छोटे से जीरे के गुण है कई, जानिए कब और कैसे करे इस्तेमाल

जीरे के गुण

जीरा हमारी रसोई में उपयोग में आने वाला एक बहुत ही लोकप्रिय मसाला है। भारत मे हर जगह यह पैदा होता है। आयुर्वेदिक औषधि विज्ञान में भी जीरे को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह तीन प्रकार का होता है-  सफेद जीरा, काला जीरा और कलौजी जीरा। तीनों प्रकार के जीरे के गुण को देखा जाय लगभग एक समान ही होते है | जीरा की तासीर ठंडी होती है। सफेद जीरा में अजवायन की तरह एक उड़नशील तेल, खनिज द्रव्य और विटामिन पाए जाते हैं। काले जीरे में भी उड़नशील तेल पाया जाता है, जिसके कारण इसकी महक बहुत तेज़ होती है। जीरे के गुण अनेक है जो इस प्रकार है।

जीरे के गुण-Jeera Ke Fayde Hindi Me

पाचन क्रिया करे दुरुस्त

  • सोंठ, जीरा, छोटी पीपल, कालीमिर्च और सेंधा नमक प्रत्येक समान भाग लेकर पीसकर और बारीक कपड़े से छानकर इस पाउडर को खाना खाने के बाद 1-1 चम्मच (3 से 5 ग्राम) ताजा पानी के साथ सेवन करने से भोजन शीघ्र ही पचता है।
  • जीरा 2 चम्मच लेकर 1 गिलास  पानी में उबालकर उसके बाद ठंडा करके और छानकर आधा-आधा कप की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से बदहजमी दूर होकर भोजन जल्दी पचता है।
  • धनिया व जीरे का चूर्ण चीनी के साथ सेवन करने से अम्ल-पित्त के कारण खाना खाने के बाद होने वाली छाती में जलन को ठीक करता है।
  • जीरा और सेंधा नमक समान भाग लेकर नींबू के रस में 7 दिन तक भिगोकर रखें, उसके बाद उसे सुखाकर पाउडर बनाकर रख लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम सेवन करने से अफारा मिटता है तथा पाचन शक्ति भी तेज़ होती है।
    पाचन क्रिया करे दुरुस्त
    पाचन क्रिया करे दुरुस्त

चेहरा करे साफ़

जीरे को पानी में उबालकर उस जीरे का पानी से मुख धोने से कुछ ही दिनों में इस प्रयोग को निरंतर करने से मुंह की झाइयां, चकत्ते, मुंहासों के दाग आदि दूर होकर चेहरा साफ़ हो जाता है ।

स्तनों में दुग्ध वृद्धि

  • जीरे को घी में भूनकर, भुने हुए आटे के लड्डुओं में डालकर प्रसूता स्त्री (जच्चा) को खिलाने से स्तनों में दुग्ध वृद्धि होती है।
  • शिशु को दूध पिलाने वाली स्त्रियों में दूध की कमी हो तो सफेद जीरा पीसकर समान भाग पिसी हुई शक्कर या मिश्री मिलाकर 10-10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार सुबह-शाम सेवन करके ऊपर से दुग्धपान करने से यह कमी दूर करने में मदद मिलती है।

दांतों का दर्द

  • काले जीरे के काढ़े से कुल्लियां करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
  • जीरे को भूनकर खाने से मुंह की बदबू से भी छुटकारा मिलता है।
  • भुना हुआ जीरा और सेंधा नमक समान भाग लेकर तथा बारीक पीसकर मसूढ़ों पर हल्के-हल्के लगाने से मसूढ़ों की सूजन/मसूढ़े फूलना, टीस व दर्द होना आदि कष्ट दूर होते हैं।

पथरी की समस्या

पथरी की समस्या में जीरा और चीनी समान मात्रा में लेकर व पीसकर 1-1 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन करने से पथरी रोग में बहुत लाभ होता हैं।

पतले दस्तों में लाभ

  • जीरा 5 ग्राम को तवे पर भूनकर फिर पीसकर दही या दही की लस्सी में मिलाकर सेवन करने से अतिसार/पतले दस्तों में लाभ होता है।
  • बच्चों के दस्तों की शिकायत में जीरे को भूनकर और पीसकर 500 मि.ग्रा. मात्रा में लेकर 1 चम्मच पानी में घोलकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ होता हैं |
  • जीरा 15 ग्राम लेकर 400 ग्राम पानी में उबालकर जब 100 ग्राम पानी शेष रह जाये तब इस जीरे का पानी छानकर रोगी को सेवन कराने से पेट के कृमि खत्म जाते हैं।

अन्य फायदे

  • जुकाम होने पर काले जीरे को जलाकर उसका धुआं सूंघने से बंद नाक खुलती है।
  • बारीक पिसा हुआ जीरा पाउडर आधा चम्मच लेकर 100 ग्राम खौलते हुए पानी में डालकर ढक दें। 5 मिनट के बाद उसमें दूध और चीनी डालकर सुबह-शाम चाय की तरह सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है।

दालचीनी के उपयोग जो आप नहीं जानते होंगे-Dalchini Ke Upyog

दालचीनी के उपयोग जो आप नहीं जानते होंगे

दालचीनी से क्या क्या होता है?

आमतौर पर दालचीनी का प्रयोग केवल मसालों के रूप में ही होता हैं, आयुर्वेद में दालचीनी को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में बताया गया है।आजकल दालचीनी का उपयोग कैंसर जैसे असाध्य रोंगो में भी किया जाता है। दालचीनी की छाल तेजपात की वृक्ष छाल से अधिक पतली, पीली, और अधिक सुगन्धित होती है। यह भूरे रंग की मुलायम, और चिकनी होती है। इसे दालचीनी, दारुचीनी, दारचीनी भी कहतें हैं। रोजमर्रा की ज़िंदगी में दालचीनी के बहुत सारे उपयोग है।

दालचीनी के उपयोग-Dalchini Ke Upyog

आयुर्वेद के अनुसार, दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियां ठीक की जा सकती हैं। इसके साथ ही दस्त, और टीबी में भी इसके प्रयोग से लाभ मिलता है। आइए जानतें कि दालचीनी का उपयोग कैसे करना चाहिए?

दालचीनी का उपयोग कैसे करना चाहिए?

हिचकी को रोके-Dalchini Khane Ke Fayde

हिचकी आना बहुत ही साधारण सी बात है, लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें हमेशा हिचकी आने की शिकायत रहती है। ऐसे लोग दालचीनी का उपयोग कर सकते हैं। दालचीनी के 10-20 मिली काढ़ा को पिएं। इससे आराम मिलता है।

भूख बढ़ाये-Dalchini Ke Fayde In Hindi

दालचीनी भूख बढाने में भी मदद करती है. भूख को बढ़ाने के लिए 500 मिग्रा शुंठी चूर्ण, 500 मिग्रा इलायची, तथा 500 मिग्रा दालचीनी को पीस लें। भोजन के पहले सुबह-शाम लेने से भूख बढ़ती है।

आँखों की रोशनी बढ़ाये-Dalchini Ka Upyog

आंखों के रोग में दालचीनी का प्रयोग कर सकते हैं,इसे भोजन में शामिल करने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।

दांत दर्द से पाए आराम-Dalchini Ke Fayde

दांत के दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी के तेल को रूई से दांतों में लगाएं। इससे आराम मिलेगा। दालचीनी के 5-6 पत्तों को पीसकर मंजन करें। इससे दांत साफ, और चमकीले हो जाते हैं।

