डेंगू में क्या खाना चाहिए, जानें बेस्ट हेल्थ एंड डाइट टिप्स

डेंगू में क्या खाना चाहिए, जानें बेस्ट हेल्थ एंड डाइट टिप्स

दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं एक बीमारी की जो कि एक मच्छर के काटने से होती है और अगर समय रहते कुछ बातों का ध्यान ना रखा जाए तो यह बीमारी हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकती है। यह बीमारी है ड़ेंगू बुखार की, ड़ेंगू बुखार मादा एडीज मच्छर के काटने से होने वाला एक गंभीर रोग है। आज इस लेख में हम जानेंगे की डेंगू बुखार में क्या खाना चाहिए।

डेंगू के लक्षण और उपाय

डेंगू के लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के संक्रमण के तीन से चौदह दिन बाद शुरू होते हैं। तेज बुखार, सिरदर्द की शिकायत, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द और त्वचा पर मुहासे आदि डेंगू के लक्षण हो सकते हैं। डेंगू बुखार का यदि सहीं समय रहते उपचार और इलाज नहीं किया जाये तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

जैसा की आप सब जानते है की डेंगू वायरस पेशेंट के ब्ल्ड प्लेटलेट्स तेजी से घटाता है। ऐसे में मरीज को सही डायट मिलना बहुत जरुरी है। मरीज में डेगूं के लक्षण का पता चलते ही सही खानपान का धयान रखना चाहिए। मरीज की डाइट में ऐसी खाने पीने की चीजों को शामिल करे जो न केवल प्लेटलेटस तेजी से बढ़ाये बल्कि साथ साथ पचने में आसान हो और पौष्टिक हो। तो आइये जानते है की डेंगू के मरीज को क्या खाना चाहिए?।

डेंगू में क्या खाना चाहिए

क्या डेंगू में हल्दी वाला दूध पी सकते हैं?

हल्दी उतनी हल्की नहीं होती जितनी दिखती है। कई औषधीय गुणों के साथ हल्दी का उपयोग लगभग हजारों उपचारों में किया जाता है। हल्दी एंटीसेप्टिक से भरपूर होती है। यही कारण है कि यह अधिक महत्वपूर्ण है। डेंगू होने पर दूध में मिलाकर पीने से शरीर को बहुत लाभ होता है। यह दूध के साथ तेजी से डेंगू में शरीर को स्वस्थ करने में मदद करता है।

हल्दी
हल्दी

क्या डेंगू बुखार में नारियल पानी पी सकते हैं?

डेंगू के मरीज़ों के लिए नारियल पानी काफी कारगर साबित होता है। इसमें इलेक्ट्रोलाइट, खनिज सहित कई अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो बुखार के साथ अन्य शारीरिक समस्याओं से लड़ने में सहायक होते हैं।

प्रोटीन

डेंगू के दौरान, शरीर में प्रोटीन की कमी भी होती है, इसलिए उस समय रोगी को पनीर जैसे खाद्य पदार्थ देना उचित साबित हो सकता है। इसके लिए आप वेज का ही उपयोग करें तो फ़ायदेमंद रहेगा और नॉनवेज से परहेज ही रखें।

डेंगू में कौन कौन से फल खाना चाहिए?

क्या डेंगू में संतरे अच्छे होते हैं?

संतरा इस बीमारी में बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है। बीमारी के दौरान, संतरे का रस जितना संभव हो उतना ज्यादा पीना चाहिए। संतरे में ऊर्जा और बहुत सारा विटामिन सी होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और शरीर में एंटीबॉडी विकसित करता है, जो सामान्य बुखार के साथ-साथ डेंगू बुखार को भी तेज़ी से नष्ट करने में मदद करता है।

डेंगू बुखार में कौन सा फल खाया जाता है?- अनार

ऐसे में अनार भी एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। अनार आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। इसलिए यह रक्त प्लेट-लेट्स को बनाए रखने में मदद करता है। गिरते हुए रक्त प्लेट-लेट्स डेंगू के कारण होते हैं। यह थकान को कम करने में भी मदद करता है। बीमारी के दौरान रोगी को यह महसूस हो सकता है।

डेंगू में कौन सा फल खाना चाहिए- पपीता

पपीता का पत्ता डेंगू के मरीजों के लिए वरदान है। शरीर में तेजी से घट रही प्लेट-लेट्स की संख्या को बढ़ाने के लिए सबसे तेज़ और सबसे प्रभावी उपचार पापिते का पत्ता है। डेंगू के मरीजों को पपीते की ताजी पत्तियों को पीसकर उसका रस पीना चाहिए। यह शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है, प्लेटलेट्स बढ़ाता है और रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करता है।

नींबू

शरीर में मौजूद वायरस और विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिए नींबू का रस पीना चाहिए। डेंगू बुखार में नींबू का रस सर्वोत्तम है। नींबू का रस शरीर के भारीपन को कम करने और मूत्र के माध्यम से वायरस को बाहर करने में बहुत प्रभावी है।

सब्ज़ियां

आप यह जानते हैं, डेंगू के दौरान, न केवल शरीर बहुत कमजोर हो जाता है, बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो जाती है, इस मामले में सब्जियों को हल्के से पकाया जाना चाहिए या उबला हुआ खाया जाना चाहिए।

रोगी को विटामिन, खनिज और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर सब्ज़ियाँ खानी चाहिए। जैसे कि टमाटर, कद्दू, गाजर, खीरा, चुकंदर आदि यह भी रक्त प्लेट-लेट्स को बढ़ाता है और रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।

अदरक

डेंगू के मरीजों को अधिक तरल पदार्थों की आवश्यकता होती है। डेंगू के रोगी की शिकायत को दूर करने और शरीर को मजबूत बनाने के लिए अदरक का गुनगुना पानी देना चाहिए।

मेथी

मेथी शरीर के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद होती है। डेंगू होने पर शरीर को सबसे ज्यादा आराम की जरूरत होती है। मेथी को इसके लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

मेथी के सेवन से डेंगू में अच्छी नींद लाने में मदद मिलती है। यह बुखार को स्थिर करने के लिए भी लाभदायक है।

डेंगू के मरीज को क्या नहीं खाना चाहिए?

