सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं-Cesarean Delivery Ke Baad Kya Khana Chahiye

सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं

सिजेरियन ऑपरेशन आजकल बहुत ही नॉर्मल है। लेकिन सिजेरियन के बाद एक माँ की देखभाल नॉर्मल तरीके से नही होती। सिजेरियन के बाद बहुत ही खास देखभाल की जरूरत होती है। खास देखभाल मतलब एक महिला के स्वास्थ्य के सभी पहलू पर ध्यान देना होता है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं, सिजेरियन डिलिवरी के बाद खान पान कैसा होना चाहिए।

सिजेरियन के बाद माँ को ऐसे भोजन की आवश्यकता होती है जो माँ को शारीरिक शक्ति प्रदान करे, बच्चे के लिए माँ के दूध में बढ़ोतरी करे। लेकिन वजन न बढ़ाये और टांकों पर अनावश्यक जोर न डालें।

सिजेरियन ऑपरेशन (C-section) के बाद सभी महिलाओं को यहीं असमंजस रहता है। क्या खाएं क्या न खाएं। इस लेख में हम आप को बताएँगे की सिजेरियन डिलिवरी के बाद खान पान कैसा होना चाहिए।

कितनी कैलोरी चाहिए

यदि एक महिला स्तनपान करा रही है तो उसे अपनी रोज की जरूरत से प्रतिदिन कम से कम 500k ज्यादा की जरूरत होती है।

सिजेरियन डिलिवरी के बाद खान पान-Cesarean Delivery Ke Baad Kya Khana Chahiye

आपरेशन के बाद जब आप खाना शुरू करे तो कुछ बातों का खास ध्यान रखें।

खाएं जो आसानी से पचे

इसके लिए खुद के शरीर को जाने, क्योंकि जरुरी नही जो खाने में हल्का हो वो आपको डाइजेस्ट हो जाए। दुसरो के कहने में न आएं। खुद सोचे कि कौन से खाद्य पदार्थ आपको गैस बनाते है, उन्हें अवॉयड करें।

ज्यादा तला भुना, मसालेदार, मैदा, बाहर के भोज्य पदार्थ खाने से बचे।

खाए जो हो फैटी एसिड से भरपूर

पता करे कि कौन से खाद्य पदार्थ फैटी एसिड युक्त है। उन सभी पदार्थो का सीमित मात्रा में सेवन करे। ऐसे आहार आप को कब्ज (constipation) से बचाएगा और साथ ही यह शिशु के विकास के लिए भी अच्छा है।

फैटी एसिड अखरोट जैसे सूखे मेवों, अलसी, सूरजमुखी, सरसों के बीज, कनोडिया या सोयाबीन, स्प्राउट्स, टोफू, गोभी, हरी बीन्स, ब्रोकली, शलजम, हरी पत्तेदार सब्जियों और स्ट्रॉबेरी, रसभरी जैसे फलों में काफी मात्रा में पाया जाता हैै।

प्रोटीन की है सख्त जरूरत

सिजेरियन के बाद जख्म को भरने और कोशिकाओं के रिपेयर होने के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी होता है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थो जैसे मछली, अंडा, चिकन, डेरी उत्पाद, मास, मटर, दाल, राजमा, और अनेक प्रकार के सूखे मेवे को अपने आहार में शामिल करें।

पर ध्यान रहे इनमें से जो भी भोज्य पदार्थ गैस बनाते है उनका प्रयोग सिजेरियन के तुरन्त बाद न करे।

विटामिन सी को न करे नजरअंदाज

विटामिन सी किसी भी तरह के इन्फेक्शन से बचाता है, इसके अलावा माँ और बच्चे दोनों की इम्युनिटी डेवेलप करता है। आखिर शिशु को पोषण अपने माँ के खाए भोजन से तो मिलता है

इसके लिए आप संतरे, तरबूज, पपीता, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, शक्करकंद, टमाटर, गोभी, और ब्राकोली को डाइट में शामिल कर सकती है। पर ध्यान रहे इनसे आपको खांसी न हो। इनका सेवन दिन में करें। खांसी होने से टांकों पर जोर पड़ सकता है।

सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं
सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं

पूरी करें खून की कमी

सिजेरियन है तो खून की कमी तो होगी ही, तो बहुत जरूरी है कि माँ जल्द से जल्द अपने शरीर मे इसकी पूर्ति करें। इसके लिए अंडे की जर्दी, मास, अंजीर, राजमा, और मेवे (dry fruits), अनार, भुने चने, चुकंदर, काले अंगूर का सेवन करें।

लेकिन बहुत ही सीमित मात्रा में, आयरन की मात्रा ज्यादा न होने दे। अन्यथा कब्ज हो सकती है।

