कब और कितना खाएं चुकंदर ताकि ना हो ये चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर खाने के नुकसान

चुकंदर या बीटरूट जिसको देखकर ही अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना की जा सकती है, सलाद हो या सूप चुकंदर को खाने के कई फायदे हमने सुने है। आयुर्वेद के अनुसार चुकंदर को खाने से बहुत से फायदे होते हैं। खून की कमी होने पर ​​हीमोग्लोबिन बढ़ाने में करता है। ​कैंसर से बचाता है, त्वचा को ग्लो देता है। रक्तचाप को कंट्रोल करता है, बालो को मुलायम बनाता है। लेकिन अगर आप सोचते है कि सुंदर और स्वस्थ्य दिखने के लिए आप ज्यादा सेवन करेंगे तो ये गलत है। अति हर चीज़ की नुकसान करती है, इसी प्रकार चुकंदर या बीट रुट के जरूरत से ज्यादा सेवन करना भी खतरनाक है। आज इस आर्टिकल में हम आपको चुकंदर खाने के नुकसान बताएंगे। इससे आप भली प्रकार समझ सकेंगे कि चुंकदर कब और कितनी मात्रा में खाना हैं।

चुकंदर खाने के नुकसान

किडनी स्टोन

किडनी स्टोन चुंकदर के ज्यादा सेवन का सबसे महत्वपूर्ण दुष्परिणाम होता है। ऐसे लोग जो पहले ही किडनी की किसी बीमारी ग्रसित हो चुकंदर का सेवन बिल्कुल न करे।

दरअसल चुकंदर में ऑक्सलेट साधारण से ज्यादा मात्रा में होता है, ऑक्सलेट की ज्यादा मात्रा ही किडनी में स्टोन बनने का मुख्य कारण है।

शौच से सम्बंधित समस्या

चुंकदर का सेवन ज्यादा करने से यूरिन और स्टूल का रंग भी लाल या गुलाबी रंग का हो जाता है। वैसे तो ये कोई खतरनाक स्थिति नही होती, लेकिन मल मूत्र का खून के रंग में आना मानसिक तौर पर बहुत ही उलझन पूर्ण होता है।

इस स्थिति को बीटूरिया कहते हैं। चुकंदर में शामिल बीटानिन तत्व ही इस रंग का कारण होता है। यदि आप इस समस्या से जूझ रहे है तो चुकंदर का सेवन तुरन्त बन्द कर दे।

48 से 50 घण्टे के भीतर गुलाबी या लाल मल मूत्र की समस्या समाप्त हो जाएगी। यदि 50 घण्टे के बाद भी स्थिति जस की तस बनी रहे तो डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करे।

निम्न रक्तचाप

यदि आप उच्च रक्तचाप से ग्रसित है तो चुकंदर आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन यदि आप निम्न रक्तचाप से पीड़ित है तो चुकंदर का ज्यादा सेवन बिल्कुल न करे।

खासकर यदि आप लो ब्लड प्रेशर के लिए कोई दवाई ले रहे है। निम्न रक्तचाप होने से रोजमर्रा के कार्य अव्यवस्थित हो जाते है।

निम्न रक्तचाप
निम्न रक्तचाप

पाचन क्षमता पर बुरा असर

बीटरूट जूस का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा आप चुकन्दर का सेवन धीरे धीरे कम मात्रा में करे।

यदि आप इसे सलाद के रूप में ले रहे है तो साथ मे दूसरे पदार्थ भी सलाद के रूप में ले। यदि आप जूस के रूप में ले रहे है तो कुछ मात्रा में दूसरी सब्जियों का जूस भी मिक्स करें।

मधुमेह में नुकसानदायक

100 ग्राम चुकंदर में लगभग 7 ग्राम शुगर होती है। यदि आप नियमित तौर पर इसका सेवन कर रहे है, तो आपका सुगर लेवल बढ़ सकता हैं।
खासतौर पर यदि आप अन्य मीठी चीज़ों का सेवन भी कर रहे है तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि इसे अन्य खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित कर लें।

चुकंदर खाने के अन्य नुकसान

  • चुकंदर फाइबर से भरपूर होता है। यदि आप सोचते है कि फाइबर की अधिक मात्रा पेट के लिए सही है तो आप गलत हैं। चुंकदर के रूप में अधिक मात्रा में फाइबर के सेवन से मितली,  दस्त और कब्ज की समस्या हो सकती है।
  • चुकंदर के ज्यादा सेवन से शरीर में कैल्शियम का लेवल कम हो सकता है। कैल्शियम हड्डियों का मुख्य तत्व है, इसका लेवल कम होने से हड्ड‍ियों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • कुछ लोगों को बीटरूट से एलर्जी हो सकती है। इससे अर्टिकेरिया (त्वचा पर लाल, खुजलीदार और जलनशील चक्कते), सांस लेने में तकलीफ और आंखों व नाक में समस्या हो सकती है
  • चुकंदर के अधिक सेवन से लिवर में मेटल जमा हो सकता है। यह पोर्फिरीया कटानिया टार्डा (खून की बीमारी जो त्वचा को प्रभावित करती है), आयरन की कमी या पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।

चुकंदर का कितना सेवन सही रहेगा

वैसे तो चुंकदर की सेवन मात्रा प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है फिर भी साधारण: एक बार में आठ औंस और सप्ताह में तीन बार से अधिक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

अर्थात एक बार मे दो चुकंदर का जूस काफी होता है। यदि आप किसी बीमारी जैसे खून की कमी के लिए इसका सेवन कर रहे है तो, बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई बन्द न करें।

आशा है आप चुकंदर खाने के नुकसान अच्छे से समझ गए होंगे और अपनी सेहत और सहूलियत के अनुसार ही इसका सेवन करेंगे।

जानिये आखिर क्या हैं पैर में सूजन आने का कारण

पैर में सूजन आने का कारण

कभी कभी बॉडी टिश्यू में एब्नॉर्मल रूप से कुछ फ्लूइड इकट्ठा हो जाता है। इसे एडिमा या सूजन कहते है। ज्यादतर ये समस्या पैरों में होती है। पैरों में सूजन होने को पिडल एडिमा, कई बार ये समस्या दर्द के बिना या दर्द के साथ भी हो सकती है। पिडल एडिमा अर्थात पैर में सूजन होने रोजमर्रा के कार्यो में रुकावट आती है। दरअसल पिडल एडिमा स्वंय में कोई बीमारी नही है, अपितु कुछ अन्य बीमारी का संकेत हैं। जैसे सर्कुलेटरी सिस्टम, लयमोह नोड्स या लिवर से सम्बंधित बीमारिया।

पैर में सूजन के लक्षण

पैर में सूजन होने पर सूजन के अलावा निम्न लक्षण दिखाई देते है।

  • पैर की त्वचा टाइट, चिकनी और चमकदार दिखती है।
  • पैर की त्वचा को दबाने पर वहाँ एक टेम्पररी गड्ढा पड़ जाता है, जो प्रेशर हटाने पर फिर से नॉर्मल हो जाता है। ये एडिमा का एक प्रकार है जिसे पिटिंग एडिमा का कहते है।
  • टखनों के आस पास भी फुलाव दिखाई देता है।
  • पैर के सभी जोड़ो में दर्द व अकड़न होती है।
  • पैर की नसें उभरी हुई दिखाई देती है।
  • पैर सुन्न महसूस होता है।
  • पैर को हिलाने में परेशानी महसूस होती है।
  • पैर में खुजली महसूस होती है।
  • व्यक्ति असहज महसूस करता हैं।
    पैर में सूजन
    पैर में सूजन

पैर में सूजन आने का कारण

इन्फ्लामेशन

इन्फ्लामेशन का मतलब होता है, शरीर की खुद को ठीक करने की प्रक्रिया के कारण होने वाली सूजन। इस दौरान जलन, सूजन ओर दर्द महसूस होता है।

मोटापा

जब आपका बी एम आई बहुत ज्यादा होती है, अर्थात मोटापा बहुत ज्यादा होता है तो शरीर के सभी अंगों तक खून का दौरा सही से नही जाता। पैरों तक ब्लड सर्कुलेशन सबसे लास्ट में जाता इस कारण पैरों में सूजन आ जाती है।

ज्यादा समय तक पैर लटकाना

जब कोई व्यक्ति ज्यादा लंबे समय तक पैर लटकाकर बैठता है, तो पृथ्वी की ग्रेविटी के कारण बॉडी फ्लूइड नीचे इक्कठा हो जाता है।
इस कारण समय बीतते बीतते सूजन आ जाती है। ऐसी सूजन टेम्पररी होती है। पैरों को सही पोजीशन में लाने पर सही हो जाती है।

दिल कमजोर होना

जिन लोगों का दिल कमजोर होता है, वह पूरे शरीर में ब्लड को अच्छे तरीके से पंप करने में असमर्थ होता हैं। नतीजतन, ब्लड वेसल्स से फ्लूइड बाहर निकलकर स्किन के नीचे मौजूद टिश्यू में जाने लग जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पैरों में सूजन हो जाती है।

प्रोटीन की कमी

ब्लड सेल्स में एल्ब्यूमिन नामक एक प्रोटीन होता है। यही प्रोटीन ब्लड वेसल्स में फ्लूइड को रोककर रखता है। यदि इस प्रोटीन की मात्रा कम हो जाएगी तो ब्लड वेसल्स से फ्लूइड रिसने लगता है जिससे पैरों में सूजन आती है।

गर्भावस्था

गर्भावस्था में गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण, ब्लड वेसल्स सिकुड़ने लगती है, इस कारण उनसे द्रव रिसने लग जाता है। इसके अलावा गर्भवती महिला के शरीर में खून की मात्रा बढ़ने के कारण भी यह समस्या हो जाती है।

