घर मे किसी नन्हे की किलकारियां गूंजने का अलग ही आनंद होता है। उसकी छोटी छोटी हरकतें भी परिवार के सदस्यों को भावविभोर कर देती है। इन्ही खुशनुमा पलो का हिस्सा होता है बच्चे के दांत निकलना यानी टीथिंग। अपने नन्हे नन्हे दांतो से जब वो खिलखिलाना, चीज़ों को काटना शुरु करता है, तो एक नई खुशी घर मे फैल जाती है। आज इस आर्टिकल में हम बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है, बच्चों के दांत निकलने के लक्षण, बच्चों के दांत निकलने का इलाज, बच्चों के दांत आते समय परेशानियाँ, बच्चों को दांत निकलते समय कैसे राहत दें और शिशु के दांत निकलते समय क्या न करें आदि बातों के बारे मे बताएंगे।
बच्चों के दांत निकलने की उम्र और समय को लेकर भी माए चिंतित होती है, क्योकि बच्चे के दांत निकलने का समय बहुत ही असमंजस भरा भी होता है, खासकर मां के लिए। क्योकि टीथिंग के समय बच्चा बहुत सी समस्याओं से दो चार होता है। समस्या इसलिए भी ज्यादा होती कि छोटा बच्चा कुछ बोलकर बता भी नही सकता।
बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है
आमतौर पर बच्चे के दांत बच्चों के दांत 6 महीने से दिखने शुरू हो जाते है। लेकिन दांत निकलने के लक्षण 4 महीने के बाद कभी भी दिखने शुरू हो सकते है।
लक्षण दिखने से लेकर सारे दांत आने में करीब दो से तीन साल का समय लग सकता है। इसके अलावा दांत निकलना पारिवारिक पैर्टन पर भी निर्भर करता है। कुछ बच्चों के दांत बहुत जल्दी दिखने लगते है तो किसी के देरी से, दांत मसूड़ों के अंदर से बाहर की ओर आते हैं।
दांत निकलने की प्रक्रिया
सबसे पहले बच्चे के निचले जबड़े में दांत आना शुरू होते हैं। इसमें बच्चे के आगे के दो दांत (सेंट्रल इनसाइजर्स)निकलते हैं जिसके बाद ऊपरी जबड़े के सामने के दो दांत (अपर सेंट्रल इनसाइजर्स) आते हैं। इसके बाद ऊपरी जबड़े के ही दो अन्य दांत आते है (अपर लेट्रल इनसाइजर्स), इन दांतों के आने के बाद निचले जबड़े में आए दांतों के दोनों तरफ दो अन्य दांत (लोअर लेट्रल इनसाइजर्स) आना शुरू होते हैं
इसके बाद बच्चे के मुंह के ऊपरी और निचले हिस्से के दाढ़ के दांत अपर व लोअर फर्स्ट मोलर्स) निकलना शुरू होते हैं। दांतों के निकलने की प्रक्रिया में इसके बाद पहले से आए हुए आगे के दांतों और दाढ़ के बीच की जगह को भरने के लिए अन्य दांत (कैनाइन) आते हैं और सबसे आखिर में जबड़े के अंतिम दाढ़ (सेकंड मोलर) निकलते हैं।
बच्चो के दांत निकलने के लक्षण
लार आना
बच्चे के मुहं से लगातार लार निकलती है, कभी कभी इतनी ज्यादा की बच्चे के कपड़े बदलने पड़ते है।
मुंह में घाव होना
लगातार लार आने के कारण बच्चे के मुंह मे रैशेज हो जाते है। बच्चे की ठोड़ी, होंठ और मुंह के आसपास की स्किन क्रेक हो जाती है।
मसूड़ों में सूजन आना
चूंकि दांत निकलते समय मसूड़ों पर दबाव पड़ता है।इसलिए बच्चे के मसूड़ों में सूजन, रेडनेस, मसूड़े फूलना और दर्द होंता है।
खांसी
बहुत ज्यादा लार बनने के कारण बच्चे को खांसी की समस्या हो सकती हूं।
दांत मिसमीसाना
जब दांत मसूड़ों से बाहर निकलने वाले होते हैं, तो बच्चा बहुत ही बेचैनी महसूस करता है। ऐसे में वो सब चीज़ों को काटने और चबाने की कोशिश करता है। तब यह स्थिति बच्चे को काफी परेशान करती है।
बेवजह रोना
चूंकि दांत निकलते समय मसूड़ो में सूजन और दर्द की समस्या होती हैं, तो बच्चा बेवजह लगातार रोता है। बच्चा चिडचिडा हो जाता है। और खेलने के समय भी असहज रहता है।
इन सब समस्याओं के अलावा खाने में रुचि न दिखाना, सोने में मुश्किल होना, कान खींचना और गालों को रगड़ना, जैसी समस्याएं भी होती है।
डॉक्टर से कब सम्पर्क करें
बच्चे के दांत निकलते समय होने वाली समस्याओं का समाधान
निम्नलिखित कुछ उपायों से आप बच्चों के दांत आते समय परेशानियाँ से राहत प्रदान कर सकते हैं।
- चबाने के लिए साफ और गीला कपड़ा दे। बच्चे हर समय मुहं में कुछ न कुछ देने की कोशिश करते है। तो बेहतर है कि आप ही उसे इसका एक बेहतरीन विकल्प दे।
- बच्चे के लिए टीथर्स का प्रयोग करें। लेकिन केवल अच्छे ब्रांड के टीथर्स ले। क्योंकि सस्ते टीथर्स में केमिकल हो सकते है। गर्मियों का मौसम हो तो टीथर्स को कुछ समय तक फ्रिज़ में रखकर बच्चे को दे। इससे बच्चे को काफी आराम मिलेगा।
- बच्चे का ध्यान, अलग अलग खिलौने और खेल में लगाने की कोशिश करें।
- अगर बच्चा ठोस खाने लगा है तो उसे फल या सब्जी का टुकड़ा चबाने को दे जैसे सेब और गाजर
- जब बच्चा दांत मिसमिसा रहा हो, या चिड़चिड़ा रहा हो तो, साफ उंगली या गीले कपड़े से उसके मसूड़ो की हल्के हाथों से मसाज करें।
- साफ-सफाई पर ध्यान रखें।
बच्चों के दांत आते समय परेशानियाँ-क्या न करें
- बच्चे पर कोई भी घरेलू उपाय न अपनाए
- बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी पेस्ट या ब्रशिंग शुरू न करें।
- टीथर्स को फ्रिज़ में चिल्ड करके न दे।
- किसी भी प्रकार के मिथक के बहकावे में न आएं जैसे पहले ऊपर के दांत निकले तो माँ के लिए भारी है आदि।
- बच्चे को कोई भी गंदी चीज़ मुहं में न लेने दे।
- सोते समय बच्चे को बिल्कुल भी डिस्टर्ब न करें।