कायम चूर्ण बहुत सालो से कब्ज के इलाज के तौर पर जाना जाता है। कायम चूर्ण को बनाने में अलग अलग प्रकार की जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। विभिन्न जड़ी बूटियों का ये मिश्रण बदहजमी और अपचन को ठीक करता है। सेठ ब्रदर्स का उत्पाद का कायम चूर्ण एक आयुर्वेदिक पाउडर है। आज इस आर्टिकल में हम आपको कायम चूर्ण के फायदे बताएंगे। साथ ही बताएंगे इसके तत्व, इसके नुकसान और कायम चूर्ण लेने का तरीका।
आपने विभिन्न मैगज़ीन, टीवी, रेडियो पर देखा और सुना ही होगा। यह दवा बहुत ही अच्छे तरीके से पेट को साफ करती है। बेशक ये दवा पेट के लिए अच्छी है लेकिन अति हर चीज़ की बुरी होती है। लगातार कायम चूर्ण लेना सही नही है।
उम्मीद है इस आर्टिकल में आपको इस बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
दवा का नाम- कायम चूर्ण
निर्माता: सेठ ब्रदर
मुख्य प्रयोग: कब्ज़
कायम चूर्ण क्या है?
कायम चूर्ण बहुत सी हर्बल चीज़ों को मिलाकर बनाया गया एक पाउडर है। इस चूर्ण का निर्माण गुजरात के भावनगर में होता है। इस चूर्ण में सबसे ज्यादा मात्रा में, 50% सनाय की पत्तियां होती है। अब आप सोचेंगे कि सनाय क्या है तो हम आपको बताते है।
सनाय
बंजर भूमि में उगने वाला ये पौधा दस्तावर प्रभाव लिए होता है। कब्ज को दूर करने वाली ज्यादतर दवाओं में इसका प्रयोग किया जाता है।इसके अलावा इसे चर्म रोगों, पीलिया, अस्थमा, मलेरिया, बुखार, अपच आदि में भी प्रयोग किया जा रहा है ।
इसका प्रयोग कभी भी 6 साल से कम उम्र के बच्चो के लिए नही करना चाहिए। डॉक्टर से सलाह लेकर ही इसका प्रयोग करे क्योंकि इससे आंत्र रुकावट अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी समस्या हो सकती है।
कायम चूर्ण खाने के फायदे-Kayam Churna Benefits In Hindi
यदि आपको बहुत ही कठोर मल हो रहा है, तो कायम चूर्ण लेने से यह समस्या धीरे धीरे खत्म हो जाएगी।
कई-कई दिन तक पेट साफ न हो रहा हो, तो रोज रात को सोने से पहले इसका प्रयोग करे फायदा होगा।
मल त्यागते समय बहुत जोर लगाना पड़ रहा हो जिससे गुदा छिल कर, खून तक बहने लगा हो। तो तुरन्त खानपान पर ध्यान दे। मसालेदार खाना बंद करें। सुपाच्य भोजन के साथ कायम चूर्ण का सेवन करे।
पेट में भारीपन महसूस हो तो सुबह नाश्ते के आधे घण्टे बाद कायम चूर्ण का सेवन करे।
गैस, भूख न लगना जैसी समस्याओ में कायम चूर्ण तुरन्त असर दिखाता है।
मुंह के छालें जो कब्ज़ के कारण हैं वो भी कब्ज खत्म होने के साथ खत्म हो जाते है।
शरीर में ज्यादा पित्त होने पर भी कायम चूर्ण फायदा करता है।
सरदर्द
यदि समय रहते कब्ज के हल्के लक्षणो का इलाज न किया जाए तो स्थिति गम्भीर हो सकती हो और आपको बवासीर, फिस्टुला जैसी दिक्कत हो सकती है जो बहुत ही पीड़ादायक है।
कायम चूर्ण का सेवन कैसे करें-How To Take Kayam Churna
वयस्क: 3 से 6 ग्राम या 1/2- 1 चम्मच, सोते समय गुनगुने पानी के साथ।
कायम चूर्ण के साइड इफेक्ट
कायम चूर्ण को लगातार न ले ,इससे इंटेस्टाइन का पेरिस्ताल्टिक मूवमेंट प्रभावित होता है। सीधे शब्दों में कहे तो नियमित लेने से पेट को इसकी आदत हो जाती है।
ये आंतो को कमजोर कर सकता है।
पेट दर्द, दस्त और शरीर में पानी की कमी हो सकती है। नियमित उपयोग से स्पर्म और क्वालिटी पर फर्क पड़ सकता है।
इसके अलावा ऐंठन, चक्कर आना भूख में कमी, मांसपेशी में कमज़ोरी, आंखों या होंठों में सूजन त्वचा पर चकत्ते जैसे साइड इफ़ेक्ट हो सकते है।
