गर्भपात के घरेलू उपाय – लक्षण, कारण और एक महीने की प्रेगनेंसी हटाने के तरीके

गर्भपात के घरेलू उपाय

गर्भपात (गर्भ गिराने) के घरेलू उपाय (garbhpat ke gharelu upay)

मां बनना एक महिला के लिए एक सुखद एहसास है, जिसकी खुशी के आगे दुनिया की हर खुशी फीकी लगती है। लेकिन अगर आप गलती से प्रेग्नेंट हो जाएं, तो क्या करें? यह सवाल किसी भी महिला के मन में घबराहट, बेचैनी और डर पैदा कर सकता है, खासकर तब जब यह बिना फैमिली प्लानिंग के हुआ हो। ऐसी स्थिति में घबराने की बजाय सही जानकारी और समझदारी से निर्णय लेना जरूरी होता है। कई महिलाएं इस दौरान गर्भपात के घरेलू उपाय के बारे में जानना चाहती हैं, ताकि वे अपने स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सही कदम उठा सकें।

गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें? यह सवाल कई महिलाओं के मन में आता है, जब वे बिना फॅमिली प्लानिंग के गर्भवती हो जाती हैं। गर्भपात के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कई बार संभोग के दौरान पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका गर्भनिरोधक उपायों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते, जिससे अनचाहा गर्भ ठहर जाता है। कुछ महिलाओं के लिए शारीरिक या मानसिक रूप से माँ बनना संभव नहीं होता, तो कुछ अपनी करियर या पर्सनल लाइफ को प्राथमिकता देती हैं जिससे वे गर्भपात कराने का फैसला लेती हैं। इस तरह, विभिन्न परिस्थितियों के कारण गर्भपात का निर्णय लिया जाता है।

गर्भपात क्या होता है (garbhpat kya hota hai)

गर्भपात वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भधारण के 20 से 24 सप्ताह से पहले भ्रूण का विकास रुक जाता है या उसे चिकित्सकीय रूप से समाप्त कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया स्वाभाविक (Natural/Miscarriage) या कृत्रिम (Medical/Surgical Abortion) हो सकती है।

गर्भपात के लक्षण (Symptoms of Miscarriage)

अगर किसी महिला को गर्भपात हो रहा हो, तो उसके शरीर में कुछ खास लक्षण दिख सकते हैं। ये लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं।

मुख्य लक्षण:

अचानक तेज पेट दर्द या ऐंठन

खासकर पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है।

योनि से रक्तस्राव (Bleeding)

हल्के धब्बों (Spotting) से लेकर ज्यादा खून बहने तक हो सकता है।

गर्भावस्था के लक्षणों में कमी

जैसे मतली (जी मिचलाना), उल्टी, या स्तनों में भारीपन कम होना।

योनि से सफेद या गुलाबी रंग का डिस्चार्ज

यह संकेत हो सकता है कि गर्भपात शुरू हो रहा है।

पीठ में दर्द

हल्का या बहुत तेज दर्द हो सकता है, जो सामान्य गर्भावस्था के दर्द से ज्यादा महसूस हो सकता है।

बुखार या ठंड लगना

यह संक्रमण का संकेत हो सकता है, जो गर्भपात के दौरान हो सकता है।

कमजोरी और चक्कर आना

शरीर में खून की कमी होने के कारण कमजोरी महसूस हो सकती है।

गर्भपात के प्रकार (Miscarriage Symptoms in Hindi)

गर्भपात एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें गर्भधारण अपने आप समाप्त हो जाता है। यह कई कारणों से हो सकता है और इसके विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक प्रकार के गर्भपात के लक्षण और प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं। नीचे गर्भपात के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से बताया गया है।

1. मिस्ड गर्भपात (Missed Miscarriage)

इसमें गर्भावस्था स्वयं समाप्त हो जाती है, लेकिन कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते। न तो रक्तस्राव होता है और न ही महिला को किसी तरह की असुविधा महसूस होती है। कई बार भ्रूण गर्भ में ही रहता है और इसका पता तब चलता है जब भ्रूण का विकास रुक जाता है। इसका निदान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है।

2. अधूरा गर्भपात

अधूरा गर्भपात एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें भ्रूण का केवल कुछ भाग ही गर्भाशय से बाहर निकल पाता है। इसके कारण महिला को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

अधूरा गर्भपात के लक्षण

अत्यधिक रक्तस्राव

योनि से लगातार और अधिक मात्रा में खून बहना।

तेज पेट दर्द या ऐंठन

पेट के निचले हिस्से में असहनीय दर्द या दबाव महसूस होना।

कमजोरी और चक्कर आना

अधिक रक्तस्राव के कारण शरीर में कमजोरी हो सकती है।

बुखार और ठंड लगना

संक्रमण होने की स्थिति में शरीर का तापमान बढ़ सकता है।

असामान्य डिस्चार्ज

योनि से दुर्गंधयुक्त डिस्चार्ज आना।

3. पूर्ण गर्भपात(Complete Miscarriage)

इस स्थिति में महिला को तीव्र पेट दर्द और भारी रक्तस्राव होता है, और भ्रूण पूरी तरह से गर्भाशय से बाहर आ जाता है।

4. अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable Miscarriage)

इसमें रक्तस्राव लगातार जारी रहता है और गर्भाशय ग्रीवा खुल जाती है, जिससे भ्रूण बाहर आ जाता है। इस दौरान महिला को पेट में लगातार ऐंठन महसूस होती रहती है।

5. सेप्टिक गर्भपात (Septic Miscarriage)

जब गर्भ में संक्रमण हो जाता है, तब गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। यह एक गंभीर स्थिति होती है, जिसके लिए तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक होता है

सुरक्षित गर्भपात कब और कैसे होता है

गर्भपात का समय ज्यादातर गर्भावस्था के पहले 3 महीनों तक का होता है और यह सबसे सुरक्षित समय होता है। असामान्य मामलों में, गर्भपात दूसरी तिमाही में किया जाता है जो गर्भावस्था के 4-6 महीनों में होता है। तीसरे तिमाही में गर्भपात शायद ही कभी किया जाता है क्योंकि यह सुरक्षित नहीं रहता है और केवल आपातकालीन या जीवन को खतरा जैसे कारणों से किया जाता है। इसलिए किसी को पहले के विकल्पों का विकल्प चुनना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित और सस्ता होता है।

एक सुरक्षित गर्भपात प्राप्त करने के लिए पहली तिमाही जो कि पहले 3 महीने होती है, सबसे सुरक्षित समय होती है क्योंकि इस समय दवाओं का उपयोग गर्भपात करवाने के लिए किया जा सकता है और इन दवाओं का आमतौर पर दुष्प्रभाव नहीं होता है। वैक्यूम एस्पिरेशन प्रक्रियाओं का उपयोग भी किया जा सकता है जो सुरक्षित भी हैं। पहली तिमाही के बाद, सुरक्षित गर्भपात प्राप्त करना कठिन होता है और किसी को तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि कोई इमरजेंसी न हो।

गर्भपात करने के सरल घरेलु तरीका

अक्सर यह सवाल आता है कि “बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?” और इसके लिए कौन-कौन से घरेलू उपाय अपनाए जाते हैं। पारंपरिक रूप से गर्भपात के लिए विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन , तुलसी का काढ़ा, लहसून, ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

  • गर्भावस्था का पता चलने के शुरुआती दिनों में ही गर्भपात कराना सही रहता है। विटामिन सी युक्त पदार्थ जैसे कच्चा पपीता ,अनानास, कटहल, संतरा, नींबू आदि चीजों के सेवन से शुरुआती गर्भावस्था में गर्भपात हो जाता है।
  • भुने हुए तिल तासीर में बहुत गर्म होते हैं। तीन से चार चम्मच तिलों को भूनकर दिन में दो बार सेवन करने से गर्भपात हो जाता है।
  • दो से चार हफ्तों की गर्भ को गिराने के लिए, 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी के साथ उबालें पानी आधा रह जाने पर उसे छानकर उसका सेवन करें जब तक ब्लीडिंग शुरू ना हो तब तक दिन में दो से तीन बार इस पानी का सेवन करने से गर्भ गिर जाता है।
  • ग्रीन टी के अधिक सेवन से भी गर्भपात हो जाता है ।
  • अधिक मात्रा में दालचीनी तथा काली मिर्च का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।केले की पत्तियों और बबूल की फलियों को सुखाकर उनका चूर्ण बनाकर नियमित रूप से सेवन गर्भ गिराने का तरीका है।
  • कॉफी की तासीर गर्म होती है इसलिए अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • तुलसी के पत्तों और उसके बीजों का काढ़ा बनाकर पीने से गर्भपात होता है।
  • तीन से चार चम्मच अजवायन को गुड़ के साथ मिलाकर दो गिलास पानी में उबालें और इस पानी को छानकर अजवायन के पानीका दिन में 2 बार सेवन गर्भ गिराने का तरीका है ।
  • उछल कूद और अधिक मात्रा में व्यायाम करने से भी गर्भपात हो जाता है।

गर्भपात (एबॉर्शन) के नुकसान

दोनों मेडिकल और सर्जिकल गर्भपात प्रक्रिया काफी सुरक्षित होती हैं, हर प्रक्रिया और उपचार में कुछ जोखिम शामिल होते हैं। गर्भपात के जोखिमों में शामिल हैं:

  • गर्भ में संक्रमण का विकास
  • समाप्ति के बाद अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है
  • गर्भाशय ग्रीवा क्षतिग्रस्त हो सकती है
  • गर्भ क्षतिग्रस्त हो सकता है

यदि यह जल्द से जल्द किया जाता है तो गर्भपात सबसे सुरक्षित होता है। किसी भी जटिलताओं के मामले में, एक डॉक्टर से तुरंत परामर्श किया जाना चाहिए और प्रासंगिक उपचार का विकल्प चुना जाना चाहिए। गर्भपात का विकल्प चुनने से भविष्य में गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती है।

