गर्भपात के घरेलू उपाय – लक्षण, कारण और एक महीने की प्रेगनेंसी हटाने के तरीके

गर्भपात के घरेलू उपाय

गर्भपात (गर्भ गिराने) के घरेलू उपाय (garbhpat ke gharelu upay)

मां बनना एक महिला के लिए एक सुखद एहसास है, जिसकी खुशी के आगे दुनिया की हर खुशी फीकी लगती है। लेकिन अगर आप गलती से प्रेग्नेंट हो जाएं, तो क्या करें? यह सवाल किसी भी महिला के मन में घबराहट, बेचैनी और डर पैदा कर सकता है, खासकर तब जब यह बिना फैमिली प्लानिंग के हुआ हो। ऐसी स्थिति में घबराने की बजाय सही जानकारी और समझदारी से निर्णय लेना जरूरी होता है। कई महिलाएं इस दौरान गर्भपात के घरेलू उपाय के बारे में जानना चाहती हैं, ताकि वे अपने स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सही कदम उठा सकें।

गलती से प्रेग्नेंट हो जाए तो क्या करें? यह सवाल कई महिलाओं के मन में आता है, जब वे बिना फॅमिली प्लानिंग के गर्भवती हो जाती हैं। गर्भपात के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कई बार संभोग के दौरान पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका गर्भनिरोधक उपायों का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते, जिससे अनचाहा गर्भ ठहर जाता है। कुछ महिलाओं के लिए शारीरिक या मानसिक रूप से माँ बनना संभव नहीं होता, तो कुछ अपनी करियर या पर्सनल लाइफ को प्राथमिकता देती हैं जिससे वे गर्भपात कराने का फैसला लेती हैं। इस तरह, विभिन्न परिस्थितियों के कारण गर्भपात का निर्णय लिया जाता है।

गर्भपात क्या होता है (garbhpat kya hota hai)

गर्भपात वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भधारण के 20 से 24 सप्ताह से पहले भ्रूण का विकास रुक जाता है या उसे चिकित्सकीय रूप से समाप्त कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया स्वाभाविक (Natural/Miscarriage) या कृत्रिम (Medical/Surgical Abortion) हो सकती है।

गर्भपात के लक्षण (Symptoms of Miscarriage)

अगर किसी महिला को गर्भपात हो रहा हो, तो उसके शरीर में कुछ खास लक्षण दिख सकते हैं। ये लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं।

मुख्य लक्षण:

अचानक तेज पेट दर्द या ऐंठन

खासकर पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है।

योनि से रक्तस्राव (Bleeding)

हल्के धब्बों (Spotting) से लेकर ज्यादा खून बहने तक हो सकता है।

गर्भावस्था के लक्षणों में कमी

जैसे मतली (जी मिचलाना), उल्टी, या स्तनों में भारीपन कम होना।

योनि से सफेद या गुलाबी रंग का डिस्चार्ज

यह संकेत हो सकता है कि गर्भपात शुरू हो रहा है।

पीठ में दर्द

हल्का या बहुत तेज दर्द हो सकता है, जो सामान्य गर्भावस्था के दर्द से ज्यादा महसूस हो सकता है।

बुखार या ठंड लगना

यह संक्रमण का संकेत हो सकता है, जो गर्भपात के दौरान हो सकता है।

कमजोरी और चक्कर आना

शरीर में खून की कमी होने के कारण कमजोरी महसूस हो सकती है।

गर्भपात के प्रकार (Miscarriage Symptoms in Hindi)

गर्भपात एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें गर्भधारण अपने आप समाप्त हो जाता है। यह कई कारणों से हो सकता है और इसके विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक प्रकार के गर्भपात के लक्षण और प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं। नीचे गर्भपात के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से बताया गया है।

1. मिस्ड गर्भपात (Missed Miscarriage)

