How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

आज के युवा जीवन को बहुत ही सुनियोजित तरीके से जीना पसंद करते हैं। यही कारण है कि करियर में आगे बढ़ने के साथ-साथ पर्सनल लाइफ के लिए भी ये खास प्लानिंग करते हैं। वे कब शादी करने की योजना बना रहे हैं? माता-पिता कब बनें? कितने बच्चे होंगे? जैसी महत्वपूर्ण बातें। इस तरह की चीजें शायद एक या दो दशक पहले के समाज द्वारा बहुत योजनाबद्ध तरीके से नहीं की जाती थीं। ऐसे में युवा इन प्राकृतिक चीजों को रोकने के लिए चिकित्सा विज्ञान का सहारा लेते हैं। इसमें सबसे अहम मुद्दा माता-पिता बनना है। भागदौड़ भरी जिंदगी में करियर की अहमियत के चलते युवा अपने हिसाब से परिवार नियोजन करते हैं। ऐसे में वे अनचाहे गर्भ से बचने के लिए दवाओं का सहारा लेती हैं (गर्भनिरोधक से बचें)। लेकिन इन दवाओं के साइड इफेक्ट को देखते हुए हम आपको अनचाहे गर्भ से बचने के कुछ घरेलू उपाय बताते हैं। तो आइए जानते हैं क्या खाने से गर्भ नहीं ठहरता है।

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये

एक पतीले में दो कप गरम पानी चढ़ाएं। अब अदरक ,लॉन्ग ,काली मिर्च और दालचीनी का पेस्ट बनाएं । इस पेस्ट को पानी में मिलाएं और 20 मिनट तक गर्म उबलने दें । थोड़ा ठंडा करके इसे छाने और शहद मिलाएं ,तुलसी का काढ़ा तैयार है।

और पढ़ें: गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये, कैसे होता है तुलसी के पत्तों से गर्भपात-Tulsi Se Garbhpat

हल्दी से प्रेगनेंसी रोकने के उपाय

जानकारों के मुताबिक अगर खाने के दौरान हल्दी का सेवन बहुत कम मात्रा में किया जाए तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान हल्दी के सप्लीमेंट और कैप्सूल का सेवन करती है तो करक्यूमिन की मात्रा अधिक होने के कारण गर्भावस्था से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि करक्यूमिन शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की नकल करता है, जो मासिक धर्म में ऐंठन और गर्भाशय के संकुचन को बढ़ाता है, जिससे समय से पहले जन्म और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

हल्दी
हल्दी

और पढ़ें: गर्भपात के बाद माहवारी कब आती है-Garbhpat Ke Baad Period Kab Aate Hain

मेथी से गर्भपात कैसे करें

अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो जरूरत से ज्यादा मेथी के दानों का सेवन करने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर विपरीत असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं इससे आपके गर्भपात की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। दरअसल, मेथी के बीज में सैपोनिन नाम का तत्व पाया जाता है जो गर्भपात का कारण बनता है।

और पढ़ें: जानिए बिना किसी दवा के अनचाहा गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे

जायफल से गर्भपात कैसे करें

जायफल में मिरिस्टिसिन होता है, जो एक सक्रिय तत्व है जो भ्रूण को नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इस कारण से अनावश्यक जोखिम से बचने के लिए गर्भावस्था से पहले इसके सेवन से बचना चाहिए। एक से दो चुटकी जायफल का चूर्ण शहद के साथ लेने से गर्भपात हो सकता है। आप दूध के साथ एक चुटकी जायफल का भी सेवन कर सकते हैं।

और पढ़ें: क्या खाने से मिसकैरिज होता है?-Kya Khane Se Miscarriage Hota Hai

तुलसी के पत्ते से गर्भपात कैसे करें

दरअसल, अगर तुलसी के पत्तों का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह शरीर में हानिकारक हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव पैदा कर सकता है, यानी सरल शब्दों में कहें तो तुलसी के अधिक सेवन से शरीर में ब्लड शुगर लेवल में कमी आ सकती है। इससे चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और घबराहट की भावना हो सकती है। तुलसी में यूजेनॉल होता है, जिससे हृदय गति बढ़ सकती है, मुंह में छाले हो सकते हैं, चक्कर आ सकते हैं और शायद इसी वजह से डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को तुलसी का सेवन करने से भी मना करते हैं।

काली चाय से गर्भ कैसे गिराए

अनचाहे गर्भ से निजात पाने के लिए पार्सले का सेवन काफी फायदेमंद साबित होता है। अगर आप प्रेग्नेंसी पॉजिटिव महसूस करती हैं तो रोज सुबह शाम पानी में कुछ पार्सले के पत्ते उबालकर चाय की तरह पिएं। इस प्रक्रिया को लगातार एक महीने तक करें।

और पढ़ें: काली चाय से गर्भपात, काली चाय से गर्भ कैसे गिराए?

नींबू से गर्भ कैसे गिराए

आपको बता दें कि नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह नुकसानदायक नहीं है। लेकिन अगर आप गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में नींबू या किसी खट्टे फल का सेवन करती हैं, तो आपका गर्भपात हो सकता है।

प्रेगनेंसी में खजूर खाने के नुकसान

अगर आपका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा है या आपका ग्लूकोज टेस्ट नॉर्मल नहीं है तो आपको प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में खजूर खाने से बचना चाहिए।

काली मिर्च से गर्भपात कैसे करे

कई लोग प्रेग्नेंसी में काली मिर्च का सेवन करने से मना कर देते हैं। लेकिन क्या प्रेग्नेंसी में काली मिर्च खानी चाहिए? तो इसका उत्तर है- हां, गर्भावस्था के दौरान काली मिर्च का सेवन करना सुरक्षित है, लेकिन इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। अन्य खाद्य पदार्थों की तरह इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए, इससे आपको और आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि, काली मिर्च के अत्यधिक सेवन से एसिडिटी, गर्भपात, अपच और जलन हो सकती है।

अदरक से गर्भपात हो सकता है

गर्भावस्था के दौरान अदरक का सेवन गर्भपात का कारण नहीं होता है। विशेषज्ञों की माने तो सीमित मात्रा में अदरक का सेवन गर्भवती के लिए लाभदायक होता है परंतु यदि अधिक मात्रा में अदरक का सेवन कर लिया जाए तो समस्याएं हो सकती हैं । यदि महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रसित है अथवा लो ब्लड प्रेशर ,लो शुगर की समस्या है तो अदरक का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अति आवश्यक है।

और पढ़ें: क्या सच में अदरक की चाय से हो सकता है गर्भपात का खतरा? क्या प्रेगनेंसी में अदरक खाना चाहिए? अदरक से गर्भपात हो सकता है क्या?

तिल से गर्भपात कैसे करें

ऐसा माना जाता है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है, जो वास्तव में सच नहीं है। इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है। वहीं तिल में आयरन, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का कैसे करें इलायची से गर्भपात-Pregnancy Khatam Karne Ka Tarika, elaichi se garbhpat kaise kare

पपीता खाने से गर्भपात कैसे होता है

कच्चा पपीता-पपीता कच्ची अवस्था मे गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। कच्चे पपीते को एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक कहा गया है,इसकी तासीर काफी गर्म होती है।

और पढ़ें: पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है-papita khane se period aata hai

गुड़ से गर्भपात हो सकता है

गर्भवती महिला गुड़ का सेवन सीमित मात्रा में कर सकती है। गुड़ आयरन से भरपूर होता है और आयरन की दैनिक आवश्यकता को पूरा कर सकता है। चीनी का प्राकृतिक स्रोत गर्भवती महिला के स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसके अलावा गुड़ खून और मां के दूध को शुद्ध करता है।

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का अजवाइन से गर्भपात कैसे करे? Garbhpat Karne Ke Gharelu Upay

अधूरे गर्भपात के लक्षण क्या है

प्रत्येक महिला के लिए गर्भपात एक शारीरिक और मानसिक दोनों तरीकों से दुखद अवस्था है, परंतु अधूरा गर्भपात और भी भयावह स्थिति  है। यदि आपको लगातार योनि से भारी रक्तस्राव हो रहा है, योनि मार्ग में रक्त के थक्के निकल रहे हैं, पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा है, बुखार है अथवा फ्लू के लक्षण नजर आ रहे हैं तो ये अधूरे गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं। अगर इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

अपूर्ण गर्भपात के उपचार

 

कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन

कैसे पता करे की डिलीवरी होने वाली है

माँ बनना हर महिला को पूर्णता से भर देता है, स्त्री के गर्भवती होने की सूचना पूरे परिवार में खुशियां ले आती है। और इसी सूचना के साथ सबसे पहला सवाल जो दिमाग मे कौंधता है, डिलीवरी नॉर्मल होगी या सिजेरियन। अक्सर हम सोचते है की डॉक्टर को कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन।

वैसे हर महिला और परिवार की दिली इच्छा होती है कि डिलीवरी किसी भी तरह से नार्मल हो। लेकिन कभी कभी स्थिति ऐसी बन जाती है कि सिजेरियन के अलावा कोई चारा नही होता।

बहुत सारे लक्षण ऐसे होते है जिनसे महिला या डॉक्टर ये अंदाजा लगाते है कि डिलीवरी नार्मल होगी या सिजेरियन, आज हम इस आर्टिकल में ऐसी ही कुछ बातों का जिक्र करेंगे।

नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी में क्या अंतर है।

सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि दोनों तरह की डिलीवरी में क्या अंतर है।