गर्भपात के बाद माहवारी कब आती है

गर्भपात के बाद माहवारी गर्भपात की अवधी पर निर्भर करता है। यदि गर्भपात पहली तीमाही के दौरान हुआ है तो पीरियड्स 4 से 12 सप्ताह बाद आने शुरु हो जाने चाहिए। और उस समय की माहवारी सामान्य से कम हो सकती है या सर्जिकल गर्भपात के बाद यह सामान्य रूप से भी हो सकती है। यदि पहली माहवारी सामान्य से अधिक होती है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भपात के बाद सावधानियां

गर्भपात के बाद शरीर को ठीक होने में समय लगता है, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतना जरूरी होता है। इस दौरान भरपूर आराम करें और शरीर को हाइड्रेट रखें। आयरन और प्रोटीन युक्त आहार लें ताकि कमजोरी दूर हो सके। संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें और कुछ समय तक यौन संबंध बनाने से बचें। भावनात्मक रूप से संतुलित रहने के लिए अपनों से बातचीत करें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें। किसी भी असामान्य लक्षण, जैसे अत्यधिक रक्तस्राव, तेज बुखार या तेज दर्द होने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।

गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में घरेलू उपाय द्वारा गर्भपात संभव है परंतु यदि ज्यादा समय हो चुका है तो उसके लिए डॉक्टर की सलाह लेकर ही गर्भपात कराएं।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

एक महीने की प्रेगनेंसी कैसे हटाएं घरेलू उपाय?

कच्चा पपीता, अनानास, अजवायन का पानी, और ग्रीन टी पारंपरिक घरेलू उपायों में शामिल हैं। लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना इन्हें अपनाना स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है।

तुरंत प्रेगनेंसी रोकने के लिए क्या करना चाहिए?

72 घंटे के भीतर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां (i-pill) ली जा सकती हैं। घरेलू नुस्खे की बजाय मेडिकल सलाह लेना बेहतर होता है।

बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?

प्रेगनेंसी के पहले 9 सप्ताह तक मेडिकल गर्भपात सुरक्षित माना जाता है। इसके बाद डॉक्टर की निगरानी ज़रूरी है।

अधूरा गर्भपात के लक्षण क्या हैं?

अत्यधिक ब्लीडिंग, पेट दर्द, बुखार, और बदबूदार डिस्चार्ज इस स्थिति के संकेत हो सकते हैं। यह मेडिकल इमरजेंसी होती है।

गर्भपात के बाद किन बातों का ध्यान रखें?

भरपूर आराम करें, पौष्टिक आहार लें, साफ-सफाई रखें और मानसिक संतुलन बनाए रखें। किसी भी असामान्यता पर डॉक्टर से मिलें।

जानिए डिलीवरी के बाद क्या क्या खाएं-Delivery Ke Baad Kya Khaye

Delivery Ke Baad Kya Khaye

सभी लोगो को अपने शरीर मे ऊर्जा बनाये रखने के लिए खाने की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन हर व्यक्ति का शरीर अलग अलग प्रकार का होता है,

शरीर मतलब कई लोग मोटे है तो उनको कम फैट वाला भोजन करना चाहिए। इसके अलावा जो लोग पतले होते है, उनके लिए अलग अलग प्रकार का भोजन होता है। जिसमे अधिक फैट हो।

ठीक उसी प्रकार एक गर्भवती महिला होती है। तो उसे गर्भावस्था के दौरान उचित आहार लेने के लिए कहा जाता है। ताकि उसका शरीर स्वस्थ रह सके।

डिलीवरी के पहले तो उचित आहार लेना ही चाहिए बाद में इसकी अति आवश्यकता होती है। क्योंकि डिलीवरी के बाद महिला का शरीर बिल्कुल कमजोर हो जाता है। ऐसा लगता है, जैसे की शरीर मे ऊर्जा ही न हो। इसलिए डिलीवरी के बाद उसके खाने पीने में विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

अगर सही खाने खाएगी तो इससे शरीर को पोषण भी अच्छा ही मिलेगा।

डिलीवरी के बाद महिला को अपने नवजात शिशु को स्तनपान भी करवाना पड़ता है। इसलिए महिला को अधिक पोषण की जरूरत होती है। ऐसे ही कुछ डाइट के बारे में नीचे बताया गया है।

डिलीवरी के बाद क्या-क्या खाना चाहिए-Delivery Ke Baad Kya Khaye

महिला के प्रसव के बाद उसको पौष्टिक तत्वों वाला भोजन कराना चाहिए। उसके भोजन में भरपूर मात्रा में विटामिन, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम आदि हो।

डेयरी पदार्थ जिसमें फैट कम हो

प्रसव के बाद महिला को डेयरी उत्त्पादो का अधिक सेवन करना चाहिये। डेयरी पदार्थों में कैल्शियम प्रोटीन और विटामिन ई बहुत ज्यादा मात्रा में पायी जाती है।

यह डिलीवरी वाली महिला को बहुत जरूरी होता है। क्योंकि बाद में उसे दुगने पोषण तत्व की जरूरत होती है। वह अपने शिशु को दूध पिलाती है।

दूध पीने से बच्चें की हड्डियां मजबूत हो जाती है। महिलाओ की डिलीवरी के बाद उनके शरीर मे कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है।

डेयरी पदार्थ
डेयरी पदार्थ

लीन मीट

बहुत सी महिलाएं मांसाहारी भी होती हैं। यह डाइट प्लान इन्ही महिलाओं के लिए है। अगर आप मांसाहारी महिला है तो आप अपने भोजन में लीन मीट का इस्तेमाल कर सकती हैं। अगर बात करें लीन मीट में तो इसके अंदर आयरन, प्रोटीन और विटामिन B12 की प्रचूर मात्रा होती है।

जब महिला अपने शिशु को दूध पिलाती है, तो उसके शरीर मे ऊर्जा कम हो जाती है। लीन मीट शरीर मे ऊर्जा को बढ़ाता है।

दालें

दाल में प्रोटीन खनिज विटामिन और फाइबर अत्यधिक मात्रा में होती है। सभी डिलीवरी वाली महिलाओं को हरी या लाल दाल को अवश्य खाना चाहिये।

दाल का हलवा बनाकर भी इसका सेवन कर सकती है। दाल शरीर को ताकत प्रदान करती है। और फैट को बढ़ने से रोकती है।

फलियां

फलीयो में राजमा, ब्लैक बीन्स आदि होती है। डिलिवरी वाली महिलाओ को इन फलियों का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। क्योंकि इससे शरीर मे ऊर्जा प्राप्त होती है। वैसे सभी लोगो को फलियों का सेवन करना चाहिए।

फलियों में प्रोटीन होती है। जिससे माँ और शिशु को ऊर्जा मिलती है। महिला को विशेष रूप से इसका प्रयोग करना चाहिये, वो अपने शिशु को दूध पिलाती है, जिससे उनकी ऊर्जा में कमी आ जाती है।

हरी सब्जियां

हरी सब्जियों में विटामिन ए , विटामिन सी और कैल्शियम की अधिकता होती है। हरी सब्जियो में कैलोरी की मात्रा कम होती है। बहुत सी डिलीवरी महिलाओ का वजन बढ़ने लगता है। और हरी सब्जियां वजन को बढ़ने से रोकती है।

हरी सब्जियो में परवल, पालक, टिंडा और बाकली इत्यादि है। सभी लोगो को हरी सब्जियो को अपने डेली डाइट में शामिल करना चाहिए।

गेंहू वाली ब्रेड

गेंहू में आयरन और फायबर पाया जाता है। डिलीवरी होने वाली महिलाओं को इसका प्रयोग जरूर करना चाहिए। जन्म देने के बाद महिला के शरीर मे आयरन की कमी हो जाती है।

अंडे

अंडे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते है। अंडों में प्रोटीन की अधिक मात्रा होती है। अंडा नई माँ को फायदा करता है। इसके लिए उबले अंडे की भुजिया और आमलेट बनाकर खा सकते है।

अंडा महिला के शरीर में आवश्यकता की कमी को दूर कर देता है।

अजवायन

डिलिवरी के बाद सभी महिलाओं को अजवायन का इस्तेमाल करना चाहिए। अजवाइन से गैस, अपच की समस्या नही होती है।

अजवायन में एन्टी बैक्टीरियल एन्टी फंगल और एंटीसेप्टिक गुड़ मौजूद होते है। एक चम्मच में एक चुटकी अजवायन को गुनगुने पानी के साथ पी जाएं।

बादाम

बादाम से शरीर का मानसिक संतुलन बना रहता है। सभी लोगो को एक बादाम डेली जरूर खाना चाहिए। बादाम में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ई, मैग्नीशियम कैल्शियम और पोटेशियम आदि तत्व होते है।

इसका प्रयोग डिलीवरी वाली महिलाओं को अवश्य करना चाहिए। बादाम को एक गिलास दूध के साथ पीना चाहिए।

काले और सफेद तिल

तिल से पेट साफ हो जाता है। तिलों में भरपूर मात्रा में कैल्शियम मैग्नीशियम और कॉपर होता है। तिल का प्रयोग डिलीवरी वाली महिला को जरूर करना चाहिए। तिल को चटनी और किसी मीठे पकवान में डालकर सेवन कर सकते है।

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प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए-Pregnancy Mein Kya Nahi khana Chahiye

प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए

गर्भवती महिला का खान-पान

गर्भावस्था के दौरान माता का स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है और गर्भावस्था के दौरान कई ऐसी खाद्य पदार्थ चीजें होती हैं। जिनका सेवन गर्भावस्था के दौरान नहीं करना चाहिए। ऐसी चीजों का सेवन करने से कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। और इन समस्याओं से मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है। आज इस लेख में हम जानेंगे कि प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए और क्यों।

गर्भावस्था में खानपान का अवश्य ध्यान रखें

गर्भावस्था के दौरान उन चीजों पर ज्यादा फोकस करें जो आपके शरीर को स्वस्थ रखें और बच्चे के लिए काफी लाभदायक है। विभिन्न संतुलित आहार का भोजन करें ना कि बाहर के भोज्य पदार्थों का सेवन करें। बाहर के भोजन और तैलीय पदार्थों से कई प्रकार की बीमारियां होती है और बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कई ऐसी चीजें भी है जो साधारण तौर पर शरीर को फायदा पहुंचाती है लेकिन गर्भावस्था के दौरान शरीर को नुकसान पहुंचाती है और गर्भावस्था में यह घातक साबित हो सकती है। जैसे पपीता, अनानास इत्यादि.