इसमें गर्भावस्था स्वयं समाप्त हो जाती है, लेकिन कोई स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते। न तो रक्तस्राव होता है और न ही महिला को किसी तरह की असुविधा महसूस होती है। कई बार भ्रूण गर्भ में ही रहता है और इसका पता तब चलता है जब भ्रूण का विकास रुक जाता है। इसका निदान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है।

2. अधूरा गर्भपात

अधूरा गर्भपात एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें भ्रूण का केवल कुछ भाग ही गर्भाशय से बाहर निकल पाता है। इसके कारण महिला को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

अधूरा गर्भपात के लक्षण

अत्यधिक रक्तस्राव

योनि से लगातार और अधिक मात्रा में खून बहना।

तेज पेट दर्द या ऐंठन

पेट के निचले हिस्से में असहनीय दर्द या दबाव महसूस होना।

कमजोरी और चक्कर आना

अधिक रक्तस्राव के कारण शरीर में कमजोरी हो सकती है।

बुखार और ठंड लगना

संक्रमण होने की स्थिति में शरीर का तापमान बढ़ सकता है।

असामान्य डिस्चार्ज

योनि से दुर्गंधयुक्त डिस्चार्ज आना।

3. पूर्ण गर्भपात(Complete Miscarriage)

इस स्थिति में महिला को तीव्र पेट दर्द और भारी रक्तस्राव होता है, और भ्रूण पूरी तरह से गर्भाशय से बाहर आ जाता है।

4. अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable Miscarriage)

इसमें रक्तस्राव लगातार जारी रहता है और गर्भाशय ग्रीवा खुल जाती है, जिससे भ्रूण बाहर आ जाता है। इस दौरान महिला को पेट में लगातार ऐंठन महसूस होती रहती है।

5. सेप्टिक गर्भपात (Septic Miscarriage)

जब गर्भ में संक्रमण हो जाता है, तब गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। यह एक गंभीर स्थिति होती है, जिसके लिए तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक होता है

सुरक्षित गर्भपात कब और कैसे होता है

गर्भपात का समय ज्यादातर गर्भावस्था के पहले 3 महीनों तक का होता है और यह सबसे सुरक्षित समय होता है। असामान्य मामलों में, गर्भपात दूसरी तिमाही में किया जाता है जो गर्भावस्था के 4-6 महीनों में होता है। तीसरे तिमाही में गर्भपात शायद ही कभी किया जाता है क्योंकि यह सुरक्षित नहीं रहता है और केवल आपातकालीन या जीवन को खतरा जैसे कारणों से किया जाता है। इसलिए किसी को पहले के विकल्पों का विकल्प चुनना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित और सस्ता होता है।

एक सुरक्षित गर्भपात प्राप्त करने के लिए पहली तिमाही जो कि पहले 3 महीने होती है, सबसे सुरक्षित समय होती है क्योंकि इस समय दवाओं का उपयोग गर्भपात करवाने के लिए किया जा सकता है और इन दवाओं का आमतौर पर दुष्प्रभाव नहीं होता है। वैक्यूम एस्पिरेशन प्रक्रियाओं का उपयोग भी किया जा सकता है जो सुरक्षित भी हैं। पहली तिमाही के बाद, सुरक्षित गर्भपात प्राप्त करना कठिन होता है और किसी को तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि कोई इमरजेंसी न हो।

गर्भपात करने के सरल घरेलु तरीका

अक्सर यह सवाल आता है कि “बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?” और इसके लिए कौन-कौन से घरेलू उपाय अपनाए जाते हैं। पारंपरिक रूप से गर्भपात के लिए विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन , तुलसी का काढ़ा, लहसून, ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