नार्मल डिलीवरी-Delivery Hone Ke Lakshan

नॉर्मल मतलब प्राकृतिक तरीका, इसमें बच्चे का जन्म योनि के द्वारा ही होता हैं। इसमे ना तो किसी तरह की हाई डोज़ दवाई की जरूरत होती हैं ना ही सर्जरी की, अगर किसी तरह की कोई कॉम्प्लिकेशन न हो तो नार्मल डिलीवरी के चान्सेस ज्यादा होते है।

डिलीवरी
डिलीवरी

सिजेरियन डिलीवरी- ( सी-सेक्शन)-Delivery Hone Ke Lakshan

इस सर्जिकल डिलीवरी में मां के पेट और गर्भाशय में चीरा लगा कर बच्चे को पैदा किया जाता है। वैसे तो सिजेरियन भी 39वे सप्ताह से पहले होती है। लेकिन कभी कभी जटिलताएं इतनी ज्यादा होती है कि समय से पूर्व सिजेरियन करना पड़ता है।

कैसे पता करे की डिलीवरी सिजेरियन होगी

कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती जो कि बच्चे या माँ के लिए जानलेवा हो सकती है, ऐसे ही कुछ कारण निम्न है।

  • लम्बे समय तक लेबर पेन होना भी एक कारण है, दूसरी बार मां बन रही महिलाएं जब 20 घण्टे तक, तथा पहली बार मां बन रही महिलाएं 14 घण्टे तक लेबर पेन से जूझ चुकी होती है, तब डॉक्टर सिजेरियन का फैसला लेते है।
  • डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन डिपार्टमेंट के अनुसार बर्थ कैनाल के मुकाबले बच्चे का साइज बड़ा होना, स्लो सर्वाइकल थिंनिंग, मल्टीप्ल बर्थ इसका कारण है।
  • गर्भाशय में बच्चे की पोजीशन गलत होने पर भी csection करना पड़ता है। ऐसे में बच्चे के पैर या बट बर्थ कैनाल की तरफ होते है।
  • यदि शिशु को गर्भ में पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल रही हो या शिशु किसी जन्मजात रोग(हार्ट या ब्रेन) से पीड़ित हो तो डॉक्टर सिजेरियन को ही वरीयता देते हैं।
  • कभी कभी गर्भनाल बच्चे के जन्म से पहले गर्भाशय ग्रीवा से फिसल जाती है, तो उसे गर्भनाल प्रोलैप्स कहा जाता है।ये स्थिति बच्चे के लिए खतरनाक होती है। ऐसे में आपातकालीन सिजेरियन डिलीवरी की आवश्यकता होती है।

तो यदि इनमे से किसी भी स्थिति से आप जूझ रही है तो ज्यादा चांसेस है कि आपकी डिलीवरी सिजेरियन हो।

नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करे

अगर किसी तरह की कोई कॉम्प्लिकेशन नही है तो आप नॉर्मल डिलीवरी की उम्मीद की जा सकती है।इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप डॉक्टर की सलाह पर पूरा ध्यान दे।

  • गर्भावस्था में तनाव होता है लेकिन उसे दूर करने ली कोशिश करे। तनाव का सम्बंध मस्तिष्क से और मस्तिष्क का सम्बंध शरीर से होता है। तनाव को दूर करने के लिए ध्यान, योग, व्यायाम करें लेकिन पूरी देखरेख में।
  • किताबें पढ़ें, संगीत सुनें, अच्छी चीजे देखे नकारात्मक लोगो और स्थितियों से दूर रहे।
  • हमेशा खुश रहे, पॉजिटिव रहे, हल्का फुल्का काम करते रहे, पर प्रेशर ना ले। किसी के भी भयानक डिलीवरी एक्सपीरियंस को सुनने से बचे।
  • बच्चे के जन्म से सम्बंधित अच्छी किताबे पढ़े, बुजुर्गो और बड़ो से सलाह ले। घरेलू नुस्खे अपनाने से पहले भली प्रकार सोच ले।
  • डॉक्टर से अच्छी तरह सीखकर पेरिनियल मसाज करें, इसे 6वे महीने से शुरू कर सकती है। शरीर मे पानी की कमी बिल्कुल न होने दे। ये आपकी डिलीवरी में बहुत ही सहायक होता है।
  • जरूरत से ज्यादा वजन ना बढ़ने दे, हेल्थी खाएं।

एक स्वस्थ्य मां और बच्चा ही नॉर्मल डिलीवरी की गारंटी हो सकता है।

सामान्य प्रसव के लिए गर्भावस्था के 9 महीने में आहार-9 Month Pregnancy Diet

सामान्य प्रसव के लिए गर्भावस्था के 9 महीने में आहार

गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए माँ के आहार से ही पोषक तत्व मिलते है। यदि महिला स्वस्थ व गर्भावस्था में संतुलित आहार का सेवन करती है तो इससे शिशु और गर्भवती महिला दोनों को ही फायदा मिलता है। इसके अलावा  कुछ ऐसे आहार भी है जिनका आप गर्भावस्था के दौरान सेवन करते हैं तो आपको सामान्य प्रसव होने में मदद मिलती है। अगर आप खान पान में लापरवाही करते है तो गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कमजोरी का कारण बन सकती है, साथ ही इससे शिशु के विकास पर भी असर पड़ता है। महिला को सामान्य प्रसव के लिए गर्भावस्था के 9 महीने में आहार का खास ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है नार्मल डिलीवरी के लिए दादी माँ के नुस्खे

सामान्य प्रसव के लिए गर्भावस्था के 9 महीने में आहार-9 Month Pregnancy Diet In Hindi

केला

केला न केवल महिला को प्रेगनेंसी के दौरान ऊर्जा से भरपूर रखने में मदद करते हैं, बल्कि इससे महिला को थकान आदि की समस्या से बचाव करने में भी मदद मिलती है। ऐसे में महिला फिट रहने के लिए केले और दूध का सेवन भरपूर कर सकती है, जिससे डिलीवरी के समय महिला को परेशानी से बचाव करने में मदद मिलती है।

अंडा

अंडे में सैचुरेटेड फैट, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन और कैलोरी भरपूर मात्रा में होती है। जो की गर्भावस्था के दौरान महिला को स्वस्थ रखने में मदद करती है। महिला और शिशु दोनों के स्वस्थ होने के कारण महिला के नार्मल डिलीवरी के चांस बढ़ जाते हैं।

पालक

कैल्शियम, आयरन, फोलेट व अन्य एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर पालक का सेवन करने से भी गर्भावस्था के दौरान आपको बहुत फायदा मिलता है। आप इसे सब्ज़ी या सूप के रूप में खा सकते है, इसके सेवन से बॉडी को पोषक तत्व मिलने के साथ ब्लड की कमी को पूरा करने में भी मदद मिलती है। जिससे सामान्य प्रसव में मदद मिलती है।

पालक
पालक

संतरा

नार्मल डिलीवरी के लिए संतरे खाने बहुत फायदेमंद होते हैं। संतरे का सेवन करने से गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाली पानी की जरुरत को पूरा करने के साथ, आपको संक्रमण आदि से बचाव करने में भी मदद मिलती है। जिसके कारण आपका शरीर स्वस्थ रहता है और आपको नार्मल डिलीवरी होने में मदद मिलती है।

और पढ़ें: सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं-Cesarean Delivery Ke Baad Kya Khana Chahiye

दालें और फलियां

फाइबर, प्रोटीन व अन्य पोषक तत्वों से भरपूर दालों और फलियों का सेवन करने से आपको फिट रहने में मदद मिलती है। साथ ही इसमें फोलेट भी भरपूर मात्रा में होता है जिससे शिशु के विकास को बेहतर होने में मदद मिलती है। और यदि महिला और शिशु दोनों स्वस्थ रहते हैं तो ऐसा होने से प्रसव के दौरान महिला को ज्यादा परेशानी नहीं होती है

ब्रोकली

एंटी ऑक्सीडेंट, फाइबर, विटामिन, कैल्शियम से भरपूर ब्रोकली का सेवन करने से आपको गर्भावस्था के दौरान फिट रहने में मदद मिलती है। साथ ही ब्रोकली का सेवन करने से पाचन तंत्र सम्बन्धी समस्या को दूर करने में भी मदद मिलती है। जिससे आपको फायदा मिलता है। और इसके सेवन से आपको पोषक तत्व मिलते हैं वो डिलीवरी के समय आने वाली परेशानियों को कम करने में मदद मिलती है।

कम वसा वाले मीट

आयरन की मात्रा से भरपूर कम वसा वाले मीट का सेवन करने से भी गर्भावस्था में फायदा मिलता है, इससे शरीर को एनर्जी के साथ ब्लड की मात्रा को भी पूरा करने में भी मदद मिलती है। जिससे महिला के नार्मल डिलीवरी के चांस को बढ़ाने में मदद मिलती है।

पानी का भरपूर सेवन करें

पानी न केवल ऊर्जा का बेहतरीन स्त्रोत होता है बल्कि इससे  गर्भावस्था के दौरान महिला को हाइड्रेट रहने में मदद मिलती है। पानी का भरपूर सेवन करने से महिला को इन्फेक्शन आदि से बचे रहने में भी मदद मिलती है। जिससे महिला और शिशु दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।

नार्मल डिलीवरी के लिए दादी माँ के नुस्खे-सामान्य प्रसव के लिऐ अन्य टिप्स

  • गर्भावस्था के दौरान हल्का फुल्का व्यायाम जरूर करें।
  • कोई भी परेशानी होने पर डॉक्टर से तुरंत जांच करवाएं।
  • दिन में थोड़े थोड़े समय बाद कुछ न कुछ खाते रहें, इससे आपको एक्टिव और ऊर्जा से भरपूर रहने में मदद मिलती है।
  • ऐसे आहार का सेवन भरपूर करें जिसमे आयरन की मात्रा भरपूर हो। क्योंकि यदि महिला में खून की कमी होती है तो डिलीवरी के समय परेशानी हो सकती है। ऐसे में नार्मल डिलीवरी के लिए ऐसे खाद्य पदार्थो का भरपूर सेवन करना चाहिए जिससे शरीर में ब्लड की मात्रा को बढ़ाने में मदद मिल सकें।
  • नार्मल डिलीवरी के लिए ताजा, स्वस्थ व संतुलित होने के साथ पौष्टिक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए।
  • डेयरी उत्पाद का भरपूर सेवन करने से भी आपको प्रेगनेंसी के दौरान आपको फिट रहने में मदद मिलती है, साथ ही इसके भरपूर सेवन से नार्मल डिलीवरी के चांस भी बढ़ जाते हैं।