गर्भावस्था के दौरान बच्चे के स्वास्थ्य की बेहतर ध्यान रखना जरूरी होता है। गर्भवती महिलाओं को अपनी दिनचर्या में कई ऐसे पदार्थ जोड़ने होते हैं और कई ऐसे काम भी जोड़ने होते हैं जो बच्चे के सेहत के लिए फायदेमंद हो। कई ऐसी चीजों को अपने शरीर से दूर रखना जरूरी होता है ताकि बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव ना पड़े।

प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए-Pregnancy Mein Kya Nahi Khana Chahiye

प्रेगनेंसी में पपीता क्यों नहीं खाना चाहिए

पपीता गर्भपात का खतरा माना जाता है। पपीते में उपस्थित लैकट्स महिला महिलाओं के लिए भी गर्भधारण रोकने का कार्य करता है। गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में अगर पपीते का सेवन किसी महिला द्वारा कर लिया जाता है तो गर्भपात की संभावना रहती है। पपीते में पपेन तो फिर उपस्थित होता है। जो अंडाणु विकास में बाधा उत्पन्न करता है। पपीता ना केवल गर्भधारण में बाधा उत्पन्न करता है। यह निषेचन में भी बाधा उत्पन्न करता है।

अंगूर भ्रूण विकास में हानिकारक

अंगूर
अंगूर

कृपा के दौरान महिलाओं को अंगूर नहीं खाने चाहिए अंगूर आम तौर पर काफी ज्यादा पोस्टिक फल माना जाता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान अंगूर शरीर में गर्मी उत्पन्न करते हैं।अंगूर की तासीर गर्मी जो उनके लिए काफी हानिकारक होती है।और शुरुआती दौर पर भ्रूण अवस्था बनने में बाधा उत्पन्न करती है। अंगूर के सेवन से और निश्चित समय पर प्रसव होने में बाधा होती है । अंगूर में छुट्टी अम्ल उपस्थित होता है जो बच्चे के विकास के लिए बाधा उत्पन्न करता है और बच्चे को दुबला पतला बना देता है।

तुलसी के पत्ते गर्भावस्था में हानिकारक

सामान्य तौर पर खांसी जुकाम में तुलसी के पत्तों का सेवन किया जाता है। तुलसी को कई पुराने महा पुराणों में एक औषधि माना गया है।और इसी वजह से तुलसी के पत्तों का शहद के साथ सेवन करने से खांसी जुकाम ठीक हो जाता है ऐसा बताया जा रहा है। तुलसी के पत्तों का सेवन गर्भावस्था के दौरान पर करने से गर्भपात की समस्या बढ़ती है और उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।तुलसी के पत्तों में उपस्थित एस्ट्रो गोल जो गर्भपात करवा देते हैं इसके अलावा तुलसी के पत्ते किसी भी महिला के लिए मासिक चक्र को भी काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं।

चाइनीज फूड और तेलीय पदार्थों से रहें दूर

आज के प्रचलित जमाने में चाइनीस फूड काफी ज्यादा पॉपुलर होते जा रहे हैं। और फास्ट फूड के तौर पर चाइनीस फूड सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले भोज्य पदार्थ बन गए हैं। लेकिन चाइनीस फूड में मोनोसोडियम ग्लूटामैट उपस्थित होते हैं। जो शिशु के जन्म के बाद काफी ज्यादा प्रभावित कारक बन जाता है। और शिशु में कई प्रकार की सारी कमियां उत्पन्न कर देता है।

चाइनीस फूड के साथ उपयोग किया जाने वाला सोया सॉस में नमक की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो गर्भावस्था के दौरान माता के शरीर में हाई ब्लड प्रेशर उत्पन्न करता है और तैलीय पदार्थों का सेवन गर्भावस्था में काफी ज्यादा समस्या उत्पन्न करता है।

अनानास भी गर्भावस्था में हानिकारक

गर्भावस्था के दौरान अनानास फल का सेवन काफी ज्यादा खतरनाक माना जाता है। अनन्नास में उपस्थित ब्रोमलिन तत्व शिशु परिपक्व होने से पहले ही प्रसव पीड़ा उत्पन्न करता है जो अपरिपक्व बच्चे के जन्म देने जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है।

गर्भावस्था के दौरान सभी प्रकार की नशीली पदार्थ जैसे शराब, स्मोकिंग इत्यादि से भी दूरी रखनी चाहिए। क्योंकि इस प्रकार की नशीली पदार्थों में उपस्थित निकोटीन बच्चे के लिए काफी ज्यादा हानिकारक है।

क्यों होता है गर्भावस्था मे पेट दर्द-Garbhavastha Me Pet Dard

गर्भावस्था मे पेट दर्द

गर्भावस्था के दौरान किसी न किसी समय गर्भवती महिला अपने पेट में ऐंठन, हल्का दर्द और वेदना महसूस करती है। गर्भावस्था मे पेट दर्द होना सामान्य है क्योंकि गर्भ में पल रहे  शिशु के बढने के कारण आपकी मांसपेशियों और जोड़ों पर अत्यधिक दबाव पड़ सकता है, जिस कारण आपको पेट में बेचैनी महसूस हो सकती है। अगर आपके पेट या उसके आसपास के क्षेत्र में दर्द बना रहता है या अधिक तीव्र है, तो यह गर्भावस्था से संबंधित एक गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है।

पहली तिमाही में होने वाला पेट दर्द

पहली तिमाही के दौरान, आप अपने पेट में ऐंठन से होने वाला दर्द महसूस कर सकती हैं, जो आपके बच्चे में होने वाले सामान्य विकास परिवर्तनों के कारण होता है। ऐंठन का मतलब है कि आपको आपके पेट में दोनों तरफ से एक खिचाव महसूस होता है। गर्भाशय का आकार बढ़ने पर ऐंठन महसूस होती है। गर्भावस्था में ऐंठन को सामान्य माना जाता है

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दूसरी तिमाही में होने वाला पेट दर्द

गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में राउंड लिगामेंट में दर्द काफ़ी सामान्य है, जो 2 बड़े लिगामेंट के कारण होता है जो गर्भाशय को ऊसन्धि से जोड़ता है। राउंड लिगामेंट की मांसपेशी गर्भाशय को सहारा देती है और जब इसपर तनाव आता है, तब पेट के निचले हिस्से में आप एक तीव्र दर्द, या हल्का–सा दर्द महसूस करते हैं। गर्भावस्था के दौरान राउंड लिगामेंट में दर्द को सामान्य माना जाता है और इससे कोई बड़ी समस्या उत्पन्न नहीं होती है।

तीसरी तिमाही मे होने वाला पेट दर्द

तीसरी तिमाही के दौरान गर्भवती महिलाओं को पेट, पीठ और कूल्हों सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द महसूस होता है। बच्चे के जन्म की तैयारी के लिए शरीर के संयोजी ऊतक शिथिल हो जाते हैं जिस कारण जन्म–नली का लचीलापन भी बढ़ता है। ऐसे में ज़्यादातर गर्भवती महिलाएं अपने कूल्हों या पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव करती हैं , जो संयोजी ऊतकों के शिथिलता और खिचाव का कारण होता है। लेकिन अगर गर्भावस्था मे पेट दर्द असहनीय हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चहिए।

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पूरे गर्भावस्था के दौरान एक महिला इस तरह का भी पेट दर्द महसूस कर सकती है जैसे

पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द

गर्भावस्था मे पेट दर्द-पसलियों के निचले हिस्से और नाभि के बीच में होने वाला दर्द हो सकता है।

पेट के ऊपरी हिस्से के बाईं ओर दर्द

यह पसलियों के निचले हिस्से और नाभि के बीच में होने वाला दर्द होता है, जैसे प्लीहा, पैनक्रियाज का अंतिम भाग, बाईं ओर की निचली पसलियां, बाएं गुर्दे, बड़ी आंत व पेट का एक हिस्सा आदि।

गर्भावस्था मे पेट दर्द
गर्भावस्था मे पेट दर्द

पेट के ऊपरी हिस्से के दाईं ओर दर्द

यह दाएं निप्पल से नाभि तक होने वाला दर्द होता है। इसकी ओर लिवर, फेफडे़ का निचला भाग, किडनी जैसे अंग होते हैं, इस वजह से कभी-कभी यह दर्द हो सकता है।

पेट के निचले हिस्से में दर्द

यह नाभि से नीचे की ओर होने वाला दर्द है। यह दर्द किसी चिकित्सीय समस्या के चलते हो सकता है।

पेट के निचले हिस्से के बाईं ओर दर्द

यह निचले दाईं ओर के दर्द से ज्यादा आम है। इसका कारण किडनी का निचला हिस्सा, गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब व मूत्राशय की बनावट हो सकती हैं।

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पेट के निचले हिस्से के दाईं ओर दर्द

यह पेट के निचले दाएं भाग में होना वाला दर्द हो सकता है। यह दर्द हल्का भी हो सकता है और तेज़ भी। यह दर्द कभी-कभी बाईं ओर या पीछे की ओर भी फैल सकता है।

ध्यान देने योग्य बाते

आपका दर्द सामान्य है या गंभीर, यह पता लगाने के लिए डॉक्टर जानना चाहेंगी कि वास्तव में दर्द कैसा महसूस हो रहा है। इसलिए निम्न बातों का ध्यान दे

  • दर्द कब शुरु हुआ?
  • दर्द कितनी देर तक रहा और कितना प्रबल था?
  • क्या यह तीक्ष्ण दर्द था या फिर हल्का दर्द था?

