गर्भपात के घरेलू उपाय – लक्षण, कारण और एक महीने की प्रेगनेंसी हटाने के तरीके

गर्भपात के घरेलू उपाय

गर्भपात (गर्भ गिराने) के घरेलू उपाय (garbhpat ke gharelu upay)

मां बनना एक महिला के लिए एक सुखद एहसास है, जिसकी खुशी के आगे दुनिया की हर खुशी फीकी लगती है। लेकिन अगर आप गलती से प्रेग्नेंट हो जाएं, तो क्या करें? यह सवाल किसी भी महिला के मन में घबराहट, बेचैनी और डर पैदा कर सकता है, खासकर तब जब यह बिना फैमिली प्लानिंग के हुआ हो। ऐसी स्थिति में घबराने की बजाय सही जानकारी और समझदारी से निर्णय लेना जरूरी होता है। कई महिलाएं इस दौरान गर्भपात के घरेलू उपाय के बारे में जानना चाहती हैं, ताकि वे अपने स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सही कदम उठा सकें।

गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें? यह सवाल कई महिलाओं के मन में आता है, जब वे बिना फॅमिली प्लानिंग के गर्भवती हो जाती हैं। गर्भपात के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कई बार संभोग के दौरान पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका गर्भनिरोधक उपायों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते, जिससे अनचाहा गर्भ ठहर जाता है। कुछ महिलाओं के लिए शारीरिक या मानसिक रूप से माँ बनना संभव नहीं होता, तो कुछ अपनी करियर या पर्सनल लाइफ को प्राथमिकता देती हैं जिससे वे गर्भपात कराने का फैसला लेती हैं। इस तरह, विभिन्न परिस्थितियों के कारण गर्भपात का निर्णय लिया जाता है।

गर्भपात क्या होता है (garbhpat kya hota hai)

गर्भपात वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भधारण के 20 से 24 सप्ताह से पहले भ्रूण का विकास रुक जाता है या उसे चिकित्सकीय रूप से समाप्त कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया स्वाभाविक (Natural/Miscarriage) या कृत्रिम (Medical/Surgical Abortion) हो सकती है।

गर्भपात के लक्षण (Symptoms of Miscarriage)

अगर किसी महिला को गर्भपात हो रहा हो, तो उसके शरीर में कुछ खास लक्षण दिख सकते हैं। ये लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं।

मुख्य लक्षण:

अचानक तेज पेट दर्द या ऐंठन

खासकर पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है।

योनि से रक्तस्राव (Bleeding)

हल्के धब्बों (Spotting) से लेकर ज्यादा खून बहने तक हो सकता है।

गर्भावस्था के लक्षणों में कमी

जैसे मतली (जी मिचलाना), उल्टी, या स्तनों में भारीपन कम होना।

योनि से सफेद या गुलाबी रंग का डिस्चार्ज

यह संकेत हो सकता है कि गर्भपात शुरू हो रहा है।

पीठ में दर्द

हल्का या बहुत तेज दर्द हो सकता है, जो सामान्य गर्भावस्था के दर्द से ज्यादा महसूस हो सकता है।

बुखार या ठंड लगना

यह संक्रमण का संकेत हो सकता है, जो गर्भपात के दौरान हो सकता है।

कमजोरी और चक्कर आना

शरीर में खून की कमी होने के कारण कमजोरी महसूस हो सकती है।

गर्भपात के प्रकार (Miscarriage Symptoms in Hindi)

गर्भपात एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें गर्भधारण अपने आप समाप्त हो जाता है। यह कई कारणों से हो सकता है और इसके विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक प्रकार के गर्भपात के लक्षण और प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं। नीचे गर्भपात के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से बताया गया है।

1. मिस्ड गर्भपात (Missed Miscarriage)

इसमें गर्भावस्था स्वयं समाप्त हो जाती है, लेकिन कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते। न तो रक्तस्राव होता है और न ही महिला को किसी तरह की असुविधा महसूस होती है। कई बार भ्रूण गर्भ में ही रहता है और इसका पता तब चलता है जब भ्रूण का विकास रुक जाता है। इसका निदान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है।

2. अधूरा गर्भपात

अधूरा गर्भपात एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें भ्रूण का केवल कुछ भाग ही गर्भाशय से बाहर निकल पाता है। इसके कारण महिला को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

अधूरा गर्भपात के लक्षण

अत्यधिक रक्तस्राव

योनि से लगातार और अधिक मात्रा में खून बहना।

तेज पेट दर्द या ऐंठन

पेट के निचले हिस्से में असहनीय दर्द या दबाव महसूस होना।

कमजोरी और चक्कर आना

अधिक रक्तस्राव के कारण शरीर में कमजोरी हो सकती है।

बुखार और ठंड लगना

संक्रमण होने की स्थिति में शरीर का तापमान बढ़ सकता है।

असामान्य डिस्चार्ज

योनि से दुर्गंधयुक्त डिस्चार्ज आना।

3. पूर्ण गर्भपात(Complete Miscarriage)