सिर दर्द से पायें आराम-Dalchini Powder Ke Fayde

सिर दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप बना लें। दालचीनी के लेप को मस्तक पर लगाने से ठंड, या गर्मी से होने वाली सिर दर्द से आराम मिलता है। आराम मिलने पर लेप को धोकर साफ कर लें।

दालचीनी के तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सर्दी की वजह से होने वाले सिरदर्द से आराम मिलती है।

सरदर्द
सरदर्द

दालचीनी, तेजपत्ता, तथा चीनी को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इसे चावल के धोवन (चावल को धोने के बाद निकाला गया पानी) से पीस कर बारीक चूर्ण बना लें। इसे नाक के रास्ते लें। इसके बाद गाय के घी को भी नाक के रास्ते लें। इससे सिर से संबंधित विकारों में आराम मिलता है।

तंत्रिका-तंत्र संबंधी परेशानियों के लिए दालचीनी के तेल को सिर पर लगाएं। इससे फायदा होता है

खांसी का करें इलाज-Dalchini Ke Gun

खांसी के इलाज के लिए दालचीनी का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। खांसी से परेशान रहने वाले लोग आधा चम्मच दालचीनी के चूर्ण को, 2 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे खांसी से आराम मिलता है।

दालचीनी उबालकर पीने से क्या होता है?

दालचीनी के पत्ते का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से खांसी ठीक होती है। एक चौथाई चम्मच दालचीनी के चूर्ण में 1 चम्मच मधु को मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी, और दस्त में फायदा होता है।

वजन कम करने में करे मदद-Dalchini Powder For Weight Loss In Hindi

वजन कम करने के लिए दालचीनी का प्रयोग कैसे करें?

वजन को कम करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। आप भी मोटापा कम करने में दालचीनी से फायदा ले सकते हैं। एक कप पानी में दो चम्मच मधु, तथा तीन चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिला लें। इसका रोज 3 बार सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल कम होता है।

वजन को करे नियंत्रित
वजन को करे नियंत्रित

पेट सम्बंधित विकारों को करे दूर-Dalchini Ke Fayde Kya Kya Hai

पेट से संबंधित कई तरह के रोगों में दालचीनी बहुत ही फायदेमंद होती है। 5 ग्राम दालचीनी चूर्ण में 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे दिन में 3 बार सेवन करें। पेट के फूलने की बीमारी ठीक होती है।

दालचीनी , इलायची और तेजपत्ता को बराबर-बराबर लेकर काढ़ा बना लें। इसके सेवन से आमाशय की ऐंठन ठीक होती है।

आंतों को स्वस्थ रखने के लिए भी दालचीनी का इस्तेमाल करना अच्छा परिणाम देता है। दालचीनी का तेल पेट पर मलने से आंतों का खिंचाव दूर हो जाता है।

प्रसव के बाद दालचीनी के सेवन से फायदे बहुत ही ज्यादा होतें हैं। त्रिकटु, पीपरामूल, दालचीनी, इलायची, तेजपात, तथा अकरकरा लें। इनके 1-2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ चाटें। इससे मां बनने वाली महिलाओं के रोग रक्त जनित और अंदरूनी रोग ठीक हो जाते हैं।

दालचीनी का उपयोग कर रक्तस्राव पर रोक-Dalchini Benefits to Stop Bleeding in Hindi

अगर फेफड़ों, या गर्भाशय से रक्तस्राव हो रहा है तो दालचीनी का काढ़ा 10-20 मिली पिएं। आपको काढ़ा को सुबह, दोपहर तथा शाम पीना है। इससे लाभ पहुंचता है।

गठिया रोग को करे दूर-Dalchini Ke Kya Fayde Hain

गठिया में 10-20 ग्राम दालचीनी के चूर्ण को 20-30 ग्राम मधु में मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे दर्द वाले स्थान पर धीरे-धीरे मालिश करें। इससे फायदा मिलेगा।

इसके साथ-साथ एक कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच मधु, एवं दालचीनी का 2 ग्राम चूर्ण मिला लें। इसे सुबह, दोपहर, तथा शाम सेवन करें। गठिया में लाभ देता है।

अन्य उपयोग-Dalchini Ke Fayde Hindi Me

  • वीर्य वृद्धि के लिये दालचीनी पाउडर सुबह शाम गुनगुने दूध के साथ ले।
  • मुह की दुर्गंध और दांत की दवा में दालचीनी का उपयोग किया जाता है।
  • मुहांसे कम करने के लिये दालचीनी का चूर्ण नींबू के रस में मिलाकर लगाये।
  • उल्टी को रोकने के लिए दालचीनी का प्रयोग दालचीनी, और लौंग का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से उल्टी पर रोक लगती है।
  • चर्म रोग में दालचीनी से फायदा चर्म रोग को ठीक करने के लिए शहद एवं दालचीनी को मिलाकर रोग वाले अंग लगाएं। आप देखेंगे कि थोड़े ही दिनों में खुजली-खाज, तथा फोड़े-फुन्सी ठीक होने लगेंगे।
  • दालचीनी के सेवन से बुखार में 1 चम्मच शहद में 5 ग्राम दालचीनी का चूर्ण मिला लें। सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से ठंड के साथ आने वाला संक्रामक बुखार ठीक होता है।

ध्यान रखने योग्य बातें-

  • दालचीनी उष्ण गुणधर्म की है, इसलिये गर्मी के दिनो में कम उपयोग करें।
  • दालचीनीसे पित्त बढ सकता है।
  • दालचीनी के अति सेवन से शरीर को नुकसान भी हो सकता है इसलिए दालचीनी के नुकसान से बचने के लिए इस्तेमाल से पहले देख परख कर या चिकित्सक से सलाह से ही इसका उपयोग करें।

आपकी सेहत के लिए क्या है अंकुरित मूंग के फायदे और नुकसान

अंकुरित मूंग के फायदे और नुकसान

वैसे तो हम सभी जानते हैं कि कोई भी अनाज या दाल अंकुरित होने के बाद स्वास्थ्य के लिए और अच्छी हो जाती है पर मूंग की तो बात ही अलग है। सभी दालों में सबसे ज्यादा पौष्टिक मूंग की दाल ही होती है और इसके अंदर इतने सारे एंजाइम होते हैं जो पाचन को आसान बनाते हैं तो सोचिए जब यही मूंग की दाल अंकुरित हो जाएगी तो इसकी शक्ति कितनी बढ़ जाएगी। अंकुरित मूंग खाने के फायदे बहुत है।

मूंग की दाल कब्ज तो दूर करती है साथ ही शरीर में शक्ति प्रदान करती है। मूंग की दाल में सबसे अधिक प्रोटीन होने के कारण सबसे अधिक गुणकारी है।

अंकुरित मूंग होती क्या है-Moong Ankurit Kaise Kare

मूंग की दाल को एक रात पानी में भिगोकर अगले दिन सुबह मलमल या किसी सूती कपड़े में कपड़े में बांध कर रख दे एक या दो दिन बाद मूंग में छोटे-छोटे अंकुर दिखाई देने लगेंगे यही अंकुरित मूंग है। अंकुरित मूंग पर्याप्त मात्रा में विटामिन, एंजाइम और मिनरल्स पाए जाते हैं तो आइए जानते हैं इसके फायदों को।