जिंक बचाए डिप्रेशन से

आप शायद नही जानते होंगे कि जिंक आपको पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचा सकता है। इसलिए इस कम महत्व दिए जाने वाले सप्पलीमेंट को बिल्कुल न भूले।

जिंक के लिए नट्स जैसे बादाम, काजू, तिल के बीज, मूंगफली और अखरोट।, दाल जैसे काबुली चना, चवली, मूंग, राजमा, सोया का सेवन करें।

कैल्शियम है आवश्यक स्तनपान के दौरान

कैल्शियम माँ के शरीर की मास पेशियोँ को आराम पहुंचाकर उसकी थकान मिटाता है। ये दातों और हाड़ियोँ को भी मजबूत बनाता है।
दूध बनने की प्रक्रिया में माँ के शरीर से कैल्शियम बहुत तेजी से ख़त्म होता है।

अगर आप स्तनपान कराती है तो आप हर दिन कम से कम 250 to 350mg कैल्शियम लेने की आवश्यकता है।

सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं-किन बातों का रखे ध्यान

  • फाइबर युक्त आहार ले।
  • फलों का जूस पीने की बजाये, पूरा फल खाएं।
  • खूब तरल लें, जैसे की दूध, हर्बल चाय, नारियल का पानी, लस्सी, छाज, सूप, और फलों का जूस।
  • चाय कॉफी न ले।
  • कम वासा वाले दूध उत्पाद ले।
  • साबुत अनाज का सेवन करें।
  • दही घर की बनी ले, व आटा चक्की से पिसा ले।

सिजेरियन प्रसव के बाद क्या खाते हैं-बहुत जरूरी बातें

  • सिजेरियन में कुछ भी ठोस शुरू करने से पहले डॉक्टर से बात करें।
  • शुरुआत में खिचड़ी, दलिया, सूप ले। कम से कम 15 दिन।
  • धीरे धीरे दाल और एक फुल्का ले, केवल हींग जीरे से तड़का लगा कर
  • दूध में हल्की चायपत्ती डालकर ले।
  • सूखी सब्जी तुरन्त खाना न शुरू करें।
  • कुछ भी दिक्कत महसूस होते ही तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।
  • दिन में कई बार गुनगुना पानी पीएं
  • ठंडी चीज़े खाने से बचें।
  • पारम्परिक खाद्य पदार्थ जैसे गुड़ की पात, केवका या साँधा जो जच्चा को खिलाए जाते है, उनका सेवन कम से कम 20 दिन बाद करें।
  • सिजेरियन बेल्ट का प्रयोग जरूर करें।
  • टांकों को बार बार न छेड़े।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

सिजेरियन डिलीवरी के बाद क्या क्या परहेज करना चाहिए?

सिजेरियन डिलीवरी के बाद आपको आहार में देशी घी, कैफीनयुक्त पेय पदार्थ जैसे कॉफी और चाय, कार्बोनेटेड पेय, गोभी, फूलगोभी, ब्रोकोली, अधिक मसालेदार भोजन, तला हुआ भोजन, चावल, मिर्च और जंक फूड जैसी चीजें शामिल नहीं करना चाहिए।

सिजेरियन डिलीवरी के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

प्रसव के बाद महिलाओं को कम से कम चार सप्ताह तक आराम करना चाहिए। सिजेरियन डिलीवरी के बाद ठीक होने में अधिक समय लग सकता है। वहीं अगर डिलीवरी के दौरान कोई दिक्कत हुई या ऑपरेशन के बाद कोई दिक्कत हुई तो रिकवरी का समय भी बढ़ सकता है।

प्रेगनेंसी का तीसरा महीना ,क्या क्या जानना है जरुरी- pregnancy ka tisra mahina

प्रेग्नेंसी का तीसरा महीना

प्रेगनेंसी के वो नौ महीने एक खूबसूरत कहानी की तरह होते है। जिसमे सुख दुख हंसना रोना सब कुछ होता है। लेकिन इस कहानी का अंत हमेशा खूबसूरत होता है। एक नन्ही मुन्नी जान आपके हाथों में किलकारियां भरती है। लेकिन सबको ये अंत नसीब नही होता। कई बार गर्भपात अर्थात एबॉर्शन एक पल में सब कुछ छीन लेता है। यूं तो गर्भपात कभी भी हो सकता है, लेकिन पहली तिमाही में इसका खतरा सबसे ज्यादा होता है। खासकर प्रेगनेंसी का तीसरा महीना।

आज इस आर्टिकल में हम प्रेगनेंसी का तीसरा महीना कैसा होता है उसके बारे में आपको डिटेल में बताएंगे।

प्रेग्नेंसी का तीसरा महीना-बदलाव

प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने में बाहरी तौर पर कुछ खास फर्क नही पड़ता। मतलब देखने से प्रेग्नेंसी का पता नही चलता लेकिन अंदुरुनी तौर पर निम्न बदलाव दिखाई देने लगते है। आपके गर्भ में मौजूद डिंब एक भ्रूण के रूप में बदल जाता है।

