बहुत ही फायदेमंद है हमदर्द साफ़ी-Safi Ke Fayde In Hindi

साफी पीने के फायदे

हमदर्द की साफी एक ऐसी हर्बल दवा है, जिसे खून साफ करने की दवा के तौर पर जाना जाता है। काफी पुराने समय से साफी, हमदर्द के एक जाने माने प्रोडक्ट के रूप में जाना जाता है। यह एक यूनानी टॉनिक है जिसका रंग गहरा काला और स्वाद काफी कडवा होता है। साफी में किसी भी तरह कोई केमिकल इस्तेमाल नही किया जाता। यह तुलसी, नीम, चिराता जैसे प्राकृतिक चीजों को मिलाकर बनाया जाता है। आज इस लेख में हम जानेंगे की साफी पीने के फायदे क्या क्या है।

हमदर्द साफी में डाले जाने वाले इंग्रीडिएंट

ब्रह्मी (बाकोपा मोननेरी)

चोपचिनी (स्माइलैक्स चीन)

शीशम (दलबर्गिया सिसोसो)

निम्फेया कमल (निम्फेया लोट्स)

खेत्पप्रा (फ़ुमारिया परविफ्लोरा)

चैरता (स्वर्टिया चिराता)

शंखुष्पी (कंसकोरा डिकुसाटा)

काली हल्दी (कर्कुमा कैसिया)

अमर बेल (कुस्कटा रिफ्लेक्स)

तुलसी (अधिकतम कैनम)

लाल चंदन (पेट्रोकार्पस सैंटलिनस)

गुलाब (रोजा दमास्केन)

नीम (अज़ादिराचा इंडिका)

घी

हमदर्द साफी को प्रयोग करने का तरीका

हमदर्द साफी के प्रयोग का तरीका उस पर लिखा होता है। लेकिन अच्छा होगा कि आप छोटी छोटी डोज़ से शुरुआत करे। ताकि आपको अगर कोई रिएक्शन हो तो आप साफी का सेवन रोक सके।

हमदर्द साफी
हमदर्द साफी

हमदर्द साफी को दिन में दो बार सेवन करें। एक बार मे केवल एक से दो चम्मच का सेवन करे। आप साफी को पानी, दूध या जूस के साथ ले सकते है। इसका सेवन करने के दौरान तो हल्का आहार ले और मसाले, सॉफ्ट ड्रिंक, फ़ास्ट फ़ूड और भारी भोजन का सेवन ना करें

और पढ़ें: अनचाहे गर्भ का कैसे करें इलायची से गर्भपात-Pregnancy Khatam Karne Ka Tarika, elaichi se garbhpat kaise kare

साफी पीने के फायदे-Safi Ke Fayde In Hindi

पेट दर्द को ठीक करने में

हमदर्द साफी digestion को बेहतर बनाती है, अगर आपको पेट की कब्ज या अन्य किसी कारण से पेट मे दर्द महसूस हो रहा हो, तो आप साफी का सेवन कर सकते है।

साफी पेट को बेहतर बनाकर, पेट की समस्याओं को दूर करती है। इसमे शामिल ब्राह्मी पित्तनाशक और पेट को ठंडक देने वाला होता है।

खून साफ करे

साफी में उपस्थित काली हल्दी न केवल खून को साफ करती है बल्कि फेफड़ो की सूजन भी कम करती है। ये फेफड़ो को अच्छे से काम करने में मदद करती है जिससे ऑक्सीजन अच्छे से फ्लो करती है। साफी हैजा, साइनस, और खांसी में भी आराम देती है।

साफी खून साफ करके ब्लड शुगर या मधुमेह में भी आराम देता है।

दमकती त्वचा बनाए

कील, मुँहासे, झाइयां झुर्रियों के लिए साफी का इस्तेमाल बहुत समय से किया जाता है। साफी के सेवन से त्वचा चमकदार बनती है। इसमे उपस्थित तुलसी, लाल चंदन और गुलाब त्वचा संक्रमण को दूर करके त्वचा में नमी लाती है।

और पढ़ें: जानिए बिना किसी दवा के अनचाहा गर्भ गिराने के घरेलू नुस्खे

खुल कर भूख लगाए

साफी के हर्बल तत्व जैसे ब्राह्मी, चोपचीनी, चैरता, digestive सिस्टम को बेहतर बनाता है। साफी कब्ज और गैस जैसी समस्याओं को दूर करती है। इस कारण आप जो भी खाएंगे वो अच्छे से पचेगा और आपको खुल कर भूख लगेगी।

जिन लोगो को वजन बढ़ाना हो वो बेफिक्र होकर साफी का यूज़ कर सकते है।

बाल्डनेस को कम करें

साफी में शामिल शीशम, निम्फेया कमल, और अमरबेल बालो को दोबारा उगाने में मदद करते है। अगर आपको गंजापन की समस्या है या आपके बाल झड़ने लग रहे हैं तो आपको उनसे छुटकारा पाना है तो आपको हमददर्द साफी का सेवन करना चाहिए।

बाल्डनेस
बाल्डनेस

संक्रमण को दूर करें

नीम और तुलसी जैसे तत्व साफी को एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल बनाती है। इसलिए यदि आप इसका सेवन करते है तो आपको साधारण खुजली से छुटकारा मिल जाएगा। त्वचा पर होने वाले किसी भी प्रकार के दाने भी साफी के सेवन से दूर हो जाते है। इन सब फायदों के अलावा साफी दस्त, थकान, सरदर्द, मुँह की बदबू में फायदा करती है।

और पढ़ें: दाने वाली खुजली का उपचार कैसे करें-Khujali Ke Gharelu Upay

साफी की सेवनविधि और मात्रा-How To Use Safi Syrup

  • 10 मिलीलीटर (दो चम्मच) साफी को एक गिलास ताज़ा पानी के साथ दिन में एक बार लेना चाहिए।
  • इसका प्रयोग हमेशा भोजन के बाद करें।
  • साफी को नाश्ते के बाद ले तो ज्यादा बेहतर है।
  • दो महीने से तीन महीने तक नियमित रूप से पीना चाहिए।
  • कम से कम दो महीने लगातार प्रयोग करे।
  • 14 साल से कम उम्र के बच्चों को केवल एक चम्मच साफी दे।
  • प्रयोग से पहले साफी की बोतल को अच्छे से हिलाएं।

साफी कब न ले

गर्भावस्था, ब्रेस्टफीडिंग, व अतिसार की समस्या में साफी का प्रयोग न करे।

साफी के परहेज

साफी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो बहुत ही ज्यादा लाभदायक है। उपचार के दौरान तला हुआ, मसालेदार, और समृद्ध भोजन नहीं खाना चाहिए। आसानी से पचने वाले हल्के खाद्य पदार्थ का सेवन करें।

साफी के परहेज  इस प्रकार हैं –

  • गर्भवती महिलाओं को साफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी साफी का सेवन नहीं करना चाहिए ।
  • यदि आप किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, हृदय रोग आदि से ग्रसित हैं तो आपको साफी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श  लेकर ही इसका सेवन करना चाहिए ।
  • छोटे बच्चों के लिए साफी का सेवन सुरक्षित नहीं है ।
  • यदि आप किसी भी प्रकार का नशा करते हैं तो उसके साथ साफी का सेवन करने से आपको कोई लाभ नहीं होता ।
  • खाली पेट साफी का सेवन नहीं करना चाहिए।

साफी के अधिक  सेवन से होने वाले नुकसान

  • साफी के सेवन से एक ओर जहां रक्त साफ होता है वहीं दूसरी ओर मूत्र विसर्जन बढ़ जाता है इसके सेवन से कई बार बार-बार पेशाब आने की समस्या हो जाती है ।
  • यदि आप अधिक मात्रा में साफी का सेवन करते हैं तो आपका वजन असामान्य रूप से घट सकता है जिसके कारण शरीर में कमजोरी और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है ।
  • कुछ व्यक्तियों को साफी पीने से एलर्जी होती है यदि आपको साफी पीने के बाद में शरीर में किसी भी प्रकार की एलर्जी दिखाई दे तो साफी का सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए  ।
  • साफी के अत्यधिक सेवन से पेट में दर्द ,अपच और पेट फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं ।

साफी सिरप से जुड़ी कुछ गलतफहमियां है, आइए जानते हैं वह कौन सी हैं ?