मसालेदार खाना

अक्सर, बीमारी में, कुछ चटपटा और मसालेदार खाने का मन करता है। लेकिन डेंगू में यह मसालेदार भोजन शरीर को नुकसान पहुँचाता है। इसे खाने से पेट में एसिड (गैस) बनता है।

ऐसे में डेंगू के दौरान व्यक्ति को दो-दो बीमारियों से जूझना पड़ता है। इसलिए डेंगू में मसालेदार खाने से बचें।

सामान्य प्रश्न

डेंगू में नारियल पानी के फायदे

डेंगू में अक्सर डिहाइड्रेशन हो जाता है, इसलिए नारियल पानी बेहद फायदेमंद हैं ,हाइड्रेशन के साथ साथ इससे इलेक्ट्रॉलाइट्स की कमी पूरी होती है और प्लेटलेट्स काउंट बढ़ता हैं। प्लेटलेट्स की कमी का एक बड़ा कारण शरीर में लिक्विड की कमी भी होता है। नारियल पानी में मौजूद खनिज तत्व जैसे सोडियम और पोटैशियम आदि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखते हैं और प्लेटलेट्स काउंटस भी बढ़ाते हैं। इसलिए मरीज को एक दिन में तीन बार नारियल पानी दे सकते हैं।

क्या डेंगू में संतरे अच्छे होते हैं?

संतरा एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटामिन-सी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसलिए डेंगू के मरीजो़ के लिए संतरे को अच्छा माना जाता है। इसमें भरपूर फाइबर होने से कब्ज़ की समस्या नहीं होती, रसदार होने से डिहाइड्रेशन दूर करता है, पोषक तत्वों से शरीर की कमजोरी दूर होती है। संतरा खाने का अगर रोगी का मन ना हो तो संतरे का जूस भी अच्छा विकल्प है। मुँह का स्वाद अच्छा हो इसके लिए हल्के से काले नमक के साथ भी जूस ले सकते हैं।

क्या डेंगू में रोटी खा सकते हैं?

बुखार में शरीर का तापमान बढा़ रहता है इसलिए चावल, बहुत ज्यादा खट्टी या ठंडी चीजों को एवोइड़ करनें की सलाह दी जाती है, लेकिन रोटी आप खा सकते हैं। डेंगू बुखार में जितना हो सके हल्का भोजन ही खाना चाहिए, जैसे दाल, दलिया, खिचड़ी और तरल पदार्थ। क्योंकि बुखार में मुँह का स्वाद काफी खराब हो जाता है इसलिए स्वाद बदलने के लिए पतली दाल के साथ रोटी खा सकते हैं।

डेंगू में चावल खाना चाहिए

बुखार होने पर हल्के आहार का ही चुनाव करना चाहिए जो पचने में आसान हो, अक्सर बुखार में चावल और ठंडी चीजों से परहेज़ की सलाह दी जाती है लेकिन चावल की खिचड़ी खाना अच्छा माना जाता है। एक्सपर्ट भी यही कहते हैं कि डेंगू बुखार होने पर हल्का-फुल्का भोजन लेना चाहिए। लंच में आप थोड़ा चावल भी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि शाम के वक्त चावल बिल्कुल न खाएं। चावल में कुछ ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो डेंगू में होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करते हैं ।

डेंगू में गिलोय का प्रयोग

डेंगू के मरीजों के लिए गिलोय बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के इम्युन सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। इसके पत्ते का जूस पीने से प्लेटलेट्स काउंट भी तेजी से बढ़ता है। गिलॉय के पत्तों का काढा़ अगर नियमित रूप से पीते हैं तो डेंगू बुखार होने की संभावना कम हो जाती है, 10 गिलोय की बेल के छोटे छोटे टुकड़े तोड़कर उसे 2 लीटर पानी में थोड़ा सा अदरक और दो चुटकी अजवाइन के साथ सात मिनट तक उबालकर, थोड़ा ठंडा करके, रोगी को खाली पेट पीने को दें तो बेहद लाभ मिलता है ।

डेंगू में अंडा खाना चाहिए

डेंगू के रोगियों को आहार में हाई प्रोटीन और आयरन से भरपूर डाइट को शामिल करने की सलाह दी जाती है। अंडे में प्रोटीन आयरन और कईं तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसलिए डेंगू मरीज को अंडा खाने को दे सकते है। बस ध्यान रखें कि कैसे देना है.. * उबले हुए अंडे खाने को दें और अंडे का पीला हिस्सा हटाकर खाएं।अंडे का यह हिस्सा नुकसान पहुंचा सकता है। *अंडे को फ्राई करके खाना बिल्कुल एवोइड करें इससे उसमें फैट की मात्रा बढ़ जायेगी जो पचनें में मुश्किल करेगी। *और ध्यान रखें कि अधपके अंडे ना खायें इससे शरीर में इंफैक्शन का खतरा रहता है।

