गर्भावस्था के दौरान किसी न किसी समय गर्भवती महिला अपने पेट में ऐंठन, हल्का दर्द और वेदना महसूस करती है। गर्भावस्था मे पेट दर्द होना सामान्य है क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु के बढने के कारण आपकी मांसपेशियों और जोड़ों पर अत्यधिक दबाव पड़ सकता है, जिस कारण आपको पेट में बेचैनी महसूस हो सकती है। अगर आपके पेट या उसके आसपास के क्षेत्र में दर्द बना रहता है या अधिक तीव्र है, तो यह गर्भावस्था से संबंधित एक गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है।
पहली तिमाही में होने वाला पेट दर्द
पहली तिमाही के दौरान, आप अपने पेट में ऐंठन से होने वाला दर्द महसूस कर सकती हैं, जो आपके बच्चे में होने वाले सामान्य विकास परिवर्तनों के कारण होता है। ऐंठन का मतलब है कि आपको आपके पेट में दोनों तरफ से एक खिचाव महसूस होता है। गर्भाशय का आकार बढ़ने पर ऐंठन महसूस होती है। गर्भावस्था में ऐंठन को सामान्य माना जाता है
गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में राउंड लिगामेंट में दर्द काफ़ी सामान्य है, जो 2 बड़े लिगामेंट के कारण होता है जो गर्भाशय को ऊसन्धि से जोड़ता है। राउंड लिगामेंट की मांसपेशी गर्भाशय को सहारा देती है और जब इसपर तनाव आता है, तब पेट के निचले हिस्से में आप एक तीव्र दर्द, या हल्का–सा दर्द महसूस करते हैं। गर्भावस्था के दौरान राउंड लिगामेंट में दर्द को सामान्य माना जाता है और इससे कोई बड़ी समस्या उत्पन्न नहीं होती है।
तीसरी तिमाही मे होने वाला पेट दर्द
तीसरी तिमाही के दौरान गर्भवती महिलाओं को पेट, पीठ और कूल्हों सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द महसूस होता है। बच्चे के जन्म की तैयारी के लिए शरीर के संयोजी ऊतक शिथिल हो जाते हैं जिस कारण जन्म–नली का लचीलापन भी बढ़ता है। ऐसे में ज़्यादातर गर्भवती महिलाएं अपने कूल्हों या पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव करती हैं , जो संयोजी ऊतकों के शिथिलता और खिचाव का कारण होता है। लेकिन अगर गर्भावस्था मे पेट दर्द असहनीय हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चहिए।
पूरे गर्भावस्था के दौरान एक महिला इस तरह का भी पेट दर्द महसूस कर सकती है जैसे
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
गर्भावस्था मे पेट दर्द-पसलियों के निचले हिस्से और नाभि के बीच में होने वाला दर्द हो सकता है।
पेट के ऊपरी हिस्से के बाईं ओर दर्द
यह पसलियों के निचले हिस्से और नाभि के बीच में होने वाला दर्द होता है, जैसे प्लीहा, पैनक्रियाज का अंतिम भाग, बाईं ओर की निचली पसलियां, बाएं गुर्दे, बड़ी आंत व पेट का एक हिस्सा आदि।
गर्भावस्था मे पेट दर्द
पेट के ऊपरी हिस्से के दाईं ओर दर्द
यह दाएं निप्पल से नाभि तक होने वाला दर्द होता है। इसकी ओर लिवर, फेफडे़ का निचला भाग, किडनी जैसे अंग होते हैं, इस वजह से कभी-कभी यह दर्द हो सकता है।
पेट के निचले हिस्से में दर्द
यह नाभि से नीचे की ओर होने वाला दर्द है। यह दर्द किसी चिकित्सीय समस्या के चलते हो सकता है।
पेट के निचले हिस्से के बाईं ओर दर्द
यह निचले दाईं ओर के दर्द से ज्यादा आम है। इसका कारण किडनी का निचला हिस्सा, गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब व मूत्राशय की बनावट हो सकती हैं।
यह पेट के निचले दाएं भाग में होना वाला दर्द हो सकता है। यह दर्द हल्का भी हो सकता है और तेज़ भी। यह दर्द कभी-कभी बाईं ओर या पीछे की ओर भी फैल सकता है।
ध्यान देने योग्य बाते
आपका दर्द सामान्य है या गंभीर, यह पता लगाने के लिए डॉक्टर जानना चाहेंगी कि वास्तव में दर्द कैसा महसूस हो रहा है। इसलिए निम्न बातों का ध्यान दे
दर्द कब शुरु हुआ?
दर्द कितनी देर तक रहा और कितना प्रबल था?
क्या यह तीक्ष्ण दर्द था या फिर हल्का दर्द था?
क्या आपके हिलने-डुलने पर दर्द आ-जा रहा था या फिर लगातार बना हुआ था? काफी देर आराम करने के बाद भी यदि दर्द ठीक न हो या फिर आपको निम्न लक्षणों के साथ संकुचन भी हों, तो देर न करें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
विवाह के बाद दूसरा पड़ाव होता है मातृत्व सुख, ऐसे में हर महीने होने वाली माहवारी कुछ खास हो जाती है। थोड़ा सी देर हुई नही की मन मे कोपलें फूटने लगती है। थोड़ा बहुत हॉर्मोनल प्रॉब्लम हो तो माहवारी आगे पीछे होना सामान्य है। पर शादी के बाद ऐसे में महिला असमंजस में हो जाती है कि ये प्रेग्नेंसी का लक्षण है या हार्मोनल अनियमितता का। अब इस उधेड़बुन में वो डॉक्टर के पास जाने की जल्दबाजी नही कर सकती। कई घरों में महिलाएं बाहर जाकर टेस्ट किट लेने में भी झिझकती है ऐसे में वो क्या करें? तो ऐसे महिलाएं बहुत से घरेलू उपाय आजमा सकती है जिनसे वो अपनी प्रेग्नेंसी कन्फर्म कर सके। ऐसा ही एक तरीका है नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट, अगर आपकी माहवारी की डेट को निकले कम से कम एक से डेढ़ हफ्ता हो गया है तो आपको प्रेग्नेंसी टेस्ट जरूर करना चाहिए।
होता क्या है कि शारीरिक सम्बन्ध बनाने के बाद जब स्पर्म एग को fertilize करता है तो फीमेल में HCG हॉर्मोन बनने लगता है। लेकिन पेशाब में इस हॉरमोन की उपस्थिति का पता 7-14 दिन के बाद ही लगाया जा सकता है।
Pregnancy Ke Lakshan
इसलिए अगर आपके पीरियड्स मिस हो गए हो तो जल्दबाजी में कोई टेस्ट ना करे, थोड़ा धैर्य रखें। इन टेस्ट के अलावा भी आप कुछ शारीरिक और मानसिक बदलावों पर नजर रखे जैसे
नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट कब करें-Pregnancy Test Kab Karna Chahiye In Hindi
अगर आप ओव्यूलेशन के पांचवें दिन नमक से प्रेग्नेंसी टेस्ट करेंगे तो परिणाम ज्यादा प्रभावी होंगे। इसके लिए पहले से ही अपना ओव्यूलेशन डेट ट्रैक करने की जरूरत पड़ती है।
नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करे
नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए सबसे पहले एक खाली बर्तन ले। कोशिश करे कि बर्तन ऐसी धातु का हो जो यूरिन से रिएक्शन न करे।
सुबह सबसे पहले उठते ही इस बर्तन में अपना यूरिन सैम्पल ले, शुरुआती सैम्पल ही सटीक रिज़ल्ट देने में कारगर होता है।
अब इस बर्तन में यानी यूरिन सैम्पल में करीब तीन चौथाई चम्मच नमक मिलाएं।
एक या दो मिनट तक इंतजार करें और नमक का यूरीन के साथ रिएक्शन देखें।
प्रेग्नेंसी होने पर यूरीन में मौजूद एचसीजी हार्मोन नमक के साथ अभिक्रिया करके झाग बन जाता है।
प्रेग्नेंसी नहीं होने पर नमक यूरीन के साथ कोई अभिक्रिया नहीं करता है।
इस प्रकार आप नमक से अपनी प्रेग्नेंसी जाँच सकती है, ये 100 प्रतिशत सटीक रिजल्ट नही देती लेकिन कोई और उपाय ना होने पर उसे आजमाया जा सकता है।
क्योंकि सटीक रिजल्ट तो कई बार प्रेग्नेंसी टेस्ट किट भी नही देती, और इसलिए ही डॉक्टर के पास जाना और अल्ट्रासाउंड कराना ही एकमात्र उपाय है।
Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न
कोलगेट से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करते हैं?
