शायद ही दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने चिकेन पॉक्स के बारे में नहीं सुना होगा! चिकेन पोक्स मतलब चेचक। लेकिन क्या आपने मंकी-पॉक्स (Monkeypox) का नाम सुना है। कोविड से दुनियाभर के देश अभी पूरी तरह उबर भी नहीं पाए हैं कि एक नई दुर्लभ बीमारी मंकी पोक्स ने दस्तक दे दी है। चेचक से इसकी तुलना इसलिए ही की जा रही है कि ये भी वायरस संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है।
अमेरिका और यूरोप में एक दुर्लभ संक्रमण के उभरने से वैज्ञानिक चिंतित हैं, इस बीमारी का नाम है- मंकीपॉक्स। गनीमत है कि भारत में अभी तक इससे संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और अमेरिका में यह बीमारी तेजी से पांव पसार रही है।
विभिन्न देशों से आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुल मिलाकर, मंकीपॉक्स के 100 से अधिक संदिग्ध और पुष्ट मामले सामने आए हैं।
मंकी-पॉक्स (Monkeypox) कैसा फैलता है
ये वायरस संक्रमण से फैलता है, मरीज के घाव से निकलकर यह वायरस आँख, नाक और मुँह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लुइड्स को छूने से भी मंकी पॉक्स के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। जानकारों की मानें ठीक से मांस पका कर न खाने या संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ सकता है।
मंकी-पॉक्स (Monkeypox) के लक्षण क्या हैं –
मंकी पॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं। संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं। आखिर में चेचक की तरह ही पपड़ी बनकर गिर जाते हैं।
इस बीमारी का इतिहास क्या है
पहली बार साल 1958 में ये वायरल इन्फेक्शन बंदर में पाया गया था। इंसानों में पहली बार ये बीमारी 1970 में सामने आई थी। 2017 में नाइजीरिया में मंकी पॉक्स का सबसे बड़ा आउटब्रेक हुआ था। खास बात ये है कि, उस दौरान 75 फीसदी मरीज पुरुष थे। ये एक वायरल इन्फेक्शन है, जिसने अबतक अधिकतर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में अपना जोर दिखाया है।
वर्तमान में हालात
वर्तमान समय में, अभी तक ब्रिटेन में इसका पहला मरीज 7 मई को मिला था। फिलहाल यहाँ मरीजों की कुल संख्या 9 है। वहीं, स्पेन में 7 और पुर्तगाल में 5 मरीजों की पुष्टि हुई है। अमेरिका, इटली, स्वीडन, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में मंकी पॉक्स के 1-1 मामले सामने आए हैं। साथ ही कनाडा में 13 संदिग्ध मरीजों की जांच की जा रही है। बेल्जियम में शुक्रवार को 2 मामले सामने आए हैं।
मंकीपॉक्स का इलाज कैसे होता है
मंकीपॉक्स के लिए वर्तमान में कोई प्रमाणित और सुरक्षित इलाज नहीं है, हालांकि अधिकांश मामले हल्के होते हैं, जिन लोगों को वायरस से संक्रमित होने का संदेह है, उन्हें कमरे में अलग-थलग किया जा सकता है. रोगियों को अलग करने के लिए उपयोग किए जाने वाले स्थान और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग करके हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स द्वारा निगरानी की जाती है. हालांकि, चेचक के टीके वायरस के प्रसार को रोकने में काफी हद तक प्रभावी साबित हुए हैं।
अभी तक ये यह वायरस ज्यादा खतरनाक साबित नहीं हुआ, पश्चिम अफ्रीका में कुछ मौतें हुई हैं, इसलिए मंकीपॉक्स के मामले भी गंभीर हो सकते हैं, हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ज्यादा खतरा नहीं है और आम जनता के लिए जोखिम बहुत कम है।
विशेष
विशेष तथ्य ये निकलकर आ रहा है कि ये समलैंगिकों पर भारी पड़ रहा है, मीडिया रिापाोर्ट्स में यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) का हवाला देते हुए कहा है कि, ब्रिटेन में अब तक मिले मंकी पॉक्स के ज्यादातर मामलों में मरीज वे पुरुष हैं, जो खुद को ‘गे’ या बायसेक्शुअल आइडेंटिफाई करते हैं। हालांकि, अबतक मंकी पॉक्स को यौन संक्रामक बीमारी नहीं माना गया है, लेकिन ऐसा हो सकता है कि समलैंगिकों में ये सेक्शुअल कॉन्टैक्ट से फैलती हो।