पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है-papita khane se period aata hai

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

मातृव एक बहुत ही खूबसूरत एहसास होता है अपने अंदर प्रतिपल नवजीवन को बढ़ते महसूस करना किसी भी भावी माँ के किये बेहद अनूठा होता है।ज़ाहिर है ऐसे में उसे स्वयं के एवं भावी बच्चे के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिये एक संतुलित और स्वास्थ्य वर्द्धक ख़ुराक़ की दरकार होती है। होने वाली माँ को जहाँ बहुत सारे फल और सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है,वहीँ कुछ फल विशेष हैं जिनके उपयोग के लिये सख्ती से मना किया जाता है।

ताकि भावी शिशु और उसकी माता के स्वास्थ्य पर कोई भी विपरीत प्रभाव न पड़े। कोई भी माँ अपने बच्चे में किसी भी प्रकार का शारिरिक या मानसिक दोष नहीँ सहन कर सकती । हँसता मुस्कुराता स्वस्थ सुन्दर बच्चा हर माता पिता का सपना होता है और गर्भकाल में जहाँ होने वाली माँ को अच्छी सेहत के लिये आम ,नारियल,सन्तरा, केला आदि फ़लों के सेवन की सलाह दी जाती है।

वहीँ पपीते से दूरी बनाने के निर्देश भी मिलते हैं। अक्सर मन में सवाल उठते हैं कि आखिर है तो यह भी फल ही फिर इस में ऐसा क्या है जो इस समय इसे खाने को मना किया जाता है।

कई घरों में इसे इतना पसन्द किया जाता है कि यह उनके दैनिक आहार में शामिल होता है । परन्तु गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं के लिये पपीते का प्रयोग अक्सर नुकसानदेह साबित होता है। आइये जानते है कि आखिकार पपीते का प्रयोग इस समय क्यो वर्जित होता है।

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परिचय

प्रकृति के खजाने में हमारे उत्तम स्वास्थ्य के लिये बहुत सारे उपहार है फल और सब्जियों के रूप में उन्ही में से एक फल है “पपीता”। सभी वनस्पतियों  के पञ्चाङ्ग की तरह (जड़,तना, छाल, फूल,फल और पत्तीयों) पपीते की भी अपनी बहुत सी विशेषताएँ  है।

नाम

केरिका पापाया,यह सर्व सुलभ फल है और इसे बेहद आसानी से हमारे आसपास के बाजार में देखा जा सकता है।

पपीता
पपीता

पपीते में पाये जाने वाले गुण

यह एक नर्म फल है, जिसे काटने पर अंदर काले रँग के बीज प्राप्त होते हैं। कच्ची अवस्था मे यह हरा होता है,और पकने पर पीले रङ्ग का हो जाता है।

इसे कच्चे एवं पके हुए दोनों रूपों में खाया जा सकता है ,डायट पर रहने वाले लोगों का तो यह बेहद प्रिय फल है,यह रेशों (फाइबर) का भण्डार है,इसमें  विटामिन ए, कैल्शियम , तथा पेपेन पाया जाता है।

यह कोलेस्ट्रॉल तथा वजन को नियंत्रित रखने में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है ,इसलिए यह हर आयुवर्ग के लिये लाभप्रद है सिवाय गर्भवती स्त्रियों और दूध पीने वाले बच्चों के।

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प्रेगनेंसी में पपीता क्यों नहीं खाना चाहिए

कच्चा पपीता-पपीता कच्ची अवस्था मे गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। कच्चे पपीते को एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक कहा गया है,इसकी तासीर काफी गर्म होती है।

कारण यह है कि इसमें लेटेक्स नाम का पदार्थ पाया जाता है जो गर्भाशय के संकुचन के लिये जिम्मेदार तत्व भी होता है,लेटेक्स गर्भवती के शरीर मे एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन का स्राव को उत्तेजित करता है ,इसकी उपस्थिति पेट में मरोड़ उत्पन्न करती है। यही मरोड़ वजह बनती है असमय गर्भपात की।

एस्ट्रोजन ही वह तत्व है जो किसी महिला के शरीर में माहवारी को नियमित करता है। यदि गर्भवती इसका सेवन कर ले तो यह गर्भ के लिये बिल्कुल भी सुरक्षित नहीँ होता और गर्भपात का कारण बन जाता है।