अंकुरित मूंग के फायदे-Ankurit Moong Ke Fayde

अंकुरित मूंग बालों के लिए बहुत फायदेमंद होती है

अंकुरित मूंग में विटामिन ‘सी’ पाया जाता है जो बालों के लिए फायदेमंद होता है। विटामिन ‘सी’ शरीर में रक्त संचार को बेहतर करता है सर मे रक्त संचार बेहतर होने के कारण बालों की ग्रोथ अच्छी होती है|

अंकुरित मूंग फायदेमंद है वजन कम करने में

अंकुरित मूंग में फाइबर अच्छी मात्रा में होता है जिसके कारण भूख कम लगती है, पेट भरा भरा लगता है अंकुरित मूंग नाश्ते में लेने से कुछ समय बाद वजन कम होने लगता है|

अंकुरित मूंग बनाता है चेहरे को सुंदर

अंकुरित मूंग में फाइबर अधिक होने के कारण यह है चेहरे के तेल को कम कर मुहासे खत्म करता है।

अंकुरित मूंग है एंटी एजिंग

अंकुरित मूंग चेहरे के नए सेल्स को बनाता है और पुरानी सेल्स की मरम्मत करता है। अंकुरित मूंग चेहरे की एंटी एजिंग करता है।

अंकुरित मूंग कम करता है शरीर में सोडियम के इफेक्ट को

सोडियम जो अधिकतर नमक वाली चीजों या तली हुई चीजों में होता है और शरीर के लिए सोडियम का अधिक मात्रा में होना हानिकारक है। अंकुरित मूंग के नियमित सेवन से शरीर में सोडियम की मात्रा संतुलित रहती है।

अंकुरित मूंग फायदेमंद है मधुमेह के रोगियों के लिए

अंकुरित मूंग में ग्लूकोज का असर काफी कम होता है अतः मधुमेह के रोगियों के लिए भी अंकुरित मूंग लाभदायक है ।

अंकुरित मूंग
अंकुरित मूंग

अंकुरित मूंग फायदेमंद है कैंसर के रोगियों के लिए

अंकुरित मूंग में पॉलिसैचेराइड और पॉलिफिनॉल्स होता है। यह दोनों ही तत्व गंभीर रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। अंकुरित मूंग गंभीर रोगों के लिए भी लाभदायक है।

अंकुरित मूंग बढ़ाती हैं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता

अंकुरित मूंग के अंदर एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो शरीर की इम्यूनिटी को स्ट्रांग है रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं|

अंकुरित मूंग निकालती है शरीर के हानिकारक टॉक्सिंस को

अंकुरित मूंग में पाया जाने वाला फाइबर कब्ज को दूर करता है और शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं।

अंकुरित मूंग लाभदायक है चिर यौवन के लिए

अंकुरित मूंग में पाए जाने वाला साइटोजन शरीर में कॉलेजन व एलस्टिन बनाने में मदद करता है जो शरीर की खासतौर से चेहरे की त्वचा की एंटी एजिंग को रोकता है।

अंकुरित मूंग लाभदायक है बीपी में

अंकुरित मूंग में पेप्दीसाइड पाया जाता है जो शरीर में रक्तचाप को संतुलित करता है। जिससे बीपी के मरीज़ों को राहत है।

अंकुरित मूंग सर्वोत्तम विकल्प है शाकाहारीयों के लिए

मांसाहारी व्यक्ति तो अपने भोजन की जरूरत है अंडा, मीट, मछली आदि से पूरी कर लेते हैं प्रोटीन की जरूरत के लिए अंकुरित मूंग सर्वोत्तम विकल्प है अंकुरित मूंग का सेवन रोज करने से शरीर में आवश्यक सभी तत्वों की पूर्ति हो जाती है।

अंकुरित मूंग के लाभ से तो हम सभी परिचित हो चुके हैं पर ऐसा नहीं कि अंकुरित मूंग के फायदे ही हैं अंकुरित मूंग खाने के कुछ नुकसान भी है तो आइए जानते हैं नुकसान के बारे में।

अंकुरित मूंग के नुकसान

अंकुरित मूंग खाने से हो सकती है पेट की बीमारियाँ

  • अंकुरित मूंग को अंकुरित करते समय इसकी नमी से साल्मोनेला, ईकोलाई और लिस्टॆरिया जैसे विक्टोरिया पैदा हो जाते हैं। जिनके कारण पेट दर्द, गैस और पेट के अनेक बीमारियाँ हो सकती है।
  • अंकुरित मूंग खाने से पेट में डायरियाँ व दस्त हो जाते हैं ।
  • अंकुरित मूंग ज्यादा खाने से पेट में ऐंठन और उल्टी भी हो सकती है
  • अंकुरित मूंग गैसट्रिटाइटिस, डायरिया, गैस्ट्रिक अल्सर या पैंक्रियाटाइटिस के मरीज़ को नहीं खानी चाहिए या खाने से पहले डॉक्टर की सलाह ले ले।

अंत में मैं यही कहना चाहूँगी अति सर्वत्र वर्जिते है, तो अंकुरित मूंग खाइए स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। पर एक निश्चित अनुपात में और निश्चित समय पर ही खाएंगे तभी यह आपके शरीर को उपयुक्त फायदा करेगी। अन्यथा फायदे से ज्यादा नुकसान भी होगा।

जानिए क्या है प्याज के रस के फायदे सफेद दाढ़ी के बालों के लिए

प्याज के रस के फायदे सफेद दाढ़ी के बालों के लिए

किसी को भी सफेद बाल अच्छे नहीं लगते चाहे वो स्त्री हो या पुरुष, सफेद बाल किसी की भी उम्र को बढ़ा सकते हैं। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि सर के बाल सफेद नहीं हुए होते और दाढ़ी के बाल सफेद होने लगते हैं। उम्र बढ़ने पर ऐसा हो तो कोई अफसोस नहीं होता पर कम उम्र में ही दाढ़ी के बाल सफेद होने लगे तो यह चिंता का विषय होता है।

सर के बालों के लिए तो बहुत सारे केमिकल्स वाली डाई बाजार में उपलब्ध है पर दाढ़ी के बालों में कोई भी केमिकल लगाना पसंद नहीं करता। डाई न लगा सकने के परिणाम स्वरूप दाढ़ी के बाल सफेद और बेरंग लगते हैं।

सबसे बड़ी चिंता का विषय होता है कि आखिर कम उम्र में ही दाढ़ी के बाल सर के बालों से भी पहले सफेद आखिर हो ही क्यों रहे हैं?

