्याज का रस, कच्चा आलू, अरहर की दाल

प्याज का रस निकाल लें। कच्चे आलू को भी धोकर छील लें। आलू को कद्दूकस कर लें , आलू को निचोड़ कर उसका भी रस निकाल लें। अरहर की दाल को पीस लें।अब इन तीनों चीजों को एक साथ मिलाकर दाढ़ी के बालों पर लगाएँ। पंद्रह दिनों में एक बार इस प्रकिया को दोहराये। कुछ दिनों में ही फर्क नजर आने लगेगा।

प्याज का रस ,बादाम / नारियल / कैस्टर ऑयल

गाड़े बैगनी रंग के प्याज लें। उसको छोटे टुकड़ों में काट कर पीस लें। प्याज को छलनी में छानकर उस का रस निकाल लें। प्याज के रस में बादाम का तेल मिलाकर बदाम का तेल ना हो तो कैस्टऱ आँयल भी चलेगा, या फिर नारियल का तेल भी डाल सकते हैं | इनमें से किसी भी तेल को प्याज के रस के साथ मिलाकर दाढ़ी के बालों में लगाएँ | कुछ समय बाद ही पानी से धो दें इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बार करें कुछ समय बाद ही सफेद बाल काले होने लगेंगे।

प्याज का रस व अदरक का रस

प्याज को पीसकर उस का रस निकाल कर छान लें। अदरक कद्दूकस करके उसका भी रस निकालें।इन दोनों का रस मिलाकर दाढ़ी के बालों पर लगाएँ। कुछ समय बाद ही दाढ़ी के बाल घने होने लगेंगे और जो बाल सफेद हो चुके हैं उनमें भी फर्क दिखाई देने लगेगा।

हम सभी इन घरेलू एवं आसान तरीकों को अपना कर अपने व अपने अपनों के दाढी के सफेद बाल काले कर सकते हैं।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

प्याज को दाढ़ी पर लगाने से क्या होता है?

बालों की ग्रोथ के साथ-साथ प्याज के रस में उन्हें उगाने के भी गुण होते हैं। इसमें पाया जाने वाला एंटी-ऑक्सीडेंट एंजाइम्स के स्तर को काफी बढ़ा देता है। साथ ही बालों को सफेद होने से भी रोकता है। इसके अलावा प्याज के रस में सल्फर होता है, जो आपके रोमछिद्रों को पोषण देकर उन्हें फिर से सक्रिय करने में मदद करता है।

दाढ़ी के बाल काले कैसे करे?

शराब, धूम्रपान और जंक फूड के अत्यधिक सेवन से बाल समय से पहले सफेद हो जाते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से बाल सफेद नहीं होते हैं। इस तरह स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और आहार में बदलाव करने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। इससे बाल सफेद नहीं होते हैं।

नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?

नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?

शिशुओं के कब्‍ज की समस्‍या एक बहुत की कॉमन समस्‍या है। यह समस्‍या उन बच्‍चों में ज्‍यादा देखने को मिलती है जो मांँ का दूध नहीं पीते और पाउडर मिल्‍क पर निर्भर हैं। दरअसल ब्रेस्‍ट मिल्‍क यानी मांँ के दूध को बच्‍चे आसानी से पचा लेते हैं और इससे पेट भी बच्‍चों का आसानी से साफ हो जाता है. ऐसे में इन शिशुओं में कब्‍ज की समस्‍या कम देखी जाती है। अगर आपके शिशु को कब्‍ज (Constipation) की शिकायत है तो डॉक्‍टर भी किसी तरह की दवा देने से परहेज करते हैं। ऐसे में नन्‍हें शिशुओं को इस समस्‍या से निकालने के लिए आप घरेलू उपायों की मदद ले सकते हैं ,आइए जानते हैं किन उपायों से आप शिशुओं की कब्‍ज को दूर कर सकते है।

नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?

हल्का फुल्का व्यायाम

शिशु के पैरों को हल्‍के हल्‍के उपर नीचे, आगे पीछे हिलाएं, इसके बाद सावधानी से उनके पैरों को साइकिल की तरह गोल गोल घुमाएं. ऐसा करने से उन्‍हें प्रेशर बनता है और कब्‍ज से राहत मिलती है।

मालिश

बच्‍चे के पेट और निचले हिस्‍से की हल्‍की मालिश करें. ऐसा करने से भी कब्‍ज दूर हो सकती है।

गुनगुने पानी से स्नान

गुनगुने पानी से नहलाने से शिशु के शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है। पेट और इंटसटाइन व पॉटी एरिया में भी आराम मिलता है और वे पॉटी के लिए तैयार हो जाते हैं।

सौंफ

सौंफ भी पाचन संबंधित समस्‍याओं के इलाज में बहुत फायदेमंद है, आप एक चम्‍मच सौंफ को एक कप पानी में उबालकर ठंडा करें और छान कर रखें और दिन में तीन से चार बार शिशु को चम्‍मच से पिलाएं।

सेब का रस

बच्‍चों में भी फाइबर की कमी के कारण कब्‍ज हो सकती है। सेब में मौजूद घुलनशील फाइबर या‍नी पेक्टिन कब्‍ज के इलाज में लाभकारी होता है। आप सेब के छिलके साथ जूस निकाल कर शिशु को थोड़ा थोड़ा चम्मच से दे सकती हैं।

तरल पदार्थ

शरीर में पानी की कमी के कारण भी कब्‍ज होती है, अगर बच्‍चा छह महीने से अधिक उम्र का है तो उसके सूप, फलों का रस, दूध और पानी आदी खूब दें।

फल और सब्जियाँ

अगर बच्‍चा छह महीने से बड़ा है तो उसे फल और सब्जियों को उबालकर और पीस कर खिलाएं. इनमें फाइबर भरपूर होते हैं जिससे कब्‍ज दूर होता है।