बिना प्रेगनेंसी टेस्ट किट के कुछ घरेलू चीजों की मदद से भी प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा सकता है जैसे कोलगेट। कोलगेट के माध्यम से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए किसी बर्तन में सुबह का पहला पेशाब लें सुबह के पहले पेशाब प्रयोग करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इस पेशाब में एचसीजी हार्मोन की मात्रा सर्वाधिक होती है ।अब पेशाब में एक चम्मच कोलगेट मिलाएं । पेशाब में कोलगेट मिलाने के बाद यदि उसका रंग बदलकर नीला हो जाता है तो प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव है । इसके अलावा पेशाब और कोलगेट के मिश्रण में यदि झाग इकट्ठे हो रहे हैं तब भी प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव समझा जाएगा।इस मिश्रण में यदि किसी प्रकार का बदलाव ना दिखाई दे तो प्रेगनेंसी नहीं है ।
पेशाब में नमक डालने से क्या होता है?
आजकल घर बैठे तक प्रेगनेंसी टेस्ट करना बड़ा आसान हो गया है ,किट के अभाव में घरेलू चीज़ों की मदद से भी प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जा सकता है । इसके लिए यूरीन में नमक मिलाएं प्रेगनेंसी होने पर यूरीन में मौजूद एचसीजी हार्मोन नमक के साथ रिजेक्ट करके झाग बनाएगा और यदि प्रेगनेंसी नहीं है तो यूरिन में नमक मिलाने से कोई भी रीएक्शन नहीं होगा । इस प्रकार हम बिना टेस्ट किट की सहायता के नमक से भी प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं। नमक से प्रेग्नेंसी टेस्ट करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि सुबह के सबसे पहले यूरिन का प्रयोग ही टेस्ट के लिए किया जाए ।
साबुन से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करें?
साबुन से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए हमें इन चीजों की आवश्यकता होगी - एक छोटा टुकड़ा साबुन, सुबह का पहला यूरीन और एक प्लास्टिक का कप । इस टेस्ट को करने के लिए सबसे पहले साबुन के छोटे से टुकड़े को लेकर थोड़े से पानी में इस प्रकार घोलें कि झाग बन जाए अब उस घोल में यूरिन डालें ।साबुन के घोल की मात्रा से तीन गुना यूरीन मिलाएं । सुबह का पहला यूरिन इसलिए बेहतर होता है क्योंकि उसमें कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन का लेवल सबसे ज्यादा होता है। इसके बाद 5 से 10 मिनट तक इंतजार करें । यदि प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव है तो घोल में झाग आने लग जायेंगे और घोल का रंग हरे से बदलकर नीला हो जाएगा । प्रेगनेंसी टेस्ट नेगेटिव होने की स्थिति में 10 मिनट के बाद भी घोल के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होगा । किसी प्रकार के संशय की स्थिति में गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें ।
बिना किट के प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करें?
प्रेगनेंसी कंफर्म करने के लिए महिलाएं हमेशा प्रेगनेंसी टेस्ट किट का प्रयोग करती हैं परंतु प्रेगनेंसी टेस्ट उपलब्ध ना होने की स्थिति में निम्न घरेलू तरीकों से भी प्रेगनेंसी टेस्ट किया जा सकता है - 1. कांच का ग्लास - कांच के गिलास में यूरिन डालें कुछ समय पश्चात इस पर यदि सफेद परत दिखाई दे तो आप गर्भवती हो सकती हैं । 2.विनेगर - किसी प्लास्टिक के कप में थोड़ी सी मात्रा में विनेगर लें उसमे सुबह का पहला यूरीन मिलाएं यदि घोल के रंग में कोई परिवर्तन दिखाई देता है तो प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव हो सकता है । 3. डेटॉल टेस्ट - डेटॉल से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए एक कांच के गिलास में बराबर मात्रा में यूरीन और डेटॉल मिक्स करें यदि डिटॉल यूरिन में घुल जाता है तो प्रेगनेंसी टेस्ट नेगेटिव है परंतु यदि यूरिन डेटॉल के ऊपर परत के रूप में दिखाई देता है तो प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव हो सकता है । 4. ब्लीच - कांच या प्लास्टिक के बर्तन में थोड़ी ब्लीच लें उसमे यूरिन मिलाएं यदि इस घोल में झाग दिखाई दें तो यह प्रेग्नेंट होने का संकेत है । इन सभी चीजों से प्रेगनेंसी टेस्ट करते समय सुबह के पहले यूरिन का ही प्रयोग करें । घरेलू चीजों से प्रेगनेंसी टेस्ट करने के बाद असमंजस की स्थिति हो तो डॉक्टर से मिलें ।
गर्भावस्था मे महिला को अपने सेहत के साथ-साथ सोने के तरीके पर ध्यान देना चाहिए। गलत पोजीशन मे सोने पर बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए गर्भावस्था मे महिला को कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए। इस लेख में हम बात करेंगे गर्भावस्था में सोने के तरीके के बारे में, प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए।
सबसे पहले ये जानना जरुरी है की गर्भावस्था के दौरान सोना मुश्किल क्यों होता है?