दाढ़ी के बाल सफ़ेद होने के कारण

  • दाढ़ी के बाल मेलेनिन की कमी के कारण कम उम्र में सफेद होने लगते हैं।
  • मानसिक तनाव के कारण भी दाढ़ी के बालों का रंग जल्दी सफेद होने लगता है।
  • ध्रूमपान व नशा करने से भी दाढ़ी के बाल जल्दी सफेद हो जाते है।

बिना केमिकल्स के भी प्राकृतिक चीजों के प्रयोग से दाढ़ी के बालों को सफेद किया जा सकता है। उन्हीं में से एक है प्याज का रस, प्याज के रस में अनगिनत फायदे होते हैं जो बालों की वृद्धि करते हैं और बालों को सफेद होने से बचाते हैं।

एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण प्याज का रस बालों को सफेद होने से रोकता है। प्याज में कैटलस नामक एक एंजाइम काफी अधिक मात्रा में होता है। यह बालों का सफेद होना रोकता है। प्याज में सल्फर काफी अधिक मात्रा मे पाया जाता है जो बालों को पोषण देता है और बालों को सफेद होने से बचाता है। प्याज का रस दाढ़ी के सफेद बालों के लिए बहुत अच्छा है। प्याज का रस दाढ़ी के सफेद बालों पर लगाने से बाल सफेद नहीं होते। दाढी के सफेद बाल धीरे-धीरे काले होने लगते है।

प्याज के रस को दाढ़ी के बालों में लगाने की विधि

प्याज व पुदीने के रस से

प्याज के रस को कटोरी में निकाल ले ,फिर उसमें दो चम्मच पुदीने का रस मिलाकर दाढ़ी के बालों पर आधा घंटा लगा रहने दे। कुछ समय बाद ठंडे पानी से दाढ़ी के बालों को धो लें। ऐसा सप्ताह में दो बार करें कुछ समय बाद ही दाढ़ी के बाल काले लगने लगेंगे।

पुदीना
पुदीना

अंकुरित प्याज एवं फिटकरी से

अंकुरित प्याज को छीलकर काट लें और काटकर पीस लें। अंकुरित हिस्से को भी छोटे-छोटे हिस्सों में काटकर पीस लें। फिटकरी को बारीक पीस लें | इन तीनों चीजों को आपस में मिलाकर 2 से 5 मिनट के लिए छोड़ दें। इस मिश्रण को धीरे धीरे दाढ़ी की मालिश करते हुए दाढ़ी पर लगाएँ 30 से 25 मिनट तक लगा रहने दें। ठंडे पानी से दाढ़ी के बाल धो ले। कुछ दिनों बाद ही आपकी दाढ़ी के बाल सफेद होने कम हो जाएंगे।

यह एक आयुर्वेदिक उपाय हैं। प्याज में आयरन, पोटेशियम और सल्फर प्रचुर मात्रा में होता है ,जो बालों को सफेद होने से बचाता है। फिटकरी भी एक एंटीसेप्टिक होने के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से युक्त होती है।

प्याज, नींबू के रस और कलौंजी से

एक प्याज को लेकर उस का रस निकाल ले। कलौंजी को पीस लें। पिसी हुई कलौंजी को प्याज के रस में मिला ले। नीबू को भी काटकर उस का रस निकाल लें। नींबू के रस में प्याज का रस मिलाकर दाढ़ी के बालों पर लगा ले। 30 से 45 मिनट तक बालों पर लगा रहने दे कुछ समय बाद बालों को धो लें यह नुस्खा हफ्ते में एक बार अवश्य करना है। कुछ समय बाद फर्क सभी को दिखने लगेगा।

प्याज, आंवला, गुड़हल, करी पत्ते, भृंगराज से

गुड़हल के कुछ फूल और करी पत्ते को पीस ले। आंवले के रस और प्याज के रस के साथ गुड़हल के फूल और करी पत्ते के मिश्रण को मिला ले। इस मिश्रण में भृंगराज पाउडर भी डाल लें। इन सारी चीजों को एक साथ मिलाकर चटनी जैसा बना ले रात भर लोहे की कढ़ाई में रहने दे।

सुबह उठकर दाढ़ी के बालों पर लगा लें। कुछ समय लगा रहने दें।1 घंटे बाद पानी से धो दें। हफ्ते में एक अवश्य लगाये। कुछ महीनों में ही जो बाल सफेद हुए हैं वह भी काले लगने लगेंगे।

प्याज का रस, कच्चा आलू, अरहर की दाल

प्याज का रस निकाल लें। कच्चे आलू को भी धोकर छील लें। आलू को कद्दूकस कर लें , आलू को निचोड़ कर उसका भी रस निकाल लें। अरहर की दाल को पीस लें।अब इन तीनों चीजों को एक साथ मिलाकर दाढ़ी के बालों पर लगाएँ। पंद्रह दिनों में एक बार इस प्रकिया को दोहराये। कुछ दिनों में ही फर्क नजर आने लगेगा।

प्याज का रस ,बादाम / नारियल / कैस्टर ऑयल

गाड़े बैगनी रंग के प्याज लें। उसको छोटे टुकड़ों में काट कर पीस लें। प्याज को छलनी में छानकर उस का रस निकाल लें। प्याज के रस में बादाम का तेल मिलाकर बदाम का तेल ना हो तो कैस्टऱ आँयल भी चलेगा, या फिर नारियल का तेल भी डाल सकते हैं | इनमें से किसी भी तेल को प्याज के रस के साथ मिलाकर दाढ़ी के बालों में लगाएँ | कुछ समय बाद ही पानी से धो दें इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बार करें कुछ समय बाद ही सफेद बाल काले होने लगेंगे।

प्याज का रस व अदरक का रस

प्याज को पीसकर उस का रस निकाल कर छान लें। अदरक कद्दूकस करके उसका भी रस निकालें।इन दोनों का रस मिलाकर दाढ़ी के बालों पर लगाएँ। कुछ समय बाद ही दाढ़ी के बाल घने होने लगेंगे और जो बाल सफेद हो चुके हैं उनमें भी फर्क दिखाई देने लगेगा।

हम सभी इन घरेलू एवं आसान तरीकों को अपना कर अपने व अपने अपनों के दाढी के सफेद बाल काले कर सकते हैं।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

प्याज को दाढ़ी पर लगाने से क्या होता है?

बालों की ग्रोथ के साथ-साथ प्याज के रस में उन्हें उगाने के भी गुण होते हैं। इसमें पाया जाने वाला एंटी-ऑक्सीडेंट एंजाइम्स के स्तर को काफी बढ़ा देता है। साथ ही बालों को सफेद होने से भी रोकता है। इसके अलावा प्याज के रस में सल्फर होता है, जो आपके रोमछिद्रों को पोषण देकर उन्हें फिर से सक्रिय करने में मदद करता है।

दाढ़ी के बाल काले कैसे करे?

शराब, धूम्रपान और जंक फूड के अत्यधिक सेवन से बाल समय से पहले सफेद हो जाते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से बाल सफेद नहीं होते हैं। इस तरह स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और आहार में बदलाव करने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। इससे बाल सफेद नहीं होते हैं।

नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?

नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?

शिशुओं के कब्‍ज की समस्‍या एक बहुत की कॉमन समस्‍या है। यह समस्‍या उन बच्‍चों में ज्‍यादा देखने को मिलती है जो मांँ का दूध नहीं पीते और पाउडर मिल्‍क पर निर्भर हैं। दरअसल ब्रेस्‍ट मिल्‍क यानी मांँ के दूध को बच्‍चे आसानी से पचा लेते हैं और इससे पेट भी बच्‍चों का आसानी से साफ हो जाता है. ऐसे में इन शिशुओं में कब्‍ज की समस्‍या कम देखी जाती है। अगर आपके शिशु को कब्‍ज (Constipation) की शिकायत है तो डॉक्‍टर भी किसी तरह की दवा देने से परहेज करते हैं। ऐसे में नन्‍हें शिशुओं को इस समस्‍या से निकालने के लिए आप घरेलू उपायों की मदद ले सकते हैं ,आइए जानते हैं किन उपायों से आप शिशुओं की कब्‍ज को दूर कर सकते है।

नवजात शिशु को कब्ज से राहत कैसे दिलाएं?

