यूरिक एसिड क्या होता है
यूरिक एसिड शरीर से निकलने वाला हानिकारक पदार्थ है। यूरिक एसिड को अगर शरीर में ही जमा होने दिया जाए तो हम अनेक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। गठिया, जोड़ों का दर्द, पथरी आमतौर पर मुख्य बीमारियां हैं। यूरिक एसिड शरीर में प्रोटीन की अधिकता से होता है। प्रोटीन में प्यूरीन नमक पदार्थ होता है। प्यूरीन शरीर से अगर ना निकले तो यह जोड़ों में जमा हो जाता है। जिसके कारण उठने बैठने में दिक्कत होने लगती है। प्रोटीन अगर शरीर में अधिक मात्रा में जमा हो जाता है तो फिर किडनी यूरिन को अच्छी तरह से साफ नहीं कर पाती। जिसके कारण किडनी में स्टोन बनना शुरू हो जाता है। परेशानियों से निजात पाने के लिए हम डॉक्टर के पास जाते हैं। डॉक्टर हमें दवाइयों के साथ अपने भोजन में कुछ ऐसे पदार्थों को शामिल करने की सलाह देते हैं जो कि शरीर में प्रोटीन की अधिकता को रोके। इन्हीं पदार्थों में मूली है। मूली आयुर्वेदिक गुणों का भंडार है। मूली के सेवन से कैंसर, बवासीर, डायबिटीज में फायदा होता है। तो आइए जानते हैं यूरिक एसिड में मूली के फायदे क्या है।
मूली है औषधीय गुणों से भरपूर
मूली में प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, आयोडीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। मूली में विटामिन ए, बी, और सी पाया जाता है। ये शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाकर बीमारियों से बचाते हैं। मूली में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। फाइबर छोटी आंत और बड़ी आंत की अच्छे से सफाई करने में मददगार होता है। जिसके कारण कब्ज नहीं होता।
मूली दूर करती है मोटापे की समस्या को
यूरिक एसिड की मुख्य वजह मोटापा ही है। मूली के पत्तों का और मूली का सेवन करने से पेट भरा भरा रहता है। जिसके कारण भूख कम लगती है, भोजन आसानी से पचता भी है। धीरे-धीरे यूरिक एसिड कम होने लगता है और व्यक्ति के शरीर में प्रोटीन का संतुलन होने लगता है।
मूली दूर करती है पेट की समस्याओं को
हमारे शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता होने से हमारा भोजन अच्छे से पच नही पाता। पेट की अधिकतर समस्याएं यूरिक एसिड के बिगड़ने के कारण होती हैं। यूरिक एसिड के बिगड़ने से हमारा पाचन तंत्र भी बिगड़ जाता है। मूली पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मुख्य भूमिका निभाती है। अगर हम खाने के बाद मूली का प्रयोग करते हैं तो यह भोजन को पचाने में सहायक होती है।
- मूली को मिश्री के साथ खाने से एसीडिटी की समस्या दूर होती है। पाइल्स और खूनी बवासीर में मूली खाना फ़ायदेमंद होता है।
- मूली के 20 मिली रस का सेवन 50 ग्राम गाय के घी के साथ करने से बवासीर में राहत मिलती है।
- मूली के पत्तों को छाया में सुखाकर उसको 40 दिन तक 25 से 50 ग्राम की मात्रा में मिश्री के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।
मूत्र विकारों को दूर करती है मूली
जब शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता होती है तो किडनी यूरिन की गंदगी को पूरी तरह से साफ नही कर पाती। यूरिक एसिड के यूरेट क्रिस्टल किडनी में जमा होने लगते हैं। जिसके कारण यूरिन खुलकर नहीं आ पाता। है। मूली के सेवन से धीरे धीरे यूरेट क्रिस्टल टूटने लगते हैं। यूरिक एसिड का बनना कम होता है। यूरिन खुलकर होने लगता है।
मूली के सेवन और मूली के पत्तों के सेवन से मूत्र विकार दूर होतें हैं। बीस तीस मिली लीटर मूली के रस के सेवन दिन मैं तीन से चार बार करने से मूत्र विकार दूर होते हैं।
किडनी में पथरी को खत्म करती है मूली
जब यूरिन में प्रोटीन के कारण प्यूरीन की अधिकता होती है तो किडनी शरीर से यूरिक एसिड को अच्छी तरह से बाहर नहीं निकाल पाती। प्यूरीन यूरेट क्रिस्टल के रूप में किडनी में जमा होने लगता है। यूरेट क्रिस्टल के जमा होने के कारण किडनी में पथरी या स्टोन बनने लगते हैं।
मूली के पत्ते पथरी निकालने में मददगार होते हैं। मूली के पत्ते का रस दिन में 3 बार पीने से पथरी पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है। मूली के बीजों को भी दिन में तीन बार खाने से पथरी के रोग में फायदा होता है।
किडनी के रोगों में फायदेमंद है मूली
जब किडनी में यूरेट क्रिस्टल जमा होने लगते हैं तो धीरे-धीरे किडनी काम करना बंद कर देती है। जिसके कारण यूरिन बंद हो जाता है या धीरे-धीरे रुक रुक कर आता है। ऐसी स्थिति में मूली का रस पीने से बहुत फायदा होता है।
मूली के रस को दो-तीन बार दिन में सेवन करना चाहिए। इससे किडनी में जमा होने वाला यूरेट क्रिस्टल टूटने लगते हैं। धीरे-धीरे किडनी की समस्या दूर होने लगती है। किडनी के दर्द में भी काफी आराम मिलता है।