प्रेगनेंसी में नींद ना आना-Pregnancy Me Neend Na Aana
गर्भावस्था के दौरान नींद ना आना और सोने में दिक्कत होना बहुत ही सामान्य है। इसके कई कारण है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई बदलाव होते है जैसे की भ्रूण व योनि का आकार बढ़ना, स्तनों का आकार बढ़ना, बार-बार पेशाब आना और सांस लेने में दिक्कत। इतना ही नहीं, गर्भावस्था में डॉक्टर पेट के बल न सोने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे भ्रूण पर दबाव पड़ता है। इन्ही सब बातों के चलते गर्भवती महिला को ठीक तरह से नींद नहीं आती। आइए विस्तार से जानते है गर्भावस्था में नींद ना आने के कारण और उनके उपाय।
बार-बार पेशाब आना
गर्भावस्था की पहली तिमाही में खून का प्रवाह बढ़ने के कारण बार-बार पेशाब आता है। शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन और गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण भी ऐसा होता है। बार-बार पेशाब आने की वजह से भी नींद खराब होती है।
बार-बार पेशाब आने की समस्या कम करने के लिए शाम के बाद पेय पदार्थ कम लें। दिनभर में जितना हो सके पेय पदार्थ का सेवन करें, लेकिन शाम को छह बजे के बाद पेय पदार्थ का सेवन कम कर दें। ऐसा करने से रात को सोते समय बार-बार शौचालय नहीं जाना पड़ेगा।
शरीर में दर्द
शरीर में दर्द
गर्भावस्था में मांसपेशियों और हड्डियों पर दबाव पड़ता है क्यूंकि आपका शरीर शिशु को संभालने के लिए तैयार हो रहा होता है। इस दवाब के कारण शरीर में दर्द महसूस होता है। इस दर्द के कारण भी रात को बार-बार नींद खराब होती है।
गर्भावस्था में रात को आराम से सोने के लिए आप अपनी सुविधानुसार शैड्यूल तैयार करें। यदि रात में ठीक तरह से नींद ना आये तो आप दिन में सो कर कुछ हद नींद पूरी कर सकती हैं।
उल्टी आना
गर्भावस्था में कभी-कभी रात को उल्टी आने की वजह से भी नींद ठीक से नहीं आती। हलांकि जी मिचलना और उल्टी सामान्यत दिन के समय ही आम है।
गर्भावस्था में खान-पान पर ध्यान रख के उल्टी और जी मिचलने की समस्या से बचा जा सकता है। तली और भुनी हुई चीज, मैदे से बनी चीजे ना खाए। पौष्टिक और संतुलित आहार खाएं। अदरक वाली चाय या फिर नींबू पानी का सेवन करें।
गर्भावस्था में सोने के तरीके-Pregnancy Me Sone Ke Tarike In Hindi
पीठ के बल सोने से बचे
गर्भावस्था के पहली तिमाही मे आप पीठ के बल सो सकती है इसमे आपको कोई चिंता करने की ज़रूरत नही है। जब आप दूसरे तिमाही मे चली जाती हैं तो आपको पीठ के बल सोने से बचना चाहिए।
तीसरे तिमाही मे पीठ के बल सोने पर गर्भाशय का पूरा भार आपकी पीठ पर रहता है जो आपके शरीर के निचले हिस्से से रक्त को आपके हृदय तक पहुंचाती है जिससे आपको बहुत सी परेशानिया हो सकती है जैसे पीठ दर्द, बवासीर, अपच, सांस लेने में तकलीफ़ और रक्त परिसंचरण में कठिनाई होती है।
दाएँ करवट कम सोयें
गर्भावस्था मे दाईं हाथ की तरफ सोना पीठ के बल सोने से ज्यादा सही है लेकिन यह उतना सुरक्षित नही है जितना की बाईं तरफ सोने से है इसका कारण यह है कि आपके दाहिने हाथ पर सोते हुए आपके जिगर पर दबाव पड़ सकता है। अगर फिर भी आपका बाई तरफ़ सोने से थकान या दबाब हो गया हो तो आप थोड़े समय के लिए दाईं तरफ करवट ले सकते हैं।
बाएँ करवट सोना होता है अच्छा
बाएँ करवट सोना
गर्भावस्था में बाएं करवट सोना अच्छा होता है यह आपको और आपके पेट मे पल रहे शिशु को स्वस्थ बनाता है | बाएं तरफ सोने से आपके और आपके शिशु के शरीर मे रक्त का प्रवाह सही तरीके से होता है जिससे आप के बेबी को भरपूर ऑक्सीजन और पोषण मिलता है। बायीं करवट मे सोने से शिशु को कोई भी चोट लगने की कम सम्भावना होती है।
गर्भावस्था मे आप बाईं तरफ मुंह और अपने घुटनो को मोड़कर सो सकते हैं इस अवस्था मे आपको बहुत तकलीफ़ तो होगी लेकिन अगर आप चाहते है की आपका शिशु स्वस्थ और निरोगी रहे तो आपको ये तो करना ही होगा।
इन बातों का भी रखें ध्यान-प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए
गर्भावस्था के शुरूआती महीनों में महिलाओं को सीधा होकर सोना चाहिए। इससे भ्रूण का विकास अच्छी तरह से होता है।
सोते समय अपने सिर के नीचे नर्म तकिए लगा लें। तकिया मोटा और सख्त नहीं होना चाहिए इससे बच्चे के साथ-साथ आपको भी नुकसान हो सकता है।
सोते समय अपने घुटनों को थोड़ा-सा मोड़ ले इससे पीठ को आराम मिलता है और कमर दर्द की समस्या नहीं होती। और एक ही मुद्रा मे बहुत देर तक ना सोऐ।
गर्भावस्था के दौरान महिला को बाई तरफ करवट लेकर सोना चाहिए। इससे भ्रूण में रक्त बढ़ता है और पोषण भी मिलता है।
सोते समय तकिए को पैरों के बीच में रख ले इससे आपको आराम मिलेगा और आपके पेट को भी सहारा मिलेगा।
अगर आप एक तरफ करवट लेकर सोते है तो सोते समय अपनी पीठ के पीछे तकिया लगा लें। इससे आपको पीठ दर्द की समस्या नहीं होगी।
गर्भावस्था के दौरान अच्छी और गहरी नींद के लिए टिप्स
तकिया
गर्भावस्था में अच्छी नींद के लिए तकिए का उपयोग करे। सोते समय एक से अधिक तकिये का इस्तेमाल करे। एक तकिया अपने पेट के नीचे रखें और एक अपने घुटनों के बीच में रख कर आराम से लेट जाए। इससे आपको आराम मिलेगा और अच्छी नींद आएगी। साइड पोजीशन यानि करवट ले कर आराम से सोने के लिए मैटरनिटी पिलो का इस्तेमाल भी कर सकती है।
खानपान
गर्भवती महिला को रात को डिनर में मिर्च-मसाले और तले हुए भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। सोने से कम से कम दो घंटे पहले हल्का भोजन करें और भोजन के बाद कुछ देर टहलें।
मालिश
हाथों, पैरों, गर्दन व सिर की मालिश करवाने से भी तनाव दूर होता है और आपको अच्छी नींद आती हैं।
अच्छी और पूरी नींद हमे अगले दिन पूरी ऊर्जा के साथ फिर से काम करने के लिए तैयार करती हैं। गर्भवती महिला के लिए नींद पूरी होना और भी ज्यादा जरूरी है क्योंकि पर्याप्त नींद लेने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहतर तरीके से होता है। हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको गर्भवती महिला के लिए पर्याप्त नींद की क्यों जरुरी है और गर्भवस्था में नींद पूरी करने के लिए आप क्या क्या कर सकते है समझ आ गया होगा।
Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न
गर्भवती महिला को कितने घंटे सोना चाहिए?
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अच्छी नींद नहीं ले पाती हैं। जबकि हर गर्भवती महिला के लिए पूरे दिन में 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद जरूरी है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी आवश्यक है, कम नींद लेने से शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है। लेकिन शरीर केआकार में बदलाव, हारमोन्स परिवर्तन और अन्य कईं स्वास्थ्य समस्याएं होने से अक्सर गर्भवती महिला की नींद बाधित होती है। ठीक इसी तरह बिस्तर पर सारे दिन लेटे रहना भी शिशु के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है,और एक अच्छी नींद के लिए भी ये जरूरी है कि सारा दिन बिस्तर पर न रहकर कुछ हल्के फुल्के काम करना और टहलना जरूर चाहिए। बेड़रेस्ट तभी करें, जब डॉक्टर ने सजेस्ट किया हो।
गर्भवती महिला को कैसे रहना चाहिए?