हल्का फुल्का व्यायाम

शिशु के पैरों को हल्‍के हल्‍के उपर नीचे, आगे पीछे हिलाएं, इसके बाद सावधानी से उनके पैरों को साइकिल की तरह गोल गोल घुमाएं. ऐसा करने से उन्‍हें प्रेशर बनता है और कब्‍ज से राहत मिलती है।

मालिश

बच्‍चे के पेट और निचले हिस्‍से की हल्‍की मालिश करें. ऐसा करने से भी कब्‍ज दूर हो सकती है।

गुनगुने पानी से स्नान

गुनगुने पानी से नहलाने से शिशु के शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है। पेट और इंटसटाइन व पॉटी एरिया में भी आराम मिलता है और वे पॉटी के लिए तैयार हो जाते हैं।

सौंफ

सौंफ भी पाचन संबंधित समस्‍याओं के इलाज में बहुत फायदेमंद है, आप एक चम्‍मच सौंफ को एक कप पानी में उबालकर ठंडा करें और छान कर रखें और दिन में तीन से चार बार शिशु को चम्‍मच से पिलाएं।

सेब का रस

बच्‍चों में भी फाइबर की कमी के कारण कब्‍ज हो सकती है। सेब में मौजूद घुलनशील फाइबर या‍नी पेक्टिन कब्‍ज के इलाज में लाभकारी होता है। आप सेब के छिलके साथ जूस निकाल कर शिशु को थोड़ा थोड़ा चम्मच से दे सकती हैं।

तरल पदार्थ

शरीर में पानी की कमी के कारण भी कब्‍ज होती है, अगर बच्‍चा छह महीने से अधिक उम्र का है तो उसके सूप, फलों का रस, दूध और पानी आदी खूब दें।

फल और सब्जियाँ

अगर बच्‍चा छह महीने से बड़ा है तो उसे फल और सब्जियों को उबालकर और पीस कर खिलाएं. इनमें फाइबर भरपूर होते हैं जिससे कब्‍ज दूर होता है।

पपीता

पपीता फाइबर का अच्‍छा स्रोत है और इसीलिए ये कब्‍ज के इलाज में बहुत असरकारी होता है। 6 महीने से अधिक उम्र के बच्‍चे के लिए पपीता कब्‍ज से छुटकारा दिलाने में बहुत फायदेमंद है।

ऑर्गेनिक नारियल तेल

कब्‍ज के घरेलू उपाय में नारियल तेल का प्रयोग भी किया जा सकता है। 6 महीने से अधिक उम्र के शिशु के खाने में दो या तीन मि.ली नारियल तेल मिला सकते हैं। अगर बच्‍चा 6 महीने से कम है तो उसकी गुदा के आसपास नारियल तेल लगाएं।

अरंडी का तेल

थोड़ा सा अरंडी का तेल लेकर हल्के हाथ से बच्चे की नाभि के आसपास पेट पर मालिश करें, इससे भी कब्ज दूर होता है।

जानिए क्या है पतंजलि कायाकल्प वटी के फायदे-Patanjali Kayakalp Vati Benefits

पतंजलि कायाकल्प वटी के फायदे

पतंजलि कायाकल्प वटी एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं के इलाज में किया जाता है। अगर आप patanjali kayakalp vati benefits जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए पूरी जानकारी लेकर आया है। यह दवा शरीर को अंदर से साफ करती है और त्वचा को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बनाती है।

पतंजलि कायाकल्प वटी क्या है?

तनाव

तनावपतंजलि द्वारा बनाई गई यह आयुर्वेदिक वटी कई जड़ी-बूटियों से बनी होती है, जो शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। इसका नियमित उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में कारगर होता है।

जब भी कोई व्यक्ति “patanjali kayakalp vati benefits” खोजता है, तो उसका मकसद त्वचा की देखभाल से जुड़ी जानकारी लेना होता है, और यह वटी उस दिशा में काफी असरदार मानी जाती है।

Patanjali Kayakalp Vati Benefits – प्रमुख फायदे

  • त्वचा की सफाई और चमक: वटी रक्त को शुद्ध करती है जिससे त्वचा में निखार आता है।
  • फोड़े-फुंसी और दाग-धब्बों में राहत: यह त्वचा की गहराई से सफाई करती है और पुराने दाग कम करती है।
  • एलर्जी और खुजली से बचाव: त्वचा की एलर्जी, जलन और खुजली से राहत देती है।
  • त्वचा की उम्र धीमी करती है: यह त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद करती है।

इन सभी patanjali kayakalp vati benefits को पाने के लिए इसे नियमित रूप से और सही तरीके से लेना जरूरी है।

प्रमुख घटक

इन सभी आयुर्वेदिक तत्वों का मिश्रण शरीर को डिटॉक्स करता है और त्वचा को प्राकृतिक रूप से हील करता है।

त्रिफला

त्रिफला

कैसे लें पतंजलि कायाकल्प वटी?

  • एक या दो गोली दिन में दो बार, भोजन के बाद लें।
  • इसे गुनगुने पानी के साथ लें।
  • बेहतर परिणाम के लिए कम से कम 2-3 महीने तक इसका उपयोग करें।

सावधानियाँ

  • गर्भवती महिलाएं या बच्चे इसका उपयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह लें।
  • यदि किसी घटक से एलर्जी हो, तो उपयोग न करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन न करें।

निष्कर्ष

यदि आप patanjali kayakalp vati benefits की तलाश में हैं, तो यह वटी त्वचा की देखभाल के लिए एक बेहतरीन और सुरक्षित विकल्प हो सकती है। आयुर्वेदिक होने के कारण इसके साइड इफेक्ट बहुत कम हैं और यह आपकी त्वचा को अंदर से सुंदर और स्वस्थ बनाती है।

क्या आप भी है अनजान यूरिक एसिड में मेथी के फायदे से, जानिए कैसे करे इस्तेमाल यूरिक एसिड में मेथी

यूरिक एसिड में मेथी के फायदे

यूरिक एसिड क्या होता है

यूरिक एसिड के विषय में हम सभी जानते हैं यूरिक एसिड शरीर से निकलने वाला एक अवशिष्ट पदार्थ है जो कि प्रोटीन युक्त डाइट अधिक लेने के कारण होता है। प्रोटीन युक्त डाइट में फ्यूरीन नामक पदार्थ होता है जिसे कि हमारी किडनी यूरिन के रूप में बाहर निकाल देती है। लेकिन जब हमारे शरीर में प्यूरिन की मात्रा अधिक हो जाती है तो इसे किडनी के लिए भी निकालना मुश्किल हो जाता है। फिर यह यूरिक एसिड हमारे शरीर में जमा होने लगता है। यह एक ऐसी बीमारी है जो कि हमारे जोड़ों के दर्द का कारण होती है। हमारे शरीर में गठिया की स्थिति उत्पन्न करती है। यूरिक एसिड आजकल आम होता जा रहा है। न सिर्फ बड़ो और बूढों को बल्कि बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। 