तो यह कुछ ऐसे खास खाद्य पदार्थ है जिनके सेवन से आपको सामान्य प्रसव मे मदद मिलती है। इसके अलावा समय समय पर डॉक्टर से जांच भी करवाते रहना चाहिए।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन

लंबे समय तक प्रसव पीड़ा भी एक कारण है, जब महिलाएं 20 घंटे के लिए दूसरी बार गर्भवती हो जाती हैं, और पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं को 14 घंटे तक प्रसव पीड़ा से जूझना पड़ता है, तो डॉक्टर सिजेरियन का फैसला करते हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम विभाग के अनुसार, इसका कारण जन्म नहर की तुलना में बच्चे का बड़ा आकार, धीमी गति से गर्भाशय ग्रीवा का पतला होना, कई जन्म होना है। गर्भाशय में शिशु की स्थिति गलत होने पर भी सिजेरियन करना पड़ता है। इस मामले में, बच्चे के पैर या बट बर्थ कैनाल की तरफ होते हैं। अगर गर्भ में शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही है या बच्चा किसी जन्मजात बीमारी (हृदय या मस्तिष्क) से पीड़ित है, तो डॉक्टर सिजेरियन को वरीयता देते हैं। कभी-कभी बच्चे के जन्म से पहले प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा से फिसल जाता है, इसलिए इसे गर्भनाल आगे को बढ़ाव कहा जाता है। यह स्थिति शिशु के लिए खतरनाक होती है। इस मामले में, आपातकालीन सीजेरियन डिलीवरी की आवश्यकता होती है। इसलिए यदि आप इनमें से किसी भी स्थिति से जूझ रही हैं, तो इस बात की अधिक संभावना है कि आपकी डिलीवरी सीजेरियन हो।

कैसे जाने कि बच्चा पैदा होने वाला है?

अगर आपको ये लक्षण नजर आएं तो समझ लें कि सिर्फ 24 से 48 घंटे में लेबर पेन शुरू होने वाला है। बार-बार पेशाब आना तेज कमर दर्द पानी की थैली का फटना

जानिए क्या है गर्भावस्था में फोलिक एसिड के फायदे

जानिए क्या है गर्भावस्था में फोलिक एसिड के फायदे

गर्भवती महिला को हमेशा फोलिक एसिड खाने की सलाह दी जाती है होती है, आप जानते हैं ऐसा क्यों है ताकि गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में कोई डिफेक्ट ना आए। इसलिए डॉक्टर फोलिक एसिड को एक गर्भवती महिला के लिए बहुत जरूरी मानते हैं लेकिन आज हम आपको बताएंगे की गर्भावस्था में फोलिक एसिड के फायदे क्या है और सभी के शरीर में फोलिक एसिड की जरूरत क्यों होती है।

फोलिक एसिड को आप फोलेट या विटामिन B9 भी कह सकते कह सकते हैं, यही विटामिन बी हमारे शरीर में नए रेड ब्लड सेल को को बनाने में मदद करता है। और आप जानते ही होंगे कि यही रेड ब्लड सेल्स ऑक्सीजन को पूरे शरीर में पहुंच आती है। इसलिए जब किसी भी व्यक्ति में विटामिन B9 की कमी हो जाती कमी हो जाती है तो उस व्यक्ति को डॉक्टर द्वारा फोलिक एसिड प्रिसक्राइब किया जाता है तो आज हम फोलिक एसिड के बारे में ज्यादा अच्छे से जानेंगे।

फोलिक एसिड के फायदे

  • फोलिक एसिड हार्ट से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करता है। दरअसल फॉलिक एसिड हमारी धमनियों की मोटाई अर्थात एथेरोस्क्लेरोसिस को होने से रोकता है।
  • आजकल के प्रदूषण और केमिकल से जुड़ी चीजों को यूज करने के कारण बाल झड़ने की समस्या विकराल हो चुकी है लेकिन इसका एक प्रमुख कारण पोषक तत्वों की कमी भी होती है। अगर आपके शरीर में हो लेट और विटामिन बी नाम की नाम और विटामिन बी नाम की कमी है तो आपके बाल झड़ना शुरू हो जाएंगे यदि आप डॉक्टर द्वारा बताई हुई फोलिक एसिड की मात्रा सही प्रकार से सेवन करेंगे तो आपके बालों का झड़ना और सफेद होना बंद हो जाएगा।
  • फोलिक एसिड कई प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करता है जैसे स्तन कैंसर, एसोफैगल कैंसर, कोलन कैंसर, सर्विक्स कैंसर, त्वचा कैंसर।

यदि आपके अन्दर फोलिक एसिड की कमी हो चुकी है तो आपको डॉक्टर द्वारा बताई हुई फोलेट टेबलेट लेनी होंगी। वैसे आप कोशिश कीजिये कि आपके भोजन में फोलिक एसिड की भरपूर मात्रा हो। तो हम आपको ऐसे ही कुछ भोज्य पदार्थो के बारे में बताएंगे।

फोलिक एसिड युक्त आहार

दाल

दाल में केवल फोलेट ही नही बल्कि आयरन, प्रोटीन और फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। रोजाना में केवल एक प्रकार की दाल का प्रयोग न करे, हर तरह की दाल को अपने भोजन में शामिल करें, बच्चो को भी हर तरह की दाल खाने की आदत डालें। दाल को परांठे, ढोकले या चीले की तरह प्रयोग करे तब भी वह फायदेमंद हैं।

लोबिया

लोबिया भी फोलेट से भरपूर होता है, आप चाहे तो लोबिया को अंकुरित कर उसे चाट की तरह, या आलू लोबिया की रसेदार सब्जी भी बना सकती है। जिन लोगो को गैस की दिक्कत रहती है वो रात को लोबिया खाने से परहेज करें।

लोबिया
लोबिया

छोले

छोले भी फॉलिक एसिड, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होते है। छोले खिलाने के लिए बच्चो के नखरे भी नही झेलने होते है। क्योंकि बच्चो को छोले बहुत पसंद होते है।

चाहे वो छोले पूरी हो, छोले भटूरे या छोले चाट। उबले हुए छोलों में बारीक कटा खीरा, टमाटर और प्याज डालिये और चाट बनाइए।

इनके अलावा फोलिक एसिड, के लिए निम्न पदार्थो को अपने भोजन में शामिल करें।

ब्रोकली

ब्रोकली फोलेट, आयरन, विटामिन बी6, बीटा कैरोटीन और विटामिन से भरपूर होती है। ब्रोकली को खाने का सबसे अधिक फायदा उसे हल्की भाप देकर या सूप के रूप में खाने से होता है।

सोयाबीन

सोयाबीन खाने में जितने स्वादिष्ट होते है उतने ही प्रोटीन से भरपूर होते है। सोया कई रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे चंक्स या नगेट्स।

चंक्स या नगेट्स को सब्जी या पुलाव में इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन थाइरोइड के पेशेंट को सोया प्रोडक्ट के लिए मना किया जाता है, ऐसे में आप डॉक्टर की सलाह लेकर ही सोया का सेवन करे।

इसके अलावा राजमा, पालक, (पालक पनीर, पालक मेथी की टिक्की,पालक पुलाव के रूप में इस्तेमाल करें) सूजी, तिल के बीज, अखरोट, अनार, आदि।

गर्भावस्था में फोलिक एसिड क्यों जरूरी है।

हर कोई ये सोचता है प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड क्यों दिया जाता हूं। तो हम आपको प्रेग्नेंसी में फोलिक एसिड के फायदे बताते है।

  • फोलिक एसिड की कमी ही नही शरीर मे उसकी ज्यादा मात्रा भी नुकसान करती है, फोलिक एसिड ज्यादा होने से सांस सम्बन्धी परेशानी, बुखार, खुजली और दाने होना, गैस और अपच होना।
  • अजन्मे शिशु को मोटापे,आटिज्म और इन्सुलिन प्रतिरोध का जोखिम बढ़ जाता है। गर्भधारण के लिए फोलिक एसिड बहुत जरूरी है क्योंकि ये एग प्रोडक्शन को बढ़ाता है।
  • गर्भवती स्त्री में फोलिक एसिड की कमी से गर्भपात के अलावा premature डिलीवरी भी हो सकती है
  • फोलिक एसिड न्यूरल ट्यूब को सुरक्षित रखता है ताकि शिशु में स्पिना बिफिडा(रीढ़ की हड्डी से जुड़ी जन्मजात बीमारी) जैसी बीमारी न हो।
  • फोलिक एसिड गर्भस्थ शिशु को anecephaly बीमारी से बचाता है।
  • फोलिक एसिड प्लेसेंटा की ग्रोथ को बढ़ाता है।
  • शिशुओं में होने वाली कटे तालु और कटी जीभ जैसे डिफेक्ट को दूर करता है।

फोलिक एसिड की कमी के लक्षण

फोलिक एसिड की कमी से गर्भवती में निम्न लक्षण दिखाई देते है।

  • सर में दर्द
  • घबराहट
  • चिड़चिड़ापन
  • एनीमिया
  • भूख की कमी
  • जरा से काम मे थकान महसूस होना
  • जीभ में दर्द
  • नींद आने में दिक्कत होना

क्या खाने से मिसकैरिज होता है?-Kya Khane Se Miscarriage Hota Hai

क्या खाने से मिसकैरिज होता है?