  • प्रेग्नेंसी में कब्ज और पेट में दर्द

कब्ज और पेट में दर्द की समस्या आने लगती है। ये समस्या प्रोजेस्टेरोन की मात्रा बढ़ने और गर्भाशय के आकार बढ़ने के कारण होती हैं। क्योंकि गर्भाशय के आसपास के लिगामेंट स्ट्रेच होने लगते है। यदि पेट में दर्द लगातार बना रहे तो डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करें।

कब्ज
कब्ज
  • प्रेग्नेंसी में थकान और मॉर्निंग सिकनेस

    थकान और मॉर्निंग सिकनेस की समस्या लगभग प्रत्येक गर्भवती में देखी जाती है। इसका कारण होता है गर्भस्थ शिशु की पोषण आवश्यकताए। इसी कारण ब्लड सुगर तथा ब्लड प्रेशर पर अच्छा खासा फर्क पड़ता है। लेकिन महीना समाप्त होते होते ये समस्या ठीक होने लगती है।

  • प्रेग्नेंसी में सीने में जलन और नसों में सूजन

    सीने में जलन और नसों में सूजन भी देखने को मिलती है। कुछ भी खाने पर एसिड बार बार ऊपर की तरफ आता हैं, क्योंकि डाइजेस्टिव सिस्टम कमजोर हो जाता है। साथ ही गर्भाशय का आकार बढ़ने से आसपास की ब्लड वेसल्स सिकुड़ने लगती है, क्योंकि उनके लिए जगह की कमी हो जाती है।

  • जब ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती है तो पैरों की तरफ खून का दौरा कम हो जाता है और पैरों में बहुत ज्यादा सूजन आ जाती है।
  • प्रेग्नेंसी में बार बार यूरिन जाना

    शिशु के विकास के लिए हार्मोन एच.सी.जी ज्यादा मात्रा में खून का उत्पादन करता है। जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट पर प्रेशर पड़ता है। इसलिए बार बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है।

  • प्रेग्नेंसी में वैजाइनल डिस्चार्ज

    ये वैजाइनल डिस्चार्ज दरअसल हर प्रकार के संक्रमण को गर्भाशय में जाने से रोकता है। इसका कारण एस्ट्रोजन लेवल बढ़ना होता है।

प्रेग्नेंसी का तीसरा महीना-शिशु का विकास

  • गर्भस्थ शिशु तीसरे महीने के अंत तक 3 से 4 इंच लंबा होगा। यह एक बड़े नीबू का आकार है।
  • गर्भस्थ शिशु का वजन करीब 28 ग्राम होगा।
  • इस समय तक बेबी के सभी जरूरी अंग जैसे बाहें, हाथ, उंगलियां, पैर, अंगूठे बन चुके होते हैं सिर्फ उनका विकास होता रहता है।
  • हार्ट अपने कार्य सम्भाल लेता है।
  • जबान, जबड़ा, आंखें, जननांग और किडनी का विकास शुरू हो जाता है।
  • मांसपेशियों और हड्डियों का ढांचा बनना शुरू हो जाता है।
  • त्वचा सही से विकसित नही हुई होती और सभी नसें दिखाई दे रही होती है।

प्रेग्नेंसी का तीसरा महीना-कैसा हो आहार

  • बहुत ही हल्का और सुपाच्य भोजन ले जिससे एसिड न बनें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। जरूरत से ज्यादा पानी ना पिए, किडनी पर ज़ोर पड़ेगा। केवल पानी को ही तरल में ना गिने। आपके द्वारा लिए गए पानीदार फल और सब्जियां भी तरल पदार्थ की पूर्ति करती हैं।
    ऐसा करने से कब्ज दूर होगी और डायजेस्टिव सिस्टम सही से काम करेगा।
  • फाइबर का भरपूर सेवन करें, इससे गर्भाशय की दीवार मजबूत बनेगी और शिशु के विकास में मददगार होगी। फाइबर की मात्रा को बढ़ाने के लिए आप अपनी डाइट में मोटा अनाज, अनार, अनानास, संतरे, सेब और दूसरे फलों को शामिल कर सकती हैं।
  • कैल्शियम, आयरन, तथा अन्य विटामिंस व सप्लीमेंट डॉक्टर की सलाह अनुसार लेती रहे। इसके अलावा खानपान से इनकी पूर्ति जरूर करें। निम्न खाद्य पदार्थो को भोजन में जरूर शामिल करें।
    दूध और इससे बने दूसरे प्रोडक्ट और केले, सेब, संतरा, ब्रोकली, आलू, बिन्स, अनाज, पीनट बटर, बादाम, वाइट लीन मीट यानी यानी की वो मीट जिसमें कम फैट होता है