लोगों में साफी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं जैसे –

*मिथ- यह केवल महिलाओं के लिए है

वास्तविकता –  कई लोगों का मानना है कि साफी केबल महिलाओं के लिए काम आने वाला सिरप है और पुरुषों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए । यह बात सही है की महिलाएं अधिक मात्रा में साफी का सेवन करती हैं परंतु साफी पुरुषों के लिए भी साफी पीने के फायदे उतना ही है जितना महिलाओं के लिए ।

पुरुषों में भी रक्त  संबंधित समस्याएं और पेट के रोग होना आम बात है साफी  इन सभी समस्याओं की कारगर दवा है ।

*मिथ – साफी पीने से त्वचा में जलन होती है

वास्तविकता – त्वचा सबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए साफी सिरप कारगर होता है इससे त्वचा में किसी प्रकार की जलन नहीं होती है। किसी किसी मामले  में यदि त्वचा में जलन की समस्या होती तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका पेट खराब है और खून साफ नहीं है।

इस कारण शरीर में विषैले तत्व जमा हो गए हैं और कई तरह के रोग उत्पन्न हो सकते हैं ,इसी कारण त्वचा में जलन होती है ।साफी के नियमित सेवन से खून साफ होता है ,त्वचा निखरती है साथ ही त्वचा में जलन की समस्या भी समाप्त हो जाती है।

*मिथ – साफी  शरीर के लिए गर्म होता है

वास्तविकता – साफी  में चीनी ,चिरायता, सना तुलसी ,नीम जैसे प्राकृतिक और हर्बल पदार्थ होते हैं । साफी वर्षों से प्रयोग किया जाने वाली एक भरोसेमंद आयुर्वेदिक औषधि है इससे शरीर में किसी प्रकार की गर्मी नहीं होती है।

यह त्वचा और खून को साफ करने के साथ-साथ ब्लड सरकुलेशन और पीएच वैल्यू को सही रखने में मदद करता है । यह ध्यान देना आवश्यक है कि इसका सेवन बताए गए दिशा निर्देशों के अनुसार करना चाहिए ।

मिथ – साफी के सेवन से उल्टी और दस्त होते हैं

वास्तविकता – साफी के अंदर नीम जैसी कई आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां पाई जाती हैं जो स्वाद में कड़वी होती है किसी कारण साफी का स्वाद कड़वा होता है। शुरू शुरू में स्वाद में कड़वा होने के कारण कुछ लोगों को इसका सेवन करने से उल्टी हो सकती हैं लेकिन यदि लगातार इसका सेवन किया जाए तो धीरे धीरे उल्टी होना बंद हो जाता है।

दस्त की बात करें तो यदि अधिक मात्रा में किसी  भी चीज का सेवन करना खराब होता है चाहे फिर वह कुछ भी क्यों ना हो । अतः अधिक मात्रा में साफी का सेवन दस्त का कारण बन सकता है इसलिए हमेशा बताए गए दिशा निर्देशों के अनुसार ही इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए ।

तो ये थीं साफी से जुड़ी कुछ धारणाएं , उचित मात्रा मे ,उपयुक्त दिशा निर्देशों का पालन करके यदि साफी का सेवन किया जाए तो साफी पीने के फायदे जरूर होते है। गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों को साफी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेकर ही सेवन करना चाहिए ।

गुणों से भरी काली हरड़ के फायदे-Kali Harad Ke Fayde In Hindi

काली हरड़ के फायदे

काली हरड़ त्रिफला मे से एक है। इसे हरीतकी के नाम से भी जाना जाता है। ये हरड़ होती तो छोटी सी है परंतु इस काली हरड़ के फायदे बहुत बड़े होते है। काली हरड़ बहुत ही गुणकारी होती है। हरीतकी का फल, छाल और जड़ तीनों ही बहुत ही लाभकारी होते हैं और इनका प्रयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है।

काली हरड़ के फायदे-Kali Harad Ke Fayde In Hindi

नेत्र विकारों को करे दूर

जैसे जैसे इंसान ने तकनीकी उन्नति की है वैसे वैसे अब हम कम्प्युटर और मोबाइल पर निर्भर होते जा रहे है। परंतु इनका हमारी आँखों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इनके ज्यादा प्रयोग से कई नेत्र विकार उत्पन्न हो जाते है। ऐसे में आप काली हरड़ का प्रयोग कर सकते है। इसके लिए रात को हरड़ पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को अच्छे से छन लें। अब इस पानी से आँखों को धोएँ। ये आपकी आँखों को शीतलता प्रदान करता है।

कब्ज़ और गैस में मिले आराम

आज कल लोगो का खान पान ठीक न होने के कारण उन्हे कब्ज़ और गैस जैसी समस्याएँ हो जाती है। ऐसे में आप काली हरड़ का भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए भोजन करने के बाद काली हरड़ के एक टुकड़े को अच्छे से पानी से साफ कर लें। अब इसे मुंह में रख कर चूस लें। इसके नियमित प्रयोग से लाभ मिलेगा।

कब्ज
कब्ज

खांसी की समस्या से छुटकारा

खांसी और दमा की समस्या में काली हरड़ किसी रामबाण से कम नही। इसके लिए आप निंलिखित तरह से इसका प्रयोग कर सकते है।

  1. काली हरड़ के 2 से 5 ग्राम चूर्ण का हर रोज़ सेवन करें।
  2. हरड़ के चूर्ण और हल्दी पाउडर को बराबर मात्र में लें। अब इसमे 1 ग्राम मिश्री का पाउडर मिलाये। अब इस मिश्रण को हर रोज़ हल्के गुंगुने पानी के साथ लें।

पाचन को करे बेहतर

खान पान ठीक न होने के कारण अपच की समस्या होना आम बात है। ऐसे में काली हरड़ बहुत ही लाभकारी साबित होती है। काली हरड़ पाचन को बेहतर बनाने में बहुत मदद करती है। इसके लिए भोजन करने के बाद 3 से 5 ग्राम हरड़ का चूर्ण लें। अब इसमे बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करें।

भूख बढ़ाए

कई बार लंबी बीमारी या तनाव के चलते हमें भूख कम लगती है। जिसका हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में काली हरड़ आपके लिए बहुत सहायक है। इसके लिए हरड़ का चूर्ण, सौंठ का पाउडर और सेंधा नमक के मिश्रण को ठंडे पानी के साथ लें। इसका सेवन रोज़ करने से लाभ मिलेगा।

त्वचा संबन्धित एलर्जी को रखे दूर

हरड़ त्वचा संबन्धित एलर्जी को दूर करने मे भी मददगार साबित होता है। इसके लिए हरड़ के फल को पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े का सेवन दिन में दो बार ज़रूर करें। साथ ही इस काढ़े से एलर्जि वाली जगह को धोये।

मुंह की सूजन से मिले निजात

काली हरड़ मुंह की सूजन को दूर करने में भी बहुत मदद करती है। इसके लिए हरड़ को पानी में उबाल लें। अब इस पानी के थोड़े ठंडे होने पर इस पानी से गरारे करे। ऐसा नियमित रूप से करने पर मुंह की सूजन से आराम मिलेगा।

मुंह में छाले होने पर

आप मुंह के छालों को ठीक करने के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते है। इसके लिए हरड़ को पानी मे घिस लें। अब इस लेप को अपने छालों पर लगाएँ।

कौन काली हरड़ का सेवन नहीं कर सकते

  • गर्भवती महिलाएं
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चे काली हरड़ का सेवन करने से बचें।