पपीता

पपीता फाइबर का अच्‍छा स्रोत है और इसीलिए ये कब्‍ज के इलाज में बहुत असरकारी होता है। 6 महीने से अधिक उम्र के बच्‍चे के लिए पपीता कब्‍ज से छुटकारा दिलाने में बहुत फायदेमंद है।

ऑर्गेनिक नारियल तेल

कब्‍ज के घरेलू उपाय में नारियल तेल का प्रयोग भी किया जा सकता है। 6 महीने से अधिक उम्र के शिशु के खाने में दो या तीन मि.ली नारियल तेल मिला सकते हैं। अगर बच्‍चा 6 महीने से कम है तो उसकी गुदा के आसपास नारियल तेल लगाएं।

अरंडी का तेल

थोड़ा सा अरंडी का तेल लेकर हल्के हाथ से बच्चे की नाभि के आसपास पेट पर मालिश करें, इससे भी कब्ज दूर होता है।

क्या आप भी है अनजान यूरिक एसिड में मेथी के फायदे से, जानिए कैसे करे इस्तेमाल यूरिक एसिड में मेथी

यूरिक एसिड में मेथी के फायदे

यूरिक एसिड क्या होता है

यूरिक एसिड के विषय में हम सभी जानते हैं यूरिक एसिड शरीर से निकलने वाला एक अवशिष्ट पदार्थ है जो कि प्रोटीन युक्त डाइट अधिक लेने के कारण होता है। प्रोटीन युक्त डाइट में फ्यूरीन नामक पदार्थ होता है जिसे कि हमारी किडनी यूरिन के रूप में बाहर निकाल देती है। लेकिन जब हमारे शरीर में प्यूरिन की मात्रा अधिक हो जाती है तो इसे किडनी के लिए भी निकालना मुश्किल हो जाता है। फिर यह यूरिक एसिड हमारे शरीर में जमा होने लगता है। यह एक ऐसी बीमारी है जो कि हमारे जोड़ों के दर्द का कारण होती है। हमारे शरीर में गठिया की स्थिति उत्पन्न करती है। यूरिक एसिड आजकल आम होता जा रहा है। न सिर्फ बड़ो और बूढों को बल्कि बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। 

यूरिक एसिड में मेथी के फायदे

यूरिक एसिड से होने वाले नुकसान व मेथी की उपयोगिता

यूरिक एसिड की शरीर में अधिकता होने के कारण शरीर के जोड़ों में दर्द रहता है। उंगलियों में सूजन आ जाती है। इसके अलावा हाथ पैरों की उंगलियों में चुभन वाला दर्द हमेशा रहता है। बदलते खानपान और अव्यवस्थित दिनचर्या का भी इसमें मुख्य योगदान है। यूरिक एसिड के कारण समस्या इतनी बिगड़ जाती है कि लोगों को चलने, फिरने उठने, बैठने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किडनी में स्टोन भी यूरिक एसिड के जमने से ही होता है।

यूरिक एसिड के विषय में इतना सब कुछ जानने के बाद लगता है कि कुछ ऐसा आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खा हमें मिल जाए जिससे कि हम बिना डॉक्टर के पास जाए, बिना एलोपैथिक दवाई यूज किए घर में ही इसका ट्रीटमेंट कर सकें।

हम सब जानते हैं हर एलोपैथिक दवाई का कोई ना कोई साइड इफेक्ट जरूर होता है। हम सभी तलाश करते हैं किसी ऐसी आयुर्वेदिक औषधि की जिसे इस्तेमाल करना हम सभी के लिए सहज हो। इसी कड़ी में एक नाम मेथी का आता है। इन सभी समस्याओं का समाधान मेथी से हो सकता है। मेथी आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होती है। 

uric acid
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मेथी यूरिक एसिड में है गुणकारी

मेथी में मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन, विटामिन ए, बी, सी और एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो कि यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में मददगार होते हैं। मेथी दाने में सोडियम, जिंक, फास्फोरस फॉलिक एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे मिनरल मिलते हैं इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर भी पाए जाते हैं।

अधिकतर यूरिक एसिड की समस्या मोटे लोगों में पाई जाती है क्योंकि वह अपने भोजन में प्रोटीन युक्त पदार्थ ज्यादा लेते हैं। जिसकी वजह से उनके शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है। उनकी किडनी पूरी तरह से यूरिक एसिड को यूरिन के रूप में बाहर नहीं निकाल पाती है। जिसके कारण यूरिक एसिड यूरेट क्रिस्टल के रूप में शरीर के जोड़ों में जमा होने लगता है। 

सर्दी के मौसम में यूरिक एसिड में मददगार है मेथी

सर्दी के मौसम में यूरिक एसिड ज्यादा बढ़ता है। वैसे तो यूरिक एसिड के बढ़ने का मौसम से कोई विशेष लेना देना नहीं है। लेकिन जब बारिश होती है या ठंड के मौसम में यूरिक एसिड शरीर के जोड़ों में ज्यादा जमा होने लगता है। अधिकतर यह बीमारियां प्रौढ़ावस्था वाले लोगों को होती है क्योंकि वह जाड़े में धूप न निकलने के कारण अपने शरीर की हिफाजत करने के लिए रजाई से बाहर ही नहीं निकलते हैं। सर्दी से तो वो बच जाते हैं लेकिन शरीर की और बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं। ठंड के कारण वह योगा, एक्सरसाइज और वाॅक भी नहीं कर पाते। जिसके कारण उनके शरीर से यूरिक एसिड का निष्कासन नहीं हो पाता है। ऐसे में मेथी एक रामबाण का काम करता है मेथी काफी गर्म होता है यह जाड़े में शरीर को ऊष्मा प्रदान करता है।