प्रेगनेंसी में किन बातो का ध्यान रखें

  • प्रेगनेंसी में भूखे ना रहें।
  • आरामदायक कपड़े पहने
  • पेट पर बेल्ट या किसी अन्य प्रकार का प्रेशर न डाले।
  • ज्यादा वर्कलोड न ले, बीच बीच मे आराम करें
  • फ़ास्ट फूड, मसालेदार भोजन, सिगरेट और शराब से दूर रहें।
  • ऊंची हिल वाली सैंडल न पहने।
  • प्रेगनेंसी में तनाव से बचें
  • एक्सपर्ट की देखरेख में योग, व्यायाम करें।
  • सुबह टहलने का प्रयास करें।
  • प्रेगनेंसी में सप्लीमेंट्स न खाएं
  • किसी भी तरह की कोई परेशानी होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें और उन्हें अपनी परेशानी के बारे में बताएं।

डिलीवरी के बाद बढ़े हुए पेट को कैसे करे कम-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

डिलीवरी के बाद बढ़े हुए पेट को कैसे करे कम

नॉर्मल डिलवरी हो या सिजेरियन पर हर महिला पेट को लेकर परेशान होती है कि बढे पेट को कम कैसे करे? पर आप को परेशान होने की जरुरत नही हम डिलीवरी के बाद पेट कम करने के उपाय बतला रहे है जिसके प्रयोग से आप काफी हद तक प्रसव के बाद पेट कम करना कर सकते है।

प्रसव के बाद पेट कम करना-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

मसाज-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

प्रसव के बाद पेट की चर्बी को कम करने का सबसे अच्छा उपाय मसाज है। बच्चे के जन्म के बाद प्रत्येक महिला को अपने पेट के उस हिस्से पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ती है जहां कि चर्बी सबसे ज्यादा इकट्ठी होती है। पेट के उस हिस्से पर मसाज करने से चर्बी धीरे-धीरे कम होने लगती है और नियमित लंबे समय तक मसाज करने पर महिला का पेट फिर से पहले जैसा हो जाता है।

मेथी-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

डिलीवरी के बाद पेट कम करने के उपाय हैं मेथी के बीज। मेथी के बीज पेट कम करने में काफी मददगार होते हैं। रात के समय में 1 चम्मच मेथी के बीजों को 1 ग्लास पानी में उबालें,पानी को हल्का गुनगुना होने पर पीएं,पेट जल्दी कम हो जाएगा।

स्तनपान-Pregnancy K Bad Pait Kam Karna

एक सोध के मुताबिक, स्तनपान कराने से शरीर में मौजूद फैट सेल्स और कैलोरीज दोनों मिलकर दूध बनाने का का काम करते हैं. जिससे बिना कुछ करे ही वजन कम हो जाता है। इसलिए स्तनपान जरुर कराऐ

गर्म पानी-Cesarean Delivery Ke Baad Pet Kaise Kam Kare

गर्म पानी पेट के लिए काफी फायदेमंद होता है। बच्चे को जन्म देने के बाद पीने के लिए सिर्फ गर्म पानी का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि गर्म पानी ना केवल पेट कम करता है बल्कि यह शरीर के वजन को भी कम करता है।

कपड़े या बेल्ट का प्रयोग-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

आप अपने पेट को किसी गर्म कपड़े या बेल्ट की मदद से लपेट कर रखें। यह पेट को सामान्य आकार में लाने मे मदद करता है साथ ही इससे पीठ के दर्द में भी आराम मिलता है।

दालचीनी-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

गर्भावस्था के बाद पेट को कम करने के लिए दालचीनी और लौंग बहुत कारगार साबित होते हैं। इसके लिए 2-3 लौंग और और आधा चम्मच दालचीनी को उबाल कर उसके पानी को ठंडा करके पिऐ जल्द ही पेट कम हो जाएगा।

दालचीनी
दालचीनी

ग्रीन टी-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

ग्रीन टी वजन को कम करने में काफी लाभकारी होती है। यह एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, साथ ही इससे बच्चे और मां की सेहत को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है और वजन भी कम हो जाता है।

नियमित खानपान लें-Pregnancy K Bad Pait Kam Karna

अक्सर लोग वजन कम करने के चक्कर में खाना-पीना कम करने लगते है। लेकिन ऐसा बिल्कुल न करें। ऐसा करने से कमजोरी आ सकती है या फिर मोटापा और बढ़ सकता है। इसलिए, खाने-पीने में कटौती न करें, बस स्वस्थ खानपान लें।

थोड़ा-थोड़ा, लेकिन कई बार खाएं-Cesarean Delivery Ke Baad Pet Kaise Kam Kare

कभी भी खाना इकट्ठे नही खाना चाहिऐ दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा कर के खाए। थोड़ा-थोड़ा खाने से आपका पाचन तंत्र ठीक रहेगा।