9 मार्च यानी आज नो स्मोकिंग डे है। इस दिन दुनिया भर में लोगों को धूम्रपान न करने के बारे में जागरूक और प्रोत्साहित किया जाता है। नो स्मोकिंग डे हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य धूम्रपान की बुरी आदतों से छुटकारा पाना है। तंबाकू या सिगरेट एक हानिकारक पदार्थ है, जिसके सेवन से कई बीमारियां हो सकती हैं। इसका अधिक सेवन गंभीर बीमारियों को बढ़ावा देता है और शरीर को कमजोर बनाता है। कैंसर जैसी घातक बीमारी धूम्रपान से होती है। वहीं धूम्रपान की वजह से भी दिल से जुड़ी बीमारियां हो रही हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ धूम्रपान न करने की सलाह देते हैं। लेकिन एक बार जब आप धूम्रपान की आदत डाल लेते हैं, तो इसे छोड़ना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अगर आप सिगरेट या तंबाकू की लत छोड़ना चाहते हैं, तो पहले अपने भीतर संकल्प जगाएं और फिर उस फैसले पर अडिग रहें। सिगरेट छोड़ने के कुछ आसान उपाय यहां दिए गए हैं।
मुलेठी का स्वाद हल्का मीठा होता है, जो धूम्रपान करने की इच्छा को खत्म करने में मदद करता है। लाल मिर्च धूम्रपान छोड़ने में भी मदद कर सकती है, इसके लिए एक गिलास पानी में एक चुटकी लाल मिर्च मिलाएं और रोजाना इसका सेवन करें।
नींबू पानी
नींबू शरीर के लिए तो फायदेमंद होता है लेकिन धूम्रपान की लत को दूर करने में भी यह मदद करता है। सुबह सबसे पहले एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पिएं। इससे आपको सिगरेट पीने की आजादी मिलेगी।
नींबू पानी
योगासन
सिगरेट की लत से छुटकारा पाने के लिए योगासन भी एक कारगर उपाय है। मन को एकाग्र करने और व्यसनों से मुक्ति पाने के लिए आपको सेतुबंधासन, भुजंगासन, बालासन और सर्वांगासन करना चाहिए। आप भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
डॉक्टर की सलाह
डॉक्टर से सलाह लेने के बाद निकोटीन की जगह लेने से भी आपको सिगरेट की लत छोड़ने में मदद मिलेगी।
आजकल के समय में बालों का झड़ना एक बहुत आम समस्या है। इंदुलेखा तेल भृंगराज, आंवला, शिकाकाई जैसी 13 जड़ी बूटियों से बना एक आयुर्वेदिक तेल है जो बालों से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए एक कारगर औषधि है। आइए जानते हैं इंदु लेखा तेल के फायदे और नुकसान क्या क्या हैं।
हमारे शरीर मे जिन तत्वों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है उनमें आयरन सबसे खास है। आखिर ऐसा क्यों? आज इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार से आयरन के बारे में बताएंगे। साथ ही ये भी बताएंगे कि आयरन की कमी से कौन से रोग होते है।
शरीर मे होने वाली केमिकल रिएक्शन के जरूरी एंजाइम बनाने के लिए
आयरन बोन मैरो में हीमोग्लोबिन बनाता है। यही हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को शरीर के सभी भागों तक पहुँचाता है।
तो अब आप सोच सकते है कि यदि शरीर मे आयरन की कमी हो जाए तो क्या होगा। इससे खून की कमी भी हो सकती है। जब ऐसा होता है तो रेड ब्लड सेल सामान्य से छोटे हो जाते हैं, जिससे हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। इससे शरीर को कई बीमारिया घेर लेती हैं।
आयरन कब होता है अच्छे से अवशोषित
हमारे रोजमर्रा के भोजन में दो प्रकार के आयरन होते है
हेम आयरन
मांस, मुर्गी और मछली में हेम आयरन होता है, और यह आसानी से शरीर में अवशोषित हो जाता है।
नाॅॅॅन-हेम आयरन
पौधों, खाद्य पदार्थों जैसे कि सब्जियों, अनाज, बीन्स और मसूर में नाॅॅॅन-हेम आयरन पाया जाता है और जाेकि शरीर द्वारा अच्छी तरह से अवशोषित नहीं किया जाता।
आयरन का अवशोषण कब अच्छा होता है