गर्भावस्था किसी औरत की जिंदगी का बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है, इसलिए सबसे पहले गर्भवती महिला का खुश रहना बहुत जरूरी है, इसके अलावा उसके आसपास का पारिवारिक माहौल भी खुशहाल हो तो सोने पर सुहागा। आहार पर विशेष ध्यान दें,भोजन छोटे छोटे मील में बाँटकर चार पाँच बार करें, भोजन पौष्टिक हो लेकिन अपनी रूचि का हो ताकि जी न मिचलायें,भोजन में सभी आवश्यक तत्व आइरन फोलिक एसिड़, विटामिन्स, प्रोटीन व कैल्शियम सभी हों। इसके अलावा अच्छी नींद लें,टहलें और डॉक्टर से नियमित चैकअप कराये, डॉक्टर की सलाह से आवश्यक सपलीमेंटस ले, सोनोग्राफी कराकर बच्चे का विकास सुनिश्चित करें। अच्छा साहित्य पढे़ , सोशल मीडिया पर सकारात्मक कंटेंट ही देखें, योगा और प्राणायम को किसी ट्रेनर से सीख कर अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायें।
प्रेगनेंसी में सुबह कितने बजे उठना चाहिए?
प्रत्येक व्यक्ति के लिए जल्दी सोना व जल्दी उठना एक आदर्श दिनचर्या का हिस्सा होता है, प्रिगनेंसी में ये और भी ज्यादा जरूरी है, अगर आप जल्दी सोकर सात घंटे की अच्छी नींद लेकर सुबह सूर्योदय के समय उठ जाती हैं और थोड़ी देर उगते सूरज की धूप लेती हैं तो सारा दिन व्यवस्थित रहेगा। एक सर्वे में पाया गया कि देर रात तक जगने वाली महिलाओं की फिटनेस सुबह उठने वालों के मुकाबले कमजोर हाेती है। ऐसी महिलाएं ज्यादातर रोजमर्रा के कामों को पूरा करने के लिए बॉडी क्लॉक के विरुद्ध जाती हैं जो शरीर की अंदरूनी कार्यशैली को अव्यवस्थित करता है। इसलिए शाम को सही समय पर हल्का भोजन करें तथा नियमित समय पर मोबाइल को खुद से दूर रखकर सोने की कोशिश करें ।
प्रेगनेंसी में सुबह उठकर क्या खाना चाहिए?
गर्भवती महिला को सुबह की अपनी पहली खुराक पौष्टिकता और अपनी रूचि के हिसाब से निर्धारित करनी चाहिए, इस विषय पर हमारी सलाह है..! *गर्भवती महिला सुबह उठकर सेब खा सकती हैं, ये रोगों से लड़ने में मदद करता है,इसमें फाइबर अच्छी मात्रा में होता हैऔर यह एक अच्छा एंटीऑक्सिडेंट भी है। *रात भर भीगे बादाम सुबह खाने से मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए पोषण और ऊर्जा मिलती है। *आप सुबह-सुबह दूध पी सकती हैं, अगर आपको दूध पीने से मितली या उल्टी आती है तो आप साथ में कुछ नट्स या बिस्कुट ले सकती हैं। *अगर आप फल नहीं खाना चाहती है तो आप जूस ले सकती है इससे आपको वो सारे पोषक तत्व मिलेंगे जो फल से मिलते हैं।
गर्भावस्था में चीकू खाने के नुकसान स्पष्ट नहीं हैं। हांँ, अधपका चीकू खाने से मुंह कड़वा और गले में खुजली हो सकती है। साथ ही माउथ अल्सर का खतरा भी हो सकता है । इसके अलावा, चीकू में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है, इसी वजह से माना जाता है कि इसे अधिक मात्रा में खाने से थोड़ा वजन बढ़ सकता है। ऐसा भी कहा जाता है कि चीकू के अधिक सेवन से पेट में दर्द और डायरिया जैसी समस्या हो सकती हैं। फिलहाल, इस संबंध में कोई सटीक वैज्ञानिक शोध या प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
इसलिए प्रेगनेंसी में चीकू का सेवन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
हमेशा पका चीकू ही खाएं।
इसे खाते समय मात्रा का खास ध्यान रखें।
कोशिश करें कि एक ही बार में अधिक चीकू न खाएं, बल्कि दिन में दो से तीन बार में खाएं।
चीकू को खाते समय उसे अच्छे से छीलकर ही खाएं। जल्दबाजी में छीलते हुए कई बार फल में छिलका छूट जाता है, लेकिन ध्यान दें कि ऐसा न हो।
इसे छीलने से पहले अच्छे से हाथ जरूर धोएं ताकि किसी तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन न हो।
संतुलित मात्रा में सेवन
प्रकृति ने हमें अनमोल चीकू जैसे फल से नवाजा है। चीकू में मौजूद गुणकारी पोषक तत्व इसे खास बनाते हैं। गर्भावस्था में अधिक एनर्जी की जरूरत होती है, जिसकी पूर्ति करने में चीकू मदद कर सकता है। चीकू को एनर्जी यानी ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत बताया जाता है। दरअसल, इसमें फ्रुक्टोज और सुक्रोज की अच्छी मात्रा होती है और यह दोनों प्राकृतिक तत्व एनर्जी बूस्टर की तरह कार्य करते हैं। इसी वजह से गर्भावस्था में होने वाली कमजोरी के एहसास को कम करने और महिला को ऊर्जावान बनाने में चीकू मदद कर सकता है।
आप इसका संतुलित मात्रा में सेवन करके इसके लाभ उठा सकते हैं। इसे खाते समय ध्यान दें कि गर्भावस्था में किसी भी चीज की अधिकता भारी पड़ सकती है। एक रिसर्च में बताया गया है कि प्रेगनेंसी के समय लिए जाने वाले आहार में चीकू को शामिल करने से मांँ और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। दरअसल, इसमें कार्बोहाइड्रेट और एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स होते हैं।
इसके सेवन से होने वाले लाभ के बारे में हम यहाँ बात कर सकते हैं।
पोषक तत्व
इसमें हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम, आयरन, कॉपर और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये सभी पोषक तत्व मिलकर हड्डियों को मजबूत बनाने और उनके विकास में मदद करते हैं।
स्ट्रेस यानी तनाव से छुटकारा
गर्भावस्था के समय होने वाले स्ट्रेस यानी तनाव से छुटकारा पाने में भी चीकू मदद कर सकता है। दरअसल, चीकू विटामिन-सी से समृद्ध होता है। यह विटामिन प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने व अन्य किसी वजह से हुए तनाव को दूर करने का काम कर सकता है।
रक्तचाप नियंत्रण
रक्तचाप नियंत्रण करने के तरीके में चीकू को भी शामिल कर सकते हैं। असल में चीकू मैग्नीशियम से समृद्ध होता है, जो रक्त वाहिकाओं को गतिशील बनाए रखने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, चीकू में पोटैशियम भी होता है, जिसे रक्तचाप और ब्लड सर्कुलेशन को संतुलित रखने के लिए जाना जाता है।
कब्ज से छुटकारा
नसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान डाइजेशन से जुड़ी समस्या कब्ज का होना आम है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए चीकू का सेवन लाभदायक हो सकता है। चीकू में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। यह लैक्सेटिव की तरह कार्य करके पेट से मल को बाहर निकालने और पाचन में मदद करने का काम कर सकता है।
अतः इसे फल की तरह या फ्रूट सलाद के रूप में सुबह या दोपहर के समय खा सकते हैं। इसके हलवे को मीठे के रूप में खाना खाने के बाद खाया जा सकता है।
अब सवाल ये उठता है कि कितना खाएं?