क्या आपके हिलने-डुलने पर दर्द आ-जा रहा था या फिर लगातार बना हुआ था? काफी देर आराम करने के बाद भी यदि दर्द ठीक न हो या फिर आपको निम्न लक्षणों के साथ संकुचन भी हों, तो देर न करें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

अजवाइन से गर्भपात – अजवाइन के फायदे और नुकसान

अजवाइन से गर्भ कैसे गिराए

अनचाहे गर्भ का अजवाइन से गर्भपात कैसे करे? Garbhpat Karne Ke Gharelu Upay

मां बनना हर औरत का सपना होता है, लेकिन कभी-कभी कुछ परिस्थितियों में वह यह सपना नहीं देखना चाहती। यह संभव है कि वह पहले से मां हो, बच्चा अभी छोटा हो, परिवार पूरा हो चुका हो, या फिर वह अभी मां बनने के लिए तैयार न हो। ऐसी स्थिति में यदि गर्भ ठहर जाए, तो गर्भपात कराना जरूरी हो सकता है। स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और अस्पताल जाने की जटिलताओं से बचने के लिए कई महिलाएं अजवाइन से गर्भपात जैसे प्राकृतिक तरीकों को अपनाना चाहती हैं, खासकर जब वे अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में किसी को बताना नहीं चाहतीं।

गर्भपात करने के सरल घरेलु तरीका

अक्सर यह सवाल आता है कि “बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?” और इसके लिए कौन-कौन से घरेलू उपाय अपनाए जाते हैं। पारंपरिक रूप से गर्भपात के लिए विटामिन सी, पपीता , अन्नानास का रस, अजवायन, तुलसी का काढ़ा, लहसून, ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

गर्भावस्था का पता चलने के शुरुआती दिनों में ही गर्भपात कराना सही रहता है। विटामिन सी युक्त पदार्थ जैसे कच्चा पपीता,अनानास, कटहल, संतरा, नींबू आदि चीजों के सेवन से शुरुआती गर्भावस्था में गर्भपात हो जाता है।

भुने हुए तिल तासीर में बहुत गर्म होते हैं। तीन से चार चम्मच तिलों को भूनकर दिन में दो बार सेवन करने से गर्भपात हो जाता है।

दो से चार हफ्तों की गर्भ को गिराने के लिए, 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी के साथ उबालें पानी आधा रह जाने पर उसे छानकर उसका सेवन करें जब तक ब्लीडिंग शुरू ना हो तब तक दिन में दो से तीन बार इस पानी का सेवन करने से गर्भ गिर जाता है।

ग्रीन टी के अधिक सेवन से भी गर्भपात हो जाता है ।

अधिक मात्रा में दालचीनी तथा काली मिर्च का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।केले की पत्तियों और बबूल की फलियों को सुखाकर उनका चूर्ण बनाकर नियमित रूप से सेवन गर्भ गिराने का तरीका है।

कॉफी की तासीर गर्म होती है इसलिए अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।

तुलसी के पत्तों और उसके बीजों का काढ़ा बनाकर पीने से गर्भपात होता है।

तीन से चार चम्मच अजवायन को गुड़ के साथ मिलाकर दो गिलास पानी में उबालें और इस पानी को छानकर अजवायन के पानी का दिन में 2 बार सेवन गर्भ गिराने का तरीका है ।

उछल कूद और अधिक मात्रा में व्यायाम करने से भी गर्भपात हो जाता है।

गर्भपात सही है या गलत

खैर यहाँ सवाल यह नही है कि गर्भपात सही है या गलत। या फिर गर्भपात का कौन सा तरीका सही है? अजवाइन से गर्भपात प्राकृतिक गर्भपात की श्रेणी में आता है?
यहाँ हम बात प्राकृतिक तरीके से गर्भपात की कर रहे हैं। हर तरीके के गर्भपात की अपनी कुछ सीमाएं होती हैं।

अजवायन से गर्भपात केवल तभी हो सकता है जब ज्यादा दिन न चढ़े हो। दस बीस दिन ऊपर होने पर अगर अजवायन से गर्भपात करतें हैं तो गर्भपात की प्रतिशत दिन बढने के साथ कम होने लगती है। अगर एक महीने से ज्यादा हो जाता है तो अजवायन से गर्भपात नहीं हो पाता।

ऐसी महिलाएं जिन्‍हें अस्‍थमा, हाई ब्‍लड प्रेशर, मधुमेह, मिर्गी और किडनी की समस्या हो उन्हें अजवायन से गर्भपात से बचना चाहिए।

इससे पहले कि हम अजवायन से गर्भपात कैसे करें ये जाने आइए जानते हैं गर्भपात की प्रकिया को गर्भ ठहरने की स्थिति में गर्भाशय में भ्रूण बनना शुरू हो चुका होता है। भ्रूण के बनने से पहले ही भ्रूण के शरीर से निष्कासन की प्रक्रिया को गर्भपात कहते हैं। गर्भपात का विरोध भी इसीलिए होता है कि तर्क यही दिया जाता है कि किसी के जीवन को नष्ट करने का अधिकार किसी को भी नही है।

क्यों हम अपने बच्चे का जीवन स्वंय ही नष्ट कर रहे हैं?

हमारे देश में परिस्थितियों पर गर्भपात निर्भर करता है कि गर्भपात कानूनी है या गैरकानूनी। लेकिन पश्चिमी देशों में गर्भपात को कानूनी माना जाता है। लेकिन फिर भी कुछ देशों में काफी नियमों का पालन करना होता है। अब हम बात करते हैं अजवायन से गर्भपात कैसे करें।

गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये, कैसे होता है तुलसी के पत्तों से गर्भपात-Tulsi Se Garbhpat

अजवाइन से गर्भपात कैसे करे?-Ajwain Se Garbhpat kaise kare

अजवायन एक मसाला होता है जिसकी तासीर काफी गरम होती है। इसका यह गुण ही अजवायन से गर्भपात के लिए सहायक होता है। यह नुस्खा पर तभी काम करता है जब कुछ दिन ही ज्यादा हुए हो।

अजवाइन से गर्भपात के तरीके-Garbhpat Karne Ke Gharelu Upay

अजवायन और जीरे के साथ

रात को सोते समय अजवायन और जीरे को भुन कर गर्म पानी के साथ लेने पर गर्भपात हो जाता है। इस नूस्खे को तब तक आजमाते रहिये जब तक कि गर्भपात न हो जाये।

अजवायन की चाय से

एक चम्मच अजवायन को आधा चम्मच हल्दी पाउडर व आधा चम्मच सौंठ पाउडर डालकर दो कप पानी में डालकर उबाल ले। जब पानी एक कप रह जाये तो उसे गरम गरम पी ले। इस चाय को तब तक पीये जब तक कि महावारी शुरू न हो जाये।

जानिए: जानिए बिना किसी दवा के अनचाहा गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे

अजवायन के परांठे

आटे में अजवायन हींग व हल्दी मिलाकर उसके परांठे सुबह-सुबह नाश्ते में लेने से भी गर्भपात हो जाता है। यह नाश्ता तब तक करते रहिये जब तक कि गर्भपात न हो जाये।

अजवायन की फंकी लेने से

अजवायन को भून लें। साथ ही हींग व हल्दी को भी भुन लें। इन तीनों चीज़ो को एक साथ मिलाकर एक खाली डिब्बे में भर लें। तीनों समय खाना खाने के बाद इस फंकी को मुखवास की तरह लें। ऐसा करने से गर्भपात हो जाता है। जब तक गर्भपात नही होता तब तक इस फंकी का सेवन करते रहे।

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अजवायन से गर्भपात के अपने नुकसान भी हो सकते हैं। क्योंकि है तो यह बिना किसी विशेषज्ञ की देखरेख के बिना। आइये तो नजर डालते हैं अजवायन से गर्भपात की जटिलताओं पर

  • अजवायन से गर्भपात करने पर बहुत ज्यादा रक्त स्राव हो सकता है।
  • अजवायन से गर्भपात करने पर शरीर में बहुत कमज़ोरी हो सकती है।
  • अजवायन से गर्भपात करने पर शरीर में गर्मी हो सकती है।

जानिए: जानिये गर्भपात के बाद क्या करें-Abortion Ke Baad Care In Hindi

गर्भावस्था में अजवाइन के फायदे – Pregnancy Me Ajwain Ke Fayde

पाचन तंत्र को सुधारती है

गर्भावस्था में अजवाइन खाने के फायदे (Ajwain Khane Ke Fayde) में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह पाचन तंत्र को मजबूत करती है। इसमें मौजूद थाइमोल (Thymol) पेट में गैस, अपच और एसिडिटी को दूर करता है, जिससे गर्भवती महिलाओं को राहत मिलती है।

वजन नियंत्रण में सहायक | Ajwain Pani Peene Ke Fayde

गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना स्वाभाविक है, लेकिन अजवाइन का पानी पीने के फायदे (Ajwain Ke Pani Ke Fayde) इस दौरान भी लाभदायक हो सकते हैं। यह मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है। हालांकि, गर्भावस्था में किसी भी चीज़ का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।

जोड़ों और कमर दर्द से राहत | Ajwain Ke Gun

गर्भावस्था में अजवाइन का काढ़ा पीने के फायदे (Ajwain Ka Kadha Peene Ke Fayde) में से एक यह है कि यह गठिया (Arthritis) और जोड़ों के दर्द से राहत दिलाता है। अजवाइन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन को कम करते हैं और गर्भावस्था में होने वाले पीठ और कमर दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