इस स्थिति में महिला को तीव्र पेट दर्द और भारी रक्तस्राव होता है, और भ्रूण पूरी तरह से गर्भाशय से बाहर आ जाता है।

4. अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable Miscarriage)

इसमें रक्तस्राव लगातार जारी रहता है और गर्भाशय ग्रीवा खुल जाती है, जिससे भ्रूण बाहर आ जाता है। इस दौरान महिला को पेट में लगातार ऐंठन महसूस होती रहती है।

5. सेप्टिक गर्भपात (Septic Miscarriage)

जब गर्भ में संक्रमण हो जाता है, तब गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। यह एक गंभीर स्थिति होती है, जिसके लिए तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक होता है

सुरक्षित गर्भपात कब और कैसे होता है

गर्भपात का समय ज्यादातर गर्भावस्था के पहले 3 महीनों तक का होता है और यह सबसे सुरक्षित समय होता है। असामान्य मामलों में, गर्भपात दूसरी तिमाही में किया जाता है जो गर्भावस्था के 4-6 महीनों में होता है। तीसरे तिमाही में गर्भपात शायद ही कभी किया जाता है क्योंकि यह सुरक्षित नहीं रहता है और केवल आपातकालीन या जीवन को खतरा जैसे कारणों से किया जाता है। इसलिए किसी को पहले के विकल्पों का विकल्प चुनना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित और सस्ता होता है।

एक सुरक्षित गर्भपात प्राप्त करने के लिए पहली तिमाही जो कि पहले 3 महीने होती है, सबसे सुरक्षित समय होती है क्योंकि इस समय दवाओं का उपयोग गर्भपात करवाने के लिए किया जा सकता है और इन दवाओं का आमतौर पर दुष्प्रभाव नहीं होता है। वैक्यूम एस्पिरेशन प्रक्रियाओं का उपयोग भी किया जा सकता है जो सुरक्षित भी हैं। पहली तिमाही के बाद, सुरक्षित गर्भपात प्राप्त करना कठिन होता है और किसी को तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि कोई इमरजेंसी न हो।

गर्भपात करने के सरल घरेलु तरीका

अक्सर यह सवाल आता है कि “बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?” और इसके लिए कौन-कौन से घरेलू उपाय अपनाए जाते हैं। पारंपरिक रूप से गर्भपात के लिए विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन , तुलसी का काढ़ा, लहसून, ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

  • गर्भावस्था का पता चलने के शुरुआती दिनों में ही गर्भपात कराना सही रहता है। विटामिन सी युक्त पदार्थ जैसे कच्चा पपीता ,अनानास, कटहल, संतरा, नींबू आदि चीजों के सेवन से शुरुआती गर्भावस्था में गर्भपात हो जाता है।
  • भुने हुए तिल तासीर में बहुत गर्म होते हैं। तीन से चार चम्मच तिलों को भूनकर दिन में दो बार सेवन करने से गर्भपात हो जाता है।
  • दो से चार हफ्तों की गर्भ को गिराने के लिए, 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी के साथ उबालें पानी आधा रह जाने पर उसे छानकर उसका सेवन करें जब तक ब्लीडिंग शुरू ना हो तब तक दिन में दो से तीन बार इस पानी का सेवन करने से गर्भ गिर जाता है।
  • ग्रीन टी के अधिक सेवन से भी गर्भपात हो जाता है ।
  • अधिक मात्रा में दालचीनी तथा काली मिर्च का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।केले की पत्तियों और बबूल की फलियों को सुखाकर उनका चूर्ण बनाकर नियमित रूप से सेवन गर्भ गिराने का तरीका है।
  • कॉफी की तासीर गर्म होती है इसलिए अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • तुलसी के पत्तों और उसके बीजों का काढ़ा बनाकर पीने से गर्भपात होता है।
  • तीन से चार चम्मच अजवायन को गुड़ के साथ मिलाकर दो गिलास पानी में उबालें और इस पानी को छानकर अजवायन के पानीका दिन में 2 बार सेवन गर्भ गिराने का तरीका है ।
  • उछल कूद और अधिक मात्रा में व्यायाम करने से भी गर्भपात हो जाता है।

गर्भपात (एबॉर्शन) के नुकसान

दोनों मेडिकल और सर्जिकल गर्भपात प्रक्रिया काफी सुरक्षित होती हैं, हर प्रक्रिया और उपचार में कुछ जोखिम शामिल होते हैं। गर्भपात के जोखिमों में शामिल हैं:

  • गर्भ में संक्रमण का विकास
  • समाप्ति के बाद अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है
  • गर्भाशय ग्रीवा क्षतिग्रस्त हो सकती है
  • गर्भ क्षतिग्रस्त हो सकता है

यदि यह जल्द से जल्द किया जाता है तो गर्भपात सबसे सुरक्षित होता है। किसी भी जटिलताओं के मामले में, एक डॉक्टर से तुरंत परामर्श किया जाना चाहिए और प्रासंगिक उपचार का विकल्प चुना जाना चाहिए। गर्भपात का विकल्प चुनने से भविष्य में गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती है।