लिवर व गुर्दे के रोग

लिवर व गुर्दो के रोग में अक्सर एलब्यूमिन कम हो जाता है। क्योंकि एक तरफ तो लिवर एलब्यूमिन कम मात्रा में बनाता है, और दूसरी तरफ किडनी एलब्यूमिन को मूत्र (यूरिन) में मिलाकर शरीर से बाहर निकाल देती है।

ब्लड क्लॉट या ट्यूमर

कुछ लोगो को ब्लड क्लोटिंग की समस्या होती है, ऐसे में ब्लड सर्कुलेशन पैरों तक सही तरीके से नही पहुंचता। ट्यूमर ब्लड वेसल्स पर प्रेशर डालता है और इस कारण भी पैर में सूजन आ सकती है।

दवा के साइड इफ़ेक्ट

एंटी-हाइपरटेंसिव दवाएं, नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेट्री दवाएं और स्टेरॉयड दवाएं पैरों में सूजन पैदा कर सकती हैं। ज्यादातर मामलों में सूजन काफी हल्की होती है और मरीज को किसी प्रकार की गंभीर समस्या नहीं होती।

त्वचा एलर्जी और संक्रमण

कई बार त्वचा में एलर्जी या संक्रमण आदि होने से भी टांगों में सूजन आने लगती है।

लकवा

हेमीपेरालिसिस, पैरालिसिस जैसी समस्याओं में भी पैरों को सूजन बहुत आम है। रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण कई बार कमर से नीचे का हिस्सा मूवमेंट नही करता जिस कारण पैर में सूजन आ जाती है।

पैर में सूजन आने पर क्या करें

पैरों में सूजन का इलाज उसके कारण पर ही निर्भर करता है।

  • पैर को हल्का फुल्का सामर्थ्य के अनुसार हिलाने की कोशिश करें।
  • दिन में कुछ समय सूजन प्रभावित हिस्सें को ह्रदय (हार्ट ) के स्तर से थोड़ी ऊंचाई वाले स्थान पर रखें।खासकर सोते समय जरूर रखें।
  • प्रभावित स्थान को दिल की तरफ जाने वाली रक्त की गति में हल्की मसाज देना।
  • नमक का सेवन कम करें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • अत्याधिक देर तक बैठे या खड़े ना रहें।
  • अत्याधिक तापमान से टांगों को बचाएं।

थायराइड का रामबाण इलाज है ये घरेलु उपाय | Thyroid Ke Gharelu Upay

थायराइड का घरेलु इलाज

थायराइड हमारे गले में आगे की तरफ पाए जाने वाली तितली के आकार की ग्रंथि होती है। यह ग्रंथि हमारे शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करती है। यह हमारे भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। थायराइड ग्रंथि हार्मोंन का निर्माण करती है। इन हार्मोंस के असंतुलित हो जाने के कारण ही शरीर का वजन कम या ज्यादा होने लगता है, जब ऐसा होता है तो उसे थायराइड की समस्या कहते हैं। पुरुषो की अपेक्षा महिलाओ मे थायराइड की समस्या ज्यादा होती है। नीचे थायराइड की समस्या से निजात पाने के कुछ घरेलू उपचार बताऐ गए है जो थायराइड का रामबाण इलाज है, इस प्रकार है।

थायराइड का रामबाण इलाज-Thyroid Ke Gharelu Upay

थायराइड का घरेलू उपचार है सेब का सिरका-Thyroid Ke Upay

सेब के सिरके को शहद और पानी मे मिलाकर ले सकते है। यह हार्मोन के संतुलित उत्पादन में मदद करता है। शरीर के वसा को रेग्युलेट करने, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायक है।

मुलेठी-Thyroid Ke Gharelu Upay

थायराइड के मरीज जल्दी थक जाते है इसलिए थाइराइड के मरीजों को मुलेठी का सेवन करना बहुत लाभदायक होता है। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।

लौकी का जूस-Thyroid Ka Ilaaj

थायराइड की बीमारी से अगर आप छुटकारा पाना चाहते है तो रोज सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिए, रोजाना ऐसा करने जल्दी ही आपकी थायराइड की बीमारी ठीक हो जायेगी।

बादाम-Gharelu Nuskhe For Thyroid

थायराइड के मरीजो के लिए बादाम सबसे उपयुक्त हैं। यह प्रोटीन, फाइबर और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। बादाम में सेलेनियम होता है जो थायराइड हेल्दी न्यूट्रिएंट है। यह मैग्नीशियम में भी बहुत समृद्ध है जो थायरायड ग्रंथि को आराम से काम करने में मदद कर सकता है। रोजाना बादाम का सेवन करे।

बादाम
बादाम

दूध और इससे बने पदार्थ-Thyroid Ke Upay

दूध, पनीर और दही थायराइड के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं जो लोग थायराइड की समस्या से ग्रसित है उन्हे दही और दूध का सेवन अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स थायराइड से ग्रसित लोगों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं। ये आयोडीन में हाई होते हैं जो थायराइड के सही तरह से काम के लिए आवश्यक है।

रोजमेरी एसेंशियल आयल-Thyroid Ke Gharelu Upay

रोजमेरी तेल की तीन-चार बूंदें को एक चम्मच नारियल तेल में मिक्स कर दें। अब इस तेल को थायराइड के एक्यूप्रेशर पॉइंट पर लगाएं। ये पॉइंट गले, टांग के निचले हिस्से और पैर के नीचे होते हैं। इन पॉइंट्स पर करीब दो मिनट तक मालिश करें। रोजमेरी  हायपरथायरॉडिज्म के लिए लाभकारी हो सकता है।

थायराइड का रामबाण इलाज है हल्दी-Thyroid Ka Ilaaj

हल्दी का सेवन और साथ ही आयोडीन युक्त नमक का उपयोग किया जाए, तो गॉइटर की समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है हल्दी का उपयोग खाना बनाने के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधि की तरह भी किया जा सकता है। इसका उपयोग थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार करने के तौर पर भी किया जा सकता है। इसमें मौजूद इंटीइंफ्लेमेटरी गुण के कारण यह थाइराइड की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।

सेज की चाय-Gharelu Nuskhe For Thyroid

सेज की पत्तिया इसे तेजपत्ता भी कहा जाता है।एक पैन में पानी डालकर उसे गर्म करने के लिए रखें। जब पानी उबलने लगे, तो उसे गैस से उतार लें। अब इसमें ताजा या सूखे दो चम्मच सेज की पत्तियों को डालकर पांच से दस मिनट के लिए छोड़ दें। अब इस मिश्रण को छानकर एक कप में डाल लें, ताकि सेज के पत्ते अलग हो जाएं। फिर इस मिश्रण में स्वाद के लिए नींबू और शहद को मिक्स करके सेवन करें।

लहसुन-Thyroid Ka Desi Ilaj

रोज सुबह लहसुन की एक या दो कलियों का सेवन किया जा सकता है। अगर लहसुन खाने का मन नहीं करता है, तो लहसुन को सब्जी में उपयोग करके खा सकते हैं। स्वास्थ्य के लिए लहसुन के कई फायदे हैं और थाइराइड भी उन्हीं में से एक है।

अदरक-Thyroid Ke Upay

सबसे पहले अदरक को बारीक टुकड़ों में काट लें। इसके बाद पानी को गर्म करें और अदरक के टुकड़े उसमें डाल दें। अब पानी को हल्का गर्म होने के लिए रख दें। फिर उसमें शहद डालकर मिक्स करें और चाय की तरह पिऐ। अदरक को ऐसे ही साबुत चबाकर भी खाया जा सकता है।

अदरक थायराइड के सही तरह से काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण घरेलू उपाय हो सकता है।

अलसी-Thyroid Ke Gharelu Upay

एक चम्मच अलसी के पाउडर को पानी या फिर फलों के रस में डालें। अब इसे अच्छी तरह मिक्स करें और पिएं। इस मिश्रण को प्रतिदिन एक से दो बार पी सकते है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है और जो हायपोथायरॉडिज्म के जोखिम से बचाव चाहते हैं, वो इसका सेवन कर सकते हैं।

तुलसी-Thyroid Ka Ilaaj

एक पैन में पानी को उबाले फिर इसमें तुलसी के आठ दस पत्ते,  एक टूकड़ा अदरक कद्दूकस करके डाले और एक या दो इलायची को डालकर लगभग 10 मिनट तक उबाले। अब चाय को छानकर इसमें शहद या चीनी और नींबू के रस को डालकर गर्मा-गर्म पिएं।

अगर किसी को तुलसी की चाय नहीं पसंद, तो सिर्फ तुलसी के पत्तों का भी सेवन किया जा सकता है। इसमें एंटी-थायराइड गुण मौजूद होते हैं और इसी आधार पर थायराइड के इलाज के लिए तुलसी का सेवन करने का सुझाव दिया जा सकता है

 नारियल तेल-Thyroid Ke Upay

रोज एक गिलास पानी में नारियल तेल मिलाकर सेवन कर सकते हैं। अगर ऐसे नहीं पसंद, तो नारियल के तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए कर सकते हैं। थायराइड रोग का उपचार करने के लिए नारियल तेल अच्छा उपाय साबित हो सकता है। यह थायरायड ग्रंथि को सही तरीके से काम करने में मदद करता है।

साबुत धनिये का उपयोग-Gharelu Nuskhe For Thyroid

एक गिलास पानी में 2 चम्मच साबुत धनिये को रातभर भिगोकर रख दे, सुबह इसे मसलकर उबाल लें। जब पानी चौथाई भाग उबल कर रह जाये तो इसे खाली पेट पी लें, और साथ मे गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें। ऐसा लगातार करने से थायरायड की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