स्वाद और गुणों से भरपूर टमाटर का सूप के फायदे

टमाटर के सूप के फायदे

एक ऐसी सब्जी जिसके बिना आधी सब्जियों का सब्जियो का रंग और स्वाद ही गायब हो जाएगा। जी हां हम बात कर रहे है टमाटर की। टमाटर का प्रयोग कई तरीके से किया जाता है जैसे चटनी में, सलाद में, सब्जी पकाने में। लेकिन टमाटर का सूप एक ऐसी चीज़ है जो शादियों में खाने से पहले लोग पीते ही है। कारण ? यही की भूख खुलकर लगेगी। हास्यास्पद बात है पर है सोलह आने सच। दरअसल टमाटर में फाइबर, खनिज, विटामिन और कार्बनिक अम्ल बहुतायत से पाए जाते है।

टमाटर में पाए जाने वाले पोषक तत्व

पोषक तत्व  मात्रा

प्रोटीन 0.9 ग्राम
कार्ब्स 3.9 ग्राम
चीनी 2.6 ग्राम
फाइबर 1.2 ग्राम
फैट 0.2 ग्राम
एनर्जी या उर्जा 18 कैलोरी
विटामिन सी 13 मिली ग्राम
विटामिन इ 0.54 मिली ग्राम
विटामिन के 7.9 माईक्रो ग्राम
सोडियम 5 मिली ग्राम
पोटैशियम 237 मिली ग्राम
कैल्सियम 10 मिली ग्राम
आयरन 0.3 मिली ग्राम
मैग्नीशियम 11 मिली ग्राम

टमाटर में सूप के फायदे-Tomato Soup Ke Fayde

टमाटर का सूप
टमाटर का सूप

कैंसर के खतरे को कम करे

टमाटर के सूप में लाइकोपीन, कैरोटीनॉयड, विटामिन सी, बीटा कैरोटिन, एंटीऑक्सीडेंट होते है। ये सभी तत्व कैंसर के कणों को शरीर पर हावी नही होने देते। एंटीऑक्सिडेंट, ऑक्सीडेटिव तनाव और पुरानी सूजन को कम करते हैं। यह स्त्री पुरुष दोनों में कैंसर के खतरे को कम करता है।

सूखा रोग

सूखा रोग से पीड़ित बच्चो को टमाटर के सूप से बहुत फायदा होता है। लेकिन सूखा में सूप केवल कच्चे टमाटरों से बनाया जाता है। सूखा रोग से पीड़ित व्यक्ति को इसका नियमित सेवन करवाना चाहिए।

सुंदरता बढ़ाये

टमाटर का सूप मतलब सौंदर्य का खजाना, टमाटर में मौजूद विटामिन सी और दूसरे तत्व त्वचा की सुंदरता बढ़ाता है। टमाटर के सूप के सेवन से त्वचा में निखार आता है, दाग धब्बे दूर होते है। खुले रोमछिद्र बन्द होते है।

दिल को तन्दरुस्त करे

टमाटर का सूप कैपिलरी और वेंस में फैट के जमाव को रोकता है। बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। टमाटर में उपस्थित लाइकोपिन ब्लड वेसल्स की इनर लेयर को सेफ करती है। जिस कारण ब्लड क्लॉट नही होता और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद

गर्भवती महिलाओं को आने वाली उबकाई टमाटर के सूप से कम होती है। एक तरफ ये गर्भवती महिला का स्वाद ठीक करता है वहीं इसमे मौजूद विटामिन सी उसकी इम्युनिटी बढ़ाता है। इसमे फ़ोलिक एसिड होता है, जिसका सेवन गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से बचाता है।

गाउट के उपचार में

गाउट के मरीजो को भी टमाटर का सूप देने से उनमे पॉजिटिव रिजल्ट दिखाई दिए है। गाउट के मरीजों को टमाटर के जूस में आजवाईन मिलकर पिलाना चाहिए. ऐसा नियमित करने से उन्हें दर्द में भी आराम मिलता है।

डायबिटीज के लिए परफेक्ट

डायबिटीज के मरीजो को अपनी डाइट में टमाटर का सूप जरूर रखना चाहिए। क्योंकि इसमें उपस्थित क्रोमियम,ब्लड शुगर के रेगुलेशन में मदद करता है। लेकिन ध्यान रहे कि डायबिटीज के मरीज मीठा डालकर सूप न पिएं।

खून की कमी दूर करें

टमाटर के सूप में उपस्थित सेलेनियम खून के दौरे को बेहतरीन रखता है। यह खून की कमी दूर करके एनीमिया से बचाता है।

मोटापा घटाए

टमाटर के सूप में काफी मात्रा में फाइबर और पानी होता है। इस कारण ये काफी समय तक फुल होने की फीलिंग देता है। इसलिए टमाटर के सूप को अपनी डाइट में जरूर रखे, खासकर यदि आप वजन कम करने की सोच रहे है।

पेट के कीड़े मारे

बच्चों के पेट में कीड़ा हो जाने पर उन्हें थोड़े थोड़े अंतराल पर टमाटर का सूप देना चाहिए। ऐसा करने से उनका पेट साफ होगा और कीड़े शौच के रास्ते निकल सकते है।

इन सब फायदों के अलावा, टमाटर का सूप अवसाद से लड़ने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है।

जानिये नीम की पत्ती खाने के फायदे-Neem Ki Patti Khane Ke Fayde

जानिये नीम की पत्ती खाने के फायदे

नीम का शायद ही कोई ऐसा भाग है जिसका उपयोग औषधि के रूप में ना किया जाता हो। नीम के फल, बीज, पत्ती, जड़,छाल, टहनी, तेल सभी का प्रयोग विभिन्न बीमारियों में किया जाता है। प्राचीन काल से नींम के ओषधिय गुण से हम सभी अवगत है। लेकिन आज इस आर्टिकल में हम नीम की पत्ती के फायदे बताएंगे।

नीम की पत्तियों का स्वाद भले ही कड़वा हो, पर इनके सेवन से अनगिनत फायदे होते है। यदि आप थोड़ी देर के लिए जीभ के स्वाद को भूल जाए तो, बहुत स्वास्थ्य के मालिक हो सकते है।

नीम की पत्ती खाने के फायदे-Neem Ki Patti Khane Ke Fayde

कैंसर में फायदेमंद

नीम की पत्तियों में शामिल पॉलीसेकीराइड्स और लिमोनाइड्स विभिन्न ट्यूमर और कैंसर के असर को कम करते है। इसके अलावा नीम की पत्तियों का खाली पेट सेवन लिम्फोसाईटिक अनीमिया में भी फायदेमंद है।
नीम शरीर में खून को साफ करके फ्री रेडिकल्स को दूर करता है।

इम्युनिटी बढ़ाए

नीम की पत्तियों के एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से सब परिचित है। ये गुण न केवल सामान्य फ्लू से शरीर को बचाते है, हृदय रोग और कैंसर जैसी कई बीमारियों का खतरा कम करते है।

इम्युनिटी बेहतर होने से आप मौसमी बदलाव या खानपान या जगह के बदलाव से होने कि वाले नुकसान से बचते है।

मुख की साफ सफाई

पुराने जमाने के लोग ही नही बल्कि आज की युवा पीढ़ी भी नीम की दातुन की कायल है, किंतु कई बार समय तो कई बार अनुपलब्ध होने के कारण इसका इस्तेमाल नही कर पाते।

सुबह खाली पेट नीम के पत्ते चबाने से मुख की बहुत बेहतरीन सफाई होती है। मसूड़ो का इन्फेक्शन नही होता, मुख की बदबू दूर होती है। प्लाक और कैविटी से बचे रहते है।

इसके अलावा दांत के कीड़े, तम्बाकू और बीड़ी सिगरेट के कारण होने वाले दांतो का पीलापन दूर होता हौ। दांत चमकदार होकर मुस्कुराहट खूबसूरत बनती है।

पाचनतंत्र को मजबूत बनाए

अगर आपको पाचन से सम्बंधित कोई भी दिक्कत जैसे, एसिडिटी, गैस, सीने में जलन, कब्ज़, है तो नीम के पत्ते आपके लिए रामबाण है। नीम की पत्तियों से ना केवल इम्युनिटी बढ़ती है बल्कि आप भोजन को सही तरीके से पचा पाते है।ये पेट से हानिकारक विषैले तत्वों को निकाल कर इन्फेक्शन से बचाते है।