मेथी फाइबर युक्त होता है जिसका सेवन करने से हमें डाइजेशन की दिक्कतों का भी सामना नहीं करना पड़ता। मेथी के प्रयोग से कब्ज की समस्या भी दूर होती है। जब आपका पेट अच्छी तरह से साफ होता है तो फिर आपके शरीर में बनने वाले विषैले पदार्थ यूरिक एसिड आदि भी शरीर से बाहर निकल जाते हैं। मेथी खाने के कारण पेट भरा भरा रहता है और ज्यादा भूख नहीं लगती। जिसके कारण व्यक्ति का यूरिक एसिड नहीं बन पाता है।

मेथी का प्रयोग यूरिक एसिड दूर करने के लिए कैसे करें

मेथी को अगर हम रोज लेते हैं तो यह शरीर में जमने वाले यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निष्कासित करने में मदद करता है।

इसके लिए हमें रात को सोते समय दो चम्मच मेथी को पानी में भिगो देना चाहिए। मेथी को अच्छी तरह से साफ करके दो तीन बार पानी से निकाल कर के ही हमें भिगोना चाहिए। सुबह-सुबह हमें खाली पेट मेथी खानी चाहिए और जो पानी बचे उसे पी जाना चाहिए।

मेथी को अंकुरित करके भी सुबह-सुबह खाया जा सकता है। इससे आपके शरीर में यूरिक एसिड का बनना रुक जाता है मेथी आपके शरीर को यूरिक एसिड के साथ-साथ थायराइड, शुगर, पेट में बनने वाली गैस और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं से भी निजात दिलाती है। 

क्या पेट साफ न होना भी है कब्ज? कब्ज क्या होता है? कब्ज कैसे दूर करे?

कब्ज कैसे दूर करे

पेट साफ न होना यानी मल त्याग में परेशानी होना, जिसे कब्ज भी कहते हैं। यह एक आम समस्या है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। अगर आपको लगातार पेट साफ नहीं हो रहा है, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि pet saaf na hone ke nuksan क्या हैं, कब्ज क्या होता है, और इसे कैसे दूर किया जा सकता है।

कब्ज क्या होता है?

कब्ज तब होती है जब आपका मल सख्त और सूखा हो जाता है और इसे निकालने में कठिनाई होती है। इसका मतलब है कि आपकी आंतों में मल लंबे समय तक रहता है, जिससे पेट साफ नहीं होता। कब्ज होने पर पेट में दर्द, भारीपन, और गैस की समस्या हो सकती है।

कब्ज
कब्ज

पेट साफ न होने के नुकसान (pet saaf na hone ke nuksan)

  • पेट में गैस और सूजन
  • सिरदर्द और कमजोरी महसूस होना
  • त्वचा पर रुखापन और मुंहासे
  • शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमा होना
  • लंबे समय तक कब्ज रहने पर पाइल्स या फिशर जैसी समस्या हो सकती है

कब्ज के कारण

  • पानी कम पीना
  • फाइबर युक्त आहार की कमी
  • तली-भुनी और जंक फूड का सेवन
  • शारीरिक गतिविधि की कमी
  • तनाव और चिंता
  • कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट

कब्ज कैसे दूर करें? (कब्ज का घरेलू इलाज)

  1. पर्याप्त पानी पिएं: दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं, जिससे आंतें ठीक से काम करें।
  2. फाइबर युक्त भोजन लें: फल, सब्जियां और साबुत अनाज कब्ज दूर करने में मदद करते हैं।
  3. नियमित व्यायाम करें: योग या चलना कब्ज को दूर रखने में सहायक है।
  4. नियमित भोजन करें: समय पर और सही मात्रा में भोजन लें।
  5. प्रोबायोटिक्स का सेवन करें: दही और प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं।
  6. तनाव कम करें: तनाव मुक्त रहने से भी कब्ज की समस्या कम होती है।

कब डॉक्टर से मिलें?

अगर घरेलू उपायों से भी कब्ज ठीक न हो और साथ में तेज दर्द, रक्तस्राव या वजन में गिरावट हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

निष्कर्ष

Pet saaf na hone ke nuksan गंभीर हो सकते हैं, इसलिए सही खानपान, पर्याप्त पानी और व्यायाम से कब्ज को नियंत्रित करना जरूरी है। सही जीवनशैली से आप स्वस्थ रह सकते हैं और कब्ज जैसी समस्या से बच सकते हैं।

क्या है सर्दियों में सेहत से भरपूर सफेद तिल खाने के फायदे

सफेद तिल खाने के फायदे

सफेद तिल सर्दियों में गजक, तिलपट्टी के रूप में हम सब ने खाये हैं। सफेद तिल गुणों से भरपूर होते हैं। सफ़ेद तिल में प्राकृतिक तेल और कार्बनिक यौगिको पाए जाते हैं। सफ़ेद तिल में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, फाइबर, थायामिन, विटामिन बी 6, फोलेट, प्रोटीन और ट्रिप्टोफैन आदि पाया जाता है। तो आइए जानते हैं तिल के फायदे को

सफेद तिल खाने के फायदे

सफेद तिल उपयोगी है आंखों की रोशनी बढ़ाने में

सफेद तिल लिवर के लिए फायदेमंद हैं । और लिवर आँखों के कार्यों करने के लिए उन्हें रक्त भेजता है।यह रक्त आँखो की मांसपेशियों को मजबूत करता है ।आँखो में रक्त का संचार सुचारू रूप से होने के कारण धुंधला दिखना कम होता है ।