  • गर्भावस्था का पता चलने के शुरुआती दिनों में ही गर्भपात कराना सही रहता है। विटामिन सी युक्त पदार्थ जैसे कच्चा पपीता ,अनानास, कटहल, संतरा, नींबू आदि चीजों के सेवन से शुरुआती गर्भावस्था में गर्भपात हो जाता है।
  • भुने हुए तिल तासीर में बहुत गर्म होते हैं। तीन से चार चम्मच तिलों को भूनकर दिन में दो बार सेवन करने से गर्भपात हो जाता है।
  • दो से चार हफ्तों की गर्भ को गिराने के लिए, 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी के साथ उबालें पानी आधा रह जाने पर उसे छानकर उसका सेवन करें जब तक ब्लीडिंग शुरू ना हो तब तक दिन में दो से तीन बार इस पानी का सेवन करने से गर्भ गिर जाता है।
  • ग्रीन टी के अधिक सेवन से भी गर्भपात हो जाता है ।
  • अधिक मात्रा में दालचीनी तथा काली मिर्च का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।केले की पत्तियों और बबूल की फलियों को सुखाकर उनका चूर्ण बनाकर नियमित रूप से सेवन गर्भ गिराने का तरीका है।
  • कॉफी की तासीर गर्म होती है इसलिए अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करने से भी गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • तुलसी के पत्तों और उसके बीजों का काढ़ा बनाकर पीने से गर्भपात होता है।
  • तीन से चार चम्मच अजवायन को गुड़ के साथ मिलाकर दो गिलास पानी में उबालें और इस पानी को छानकर अजवायन के पानीका दिन में 2 बार सेवन गर्भ गिराने का तरीका है ।
  • उछल कूद और अधिक मात्रा में व्यायाम करने से भी गर्भपात हो जाता है।

गर्भपात (एबॉर्शन) के नुकसान

दोनों मेडिकल और सर्जिकल गर्भपात प्रक्रिया काफी सुरक्षित होती हैं, हर प्रक्रिया और उपचार में कुछ जोखिम शामिल होते हैं। गर्भपात के जोखिमों में शामिल हैं:

  • गर्भ में संक्रमण का विकास
  • समाप्ति के बाद अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है
  • गर्भाशय ग्रीवा क्षतिग्रस्त हो सकती है
  • गर्भ क्षतिग्रस्त हो सकता है

यदि यह जल्द से जल्द किया जाता है तो गर्भपात सबसे सुरक्षित होता है। किसी भी जटिलताओं के मामले में, एक डॉक्टर से तुरंत परामर्श किया जाना चाहिए और प्रासंगिक उपचार का विकल्प चुना जाना चाहिए। गर्भपात का विकल्प चुनने से भविष्य में गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती है।

गर्भपात के बाद माहवारी कब आती है

गर्भपात के बाद माहवारी गर्भपात की अवधी पर निर्भर करता है। यदि गर्भपात पहली तीमाही के दौरान हुआ है तो पीरियड्स 4 से 12 सप्ताह बाद आने शुरु हो जाने चाहिए। और उस समय की माहवारी सामान्य से कम हो सकती है या सर्जिकल गर्भपात के बाद यह सामान्य रूप से भी हो सकती है। यदि पहली माहवारी सामान्य से अधिक होती है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भपात के बाद सावधानियां

गर्भपात के बाद शरीर को ठीक होने में समय लगता है, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतना जरूरी होता है। इस दौरान भरपूर आराम करें और शरीर को हाइड्रेट रखें। आयरन और प्रोटीन युक्त आहार लें ताकि कमजोरी दूर हो सके। संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें और कुछ समय तक यौन संबंध बनाने से बचें। भावनात्मक रूप से संतुलित रहने के लिए अपनों से बातचीत करें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लें। किसी भी असामान्य लक्षण, जैसे अत्यधिक रक्तस्राव, तेज बुखार या तेज दर्द होने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।

गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में घरेलू उपाय द्वारा गर्भपात संभव है परंतु यदि ज्यादा समय हो चुका है तो उसके लिए डॉक्टर की सलाह लेकर ही गर्भपात कराएं।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

एक महीने की प्रेगनेंसी कैसे हटाएं घरेलू उपाय?