यूरिक एसिड में मेथी के फायदे

यूरिक एसिड से होने वाले नुकसान व मेथी की उपयोगिता

यूरिक एसिड की शरीर में अधिकता होने के कारण शरीर के जोड़ों में दर्द रहता है। उंगलियों में सूजन आ जाती है। इसके अलावा हाथ पैरों की उंगलियों में चुभन वाला दर्द हमेशा रहता है। बदलते खानपान और अव्यवस्थित दिनचर्या का भी इसमें मुख्य योगदान है। यूरिक एसिड के कारण समस्या इतनी बिगड़ जाती है कि लोगों को चलने, फिरने उठने, बैठने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किडनी में स्टोन भी यूरिक एसिड के जमने से ही होता है।

यूरिक एसिड के विषय में इतना सब कुछ जानने के बाद लगता है कि कुछ ऐसा आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खा हमें मिल जाए जिससे कि हम बिना डॉक्टर के पास जाए, बिना एलोपैथिक दवाई यूज किए घर में ही इसका ट्रीटमेंट कर सकें।

हम सब जानते हैं हर एलोपैथिक दवाई का कोई ना कोई साइड इफेक्ट जरूर होता है। हम सभी तलाश करते हैं किसी ऐसी आयुर्वेदिक औषधि की जिसे इस्तेमाल करना हम सभी के लिए सहज हो। इसी कड़ी में एक नाम मेथी का आता है। इन सभी समस्याओं का समाधान मेथी से हो सकता है। मेथी आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होती है। 

uric acid
uric acid

मेथी यूरिक एसिड में है गुणकारी

मेथी में मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन, विटामिन ए, बी, सी और एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो कि यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में मददगार होते हैं। मेथी दाने में सोडियम, जिंक, फास्फोरस फॉलिक एसिड, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे मिनरल मिलते हैं इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर भी पाए जाते हैं।

अधिकतर यूरिक एसिड की समस्या मोटे लोगों में पाई जाती है क्योंकि वह अपने भोजन में प्रोटीन युक्त पदार्थ ज्यादा लेते हैं। जिसकी वजह से उनके शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है। उनकी किडनी पूरी तरह से यूरिक एसिड को यूरिन के रूप में बाहर नहीं निकाल पाती है। जिसके कारण यूरिक एसिड यूरेट क्रिस्टल के रूप में शरीर के जोड़ों में जमा होने लगता है। 

सर्दी के मौसम में यूरिक एसिड में मददगार है मेथी

सर्दी के मौसम में यूरिक एसिड ज्यादा बढ़ता है। वैसे तो यूरिक एसिड के बढ़ने का मौसम से कोई विशेष लेना देना नहीं है। लेकिन जब बारिश होती है या ठंड के मौसम में यूरिक एसिड शरीर के जोड़ों में ज्यादा जमा होने लगता है। अधिकतर यह बीमारियां प्रौढ़ावस्था वाले लोगों को होती है क्योंकि वह जाड़े में धूप न निकलने के कारण अपने शरीर की हिफाजत करने के लिए रजाई से बाहर ही नहीं निकलते हैं। सर्दी से तो वो बच जाते हैं लेकिन शरीर की और बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं। ठंड के कारण वह योगा, एक्सरसाइज और वाॅक भी नहीं कर पाते। जिसके कारण उनके शरीर से यूरिक एसिड का निष्कासन नहीं हो पाता है। ऐसे में मेथी एक रामबाण का काम करता है मेथी काफी गर्म होता है यह जाड़े में शरीर को ऊष्मा प्रदान करता है।

मेथी फाइबर युक्त होता है जिसका सेवन करने से हमें डाइजेशन की दिक्कतों का भी सामना नहीं करना पड़ता। मेथी के प्रयोग से कब्ज की समस्या भी दूर होती है। जब आपका पेट अच्छी तरह से साफ होता है तो फिर आपके शरीर में बनने वाले विषैले पदार्थ यूरिक एसिड आदि भी शरीर से बाहर निकल जाते हैं। मेथी खाने के कारण पेट भरा भरा रहता है और ज्यादा भूख नहीं लगती। जिसके कारण व्यक्ति का यूरिक एसिड नहीं बन पाता है।

मेथी का प्रयोग यूरिक एसिड दूर करने के लिए कैसे करें

मेथी को अगर हम रोज लेते हैं तो यह शरीर में जमने वाले यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निष्कासित करने में मदद करता है।

इसके लिए हमें रात को सोते समय दो चम्मच मेथी को पानी में भिगो देना चाहिए। मेथी को अच्छी तरह से साफ करके दो तीन बार पानी से निकाल कर के ही हमें भिगोना चाहिए। सुबह-सुबह हमें खाली पेट मेथी खानी चाहिए और जो पानी बचे उसे पी जाना चाहिए।

मेथी को अंकुरित करके भी सुबह-सुबह खाया जा सकता है। इससे आपके शरीर में यूरिक एसिड का बनना रुक जाता है मेथी आपके शरीर को यूरिक एसिड के साथ-साथ थायराइड, शुगर, पेट में बनने वाली गैस और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं से भी निजात दिलाती है। 

क्या पेट साफ न होना भी है कब्ज? कब्ज क्या होता है? कब्ज कैसे दूर करे?

कब्ज कैसे दूर करे

पेट साफ न होना यानी मल त्याग में परेशानी होना, जिसे कब्ज भी कहते हैं। यह एक आम समस्या है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। अगर आपको लगातार पेट साफ नहीं हो रहा है, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि pet saaf na hone ke nuksan क्या हैं, कब्ज क्या होता है, और इसे कैसे दूर किया जा सकता है।

कब्ज क्या होता है?

कब्ज तब होती है जब आपका मल सख्त और सूखा हो जाता है और इसे निकालने में कठिनाई होती है। इसका मतलब है कि आपकी आंतों में मल लंबे समय तक रहता है, जिससे पेट साफ नहीं होता। कब्ज होने पर पेट में दर्द, भारीपन, और गैस की समस्या हो सकती है।

कब्ज
कब्ज

पेट साफ न होने के नुकसान (pet saaf na hone ke nuksan)

  • पेट में गैस और सूजन
  • सिरदर्द और कमजोरी महसूस होना
  • त्वचा पर रुखापन और मुंहासे
  • शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमा होना
  • लंबे समय तक कब्ज रहने पर पाइल्स या फिशर जैसी समस्या हो सकती है

कब्ज के कारण

  • पानी कम पीना
  • फाइबर युक्त आहार की कमी
  • तली-भुनी और जंक फूड का सेवन
  • शारीरिक गतिविधि की कमी
  • तनाव और चिंता
  • कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट

कब्ज कैसे दूर करें? (कब्ज का घरेलू इलाज)

  1. पर्याप्त पानी पिएं: दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं, जिससे आंतें ठीक से काम करें।
  2. फाइबर युक्त भोजन लें: फल, सब्जियां और साबुत अनाज कब्ज दूर करने में मदद करते हैं।
  3. नियमित व्यायाम करें: योग या चलना कब्ज को दूर रखने में सहायक है।
  4. नियमित भोजन करें: समय पर और सही मात्रा में भोजन लें।
  5. प्रोबायोटिक्स का सेवन करें: दही और प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं।
  6. तनाव कम करें: तनाव मुक्त रहने से भी कब्ज की समस्या कम होती है।

कब डॉक्टर से मिलें?