ठंड और खांसी में राहत

गर्भावस्था में ठंड और खांसी से राहत पाने के लिए अजवाइन का उपयोग (Ajwain Ka Upyog) बहुत फायदेमंद हो सकता है। अजवाइन पानी पीने के फायदे (Ajwain Pani Peene Ke Fayde) में से एक यह है कि यह गले की खराश और बलगम को दूर करता है, जिससे सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है।

त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद

गर्भावस्था में हार्मोनल बदलावों के कारण त्वचा और बालों की समस्याएं बढ़ सकती हैं। अजवाइन के बीज (Ajwain Ke Beej) में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को चमकदार बनाते हैं और बालों की रूसी और झड़ने की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं।

नोट : गर्भावस्था के दौरान अजवाइन का सेवन सीमित मात्रा में करें और किसी भी नई चीज़ को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

गर्भावस्था में अजवाइन के नुकसान | Ajwain Ke Nuksan

तेज एसिडिटी और जलन

अजवाइन का अत्यधिक सेवन पेट में जलन और एसिडिटी बढ़ा सकता है, जो पहले से ही गर्भवती महिलाओं में आम समस्या होती है। यह पेट की परत को नुकसान पहुंचा सकता है और गैस्ट्रिक समस्याओं को बढ़ा सकता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसान

प्रेगनेंसी में अजवाइन खाना चाहिए या नहीं? (Pregnancy Me Ajwain Khana Chahiye?) यह एक महत्वपूर्ण सवाल है।अगर आप सोच रहे हैं कि pregnancy me ajwain kha sakte hai, तो इसका उत्तर इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कितनी मात्रा में और किस तरह से खा रहे हैं। अधिक मात्रा में अजवाइन खाने से गर्भ गिर सकता है (Ajwain Khane Se Garbh Gir Jata Hai Kya) इसलिए गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

ब्लड प्रेशर को प्रभावित कर सकता है

अजवाइन का अधिक सेवन रक्तचाप (Blood Pressure) को कम या बढ़ा सकता है, जिससे गर्भवती महिलाओं को चक्कर, कमजोरी या सिर दर्द की समस्या हो सकती है।

एलर्जी और त्वचा पर दुष्प्रभाव

कुछ महिलाओं को अजवाइन से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते या जलन हो सकती है। यदि अजवाइन खाने के बाद ऐसी कोई प्रतिक्रिया हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

अजवाइन खाने का सही तरीका | Ajwain Khane Ka Tarika

  1. खाली पेट अजवाइन पानी पिएं (Khali Pet Ajwain ka Pani Peene Ke Fayde) – 1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच अजवाइन डालकर पिएं।
  2. अजवाइन का काढ़ा बनाएं (Ajwain Ka Kadha Peene Ke Fayde) – इसमें हल्दी और शहद मिलाकर सेवन करें।
  3. अजवाइन को चबाकर खाएं (Ajwain Khane Ke Fayde) – पाचन तंत्र मजबूत होता है।
  4. अजवाइन का तेल (Ajwain Oil) – त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद।

निष्कर्ष
अजवाइन के फायदे और नुकसान (Ajwain Ke Fayde Aur Nuksan) को समझकर ही इसका सेवन करें। यह सेहत के लिए फायदेमंद है लेकिन ज्यादा मात्रा में खाने से नुकसान भी हो सकता है। अगर आप इसे वजन घटाने, पाचन सुधारने या रोगों से बचने के लिए ले रहे हैं, तो संतुलित मात्रा में इसका सेवन करें।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

सामान्य प्रश्न

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

 

जानिए घर पर कैसे करे नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट-Pregnancy Test With Salt In Hindi

नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट

नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट

विवाह के बाद दूसरा पड़ाव होता है मातृत्व सुख, ऐसे में हर महीने होने वाली माहवारी कुछ खास हो जाती है। थोड़ा सी देर हुई नही की मन मे कोपलें फूटने लगती है। थोड़ा बहुत हॉर्मोनल प्रॉब्लम हो तो माहवारी आगे पीछे होना सामान्य है। पर शादी के बाद ऐसे में महिला असमंजस में हो जाती है कि ये प्रेग्नेंसी का लक्षण है या हार्मोनल अनियमितता का। अब इस उधेड़बुन में वो डॉक्टर के पास जाने की जल्दबाजी नही कर सकती। कई घरों में महिलाएं बाहर जाकर टेस्ट किट लेने में भी झिझकती है ऐसे में वो क्या करें? तो ऐसे महिलाएं बहुत से घरेलू उपाय आजमा सकती है जिनसे वो अपनी प्रेग्नेंसी कन्फर्म कर सके। ऐसा ही एक तरीका है नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट, अगर आपकी माहवारी की डेट को निकले कम से कम एक से डेढ़ हफ्ता हो गया है तो आपको प्रेग्नेंसी टेस्ट जरूर करना चाहिए।

होता क्या है कि शारीरिक सम्बन्ध बनाने के बाद जब स्पर्म एग को fertilize करता है तो फीमेल में HCG हॉर्मोन बनने लगता है। लेकिन पेशाब में इस हॉरमोन की उपस्थिति का पता 7-14 दिन के बाद ही लगाया जा सकता है।

Pregnancy Ke Lakshan

इसलिए अगर आपके पीरियड्स मिस हो गए हो तो जल्दबाजी में कोई टेस्ट ना करे, थोड़ा धैर्य रखें। इन टेस्ट के अलावा भी आप कुछ शारीरिक और मानसिक बदलावों पर नजर रखे जैसे

  • स्तन में सूजन आना या स्तनों में अकड़न महसूस होना
  • बिना वजह थकान महसूस होना
  • स्पॉटिंग अर्थात खुल कर माहवारी होने के स्थान पर केवल कुछ धब्बे दिखाई देना
  • मसल्स और जॉइंट्स में ऐंठन महसूस होना
  • जी मिचलाना या उबकाई आना, कभी कभी उल्टी होना।
  • हर समय खाने की या कुछ विशेष खाने की इच्छा करना।
  • बार-बार कब्ज़ या सिरदर्द होना
  • मूड स्विंग्स
  • चक्कर आना
  • बॉडी टेम्परेचर बढ़ना
  • खाने से बदबू आना
    चक्कर आना
    चक्कर आना

हो सकता है ये लक्षण किसी शारीरिक रोग से सम्बंधित हो, फिर भी एक बार प्रेग्नेंसी टेस्ट जरूर करे। कई बार माहवारी समय पर ना होने के निम्न कारण हो सकते है।

  • घर या कार्यालय में तनाव
  • बहुत ज्यादा वजन बढ़ना या घटने से हार्मोन का असंतुलन होता है, जो आपके मासिक धर्म को प्रभावित करता हैं
  • कोई बीमारी, अनियमित भोजन करने की आदत,
  • कॉन्ट्रासेप्टिव तरीके अपनाना खासकर पिल्स
  • अत्यधिक काम करने से हार्मोन का संतुलन प्रभावित होता है और मासिक धर्म में देरी होती है।
  • लम्बी दूरी की यात्रा, एनवायर्नमेंटल चेंज, अनियमित नींद चक्र
  • कुछ महिलाएं प्रोलैक्टिनोमा से पीड़ित होती हैं, जिससे एस्ट्रोजेन कम हो जाता हैं और मासिक धर्म में देरी होती है।
  • पीसीओएस या थाइरोइड होना

नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट कब करें-Pregnancy Test Kab Karna Chahiye In Hindi

अगर आप ओव्यूलेशन के पांचवें दिन नमक से प्रेग्नेंसी टेस्ट करेंगे तो परिणाम ज्यादा प्रभावी होंगे। इसके लिए पहले से ही अपना ओव्यूलेशन डेट ट्रैक करने की जरूरत पड़ती है।

नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करे

  • नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए सबसे पहले एक खाली बर्तन ले। कोशिश करे कि बर्तन ऐसी धातु का हो जो यूरिन से रिएक्शन न करे।
  • सुबह सबसे पहले उठते ही इस बर्तन में अपना यूरिन सैम्पल ले, शुरुआती सैम्पल ही सटीक रिज़ल्ट देने में कारगर होता है।
  • अब इस बर्तन में यानी यूरिन सैम्पल में करीब तीन चौथाई चम्मच नमक मिलाएं।
  • एक या दो मिनट तक इंतजार करें और नमक का यूरीन के साथ रिएक्शन देखें।
  • प्रेग्नेंसी होने पर यूरीन में मौजूद एचसीजी हार्मोन नमक के साथ अभिक्रिया करके झाग बन जाता है।
  • प्रेग्नेंसी नहीं होने पर नमक यूरीन के साथ कोई अभिक्रिया नहीं करता है।

इस प्रकार आप नमक से अपनी प्रेग्नेंसी जाँच सकती है, ये 100 प्रतिशत सटीक रिजल्ट नही देती लेकिन कोई और उपाय ना होने पर उसे आजमाया जा सकता है।

क्योंकि सटीक रिजल्ट तो कई बार प्रेग्नेंसी टेस्ट किट भी नही देती, और इसलिए ही डॉक्टर के पास जाना और अल्ट्रासाउंड कराना ही एकमात्र उपाय है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

कोलगेट से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करते हैं?

बिना प्रेगनेंसी टेस्ट किट के कुछ घरेलू चीजों की मदद से भी प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा सकता है जैसे कोलगेट। कोलगेट के माध्यम से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए किसी बर्तन में सुबह का पहला पेशाब लें सुबह के पहले पेशाब प्रयोग करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इस पेशाब में एचसीजी हार्मोन की मात्रा सर्वाधिक होती है ।अब पेशाब में एक चम्मच कोलगेट मिलाएं । पेशाब में कोलगेट मिलाने के बाद यदि उसका रंग बदलकर नीला हो जाता है तो प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव है । इसके अलावा पेशाब और कोलगेट के मिश्रण में यदि झाग इकट्ठे हो रहे हैं तब भी प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव समझा जाएगा।इस मिश्रण में यदि किसी प्रकार का बदलाव ना दिखाई दे तो प्रेगनेंसी नहीं है ।

पेशाब में नमक डालने से क्या होता है?