डेंगू में पैर दर्द का इलाज

फीवर के दौरान पैरों के दर्द की शिकायत अक्सर होती हैं- डॉक्टर बताते हैं कि दो तरह के पेन सामने आते हैं, क्यूट रिएक्टिव आर्थराइटिस और क्रॉनिक जाइंट पेन। रिसर्च से ये भी पता चला है कि मांसपेशियों और जोड़ों में अधिक समय तक दर्द रहने के लक्षण एक ऑटो इम्यून स्थिति भी हो सकती है। अगर ऐसा है तो सामान्य व्यायाम और पैरासिटामोल के द्वारा इसमें आराम मिल जायेगा, लेकिन जब अधिक समय तक आराम न मिले तो फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इसके अलावा घर पर नियमित तेल मालिश भी की जा सकती है, जिससे आराम मिलेगा। मालिश के लिए नारियल, तिल और सरसो का तेल अच्छा रहेगा।

क्या इलायची प्लेटलेट काउंट बढ़ता है?

डेंगू के इलाज को लेकर कुछ लोगों का यह मानना है की डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या में कमी आने पर इलायची के सेवन से प्लेटलेट की संख्या बढ़ जाती है ,आइए जानते हैं ,क्या ऐसा होता है?डॉक्टर्स की माने तो इलायची के सेवन से प्लेटलेट्स की संख्या में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है । इलायची पाचन शक्ति को सुधारने और मरीज के मुंह का स्वाद ठीक करने के काम में आती है ।डेंगू के दौरान मरीज के शरीर में होने वाली गर्मी से भी इलायची का सेवन फायदा पहुंचाता है परंतु इसके सेवन से प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ता है ।

कैल्शियम की कमी कैसे पूरी करें-कैल्शियम की कमी कैसे दूर करे

कैल्शियम की कमी कैसे दूर करें-जानिए कौन से है कैल्शियम रिच फ़ूड

कैल्शियम क्या होता है?

कैल्शियम हमारे शरीर में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला खनिज है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी और लाभदायक है। कैल्शियम एक रासायनिक तत्व है जो मनुष्यों सहित जीवित जीवों के लिए बहुत आवश्यक है। हमारी हड्डियों को मजबूत बनाने और मस्तिष्क के बाकी हिस्सों के साथ प्रभावी संचार बनाए रखने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है।

कैल्शियम की कमी से हमारे शरीर को बहुत प्रकार के नुकसान हो सकते हैं, और बीमारियां जकड़ सकती है इस लिए कैल्शियम की कमी को पूरा करना जरूरी है। कैल्शियम की कमी कैसे दूर करें, कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग और उनके इलाज के बारे में जानना आवश्यक है। जिस से हम कैल्शियम की कमी होने पर इसका उपचार कर सकें और गंभीर प्रकार के रोगों से बचाव कर सकें।

कैल्शियम की कमी के लक्षण और उपाय

कैल्शियम के आहार का भरपूर मात्रा में सेवन ना करना और कैल्शियम वाले पदार्थ का सेवन ना करने से इसकी कमी होना अवशक्यक है जिस से हड्डियों और मस्तिष्क का कमजोर होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। पोषक तत्वों की कमी होने की वजह से कैल्शियम की कमी हो सकती है। विटामिन डी, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व की कमी होने से कैल्शियम की मात्रा में भी गिरावट आती है।

इसका एक कारण बढ़ती उम्र भी होती है जैसे जैसे व्यक्ति बजुर्ग अवस्था की और बढ़ता है तो शरीर में कैल्शियम की कमी होना शुरू हो जाता है।

यदि बच्चे को शुरुआत में गाय का दूध पिलाया जाता है, तो फास्फोरस की अधिक मात्रा के कारण बच्चे में कैल्शियम की कमी हो सकती है। जन्म के दौरान बच्चे को कैल्शियम युक्त आहार ना मिले तो भी इसकी कमी हो सकती है।

कैल्शियम की कमी के लक्षण क्या होते हैं

कैल्शियम की कमी का पहला और सबसे बड़ा लक्षण ऑस्टियोपोरोसिस है। ऐसी स्थिति में बच्चों की हड्डियाँ पहले कमजोर होने लगती हैं। अगर शरीर में कैल्शियम की कमी है, तो यह आसानी से टूट सकती है। साथ ही, मांसपेशियों में अकड़न और दर्द भी होने लगता है। कुछ मामलों में रिकेट्स नामक बीमारी की संभावना है।

मजबूत नाखूनों के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। इसलिए आपके शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर नाखून बहुत कमजोर हो जाते हैं और वे टूटने लगते हैं। यदि ऐसा होता है, तो समझें कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है।

बालों का झड़ना
बालों का झड़ना

कैल्शियम की कमी के लक्षण दांतों पर भी दिखते हैं इस से दांत कमजोर हो जाते हैं और टूटने लगते हैं। मसूड़ों में दर्द होने लगता है। अगर इस प्रकार के लक्षण आप में दिखाई दे रहे हैं तो समझ जाएं कि कैल्शियम की कमी है।

मासिक धर्म मे गड़बड़ी हो रही है और अनियमित समय पर आ रहा है तो यह कैल्शियम की कमी का लक्षण हो सकता है।

यदि व्यक्ति हर समय थका हुआ महसूस करता है, तो वह कैल्शियम की कमी से गुजर रहा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब शरीर में हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द होता है, तब थकान शुरू होती है।