कम कैलोरी लें-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

आप ऐसी चीजें खाएं, जो आपको पोषण दें और जिनमें कैलोरी कम हो। ओमेगा-3 फैटी एसिड, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर युक्त चीजें खाएं जैसे- अंडे, चिकन, लीन मीट, टूना व साल्मन मछली, बीन्स और साबुत अनाज आदि।

खूब पानी पिऐ-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

खुद को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए, आप दिन में आठ से 10 गिलास पानी जरूर पिएं। इससे आपके शरीर से टॉक्सिन दूर होंगे और वजन कम करने में आसानी होगी।

व्यायाम करें-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

नियमित रूप से व्यायाम करना प्रसव के बाद मोटापा कम करने में काफी मदद करता है। हल्का फुल्का व्यायाम जरुर करे।

भरपूर नींद लें-Pregnancy K Bad Pait Kam Karna

बच्चे के जन्म के बाद आठ घंटे की लगातार नींद ले पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन आपको भरपूर नींद लेनी होगी। इसके लिए जब आप का बच्चा सो रहा हो तो उस समय आप भी सो ले। उस समय घर के अन्य काम बाकी सदस्यों को दे सकती हैं।

स्नैक्स कम खाएं-Cesarean Delivery Ke Baad Pet Kaise Kam Kare

स्तनपान कराने वालीं माताओं को बार-बार भूख लगना सामान्य है। ऐसे में कई बार आपका स्नैक्स खाने का मन करेगा, लेकिन आप स्नैक्स भी सोच समझकर खाएं। ऐसा कुछ न खाएं, जिससे आपका वजन बढ़े। इसकी जगह, आप ओट्स, सूखे मेवे व साबुत अनाज का सेवन कर सकती हैं।

तनाव से दूर रखे-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karna

इसमें कोई दो राय नहीं है कि वजन बढ़ने का मुख्य कारण तनाव होता है। इसलिए, जितना हो सके खुद को तनाव से दूर रखें। और हमेशा खुश रहने की कोशिश करें।

डांस करें-Pregnancy Ke Baad Pet Kam Karne Ke Upay

डांस करने से भी वजन कम करने में मदद मिलेगी। इसके लिए आप अपना पसंदीदा म्यूजिक लगाएं और डांस करें।

कैफीन और एल्कोहल से दूर रहें-Delivery Ke Baad Pet Kam Kaise Kare

डिलीवरी के बाद मोटापे को कम करने के लिए जरूरी है कि आप कैफीन और एल्कोहल से दूर रहें।

क्या होता है अपूर्ण गर्भपात, अपूर्ण गर्भपात के उपचार

क्या होता है अपूर्ण गर्भपात, अपूर्ण गर्भपात के उपचार

अपूर्ण गर्भपात के उपचार

अपूर्ण गर्भपात के उपचार के लिए कभी भी घरेलू नुस्खे ना आजमाएं। किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श लें। उसी के अनुसार काम करें। आइए हम यहां जाने कि क्यों होता है और क्या होता है अपूर्ण गर्भपात

क्या होता है अपूर्ण गर्भपात 

कई बार अबॉर्शन के बाद गर्भाशय में एंब्रियो के कुछ बॉडी पार्ट्स रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में महिला को रुक रुक कर ब्लीडिंग होती है। उसे लगातार हल्का दर्द रहता है। इस स्थिति को अपूर्ण गर्भपात कहते हैं। यह स्थिति तब आती है जब गर्भपात काफी समय बीत जाने के बाद किया जाता है। कभी-कभी नौसिखिया लोगों के द्वारा या घरेलू उपचार या पिल्स लेने के कारण भी अपूर्ण गर्भपात हो जाता है। अपूर्ण गर्भपात में भ्रूण पूरी तरह से गर्भनाल से बाहर नहीं निकल पाता। तीन महीने से अधिक अगर हो जाए तो गर्भपात होना बहुत मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में अपूर्ण गर्भपात होने के खतरे काफी बढ़ जाते हैं। 

किन परिस्थितियों में होता है अपूर्ण गर्भपात

ऐसा नहीं है कि हर अपूर्ण गर्भपात किसी लापरवाही के कारण ही होता है। आधे से अधिक मामलों में क्रोमोसोम संबंधी असामान्यतायें अपूर्ण गर्भपात की वजह होती है। किसी बीमारी के होने से जैसे हाइपरटेंशन, शुगर, लिवर, किडनी इस तरह से किसी भी प्रॉब्लम के होने से महिला में अपूर्ण गर्भपात की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। जो महिलाएं सिगरेट, शराब आदि का अधिक प्रयोग करती हैं उनके अपूर्ण गर्भपात के चांसेज काफी अधिक होते हैं। इसके अलावा एचआईवी रोग और कुछ अन्य यौन रोगों के कारण भी अपूर्ण गर्भपात की संभावनाएं अधिक हो जाती है। वजन का कम होना या अधिक होना भी अपूर्ण गर्भपात की एक वजह हो सकता है। ओवरी सिंड्रोम, पीलिया का होना भी अपूर्ण गर्भपात की वजह हो सकते हैं। 

