पतंजलि कायाकल्प वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है। जो मुख्यतः त्वचा के रोगों के इलाज के लिए प्रयोग की जाती है। यह त्वचा के रंग में बदलाव, चर्म रोग, सोरायसिस, मुंहासे आदि के इलाज के लिए उपयोग की जाती है इसमें करंज रीठा आंवला गिलोय बहेड़ा जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है।
कायाकल्प वटी मुख्यतः त्वचा से संबंधित विकारों के लिए प्रयोग की जाती है। त्वचा पर कील मुहासे सोरायसिस सफेद दाग झुर्रिया, एडी का फटना, कालापन एग्जिमा, स्किन एलर्जी आदि सभी रोगों के निदान के लिए कायाकल्प वटी का प्रयोग किया जाता है। पतंजलि कायकल्प वटी घाव भरने में, बवासीर में, वात रोग में, अनिद्रा में, नेत्र विकार में फ़ायदेमंद है। पतंजलि कायाकल्प वटी काफी सारे अन्य रोगों में भी लाभदायक है।
पतंजलि कायाकल्प वटी के फायदे-Patanjali Kayakalp Vati Benefits
दिव्य कायाकल्प वटी से होता है रक्त साफ
दिव्य कायाकल्प वटी में प्रयोग की जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां आंवला रीठा करंज आदि रक्त को साफ करने में मदद करती है। खून के साफ होने से पिंपल, दाग, धब्बे मुंहासे दूर होते हैं।
दिव्य कायाकल्प वटी उपयोगी है त्वचा के संक्रमण में
त्वचा में संक्रमण विभिन्न कारणों से हो सकता है। जिसमें किसी विशेष वस्तु से एलर्जी। धूप से एलर्जी। खाने पीने की किसी वस्तु से एलर्जी। दवाइयों का रिएक्शन कोई भी कारण हो सकता है। जिसके कारण त्वचा रूखी हो सकती हैं। त्वचा पर धब्बे आदि भी हो सकते हैं। त्वचा के संक्रमण को रोकने में दिव्य कायाकल्प वटी अत्यधिक उपयोगी है
दिव्य कायाकल्प वटी लाभदायक है मृत त्वचा को हटाने में
दिव्य कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां शरीर को अंदर से साफ करके त्वचा की मृत कोशिकाओं को नष्ट करती है।
दिव्य कायाकल्प वटी लाभदायक है त्वचा रोगों में
दिव्य कायाकल्प वटी से एग्जिमा सफेद दाग और सोरायसिस जैसी त्वचा की बीमारियों का इलाज होता है
पतंजलि कायाकल्प वटी फ़ायदेमंद है मधुमेह में
पतंजलि कायाकल्प वटी में आंवला, करंज, नीम, त्रिफला, दारू,हल्दी जैसे आयुर्वेदिक औषधियों के गुण हैं। जिसके कारण यह शरीर में शर्करा के स्तर को नियमित करती है और मधुमेह रोकने में मददगार होती है।
पतंजलि कायाकल्प वटी उपयोगी है स्किन एलर्जी में
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाए जाने वाले औषधि घटक स्किन की एलर्जी को दूर करते हैं। और त्वचा निरोगी बनती है।
पतंजलि कायाकल्प वटी लाभदायक है बुखार में
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां बुखार को रोकने में कारगर है। पतंजलि कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां शरीर के उच्च तापमान को नियंत्रित कर शरीर का तापमान संतुलित रखती हैं
पतंजलि कायाकल्प वटी लाभदायक है स्किन का ग्लो बढ़ाने में
पतंजलि कायाकल्प वटी से त्वचा की सभी बीमारियाँ दूर होती है त्वचा कांतिमय होती है। त्वचा की चमक बढ़ती है।
पतंजलि कायाकल्प वटी रोकती है उम्र के निशानों को
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां त्वचा को निखरा हुआ और कसाव दास बनाती है। कायाकल्प वटी चेहरे पर झुर्रियां पड़ना रोकती है। उम्र बढ़ने के निशानों को कम करती हैं।
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां दिमाग को शांत करती है। मानसिक तनाव को दूर करने में उपयोगी होती है।
पतंजलि कायाकल्प वटी भूख बढ़ाने में उपयोगी है
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेज करती है जिसके कारण भूख खुलकर लगती है |
पतंजलि कायाकल्प वटी दूर करती है मलेरिया को
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां मलेरिया की परपोषी को भीतर ही भीतर समाप्त कर देती हैं। पतंजलि कायाकल्प वटी मलेरिया में लाभदायक है।
पतंजलि कायाकल्प वटी फ़ायदेमंद है जोड़ों के दर्द में
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली औषधियां जैसे दारू, हल्दी, करंज, आंवला, त्रिफला, पनवाड़ा, सत्यानाशी ये सभी जोड़ों के दर्द को दूर करने में लाभदायक है।
पतंजलि कायाकल्प वटी के नियमित सेवन से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
पतंजलि कायाकल्प वटी लाभदायक है प्रदर में
प्रदर विशेष रूप से स्त्रियों में होने वाली बीमारी है जो कि फंगल इन्फेक्शन के कारण होती है। जिसमें जननांगों की त्वचा में सूजन खुजली और जलन होती है। जननांगों से सफेद रंग का गंध युक्त योनि स्राव निकलता है। पतंजलि कायाकल्प वटी फंगल इन्फेक्शन को दूर कर प्रदर की बीमारी को दूर करती है।
पतंजलि कायाकल्प वटी फायदेमंद है गले की खराश में
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां जैसे दारू, हल्दी, आंवला, कत्था, गिलोय जैसी गरम आयुर्वेदिक औषधियां गले में होने वाले संक्रमण को दूर करती है और गले की खराश को दूर करती है।