गर्भपात के बाद माहवारी कब आती है

गर्भपात के बाद माहवारी गर्भपात की अवधी पर निर्भर करता है। यदि गर्भपात पहली तीमाही के दौरान हुआ है तो पीरियड्स 4 से 12 सप्ताह बाद आने शुरु हो जाने चाहिए। और उस समय की माहवारी सामान्य से कम हो सकती है या सर्जिकल गर्भपात के बाद यह सामान्य रूप से भी हो सकती है। यदि पहली माहवारी सामान्य से अधिक होती है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भपात के बाद सावधानियां

गर्भपात के बाद शरीर को ठीक होने में समय लगता है, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतना जरूरी होता है। इस दौरान भरपूर आराम करें और शरीर को हाइड्रेट रखें। आयरन और प्रोटीन युक्त आहार लें ताकि कमजोरी दूर हो सके। संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें और कुछ समय तक यौन संबंध बनाने से बचें। भावनात्मक रूप से संतुलित रहने के लिए अपनों से बातचीत करें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें। किसी भी असामान्य लक्षण, जैसे अत्यधिक रक्तस्राव, तेज बुखार या तेज दर्द होने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।

गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में घरेलू उपाय द्वारा गर्भपात संभव है परंतु यदि ज्यादा समय हो चुका है तो उसके लिए डॉक्टर की सलाह लेकर ही गर्भपात कराएं।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

एक महीने की प्रेगनेंसी कैसे हटाएं घरेलू उपाय?

कच्चा पपीता, अनानास, अजवायन का पानी, और ग्रीन टी पारंपरिक घरेलू उपायों में शामिल हैं। लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना इन्हें अपनाना स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है।

तुरंत प्रेगनेंसी रोकने के लिए क्या करना चाहिए?

72 घंटे के भीतर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां (i-pill) ली जा सकती हैं। घरेलू नुस्खे की बजाय मेडिकल सलाह लेना बेहतर होता है।

बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?

प्रेगनेंसी के पहले 9 सप्ताह तक मेडिकल गर्भपात सुरक्षित माना जाता है। इसके बाद डॉक्टर की निगरानी ज़रूरी है।

अधूरा गर्भपात के लक्षण क्या हैं?

अत्यधिक ब्लीडिंग, पेट दर्द, बुखार, और बदबूदार डिस्चार्ज इस स्थिति के संकेत हो सकते हैं। यह मेडिकल इमरजेंसी होती है।

गर्भपात के बाद किन बातों का ध्यान रखें?

भरपूर आराम करें, पौष्टिक आहार लें, साफ-सफाई रखें और मानसिक संतुलन बनाए रखें। किसी भी असामान्यता पर डॉक्टर से मिलें।

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है-papita khane se period aata hai

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

मातृव एक बहुत ही खूबसूरत एहसास होता है अपने अंदर प्रतिपल नवजीवन को बढ़ते महसूस करना किसी भी भावी माँ के किये बेहद अनूठा होता है।ज़ाहिर है ऐसे में उसे स्वयं के एवं भावी बच्चे के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिये एक संतुलित और स्वास्थ्य वर्द्धक ख़ुराक़ की दरकार होती है। होने वाली माँ को जहाँ बहुत सारे फल और सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है,वहीँ कुछ फल विशेष हैं जिनके उपयोग के लिये सख्ती से मना किया जाता है।

ताकि भावी शिशु और उसकी माता के स्वास्थ्य पर कोई भी विपरीत प्रभाव न पड़े। कोई भी माँ अपने बच्चे में किसी भी प्रकार का शारिरिक या मानसिक दोष नहीँ सहन कर सकती । हँसता मुस्कुराता स्वस्थ सुन्दर बच्चा हर माता पिता का सपना होता है और गर्भकाल में जहाँ होने वाली माँ को अच्छी सेहत के लिये आम ,नारियल,सन्तरा, केला आदि फ़लों के सेवन की सलाह दी जाती है।

वहीँ पपीते से दूरी बनाने के निर्देश भी मिलते हैं। अक्सर मन में सवाल उठते हैं कि आखिर है तो यह भी फल ही फिर इस में ऐसा क्या है जो इस समय इसे खाने को मना किया जाता है।

कई घरों में इसे इतना पसन्द किया जाता है कि यह उनके दैनिक आहार में शामिल होता है । परन्तु गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं के लिये पपीते का प्रयोग अक्सर नुकसानदेह साबित होता है। आइये जानते है कि आखिकार पपीते का प्रयोग इस समय क्यो वर्जित होता है।

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परिचय

प्रकृति के खजाने में हमारे उत्तम स्वास्थ्य के लिये बहुत सारे उपहार है फल और सब्जियों के रूप में उन्ही में से एक फल है “पपीता”। सभी वनस्पतियों  के पञ्चाङ्ग की तरह (जड़,तना, छाल, फूल,फल और पत्तीयों) पपीते की भी अपनी बहुत सी विशेषताएँ  है।