जानें क्या हैं सोते समय ग्रीन टी पीने के फायदे

सोने से पहले ग्रीन टी पीने के फायदे

ग्रीन टी पीने के फायदे से आज कल सभी लोग अच्छे से वाकिफ है। ग्रीन टी हमारी सेहत और स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। इसमे भरपूर मात्रा में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स पाये जाते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है। आप ग्रीन टी का सेवन रात में सोने से पहले भी कर सकते है। कुछ लोग रात को सोने से पहले गरम दूध पीते है तो कुछ लोग चाय पीते है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रात को ग्रीन टी पीकर सोना आपके लिए कितना फायदेमंद साबित हो सकता है।

सोते समय ग्रीन टी पीने के फायदे-Green Tea Ke Fayde

स्ट्रैस को करे कम

आज कल की भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में हर कोई चिंता और तनाव से जूझ रहा है। ऐसे में स्ट्रैस को कम करने के लिए ग्रीन टी बहुत ही लाभकारक है। ग्रीन टी मे प्रचुर मात्रा में ऐन्टी डिप्रेसेंट गुण पाये जाते है जो स्ट्रैस लेवेल को कम करते है और दिमाग शांत हो जाता है।

दिल को रखे स्वस्थ

रात को सोने से पहले ग्रीन टी पीना आपके दिल के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होता है। सोते समय ग्रीन टी का सेवन करने से दिल की बीमारी के खतरे भी कम होते है।

अच्छी नींद लाने में करे मदद

ग्रीन टी अच्छी नींद लाने में भी मदद करती है। ग्रीन टी में ऐसे कम्पाउंड्स पाये जाए है जो दिमाग और शरीर को स्वस्थ रखते है और नींद लाने में मदद करते है। दूसरा रात को सोने से पहले गरम चीज़ पीने से नींद भी जल्दी और अच्छी आती है।

अच्छी नींद लाने में करे मदद
अच्छी नींद लाने में करे मदद

मेटाबोलिस्म को करे बेहतर

सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन मेटाबोलिस्म को बढ़ाने में भी बहुत मदद करता है। ग्रीन टी में भरपूर मात्रा में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स पाये जाते है जो मेटाबोलिस्म को बेहतर बनाते है और इसमे केफिन भी बहुत कम मात्रा में पाया जाता है जो मेटाबोलिस्म को मजबूती देता है।

मोटापे को करे कम

आज कल कई लोग मोटापे की समस्या से बहुत परेशान है। ग्रीन टी के सेवन से मोटापे की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। सोने से पहले ग्रीन टी के सेवन से मेटाबोलिस्म बेहतर होता है जो फैट को कम करता है जिससे वजन और मोटापा दोनों कम हो जाते है। जिसके फलस्वरूप आप स्वस्थ और फिट रह सकते है।

इम्यून सिस्टम को बनाए मजबूत

सही खान पान न होना और शरीर में पोषक तत्वों की कमी हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है जिससे हमारा शरीर रोग फैलाने वाले जीवाणुओं से लड़ नहीं पाता और हम जल्दी बीमार पड़ जाते है। ऐसे में रात को सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। इसमे भरपूर मात्रा में ऐन्टी ओक्सीडेंट्स और पोषक तत्व पाये जाते है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है ओर इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने में मदद करते है।

पाये चमकदार और स्वस्थ त्वचा

ग्रीन टी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में भी बहुत मददगार साबित होती है। इसमे मौजूद पोषक तत्व आपकी त्वचा को पोषण देते है जिससे आपकी त्वचा स्वस्थ रहती है और त्वचा में निखार भी आता है।

कैंसर का खतरा करे कम

कैंसर एक बहुत ही गंभीर बीमारी है। इस बीमारी के चलते कई बार व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है। ऐसे में ग्रीन टी का सेवन कैंसर के खतरे को कम करने में भी मदद करता है। रात में सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोटेस्ट कैंसर और कोलोरेक्तल कैंसर का खतरा कम होता है।

कोलेस्ट्रॉल को करे कम

बैड कोलेस्ट्रॉल दिल के लिए बहुत हानिकारक है। इसकी शरीर में अधिकता होने से दिल का दौरा भी पड़ सकता है। ऐसे में आप रात को ग्रीन टी का सेवन कर सकते है। ग्रीन टी आपके शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है जिससे दिल स्वस्थ रहता है।

आंवले का मुरब्बा के फायदे जो नहीं जानते होंगे आप-Amla Ka Murabba Ke Fayde

आंवले का मुरब्बा के फायदे

आंवला एक ऐसा पदार्थ जिसके गुणों के बारे में एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी किसी मे भी दो राय नही है। नेचर के अद्भुत गुणों से भरपूर आंवला प्रकृति का एक उपहार है। इसमे शरीर के लिए जरूरी सभी गुण मौजूद है। और इसे इस्तेमाल करने के तरीके भी कई है। उन्ही में से एक तरीका है आंवले का मुरब्बा। आंवले का मुरब्बा कोई दवाई नही है ना ही आप इसे किसी इलाज के विकल्प के तौर पर ले सकते है।
लेकिन यदि आप अपने रोजमर्रा के जीवन मे इसे शामिल करते है, तो आपके स्वास्थ्य को आश्चरुजनक लाभ होगा।

आंवला मुरब्बा को आप एक स्वीट डिश के रूप में मान सकते हो। आंवले को धोकर लगभग दो से तीन दिन के लिए फिटकरी के पानी मे रखकर दोबरा साफ किया जाता है। फिर एक बर्तन में पानी और चीनी डालकर इसे पकाया जाता है। यही आंवला मुरब्बा कहलाता है।
अब हम आपको आंवले का मुरब्बा के फायदे बताएंगे।

आंवले का मुरब्बा के फायदे-Amla Ka Murabba Ke Fayde

इम्युनिटी बढ़ाये

यदि आप अपने रोज के भोजन में, आंवला का मुरब्बा शामिल करते हो तो इससे आपकी इम्युनिटी बढ़ेगी। इसका सीधा कारण होता है इसमे विटामिन सी की भरपूर मात्रा, विटामिन सी इम्युनिटी बूस्टर मानी जाती है।

इसके एंटीऑक्‍सीडेंट गुण ठंड, बुखार और बार-बार होने वाले संक्रमणों से हमारी सुरक्षा करते हैं।

डायजेस्टिव सिस्टम को सुधारे

आंवला हाई फाइबर माना जाता है, और फाइबर पेट के पाचन के लिए बहुत ही जरूरी होता है। तो यदि आप रोज आंवले का सेवन करते है तो शायद ही आपको कब्ज की समस्या परेशान करें।

इसके अलावा असंतुलित भोजन, अनियमित दिनचर्या और अपच एसिडिटी का कारण बन सकते हैं। आंवला इससे छुटकारा दिलाने में आपकी मदद करेगा।

हार्ट के लिए फायदेमंद

रिसर्च कहती हैं कि आंवले में विटामिन सी और बायोएक्टिव Phytoconstituents होते हैं। ये केवल अन्य रोगों से लड़ने में शरीर की मदद नही करते बल्कि हृदय रोग से भी बचाव करते है।

आंवले में क्रोमियम, जिंक और कॉपर पाया जाता है जिनमे से क्रोमियम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके, हृदय रोग से बचाता है।आंवला मुरब्बां रक्त् वाहिकाओं की सूजन को कम करने में मदद करता है.

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करें

ऐसा माना जाता है कि आंवला या आंवला मुरब्बा बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। लेकिन कोलेस्ट्रॉल के लिए यदि आप आंवला मुरब्बा लेने की सोच रहे है तो पहले डॉक्टर से विचार विमर्श करें।

आंखों को फायदा करें

नियमित आंवला मुरब्बा का सेवन आंखों के लिए लाभदायक होता है। हालांकि, इसका कौन-सा गुण आंखों के लिए फायदेमंद होता है यह अभी शोध का विषय है।

आंखों को फायदा करें
आंखों को फायदा करें

जवां रखे

एंटीएजिंग क्रीम में डाले जाने सभी तत्व जैसे कि विटामिन A, विटामिन C और विटामिन E की अच्छी मात्रा आंवला में मौजूद रहती है।इन्ही तत्वों के कारण आंवला त्वचा को युवा दिखाता है. त्वचा में चमक लाता है।

विटामिन सी के कारण यह चेहरे से काले धब्बे और मुँहासों के निशानों को भी हटाता है. एंटी-एस्ट्रिंजेंट गुणों के कारण त्वचा को ठंडक देता है।

खून की कमी दूर करें

रोज एक से दो आंवले का सेवन आपको खून की कमी से दूर रखता है। खासतौर पर महिलाएं यदि माहवारी के समय इसका सेवन करे तो ये बहुत ही लाभप्रद है। ये महिलाओं में हीमोग्लोबिन की कमी नही होने देता। आंवले का मुरब्बा मासिक धर्म में होने वाली ऐंठन को कम करने के लिए भी मदद करता है। आंवला मुरब्बा को किसी भी समय सीधे खाया जा सकता है।

गर्भवती महिला को फायदा

यदि गर्भवती महिला आंवले मुरब्बे का सेवन करती है तो डिलीवरी के बाद बाल झड़ने की समस्या से बचाव होता है। साथ ही गर्भस्थ शिशु की आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है।

इसके अलावा आंवला का मुरब्‍बा हड्डियों को मजबूत करने, खून को बढ़ाने, स्‍मृति को बढ़ाने जैसे बहुत से स्‍वास्‍थ्‍य लाभ प्रदान करता हैं.