आयरन का सेवन खाली पेट करे, दूध और एंटासिड के साथ या उसके आसपास आयरन खाद्य पदार्थो का सेवन न करे। कुछ लोग भोजन के साथ या खाना खाने के तुरन्त बाद चाय लेते हैं। उन्हें लगता है ऐसा करने से भोजन पच जाएगा। भोजन के साथ चाय पीने से बचें क्योंकि चाय में टैनिन भोजन से लोहे के अवशोषण को रोकता है। साथ ही शराब का सेवन भी शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण के साथ हस्तक्षेप करता है,
आयरन की कमी क्यों होती हैं
गर्भावस्था में शिशु की पोषण सम्बन्धी जरूरतें पूरी करने के कारण महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी हो जाती है।
पेट में अल्सर, कोलन कैंसर होने के कारण आयरन की कमी हो जाती है।
आयरन युक्त आहार कम लेने से आयरन की कमी हो जाती है।
तीव्र ब्लड लॉस होने से भी आयरन की कमी हो जाती है।
कुछ दर्द की दवाइया लेने से भी आयरन की कमी हो जाती है।
माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव होने से भी आयरन की कमी हो जाती है।
आयरन की कमी से होने वाले रोग-Iron Ki Kami Se Hone Wale Rog
बिना कारण थकान होना
हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आयरन की आवश्यकता होती है, जो रेड ब्लड सेल्स में पाया जाता है। हीमोग्लोबिन शरीर के चारों ओर ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है।
जब हीमोग्लोबिन ही कम होगा तो मसल्स और टिश्यू को ऑक्सीजन के रूप में एनर्जी कैसे मिलेगी।
थकान होना
हार्ट पर ज़ोर पड़ना
हिमोग्लोबिन कम होंने पर जब पूरे शरीर मे ऑक्सीजन कम जा रही है, तो शरीर के जरूरी अंगों तक ऑक्सीजन पहुचाने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। थकान महसूस होने का ये भी एक कारण है।
सिरदर्द और चक्कर आना
यदि आपको बार बार चक्कर या सरदर्द की शिकायत है तो ये आयरन की कमी हो सकती है। आयरन में कमी मतलब हीमोग्लोबिन में कमी और इसका मतलब की ब्रेन तक भी ऑक्सीजन सही से नही जा रही। ऐसे मे दबाव और सिरदर्द हो सकता है।
सांस फूलना
जब आयरन की कमी के दौरान आपके शरीर में हीमोग्लोबिन कम होता है, तो ऑक्सीजन का स्तर भी कम होगा। इसी कारण सामान्य कार्यो के दौरान सांस फूलने की समस्या होती है। ।
इन सबके अलावा आयरन की कमी से रोग है, त्वचा का पीलापन, रेस्टलेस् लेग सिंड्रोम(पैर में झनझनाहट महसूस करना), दर्द, जीभ और मुंह की सूजन, हाथ, पैर ठंडे होना, बार बार संक्रमण होना, कोइलोनेशिया (यह अक्सर टुटे नाखूनों से शुरू होता है जिसमे आसानी से दरार पड़ जाती है। आय़रन की कमी से भंगूर नाखून हो सकते हैं) आदि।
आयरन की कमी से बचने के लिए क्या करे
हरे पत्तेदार साग, साबुत अनाज और फलियां इन सभी में आयरन हैं अपने अवशोषण को बढ़ावा देने के लिए बेल-मिर्च, जामुन और ब्रोकोली जैसे विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों का भी सेवन कर सकते हैं।
गर्भावस्था में डॉक्टर के बताए हुए आयरन सप्पलीमेंट जरूर ले।
खाया हुआ खाना अथवा पानी किसी कारण से जब तेजी के साथ पेट से बाहर आता है तो ऐसी स्थिति को उल्टी होना कहते हैं । उल्टी होने से पहले व्यक्ति का जी मिचलाता है और मतली होने लगती हैं। मतली और उल्टी दिमाग के उसी हिस्से से नियंत्रित होती है जो किसी काम को करने के प्रति इच्छा ना होने का भाव प्रकट करता है। उल्टी बच्चों ,वयस्कों और बूढ़ों किसी भी उम्र में हो सकती है। कई लोगों पर खाना खाने के तुरंत बाद उल्टी की समस्या होती है खाना पचता नहीं है और उल्टी के रूप में बाहर आ जाता है। आइए जानते हैं खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण क्या हैं?
खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण-Vomiting In Hindi
फूड पॉइजनिंग
कई बार बासी, दूषित अथवा बैक्टीरिया से संक्रमित भोजन खाने से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो जाती है। फूड पॉइजनिंग होने पर बुखार, पेट दर्द ,दस्त, जी मिचलाना, असहजता और उल्टी आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। फूड पॉइजनिंग के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को पानी, तरल पदार्थ और ओ आर एस का घोल देते रहें। जंक फूड ,डेरी प्रोडक्ट और अल्कोहल से दूर रखें।
फूड पॉइजनिंग
ज्यादा भोजन करना
जरूरत से ज्यादा खाना खाने या ओवरइटिंग करने से पेट में पड़ा भोजन ठीक प्रकार से पच नहीं पाता और उल्टी होने लगती है। जिन लोगों की किसी भी प्रकार की सर्जरी हो रखी है उनका पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है उन्हें ज्यादा खाना खाने से बचना चाहिए । उपचार के रूप में पुदीना, अजवाइन ,इलायची, सौंफ का सेवन करना चाहिए।
माइग्रेन के कारण सिर में भयंकर दर्द होता है और साथ ही साथ मतली या उल्टी समस्या होती है । यदि माइग्रेन के कारण उल्टी की समस्या हो रही है तो ऐसी स्थिति में खुली हवा में सांस लेने का प्रयास करना चाहिए खिड़कियां खोल देनी चाहिए और कपड़े ढीले कर देना चाहिए । शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए लेकिन एक साथ बहुत सारा पानी पीने से बचना चाहिए ।
कैंसर रोग
कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी की जाती है । कीमोथेरेपी के दौरान दी जाने वाली दवाइयों के कारण अक्सर मरीज को खाने के बाद उल्टी की समस्या उत्पन्न हो जाती है ।
एसिड रिफ्लेक्स
शरीर में एसिड या पित्त की मात्रा बढ़ने पर पाचन तंत्र में भी एसिड बढ़ जाता है । ऐसे में अन्न प्रणाली खुल जाती है और एसिड का प्रवाह गले और गर्दन के पीछे तक होने लगता है ऐसी स्थिति में कई बार खाने के बाद उल्टी होने की समस्या हो जाती है । इस बीमारी को गैस्ट्रोएसोफैजल रिफ्लक्स डिजीज (जी. ई. आर. डी ) भी कहा जाता है। आयुर्वेदिक उपचार द्वारा इस बीमारी को बढ़ने से रोकने में काफी मदद मिलती है ।
गर्भावस्था
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को अक्सर भोजन के बाद उल्टी करने की इच्छा होने लगती है । एक निश्चित समय के बाद क्या समस्या खत्म हो जाती है । कई बार हार्मोन परिवर्तन के कारण भी इस प्रकार की समस्या महिलाओं में होती है । वैसे तो ऐसा होना सामान्य है परंतु यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
खाद्य पदार्थों से एलर्जी
कभी-कभी व्यक्ति को कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों से एलर्जी होती है और इनका सेवन, खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण हो सकता है। कई लोगों को गेहूं, दूध, डेरी प्रोडक्ट ,मशरूम आदि से एलर्जी होती है ।
मनोवैज्ञानिक कारण
एनोरेक्सिया यानी तनाव और चिंता के कारण भी कई बार खाने के तुरंत बाद मतली अथवा उल्टी होने की स्थिति हो सकती है । ऐसी स्थिति में तनाव से खुद को दूर रखें और खुश रहने का प्रयास करें। जब भी तनाव की स्थिति उत्पन्न हो तो कम खाएं ।
चिकित्सकीय कारण
यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की बीमारी से संबंधित दवाई ले रहा है तो ऐसी स्थिति में भी खाना खाने के बाद उल्टी और जी मिचलाने की समस्या हो जाती है । ऐसा होने पर चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए ।
लीवर में खराबी अथवा कम काम करना