सफेद तिल लाभदायक है त्वचा को सुंदर बनाने में

सफेद तिल त्वचा को नरम और कोमल बनाता है । जिसके कारण त्वचा में नमी आती है । यह नमी त्वचा के लचीलेपन को बनाये रखतीै है । यह चेहरे की त्वचा, विशेष रूप से नाक के आसपास के क्षेत्र को कसने में मदद करतीै है। सफेद तिल चेहरे के पोर्स को बढ़ने से रोकता है। । सफेद तिल त्वचा पर और रोमछिद्रों में विकसित होने वाले विषाक्त पदार्थों को निष्प्रभावी करता है।

सफेद तिल बनाता है हड्डियों को मजबूत करने में

सफेद तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड मौजूद होते हैं जो बच्चों की हड्डियों के विकास को बढ़ावा देते हैं। सफेद तिल में जस्ता, कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे जरूरी खनिज पाए जाते है। ये खनिज नई हड्डियों को बनाने और हड्डियों को मजबूत करने और उनकी मरम्मत करने में मदद करते हैं।

सफेद तिल मददगार है दिल की बीमारियों को रोकने में

सफेद तिल में कैल्श‍ियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम आद‍ि द‍िल की मांसपेशियों को स्वस्थ रखते हैं। सफेद तिल के प्रयोग से दिल की मांसपेशियों में तनाव नहीं होता जिसके कारण दिल की बीमारियाँ नहीं होती।

सफेद तिल दिल के दोरे से बचाता है

फाइबर धमनियों और रक्त वाहिकाओं से खतरनाक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद करता है जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस, दिल का दौरा और स्ट्रोक आदि होने की सम्भावना कम हो जाती है।

सफेद तिल फायदेमंद है कैंसर जैसी बीमारी को रोकने में

सफेद तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। यही वजह है कि यह लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है ।

सफेद तिल दूर करता है तनाव को

सफेद दिन में पाए जाने वाले मैग्नीशियम और अनेक खनिज तत्व हाइपरटेंशन को कम करते हैं । तनाव होने पर सफेद तिल बहुत उपयोगी होता है।

तनाव से रहे दूर
तनाव से रहे दूर

सफेद तिल फायदेमंद है डायबिटीज़ में

सफेद तिल में पाए जाने वाले पोषक तत्व सही में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करते हैं और इंसुलिन को बढ़ने नहीं देखें जिस के कारण शरीर में शुगर की मात्रा नहीं पड़ती और डायबिटीज़ कंट्रोल में रहती है ।

सफेद तिल बेहतर करता है पाचन क्रिया को

सफेद तिल में फाइबर भरपूर मात्रा मे होते हैं। फाइबर पाचन को स्वस्थ रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व होता है, क्योंकि यह आँतों को अपने कार्य करने में मदद करता है। यह कब्ज जैसी समस्या को कम कर सकता है, साथ ही दस्त और जठरांत्र संबंधी बीमारियों को भी रोकने में उपयोगी है ।

सफेद तिल कारगर है सूजन रोकने में

सफेद तिल में मौजूद तांबे की उच्च मात्रा जोड़ों, हड्डियों और मांसपेशियों में सूजन कम करने के लिये उपयोगी है । जिससे गठिया के कारण होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। तांबा रक्त वाहिनियों, हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करता है। शरीर में तांबे की उचित मात्रा ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है कि पूरे शरीर की अंग प्रणालियों को ठीक से कार्य करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे ।

सफेद तिल दूर करता है दाँतों के प्लाक को

सफेद तिल के तेल को मुँह में लेकर दाँतों के चारों तरफ घुमाकरं मंजन करे दाँतों की प्लाक की समस्या का समाधान होता है ।

सफेद तिल दूर करता है एनीमिया को

सफेद तिल में पाए जाने वाला आयरन शरीर में खून की कमी को दूर करता है। जिसके कारण एनीमिया नहीं होता ।

सफेद तिल फायदेमंद है गठिया में

सफेद तिल में पाए जाने वाला तांबा सभी में सूजन को दूर करता है। सफेद तिल में एंटीऑक्सिडेंट एंजाइम होता है। जो रक्त प्रणालियों को सुचारु रूप से कार्य करने में मददगार है। इस प्रकार यह गठिया और गठिया से जुड़ी सूजन को कम करने में बहुत ही उपयोगी है। इसके अलावा, यह खनिज रक्त वाहिकाओं, हड्डियों और जोड़ों को ताकत प्रदान करता है ।

सफेद तिल फायदे मंद है अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों में

सफ़ेद तिल में पाये जाने वाले मैग्नीशियम में अस्थमा और अन्य श्वसन विकारों से लड़ने की क्षमता होती है । सफेद तिल के नियमित सेवन से साँस की बिमारी नहीं होती।

सफेद तिल बढाता है गुड कोलेस्ट्रॉल को

सफेद तिल में सेसामिन और सेसमोलिन नामक दो पदार्थ होते हैं, जो लिग्नांस नामक फाइबर का समूह होते हैं। लिग्नांस के प्रभाव से कोलेस्ट्रॉल कम होता है क्योंकि वे आहार फाइबर में समृद्ध हैं। सफ़ेद तिल में उच्चतम फाइटोस्टेरॉल होता है जो कि कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मददगार साबित हो सकता है ।यह बैड कोलेस्ट्रॉल को दूर करके गुड कोलेस्ट्रॉल बढाता है ।

सफेद तिल फायदेमंद है बालों की वृद्धि के लिए

सफेद तिल में पाए जाने वाले खनिज तत्व बालों की वृद्धि के लिए बहुत फायदेमंद है यह बालों को चमक देते हैं और बालों का गिरना भी रोकते हैं ।

सफेद तिल के वैसे तो अनगिनत फायदे हैं पर उसके नुकसान भी काम नहीं हैं तो याद रखिये। सफ़ेद तिल खाइये तो सही पर मौसम और मात्रा का ध्यान रखते हुए। लो ब्लड प्रेशर के मरीज खाने से पहले एक बार डॉक्टर की भी राय अवश्य लें लें।