नाम

केरिका पापाया,यह सर्व सुलभ फल है और इसे बेहद आसानी से हमारे आसपास के बाजार में देखा जा सकता है।

पपीता
पपीता

पपीते में पाये जाने वाले गुण

यह एक नर्म फल है, जिसे काटने पर अंदर काले रँग के बीज प्राप्त होते हैं। कच्ची अवस्था मे यह हरा होता है,और पकने पर पीले रङ्ग का हो जाता है।

इसे कच्चे एवं पके हुए दोनों रूपों में खाया जा सकता है ,डायट पर रहने वाले लोगों का तो यह बेहद प्रिय फल है,यह रेशों (फाइबर) का भण्डार है,इसमें  विटामिन ए, कैल्शियम , तथा पेपेन पाया जाता है।

यह कोलेस्ट्रॉल तथा वजन को नियंत्रित रखने में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है ,इसलिए यह हर आयुवर्ग के लिये लाभप्रद है सिवाय गर्भवती स्त्रियों और दूध पीने वाले बच्चों के।

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प्रेगनेंसी में पपीता क्यों नहीं खाना चाहिए

कच्चा पपीता-पपीता कच्ची अवस्था मे गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। कच्चे पपीते को एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक कहा गया है,इसकी तासीर काफी गर्म होती है।

कारण यह है कि इसमें लेटेक्स नाम का पदार्थ पाया जाता है जो गर्भाशय के संकुचन के लिये जिम्मेदार तत्व भी होता है,लेटेक्स गर्भवती के शरीर मे एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन का स्राव को उत्तेजित करता है ,इसकी उपस्थिति पेट में मरोड़ उत्पन्न करती है। यही मरोड़ वजह बनती है असमय गर्भपात की।

एस्ट्रोजन ही वह तत्व है जो किसी महिला के शरीर में माहवारी को नियमित करता है। यदि गर्भवती इसका सेवन कर ले तो यह गर्भ के लिये बिल्कुल भी सुरक्षित नहीँ होता और गर्भपात का कारण बन जाता है।

इसकी वजह है पपीते में विटामिन सी और पपाइन का पाया जाना अक्सर कच्चे पपीते का प्रयोग माँस या कड़े प्रोटीन वाले भोज्य पदार्थ को मुलायम करने के लिये उसे उबलने के समय किया जाता है।

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बढ़ सकता है लेबर पेन

कभी कभी तो होने वाले शिशु में विकलांगता तक देखी गयी है। यह गर्भ को नुकसान दायक सिद्ध होते हैं,यहाँ तक कि यदि गर्भ की अंतिम तिमाही में भी यह लेबर पेन को बढ़ा सकता है। क्योंकि लेटेक्स लेबर पेन को बढ़ाने का काम करता है ,जो भावी माता और बच्चे दोनों के लिये ठीक नहीं होता ।

हाँ अगर महिला अगर गर्भवती नही है और उसे यदि पीरियड्स को रेगुलर करना हो तो उसके लिये कच्चे पपीते को पानी में उबाल कर 2 से 3 इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पीरियड्स के दौरान रक्तस्राव को नियमित करता है।

पका पपीता-कच्चे पपीते की तुलना में पका पपीता थोड़ा कम हानिकारक साबित होता है। क्योंकि इसे पेड़ से तोड़े हुए थोड़ा समय ज़रूर हो जाता है।

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चिकित्सक का परामर्श लेकर करे सेवन

परन्तु इसके गुणों में कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता यदि कोई पपीते को खाना ही चाहता है तो उसे पूरी तरह से पके हुए फल का ही सेवन करना चाहिये।

बहुत ज़्यादा इच्छा हो तो बहुत ही थोड़ी मात्रा में सेवन कर सकता है वह भी चिकित्सक का परामर्श लेकर।

पपीते में मौजूद ये एन्ज़ाइम बहुत छोटे बच्चों के लिये भी उपयुक्त नही होते ,इसलिए दूध पिलाने वाली माताओं और छोटे बच्चों को चिकित्सक इसको ज़्यादा खाने के लिए भी इसका प्रयोग मना करते हैं

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पपीता के बीज से गर्भपात

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

अक्सर लोग पपीता का इस्तेमाल करने के बाद इसके बीजों को कूड़ेदान में डाल देते हैं ,परन्तु इसके भी अपने बहुत सारे गुण हैं जिनका हमें ज्ञान ही नहीं होता।

पपीते के बीज भी अपने मे बहुत से औषधीय गुण रखते हैं भली प्रकार पके हुए पपीते के बीजों को सुखाकर इनका इस्तेमाल बहुत सी बीमारियों के लाभ के लिये किया जाता है।