इसकी वजह है पपीते में विटामिन सी और पपाइन का पाया जाना अक्सर कच्चे पपीते का प्रयोग माँस या कड़े प्रोटीन वाले भोज्य पदार्थ को मुलायम करने के लिये उसे उबलने के समय किया जाता है।

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बढ़ सकता है लेबर पेन

कभी कभी तो होने वाले शिशु में विकलांगता तक देखी गयी है। यह गर्भ को नुकसान दायक सिद्ध होते हैं,यहाँ तक कि यदि गर्भ की अंतिम तिमाही में भी यह लेबर पेन को बढ़ा सकता है। क्योंकि लेटेक्स लेबर पेन को बढ़ाने का काम करता है ,जो भावी माता और बच्चे दोनों के लिये ठीक नहीं होता ।

हाँ अगर महिला अगर गर्भवती नही है और उसे यदि पीरियड्स को रेगुलर करना हो तो उसके लिये कच्चे पपीते को पानी में उबाल कर 2 से 3 इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पीरियड्स के दौरान रक्तस्राव को नियमित करता है।

पका पपीता-कच्चे पपीते की तुलना में पका पपीता थोड़ा कम हानिकारक साबित होता है। क्योंकि इसे पेड़ से तोड़े हुए थोड़ा समय ज़रूर हो जाता है।

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चिकित्सक का परामर्श लेकर करे सेवन

परन्तु इसके गुणों में कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता यदि कोई पपीते को खाना ही चाहता है तो उसे पूरी तरह से पके हुए फल का ही सेवन करना चाहिये।

बहुत ज़्यादा इच्छा हो तो बहुत ही थोड़ी मात्रा में सेवन कर सकता है वह भी चिकित्सक का परामर्श लेकर।

पपीते में मौजूद ये एन्ज़ाइम बहुत छोटे बच्चों के लिये भी उपयुक्त नही होते ,इसलिए दूध पिलाने वाली माताओं और छोटे बच्चों को चिकित्सक इसको ज़्यादा खाने के लिए भी इसका प्रयोग मना करते हैं

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पपीता के बीज से गर्भपात

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

अक्सर लोग पपीता का इस्तेमाल करने के बाद इसके बीजों को कूड़ेदान में डाल देते हैं ,परन्तु इसके भी अपने बहुत सारे गुण हैं जिनका हमें ज्ञान ही नहीं होता।

पपीते के बीज भी अपने मे बहुत से औषधीय गुण रखते हैं भली प्रकार पके हुए पपीते के बीजों को सुखाकर इनका इस्तेमाल बहुत सी बीमारियों के लाभ के लिये किया जाता है।

कैसे करे प्रयोग

  • पपीता के बीज से गर्भपात का उपयोग प्राकृतिक गर्भनिरोधक के तौर पर भी किया जाता है। यह आकार में काली मिर्च के समान ,स्वाद में कड़वे और लिसलिसे होते हैं।
  • इन्हीं बीजों को अच्छी तरह धोने के बाद इनको सुखाकर व पीसकर स्टोर किया जाता है। यदि कोई महिला गर्भधारण नही करना चाहती उसे इन पिसे हुए बीजों को पानी के साथ दो चम्मच ग्रहण करना चाहिये।
  • लेकिन अगर गर्भवती हो तो बिना चिकित्सक की सलाह लिये कोई भी क़दम नहीँ उठाना चहिये । यह होने वाली माता के साथ भावी शिशु के भी भविष्य का प्रश्न जो होता है।

पपीता खाने के कितने दिन बाद पीरियड आता है

कुछ डॉक्टरों का मानना ​​है कि पपीता वास्तव में गर्भवती महिलाओं के लिए एक लाभकारी फल है। पपीता चाहे कच्चा हो या पका, मासिक धर्म चक्र में कोई बदलाव नहीं करता है। यह एक मिथक है कि आप अपने मासिक धर्म की तारीख को आगे-पीछे कर सकती हैं। हालांकि, कच्चे पपीते में पाया जाने वाला पपैन नामक प्रोटीयोलाइटिक एंजाइम गर्भाशय के संकुचन और पाचन समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए हम गर्भवती महिलाओं को कच्चे पपीते का सेवन बिल्कुल नहीं करने की सलाह देते हैं। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान पका पपीता फायदेमंद हो सकता है।

Frequently Asked Questions in Hindi – सामान्य प्रश्न

क्या चीज खाने से बच्चा गिर जाता है?