आइये आपको बताते हैं, गर्भावस्था में प्रतिदिन चीकू के सेवन की सुरक्षित मात्रा को लेकर किसी तरह की सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हांँ, ऐसा बताया जाता है कि प्रतिदिन 200 ग्राम तक चीकू का सेवन सुरक्षित हो सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, प्रतिदिन 5000 mg प्रति किलो वजन के अनुसार इसे लेना सुरक्षित है। इस हिसाब से 50 किलो वजन वाले 250 ग्राम तक चीकू का सेवन कर सकते हैं।
आप चाहें तो गर्भावस्था में चीकू के सेवन की सही मात्रा जानने के लिए आहार विशेषज्ञ से भी मदद ले सकते हैं।
गर्भावस्था के पहली तिमाही में पेट दर्द होना बहुत आम बात है। इसके कई कारण हो सकते है, गर्भावस्था मे गर्भाशय का आकार बड़ा होता है जिससे आंतों पर दबाव बढ़ता है, गर्भावस्था मे कब्ज होता है, पेट में मरोड़ उठती है। इन सबकी वजह से गर्भावस्था मे पेट दर्द होता है। गर्भावस्था के पहले माह में हल्का स्राव का अनुभव करना बहुत सामान्य है, क्योंकि अंडा स्वयं ही गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है। आरोपण प्रक्रिया स्पॉटिंग और ऐंठन का कारण हो सकती है।
कई बार पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द एसिडिटी के कारण भी होता है। इस दौरान राउंड लिगामेंट के स्ट्रेचिंग के कारण भी पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है, जो बाद में पेट से नीचे जांघ से ऊपर वाले हिस्से में भी महसूस होता है। गर्भावस्था की शुरुआत में आमतौर पर पेट दर्द चिंता का कारण नहीं होते हैं। मगर, यदि साथ में अन्य लक्षण भी हों, तो आपको मदद कि जरुरत हो सकती है।
गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भपात हो जाना काफी आम है। दुर्भाग्यवश, पांच में से एक गर्भावस्था शुरुआत में ही समाप्त हो जाती है, क्योंकि शिशु उचित ढंग से विकसित नहीं हो रहा होता है।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में पेट दर्द
पहली तिमाही में पेट दर्द के लक्षण
गर्भावस्था की शुरुआत में गर्भपात होने का सबसे आम लक्षण रक्तस्त्राव होना है। यह रक्तस्त्राव कई दिनों तक रुक-रुककर हो सकता है। आपको शायद पेट में मरोड़, और योनि से तरल और उत्तक का स्त्राव भी हो सकता है। इस बारे में डॉक्टर को बताएं। आपकी स्थिति को समझते हुए वे आपको अस्पताल या क्लिनिक आने से पहले लेटने या फिर आराम से बैठने की सलाह दे सकती हैं।
अगर आपको वैसा दर्द हो रहा है जैसा पीरियड्स में होता है, साथ में ब्लीडिंग भी, तो ये गर्भपात का लक्षण हो सकता है।
अगर गर्भावस्था मे पेट दर्द के अलावा बार-बार जलन के साथ यूरीनेशन हो रहा है तो आपको यूटीआई हो सकता है।
अगर पेट में दर्द लगातार है, बहुत तेज़ है और वक्त के साथ बढ़ रहा है तो मुमकिन है कि गर्भनाल गर्भाशय से बाहर निकल गई हो।
अगर प्रेगनेंसी के छटे से दसवें सप्ताह के बीच बहुत तेज़ दर्द और ब्लीडिंग हो तो ये ऐक्टॉपिक (ectopic) प्रेगनेंसी के लक्षण हो सकते है।
पेट के ऊपरी हिस्से के बाईं ओर दर्द, यह पसलियों के निचले हिस्से और नाभि के बीच में होने वाला दर्द होता है, जैसे प्लीहा, पैनक्रिया का अंतिम भाग, बाईं ओर की निचली पसलियां, बाएं गुर्दे, बड़ी आंत व पेट का एक हिस्सा आदि।
पेट के ऊपरी हिस्से के दाईं ओर दर्द, यह दाएं निप्पल से नाभि तक होने वाला दर्द होता है। इस ओर लिवर, फेफडे़ का निचला भाग, किडनी जैसे अंग होते हैं, इस वजह से कभी-कभी यह दर्द हो सकता है।
पेट के निचले हिस्से में दर्द, यह नाभि से नीचे की ओर होने वाला दर्द है। यह दर्द किसी मेडिकल समस्या के चलते हो सकता है।
पेट के निचले हिस्से के बाईं ओर दर्द, यह निचले दाईं ओर के दर्द से ज्यादा आम है। इसका कारण किडनी का निचला हिस्सा, गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब व मूत्राशय की बनावट हो सकती हैं।
पेट के निचले हिस्से के दाईं ओर दर्द, यह पेट के निचले दाएं भाग में होना वाला दर्द हो सकता है। यह दर्द हल्का भी हो सकता है और तेज भी। यह दर्द कभी-कभी बाईं ओर या पीछे की ओर भी फैल सकता है।
आजकल कई महिलाएं गर्भपात के घरेलू उपायों की तलाश करती हैं, और इस सूची में काली चाय से गर्भ कैसे गिराएं एक आम सवाल बन चुका है। इस लेख में हम जानेंगे कि क्या काली चाय से गर्भपात संभव है, इसके संभावित प्रभाव, फायदे और नुकसान क्या हैं, और इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
काली चाय से गर्भपात कैसे हो सकता है?
काली चाय में कैफीन की मात्रा अधिक होती है, जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर गर्भ में संकुचन (uterine contractions) उत्पन्न कर सकती है। इसी कारण कुछ लोग मानते हैं कि यह एक संभावित गर्भ गिराने का घरेलू उपाय हो सकता है।
लेकिन यह medically approved method नहीं है, और इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि काली चाय से गर्भ 100% गिराया जा सकता है।
काली चाय से गर्भ कैसे गिराएं? – जानिए संभावित तरीका
कुछ महिलाएं खाली पेट या बार-बार काली चाय पीने का सहारा लेती हैं, यह सोचकर कि इससे गर्भ गिर जाएगा। हालांकि यह तरीका सुरक्षित नहीं है।
ध्यान दें:
अत्यधिक मात्रा में कैफीन गर्भस्थ शिशु के विकास में रुकावट डाल सकता है।
WHO के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को 200mg से अधिक कैफीन नहीं लेना चाहिए।
क्या काली चाय से गर्भपात सुरक्षित है?