एक बात का रखे ध्यान

आंवला मुरब्बा में मीठे की मात्रा बहुत अधिक होती है, इसलिए डायबिटीज के मरीज इसका सेवन सोच समझ कर करे। उनके लिए आंवला किसी अन्य रूप में बहुत ही लाभदायक होगा।

कैसे सुरक्षित रखे

आंवला मुरब्बा को कमरे के तापमान पर 5 महीने तक स्टाेर करके रखा जा सकता है

सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करें-Saans Lene Me Dikkat Ho To Kya Kare

सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करें

जिन व्यक्तिओ को सांस लेने में तकलीफ होती है उनका जीवन कितना मुश्किल होता है, वही लोग समझ सकते है। सांस लेने में दिक्कत होने के बहुत कारण होते है। कभी ये दिक्कत टेम्पररी होती है कभी परमानेंट। इसका इलाज भी इसके होने के कारण पर निर्भर करता है।सांस लेने में दिक्कत होना किसी खास बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। ये स्थिति परिस्थिजन्य भी हो सकती है, जैसे एक्सरसाइज, या पॉल्युशन के कारण। आज इस आर्टिकल में हम आपको सांस लेने में तकलीफ से जुड़ी सारी जानकारी देंगी। इस लेख में सांस लेने में तकलीफ होने पर क्या होता है, सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करना चाहिए और सांस फूलने पर डॉक्टर के पास कब जाएं के बारे में बताया गया है।

सांस लेने में दिक्कत होने के कारण

  • सांस की नली में सूजन, या इंफेक्शन, अस्थमा, निमोनिया या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
  • बहुत अधिक वजन बढ़ना
  • हर समय तनाव महसूस करना
  • थाइरोइड,पीसीओडी जैसी हार्मोनल समस्या में सांस लेने की दिक्कत होती है।

सांस लेने ने दिक्क्क्त होने पर व्यक्ति कैसा महसूस करता है।

  • ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए व्यक्ति तेज-तेज सांस लेने लगता है।
  • चूंकि शरीर के जरूरी अंगों तक ऑक्सिजन नही पहुचती इसलिए होठों, उँगलियों और नाखूनों का रंग हल्का नीला हो जाता है।
  • व्यक्ति को एंग्जायटी हो जाती है और वो चिंतित महसूस करता है।
  • क्योंकि ऑक्सीजन सही से ब्रेन में भी नही जाती इसलिए व्यक्ति को चक्कर महसूस होने लगते है।
  • नॉर्मल टेम्परेचर में भी तेजी से पसीना आता है।
  • हार्ट को ब्लड पंप के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, इस कारण छाती में दर्द महसूस होता हैं।
  • व्यक्ति सुस्त करता है।
  • सही से सांस लेने के लिए व्यक्ति कम्फर्टेबल पोजीशन लेता है।
  • खांसी आने लगती है,कई बार खांसी के साथ खून भी आता है। साथ ही उबकाई महसूस होती है।
  • दिल की धड़कन तेज होने के साथ, सांस लेने में आवाज आने लगती है।
    सांस लेने में दिक्कत
    सांस लेने में दिक्कत

किसी दूसरे को सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करें

  • अगर आपके सामने किसी की सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो, बिना किसी देर डॉक्टर से सम्पर्क करे। पीड़ित व्यक्ति को बिना विलम्ब डॉक्टरी सहायता पहुचाने की कोशिश करें।
  • इसके अलावा आप यदि प्राथमिक चिकित्सा जानते हैं, तो जल्द से जल्द इसका प्रयोग करें
  • व्यक्ति को धीरे धीरे सहारा देकर बिठा दे। पीठ की तरफ कुछ सपोर्ट जरूर दे।
  • व्यक्ति की सांस और नब्ज देखें।अगर व्यक्ति की सांस की गति बहुत ही कम है तो उसे सी पी आर देने की कोशिश करें।
  • पीड़ित व्यक्ति के कपडो को ढीला करें और आसपास लोगो को इकट्ठा ना होने दे।
  • सबसे पहला और जरूरी काम व्यक्ति को तनावमुक्त करें। ढांढस बांधे।
  • अगर व्यक्ति सांस लेने में आवाज करना बंद कर दे तो यह न समझें कि उसकी हालत सुधर रही है। उसे अभी भी मदद की जरूरत हो सकती है।

क्या करें जब आप खुद तकलीफ में हो।

  • सबसे पहले बिल्कुल तनाव ना ले, तनाव परिस्थिति को खराब कर देगा।
  • यदि आपको सांस फूलने की दिक्कत सिगरेट, पॉल्युशन के कारण हैं, तो इस कारण को दूर करे।
  • स्वच्छ व खुले वातावरण में जाये। लम्बी लम्बी सांसे ले।
  • अपनी नाक से सांस अंदर लें और होठों को गोल करके सांस बाहर छोड़ें।
  • अगर आपको अस्थमा है या डॉक्टर के द्वारा बताया गया है, तो इनहेलर का उपयोग करें।

निम्न परिस्थितियों में तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें

  • कोई भी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के कारण सांस लेने में दिक्कत हो तो।
  • 2 हफ्ते से अधिक जुकाम हो तो या सीधे लेटने पर सांस लेने में दिक्कत होना।
  • सांस लेने में तकलीफ के साथ खांसी में खून आना।
  • सांस फूलने के साथ तेज बुखार, ठण्ड लगना और खांसी होना।

सांस में दिक्कत होने पर क्या करें घरेलू उपाय

आप निम्न घरेलू उपाय को अपनाकर आराम महसूस कर सकते है। लेकिन इन उपायों को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले। साथ ही अपनी दिक्कत का कारण भी ध्यान में रखे।

  • आयुर्वेदिक काढ़े और हर्बल चाय का नियमित तौर पर प्रयोग करें। दिन में गुनगुने पानी का सेवन करें।
  • प्राणायाम, ध्यान और योग करें। वॉकिंग और रनिंग करें। इससे आपको अपने लंग्स को मजबूत बनाने में सहायता मिलेगी।
  • दिन में कुछ समय बाहर खुले वातावरण में बिताए।
  • हफ्ते में दो बार भाप ले।
  • अदरक का सेवन करें, चाय के रूप में या कच्चा चबाए।
  • जूस या सलाद के रूप में चुकंदर का सेवन करे।

मोटापा बढ़ाने के तरीके, दुबलापन कैसे दूर करे-Sehat Banane Ke Upay

दुबलेपन को दूर कैसे करें

आज के समय लोग खानपान पर मुख्य ध्यान नहीं देते हैं। साथ ही अपने शरीर को भी समय नहीं देते हैं। उसकी वजह से ही लोग मोटापा यह दुबलेपन के शिकार हो जाते हैं, और ज्यादा मोटा आदमी भी अच्छा नहीं होता है, और अगर आदमी हद से भी ज्यादा दुबला हो तो वह भी कमजोर नजर आता है। यह समस्या आज के समय में आमतौर देखी जाती है और इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए हर व्यक्ति सोचता रहता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि दुबलापन कैसे दूर करे।

दुबलापन का कारण

दुबलेपन से छुटकारा कैसे पाएं कुछ जानने से पहले आपको बता दें, कि दुबलेपन के क्या क्या कारण होता है।

जिसकी वजह से व्यक्ति दुबलेपन से ग्रस्त हो जाता है। शरीर दुबला होने के बाद व्यक्ति कमजोर हो जाता है, और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत कम हो जाती है।

  • हमेशा मानसिक तनाव में रहना
  • पाचन शक्ति कमजोर होना
  • किसी बीमारी से ग्रस्त होना
  • पेट में कीड़े होना
  • सही समय पर भोजन नहीं करना
  • हार्मोन का असंतुलन
  • तंबाकू या किसी दोस्त से नशीले पदार्थ का सेवन करना
  • बहुत कम नींद लेना

दुबलेपन के कुछ यह कारण है। इन कारणों की वजह से व्यक्ति दुबलेपन से ग्रस्त हो सकता है।

दुबलापन कैसे दूर करे

दुबलापन दूर करने के लिए आहार-Mota Hone Ke Liye Kya Khaye

शरीर तभी विकास कर सकता है, जब वह स्वस्थ रह सकता है। इसलिए स्वस्थ भोजन का सेवन करें, शरीर को मजबूत बनाने के लिए अच्छी डाइट की जरूरत होती है, और स्वस्थ व स्वादिष्ट आहार शरीर के दुबलेपन को दूर करने में मदद करता है। अगर आप मोटा होना चाहते हैं या वजन बढ़ाना चाहते हैं तो नीचे लिखी बातों को अपनाये।

दुबलेपन को दूर करने के लिए उच्च कैलोरी वाले भोजन का सेवन करना चाहिए, इसलिए आपको अंडा, मीट, मछली, डेयरी उत्पादक जैसे दूध, दही, पनीर आदि को नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

इसके अलावा आप चॉकलेट और मिठाइयों का भी सेवन कर सकते हैं।

फाइबर वाले भोजन करें

शरीर में दुबलेपन को कम करने के लिए फाइबर वाले भोजन का सेवन करना चाहिए। फाइबर से रक्त में कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। उच्च फाइबर वाली सब्जियां, फल व दालों को अपने आहार में अवश्य शामिल करें।

जंक फूड से रहे दूर

शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक फूड जंक फूड को माना जाता है। जंक फूड से शरीर में कई बीमारियां भी उत्पन्न हो जाती है, और पाचन क्रिया को भी जंग फूड खराब कर देते हैं।

इसलिए अगर आप दुबलेपन को दूर करना चाहते हैं, तो जंक फूड का सेवन बिल्कुल भी ना करें।