कैसे करे प्रयोग

  • पपीता के बीज से गर्भपात का उपयोग प्राकृतिक गर्भनिरोधक के तौर पर भी किया जाता है। यह आकार में काली मिर्च के समान ,स्वाद में कड़वे और लिसलिसे होते हैं।
  • इन्हीं बीजों को अच्छी तरह धोने के बाद इनको सुखाकर व पीसकर स्टोर किया जाता है। यदि कोई महिला गर्भधारण नही करना चाहती उसे इन पिसे हुए बीजों को पानी के साथ दो चम्मच ग्रहण करना चाहिये।
  • लेकिन अगर गर्भवती हो तो बिना चिकित्सक की सलाह लिये कोई भी क़दम नहीँ उठाना चहिये । यह होने वाली माता के साथ भावी शिशु के भी भविष्य का प्रश्न जो होता है।

पपीता खाने के कितने दिन बाद पीरियड आता है

कुछ डॉक्टरों का मानना ​​है कि पपीता वास्तव में गर्भवती महिलाओं के लिए एक लाभकारी फल है। पपीता चाहे कच्चा हो या पका, मासिक धर्म चक्र में कोई बदलाव नहीं करता है। यह एक मिथक है कि आप अपने मासिक धर्म की तारीख को आगे-पीछे कर सकती हैं। हालांकि, कच्चे पपीते में पाया जाने वाला पपैन नामक प्रोटीयोलाइटिक एंजाइम गर्भाशय के संकुचन और पाचन समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए हम गर्भवती महिलाओं को कच्चे पपीते का सेवन बिल्कुल नहीं करने की सलाह देते हैं। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान पका पपीता फायदेमंद हो सकता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।

बार बार गर्भपात करने से क्या होता है?

अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए कई जोड़े बार बार गर्भपात का सहारा लेते हैं। बार बार गर्भपात कराने से गर्भाशय ग्रीवा कमजोर हो जाती है किसी कारण अगली बार गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा महिला के शरीर में खून की कमी, इन्फेक्शन ,रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएं, एम्बोलिज़्म, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक आदि कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए बार बार गर्भपात कराने के स्थान पर परिवार नियोजन के तरीके अपनाकर गर्भधारण को रोकना ही ज्यादा कारगर उपाय है ।

क्या हींग से गर्भपात हो सकता है? कितना है सुरक्षित गर्भवस्था में हींग का सेवन?

हींग से गर्भपात

हर स्त्री का सपना होता है मां बनना। कभी-कभी लेकिन ऐसी परिस्थितियां होती है कि मां बनना एक दुस्वप्न लगता है। कभी ऐसा भी होता है कि आप प्रेगनेंसी कंसीव कर लेते हैं और आपको पता ही नहीं चलता। यह भी हो सकता है कि आपकी फैमिली कंप्लीट होती है और आप इस बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं होते। ऐसे में गर्भपात करना आवश्यक हो जाता है।

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

यहां पर हम बात करेंगे हींग से गर्भपात के तरीके की। हमें ध्यान रखना है कि यह सिर्फ शुरुआत के 1 महीने के लिए ही संभव है। इसके अलावा इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। बेहतर तो यही होगा कि हमें चिकित्सक परामर्श ले लेना चाहिए। डॉक्टर के पास जाना कभी-कभी संभव नहीं होता। ऐसे में हम घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। यहां पर हम ऐसे ही एक घरेलू नुस्खे हींग की बात कर रहे हैं। 

हींग का गर्भनिरोधक गुण

हींग
हींग
  • हींग तासीर में बहुत गर्म होती है। यह गर्भवती स्त्री के ब्लड प्रेशर लेवल को बड़ा सकती है। जिसके कारण भ्रूण गर्भ में ही नष्ट हो सकता है।
  • हींग अपने गर्भनिरोधक गुण के कारण भ्रूण को गर्भाशय में बढ़ने नहीं देती। भ्रूण को गर्भ में ही नष्ट कर देती है।
  • हींग में ऐसे केमिकल पाये जाते हैं जो कि बच्चे के लिए नुकसान करते हैं। ये केमिकल बच्चे के मस्तिष्क में विकार उत्पन्न करके उसकी मृत्यु तक करा सकते हैं।
  • हींग का सेवन करने से गर्भवती महिला के शरीर में वात का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे बच्चे के नर्वस सिस्टम के टिशु के विकास में बाधा पहुंचती है।
  • लगातार सेवन करने से बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। हींग गर्भाशय को तेजी से संकुचित करती है। जिसके कारण गर्भपात हो जाता है। आइए जानते हैं हींग के द्वारा गर्भपात के तरीके।

हींग का काढा

सुबह-सुबह हींग के काढे का सेवन लगातार तीन-चार दिन करने से जल्दी ही गर्भपात हो जाता है। हींग का काढा बनाने के लिए आपको एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच चाय पत्ती और थोड़ी सी हींग डालकर खौलानी होती है। जब यह पानी आधा हो जाए तो इसे गरम-गरम पीना होता है। यह नुस्खा बहुत ही जल्दी असर करता है। लेकिन इससे बेचैनी और घबराहट होने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं। 