नहीं। काली चाय का अत्यधिक सेवन कई गंभीर दुष्प्रभावों का कारण बन सकता है:
⚠ नुकसान:
मतली और उल्टी
डिहाइड्रेशन
हाई ब्लड प्रेशर
गर्भाशय में असामान्य गतिविधि
गर्भस्थ शिशु को नुकसान
घरेलू उपाय vs डॉक्टर की सलाह
जहां कुछ महिलाएं सोचती हैं कि काली चाय से गर्भ कैसे गिराएं, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी घरेलू उपाय को बिना चिकित्सकीय सलाह के अपनाना खतरनाक हो सकता है।
यदि आप अनचाहे गर्भ से परेशान हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लें। मेडिकल एबॉर्शन एक सुरक्षित तरीका है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर विकल्प होता है।
मां बनना हर स्त्री के लिए एक सौभाग्य की बात है, लेकिन कभी कभी स्त्री, पुरूष या परिवार इस स्थिति के लिए तैयार नही होता इसके कई कारण हो सकते है, जैसे आर्थिक स्थिति सही न होना, पहले से ही एक नवजात शिशु का होना, स्त्री को कोई शारिरिक समस्या होना। कभी कभी एक कुमारी स्त्री भी परिस्थितियों के वशीभूत गर्भवती हो जाती है, ऐसे में कई बार डॉक्टर के पास जाने में या तो झिझक होती है या पैसे की कमी। गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे (bacha girane ke gharelu nuskhe) प्राचीन काल से आजमाए जा रहे है और आज हम ऐसे ही घरेलू नुस्खे की बात करेंगे-इलायची से गर्भपात कैसे करें।
लेकिन एक बात का हमेशा ध्यान रखना होगा की गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे 100% सुरक्षित नहीं होते है। इसके लिए बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जब आप पूर्णरूप से सुनिश्चित हो जाए। तभी इनका प्रयोग करे क्योंकि आप इनके असर को उलटा नहीं कर सकते।
एक महीने की प्रेगनेंसी कैसे हटाए घरेलू उपाय
अगर प्रेगनेंसी को एक महीना (लगभग 4 से 5 हफ्ते) हुआ है, तो कुछ घरेलू नुस्खों से उसे रोका जा सकता है। लेकिन सबसे जरूरी बात ये है कि ऐसे उपाय सिर्फ शुरुआत में ही करने चाहिए।
9 या 10 हफ्ते के बाद घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है, इसलिए उस समय कोई भी घरेलू तरीका अपनाना सही नहीं होता। इससे आपकी सेहत और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है।
इसलिए अगर आप घरेलू उपाय अपनाना चाहती हैं, तो इसे सिर्फ शुरुआती हफ्तों में ही करें, और किसी जानकार की सलाह जरूर लें।
इस पीरियड के बाद डॉक्टर को दिखाए और मेडिकल टर्मिनेशन करवाए। गर्भपात के लिए अपनाएं जाने वाले घरेलू नुस्खों में से ही एक नुस्खा है इलायची से गर्भपात करना। तो आज इस आर्टिकल में हम इसी पर प्रकाश डालेंगे।
गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे-Garbh Girane Ke Gharelu Nuskhe
बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में पपीता, अजवायन, अन्नानास का रस, तुलसी का काढ़ा, ड्राई फ्रूट्स, लहसून, विटामिन सी, केले का अंकुर, अजमोद, कोहोश, गर्म पानी, बाजरा, गाजर के बीज, तिल, ग्रीन टी, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, अनार के बीज, कैमोमाइल तेल, काली चाय का प्रयोग खूब किया जाता है।
लेकिन हम यहां बात करेंगे केवल इलायची की, तो इलायची से गर्भपात करने का तरीका आपको बताते है।
इलायची को कई प्रकार से गर्भपात के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
अगर आप बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी बच्चा गिराने के तरीके अपना रही है।
किसी अज्ञानी व्यक्ति से, खुद के द्वारा अथवा घरेलू दाई से गर्भपात करवा रही है।
पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के बिना गर्भपात करवाना।
10 हफ़्तों के बाद घरेलू नुस्खों से गर्भपात करने की कोशिश कर रही है।
बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से दवा लेकर गर्भपात करना।
दाई या झोला छाप डॉक्टर से पेट की मालिश करवाकर गर्भ गिरवाना।
घरेलू नुस्खों से गर्भपात के नुकसान
इन बच्चा गिराने के उपाय से महिला को एलर्जी हो सकती या उल्टी व चक्कर आ सकते हैं। यहां तक कि महिला की मृत्यु भी हो सकती है। हो सकता है गर्भपात पूरी तरह से न हो अर्थात गर्भाशय में भ्रुण का कुछ भाग रहा जाए जो बाद में इन्फेक्शन फैला दे। इस तरह गर्भपात के तरीके अपनाने से योनि को भारी क्षति हो सकती है, अंदरूनी हिस्सो पर बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं। हो सकता है इन सबके बाद भी गर्भपात न हो और शिशु को कोई बर्थ डिफेक्ट हो जाये।
इसलिए जो भी करे सोच विचार कर करे। घरेलू गर्भपात के कारण स्थिति बिगड़ने पर जल्द से जल्द मेडिकल हेल्प ले।
गर्भपात के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए
गर्भपात के बाद शरीर और मानसिक स्थिति दोनों को ठीक होने में थोड़ा समय लगता है। आमतौर पर डॉक्टर्स की सलाह होती है कि गर्भपात के कम से कम 2 हफ्ते बाद ही यौन संबंध बनाए जाएं, ताकि संक्रमण का खतरा न हो और शरीर पूरी तरह से रिकवर कर सके।
हालांकि, हर महिला की स्थिति अलग होती है। इसलिए सबसे बेहतर यही होगा कि आप पहले डॉक्टर से सलाह लें और जब शरीर पूरी तरह से स्वस्थ महसूस करे, तब ही अगला कदम उठाएं।
कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखें:
अगर ब्लीडिंग अभी भी हो रही है, तो संबंध न बनाएं।
शरीर में कमजोरी या दर्द हो तो थोड़ा और इंतजार करें।
अगली प्रेगनेंसी से बचने के लिए कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल करें।
नोट– यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न
अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?
अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।
क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?
कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।
पपीता से गर्भ कैसे गिराये?
गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।
बार बार गर्भपात करने से क्या होता है?
अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए कई जोड़े बार बार गर्भपात का सहारा लेते हैं। बार बार गर्भपात कराने से गर्भाशय ग्रीवा कमजोर हो जाती है किसी कारण अगली बार गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा महिला के शरीर में खून की कमी, इन्फेक्शन ,रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएं, एम्बोलिज़्म, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक आदि कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए बार बार गर्भपात कराने के स्थान पर परिवार नियोजन के तरीके अपनाकर गर्भधारण को रोकना ही ज्यादा कारगर उपाय है ।
गर्भ गिराने के घरेलू उपाय (garbh girane ke gharelu upay)