पाचनतंत्र को मजबूत बनाए
पाचनतंत्र को मजबूत बनाए

डायबिटीज में लाभदायक

आपको डायबिटीज हो या न हो, यदि आप नियम से सुबह खाली पेट नीम के पत्तो का सेवन करते है तो, इस समस्या में बचाव व सुधार दोनों होता है।

केवल आयुर्वेद ही नही होमियोपैथी व अलोपथी भी इस बात को मानती है कि, डायबिटीज में नीम के पत्तो का सेवन स्थिति को काफी हद तक सुधार सकता है।

सौंदर्य को बढ़ाये

जी हाँ सही पढ़ा आपने, नीम की पत्ती को खाने से सौंदर्य में काफी वृद्धि होती है। दरअसल नीम के एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीवायरल, एंटीफंगल गुण खून को साफ करके त्वचा को चमकदार बनाता है। नीम की पत्तियों के सेवन से दाग धब्बे दूर होते है, स्किन की रेडनेस, इन्फेक्शन, खुजली जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा बालो की सुंदरता को बढाने में भी ये बहुत लाभदायक है।

स्कैल्प पर होने वाला हर प्रकार का इन्फेक्शन नीम के सेवन से दूर होता है। जब जड़े स्वस्थ होंगी तो बाल खुद ब खुद रेशमी, मुलायम, घने व चमकदार बनेंगे।

मलेरिया में फायदेमंद

नीम की पत्तियां मलेरिया से लड़ने में बहुत मददगार होती है। मरीजो के लिए ही नही अपितु मलेरिया को फैलने से रोकने के लिए भी इन पत्तियों का उपयोग किया जाता है।

आर्थराइटिस में फायदेमंद

नीम की पत्तियों का सेवन हर प्रकार के आर्थ्राइटिस में फायदेमंद है, इससे न केवल दर्द की स्थिति सुधरती है, बल्कि सूजन मे भी कमी आती है।

नीम की पत्ती खाने के नुकसान

एक बात आपने जरूर सुनी होगी कि ‘अति सर्वत्र वर्जयते’ अर्थात किसी भी काम को सीमा से परे जाकर करना नुकसान दायक है।
इसी प्रकार नीम के पत्तों का सेवन भी कुछ परिस्थितियों में हानिकारक है। अब हम आपको इसी बारे में अवगत कराएंगे।

  • जर्नल कान्ट्रसेप्शन में छपे एक रिसर्च के अनुसार, रोजाना 3 मिलीग्राम या इससे ज्यादा नीम के पत्तों का रस पीने से शुक्राणु नष्ट हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार, नीम का रस ना केवल स्पर्म को गतिहीन कर सकता है बल्कि 20 सेकंड के अंदर ही 100 फीसदी मानव शुक्राणु को भी खत्म कर सकता है।
  • गर्भवती स्त्री को नीम के पत्तो का सेवन नही करना चाहिए, ये बहुत नुकसानदायक हो सकता हैं।
  • नीम शुगर लेवल को कम करता है, इसलिए यदि आप उपवास कर रही हैं तो नीम का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • नीम के ज्यादा सेवन से मुंह का स्वाद खत्म हो जाता है।

जानिए क्या है वेस्ट नाइल फीवर? क्या है इसके लक्षण और उपचार?

जानिए क्या है वेस्ट नाइल फीवर? क्या है इसके लक्षण और उपचार?

कोरोना महामारी का डर अभी लोगों के मन से निकला नहीं कि केरल में वेस्ट नाइल वायरस से लोग डरने लगे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए भी यह चिंता का विषय बन गया है. केरल के त्रिशूर में एक 47 वर्षीय व्यक्ति ने कथित तौर पर पिछले हफ्ते वेस्ट नाइल बुखार से दम तोड़ दिया। राज्य में वाइरस जनित बीमारी से यह दूसरी मौत बताई जा रही है, इससे पहले का मामला 2019 का था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, वेस्ट नाइल का पहला मामला 1937 में सामने आया था. तब युगांडा की रहने वाली एक महिला इससे संक्रमित हुई थी। 1953 में उत्तरी मिस्र के नाइल डेल्टा रीजन में पक्षियों में इस वायरस की पहचान हुई थी. तब कौओं और कबूतरों में ये वायरस मिला था।

1997 से पहले तक इस वायरस को पक्षियों के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं माना जाता था, लेकिन इसके बाद इजरायल में इस वायरस का एक खतरनाक स्ट्रेन सामने आया था, जिससे कई पक्षियों की मौत हो गई थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 50 साल में कई देशों में इस वायरस से इंसानों के संक्रमित होने के मामले सामने आ चुके हैं।

आखिर नाइल बुखार है क्या ?

वेस्ट नाइल फीवर एक मच्छर जनित बीमारी है, जो वेस्ट नाइल वायरस के कारण होती है, यह एक सिंगल-स्ट्रैंडेड आरएनए वायरस है. यह संक्रमण क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है,ये मच्छर संक्रमित पक्षियों से वायरस का प्रसार करते हैं, क्यूलेक्स मच्छर पूरे देश में उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में पाए जाते हैं, इंसानों के अलावा, घोड़े और अन्य स्तनधारी भी संक्रमित हो सकते हैं, वेस्ट नाइल वायरस संक्रमित मनुष्यों या जानवरों के संपर्क में आने से नहीं फैलता. यह मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है।

वेस्ट नाइल फीवर
वेस्ट नाइल फीवर

वेस्ट नाइल बुखार के लक्षण

वायरस से संक्रमित लगभग 80% लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखता, जबकि लगभग 20% संक्रमित लोगों को बुखार हो जाता है. कई बार व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि वह संक्रमित हो गया है. रोग के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मतली, दाने और कभी-कभी गले में सूजन शामिल हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के संक्रमित व्यक्ति को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, इसे उनका मस्तिष्क प्रभावित हो सकता है, इससे आगे चलकर इंसेफेलाइटिस या मेनिन्जाइटिस जैसे जानलेवा संक्रमण भी हो सकते हैं।

रोग की रोकथाम कैसे करें..?

मच्छरों को नियंत्रित करना और मच्छरों के काटने से खुद को बचाना ही बीमारी को रोकने का एकमात्र तरीका है । पूरे कपड़े पहनें, अच्छी तरह से शरीर को ढकें क्योंकि यह संक्रमित मच्छरों के संपर्क में आने में बाधा का काम करेगा। पानी के स्टोरेज कंटेनरों को कवर करना चाहिए और पानी को जमा नहीं होने देना चाहिए. पूल, यार्ड और बगीचों में कचरों की ढंग से सफाई होनी चाहिए।

केरल में इसका एक मामला सामने आने पर, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी यही एडवाइजरी जारी की है कि मच्छरों को पैदा होने से रोकें , हर किसी को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी और अपने आसपास सफाई रखनी होगी, ड्रेनेज और जमे हुए पानी को साफ करना होगा।

इसके अलावा.. एनिमल-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन को रोकने के लिए जरूरी है कि बीमार जानवरों का इलाज करते समय ग्लव्स या प्रोटेक्टिव कपड़े पहनकर रखें।

और अगर कहीं ये वायरस फैल रहा है, तो वहांँ ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने से पहले लैब में उसकी जांच कर ली जाए।

वेस्ट नाइल फीवर का इलाज

सामान्य बुखार की तरह ही इसका इलाज़ किया जाता है, गंभीर मामलों में, उपचार में मुख्य रूप से अस्पताल में भर्ती करते हैं, तरल पदार्थ देते हैं, सांस से जुड़ी सहायता और संक्रमण फिर से ना हो इसके लिए रोकथाम शामिल है. इंसानों के लिए इस बीमारी के खिलाफ वर्तमान में कोई टीका उपलब्ध नहीं है।

अस्थमा के लिए आहार क्या खाएं और क्या नहीं-Best Food For Asthma Patients

अस्थमा के लिए आहार

अस्थमा एक ऐसी बीमारी जिसमे व्यक्ति का जीवन दुर्भर हो जाता है। अस्थमा में दरअसल होता क्या है? अस्थमा में श्वास नली सिकुड़ जाती है और सूज जाती है। जिसके कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। अन्य बीमारियों की तरह अस्थमा के मरीजों को भी अपनी डाइट का खास ख्याल रखना पड़ता है। क्योंकि कई बार गलत खान पान ही अस्थमा अटैक का कारण बनता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको अस्थमा के लिए आहार की ही जानकारी देंगे।