प्रेगनेंसी मे हर महिला के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लेना बहुत ही जरुरी है। पर कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जो कि गर्भवती महिलाओं को नहीं खाने चाहिए, ख़ासकर प्रेगनेंसी के शुरु के तीन महिने के दौरान, आमतौर पर इन तीन महिने मे गर्भवती महिलाओं में गर्भपात होने का ख़तरा ज़्यादा होता है। गर्भवती महिला के लिए यह जानना जरुरी है कि क्या खाने से मिसकैरिज होता है, क्या चीज खाने से गर्भपात हो जाता है? गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में शामिल खाद्य पदार्थों का ध्यान रखना आवश्यक हैं और गर्भपात से बचने के लिए गर्भावस्था के दौरान कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों से गर्भाशय फैल सकता है या खुल सकता है और परिणामस्वरूप गर्भाशय में संकुचन हो सकता है जिससे गर्भपात होने का खतरा हो सकता नीचे हम कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ की बात कर रहे है जो गर्भपात का कारण बन सकते हैं।

और पढ़ें: गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये, कैसे होता है तुलसी के पत्तों से गर्भपात-Tulsi Se Garbhpat

क्या खाने से मिसकैरिज होता है?-Kya Khane Se Miscarriage Hota Hai

इलायची से गर्भपात

गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक मात्रा में इलायची का सेवन करने से गर्भपात होने का खतरा रहता है। गर्भावस्था के दौरान इलाइची  के सेवन से जुड़ी पर्याप्त चिकित्सकीय जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि आप गर्भवास्था के दौरान इलायची का ज्यादा सेवन से परहेज करें।

अनानास

अनानास में ब्रोमेलैन पाया जाता है जो गर्भवती महिला के गर्भाशय को ढीला कर सकता है और जिससे गर्भाशय में संकुचन की शुरुआत हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। गर्भावस्था के शुरुआती समय में अनानास या उसके रस का सेवन करने से बचना ही बेहतर है।

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का अजवाइन से गर्भपात कैसे करे? Garbhpat Karne Ke Gharelu Upay

तिल

गर्भवती महिलाओं को शुरुआती दिनों में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए । शहद के साथ तिल का सेवन, गर्भावस्था में परेशानी उत्पन्न कर सकता है। वैसे गर्भावस्था के बाद के पड़ाव में महिलाएं कभी–कभार काले तिल का सेवन कर सकती हैं क्योंकि यह प्रसव क्रिया के लिए लाभदायक माने जाते हैं।

पशु का यकृत

पशु का यकृत विटामिन ‘ए’ से भरपूर होता है, इसे आमतौर पर सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है। इसलिए, इसे महीने में एक या दो बार खाने में कोई ख़तरा नहीं है। लेकिन, यदि गर्भवती महिलाएं ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन करती हैं, तो यह गर्भावस्था के दौरान परेशानी हो सकती है क्योंकि इससे धीरे–धीरे रेटिनॉल जम सकता है और जिसका बुरा असर बच्चे पर पड़ सकता है।

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का कैसे करें इलायची से गर्भपात-Pregnancy Khatam Karne Ka Tarika, elaichi se garbhpat kaise kare

एलोवेरा

एलोवेरा में ऐंथ्राकीनोन होते हैं, यह एक प्रकार से गर्भाशय में संकुचन पैदा करती है जिससे योनि से रक्तस्राव हो सकता हैं, और जो गर्भपात कि वजह भी बन सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान ऊपर ऊपर से एलोवेरा जेल लगाना सुरक्षित माना जाता है।

गर्भ गिराने के लिए पपीता कैसे खाएं?

कच्चे पपीते या हरे पपीतों में ऐसे कुछ तत्त्व होते हैं जो संकुचन का काम करते हैं, पपीते के बीज एंजाइम से भरपूर होते हैं जो गर्भाशय में संकुचन का कारण बन सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात भी हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान किसी भी रूप में पपीते का सेवन करना सुरक्षित नहीं है।

और पढ़ें: गर्भपात के बाद माहवारी कब आती है-Garbhpat Ke Baad Period Kab Aate Hain

सहजन

सहजन मे अल्फा–सिटोस्टेरोल होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता हैं। परंतु, सहजन आयरन, पोटेशियम और विटामिन से भरपूर होता है । इसलिए, इन्हें सीमित मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है।

कच्चे दूध के पदार्थ

दूध, गोर्गोन्ज़ोला, मोज़ेरेला, फ़ेटा चीज़ और ब्री जैसे कच्चे या अपाश्चरीकृत पदार्थों में लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स जैसे रोग फैलाने वाले जीवाणु हो सकते हैं, और जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होते है। गर्भवती महिलाओं के लिए कच्चे दूध से बनी कोई भी चीज़ खाना या पीना सुरक्षित नहीं माना जाता है।

काली चाय से गर्भपात कैसे करें

ब्लैक टी की मदद से गर्भपात आसानी से किया जा सकता है। काली चाय बहुत गर्म होती है। इसे पीने से शरीर में बहुत अधिक गर्मी होती है, इसलिए यदि गर्भावस्था को अधिक समय नहीं हुआ है, तो यह आसानी से गर्भपात का कारण बन सकती है।

काली चाय
काली चाय

इसे बनाने के लिए चाय बनाते समय हम दो गिलास पानी गर्म करते हैं और उसमें चाय की पत्ती डालकर उबालते हैं। जब यह पानी आधा हो जाए तो इसे गर्मागर्म पिएं। इसे कुछ दिनों तक लगातार पीने से जल्द ही गर्भपात हो जाएगा।

कैफीन

गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा कैफीन के कारण गर्भपात या जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों के अनुसार कैफीन मूत्रवर्धक या निर्जलीकारक माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर में द्रव्य पदार्थों की कमी का कारण बन सकता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कैफीन कई खाद्य पदार्थ में शामिल होती है जैसे कि चाय, कॉफी, चॉकलेट और कुछ ऊर्जा शक्ति प्रदान करने वाले पेय पदार्थ आदि।

पारा युक्त मछली

हालांकि मछली आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती है, गर्भवती महिलाएं ऐसी किस्म की मछलियां खाने से परहेज करें जिनमें बड़ी मात्रा में पारा पाया जाता है, जैसे कि किंग मैकरेल, ऑरेंज रफ, मार्लिन, शार्क, टाइलफिश, स्वोर्डफ़िश, और बिगआय ट्यूना मछली। इसका कारण यह कि पारा के सेवन से बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास पर भारी प्रभाव पड़ सकता हैं।

और पढ़ें: पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है-papita khane se period aata hai

जंगली सेब

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जंगली सेब खाने से बचना चाहिए। इनके अम्लीय और खट्टे गुण से गर्भाशय में संकुचन का कारण बन सकता हैं। इससे समय से पहले प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है या गर्भपात हो सकता है।

संसाधित माँस

गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से अधपका या कच्चा माँस खाने से बचना चाहिए क्योंकि माँस में मौजूद जीवाणु बच्चे तक पहुँच सकते हैं, जिससे गर्भपात, समय से पहले प्रसव या मृत जन्म जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, माँस को सही तरीके से पकाने या खाने से पहले इसे अच्छी तरह से दोबारा गर्म करना आवश्यक है।

और पढ़ें: जानिए बिना किसी दवा के अनचाहा गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे

कच्चे अंडे

अंडे के साल्मोनेला नामक जीवाणु के कारण खाद्य विषाक्तता, अतिसार, बुखार, आँतों में दर्द या गर्भपात जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अंडे को अच्छी तरह से पकाना आवश्यक है, यानी जब तक कि अंडे का सफ़ेद और पीला हिस्सा ठोस नहीं हो जाता तब तक पकाए । इससे जीवाणु मर जाते हैं और अंडा खाने के लिए सुरक्षित हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को ऐसे खाद्य पदार्थों से भी दूर रहना चाहिए जिनमें कच्चे अंडे का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि एगनोग, घर का बना मेयोनेज़, सूफले और ऐसी स्मूदी जिसमें कच्चे अंडे हो।

मसाले-मेथी से गर्भपात कैसे करें?

गर्भावस्था में महिलाओं को मेथी, हींग, लहसुन, एंजेलिका, पेपरमिंट जैसे कुछ मसालों का सेवन अधिक मात्रा मे नहीं करना चाहिए। यह मसाले गर्भाशय को उत्तेजित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संकुचन हो सकता है, और फिर प्रसव पीड़ा या गर्भपात जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

और पढ़ें: क्या है सटीक और असरदार तरीका मेथी से गर्भ गिराने का, मेथी से गर्भ कैसे गिराए

आड़ू

आड़ू एक “गर्म ” फल है। यदि गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए, तो यह गर्भवती महिला के शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा कर सकता है।

आड़ू
आड़ू

इससे अंदरूनी रक्तस्त्राव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को याद से इस फल को खाने से पहले इसका छिलका निकालने चाहिए क्योंकि फलों के रेशे से गले में जलन और खुजली पैदा हो सकती हैं।

प्रेगनेंसी में नींबू खाने से क्या होता है

गर्भावस्था में चक्कर आना, सिर दर्द और जी मिचलाना जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए महिलाएं कभी-कभी नींबू पानी पीती हैं या फिर नींबू पर नमक छिड़क कर चाट लेती हैं। लेकिन, नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह हानिकारक नहीं है।

अदरक से गर्भपात हो सकता है

विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को एक दिन में केवल 1500 मिलीग्राम अदरक का ही सेवन करना चाहिए। इससे ज्यादा सेवन करने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए अदरक या अदरक की चाय का अधिक मात्रा में सेवन बिल्कुल न करें।

और पढ़ें: अदरक से गर्भपात हो सकता है

अजवाइन खाने से गर्भ गिर जाता है क्या

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन,  फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही  इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और अजवाईन की तासीर गर्म  हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

सामान्य प्रश्न

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।

6 महीने का गर्भ कैसे गिराए?