आपकी सेहत के लिए क्या है अंकुरित मूंग के फायदे और नुकसान

अंकुरित मूंग के फायदे और नुकसान

वैसे तो हम सभी जानते हैं कि कोई भी अनाज या दाल अंकुरित होने के बाद स्वास्थ्य के लिए और अच्छी हो जाती है पर मूंग की तो बात ही अलग है। सभी दालों में सबसे ज्यादा पौष्टिक मूंग की दाल ही होती है और इसके अंदर इतने सारे एंजाइम होते हैं जो पाचन को आसान बनाते हैं तो सोचिए जब यही मूंग की दाल अंकुरित हो जाएगी तो इसकी शक्ति कितनी बढ़ जाएगी। अंकुरित मूंग खाने के फायदे बहुत है।

मूंग की दाल कब्ज तो दूर करती है साथ ही शरीर में शक्ति प्रदान करती है। मूंग की दाल में सबसे अधिक प्रोटीन होने के कारण सबसे अधिक गुणकारी है।

अंकुरित मूंग होती क्या है-Moong Ankurit Kaise Kare

मूंग की दाल को एक रात पानी में भिगोकर अगले दिन सुबह मलमल या किसी सूती कपड़े में कपड़े में बांध कर रख दे एक या दो दिन बाद मूंग में छोटे-छोटे अंकुर दिखाई देने लगेंगे यही अंकुरित मूंग है। अंकुरित मूंग पर्याप्त मात्रा में विटामिन, एंजाइम और मिनरल्स पाए जाते हैं तो आइए जानते हैं इसके फायदों को।

अंकुरित मूंग के फायदे-Ankurit Moong Ke Fayde

अंकुरित मूंग बालों के लिए बहुत फायदेमंद होती है

अंकुरित मूंग में विटामिन ‘सी’ पाया जाता है जो बालों के लिए फायदेमंद होता है। विटामिन ‘सी’ शरीर में रक्त संचार को बेहतर करता है सर मे रक्त संचार बेहतर होने के कारण बालों की ग्रोथ अच्छी होती है|

अंकुरित मूंग फायदेमंद है वजन कम करने में

अंकुरित मूंग में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है जिसके कारण भूख कम लगती है, पेट भरा भरा लगता है अंकुरित मूंग नाश्ते में लेने से कुछ समय बाद वजन कम होने लगता है|

अंकुरित मूंग बनाता है चेहरे को सुंदर

अंकुरित मूंग में फाइबर अधिक होने के कारण यह है चेहरे के तेल को कम कर मुहासे खत्म करता है।

अंकुरित मूंग है एंटी एजिंग

अंकुरित मूंग चेहरे के नए सेल्स को बनाता है और पुरानी सेल्स की मरम्मत करता है। अंकुरित मूंग चेहरे की एंटी एजिंग करता है।

अंकुरित मूंग कम करता है शरीर में सोडियम के इफेक्ट को

सोडियम जो अधिकतर नमक वाली चीजों या तली हुई चीजों में होता है और शरीर के लिए सोडियम का अधिक मात्रा में होना हानिकारक है। अंकुरित मूंग के नियमित सेवन से शरीर में सोडियम की मात्रा संतुलित रहती है।

अंकुरित मूंग फायदेमंद है मधुमेह के रोगियों के लिए

अंकुरित मूंग में ग्लूकोज का असर काफी कम होता है अतः मधुमेह के रोगियों के लिए भी अंकुरित मूंग लाभदायक है ।

अंकुरित मूंग
अंकुरित मूंग

अंकुरित मूंग फायदेमंद है कैंसर के रोगियों के लिए

अंकुरित मूंग में पॉलिसैचेराइड और पॉलिफिनॉल्स होता है। यह दोनों ही तत्व गंभीर रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। अंकुरित मूंग गंभीर रोगों के लिए भी लाभदायक है।

अंकुरित मूंग बढ़ाती हैं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता

अंकुरित मूंग के अंदर एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो शरीर की इम्यूनिटी को स्ट्रांग है रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं|

अंकुरित मूंग निकालती है शरीर के हानिकारक टॉक्सिंस को

अंकुरित मूंग में पाया जाने वाला फाइबर कब्ज को दूर करता है और शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं।

अंकुरित मूंग लाभदायक है चिर यौवन के लिए

अंकुरित मूंग में पाए जाने वाला साइटोजन शरीर में कॉलेजन व एलस्टिन बनाने में मदद करता है जो शरीर की खासतौर से चेहरे की त्वचा की एंटी एजिंग को रोकता है।

अंकुरित मूंग लाभदायक है बीपी में

अंकुरित मूंग में पेप्दीसाइड पाया जाता है जो शरीर में रक्तचाप को संतुलित करता है। जिससे बीपी के मरीज़ों को राहत है।

अंकुरित मूंग सर्वोत्तम विकल्प है शाकाहारीयों के लिए

मांसाहारी व्यक्ति तो अपने भोजन की जरूरत है अंडा, मीट, मछली आदि से पूरी कर लेते हैं प्रोटीन की जरूरत के लिए अंकुरित मूंग सर्वोत्तम विकल्प है अंकुरित मूंग का सेवन रोज करने से शरीर में आवश्यक सभी तत्वों की पूर्ति हो जाती है।

अंकुरित मूंग के लाभ से तो हम सभी परिचित हो चुके हैं पर ऐसा नहीं कि अंकुरित मूंग के फायदे ही हैं अंकुरित मूंग खाने के कुछ नुकसान भी है तो आइए जानते हैं नुकसान के बारे में।