कैसे जानें कि गर्भपात अपूर्ण है

बुखार
बुखार

अगर ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो रही है। ब्लीडिंग रूक रुक कर लगातार हो रही है। ब्लीडिंग अगर काफी दिनों बाद भी लगातार हो रही है। ब्लीडिंग में बड़े-बड़े क्लॉटस आ रहे हैं। पेट में रह रह कर दर्द होता है। कुछ लोगों में यह दर्द लगातार रहता है। कुछ लोगों में पेट में ऐठन रहती है। पेट की नसों में संकुचन सा महसूस होता है। जिस तरीके का दर्द पीरियड में होता है उसी तरीके का दर्द हमेशा रहता है। शुरू में हल्का बुखार रहता है। कुछ समय के बाद बुखार बढ़ने लगता है। कुछ लोगों में बहुत ज्यादा बुखार होता है। यह सब सिस्टम्स इंडिकेट करते हैं कि गर्भपात प्रॉपर नहीं हो पाया है। 

क्यों है जानलेवा अपूर्ण गर्भपात

अगर अपूर्ण गर्भपात के कारण महिला के गर्भाशय में भ्रूण के कुछ हिस्से रह गए हैं और उन्हें निकाला ना जाए तो जान जाने तक का खतरा हो सकता है। यह भी हो सकता है कि गर्भाशय ही निकालना पड़े और शायद वह औरत कभी माॅ ही न बन पाये।

कैसे करें अपूर्ण गर्भपात का उपचार

अपूर्ण गर्भपात का उपचार किसी सुयोग्य डाक्टर की देखरेख में ही करवायें। अपूर्ण गर्भपात के उपचार के लिए डॉक्टर डी एंड सी करते हैं। डॉक्टर वेक्यूम एस्पिरेशन के द्वारा भी अपूर्ण गर्भपात का उपचार करते हैं। डी एंड सी एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय की परत को कुरेद कर साफ किया जाता है। अगर इसे किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में न किया जाए तो संक्रमण होने की संभावनाएं होती है। गर्भाशय वाॅल में भी छेद हो सकता है। गर्भाशय में स्कार टिशु भी बन सकते हैं। डी एंड सी ठीक से ना हो तो हेवी ब्लीडिंग हो सकती है। 

क्या होता है डी एंड सी

डीएनसी में महिला को बेहोश करके उसकी गर्भाशय ग्रीवा को फैलाया जाता है। उसके बाद गर्भाशय को क्यूरेट की मदद से साफ किया जाता है। इस प्रक्रिया में गर्भाशय की दीवार को कुरेद कर साफ किया जाता है। जिससे गर्भाशय में अगर भ्रूण के कुछ अवशेष होते हैं तो वह भी निकल जाते हैं। इस प्रक्रिया में गर्भाशय की दीवार थोड़ी कमजोर हो जाती है, स्त्री को मासिक धर्म में अनियमितता हो सकती है। हो सकता है कि पीरियड टाइम से पहले हो जाए या यह भी हो सकता है कि पीरियड्स डिले हो जाए।

अपूर्ण गर्भपात के उपचार के बाद महिला की देखभाल

पेशेंट डी एंड सी के बाद अपने आप को कुछ समय तक कमजोर महसूस करती है। उसके शरीर में हाथ पैरों मैं दर्द रहता है। उसके पेट में हल्का हल्का ऐंठन वाला दर्द रहता है। इस प्रक्रिया के बाद कुछ समय तक ब्लीडिंग हो सकती है।

उपचार के बाद स्त्री को कुछ समय तक अपने दैनिक कार्यों को आराम से करने की आवश्यकता होती है। तीन-चार दिनों तक उसे थकाने वाले काम, नहाना, सेक्स करना, भारी सामान उठाना आदि नहीं करना चाहिए। उसे हल्का और सुपाच्य भोजन लेना चाहिए।

गर्भावस्था मे कब्ज से कैसे पायें आराम-Pregnancy Me Kabj Ke Upay In Hindi

गर्भावस्था मे कब्ज से कैसे पायें आराम

गर्भवती महिलाओं में कब्ज उन हार्मोन की वजह से होती है जो आंतों की मांसपेशियों को आराम पहुंचाती हैं और पेट बढ़ने की वजह से गर्भाशय पर पड़ने वाले दबाव को कम करते हैं। आंतों की मांसपेशियों को आराम मिलने की वजह से भोजन और अपशिष्ट पदार्थ  सिस्टम से धीरे धीरे बाहर निकलते हैं। गर्भावस्था के दूसरे महीने से गर्भावस्था के तीसरे महीने के आसपास, प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने पर कब्ज की समस्या शुरू होती है। जैसे जैसे गर्भावस्था बढ़ती है आपका गर्भाशय भी बढ़ता है और ये समस्या बढती जाती है। कभी-कभी आयरन की गोलियां लेने की वजह से गर्भावस्था मे कब्ज हो जाती है। इसलिए आयरन सप्लिमेंट लेते समय साथ में खूब सारा पानी पिएं।