यदि आप अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं तो इसके लिए शुरुआती 5से 6 हफ्ते का समय सबसे उचित रहता है इसके बाद जैसे-जैसे वक्त बढ़ता जाता है जटिलताएं बढ़ने लगती है । 6 महीने का गर्भ काफी बड़ा होता है इसलिए इसे गिराने के लिए किसी प्रकार के घरेलू उपाय ना अपनाएं यह गर्भवती के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है । 6 महीने के गर्भ को गिराने के लिए डॉक्टर की मदद से ही हॉस्पिटल में गर्भपात करवाएं ।

नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?

नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?

शिशुओं के कब्‍ज की समस्‍या एक बहुत की कॉमन समस्‍या है। यह समस्‍या उन बच्‍चों में ज्‍यादा देखने को मिलती है जो मांँ का दूध नहीं पीते और पाउडर मिल्‍क पर निर्भर हैं। दरअसल ब्रेस्‍ट मिल्‍क यानी मांँ के दूध को बच्‍चे आसानी से पचा लेते हैं और इससे पेट भी बच्‍चों का आसानी से साफ हो जाता है. ऐसे में इन शिशुओं में कब्‍ज की समस्‍या कम देखी जाती है। अगर आपके शिशु को कब्‍ज (Constipation) की शिकायत है तो डॉक्‍टर भी किसी तरह की दवा देने से परहेज करते हैं। ऐसे में नन्‍हें शिशुओं को इस समस्‍या से निकालने के लिए आप घरेलू उपायों की मदद ले सकते हैं ,आइए जानते हैं किन उपायों से आप शिशुओं की कब्‍ज को दूर कर सकते है।

नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?

हल्का फुल्का व्यायाम

शिशु के पैरों को हल्‍के हल्‍के उपर नीचे, आगे पीछे हिलाएं, इसके बाद सावधानी से उनके पैरों को साइकिल की तरह गोल गोल घुमाएं. ऐसा करने से उन्‍हें प्रेशर बनता है और कब्‍ज से राहत मिलती है।

मालिश

बच्‍चे के पेट और निचले हिस्‍से की हल्‍की मालिश करें. ऐसा करने से भी कब्‍ज दूर हो सकती है।

गुनगुने पानी से स्नान

गुनगुने पानी से नहलाने से शिशु के शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है। पेट और इंटसटाइन व पॉटी एरिया में भी आराम मिलता है और वे पॉटी के लिए तैयार हो जाते हैं।

सौंफ

सौंफ भी पाचन संबंधित समस्‍याओं के इलाज में बहुत फायदेमंद है, आप एक चम्‍मच सौंफ को एक कप पानी में उबालकर ठंडा करें और छान कर रखें और दिन में तीन से चार बार शिशु को चम्‍मच से पिलाएं।

सेब का रस

बच्‍चों में भी फाइबर की कमी के कारण कब्‍ज हो सकती है। सेब में मौजूद घुलनशील फाइबर या‍नी पेक्टिन कब्‍ज के इलाज में लाभकारी होता है। आप सेब के छिलके साथ जूस निकाल कर शिशु को थोड़ा थोड़ा चम्मच से दे सकती हैं।

तरल पदार्थ

शरीर में पानी की कमी के कारण भी कब्‍ज होती है, अगर बच्‍चा छह महीने से अधिक उम्र का है तो उसके सूप, फलों का रस, दूध और पानी आदी खूब दें।

फल और सब्जियाँ

अगर बच्‍चा छह महीने से बड़ा है तो उसे फल और सब्जियों को उबालकर और पीस कर खिलाएं. इनमें फाइबर भरपूर होते हैं जिससे कब्‍ज दूर होता है।

पपीता

पपीता फाइबर का अच्‍छा स्रोत है और इसीलिए ये कब्‍ज के इलाज में बहुत असरकारी होता है। 6 महीने से अधिक उम्र के बच्‍चे के लिए पपीता कब्‍ज से छुटकारा दिलाने में बहुत फायदेमंद है।

ऑर्गेनिक नारियल तेल

कब्‍ज के घरेलू उपाय में नारियल तेल का प्रयोग भी किया जा सकता है। 6 महीने से अधिक उम्र के शिशु के खाने में दो या तीन मि.ली नारियल तेल मिला सकते हैं। अगर बच्‍चा 6 महीने से कम है तो उसकी गुदा के आसपास नारियल तेल लगाएं।

अरंडी का तेल

थोड़ा सा अरंडी का तेल लेकर हल्के हाथ से बच्चे की नाभि के आसपास पेट पर मालिश करें, इससे भी कब्ज दूर होता है।

ऑपरेशन से डिलीवरी के बाद सावधानी कैसे बरतें-Care After Cesarean Delivery In Hindi

ऑपरेशन से डिलीवरी के बाद सावधानी

हर गर्भवती स्त्री चाहती है कि उसकी डिलीवरी नॉर्मल ही हो। क्योंकि सिजेरियन डिलीवरी के बाद होने वाली बहुत सी दिक्कतों से वो बचना चाहती है। सिजेरियन डिलिवरी के बाद का काफी समय इस सर्जरी से उबरने में चला जाता है। सिजेरियन से एक बच्चे को जन्म देने वाली महिला को बहुत आराम और देखभाल की जरूरत होती है।आपको जानकर हैरानी होगी कि सिजेरियन के बाद महिला मृत्यु दर काफी अधिक होती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको यही बताएंगे कि ऑपरेशन से डिलीवरी के बाद सावधानी कैसे बरतनी चाहिए।

ऑपरेशन से डिलीवरी के तुरन्त बाद हॉस्पिटल में क्या सावधानी बरतें।

सर्जरी के 24 घण्टे बीत जाने पर डॉक्टर आपको धीरे धीरे उठने के लिए कहेगा। सम्भव हैं आपके लिए ये बहुत ही मुश्किल हो पर कोशिश करिए। क्योंकि यही आपके ठीक होने की गति को बढ़ाएगा। आप परिवार के किसी सदस्य या नर्स का सहारा लेकर बाथरूम तक जाने की कोशिश करें।

ऐसा करने से आपको कई फायदे होंगे। आपके पेट मे गैस बनने की समस्या नही होगी। क्योंकि गैस बनने से ताजा टांको में दर्द बढ़ सकता है। थोड़ा थोड़ा टहलने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा। जिससे ऑक्सीजन की सप्लाई सर्जरी के स्थान पर तेजी से होगी और हीलिंग की स्पीड बढ़ जाएगी।

लेकिन ध्यान रखे इसमे जल्दबाजी बिल्कुल न करे। क्योंकि सिजेरियन डिलीवरी के बाद आपको चक्कर आने और सांस फूलने की परेशानी हो सकती है। इससे एक और फायदा होगा कि आपका कैथेटर (यूरिन बैग) जल्दी से जल्दी निकल जायेगा और आप कंफर्टेबल महसूस करेंगी।

अगर कैथेटर निकलने के बाद आपको लगातार दर्द बना हुआ है तो इग्नोर न करे। तुरन्त डॉक्टर को बताए।

सर्जरी के बाद होने वाले दर्द से बचने के आपको जो भी दवाइयां डॉक्टर द्वारा दी जाती है, यदि किसी भी दवाई से आपको दिक्कत हो तो तुरन्त डॉक्टर से बात करें। दवाई डॉक्टर ने लिखी है ये सोचकर तकलीफ न सहती रहे।

अब बात करते है ऑपरेशन के बाद होने वाले रक्तस्राव का क्योंकि अब महिला का गर्भाशय संकुचित होने लगता है ऐसे में आपको अधिक रक्तस्त्राव हो सकता है। यह स्थिति 6 सप्ताह तक जारी रह सकती है। ऐसी स्थिति में सेनेटरी पैड हमेशा पास रखे और जल्दी जल्दी बदलते रहे ताकि इन्फेक्शन ना हो लेकिन टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप का का इस्तेमाल डॉक्टर से सलाह लेकर ही करे।

ऑपरेशन से डिलीवरी के बाद सावधानी
ऑपरेशन से डिलीवरी के बाद सावधानी

ऑपरेशन के बाद घर पर क्या सावधानी बरतें

पुरानी कहावत है कि बच्चे के जन्म में एक इंसान से दूसरा इंसान बनता है, एक माँ का नया जन्म होता है। तो जरूरी है की ऑपरेशन के बाद एक माँ को पूर्ण रूप से आराम दिया जाए।

घर पहुँचने के तुरन्त बाद महिला को शारीरिक कार्य से बचना चाहिए। केवल बच्चे को गोद मे ले, अन्य कोई वजन न उठाएं। घर के कामो को कुछ समय के भूल जाएं।

अपने शरीर में लिक्विड की कमी न होने दे। लगातार गर्म पानी और दूसरे तरल लेते रहे। इससे ऑपरेशन के बाद बढ़ने वाले मोटापे को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। साथ ही गैस भी नही बनती।