अजवाइन और हींग का काढा

अजवाइन और हींग दोनों ही गर्भनिरोधक का कार्य करती हैं। इन दोनों का अगर मिलाकर सेवन किया जाए तो गर्भपात की संभावना काफी बढ़ जाती है। अजवाइन का काढ़ा बनाने के लिए आपको दो गिलास गर्म पानी को उबालना है। उबलते हुए गर्म पानी में आपको एक चम्मच अजवाइन और 1 चम्मच हींग डालनी है। जब हींग और अजवाइन का पानी आधा रह जाए तो उसे गरम गरम तीन-चार दिन तक लेना है। यह उपाय बहुत कारगर है बहुत ही जल्दी गर्भपात हो जाता है। 

हींग और गुड़ का काढा

गुड़ बहुत गर्म होता है। हींग भी काफी गर्म होती है। हींग और गुड़ मिलकर एक उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। जिससे बहुत जल्दी ही गर्भपात हो जाता है। हींग और गुड़ की चाय बनाने के लिए आपको एक गिलास पानी में एक चम्मच चाय पत्ती डालेंगे। जब यह खौलने लगेगा तो इसमें आपको एक गुड़ का टुकड़ा डाल देना है। जब यह खौलते खौलते आधा रह जाएगा तब इसे पी लेना है। यह काढ़ा बहुत आरामदायक होता है इसको पीने से दर्द से भी राहत मिलती है।

हींग और सौंठ का काढा 

सौंठ और हींग दोनो ही बहुत गर्म होते हैं। जो गर्भाशय के संकुचन को बढ़ाता है जिसके कारण गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है। हमें दो गिलास पानी में एक चम्मच सौंठ और एक चौथाई चम्मच हींग और गुड़ का मिलाकर उबालना होता है जब यह चाय एक चौथाई से भी कम रह जाए। इस चाय को सुबह उठते समय और रात को सोते समय 4 दिन तक लगातार लेने से गर्भपात होने की संभावना अधिक हो जाती हैं।

हींग और सौंठ, अजवाइन, गुड़ का काढा 

आप चाहे तो इन सारी सामग्रीयों को एक साथ मिलाकर भी उबाल सकते हैं। जब यह काढा पी सकते हैं। यह प्रक्रिया आपको तब तक दोहरानी है जब तक आप की डेट आने ना लगे। जब हम लेकिन एक साथ इतनी सारी गर्म चीजें उपयोग में लाएंगे तो इसके काफी सारे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हमारा बीपी बढ़ सकता है। हमें हीट स्ट्रोक्स आ सकते हैं। एन्जाइटी हो सकती है। बीपी बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक हर्ट अटैक की संभावनाएं भी हो सकती हैं। इन सारी चीजों के कारण गर्भपात तो भले ही हो जाए पर और दूसरी समस्याएं भी हो सकती है। अतः सारी सामग्रियों को एक साथ मिलाकर उपयोग में लाना अच्छा विकल्प नही है। आप चाहे तो सुबह शाम अलग-अलग तरह के काढे प्रयोग में ला सकते हैं।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

शादी के बाद कौन मां नहीं बनना चाहता लेकिन कई बार ये प्रेग्नेंसी अनचाही हो जाती है तो परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में कई बार महिला गर्भधारण को खत्म करने के घरेलू उपायों से गर्भपात कराने के बारे में सोचती है। गर्भपात का अर्थ है गर्भवती होने के 24 सप्ताह के भीतर गर्भ में भ्रूण का विनाश। यदि गर्भपात गर्भवती होने के 12 सप्ताह के भीतर हो जाता है, तो इसे प्रारंभिक गर्भपात कहा जाता है।

यदि गर्भावस्था के पहले या दूसरे सप्ताह में रक्तस्राव होता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आपका गर्भपात हो गया है। लेकिन इस स्थिति में भी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा अबॉर्शन पिल्स भी आजकल उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल दो महीने तक की प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है।

लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था को तीन महीने हो गए हैं, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार से गुजरना होगा। ऐसे में अगर आप घरेलू नुस्खे अपनाती हैं तो ब्लीडिंग होती है, लेकिन सही तरीके से गर्भपात न होने के कारण अधूरे गर्भपात का मतलब यह हो सकता है कि आपके गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह गए हैं, जो बाद में आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। आज हम आपको बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे बताएंगे, जिनकी मदद से आप 1 महीने तक गर्भपात करवा सकते हैं।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

लहसुन-गर्भपात के घरेलु उपाय

लहसुन हर किसी की रसोई में शामिल होता है, इसमें ‘एलिसिन’ नामक तत्व होता है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्त संचार बढ़ाता है। लहसुन से गर्भपात के लिए किसी भी तरह से अधिक मात्रा में इसका सेवन करें।

लहसुन
लहसुन

बबूल के पत्ते – गर्भ गिराने के उपाय

अगर 1 महीने से 15 दिन का गर्भ है तो उसके लिए बबूल के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। इस पानी को दिन में चार से पांच बार तब तक पिएं जब तक आपको ब्लीडिंग न होने लगे।