आजकल घर बैठे तक प्रेगनेंसी टेस्ट करना बड़ा आसान हो गया है ,किट के अभाव में घरेलू चीज़ों की मदद से भी प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जा सकता है । इसके लिए यूरीन में नमक मिलाएं प्रेगनेंसी होने पर यूरीन में मौजूद एचसीजी हार्मोन नमक के साथ रिजेक्ट करके झाग बनाएगा और यदि प्रेगनेंसी नहीं है तो यूरिन में नमक मिलाने से कोई भी रीएक्शन नहीं होगा । इस प्रकार हम बिना टेस्ट किट की सहायता के नमक से भी प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं। नमक से प्रेग्नेंसी टेस्ट करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि सुबह के सबसे पहले यूरिन का प्रयोग ही टेस्ट के लिए किया जाए ।

साबुन से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करें?

साबुन से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए हमें इन चीजों की आवश्यकता होगी - एक छोटा टुकड़ा साबुन, सुबह का पहला यूरीन और एक प्लास्टिक का कप । इस टेस्ट को करने के लिए सबसे पहले साबुन के छोटे से टुकड़े को लेकर थोड़े से पानी में इस प्रकार घोलें कि झाग बन जाए अब उस घोल में यूरिन डालें ।साबुन के घोल की मात्रा से तीन गुना यूरीन मिलाएं । सुबह का पहला यूरिन इसलिए बेहतर होता है क्योंकि उसमें कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन का लेवल सबसे ज्‍यादा होता है। इसके बाद 5 से 10 मिनट तक इंतजार करें । यदि प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव है तो घोल में झाग आने लग जायेंगे और घोल का रंग हरे से बदलकर नीला हो जाएगा । प्रेगनेंसी टेस्ट नेगेटिव होने की स्थिति में 10 मिनट के बाद भी घोल के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होगा । किसी प्रकार के संशय की स्थिति में गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें ।

बिना किट के प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करें?

प्रेगनेंसी कंफर्म करने के लिए महिलाएं हमेशा प्रेगनेंसी टेस्ट किट का प्रयोग करती हैं परंतु प्रेगनेंसी टेस्ट उपलब्ध ना होने की स्थिति में निम्न घरेलू तरीकों से भी प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा सकता है - 1. कांच का ग्लास - कांच के गिलास में यूरिन डालें कुछ समय पश्चात इस पर यदि सफेद परत दिखाई दे तो आप गर्भवती हो सकती हैं । 2.विनेगर - किसी प्लास्टिक के कप में थोड़ी सी मात्रा में विनेगर लें उसमे सुबह का पहला यूरीन मिलाएं यदि घोल के रंग में कोई परिवर्तन दिखाई देता है तो प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव हो सकता है । 3. डेटॉल टेस्ट - डेटॉल से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए एक कांच के गिलास में बराबर मात्रा में यूरीन और डेटॉल मिक्स करें यदि डिटॉल यूरिन में घुल जाता है तो प्रेगनेंसी टेस्ट नेगेटिव है परंतु यदि यूरिन डेटॉल के ऊपर परत के रूप में दिखाई देता है तो प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव हो सकता है । 4. ब्लीच - कांच या प्लास्टिक के बर्तन में थोड़ी ब्लीच लें उसमे यूरिन मिलाएं यदि इस घोल में झाग दिखाई दें तो यह प्रेग्नेंट होने का संकेत है । इन सभी चीजों से प्रेगनेंसी टेस्ट करते समय सुबह के पहले यूरिन का ही प्रयोग करें । घरेलू चीजों से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के बाद असमंजस की स्थिति हो तो डॉक्टर से मिलें ।

क्या है नवजात शिशु की मालिश के लिए सर्वोत्तम तेल- डाबर लाल तेल के फायदे

डाबर लाल तेल के फायदे

न जाने कितने वर्षों से भारत मे बच्चो और नवजात शिशु की मालिश का जिक्र आने पर केवल एक तेल याद आता है। वो है डाबर लाल तेल। डाबर भारत का एक जाना माना ब्रांड, जिसे किसी पहचान की जरूरत नही। उसी ब्रांड का ये प्रोडक्ट है डाबर लाल तेल, जिसके बारे हर नई मां जानती जरूर है। चाहे वो इसका इस्तेमाल करे या न करें।

नवजात शिशुओं के लिए बना ये तेल नवजात शिशुओं के बोन्स, जॉइंट्स और मसल्स को मजबूत बनाकर तेजी से विकास करता है। डाबर लाल तेल पूर्णरूप से आयुर्वेदिक चीज़ों से बना होता है, नवजात शिशुओं के लिए ये पूर्णतः सुरक्षित है। जब बच्चा बैठना या चलना शुरू करता है तब इस तेल से बच्चे की मालिश करनी चाहिए।

नवजात शिशु की मालिश करने के बहुत ही फायदे होते है जैसे:

  • बोन्स और मसल्स स्ट्रांग बनते है।
  • हैप्पी हार्मोन ऑक्सिटोसिन रिलीज होता है, जिससे माँ और बच्चे के मध्य बॉंडिंग मजबूत होती है।
  • ब्लड सर्कुलेशन इम्प्रूव होता है। खुल कर भूख लगती है
  • मानसिक विकास होता है।
  • शिशु को साउंड स्लीप आती हैं।
  • त्वचा चमकदार और मुलायम होती है।
  • डाउन सिंड्रोम और सेरेब्रल पाल्सी जैसे रोगों में मालिश काफी प्रभावी होती है

डाबर लाल तेल के फायदे

क्यों ये तेल वर्षो से इतना प्रचलित है? क्योंकि इस तेल में अनगिनत फायदे छुपे है। आज हम आपको डाबर लाल तेल के फायदों से अवगत कराएंगे। डाबर लाल तेल की 200 ml की बोतल की कीमत सामान्य बाजार में 134रुपए है। डाबर लाल तेल में शंखपुष्पी, रतनजोत, उड़द, सीसम तेल, कपूर जैसे आयुर्वेदिक तत्व है।

आइए अब जानते है डाबर लाल के फायदों के बारे में

संक्रमण से बचाए

डाबर लाल तेल शिशु की त्वचा को किसी भी प्रकर के संक्रमण से बचाता है। डाबर लाल तेल में शंखपुष्पी और कपूर के एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते है। यही गुण छोटे बच्चे की त्वचा का किसी भी बाहरी संक्रमण से बचाव करते है।

हड्डियों को मजबूत बनाये

डाबर लाल तेल में मौजूद उड़द बच्चो के मसल्स और हड्डियों को मजबूत बनाता है। ग्रोथ फेज में बच्चे की मालिश बहुत ही जरूरी है।
खासकर तब, जब शिशु गर्दन टिकाने की, बैठने की या चलने की कोशिश कर रहा हो।

डाबर लाल तेल की मालिश से बच्चा जल्द से जल्द अपने सपोर्ट पर आने की कोशिश करता है। इसके लिए जरूरी है कि रेगुलर इंटरवल पर बच्चे की मालिश की जाए।

त्वचा को मुलायम बनाए

बहुत से तेल से जब नवजात शिशु की मालिश करते है तो बच्चे को थोड़ा चिपचिपा पन लगता है। साथ ही त्वचा खुरदुरी भी महसूस होने लगती है।

डाबर लाल तेल में सीसम आयल होने के कारण ये बहुत ही आसानी से अब्सॉर्ब हो जाता है। इससे न केवल त्वचा मुलायम होती है बल्कि बाहरी संक्रमण से भी त्वचा की रक्षा होती है।

त्वचा को मुलायम बनाए
त्वचा को मुलायम बनाए

हैप्पी हॉरमोन

डाबर लाल तेल से मालिश होने के कारण शिशु में हैप्पी हॉरमोन रिलीज होते है। शिशु खुशनुमा रहता है। अच्छे से खेलता है और भरपूर नींद लेता है। डाबर लाल तेल से मालिश करने पर बच्चे को गहरी नींद आती है, जिससे वो चिड़चिड़ा नही होता। साथ ही शिशु और माँ के बीच बेहतरीन बॉन्डिंग बनती है।

खून का दौरा तेज करें

डाबर लाल तेल में मौजूद कपूर शिशु का ब्लड सर्कुलेशन इम्प्रूव करता है। खून का दौरा तेज होने से ऑक्सीजन पूरे शरीर मे अच्छे से प्रवाहित होता है।

शिशु को भूख खुलकर लगती है और ऑक्सीजन भोजन और दूध से मिलने वाले सभी पोषक तत्वों को शरीर के हर हिस्से तक पहुचाती है।
बच्चे का विकास तेजी से होता है और बच्चा हेल्थी होता है।

मालिश कैसे करें

  • बच्चे की दिन में कम से कम दो बार मालिश करें।
  • गर्मियों में कम तेल का प्रयोग करें, दिन में केवल एक बार मालिश करें।
  • डाबर लाल तेल को गर्म करके न लगाए।
  • शिशु के बालों पर डाबर लाल तेल इस्तेमाल न करे।
  • डाबर लाल तेल को शिशु की आंखों में न जाने दे।

गर्भपात से जुड़े कुछ सामान्य सवाल और जरूरी जानकारी (भाग-1)

गर्भपात

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाइन से गर्भपात कैसे करे

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें। कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है।

6 महीने का गर्भ कैसे गिराए?

यदि आप अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं तो इसके लिए शुरुआती 5से 6 हफ्ते का समय सबसे उचित रहता है इसके बाद जैसे-जैसे वक्त बढ़ता जाता है जटिलताएं बढ़ने लगती है । 6 महीने का गर्भ काफी बड़ा होता है इसलिए इसे गिराने के लिए किसी प्रकार के घरेलू उपाय ना अपनाएं यह गर्भवती के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है । 6 महीने के गर्भ को गिराने के लिए डॉक्टर की मदद से ही हॉस्पिटल में गर्भपात करवाएं ।

गर्भपात के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए?