मां बनना एक महिला के लिए एक सुखद एहसास है, जिसकी खुशी के आगे दुनिया की हर खुशी फीकी लगती है। लेकिन अगर आप गलती से प्रेग्नेंट हो जाएं, तो क्या करें? यह सवाल किसी भी महिला के मन में घबराहट, बेचैनी और डर पैदा कर सकता है, खासकर तब जब यह बिना फैमिली प्लानिंग के हुआ हो। ऐसी स्थिति में घबराने की बजाय सही जानकारी और समझदारी से निर्णय लेना जरूरी होता है। कई महिलाएं इस दौरान गर्भ गिराने के घरेलू उपाय के बारे में जानना चाहती हैं, ताकि वे अपने स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सही कदम उठा सकें।
गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें? यह सवाल कई महिलाओं के मन में आता है, जब वे बिना फॅमिली प्लानिंग के गर्भवती हो जाती हैं। गर्भपात के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कई बार संभोग के दौरान पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका गर्भनिरोधक उपायों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते, जिससे अनचाहा गर्भ ठहर जाता है। कुछ महिलाओं के लिए शारीरिक या मानसिक रूप से माँ बनना संभव नहीं होता, तो कुछ अपनी करियर या पर्सनल लाइफ को प्राथमिकता देती हैं जिससे वे गर्भपात कराने का फैसला लेती हैं। इस तरह, विभिन्न परिस्थितियों के कारण गर्भपात का निर्णय लिया जाता है।
गर्भपात क्या होता है (garbhpat kya hota hai)
गर्भपात वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भधारण के 20 से 24 सप्ताह से पहले भ्रूण का विकास रुक जाता है या उसे चिकित्सकीय रूप से समाप्त कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया स्वाभाविक (Natural/Miscarriage) या कृत्रिम (Medical/Surgical Abortion) हो सकती है।
अजवाइन की तासीर बहुत गर्म मानी जाती है, इसे आप इस प्रकार प्रयोग कर सकती है कि गर्भावस्था के शुरुआती हफ़्तों में रोज आधा चम्मच अजवायन की फंकी ले, या एक गिलास पानी मे इसे उबालकर पिये।
लहसुन ज्यादातर सभी की रसोई में शामिल होता है, इसमे ‘एलिसिन’ नामक तत्व होता है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है। लहसुन से गर्भपात करने के लिए अत्यधिक मात्रा में इसका किसी भी प्रकार सेवन करे।
1 महीने से 15 दिन की प्रेग्नेंसी है तो उसके लिए बबूल के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी में तब तक उबाल लें जब तक कि पानी आधा ना रह जाए। इस पानी का सेवन दिन में चार से पांच बार तब तक करें जब तक कि आपको ब्लीडिंग होने ना शुरू हो जाए।
अनानास का रस-Abortion Ke Gharelu Nuskhe
अनानास को गर्भवती स्त्री से दूर रखा जाता है क्योंकि अनानास में बड़ी मात्रा में विटामिन सी, एंजाइम और रसायन होते हैं, जो की गर्भपात का कारण बनते है। इसमें उपस्थित ब्रोमेलैन के कारण गर्भाशय की दीवार नरम हो जाती है। तो अगर शुरुआती हफ़्तों में इसका प्रयोग किया जाए तो गर्भपात आसानी से हो सकता है।
अनानास के रस में मौजूद ब्रोमेलैन से गर्भपात कैसे होता है
पपीता के बीज-Garbhpat Ke Gharelu Upay In Hindi
पपीता भी गर्म फलों में माना जाता है, बहुत सी महिलाओं द्वारा इसका प्रयोग गर्भपात के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है। क्योंकि पपीते में मौजूद फाइटोकेमिकल्स प्रोजेस्टेरोन एक्टिविटी में रुकावट डाल सकते हैं। जो गर्भपात का कारण है।
गर्भपात करने के घरेलू उपाय को अपनाते समय यदि ज़्यादा अवधि के लिए हेवी ब्लीडिंग, पेट दर्द, बुखार, कमजोरी जैसे लक्षण दिखे तो अपने डॉक्टर का संपर्क करे।
एस्पिरिन की टेबलेट-Garbh Girane Ke Upay
मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली एस्पिरिन की टेबलेट ले, इस टेबलेट को 6 से 8 की मात्रा में रोज़ खाए। टेबलेट को खाने के साथ साथ दूसरे घरेलू उपाय भी करते रहें।
काली चाय से गर्भ कैसे गिराए?-baccha girane ka gharelu upay
इसे बनाने के लिए जैसे हम चाय बनाते हैं वैसे ही दो गिलास पानी गर्म करके उसमें चाय पत्ती डालकर उबालते हैं। जब यह पानी आधा हो जाए तो इसे गरम-गरम पीते हैं। इसे कुछ दिनों तक लगातार पीने से शीघ्र ही मिसकैरेज हो जाएगा।
विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को एक दिन में केवल 1500 मिलीग्राम अदरक का ही सेवन करना चाहिए। इससे ज्यादा सेवन करने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए अदरक या अदरक की चाय का अधिक मात्रा में सेवन बिल्कुल न करें।
गर्भावस्था में चक्कर आना, सिर दर्द और जी मिचलाना जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए महिलाएं कभी-कभी नींबू पानी पीती हैं या फिर नींबू पर नमक छिड़क कर चाट लेती हैं। लेकिन, नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह हानिकारक नहीं है।
क्या गुड़ खाने से गर्भपात हो सकता है?
हां यह सच है, गुड़ से गर्भपात भी हो सकता है। गुड़ बहुत गर्म होता है अगर हम इसे लगातार कुछ समय तक कुछ चीजों के साथ मिला कर ले तो आसानी से गर्भपात हो सकता है।
गर्भ गिराने के घरेलू उपाय
इसके अलावा गर्भ गिराने के कुछ अन्य तरीके (Garbh Girane Ke Upay) निम्न है।
सूखे बबूल की फली और कच्चे केले का अंकुर लेकर उसे पीसकर रख ले ,इस चूर्ण का ब्लीडिंग होने तक सेवन करे। कड़वाहट के लिए शक्कर या शहद का सेवन कर सकते है।
कोहोश नामक पौधे में पाए जाने वाले तत्व कॉलसोस्पोनीन और ऑक्सिटोसिन जो गर्भपात में मदद करते है।
इसी प्रकार मगवार्ट भी एक आयुर्वेदिक औषधि ही हैं, इसमें कुछ ऐसे केमिकल होते है जो गर्भाशय की एक्टिविटी अर्थात कंट्रक्शन को बढ़ाकर गर्भपात कर सकते है। इसकी पत्तियों को पानी मे उबालकर छानकर इस पानी का सेवन करे, कम से कम दिन में 2 बार, ब्लीडिंग होने तक।
कपास के पौधे की जड़ की छाल को पानी मे उबाले, जब पानी आधा रह जाये तो छानकर रख ले। गर्भपात होने तक रोज 50ml दिन में दो बार पिए।
कलौंजी का उपयोग चाय के रूप में करे या ऐसे ही पानी से सटक ले, शुरुआती हफ़्तों में ये भी गर्भपात का एक कारगर तरीका है।
रोकफोर्ट, गोर्गोजोला, फेटा ये चीज़ के कुछ प्रकार है। कुछ लोगो का मानना है कि शुरुआती हफ़्तों में इस चीज़ को खाने से भी गर्भ गिर जाता है।
साधारणतः भी कहा जाता है कि अनार के बीजो को नही खाना चाहिए, यदि महिला अनार के बीजो को पीसकर इसका सेवन करे तो गर्भपात हो सकता है। पर ध्यान रहे इसके स्थान पर पोमेग्रेनेट सीड आयल का इस्तेमाल ना करें।
अजमोद के पत्तो को धोकर पानी मे उबाल लें, दिन में तीन बार इस पानी का सेवन करे। अजमोद सर्विक्स को नरम बनाकर, गर्भाशय की दीवार को मुलायम बनाता है, जिससे भ्रूण आराम से निकल आता है।
ये थे गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे, इन्हें आप अपनी सहूलियत के अनुसार अपना सकते है।
नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
सामान्य प्रश्न-baccha girane ka gharelu upay
क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?
कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।
अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?
अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है।
पपीता से गर्भ कैसे गिराये?
गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।
शतावरी एक जड़ी बूटी है। इसकी लता फैलने वाली और झाड़ीदार होती है एक एक बेल के नीचे कम से कम सौ से अधिक जड़े होती हैं। यह जड़े लगभग 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। इनकी जड़ों के बीच में कड़ा रेसा होता है। जिसे शतावरी कहा जाता है। शतावरी दो प्रकार की होती है। सफेद शतावरी और पीली शतावरी। पीली शतावरी अत्यधिक लाभकारी होती है। पतंजलि शतावरी चूर्ण पीली शतावरी की जड़ों से ही बनाया गया है इस पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे अनेक हैं।
यह अनिद्रा में कामगार होती है। गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी अति लाभकारी है। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है। महिलाओं को माँ बनने के बाद स्तन में दूध की कमी होती है ऐसी स्थिति में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक लाभदायक होता है। नवयौवना के ब्रेस्ट बढ़ने के लिए भी शतावरी का चूर्ण प्रयोग किया जाता है।ल्युकोरिया जैसी बीमारी में शतावरी का चूर्ण अत्यधिक फ़ायदेमंद होता है। तो आइए जानते हैं शतावरी के फायदे।
पतंजलि शतावरी चूर्ण के फायदे-Patanjali Shatavari Churna Benefits In hindi
शतावरी उपयोगी है स्तनों से दूध बढ़ाने में
शतावरी एक शक्तिवर्धक औषधि है वे स्त्री जो बहुत कमजोर होती है उनके स्तनों से दूध कम आता है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ पीने से मां के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है
पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है गर्भवती मां के लिए
पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ होता है और मां भी स्वस्थ रहती है गर्भवती महिलाओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण अश्वगंधा मुलेठी और भृगरज के साथ लेना चाहिए। यह सारी औषधियां दूध के साथ लेने पर गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्टैमिना डिवेलप करने में
जो युवा अपना शरीर बनाना चाहते हैं उसके लिए वह जिम में जाकर घंटों एक्सरसाइज करते हैं और फिर हजारों रुपए का प्रोटीन पाउडर खरीदते हैं। उनके लिए पतंजलि शतावरी चूर्ण बहुत फ़ायदेमंद है। पतंजलि शतावरी चूर्ण को गर्म दूध के साथ लेने से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ल्यूकोरिया में
वे महिलाएं जो सफेद पानी (ल्यूकोरिया ) की समस्या से काफी परेशान है। जिसके कारण उनके पेट और हाथ पैरों में हमेशा दर्द रहता है। उन्हें पतंजलि शतावरी चूर्ण रात को सोते समय लेना चाहिए कुछ समय में ही उनकी समस्या का समाधान होता है|
पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है धात रोग में
पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध के साथ लेने से धात रोग में लाभ होता है।
पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद अनिद्रा में
वह स्त्री या पुरुष जी ने रात भर नींद नहीं आती वह नींद आने की बीमारी से परेशान है ऐसे लोगों को पतंजलि शतावरी चूर्ण को दूध में पकड़ कर लेना चाहिए। घी में मिलाकर खाने से नींद ना आने की समस्या दूर होती है।
नींद ना आना
पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है ब्रेस्ट के विकास में
जिन युवतियों के ब्रेस्ट विकसित न हुए हो वो पतंजलि शतावरी चूर्ण का सुबह शाम दूध के साथ सेवन करती हैं तो वक्ष सुडौल होते हैं।
पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है स्वप्नदोष में
जिन व्यक्तियों को स्वप्नदोष की समस्या होती है उन्हें शतावरी चूर्ण को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह शाम गर्म दूध में डालकर पीना चाहिए इसे स्वप्नदोष की समस्या दूर होती है और शरीर स्वस्थ होता है।
पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है रजोनिवृत्ति में
स्त्रियों में रजोनिवृत्ति के समय चिढ़चिढाहट होती है। थकान होती हैऔर बेचैनी होती है उन सारी परिस्थितियों में पतंजलि शतावरी चूर्ण का सेवन अत्यधिक फ़ायदेमंद है यह है मानसिक और शारीरिक थकान को दूर कर स्त्री के शरीर को ऊर्जावान बनाता है।
पतंजलि शतावरी चूर्ण स्त्रियों के प्रजनन अंगों को ताकत प्रदान करता है
पतंजलि शतावरी चूर्ण में प्राकृतिक रूप से फाइटोएस्ट्रोजन नामक हार्मोन होते हैं। जो कि गर्भाशय को मजबूत करते हैं। और साथ ही साथ स्तनों में दूध के स्तर को भी बढ़ाते हैं।
पतंजलि शतावरी चूर्ण है प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट
पतंजलि शतावरी चूर्ण मुक्त कणों को कम करता है शरीर को गैस्टिक क्षेत्र के अंदर की परत की क्षति होने से बचाता है और अल्सर को बनने से रोकता है।
पतंजलि शतावरी चूर्ण दूर करता है। यूरिन की समस्याओं को पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से यूरिन का रुक-रुक कर आना दूर होता है व अन्य यूरिन की समस्याओँ का भी समाधान होता है|
पतंजलि शतावरी चूर्ण फ़ायदेमंद है पाचन तंत्र में
पतंजलि शतावरी चूर्ण के सेवन से पाचन तंत्र बेहतर काम करता है और फूड पाइप भी सुचारु रूप से काम करता है।
पतंजलि शतावरी चूर्ण शतावरी नामक जड़ी बूटी से बनाया जाता है यह एस्पैरेगस फैमिली की जड़ी बूटी होती है। शतावरी औरतों के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है यह स्त्री के किशोरावस्था से लेकर रजोनिवृत्ति तक हर अवस्था में उसके स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान में काम आती है रखती है। बल्कि आदमियों के शरीर के लिए भी पतंजलि शतावरी चूर्ण अत्यधिक उपयोगी है यह उन्हें शारीरिक ताकत देता है उनकी दुर्बलता को दूर करता है और स्वप्नदोष जैसी बीमारियों को भी दूर करता है।
प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में हारमोंस चेंज होते हैं, इसके कारण उसे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है , इनमें ब्लड प्रेशर का लो या हाई होना सामान्य बात है । अधिकांश मामलों में लो बीपी से समस्या नहीं होती तथा डिलीवरी के बाद यह समस्या अपने आप समाप्त हो जाती है लेकिन कभी-कभी लो ब्लड प्रेशर मां और गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
ब्लड प्रेशर क्या होता है?
ह्रदय के धड़कने से धमनियों पर रक्त का जो प्रवाह होता है वह ब्लड प्रेशर कहलाता है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती है जिसके कारण ब्लड प्रेशर लो हो जाता है ।
ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या कब होती है ?
अधिकांशतया गर्भावस्था के दूसरे व तीसरे महीने में ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या अधिक होती है जो लगभग 24 वें हफ्ते तक रहती सकती है।
लो ब्लड प्रेशर कितना होता है?
अगर ब्लड प्रेशर की रीडिंग 90 एमएमएचजी/60 एमएमएचजी या इससे कम हो तो इस रीडिंग को लो माना जाता है। नॉर्मल ब्लड प्रेशर की रेंज 120 एमएमएचजी/80एमएमएचजी होती है।
गर्भावस्था में लो बीपी के लक्षण
गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर लो होने पर चक्कर आना, जी मिचलाना, धुंधला दिखाई देना, त्वचा का नीला पड़ना, अधिक प्यास लगना, सांस फूलना आदि लक्षण दिखाई देते हैं ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लो ब्लड प्रेशर
ब्लड प्रेशर लो होने पर क्या करें ?
खाली पेट ना रहें थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ ना कुछ हेल्थी खाती रहें ।
ब्लड प्रेशर के लो होने पर घरेलू इलाज-pregnancy me bp low ho to kya kare
नमक के पानी का सेवन
नमक में सोडियम पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। ब्लड प्रेशर लो होने की स्थिति में पानी में आधा चम्मच नमक घोलकर उसका सेवन किया जा सकता है इसके अलावा ओआरएस का घोल बनाकर पीने से भी ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।
किशमिश का सेवन
लो ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर किशमिश का सेवन लाभदायक होता है। इसके लिए 5 से 6 किशमिश को रात भर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह खाली पेट इन किशमिश को खा ले और पानी भी पी लें । कुछ हफ्तों तक ऐसा करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित हो जाता है ।
तुलसी का सेवन
तुलसी में विटामिन सी, मैग्नीशियम, पोटेशियम और पैण्टोथेनिक एसिड पाए जाते हैं ये लो ब्लड प्रेशर में फायदा पहुंचाते हैं। 34 तुलसी की पत्तियों का रस निकालकर उसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में आता है परंतु तुलसी का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
नींबू का सेवन
नींबू का रस ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में बहुत मददगार साबित होता है। प्रतिदिन गुनगुने पानी में नींबू के रस के साथ थोड़ा सा शहद मिला कर उसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है । आप चाहे तो पानी में नींबू के रस के साथ काला नमक डालकर भी सेवन कर सकतीं हैं।
इन सबके अलावा गाजर और चुकंदर के रस का सेवन करने से भी ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। गर्भवती महिला को लो ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है तो उसे समय-समय पर डॉक्टर से ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना चाहिए। किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।