गर्भावस्था मे कब्ज के कारण

  • गर्भावस्था के दौरान कब्ज का सबसे अहम कारण प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का बढ़ना है।
  • अगर गर्भवती महिला अपने भोजन में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल नहीं करती है, तो कब्ज हो सकती है। फाइबर पाचन तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है।
  • प्रतिदिन कम मात्रा में पानी पीने से भी कब्ज हो सकती है। साथ ही पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस के कारण भी डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है, जो कब्ज का कारण बनती है।
  • गर्भावस्था में महिला के स्वभाव में बदलाव होता है और कई बार थकान भी महसूस होती है, जो कब्ज का कारण बन सकती है लेकिन रोज कुछ देर की सैर भी जरूरी है। इससे खाना हजम होता है और पेट आराम से साफ हो जाता है। अगर डॉक्टर ने आपको पूरी तरह से बेड रेस्ट के लिए बोला है, तो बात अलग है।
  • स्ट्रोक, डायबिटीज, आंत में रुकावट, आईबीएस (इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम) जैसी समस्याओं के कारण भी कब्ज हो सकती है।
  • आयरन व कुछ दर्द निवारक दवाइयों के कारण भी कब्ज की समस्या हो सकती है।

गर्भावस्था मे कब्ज होना सामान्य है, लेकिन इसका उपचार करना जरूरी हैं। अगर गर्भावस्था के दौरान कब्ज को ठीक न किया जाए, तो इससे कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है

और पढ़ें: क्यों होता है गर्भावस्था मे पेट दर्द-Garbhavastha Me Pet Dard

गर्भावस्था मे कब्ज के उपाय-Pregnancy Me Kabj Ke Upay In Hindi

करें

संतरे

प्रेगनेंसी में कब्ज दूर करने का घरेलू उपाय

संतरे का सेवन

दिनभर में एक से दो संतरे का सेवन करें।

यह कैसे मदद करता है

एक कप प्रून यानी सूखे आलू बुखारे का सेवन करें। वैकल्पिक रूप से आलू बुखारे के जूस का भी सेवन कर सकते हैं।

अलसी से मिलेगा आराम

अलसी को भूनकर और पीसकर पाउडर बनाया जा सकता है, जिसे किसी भी सब्जी या सलाद में इस्तेमाल किया जा सकता है। अलसी को भूनकर इसे रोटी या पराठे के आटे में मिला सकते हैं।

इसबगोल से गर्भावस्था मे कब्ज होगा दूर

एक गिलास ठंडे पानी में इसबगोल को मिक्स कर लें। फिर इसका सेवन करें।

और पढ़ें: गर्भावस्था में सोने के तरीके, जिससे बच्चे को ना हो कोई नुकसान

कीवी और सेब दे आराम

रोजाना एक कीवी का सेवन करें। या इसके जूस को भी पी सकते हैं। सेब मे पानी, सोर्बिटोल, फ्रुक्टोज, फाइबर और फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जिस वजह से इन्हें कब्ज के इलाज के लिए उपयोगी माना जाता है। केला का सेवन करें। इसे दूध में मिक्स करके यानी शेक बनाकर भी लिया जा सकता है।

दही का सेवन या तो इसी तरह किया जा सकता है या फिर छाछ बनाकर कर सकते है।

गर्भावस्था मे कब्ज दूर करेगा अंगूर

गर्भावस्था मे कब्ज का इलाज घर में ही करने के बारे में सोच रहे हैं, तो अंगूर का सेवन कर सकते हैं। इसमें फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।

सेंधा नमक का करें प्रयोग

नहाते समय बाल्टी या टब में सेंधा नमक डालें। करीब 15 से 20 मिनट तक उसमें आराम से लेट जाएं या नहा लें। वैकल्पिक रूप से सेंधा नमक का पानी का भी सेवन किया जा सकता है।

ग्रीन टी पीयें

एक कप गर्म पानी में ग्रीन टी या ग्रीन टी बैग डालें। करीब 5 मिनट के बाद ग्रीन टी बैग को निकाल लें। अगर पत्ती का इस्तेमाल किया है, तो पानी को छान लें। स्वाद के लिए इसमें शहद मिला सकते हैं।

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सामान्य प्रश्न

प्रेगनेंसी में पेट साफ न हो तो क्या करे?