जंक फूड से रहे दूर
जंक फूड से रहे दूर

आलू से बने पदार्थ खाएं

दुबलेपन को दूर करने के लिए आलू सबसे बढ़िया होता है। आलू में वसा, कैलोरी और फाइबर पाए जाते हैं। जो शरीर में फैट को जल्दी बढ़ाने में मदद करते हैं। इसलिए उबले आलू, आलू की सब्जी आदि का सेवन अवश्य करें।

भरपूर पानी पियें

शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने के लिए पानी बहुत महत्व होता है। शरीर में पानी का लेवल सही होने से शरीर हाइड्रेट जाता है, और आपको भूख भी ज्यादा लगती है।

पानी आपके शरीर में पाचन को बेहतर बनाता है। इसलिए दिन में कम से कम 2 लीटर पानी अवश्य पियें।

दुबलापन कैसे दूर करे-दुबलेपन को दूर करने के व्यायाम

जोगिंग करें

शरीर ज्यादा हिलाता डुलता नहीं है, तो शरीर में कमजोरी पड़ जाती है। इसलिए शरीर को फिट और स्वस्थ रखने के लिए जोगिंग करना बहुत ही जरूरी होता है।

पुश-अप करें

शरीर की मांसपेशियों और भुजाओं को मजबूत बनाने के लिए पुश-अप बहुत ही कामगार होती है। इसलिए आप नियमित रूप से पुश-अप करें।

पुल-अप करें

भुजाओ और चेस्ट को मजबूत बनाने के लिए पुल-अप बहुत कारगर होता है। इसलिए आप भी नियमित रूप से पुल अप अवश्य करें।

नींद ले

दुबलेपन को ठीक करने का सबसे महत्व को व्यायाम नींद लेना होता है। आप फ्री माइंड से भरपूर नींद लें, ज्यादा नींद से शरीर में कोई तनाव नहीं रहता है। इसलिए आपको ज्यादा मात्रा में नींद लेनी चाहिए।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस पीने से क्या होता है?-horlicks ke fayde

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस पीने से क्या होता है?

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस को दौड़ की आधुनिक दिन-प्रतिदिन की जीवन शैली को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। मिलावट के इस युग में जब कुछ भी शुद्ध नहीं मिलता। न फल और न सब्जी। हमें अपने शरीर के आवश्यक प्रोटीन विटामिन के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस को हमारे शरीर की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर को विशेष रूप से प्रोटीन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। यह आज की भागदौड़ भरी जिंदगी के उन युवाओं के लिए खास तौर पर बनाया गया है, जिनके पास समय पर खाने-पीने का भी समय नहीं है, इसलिए हम भूल जाते हैं कि वे सब्जियां और फल खाकर समय बिताएंगे।

समय की कमी के कारण उन्हें जो मिलता है वो खा लेते हैं। इनका ज्यादातर खाना जंक फूड होता है। जिससे पेट तो भर जाता है, स्वाद भी आता है, लेकिन शरीर के लिए जरूरी विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स नहीं मिल पाते। हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर शरीर को आवश्यक प्रोटीन, खनिज और विटामिन प्रदान करके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

खिलाड़ी और एथलीट स्वास्थ्य पेय की तलाश में हैं जो शरीर की प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। लगातार व्यायाम से होने वाली थकान को दूर करें। और शरीर के मसल्स मास को बढ़ाएं। ये सभी हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस की विशेषताएं हैं।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस क्या है

हॉर्लिक्स एक प्रोटीन प्लस न्यूट्रीशन ड्रिंक है जिसे कामकाजी युवाओं के लिए बनाया गया है। हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस एक की ताकत बढ़ाता है हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस एक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध खाद्य पोषण पेय है जो विशेष रूप से वयस्कों के लिए तैयार किया गया है।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस कैसे काम करता है

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस व्यक्ति की ताकत को बढ़ाता है। उनकी मांसपेशियों को प्राप्त करने में मदद करता है। और यह एक स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखने में मदद करता है। तीस के बाद हम सभी अपने शरीर की मांसपेशियों को खोने लगते हैं। हमारा मसल्स मास कम होने लगता है, हमें बहुत जल्दी थकान होने लगती है, हमें उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन अधिक से अधिक लेना चाहिए ताकि हम अपनी नियमित शारीरिक गतिविधि कर सकें और थकें नहीं।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में पीडीसीएस मानक है

हमारे शरीर का मसल्स मास हमारे प्रोटीन सेवन पर निर्भर करता है। हमारा मसल्स मास इस बात पर निर्भर करता है कि हमने अच्छा प्रोटीन लिया है या नहीं। हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में पीडीसीएस मानक हैं जिन्हें हम प्रोटीन गुणवत्ता संकेतक कहते हैं। इसका उच्च स्कोर हमारे हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के पास है। जो साबित करता है कि हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन प्रोटीन पाउडर है।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में अमीनो एसिड होता है जो हमारे शरीर की सभी जरूरतों को पूरा करता है। वैसे, प्रोटीन अमीनो एसिड के भीतर होता है या हम कह सकते हैं कि अमीनो एसिड वे हैं जो प्रोटीन बनाते हैं। हमारे शरीर में अधिकांश अमीनो एसिड बनते हैं लेकिन उनमें से 9 ऐसे अमीनो एसिड होते हैं जिन्हें हमारा शरीर नहीं बना सकता और जिनका हमें बाहर से सेवन करना पड़ता है। ऐसे अमीनो एसिड को हम आवश्यक अमीनो एसिड कहते हैं। ये अमीनो एसिड हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में पाए जाते हैं। हमारे शरीर को बनाए रखने के लिए अमीनो एसिड के अंदर पाए जाने वाले प्रोटीन। हमारे शरीर की थकान को दूर करने और मसल्स मास को बेहतर बनाने के लिए यह आवश्यक है।

थकान को करे दूर
थकान को करे दूर

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में पाए जाने वाले पोषक तत्व

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में 3 प्रकार के उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं, आइए जानते हैं इसका प्रोटीन अनुपात –

100 ग्राम में 30 ग्राम प्रोटीन
55% कार्बोहाइड्रेट,
23.5 ग्राम चीनी
फैट 2 ग्राम

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस में विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन बी1, विटामिन डी, फॉस्फोरस, केनिन, बिपिन आदि जैसे खनिज होते हैं। इसका सेवन आकार लगभग 30 ग्राम है, जिसमें 10 ग्राम प्रोटीन, 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, वसा पाया जाता है। बहुत कम मात्रा। इसमें कोको पाउडर मिनरल व्हीट ग्लूटेन होता है। हम कह सकते हैं कि हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर अन्य प्रोटीन पाउडर की तुलना में काफी बेहतर है क्योंकि यह प्रोटीन पाउडर इसमें तीन प्रकार के प्रोटीन मिलाकर बनाया गया है बल्कि सोया प्रोटीन को अन्य प्रोटीन पाउडर में मिलाया जाता है लेकिन सोया प्रोटीन के साथ हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर- मट्ठा प्रोटीन भी होता है जोड़ा गया।

मट्ठा प्रोटीन क्या है

व्हे प्रोटीन में चार आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं जो अन्य प्रोटीनों की तुलना में काफी बेहतर होते हैं। ये चार अमीनो एसिड एरिओलिंग, लॉसिंग, मेथ्यूनिन और लाइसिन ये चार अमीनो एसिड मेथ्यूनीन एमिनो एसिड वजन घटाने में मदद करते हैं। लाइसिन अमीनो एसिड मांसपेशियों की वृद्धि को बढ़ावा देता है। सोया प्रोटीन में रजेमिनोर, ट्रिप्टो फैट, फेनिलएलनिन पापा होते हैं।

हार्लिक्स प्रोटीन प्लस में सोया प्रोटीन और व्हे प्रोटीन दोनों के फायदे हैं।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर में कैसिइन प्रोटीन की मात्रा बहुत कम होती है जो एक पाचन प्रोटीन है जो पाचन में मदद करता है। कैसिइन प्रोटीन एक तेजी से अवशोषित होने वाला प्रोटीन है, जिसे दुबले व्यक्तियों के लिए सुबह और शाम दूध के साथ लेने से उनका वजन बढ़ता है और यदि एथलीट इसे व्यायाम के बाद लेते हैं, तो यह मांसपेशियों को टोन करने के लिए उपयोगी होता है।

हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस पीने से क्या होता है? – हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस के लाभ

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर वजन बढ़ाने और वजन घटाने दोनों में फायदेमंद है

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर वजन घटाने या वजन बढ़ाने दोनों में फायदा करता है। इसमें शुगर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर के संतृप्त उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन शरीर के द्रव्यमान को बढ़ाने का काम करते हैं, इसलिए यदि एथलीट वजन कम करने के लिए हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर लेते हैं, तो हमें व्यायाम करने के बाद पानी में हॉर्लिक्स पाउडर मिलाना होगा। प्रचुर मात्रा में प्रोटीन के लिए हमें अंडे की सफेदी के साथ हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर लेना होगा।

ऐसा नहीं है कि हम अंडे के सफेद हिस्से को पानी में तोड़कर उसमें प्रोटीन पाउडर मिलाकर पी लें, हमें या तो अंडे को उबालकर उसका सफेद हिस्सा लेना है या फिर सफेद हिस्से को आधा भून कर खाना है. जिससे हमारे शरीर को पोषण तो मिलता है लेकिन कार्बोहाइड्रेड शुगर की वजह से हमारा वजन नहीं बढ़ पाता। हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर में प्रोटीन होते हैं जो हमारे शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाते हैं।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर बजट के अनुकूल है

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर की कीमत अन्य प्रोटीन पाउडर की तुलना में बहुत कम होती है इसलिए इसे कॉलेज जाने वाले युवाओं से लेकर कामकाजी युवाओं तक हर कोई खरीद सकता है। हॉर्लिक्स प्रोटीन प्लस बच्चों और किशोरों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए भी है। हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर जिम जाने वालों के लिए भी बहुत अच्छा है और इसकी कीमत पर सर्वोत्तम उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन समय प्रदान करता है। उन लोगों के लिए जो एक किफायती प्रोटीन पाउडर की तलाश में हैं जो 6 से 7000 रुपये खर्च नहीं करना चाहते हैं, उनके लिए हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बढ़िया विकल्प है।

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर स्वाद में है बेहतर

हार्लिक्स प्रोटीन पाउडर की एक और विशेषता इसका स्वाद है। हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर अन्य सभी प्रोटीन पाउडर की तुलना में अधिक स्वादिष्ट होता है। हॉर्लिक्स प्रोटीन पाउडर एक बेहतरीन विकल्प है।

क्यों छोड़े धुम्रपान, क्या है बीड़ी छोड़ने के फायदे? सिगरेट छोड़ने के फायदे?