यदि आपने गर्भपात के लिए अबॉर्शन किट का प्रयोग किया है किया है तो ब्लीडिंग बंद होने के तीन से चार हफ्ते बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए या सटीक परिणाम देता है परंतु अगर आप जल्दी परिणाम जानने की इच्छुक हैं तो आपको गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करके अल्ट्रासाउंड या ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए। इसके अलावा यदि आप गर्भपात के बाद गर्भधारण हेतु प्रयास कर रही हैं तो पीरियड मिस होने के हफ्ते भर बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना सही परिणाम देता है ।

बार बार गर्भपात करने से क्या होता है?

अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए कई जोड़े बार बार गर्भपात का सहारा लेते हैं। बार बार गर्भपात कराने से गर्भाशय ग्रीवा कमजोर हो जाती है किसी कारण अगली बार गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा महिला के शरीर में खून की कमी, इन्फेक्शन ,रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएं, एम्बोलिज़्म, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक आदि कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए बार बार गर्भपात कराने के स्थान पर परिवार नियोजन के तरीके अपनाकर गर्भधारण को रोकना ही ज्यादा कारगर उपाय है।

गर्भपात से जुड़े कुछ सामान्य सवाल और जरूरी जानकारी (भाग-2)

गर्भपात से जुड़ी जानकारी

कई बार इंटरकोर्स के बाद अनचाहे गर्भ का खतरा बढ़ जाता है। कुछ सावधानियों के साथ नियमित अंतराल में गर्भपात भी किया जा सकता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ तरीकों और उनसे जुड़े कुछ आवश्यक सवाल के बारे में बताने जा रहे हैं।

बता दें कि प्रेग्नेंसी के 3 महीने बाद तक अबॉर्शन किया जा सकता है। इसके बाद गर्भपात महिला की जान के लिए खतरा बन सकता है। इसके अलावा 18 साल से कम और 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं का गर्भपात बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

गर्भ गिराने के लिए पपीता कैसे खाएं?

गर्भ गिराने के लिए पपीते का सेवन एक कारगर नुस्खा है। गर्भ गिराने के लिए कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए । कच्चे पपीते में लेटेक्स नामक पदार्थ की अधिकता होती है जो गर्भाशय को संकुचित करता है जिसके कारण गर्भपात हो जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन गर्भनिरोधक के रूप में किया जाता है ।

प्रेगनेंसी नहीं चाहिए तो क्या करना चाहिए?

वैसे तो मातृत्व सुखद एहसास है लेकिन अनचाहा गर्भ कोई नहीं चाहता । आइए जानते हैं प्रेगनेंसी रोकने के घरेलू नुस्खे यदि आप प्रेगनेंसी नहीं चाहती हैं तो असुरक्षित संभोग के बाद शलजम का सेवन करें गर्भधारण को रोकता है । इसके अलावा पपीते के बीज,आंवला,अदरक आदि के सेवन से भी अनचाहा गर्भ रोका जा सकता है। अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए नीम का तेल के कारगर उपाय है इसे वेजाइना में क्रीम के रूप में लगाकर अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है । सेक्स के बाद अजमोद के पानी का कुछ समय तक सेवन करने से भी गर्भ नही ठहरता। इन सभी घरेलू नुस्खे उनके अलावा कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां, कॉपर टी आदि कई सारे विकल्प बाजार में मौजूद हैं जिनके माध्यम से अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है ।

गर्भपात के लिए काढ़ा कैसे बनाएं?

गर्भपात के लिए कई सारे घरेलू नुस्खे उपलब्ध है परंतु उनमें से तुलसी का काढ़ा सबसे कारगर उपाय है। आइए जानते हैं गर्भपात हेतु तुलसी का काढ़ा कैसे बनाएं सामग्री दो कप पानी एक टुकड़ा अदरक 4 से 5 लौंग काली मिर्च पांच से छह पांच से छह तुलसी पत्ती दो चम्मच शहद दालचीनी 1 इंच विधि सबसे पहले एक पतीले में दो कप पानी डालकर गर्म करने के लिए रखें । अदरक , लौंग ,काली मिर्च ,तुलसी की पत्तियों और दालचीनी का पेस्ट बनाएं ।अब इस फेस को पानी में डालकर 15 से 20 मिनट तक उबालें। थोड़ा ठंडा होने दें और कप में छान कर दो चम्मच शहद मिलाएं और सेवन करें । इस काढ़े का सेवन दिन में दो बार करें ।

क्या खाने से मिसकैरेज होता है?

गर्भावस्था के दौरान कुछ ऐसी चीजें होती है जिनका सेवन करने से गर्भपात हो सकता है । आइए जानते हैं, वो चीजें कौनसी हैं - *कच्चा पपीता - कच्चे पपीते में लेटेस्ट नामक पदार्थ पाया जाता है जो गर्भपात का कारण हो सकता है । *कच्चा अंडा - कच्चे अंडे से सेलमोनेन संकर्मण का खतरा होता है जिससे गर्भपात हो सकता है । इसके अलावा कैफीन ,अल्कोहल ,अधपका या प्रोसेस्ड मीट,एलोवेरा, अन्नानास,सहजन, तिल जैसे गर्म प्रकृति की चीजों के सेवन से गर्भपात होता है ।

बच्चा कैसे गिराना चाहिए?

गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में बच्चा गिराने के तरीके - गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में बच्चा गिराने के लिए घरेलू नुस्खा का प्रयोग किया जा सकता है। घरेलू नुस्खे पपीते का सेवन, तुलसी के काढ़े का सेवन आदि कुछ कारगर उपाय हैं । 2 से 4 महीने की गर्भावस्था में बच्चा गिराने के तरीके - गर्भावस्था के समय अवधि यदि 2 महीने से अधिक हो गई हो तो इसके लिए घरेलू नुस्खा के स्थान पर अनुभवी डॉक्टर से सलाह लेकर गर्भपात की गोलियां, डी एन सी अथवा डॉक्टर द्वारा सुझाए गए अन्य तरीकों का प्रयोग कर बच्चा गिरवाना चाहिए । 6 महीने की गर्भावस्था में बच्चा गिराने के तरीके -6 महीने की गर्भावस्था तक भ्रूण का विकास काफी अधिक हो चुका होता है अतः इस अवस्था में बच्चा गिराने की किसी अनुभवी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और यदि बहुत जरूरी हो तभी बच्चा गिराने के बारे में सोचना चाहिए ।

क्या पपीता खाने से गर्भ गिर जाता है?

गर्भावस्था के दौरान पपीता खाने को लेकर कई सारे तर्क दिए जाते हैं। ये सही है की गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में कच्चे पपीते का सेवन गर्भपात का खतरा पैदा करता है । कच्चे पपीते में लेटेस्ट नाम का पदार्थ पाया जाता है जिसे कारण गर्भाशय सिकुड़ जाता है जिससे गर्भपात हो सकता है । गर्भावस्था के दौरान पापा पपीता खाया जा सकता है परंतु उसकी मात्रा बहुत ही सीमित होनी चाहिए ।

पेट में बच्चा कैसे खराब होता है?

पेट में बच्चा खराब होने के तीन प्रमुख कारण माने गए हैं 1. प्लेसेंटा अथवा गर्भनाल शिशु को पोषक तत्व, और ऑक्सीजन मिलती है यदि गर्भनाल में किसी प्रकार की समस्या होती है तो शिशु का विकास रुक जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा कभी-कभी गर्भनाल भशिशु की गर्दन की चारों ओर लपेट जाती है जिसके कारण भी शिशु की मौत हो जाती है । 2. यदि गर्भवती महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, किडनी की समस्या अथवा हाई ब्लड प्रेशर, थायराइड , डायबिटीज से ग्रसित है तब भी कभी-कभी बच्चा पेट में मर जाता है । 3. इन सबके अलावा अधिक मात्रा में धूम्रपान करने , अल्कोहल का सेवन करने या डिप्रेशन के कारण भी गर्भ में बच्चे की मौत हो जाती है ।

10 दिन का गर्भ कैसे गिराया जाता है?

10 दिन के गर्भ हो गिराना आसान होता है । 10 दिन के गर्भ को गिराने के घरेलू नुस्खा प्रयोगी सर्वोत्तम होता है। इसके लिए कच्चे पपीते का सेवन किया जा सकता है इसके अलावा तुलसी के काढ़े से भी से भी गर्भपात हो जाता है। अधिक मात्रा में शारीरिक श्रम करने से, उछल कूद करने से तथा गर्म प्रकृति की चीजों जैसे तिल, अजवाइन आदि का सेवन करने से भी 10 दिनों के गर्भ को गिराया जा सकता है ।

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा पपीता, कच्चा अंडा से गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा कैफीन ,अल्कोहल ,अधपका या प्रोसेस्ड मीट,एलोवेरा, अन्नानास,सहजन, तिल जैसे गर्म प्रकृति की चीजों के सेवन से गर्भपात होता है ।

गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें घरेलू उपाय हिंदी?

यदि आप प्रेगनेंसी नहीं चाहती हैं तो असुरक्षित संभोग के बाद शलजम का सेवन करें गर्भधारण को रोकता है । इसके अलावा पपीते के बीज,आंवला,अदरक आदि के सेवन से भी अनचाहा गर्भ रोका जा सकता है। सेक्स के बाद अजमोद के पानी का कुछ समय तक सेवन करने से भी गर्भ नही ठहरता।

क्या चीज खाने से गर्भपात हो जाता है?

*कच्चा पपीता - कच्चे पपीते में लेटेस्ट नामक पदार्थ पाया जाता है जो गर्भपात का कारण हो सकता है । *कच्चा अंडा - कच्चे अंडे से सेलमोनेन संकर्मण का खतरा होता है जिससे गर्भपात हो सकता है । इसके अलावा कैफीन ,अल्कोहल ,अधपका या प्रोसेस्ड मीट, एलोवेरा, अन्नानास, सहजन, तिल जैसे गर्म प्रकृति की चीजों के सेवन से गर्भपात होता है ।

प्रेगनेंसी में गाजर के बीज खाने से क्या होता है?