गर्भावस्था के दौरान अधिकांश महिलाओं को कब्ज की समस्या रहती है। कब्ज की समस्या से निपटने के लिए खाने में अधिक से अधिक मात्रा में फाइबर युक्त पदार्थ जैसे दलिया ,गाजर ,मूली पत्ता गोभी , संतरा ,सेब आदि का सेवन अधिक मात्रा में करें। अधिक से अधिक मात्रा में पानी तथा तरल पदार्थों का सेवन करें यदि नारियल पानी का सेवन भी लाभप्रद रहेगा। सब की समस्या में दही का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसमें प्रोबायोटिक होता है जो पेट को साफ रखने में मदद करता है । ताजी देसी गुलकंद का सेवन भी कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है । किशमिश भिगोकर खाएं, सिट्रिक फलों का सेवन करें, भोजन बनाने में सेंधा नमक का प्रयोग करें । किसी भी प्रकार की दवाई अथवा जुलाब लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लें हो सके घरेलू नुस्खा द्वारा ही कब्ज की समस्या का निदान करने का प्रयास करें ।

गर्भावस्था की शुरुआत में कब्ज?

गर्भावस्था के दौरान शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन बढ़ने लगता है जिसके कारण आंतों के कार्य करने की क्षमता धीमी हो जाती है ,उसी कारण कब्ज की समस्या होने लगती हैं । गर्भावस्था के शुरुआती दौर में कब्ज की समस्या होने पर घरेलू नुस्खा प्रयोग कर समस्या से निजात पाने का प्रयास करना चाहिए, इसके लिए अधिक से अधिक मात्रा में पानी तथा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए । सुबह-सुबह खाली पेट गुनगुने पानी का सेवन कब्ज की समस्या में राहत दिलाता है । भोजन में फाइबर युक्त पदार्थों जैसे दलिया, पत्ता गोभी, सेब आदि भोज्य पदार्थ खाने चाहिए । दही का सेवन में समस्या में फायदेमंद होता है । गर्भावस्था का शुरुआती दौर काफी नाजुक होता है इसलिए समस्या हो तो सोच जाते समय अधिक जोर लगाने से बचना चाहिए । किसी भी प्रकार की दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए ।

कैसे पता करे की डिलीवरी होने वाली है-kaise pta kare ki delivery hone wali h

कैसे पता करे की डिलीवरी होने वाली है

गर्भावस्था में अधिकांश महिलाओं को यह लगता है कि लेबर पेन कभी भी शुरू हो जाते हैं परंतु ऐसा नहीं होता लेबर पेन शुरू होने से पूर्व कुछ संकेत मिलते हैं ,आइए जानते हैं कौन से लक्षण होते हैं जिनसे यह पता चलता है कि प्रसव होने वाला है। लेबर पेन शुरू होने से 24 से 48 घंटे पहले निम्न लक्षण दिखाई देते हैं।

कैसे पता करे की डिलीवरी होने वाली है

बार बार पेशाब जाना

डिलीवरी के लिए बच्चे का सर योनि की ओर आ जाता है जिससे गर्भवती महिला के फेफड़ों का दबाव कम होता है और मुद्रा का प्रभाव बढ़ जाता है इसके कारणों से बार बार पेशाब के लिए जाना पड़ता है। कई बार लेबर पेन शुरू होने के बाद में महिला को मल त्याग की शंका होती है।

कमर में तेज दर्द होना

प्रसव पीड़ा शुरू होने कुछ समय पूर्व ही गर्भवती महिला को कमर में तेज दर्द का अनुभव होता है। जैसे-जैसे शिशु का सर नीचे की ओर आता है वैसे वैसे कमर पर दबाव बढ़ता जाता है जिसके कारण दर्द भी बढ़ जाता है।

कमर में तेज दर्द होना
कमर में तेज दर्द होना

म्यूकस प्लग निकालना

गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में एक चिपचिपा म्यूकस बनता है जो गर्भाशय को नाम रखने के साथ-साथ बैक्टीरिया से बचाता है। डिलीवरी डेट आने पर यह म्यूकस शरीर से बाहर निकलने लगता है यह बेरंग,भूरा,गुलाबी या हल्के खून के धब्बों जैसा होता है। म्यूकस प्लग निकलने के बाद जल्दी ही डिलीवरी हो जाती है ।

पानी की थैली फटना

भ्रूण गर्भाशय में एमनिओटिक फ्लूइड की एक थैली से ढका होता है। यह शिशु को सुरक्षित रखने का काम करती है। लेबर पेन शुरू होते ही की फट जाती है और इसके अंदर का फ्लूइड बाहर आ जाता है ऐसे में गर्भवती को तुरंत हॉस्पिटल ले जाना चाहिए।

पतला मल आना

प्रसव से पूर्व गुदा की मांसपेशियों का रिलैक्‍स होना शुरू होता है जिससे पतला मल आने लगता है।

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