कैल्शियम की कमी होने पर व्यक्ति को ठीक से नींद नहीं आती और तनाव जाता है।

कैल्शियम की कमी को कैसे दूर करें घरेलू उपाय -कैल्शियम रिच फ़ूड

  • विटामिन डी यक्त पदार्थों का सेवन करना इसकी कमी पूरा करने का एक बढ़िया स्रोत है। कैल्शियम की कमी होने पर आपको धूप में बैठना और विटामिन डी देने वाले पदार्थों का सेवन करना जरूरी है।
  • कैल्शियम की कमी पूरा करने के लिए हमारे शरीर को मैग्नीशियम की भी जरुरत होती है। इसलिए हमें भोजन में ऐसे पदार्थो को भी लेना चाहिए, जिनसे हमें मैग्नीशियम की कमी पूरी हो।
  • कैल्शियम की कमी होने पर भोजन में यह सब्जियां शामिल करनी चाहिए। टमाटर, ककड़ी, मूली, मेथी, करेला, चुकन्दर, हरी पत्तेदार सब्जियां, अरबी के पत्ते, पालक आदि।
  • पपीते में बहुत सारा विटामिन सी होता है। शोध में पाया गया है कि जिन लोगों में विटामिन सी की कमी होती है, उनमें जोड़ों का दर्द आम है। इसलिए उन्हें नियमित रूप से पपीते का सेवन करना चाहिए, इस कैल्शियम की कमी को दूर किया जा सकता है।
  • आप कैल्शियम के लिए सूखे जड़ी बूटियों की मदद भी ले सकते हैं। अगर घर पर तुलसी के पत्ते या अजवाइन की पत्तियां या अजवाइन के बीज आसानी से मिल जाते हैं, तो हर दिन एक चम्मच का सेवन शुरू करें। आप इसे सलाद और सूप के साथ भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • कैल्शियम की कमी होने पर नियम से सात बादाम भिगोएँ और फिर उनका सेवन करें। भिगोने के बाद बादाम और भी अधिक पौष्टिक हो जाता है, जो बहुत फायदेमंद भी है।
  • यदि आप अपने भोजन में बहुत अधिक नमक खाते हैं तो इस को तुरंत कम कर दे क्योंकि नमक की ज्यादा मात्रा से भी कैल्शियम की कमी होती है।
  • कैल्शियम के अवशोषण में सोडा और सॉफ्ट ड्रिंक अच्छे नहीं हैं। इससे शरीर में फॉस्फेट की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है।

सामान्य प्रश्न

क्या कैल्शियम की कमी से बाल झड़ते हैं?

कैल्शियम की कमी से बाल तेजी से झड़ने लगते है।

क्या झड़े हुए बाल वापस आ सकते है?

हां इसके लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। बालो की अच्छी देखबाल करना चाहिए। और कैमिकल यूक्त शैम्पू का प्रयोग नही करना चाहिए।

बालो का झड़ना कैसे रोक सकते हैं?

संतुलित आहार, नियमित तेल, बालो की कंडिशनिंग करके और तनाव से दूर रहकर बालो का झड़ना रोक सकते है।

नाराज आसिम को मनाने के लिए हिमांशी ने पहना निकाह का जोड़ा और दी रमजान की मुबारके

asimriazhimanshi

बिग बॉस के तेहरवे सीजन में तीन सबसे चर्चित जोड़ियों में से एक हिमांशी खुराना और आसिम रियाज की जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। शो में आसिम ने बड़े ही रोमांटिक अंदाज में सबके सामने हिमांशी को प्रपोज किया। जबकि घर के अंदर ये कयास लगाए जा रहे थे कि बाहर आते ही ये रिश्ता टूट जायेगा। लेकिन शो खत्म होने के बाद दोनों ने खुलासा किया कि वो रिलेशनशिप में हैं। दोनों बिग्ग बॉस के घर से बाहर आने के बाद एक साथ कई वीडियो सांग्स कर चुके है। सब कुछ ठीक चल ही रहा था कि खबर आयी कि आसिम रियाज और हिमांशी खुराना का ब्रेकअप हो गया है।

ये चर्चा हिमांशी के एक ट्वीट की वजह से हुई जिसमे हिमांशी ने लिखा- ‘कोई भी हमें साथ में नहीं देखना चाहता है।’ इसके साथ ही टूटे हुए दिल का इमोजी बना हुआ है। हिमांशी के इस ट्वीट पर आसिम रियाज का जवाब आया है। उन्होंने इस ट्वीट के कमेंट में लिखा।

आसिम ने हिमांशी के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा है, ‘हिमांशी मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। कोई मतलब नहीं है वो क्या कहते हैं या क्या करते हैं।’ आसिम के इस ट्वीट के बाद साफ हुआ कि अभी भी दोनों का रिश्ता कायम है।

himanshi khurana
himanshi khurana

इसी सब के चलते हिमांशी खुराना और आसिम रियाज के बीच मन-मुटाव चल रहा है। अब आसिम को मनाने के लिए हिमांशी खुराना ने निकाह का जोड़ा पहना और उन्होंने आसिम को रमजान की शुभकामनाएं दी। हिमांशी ने अपनी ये तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है। आसिम को भी हिमांशी का ये अंदाज काफी पसंद आया और अपनी नाराजगी को साइड में रखकर उन्होंने हिमांशी की सोशल मीडिया पर तारीफ कर दी। आसिम ने हिमांशी की तस्वीर पर लिखा स्टनिंग।

जानिए कौन से है आयरन की कमी से होने वाले रोग-Iron Ki Kami Se Hone Wale Rog

आयरन की कमी से रोग

हमारे शरीर मे जिन तत्वों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है उनमें आयरन सबसे खास है। आखिर ऐसा क्यों? आज इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार से आयरन के बारे में बताएंगे। साथ ही ये भी बताएंगे कि आयरन की कमी से कौन से रोग होते है।