अजवाइन से गर्भपात

अजवायन का असर बहुत ही गर्म माना जाता है, आप इसका इस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं कि गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में रोजाना आधा चम्मच अजवायन लें, या फिर इसे एक गिलास पानी में उबालकर पी लें।

इलायची से गर्भ कैसे गिराए

इलायची के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें, एक चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार लें और रक्तस्राव बंद होने तक रखें।

गर्भ धारण करने के घरेलू उपाय के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर और 5 इलायची को उबालकर एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें, छानकर रख लें। दिन में तीन बार 50 मिलीलीटर पिएं।

तुलसी का काढ़ा

तुलसी का प्रभाव भी बहुत गर्म होता है, तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या इसका काढ़ा बनाकर पीएं, दोनों तरह से यह गर्भपात में सहायक है।

अनानास का रस-गर्भपात के घरेलु नुस्खे

अनानस गर्भवती महिलाओं से दूर रखा जाता है क्योंकि अनानास में बड़ी मात्रा में विटामिन सी, एंजाइम और रसायन होते हैं, जो गर्भपात का कारण बनते हैं। इसमें ब्रोमेलैन की उपस्थिति के कारण गर्भाशय की दीवार नरम हो जाती है। इसलिए अगर शुरुआती हफ्तों में इसका इस्तेमाल किया जाए तो गर्भपात आसानी से किया जा सकता है।

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

पपीते को एक गर्म फल भी माना जाता है, इसका इस्तेमाल ज्यादातर महिलाएं अबॉर्शन के लिए करती हैं। क्योंकि पपीते में मौजूद फाइटोकेमिकल्स प्रोजेस्टेरोन गतिविधि में हस्तक्षेप कर सकते हैं। जो गर्भपात का कारण बनता है।

विटामिन सी फूड्स

घर पर गर्भपात कराने के लिए आपको विटामिन सी युक्त फलों का भरपूर सेवन करना चाहिए।

गर्भपात के लिए घरेलू उपचार अपनाते समय यदि अधिक रक्तस्राव, पेट में दर्द, बुखार, कमजोरी जैसे लक्षण लंबे समय तक दिखाई दें तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एस्पिरिन टैबलेट

मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध एस्पिरिन की गोली लें, इस टैबलेट को रोजाना 6 से 8 खुराक में लें। टेबलेट लेने के साथ-साथ अन्य घरेलू उपचार भी करते रहें।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

आज के युवा जीवन को बहुत ही सुनियोजित तरीके से जीना पसंद करते हैं। यही कारण है कि करियर में आगे बढ़ने के साथ-साथ पर्सनल लाइफ के लिए भी ये खास प्लानिंग करते हैं। वे कब शादी करने की योजना बना रहे हैं? माता-पिता कब बनें? कितने बच्चे होंगे? जैसी महत्वपूर्ण बातें। इस तरह की चीजें शायद एक या दो दशक पहले के समाज द्वारा बहुत योजनाबद्ध तरीके से नहीं की जाती थीं। ऐसे में युवा इन प्राकृतिक चीजों को रोकने के लिए चिकित्सा विज्ञान का सहारा लेते हैं। इसमें सबसे अहम मुद्दा माता-पिता बनना है। भागदौड़ भरी जिंदगी में करियर की अहमियत के चलते युवा अपने हिसाब से परिवार नियोजन करते हैं। ऐसे में वे अनचाहे गर्भ से बचने के लिए दवाओं का सहारा लेती हैं (गर्भनिरोधक से बचें)। लेकिन इन दवाओं के साइड इफेक्ट को देखते हुए हम आपको अनचाहे गर्भ से बचने के कुछ घरेलू उपाय बताते हैं। तो आइए जानते हैं क्या खाने से गर्भ नहीं ठहरता है।

How To Abort Pregnancy Of 2 Weeks In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये

एक पतीले में दो कप गरम पानी चढ़ाएं। अब अदरक ,लॉन्ग ,काली मिर्च और दालचीनी का पेस्ट बनाएं । इस पेस्ट को पानी में मिलाएं और 20 मिनट तक गर्म उबलने दें । थोड़ा ठंडा करके इसे छाने और शहद मिलाएं ,तुलसी का काढ़ा तैयार है।

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हल्दी से प्रेगनेंसी रोकने के उपाय

जानकारों के मुताबिक अगर खाने के दौरान हल्दी का सेवन बहुत कम मात्रा में किया जाए तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान हल्दी के सप्लीमेंट और कैप्सूल का सेवन करती है तो करक्यूमिन की मात्रा अधिक होने के कारण गर्भावस्था से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि करक्यूमिन शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की नकल करता है, जो मासिक धर्म में ऐंठन और गर्भाशय के संकुचन को बढ़ाता है, जिससे समय से पहले जन्म और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

हल्दी
हल्दी

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मेथी से गर्भपात कैसे करें

अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो जरूरत से ज्यादा मेथी के दानों का सेवन करने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर विपरीत असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं इससे आपके गर्भपात की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। दरअसल, मेथी के बीज में सैपोनिन नाम का तत्व पाया जाता है जो गर्भपात का कारण बनता है।