अंकुरित मूंग के नुकसान

अंकुरित मूंग खाने से हो सकती है पेट की बीमारियाँ

  • अंकुरित मूंग को अंकुरित करते समय इसकी नमी से साल्मोनेला, ईकोलाई और लिस्टॆरिया जैसे विक्टोरिया पैदा हो जाते हैं। जिनके कारण पेट दर्द, गैस और पेट के अनेक बीमारियाँ हो सकती है।
  • अंकुरित मूंग खाने से पेट में डायरियाँ व दस्त हो जाते हैं ।
  • अंकुरित मूंग ज्यादा खाने से पेट में ऐंठन और उल्टी भी हो सकती है
  • अंकुरित मूंग गैसट्रिटाइटिस, डायरिया, गैस्ट्रिक अल्सर या पैंक्रियाटाइटिस के मरीज़ को नहीं खानी चाहिए या खाने से पहले डॉक्टर की सलाह ले ले।

अंत में मैं यही कहना चाहूँगी अति सर्वत्र वर्जिते है, तो अंकुरित मूंग खाइए स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। पर एक निश्चित अनुपात में और निश्चित समय पर ही खाएंगे तभी यह आपके शरीर को उपयुक्त फायदा करेगी। अन्यथा फायदे से ज्यादा नुकसान भी होगा।

पथरी में क्या खाएं क्या नहीं खाएं -किडनी स्टोन में कैसा होना चाहिए आपका आहार, क्या खाएं और क्या नहीं

पथरी मे परहेज ही है घरेलू इलाज

पथरी की बीमारी से आजकल कई लोग परेशान हैं। इस बात का आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि सिर्फ पथरी का इलाज करने के लिए कई अलग-अलग अस्पताल भी खोले गए हैं। इन अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बहुत देखने को मिलती है। पथरी एक बहुत गंभीर बीमारी है। जितना पथरी का उपचार आवश्यक है उतना ही पथरी मे परहेज भी आवश्यक है।

पथरी की बीमारी में खानपान का मुख्य तौर पर ध्यान देना चाहिए। अगर आपका खान-पान सही हो तो इसका खत्म भी किया जा सकता है। ज्यादा मात्रा में पेय पदार्थ पीने से पथरी ठीक हो सकती है। पेय पदार्थ पथरी के लिए बहुत मददगार होते हैं। खासतौर से पथरी की बीमारी के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से पथरी की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

पथरी की समस्या में डॉक्टर भी आपको रोजाना छह से आठ गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं। इसके अलावा आपको अपने डॉक्टर से यह भी पूछना चाहिए। कि आपको 1 दिन में कितना पानी पीना चाहिए। अगर आप पथरी के खतरे को कम करना चाहते हैं। तो आप बेस्ट डाइट प्लान को भी अपनाना चाहिए।

अधिक वजन वाले व्यक्तियों में पथरी की संभावना बढ़ जाती है। पथरी की समस्या को डॉक्टर से ना छुपाए नहीं तो काफी गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती हैं। पथरी से झुंझ रहे व्यक्तियों को क्या क्या नहीं खाना चाहिए। यह भी उनको जाना चाहिए। क्योंकि भोजन पथरी को कम करने में अहम भूमिका निभाता है। इस आर्टिकल में आगे हम आपको पथरी मे परहेज और पथरी से ग्रसित लोगों को क्या-क्या नहीं खाना चाहिए। उसके बारे में बताएंगे।

पथरी कितने प्रकार की होती हैं

पथरी को किडनी स्टोन की समस्या भी कहते हैं। अगर कोई व्यक्ति किडनी स्टोन की समस्या से पीड़ित है, तो उसको अपने डॉक्टर से यह पता करना चाहिए कि उसको कौनसी पथरी है। जिससे इसका इलाज करने में आसानी हो जाती है। अगर आपको पथरी पता चल जाए। तो आप उससे बचाव के आहार का भी सेवन कर सकते हैं। मुख्य तौर पर पथरी चार प्रकार की होती है।

  • कैल्शियम ऑक्सिलेट स्टोन्स
  • कैल्शियम फॉस्फेट स्टोन्स
  • यूरिक एसिड स्टोन्स
  • सिस्टीन स्टोन्स

इन चारों प्रकार की पथरी के लिए आपको अलग अलग डाइट प्लान का पालन करना चाहिए। पथरी में क्या परहेज करना चाहिए?
किडनी स्टोन में क्या खाना चाहिए इसका डाइट प्लान आप किसी किडनी एक्सपर्ट से ले सकते हैं।

पथरी मे परहेज, पथरी में क्या ना खाएं

प्रोटीन की मात्रा

पथरी के मरीजों को ज्यादा मात्रा में प्रोटीन का सेवन ना करें. ज्यादा प्रोटीन पथरी ग्रसित व्यक्तियों के लिए खतरनाक होता है। पथरी की बीमारी में भोजन में प्रोटीन की मात्रा को सीमित कर ले. ऐसी स्थिति में मीट मछली का सेवन ना करें.

प्रोटीन की मात्रा
प्रोटीन की मात्रा

ज्यादा सोडियम

पथरी के पेशेंट को ज्यादा सोडियम नहीं लेना चाहिए। भोजन में सोडियम की मात्रा कम रखनी चाहिए। अधिक सोडियम पथरी के लिए खराब साबित हो जाता है। जंग-फूड डिब्बाबंद खाना का सेवन नहीं करें और घर बनाए हुए खाने में भी सोडियम की मात्रा कम रखें।

ऑक्सलेट के सेवन से बचें

पथरी के बीमारी से जूंझ रहे व्यक्तियों को ऑक्सलेट से परहेज करना चाहिए। पथरी के मरीजों को ऑक्सलेट रहित भोजन किसी भी हाल में नहीं करना चाहिए। जैसे पालक, साबुत अनाज आदि इनमें भरपूर मात्रा में ऑक्सलेट पाया जाता है।

विटामिन सी के ज्यादा मात्रा

विटामिन सी के ज्यादा मात्रा में सेवन से भी पथरी की समस्या बढ़ सकती है। विटामिन सी अगर आपके शरीर में ज्यादा हो जाए। तो आपके शरीर में किडनी स्टोन की समस्या गंभीर हो सकती हैं। विटामिन सी का कम मात्रा में सेवन करें। जिससे यह खतरा कम हो सके.