आयरन शरीर मे क्यों जरूरी है

  • हीमोग्लोबीन के उत्पादन के लिए
  • मांसपेशियो के प्रोटीन बनाने के लिए
  • शरीर मे होने वाली केमिकल रिएक्शन के जरूरी एंजाइम बनाने के लिए
  • आयरन बोन मैरो में हीमोग्लोबिन बनाता है। यही हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को शरीर के सभी भागों तक पहुँचाता है।

तो अब आप सोच सकते है कि यदि शरीर मे आयरन की कमी हो जाए तो क्या होगा। इससे खून की कमी भी हो सकती है। जब ऐसा होता है तो रेड ब्लड सेल सामान्य से छोटे हो जाते हैं, जिससे हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। इससे शरीर को कई बीमारिया घेर लेती हैं।

आयरन कब होता है अच्छे से अवशोषित

हमारे रोजमर्रा के भोजन में दो प्रकार के आयरन होते है

हेम आयरन

मांस, मुर्गी और मछली में हेम आयरन होता है, और यह आसानी से शरीर में अवशोषित हो जाता है।

नाॅॅॅन-हेम आयरन

पौधों, खाद्य पदार्थों जैसे कि सब्जियों, अनाज, बीन्स और मसूर में नाॅॅॅन-हेम आयरन पाया जाता है और जाेकि शरीर द्वारा अच्छी तरह से अवशोषित नहीं किया जाता।

आयरन का अवशोषण कब अच्छा होता है

आयरन का सेवन खाली पेट करे, दूध और एंटासिड के साथ या उसके आसपास आयरन खाद्य पदार्थो का सेवन न करे। कुछ लोग भोजन के साथ या खाना खाने के तुरन्त बाद चाय लेते हैं। उन्हें लगता है ऐसा करने से भोजन पच जाएगा। भोजन के साथ चाय पीने से बचें क्योंकि चाय में टैनिन भोजन से लोहे के अवशोषण को रोकता है। साथ ही शराब का सेवन भी शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण के साथ हस्तक्षेप करता है,

आयरन की कमी क्यों होती हैं

  • गर्भावस्था में शिशु की पोषण सम्बन्धी जरूरतें पूरी करने के कारण महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी हो जाती है।
  • पेट में अल्सर, कोलन कैंसर होने के कारण आयरन की कमी हो जाती है।
  • आयरन युक्त आहार कम लेने से आयरन की कमी हो जाती है।
  • तीव्र ब्लड लॉस होने से भी आयरन की कमी हो जाती है।
  • कुछ दर्द की दवाइया लेने से भी आयरन की कमी हो जाती है।
  • माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव होने से भी आयरन की कमी हो जाती है।

आयरन की कमी से होने वाले रोग-Iron Ki Kami Se Hone Wale Rog

बिना कारण थकान होना

हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आयरन की आवश्यकता होती है, जो रेड ब्लड सेल्स में पाया जाता है। हीमोग्लोबिन शरीर के चारों ओर ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है।

जब हीमोग्लोबिन ही कम होगा तो मसल्स और टिश्यू को ऑक्सीजन के रूप में एनर्जी कैसे मिलेगी।

थकान होना
थकान होना

हार्ट पर ज़ोर पड़ना

हिमोग्लोबिन कम होंने पर जब पूरे शरीर मे ऑक्सीजन कम जा रही है, तो शरीर के जरूरी अंगों तक ऑक्सीजन पहुचाने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। थकान महसूस होने का ये भी एक कारण है।

सिरदर्द और चक्कर आना

यदि आपको बार बार चक्कर या सरदर्द की शिकायत है तो ये आयरन की कमी हो सकती है। आयरन में कमी मतलब हीमोग्लोबिन में कमी और इसका मतलब की ब्रेन तक भी ऑक्सीजन सही से नही जा रही। ऐसे मे दबाव और सिरदर्द हो सकता है।

सांस फूलना

जब आयरन की कमी के दौरान आपके शरीर में हीमोग्लोबिन कम होता है, तो ऑक्सीजन का स्तर भी कम होगा। इसी कारण सामान्य कार्यो के दौरान सांस फूलने की समस्या होती है। ।

यहां तक कई बार आप बात करते हुए सांस लेने में दिक्कत महसूस करते है।

इन सबके अलावा आयरन की कमी से रोग है, त्वचा का पीलापन, रेस्टलेस् लेग सिंड्रोम(पैर में झनझनाहट महसूस करना), दर्द, जीभ और मुंह की सूजन, हाथ, पैर ठंडे होना, बार बार संक्रमण होना, कोइलोनेशिया (यह अक्सर टुटे नाखूनों से शुरू होता है जिसमे आसानी से दरार पड़ जाती है। आय़रन की कमी से भंगूर नाखून हो सकते हैं) आदि।

आयरन की कमी से बचने के लिए क्या करे

  • हरे पत्तेदार साग, साबुत अनाज और फलियां इन सभी में आयरन हैं अपने अवशोषण को बढ़ावा देने के लिए बेल-मिर्च, जामुन और ब्रोकोली जैसे विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों का भी सेवन कर सकते हैं।
  • गर्भावस्था में डॉक्टर के बताए हुए आयरन सप्पलीमेंट जरूर ले।

ये हो सकते हैं खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण-Vomiting In Hindi

खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण

खाया हुआ खाना अथवा पानी किसी कारण से जब तेजी के साथ पेट से बाहर आता है तो ऐसी स्थिति को उल्टी होना कहते हैं । उल्टी होने से पहले व्यक्ति का जी मिचलाता है और मतली होने लगती हैं। मतली और उल्टी दिमाग के उसी हिस्से से नियंत्रित होती है जो किसी काम को करने के प्रति इच्छा ना होने का भाव प्रकट करता है। उल्टी बच्चों ,वयस्कों और बूढ़ों किसी भी उम्र में हो सकती है। कई लोगों पर खाना खाने के तुरंत बाद उल्टी की समस्या होती है खाना पचता नहीं है और उल्टी के रूप में बाहर आ जाता है। आइए जानते हैं खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण क्या हैं?

खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण-Vomiting In Hindi

फूड पॉइजनिंग

कई बार बासी, दूषित अथवा बैक्टीरिया से संक्रमित भोजन खाने से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो जाती है। फूड पॉइजनिंग होने पर बुखार, पेट दर्द ,दस्त, जी मिचलाना, असहजता और उल्टी आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। फूड पॉइजनिंग के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को पानी, तरल पदार्थ और ओ आर एस का घोल देते रहें। जंक फूड ,डेरी प्रोडक्ट और अल्कोहल से दूर रखें।

फूड पॉइजनिंग
फूड पॉइजनिंग

ज्यादा भोजन करना

जरूरत से ज्यादा खाना खाने या ओवरइटिंग करने से पेट में पड़ा भोजन ठीक प्रकार से पच नहीं पाता और उल्टी होने लगती है। जिन लोगों की  किसी भी प्रकार की सर्जरी हो रखी है उनका पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है उन्हें ज्यादा खाना खाने से बचना चाहिए । उपचार के रूप में पुदीना, अजवाइन ,इलायची, सौंफ का सेवन करना चाहिए।

और पढ़ें: बच्चों की उल्टी का इलाज

माइग्रेन

माइग्रेन के कारण सिर में भयंकर दर्द होता है और साथ ही साथ मतली या उल्टी समस्या होती है । यदि माइग्रेन के कारण उल्टी की समस्या हो रही है तो ऐसी स्थिति में खुली हवा में सांस लेने का प्रयास करना चाहिए खिड़कियां खोल देनी चाहिए और कपड़े ढीले कर देना चाहिए । शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए लेकिन एक साथ बहुत सारा पानी पीने से बचना चाहिए ।

कैंसर रोग

कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी की जाती है । कीमोथेरेपी के दौरान दी जाने वाली दवाइयों के कारण अक्सर मरीज को खाने के बाद उल्टी की समस्या उत्पन्न हो जाती है ।

 एसिड रिफ्लेक्स

शरीर में  एसिड या पित्त की मात्रा बढ़ने पर पाचन तंत्र में भी एसिड बढ़ जाता है । ऐसे में अन्न प्रणाली खुल जाती है और एसिड का प्रवाह गले और गर्दन के पीछे तक होने लगता है ऐसी स्थिति में कई बार खाने  के बाद उल्टी होने की समस्या हो जाती है । इस बीमारी को गैस्ट्रोएसोफैजल रिफ्लक्स डिजीज (जी. ई. आर. डी ) भी कहा जाता है। आयुर्वेदिक उपचार द्वारा इस बीमारी को बढ़ने से रोकने में काफी मदद मिलती है ।

गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को अक्सर भोजन के बाद उल्टी करने की इच्छा होने लगती है । एक निश्चित समय के बाद क्या समस्या खत्म हो जाती है । कई बार हार्मोन परिवर्तन के कारण भी इस प्रकार की समस्या महिलाओं में होती है । वैसे तो ऐसा होना सामान्य है परंतु यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

खाद्य पदार्थों से एलर्जी

कभी-कभी व्यक्ति को कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों से एलर्जी होती है और इनका सेवन, खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण हो सकता है। कई लोगों को गेहूं, दूध, डेरी प्रोडक्ट ,मशरूम आदि  से एलर्जी होती है ।

मनोवैज्ञानिक कारण

एनोरेक्सिया यानी तनाव और चिंता के कारण भी कई बार खाने के तुरंत बाद मतली अथवा उल्टी होने की स्थिति हो सकती है । ऐसी स्थिति में तनाव से खुद को दूर रखें और खुश रहने का प्रयास करें। जब भी तनाव की स्थिति उत्पन्न हो तो कम खाएं ।

चिकित्सकीय कारण

यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की बीमारी से संबंधित दवाई ले रहा है तो ऐसी स्थिति में भी खाना खाने के बाद उल्टी और जी मिचलाने की समस्या हो जाती है । ऐसा होने पर चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए ।

लीवर में खराबी अथवा कम काम करना

यदि आपका लीवर ठीक से काम नहीं कर रहा है तो खाने के बाद उल्टी होना और जी मिचलाना, एसिडिटी ,अपच , मुंह से बदबू आना, त्वचा के रंग में परिवर्तन , सुबह उठने पर मुंह का कड़वा लगना, यूरिन के रंग में परिवर्तन होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं । यदि आपको ऐसा महसूस हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।

उपरोक्त सभी कारणों के कारण व्यक्ति को आने के बाद उल्टी की समस्या होती है। वैसे तो यह कोई गंभीर रोग नहीं है परंतु यदि यह समस्या लगातार बनी रहती है तो चिकित्सक से संपर्क करने में देर नहीं करनी चाहिए ।