कच्चा अण्डा खाने से बच्चा गिर जाता है इसमें सालमोनेला बैक्टीरिया होता है । शराब के सेवन से भी बच्चा गिर जाता है।पपीता खाने से भी मिसकैरेज हो जाता हैपपीता में लेटेक्स होता है जो यूटेराईन कंस्ट्रक्शन शुरू कर देता है ।ऐलोवेरा का सेवन करने से भी मिसकैरेज हो जाता है ।अदरक काफी भी सीमित मे प्रयोग करना चाहिये । चायनीज फूड को भी नहीं खाना चाहिए इसमें मोनो सोडियम गूलामेट होताऔर ज्यादा नमक भी जो बच्चे के लिये हानिकारक होता है।

अजवाइन से गर्भपात हो सकता है क्या?

अजवाईन में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर , कैल्शियम, आयरन, फैटी एसिड और पोषक तत्व होते है।जो कि पेट के लिये लाभदायक है। साथ ही इसमें बोलाटाईल ऑइल भी होता है जिससे इसकी खुश्बू तेज हो जाती है और इसकी तासीर गर्म हो जाती है इस कारण यह गर्भपात होने का खतरा रहता है तब ही इसे खाने से पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले।। घरेलू नुस्खे के तौर पर इसे गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता है ।

पपीता से गर्भ कैसे गिराये?

गर्भपात के पपीते का सेवन सबसे कारगर उपायों में से एक है। पपीते से गर्भपात करवाने के लिए गर्भ ठहरने के शुरुआती हफ्तों में अधिक से अधिक मात्रा में कच्चे पपीते का सेवन करें । कच्चे पपीते में लेटेस्ट की मात्रा अधिक होती है इसके कारण गर्भाशय संकुचित हो जाता है और गर्भ गिर जाता है । इसके अलावा पपीते के बीजों का सेवन अनचाहे गर्भ धारण को रोकने के लिए कारगर उपाय है ।

बार बार गर्भपात करने से क्या होता है?

अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए कई जोड़े बार बार गर्भपात का सहारा लेते हैं। बार बार गर्भपात कराने से गर्भाशय ग्रीवा कमजोर हो जाती है किसी कारण अगली बार गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा महिला के शरीर में खून की कमी, इन्फेक्शन ,रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएं, एम्बोलिज़्म, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक आदि कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है इसलिए बार बार गर्भपात कराने के स्थान पर परिवार नियोजन के तरीके अपनाकर गर्भधारण को रोकना ही ज्यादा कारगर उपाय है ।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

शादी के बाद कौन मां नहीं बनना चाहता लेकिन कई बार ये प्रेग्नेंसी अनचाही हो जाती है तो परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में कई बार महिला गर्भधारण को खत्म करने के घरेलू उपायों से गर्भपात कराने के बारे में सोचती है। गर्भपात का अर्थ है गर्भवती होने के 24 सप्ताह के भीतर गर्भ में भ्रूण का विनाश। यदि गर्भपात गर्भवती होने के 12 सप्ताह के भीतर हो जाता है, तो इसे प्रारंभिक गर्भपात कहा जाता है।

यदि गर्भावस्था के पहले या दूसरे सप्ताह में रक्तस्राव होता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आपका गर्भपात हो गया है। लेकिन इस स्थिति में भी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। इसके अलावा अबॉर्शन पिल्स भी आजकल उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल दो महीने तक की प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है।

लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था को तीन महीने हो गए हैं, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार से गुजरना होगा। ऐसे में अगर आप घरेलू नुस्खे अपनाती हैं तो ब्लीडिंग होती है, लेकिन सही तरीके से गर्भपात न होने के कारण अधूरे गर्भपात का मतलब यह हो सकता है कि आपके गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह गए हैं, जो बाद में आपके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। आज हम आपको बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे बताएंगे, जिनकी मदद से आप 1 महीने तक गर्भपात करवा सकते हैं।