इसके अलावा कुछ बातों का ध्यान रखे

  • बच्चे का सभी सामान, गर्म पानी की बोतल, केतली बिल्कुल पास रखे ताकि आपको ज्यादा मूवमेंट न करना पड़े।
  • ध्यान रखे कि आपका बॉडी टेम्परेचर नार्मल रहे, अगर दर्द या बुखार महसूस हो तो तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।
  • इस समय आप postpartum डिप्रेशन से ग्रस्त हो सकती है तो मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दे। बच्चे के साथ खूब समय बिताए।
  • आपको भावनात्मक सपोर्ट की जरुरत है ये बात बेहिचक परिवार से बोले, बिल्कुल देर न करे।
  • अभी आपको स्तनपान कराने में दिक्कत हो सकती है तो जीवनसाथी या घर की महिला सदस्य से मदद करने को कहे।
  • सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल रुटीन में आने के लिए आपको कम से कम 8 सप्ताह का समय लग सकता है।
  • एक्सरसाइज, गाड़ी चलाने या ऑफिस जाने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
  • साथी के साथ सेक्स करने या टैम्पोन के इस्तेमाल से पहले आपको डॉक्टर से जरूर पूछ लेना चाहिए
  • अगर टांके ठीक न हुए हो या किसी प्रकार का रक्तस्राव हो तो नहाए नही।
  • छोटे शिशु के साथ नींद पूरी होना बहुत मुश्किल है, लेकिन पुरी तरह ठीक होने के लिए ये बहुत जरूरी है। तो बहुत जरूरी की शिशु को सम्भालने के लिए आपके पास कोई न कोई मदद हो।
  • सीढ़िया चढ़ने से बचे, भारी वजन न उठाएं, छींकते, खांसते,और जोर स्व हंसते समय हाथों से टांको को सपोर्ट जरूर दे।
  • दिन में दो बार धीरे धीरे टहले, डॉक्टर से सलाह लिए बिना सम्बन्ध बनाने के बारे में न सोचें।
  • मोटापे के कारण एक्सरसाइज करने की जल्दी बिल्कुल न करे।
  • किसी भी तरह का इन्फेक्शन, दर्द, जलन, सूजन, बुखार होने पर डॉक्टर से तुरन्त कांटेक्ट करे।
  • व्यायाम के लिए कम से कम 6 महीने इंतजार करें, भारी व्यायाम से शुरुआत न करे, इसके बजाय आप पंजो को आगे पीछे करना, कंधों और कलाईयों को घुमाना, हल्की स्ट्रेचिंग करते रहे।
  • अच्छा म्यूजिक सुने, केवल सकारात्मक रहने की कोशिश करे।
  • खाने में केवल हल्की चीज़े खाये, क्योंकि भारी चीज़े न केवल आपको बल्कि आपके बच्चे को भी नुकसान करेंगी।

गर्भपात के बाद पीरियड कब आता है ? एबॉर्शन के बाद पीरियड कब आता है ?

गर्भपात के बाद महवारी कब आती है

गर्भपात के बाद माहवारी कब आती है -Garbhpat Ke Baad Period

गर्भपात पिल या सर्जरी किसी भी तरह से करवाया जाऐ या गर्भपात किसी भी वजह से हो, गर्भपात कराने के लिए एक महिला को शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। गर्भपात के बाद पीरियड फिर से शुरू हो जाते हैं। यह माहवारी साधारण तरीके से 30 से 40 दिन के अंदर शुरू हो जाती है।

गर्भपात से पहले और बाद में शारीरिक हालत कैसी है, यह सब माहवारी को प्रभावित करता है। चालीस दिन के बाद अगर माहवारी नहीं आती तो एक और बार जांच करवानी जरुरी है। गर्भपात के समय अगर छोटे छोटे टुकड़े रह जाते है तो भी माहवारी नहीं आती और यह सेहत पर प्रभाव डालती है। इसका पूर्ण रूप से ध्यान देना जरुरी है।

गर्भपात के बाद कितने दिन तक पीरियड आता है?

गर्भपात के बाद मासिक धर्म सामान्य से अधिक या लम्बी मात्रा में हो सकती है। ऐसा नहीं कि हर महिला को एक ही तरीके से माहवारी होती है बल्कि हर एक के शरीर के तत्व और जीवन गति पर आधारित है।

गर्भपात के बाद पीरियड कितने दिन तक होते हैं ?

दवाई के जरिए गर्भपात होने पर माहवारी कब से शुरू होंगे इसका कोई निश्चित समय नहीं है। इसमें चार से आठ हफ्ते लग सकते हैं। अगर सर्जरी के जरिए गर्भपात करवाया गया है तो चार से छह हफ्ते में पीरियड्स आ सकते है। गर्भपात के बाद इस समय आपका पहला पीरियड पूरी तरह से आप पर और आपके शरीर पर निर्भर करता है।

वैसे गर्भपात के लगभग 4-6 सप्ताह के बाद से पीरियड्स शुरू होने की संभावना होती है। अर्थात जब आपका शरीर भ्रूण के खत्म होने के बाद दोबारा से पूरी तरह ठीक हो जाता है तब आपका पहला मासिक धर्म शुरू हो सकता है।

गर्भपात के बाद माहवारी
गर्भपात के बाद माहवारी

यदि गर्भपात के बाद पीरियड पहले शुरू हो जाता है तो घबराएं नहीं, लेकिन यदि इसे शुरू होने में देरी होती है तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।

यदि गर्भपात और प्रेगनेंसी से पहले आपके पीरियड की अवधि नियमित थी तो 4 से 6 सप्ताह का अंतराल पीरियड्स शुरू होने के लिए सही माना जाता है।

गर्भपात के बाद पहला मासिकधर्म कैसा हो सकता है?

गर्भपात के बाद आपका पहला पीरियड बहुत असामान्य हो सकता है क्योंकि इस दौरान आपका शरीर बहुत सारे बदलावों से उबरता है। इस समय आपके हॉर्मोन पूरी तरह से असंतुलित होंगे और गर्भपात के बाद एचसीजी हॉर्मोन का स्तर जीरो पर पहुँचने को होगा।

कभी-कभी आपका शरीर गर्भपात को भी पीरियड के समान ही समझ सकता है और आपका अगला मासिक धर्म बस कुछ दिनों के बाद ही शुरू हो सकता है।

आप अपेक्षा कर सकती हैं कि गर्भपात के बाद पहली बार होने वाले पीरियड में ब्लीडिंग बहुत ज्यादा या बहुत कम हो सकती है। गर्भपात के बाद पहली बार पीरियड होने पर अत्यधिक ब्लीडिंग होना पूरी तरह से स्वाभाविक है।

आपको प्री-मेन्सट्रूअल सिंड्रोम के लक्षण और अपने शरीर में बहुत सी असामान्य चीजें दिखाई दे सकती हैं, जैसे अलग-अलग रंग का सर्वाइकल म्यूकस और ब्लड क्लॉट्स। इस डिस्चार्ज में बहुत तेज दुर्गंध भी आ सकती है। इसके अलावा दर्द के लिए भी खुद को तैयार कर लें क्योंकि गर्भपात के बाद पहले पीरियड में आपको अत्यधिक दर्द हो सकता है।

गर्भपात के बाद ब्लीडिंग जल्दी ही बंद हो जाती है जिसके बाद आपको कुछ दिनों के लिए थोड़ी बहुत स्पॉटिंग ही दिखाई देगी। फिर कुछ हफ्तों के बाद आपको हेवी ब्लीडिंग के साथ ऐंठन और स्पॉटिंग का भी अनुभव हो सकता है।

गर्भपात के बाद पहला पीरियड कब तक रहता है?

यह हर महिला में अलग हो सकता है और आप सामान्यतः इसे 4-7 दिनों में खत्म होने की अपेक्षा कर सकती हैं। चूंकि यह महिलाओं में अलग-अलग होता है इसलिए इसका निश्चित समय बता पाना मुश्किल है।

यह हर एक स्थिति में अलग हो सकता है, गर्भपात के पहले आपके पीरियड्स नॉर्मल थे या नहीं, गर्भपात से पहले आपकी गर्भावस्था कितने समय तक थी और अन्य स्थिति जिसका अनुभव आपने किया हो।

गर्भपात के बाद पहली माहवारी कितने समय तक चलती है?

इस दौरान आप एक महीने के लिए ब्लड स्पॉट का अनुभव कर सकती हैं और हाँ यह बहुत अजीब सी प्रक्रिया हो सकती है! पर आप किसी भी बात से न घबराएं। अपने शरीर को एडजस्ट करने के लिए समय दें और यह अपने आप ही ठीक हो जाएगा। इसमें समस्याएं बहुत कम होती हैं।

सामान्य प्रश्न

गर्भपात के बाद कितने दिन तक पीरियड आता है?, बच्चा खराब होने के बाद पीरियड कब आता है?

गर्भपात के बाद योनी से रक्तस्राव (ब्लीडिंग) होना सामान्य बात है। यह एक आम लक्षण है और किसी भी प्रकार के अबॉर्शन (मेडिकल या सर्जिकल) के बाद लगभग दो हफ्तों तक ब्लीडिंग होना सामान्य है। सर्जिकल गर्भपात (सर्जरी के माध्यम से हुए) के बाद हल्का रक्तस्राव होता है, जबकि दवाइयों की मदद से हुए एबॉर्शन में लगभग 9 दिन तक रक्तस्त्राव हो सकता है। कुछ दुर्लभ मामलों में यह 45 दिन तक हो सकता है ।

गर्भपात के बाद पहली माहवारी कितने समय तक चलती है?