कच्चा पपीता, अनानास, अजवायन का पानी, और ग्रीन टी पारंपरिक घरेलू उपायों में शामिल हैं। लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना इन्हें अपनाना स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है।

तुरंत प्रेगनेंसी रोकने के लिए क्या करना चाहिए?

72 घंटे के भीतर आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां (i-pill) ली जा सकती हैं। घरेलू नुस्खे की बजाय मेडिकल सलाह लेना बेहतर होता है।

बच्चा कितने दिन का गिरा सकते हैं?

प्रेगनेंसी के पहले 9 सप्ताह तक मेडिकल गर्भपात सुरक्षित माना जाता है। इसके बाद डॉक्टर की निगरानी ज़रूरी है।

अधूरा गर्भपात के लक्षण क्या हैं?

अत्यधिक ब्लीडिंग, पेट दर्द, बुखार, और बदबूदार डिस्चार्ज इस स्थिति के संकेत हो सकते हैं। यह मेडिकल इमरजेंसी होती है।

गर्भपात के बाद किन बातों का ध्यान रखें?

भरपूर आराम करें, पौष्टिक आहार लें, साफ-सफाई रखें और मानसिक संतुलन बनाए रखें। किसी भी असामान्यता पर डॉक्टर से मिलें।

इलायची से गर्भपात (Elaichi Se Garbhpat) – अनचाहे गर्भ को कैसे गिराए

इलायची से गर्भपात

मां बनना हर स्त्री के लिए एक सौभाग्य की बात है, लेकिन कभी कभी स्त्री, पुरूष या परिवार इस स्थिति के लिए तैयार नही होता इसके कई कारण हो सकते है, जैसे आर्थिक स्थिति सही न होना, पहले से ही एक नवजात शिशु का होना, स्त्री को कोई शारिरिक समस्या होना। कभी कभी एक कुमारी स्त्री भी परिस्थितियों के वशीभूत गर्भवती हो जाती है, ऐसे में कई बार डॉक्टर के पास जाने में या तो झिझक होती है या पैसे की कमी। गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे (bacha girane ke gharelu nuskhe) प्राचीन काल से आजमाए जा रहे है और आज हम ऐसे ही घरेलू नुस्खे की बात करेंगे-इलायची से गर्भपात कैसे करें।

जानिए: क्या खाने से मिसकैरिज होता है?-Kya Khane Se Miscarriage Hota Hai

लेकिन एक बात का हमेशा ध्यान रखना होगा की गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे 100% सुरक्षित नहीं होते है। इसके लिए बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जब आप पूर्णरूप से सुनिश्चित हो जाए। तभी इनका प्रयोग करे क्योंकि आप इनके असर को उलटा नहीं कर सकते।

एक महीने की प्रेगनेंसी कैसे हटाए घरेलू उपाय

अगर प्रेगनेंसी को एक महीना (लगभग 4 से 5 हफ्ते) हुआ है, तो कुछ घरेलू नुस्खों से उसे रोका जा सकता है। लेकिन सबसे जरूरी बात ये है कि ऐसे उपाय सिर्फ शुरुआत में ही करने चाहिए।

9 या 10 हफ्ते के बाद घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है, इसलिए उस समय कोई भी घरेलू तरीका अपनाना सही नहीं होता। इससे आपकी सेहत और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है।

इसलिए अगर आप घरेलू उपाय अपनाना चाहती हैं, तो इसे सिर्फ शुरुआती हफ्तों में ही करें, और किसी जानकार की सलाह जरूर लें।

इस पीरियड के बाद डॉक्टर को दिखाए और मेडिकल टर्मिनेशन करवाए। गर्भपात के लिए अपनाएं जाने वाले घरेलू नुस्खों में से ही एक नुस्खा है इलायची से गर्भपात करना। तो आज इस आर्टिकल में हम इसी पर प्रकाश डालेंगे।

गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे-Garbh Girane Ke Gharelu Nuskhe