यदि आपका लीवर ठीक से काम नहीं कर रहा है तो खाने के बाद उल्टी होना और जी मिचलाना, एसिडिटी ,अपच , मुंह से बदबू आना, त्वचा के रंग में परिवर्तन , सुबह उठने पर मुंह का कड़वा लगना, यूरिन के रंग में परिवर्तन होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं । यदि आपको ऐसा महसूस हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।
उपरोक्त सभी कारणों के कारण व्यक्ति को आने के बाद उल्टी की समस्या होती है। वैसे तो यह कोई गंभीर रोग नहीं है परंतु यदि यह समस्या लगातार बनी रहती है तो चिकित्सक से संपर्क करने में देर नहीं करनी चाहिए ।
वर्तमान समय में कॉफी और चाय हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। पहले समय में लोग चाय कॉफी का सेवन सिर्फ स्वाद के लिए किया करते थे परंतु आजकल स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिहाज से भी चाय और कॉफी का सेवन किया जाता है।आजकल ग्रीन कॉफी का चलन जोरों पर है लोग वजन घटाने से लेकर अन्य कई कामों में ग्रीन कॉफी का प्रयोग कर रहे हैं आइए जानते हैं आखिरी ग्रीन कॉफी क्या है ?
ग्रीन कॉफी सामान्य कॉफी से अलग नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है की सामान्य कॉफी बनाने के लिए कॉफी के बीजों को भूना जाता है और ग्रीन कॉफी में कॉफी के बीजों को बिना भूने उनके प्राकृतिक हरे रंग में ही उन्हें पीसकर ग्रीन कॉफी बनाई जाती है। कॉफी के बीजों में क्लोरोजेनिक एसिड होता है जो बीजों को भूनने के बाद खत्म हो जाता है इसलिए वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि ग्रीन कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड मौजूद रहता है और यह हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं ग्रीन कॉफी के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं।
जानिए क्या है ग्रीन टी के फायदे-Benefits Of Green Coffee In Hindi
वजन घटाने के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे
गलत खानपान और व्यस्त दिनचर्या के कारण आजकल अधिकांश लोग ओबीसीटी यानी मोटापे के शिकार हैं। बढ़ता हुआ मोटापा कई बीमारियों का कारण बनता है इसलिए लोग वजन घटाने का प्रयास करते हैं । जो लोग वजन घटाने का प्रयास कर रहे हैं उनके लिए ग्रीन कॉफी काफी फायदेमंद है। कई वैज्ञानिक शोधों में बढ़ते हुए वजन को कम करने के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे देखे गए हैं। ग्रीन कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है जो जो शरीर में जमी चर्बी को कम करता है और वजन घटाने में मदद करता है इसके अलावा यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर जल्दी वजन घटाने में सहायक साबित होता है ।
ह्रदय के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे
ग्रीन कॉफी में क्लोरोजेनिक एसिड के अलावा और भी कई सारे ऐसे घटक पाए जाते हैं जो मनुष्य के विदाई के लिए बेहद लाभदायक होते हैं यह सारे तत्व ह्रदय को स्वस्थ रखने में हमारी सहायता करते हैं ।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक
तला भूना खाना और जंक फूड के सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का बढ़ना आजकल एक आम समस्या हो गई है। ग्रीन कॉफी एक्सट्रैक्ट का उपयोग करके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार ग्रीन कॉफी बीन एक्सट्रैक्ट कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल – सी के स्तर को कम करता है ।
एकाग्रता बढ़ाता है और मूड को अच्छा बनाता है