मिसकैरिज या गर्भपात के बाद हॉर्मोनल लेवल पर बहुत अधिक बदलाव होता है। इस हॉर्मोनल बदलाव के कारण ही पीरियड्स का समय भी घट- बढ़ जाता है। सभी महिलाओं को मिसकैरिज के बाद एक ही समय में पीरियड शुरू हो जाए, ये जरूरी नहीं है। ज्यादातर केस में चार से छह सप्ताह बाद तक पहला पीरियड आ जाता है। मिसकैरिज के बाद पहला पीरियड अधिक दर्दनाक या हैवी हो सकता है। और अधिक बदबूदार या तेज गंध वाला हो सकता है। इस बात को भी ध्यान में रखें कि अगर आपको मिसकैरिज के पहले समय पर पीरियड्स नहीं होते थे, तो मिसकैरिज के बाद भी ऐसा ही होगा। वहीं अगर आपको मिसकैरिज के पहले समय पर पीरिड्स होते थे, तो मिसकैरिज से चार से छह सप्ताह बाद भी रेग्युलर पीरियड्स शुरू हो जाते हैं।

गर्भपात के बाद आप कब ओव्यूलेट करते हैं?

अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट की मानें तो,मिसकैरिज के दो सप्ताह बाद ही ओव्यूलेशन शुरू हो सकता है। मासिक धर्म या फिर पीरियड्स के पहले ही ओव्यूलेशन होता है, इसलिए महिलाएं मिसकैरिज के दो सप्ताह बाद तक फर्टाइल हो जाती हैं।

गर्भपात के बाद लक्षण

गर्भपात से गुजरने के बाद महिलाओं को कुछ शारीरिक लक्षणों के अनुभव होते हैं, जो सामान्य है। ये लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं, योनी से भारी या हल्का रक्तस्त्राव,पेट में दर्द,उल्टी,दस्त,गर्मी या ठंड लगना,स्तनों में दर्द,भावनात्मक परिवर्तन..! गर्भपात के बाद के लक्षण हर महिला के लिए एक समान नहीं होते। कुछ मामलों में ये सामान्य से अधिक हो सकते हैं। ऐसे में गायनेकोलॉजिस्ट को तुरंत दिखाना जरूरी होता है।

गर्भपात के बाद सावधानियां

गर्भपात के बाद कुछ सावधानियां जरूरी हैं.. भरपूर नींद लें। भरपूर पानी पिएं। संतुलित आहार जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, सूखे मेवे, अदरक, लहसुन, तिल और दूध शामिल करें। जंक, प्रोसेस्ड फूड, शक्कर पेय और कोला से बचे, डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही विटामिन डी, आयरन और कैल्शियम जैसे सप्लीमेंट्स लें। हैवी वर्कआउट करने से बचें । वजन उठाने से बचने की सलाह दी जाती है। गर्म पानी का सेवन करें। गर्भपात के बाद पानी की कमी हो सकती है। इसलिए कब्ज से बचने और हाइड्रेटेड रहने के लिए गर्म पानी पिएं। बॉडी मसाज भी करवा सकती हैं,आखिरकार, आप इतने दर्द से गुजरी हैं, और आपको शांत और तनाव मुक्त रहने की जरूरत है। मालिश सुखदायक हो सकती है। सरसों या तिल के तेल का तेल इस्तेमाल करें। डॉक्टर की देखरेख में थोड़ा-थोड़ा व्यायाम करें। जब भी अधिक थकान महसूस हो, तो आराम करें।

गर्भपात के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है

गर्भपात के एक से दो महीने बाद पीरियड्स रेगुलर होना शुरु होते हैं। तीन से चार महीने के बाद गर्भ ठहर सकता है। डाक्टर कहते हैं कि एक महिला को सुरक्षित गर्भ के लिए अपने शरीर को वक्त देना चाहिए । गर्भपात के बाद एक महिला मानसिक और शारीरिक दोनों हीं रुप से कमजोर होती है। ऐसे में उसे जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए उसे पहले अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। उसके परिवार वालों को उसे सपोर्ट करना चाहिए ताकि वह जल्दी ही रिकवर कर पाएं। उसे कम से कम छह महीने के बाद ही गर्भधारण करना चाहिए।

गर्भपात के बाद पीरियड ना आए तो क्या करें

गर्भपात के बाद शरीर अंदर से कमजोर होता है। जब भ्रूण आपके शरीर से अच्छी तरह से बाहर निकल जाता है तब आपका शरीर पहले अंदर से खुद को मजबूत करता है। जब आप अंदर से स्वस्थ हो जाते हैं तब आपका शरीर दुबारा से अंडे का निर्माण करने लगता है। अब आपके गर्भाशय की दीवार अंदर से मजबूत होली लगती हैं गर्भाशय की दीवार के स्वस्थ होने पर ही पीरियड्स दुबारा शुरु होते हैं। अगर दो से तीन महीने तक पीरियड्स न आए तब आपको डॉक्टर को सलाह लेनी की आवश्यकता होती है।

गर्भपात के बाद कमजोरी दूर करने के उपाय

आपको संतुलित व पौष्टिक भोजन की आवश्यकता है। अपनी पूरी टाइट लें। भोजन में आयरन, पोटेशियम, विटामिन और मिनरल्स के अलावा कैल्शियम से भरपूर भोजन लें। घी, दूध, मक्खन , बींस, किशमिश, हरी पत्तेदार सब्जियों, भींगे हुए अखरोट, बादाम, दालें, कद्दू के बीज, सोयाबीन खायें। ठंडी चीजों, का परहेज करें ।‌ तैलीय, तीखा, चटपटा, मसालेदार भोजन का परहेज करें । इस समय आप के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को आपकी बहुत देखभाल की आवश्यकता है। आप अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। आपको जो लोग पसंद है उनसे बात करें ।अपनी पसंद के गानों को सुने, मेडीटेशन करें। सेक्स से परहेज़ करें।


Sale
i Know Ovulation Test Kit for Women Planning Pregnancy by Piramal Pharma | Fertility Test Kit for Accurate Results In 5 Mins | Identifies 5 Most Fertile Days to Conceive | 5 Test Strips x Pack of 1
  • The LH is in the urine of normal women increases in the middle of the menstrual cycle.
  • Designed for "Trying to conceive” women to get pregnant naturally.
  • This easy to use ovulation home LH Testing Kit test helps tracking ovulation surge with sufficient tests and minimize the chances missing the LH Surge

Last update on 2025-10-07 / Affiliate links / Images from Amazon Product Advertising API

अनचाहे गर्भ का सीताफल के बीज से गर्भपात कैसे करें?

सीताफल के बीज से गर्भपात

कुछ महिलाओं का समुचित उपाय करने के बाद भी गर्भधारण हो जाता है। या फिर उन्हे पता ही नहीं चलता और वे गर्भ धारण कर लेती हैं। ऐसे में बहुत मुश्किल होता है इस अनचाही स्थिति से निपटना। अगर गर्भ ठहरने का पता शुरुआत में ही लग जाए तो फिर इसको आयुर्वेदिक व प्राकृतिक उपचारों के द्वारा भी गिराया जा सकता है। हम कुछ घरेलू नुस्खे के द्वारा भी गर्भपात कर सकते हैं। बस हमें ध्यान रखना होता है कि तीन हफ्ते से ज्यादा देर न हुई हो।

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में पपीता, अजवायन, अन्नानास का रस, तुलसी का काढ़ा, ड्राई फ्रूट्स, लहसून, विटामिन सी, केले का अंकुर, अजमोद, कोहोश, गर्म पानी, बाजरा, गाजर के बीज, तिल, ग्रीन टी, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, अनार के बीज, कैमोमाइल तेल, काली चाय का प्रयोग खूब किया जाता है।

अगर गर्भ दो महीने से अधिक का है तो फिर उसका अबॉर्शन कराना ही ठीक है। उसमे गर्भ को एनाक्सथिसिया देकर डी एन सी के द्वारा निकाल दिया जाता है। इस प्रकिया में गर्भाशय को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। जिससे कि गर्भाशय में कुछ भी गंदगी शेष न रह जाए।  इस प्रकिया के बहुत सारे नुकसान भी है। इसीलिए पहले हमें घरेलू उपायों को अपनानते है। इन उपायों को अपनाते समय साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसलिए हमें घरेलु नुस्खे तब तक अपनाने चाहिए जब तक कि हमारा शरीर अंदर से अच्छी तरह साफ ना हो जाए। इन्ही घरेलु नुस्खों में एक नाम आता है सीताफल के बीज का। सुनने में थोड़ा सा अजीब लगेगा कि सीताफल के बीज से भी भला गर्भपात हो सकता है। सीताफल काफी गर्म होता है। अगर उसे अधिक मात्रा में अन्य चीजों के साथ मिलाकर लिया जाए तो उससे गर्भपात भी हो सकता है। यहां पर हम कुछ ऐसे ही उपायों की बात करेंगे जिनके कारण गर्भपात आसानी से हो सकता है।

सीताफल के बीज और पपीते के साथ- Bacha Girane Ka Gharelu Nuksa Bataiye

सीताफल के बीजो को भुनकर पीसकर पपीते के साथ खाने से गर्भपात ज्लदी हो जाता है। पपीते में लेटेक्स नामक एक पदार्थ पाया जाता है। जो यूटेराइन कान्टैक्शन का क्या काम करता है। जिसकी वजह से जब हम सीताफल के बीजों को पपीते के साथ खाते हैं तो यूट्रस में संकुचन आरंभ हो जाता है। जिसके कारण अबॉर्शन हो जाता है।

आपको इस रेमिडी को सुबह-सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लेना होता है। जब तक आपके शरीर से सारी गंदगी बाहर ना निकल जाए। रक्त आना बंद ना हो जाए तब तक आपको इस उपाय को करते रहना चाहिए।

सीताफल के बीज और अरंडी के बीज-Garbh Girane Ka Gharelu Upay

अरंडी के बीज को तोड़ लें। अरंडी एक ब्राउन कलर के मजबूत खोल के अंदर होती है। आपको इस मजबूत खोल को खोल कर सफेद बीज निकालना होता है। आप अरंडी के सफेद बीज को निकाल  कर सीताफल के बीजों के साथ मिक्स कर ले। इसके बाद दो बीज अरंडी के और आठ दस बीज सीताफल के खालें। इसको खाने के बाद गर्म पानी पी ले कुछ समय बाद ही आपको पीरियड्स आने लगेंगे।