बीजो वाली सब्जियों का सेवन

ज्यादा हरी सब्जियों से भी पथरी का रोग गंभीर बीमारी हो सकता है। ऐसी सब्जियों का सेवन कभी नहीं करें. जिसमें बीजों जो। बीच किडनी स्टोन का कारण बन सकते हैं। जैसे टमाटर के बीज, बैंगन के बीज, कच्चा चावल, उड़द, चने आदि का सेवन ना करें। अन्यथा यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है।

कोल्ड ड्रिंक का सेवन

पथरी के मरीज को गर्मियों में कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं करना चाहिए। कोल्ड ड्रिंक और बाहर के जूस पथरी की समस्या को बढ़ावा देते हैं। वैसे तो पथरी कम करने के लिए पेय पदार्थ का उपयोग किया जाता है। लेकिन कोल्ड्रिंक्स में कई प्रकार के केमिकल मिले होते हैं। जिनकी वजह से पेट में पथरी की मात्रा बढ़ सकती है। वैसे तो नॉर्मल व्यक्ति को भी ज्यादा कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं करना चाहिए। कोल्ड ड्रिंक शरीर के लिए गर्म करती है। और यह सेहत के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकती है।

सामान्य प्रश्न-पथरी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं

पथरी में चावल खाना चाहिए या नहीं

बहुत से लोगों के मन में यह सवाल होता है की पथरी की समस्या के दौरन चावल खाने चाहिए या नहीं? पथरी में चावल खाने से किसी तरह का कोई भी नुकसान नहीं होता है। चावल में ऐसा कोई तत्व नहीं होता जो पथरी के दौरान समस्या पैदा करें उल्टा चावल पोषण से भरपूर होते है और शरीर में कार्बोहाइड्रेड की कमी को दूर करते है। हाँ चावल बनाते समय उसे अच्छी तरह से धोना चाहिए और इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की उसमें कोई कंकड़ पत्थर तो नहीं। और चावल को अच्छी तरह से पकाना भी चाहिए।

पथरी में कौन-कौन सी सब्जी नहीं खानी चाहिए

पथरी की समस्या के दौरान खाने में सब्जी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि बहुत सी सब्जियां ऐसी होती है जिसमें आयरन और खनिज तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते है जो की शरीर में नमक आदि के संपर्क में आकर पथरी की समस्या को बढ़ा देते है। पालक, शकरकंदी, बेंगन, टमाटर आदि ऐसी सब्जियां है जो पथरी की समस्या को बढ़ा सकती है। टमाटर के छिलके, पालक में मिट्टी के छोटे छोटे कण आदि शरीर में धीरे धीरे जमा होते रहते है जिससे पथरी की समस्या देखने को मिलती है। बिना पथरी से ग्रसित लोगों को भी यह सब्जियां अच्छी तरह धोकर खानी चाहिए।

पथरी में आलू खाना चाहिए या नहीं

पथरी की समस्या के दौरान आलू खाया जा सकता है इसके सेवन से किसी भी तरह की कोई भी समस्या नहीं होती है। बस पथरी की समस्या के दौरान बीज वाली सब्जियों जैसे टमाटर, बेंगन आदि के सेवन से परहेज करनी चाहिए। आलू कार्बोहाइड्रेड से भरपूर होता है जो शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है।आलू को खाने से पहले उसे अच्छी तरह से पकाना चाहिए और देर रात में आलू का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि अच्छी तरह से पाचन न होने के कारण इससे गैस की समस्या या पेट दर्द की समस्या देखने को मिलती है।

पथरी में दूध पीना चाहिए या नहीं

प्राय पथरी की समस्या में डॉक्टर आदि अधिक मात्रा में दूध का सेवन करने से मना करते है। और तो और दूध से बने प्रोडक्ट का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि दूध में कैल्शियम की अधिकता पायी जाती है जो स्टोन के पास इकट्ठा होकर स्टोन की समस्या को बढ़ाता है। और आजकल बाजार में मिलावट युक्त दूध भी अधिक पाया जाता है जो पथरी की समस्या को बढ़ा देता है। जहाँ तक हो सके मिलावट युक्त दूध से परहेज करनी चाहिए और शुद्ध दूध का प्रयोग ही करना चाहिए।

पथरी में चाय पीना चाहिए या नहीं

पथरी की समस्या के दौरान अधिक चाय और कॉफी पीने से परहेज करनी चाहिए। क्योंकि इनमें केफिन की मात्रा अधिक होती है जिससे डीहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। चाय पीने पर पानी का सेवन कम हो जाता है। जबकि पथरी से ग्रसित व्यक्ति को अधिक मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। जिससे पथरी के पेशाब मार्ग से बाहर निकलने की अधिक संभवना बनती है। चाय और कॉफी में पाया जाने वाला कैफीन पथरी की समस्या को बढ़ा देता है। चाय के स्थान पर नींबू पानी का इस्तेमाल अधिक फायदेमंद होगा।

पथरी में कौन सा फल खाना चाहिए

पथरी में अक्सर डॉक्टर फलों के सेवन की बात करते है लेकिन ऐसे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए जिसका पाचन मुश्किल हो। पानी से भरपूर फलों का सेवन करना चाहिए। जैसे तरबूज, खरबूज, नारियल पानी आदि शरीर में पानी की कमी को दूर करते है। और खट्टे फलों जैसे संतरा आंवला आदि का सेवन करना चाहिए क्योंकि उसमें उपस्थित सिट्रिक एसिड पथरी को गलाने का काम करते है। फलों के साथ साथ पानी का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। पानी के अधिक सेवन से पथरी के मूत्र मार्ग से निकलने की संभवना रहती थी।

पथरी में कौन सा फल नहीं खाना चाहिए?

