कभी कभी बॉडी टिश्यू में एब्नॉर्मल रूप से कुछ फ्लूइड इकट्ठा हो जाता है। इसे एडिमा या सूजन कहते है। ज्यादतर ये समस्या पैरों में होती है। पैरों में सूजन होने को पिडल एडिमा, कई बार ये समस्या दर्द के बिना या दर्द के साथ भी हो सकती है। पिडल एडिमा अर्थात पैर में सूजन होने रोजमर्रा के कार्यो में रुकावट आती है। दरअसल पिडल एडिमा स्वंय में कोई बीमारी नही है, अपितु कुछ अन्य बीमारी का संकेत हैं। जैसे सर्कुलेटरी सिस्टम, लयमोह नोड्स या लिवर से सम्बंधित बीमारिया।
पैर में सूजन के लक्षण
पैर में सूजन होने पर सूजन के अलावा निम्न लक्षण दिखाई देते है।
- पैर की त्वचा टाइट, चिकनी और चमकदार दिखती है।
- पैर की त्वचा को दबाने पर वहाँ एक टेम्पररी गड्ढा पड़ जाता है, जो प्रेशर हटाने पर फिर से नॉर्मल हो जाता है। ये एडिमा का एक प्रकार है जिसे पिटिंग एडिमा का कहते है।
- टखनों के आस पास भी फुलाव दिखाई देता है।
- पैर के सभी जोड़ो में दर्द व अकड़न होती है।
- पैर की नसें उभरी हुई दिखाई देती है।
- पैर सुन्न महसूस होता है।
- पैर को हिलाने में परेशानी महसूस होती है।
- पैर में खुजली महसूस होती है।
- व्यक्ति असहज महसूस करता हैं।
पैर में सूजन आने का कारण
इन्फ्लामेशन
इन्फ्लामेशन का मतलब होता है, शरीर की खुद को ठीक करने की प्रक्रिया के कारण होने वाली सूजन। इस दौरान जलन, सूजन ओर दर्द महसूस होता है।
मोटापा
जब आपका बी एम आई बहुत ज्यादा होती है, अर्थात मोटापा बहुत ज्यादा होता है तो शरीर के सभी अंगों तक खून का दौरा सही से नही जाता। पैरों तक ब्लड सर्कुलेशन सबसे लास्ट में जाता इस कारण पैरों में सूजन आ जाती है।
ज्यादा समय तक पैर लटकाना
जब कोई व्यक्ति ज्यादा लंबे समय तक पैर लटकाकर बैठता है, तो पृथ्वी की ग्रेविटी के कारण बॉडी फ्लूइड नीचे इक्कठा हो जाता है।
इस कारण समय बीतते बीतते सूजन आ जाती है। ऐसी सूजन टेम्पररी होती है। पैरों को सही पोजीशन में लाने पर सही हो जाती है।
दिल कमजोर होना
जिन लोगों का दिल कमजोर होता है, वह पूरे शरीर में ब्लड को अच्छे तरीके से पंप करने में असमर्थ होता हैं। नतीजतन, ब्लड वेसल्स से फ्लूइड बाहर निकलकर स्किन के नीचे मौजूद टिश्यू में जाने लग जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पैरों में सूजन हो जाती है।
प्रोटीन की कमी
ब्लड सेल्स में एल्ब्यूमिन नामक एक प्रोटीन होता है। यही प्रोटीन ब्लड वेसल्स में फ्लूइड को रोककर रखता है। यदि इस प्रोटीन की मात्रा कम हो जाएगी तो ब्लड वेसल्स से फ्लूइड रिसने लगता है जिससे पैरों में सूजन आती है।
गर्भावस्था
गर्भावस्था में गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण, ब्लड वेसल्स सिकुड़ने लगती है, इस कारण उनसे द्रव रिसने लग जाता है। इसके अलावा गर्भवती महिला के शरीर में खून की मात्रा बढ़ने के कारण भी यह समस्या हो जाती है।
लिवर व गुर्दे के रोग
लिवर व गुर्दो के रोग में अक्सर एलब्यूमिन कम हो जाता है। क्योंकि एक तरफ तो लिवर एलब्यूमिन कम मात्रा में बनाता है, और दूसरी तरफ किडनी एलब्यूमिन को मूत्र (यूरिन) में मिलाकर शरीर से बाहर निकाल देती है।
ब्लड क्लॉट या ट्यूमर
कुछ लोगो को ब्लड क्लोटिंग की समस्या होती है, ऐसे में ब्लड सर्कुलेशन पैरों तक सही तरीके से नही पहुंचता। ट्यूमर ब्लड वेसल्स पर प्रेशर डालता है और इस कारण भी पैर में सूजन आ सकती है।
दवा के साइड इफ़ेक्ट
एंटी-हाइपरटेंसिव दवाएं, नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेट्री दवाएं और स्टेरॉयड दवाएं पैरों में सूजन पैदा कर सकती हैं। ज्यादातर मामलों में सूजन काफी हल्की होती है और मरीज को किसी प्रकार की गंभीर समस्या नहीं होती।
त्वचा एलर्जी और संक्रमण
कई बार त्वचा में एलर्जी या संक्रमण आदि होने से भी टांगों में सूजन आने लगती है।
लकवा
हेमीपेरालिसिस, पैरालिसिस जैसी समस्याओं में भी पैरों को सूजन बहुत आम है। रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण कई बार कमर से नीचे का हिस्सा मूवमेंट नही करता जिस कारण पैर में सूजन आ जाती है।
पैर में सूजन आने पर क्या करें
पैरों में सूजन का इलाज उसके कारण पर ही निर्भर करता है।
- पैर को हल्का फुल्का सामर्थ्य के अनुसार हिलाने की कोशिश करें।
- दिन में कुछ समय सूजन प्रभावित हिस्सें को ह्रदय (हार्ट ) के स्तर से थोड़ी ऊंचाई वाले स्थान पर रखें।खासकर सोते समय जरूर रखें।
- प्रभावित स्थान को दिल की तरफ जाने वाली रक्त की गति में हल्की मसाज देना।
- नमक का सेवन कम करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- अत्याधिक देर तक बैठे या खड़े ना रहें।
- अत्याधिक तापमान से टांगों को बचाएं।