गर्भावस्था में चीकू खाने के नुकसान स्पष्ट नहीं हैं। हांँ, अधपका चीकू खाने से मुंह कड़वा और गले में खुजली हो सकती है। साथ ही माउथ अल्सर का खतरा भी हो सकता है । इसके अलावा, चीकू में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है, इसी वजह से माना जाता है कि इसे अधिक मात्रा में खाने से थोड़ा वजन बढ़ सकता है। ऐसा भी कहा जाता है कि चीकू के अधिक सेवन से पेट में दर्द और डायरिया जैसी समस्या हो सकती हैं। फिलहाल, इस संबंध में कोई सटीक वैज्ञानिक शोध या प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
इसलिए प्रेगनेंसी में चीकू का सेवन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
- हमेशा पका चीकू ही खाएं।
- इसे खाते समय मात्रा का खास ध्यान रखें।
- कोशिश करें कि एक ही बार में अधिक चीकू न खाएं, बल्कि दिन में दो से तीन बार में खाएं।
- चीकू को खाते समय उसे अच्छे से छीलकर ही खाएं। जल्दबाजी में छीलते हुए कई बार फल में छिलका छूट जाता है, लेकिन ध्यान दें कि ऐसा न हो।
- इसे छीलने से पहले अच्छे से हाथ जरूर धोएं ताकि किसी तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन न हो।
संतुलित मात्रा में सेवन
प्रकृति ने हमें अनमोल चीकू जैसे फल से नवाजा है। चीकू में मौजूद गुणकारी पोषक तत्व इसे खास बनाते हैं। गर्भावस्था में अधिक एनर्जी की जरूरत होती है, जिसकी पूर्ति करने में चीकू मदद कर सकता है। चीकू को एनर्जी यानी ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत बताया जाता है। दरअसल, इसमें फ्रुक्टोज और सुक्रोज की अच्छी मात्रा होती है और यह दोनों प्राकृतिक तत्व एनर्जी बूस्टर की तरह कार्य करते हैं। इसी वजह से गर्भावस्था में होने वाली कमजोरी के एहसास को कम करने और महिला को ऊर्जावान बनाने में चीकू मदद कर सकता है।
आप इसका संतुलित मात्रा में सेवन करके इसके लाभ उठा सकते हैं। इसे खाते समय ध्यान दें कि गर्भावस्था में किसी भी चीज की अधिकता भारी पड़ सकती है। एक रिसर्च में बताया गया है कि प्रेगनेंसी के समय लिए जाने वाले आहार में चीकू को शामिल करने से मांँ और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। दरअसल, इसमें कार्बोहाइड्रेट और एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स होते हैं।
इसके सेवन से होने वाले लाभ के बारे में हम यहाँ बात कर सकते हैं।
पोषक तत्व
इसमें हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम, आयरन, कॉपर और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये सभी पोषक तत्व मिलकर हड्डियों को मजबूत बनाने और उनके विकास में मदद करते हैं।
गर्भावस्था के समय होने वाले स्ट्रेस यानी तनाव से छुटकारा पाने में भी चीकू मदद कर सकता है। दरअसल, चीकू विटामिन-सी से समृद्ध होता है। यह विटामिन प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने व अन्य किसी वजह से हुए तनाव को दूर करने का काम कर सकता है।
रक्तचाप नियंत्रण
रक्तचाप नियंत्रण करने के तरीके में चीकू को भी शामिल कर सकते हैं। असल में चीकू मैग्नीशियम से समृद्ध होता है, जो रक्त वाहिकाओं को गतिशील बनाए रखने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, चीकू में पोटैशियम भी होता है, जिसे रक्तचाप और ब्लड सर्कुलेशन को संतुलित रखने के लिए जाना जाता है।
कब्ज से छुटकारा
नसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान डाइजेशन से जुड़ी समस्या कब्ज का होना आम है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए चीकू का सेवन लाभदायक हो सकता है। चीकू में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। यह लैक्सेटिव की तरह कार्य करके पेट से मल को बाहर निकालने और पाचन में मदद करने का काम कर सकता है।
अतः इसे फल की तरह या फ्रूट सलाद के रूप में सुबह या दोपहर के समय खा सकते हैं। इसके हलवे को मीठे के रूप में खाना खाने के बाद खाया जा सकता है।
अब सवाल ये उठता है कि कितना खाएं?
आइये आपको बताते हैं, गर्भावस्था में प्रतिदिन चीकू के सेवन की सुरक्षित मात्रा को लेकर किसी तरह की सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हांँ, ऐसा बताया जाता है कि प्रतिदिन 200 ग्राम तक चीकू का सेवन सुरक्षित हो सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, प्रतिदिन 5000 mg प्रति किलो वजन के अनुसार इसे लेना सुरक्षित है। इस हिसाब से 50 किलो वजन वाले 250 ग्राम तक चीकू का सेवन कर सकते हैं।
आप चाहें तो गर्भावस्था में चीकू के सेवन की सही मात्रा जानने के लिए आहार विशेषज्ञ से भी मदद ले सकते हैं।