बीड़ी छोड़ने के फायदे

धूम्रपान एक ऐसी आदत है जिसे अच्छा कोई नही मानता, लेकिन करते ज्यादातर लोग है। धूम्रपान के फायदे कोई नहीं है बस नुकसान है है, सब इसके नुकसान जानते है लेकिन छोड़ना नही चाहते। यहां तक कि नई जनरेशन धूम्रपान को स्टाइल स्टेटमेंट मानने से भी गुरेज नही करती। धूम्रपान को ग्लोरीफाई करने में बहुत बड़ा हाथ फिल्मों, वेब सीरीज और नाटकों का भी है।

धूम्रपान के नुकसान तो सभी जानते है। लेकिन क्या आप जानते है कि जब आप धूम्रपान छोड़ते आपके शरीर पर क्या इफ़ेक्ट आता है।
आज इस आर्टिकल में हम आपको सिगरेट छोड़ने के फायदे बताएंगे।

धूम्रपान छोड़ने से शरीर में होने वाले बदलाव

धूम्रपान छोड़ने या आखिरी सिगरेट, बीड़ी पीने के बाद मिनट दर मिनट आपके शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ने लगता है। जिसे लोग धूम्रपान के फायदे समझ लेते हैं, आइए, जानते हैं कि धूम्रपान छोड़ने के बाद कितने समय में हमारे शरीर में क्या-क्या बदलाव आते हैं।

आपको धूम्रपान से होने वाली गम्भीर बीमारियो का खतरा लगभग खत्म हो जाता है। धूम्रपान से होने वाले रोग जैसे, सर्वाइकल कैंसर, मुंह, गले और ब्लैडर का कैंसर, पैंक्रियाज और वॉइस बॉक्स का कैंसर, लंग कैंसर

धुम्रपान छोड़ने के फायदे-Bidi Chodne Ke Fayde

अब आपको संक्षेप में बीड़ी छोड़ने के फायदे मतलब धूम्रपान छोडने के फायदे बताते है।

ओरल हेल्थ

धूम्रपान छोड़ने का असर आपके ओरल हेल्थ पर दिखाई देता है। आपके दांत भद्दे ओर काले रंग से साफ हो जाते है। सांसो से बदबू नही आती। आपका स्वाद बेहतर बनता है।

धूम्रपान छोड़ने से शरीर में हानिकारक केमिकल का स्तर कम होता है। जिससे मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है।

उम्र बढ़ाए

धूम्रपान छोड़ना आपके जीवन काल मे कुछ स्वास्थ्य से भरपूर वर्ष जोड़ देता है। आप अपने लक्ष्य और मंजिल के प्रति उत्साह पूर्वक अग्रसर हो सकते है।

जवां दिखाए

धूम्रपान से त्वचा निस्तेज होती है, चेहरे पर असमय झाईआ और झुर्रियां दिखती है। धूम्रपान छोड़ने से बॉडी को ऑक्सीजन के द्वारा भरपूर न्यूट्रिशन मिलता है। जिससे त्वचा चमकदार होती है, झाइयां दूर होती है और आप खुद को जवां महसूस करते हो।

फर्टिलिटी बढ़ाए

धूम्रपान छोड़ने से यौन शक्ति बढ़ने के साथ साथ स्पर्म क्वालिटी और क्वांटिटी बढ़ती है। फर्टिलिटी इम्प्रूव होती है। महिलाओं में यूट्रस लेयर बेहतर बनती है।

डिप्रेशन कम होता है

लोग कहते है कि धूम्रपान करने से तनाव कम होता है। जबकि यह पूर्णतया गलत है। जो चीज़ शरीर को नुकसान पहुँचा रही है वो मानसिक शक्ति को कमजोर ही करेगी।

इसलिए धूम्रपान छोड़ने से आपको तनाव, अवसाद और डिप्रेशन से आराम मिलेगा। जो की धूम्रपान के फायदे नहीं है बल्कि नुकसान है।

एनर्जी बढ़ाये

धुम्रपान छोड़ने से बॉडी में ऑक्सीजन का फ्लो बहुत बेहतरीन हो जाता है। जिससे पूरे शरीर को विटामिन्स एंड मिनरल्स अच्छी तरह से मिलते है। जिससे आपको एक नई ऊर्जा का अहसास होगा।ऑक्सीजन की इस भरपूर आपूर्ति के कारण मसल्स भी मजबूत होती है, इस कारण किसी भारी काम को करने की क्षमता बढ़ जाती है।

ये थे धूम्रपान छोड़ने के फायदे अब आप समझ ही गए होंगे। धूम्रपान छोड़ने के केवल फायदे है नुकसान नही होता।

धूम्रपान क्या होता है

धूम्रपान एक नशा है। जिसे हमारे पूर्वज भी करते आए हैं तंबाकू एक पत्ता है जिसे सुखा कर खाने से या उसको जलाकर उसके धुए को सूंघने ने से या घूंट मार कर पीने से नशा होता है। पहले लोग तंबाकू को हुक्के में डालकर पिया करते थे। इसमें हुक्के में नीचे अंगार रखे जाते थे जोकि गोबर के कंडे के होते थे। उसके ऊपर तंबाकू रखा जाता था और फिर एक लंबी सी डंडी से उस तंबाकू को घूंट घूंट कर के पिया जाता था।अब लोग बीड़ी या सिगरेट पीना पसंद करते हैं

धूम्रपान के बाद फेफड़ों को कैसे साफ करें?

धूम्रपान के बाद फेफड़ों को साफ करने के लिए कुछ लोग अदरक या इलायची चबाते हैं। ऐसा वे धुए की दुर्गंध उनके मुंह में लंबे समय तक ना बनी रहे इसलिए करते हैं। इसके साथ साथ ये उत्पाद आपके फेफड़ों को सुरक्षित रूप से साफ करने का काम करते हैं । अदरक में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जोकि आपके फेफड़ों को साफ करने में मदद करते हैं। इलायची, हल्दी, सेब लहसुन, ग्रीन टी आदि ऐसे ही प्राकृतिक उत्पाद है। जिनके औषधीय गुण फेफड़ों को साफ करने में मददगार होते हैं। ये शरीर को अंदर से डिटॉक्सिफाइड करते हैं। यदि आपने हाल ही में स्मोकिंग छोड़ दी है, तो फेफड़ों को पहले की तरह साफ और स्वस्थ करने के लिए एक्सरसाइज करें, हर दिन 8-10 गिलास पानी पिए, एंटीइंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर फ़ूड जैसे पालक, ब्लूबेरी, ग्रीन टी, चैरी, बादाम और ऑलिव का सेवन करे।

धूम्रपान क्यों नहीं करना चाहिए

धूम्रपान करने से हमारे शरीर में निकोटीन और अन्य कई खतरनाक रसायनिक पदार्थ अपनी जगह बनाने लगते हैं। इस धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि अनेक रेडियोधर्मी यौगिक तत्व पाए जाते हैं। हमारे फेफड़ों में इन यौगिक पदार्थों की एक परत बनने लगती है। और कुछ समय बाद हमारे फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं। जिसके कारण हमें 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं। ।तंत्रिका तंत्र की बीमारियां होने लगती हैं। है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को थायराइड, कफ, खांसी, सांस फूलना, ब्लड प्रेशर आदि रहने लगत है।मधुमेह और आंखों की समस्याएं भी रहने लगती है।

धूम्रपान छोड़ने के बाद क्या होता है?

यदि आप चेन स्मोकर है और हर 20 मिनट बाद धूम्रपान करते है। तो अगर आप आधे घण्टे से एक घण्टे तक धूम्रपान नही करेंगे तो आपकी हृदय गति, पल्स रेट और ब्लड प्रेशर सामान्य स्थिति में आने लगेगा। यदि आप लगातार 8 से 10 घण्टे धूम्रपान न करे तो आपके खून में निकोटीन और कार्बन मोनोऑक्साइड का लेवल कम होता चला जायेगा 24 से 48 घंटे बाद शरीर में ऑक्सीजन की क्वालिटी और क्वांटिटी सामान्य होने से ब्लड वेसल्स स्वस्थ होने लगती हैं। जिससे फेफड़े म्यूकस और अन्य स्मोकिंग के कणों को बाहर करके साफ होने लगते हैं। 72 घण्टे से 1 महीने बाद फेफड़ों की कार्यक्षमता सुधरने लगती है। जिससे आपको वाकिंग, रनिंग, एक्सरसाइज करने में होने वाली परेशानी कम हो जाती है और सांस फूलना कम हो जाता है। 9 महीने से एक साल बाद आपके शरीर मे किसी भी प्रकार का टॉक्सिन्स नही बन पाता। और आपको दिल की बीमारी होने का खतरा स्मोकिंग करने वाले व्यक्ति के मुकाबले आधा हो जाता है। यदि आप डेडिकेशन से धूम्रपान छोड़े रखते है तो, आपका शारीरिक सिस्टम एक कभी भी धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति के जैसे काम करने लगता है।

धूम्रपान करने से कौन सा रोग होता है?