अगर घरेलू उपायों से भी कब्ज ठीक न हो और साथ में तेज दर्द, रक्तस्राव या वजन में गिरावट हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

निष्कर्ष

Pet saaf na hone ke nuksan गंभीर हो सकते हैं, इसलिए सही खानपान, पर्याप्त पानी और व्यायाम से कब्ज को नियंत्रित करना जरूरी है। सही जीवनशैली से आप स्वस्थ रह सकते हैं और कब्ज जैसी समस्या से बच सकते हैं।

क्या है सर्दियों में सेहत से भरपूर सफेद तिल खाने के फायदे

सफेद तिल खाने के फायदे

सफेद तिल सर्दियों में गजक, तिलपट्टी के रूप में हम सब ने खाये हैं। सफेद तिल गुणों से भरपूर होते हैं। सफ़ेद तिल में प्राकृतिक तेल और कार्बनिक यौगिको पाए जाते हैं। सफ़ेद तिल में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, फाइबर, थायामिन, विटामिन बी 6, फोलेट, प्रोटीन और ट्रिप्टोफैन आदि पाया जाता है। तो आइए जानते हैं तिल के फायदे को

सफेद तिल खाने के फायदे

सफेद तिल उपयोगी है आंखों की रोशनी बढ़ाने में

सफेद तिल लिवर के लिए फायदेमंद हैं । और लिवर आँखों के कार्यों करने के लिए उन्हें रक्त भेजता है।यह रक्त आँखो की मांसपेशियों को मजबूत करता है ।आँखो में रक्त का संचार सुचारू रूप से होने के कारण धुंधला दिखना कम होता है ।

सफेद तिल लाभदायक है त्वचा को सुंदर बनाने में

सफेद तिल त्वचा को नरम और कोमल बनाता है । जिसके कारण त्वचा में नमी आती है । यह नमी त्वचा के लचीलेपन को बनाये रखतीै है । यह चेहरे की त्वचा, विशेष रूप से नाक के आसपास के क्षेत्र को कसने में मदद करतीै है। सफेद तिल चेहरे के पोर्स को बढ़ने से रोकता है। । सफेद तिल त्वचा पर और रोमछिद्रों में विकसित होने वाले विषाक्त पदार्थों को निष्प्रभावी करता है।

सफेद तिल बनाता है हड्डियों को मजबूत करने में

सफेद तिल में डाइट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड मौजूद होते हैं जो बच्चों की हड्डियों के विकास को बढ़ावा देते हैं। सफेद तिल में जस्ता, कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे जरूरी खनिज पाए जाते है। ये खनिज नई हड्डियों को बनाने और हड्डियों को मजबूत करने और उनकी मरम्मत करने में मदद करते हैं।

सफेद तिल मददगार है दिल की बीमारियों को रोकने में

सफेद तिल में कैल्श‍ियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम आद‍ि द‍िल की मांसपेशियों को स्वस्थ रखते हैं। सफेद तिल के प्रयोग से दिल की मांसपेशियों में तनाव नहीं होता जिसके कारण दिल की बीमारियाँ नहीं होती।

सफेद तिल दिल के दोरे से बचाता है

फाइबर धमनियों और रक्त वाहिकाओं से खतरनाक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद करता है जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस, दिल का दौरा और स्ट्रोक आदि होने की सम्भावना कम हो जाती है।

सफेद तिल फायदेमंद है कैंसर जैसी बीमारी को रोकने में

सफेद तिल में सेसमीन नाम का एन्टीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। यही वजह है कि यह लंग कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को कम करता है ।

सफेद तिल दूर करता है तनाव को

सफेद दिन में पाए जाने वाले मैग्नीशियम और अनेक खनिज तत्व हाइपरटेंशन को कम करते हैं । तनाव होने पर सफेद तिल बहुत उपयोगी होता है।

तनाव से रहे दूर
तनाव से रहे दूर

सफेद तिल फायदेमंद है डायबिटीज़ में

सफेद तिल में पाए जाने वाले पोषक तत्व सही में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करते हैं और इंसुलिन को बढ़ने नहीं देखें जिस के कारण शरीर में शुगर की मात्रा नहीं पड़ती और डायबिटीज़ कंट्रोल में रहती है ।

सफेद तिल बेहतर करता है पाचन क्रिया को

सफेद तिल में फाइबर भरपूर मात्रा मे होते हैं। फाइबर पाचन को स्वस्थ रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व होता है, क्योंकि यह आँतों को अपने कार्य करने में मदद करता है। यह कब्ज जैसी समस्या को कम कर सकता है, साथ ही दस्त और जठरांत्र संबंधी बीमारियों को भी रोकने में उपयोगी है ।

सफेद तिल कारगर है सूजन रोकने में

सफेद तिल में मौजूद तांबे की उच्च मात्रा जोड़ों, हड्डियों और मांसपेशियों में सूजन कम करने के लिये उपयोगी है । जिससे गठिया के कारण होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। तांबा रक्त वाहिनियों, हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करता है। शरीर में तांबे की उचित मात्रा ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है कि पूरे शरीर की अंग प्रणालियों को ठीक से कार्य करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे ।

सफेद तिल दूर करता है दाँतों के प्लाक को

सफेद तिल के तेल को मुँह में लेकर दाँतों के चारों तरफ घुमाकरं मंजन करे दाँतों की प्लाक की समस्या का समाधान होता है ।

सफेद तिल दूर करता है एनीमिया को

सफेद तिल में पाए जाने वाला आयरन शरीर में खून की कमी को दूर करता है। जिसके कारण एनीमिया नहीं होता ।

सफेद तिल फायदेमंद है गठिया में

सफेद तिल में पाए जाने वाला तांबा सभी में सूजन को दूर करता है। सफेद तिल में एंटीऑक्सिडेंट एंजाइम होता है। जो रक्त प्रणालियों को सुचारु रूप से कार्य करने में मददगार है। इस प्रकार यह गठिया और गठिया से जुड़ी सूजन को कम करने में बहुत ही उपयोगी है। इसके अलावा, यह खनिज रक्त वाहिकाओं, हड्डियों और जोड़ों को ताकत प्रदान करता है ।

सफेद तिल फायदे मंद है अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों में

सफ़ेद तिल में पाये जाने वाले मैग्नीशियम में अस्थमा और अन्य श्वसन विकारों से लड़ने की क्षमता होती है । सफेद तिल के नियमित सेवन से साँस की बिमारी नहीं होती।

सफेद तिल बढाता है गुड कोलेस्ट्रॉल को

सफेद तिल में सेसामिन और सेसमोलिन नामक दो पदार्थ होते हैं, जो लिग्नांस नामक फाइबर का समूह होते हैं। लिग्नांस के प्रभाव से कोलेस्ट्रॉल कम होता है क्योंकि वे आहार फाइबर में समृद्ध हैं। सफ़ेद तिल में उच्चतम फाइटोस्टेरॉल होता है जो कि कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मददगार साबित हो सकता है ।यह बैड कोलेस्ट्रॉल को दूर करके गुड कोलेस्ट्रॉल बढाता है ।

सफेद तिल फायदेमंद है बालों की वृद्धि के लिए

सफेद तिल में पाए जाने वाले खनिज तत्व बालों की वृद्धि के लिए बहुत फायदेमंद है यह बालों को चमक देते हैं और बालों का गिरना भी रोकते हैं ।

सफेद तिल के वैसे तो अनगिनत फायदे हैं पर उसके नुकसान भी काम नहीं हैं तो याद रखिये। सफ़ेद तिल खाइये तो सही पर मौसम और मात्रा का ध्यान रखते हुए। लो ब्लड प्रेशर के मरीज खाने से पहले एक बार डॉक्टर की भी राय अवश्य लें लें।

कब्ज में गुलकंद कैसे और कितना ले? क्या है कब्ज में गुलकंद के फायदे ?