जानिए क्या है ग्रीन कॉफी के फायदे-Benefits Of Green Coffee In Hindi

जानिए क्या है ग्रीन कॉफी के फायदे

वर्तमान समय में कॉफी और चाय हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। पहले समय में लोग चाय कॉफी का सेवन सिर्फ स्वाद के लिए किया करते थे परंतु आजकल स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिहाज से भी चाय और कॉफी का सेवन किया जाता है।आजकल ग्रीन कॉफी का चलन जोरों पर है लोग वजन घटाने से लेकर अन्य कई कामों में ग्रीन कॉफी का प्रयोग कर रहे हैं आइए जानते हैं आखिरी ग्रीन कॉफी क्या है ?
ग्रीन कॉफी सामान्य कॉफी से अलग नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है की सामान्य कॉफी बनाने के लिए कॉफी के बीजों को भूना जाता है और ग्रीन कॉफी में कॉफी के बीजों को बिना भूने उनके प्राकृतिक  हरे रंग में ही उन्हें पीसकर ग्रीन कॉफी बनाई जाती है। कॉफी के बीजों में क्लोरोजेनिक एसिड होता है जो बीजों को भूनने के बाद खत्म हो जाता है इसलिए वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि ग्रीन कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड मौजूद रहता है और यह हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं ग्रीन कॉफी के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं।

जानिए क्या है ग्रीन टी के फायदे-Benefits Of Green Coffee In Hindi

वजन घटाने के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे

गलत खानपान और व्यस्त दिनचर्या के कारण आजकल अधिकांश लोग ओबीसीटी यानी मोटापे के शिकार हैं। बढ़ता हुआ मोटापा कई बीमारियों का कारण बनता है इसलिए लोग वजन घटाने का प्रयास करते हैं । जो लोग वजन घटाने का प्रयास कर रहे हैं उनके लिए ग्रीन कॉफी काफी फायदेमंद है। कई वैज्ञानिक शोधों में बढ़ते हुए वजन को कम करने के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे देखे गए हैं। ग्रीन कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है जो जो शरीर में जमी चर्बी को कम करता है और वजन घटाने में मदद करता है इसके अलावा यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर जल्दी वजन घटाने में सहायक साबित होता है ।

ह्रदय के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे

ग्रीन कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड के अलावा और भी कई सारे ऐसे घटक पाए जाते हैं जो मनुष्य के विदाई के लिए बेहद लाभदायक होते हैं यह सारे तत्व ह्रदय को स्वस्थ रखने में हमारी सहायता करते हैं ।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक

तला भूना खाना और जंक फूड के सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का बढ़ना आजकल एक आम समस्या हो गई है। ग्रीन कॉफी एक्सट्रैक्ट का उपयोग करके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार ग्रीन कॉफी बीन एक्सट्रैक्ट कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल – सी के स्तर को कम करता है ।

एकाग्रता बढ़ाता है और मूड को अच्छा बनाता है

ग्रीन कॉफी में नियंत्रित मात्रा म में पाया जाने वाला क्या किया याददाश्त और मानसिक सुधार में लाभदायक होता है। अल्जाइमर के रोगियों पर भी ग्रीन कॉफी का उपयोग फायदेमंद साबित होता है इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं जो अल्जाइमर और अन्य प्रकार के मानसिक रोगों और तनाव के लिए लाभदायक हैं । प्रतिदिन एक कप ग्रीन कॉफी का सेवन हमारे मूड को अच्छा बनाता है और स्ट्रेस लेवल  को कम करता है ।

मधुमेह की समस्या में लाभदायक

आज हर चौथा व्यक्ति मधुमेह की समस्या से ग्रसित है ग्रीन कॉफी का उपयोग मधुमेह की समस्या को कम करने के लिए लाभदायक है। ग्रीन कॉफी में पाए जाने वाले क्लोरोजेनिक एसिड में हाइपोग्लाइसेमिक और एंटी डायबिटिक प्रभाव पाए जाते हैं जो मधुमेह की समस्या पर सकारात्मक प्रभाव दिखाते हैं । दवा के साथ साथ ग्रीन कॉफी का सेवन करने से मधुमेह की समस्या काफी हद तक नियंत्रित हो सकती है । प्रतिदिन एक से दो कप ग्रीन कॉफी का सेवन करके 30% तक टाइप 2  मधुमेह की समस्या में लाभ प्राप्त किया जा सकता है ।

सरदर्द की समस्या में ग्रीन कॉफी के फायदे

सर दर्द और माइग्रेन की समस्या में ग्रीन कॉफी का प्रयोग कुछ हद तक लाभदायक होता है। ग्रीन कॉफी में 1.2 प्रतिशत कैफीन पाई जाती है जो सर दर्द और माइग्रेन में लाभदायक होती है परंतु इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए की अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन शरीर में नकारात्मक प्रभाव डालता है ।

ग्रीन कॉफी
ग्रीन कॉफी

कैंसर की बीमारी के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे

कैंसर जैसी घातक बीमारी को रोकने में ग्रीन कॉफी काफी फायदेमंद हो सकती है । शोध के अनुसार ग्रीन कॉफी में एंटी प्रोफिलरेटिव अर्थात ट्यूमर कोशिकाओं के विस्तार को कम करने वाला गुण पाया जाता है । दवाइयों के साथ-साथ ग्रीन कॉफी का सेवन कैंसर की रोकथाम में लाभ प्रदान करता है ।

भूख पर नियंत्रण

मोटापे से ग्रसित लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वह अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं ग्रीन कॉफी का सेवन करके इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है । दरसअल ग्रीन कॉफी में भूख को कम करने की क्षमता होती है या खाने की इच्छा को नियंत्रित करती है और जिसके कारण वजन घटाने में सहायता मिलती है ।

एंटीऑक्सीडेंट गुणों का भंडार

ग्रीन कॉफी के बीजों में पाए जाने वाले क्लोरोजेनिक एसिड में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो शरीर को फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाए रखते हैं ।