यह उपाय आपको तब तक करना है जब तक की आपके पीरियड रेगुलर ना हो जाए और सारी गंदगी निकल ना जाए। अरंडी एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक का काम करती है सीताफल के बीज के साथ मिलकर इसके गर्भ निरोधी गुण काफी बढ़ जाते हैं जिसके कारण आसानी से गर्भपात हो जाता है

नीम का तेल और सीताफल के बीज-Baccha Girane Ke Gharelu Upay

नीम के तेल में सीताफल के बीज को पीसकर मिला लें। इस मिश्रण को रात को सोते समय अपनी वजाइना में लगाकर सोए। सुबह तक आपको ब्लीडिंग शुरू हो जाएगी। अगर रात में ब्लीडिंग नहीं होती तो आप सुबह भी इस मिश्रण को अपनी वजाइना में लगाएं। दो या तीन बार के उपाय से ही आपकी ब्लीडिंग शुरू हो जाएगी।

इस उपाय को आपको तब तक करना है जब तक कि आप का पेट पूरी तरह से साफ ना हो जाए। आपकी ब्लीडिंग जब तक रुक ना जाए आपको इस उपाय को करना है। नीम का तेल और सीताफल के बीज दोनों ही काफी गर्म होते हैं इन दोनों को वेजाइना में लगाने से गर्मी के कारण वैजाइना में संकुचन आरंभ हो जाता है।जिससे अबॉर्शन आसानी से हो जाता है।

अदरक का रस और सीताफल के बीज- Pregnancy Girane Ki Desi Nuksa

अदरक का रस और सीताफल के बीज दोनों मिलकर एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक का काम करते हैं। अदरक काफी गर्म होता है और और सीताफल के बीज भी काफी गर्म होते हैं। सीताफल के बीजों को भूनकर पीसकर अदरक के रस में मिला लें। सुबह दोपहर व रात को सोते समय लेने से 2 या 3 दिनों में ही आपका गर्भपात हो जाता है।

इस उपाय को जब तक आपके पीरियड शुरू ना हो जाए तब से लेकर जब तक ब्लीडिंग रुक ना जाए तब तक करना है। ऐसा इसलिए करना होता है जिससे कि पेट की सफाई अच्छे से हो जाए। पेट के अंदर भ्रूण कोई भी हिस्सा ना रहे।  अन्यथा कुछ समय बाद पेट में दर्द शुरू हो जाएगा।  इसलिए प्राकृतिक उपायों को अपनाते समय हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि पेट की सफाई अच्छे से हो जाए। 

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

क्या गुड़ खाने से गर्भपात हो सकता है?, गुड़ सोंठ साथ खाने से गर्भपात हो सकता है क्या?

गुड़ खाने से गर्भपात हो सकता है

गर्भपात के विषय में सोच कर ही मन परेशान हो जाता है। एक बच्चे को दुनिया में आने से पहले ही मार देना। यही तो होता है गर्भपात। कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि आप चाह कर भी उस बच्चे को जन्म नहीं दे सकते। आपका परिवार पूरा हो चुका होता है और आपके परिवार में एक नए सदस्य के लिए कोई स्थान नहीं होता। यह भी हो सकता है कि आपके बच्चे खुद शादी शुदा हो या फिर उनकी शादी की उम्र हो। ऐसी स्थिति में मां बनना बहुत ही मुश्किल होता है।

कभी-कभी यह भी होता कि आपको पता ही नहीं चलता और गर्भधारण हो जाता है। कभी लड़के लड़कियां अनजाने में या आजकल के जमाने में तों जानबूझकर भी कुछ गलतियां कर लेते हैं। जिसकी वजह से लड़की को गर्भपात कराना होता है। क्योंकि शादी और बच्चे की जिम्मेदारी उठाने के लिए वह दोनों ही तैयार नहीं होते ऐसे में डॉक्टर के पास जाना और उन्हें अपनी परेशानियां बताना थोड़ा मुश्किल लगता है। उनको हिचकिचाहट के कारण या फिर परिस्थिति वश डॉक्टर के पास जाने में संकोच महसूस होता है। वे ऐसे प्राकृतिक गर्भनिरोधक की तलाश में होती हैं। जिनसे उनका गर्भपात प्राकृतिक रूप से ही हो जाए। बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

ऐसे ही एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है गुड़। सुनने में थोड़ा आश्चर्य होगा कि क्या गुड़ से गर्भपात हो सकता है? हां यह सच है, गुड़ से भी गर्भपात हो सकता है। गुड़ बहुत गर्म होता है अगर हम इसे लगातार कुछ समय तक कुछ चीजों के साथ मिला कर ले तो आसानी से गर्भपात हो सकता है। आइए यहां जानते हैं कि किन वस्तुओं को गुड़ के साथ लेने से गर्भपात हो सकता है।

क्या गुड़ खाने से गर्भपात हो सकता है?

तिल और गुड़ एवं तिल गुड के लड्डू

गुड और तिल दोनों ही काफी गर्म होते हैं। अगर इनका कुछ समय तक लगातार सेवन किया जाए तो गर्भपात आसानी से हो सकता है। आपको दो मुट्ठी तिल लेकर भूनने हैं। और उसे एक गुड़ की डली के साथ मिलाकर खाना है। आप तिल के लड्डू भी खा सकते हैं तिल के लड्डू, तिल को भूनकर कर उसे गुड़ की चासनी में डालकर बनाए जाते हैं।

आपको सोते समय दो या तीन तिल के लड्डू खाने हैं और गर्म दूध पीना है। ऐसा आपको लगातार दो या 3 दिन तक करना है जब तक कि आपको पीरियड ना आने लगे। आपको 2 या 3 दिन में ही पीरियड्स आना शुरू हो जाएंगे। आपको तब तक यह तिल और गुड़ लेना है जब तक की आपके पीरियड्स आना बिल्कुल रुक ना जाए। अर्थात आपके पेट की अच्छे से सफाई ना हो जाए।

गुड़ और सौठ का काढा-गुड़ सोंठ साथ खाने से गर्भपात हो सकता है क्या?

इस काढे को बनाने के लिए हमें एक पैन में थोड़ा सा देशी घी लेना है। और उसमें दो चम्मच जीरा डालकर भूनना है। इसमें आपको एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच सौठ का पाउडर डालना है। जब यह अच्छी तरह से भुन जाए तब इसमें दो गिलास पानी डालना है। पानी जब खौल जाए तब इसमें आपको एक गुड़ की डली डाल देनी है। जब काढा खौल खौल कर आधा हो जाए। तब आप इसे गरम-गरम पी सकते हैं।

यह काढ़ा आपकी पीरियड्स के साथ साथ पेट की तकलीफ को भी दूर करता है। अगर आपको गैस बनती है तो गैस बनना बंद हो जाती है। इस कार्य को आपको तब तक लेना है जब तक कि आपकी पीरियड्स आने शुरू हो जाए। जब आपके पीरियड्स आने शुरू हो जाएंगे तो आप इसे लगातार लेते रहें जिससे कि आपके पेट की सारी गंदगी निकल जाए। जब आपका पेट अच्छी तरह से साफ हो जाए तब आप इस काढे को लेना बंद कर सकते हैं।

गुड़ और अजवाइन का काढ़ा 

गुड और अजवाइन दोनों ही काफी गर्म होते हैं। जब हम इन्हे एकसाथ लेते हैं तो हमारे पीरियड शुरू हो जाते हैं। अजवाइन पेट की अन्य बीमारियों को भी ठीक करने में कारगर होती है। इस काढे को बनाने के लिए आपको दो गिलास पानी गर्म करना है। उसमें एक चम्मच अजवाइन और एक गुड़ की डली डाल देनी है। जब यह काढ़ा खोलते खौलते आधा हो जाए तब आप इसे ले सकते हैं।

इस काढे को आप को सुबह खाली पेट लेना है। दोपहर में खाना खाने के बाद लेना है और रात को सोते समय लेना है। इस काढे को आप को लगातार तब तक लेना है जब तक कि आपके पीरियड्स होना शुरू नहीं हो जाते। जब आपके पीरियड्स आना शुरू हो जाए तब भी आपको इस काढे को लेते रहना है। जब आपके पीरियड आना बंद हो जाएंगे यानी कि आपकी शरीर की अच्छी तरह से सफाई हो जाएगी तब आप इस काढे को लेना बंद कर सकती हैं।

गुड़, हल्दी और काली मिर्च का काढ़ा 

यह काढ़ा काफी असरदार होता है। और इससे पीरियड आने बहुत जल्दी शुरू होते हैं। हल्दी और काली मिर्च गुड़ की तरह ही काफी गर्म होते हैं। इसका सेवन अगर दिन में तीन बार किया जाए तो बहुत जल्दी ही पीरियड आना शुरू हो जाते हैं। इसका काढ़ा बनाने के लिए आपको दो गिलास पानी लेकर उसे खौलाना है। खोलते पानी में एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच काली मिर्च पिसी हुई डाल देनी है। इसी काढे में एक गुड़ की डली भी डाल देनी है। जब यह काढ़ा खौल खौल कर आधा हो जाए तब आप इसे पी सकते हैं।

इसे रात को सोते समय जरूर पीना है। बहुत जल्दी ही यह काढ़ा अपना असर दिखाएगा आपको इस काढे को तब तक पीना है जब तक कि आपकी पीरियड आने शुरु ना हो जाए। आपके शरीर की सारी गंदगी दूर ना हो जाए।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

error: Content is protected !!