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में पपीता, अजवायन, अन्नानास का रस, तुलसी का काढ़ा, ड्राई फ्रूट्स, लहसून, विटामिन सी, केले का अंकुर, अजमोद, कोहोश, गर्म पानी, बाजरा, गाजर के बीज, तिल, ग्रीन टी, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, अनार के बीज, कैमोमाइल तेल, काली चाय का प्रयोग खूब किया जाता है।

लेकिन हम यहां बात करेंगे केवल इलायची की, तो इलायची से गर्भपात करने का तरीका आपको बताते है।

इलायची को कई प्रकार से गर्भपात के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

और पढ़ें: गर्भपात के लिए तुलसी का काढ़ा कैसे बनाये, कैसे होता है तुलसी के पत्तों से गर्भपात-Tulsi Se Garbhpat

इलायची से गर्भपात कैसे करें?-Elaichi Se Garbhpat Kaise Kare

इलायची से गर्भपात-Pregnancy Khatam Karne Ka Tarika

  • इलायची के बीजो को पीसकर चूर्ण बना ले, एक चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार ले और ब्लीडिंग होने तक कंटिन्यू रखे।
  • गर्भ गिराने के घरेलू उपाय के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर और 5 इलायची को कूटकर एक गिलास पानी मे ढककर उबाल लें, छान कर रख ले। दिन में तीन बार 50ml पिए।
  • गाजर के बीज और इलायची को पूरी रात पानी मे भिगो दें, सुबह गाजर के बीज और इलायची के साथ ही इस पानी को उबले और पी ले। ऐसा लगातार ब्लीडिंग होने तक करें।
  • गर्भ गिराने के घरेलू उपाय के लिए तुलसी के पत्तो को इलायची के साथ पीस ले और इस मिश्रण का रोज शहद के साथ सेवन करे।

जानिए: अनचाहे गर्भ का अजवाइन से गर्भपात कैसे करे?

इलायची से गर्भपात
इलायची से गर्भपात

 

घरेलू नुस्खों से गर्भपात कब खतरनाक हो सकता है।

  • अगर आप बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी बच्चा गिराने के तरीके अपना रही है।
  • किसी अज्ञानी व्यक्ति से, खुद के द्वारा अथवा घरेलू दाई से गर्भपात करवा रही है।
  • पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के बिना गर्भपात करवाना।
  • 10 हफ़्तों के बाद घरेलू नुस्खों से गर्भपात करने की कोशिश कर रही है।
  • बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से दवा लेकर गर्भपात करना।
  • दाई या झोला छाप डॉक्टर से पेट की मालिश करवाकर गर्भ गिरवाना।

घरेलू नुस्खों से गर्भपात के नुकसान

इन बच्चा गिराने के उपाय से महिला को एलर्जी हो सकती या उल्टी व चक्कर आ सकते हैं। यहां तक कि महिला की मृत्यु भी हो सकती है। हो सकता है गर्भपात पूरी तरह से न हो अर्थात गर्भाशय में भ्रुण का कुछ भाग रहा जाए जो बाद में इन्फेक्शन फैला दे। इस तरह गर्भपात के तरीके अपनाने से योनि को भारी क्षति हो सकती है, अंदरूनी हिस्सो पर बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं। हो सकता है इन सबके बाद भी गर्भपात न हो और शिशु को कोई बर्थ डिफेक्ट हो जाये।

इसलिए जो भी करे सोच विचार कर करे। घरेलू गर्भपात के कारण स्थिति बिगड़ने पर जल्द से जल्द मेडिकल हेल्प ले।

गर्भपात के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए

गर्भपात के बाद शरीर और मानसिक स्थिति दोनों को ठीक होने में थोड़ा समय लगता है। आमतौर पर डॉक्टर्स की सलाह होती है कि गर्भपात के कम से कम 2 हफ्ते बाद ही यौन संबंध बनाए जाएं, ताकि संक्रमण का खतरा न हो और शरीर पूरी तरह से रिकवर कर सके।