पथरी की समस्या के दौरान ऐसे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए जिसका पाचन मुश्किल से होता है और ऐसे फल जिनमें छोटे छोटे दाने या बीज पाए जाते है उनका सेवन करने से भी परहेज करनी चाहिए। टमाटर, चीकू आदि छिलके युक्त फल जिनके छिलके में बारीक मिट्टी के कण पाए जाते है जो की शरीर में जाकर स्टोन के पास इकट्ठा होने लगते है। जिससे स्टोन की समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है अतः ऐसे फलों का सेवन पथरी की समस्या के दौरान नहीं करना चाहिए। अनार और पपीता का भी अधिक सेवन पथरी की समस्या में हानिकारक हो सकता है।

पथरी में दही खा सकते हैं क्या?

पथरी की समस्या में दही फायदेमंद साबित हो सकता है। दही को पथरी की समस्या में उपचार के तौर पर लिया जाता है। दही में पाए जाने वाले विशेष बैक्टीरिया किडनी में उपस्थित हानिकारक तत्वों को दूर कर किडनी की सफाई का काम करते है जिससे किडनी स्टोन की संभावना कम हो जाती है। इसी के साथ दही को सुपर फूड माना जाता है जो की मोटापा घटाने में लाभकारी है। यह शरीर में कॉर्टिसॉल और स्टेरॉयड हार्मोन को बढ़ने से रोकता है। इसी के साथ यह कलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकने के साथ साथ इम्यूनिटी बूस्टर का भी काम करता है।

पथरी में अनार खाना चाहिए या नहीं

पथरी की समस्या में हर प्रकार के फल सब्जियों को खाने में विशेष ध्यान रखना पड़ता है। अन्यथा पेट दर्द की समस्या पैदा हो जाती है जो की असहनीय दर्द देती है। पथरी की समस्या में अनार का सेवन करते समय भी विशेष ध्यान रखना चाहिए अधिक मात्रा में अनार नुकसान कर सकता है। जबकि अनार की सीमित मात्रा शरीर में रक्त निर्माण में लाभकारी होती है। अनार में भी छोटे छोटे बीज और फाइबर होते है जिनका जमाव स्टोन पर विपरीत असर डाल सकता है।

पथरी में पपीता खाना चाहिए या नहीं

देखा जाए तो पपीता एक बहुत ही ज्यादा लाभकारी फल है लेकिन पथरी की समस्या से ग्रसित लोगों को पपीते के सेवन से परहेज करनी चाहिए। विटामिन सी से भरपूर पपीता का अधिक सेवन करने से इसमें मौजूद कैल्शियम ऑक्सलेट टूटकर स्टोन बन जाते है जो की पथरी की समस्या को और ज्यादा भयावह बना देते है। अतः देखा जाए तो पथरी की समस्या से ग्रसित लोगों द्वारा पपीते का सेवन करने से स्टोन का आकार बढ़ने की संभावना रहती है। पपीते का ज्यादा सेवन आपके पाचन को भी बिगाड़ सकता है जिससे पेट दर्द की समस्या भी देखने को मिलती है।

पथरी में मछली खाना चाहिए

इंसानों में पथरी की अलग अलग समस्या देखने को मिलती है। जिसमें यूरिक एसिड स्टोन, कैल्शियम स्टोन, सिस्टाइन स्टोन और स्टूवाइट स्टोन जैसी पथरी देखने को मिलती है इस सब पथरी की समस्या में मछली खाने से परहेज करनी चाहिए। क्योंकि मछली के अंदर बहुत से समुद्री लवण पाए जाते है जिनका ढंग से पाचन न होने के कारण यह पहले से पनप रहे स्टोन के आस पास एकत्रित होकर पथरी की समस्या को अधिक बढ़ा देते है। इसी के साथ हाई प्रोटीन सी फूड खाने से भी बचना चाहिए।

पथरी में कौन कौन सी दाल खाना चाहिए?

पथरी की समस्या में डॉक्टर हाई प्रोटीन फूड को अवोइड करने की सलाह देते है लेकिन आप कुलथी की दाल, चने की दाल, चावल, सोयाबीन आदि का सेवन कर सकते है। कुथली की दाल स्टोन के आकार को कम करती है। कुलथी की दाल को नियमित खाने से पथरी धीरे धीरे गल जाती है और यूरिन के रास्‍ते से बाहर निकल जाती है। इन सब के साथ यह दाल पोषण से भरपूर होती है तथा शरीर से प्रोटीन और फाइबर की कमी को दूर करती है।

पथरी में लहसुन खाना चाहिए

किडनी की समस्या होने पर लहसुन खाया जा सकता है लहसुन को खाने से किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होती है। लहसुन में पाए जाने वाले विशेष तत्व किडनी की सूजन को कम करते है जिससे स्टोन की समस्या के दौरान होने वाला दर्द कम होता है। लहसुन में पाया जाने वाला एलिसिन तत्व शरीर में एकत्रित होने वाली गंदगी को शरीर से बहार निकालने का काम करता है। इस प्रकार देखा जाए तो लहसुन पथरी की समस्या में बहुत कारगर साबित हो सकता है। पथरी के साथ साथ बहुत सी अन्य समस्याओं को भी दूर करता है।

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