बच्चा गिराने के घरेलु नुस्खे-Bacha Girane Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

बच्चा गिराने के तरीके और घरेलू नुस्खों में विटामिन सी, पपीता, अन्नानास का रस, अजवायन,  तुलसी का काढ़ा, लहसून,  ड्राई फ्रूट्स, केले का अंकुर, अजमोद, गर्म पानी, कोहोश, बाजरा, ग्रीन टी, गाजर के बीज, तिल, ब्लड प्रेशर बढ़ाने वाली चीज़े, कैमोमाइल तेल, काली चाय, अनार के बीज का प्रयोग खूब किया जाता है।

लहसुन-गर्भपात के घरेलु उपाय

लहसुन हर किसी की रसोई में शामिल होता है, इसमें ‘एलिसिन’ नामक तत्व होता है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के यौन अंगों में रक्त संचार बढ़ाता है। लहसुन से गर्भपात के लिए किसी भी तरह से अधिक मात्रा में इसका सेवन करें।

लहसुन
लहसुन

बबूल के पत्ते – गर्भ गिराने के उपाय

अगर 1 महीने से 15 दिन का गर्भ है तो उसके लिए बबूल के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए 8 से 10 बबूल के पत्तों को एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। इस पानी को दिन में चार से पांच बार तब तक पिएं जब तक आपको ब्लीडिंग न होने लगे।

अजवाइन से गर्भपात

अजवायन का असर बहुत ही गर्म माना जाता है, आप इसका इस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं कि गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में रोजाना आधा चम्मच अजवायन लें, या फिर इसे एक गिलास पानी में उबालकर पी लें।

इलायची से गर्भ कैसे गिराए

इलायची के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें, एक चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार लें और रक्तस्राव बंद होने तक रखें।

गर्भ धारण करने के घरेलू उपाय के लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर और 5 इलायची को उबालकर एक गिलास पानी में डालकर उबाल लें, छानकर रख लें। दिन में तीन बार 50 मिलीलीटर पिएं।

तुलसी का काढ़ा

तुलसी का प्रभाव भी बहुत गर्म होता है, तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या इसका काढ़ा बनाकर पीएं, दोनों तरह से यह गर्भपात में सहायक है।

अनानास का रस-गर्भपात के घरेलु नुस्खे

अनानस गर्भवती महिलाओं से दूर रखा जाता है क्योंकि अनानास में बड़ी मात्रा में विटामिन सी, एंजाइम और रसायन होते हैं, जो गर्भपात का कारण बनते हैं। इसमें ब्रोमेलैन की उपस्थिति के कारण गर्भाशय की दीवार नरम हो जाती है। इसलिए अगर शुरुआती हफ्तों में इसका इस्तेमाल किया जाए तो गर्भपात आसानी से किया जा सकता है।

पपीता के बीज से गर्भपात कैसे होता है

पपीते को एक गर्म फल भी माना जाता है, इसका इस्तेमाल ज्यादातर महिलाएं अबॉर्शन के लिए करती हैं। क्योंकि पपीते में मौजूद फाइटोकेमिकल्स प्रोजेस्टेरोन गतिविधि में हस्तक्षेप कर सकते हैं। जो गर्भपात का कारण बनता है।

विटामिन सी फूड्स

घर पर गर्भपात कराने के लिए आपको विटामिन सी युक्त फलों का भरपूर सेवन करना चाहिए।

गर्भपात के लिए घरेलू उपचार अपनाते समय यदि अधिक रक्तस्राव, पेट में दर्द, बुखार, कमजोरी जैसे लक्षण लंबे समय तक दिखाई दें तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

एस्पिरिन टैबलेट

मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध एस्पिरिन की गोली लें, इस टैबलेट को रोजाना 6 से 8 खुराक में लें। टेबलेट लेने के साथ-साथ अन्य घरेलू उपचार भी करते रहें।

नोट- यह पोस्ट केवल आपकी जानकारी के लिए है, किसी भी प्रयोग या घरेलू नुस्खे से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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