कब्ज में गुलकंद के फायदे

गुलकंद का नाम आते ही, गुलाब के महकते ताजा फूल आँखों के सामने आ जाते हैं। जी हाँ गुलकंद  गुलाब की पंखुड़ियों से ही बनाया जाता है, ऐसे समझ लिजीए जैसे गुलाब का मुरब्बा। ये गुलाब के फूल की ताजी पंखुड़ियों से तैयार किया जाता हैं। मीठे स्वाद के लिए इसमें  चीनी का इस्तेमाल भी करतें हैं। ये तासीर में ठंडा होता है इसलिए इसका सेवन ज्यादातर गर्मियों में करते हैं।

गुलकंद स्वादिष्ट तो होता ही है साथ ही साथ यह –

कई खतरनाक बीमारियों से भी हम सबका बचाव करता है। मुख्यत  ये पेट पर कार्य करता है पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है, जिनमें कब्ज, बदहजमी और गैस मेन हैं। और  आप सब जानते ही हैं कि जब डाईजेशन सही रहता है तो अच्छी भूख लगती है, शरीर में ताकत बढ़ती है और नींद भी अच्छी आती है।

  • अपनी ठंडी प्रकृति के कारण गुलकंद आंखों की रोशनी बढ़ाने और आंखों में जलन तथा कंजेक्टिवाइटिस बीमारी में काफी लाभदायक होता है।
  • गुलकंद अपने बेहतरीन स्वाद और महकती खुशबू के कारण मूड को फ्रेश करता है तो यदि आपको सिर दर्द अथवा मूड स्विंग होने की समस्या है तो ऐसे में गुलकंद का प्रयोग लाभकारी रहेगा ।
  • अक्सर पेट में गर्मी और कब्ज के कारण मुंह में छाले हो जाते हैं ऐसे में गुलकंद का प्रयोग लाभदायक होता है गुलकंद मुंह के छालों को खत्म कर देता है।
  • गर्मी के मौसम में लू लगने अथवा शरीर में गर्मी होने पर गुलकंद का प्रयोग ठंडक प्रदान करता है।

लेकिन अब सवाल उठता है कि कब्ज में गुलकंद कैसे और कितना ले? जो आशानुरूप लाभ मिलें, तो चलिए बताते हैं कि उपयोग कैसे करें ..

  • रात में दूध के साथ थोड़ा सा गुलकंद लेते हैं, इसे दूध में घोलकर भी पी सकते हैं तो नींद अच्छी आती है और शरीर को ठंडक पहुँचती है ।
  • अगर  पानी के साथ मिलाकर इसे घूट-घूट करके पीते हैं तो एसिडिटी और बहदजमी से छुटकारा  मिलता है।
  • आपको अगर खाने के बाद मीठा खाने की आदत है तो आप गुलकंद खाइयें, इससे पाचनतंत्र को सपोर्ट भी मिलेगा और मीठे की तलब भी शांत होगी।

कब्ज में गुलकंद कैसे और कितना ले?

अगर किसी को ये समस्या है तो और आप कई तरह के नुस्खे आजमाकर थक चुके हैं तो गुलकंद का प्रयोग कीजिए । गुलाब की पत्तियों को चीनी के साथ मिलाकर बनाया गया गुलकंद पेट की हर समस्या को दूर करने की एक उपयोगी औषधि है। गुलकंद की तासीर ठंडी होती है इस वजह से यह पेट में होने वाली गर्मी को शांत करता है । खाना खाने के बाद 1 से 2 चम्मद गुलकंद जरूर लीजिए। इससे पाचन तंत्र बेहतर काम करेगा, धीरे धीरे कब्ज की समस्या में आराम मिलेगा।

आयुर्वेद के एक्सपर्ट बताते हैं कि  गुलकंद आंतों में हेल्पफुल गट बैक्टीरिया बढ़ाने में हैल्प करता है, जिससे आंतो की हैल्थ अच्छी होती है और खाना अच्छी तरह पचता है।

आप खुद ही अनुभव करेंगें कि सुंगध और मिठास से भरा गुलकंद पेट के लिए कितना फायदेमंद है। आप इसे कभी भी अपनी डाईट में शामिल कर सकते हैं,

लेकिन एक जरूरी बात ये कि जो मधुमेह के रोगी हैं वे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें। क्योंकि गुलकंद की तासीर ठंडी होती है इसलिए सर्दी, जुकाम ,अस्थमा और सांस संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या होने पर इसका प्रयोग करने से बचना चाहिए तथा सर्दियों में गुलकंद का प्रयोग बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए।

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सामान्य प्रश्न

गुलकंद कितनी मात्रा में खाना चाहिए?

गुलकंद अपने आप में एक औषधि है। जो पेट से संबंधित अनेकों बीमारियों को दूर करती है। यदि आप नियमित रूप से एक चम्मच गुलकंद का सेवन करते है तो पेट से जुड़ी हुई समस्याओं से समाधान पाया जा सकता है। नॉर्मली गुलकंद का सेवन गर्मियों में किया जाता है।

कब्ज के लिए गुलकंद कब खाना चाहिए?

गर्मी में अक्सर लोगों के पेट से संबंधित समस्या और कब्ज की शिकायत रहती है। इस समस्या हेतु गुलकंद रामबाण का काम करता है। खाना खाने के बाद गुलकंद का सेवन करने से कब्ज की समस्या से छुटकारा तो मिलता ही है साथ ही साथ पाचन तंत्र भी मजबूत होता है।

गुलकंद का सेवन कैसे करें?

गुलकंद गुलाब की पंखुड़ियों से बनाया जाता है जो स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए भी है बेहतरीन होता है। गुलकंद का सेवन सीधा ही किया जा सकता है अन्यथा इसे पान के साथ भी खाया जा सकता है। गुलकंद का सेवन दूध के साथ करना भी लाभप्रद होगा।

क्या गुलकंद को खाली पेट लिया जा सकता है

गुलकंद को खाली पेट खाने की अपेक्षा इसे खाना खाने के बाद खाना चाहिए। खाना खाने के बाद इसका सेवन करने से यह पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। खाली पेट गुलकंद का सेवन करने की अपेक्षा इसे दूध से खाया जाना चाहिए।

कब्ज में गुलकंद के फायदे?

गुलकंद कब्ज और गैस बनने जैसी समस्या को दूर करता है। शरीर में अम्लों की अधिकता से भी अपच की समस्या पैदा हो जाती है ठंडी प्रकृति का गुलकंद इसे दूर करता है। शरीर में गर्मी बढ़ने से कब्ज की समस्या आ सकती है अतः गुलकंद इसे भी नियंत्रित करता है।

प्रेगनेंसी में गुलकंद खा सकते हैं क्या?

यदि प्रेगनेंसी सामान्य है और मधुमेह जैसी कोई समस्या नहीं है तो गुलकंद फायदे मंद हो सकता है। गुलकंद शरीर में अनेकों पोषक तत्वों की कमी पूरी करता है। चूंकि गुलकंद ठंडी प्रकृति का होता है। गर्मियों के समय में इसका सेवन पेट में ठंडक प्रदान करता है।

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