प्राचीन काल से गाजर के बीजों का सेवन गर्भनिरोधक के रूप में किया जा रहा है । गाजर के बीजों की प्रकृति गरम होती है इसलिए गर्भावस्था के दौरान इनका सेवन करने से गर्भपात होने की संभावना हो सकती है । गाजर के बीजों के स्थान पर गाजर का सेवन गर्भावस्था के दौरान लाभदायक होता है।

 

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है-papita khane se period aata hai

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

मातृव एक बहुत ही खूबसूरत एहसास होता है अपने अंदर प्रतिपल नवजीवन को बढ़ते महसूस करना किसी भी भावी माँ के किये बेहद अनूठा होता है।ज़ाहिर है ऐसे में उसे स्वयं के एवं भावी बच्चे के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिये एक संतुलित और स्वास्थ्य वर्द्धक ख़ुराक़ की दरकार होती है। होने वाली माँ को जहाँ बहुत सारे फल और सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है,वहीँ कुछ फल विशेष हैं जिनके उपयोग के लिये सख्ती से मना किया जाता है।

ताकि भावी शिशु और उसकी माता के स्वास्थ्य पर कोई भी विपरीत प्रभाव न पड़े। कोई भी माँ अपने बच्चे में किसी भी प्रकार का शारिरिक या मानसिक दोष नहीँ सहन कर सकती । हँसता मुस्कुराता स्वस्थ सुन्दर बच्चा हर माता पिता का सपना होता है और गर्भकाल में जहाँ होने वाली माँ को अच्छी सेहत के लिये आम ,नारियल,सन्तरा, केला आदि फ़लों के सेवन की सलाह दी जाती है।

वहीँ पपीते से दूरी बनाने के निर्देश भी मिलते हैं। अक्सर मन में सवाल उठते हैं कि आखिर है तो यह भी फल ही फिर इस में ऐसा क्या है जो इस समय इसे खाने को मना किया जाता है।

कई घरों में इसे इतना पसन्द किया जाता है कि यह उनके दैनिक आहार में शामिल होता है । परन्तु गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं के लिये पपीते का प्रयोग अक्सर नुकसानदेह साबित होता है। आइये जानते है कि आखिकार पपीते का प्रयोग इस समय क्यो वर्जित होता है।

और पढ़ें: गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये, कैसे होता है तुलसी के पत्तों से गर्भपात-Tulsi Se Garbhpat

परिचय

प्रकृति के खजाने में हमारे उत्तम स्वास्थ्य के लिये बहुत सारे उपहार है फल और सब्जियों के रूप में उन्ही में से एक फल है “पपीता”। सभी वनस्पतियों  के पञ्चाङ्ग की तरह (जड़,तना, छाल, फूल,फल और पत्तीयों) पपीते की भी अपनी बहुत सी विशेषताएँ  है।

नाम

केरिका पापाया,यह सर्व सुलभ फल है और इसे बेहद आसानी से हमारे आसपास के बाजार में देखा जा सकता है।

पपीता
पपीता

पपीते में पाये जाने वाले गुण

यह एक नर्म फल है, जिसे काटने पर अंदर काले रँग के बीज प्राप्त होते हैं। कच्ची अवस्था मे यह हरा होता है,और पकने पर पीले रङ्ग का हो जाता है।

इसे कच्चे एवं पके हुए दोनों रूपों में खाया जा सकता है ,डायट पर रहने वाले लोगों का तो यह बेहद प्रिय फल है,यह रेशों (फाइबर) का भण्डार है,इसमें  विटामिन ए, कैल्शियम , तथा पेपेन पाया जाता है।

यह कोलेस्ट्रॉल तथा वजन को नियंत्रित रखने में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है ,इसलिए यह हर आयुवर्ग के लिये लाभप्रद है सिवाय गर्भवती स्त्रियों और दूध पीने वाले बच्चों के।

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का अजवाइन से गर्भपात कैसे करे? Garbhpat Karne Ke Gharelu Upay

प्रेगनेंसी में पपीता क्यों नहीं खाना चाहिए

कच्चा पपीता-पपीता कच्ची अवस्था मे गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। कच्चे पपीते को एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक कहा गया है,इसकी तासीर काफी गर्म होती है।

कारण यह है कि इसमें लेटेक्स नाम का पदार्थ पाया जाता है जो गर्भाशय के संकुचन के लिये जिम्मेदार तत्व भी होता है,लेटेक्स गर्भवती के शरीर मे एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन का स्राव को उत्तेजित करता है ,इसकी उपस्थिति पेट में मरोड़ उत्पन्न करती है। यही मरोड़ वजह बनती है असमय गर्भपात की।

एस्ट्रोजन ही वह तत्व है जो किसी महिला के शरीर में माहवारी को नियमित करता है। यदि गर्भवती इसका सेवन कर ले तो यह गर्भ के लिये बिल्कुल भी सुरक्षित नहीँ होता और गर्भपात का कारण बन जाता है।

इसकी वजह है पपीते में विटामिन सी और पपाइन का पाया जाना अक्सर कच्चे पपीते का प्रयोग माँस या कड़े प्रोटीन वाले भोज्य पदार्थ को मुलायम करने के लिये उसे उबलने के समय किया जाता है।

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बढ़ सकता है लेबर पेन

कभी कभी तो होने वाले शिशु में विकलांगता तक देखी गयी है। यह गर्भ को नुकसान दायक सिद्ध होते हैं,यहाँ तक कि यदि गर्भ की अंतिम तिमाही में भी यह लेबर पेन को बढ़ा सकता है। क्योंकि लेटेक्स लेबर पेन को बढ़ाने का काम करता है ,जो भावी माता और बच्चे दोनों के लिये ठीक नहीं होता ।

हाँ अगर महिला अगर गर्भवती नही है और उसे यदि पीरियड्स को रेगुलर करना हो तो उसके लिये कच्चे पपीते को पानी में उबाल कर 2 से 3 इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पीरियड्स के दौरान रक्तस्राव को नियमित करता है।

पका पपीता-कच्चे पपीते की तुलना में पका पपीता थोड़ा कम हानिकारक साबित होता है। क्योंकि इसे पेड़ से तोड़े हुए थोड़ा समय ज़रूर हो जाता है।

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चिकित्सक का परामर्श लेकर करे सेवन

परन्तु इसके गुणों में कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता यदि कोई पपीते को खाना ही चाहता है तो उसे पूरी तरह से पके हुए फल का ही सेवन करना चाहिये।

बहुत ज़्यादा इच्छा हो तो बहुत ही थोड़ी मात्रा में सेवन कर सकता है वह भी चिकित्सक का परामर्श लेकर।

पपीते में मौजूद ये एन्ज़ाइम बहुत छोटे बच्चों के लिये भी उपयुक्त नही होते ,इसलिए दूध पिलाने वाली माताओं और छोटे बच्चों को चिकित्सक इसको ज़्यादा खाने के लिए भी इसका प्रयोग मना करते हैं

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पपीता के बीज से गर्भपात

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

अक्सर लोग पपीता का इस्तेमाल करने के बाद इसके बीजों को कूड़ेदान में डाल देते हैं ,परन्तु इसके भी अपने बहुत सारे गुण हैं जिनका हमें ज्ञान ही नहीं होता।

पपीते के बीज भी अपने मे बहुत से औषधीय गुण रखते हैं भली प्रकार पके हुए पपीते के बीजों को सुखाकर इनका इस्तेमाल बहुत सी बीमारियों के लाभ के लिये किया जाता है।

कैसे करे प्रयोग

  • पपीता के बीज से गर्भपात का उपयोग प्राकृतिक गर्भनिरोधक के तौर पर भी किया जाता है। यह आकार में काली मिर्च के समान ,स्वाद में कड़वे और लिसलिसे होते हैं।
  • इन्हीं बीजों को अच्छी तरह धोने के बाद इनको सुखाकर व पीसकर स्टोर किया जाता है। यदि कोई महिला गर्भधारण नही करना चाहती उसे इन पिसे हुए बीजों को पानी के साथ दो चम्मच ग्रहण करना चाहिये।
  • लेकिन अगर गर्भवती हो तो बिना चिकित्सक की सलाह लिये कोई भी क़दम नहीँ उठाना चहिये । यह होने वाली माता के साथ भावी शिशु के भी भविष्य का प्रश्न जो होता है।

पपीता खाने के कितने दिन बाद पीरियड आता है

कुछ डॉक्टरों का मानना ​​है कि पपीता वास्तव में गर्भवती महिलाओं के लिए एक लाभकारी फल है। पपीता चाहे कच्चा हो या पका, मासिक धर्म चक्र में कोई बदलाव नहीं करता है। यह एक मिथक है कि आप अपने मासिक धर्म की तारीख को आगे-पीछे कर सकती हैं। हालांकि, कच्चे पपीते में पाया जाने वाला पपैन नामक प्रोटीयोलाइटिक एंजाइम गर्भाशय के संकुचन और पाचन समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए हम गर्भवती महिलाओं को कच्चे पपीते का सेवन बिल्कुल नहीं करने की सलाह देते हैं। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान पका पपीता फायदेमंद हो सकता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।

बार बार गर्भपात करने से क्या होता है?

अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए कई जोड़े बार बार गर्भपात का सहारा लेते हैं। बार बार गर्भपात कराने से गर्भाशय ग्रीवा कमजोर हो जाती है किसी कारण अगली बार गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा महिला के शरीर में खून की कमी, इन्फेक्शन ,रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएं, एम्बोलिज़्म, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक आदि कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए बार बार गर्भपात कराने के स्थान पर परिवार नियोजन के तरीके अपनाकर गर्भधारण को रोकना ही ज्यादा कारगर उपाय है ।

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