अस्थमा के लिए आहार-Best Food For Asthma Patients

Asthma Me Kya Khana Chahiye

एंटीऑक्सिडेंट्स और फइटोकैमिकल्स

इसके लिए मरीज को केवल मौसमी फलों और हरी सब्जियों पर ध्यान देने की जरूरत है। दरअसल ये तत्व फेफड़ों में हुई सूजन को कम करते है।

इसलिए अपने आहार में सब्जियां जैसे पालक, ब्रोकली, करेला, लौकी, भिंडी, कद्दू, मटर, मशरूम आदि को शामिल करें। इन सारी चीजों के अलावा अपने आहार में लहसुन, अदरक, पुदीना, शलगम और प्याज का भी इस्तेमाल करें, साथ ही आलू और तुलसी का इस्तेमाल भी करे क्योंकि इनकी गर्म तासीर शरीर की गर्माहट बनाए रखती है।

विटामिन सी

विटामिन सी अस्थमा के मरीजो के आहार का जरूरी हिस्सा होता है। ये इम्युनिटी और इन्फेक्शन से बचाता है। इसके लिए जरूरी है कि मौसमी फलों का सेवन किया जाए जैसे खरबूजा, तरबूज, पपीता, अंगूर, अनार, सेब, खजूर, अंजीर और शहतूत, संतरा, नींबू, कीवी, आंवला, टमाटर, शिमला मिर्च और ब्रसेल्स स्प्राउट आदि।

पर ध्यान रहे केवल मौसमी फलों का सेवन किया जाए, बेमौसम नही। साथ ही फलों का सेवन केवल शाम से पहले करें। क्योंकि शाम के बाद फल कफ बना सकते है।

विटामिन सी
विटामिन सी

बीटा कैरोटीन

बीटा कैरोटीन से भरपूर चीजें भी अस्थमा मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके लिए आप अपनी डाइट में गाजर, खुबानी, चेरी, हरी मिर्च, शिमला मिर्च और शकरकंद आदि का सेवन कर सकते हैं।

मैग्नीशियम और अन्य विटामिन्स

अस्थमा के मरीज के लिए सबसे बेहतर होती है स्ट्रांग इम्युनिटी। अच्छी इम्युनिटी के लिए मैग्नीशियम और विटामिन्स से भरपूर भोजन को शामिल करें।

इसके लिए मछली का तेल, अखरोट, कद्दू के बीज, सोया पनीर, सोयाबीन, दालचीनी, सरसों का तेल, नट्स और सूखे अंजीर आदि को शामिल करें। इसके अलावा आटे की रोटी, जई आटे की रोटी, दलिया और मूंग की दाल का सेवन भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
विटामिन बी6 युक्त आहार भी अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए अच्छा होता है। इसके लिए अपने आहार में अंकुरित अनाज, चिकन, मछली, ब्रेड, साबुत दालें, ओटमील, ब्राउन राइस, अंडे आदि को शामिल करें।

ओमेगा 3 फैटी एसिड

ऐसे सभी पदार्थो को दैनिक आहार में शामिल रखना चाहिए ओमेगा थ्री फैटी एसिड हो। जैसे अखरोट, सोयाबीन, अलसी और सूरजमुखी के बीज, सामन और टूना मछली, अलसी और सूरजमुखी के बीजों को भूनकर और पीसकर भोजन में इस्तेमाल कर सकते हैं।

ग्रीन टी, ब्लैक टी या काढ़ा

अगर आप अस्थमा के मरीज है तो दूध वाली चाय से परहेज करें। इसकी बजाए आप ग्रीन या ब्लैक टी का सेवन करें। गरम सूप ले, अदरक तुलसी का काढ़ा ले। कभी कभी कॉफी भी ले सकते है।

क्या न खाएं

  • तली हुई चीजें
  • मसालेदार चीजें
  • मूंगफली
  • जंक और डिब्बाबंद फूड्स
  • चावल, दही, आइस्क्रीम
  • दूध, छाछ, अमचूर, इमली,
  • शराब, मांस, चिकन,
  • गुड़, चना, अंडे
  • जरूरत से ज्यादा नमक

सावधानियां

  • एक बार मे एक साथ ज्यादा भोजन न करे।
  • तनाव से दूरी बनाए।
  • छाती और गले पर तिल के तेल, या लहसुन, अजवायन में पके हुए सरसो के तेल का इस्तेमाल करे।
  • दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पिए।
  • सोते वक्त रोजाना सिर के नीचे 3-4 तकिए रखकर सोने की आदत डालने से भी दमे के दौरे का असर धीरे-धीरे कम हो जाता है।।
  • इन्हेलर का इस्तेमाल करें
  • पॉल्युशन से दूर रहें।

अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाने की आसान विधि: हृदय और सेहत के लिए फायदेमंद

अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये

आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही अनेक जड़ी-बूटियों का उपयोग शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से लड़ने के लिए किया जाता रहा है। उन्हीं में से एक है अर्जुन की छाल। इसे हृदय रोगों, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। आज हम जानेंगे कि अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं (arjun ki chhal ka kadha kaise banaen), इसके क्या-क्या फायदे हैं और इसे कब और कैसे पीना चाहिए।

अर्जुन की छाल क्या होती है?

अर्जुन (Terminalia Arjuna) एक औषधीय पेड़ है, जिसकी छाल में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फ्लावोनॉइड्स, टैनिन्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। अर्जुन की छाल खासतौर पर हृदय की कार्यप्रणाली को बेहतर करने में सहायक मानी जाती है।

अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं?

(arjun ki chaal ka kadha kaise banaye / अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाये)

आवश्यक सामग्री:

  • 1 चम्मच अर्जुन की सूखी छाल (कुटी हुई)
  • 2 कप पानी
  • 1/2 कप दूध (वैकल्पिक)
  • 1 छोटा टुकड़ा दालचीनी या 1 लौंग (सर्दियों के लिए)
  • शहद या गुड़ स्वादानुसार

बनाने की विधि:

  1. एक पैन में पानी डालें और उसमें अर्जुन की छाल मिला दें।
  2. इसमें लौंग या दालचीनी डालकर मध्यम आंच पर 10-15 मिनट तक उबालें।
  3. जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें।
  4. अब इसमें शहद या गुड़ मिला लें। चाहें तो थोड़ा दूध भी डाल सकते हैं।
  5. गर्मागर्म या हल्का गुनगुना पीना अधिक लाभकारी होता है।

अर्जुन की छाल के काढ़े के फायदे

(arjun ki chaal ka kada ke fayde)

1. हृदय रोगों में लाभकारी

यह काढ़ा दिल की मांसपेशियों को मजबूत करता है और हृदय की धड़कन को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह हार्ट अटैक के जोखिम को भी कम करने में सहायक होता है।

हार्ट के लिए अर्जुन की छाल
हार्ट के लिए अर्जुन की छाल

2. ब्लड प्रेशर को संतुलित रखे

नियमित रूप से अर्जुन की छाल का काढ़ा पीने से उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है। यह रक्त वाहिकाओं को साफ और लचीला बनाए रखता है।

3. कोलेस्ट्रॉल को घटाए

यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है। जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।

4. डायबिटीज को नियंत्रित करे

इसमें मौजूद तत्व रक्त में ग्लूकोज स्तर को संतुलित करते हैं और यह इंसुलिन की क्रिया को भी बेहतर बनाते हैं।

5. पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए

अर्जुन की छाल का काढ़ा गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में भी राहत देता है। यह लीवर को भी डिटॉक्स करता है।

6. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

इसमें भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।

कब और कैसे पिएं अर्जुन की छाल का काढ़ा?