सही मायनों में धूम्रपान एक धीमा जहर है, जो विषैले तत्वों को शरीर मे प्रवेश कराता है। इसके नुकसान इग्नोर करने का सबसे बड़ा कारण है इसका बुरा असर देर से दिखाई देता है। इंसान की आंखे तब खुलती है जब वो कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर, लंग इंफेक्शन जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो जाता है।

तंबाकू के फायदे

तंबाकू में निकोटिन पाया जाता है जोकि अल्जाइमर, डिमेंशिया जैसी बीमारियों के इलाज में मददगार होता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग धूम्रपान का सेवन करते हैं उनको अल्जाइमर होने की संभावनाएं काफी कम होती है। इसके अलावा धूम्रपान करने वाले लोगों को लगता है कि इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। उनको कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। कुछ महिलाएं इसे महिला सशक्तिकरण का प्रतीक मानने लगी है। धूम्रपान को लोग एक तनाव मुक्ति एवं मनोरंजन का साधन मानते हैं , कार्य की थकान से खुद को रिलैक्स करने के लिए भी वे धूम्रपान करते हैं।

धूम्रपान के नुकसान

धूम्रपान करने से निकोटीन हमारे फेफड़ों से होता हुआ हमारे पूरे शरीर में फैलने लगता है। जिसके कारण धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को कैंसर व अनेक बीमारियां हो जाती हैं। मुख्य तौर पर यह कैंसर गले का कैंसर फेफड़ों का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर होता है । तंत्रिका तंत्र की समस्याएं, हृदय रोग, टीवी और फेफड़ों की अन्य बीमारियां भी हो सकती है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को खांसी और कफ, दमा की समस्या तो हमेशा ही रहती है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक, थायराइड वा मधुमेह की संभावना सर्वाधिक होती है।धूम्रपान करने से मोतियाबिंद भी हो सकता है।

अचानक से सिगरेट छोड़ने के नुकसान

जब आप अचानक से सिगरेट छोड़ते हैं तो आपके शरीर मैं बेचैनी और चिड़चिड़ापन होने लगता है। आपके आपके हाथ पैर कांपने लगते हैं। ‌ सिगरेट ना मिलने पर आप व्याकुल होने लगते हैं। आप के सर में चक्कर आते हैं वे हर दर्द रहने लगता है। आपको ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है। आपको काफी गुस्सा आता है। आप चिड़चिड़े हो जाते हैं और आपका मन उदास रहता है। खाना खाने का मन नहीं करता। कुछ लोगों को बहुत भूख लगती है। मुंह में छाले रहने लगते हैं। कब्ज सर्दी जुकाम खांसी आदि भी समस्याएं होने लगती है।

सीगरेट पीने के बाद क्या खाना चाहिए

धूम्रपान के बाद सबसे ज्यादा नुकसान हमारे फेफड़ों को होता है। हमारे पास कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ है जो फेफड़ों को साफ करते हैं और इस नुकसान को कम करने का प्रयास करते हैं। हमें धूम्रपान के बाद अपने भोजन में इन सभी का प्रयोग करने की आदत डाल लेनी चाहिए। ग्रीन टी एक ऐसा पेय पदार्थ है जो कि एन्टीआक्सीडेंट से भरपूर है। हरी पत्तेदार सब्जियां हमारे शरीर की रक्त वाहिनीयों को साफ करती है। इन्हें सलाद की तरह या भोजन में अवश्य लें। सेब एक ऐसा फल है जो विटामिन ऑन एंटी एक्सीडेंट से भरपूर होता है।

धूम्रपान छोड़ने की दवा

डॉक्टर आपको धूम्रपान छोड़ने की अनेक दवाई बताएंगे लेकिन अगर हम चाहे तो हमारे पास घर में भी काफी कुछ है। जिसे अपनाकर हम इस बुरी आदत को छोड़ सकते हैं। अगर हम जब धूम्रपान की इच्छा करें तब सौफ चबएं। अदरक आंवले का चूर्ण, मुलेठी का पाउडर को जब धूम्रपान की इच्छा हो तब थोड़ा-थोड़ा खा ले।।मूली के रस व शहद को मिलाकर दिन मैं दो बार पीये। धूम्रपान करने वाले लोगों की संगत से बचें। अगर आप इन नियमों का पालन करेंगे तो कुछ समय बाद आपकी धूम्रपान करने की इच्छा अपने आप समाप्त हो जाएगी।

धूम्रपान कितने प्रकार का होता है?

एक्टिव स्मोकिंग में व्यक्ति स्वयं धूम्रपान करता है जिसके कारण उसे धूम्रपान के कारण नुकसान उठाना पड़ता है। पैसिव स्मोकिंग में धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के कारण उसके साथ रहने वाले व्यक्ति को नुकसान होता है। पैसिव स्मोकर को लंग कैंसर का खतरा होने लगता है इसके अलावा पैसिव स्मोकर की इम्यूनिटी वीक होने लगती है। ऐसे व्यक्ति को दिल की बीमारियां भी रहने लगती है।

क्या आपको भी भूख न लगने की समस्या है? जानिए भूख लगने के घरेलू नुस्खे

भूख लगने के घरेलू नुस्खे

जब कोई बोलता है कि उसे भूख नही लगती तो इस बात को बहुत ही सरलता से लिया जाता है। जबकि भूख न लगना कई समस्याओं का कारण हो सकता है। बहुत से ऐसे लोग है जिनके खुलकर भूख नहीं लगती । डायजेस्टिस सिस्टम का सही से काम न करना, पेट मे कोई संक्रामक रोग हो जाना, भय, चिंता, तनाव, खून की कमी, लिवर की बीमारी इन सब कारणों से खुलकर भूख नहीं लगती।

भूख नहीं लगने का घरेलू उपाय

भोजन कितना भी स्वादिष्ट बना हो, व्यक्ति भोजन को देखते ही मुँह बनाने लगता है, वह न तो पेट भर खाता है ना मन से खाता है। शुरू में अरुचि के कारण भोजन कम करने की आदत धीरे धीरे परमानेंट हो जाती है। भूख न लगने के कारण व्यक्ति का वजन दिन ब दिन कम होने लगता है। भोजन में अरुचि, भूख न लगने के कारण या भूख कम लगने के अन्य कारण है।

भूख नहीं लगने का कारण

इमोशनल पेन, डिप्रेशन, हार्मोनल असंतुलन, बीमारियों के कारण, भोजन विकार, अरूचि पूर्ण भोजन, शारीरिक और मानसिक कमजोरी।
जब व्यक्ति को खुलकर भूख नहीं लगती तो वो खाने की प्लेट लिए बैठा रहता है, एक दो टुकड़े खाकर हट जाता है। बिना कुछ खाए ही खट्टी डकारें आने लगती है। धीरे धीरे कमजोरी आकर छोटे और साधारण कामो में भी दिक्कत होने लगती है।

भूख लगने के घरेलू नुस्खे -Bhukh Lagne Ke Gharelu Nuskhe In Hindi

आज हम आपको भूख लगने का घरेलू उपाय बतांएगे जो की बिलकुल घरेलु है, और आप आसानी से कर सकते हैं

आंवला-ज्यादा भूख लगने के लिए क्या खाएं?

आयुर्वेद में आंवले को बहुत सी चीज़ों के लिए फायदेमंद माना गया है, विटामिन सी की प्रचुरता इम्युनिटी बढ़ाती है। यह लिवर को साफ रखने में मदद करता है। आप आंवले का जूस, आंवला कैन्डी, या आंवले का मुरब्बा के रूप में ले सकते है। मुनक्का और आंवला 10-10 ग्राम को एक साथ पीसकर मुंह में रखकर चूसने से भूख लगने लगती है।

दालचीनी और सूखे आंवले को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण दिन में 2 बार सेवन करे, आंवले का जूस रोज सुबह पीए। अगर आपके यहाँ आंवले का पेड़ है जिस पर फल नही हो तो आप, सुबह खाली पेट आंवला के 5-6 ग्राम पत्ते को सेंककर खूब चबा-चबाकर खाए।

अदरक-सबसे ज्यादा भूख कैसे लगती है?

अदरक को हमेशा से भूख बढ़ाने वाला माना जाता है, अदरक को कई प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे अदरक के रस को निम्बू मिलाकर चाटे, इसके अलावा अदरक के टुकड़े पर सेंधा नमक लगाकर चूसे, साबुत धनिया और अदरक को कूट कर पानी मे उबाले। दिन में तीन बार इस पानी को 50 ml पिए।

नींबू-क्या खाने से भूख बढ़ेगी?