हालांकि, हर महिला की स्थिति अलग होती है। इसलिए सबसे बेहतर यही होगा कि आप पहले डॉक्टर से सलाह लें और जब शरीर पूरी तरह से स्वस्थ महसूस करे, तब ही अगला कदम उठाएं।

कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखें:

  • अगर ब्लीडिंग अभी भी हो रही है, तो संबंध न बनाएं।

  • शरीर में कमजोरी या दर्द हो तो थोड़ा और इंतजार करें।

  • अगली प्रेगनेंसी से बचने के लिए कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल करें।

नोट– यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।

बार बार गर्भपात करने से क्या होता है?

अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए कई जोड़े बार बार गर्भपात का सहारा लेते हैं। बार बार गर्भपात कराने से गर्भाशय ग्रीवा कमजोर हो जाती है किसी कारण अगली बार गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा महिला के शरीर में खून की कमी, इन्फेक्शन ,रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएं, एम्बोलिज़्म, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक आदि कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए बार बार गर्भपात कराने के स्थान पर परिवार नियोजन के तरीके अपनाकर गर्भधारण को रोकना ही ज्यादा कारगर उपाय है ।

क्या खाने से मिसकैरिज होता है?-Kya Khane Se Miscarriage Hota Hai

क्या खाने से मिसकैरिज होता है?

प्रेगनेंसी मे हर महिला के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लेना बहुत ही जरुरी है। पर कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जो कि गर्भवती महिलाओं को नहीं खाने चाहिए, ख़ासकर प्रेगनेंसी के शुरु के तीन महिने के दौरान, आमतौर पर इन तीन महिने मे गर्भवती महिलाओं में गर्भपात होने का ख़तरा ज़्यादा होता है। गर्भवती महिला के लिए यह जानना जरुरी है कि क्या खाने से मिसकैरिज होता है, क्या चीज खाने से गर्भपात हो जाता है? गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में शामिल खाद्य पदार्थों का ध्यान रखना आवश्यक हैं और गर्भपात से बचने के लिए गर्भावस्था के दौरान कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों से गर्भाशय फैल सकता है या खुल सकता है और परिणामस्वरूप गर्भाशय में संकुचन हो सकता है जिससे गर्भपात होने का खतरा हो सकता नीचे हम कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ की बात कर रहे है जो गर्भपात का कारण बन सकते हैं।

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क्या खाने से मिसकैरिज होता है?-Kya Khane Se Miscarriage Hota Hai

इलायची से गर्भपात

गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक मात्रा में इलायची का सेवन करने से गर्भपात होने का खतरा रहता है। गर्भावस्था के दौरान इलाइची  के सेवन से जुड़ी पर्याप्त चिकित्सकीय जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि आप गर्भवास्था के दौरान इलायची का ज्यादा सेवन से परहेज करें।

अनानास

अनानास में ब्रोमेलैन पाया जाता है जो गर्भवती महिला के गर्भाशय को ढीला कर सकता है और जिससे गर्भाशय में संकुचन की शुरुआत हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। गर्भावस्था के शुरुआती समय में अनानास या उसके रस का सेवन करने से बचना ही बेहतर है।

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तिल

गर्भवती महिलाओं को शुरुआती दिनों में तिल का सेवन नहीं करना चाहिए । शहद के साथ तिल का सेवन, गर्भावस्था में परेशानी उत्पन्न कर सकता है। वैसे गर्भावस्था के बाद के पड़ाव में महिलाएं कभी–कभार काले तिल का सेवन कर सकती हैं क्योंकि यह प्रसव क्रिया के लिए लाभदायक माने जाते हैं।