  • समय – सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले
  • मात्रा – रोज़ 1 कप
  • कैसे पिएं – हल्का गर्म करके, शहद या दूध मिलाकर

यदि आप हृदय, ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो यह काढ़ा आपके लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है। इसे कम से कम 2-3 महीने तक नियमित रूप से लेने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

कुछ जरूरी सावधानियां

  • गर्भवती महिलाएं या गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर की सलाह से ही सेवन करें।
पुरानी खांसी
पुरानी खांसी
  • अत्यधिक सेवन करने से ठंडक की समस्या हो सकती है, विशेष रूप से सर्दियों में।
  • सर्दी के मौसम में इसे अदरक, लौंग या दालचीनी के साथ लेना बेहतर रहेगा।

निष्कर्ष

arjun ki chaal ka kada या अर्जुन की छाल का काढ़ा आयुर्वेदिक दृष्टि से एक बहुत ही उपयोगी घरेलू उपाय है जो ना केवल दिल को स्वस्थ रखता है, बल्कि पूरे शरीर के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है। यदि आप प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से सेहत को बनाए रखना चाहते हैं, तो यह काढ़ा आपकी दिनचर्या का हिस्सा ज़रूर बनाना चाहिए।

क्या है अंजीर के फायदे इन हिंदी-Anjeer Ke Fayde Hindi Me

अंजीर के फायदे

अंजीर एक ऐसा मीठा फल जो स्वाद के साथ साथ स्वाथ्य भी देता है। वर्षो से विभिन्न रोगों और कमजोरी को दूर करने के लिए अंजीर का प्रयोग किया जाता है। इसे फिकस कैरीका नाम से भी जानते हैं। यह रसीला और गूदेदार फल होता है। आपको शायद जानकर हैरानी होगी कि अलग स्थान पर उगाए गए अंजीर का स्वाद भी अलग अलग होता है।

तुर्की विश्व मे सबसे बड़ा अंजीर उत्पादक है इसके अलावा भारत चीन और अमरीका समेत कई भागों में भी अंजीर उगाया जाता है। अंजीर का थोड़ा बहुत उत्पादन अमेरिका और यूरोप में भी होता है।

अंजीर कितने तरह का होता है

ब्लैक मिशन

अंदर से गुलाबी रंग का ये अंजीर मीठा और रसभरा होता है।

कडोटा

हरे रंग का ये अंजीर कम मीठा होता है।

कैलिमिरना

हरे पीले रंग का होता है और अन्य किस्मो के मुकाबले बड़ा होता है।

ब्राउन तुर्की

इस अंजीर का बाहरी रंग बैंगनी और गूदा लाल होता है। इसका स्वाद हल्का और कम मीठा होता है।

एड्रियाटिक अंजीर

हल्का हरा और अंदर से गुलाबी रंग का होता है। इसका स्वाद बहुत मीठा होता है।

अंजीर में पाए जाने वाले पोषक तत्व

अंजीर में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स, सॉल्युबल फाइबर और नेचुरल सुगर होती है।

अंजीर के फायदे-Anjeer Ke Fayde Hindi Me

आज इस आर्टिकल में हम आपको अंजीर के फायदों से अवगत कराएंगे।

फिट एंड ट्रिम करें

अगर आप स्लिम होने के बारे में सोच रहे है तो अंजीर स्नैक के लिए सबसे बेहतर ऑप्शन है। ये हाई फाइबर होता है जिससे आसानी से पच भी जाता है। इसे खाकर आपको स्नैक के बाद जल्दी भूख नही लगेगी।

डाइटिंग के समय ये आपके स्वीट टूथ को भी सन्तुष्ठ करेगी, लेकिन इसमें मौजूद मीठा आपका वजन नही बढ़ाएगा। ये एक्स्ट्रा फैट को गलाकर, मोटापे को inches से कम करती है।

बोन्स को मजबूती दे

अंजीर में कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होते है। और यही तत्व हड्डियों का मुख्य हिस्सा है। इसलिये अगर आप रेगुलर अपनी डाइट में अंजीर को रखते है तो फ्रैक्चर की संभावना बहुत कम हो जाती है। अंजीर हड्डियों को मजबूती देता है।

डायजेस्टिव सिस्टम को सपोर्ट करें

अंजीर को आप फल के तौर पर खाए या सुखाकर, इसका हाई फाइबर आपके पाचन तंत्र को सपोर्ट करेगा। घुलनशील फाइबर होने के कारण ये आसानी से पच जाता है। साथ ही इंटेस्टाइन के पेरिस्ताल्टिक मूव को बढ़ाता है। इसी कारण अंजीर खाने से आपको कब्ज, गैस एसिडिटी, अपच जैसी समस्याएं नही होती।

दिल को रखे स्वस्थ

अंजीर में होते है एंटीऑक्सीडेंट जो दिल को नुकसान पहुचाने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करते है। साथ ही अंजीर में होते है ओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड, जो वाहिकाओं और धमनियों को स्वस्थ्य रख व्यक्ति को हार्ट अटैक और स्ट्रोक से सुरक्षित रखते है।

दिल को रखे स्वस्थ
दिल को रखे स्वस्थ

कोलेस्ट्रॉल

अंजीर में मौजूद पेक्टिन, B6, ओमेगा 4 और ओमेगा 6 शरीर मे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखता है।यह बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। अंजीर डायजेस्टिव सिस्टम से भी खराब कोलेस्ट्रॉल को फ्लश आउट करता है।

खून की कमी

अगर किसी के अंदर खून की कमी है तो उसे भविष्य में अन्य रोग भी हो सकते है। ऐसे में आयरन का सेवन बहुत जरूरी हो जाता है। सूखे अंजीर में आयरन की काफी मात्रा होती है, इसलिए अपने शरीर मे खून की कमी दूर करने के लिए अंजीर का सेवन करे।

डायबिटीज

डायबिटीज जैसी समस्या में केवल आप अंजीर के फल का प्रयोफ ही नही कर सकते बल्कि, अंजीर के पत्तो की चाय बनाकर भी पी सकते हो। इसमे मौजूद नेचुरल शुगर आपका शुगर लेवल नही बढ़ने देगा।।

इन फायदों के अलावा अंजीर के निम्न समस्याओं में भी आराम देता है।

कैंसर, अस्थमा, ब्लड प्रेशर, यौन दुर्बलता, सर्दी जुखाम, कमजोर इम्युनिटी, कमजोरी, कम दिखाई देना, असमय उम्रदराज दिखना, बालो का झड़ना आदि।

अंजीर खाने के तरीक़े-अंजीर को कैसे खायें

सेब की तरह अंजीर को भी सुखाकर खाया जाता है। अगर आप इसे कच्चा खा रहे है तो अच्छे से धोकर खाए। छिलका उतार कर भी खा सकते है और छिलके सहित भी।

अगर आप सूखा अंजीर खाने की सोच रहे है तो एक बात का ध्यान रखें। अंजीर बहुत ही गर्म होता है। इसलिए बेहतर होगा इसे रातभर पानी मे भिगो कर इसका सेवन करे।

आप अंजीर को सैंडविच, सलाद, आइसक्रीम, कस्टर्ड, केक में इस्तेमाल कर सकते है।

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर के फायदे जो आप पहले नहीं जानते होंगे

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर के फायदे

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर एक आयुर्वेदिक औषधि है। प्राचीन काल से अश्वगंधा का प्रयोग कई बीमारियों के उपचार के लिए किया जा रहा है। हमारे वेदों में भी अश्वगंधा की उपयोगिता का वर्णन है। आयुर्वेद में अश्वगंधा को तनाव रोधी चिंता विकारों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।

अश्वगंधा का नाम संस्कृत भाषा से लिया गया है संस्कृत भाषा में अश्वगंधा का अर्थ अश्व की गंध है। पसीने के कारण अश्व के पसीने से जो गंध निकलती है उसकी गंध और अश्वगंधा की जड़ और पत्तियों की गंध एक समान होती है कुछ लोग यह भी कहते हैं कि अश्वगंधा का नाम अश्व जैसी ताकत और यौन शक्ति के कारण मिला है।