ब्लड प्रेशर की समस्या में ग्रीन कॉफी के फायदे

कई सारी समस्याओं के साथ-साथ ग्रीन कॉफी ब्लड प्रेशर को  कम करने में भी फायदेमंद होती है । कुछ शोधों से  पता चला है की ग्रीन कॉफी में पाए जाने वाला क्लॉरोजेनिक एसिड रक्तचाप को नियंत्रित करने में अत्यधिक लाभदायक है ।

हड्डियों की मजबूती में लाभदायक

स्वस्थ रखने  के साथ साथ ग्रीन कॉफी का उपयोग हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी किया जाता है। सौ ग्राम ग्रीन कॉफी में लगभग लगभग 108 मिलीग्राम कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए लाभदायक है । कैल्शियम की कमी पूरी करने और हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए ग्रीन कॉफी का  सेवन काफी फायदेमंद है ।

बालों के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे

लंबे घने और मजबूत बालों की चाहत सभी को होती है ऐसी स्थिति में ग्रीन कॉफी का सेवन एक अच्छा विकल्प  है जो बालों को स्वस्थ रखता है । ग्रीन कॉफी में आयरन और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बालों को मजबूत, घना और चमकदार बनाते हैं ।

एंटी एजिंग गुणों से भरपूर

ग्रीन कॉफी बढ़ती हुई उम्र के प्रभावों को रोकने के लिए काफी मददगार है ।यह झुर्रियों को कम कर त्वचा में कसावट लाने का कार्य करती है ।

स्तन के लिए लाभदायक

एक शोध के अनुसार ग्रीन कॉफी के सेवन से महिलाओं के स्तनों के आकार में वृद्धि हो सकती है इसलिए स्तनों के आकार में वृद्धि की इच्छा रखने वाली महिलाओं को ग्रीन कॉफी का सेवन करना चाहिए ।

ग्रीन कॉफी बनाने की विधि

ग्रीन कॉफी के फायदे तो सभी जानते हैं परंतु इसे सही प्रकार से बनाने की विधि भी जानना आवश्यक है । ग्रीन कॉफी बनाने की विधि इस प्रकार है –

सामग्री –

* ग्रीन कॉफी के बीज – 10 ग्राम
*तीन चौथाई कप पानी

विधि

ग्रीन कॉफी बनाने के लिए सबसे पहले ग्रीन कॉफी बींस को रात भर के लिए पानी में भिगोकर रख दें और अगली सुबह बीजों सहित पानी को करीब 15 मिनट तक हल्की आंच पर उबाले जिसके कारण बीजों का हरा रंग पानी में आ जाएगा अब पानी को उतारकर छान लें । हल्का गुनगुना रहे जाए तो उसका सेवन करें ।

ग्रीन कॉफी के बीजों के अलावा  एक चम्मच ग्रीन कॉफी पाउडर को भी पानी में घोलकर कॉफी बनाई जा सकती है। बेहतर परिणाम के लिए ग्रीन कॉफी में चीनी अथवा शहद का प्रयोग ना करें और ना ही इसमें दूध मिलाएं ।

शहद
शहद

सेवन की मात्रा

  • ग्रीन कॉफी में कैफ़ीन की मात्रा पाई जाती है इसलिए इसका अत्यधिक सेवन नुकसानदायक होता है।
  • पूरे दिन में अधिकतम 2 कप ग्रीन कॉफी का सेवन पर्याप्त है ।
  • गर्भवती और स्तनपान करवाने वाले महिलाओं और बच्चों को ग्रीन कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए ।

ग्रीन कॉफी पीने का सही समय

कोई भी चीज तभी फायदा करती है जब उससे सही समय पर लिया जाए । आइए जानते हैं ग्रीन कॉफी को पीने का सही समय क्या है ?

ग्रीन कॉफी का सेवन सुबह खाली पेट या दोपहर को भोजन से आधे घंटे पहले अथवा खाने के एक घंटे बाद करना चाहिए ।

ग्रीन कॉफी के नुकसान

  •  ग्रीन कॉफी में पाई जाने वाली कैफीन की मात्रा के कारण इसका अधिक सेवन करने से तनाव, रक्त विकार ,दस्त और उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है ।
  • अधिक मात्रा में ग्रीन कॉफी का सेवन यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन का कारण बन सकता है ।
  • कुछ मामलों में ग्रीन कॉफी में मौजूद कैफ़ीन शरीर में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ा देता है जिसके कारण सारा कैल्शियम  मूत्र में बह जाता और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं ।
  • अधिक मात्रा में ग्रीन कॉफी का सेवन ह्रदय रोगों को निमंत्रण दे सकता है ।

इस प्रकार सीमित मात्रा में ग्रीन कॉफी का सेवन शरीर में सकारात्मक प्रभाव डालता है वही अधिक मात्रा में इसके सेवन से नुकसान भी होते हैं । गंभीर प्रकार की बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को ग्रीन कॉफी का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए ।

ग्रीन कॉफी कैप्सूल क्या है ?

आजकल ग्रीन कॉफी पाउडर के अलावा ग्रीन कॉफी कैप्सूल भी चलन में है ,ग्रीन कॉफी कैप्सूल ग्रीन कॉफी बीजों के एक्सट्रैक्ट से बनाए जाते हैं । मेडिकल स्टोर्स पर कई सारे ब्रांड्स के ग्रीन कॉफी कैप्सूल आसानी से मिल जाते हैं  ग्रीन कॉफी के स्थान पर इनका सेवन करके भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है ।

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