ग्रीन कॉफी में नियंत्रित मात्रा म में पाया जाने वाला क्या किया याददाश्त और मानसिक सुधार में लाभदायक होता है। अल्जाइमर के रोगियों पर भी ग्रीन कॉफी का उपयोग फायदेमंद साबित होता है इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं जो अल्जाइमर और अन्य प्रकार के मानसिक रोगों और तनाव के लिए लाभदायक हैं । प्रतिदिन एक कप ग्रीन कॉफी का सेवन हमारे मूड को अच्छा बनाता है और स्ट्रेस लेवल को कम करता है ।
मधुमेह की समस्या में लाभदायक
आज हर चौथा व्यक्ति मधुमेह की समस्या से ग्रसित है ग्रीन कॉफी का उपयोग मधुमेह की समस्या को कम करने के लिए लाभदायक है। ग्रीन कॉफी में पाए जाने वाले क्लोरोजेनिक एसिड में हाइपोग्लाइसेमिक और एंटी डायबिटिक प्रभाव पाए जाते हैं जो मधुमेह की समस्या पर सकारात्मक प्रभाव दिखाते हैं । दवा के साथ साथ ग्रीन कॉफी का सेवन करने से मधुमेह की समस्या काफी हद तक नियंत्रित हो सकती है । प्रतिदिन एक से दो कप ग्रीन कॉफी का सेवन करके 30% तक टाइप 2 मधुमेह की समस्या में लाभ प्राप्त किया जा सकता है ।
सरदर्द की समस्या में ग्रीन कॉफी के फायदे
सर दर्द और माइग्रेन की समस्या में ग्रीन कॉफी का प्रयोग कुछ हद तक लाभदायक होता है। ग्रीन कॉफी में 1.2 प्रतिशत कैफीन पाई जाती है जो सर दर्द और माइग्रेन में लाभदायक होती है परंतु इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए की अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन शरीर में नकारात्मक प्रभाव डालता है ।
ग्रीन कॉफी
कैंसर की बीमारी के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे
कैंसर जैसी घातक बीमारी को रोकने में ग्रीन कॉफी काफी फायदेमंद हो सकती है । शोध के अनुसार ग्रीन कॉफी में एंटी प्रोफिलरेटिव अर्थात ट्यूमर कोशिकाओं के विस्तार को कम करने वाला गुण पाया जाता है । दवाइयों के साथ-साथ ग्रीन कॉफी का सेवन कैंसर की रोकथाम में लाभ प्रदान करता है ।
भूख पर नियंत्रण
मोटापे से ग्रसित लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वह अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं ग्रीन कॉफी का सेवन करके इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है । दरसअल ग्रीन कॉफी में भूख को कम करने की क्षमता होती है या खाने की इच्छा को नियंत्रित करती है और जिसके कारण वजन घटाने में सहायता मिलती है ।
एंटीऑक्सीडेंट गुणों का भंडार
ग्रीन कॉफी के बीजों में पाए जाने वाले क्लोरोजेनिक एसिड में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो शरीर को फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाए रखते हैं ।
ब्लड प्रेशर की समस्या में ग्रीन कॉफी के फायदे
कई सारी समस्याओं के साथ-साथ ग्रीन कॉफी ब्लड प्रेशर को कम करने में भी फायदेमंद होती है । कुछ शोधों से पता चला है की ग्रीन कॉफी में पाए जाने वाला क्लॉरोजेनिक एसिड रक्तचाप को नियंत्रित करने में अत्यधिक लाभदायक है ।
हड्डियों की मजबूती में लाभदायक
स्वस्थ रखने के साथ साथ ग्रीन कॉफी का उपयोग हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी किया जाता है। सौ ग्राम ग्रीन कॉफी में लगभग लगभग 108 मिलीग्राम कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए लाभदायक है । कैल्शियम की कमी पूरी करने और हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए ग्रीन कॉफी का सेवन काफी फायदेमंद है ।
बालों के लिए ग्रीन कॉफी के फायदे