अश्‍वगंधा का वानस्पतिक नाम: विथानिया सोमनिफेरा
वंश: सोलेनेसी
संस्‍कृत नाम: अश्‍वगंधा, वराहकर्णी और कमरूपिणी
सामान्‍य नाम: विंटर चेरी, भारतीय जिनसेंग, असगंध
उपयोगी भाग: अश्‍वगंधा की जड़ और पत्तियों का इस्‍तेमाल किया जाता है पर इसकी फूल व पत्तियाँ भी बहुत उपयोगी है।
भौगोलिक विवरण: अश्‍वगंधा अधिकतर भारत के शुष्‍क प्रदेशों (प्रमुख तौर पर मध्‍य प्रदेश , राजस्‍थान) और गुजरात में पायी जाती है। विदेश में नेपाल, अफ्रीका और संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में भी अश्वगंधा का वर्णन है।

पतंजलि ने अश्वगंधा पौधे की जड़ को आर्युवेदिक पद्धति से कूटकर,पीसकर, छानकर अस्वगंधा पाउडर बनाया है।

Sale
Patanjali Ashwagandha churna 100gm
  • Patanjali Ashwagandha churna
  • Item Form: Powder

Last update on 2024-10-17 / Affiliate links / Images from Amazon Product Advertising API

तो आइए जानते हैं पतंजलि अश्वगंधा पाउडर के गुणों को

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर लाभदायक है थायराइड की बीमारी में

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर निश्चित मात्रा में लेने पर थायराइड कंट्रोल होता है और मेटाबॉलिज्म ठीक होता है। लेकिन अगर हम थायराइड की दवाइयाँ पहले से ही ले रहे हैं तो अश्वगंधा हमें नुकसान कर सकता है चाहे वह हमारा हाइपर थायराइड हो या हाइपो थायराइड हो।

अश्वगंधा का इस्तेमाल थाइरोइड ग्रंथि को उत्तेजित करने के लिए किया जा सकता है। पतंजलि अश्वगंधा पाउडर को अगर प्रतिदिन लिया जाए, तो थायराइड हार्मोन के स्राव में वृद्धि होगी।

अश्वगंधा पाउडर
अश्वगंधा पाउडर

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर फ़ायदेमंद है शरीर के मेटाबालिज्म को कंट्रोल करने में

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर में बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो शरीर के मेटाबाॅलिज्म को बढ़ाने में मददगार है।

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर यौन शक्ति बढ़ाने में मददगार

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर में यौनांगो की मांसपेशियों को सक्रिय करने का गुण पाया जाता है। यह मस्तिष्क और मांसपेशियों के बीच तालमेल बनाने में कारगर है पतंजलि अश्वगंधा पाउडर शरीर की चर्बी को दूर कर शरीर को ऊर्जावान बनाती है। पतंजलि अश्वगंधा पाउडर में पाये जाने वाले पोषक तत्व वीर्य की क्वालिटी बढाने में मददगार होते हैं।

Last update on 2024-10-17 / Affiliate links / Images from Amazon Product Advertising API

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर मोतियाबिंद रोग में लाभदायक

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर में एंटीऑक्सीडेंट और साइटोप्रोटेक्टि पाए जाते हैं। जो मोतियाबिंद के असर को कम करने में उपयोगी होते हैं।

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर उपयोगी है त्वचा की बीमारियों में

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर में उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो त्वचा को पोषण प्रदान करते हैं यह एंटीऑक्सीडेंट त्वचा में नमी बनाए रखते हैं और त्वचा के कोलेजन स्तर की रिपेयर भी करते हैं।

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर चेहरे के काले दाग धब्बों व झाइयों को दूर करता है। अश्वगंधा सोरायसिस जैसे रोग को भी दूर करने में मददगार है। इस रोग में शरीर की त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है।अश्वगंधा कोलेजन स्तर को बढ़ावा देकर त्वचा की नमी व चिकनाहट वापस लाती है

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर उपयोगी है बालों की समस्याओं में

अश्वगंधा में पाये जाने वाले पोषक तत्व कोर्टिसोल के स्तर को कम करके बालों के झडने को रोकता है। अश्वगंधा के गुणकारी तत्व बालों में मेलेनिन की हानि को रोक कर समय से पहले बालों के ग्रे होने को रोकता है। अश्वगंधा में पाये जाने वाला टाइयरोसीन है। जो एक एमिनो एसिड है और शरीर में मेलेनिन के उत्पादन को बढाता है। मेलेनिन को बढा कर बालों को काला बनाता है।

Last update on 2024-10-18 / Affiliate links / Images from Amazon Product Advertising API

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर उपयोगी है ह्रदय रोगों में

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर में सूजन कम करने के गुण पाये जाते हैं। पतंजलि अश्वगंधा पाउडर में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट में सूजन व तनाव कम करने के गुण पाये जाते हैं। पतंजलि अश्वगंधा पाउडर खाने से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा कम होती है। जिसके कारण ह्रदय रोग होने की संभावना कम हो जाती है। पतंजलि अश्वगंधा पाउडर हृदय की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है।

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर कारगर है कैंसर में

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर में पाये जाने वाले पोषक तत्व ट्यूमर सेल्स को नष्ट करने में कारगर होते हैं। पतंजलि अश्वगंधा पाउडर खाने से एपोप्टोसिस बढ़ता है जो कैंसर सेल्स को नष्ट करने में मददगार साबित हुआ है।

पतंजलि अश्वगंधा पाउडर उपयोगी है तनाव चिंता और अवसाद दूर करने में

अश्वगंधा का प्रयोग व्यक्ति को मानसिक रुप से शांत कर देता है जिसके कारण व्यक्ति की चिंता दूर हो जाती है। पतंजलि अश्वगंधा पाउडर व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रसन्नचित रखता है। जिसके कारण व्यक्ति को मानसिक अवसाद नही होता।

स्टेमिना और सेक्सुअल टाइमिंग बढ़ाने के लिए पतंजलि का अश्वगंधा कैप्सूल बहुत लाभकारी माना जाता है। अश्वगंधा कैप्सूल को खाना खाने के बाद या रात में सोने से पहले दूध के साथ लिया जा सकता है। दिन में दो बार कैप्सूल को उपयोग में लेना चाहिए। 

हिमालय अश्वगंधा टेबलेट का उपयोग दिन में किसी भी समय किया जा सकता है इसको पानी के साथ लिया जा सकता है खाना खाने के बाद। और रात में सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ भी इसका उपयोग किया जा सकता है। 

डाबर अश्वगंधा टेबलेट एक नेचुरल तरीके से बना उत्पाद है जिसमें अश्वगंधा मिला हुआ होता है। जो की तनाव, इम्यूनिटी और स्टेमिना से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। इसके उपयोग से सेक्स से जुड़ी समस्याएं जैसे काम टाइमिंग, थकान जैसी समस्याएं भी दूर होती है। 

अश्वगंधा टेबलेट प्राकृतिक उत्पादों से मिकर बनी होती है इसलिए इससे किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट होने का खतरा नहीं रहता है। उसको दिन के समय खाना खाने के बाद और रात में सोने से पहले उपयोग में लिया जा सकता है। 

अश्वगंधा टेबलेट को उपयोग में लेने से बहुत सी समस्याओं से राहत पायी जा सकती है। यह तनाव, नींद में कमी और स्टेमिना से जुड़ी समस्याओ में काफी कारगर होता है। इसके उपयोग से स्टेमिना में वृद्धि होती है जिससे पूरे दिनभर थकान महसूस नहीं होती है। 

अश्वगंधा प्राय चूर्ण या टेबलेट के रूप में बाजार में उपलब्ध है। चूर्ण को आप दूध, घी, पानी किसी में मिक्स कर के ले सकते हो और टेबलेट को भी दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। सुबह और शाम दिन में दो टेबलेट का सेवन करना चाहिए। और चूर्ण को एक छोटा चमच जितना ही। 

अश्वगंधा सिर्फ पुरुषों के लिए ही नहीं अपितु महिलाओं के लिए भी लाभकारी होता है। महिलाओं में यह सेक्सुअल इन्फेक्शन को दूर करता है और घुटनों में दर्द, थायराइड की समस्या, और जनन क्षमता की समस्या को भी दूर करता है। यह एंटी ऐजिंग प्रोडक्ट के रूप में उपयोगी है। 