भूख बढ़ाने की दवा के रूप में नींबू का प्रयोग किया जा सकता है। निम्बू के साथ काले नमक और भुने जीरे की शिंकनजी बनाकर पिए। या फिर आधा निम्बू काटकर उसे आंच पर सेक ले, गर्म निम्बू पर भुना और पिसा हुआ जीरा व काल नमक छिड़के। इसे बून्द बून्द करके मुँह में निचोड़ लें।

नींबू के एक चम्मच रस में थोड़ी कालीमिर्च व सेंधा नमक का चूर्ण मिलाकर भोजन से पहले गर्म करके पीने से भूख खुलकर लगती है।

पीपल

पीपल के पेड़ पर आपने कभी न कभी पके फल देखे होंगे, यदि आप इन पके फलों का सेवन करते है तो आपको कफ, पित्त, रक्तदोष, विषदोष, जलन, उल्टी तथा अरूचि से मुक्ति मिलेगी और भूख भी बढ़ेगी।

3 ग्राम पीपल, 7 ग्राम टाटरी, 1ग्राम हींग, 1 ग्राम भुना हुआ सफेद जीरा और 30 ग्राम मिश्री को साथ मे पीस ले। इस चूर्ण को कम से कम दिन तीन बार आधा चम्मच ले।

मेथी-भूख ना लगे तो क्या खाना चाहिए

रात को एक चम्मच मेथी भिगो दें, सुबह मेथी फूल जाएगी, सुबह उठकर खाली पेट आधा चम्मच मेथी का सेवन करें। आप चाहे तो मेथी को छलनी में अंकुरित भी कर सकते है, इसके लिए मेथी को छलनी में भिगोए और अंकुरित होने तक पानी देते रहे। चाहे तो मेथी को घी डालकर भून लें, फिर उसे पीसकर एक कांच की शीशी में रख ले। अब इस चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर ले।

अनार या अनारदाना-भूख कैसे बढ़ाएं

भूख बढ़ाने के अनार में जूस बहुत फायदेमंद होता है, अनार के जूस में कालानमक और भुना जीरा मिलाकर पी ले। अनारदाना भी स्वाद को बेहतर बनाकर अरुचि दूर करता है। पर याद रखें, कब्ज में अनार का इस्तेमाल सोच समझ कर करें। यह कब्ज को बढ़ा सकता है।

सेब-भूख बढ़ाने की जड़ी बूटी

रोज सुबह एक सेब का सेवन करें। आप चाहे तो कच्चे सेब की चटपटी सब्जी भी बना सकते है। अगर खाना देखकर आपका जी मिचलाता है तो सुबह खाली पेट सेब की फांक पर काला नमक और भुना जीरा डालकर खा ले।

लालमिर्च-ज्यादा भूख लगने के लिए क्या खाएं?

लालमिर्च को नींबू के रस में पीसकर लगभग आधे-आधे ग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। इस 1-1 गोली प्रतिदिन पान में रखकर 40 दिनों तक खाने से भूख खुलकर लगती है।

संतरा-क्या खाने से भूख बढ़ेगी?

संतरे का जूस पिये उसमे काला नमक डाल लें, संतरे को बिना जूस निकाले खाने में ज्यादा फायदा होता है। इसके अलावा फालसा, जामुन भी खाए।

इन सब उपायों के अलावा निम्न उपाय भी अपनाए

  • योगा, प्राणायाम व एक्सरसाइज करें।
  • पौष्टिक आहार और नियमित व्‍यायाम के साथ ही आप अपनी नींद पर नियंत्रण रखें। अच्‍छी भूख के लिए समय पर सोना और सुबह जल्‍दी उठना भी फायदेमंद होता है।
  • भोजन का समय निश्चित रखे।
  • मोटे आटे की रोटियां खाए।
  • खाने में पुराने चावल का इस्तेमाल करे।
  • स्विमिंग करे, मॉर्निंग वॉक करे
  • सड़ी-गली और बासी चीजें नही खानी चाहिए। गंदा पानी नहीं पीना चाहिए।
  • तनाव, डर और चिंता को दूर करे।
  • भूख न लगने का कारण ढूंढे और इलाज करवाए।

सामान्य प्रश्न

भूख बढ़ाने की जड़ी बूटी, भूख कैसे बढ़ाएं

भूख बढा़ने की जडी़ बूटी आपकी रसोई में ही मिलती है, बडी इलाइची, आंवला, इमली, अजवाइन, सौंफ, अदरक, हींग और लहसुन. .! आइये जानते हैं इन्हें कैसे प्रयोग करें, *इलायची को अच्छी तरह से पीस लें। बच्चों को इसे दूध में मिलाकर पीने को दें। * एक गिलास पानी में आंवला डालें और इसे गर्म कर लें। अब इस पानी में शहद मिलाकर बच्चे को पीने को दें। इससे पाचन शक्ति बढ़ेगी! * इमली की पत्ती की चटनी बनाकर खिलाएं। ये वातहारक होती है। * गुनगुने पानी के साथ अजवाइन पीसकर खिलाएं। यह पाचन प्रणाली पर प्रभावी तरीके से काम करता है। अजवाइन में मौजूद गुण एंटी फ्लैटुलेंस पाचन एंजाइमों के स्त्राव में भी सहायक होते हैं, जो भूख को बढ़ाते हैं। * सौंफ पाचन को भी दुरुस्त करता है। भूख बढाने को आप सौंफ और मिश्री खिला सकते हैं। * भूख बढ़ाने के लिए अदरक का रस ले सकते हैं । * डाइट में हींग और लहसुन को जरूर शामिल करना चाहिए।

भूख बढ़ाने की आयुर्वेदिक सिरप

आजकल बाजार में बहुत से सीरप हैं जो भूख बढाने के लिए दिए जाते हैं, इन्हें एप्टीवेट व एप्टिमस्ट नाम से जाना जाता है। इनके सेवन के तरीके भी इन्हीं की बोतल पर अंकित होते हैं। लेकिन ये कितने प्रमाणिक हैं ये कहा नहीं जा सकता। क्योंकि इनके बारे कोई भी रिसर्च प्रमाणिक तौर पर उपलब्ध नहीं है, इसलिए आप इन्हें जरूर आजमायें लेकिन लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें ।
इसके अलावा कईं कम्पनियों के लीवर टोनिक भी भूख बढ़ाने के लिए दिये जाते हैं।

भूख ना लगे तो क्या खाना चाहिए , ज्यादा भूख लगने के लिए क्या खाएं? , क्या खाने से भूख बढ़ेगी?, अगर भूख ना लगे तो क्या खाएं?

आइये जानते हैं भूख बढ़ाने के कुछ आसान नुस्खें। •अदरक भूख बढानें में सहायक होता है, इसका रस भोजन से पहले आप ले सकते हैं या इसके छोटे छोटे टुकड़े काटकर नींबू के रस में भिगोकर खाने से पहले खाएं, स्वाद के लिए हल्का नमक मिला लें।• आंवले के सेवन से भी भूख बढ़ती है, इसके रस को खाली पेट पानी में ले सकते हैं, साथ में नींबू का रस और शहद मिला लें।•खाने से पहले अगर दो-तीन इलायची खूब चबा चबाकर खायी जाये तो भी भूख बढती हैं।• अजवाईन भी पाचन में बहुत सहायक से इसे भोजन से पहले ले सकते हैं, पाउडर की फोर्म में है तो गर्म पानी से ले लें या चबा चबाकर खा सकते हैं तो खा ले और फिर गुनगुना पानी पी लें।

भूख बढ़ाने के लिए योग

भूख बढा़ने के लिए योगासन बहुत लाभकारी होते हैं,आइये जानते है मुख्यतः प्रयोग होने वाले आसनों के बारे में।

* सबसे पहला और जरूरी आसन है पवनमुक्त आसन । कब्ज, अपच और गैस की परेशानी इस आसन को नियमित करने से दूर होती है।
इसे करने का तरीका है कि सीधे लेट जाएं पीठ के बल, सांस सामान्य लें, फिर एक पैर को उठाकर घुटनों से मोड़ते हुए छाती तक लाएं और घुटनों को चेहरे की ठोढी़ से लगाएं। यहीं प्रक्रिया दूसरे पैर के साथ भी करें। इसे दस बार दोहराएं।

*वज्रासन एक ऐसा इकलौता आसन है जिसे खाना खाने के बाद किया जा सकता है। घुटनों के बल बैठ जाएं और तलवों को पीछे फैलाकर एक पैर को अंगूठे को दूसरे अंगूठे पर रख दें। एड़ियों को अलग-अलग रखना है और ध्यान रहें वे कूल्हों को तलवों के बीच में रहें। इसे जितना हो सके उतनी देर करें कम से कम पांच सात मिनट तो जरूर।

*पाचन तंत्र को सहयोग करने वाला एक अन्य आसन है, शशांक आसन। इसका तरीका ये हैं कि, दाहिने पैर को मोड़कर पीछे की ओर दाहिने कूल्हे के नीचे ले जाएं। इसी तरह बाएं पैर से सेम प्रोसीज़र रिपीट करें और बैठ जाएं।फिर सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। अब धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। सिर को नीचे जमीन पर रख लें। अब सांस छोड़ते हुए पहले की स्थिति में वापस आएं।

भूख बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा, अगर भूख ना लगे तो क्या खाएं?

आयुर्वेद में भूख बढ़ाने के निम्नलिखित प्रयोग हैं- *एक गिलास पानी में 3 ग्राम पुदीना, जीरा, हींग, काली मिर्च, नमक डालकर गरम करके पीने से खाने के प्रति हमारी रुचि बढ़ती है। *खाना खाने से आधे घंटे पहले अदरक की चटनी खाएं इससे भूख ना लगने की बीमारी खत्म होती है। *धनिया, छोटी इलायची और काली मिर्च को समान मात्रा में पीसकर उसमें चौथाई चम्मच घी और चीनी मिला लें। इसके बाद इस मिश्रण को खाने से पहले खाएं। *इमली की कुछ पत्तियां लेकर इसकी चटनी बनाकर बनाकर खाने से भूख भी बढती है साथ ही खाना भी हजम होता है।

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