पशु का यकृत

पशु का यकृत विटामिन ‘ए’ से भरपूर होता है, इसे आमतौर पर सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है। इसलिए, इसे महीने में एक या दो बार खाने में कोई ख़तरा नहीं है। लेकिन, यदि गर्भवती महिलाएं ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन करती हैं, तो यह गर्भावस्था के दौरान परेशानी हो सकती है क्योंकि इससे धीरे–धीरे रेटिनॉल जम सकता है और जिसका बुरा असर बच्चे पर पड़ सकता है।

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एलोवेरा

एलोवेरा में ऐंथ्राकीनोन होते हैं, यह एक प्रकार से गर्भाशय में संकुचन पैदा करती है जिससे योनि से रक्तस्राव हो सकता हैं, और जो गर्भपात कि वजह भी बन सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान ऊपर ऊपर से एलोवेरा जेल लगाना सुरक्षित माना जाता है।

गर्भ गिराने के लिए पपीता कैसे खाएं?

कच्चे पपीते या हरे पपीतों में ऐसे कुछ तत्त्व होते हैं जो संकुचन का काम करते हैं, पपीते के बीज एंजाइम से भरपूर होते हैं जो गर्भाशय में संकुचन का कारण बन सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात भी हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान किसी भी रूप में पपीते का सेवन करना सुरक्षित नहीं है।

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सहजन

सहजन मे अल्फा–सिटोस्टेरोल होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता हैं। परंतु, सहजन आयरन, पोटेशियम और विटामिन से भरपूर होता है । इसलिए, इन्हें सीमित मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है।

कच्चे दूध के पदार्थ

दूध, गोर्गोन्ज़ोला, मोज़ेरेला, फ़ेटा चीज़ और ब्री जैसे कच्चे या अपाश्चरीकृत पदार्थों में लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स जैसे रोग फैलाने वाले जीवाणु हो सकते हैं, और जो गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होते है। गर्भवती महिलाओं के लिए कच्चे दूध से बनी कोई भी चीज़ खाना या पीना सुरक्षित नहीं माना जाता है।

काली चाय से गर्भपात कैसे करें

ब्लैक टी की मदद से गर्भपात आसानी से किया जा सकता है। काली चाय बहुत गर्म होती है। इसे पीने से शरीर में बहुत अधिक गर्मी होती है, इसलिए यदि गर्भावस्था को अधिक समय नहीं हुआ है, तो यह आसानी से गर्भपात का कारण बन सकती है।

काली चाय
काली चाय

इसे बनाने के लिए चाय बनाते समय हम दो गिलास पानी गर्म करते हैं और उसमें चाय की पत्ती डालकर उबालते हैं। जब यह पानी आधा हो जाए तो इसे गर्मागर्म पिएं। इसे कुछ दिनों तक लगातार पीने से जल्द ही गर्भपात हो जाएगा।

कैफीन

गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा कैफीन के कारण गर्भपात या जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों के अनुसार कैफीन मूत्रवर्धक या निर्जलीकारक माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर में द्रव्य पदार्थों की कमी का कारण बन सकता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कैफीन कई खाद्य पदार्थ में शामिल होती है जैसे कि चाय, कॉफी, चॉकलेट और कुछ ऊर्जा शक्ति प्रदान करने वाले पेय पदार्थ आदि।

पारा युक्त मछली

हालांकि मछली आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती है, गर्भवती महिलाएं ऐसी किस्म की मछलियां खाने से परहेज करें जिनमें बड़ी मात्रा में पारा पाया जाता है, जैसे कि किंग मैकरेल, ऑरेंज रफ, मार्लिन, शार्क, टाइलफिश, स्वोर्डफ़िश, और बिगआय ट्यूना मछली। इसका कारण यह कि पारा के सेवन से बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास पर भारी प्रभाव पड़ सकता हैं।

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जंगली सेब

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जंगली सेब खाने से बचना चाहिए। इनके अम्लीय और खट्टे गुण से गर्भाशय में संकुचन का कारण बन सकता हैं। इससे समय से पहले प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है या गर्भपात हो सकता है।