यदि आपको स्टेमिना में कमी, तनाव, थकान या सेक्स से जुड़ी कोई समस्या है तो आप हिमालय अश्वगंधा टेबलेट का प्रयोग कर सकते है। आप नियमित रूप से तीन या चार महिने तक इसका प्रयोग  करते है तो आपको इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल जाएंगे।  

अश्वगंधा और मिश्री को मिक्स कर के खाने से न सिर्फ स्वाद में फर्क पड़ता है अपितु स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज्यादा लाभकारी है। यह शुगर को नियंत्रित करता है और घुटनों के दर्द और सेक्सुअल समस्याओं को भी दूर करता है। स्टेमिना में वृद्धि और तनाव को दूर करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। 

अश्वगंधा को खाली पेट लेने की अपेक्षा खाना खाने के बाद प्रयोग में किया जाना चाहिए। चूंकि जब हम खाना खाने के बाद इसका उपयोग करते है तो खाने में मिले हुए तत्व अश्वगंधा के गुणकारी तत्वों को अवशोषित कर शरीर के हर हिस्से तक पहुंचाते है। दूध के साथ भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।  

अश्वगंधा पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लाभकारी है लेकिन यह पुरुषों में विशेष तय सेक्सुअल समस्याओं को जड़ से दूर करता है। जैसे पुरुषों में नपुसंकता, शुक्राणुओं की कमी, और सेक्स टाइमिंग में कमी जैसी समस्याओं के लिए यह रामबाण साबित होता है। 

अश्वगंधा का अधिक मात्रा में उपयोग करने से आपको इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते है। अधिक उपयोग से यह शरीर में गर्मी पैदा करता है जिससे पेट की समस्या, मुहँ में छालों की समस्या, अपच जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है। अतः अधिक मात्रा में उपयोग से बचना चाहिए। 

अश्वगंधा का अधिक इस्तेमाल पेट के लिए हानिकारक हो सकता है। इसका उपयोग करने से डायरिया जैसी समस्या पैदा हो सकती है। इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले आप डॉक्टर की सलाह लें उसके बाद ही इसका सेवन करें। और जिनको ब्लड प्रेशर की समस्या हो उनको अश्वगंधा के प्रयोग से बचना चाहिए। 

कैसे घटाएं वजन सिर्फ कुछ हफ्तों में बिना कुछ किये

कैसे घटाएं वजन सिर्फ कुछ हफ्तों में बिना कुछ किये

वजन को लेकर हर कोई परेशान रहता है और वजन बढ़ना प्रदूषित खानपान तथा अपने शरीर का ध्यान नहीं रखने की वजह से यह समस्या काफी ज्यादा फैल रही है। वजन घटाने के लिए कई प्रकार के उपाय जो आपको अपनी दिनचर्या में लाने होते हैं। वजन घटाने की बात जब आती है। तब आपका वजन पहले से ही ज्यादा या बड़ा हुआ हो कई लोग मोटापा घटाने के लिए कई प्रकार की मेडिसिन तथा आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक दवाइयां लेते हैं। लेकिन यह दवाइयां ना के बराबर असर करती है।

मोटापा घटाने के लिए अपने खान-पान तथा शरीर का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है, और इसी आधार पर आप बिना कोई दवाइयां लिए मोटापा घटा सकते हैं।

मोटापा घटाने के लिए अपनी दिनचर्या को मैं कई नियम जोड़ने होते हैं। अपनी दिनचर्या को एक व्यवस्थित तरीके से शुरू करनी होती है और टाइम टाइम पर खान-पान और वर्कआउट बहुत जरूरी है।

सुबह मेंथी का पानी

रात को एक गिलास या किसी बर्तन में थोड़ा पानी लेकर उसमें थोड़ी मेथी डाल दें। इस पानी को रात भर पड़ा रहने दें। और सुबह उठते ही मेथी निकालकर उस मेथी के पानी को पिए मेथी का पानी आपके शरीर के मोटापे को घटाने में एक अहम भूमिका निभाता है।

मेथी में anti-obesity गुण मौजूद होते हैं जो मोटापे को घटाने में अहम भूमिका निभाते हैं, तथा मेथी शरीर में उपस्थित जहरीले पदार्थों को बाहर निकालते हैं और उपापचय क्रिया को बढ़ावा देते हैं ।

ग्रीन टी

सुबह मेथी के पानी का सेवन करने के बाद दूध वाली चाय की बजाए ग्रीन टी पीए। कई बार मोटापे के वजह से भी कई तरह की सेहत संबंधी परेशानियां होने लगती है। जिसमें दिल की बीमारी भी शामिल है।

मोटापे के कारण होने वाली बीमारियों से ग्रीन टी काफी मददगार साबित होती है, और शरीर के वजन को कम करने में भी सहायता प्रदान करती है।

ग्रीन टी
ग्रीन टी

नियमित वर्कआउट

शरीर की वजन को घटाने के लिए आपकी दिनचर्या में वर्कआउट तथा मॉर्निंग वॉक को ऐड करना काफी महत्वपूर्ण होता है। मॉर्निंग वॉक तथा सुबह के वर्कआउट से आपकी शरीर की कैलोरी बर्न होती है। जिससे आपके शरीर से पसीना निकलता है।

पसीने के साथ जहरीले पदार्थ बाहर निकलते हैं, और वजन घटाने में इस प्रकार से वर्कआउट अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

संतुलित आहार

शरीर का वजन कम करने के लिए आपको संतुलित आहार का सेवन करना होता है, और संतुलित आहार भी निश्चित रखें ज्यादा खाना नहीं खाएं। वजन को कम करने के लिए संतुलित आ रहा कम मात्रा में दिन में दो-तीन बार खाएं एक बार में ही भरपेट खाना नहीं खाए।

पैक या सोडा पेय तथा फास्ट फूड से दूर रहे

सोडा पेय कोका कोला तथा अन्य प्रकार की एनर्जी ड्रिंक और फास्ट फूड से दूर रहें इन प्रकार के पदार्थों में कई ऐसे मिनरल्स उपस्थित होते हैं।

जो आपके शरीर के वजन को बढ़ाने में मदद करते हैं और वजन घटाने के लिए इस प्रकार के किसी भी पदार्थ का सेवन ना करें इसके साथ ही ज्यादा ऑयल वाले पदार्थों का सेवन भी ना करें।

रात का डिनर हल्का व 7:30 बजे से पहले करें

रात का डिनर बिल्कुल हल्का लें इसमें सलाद फ्रूट के साथ 1-2 चपाती खाए। पेट भर के रात के समय खाना नहीं खाए, तथा रात का डिनर शाम 7:30 बजे से पहले कर लें ताकि आपका भोजन सोने से पहले अच्छी तरह से पच जाए।

खाना खाने के बाद 1 घंटे से पानी पिये

जब आप खाना खाते हैं तो खाना अच्छी तरह से चबा चबा कर खाए साथ ही खाना खाने के बाद घंटे भर तक पानी नहीं पिये। यदि आप खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीते हैं तो ऐसे में आपके शरीर के पाचन तंत्र पर बहुत ज्यादा इफेक्ट पड़ता है, और पाचन तंत्र जल्दी से भोजन को पचा नहीं पाता है।

जब आपके शरीर में पाचन तंत्र जल्दी भोजन नहीं पच आएगा तो आपके शरीर में स्फूर्ति की बजाय आलस आने लगता है  शरीर के मोटापे को कम करने के लिए शरीर में स्फूर्ति होना बहुत जरूरी है जिससे शरीर की कैलोरी खर्च होती रहती है।

आपने क्या सिखा वजन घटाने के बारे में

हम उम्मीद करते है की हमने जो भी आपको वजन घटाने के बारे में बताया है, वो आपको अच्छा लगा होगा, और अगर आपके मन में इससे रिलेटेड कोई सवाल है, तो हमे कमेंट  करके पूछ सकते है।

तो दोस्तों अगर आपको यह जानकारी पसंद आया हो तो प्लीज अपने दोस्तों व अपनी सोशल मीडिया पर जरुर से शेयर करे ताकि आपके दोस्तों को भी इसकी जानकारी मिल सके।

error: Content is protected !!