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जायफल से गर्भपात कैसे करें

जायफल में मिरिस्टिसिन होता है, जो एक सक्रिय तत्व है जो भ्रूण को नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इस कारण से अनावश्यक जोखिम से बचने के लिए गर्भावस्था से पहले इसके सेवन से बचना चाहिए। एक से दो चुटकी जायफल का चूर्ण शहद के साथ लेने से गर्भपात हो सकता है। आप दूध के साथ एक चुटकी जायफल का भी सेवन कर सकते हैं।

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तुलसी के पत्ते से गर्भपात कैसे करें

दरअसल, अगर तुलसी के पत्तों का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह शरीर में हानिकारक हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव पैदा कर सकता है, यानी सरल शब्दों में कहें तो तुलसी के अधिक सेवन से शरीर में ब्लड शुगर लेवल में कमी आ सकती है। इससे चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और घबराहट की भावना हो सकती है। तुलसी में यूजेनॉल होता है, जिससे हृदय गति बढ़ सकती है, मुंह में छाले हो सकते हैं, चक्कर आ सकते हैं और शायद इसी वजह से डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को तुलसी का सेवन करने से भी मना करते हैं।

काली चाय से गर्भ कैसे गिराए

अनचाहे गर्भ से निजात पाने के लिए पार्सले का सेवन काफी फायदेमंद साबित होता है। अगर आप प्रेग्नेंसी पॉजिटिव महसूस करती हैं तो रोज सुबह शाम पानी में कुछ पार्सले के पत्ते उबालकर चाय की तरह पिएं। इस प्रक्रिया को लगातार एक महीने तक करें।

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नींबू से गर्भ कैसे गिराए

आपको बता दें कि नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह नुकसानदायक नहीं है। लेकिन अगर आप गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में नींबू या किसी खट्टे फल का सेवन करती हैं, तो आपका गर्भपात हो सकता है।

प्रेगनेंसी में खजूर खाने के नुकसान

अगर आपका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा है या आपका ग्लूकोज टेस्ट नॉर्मल नहीं है तो आपको प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में खजूर खाने से बचना चाहिए।

काली मिर्च से गर्भपात कैसे करे

कई लोग प्रेग्नेंसी में काली मिर्च का सेवन करने से मना कर देते हैं। लेकिन क्या प्रेग्नेंसी में काली मिर्च खानी चाहिए? तो इसका उत्तर है- हां, गर्भावस्था के दौरान काली मिर्च का सेवन करना सुरक्षित है, लेकिन इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। अन्य खाद्य पदार्थों की तरह इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए, इससे आपको और आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि, काली मिर्च के अत्यधिक सेवन से एसिडिटी, गर्भपात, अपच और जलन हो सकती है।

अदरक से गर्भपात हो सकता है

गर्भावस्था के दौरान अदरक का सेवन गर्भपात का कारण नहीं होता है। विशेषज्ञों की माने तो सीमित मात्रा में अदरक का सेवन गर्भवती के लिए लाभदायक होता है परंतु यदि अधिक मात्रा में अदरक का सेवन कर लिया जाए तो समस्याएं हो सकती हैं । यदि महिला किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रसित है अथवा लो ब्लड प्रेशर ,लो शुगर की समस्या है तो अदरक का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अति आवश्यक है।

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तिल से गर्भपात कैसे करें

ऐसा माना जाता है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है, जो वास्तव में सच नहीं है। इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि तिल खाने से गर्भपात हो सकता है। वहीं तिल में आयरन, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे जी मिचलाने की समस्या हो सकती है।

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पपीता खाने से गर्भपात कैसे होता है

कच्चा पपीता-पपीता कच्ची अवस्था मे गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। कच्चे पपीते को एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक कहा गया है,इसकी तासीर काफी गर्म होती है।

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गुड़ से गर्भपात हो सकता है

गर्भवती महिला गुड़ का सेवन सीमित मात्रा में कर सकती है। गुड़ आयरन से भरपूर होता है और आयरन की दैनिक आवश्यकता को पूरा कर सकता है। चीनी का प्राकृतिक स्रोत गर्भवती महिला के स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसके अलावा गुड़ खून और मां के दूध को शुद्ध करता है।

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अधूरे गर्भपात के लक्षण क्या है

प्रत्येक महिला के लिए गर्भपात एक शारीरिक और मानसिक दोनों तरीकों से दुखद अवस्था है, परंतु अधूरा गर्भपात और भी भयावह स्थिति  है। यदि आपको लगातार योनि से भारी रक्तस्राव हो रहा है, योनि मार्ग में रक्त के थक्के निकल रहे हैं, पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा है, बुखार है अथवा फ्लू के लक्षण नजर आ रहे हैं तो ये अधूरे गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं। अगर इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

अपूर्ण गर्भपात के उपचार

 

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