संसाधित माँस

गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से अधपका या कच्चा माँस खाने से बचना चाहिए क्योंकि माँस में मौजूद जीवाणु बच्चे तक पहुँच सकते हैं, जिससे गर्भपात, समय से पहले प्रसव या मृत जन्म जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, माँस को सही तरीके से पकाने या खाने से पहले इसे अच्छी तरह से दोबारा गर्म करना आवश्यक है।

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कच्चे अंडे

अंडे के साल्मोनेला नामक जीवाणु के कारण खाद्य विषाक्तता, अतिसार, बुखार, आँतों में दर्द या गर्भपात जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अंडे को अच्छी तरह से पकाना आवश्यक है, यानी जब तक कि अंडे का सफ़ेद और पीला हिस्सा ठोस नहीं हो जाता तब तक पकाए । इससे जीवाणु मर जाते हैं और अंडा खाने के लिए सुरक्षित हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को ऐसे खाद्य पदार्थों से भी दूर रहना चाहिए जिनमें कच्चे अंडे का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि एगनोग, घर का बना मेयोनेज़, सूफले और ऐसी स्मूदी जिसमें कच्चे अंडे हो।

मसाले-मेथी से गर्भपात कैसे करें?

गर्भावस्था में महिलाओं को मेथी, हींग, लहसुन, एंजेलिका, पेपरमिंट जैसे कुछ मसालों का सेवन अधिक मात्रा मे नहीं करना चाहिए। यह मसाले गर्भाशय को उत्तेजित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संकुचन हो सकता है, और फिर प्रसव पीड़ा या गर्भपात जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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आड़ू

आड़ू एक “गर्म ” फल है। यदि गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए, तो यह गर्भवती महिला के शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा कर सकता है।

आड़ू
आड़ू

इससे अंदरूनी रक्तस्त्राव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को याद से इस फल को खाने से पहले इसका छिलका निकालने चाहिए क्योंकि फलों के रेशे से गले में जलन और खुजली पैदा हो सकती हैं।

प्रेगनेंसी में नींबू खाने से क्या होता है

गर्भावस्था में चक्कर आना, सिर दर्द और जी मिचलाना जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए महिलाएं कभी-कभी नींबू पानी पीती हैं या फिर नींबू पर नमक छिड़क कर चाट लेती हैं। लेकिन, नींबू एक साइट्रस फल है। यह खट्टा फल अम्लीय प्रकृति का होता है। इसलिए नींबू का सेवन शरीर में एसिडिक लेवल और पीएच बैलेंस को प्रभावित करता है। इन दोनों कारणों से नींबू का अधिक सेवन किसी के लिए भी हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की तरह महिलाओं को भी खट्टा खाना पसंद होता है। इसलिए अगर आप सीमित मात्रा में नींबू का सेवन करते हैं तो यह हानिकारक नहीं है।

अदरक से गर्भपात हो सकता है

विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को एक दिन में केवल 1500 मिलीग्राम अदरक का ही सेवन करना चाहिए। इससे ज्यादा सेवन करने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए अदरक या अदरक की चाय का अधिक मात्रा में सेवन बिल्कुल न करें।

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अजवाइन खाने से गर्भ गिर जाता है क्या

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन,  फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही  इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और अजवाईन की तासीर गर्म  हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

सामान्य प्रश्न

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।

6 महीने का गर्भ कैसे गिराए?

यदि आप अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं तो इसके लिए शुरुआती 5से 6 हफ्ते का समय सबसे उचित रहता है इसके बाद जैसे-जैसे वक्त बढ़ता जाता है जटिलताएं बढ़ने लगती है । 6 महीने का गर्भ काफी बड़ा होता है इसलिए इसे गिराने के लिए किसी प्रकार के घरेलू उपाय ना अपनाएं यह गर्भवती के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है । 6 महीने के गर्भ को गिराने के लिए डॉक्टर की मदद से ही हॉस्पिटल में गर्भपात करवाएं ।

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