लंबे घने और मजबूत बालों की चाहत सभी को होती है ऐसी स्थिति में ग्रीन कॉफी का सेवन एक अच्छा विकल्प है जो बालों को स्वस्थ रखता है । ग्रीन कॉफी में आयरन और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बालों को मजबूत, घना और चमकदार बनाते हैं ।
एंटी एजिंग गुणों से भरपूर
ग्रीन कॉफी बढ़ती हुई उम्र के प्रभावों को रोकने के लिए काफी मददगार है ।यह झुर्रियों को कम कर त्वचा में कसावट लाने का कार्य करती है ।
स्तन के लिए लाभदायक
एक शोध के अनुसार ग्रीन कॉफी के सेवन से महिलाओं के स्तनों के आकार में वृद्धि हो सकती है इसलिए स्तनों के आकार में वृद्धि की इच्छा रखने वाली महिलाओं को ग्रीन कॉफी का सेवन करना चाहिए ।
ग्रीन कॉफी बनाने की विधि
ग्रीन कॉफी के फायदे तो सभी जानते हैं परंतु इसे सही प्रकार से बनाने की विधि भी जानना आवश्यक है । ग्रीन कॉफी बनाने की विधि इस प्रकार है –
सामग्री –
* ग्रीन कॉफी के बीज – 10 ग्राम
*तीन चौथाई कप पानी
विधि
ग्रीन कॉफी बनाने के लिए सबसे पहले ग्रीन कॉफी बींस को रात भर के लिए पानी में भिगोकर रख दें और अगली सुबह बीजों सहित पानी को करीब 15 मिनट तक हल्की आंच पर उबाले जिसके कारण बीजों का हरा रंग पानी में आ जाएगा अब पानी को उतारकर छान लें । हल्का गुनगुना रहे जाए तो उसका सेवन करें ।
ग्रीन कॉफी के बीजों के अलावा एक चम्मच ग्रीन कॉफी पाउडर को भी पानी में घोलकर कॉफी बनाई जा सकती है। बेहतर परिणाम के लिए ग्रीन कॉफी में चीनी अथवा शहद का प्रयोग ना करें और ना ही इसमें दूध मिलाएं ।
शहद
सेवन की मात्रा
ग्रीन कॉफी में कैफ़ीन की मात्रा पाई जाती है इसलिए इसका अत्यधिक सेवन नुकसानदायक होता है।
पूरे दिन में अधिकतम 2 कप ग्रीन कॉफी का सेवन पर्याप्त है ।
गर्भवती और स्तनपान करवाने वाले महिलाओं और बच्चों को ग्रीन कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए ।
ग्रीन कॉफी पीने का सही समय
कोई भी चीज तभी फायदा करती है जब उससे सही समय पर लिया जाए । आइए जानते हैं ग्रीन कॉफी को पीने का सही समय क्या है ?
ग्रीन कॉफी का सेवन सुबह खाली पेट या दोपहर को भोजन से आधे घंटे पहले अथवा खाने के एक घंटे बाद करना चाहिए ।
ग्रीन कॉफी के नुकसान
ग्रीन कॉफी में पाई जाने वाली कैफीन की मात्रा के कारण इसका अधिक सेवन करने से तनाव, रक्त विकार ,दस्त और उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है ।
अधिक मात्रा में ग्रीन कॉफी का सेवन यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन का कारण बन सकता है ।
कुछ मामलों में ग्रीन कॉफी में मौजूद कैफ़ीन शरीर में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ा देता है जिसके कारण सारा कैल्शियम मूत्र में बह जाता और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं ।
अधिक मात्रा में ग्रीन कॉफी का सेवन ह्रदय रोगों को निमंत्रण दे सकता है ।
इस प्रकार सीमित मात्रा में ग्रीन कॉफी का सेवन शरीर में सकारात्मक प्रभाव डालता है वही अधिक मात्रा में इसके सेवन से नुकसान भी होते हैं । गंभीर प्रकार की बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को ग्रीन कॉफी का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए ।
ग्रीन कॉफी कैप्सूल क्या है ?
आजकल ग्रीन कॉफी पाउडर के अलावा ग्रीन कॉफी कैप्सूल भी चलन में है ,ग्रीन कॉफी कैप्सूल ग्रीन कॉफी बीजों के एक्सट्रैक्ट से बनाए जाते हैं । मेडिकल स्टोर्स पर कई सारे ब्रांड्स के ग्रीन कॉफी कैप्सूल आसानी से मिल जाते हैं ग्रीन कॉफी के स्थान पर इनका सेवन करके भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है ।