कायाकल्प वटी फायदेमंद है खांसी में
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाए जाने वाली गिलोय ,मंजीठ, हल्दी, खैर, पनवाड़ा जैसी आयुर्वेदिक औषधियां रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले गुणों से परिपूर्ण होती है जिसके कारण यह आयुर्वेदिक औषधियां शरीर में होने वाले इन्फेक्शन को दूर करती है। फेफड़ों में होने वाले संक्रमण को दूर कर शरीर को खांसी से बचाती है।
पतंजलि कायाकल्प वटी में पाई जाने वाली औषधियां
कायाकल्प वटी में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है।
आंवला
विटामिन-सी से भरपूर आंवला, आंखों, बालों और त्वचा के लिए फ़ायदेमंद है।
नीम
एंटीबायोटेक गुणों से भरपूर नीम को सर्वोच्च औषधि के रूप में माना जाता है यह स्वाद में भले ही कड़वा हो लेकिन अमृत के समान लाभदायक होता है।
कुटकी
कुटकी सुपाच्य, पित्त और कफ की परेशानी को ठीक करने वाली, भूख बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी है। यह बुखार, टॉयफॉयड, टीबी, बवासीर, दर्द, डायबिटीज़ आदि में फ़ायदेमंद है।
त्रिफला
त्रिफला एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लामेट्री और एंटी बैक्टीरियल गुणों से युक्त होती है। त्रिफला में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं।
दारुहल्दी
दारुहल्दी (Daru Haldi) नेत्ररोग, कर्णरोग, मुख रोग, प्रमेह, खुजली, विसर्प, त्वचा के विकार, में लाभदायक है | व्रण और विषनाशक है। स्वेदजनक (पसीना लानेवाली), पित्त, कफ तथा सूजन नाशक है। दारुहल्दी विशेषतः कफ नाशक है
पनवाड़ के बीज कड़वी, ग्राही, उष्ण या गर्म होते हैं | ये दद्रु या रिंगवर्म , कुष्ठ, सूजन, गुल्म तथा वातरक्तनाशक होते हैं।इसकी पत्ते-साग की तरह खा सकते हैं। यह कफकारक,होते हैं | खुजली, कुष्ठ रोग में लाभदायक होते हैं बलकारक, वातानुलोमक, कृमिनिसारक तथा लिवर के लिए अच्छा होता है।
द्रोणपुष्पी
बुखार, वात दोष, टाइफाइड, अनिद्रा में द्रोणपुष्पी के इस्तेमाल से फायदा होता हैं। न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर, हिस्टीरिया, दाद-खाज-खुजली, आदि में भी द्रोणपुष्पी के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
कत्था
कत्थे के पेड़ की टहनी, छाल और लकड़ी में औषधीय गुण होते हैं। कत्थे में एंटीफंगल गुण होते हैं। यानी यह फंगल संक्रमण रोकता है। इसके सेवन से त्वचा संबंधी बीमारियाँ नहीं होती हैं।
सत्यानाशी
व्रण/घाव तथा त्वचा रोगों में सत्यानाशी का प्रयोग होता है।।सत्यानाशी के पत्ते का रस/दूध कीटाणुनाशक एवं विषाणु नाशक होता है।इसके रस को लगाने से किसी भी प्रकार का घाव ठीक है जाता है। पुराने से पुराना घाव भी ठीक करने में यह समर्थ है।
आयुर्वेद में तथा भारतीय समाज में इसका प्रयोग कुष्ठ रोगों में किया जाता रहा है।यह इतना गुणी पौधा है कि कितना भी पुराना घाव हो या दाद, खाज, खुजली हो उसे चुटकियों ठीक कर देता है। यह बांझपन में भी उपयोगी है
खैर
खैर की छाल कुष्ठ नाशक है।खैर के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से खून शुद्ध होता है। पुराने घाव फोड़े फुंसी इसे लगाने से जल्दी ठीक होते हैं खैर के सेवन से हृदय रोग ठीक होते हैं।
हल्दी
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कैंसर को बढ़ने से रोकता है। हल्दी पित्ताशय को उत्तेजित करती है, जिससे पाचन सुधरता है और गैस ब्लोटिंग को कम करती है। हल्दी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है। इसमें मौजूद लाइपोपॉलीसकराइड नाम का पदार्थ यह काम करता है।
मंजीठ
मंजीठ का आयुर्वेद में तरह-तरह के बीमारियों के लिए उपचार औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। मंजिष्ठा या मंजीठ के जड़, तना, फल और पत्ते का औषधि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मंजिष्ठा सौंदर्य संबंधी समस्या, नारी संबंधी शारीरिक समस्याओं के उपचार स्वरूप काम करने के साथ-साथ तरह-तरह के बीमारियों से राहत दिलाने में भी सहायता करता है।
गिलोय
गिलोय के पत्तों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इस की पत्ती में स्टार्च की बहुत अच्छी मात्रा होती है। गिलोय एक बहुत अच्छा इम्यूनिटी बूस्टर होता है यह बेहतरीन पावर ड्रिंक है यह इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के साथ-साथ कई खतरनाक बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
करंज
करंज के पौधे को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। गंजेपन की समस्या, आंखों, दाँतों के रोग में करंज से लाभ मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार, घाव, कुष्ठ रोग, पेट की बीमारी और बवासीर जैसे रोग में करंज के फायदे मिलते हैं।
पंतजलि काया कल्प वटी को लेने का तरीका
डॉक्टर की सलाह से या दिन में एक या दो वटी अपने शरीर के लक्षणों को देखते हुए ले सकते हैं।